दिन 110

परमेश्वर की युक्तिकारक योजना

बुद्धि भजन संहिता 48:1-8
नए करार लूका 19:11-44
जूना करार व्यवस्था विवरण 30:11-31:29

परिचय

मैं लंडन में रहता हूँ। इसकी जनसंख्या 8.3 मिलियन है, यह यूरोप का सबसे बड़ा शहर है और विश्व में इक्कीसवाँ बड़ा शहर है। एक साल में यहाँ पर 15 मिलियन पर्यटक आते हैं। इस शहर में 300 से अधिक भाषाएँ बोली जाती हैं।

शहर सुसमाचार के प्रचार के लिए युक्तिकारक स्थान है। वे हमेशा से रहे हैं। पौलुस प्रेरित सुसमाचार को शहर से शहर में ले गए। ए.डी.100 से पहले, 40 से अधिक मसीह समुदाय भूमध्यसागरीय शहर में थे, जिसमें उत्तरी अफ्रीका और ईटली का कुछ भाग शामिल था। ए.डी.300 तक उस प्रदेश के आधे नागरिक मसीह थे जबकि 90 प्रतिशत देशवासी पैगन (मसीहत को न माननेवाले) थे। पौलुस के अधिकतर पत्र शहरों के लिए लिखे गए थे।

शहर वे स्थान थे जहाँ पर संस्कृति का निर्माण होता था। बहुत से प्रभाव के क्षेत्र शहर से ही निकले थे, जिसमें सरकार, राजनैतिक और नियम को बनाने वाले शामिल हैं; कला और मनोरंजन; व्यवसाय और बाजार; यूनिवर्सिटी और शिक्षा के दूसरे स्थान; मीडिया और वार्तालाप के केंद्र। प्रभाव की नदी शहर से बहती हुई उपनगर और ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचती है। एक संस्कृति को बदलने का तरीका है शहर को बदलना।

इसलिए, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि परमेश्वर की योजनाओं में शहरों ने हमेशा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विषेशतह, एक शहर विश्व तक पहुँचने के लिए परमेश्वर के हृदय के करीब है।

बुद्धि

भजन संहिता 48:1-8

एक भक्ति गीत; कोरह परीवार का एक पद।

48यहोवा महान है!
 वह परमेश्वर के नगर, उसके पवित्र नगर में प्रशंसनीय है।
2 परमेश्वर का पवित्र नगर एक सुन्दर नगर है।
  धरती पर वह नगर सर्वाधिक प्रसन्न है।
 सिय्योन पर्वत सबसे अधिक ऊँचा और सर्वाधिक पवित्र है।
  यह नगर महा सम्राट का है।
3 उस नगर के महलों में
 परमेश्वर को सुरक्षास्थल कहा जाता है।
4 एकबार कुछ राजा आपस में आ मिले
 और उन्हेंने इस नगर पर आक्रमण करने का कुचक्र रचा।
 सभी साथ मिलकर चढ़ाई के लिये आगे बढ़े।
5 राजा को देखकर वे सभी चकित हुए।
 उनमें भगदड़ मची और वे सभी भाग गए।
6 उन्हें भय ने दबोचा,
 वे भय से काँप उठे!
7 प्रचण्ड पूर्वी पवन ने
 उनके जलयानों को चकनाचूर कर दिया।
8 हाँ, हमने उन राजाओं की कहानी सुनी है
 और हमने तो इसको सर्वशक्तिमान यहोवा के नगर में हमारे परमेश्वर के नगर में घटते हुए भी देखा।
 यहोवा उस नगर को सुदृढ़ बनाएगा।

समीक्षा

शहर की सामर्थ

यह भजन 'परमेश्वर के शहर'(यरूशलेम) के विषय में है। लेखांश में सात बार अलग-अलग तरीके से 'शहर' का उल्लेख किया गया है। यह शहर की सुंदरता (व.2) और सुरक्षा का उत्सव मनाता है। इन सबसे अधिक यह इस तथ्य का उत्सव मनाता है कि यह 'हमारे परमेश्वर का शहर' है (वव.1,8), वह स्थान जंहा पर परमेश्वर के मंदिर का निर्माण किया गया और उनकी उपस्थिति वहाँ पर थी (व.3), और एक ऐसा स्थान जो परमेश्वर की सुरक्षा में था (वव.3,8)। यह संपूर्ण विश्व के लिए आशीष का एक स्थान माना जाता थाः 'संपूर्ण पृथ्वी का आनंद' (व.2)।

