दिन 1

नये साल के संकल्प

बुद्धि भजन संहिता 1:1-6
नए करार मत्ती 1:1-25
जूना करार उत्पत्ति 1:1-2:17

परिचय

मैं एक स्क्वैश क्लब का हिस्सा था जो जिम भी था। हर साल 1 जनवरी को वे जिम में अतिरिक्त मशीनें ले आते थे। उस समय वहां बहुत भीड़ होती थी। लेकिन लगभग 7 जनवरी तक, वे सारी अतिरिक्त मशीनें वापस ले जाते थे, क्योंकि ज़्यादातर लोगों ने अपने नए साल के संकल्प छोड़ दिए होते थे, और क्लब फिर से सामान्य हो जाता था।

• फिट होना • वजन कम करना • शराब कम करना • धूम्रपान छोड़ना • कर्ज़ से बाहर निकलना

इन आम नए साल के संकल्पों में कुछ भी गलत नहीं है। दरअसल, हम सभी कभी न कभी ऐसे संकल्प लेते हैं जिन्हें निभा नहीं पाते।

अच्छी बात यह है कि हर नया साल एक नई शुरुआत का मौका देता है। लेकिन सिर्फ साल नहीं — हर हफ्ता भी एक नई शुरुआत हो सकता है। हर रविवार एक नए हफ्ते का पहला दिन होता है — एक नया आरंभ। और सच तो यह है कि हर दिन हमें दोबारा शुरू करने का मौका देता है, चाहे हम किसी भी उम्र के हों। मुझे सी. एस. लुईस की यह बात बहुत प्रेरित करती है: "आप कभी इतने बूढ़े नहीं होते कि एक नया लक्ष्य न बना सकें या एक नया सपना न देख सकें।"

बाइबल के पहले तीन शब्द हैं, "आदि में..." (उत्पत्ति 1:1)। आज के पाठ हमें नई शुरुआतों और नए अवसरों के बारे में कुछ न कुछ सिखाते हैं, और यह भी बताते हैं कि हम अपने जीवन के लिए कौन-कौन से अच्छे संकल्प ले सकते हैं।

बुद्धि

भजन संहिता 1:1-6

पहिला भाग

1सचमुच वह जन धन्य होगा
 यदि वह दुष्टों की सलाह को न मानें,
 और यदि वह किसी पापी के जैसा जीवन न जीए
 और यदि वह उन लोगों की संगति न करे जो परमेश्वर की राह पर नहीं चलते।
2 वह नेक मनुष्य है जो यहोवा के उपदेशों से प्रीति रखता है।
 वह तो रात दिन उन उपदेशों का मनन करता है।
3 इससे वह मनुष्य उस वृक्ष जैसा सुदृढ़ बनता है
 जिसको जलधार के किनारे रोपा गया है।
 वह उस वृक्ष समान है, जो उचित समय में फलता
 और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं।
 वह जो भी करता है सफल ही होता है।

4 किन्तु दुष्ट जन ऐसे नहीं होते।
 दुष्ट जन उस भूसे के समान होते हैं जिन्हें पवन का झोका उड़ा ले जाता है।
5 इसलिए दुष्ट जन न्याय का सामना नहीं कर पायेंगे।
 सज्जनों की सभा में वे दोषी ठहरेंगे और उन पापियों को छोड़ा नहीं जायेगा।
6 ऐसा भला क्यों होगा? क्योंकि यहोवा सज्जनों की रक्षा करता है
 और वह दुर्जनों का विनाश करता है।

समीक्षा

बाइबल में ‘आनंद’

अगर आप इस साल पहली बार पूरी बाइबल पढ़ने की चुनौती ले रहे हैं, तो यह भजन आपको उत्साहित करने वाला है।

यह वादा किया गया है कि अगर आप परमेश्वर के वचन में ‘आनंद’ लेते हैं और ‘दिन-रात उस पर मनन’ करते हैं (भजन 1:2, MSG), तो आपका जीवन आशीषित होगा। खुशी वह है जो आपके साथ घटती है, लेकिन आशीर्वाद वह है जो परमेश्वर को जानने और उसके वचनों पर मनन करने से आपके जीवन में आता है।

परमेश्वर आपको वादा करते हैं: फलदायक जीवन – “जो अपने समय पर फल देता है” (v.3b), जीवन में ताजगी – “जिसके पत्ते नहीं मुरझाते” (v.3c), सच्ची समृद्धि – “जो कुछ वह करता है वह सफल होता है” (v.3d)। यह ज़रूरी नहीं कि यह भौतिक या पैसों से जुड़ी समृद्धि हो!)

