दिन 1

नया वर्ष, नये आप

बुद्धि भजन संहिता 1:1-6
नए करार मत्ती 1:1-25
जूना करार उत्पत्ति 1:1-2:17

परिचय

मैं एक स्क्वॅश क्लब का सदस्य हूँ जो एक व्यायाम शाला भी है। हर - साल 1 जनवरी को वे व्यायाम के अतिरिक्त उपकरण मँगवाते हैं और पूरी जगह भर देते हैं। 7 जनवरी तक, वे सभी अतिरिक्त उपकरणों को बाहर कर देते हैं, जैसा कि ज़्यादातर लोग अपने नये साल के संकल्पों को छोड़ देते हैं और क्लब अपनी सामान्य अवस्था में आ जाता है।

नये साल के संकल्प :-

 तंदुरूस्ती पाएं

 वजन कम करें

 पेय पीना कम करें

 धूम्रपान करना बंद करें

 कर्ज से बाहर आएं

नये साल के इन सामान्य संकल्पों को करने में कुछ गलत नहीं हैं। निश्चित ही, हम सब प्रतिज्ञाएं करते हैं जिन्हें हम पूरा करने में असफल रहते हैं।

शुभ समाचार यह है कि, हर साल एक अवसर है, एक नई शुरूवात का और नये आरंभ का। ठीक उसी तरह से हर सप्ताह भी एक नया अवसर है। और वैसे ही हर रविवार - जो सप्ताह का पहला दिन होता है – एक अवसर है नई शुरुवात का। वास्तव में, हर दिन नई शुरुवात करने का एक नया अवसर होता है।

बाइबल के पहले दो शब्द हैं, “आरंभ में......” (उत्पत्ति 1:1)। आज का हर एक पद्यांश हमें नई शुरूवात और नए अवसरों के बारे में कुछ बताता है, और नव वर्ष के संकल्पों के लिए कुछ सुझाव भी देता है।

बुद्धि

भजन संहिता 1:1-6

पहिला भाग

1सचमुच वह जन धन्य होगा
 यदि वह दुष्टों की सलाह को न मानें,
 और यदि वह किसी पापी के जैसा जीवन न जीए
 और यदि वह उन लोगों की संगति न करे जो परमेश्वर की राह पर नहीं चलते।
2 वह नेक मनुष्य है जो यहोवा के उपदेशों से प्रीति रखता है।
 वह तो रात दिन उन उपदेशों का मनन करता है।
3 इससे वह मनुष्य उस वृक्ष जैसा सुदृढ़ बनता है
 जिसको जलधार के किनारे रोपा गया है।
 वह उस वृक्ष समान है, जो उचित समय में फलता
 और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं।
 वह जो भी करता है सफल ही होता है।

4 किन्तु दुष्ट जन ऐसे नहीं होते।
 दुष्ट जन उस भूसे के समान होते हैं जिन्हें पवन का झोका उड़ा ले जाता है।
5 इसलिए दुष्ट जन न्याय का सामना नहीं कर पायेंगे।
 सज्जनों की सभा में वे दोषी ठहरेंगे और उन पापियों को छोड़ा नहीं जायेगा।
6 ऐसा भला क्यों होगा? क्योंकि यहोवा सज्जनों की रक्षा करता है
 और वह दुर्जनों का विनाश करता है।

समीक्षा

बाइबल में ‘आनंदित’ होने की प्रतिज्ञा करें

यदि आप ‘एक साल में पूरी बाइबल पढ़ने’ की चुनौती की शुरूवात कर रहे हैं, तो इस भजन में आपको प्रोत्साहित करने वाले शब्द हैं।

परमेश्वर के साथ समय बिताने, प्रसन्न रहने, और वचन की इच्छा रखने और उसपर मनन करने की एक नियमित आदत बनाएं।

वायदा यह है कि यदि आप परमेश्वर के वचन में ‘प्रसन्न’ रहेंगे तथा ‘दिन और रात ’ वचन पर ‘मनन ’ करेंगे (पद - 2, मैसेज), तो आपका जीवन आशीषित होगा। प्रसन्नता उससे आती है जो आपके साथ होता है। आशीषित होना वह घटना है जो आपको परमेश्वर को जानने से और उनके वचनों पर मनन करने से मिलती है।

परमेश्वर आपको फलदायी होने का वायदा करते हैं (‘जो हर मौसम में अपना फल लाता है’ पद – 3ब), जीवन शक्ति (‘जिसके पत्ते मुरझाते नहीं’ पद – 3क), हालाँकि ज़रूरी नहीं कि यह भौतिक समृद्धि हो !