पौलुस यरुशलेम के भौतिक शहर और इससे भी महान 'यरुशलेम जो ऊपर से है' के बीच में अंतर को बताते हैं (गलातियों 4:26)। वह मसीह चर्च को नये यरुशलेम के रूप में देखते हैं।

प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में, यूहन्ना ने 'पवित्र नगर नये यरुशलेम को स्वर्ग से परमेश्वर के पास उतरते देखा। वह उस दुल्हन के समान थी जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो' (प्रकाशिवाक्य 21:2)। नया यरुशलेम चर्च है, मसीह की दुल्हन। यह वह स्थान है जहाँ पर परमेश्वर सदा के लिए रहेंगे (व.3)।

चर्च को अद्भुत होना चाहिएः'ऊँचाई में सुंदर, और सारी पृथ्वी के हर्ष का कारण' (भजनसंहिता 48:2)। हमें यहॉं पर परमेश्वर की उपस्थिति को महससू करना चाहिए, उनकी सुरक्षा को जानना चाहिए और अपने आस-पास के विश्व के लिए एक आशीष बनना चाहिए।

प्रार्थना

परमेश्वर, चर्च में आपकी उपस्थिति के लिए आपका धन्यवाद। ताकि हम विश्व के लिए एक आशीष का कारण बने।

नए करार

लूका 19:11-44

परमेश्वर जो देता है उसका उपयोग करो

11 वे जब इन बातों को सुन रहे थे तो यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त-कथा सुनाई क्योंकि यीशु यरूशलेम के निकट था और वे सोचते थे कि परमेश्वर का राज्य तुरंत ही प्रकट होने जा रहा है। 12 सो यीशु ने कहा, “एक उच्च कुलीन व्यक्ति राजा का पद प्राप्त करके आने को किसी दूर देश को गया। 13 सो उसने अपने दस सेवकों को बुलाया और उनमें से हर एक को दस दस थैलियाँ दी और उनसे कहा, ‘जब तक मैं लौटूँ, इनसे कोई व्यापार करो।’ 14 किन्तु उसके नगर के दूसरे लोग उससे घृणा करते थे, इसलिये उन्होंने उसके पीछे यह कहने को एक प्रतिनिधि मंडल भेजा, ‘हम नहीं चाहते कि यह व्यक्ति हम पर राज करे।’

15 “किन्तु उसने राजा की पदनी पा ली। फिर जब वह वापस घर लौटा तो जिन सेवकों को उसने धन दिया था उनको यह जानने के लिए कि उन्होंने क्या लाभ कमाया है, उसने बुलावा भेजा। 16 पहला आया और बोला, ‘हे स्वामी, तेरी थैलियों से मैंने दस थैलियाँ और कमायी है।’ 17 इस पर उसके स्वामी ने उससे कहा, ‘उत्तम सेवक, तूने अच्छा किया। क्योंकि तू इस छोटी सी बात पर विश्वास के योग्य रहा। तू दस नगरों का अधिकारी होगा।’

18 “फिर दूसरा सेवक आया और उसने कहा, ‘हे स्वामी, तेरी थैलियों से पाँच थैलियाँ और कमाई हैं।’ 19 फिर उसने इससे कहा, ‘तू पाँच नगरों के ऊपर होगा।’

20 “फिर वह अन्य सेवक आया और कहा, ‘हे स्वामी, यह रही तेरी थैली जिसे मैंने गमछे में बाँध कर कहीं रख दिया था। 21 मैं तुझ से डरता रहा हूँ, क्योंकि तू, एक कठोर व्यक्ति है। तूने जो रखा नहीं है तू उसे भी ले लेता है और जो तूने बोया नहीं तू उसे काटता है।’

22 “स्वामी ने उससे कहा, ‘अरे दुष्ट सेवक, मैं तेरे अपने ही शब्दों के आधार पर तेरा न्याय करूँगा। तू तो जानता ही है कि में जो रखता नहीं हूँ, उसे भी ले लेने वाला और जो बोता नहीं हूँ, उसे भी काटने वाला एक कठोर व्यक्ति हूँ? 23 तो तूने मेरा धन ब्याज पर क्यों नहीं लगाया, ताकि जब मैं वापस आता तो ब्याज समेत उसे ले लेता।’ 24 फिर पास खड़े लोगों से उसने कहा, ‘इसकी थैली इससे ले लो और जिसके पास दस थैलियाँ हैं उसे दे दो।’

