दिन 106

याद रखें

बुद्धि भजन संहिता 45:10-17
नए करार लूका 16:19-17:10
जूना करार व्यवस्था विवरण 23:1-25:19

परिचय

स्मरणशक्ति विचित्र है। ऐसी कुछ बातें हैं जिन्हें मैं याद नहीं करना चाहूँगा लेकिन उन्हे भूल पाना कठिन बात है। ऐसी कुछ दूसरी वस्तुएँ हैं जिन्हें मैं याद रखना चाहूँगा लेकिन जो आसानी से भूल जाया करती हैं।

कुछ बातें हैं जो समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं। विश्व भर में, हम युद्ध की यादों को देखते हैं उन लोगों के नामों के साथ जो अपने देश के लिए मर गए। ब्रिटेन में अक्सर इन यादों को इस तरह से लिखते हैं, 'ऐसा न हो कि हम भूल जाएं।' जैसा कि जॉर्ज सॅन्टायना ने कहा, 'जो लोग भूतकाल भूल जाते हैं वे इसे दोहराते हैं।'

हमारे पास अपनी यादों के ऊपर नियंत्रण है। ऐसी कुछ बातें हैं जिनके विषय में बाईबल में लिखा है कि 'भूल जाओ'। ऐसी दूसरी वस्तुएँ हैं जिनके विषय में बार-बार लिखा है कि 'याद रखो।' आप चुनाव कर सकते हैं कि आप क्या 'भूलना' चुनते हैं और आप क्या 'याद रखना' चुनते हैं।

शब्द 'याद रखो' इसके विभिन्न इब्रानी और ग्रीक स्वरूप में बाईबल में 250 बार दिखाई देता है। यह बहुत आसान है कि वह सब भूल जाएँ जो परमेश्वर ने आपके लिए किया है। यह महत्वपूर्ण है कि अपने जीवन के भूतकाल में देखे और चर्च के इतिहास में, स्थानीय और ग्लोबल रूप से, उन सभी चीजों को याद करने के लिए जो परमेश्वर ने की हैं।

अंतिम प्रभुभोज के दिन, यीशु ने कम्युनियन सभा की शुरुवात की, ताकि हम विश्व इतिहास की केंद्रिय घटनाओं को न भूल जाएँ - यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान।

बुद्धि

भजन संहिता 45:10-17

10 हे राजपुत्री, मेरी बात को सुन।
 ध्यानपूर्वक सुन, तब तू मेरी बात को समझेगी।
 तू अपने निज लोगों और अपने पिता के घराने को भूल जा।
11 राजा तेरे सौन्दर्य पर मोहित है।
 यह तेरा नया स्वामी होगा।
 तुझको इसका सम्मान करना है।
12 सूर नगर के लोग तेरे लिये उपहार लायेंगे।
 और धनी मानी तुझसे मिलना चाहेंगे।

13 वह राजकन्या उस मूल्यवान रत्न सी है
 जिसे सुन्दर मूल्यवान सुवर्ण में जड़ा गया हो।
14 उसे रमणीय वस्त्र धारण किये लाया गया है।
 उसकी सखियों को भी जो उसके पिछे हैं राजा के सामने लाया गया।
15 वे यहाँ उल्लास में आयी हैं।
 वे आनन्द में मगन होकर राजमहल में प्रवेश करेंगी।

16 राजा, तेरे बाद तेरे पुत्र शासक होंगे।
 तू उन्हें समूचे धरती का राजा बनाएगा।
17 तेरे नाम का प्रचार युग युग तक करुँगा।
 तू प्रसिद्ध होगा, तेरे यश गीतों को लोग सदा सर्वदा गाते रहेंगे।

समीक्षा

हमेशा यीशु को याद रखें

पीढ़ीयाँ आती हैं और जाती हैं लेकिन यीशु का नाम सदा सर्वदा याद रखा जाएगा।

नये नियम ने इस भजन को यीशु पर लगाया (इब्रानियों 1:8)। आरंभिक कलीसिया ने मसीह के साथ अपने संबंध को देखा, जैसेकि दूल्हा और दुल्हन के बीच के संबंध में दिखाई देता है, जैसा कि यहाँ पर उनका वर्णन किया गया है।

यीशु चर्च से प्रेम करते हैः'राजा तेरे रूप की चाह करेगा' (भजनसंहिता 45:11अ)। हमें यीशु का सम्मान करना है; वह हमारे प्रभु हैं (व.11ब): 'मैं ऐसा करुँगा कि तेरे नाम की चर्चा पीढ़ी से पीढ़ी तक होती रहेगी; इस कारण देश देश के लोग सदा सर्वदा तेरा धन्यवाद करते रहेंगे' (व.17)। राजा यीशु सर्वदा याद रहेंगे। हर देश सर्वदा उनकी आराधना करेगा (प्रकाशितवाक्य 5:13)।

प्रार्थना

प्रभु यीशु, मैं आज आपकी आराधना करता हूँ। आप मेरे राजा और प्रभु हैं। हमारी सहायता कीजिए कि आपके नाम की चर्चा पीढ़ी से पीढ़ी तक करते रहें, ताकि देश देश के लोग सदा सर्वदा आपका धन्यवाद करते रहें।