इस संदेश को और मजबूत बनाता है वह दृश्य जो ‘दुष्टों’ के अंत की ओर इशारा करता है। भजनकार यह नहीं कहता कि दुष्ट कभी सफल नहीं होते। बल्कि वह यह याद दिलाता है कि उनकी सफलता थोड़ी देर की होती है – “वे भूसे के समान हैं, जिसे हवा उड़ा ले जाती है… वे नष्ट हो जाएंगे” (v.4,6)।

सच्ची और शाश्वत फलदायी ज़िंदगी का रहस्य परमेश्वर के साथ आपके रिश्ते में छिपा है। जब आप धर्मी लोगों के मार्ग पर चलने का प्रयास करते हैं, तो आपको यह आश्वासन मिलता है कि स्वयं परमेश्वर आपकी देखभाल करेंगे (v.6)।

प्रार्थना

हे प्रभु, धन्यवाद कि आपने अपने वचनों में अद्भुत वादे किए हैं। मैं यह संकल्प लेता/लेती हूँ कि मैं नियमित रूप से आपके वचन में आनंद लूँगा/लूँगी और उस पर मनन करूंगा/करूंगी।

नए करार

मत्ती 1:1-25

यीशु की वंशावली

1इब्राहीम के वंशज दाऊद के पुत्र यीशु मसीह की वंशावली इस प्रकार है:

2 इब्राहीम का पुत्र था इसहाक

 और इसहाक का पुत्र हुआ याकूब।

 फिर याकूब से यहूदा

 और उसके भाई उत्पन्न हुए।

3 यहूदा के बेटे थे फिरिस और जोरह। (उनकी माँ का नाम तामार था।)

 फिरिस, हिस्रोन का पिता था।

 हिस्रोन राम का पिता था।

4 राम अम्मीनादाब का पिता था।

 अम्मीनादाब से नहशोन

 और नहशोन से सलमोन का जन्म हुआ।

5 सलमोन से बोअज का जन्म हुआ। (बोअज की माँ का नाम राहब था।)

 बोअज और रूथ से ओबेद पैदा हुआ,

 ओबेद यिशै का पिता था।

6 और यिशै से राजा दाऊद पैदा हुआ।

 सुलैमान दाऊद का पुत्र था (जो उस स्त्री से जन्मा जो पहले उरिय्याह की पत्नी थी।)

7 सुलैमान रहबाम का पिता था।

 और रहबाम अबिय्याह का पिता था।

 अबिय्याह से आसा का जन्म हुआ।

8 और आसा यहोशाफात का पिता बना।

 फिर यहोशाफात से योराम

 और योराम से उज्जिय्याह का जन्म हुआ।

9 उज्जिय्याह योताम का पिता था

 और योताम, आहाज का।

 फिर आहाज से हिजकिय्याह।

10 और हिजकिय्याह से मनश्शिह का जन्म हुआ।

 मनश्शिह आमोन का पिता बना

 और आमोन योशिय्याह का।

11 फिर इस्राएल के लोगों को बंदी बना कर बेबिलोन ले जाते समय योशिय्याह से यकुन्याह और उसके भाईयों ने जन्म लिया।

12 बेबिलोन में ले जाये जाने के बाद यकुन्याह

 शालतिएल का पिता बना।

 और फिर शालतिएल से जरुब्बाबिल।

13 तथा जरुब्बाबिल से अबीहूद पैदा हुए।

 अबीहूद इल्याकीम का

 और इल्याकीम अजोर का पिता बना।

14 अजोर सदोक का पिता था।

 सदोक से अखीम

 और अखीम से इलीहूद पैदा हुए।

15 इलीहूद इलियाजार का पिता था

 और इलियाजार मत्तान का।

 मत्तान याकूब का पिता बना।

16 और याकूब से यूसुफ पैदा हुआ।

 जो मरियम का पति था।

 मरियम से यीशु का जन्म हुआ जो मसीह कहलाया।

17 इस प्रकार इब्राहीम से दाऊद तक चौदह पीढ़ियाँ हुईं। और दाऊद से लेकर बंदी बना कर बाबुल पहुँचाये जाने तक की चौदह पीढ़ियाँ, तथा बंदी बना कर बाबुल पहुँचाये जाने से मसीह के जन्म तक चौदह पीढ़ियाँ और हुईं।