25 “इस पर उन्होंने उससे कहा, ‘हे स्वामी, उसके पास तो दस थैलियाँ है।’

26 “स्वामी ने कहा, ‘मैं तुमसे कहता हूँ प्रत्येक उस व्यक्ति को जिसके पास है और अधिक दिया जायेगा और जिसके पास नहीं है, उससे जो उसके पास है, वह भी छीन लिया जायेगा। 27 किन्तु मेरे वे शत्रु जो नहीं चाहते कि मैं उन पर शासन करूँ उनको यहाँ मेरे सामने लाओ और मार डालो।’”

यीशु का यरूशलेम में प्रवेश

28 ये बातें कह चुकने के बाद यीशु आगे चलता हुआ यरूशलेम की ओर बढ़ने लगा। 29 और फिर जब वह बैतफगे और बैतनिय्याह में उस पहाड़ी के निकट पहुँचा जो जैतून की पहाड़ी कहलाती थी तो उसने अपने दो शिष्यों को यह कह कर भेजा, 30 “यह जो गाँव तुम्हारे सामने है वहाँ जाओ। जैसे ही तुम वहाँ जाओगे, तुम्हें गधी के बच्चे वहाँ बँधा मिलेगा जिस पर किसी ने कभी सवारी नहीं की होगी, उसे खोलकर यहाँ ले आओ 31 और यदि कोई तुमसे पूछे तुम इसे क्यों खोल रहे हो, तो तुम्हें उससे यह कहना है, ‘प्रभु को चाहिये।’”

32 फिर जिन्हें भेजा गया था, वे गये और यीशु ने उनको जैसा बताया था, उन्हें वैसा ही मिला। 33 सो जब वे उस गधी के बच्चे को खोल ही रहे थे, उसके स्वामी ने उनसे पूछा, “तुम इस गधी के बच्चे को क्यों खोल रहे हो?”

34 उन्होंने कहा, “यह प्रभु को चाहिये।” 35 फिर वे उसे यीशु के पास ले आये। उन्होंने अपने वस्त्र उस गधी के बच्चे पर डाल दिये और यीशु को उस पर बिठा दिया। 36 जब यीशु जा रहा था तो लोग अपने वस्त्र सड़क पर बिछोते जा रहे थे!

37 और फिर जब वह जैतून की पहाड़ी से तलहटी के पास आया तो शिष्यों की समूची भीड़ उन सभी अद्भुत कार्यो के लिये, जो उन्होंने देखे थे, ऊँचे स्वर में प्रसन्नता के साथ परमेश्वर की स्तुति करने लगी। 38 वे पुकार उठे:

“‘धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम में आता है।’

स्वर्ग में शान्ति हो, और आकाश में परम परमेश्वर की महिमा हो!”

39 भीड़ में खड़े हुए कुछ फरीसियों ने उससे कहा, “गुरु, शिष्यों को मना कर।”

40 सो उसने उत्तर दिया, “मैं तुमसे कहता हूँ यदि ये चुप हो भी जायें तो ये पत्थर चिल्ला उठेंगे।”

यीशु का यरूशलेम के लिए रोना

41 जब उसने पास आकर नगर को देखा तो वह उस पर रो पड़ा। 42 और बोला, “यदि तू बस आज यह जानता कि शान्ति तुझे किस से मिलेगी किन्तु वह अभी तेरी आँखों से ओझल है। 43 वे दिन तुझ पर आयेंगे जब तेरे शत्रु चारों ओर बाधाएँ खड़ी कर देंगे। वे तुझे घेर लेंगे और चारों ओर से तुझ पर दबाव डालेंगे। 44 वे तुझे धूल में मिला देंगे-तुझे और तेरे भीतर रहने वाले तेरे बच्चों को। तेरी चारदीवारी के भीतर वे एक पत्थर पर दूसरा पत्थर नहीं रहने देंगे। क्योंकि जब परमेश्वर तेरे पास आया, तूने उस घड़ी को नहीं पहचाना।”

