आठ बातें जो परमेश्वर के लिए मायने रखती हैं
परिचय
मेरे माता-पिता महान माता-पिता थे. उनकी मान्यताएं मजबूत थीं. मैं और मेरी बहन इस दुविधा में थे कि उनके लिए क्या मायने रखता है.
ईमानदारी मेरे पिता के लिए सबसे मायने रखती थी. मुझे याद है मेरे पिता कहा करते थे कि, 'विश्वास रखने के लिए मुझ से उम्मीद की जाती है.' उन्होंने ईमानदारी को सबसे ज्यादा मूल्यवान समझा और कभी कभी वे उस मानदंड को बनाए रखने के लिए काफी विवेकहीन हद तक गए.
एक अवसर पर, जब उनकी सगाई हुई थी, लेकिन शादी नहीं हुई थी, वह और मेरी माँ गलत बस में चढ़ गए. बस कंडक्टर ने पैसे लेने से मना कर दिया क्योंकि वे थोड़ी दूरी तक ही गए थे. उन्होंने बस की कंपनी को यह किराया भिजवाया. उन्होंने इसे लौटा दिया. इसमें काफी लंबी बातचीत होती रही, जिसे मेरी माँ को समझने में काफी परेशानी हुई (उन्होंने इसका इतना मजाक उड़ाया जिसकी वजह से सगाई लगभग टूट गई थी).
मुझे याद है, मेरे बचपन में, ऐसी कई घटनाएं हुई थीं. मेरे पिता थोड़े ज्यादा सख्त थे, लेकिन मेरी बहन और मैं इस दुविधा में थे कि उनके लिए सबसे ज्यादा क्या मायने रखता है: ईमानदारी. हमारे आज के लेखांश में हम कुछ बातों को देखेंगे जो परमेश्वर के लिए सच में मायने रखती हैं.
भजन संहिता 44:1-12
संगीत निर्देशक के लिए कोरह परिवर का एक भक्ति गीत।
44हे परमेश्वर, हमने तेरे विषय में सुना है।
हमारे पूर्वजों ने उनके दिनों में जो काम तूने किये थे उनके बारे में हमें बताया।
उन्होंने पुरातन काल में जो तूने किये हैं, उन्हें हमें बाताया।
2 हे परमेस्वर, तूने यह धरती अपनी महाशक्ति से पराए लोगों से ली
और हमको दिया।
उन विदेशी लोगों को तूने कुचल दिय,
और उनको यह धरती छोड़ देने का दबाव डाला।
3 हमारे पूर्वजों ने यह धरती अपने तलवारों के बल नहीं ली थी।
अपने भुजदण्डों के बल पर विजयी नहीं हुए।
यह इसलिए हुआ था क्योंकि तू हमारे पूर्वजों के साथ था।
हे परमेश्वर, तेरी महान शक्ति ने हमारे पूर्वजों की रक्षा की। क्योंकि तू उनसे प्रेम किया करता था!
4 हे मेरे परमेश्वर, तू मेरा राजा है।
तेरे आदेशों से याकूब के लोगों को विजय मिली।
5 हे मेरे परमेश्वर, तेरी सहायता से, हमने तेरा नाम लेकर अपने शत्रुओं को धकेल दिया
और हमने अपने शत्रु को कुचल दिया।
6 मुझे अपने धनुष और बाणों पर भरोसा नहीं।
मेरी तलवार मुझे बचा नहीं सकती।
7 हे परमेश्वर, तूने ही हमें मिस्र से बचाया।
तूने हमारे शत्रुओं को लज्जित किया।
8 हर दिन हम परमेश्वर के गुण गाएंगे।
हम तेरे नाम की स्तुति सदा करेंगे।
9 किन्तु, हे यहोवा, तूने हमें क्यों बिसरा दिया? तूने हमको गहन लज्जा में डाला।
हमारे साथ तू युद्ध में नहीं आया।
10 तूने हमें हमारे शत्रुओं को पीछे धकेलने दिया।
हमारे शत्रु हमारे धन वैभव छीन ले गये।
11 तूने हमें उस भेड़ की तरह छोड़ा जो भोजन के समान खाने को होती है।
तूने हमें राष्ट्रो के बीच बिखराया।
12 हे परमेश्वर, तूने अपने जनों को यूँ ही बेच दिया,
और उनके मूल्य पर भाव ताव भी नहीं किया।
समीक्षा
1. भरोसा
आप अपना भरोसा किस पर रखते हैं?