नए करार

लूका 16:19-17:10

धनी पुरुष और लाज़र

19 “अब देखो, एक व्यक्ति था जो बहुत धनी था। वह बैंगनी रंग की उत्तम मलमल के वस्त्र पहनता था और हर दिन विलासिता के जीवन का आनन्द लेता था। 20 वहीं लाजर नाम का एक दीन दुखी उसके द्वार पर पड़ा रहता था। उसका शरीर घावों से भरा हुआ था। 21 उस धनी पुरुष की जूठन से ही वह अपना पेट भरने को तरसता रहता था। यहाँ तक कि कुत्ते भी आते और उसके घावों को चाट जाते।

22 “और फिर ऐसा हुआ कि वह दीन-हीन व्यक्ति मर गया। सो स्वर्गदूतों ने ले जाकर उसे इब्राहीम की गोद में बैठा दिया। फिर वह धनी पुरुष भी मर गया और उसे दफ़ना दिया गया। 23 नरक में तड़पते हुए उसने जब आँखें उठा कर देखा तो इब्राहीम उसे बहुत दूर दिखाई दिया किन्तु उसने लाज़र को उसकी गोद में देखा। 24 तब उसने पुकार कर कहा, ‘पिता इब्राहीम, मुझ पर दया कर और लाजर को भेज कि वह पानी में अपनी उँगली डुबो कर मेरी जीभ ठंडी कर दे, क्योंकि मैं इस आग में तड़प रहा हूँ।’

25 “किन्तु इब्राहीम ने कहा, ‘हे मेरे पुत्र, याद रख, तूने तेरे जीवन काल में अपनी अच्छी वस्तुएँ पा लीं जबकि लाज़र को बुरी वस्तुएँ ही मिलीं। सो अब वह यहाँ आनन्द भोग रहा है और तू यातना। 26 और इस सब कुछ के अतिरिक्त हमारे और तुम्हारे बीच एक बड़ी खाई डाल दी गयी है ताकि यहाँ से यदि कोई तेरे पास जाना चाहे, वह जा न सके और वहाँ से कोई यहाँ आ न सके।’

27 “उस सेठ ने कहा, ‘तो फिर हे पिता, मैं तुझसे प्रार्थना करता हूँ कि तू लाज़र को मेरे पिता के घर भेज दे 28 क्योंकि मेरे पाँच भाई हैं, वह उन्हें चेतावनी देगा ताकि उन्हें तो इस यातना के स्थान पर न आना पडे।’

29 “किन्तु इब्राहीम ने कहा, ‘उनके पास मूसा है और नबी हैं। उन्हें उनकी सुनने दे।’

30 “सेठ ने कहा, ‘नहीं, पिता इब्राहीम, यदि कोई मरे हुओं में से उनके पास जाये तो वे मन फिराएंगे।’

31 “इब्राहीम ने उससे कहा, ‘यदि वे मूसा और नबियों की नहीं सुनते तो, यदि कोई मरे हुओं में से उठकर उनके पास जाये तो भी वे नहीं मानेंगे।’”

पाप और क्षमा

17यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “जिनसे लोग भटकते हैं, ऐसी बातें तो होंगी ही किन्तु धिक्कार है उस व्यक्ति को जिसके द्वारा वे बातें हों। 2 उसके लिये अधिक अच्छा यह होता कि बजाय इसके कि वह इन छोटों में से किसी को पाप करने को प्रेरित कर सके, उसके गले में चक्की का पाट लटका कर उसे सागर में धकेल दिया जाता। 3 सावधान रहो!

“यदि तुम्हारा भाई पाप करे तो उसे डाँटो और यदि वह अपने किये पर पछताये तो उसे क्षमा कर दो। 4 यदि हर दिन वह तेरे विरुद्ध सात बार पाप करे और सातों बार लौटकर तुझसे कहे कि मुझे पछतावा है तो तू उसे क्षमा कर दे।”

तुम्हारा विश्वास कितना बड़ा है?

5 इस पर शिष्यों ने प्रभु से कहा, “हमारे विश्वास की बढ़ोतरी करा।”

6 प्रभु ने कहा, “यदि तुममें सरसों के दाने जितना भी विश्वास होता तो तुम इस शहतूत के पेड़ से कह सकते ‘उखड़ जा और समुद्र में जा लग।’ और वह तुम्हारी बात मान लेता।

