दिन 115

जीवन जीने के दो तरीके

बुद्धि भजन संहिता 50:16-23
नए करार लूका 22:39-62
जूना करार यहोशू 5:13-7:26

परिचय

एल्बट आईंस्टिन ने कहा, 'अपने जीवन को जीने के केवल दो तरीके हैं. पहला है जैसे कोई चमत्कार नहीं है. दूसरा है कि जैसे सबकुछ एक चमत्कार है.'

यीशु ने कहा कि – आखिरकार – जीने के केवल दो तरीके हैं: दो रास्ते हैं; दो फाटक हैं; दो मंजिल हैं और दो समूह के लोग हैं (मत्ती7:13-14 देखे). आज के लेखांश में हम जीवन के विपरीत तरीकों को देखेंगे.

बुद्धि

भजन संहिता 50:16-23

16 दुष्ट लोगों से परमेश्वर कहता है,
 “तुम मेरी व्यवस्था की बातें करते हो,
 तुम मेरे वाचा की भी बातें करते हो।
17 फिर जब मैं तुमको सुधारता हूँ, तब भला तुम मुझसे बैर क्यों रखते हो।
 तुम उन बातों की उपेक्षा क्यों करते हो जिन्हें मैं तुम्हें बताता हूँ?
18 तुम चोर को देखकर उससे मिलने के लिए दौड़ जाते हो,
 तुम उनके साथ बिस्तर में कूद पड़ते हो जो व्यभिचार कर रहे हैं।
19 तुम बुरे वचन और झूठ बोलते हो।
20 तुम दूसरे लोगों की यहाँ तक की
 अपने भाईयों की निन्दा करते हो।
21 तुम बुरे कर्म करते हो, और तुम सोचते हो मुझे चुप रहना चाहिए।
 तुम कुछ नहीं कहते हो और सोचते हो कि मुझे चुप रहना चहिए।
 देखो, मैं चुप नहीं रहूँगा, तुझे स्पष्ट कर दूँगा।
 तेरे ही मुख पर तेरे दोष बताऊँगा।
22 तुम लोग परमेश्वर को भूल गये हो।
 इसके पहले कि मैं तुम्हे चीर दूँ, अच्छी तरह समझ लो।
 जब वैसा होगा कोई भी व्यक्ति तुम्हें बचा नहीं पाएगा!
23 यदि कोई व्यक्ति मेरी स्तुति और धन्यवादों की बलि चढ़ाये, तो वह सचमुच मेरा मान करेगा।
 यदि कोई व्यक्ति अपना जीवन बदल डाले तो उसे मैं परमेश्वर की शक्ति दिखाऊँगा जो बचाती है।”

समीक्षा

परमेश्वर के प्रति दो व्यवहार: नफरत या सम्मान

जब इसकी बात आती है, तब परमेश्वर के प्रति केवल दो संभव व्यवहार हैं. हम उनका सम्मान कर सकते हैं या हम उनसे नफरत कर सकते हैं. क्योंकि परमेश्वर कहते हैं, 'जो धन्यवाद रूपी बलिदान चढ़ाते हैं, वे मेरा सम्मान करते हैं' (व.23). इसके विपरीत वह लोग हैं जो 'मेरे निर्देश से नफरत करते हैं' (व.17अ).

जो लोग परमेश्वर से 'नफरत' करते हैं वह उनकी अवहेलना करते हैं और 'परमेश्वर को भूल जाते हैं' (व.22). बीसवीं शताब्दी ने उन लोगों के भयानक परिणामों को देखा जो परमेश्वर को भूल गए थे और उनके निर्देश से नफरत करते थे.

जैसा कि महान रशियन नॉवेलिस्ट, एलेक्स्जेंडर सोल्जनिसिन ने उस बड़ी विपदा को देखा 'जिसने 60 मिलियन रशियन लोगों को निगल लिया, ' उन्होने देखा कि बीसवीं शताब्दी की मूलभूत विशेषता था कि 'लोग परमेश्वर को भूल गए थे.'