यीशु मसीह का जन्म

18 यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार हुआ: जब उसकी माता मरियम की यूसुफ के साथ सगाई हुई तो विवाह होने से पहले ही पता चला कि (वह पवित्र आत्मा की शक्ति से गर्भवती है।) 19 किन्तु उसका भावी पति यूसुफ एक अच्छा व्यक्ति था और इसे प्रकट करके लोगों में उसे बदनाम करना नहीं चाहता था। इसलिये उसने निश्चय किया कि चुपके से वह सगाई तोड़ दे।

20 किन्तु जब वह इस बारे में सोच ही रहा था, सपने में उसके सामने प्रभु के दूत ने प्रकट होकर उससे कहा, “ओ! दाऊद के पुत्र यूसुफ, मरियम को पत्नी बनाने से मत डर क्य़ोंकि जो बच्चा उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। 21 वह एक पुत्र को जन्म देगी। तू उसका नाम यीशु रखना क्य़ोंकि वह अपने लोगों को उनके पापों से उद्धार करेगा।”

22 यह सब कुछ इसलिये हुआ है कि प्रभु ने भविष्यवक्ता द्वारा जो कुछ कहा था, पूरा हो: 23 “सुनो, एक कुँवारी कन्या गर्भवती होकर एक पुत्र को जन्म देगी। उसका नाम इम्मानुएल रखा जायेगा।” (जिसका अर्थ है “परमेश्वर हमारे साथ है।”)

24 जब यूसुफ नींद से जागा तो उसने वही किया जिसे करने की प्रभु के दूत ने उसे आज्ञा दी थी। वह मरियम को ब्याह कर अपने घर ले आया। 25 किन्तु जब तक उसने पुत्र को जन्म नहीं दे दिया, वह उसके साथ नहीं सोया। यूसुफ ने बेटे का नाम यीशु रखा।

समीक्षा

यीशु पर ध्यान केंद्रित करेंप

अपने जीवन को यीशु पर केंद्रित करने का संकल्प लें। पूरी बाइबल का केंद्र बिंदु यीशु ही हैं। नया नियम उन्हीं से शुरू होता है — उनके वंशवृक्ष (family tree) के साथ।

जब हम यीशु के पूर्वजों की सूची पढ़ते हैं, तो यह जानकर बहुत हिम्मत मिलती है कि इसमें तामार (जिसने व्यभिचार किया), राहाब (जिसे वेश्या कहा गया), रूत (जो यहूदी नहीं बल्कि मोआब की थी), और सुलैमान (जो दाऊद और बतशेबा के व्यभिचार के बाद पैदा हुआ) ऐसे बहुत सारे लोग शामिल थे। धन्यवाद हो परमेश्वर का, जो पापी और टूटी हुई ज़िंदगियों को भी इस्तेमाल करते हैं — और इसलिए वह हमें भी उपयोग कर सकते हैं। चाहे आपका अतीत जैसा भी रहा हो, या अभी आपकी ज़िंदगी जितनी भी टूटी-सी लगे, परमेश्वर आपका उपयोग कर सकते हैं और आपके जीवन से कुछ महान कार्य कर सकते हैं।

‘यीशु’ नाम का अर्थ है: ‘वह अपने लोगों को उनके पापों से उद्धार देगा’ (मत्ती 1:21)। हर बार जब हम ‘यीशु’ नाम लेते हैं, तो यह हमें याद दिलाता है कि हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत केवल खुशी या संतोष नहीं है (हालांकि वे इसके फल हो सकते हैं), बल्कि हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत पापों की क्षमा है। और इसी कारण हमें एक उद्धारकर्ता (Saviour) की ज़रूरत है।

मत्ती रचित सुसमाचार की शुरुआत हमें यह दिखाती है कि यीशु पुराने नियम की पूरी कहानी की पूर्ति हैं:

यीशु इतिहास का चरम बिंदु (climax) हैं

मत्ती अपने सुसमाचार की शुरुआत यीशु के वंशवृक्ष से करता है, जो पुराने नियम की कहानी का सार है (पद 1–17)। वह बताता है कि परमेश्वर की प्रजा का इतिहास तीन भागों में बँटा जा सकता है:अब्राहम से दाऊद तक 14 पीढ़ियाँ, दाऊद से बबिलोन की बंधुआई तक 14 पीढ़ियाँ, बंधुआई से मसीह तक 14 पीढ़ियाँ (पद 17)