समीक्षा

शहर के लिए जोश

जैसे ही यीशु यरूशलेम शहर के पास पहुँचते हैं (व.11) वह मुहरों के दृष्टांत को बताते हैं। यह एक दृष्टांत है जो परमेश्वर के राज्य और पृथ्वी के शहर के लिए परमेश्वर की योजनाओं के विषय में, उनकी बातें सुनने वालों की धारणा को चुनौती देता है। एक मुहर तीन महीने की कमाई के बराबर है – एक बड़ा पैसा। इस बात से अंतर पड़ता है कि परमेश्वर ने जो आपको सौंपा है उसका इस्तेमाल आप किस तरह से करते हैं।

आपको ना केवल अपने पैसे का इस्तेमाल करना है, लेकिन उन सभी उपहारों का जो परमेश्वर ने आपको दिया है – इसमें आपका समय, पढ़ाई, नौकरी, हुनर और राजा और उनके राज्य के लाभ के लिए अवसर शामिल हैं।

दिलचस्प बात यह है कि मुहरों की देखरेख करने के लिए भरोसे योग्य ठहरने का यह प्रतिफल था, 'दस शहरों या 'पाँच शहरों' का अधिकारी होना (वव.17,19)।

जब यीशु यरुशलेम शहर में विजयी रूप से प्रवेश करते हैं, 'तब चेलों की पूरी भीड़ ऊँचे स्वर में परमेश्वर की स्तुति करने लगती हैं उन सभी चमत्कारों के लिए जो उन्होंने देखा थाः 'धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम में आता है!''स्वर्ग में शान्ति और आकाश मण्डल में महिमा हो!' (वव.37-38)।

वे यीशु को आने वाले मसीहा के रूप में देखते हैं जो यरुशलेम शहर में राज्य करेंगे, दाऊद राजा के सभी वादों को पूरा करते हुए, शहर को इसके रोमी बंदी बनाने वालों से छुटकारे देते हुए।

किंतु, यीशु के पास एक अलग उद्देश्य था। जैसे ही वह यरूशलेम में आते हैं वह शहर पर दुख व्यक्त करते हैं (व.41)। यीशु शहर के विषय में उत्साहित थे और इस पर उन्हें दया आ रही थी। वह यरुशलेम पर भविष्य में आने वाले विनाश को देख लेते हैं, जो कि ए.डी.70 के वर्ष में आने वाला था। मंदिर का पुन निर्माण नहीं किया गया और यरुशलेम का शहर एक ऐसा स्थान है जिस पर बहुत से आँसू बहाए गए हैं।

दुख की बात यह थी कि यरूशलेम ने 'परमेश्वर के आगमन के समय को नहीं पहचाना' (व.44)। परमेश्वर यीशु के रूप में आए थे। फिर भी यरूशलेम में अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा, उन्होने एक नये यरूशलेम को संभव बनाया।

प्रार्थना

परमेश्वर, जहाँ मैं रहता हूँ वहाँ के लोगों के लिए वही उत्साह और करुणा दीजिए।

जूना करार

व्यवस्था विवरण 30:11-31:29

जीवन या मरण

11 “आज जो आदेश मैं तुम्हें दे रहा हूँ, वह तुम्हारे लिये बहुत कठिन नहीं है। यह तुम्हारी पहुँच के बाहर नहीं है। 12 यह आदेश स्वर्ग में नहीं है जिससे तुम्हें कहना पड़े, ‘हम लोगों के लिये स्वर्ग में कौन जाएगा और उसे हम लोगों के पास लाएगा जिससे हम उसे सुन सकें और उसका अनुसरण कर सकें?’ 13 यह आदेश समुद्र के दूसरे पार नहीं है जिससे तुम यह कहो कि ‘हमारे लिये समुद्र कौन पार करेगा और इसे लाएगा जिससे हम इसे सुन सकें और कर सकें?’ 14 नहीं, यहोवा का वचन तुम्हारे पास है। यह तुम्हारे मूँह और तुम्हारे हृदय में है जिससे तुम इसे कर सको।

15 “मैंने आज तुम्हारे सम्मुख जीवन और मृत्यु, समृद्धि और विनाश रख दिया है। 16 मैं आज तुम्हें आदेश देता हूँ कि यहोवा अपने परमेश्वर से प्रेम करो, उसके मार्ग पर चलो और उसके आदेशों, विधियों और नियमों का पालन करो। तब तुम जीवित रहोगे और तुम्हारा राष्ट्र अधिक बड़ा होगा। और यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें उस देश में आशीर्वाद देगा जिसे अपना बनाने के लिए तुम वहाँ जा रहे हो। 17 किन्तु यदि तुम यहोवा से मुँह फेरते हो और उसकी अनसुनी करते हो तथा दूसरे देवताओं की सेवा और पूजा में बहकाये जाते हो 18 तब तुम नष्ट कर दिये जाओगे। मैं चेतावनी दे रहा हूँ, तुम यरदन नदी के पार के उस देश में लम्बे समय तक नहीं रहोगे जिसमें जाने के लिये तुम तैयार हो और जिसे तुम अपना बनाओगे।