अपना भरोसा सही जगह पर लगाना महत्वपूर्ण है. आखिरकार आपका भरोसा अपने बल पर होना चाहिये ('वे न तो अपनी तलवार के बल से..... मैं अपने धनुष पर भरोसा न रखूंगा) (वव.3,6). बजाय इसके, आपको प्रभु पर भरोसा रखना चाहिये: 'परंतु तू ने ही हमें द्रोहियों से बचाया है' (व.7).
इस भजन के लेखक आगे और पीछे देखते हैं. जब वह पीछे देखते हैं, तो वह कहते हैं, 'परन्तु तेरे दाहिने हाथ और तेरी भुजा और तेरे प्रसन्न मुख के कारण जयवन्त हुए; क्योंकि तू उन को चाहता था' (व.3ब). जब वह आगे देखते हैं, तो वह कहते हैं 'हे परमेश्वर, तू ही हमारा महाराजा है,...... तेरे सहारे से हम अपने द्रोहियों को ढकेलकर गिरा देंगे; तेरे नाम के प्रताप से हम अपने विरोधियों को रौंदेंगे. तू ने ही हमारे बैरियों को निराश और लज्जित किया है' (वव.4-5,7).
प्रार्थना
प्रभु, जब मैं आज की और भविष्य की चुनौतियों का सामना करता हूँ, मैं उस विजय के लिए आपको धन्यवाद करता हूँ जो आपने हमें दी हैं. मैं भविष्य के लिए खुद के बल पर भरोसा नहीं करता, बल्कि मैं अपना भरोसा आप पर रखता हूँ.
लूका 13:31-14:14
यीशु की मृत्यु यरूशलेम में
31 उसी समय यीशु के पास कुछ फ़रीसी आये और उससे कहा, “हेरोदेस तुझे मार डालना चाहता है, इसलिये यहाँ से कहीं और चला जा।”
32 तब उसने उनसे कहा, “जाओ और उस लोमड़ से कहो, ‘सुन मैं लोगों में से दुष्टात्माओं को निकालूँगा, मैं आज भी चंगा करूँगा और कल भी। फिर तीसरे दिन मैं अपना काम पूरा करूँगा।’ 33 फिर भी मुझे आज, कल और परसों चलते ही रहना होगा। क्योंकि किसी नबी के लिये यह उचित नहीं होगा कि वह यरूशलेम से बाहर प्राण त्यागे।
34 “हे यरूशलेम, हे यरूशलेम! तू नबियों की हत्या करता है और परमेश्वर ने जिन्हें तेरे पास भेजा है, उन पर पत्थर बरसाता है। मैंने कितनी ही बार तेरे लोगों को वैसे ही परस्पर इकट्ठा करना चाहा है जैसे एक मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे समेट लेती है। पर तूने नहीं चाहा। 35 देख तेरे लिये तेरा घर परमेश्वर द्वारा बिसराया हुआ पड़ा है। मैं तुझे बताता हूँ तू मुझे उस समय तक फिर नहीं देखेगा जब तक वह समय न आ जाये जब तू कहेगा, ‘धन्य है वह, जो प्रभु के नाम पर आ रहा है।’”
क्या सब्त के दिन उपचार उचित है?