हालाँकि कुछ पीढ़ियाँ छोड़ी गई हैं (जो कि उस समय आम बात थी), मत्ती यह समझाना चाहता है कि पुराने नियम का इतिहास तीन बराबर-बराबर समय के हिस्सों में विभाजित होता है — और यीशु उस पूरी कहानी का अंतिम बिंदु हैं। उनके आने से इतिहास अपनी पूर्णता पर पहुँचता है।

यीशु में परमेश्वर के सारे वादे पूरे होते हैं

यीशु न केवल पुराने नियम की ऐतिहासिक कहानी की पूर्ति हैं, बल्कि वे पुराने भविष्यवाणियों और परमेश्वर के सभी वचनों की भी पूर्ति हैं।

मत्ती यीशु के जन्म और बचपन की पाँच घटनाओं के अंत में पुराने नियम के वचनों को उद्धृत करता है जो पूरा हुआ कहते हैं (मत्ती 1:22–23; 2:5–6,17,23; 4:14–16)।

पहली भविष्यवाणी यह है: "यह सब इसलिये हुआ कि जो प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था, वह पूरा हो — ‘देखो, एक कुंवारी गर्भवती होगी, और पुत्र को जन्म देगी; और वे उसका नाम इम्मानुएल रखेंगे’ (जिसका अर्थ है: ‘परमेश्वर हमारे साथ’)" (मत्ती 1:22–23)।

इतिहास, भविष्यवाणी और वादा — सब कुछ यीशु में पूरा होता है। आपका पूरा जीवन भी यीशु में पूरा होता है। आपके जीवन का हर हिस्सा — आपका काम, परिवार, रिश्ते, दोस्ती, यादें और सपने — यीशु में अपनी असली पूर्णता पाते हैं।

प्रार्थना

हे प्रभु, धन्यवाद इस नए साल के लिए दिए गए इस वादे के लिए — कि यीशु में आप मेरे साथ हैं। कृपया मेरी मदद करें कि आने वाले साल में मैं अपना पूरा जीवन आप पर केंद्रित कर सकूं।

जूना करार

उत्पत्ति 1:1-2:17

1आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी को बनाया। 2 पृथ्वी बेडौल और सुनसान थी। धरती पर कुछ भी नहीं था। समुद्र पर अंधेरा छाया था और परमेश्वर की आत्मा जल के ऊपर मण्डराती थी।

पहला दिन–उजियाला

3 तब परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो” और उजियाला हो गया। 4 परमेश्वर ने उजियाले को देखा और वह जान गया कि यह अच्छा है। तब परमेश्वर ने उजियाले को अंधियारे से अलग किया। 5 परमेश्वर ने उजियाले का नाम “दिन” और अंधियारे का नाम “रात” रखा।

शाम हुई और तब सवेरा हुआ। यह पहला दिन था।

दूसरा दिन—आकाश

6 तब परमेश्वर ने कहा, “जल को दो भागों में अलग करने के लिए वायुमण्डल हो जाए।” 7 इसलिए परमेश्वर ने वायुमण्डल बनाया और जल को अलग किया। कुछ जल वायुमण्डल के ऊपर था और कुछ वायुमण्डल के नीचे। 8 परमेश्वर ने वायुमण्डल को “आकाश” कहा! तब शाम हुई और सवेरा हुआ। यह दूसरा दिन था।

तीसरा दिन—सूखी धरती और पेड़ पौधे

9 और तब परमेश्वर ने कहा, “पृथ्वी का जल एक जगह इकट्ठा हो जिससे सूखी भूमि दिखाई दे” और ऐसा ही हुआ। 10 परमेश्वर ने सूखी भूमि का नाम “पृथ्वी” रखा और जो पानी इकट्ठा हुआ था, उसे “समुद्र” का नाम दिया। परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।