यह बात दूसरे लोगों पर लागू नहीं होती है; यह हम सभी पर लागू होती है. क्या आपने कभी महसूस किया है कि संभव रूप से क्योंकि आपके जीवन में सबकुछ अच्छा होता हुआ दिख रहा था, और आप प्रार्थना करना, बाईबल पढ़ना परमेश्वर को सभी आशीषों के लिए धन्यवाद देना भूल गए? यह लगभग ऐसा है कि आप परमेश्वर को धन्यवाद देना भूल गए हैं? हमारे जीवन में ऐसे समय होते हैं जब हम परमेश्वर को भूल जाते हैं और वस्तुओं को खराब कर लेते हैं.

परमेश्वर को भूलने के विपरीत है, उनका सम्मान करने का एक जीवन- धन्यवादिता और स्तुती से भरा जीवन यह स्तुती का जीवन है जो मेरा सम्मान करता है. जैसे ही तुम रास्ते पर अपना कदम बढ़ाते हो, वैसे ही मैं तुम्हे अपना उद्धार दिखाऊँगा' (व.23, एम.एस.जी.).

प्रार्थना

परमेश्वर, आज मैं आपका सम्मान करना चाहता हूँ धन्यवादिता के एक बलिदान को चढ़ाने के द्वारा. उन सभी आशीषों के लिए आपका धन्यवाद जो आपने मुझे व्यक्तिगत रूप से दी हैं...

नए करार

लूका 22:39-62

प्रेरितों को प्रार्थना का आदेश

39-40 फिर वह वहाँ से उठ कर नित्य प्रति की तरह जैतून — पर्वत चला गया। और उसके शिष्य भी उसके पीछे पीछे हो लिये। वह जब उस स्थान पर पहुँचा तो उसने उनसे कहा, “प्रार्थना करो कि तुम्हें परीक्षा में न पड़ना पड़े।”

41 फिर वह किसी पत्थर को जितनी दूर तक फेंका जा सकता है, लगभग उनसे उतनी दूर अलग चला गया। फिर वह घुटनों के बल झुका और प्रार्थना करने लगा, 42 “हे परम पिता, यदि तेरी इच्छा हो तो इस प्याले को मुझसे दूर हटा किन्तु फिर भी मेरी नहीं, बल्कि तेरी इच्छा पूरी हो।” 43 तभी एक स्वर्गदूत वहाँ प्रकट हुआ और उसे शक्ति प्रदान करने लगा। 44 उधर यीशु बड़ी बेचैनी के साथ और अधिक तीव्रता से प्रार्थना करने लगा। उसका पसीना रक्त की बूँदों के समान धरती पर गिर रहा था। 45 और जब वह प्रार्थना से उठकर अपने शिष्यों के पास आया तो उसने उन्हें शोक में थक कर सोते हुए पाया। 46 सो उसने उनसे कहा, “तुम सो क्यों रहे हो? उठो और प्रार्थना करो कि तुम किसी परीक्षा में न पड़ो।”

यीशु को बंदी बनाना

47 वह अभी बोल ही रहा था कि एक भीड़ आ जुटी। यहूदा नाम का एक व्यक्ति जो बारह शिष्यों में से एक था, उनकी अगुवाई कर रहा था। वह यीशु को चूमने के लिये उसके पास आया।

48 पर यीशु ने उससे कहा, “हे यहूदा, क्या तू एक चुम्बन के द्वारा मनुष्य के पुत्र को धोखे से पकड़वाने जा रहा है।” 49 जो घटने जा रहा था, उसे देखकर उसके आसपास के लोगों ने कहा, “हे प्रभु, क्या हम तलवार से वार करें?” 50 और उनमें से एक ने तो प्रमुख याजक के दास पर वार करके उसका दाहिना कान ही काट डाला।

51 किन्तु यीशु ने तुरंत कहा, “उन्हें यह भी करने दो।” फिर यीशु ने उसके कान को छू कर चंगा कर दिया।

52 फिर यीशु ने उस पर चढ़ाई करने आये प्रमुख याजकों, मन्दिर के अधिकारियों और बुजुर्ग यहूदी नेताओं से कहा, “क्या तुम तलवारें और लाठियाँ ले कर किसी डाकू का सामना करने निकले हो? 53 मन्दिर में मैं हर दिन तुम्हारे ही साथ था, किन्तु तुमने मुझ पर हाथ नहीं डाला। पर यह समय तुम्हारा है। अन्धकार के शासन का काल।”