19 “आज मैं तुम्हें दो मार्ग को चुनने की छूट दे रहा हूँ। मैं धरती—आकाश को तुम्हारे चुनाव का साक्षी बना रहा हूँ। तुम जीवन को चुन सकते हो, या तुम मृत्यु को चुन सकते हो। जीवन का चुनना वरदान लाएगा और मृत्यु को चुनना अभिशाप। इसलिए जीवन को चुनो। तब तुम और तुम्हारे बच्चे जीवित रहेंगे। 20 तुम्हें यहोवा अपने परमेश्वर को प्रेम करना चाहिए और उसकी आज्ञा माननी चाहिए। उससे कभी विमुख न हो। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा जीवन है, और यहोवा तुम्हें उस देश में लम्बा जीवन देगा जिसे उसने तुम्हारे पूर्वजों इब्राहीम, इसहाक और याकूब को देने का वचन दिया था।”

यहोशू नया नेता होगा

31तब मूसा आगे बढ़ा और इस्राएलियों से ये बात कही। 2 मूसा ने उनसे कहा, “अब मैं एक सौ बीस वर्ष का हूँ। मैं अब आगे तुम्हारा नेतृत्व नहीं कर सकता। यहोवा ने मुझसे कहा है: ‘तुम यरदन नदी के पार नहीं जाओगे।’ 3 यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे आगे चलेगा! वह इन राष्ट्रों को तुम्हारे लिए नष्ट करेगा। तुम उनका देश उससे छीन लोगे। यहोशू उस पार तुम लोगों के आगे चलेगा। योहवा ने यह कहा है।

4 “यहोवा इन राष्ट्रों के लोगों के साथ वही करेगा जो उसने एमोरियों के राजाओं सीहोन और ओग के साथ किया। उन राजाओं के देश के साथ उसने जो किया वही यहाँ करेगा। यहोवा ने उनके प्रदेशों को नष्ट किया! 5 और यहोवा तुम्हें उन राष्ट्रों को पराजित करने देगा और तुम उनके साथ वह सब करोगे जिसे करने के लिये मैंने कहा है। 6 दृढ़ और साहसी बनो। इन राष्ट्रों से डरो नहीं। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे साथ जा रहा है। वह तुम्हें न छोड़ेगा और न त्यागेगा।”

7 तब मूसा ने यहोशू को बुलाया। जिस समय मूसा यहोशू से बातें कर रहा था उस समय इस्राएल के सभी लोग देख रहे थे। जब मूसा ने यहोशू से कहा, “दृढ़ और साहसी बनो। तुम इन लोगों को उस देश में ले जाओगे जिसे यहोवा ने इनके पूर्वजों को देने का वचन दिया था। तुम इस्राएल के लोगों की सहायता उस देश को लेने और अपना बनाने में करोगे। 8 यहोवा आगे चलेगा। वह स्वयं तुम्हारे साथ है। वह तुम्हें न सहायता देना बन्द करेगा, न ही तुम्हें छोड़ेगा। तुम न ही भयभीत न ही चिंतित हो!”

मूसा व्यवस्था लिखाता है

9 तब मूसा ने इन नियमों को लिखा और लेवी के वंशज याजकों को दे दिया। उनका काम यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक को ले चलना था। मूसा ने इस्राएल के सभी प्रमुखों को नियम दिए। 10 तब मूसा ने प्रमुखों को आदेश दिया। उसने कहा, “हर एक सात वर्ष बाद, स्वतन्त्रता के वर्ष में डेरों के पर्व में इन नियमों को पढ़ो। 11 उस समय इस्राएल के सभी लोग यहोवा, अपने परमेश्वर से मिलने के लिए उस विशेष स्थान पर आएंगे जिसे वे चुनेंगे। तब तुम लोगों में इन नियमों को ऐसे पढ़ना जिससे वे इसे सुन सकें। 12 सभी लोगों, पुरुषों, स्त्री, छोटे बच्चों और अपने नगरों में रहने वाले सभी विदेशियों को इकट्ठा करो। वे नियम को सुनेंगे, और वे यहोवा तुम्हारे परमेश्वर का आदर करना सीखेंगे और वे इस नियम व आदेशों के पालन में सावधान रहेंगे 13 और तब उनके वंशज जो नियम नहीं जानते, इसे सुनेंगे और वे यहोवा तुम्हारे परमेश्वर का सम्मान करना सीखेंगे। वे तब तक सम्मान करेंगे जब तक तुम उस देश में रहोगे जिसे तुम यरदन नदी के उस पार लेने के लिये तैयार हो।”