11 तब परमेश्वर ने कहा, “पृथ्वी, घास, पौधे जो अन्न उत्पन्न करते हैं, और फलों के पेड़ उगाए। फलों के पेड़ ऐसे फल उत्पन्न करें जिनके फलों के अन्दर बीज हों और हर एक पौधा अपनी जाति का बीज बनाए। इन पौधों को पृथ्वी पर उगने दो” और ऐसा ही हुआ। 12 पृथ्वी ने घास और पौधे उपजाए जो अन्न उत्पन्न करते हैं और ऐसे पेड़, पौधे उगाए जिनके फलों के अन्दर बीज होते हैं। हर एक पौधे ने अपने जाति अनुसार बीज उत्पन्न किए और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।

13 तब शाम हुई और सवेरा हुआ। यह तीसरा दिन था।

चौथा दिन—सूरज, चाँद और तारे

14 तब परमेश्वर ने कहा, “आकाश में ज्योति होने दो। यह ज्योति दिन को रात से अलग करेंगी। यह ज्योति एक विशेष चिन्ह के रूप में प्रयोग की जाएंगी जो यह बताएंगी कि विशेष सभाएं कब शुरू की जाएं और यह दिनों तथा वर्षों के समय को निश्चित करेंगी। 15 पृथ्वी पर प्रकाश देने के लिए आकाश में ज्योति ठहरें” और ऐसा ही हुआ।

16 तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियाँ बनाईं। परमेश्वर ने उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर राज करने के लिए बनाया और छोटी को रात पर राज करने के लिए बनाया। परमेश्वर ने तारे भी बनाए। 17 परमेश्वर ने इन ज्योतियों को आकाश में इसलिए रखा कि वेह पृथ्वी पर चमकें। 18 परमेश्वर ने इन ज्योतियों को आकाश में इसलिए रखा कि वह दिन तथा रात पर राज करें। इन ज्योतियों ने उजियाले को अंधकार से अलग किया और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।

19 तब शाम हुई और सवेरा हुआ। यह चौथा दिन था।

पाँचवाँ दिन—मछलियाँ और पक्षी

20 तब परमेश्वर ने कहा, “जल, अनेक जलचरों से भर जाए और पक्षी पृथ्वी के ऊपर वायुमण्डल में उड़ें।” 21 इसलिए परमेश्वर ने समुद्र में बहुत बड़े—बड़े जलजन्तु बनाए। परमेश्वर ने समुद्र में विचरण करने वाले प्राणियों को बनाया। समुद्र में भिन्न—भिन्न जाति के जलजन्तु हैं। परमेश्वर ने इन सब की सृष्टि की। परमेश्वर ने हर तरह के पक्षी भी बनाए जो आकाश में उड़ते हैं। परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।

22 परमेश्वर ने इन जानवरों को आशीष दी, और कहा, “जाओ और बहुत से बच्चे उत्पन्न करो और समुद्र के जल को भर दो। पक्षी भी बहुत बढ़ जाएं।”

23 तब शाम हुई और सवेरा हुआ। यह पाँचवाँ दिन था।

छठवाँ दिन—भूमि के जीवजन्तु और मनुष्य

24 तब परमेश्वर ने कहा, “पृथ्वी हर एक जाति के जीवजन्तु उत्पन्न करे। बहुत से भिन्न जाति के जानवर हों। हर जाति के बड़े जानवर और छोटे रेंगनेवाले जानवर हों और यह जानवर अपनी जाति के अनुसार और जानवर बनाएं” और यही सब हुआ।

25 तो, परमेश्वर ने हर जाति के जानवरों को बनाया। परमेश्वर ने जंगली जानवर, पालतू जानवर, और सभी छोटे रेंगनेवाले जीव बनाए और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।

26 तब परमेश्वर ने कहा, “अब हम मनुष्य बनाएं। हम मनुष्य को अपने स्वरूप जैसा बनाएगे। मनुष्य हमारी तरह होगा। वह समुद्र की सारी मछलियों पर और आकाश के पक्षियों पर राज करेगा। वह पृथ्वी के सभी बड़े जानवरों और छोटे रेंगनेवाले जीवों पर राज करेगा।”

27 इसलिए परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया। परमेश्वर ने मनुष्य को अपने ही स्वरुप में सृजा। परमेश्वर ने उन्हें नर और नारी बनाया। 28 परमेश्वर ने उन्हें आशीष दी। परमेश्वर ने उनसे कहा, “तुम्हारी बहुत सी संताने हों। पृथ्वी को भर दो और उस पर राज करो। समुद्र की मछलियों और आकाश के पक्षियों पर राज करो। हर एक पृथ्वी के जीवजन्तु पर राज करो।”