इस संदेश की पुष्टि ‘दुष्ट’ की अंतिम स्थिति द्वारा की गई है। भजन लिखनेवाला इस बात की कोशिश और दावा नहीं करता कि दुष्ट कभी - कभी समृद्ध नहीं होते। वह तो हमें उस समृद्धि की अस्थायी प्रकृति की याद दिलाता है – ‘वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है। वे नाश होंगे’ (पद - 4,6)।

चिरस्थायी और अंतत: अनंत – फलदायी बने रहने और जीवन शक्ति की मुख्य कुंजी परमेश्वर के साथ आपके संबंध में अंतर्निहित है। यदि आप ‘सत्यनिष्ठा के मार्ग ’ पर चलने का प्रयास करें, जिसके बारे में भजन लिखनेवाला बता रहा है, तो आप निश्चिंत रहिये क्योंकि प्रभु स्वयं आपकी देखभाल करेंगे (पद – 6)।!

प्रार्थना

प्रभु, आपकी अद्भुत प्रतिज्ञा के लिए धन्यवाद जैसे ही मैं आपके वचन में प्रसन्न रहने और इसपर मनन करने का संकल्प करता हूँ।

नए करार

मत्ती 1:1-25

यीशु की वंशावली

1इब्राहीम के वंशज दाऊद के पुत्र यीशु मसीह की वंशावली इस प्रकार है:

2 इब्राहीम का पुत्र था इसहाक

 और इसहाक का पुत्र हुआ याकूब।

 फिर याकूब से यहूदा

 और उसके भाई उत्पन्न हुए।

3 यहूदा के बेटे थे फिरिस और जोरह। (उनकी माँ का नाम तामार था।)

 फिरिस, हिस्रोन का पिता था।

 हिस्रोन राम का पिता था।

4 राम अम्मीनादाब का पिता था।

 अम्मीनादाब से नहशोन

 और नहशोन से सलमोन का जन्म हुआ।

5 सलमोन से बोअज का जन्म हुआ। (बोअज की माँ का नाम राहब था।)

 बोअज और रूथ से ओबेद पैदा हुआ,

 ओबेद यिशै का पिता था।

6 और यिशै से राजा दाऊद पैदा हुआ।

 सुलैमान दाऊद का पुत्र था (जो उस स्त्री से जन्मा जो पहले उरिय्याह की पत्नी थी।)

7 सुलैमान रहबाम का पिता था।

 और रहबाम अबिय्याह का पिता था।

 अबिय्याह से आसा का जन्म हुआ।

8 और आसा यहोशाफात का पिता बना।

 फिर यहोशाफात से योराम

 और योराम से उज्जिय्याह का जन्म हुआ।

9 उज्जिय्याह योताम का पिता था

 और योताम, आहाज का।

 फिर आहाज से हिजकिय्याह।

10 और हिजकिय्याह से मनश्शिह का जन्म हुआ।

 मनश्शिह आमोन का पिता बना

 और आमोन योशिय्याह का।

11 फिर इस्राएल के लोगों को बंदी बना कर बेबिलोन ले जाते समय योशिय्याह से यकुन्याह और उसके भाईयों ने जन्म लिया।

12 बेबिलोन में ले जाये जाने के बाद यकुन्याह

 शालतिएल का पिता बना।

 और फिर शालतिएल से जरुब्बाबिल।

13 तथा जरुब्बाबिल से अबीहूद पैदा हुए।

 अबीहूद इल्याकीम का

 और इल्याकीम अजोर का पिता बना।

14 अजोर सदोक का पिता था।

 सदोक से अखीम

 और अखीम से इलीहूद पैदा हुए।

15 इलीहूद इलियाजार का पिता था

 और इलियाजार मत्तान का।

 मत्तान याकूब का पिता बना।

16 और याकूब से यूसुफ पैदा हुआ।

 जो मरियम का पति था।

 मरियम से यीशु का जन्म हुआ जो मसीह कहलाया।

17 इस प्रकार इब्राहीम से दाऊद तक चौदह पीढ़ियाँ हुईं। और दाऊद से लेकर बंदी बना कर बाबुल पहुँचाये जाने तक की चौदह पीढ़ियाँ, तथा बंदी बना कर बाबुल पहुँचाये जाने से मसीह के जन्म तक चौदह पीढ़ियाँ और हुईं।