14एक बार सब्त के दिन प्रमुख फरीसियों में से किसी के घर यीशु भोजन पर गया। उधर वे बड़ी निकटता से उस पर आँख रखे हुए थे। 2 वहाँ उसके सामने जलोदर से पीड़ित एक व्यक्ति था। 3 यीशु ने यहूदी धर्मशास्त्रियों और फरीसियों से पूछा, “सब्त के दिन किसी को निरोग करना उचित है या नहीं?” 4 किन्तु वे चुप रहे। सो यीशु ने उस आदमी को लेकर चंगा कर दिया। और फिर उसे कहीं भेज दिया। 5 फिर उसने उनसे पूछा, “यदि तुममें से किसी के पास अपना बेटा है या बैल है, वह कुँए में गिर जाता है तो क्या सब्त के दिन भी तुम उसे तत्काल बाहर नहीं निकालोगे?” 6 वे इस पर उससे तर्क नहीं कर सके।
अपने को महत्त्व मत दो
7 क्योंकि यीशु ने यह देखा कि अतिथि जन अपने लिये बैठने को कोई सम्मानपूर्ण स्थान खोज रहे थे, सो उसने उन्हें एक दृष्टान्त कथा सुनाई। वह बोला: 8 “जब तुम्हें कोई विवाह भोज पर बुलाये तो वहाँ किसी आदरपूर्ण स्थान पर मत बैठो। क्योंकि हो सकता है वहाँ कोई तुमसे अधिक बड़ा व्यक्ति उसके द्वारा बुलाया गया हो। 9 फिर तुम दोनों को बुलाने वाला तुम्हारे पास आकर तुमसे कहेगा, ‘अपना यह स्थान इस व्यक्ति को दे दो।’ और फिर लज्जा के साथ तुम्हें सबसे नीचा स्थान ग्रहण करना पड़ेगा।
10 “सो जब तुम्हे बुलाया जाता है तो जाकर सबसे नीचे का स्थान ग्रहण करो जिससे जब तुम्हें आमंत्रित करने वाला आएगा तो तुमसे कहेगा, ‘हे मित्र, उठ ऊपर बैठ।’ फिर उन सब के सामने, जो तेरे साथ वहाँ अतिथि होंगे, तेरा मान बढ़ेगा। 11 क्योंकि हर कोई जो अपने आपको उठायेगा, उसे नीचा किया जायेगा और जो अपने आपको नीचा बनाएगा, उसे उठाया जायेगा।”
प्रतिफल
12 फिर जिसने उसे आमन्त्रित किया था, वह उससे बोला, “जब कभी तू कोई दिन या रात का भोज दे तो अपने मित्रों, भाई बंधों, संबधियों या धनी मानी पड़ोसियों को मत बुला क्योंकि बदले में वे तुझे बुलायेंगे और इस प्रकार तुझे उसका फल मिल जायेगा। 13 बल्कि जब तू कोई भोज दे तो दीन दुखियों, अपाहिजों, लँगड़ों और अंधों को बुला। 14 फिर क्योंकि उनके पास तुझे वापस लौटाने को कुछ नहीं है सो यह तेरे लिए आशीर्वाद बन जायेगा। इसका प्रतिफल तुझे धर्मी लोगों के जी उठने पर दिया जायेगा।”
समीक्षा
2. साहस
नेल्सन मंडेला ने कहा है, 'मैंने जान लिया है कि साहस डर का नहीं रहना नहीं है, बल्कि इस पर जय पाना है. बहादुर वह नहीं होता जिसे डर नहीं लगता, बल्कि वह होता है जिसने डर पर जय पा ली है.'
क्या आपने कभी पाया है कि कभी-कभी आप डर की वजह से निर्णय लेते हैं?
इसमे कोई आश्चर्य नहीं है, मानवीय तौर पर कहा जाए, तो तीन साल की सेवकाई के बाद यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था. वह बहुत साहसी थे. जब यीशु से कहा गया कि, 'यहां से निकलकर चला जा; क्योंकि हेरोदेस तुझे मार डालना चाहता है' (13:31), 'तो उस ने उन से कहा; जाकर उस लोमड़ी से कह दो,.......' (व.32). यहाँ हम देखते हैं कि यीशु उस समय के सबसे शक्तिशाली (और दुष्ट) का सामना करने को तैयार थे.
और ना ही यीशु शास्त्री और फरीसीयों का सामना करने से डरे थे. उन्होंने उन्हें नहीं रोका. उन्होंने अक्सर उनकी संगति में समय बिताया था. उनकी इच्छा उन लोगों के साथ मिलकर खाने पीने की रही होगी जो उन्हें पसंद करते थे (14:1), बजाय उन लोगों के साथ जो शक्की और अपमानजनक थे – जो हरदिन पर नजर रखा करते थे.
उन्हें सब्त के दिन उस व्यक्ति को चंगा करने - जिसके जोड़ों में बहुत ज्यादा सूजन थी - और इस विषय पर फरीसियों की निंदा का सामना करने का साहस था (व.2, एमएसजी).
3. करूणा
जब आप लोगों से मिलते हैं तो क्या आपका दिल करूणा से भर जाता है?