29 परमेश्वर ने कहा, “देखो, मैंने तुम लोगों को सभी बीज वाले पेड़ पौधे और सारे फलदार पेड़ दिए हैं। ये अन्न तथा फल तुम्हारा भोजन होगा। 30 मैं प्रत्येक हरे पेड़ पौधो जानवरों के लिए दे रहा हूँ। ये हरे पेड़—पौधे उनका भोजन होगा। पृथ्वी का हर एक जानवर, आकाश का हर एक पक्षी और पृथ्वी पर रेंगने वाले सभी जीवजन्तु इस भोजन को खाएंगे।” ये सभी बातें हुईं।

31 परमेश्वर ने अपने द्वारा बनाई हर चीज़ को देखा और परमेश्वर ने देखा कि हर चीज़ बहुत अच्छी है।

शाम हुई और तब सवेरा हुआ। यह छठवाँ दिन था।

सातवाँ दिन—विश्राम

2इस तरह पृथ्वी, आकाश और उसकी प्रत्येक वस्तु की रचना पूरी हुई। 2 परमेश्वर ने अपने किए जा रहे काम को पूरा कर लिया। अतः सातवें दिन परमेश्वर ने अपने काम से विश्राम किया। 3 परमेश्वर ने सातवें दिन को आशीषित किया और उसे पवित्र दिन बना दिया। परमेश्वर ने उस दिन को पवित्र दिन इसलिए बनाया कि संसार को बनाते समय जो काम वह कर रहा था उन सभी कार्यों से उसने उस दिन विश्राम किया।

मानव जाति का आरम्भ

4 यह पृथ्वी और आकाश का इतिहास है। यह कथा उन चीज़ों की है, जो परमेश्वर द्वारा पृथ्वी और आकाश बनाते समय, घटित हुईं। 5 तब पृथ्वी पर कोई पेड़ पौधा नहीं था और खेतों में कुछ भी नहीं उग रहा था, क्योंकि यहोवा ने तब तक पृथ्वी पर वर्षा नहीं भेजी थी तथा पेड़ पौधों की देख—भाल करने वाला कोई व्यक्ति भी नहीं था।

6 परन्तु कोहरा पृथ्वी से उठता था और जल सारी पृथ्वी को सींचता था। 7 तब यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी से धूल उठाई और मनुष्य को बनाया। यहोवा ने मनुष्य की नाक में जीवन की साँस फूँकी और मनुष्य एक जीवित प्राणी बन गया। 8 तब यहोवा परमेश्वर ने पूर्व में अदन नामक जगह में एक बाग लगाया। यहोवा परमेश्वर ने अपने बनाए मनुष्य को इसी बाग में रखा। 9 यहोवा परमेश्वर ने हर एक सुन्दर पेड़ और भोजन के लिए सभी अच्छे पेड़ों को उस बाग में उगाया। बाग के बीच में परमेश्वर ने जीवन के पेड़ को रखा और उस पेड़ को भी रखा जो अच्छे और बुरे की जानकारी देता है।

10 अदन से होकर एक नदी बहती थी और वह बाग़ को पानी देती थी। वह नदी आगे जाकर चार छोटी नदियाँ बन गई। 11 पहली नदी का नाम पीशोन है। यह नदी हवीला प्रदेश के चारों ओर बहती है। 12 (उस प्रदेश में सोना है और वह सोना अच्छा है। मोती और गोमेदक रत्न उस प्रदेश में हैं।) 13 दूसरी नदी का नाम गीहोन है जो सारे कूश प्रदेश के चारों ओर बहती है। 14 तीसरी नदी का नाम दजला है। यह नदी अश्शूर के पूर्व में बहती है। चौथी नदी फरात है।

15 यहोवा ने मनुष्य को अदन के बाग में रखा। मनुष्य का काम पेड़—पौधे लगाना और बाग की देख—भाल करना था। 16 यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य को आज्ञा दी, “तुम बग़ीचे के किसी भी पेड़ से फल खा सकते हो। 17 लेकिन तुम अच्छे और बुरे की जानकारी देने वाले पेड़ का फल नहीं खा सकते। यदि तुमने उस पेड़ का फल खा लिया तो तुम मर जाओगे।”

समीक्षा

परमेश्वर की सृष्टि का आनंद लें

आप इस संसार में यूं ही नहीं हैं — यह ब्रह्मांड परमेश्वर की सृष्टि है, और आप उसकी प्रतिमा में बनाए गए हैं।