यीशु मसीह का जन्म

18 यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार हुआ: जब उसकी माता मरियम की यूसुफ के साथ सगाई हुई तो विवाह होने से पहले ही पता चला कि (वह पवित्र आत्मा की शक्ति से गर्भवती है।) 19 किन्तु उसका भावी पति यूसुफ एक अच्छा व्यक्ति था और इसे प्रकट करके लोगों में उसे बदनाम करना नहीं चाहता था। इसलिये उसने निश्चय किया कि चुपके से वह सगाई तोड़ दे।

20 किन्तु जब वह इस बारे में सोच ही रहा था, सपने में उसके सामने प्रभु के दूत ने प्रकट होकर उससे कहा, “ओ! दाऊद के पुत्र यूसुफ, मरियम को पत्नी बनाने से मत डर क्य़ोंकि जो बच्चा उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। 21 वह एक पुत्र को जन्म देगी। तू उसका नाम यीशु रखना क्य़ोंकि वह अपने लोगों को उनके पापों से उद्धार करेगा।”

22 यह सब कुछ इसलिये हुआ है कि प्रभु ने भविष्यवक्ता द्वारा जो कुछ कहा था, पूरा हो: 23 “सुनो, एक कुँवारी कन्या गर्भवती होकर एक पुत्र को जन्म देगी। उसका नाम इम्मानुएल रखा जायेगा।” (जिसका अर्थ है “परमेश्वर हमारे साथ है।”)

24 जब यूसुफ नींद से जागा तो उसने वही किया जिसे करने की प्रभु के दूत ने उसे आज्ञा दी थी। वह मरियम को ब्याह कर अपने घर ले आया। 25 किन्तु जब तक उसने पुत्र को जन्म नहीं दे दिया, वह उसके साथ नहीं सोया। यूसुफ ने बेटे का नाम यीशु रखा।

समीक्षा

यीशु पर ध्यान केन्द्रित करने का संकल्प

हमारे जीवन का केन्द्र यीशु होने चाहिये। बाइबल यीशु के बारे में ही है। नये नियम की शुरुवात उनकी वंशावली से होती है।

जब हम यीशु के वंश की सूची पढ़ते हैं, तो हमें यह देखकर प्रोत्साहन मिलता है कि उसमें व्यभिचारिणियों के नाम भी शामिल हैं, जैसे - तामार, राहाब (व्यभिचारिणी), रूथ (गैर यहूदी मोआबी), सुलेमान (जो कि बेतशेबा के साथ दाऊद के नाजायज़ संबंध से पैदा हुआ था) इसके अलावा और कई। धन्यवाद हो ,परमेश्वर का जो पापी लोगों को इस्तेमाल करते हैं, और इसलिए वे हमें भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आपका अतीत चाहे जैसा भी हो और इस वक्त आपका जीवन क्यूँ ना ही टूटा हुआ दिखाई दे रहा है, फिर भी आपके जीवन से कुछ महान कार्य करने के लिए परमेश्वर आपका इस्तेमाल कर सकते हैं।

‘यीशु’ नाम का अर्थ ही यह है, ‘वह अपने लोगों को पापों से बचाता है ’ (पद 21)। जब भी हम यीशु के नाम का इस्तेमाल करते हैं तो यह हमें याद दिलाता है कि, हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत खुशियाँ या तृप्ती नहीं है (हालाँकि ये दोनों उपफल हो सकते हैं)। जैसा कि यीशु के पूर्वजों के साथ हुआ था, वैसे ही हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत क्षमा प्राप्ति है। इसलिए हमें एक उद्धारकर्ता की आवश्यकता है।