यीशु के दिल में किसी व्यक्ति (उदाहरण के लिए, बीमार व्यक्ति को चंगा करना, व.4) के लिए ही नहीं बल्कि पूरे यरूशलेम के लिए करूणा थी. इस लेखांश में वह परमेश्वर के शहर के प्रति प्रेम के लिए ममता की कल्पना का उपयोग करते हैं: 'कितनी बार मैं ने यह चाहा, कि जैसे मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखो के नीचे इकट्ठा करती है, वैसे ही मैं भी तेरे बालकों को इकट्ठा करूं' (13:34). (दिलचस्प तरीके से, वह बड़ी स्वभाविकता से खुद को परमेश्वर की जगह रखते हैं, बाइबल में स्त्री और पुरूष दोनों के लिए कल्पना लागू की गई है).
यीशु ने हमारे लिए क्रूस पर अपने प्राण देकर अपनी करूणा दिखाई है.
येलोस्टोन नैशनल पार्क में आग लगने का वर्णन किया गया. जब जंगल का एक अधिकारी नुकसान का आंकलन करने गया, तो उसने पेड़ के नीचे एक चिड़िया को देखा जो मरी हुई थी, काली और कार्बोनाइज़्ड,. यह दिल दहला देने वाला दृश्य था इसलिए उसने लकड़ी से उस चिड़िया को धकेला. अचानक उसके पंखों के नीचे से तीन छोटे छोटे चूजे डरकर बाहर निलके. क्योंकि चिड़िया ने करूणा से भरकर अपने चूज़ों की खातिर मरना पसंद किया, पंखों के नीचे ये चूज़े जीवित थे. उसी तरह से यीशु ने, हमें बचाने के लिए अपने प्राण का बलिदान किया.
4. नम्रता
क्या आप दूसरों की तुलना में अपनी अवस्था के कारण चिंतित हैं?
यीशु नम्रता के बारे में कहते हैं. वह हमें 'सबसे नीची जगह में बैठने के लिए कहते हैं (14:10). वह कहते हैं, 'सभा में आदर का स्थान ग्रहण न करो... क्योंकि जो छोटा है वह बड़ा किया जाएगा' (वव. 8,11).
जैसा कि बाइबल में लिखा है, 'जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा' (व.11).
5. गरीबी
क्या आपको प्रभावशाली और अमीर के साथ समय बिताने की इच्छा होती है जो हैं जो आपको फिर से धन दे सकते हैं?
वचन बारबार 'गरीबों' पर आ जाता है. हम इसे आज के नये नियम और पुराने नियम दोनों के लेखांशों में देखते हैं. गरीबों के प्रति आपका व्यवहार कैसा है यह परमेश्वर के लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है.
यीशु ने कहा है, 'जब तू भोजन करे, तो कंगालों, टुण्डों, लंगड़ों और अन्धों को बुला। तब तू धन्य होगा,' (व.13-14). यीशु हमें अपने समाज में उन लोगों को खोजने के लिए कहते हैं जो गरीब हैं. हमें अपना समय उन लोगों की सेवा करने में बिताना है 'जो तुझे प्रतिफल लौटाने में असफल हैं' (व.14, एमएसजी).
मूसा ने कहा है, 'तेरे बीच कोई दरिद्र न रहेगा' (व्यवस्थाविवरण 15:4). उसने यह भी कहा है, 'तेरे देश में दरिद्र तो सदा पाए जाएंगे' (व.11). यीशु ने भी कुछ ऐसा ही कहा है: 'कंगाल तुम्हारे साथ सदा रहते हैं,' (मत्ती 26:11). वास्तविकता यह है कि गरीब हमारे बीच सदा पाए जाएंगे लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हमें गरीबी को मिटाने का प्रयास नहीं करना चाहिये.
प्रार्थना
प्रभु यीशु, मुझे अपने जैसा बनने में मेरी मदद कीजिये – ज्यादा साहसी, ज्यादा दयालु और ज्यादा नम्र. गरीबों के प्रति मुझे आपके जैसा हृदय दीजिये, आपकी नजरें उन्हें देखने के लिए और आपका हृदय उनकी सेवा करने के लिए.