उत्तम सेवक बनो

7 “मान लो तुममें से किसी के पास एक दास है जो हल चलाता या भेड़ों को चराता है। वह जब खेत से लौट कर आये तो क्या उसका स्वामी उससे कहेगा, ‘तुरन्त आ और खाना खाने को बैठ जा?’ 8 किन्तु बजाय इसके क्या वह उससे यह नहीं कहेगा, ‘मेरा भोजन तैयार कर, अपने वस्त्र पहन और जब तक मैं खा-पी न लूँ, मेरी सेवा कर; तब इसके बाद तू भी खा पी सकता है?’ 9 अपनी आज्ञा पूरी करने पर क्या वह उस सेवक का धन्यवाद करता है। 10 तुम्हारे साथ भी ऐसा ही है। जो कुछ तुमसे करने को कहा गया है, उसे कर चुकने के बाद तुम्हें कहना चाहिये, ‘हम दास हैं, हम किसी बड़ाई के अधिकारी नहीं हैं। हमने तो बस अपना कर्तव्य किया है।’”

समीक्षा

गरीबों को याद रखें

यदि आपके पास हर दिन खाने के लिए भोजन है, पहनने के लिए जूते हैं और आपके सिर के ऊपर छत है, तो आप बाकी विश्व की तुलना में अमीर हैं। और यदि आपके पास एक गाड़ी है, या एक साईकल है, तो आप बाकी विश्व से बहुत ज्यादा अमीर हैं।

यह लेखांश व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए एक चुनौती है, जैसे ही मैं अपनी परिस्थिति को देखता हूँ और विश्व भर में गरीबी के साथ इसकी तुलना करता हूँ। यह हमारे समाज के लिए भी एक चुनौती है, जैसे ही हम अपने पड़ोसी देश को देखते हैं, उदाहरण के लिए अफ्रीका में, जो कि टेलीविजन और दूसरे प्रकार के ग्लोबल बातचीत के माध्यम से अब (हमारे) दरवाजें पर है (16:20)।

उन्नीसवीं शताब्दी के महान उपदेशक डी.एल. मूड़ी ने अक्सर अपने प्रचार का शीर्षक रखा थाः'पुत्र, याद रखना...' (व.25)। यह दृष्टांत एक चेतावनी है। (यह एक दृष्टांत हैं और इसलिए यह मृत्यु के बाद जीवन के विषय में एक पूर्ण शिक्षा नहीं है)।

उस अमीर व्यक्ति के लिए, जिसने प्रति दिन सुख- विलास और धूम-धाम के साथ रहने में अपना जीवन (व्यर्थ) बिता दिया था' (व.19, एम.एस.जी.) ऐसे व्यक्ति के लिए अब्राहम के वचन भयभीत करते हैः' हे पुत्र, स्मरण कर कि तू अपने जीवन में अच्छी वस्तुएँ ले चुका है, और वैसे ही लाजर बुरी वस्तुएँ' (व.25)। गरीबों के प्रति कार्य न करने के कारण उस अमीर व्यक्ति का न्याय किया गया था। मैं विश्व के एक धन-संपदायुक्त वाले भाग में रहता हूँ। विश्व के अधिकतर लोगों के समान, 'मैं हर दिन सुख विलास' में रहता हूँ (व.19)।

अमीर व्यक्ति लाजर की गरीबी को जानता था क्योंकि वह घावों से भरा हुआ उसकी डेवढ़ी पर छोड़ दिया जाता था, 21 और वह चाहता था कि धनवान की मेज पर की जूठन से अपना पेट भरें' (वव.20-21अ)।

आधुनिक मीडिया हमें बड़े पैमाने पर ग्लोबल गरीबी के विषय में जानकारी देती है। अभी कार्य करने का समय है। मेरे पास उस अमीर व्यक्ति से भी कम बहाने हैं। पुराने नियम में लोगों को मूसा और भविष्यवक्ताओं के वचनों पर कार्य करने के लिए कहा गया था (व.29)। हमें यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान को याद करने और जीने के लिए बुलाया गया है (व.31)।

फिर भी यह दृष्टांत अमीर होने पर एक प्रहार नहीं है। क्योंकि, अब्राहम बहुत ही धनी था और वह स्वर्ग में दिखाई दिया (व.22)। पैसे के प्रति अमीर व्यक्ति का प्रेम उसकी आत्मिक अवस्था को बताता है और पछतावे और विश्वास के आधार पर परमेश्वर के साथ संबंध की कमी को दिखाता है।

जब वह अपनी गलती मान लेता है, तब वह अब्राहम से कहता है, ' यदि कोई मरे हुओं में से उनके (मेरे पाँच भाई) पास जाए, तो वे मन फिराएँगे' (व.30)। अब्राहम उत्तर देते हैं, ' जब वे मूसा और भवष्यद्वक्ताओं की नही सुनते, तो यदि मरे हुओं में से कोई जी भी उठे तो भी उसकी नहीं मानेंगे' (व.31)।

यदि उस अमीर व्यक्ति ने मूसा और भविष्यवक्ताओं की बातों को सुना होता, तो उसने अवश्य ही पछतावा किया होता और परमेश्वर में अपना विश्वास रखा होता। यीशु के इस दृष्टांत को लिखते समय, लूका अवश्य ही इस तथ्य को ध्यान में रख रहा था कि अभी हमारे पास उससे भी कम बहाने हैं क्योंकि हमारे पास यीशु के मरे हुओं में से जी उठने का प्रमाण है। हमें पछताने और यीशु में विश्वास रखने की चुनौती दी गई है।