यहोवा मूसा और यहोशू को बुलाता है

14 यहोवा ने मूसा से कहा, “अब तुम्हारे मरने का समय निकट है। यहोशू को लो और मिलापवाले तम्बू में जाओ। मैं यहोशू को बताऊँगा कि वह क्या करे।” इसलिए मूसा और यहोशू मिलापवाले तम्बू में गए।

15 यहोवा बादलों के एक स्तम्भ के रूप में प्रकट हुआ। बादल का स्तम्भ तम्बू के द्वार पर खड़ा था। 16 यहोवा ने मूसा से कहा, “तुम शीघ्र ही मरोगे और जब तुम अपने पूर्वजों के साथ चले जाओगे तो ये लोग मुझ पर विश्वास करने वाले नहीं रह जायेंगे। वे उस वाचा को तोड़ देंगे जो मैंने इनके साथ की है। वे मुझे छोड़ देंगे और अन्य देवताओं की पूजा करना आरम्भ करेंगे, उन प्रदेशों के बनावटी देवताओं की जिनमें वे जायेंगे। 17 उस समय, मैं इन पर पहुत क्रोधित होऊँगा और इन्हें छोड़ दूँगा। मैं उनकी सहायता करना बन्द करुँगा और वे नष्ट हो जाएँगे। उनके साथ भयंकर घटनायें होंगी और वे विपत्ति में पड़ेंगे। तब वे कहेंगे, ‘ये बुरी घटनायें हम लोगों के साथ इसलिए हो रही हैं कि हमारा परमेश्वर हमारे साथ नहीं है।’ 18 तब मैं उनसे अपना मुँह छिपाऊँगा क्योंकि वे बुरा करेंगे और दूसरे देवताओं की पूजा करेंगे।

19 “इसलिए इस गीत को लिखो और इस्राएली लोगों को सिखाओ। उन्हें इसे गाना सिखाओ। तब इस्राएल के लोगों के विरूद्ध मेरे लिये यह गीत साक्षी रहेगा। 20 मैं उन्हें उस देश में जो अच्छी चीज़ों से भरा—पूरा है तथा जिसे देने का वचन मैंने उनके पूर्वजों को दिया है, ले जाऊँगा और वे जो खाना चाहेंगे, सब पाएंगे। वे सम्पन्नता से भरा जीवन बिताएंगे। किन्तु तब वे दूसरे देवताओं की ओर जाएंगे और उनकी सेवा करेंगे, वे मुझसे मुँह फेर लेंगे तथा मेरी वाचा को तोड़ेंगे, 21 तब उन पर भयंकर आपत्तियाँ आएंगी और वे बड़ी मुसीबत में होंगे। उस समय उनके लोग इस गीत को तब भी जानेंगे और यह उन्हें बताएगा कि वे कितनी बड़ी गलती पर हैं। मैंने अभी तक उनको उस देश में नहीं पहुँचाया है जिसे उन्हें देने का वचन मैंने दिया है। किन्तु मैं पहले से ही जानता हूँ कि वे वहाँ क्या करने वाले हैं, क्योंकि मैं उनकी प्रकृति से परिचित हूँ।”

22 इसलिए मूसा ने उसी दिन गीत लिखा और उसने गीत को इस्राएल के लोगों को सिखाया।

23 तब यहोवा ने नून के पुत्र यहोशू से बातें कीं। यहोवा ने कहा, “दृढ़ और साहसी बनो। तुम इस्राएल के लोगों को उस देश में ले चलोगे जिसे उन्हें देने का मैंने वचन दिया है और मैं तुम्हारे साथ रहूँगा।”