व्यवस्था विवरण 15:1-16:20
कर्ज को समाप्त करने के विशेष वर्ष
15“हर सात वर्ष के अन्त में, तुम्हें ऋण को खत्म कर देना चाहिए। 2 ऋण को तुम्हें इस प्रकार खत्म करना चाहिएः हर एक व्यक्ति जिसने किसी इस्राएली को ऋण दिया है अपना ऋण खत्म कर दे। उसे अपने भाई(इस्राएली) से ऋण लौटाने को नहीं कहना चाहिए। क्यों? क्योंकि यहोवा ने कहा है कि उस वर्ष ऋण खत्म कर दिये जाते हैं। 3 तुम विदेशी से अपना ऋण वापस ले सकते हो। किन्तु उस ऋण को खत्म कर दोगे जो किसी दूसरे इस्राएली पर है। 4 किन्तु तुम्हारे बीच कोई गरीब व्यक्ति नहीं रहना चाहिए। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुहें सभी चीजों का वरदान उस देश में देगा जिसे वह तुम्हें रहने को दे रहा है। 5 यही होगा, यदि तुम यहोवा अपने परमेश्वर की आज्ञा का पालन पूरी तरह करोगे। तुम्हें उस हर एक आदेश का पालन करने में सावधान रहना चाहिए जिसे आज मैंने तुम्हें दिया है। 6 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें आशीर्वाद देगा, जैसा कि उसने वचन दिया है और तुम्हारे पास बहुत से राष्ट्रों को ऋण देने के लिए पर्याप्त धन होगा। किन्तु तुम्हें किसी से ऋण लेने की आवश्यकता नहीं होगी। तुम बहुत से राष्ट्रों पर शासन करोगे। किन्तु उन राष्ट्रों में से कोई राष्ट्र तुम पर शासन नहीं करेगा।
7 “जब तुम उस देश में रहोगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है तब तुम्हारे लोगों में कोई भी गरीब हो सकता है। तुम्हें स्वार्थी नहीं होना चाहिए। तुम्हें उस गरीब व्यक्ति को सहायता देने से इन्कार नहीं करना चाहिए। 8 तुम्हें उसका हाथ बँटाने की इच्छा रखनी चाहिए। तुम्हें उस व्यक्ति को जितने ऋण की आवश्यकता हो, देना चाहिए।
9 “किसी को सहायता देने से इसलिए इन्कार न करो, क्योंकि ऋण को खत्म करने का सातवाँ वर्ष समीप है। इस प्रकार का बुरा विचार अपने मन में न अने दो। तुम्हें उस व्यक्ति के प्रति बुरे विचार नहीं रखने चाहिए जिसे सहायता की आवश्यकता है। तुम्हें उसकी सहायता करने से इन्कार नहीं करना चाहिए। यदि तुम उस गरीब व्यक्ति को कुछ नहीं देते तो वह यहोवा से तुम्हारे विरुद्ध शिकायत करेगा और यहोवा तुम्हें पाप करने का उत्तरदायी पाएगा।
10 “गरीब को तुम जितना दे सको, दो और उसे देने का बुरा न मानो। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परम्मेश्वर इस अच्छे काम के लिए तुम्हें आशीष देगा। वह तुम्हारे सभी कामों और जो कुछ तुम करोगे उसमें तुम्हारी सहायता करेगा। 11 देश मे सदा गरीब लोग भी होंगे। यही कारण है कि मैं तुम्हें आदेश देता हूँ कि तुम अपने लोगों, जो लोग तुम्हारे देश में गरीब और सहायता चाहते हैं, उन को सहायता देने के लिए दैयार रहो।
सातवें वर्ष में दासों को स्वतन्त्र करने के नियम
12 “यदि तुम्हारे लोगों में से कोई, हिब्रू स्त्री व पुरुष, तुम्हारे हाथ बेचा जाए तो उस व्यक्ति को तुम्हारी सेवा छः वर्ष करनी चाहिए। तब सातवें वर्ष तुम्हें उसे अपने से स्वतन्त्र कर देना चाहीए। 13 किन्तु जब तुम अपने दास को स्वतन्त्र करो तो उसे बिना कुछ लिए मत जाने दो। 14 तुम्हें उस व्यक्ति को अपने रेवड़ों का एक बड़ा भाग, खलिहान से एक बड़ा भाग और दाखमधु से एक बड़ा भाग देना चाहिए। यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें बहुत अच्छी चीज़ों की प्राप्ति का आशीर्वाद दिया है। उसी तरह तुम्हें भी अपने दास को बहुत सारी अच्छी चीज़ें देनी चाहिए। 15 तुम्हें याद रखना चाहिए कि तुम मिस्र में दास थे। यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें मुक्त किया है। यही कारण है कि मैं तुमसे आज यह करने को कह रहा हूँ।