आज के नये नियम के सभी भागों को रेखांकित करते हुए, यह पछतावे और विश्वास पर आधारित परमेश्वर के साथ एक संबंध का सामान्य विषय है।

यह अगले भाग में भी जारी रहता है (17:1-4)। यीशु हमसे कहते हैं कि सावधानीपूर्वक अपने जीवन पर ध्यान दो, दूसरों से पाप मत करवाओं या दूसरों के द्वारा फैलाएं गए जाल में मत फँसो। नियमित क्षमा के एक जीवन को जीओ। यदि दिन भर में वह सात बार तेरा अपराध करे और सातों बार तेरे पास फिर आकर कहे, ‘मैं पछताता हूँ, ' तो उसे क्षमा करो (व.4)।

चेलों ने समझा कि यह केवल महान विश्वास के द्वारा ही संभव है। वे यीशु से कहते हैं, 'हमारे विश्वास को बढ़ायें' (व.5)। यीशु उत्तर देते हैं, ' यदि तुम को राई के दाने के बराबर भी विश्वास होता, तो तुम इस शहतूत के पेड़ से कहते कि जड़ से उखड़कर समुद्र में लग जा, तो वह तुम्हारी मान लेता' (व.6)।

यह विश्वास है जो दीनता की ओर ले जाता है। परमेश्वर की सेवा करने में आप जो कोई काम करते हैं, आप कभी भी परमेश्वर को कर्जदार नहीं बना सकते हैं। जो कुछ हम करते हैं वह आभार के कारण है, जो परमेश्वर ने हमारे लिए किया है उसके प्रति। दिन के आखिर में हम केवल यही कह सकते हैं, ''हम अयोग्य सेवक हैं; हमने केवल अपना काम किया है' (व.10)।

विश्वास एक माँसपेशी है जो खिंचाव के द्वारा बढ़ती है। एक तरीका जिससे हम अपने विश्वास को बढ़ाते हैं वह है, वह करना जो परमेश्वर हमसे करने के लिए कहते हैं।

यदि आप उन भयभीत करने वाले वचनों को नहीं सुनना चाहते हैं, 'पुत्र याद रखना...' भविष्य में, अब पछतावे में उत्तर देने का समय है, यीशु में अपना विश्वास बनाए रखे और अपने विश्वास को जीएँ, विशेष रूप से गरीबों के लिए अपने उत्तर में।

प्रार्थना

परमेश्वर, दया कीजिए। मेरे पाप क्षमा कीजिए। हमेशा क्षमा करने में मेरी सहायता कीजिए। मेरे विश्वास को बढ़ाइये। मेरे आस-पास के लोगों की जरुरतों को देखने के लिए मेरी आँखे खोलिए और अभी कार्य करने में मेरी सहायता करिए।

जूना करार

व्यवस्था विवरण 23:1-25:19

वे लोग जो उपासना में सम्मलित हो सकते हैं

23“ये लोग इस्राएल के लोगों के साथ यहोवा की उपासना करने के लिये नहीं आ सकतेः वह व्यक्ति जिसने अपने को बधिया कर लिया है, वह व्यक्ति जिसने अपना यौन अंग कटवा लिया है 2 या वह व्यक्ति जो अविवाहित माता—पिता की सन्तान हो। इस व्यक्ति के परिवार का कोई व्यक्ति दसवीं पीढ़ी तक भी यहोवा के लोगों में यहोवा की उपासना करने के लिये नहीं गिना जा सकता।

3 “कोई अम्मोनी या मोआबी यहोवा के लोगों से सम्बन्धित नहीं हो सकता और दस पीढ़ीयों तक उनका कोई वंशज भी यहोवा के लोगों का भाग यहोवा की उपासना करने के लिए नहीं बन सकता। 4 क्यों? क्योंकि अम्मोनी और मोआबी लोगों ने मिस्र से बाहर आने की यात्रा के समय तुम लोगों को रोटी और पानी देने से इन्कार किया था। वे यहोवा के लोगों के भाग इसलिए भी नहीं हो सकते क्योंकि उन्होंने बिलाम को तुम्हें अभिशाप देने के लिए नियुक्त किया था। (बिलाम अरपम्नहरैम में पतोर नगर के बोर का पुत्र था।) 5 किन्तु यहोवा परमेश्वर ने बिलाम की एक न सुनी। यहोवा ने अभिशाप को तुम्हारे लिये वरदान में बदल दिया। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमसे प्रेम करता है। 6 तुम्हें अम्मोनी और मोआबी लोगों के साथ शान्ति रखने का प्रयत्न कभी नहीं करना चाहिए। जब तक तुम लोग रहो, उनसे मित्रता न रखो।

ये लोग जिन्हें इस्राएलियों को अपने में मिलाना चाहिए

7 “तुम्हें एदोमी से घृणा नहीं करनी चाहिए। क्यों? क्योंकि वह तुम्हारा सम्बन्धी है। तुम्हें किसी मिस्री से घृणा नहीं करनी चाहिए। क्यों? क्योंकि उनके देश में तुम अजनबी थे। 8 एदोमी और मिस्री लोगों से उत्पन्न तीसरी पीढ़ी के बच्चे यहोवा के लोगों के भाग बन सकते हैं।