मूसा इस्राएल के लोगों को चेतावनी देता है

24 मूसा ने ये सारे नियम एक पुस्तक में लिखे। जब उसने इसे पूरा कर लिया तब 25 उसने लेवीवंशियों को आदेश दिया (ये लोग यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक की देखभाल करते थे) मूसा ने कहा, 26 “इस व्यवस्था की किताब को लो और योहवा, अपने परमेश्वर के साक्षीपत्र के सन्दूक की बगल में रखो। तब यह वहाँ तुम्हारे विरुद्ध साक्षी होगी। 27 मैं जानता हूँ कि तुम बहुत अड़ियल हो। मैं जानता हूँ तुम मनमानी करना चाहते हो। ध्यान दो, आज जब मैं तुम्हारे साथ हूँ तब भी तुमने यहोवा की आज्ञा मानने से इन्कार किया है। मेरे मरने के बाद तुम योहवा की आज्ञा मानने से और अधिक इन्कार करोगे। 28 अपने सभी परिवार समूहों के प्रमुखों और अधिकारियों को एक साथ बुलाओ। मैं उन्हें यह सब कुछ बताऊँगा और मैं पृथ्वी और आकाश को उनके विरुद्ध साक्षी होने के लिए बुलाऊँगा। 29 मैं जानता हूँ कि मेरी मृत्यु के बाद तुम लोग कुकर्म करोगे। तुम उस मार्ग से हट जाओगे जिस पर चलने का आदेश मैंने दिया है। तब भविष्य में तुम पर आपत्तियाँ आएंगी। क्यों? क्योंकि तुम वह करना चाहते हो जिसे यहोवा बुरा बताता है। तुम उसे उन कामों को करने के कारण क्रोधित करोगे।”

समीक्षा

शहर का व्यक्ति

क्या आपने अपने आपको कभी संदेह, डर या उदासी, व्याकुलता के विचारों से बेचैन पाया है (31:8, ए.एम.पी.)?

ये सामान्य मानवीय भावनाएँ हैं। मूसा ने इनका सामना किया और वह जानते थे कि उनके वारिस, यहोशू, और सभी लोगों को ना केवल भौतिक लड़ाई बल्कि दिमाग की लड़ाई का भी सामना करना पड़ेगा।

जैसे ही मूसा के जीवन का अंत समय निकट आता है, वह लोगों को परमेश्वर के पीछे जाने के लिए चिताते हैं (30:14, एम.एस.जी)। वह उन्हें चिताते हैं कि परमेश्वर से प्रेम करें और उनके रास्तों में चले (व.16, एम.एस.जी.)। वह उन्हें मन फिराने और परमेश्वर की आज्ञा का उलंघन करने के विरोध में चेतावनी देते हैं। वह उन्हें उत्साहित करते हैं कि 'जीवन का चुनाव' करें (व.19, एम.एस.जी)।

आपके दिमाग से इस चुनाव की शुरुवात होती है। आपके विचार आपके शब्द बन जाते हैं। आपके शब्द आपके कार्य बन जाते हैं। हर दिन, जीवन देने वाले विचारों को चुनें।

मूसा का वारिस यहोशू है। वह परमेश्वर के लोगों का नया लीडर है। वह आगे आने वाली बहुत सी लड़ाईयों का सामना करेगा। उससे कहा गया, 'मजबूत और साहसी बनों...तेरे आगे चलने वाला यहोवा है; वह तेरे संग रहेगा, और न तुझे धोखा देगा और न छोड़ देगा; इसलिये मत डर और तेरा मन कच्चा न हो' (31:6,8)।

मूसा ने यह नहीं कहा होता यदि वहाँ पर डरने और निराश होने का कोई कारण न होता। इसके बजाय वह जानते थे कि आगे डर और बहुत सी निराशा की वजह होगी। हर प्रकार की लीडरशिप में एक दर्शन की पकड़ रहने के लिए साहस और रास्ते में आने वाली हर कठिनाई के लिए दोष को सहने की कठोरता का होना आवश्यक है। उन दिनो में और अभी, परमेश्वर के लोगों को मजबूत लीडरशिप की आवश्यकता होती है जोकि साहसी हैं और डरते नहीं हैं या आगे आने वाले विरोध और अड़चन के द्वारा निराश नहीं होते हैं।