16 “किन्तु तुम्हारे दासों में से कोई कह सकता है, ‘मैं आपको नहीं छोडूँगा।’ वह ऐसा इसलिए कह सकता है कि वह तुमसे, तुम्हारे परिवार से प्रेम करता है और उसने तुम्हारे साथ अच्छा जीवन बिताया है। 17 इस सेवक को अपने द्वार से कान लगाने दो और एक सूए का उपयोग उसके कान में छेद करने के लिए करो। तब वह सदा के लिए तुम्हारा दास हो जाएगा। तुम दासियों के लिए भी यही करो जो तुम्हारे यहाँ रहना चाहती हैं।
18 “तुम अपने दास को मुक्त करते समय दुःख का अनुभव मत करो। याद रखो, छः वर्ष तक तुम्हारी सेवा, उससे आधी रकम पर उसने की जितनी मजदूरी पर रखे गए व्यक्ति को देनी पड़ती है। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम जो करोगे उसके लिए आशीष देगा।
पहलौठे जानवर के सम्बन्ध में नियम
19 “तुम अपने झुण्ड या रेवड़ में सभी पहलौठे बच्चों को यहोवा का विशेष जानवर बना देना। उनमें से किसी जानवर का उपयोग तुम अपने काम के लिए न करो। इन भेड़ों में से किसी का ऊन न काटो। 20 हर वर्ष मवेशियों के झुण्ड या रेवड़ में पहलौठे जानवर को लेकर उस स्थान पर आओ जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर चुने। वहाँ तुम और तुम्हारे परिवार के लोग उन जानवरों को खायेंगे।
21 “किन्तु यदि जानवर में कोई दोष हो, या लंगड़ा, अन्धा हो या इसमें कोई अन्य दोष हो, तो तुम्हें उसे यहोवा अपने परमेश्वर को भेंट नहीं चढ़ानी चाहिए। 22 किन्तु तुम उसका माँस वहाँ खा सकते हो जहाँ तुम रहते हो। इसे कोई व्यक्ति खा सकता है, चाहे वह पवित्र हो चाहे अपवित्र हो। नीलगाय या हिरन का माँस खाने पर वही नियम लागू होगा, जो इस माँस पर लागू होता है। 23 किन्तु तुम्हें जानवर का खून नहीं खाना चाहिए। तुम्हें खून को पानी की तरह जमीन पर बहा देना चाहिए।
फसह पर्व
16“यहोवा अपने परमेश्वर का फसह पर्व आबीब के महीने में मनाओ। क्यों? क्योंकि आबीब के महीने में तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें रात में मिस्र से बाहर ले आया था। 2 तुम्हें उस स्थान पर जाना चाहिए जिसे यहोवा अपना विशेष निवास बनाएगा। वहाँ तुम्हें एक गाय या बकरी को यहोवा अपने परमेश्वर के सम्मान में, फसह पर्व के लिए भेंट के रूप में चढ़ाना चाहिए। 3 इस भेंट के साथ खमीर वाली रोटी मत खाओ। तुम्हें सात दिन तक अखमीरी रोटी खानी चाहिए। इस रोटी को ‘विपत्ति की रोटी’ कहते हैं। यह तुम्हें मिस्र में जो विपत्तियाँ तुम पर पड़ी उसे याद दिलाने में सहायता करेंगे। याद करो कि कितनी शीघ्रता से तुम्हें वह देश छोड़ना पड़ा। तुम्हें उस दिन को तब तक याद रखना चाहिए जब तक तुम जीवित रहो। 4 सात दिन तक देश में किसी के घर में कहीं खमीर नहीं होनी चाहिए। जो माँस पहले दिन की शाम को भेंट में चढ़ाओ उसे सवेरा होने के पहले खा लेना चाहिए।
5 “तुम्हें फसह पर्व के जानवरों की बलि उन नगरों में से किसी में नहीं चढ़ानी चाहिए जिन्हें यहोवा तुम्हारा परमेश्वर ने तुमको दिए हैं। 6 तुम्हें फसह पर्व के जानवर की बलि केवल उस स्थान पर चढ़ानी चाहिए जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर अपने लिए विशेष निवास के रूप में चुने। वहाँ तुम फसह पर्व के जानवर को जब सूर्य डूबे तब शाम को बलि चढ़ानी चाहिए। तुम इसे साल के उसी समय करोगे जिस समय तुम मिस्र से बाहर निकले थे। 7 और तुम्हें फसह पर्व का माँस यहोवा तुम्हारा परमेश्वर जिस स्थान को चुनेगा वहीं पकाओगे और खाओगे। तब सवेरे तुम्हें अपने खेमों में चले जाना चाहिए। 8 तुम्हें अखमीरी रोटी छ: दिन तक खानी चाहिए। सातवें दिन तुम्हें कोई भी काम नहीं करना चाहिए। उस दिन यहोवा अपने परमेश्वर के लिए विशेष सभा में सभी एकत्रित होंगे।