मत्ती का आरंभ हमें बताता है कि, यीशु उन सब बातों की परिपूर्णता हैं, जो पुराने नियम में लिखी गई हैं।

  • यीशु इतिहास की पराकाष्ठा हैं -

मत्ती अपने सुसमाचार का आरंभ, यीशु की वंशावली के रूप में - जो पुराने नियम की कहानी है - करता है (पद – 1-17)। पुराना नियम हमें वह कहानी बताता है, जिसे यीशु पूरा करते हैं। मत्ती, परमेश्वर के लोगों का इतिहास तीन बराबर अवधियों में बतलाता है: अब्राहम से लेकर दाऊद तक चौदह पीढ़ियाँ, दाऊद के निर्वासन तक चौदह पीढ़ियाँ और निर्वासन से मसीह तक चौदह पीढ़ियाँ (पद - 17)।

वंशावली में, जैविक पीढ़ियों को छोड़ दिया गया है (जैसा कि पुराने नियम की वंशावली में बहुत सामान्य था)। मत्ती बता रहा था कि पुराने नियम का इतिहास महत्वपूर्ण घटनाओं के बीच लगभग तीन समान अवधियों में बंटा है। जहाँ तक पुराने नियम की कहानी का संबंध है, यीशु इस रेखा का अंत हैं – और पराकाष्ठा पर पहुँचा जा चुका है.

  • यीशु में, परमेश्वर के सभी वायदे पूरिपूर्ण होते हैं।

यीशु पुराने नियम की कहानी की सिर्फ एतिहासिक पूर्णता नहीं है, बल्कि वह पुराने नियम की भविष्यवाणियों की और परमेश्वर के सभी वायदों की परिपूर्णता भी हैं.

यीशु ने पुराने नियम की भविष्यवाणियों को पूरा किया। मत्ती समाप्ति में इबरानी वचनों का उद्धरण करने के द्वारा गर्भाधान, जन्म और यीशु के बचपन के प्रत्येक में से पाँच दृश्यों का वर्णन करता है जो कि उल्लेखित घटनाओं द्वारा ‘परिपूर्ण’ हुए है। (मत्ती - 1:22 - 23; 2:5-6, 17, 23; 14-16)

पहला यीशु के गर्भ में आने से पूरा हुआ है : ‘यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यवक्ता के द्वारा कहा था; वह पूरा हो : “कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा। (जिसका मतलब है “परमेश्वर हमारे साथ हैं”) (1:22–23)।

सभी इतिहास, भविष्यवाणी और वायदे यीशु में पूरे हुए हैं। आपका पूरा जीवन यीशु में पूरा होता है। आपके जीवन का हरएक भाग: आपका काम, परिवार, रिश्ते, दोस्त, यादें और स्वप्न यीशु में पूरे होते हैं।

प्रार्थना

प्रभु, नव वर्ष के इस वायदे के लिए धन्यवाद – जो कि यीशु में है, आप हमारे साथ हैं। मेरी सहायता कीजिये कि आनेवाले वर्ष में मैं अपने जीवन का केन्द्र आप ही को बनाऊँ।

जूना करार

उत्पत्ति 1:1-2:17

1आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी को बनाया। 2 पृथ्वी बेडौल और सुनसान थी। धरती पर कुछ भी नहीं था। समुद्र पर अंधेरा छाया था और परमेश्वर की आत्मा जल के ऊपर मण्डराती थी।

पहला दिन–उजियाला

3 तब परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो” और उजियाला हो गया। 4 परमेश्वर ने उजियाले को देखा और वह जान गया कि यह अच्छा है। तब परमेश्वर ने उजियाले को अंधियारे से अलग किया। 5 परमेश्वर ने उजियाले का नाम “दिन” और अंधियारे का नाम “रात” रखा।

शाम हुई और तब सवेरा हुआ। यह पहला दिन था।

दूसरा दिन—आकाश

6 तब परमेश्वर ने कहा, “जल को दो भागों में अलग करने के लिए वायुमण्डल हो जाए।” 7 इसलिए परमेश्वर ने वायुमण्डल बनाया और जल को अलग किया। कुछ जल वायुमण्डल के ऊपर था और कुछ वायुमण्डल के नीचे। 8 परमेश्वर ने वायुमण्डल को “आकाश” कहा! तब शाम हुई और सवेरा हुआ। यह दूसरा दिन था।