उत्पत्ति की पुस्तक ब्रह्मांड की शुरुआत का वर्णन करती है। यह केवल “कैसे?” और “कब?” जैसे वैज्ञानिक प्रश्नों से कहीं आगे जाकर “कौन?” और “क्यों?” जैसे महत्वपूर्ण सवालों का उत्तर देती है। विज्ञान इस सच्चाई को न तो सिद्ध करता है और न ही नकारता है, बल्कि यह एक दूसरे के पूरक हैं।

जब हम इस सृष्टि की कहानी को नए नियम की रोशनी में देखते हैं, तो हमें पूरी त्रिएकता (त्रितत्व) का इसमें योगदान दिखाई देता है। परमेश्वर के लिए जो इब्रानी शब्द एलोहीम प्रयोग हुआ है, वह बहुवचन है। पवित्र आत्मा सृष्टि में सक्रिय था (उत्पत्ति 1:2)। जब परमेश्वर ने कहा... (पद 3), तो उसके द्वारा यीशु — जो परमेश्वर का वचन हैं — के द्वारा सृष्टि हुई (देखें यूहन्ना 1:1–3)।

इस विवरण के बीच में एक अद्भुत और सहज पंक्ति आती है जो परमेश्वर की महाशक्ति को दिखाती है: “उसने तारों को भी बनाया” (उत्पत्ति 1:16)। आज हम जानते हैं कि हमारी आकाशगंगा में ही लगभग 100 से 400 अरब तारे हैं, और ऐसी ही लगभग 100 अरब आकाशगंगाएँ हैं — और परमेश्वर ने यह सब यूँ ही बना दिया! क्या अद्भुत सामर्थ्य है!

मानव जाति उसकी सृष्टि की सबसे बड़ी रचना है। आप परमेश्वर की प्रतिमा में बनाए गए हैं (पद 27)। अगर हम जानना चाहते हैं कि परमेश्वर कैसा है, तो हमें पुरुष और स्त्री दोनों में उसकी झलक मिलती है।

हर इंसान उसकी प्रतिमा में बना है और उसे सम्मान, आदर और प्रेम के साथ देखना चाहिए। आप परमेश्वर से संवाद कर सकते हैं — यही इस बात का प्रमाण है कि आप उसकी प्रतिमा में बनाए गए हैं।

परमेश्वर ने अपनी सृष्टि को देखकर कहा, "यह अच्छा है।" बहुत से लोग अपने आपको बेकार या महत्वहीन महसूस करते हैं। लेकिन याद रखें — परमेश्वर ने कभी रद्दी चीज़ें नहीं बनाई। उसने आपको बनाया है, और वह आपसे प्रेम करता है। हो सकता है वह आपके हर कार्य से प्रसन्न न हो, लेकिन वह आपसे बिना शर्त, पूरे मन से और हमेशा प्रेम करता है।

इस अध्याय में यह भी स्पष्ट होता है कि काम (work) एक आशीर्वाद है: “यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य को लेकर उसे अदन की वाटिका में रखा कि उसकी खेती करे और रक्षा करे” (उत्पत्ति 2:15)। काम पाप में गिरने का परिणाम नहीं है, बल्कि यह परमेश्वर की भली सृष्टि का हिस्सा है। यह अध्याय यह भी सिखाता है कि प्रकृति और पर्यावरण की देखभाल करना परमेश्वर की योजना का अहम हिस्सा है।

विश्राम कोई ऐच्छिक विकल्प नहीं है — यह वही है जो परमेश्वर ने किया: “उसने विश्राम किया” (उत्पत्ति 2:2)। छुट्टियाँ और विश्राम के दिन परमेश्वर का आशीर्वाद हैं: “उसने सातवें दिन को आशीष दी और उसे पवित्र ठहराया” (2:3)। छुट्टियाँ पवित्र दिन हैं — ये हमें याद दिलाती हैं कि जीवन केवल करने का नहीं, बल्कि होने का भी है। छुट्टियाँ लेने के लिए अपराधबोध महसूस न करें — यह आत्मिक रूप से ताज़ा होने का समय भी है।

हमेशा काम में डूबे न रहें। परमेश्वर ने भी समय लिया ताकि वह अपनी सृष्टि का आनंद ले सके। आपको भी विश्राम और आनंद की ज़रूरत है — ताकि आप अपने कार्य और उसके फलों का आनंद ले सकें।