सप्ताहों का पर्व (पिन्तेकुस्त)
9 “जब तुम फसल काटना आरम्भ करो तब से तुम्हें सात हफ्ते गिनने चाहिए। 10 तब यहोवा अपने परमेश्वर के लिए सप्ताहों का पर्व करो। इसे एक स्वेच्छा बलि उसे लाकर करो। तुम्हें कितना देना है, इसका निश्चय यह सोचकर करो कि यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें कितना आशीर्वाद दिया है। 11 उस स्थान पर जाओ जिसे यहोवा अपने विशेष निवास के रूप में चुनेगा। वहाँ तुम और तुम्हारे लोग, यहोवा अपने परमेश्वर के साथ आनन्द का समय बिताएंगे। अपने सभी लोगों, अपने पुत्रों, अपनी पुत्रियों और अपने सभी सेवकों को वहाँ ले जाओ और अपने नगर में रहने वाले लेवीवंशियों, विदेशियों, अनाथों और विधवाओं को भी साथ में ले जाओ। 12 यह मत भूलो, कि तुम मिस्र में दास थे। तुम्हें निश्चय करना चाहिए कि तुम इन नियमों का पालन करोगे।
खेमों का पर्व
13 “जब तुम अपने खलिहान और दाखमधुशाला से सात दिन तक अपनी फसलें एकत्रित कर लो तब खेमों का पर्व करो। 14 तुम, तुम्हारे पुत्र, तुम्हारी पुत्रियाँ, तुम्हारे सभी सेवक तथा तुम्हारे नगर में रहने वाले लेवीवंशी, विदेशी, अनाथ बालक और विधवाऐं सभी इस दावत में आनन्द मनायें। 15 तुम्हें इस दावत को सात दिन तक उस विशेष स्थान पर मनाना चाहिए जिसे यहोवा चुनेगा। यह तुम यहोवा अपने परमेश्वर के सम्मान में करो। आनन्द मनाओ! क्योंकि यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें तुम्हारी फसल के लिए तथा तुमने जो कुछ भी किया है उसके लिए आशीष दी है।
16 “तुम्हारे सभी लोग वर्ष में तीन बार यहोवा अपने परमेश्वर से मिलने के लिए उस विशेष स्थान पर आएंगे जिसे वह चुनेगा। यह अखमीरी रोटी के पर्व के समय, सप्ताहों के पर्व के समय तथा खेमों के पर्व के समय होगा। हर एक व्यक्ति जो यहोवा से मिलने जाएगा कोई भेंट लाएगा। 17 हर एक व्यक्ति उतना देगा जितना वह दे सकेगा। कितना देना है, उसका निश्चय वह यह सोचकर करेगा कि उसे यहोवा ने कितना दिया है।
लोगों के लिए न्यायाधीश और अधिकारी
18 “यहोवा तुम्हारा परमेश्वर जिन नगरों को तुम्हें दे रहा है उनमें से हर एक नगर में तुम्हें अपने परिवार समूह के लिए न्यायाधीश और अधिकारी बनाना चाहिए। इन न्यायाधीशों और अधिकारियों को जनता के साथ सही और ठीक न्याय करना चाहिए। 19 तुम्हें ठीक न्याय को बदलना नहीं चाहिए। तुम्हें किसी के सम्बन्ध में अपने इरादे को बदलने के लिए धन नहीं लेना चाहिए। धन बुद्धिमान लोगों को अन्धा करता है और उसे बदलता है जो भला आदमी कहेगा। 20 तुम्हें हर समय निष्पक्ष तथा न्याय संगत होने का पूरा प्रयास करना चाहिए। तब तुम जीवित रहोगे और तुम उस देश को पाओगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है और तुम उसमें रहोगे।
समीक्षा
6. उदारता
क्या आपने कभी खुद को थोड़ा मतलबी या कंजूस महसूस किया है? पूरी बाइबल में उदारता का सिद्धांत है. यदि तेरे भाइयों में से कोई तेरे पास द्ररिद्र हो, तो अपने उस दरिद्र भाई के लिये न तो अपना हृदय कठोर करना (15:7) और न अपनी मुठ्ठी कड़ी करना. बजाय इसके अपना हाथ ढीला करना (व.8) – जिस वस्तु की घटी उसको हो, उसका जितना प्रयोजन हो उतना अवश्य अपना हाथ ढीला करके उसको उधार देना और ब्याज न लेना (व.8). ' तू अपने देश में अपने दीन-दरिद्र भाइयों को अपना हाथ ढीला करके अवश्य दान देना' (व.11).