तीसरा दिन—सूखी धरती और पेड़ पौधे

9 और तब परमेश्वर ने कहा, “पृथ्वी का जल एक जगह इकट्ठा हो जिससे सूखी भूमि दिखाई दे” और ऐसा ही हुआ। 10 परमेश्वर ने सूखी भूमि का नाम “पृथ्वी” रखा और जो पानी इकट्ठा हुआ था, उसे “समुद्र” का नाम दिया। परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।

11 तब परमेश्वर ने कहा, “पृथ्वी, घास, पौधे जो अन्न उत्पन्न करते हैं, और फलों के पेड़ उगाए। फलों के पेड़ ऐसे फल उत्पन्न करें जिनके फलों के अन्दर बीज हों और हर एक पौधा अपनी जाति का बीज बनाए। इन पौधों को पृथ्वी पर उगने दो” और ऐसा ही हुआ। 12 पृथ्वी ने घास और पौधे उपजाए जो अन्न उत्पन्न करते हैं और ऐसे पेड़, पौधे उगाए जिनके फलों के अन्दर बीज होते हैं। हर एक पौधे ने अपने जाति अनुसार बीज उत्पन्न किए और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।

13 तब शाम हुई और सवेरा हुआ। यह तीसरा दिन था।

चौथा दिन—सूरज, चाँद और तारे

14 तब परमेश्वर ने कहा, “आकाश में ज्योति होने दो। यह ज्योति दिन को रात से अलग करेंगी। यह ज्योति एक विशेष चिन्ह के रूप में प्रयोग की जाएंगी जो यह बताएंगी कि विशेष सभाएं कब शुरू की जाएं और यह दिनों तथा वर्षों के समय को निश्चित करेंगी। 15 पृथ्वी पर प्रकाश देने के लिए आकाश में ज्योति ठहरें” और ऐसा ही हुआ।

16 तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियाँ बनाईं। परमेश्वर ने उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर राज करने के लिए बनाया और छोटी को रात पर राज करने के लिए बनाया। परमेश्वर ने तारे भी बनाए। 17 परमेश्वर ने इन ज्योतियों को आकाश में इसलिए रखा कि वेह पृथ्वी पर चमकें। 18 परमेश्वर ने इन ज्योतियों को आकाश में इसलिए रखा कि वह दिन तथा रात पर राज करें। इन ज्योतियों ने उजियाले को अंधकार से अलग किया और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।

19 तब शाम हुई और सवेरा हुआ। यह चौथा दिन था।

पाँचवाँ दिन—मछलियाँ और पक्षी

20 तब परमेश्वर ने कहा, “जल, अनेक जलचरों से भर जाए और पक्षी पृथ्वी के ऊपर वायुमण्डल में उड़ें।” 21 इसलिए परमेश्वर ने समुद्र में बहुत बड़े—बड़े जलजन्तु बनाए। परमेश्वर ने समुद्र में विचरण करने वाले प्राणियों को बनाया। समुद्र में भिन्न—भिन्न जाति के जलजन्तु हैं। परमेश्वर ने इन सब की सृष्टि की। परमेश्वर ने हर तरह के पक्षी भी बनाए जो आकाश में उड़ते हैं। परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।

22 परमेश्वर ने इन जानवरों को आशीष दी, और कहा, “जाओ और बहुत से बच्चे उत्पन्न करो और समुद्र के जल को भर दो। पक्षी भी बहुत बढ़ जाएं।”

23 तब शाम हुई और सवेरा हुआ। यह पाँचवाँ दिन था।

छठवाँ दिन—भूमि के जीवजन्तु और मनुष्य

24 तब परमेश्वर ने कहा, “पृथ्वी हर एक जाति के जीवजन्तु उत्पन्न करे। बहुत से भिन्न जाति के जानवर हों। हर जाति के बड़े जानवर और छोटे रेंगनेवाले जानवर हों और यह जानवर अपनी जाति के अनुसार और जानवर बनाएं” और यही सब हुआ।