सेना के डेरे को स्वच्छ रखना

9 “जब तुम्हारी सेना शत्रु के विरुद्ध जाए, तब तुम उन सभी चीज़ों से दूर रहो जो तुम्हें अपवित्र बनाती हैं। 10 यदि कोई ऐसा व्यक्ति है जो इस कारण अपवित्र है कि उसे रात में स्वप्नदोष हो गया हो तो उसे डेरे के बाहर चले जाना चाहिए। उसे डेरे से दूर रहना चाहिए 11 किन्तु जब शाम हो तब उस व्यक्ति को पानी से नहाना चाहिए और जब सूरज डूबे तो उसे डेरे में जाना चाहिए।

12 “तुम्हें डेरे के बाहर शौच के लिए जगह बनानी चाहिए 13 और तुम्हें अपने हथियार के साथ खोदने के लिए एक खन्ती रखनी चाहिए। इसलिए जब तुम मलत्याग करो तब तुम एक गका खोदो और उसे ढक दो। 14 क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे डेरे में शत्रुओं को हराने में तुम्हारी सहायता करने के लिए तुम्हारे साथ है। इसलिए डेरा पवित्र रहना चाहिए। तब यहोवा तुम में कुछ भी घृणित नहीं देखेगा और तुम से आँखें नहीं फेरेगा।

विभिन्न नियम

15 “यदि कोई दास अपने मालिक के यहाँ से भागकर तुम्हारे पास आता है तो तुम्हें उस दास को उसके मालिक को नहीं लौटाना चाहिए। 16 यह दास तुम्हारे साथ जहाँ चाहे वहाँ रह सकता है। वह जिस भी नगर को चुने उसमें रह सकता है। तुम्हें उसे परेशान नहीं करना चाहिए।

17 “कोई इस्राएली स्त्री या पुरुष को कभी देवदासी या देवदास नहीं बनना चाहिए। 18 देवादस या देवदासी का कमाया हुआ धन यहोवा तुम्हारे परमेश्वर के मन्दिर में नहीं लाया जाना चाहिए। कोई व्यक्ति दिये गए वचन के कारण यहोवा को दी जाने वाली चीज के लिए इस धन का उपयोग नहीं कर सकता। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर सभी मन्दिरों के देवदास—देवदासियों से घृणा करता है।

19 “यदि तुम किसी इस्राएली को कुछ उधार दो तो तुम उस पर ब्याज न लो। तुम सिक्कों, भोजन या कोई ऐसी चीज जिस पर ब्याज न लिया जा सेक व्याज न लो। 20 तुम विदेशी से ब्याज ले सकते हो। किन्तु तुम्हें दूसरे इस्राएली से ब्याज नहीं लेना चाहिए। यदि तुम इन नियमों का पालन करोगे तो यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उस देश में, जहाँ तुम रहने जा रहे हो, जो कुछ तुम करोगे उसमें आशीष देगा।

21 “जब तुम यहोवा अपने परमेश्वर को वचन दो, तो जो तुम देने को कहो उन सबको देने में ढीले न पड़ो। यदि तुम वचन दी गई चिज़ों को नहीं दोगे तो पाप करोगे। 22 यदि तुम वचन नहीं देते हो तो तुम पाप नहीं कर रहे हो। 23 किन्तु तुम्हें वह चीज़ें करनी चाहिए जिसे करने के लिए तुमने कहा है कि तुम करोगे। जब तुम स्वतन्त्रता से यहोवा अपने परमेश्वर को वचन दो तो, तुम्हें वचन दी गई बात पूरी करनी चाहिए!

24 “यदि तुम दूसरे व्यक्ति के अंगूर के बाग से होकर जाते हो, तो तुम जितने चाहो उतने अंगूर खा सकते हो। किन्तु तुम कोई अंगूर अपनी टोकरी में नहीं रख सकते। 25 जब तुम दूसरे की पकी अन्न की फसल के खेत से होकर जा रहे हो तो तुम अपने हाथ से जितना उखाड़ा, खा सकते हो। किन्तु तुम हँसिये का उपयोग दूसरे के अन्न को काटने और लेने के लिए नहीं कर सकते।

24“कोई व्यक्ति किसी स्त्री से विवाह करता है, और वह कुछ ऐसी गुप्त चीज उसके बारे में जान सकता है जिसे वह पसन्द नहीं करता। यदि वह व्यक्ति प्रसन्न नहीं है तो वह तलाक पत्रों को लिख सकता है और उन्हें स्त्री को दे सकता है। तब उसे अपने घर से उसको भेज देना चाहिए। 2 जब उसने उसका घर छोड़ दिया है तो वह दूसरे व्यक्ति के पास जाकर उसकी पत्नी हो सकती है। 3-4 किन्तु मान लो कि नया पति भी उसे पसन्द नहीं करता और उसे विदा कर देता है। यदि वह व्यक्ति उसे तलाक देता है तो पहला पति उसे पत्नी के रूप में नहीं रख सकता या यदि नया पति मर जाता है तो पहला पति उसे फिर पत्नी के रूप में नहीं रख सकता। वह अपवित्र हो चुकी है। यदि वह फिर उससे विवाह करता है तो वह ऐसा काम करेगा जिससे यहोवा घृणा करता है। तुम्हें उस देश में ऐसा नहीं करना चाहिए जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें रहने के लिए दे रहा है।