उत्पत्ति 2:16–17 में हम देखते हैं कि परमेश्वर ने आदम और हव्वा को स्वतंत्रता दी: “तू बाग के हर वृक्ष का फल बिना रोक-टोक खा सकता है” (v.16), लेकिन साथ ही एक मनाही भी दी: “परन्तु भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल न खाना” (v.17)। और चेतावनी भी दी — “यदि तू खाएगा तो अवश्य मरेगा” (v.17)। परमेश्वर नहीं चाहते थे कि हम बुराई को जानें या उसमें भाग लें — वह चाहते थे कि हम केवल भलाई को जानें।

प्रार्थना

हे प्रभु, इस अद्भुत ब्रह्मांड के लिए धन्यवाद जो आपने बनाया है। कृपया मेरी मदद करें कि मैं बुराई से दूर रहूं और उन सभी अच्छी चीज़ों का आनंद ले सकूं जो आपने हमारे लिए दी हैं।

पिप्पा भी कहते है

मत्ती 1:18–19 में हम देखते हैं कि यह स्थिति मरियम, उसके माता-पिता और यूसुफ के लिए कितनी कठिन रही होगी। उन्होंने शायद शर्म और असहजता महसूस की होगी। लेकिन हम यह भी देख पाते हैं कि यूसुफ को मरियम का पति क्यों चुना गया — वह वास्तव में एक अद्भुत और नेक इंसान था। जिस लड़की से वह विवाह करने जा रहा था, वह गर्भवती थी; स्वाभाविक रूप से वह क्रोधित हो सकता था और उसे समाज में शर्मिंदा कर सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उसने मरियम को चुपचाप छोड़ने की योजना बनाई, ताकि उसे अपमानित न करना पड़े। जब स्वर्गदूत ने स्वप्न में आकर उसे मरियम से विवाह करने को कहा, तो यूसुफ ने उस पर विश्वास किया और वैसा ही किया (v.24)। यह आसान नहीं रहा होगा — लोगों की बातों की परवाह किए बिना, एक ऐसे बच्चे को अपनाना जो उसका अपना नहीं था — इसके लिए बहुत विश्वास, दया और आत्मिक बल की आवश्यकता रही होगी। यूसुफ का यह व्यवहार हमें दिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति चुपचाप, विनम्रता से, लेकिन गहरे विश्वास के साथ परमेश्वर की योजना का हिस्सा बन सकता है।

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संदर्भ

निक्की और पिप्पा गम्बल के साथ बाइबल (जिसे पहले Bible in One Year के नाम से जाना जाता था) © Alpha International 2009। सर्वाधिकार सुरक्षित।

दैनिक बाइबल पाठों का संकलन © Hodder & Stoughton Limited 1988। इसे Bible in One Year के रूप में Hodder & Stoughton Limited द्वारा प्रकाशित किया गया है।

जब तक अन्यथा उल्लेख न किया गया हो, पवित्रशास्त्र के उद्धरण पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनेशनल वर्शन (एंग्लिसाइज़्ड) से लिए गए हैं, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 Biblica, जिसे पहले International Bible Society के नाम से जाना जाता था। इसे Hodder & Stoughton Publishers, जो कि Hachette UK कंपनी है, की अनुमति से प्रयोग किया गया है। सर्वाधिकार सुरक्षित। ‘NIV’ Biblica का पंजीकृत ट्रेडमार्क है। UK ट्रेडमार्क संख्या 1448790।

(AMP) से चिह्नित पवित्रशास्त्र के उद्धरण Amplified® Bible से लिए गए हैं, कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 The Lockman Foundation द्वारा। अनुमति से प्रयुक्त। (www.Lockman.org)

MSG से चिह्नित पवित्रशास्त्र के उद्धरण The Message से लिए गए हैं, कॉपीराइट © 1993, 2002, 2018 Eugene H. Peterson द्वारा। NavPress की अनुमति से प्रयुक्त। सर्वाधिकार सुरक्षित। Tyndale House Publishers द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • Introduction
  • Wisdom Commentary
  • Prayer
  • New testament Commentary
  • New Testament Prayer
  • OLD TESTAMENT TITLE
  • Old Testament Commentary
  • Old Testament prayer
  • Pippa Adds

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