25 तो, परमेश्वर ने हर जाति के जानवरों को बनाया। परमेश्वर ने जंगली जानवर, पालतू जानवर, और सभी छोटे रेंगनेवाले जीव बनाए और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।

26 तब परमेश्वर ने कहा, “अब हम मनुष्य बनाएं। हम मनुष्य को अपने स्वरूप जैसा बनाएगे। मनुष्य हमारी तरह होगा। वह समुद्र की सारी मछलियों पर और आकाश के पक्षियों पर राज करेगा। वह पृथ्वी के सभी बड़े जानवरों और छोटे रेंगनेवाले जीवों पर राज करेगा।”

27 इसलिए परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया। परमेश्वर ने मनुष्य को अपने ही स्वरुप में सृजा। परमेश्वर ने उन्हें नर और नारी बनाया। 28 परमेश्वर ने उन्हें आशीष दी। परमेश्वर ने उनसे कहा, “तुम्हारी बहुत सी संताने हों। पृथ्वी को भर दो और उस पर राज करो। समुद्र की मछलियों और आकाश के पक्षियों पर राज करो। हर एक पृथ्वी के जीवजन्तु पर राज करो।”

29 परमेश्वर ने कहा, “देखो, मैंने तुम लोगों को सभी बीज वाले पेड़ पौधे और सारे फलदार पेड़ दिए हैं। ये अन्न तथा फल तुम्हारा भोजन होगा। 30 मैं प्रत्येक हरे पेड़ पौधो जानवरों के लिए दे रहा हूँ। ये हरे पेड़—पौधे उनका भोजन होगा। पृथ्वी का हर एक जानवर, आकाश का हर एक पक्षी और पृथ्वी पर रेंगने वाले सभी जीवजन्तु इस भोजन को खाएंगे।” ये सभी बातें हुईं।

31 परमेश्वर ने अपने द्वारा बनाई हर चीज़ को देखा और परमेश्वर ने देखा कि हर चीज़ बहुत अच्छी है।

शाम हुई और तब सवेरा हुआ। यह छठवाँ दिन था।

सातवाँ दिन—विश्राम

2इस तरह पृथ्वी, आकाश और उसकी प्रत्येक वस्तु की रचना पूरी हुई। 2 परमेश्वर ने अपने किए जा रहे काम को पूरा कर लिया। अतः सातवें दिन परमेश्वर ने अपने काम से विश्राम किया। 3 परमेश्वर ने सातवें दिन को आशीषित किया और उसे पवित्र दिन बना दिया। परमेश्वर ने उस दिन को पवित्र दिन इसलिए बनाया कि संसार को बनाते समय जो काम वह कर रहा था उन सभी कार्यों से उसने उस दिन विश्राम किया।

मानव जाति का आरम्भ

4 यह पृथ्वी और आकाश का इतिहास है। यह कथा उन चीज़ों की है, जो परमेश्वर द्वारा पृथ्वी और आकाश बनाते समय, घटित हुईं। 5 तब पृथ्वी पर कोई पेड़ पौधा नहीं था और खेतों में कुछ भी नहीं उग रहा था, क्योंकि यहोवा ने तब तक पृथ्वी पर वर्षा नहीं भेजी थी तथा पेड़ पौधों की देख—भाल करने वाला कोई व्यक्ति भी नहीं था।

6 परन्तु कोहरा पृथ्वी से उठता था और जल सारी पृथ्वी को सींचता था। 7 तब यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी से धूल उठाई और मनुष्य को बनाया। यहोवा ने मनुष्य की नाक में जीवन की साँस फूँकी और मनुष्य एक जीवित प्राणी बन गया। 8 तब यहोवा परमेश्वर ने पूर्व में अदन नामक जगह में एक बाग लगाया। यहोवा परमेश्वर ने अपने बनाए मनुष्य को इसी बाग में रखा। 9 यहोवा परमेश्वर ने हर एक सुन्दर पेड़ और भोजन के लिए सभी अच्छे पेड़ों को उस बाग में उगाया। बाग के बीच में परमेश्वर ने जीवन के पेड़ को रखा और उस पेड़ को भी रखा जो अच्छे और बुरे की जानकारी देता है।