5 “नवविवाहितों को सेना में नहीं भेजना चाहिए और उसे कोई अन्य विशेष काम भी नहीं देना चाहिए। क्योंकि एक वर्ष तक उसे घर पर रहने को स्वतन्त्र होना चाहिए और अपनी नयी पत्नी को सुखी बनाना चाहिए।

6 “यदि किसी व्यक्ति को तुम कर्ज दो तो गिरवी के रूप में उसकी आटा पीसने की चक्की का कोई पाट न रखो। क्यों? क्योंकि ऐसा करना उसे भोजन से वंचित करना होगा।

7 “यदि कोई व्यक्ति अपने लोगों (इस्राएलियों) में से किसी का अपहरण करता हुआ पाया जाये और वह उसका उपयोग दास के रूप में करता हो या उसे बेचता हो तो वह अपहरण करने वाला अवश्य मारा जाना चाहिए। इस प्रकार तुम अपने बीच से इस बुराई को दूर करोगे।

8 “यदि तुम्हें कुष्ठ जैसी बीमारी हो जाये तो तुम्हें लेवीवंशी याजकों की दी हुई सारी शिक्षा स्वीकार करने में सावधान रहना चाहिए। तुम्हें सावधानी से उन सब आदेशों का पालन करना चाहिए जिन्हें देने के लिये मैंने याजकों से कहा है। 9 यह याद रखो कि यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने मरियम के साथ क्या किया जब तुम मिस्र से बाहर निकलने की यात्रा पर थे।

10 “जब तुम किसी व्यक्ति को किसी प्रकार का कर्ज दो तो उसके घर में गिरवी रखी गई चीज़ लेने के लिए मत जाओ। 11 तुम्हें बाहर ही खड़ा रहना चाहिए। तब वह व्यक्ति, जिसे तुमने कर्ज दिया है, तुम्हारे पास गिरवी रखी गई चीज़ लाएगा। 12 यदि वह गरीब है तो वह अपने कपड़े को दे दे, जिससे वह अपने को गर्म रख सकता है। तुम्हें उसकी गिरवी रखी गई चीज़ रात को नहीं रखनी चाहिये। 13 तुम्हें प्रत्येक शाम को उसकी गिरवी रखी गई चीज़ लौटा देनी चाहिए। तब वह अपने वस्त्रों में सो सकेगा। वह तुम्हारा आभारी होगा और यहोवा तुम्हारा परमेश्वर यह देखेगा कि तुमने यह अच्छा काम किया।

14 “तुम्हें किसी मजदूरी पर रखे गए गरीब और जरूरतमन्द सेवक को धोखा नहीं देना चाहिए। इसका कोई महत्व नहीं कि वह तुम्हारा साथी इस्राएली है या वह कोई विदेशी है जो तुम्हारे नगरों में से किसी एक में रह रहा है। 15 सूरज डूबने से पहले प्रतिदिन उसकी मजदूरी दे दो। क्यों क्योंकि वह गरीब है और उसी धन पर आश्रित है। यदि तुम उसका भुगतान नहीं करते तो वह यहोवा से तुम्हारे विरुद्ध शिकायत करेगा और तुम पाप करने के अपराधी होगे।

16 “बच्चों द्वारा किये गए किसी अपराध के लिए पिता को मृत्यु दण्ड नहीं दिया जा सकता और बच्चे को पिता द्वारा किये गए अपराध के लिए मृत्यु दण्ड नहीं दिया जा सकता। किसी व्यक्ति को उसके स्वयं के अपराध के लिये ही मृत्यु दण्ड दिया जा सकता है।

17 “तुम्हें यह अच्छी तरह से देख लेना चाहिए कि विदेशियों और अनाथों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाए। तुम्हें विधवा से उसके वस्त्र कभी गिरवी रखने के लिए नहीं लेने चाहिए। 18 तुम्हें सदा याद रखना चाहिए कि तुम मिस्र में दास थे। यह मत भूलो कि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें वहाँ से बाहर लाया। यही कारण है कि मैं तुम्हें यह करने का आदेश देता हूँ।