डर का उत्तर यह हैः परमेश्वर वायदा करते हैं कि वह उसके साथ जाएंगे ('प्रभु तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारे साथ जाएगा, ' व.6)। आज परमेश्वर आपसे और मुझसे यहीं वादा कर रहे हैं। जब आप पर संदेह और डर का प्रहार होता है तब याद रखिये कि जहाँ कही आप जाते हैं, आपकी परिस्थिति जैसी भी है, आप परमेश्वर से मांग सकते हैं कि वह आपके आगे चले और रास्ते को तैयार करें। इसलिए, आप निर्भीक हो सकते हैं और आपको डरने की आवश्यकता नहीं है।

फिर मूसा उनसे कहते हैं, 'मंदिर वाले पर्व पर, जब सब इस्राएली तेरे परमेश्वर यहोवा के उस स्थान पर जिसे वह चुन लेगा आकर इकट्ठें हो, तब यह व्यवस्था सब इस्रालियों को पढ़कर सुनाना...' (वव.10-11)।

निश्चित ही, 'जिस स्थान को वह चुनेंगे' वह यरुशलेम शहर है। मंदिर वाले पर्व पर, लोग यरुशलेम जाएँगे उस समय का उत्सव मनाने के लिए, जब परमेश्वर ने मूसा के द्वारा जंगल में एक चट्टान में से पानी बाहर निकाला था। वे परमेश्वर को धन्यवाद देंगे पिछले वर्ष में पानी को प्रदान करने के लिए और प्रार्थना करेंगे कि आने वाले वर्ष में भी वह ऐसा ही करें। पानी को पमरेश्वर के अनुग्रह के एक चिह्न और आत्मिक ताजगी के एक प्रतीक के रूप में भी देखा जाता था (उदाहरण के लिए, 1कुरिंथियो 10:3-4 देखें)।

मंदिर वाले पर्व के अंतिम और महान दिन पर, 'यीशु खड़े हुए और घोषणा की, 'यदि कोई प्यासा है तो वह मेरे पास आए और पीए। जो मुझमें विश्वास करता है, जैसा कि वचन ने कहा है, 'उसमें से जीवित जल की धाराएँ बहेंगी' (यूहन 7:37-38, आर.एस.व्ही.)। वह बता रहें थे कि यें वायदे एक स्थान में नहीं बल्कि एक व्यक्ति में पूरी होंगी।

यीशु में से जीवित जल की नदियाँ बहेंगी। इसी आधार पर, जीवित जल की धाराएँ हर मसीह में से बहेंगी! ('जो कोई मुझमें विश्वास करता है, व.38)। यीशु कहते हैं, आपमें से यह नदी बहेगी, दूसरों के लिए जीवन, फलदायीपन और चंगाई को लाते हुए।

प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में इसी चित्र को दुबारा से लिया गया है, जहाँ पर हम यरूशलेम शहर की परिपूर्णता को देखते हैं (प्रकाशितवाक्य 22:1-3)। जैसा कि बाईबल के इतिहास के आरंभ में अदन से एक नदी बही थी (उत्पत्ति 2:10), इसलिए अब अंत के समय में, नये स्वर्ग और पृथ्वी में, परमेश्वर के इस शहर से एक नदी बहती है, जहाँ पर परमेश्वर मनुष्यों के साथ सदा के लिए अपने घर को बनाते हैं।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि आप सर्वदा मरे साथ रहने का वायदा करते हैं और क्योंकि आप मुझे कभी नहीं छोड़ेंगे और ना कभी त्यागेंगे। मुझे अपनी पवित्र आत्मा से भर दीजिए ताकि आज मेरे हृदय से जीवित जल की धाराएँ बह सकें।

पिप्पा भी कहते है

व्यवस्थाविवरण 31:6

'मजबूत और साहसी बनों, उनसे न डर और न भयभीत हो; क्योंकि तेरे संग चलने वाला तेरा परमेश्वर यहोवा है; वह तुझ को धोखा न देगा और न छोड़ेगा।'

यह मेरे जीवन का महत्वपूर्ण वचन है

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संदर्भ

नोट्स:

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

जिन वचनों को \[आरएसवी RSV\] से चिन्हित किया गया है वे बाइबल के रिवाइज्ड स्टैंडर्ड संस्करण से लिए गए हैं, कॉपीराइट © 1946, 1952, और 1971 युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरीका में द डिविजन ऑफ एज्युकेशन ऑफ द नैशनल काउंसिल ऑफ द चर्चेस. अनुमति द्वारा उपयोग किये गए हैं. सभी अधिकार सुरक्षित.

एक साल में बाइबल

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