7. याद रखना
परमेश्वर ने आपके लिए जो कुछ भी किया है, क्या आप उसे आसानी से भूल जाते हैं?
परमेश्वर के लोगों से कहा गया था कि, ' इस बात को स्मरण रखना कि तू भी मिस्र देश में दास था,' (व. 15; 16:12). ' तुझ को मिस्र देश से निकालने का दिन जीवन भर स्मरण रहेगा' (व.3). फसह के महापर्व के एक हिस्से के रूप में (वव.1-8), सप्ताह (वव.9-12) और तंबू (वव.13-14) का संबंध स्मरण रखने से था (व.3 देखें, 'स्मरण रखना.....).
प्रभु भोज का एक पहलू यह है कि यह हमेशा हमें यीशु की मृत्यु और पुनरूत्थान की – पाप और मृत्यु की गुलामी से मुक्ति की और आपको परमेश्वर को जानने और जीवन को अपनी सभी परिपूर्णता में यानि अनंत जीवन पाने की - याद दिलाता है.
8. न्याय
क्या आपको न्याय के बारे में ख्याल रहता है?
परमेश्वर के लिए न्याय ज्यादा महत्वपूर्ण है. परमेश्वर के लिए ईमानदारी मायने रखती है (मेरे पिता सही थे!). ' न्यायी और सरदार नियुक्त कर लेना, जो लोगों का न्याय धर्म से किया करें. तुम न्याय न बिगाड़ना; तू न तो पक्षपात करना;' (वव.18, 19अ). ' जो कुछ नितान्त ठीक है उसी का पीछा पकड़े रहना' (व.20).
कानून के नियम सच में मायने रखते हैं. हम पूरी दुनिया में भयंकर अन्याय देखते हैं और इसके परिणाम स्वरूप ऐसे स्थान भी हैं जहाँ कोई न्यायाधीश नहीं है या वहाँ के न्यायाधीश निष्पक्षता से न्याय नहीं करते. दुनिया में ऐसे कई हिस्से हैं जहाँ पुलिस और न्यायाधीश घूस लेते हैं. इसलिए इस आज्ञा का महत्व और भी बढ़ जाता है, ' न तो घूस लेना, क्योंकि घूस बुद्धिमान की आंखें अन्धी कर देती है, और धर्मियों की बातें पलट देती है' (व.19). जहाँ कानून के नियम मजबूत नहीं है, वहाँ निर्दोषों को पकड़कर जेल में डाल दिया जाता है, सिर्फ इसलिए क्योंकि किसी ने बेईमानी की है और घूस लिया है.
प्रार्थना
प्रभु, मेरी मान्यताएं ज्यादा से ज्यादा आपकी मान्यताओं के समान हों. मेरे विचार और मेरे तरीके आपके विचारों और आपके तरीकों के समान हों. मेरे लिए वही मायने रखता हो जो आपके लिए मायने रखता है.
पिप्पा भी कहते है
लूका 13:34
' हे यरूशलेम ! हे यरूशलेम ! तू जो भविष्यवक्ताओं को मार डालती है, और जो तेरे पास भेजे गए उन्हें पत्थरवाह करती है; कितनी बार मैं ने यह चाहा, कि जैसे मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखो के नीचे इकट्ठा करती है, वैसे ही मैं भी तेरे बालकों को इकट्ठा करूं, पर तुम ने यह न चाहा !'
इसने फिर भी यीशु का दिल तोड़ा होगा.
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संदर्भ
नोट्स:
नेल्सन मंडेला, द लॉन्ग वाल्क टू फ्रीडम, (अबॅकस, 1995) प. 748.
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।