10 अदन से होकर एक नदी बहती थी और वह बाग़ को पानी देती थी। वह नदी आगे जाकर चार छोटी नदियाँ बन गई। 11 पहली नदी का नाम पीशोन है। यह नदी हवीला प्रदेश के चारों ओर बहती है। 12 (उस प्रदेश में सोना है और वह सोना अच्छा है। मोती और गोमेदक रत्न उस प्रदेश में हैं।) 13 दूसरी नदी का नाम गीहोन है जो सारे कूश प्रदेश के चारों ओर बहती है। 14 तीसरी नदी का नाम दजला है। यह नदी अश्शूर के पूर्व में बहती है। चौथी नदी फरात है।

15 यहोवा ने मनुष्य को अदन के बाग में रखा। मनुष्य का काम पेड़—पौधे लगाना और बाग की देख—भाल करना था। 16 यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य को आज्ञा दी, “तुम बग़ीचे के किसी भी पेड़ से फल खा सकते हो। 17 लेकिन तुम अच्छे और बुरे की जानकारी देने वाले पेड़ का फल नहीं खा सकते। यदि तुमने उस पेड़ का फल खा लिया तो तुम मर जाओगे।”

समीक्षा

परमेश्वर की रचना का आनंद लेने का संकल्प

आप यहाँ अपनी मर्जी से नहीं हैं। यह सृष्टि परमेश्वर की रचना है। आप उनके स्वरूप में बनाए गए हैं।

उत्पत्ति इस सृष्टि के आरंभ का वर्णन करती है। वह इस दुनिया के आरंभ के वैज्ञानिक सिद्धांतों ‘कौन?’ और ‘कब’ से परे है। वह ‘क्यों’ और ‘कौन?’ के वैज्ञानिक सिद्धांतों का उत्तर देती है। विग्यान इस बात का विरोध नही करता, बल्कि यह दोनों बातें एक दूसरे को संपूर्ण करतीं हैं।

नये नियम के लेन्स से इस पद्यांश को पढ़ने पर हम देखते हैं कि रचना में संपूर्ण त्रिएक्ता शामिल है। परमेश्वर के लिए इब्रानी नाम (एल्लोहिम) है जो कि एकाधिक नाम है। इस रचना में पवित्र आत्मा शामिल थे (1:2)। यीशु के माध्यम से ही यह रचना अस्तित्व में आई: ‘परमेश्वर ने कहा.....’ (पद – 3अ)। यीशु ‘परमेश्वर के वचन हैं’ और ‘और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न नहीं हुई ‘। (देखें यूहन्ना 1:1-3)

रचना के इस वर्णन के बीच में एक अद्भुत पंक्ति है जो परमेश्वर की अत्यधिक सामर्थ को दर्शाती है: ‘उसने तारों को भी बनाया ’ (उत्पत्ति 1:16)। अब हम जानते हैं कि सिर्फ हमारी आकाश - गंगा में लगभग 100 से 400 अरब सितारें हैं, और हमारी आकाश-गंगा लगभग 100 अरब आकाश - गंगाओं में से एक है। उन्होंने उन सभी को बनाया, अपनी शक्ति से !

उनकी रचना का परमोत्कर्ष मनुष्य था। आप परमेश्वर के स्वरूप में बनाए गए हैं (पद - 27)। यदि हम जानना चाहते हैं कि परमेश्वर कैसे हैं, तो वह स्त्री और पुरूष एक साथ हैं (‘स्त्री और पुरूष’, पद - 27ब) जो उनके स्वरूप को दर्शाते है।

हर-एक मनुष्य उनके स्वरूप में बनाया गया है, इसीलिए व्यवहार सम्मान पूर्वक, आदर और प्रेम के साथ किया जाना चाहिए। परमेश्वर के साथ बातचीत करना इस सच्चाई को प्रतिबिंबित करता है कि आप उनके स्वरूप में बनाए गए हैं।