19 “तुम अपने खेत की फसल इकट्ठी करते रह सकते हो और तुम कोई पूली भूल से वहाँ छोड़ सकते हो। तुम्हें उसे लेने नहीं जाना चाहिए। यह विदेशियों, अनाथों और विधवाओं के लिए होगा। यदि तुम उनके लिए कुछ अन्न छोड़ते हो तो यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें उन सभी कामों में आशीष देगा जो तुम करोगे। 20 जब तुम अपने जैतून के पेड़ों से फली झाड़ोगे तब तुम्हें शाखाओं की जाँच करने फिर नहीं जाना चाहिए। जो जैतून तुम उसमें छोड़ दोगे वह विदेशियों, अनाथों और विधवाओं के लिये होगा। 21 जब तुम अपने अंगूर के बागों से अंगूर इकट्ठा करो तब तुम्हें उन अंगूरों को लेने नहीं जाना चाहिए जिन्हें तुमने छोड़ दिया था। वे अंगूर विदेशियों, अनाथों और विधवाओं के लिये होंगे। 22 याद रखो कि तुम मिस्र में दास थे। यही कारण है कि मैं तुम्हें यह करने का आदेश दे रहा हूँ।

25“यदि दो व्यक्तियों में झगड़ा हो तो उन्हें अदालत में जाना चाहिये। न्यायाधीश उनके मुकदमें का निर्णय करेंगे और बताएंगे कि कौन व्यक्ति सच्चा है तथा कौन अपराधी। 2 यदि अपराधी व्यक्ति पीटे जाने योग्य है तो न्यायाधीश उसे मुँह के बल लेटाएगा। कोई व्यक्ति उसे न्यायाधीश की आँखों के सामने पीटेगा। वह व्यक्ति उतनी बार पीटा जाएगा जितनी बार के लिए उसका अपराध उपयुक्त होगा। 3 कोई व्यक्ति चालीस बार तक पीटा जा सकता है, किन्तु उससे अधिक नहीं। यदि वह उससे अधिक बार पीटा जाता है तो इससे यह पता चलेगा कि उस व्यक्ति का जीवन तुम्हारे लिये महत्वपूर्ण नहीं।

4 “जब तुम अन्न को अलग करने के लिये पशुओं का उपयोग करो तब उन्हें खाने से रोकने के लिए उनके मुँह को न बाँधो।

5 “यदि दो भाई एक साथ रह रहे हों और उनमें एक पुत्रहीन मर जाए तो मृत भाई की पत्नी का विवाह परिवार के बाहर के किसी अजनबी के साथ नहीं होना चाहिए। उसके पति के भाई को उसके प्रति पति के भाई का कर्तव्य पूरा करना चाहिए। 6 तब जो पहलौठा पुत्र उससे उत्पन्न होगा वह व्यक्ति के मृत भाई का स्थान लेगा। तब मृत—भाई का नाम इस्राएल से बाहर नहीं किया जाएगा। 7 यदि वह व्यक्ति अपने भाई की पत्नी को ग्रहण करना नहीं चाहता, तब भाई की पत्नी को बैठकवाली जगह पर नगर—प्रमुखों के पास जाना चाहिए। उसके भाई की पत्नी को नगर प्रमुखों से कहना चाहिए, ‘मेरे पति का भाई इस्राएल में अपने भाई का नाम बनाए रखने से इन्कार करता है। वह मेरे प्रति अपने भाई के कर्तव्य को पूरा नहीं करेगा।’ 8 तब नगर—प्रमुखों को उस व्यक्ति को बुलाना और उससे बात करनी चाहिए। यदि वह व्यक्ति हठी है और कहता है, ‘मैं उसे नहीं ग्रहण करना चाहता।’ 9 तब उसके भाई की पत्नी नगर प्रमुखों के सामने उसके पास आए। वह उसके पैर से उसके जूते निकाल ले और उसके मुँह पर थूके। उसे कहना चाहिए, ‘यह उस व्यक्ति के साथ किया जाता है जो अपने भाई का परिवार नहीं बसाएगा।’ 10 तब उस भाई का परिवार, इस्राएल में, ‘उस व्यक्ति का परिवार कहा जाएगा जिसने अपने जूते उतार दिये।’

11 “दो व्यक्ति परस्पर झगड़ा कर सकते हैं। उनमें एक की पत्नी अपने पति की सहायता करने आ सकती है। किन्तु उसे दूसरे व्यक्ति के गुप्त अंगों को नहीं पकड़ना चाहिए। 12 यदि वह ऐसा करती है तो उसके हाथ काट डालो, उसके लिये दु:खी मत होओ।

13 “लोगों को धोखा देने के लिये जाली बाट न रखो। उन बाटों का उपयोग न करो जो असली वजन से बहुत कम या बहुत ज्यादा हो। 14 अपने घर में उन मापों को न रखो जो सही माप से बहुत बड़े या बहुत छोटे हों। 15 तुम्हें उन बाटों और मापों का उपयोग करना चाहिए जो सही और ईमानदारी के परिचायक हैं। तुम उस देश में लम्बी आयु वाले होगे जिसे यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर तुमको दे रहा है। 16 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उनसे घृणा करता है जो जाली बाट और माप का उपयोग करके धोखा देते हैं। हाँ, वह उन सभी लोगों से घृणा करता है जो बेईमानी करते हैं।

अमालेक के लोगों को नष्ट कर देना चाहिए

17 “याद रखो कि जब तुम मिस्र से आ रहे थे तब अमालेक के लोगों ने तुम्हारे साथ क्या किया। 18 अमालेक के लोगों ने परमेश्वर का सम्मान नहीं किया था। उन्होंने तुम पर तब आक्रमण किया जब तुम थके हुए और कमजोर थे। उन्होंने तुम्हारे उन सब लोगों को मार डाला जो पीछे चल रहे थे। 19 इसलिए तुम लोगों को अमालेक के लोगों की याद को संसार से मिटा देना चाहिए। यह तुम लोग तब करोगे जब उस देश में जाओगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है। वहाँ वह तुम्हें तुम्हारे चारों ओर के शत्रुओं से छुटकारा दिलाएगा। किन्तु अमालेकियों को नष्ट करना मत भूलो!