परमेश्वर ने जो भी बनाया उसे वह सिद्ध करते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह अच्छा है’। कई लोग खुद को बेकार, असुरक्षित और महत्वहीन समझते हैं। लेकिन परमेश्वर ने बेकार चीजों को कभी नहीं बनाया। प्रमेश्वर ने आपको बनाया है। वह आपसे प्रेम करते हैं और आपको सिद्ध करते हैं। आप जो भी करते हैं उसे शायद वे सिद्ध न करें, फिर भी वह आपसे बिना शर्त, संपूर्ण दिल से और निरंतर प्रेम करते हैं।

इस पद में हम देखते हैं कि काम एक आशीष है : ‘तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को लेकर अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उस में काम करे और उसकी रक्षा करे ’ (2:15)। काम परमेश्वर की रचना का एक भाग है – न कि पतन का परिणाम। यह पद हमें यह भी याद दिलाता है कि पर्यावरण की देखभाल करना मनुष्य के लिए परमेश्वर की योजना का मुख्य केन्द्र है।

विश्राम करना वैकल्पिक नहीं है। परमेश्वर ने भी ऐसा किया था (‘उसने विश्राम किया’, पद - 2)। इन दिनों में विश्राम करना (छुटी का दिन, छुट्टियाँ) एक विशेष आशीष है: ‘परमेश्वर ने सातवें दिन को आशीष दी और पवित्र ठहराया;’। छुट्टी लेने के बारे में खुद को अपराधी मत समझिये। छुट्टियाँ अपने आप में अच्छी हैं। ये आत्मिकता में फिर से तरोराज़ा होने के लिए समय भी है।

ज़्यादा कठिन परिश्रम न करें। परमेश्वर ने जो बनाया था उसका आनंद लेने के लिए और विश्राम करने के लिए समय निकालें। आपको लगातार काम करने की जरूरत नहीं है। आपको आराम करने और विश्राम लेने की आवश्यकता के साथ बनाया गया है - यानि अपने काम का और अपने काम के फल का आनन्द लेने के लिए बनाया गया है।

उत्पत्ति 2:16-17 में हम देखते हैं कि परमेश्वर ने आदम और हव्वा को व्यापक अनुमति दी (‘तू वाटिका के सब वृक्षों का फल बिना खटके खा सकता है ’, पद - 16), सिर्फ एक निषेध है – ‘पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना,’ (पद – 17अ) परमेश्वर ने उन्हें यह चेतावनी भी दी कि यदि उन्होंने आज्ञा का पालन नहीं किया तो..... (‘क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाए उसी दिन अवश्य मर जाएगा। ’, पद –17ब)। आपको बुराई को जानने और इसका अनुभव करने की ज़रूरत नहीं है। परमेश्वर चाहते हैं कि आप केवल भले को जानें।

प्रार्थना

प्रभु, इस सृष्टि के लिए धन्यवाद जिसे आपने बनाया है। बुराई से दूर रहने और सभी अच्छी चीज़ों का आनंद लेने में मेरी मदद कीजिये जिसे आपने मुझे आनंद करने के लिए दिया है।

पिप्पा भी कहते है

मरियम और उसके माता-पिता के लिए यह बात कितनी कठिन रही होगी। उन्होंने अवश्य ही लज्जा और शर्मिंदगी महसूस की होगी। हम देखते हैं कि, क्यों यूसूफ को मरियम का पति होने के लिए चुना गया था - वह बहुत ही प्रभावशाली था। जिस लड़की से वह शादी करने वाला था वह गर्भवती थी ! वह क्रोधित हो सकता था, फिर भी वह उसका अपमान करना नहीं चाहता था – उसने ‘उसे चुपचाप छोड़ देने’ का निर्णय लिया, फिर हम देखते हैं कि उसे सपने में एक स्वर्गदूत दिखाई दिया और उसने उसे मरियम से शादी करने के लिए कहा (पद - 24)। उसने लोगों की सोच की परवाह किये बिना एक ऐसे बच्चे के पालन पोषण करने का निर्णय लिया जो कि उसका नहीं था। उसे अवश्य ही विश्वास करना पड़ा होगा।

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संदर्भ

नोट्स

जिन वचनों को (MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग नॅव प्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण अंगलिसाईस्ड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

बाइबल वचन गिनती:

एनआईवी से लिये गए वचनों की संख्या : 12

अन्य अनुवाद (MSG) से : 1

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

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