समीक्षा

याद रखिए कि परमेश्वर ने आपके लिए क्या किया है

इस पूरे लेखांश में परमेश्वर के लोगों को 'याद रखने' के लिए कहा है (24:9,18,22; 25:17)। विशेष रूप से, उन्हें याद रखना था कि वे मिस्त्र में दास थे और प्रभु उनके परमेश्वर ने उन्हें छुड़ाया (24:18-22)। सच में, आज का लेखांश इन वचनों के साथ समाप्त होता है, 'मत भूलो!' (25:19)।

फिर से गरीबों के साथ एक कड़ी है। क्योंकि वे मिस्त्र में दास थे, उन्हें उन लोगों को याद रखना चाहिए जो कष्ट उठा रहे हैं: अकेले, जिनके पिता नहीं हैं और विधवा (24:21)। उन्हें गरीब और जरुरतमंदो की देखभाल करनी है (व.14)।

गरीबों के प्रति उदारता हर व्यक्ति के विवेक के लिए छोड़ा गया एक मामला नहीं है - यह नियम का एक मामला था। निश्चित ही समाज के लिए यह सही है कि गरीबों की जरूरतों को पूरा करने के लिए नियम बनाए। लेकिन इसे यहाँ पर रूकना नहीं चाहिए। यह हर मसीह की भी बुलाहट है।

जैसा कि पुराने नियम में परमेश्वर के लोगों को यह बात याद रखने के लिए बुलाया गया था कि वे मिस्र में दास थे और परमेश्वर ने उन्हें छुड़ाया था, हम याद करते हैं कि एक समय हम भी पाप के दास थे। यीशु ने आपको उस दासत्व से छुड़ाया है।

नियमित रूप से याद कीजिए कि यीशु ने आपके लिए क्या कर दिया है। यही कारण है कि पवित्र कम्युनियन सभी बहुत महत्वपूर्ण हैं। यीशु ने कहा, 'मेरे स्मरण में यह किया करो' (लूका 22:19)।

मसीह कैलेंण्डर का उद्देश्य है याद रखना। क्रिसमस पर हम वचन के देहधारी होने को याद करते हैं और इसका उत्सव मनाते हैं। पिंतेकुस्त के दिन हम पवित्र आत्मा के ऊँडेले जाने को याद करते हैं और इसका उत्सव मनाते हैं।

मुख्य रूप से, ईस्टर के दिन हम यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान को याद करते हैं और इसका उत्सव मनाते हैं। पुनरुत्थान मसीह कैलेण्डर का सबसे मुख्य भाग है। आरंभिक दिनों से ही, मसीहों ने यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान को याद रखा है, यीशु की याद में ली जाने वाली रोटी और दाखरस के उत्सव की एक सभा में।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद यीशु की देह के लिए जो मेरे लिए दी गई और उनके लहू के लिए जो मेरे लिए बहाया गया। पवित्र आत्मा की सामर्थ के द्वारा, आपका वचन और संस्कार, मेरे विचार और यादें आप पर केंद्रित होने पाएँ।

पिप्पा भी कहते है

'सचेत रहो' (लूका 17:3)।

जैसे ही मैं उस अमीर व्यक्ति और लाजर की कहानी को देखता हूँ, तब मैं सोचने लगता हूँ कि, वह आदमी कितना भयानक था! मैं उसकी तरह नहीं हूँ, मैं ठीक हूँ। लेकिन तब मुझे अपने आपसे पूछने की आवश्यकता है, 'मैं गरीबों की कितनी चिंता करता हूँ?' और मैं समझता हूँ कि अब भी कितना करना बाकी है (16:19)।

और फिर एक व्यक्ति है जिसके 'पाप आपके विरोध में दिन में सात बार हुए हैं' और वह 'सात बार आकर क्षमा माँगता है' (17:4)। एक व्यक्ति उनसे कह सकता है कि, 'यदि तुम सच में पछता रहे हो तो तुम बार-बार इसे नहीं करोगे।' इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि प्रेरितों ने 5वें वचन में कहाँ, 'हमारे विश्वास को बढ़ाये' – मेरे भी विश्वास को।

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संदर्भ

नोट्स:

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

2016 के लिए आवश्यक नोट

ए.डब्ल्यु, वह अकथनीय मसीह, (मसीह प्रकाशन, 1986)

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