पतरस का इन्कार

54 उन्होंने उसे बंदी बना लिया और वहाँ से ले गये। फिर वे उसे प्रमुख याजक के घर ले गये। पतरस कुछ दूरी पर उसके पीछे पीछे आ रहा था। 55 आँगन के बीच उन्होंने आग सुलगाई और एक साथ नीचे बैठ गये। पतरस भी वही उन्हीं में बैठा था। 56 आग के प्रकाश में एक दासी ने उसे वहाँ बैठे देखा। उसने उस पर दृष्टि गढ़ाते हुए कहा, “यह आदमी भी उसके साथ था।”

57 किन्तु पतरस ने इन्कार करते हुए कहा, “हे स्त्री, मैं उसे नहीं जानता।” 58 थोड़ी देर बाद एक दूसरे व्यक्ति ने उसे देखा और कहा, “तू भी उन्हीं में से एक है।”

किन्तु पतरस बोला, “भले आदमी, मैं वह नहीं हूँ।”

59 कोई लगभग एक घड़ी बीती होगी कि कोई और भी बलपूर्वक कहने लगा, “निश्चय ही यह व्यक्ति उसके साथ भी था। क्योंकि देखो यह गलील वासी भी है।”

60 किन्तु पतरस बोला, “भले आदमी, मैं नहीं जानता तू किसके बारे में बात कर रहा है।”

उसी घड़ी, वह अभी बातें कर ही रहा था कि एक मुर्गे ने बाँग दी। 61 और प्रभु ने मुड़ कर पतरस पर दृष्टि डाली। तभी पतरस को प्रभु का वह वचन याद आया जो उसने उससे कहा था, “आज मुर्गे के बाँग देने से पहले तू मुझे तीन बार नकार चुकेगा।” 62 तब वह बाहर चला आया और फूट-फूट कर रो पड़ा।

समीक्षा

जीने के दो रास्तेः परमेश्वर की इच्छा या आपकी इच्छा

क्या आपने अपने आपको कभी ऐसी स्थिति में पाया है, जहाँ पर आपको करने के लिए सही चीज पता थी, लेकिन आपको यह भी पता था कि सही चीज बहुत कठिन और महँगी हैं? क्या कभी आपको सरल रास्ता चुनने का प्रलोभन आया है?

इस लेखांश में, हम देखते हैं कि यीशु पूरी तरह से परमेश्वर थे, और पूरी तरह से मनुष्य थे. पहला, उन्होंने क्रूस का भयानक कष्ट सहा. उन्होंने 'घुटनों पर आकर प्रार्थना की' (व.41), 'हे पिता, यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, तब भी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो.' (व.42).

यीशु की मानवता को उनकी वेदना में और 'भूमि पर लहू के समान गिरते हुए' पसीने में देखा जा सकता है (व.44). सारी कठिनाईयों के बावजूद, उन्होंने अपने ऊपर परमेश्वर की इच्छा को चुना, और 'स्वर्ग से एक स्वर्गदूत आकर उन्हें मजबूत करने लगा' (व.43).

आप कभी उतनी बड़ी चुनौती का सामना नहीं करेंगे जितना कि यीशु ने किया. लेकिन आपके जीवन में ऐसे समय आऐंगे जब परमेश्वर आपसे उनकी इच्छा को चुनने के लिए इसके बजाय कि आप क्या चाहते हैं. हर बलिदान में, बड़े या छोटे में, परमेश्वर की सामर्थ को माँगे कि अपनी इच्छा के ऊपर उनकी इच्छा को आप चुन पाएँ, जैसा कि यीशु ने किया.

दूसरी ओर, यहूदा ने अपनी इच्छा चुनी. एक चुम्बन के द्वारा उसने उसे पकड़वाया जो कि उससे प्रेम करते थे. हम यीशु और यहूदा के बीच में एक बड़े अंतर को देखते हैं. एक तरफ, जैसे ही यीशु ने प्रार्थना की, 'स्वर्ग से एक स्वर्गदूत आकर उसे मजबूत करने लगा' (व.43). दूसरी ओर, हम देखते हैं यहूदा के पकड़वाने वाले कार्य का परिणाम - 'जब अंधकार राज्य करता है' (व.53) - यह नरक है.

यदि आप महसूस करते हैं, जैसा कि मैं महसूस करता हूँ कि आप कभी भी बिल्कुल यीशु की तरह नहीं हो सकते हैं, लेकिन निश्चित ही आप यहूदा की तरह नहीं बनना चाहेंगे, फिर पतरस हमें आशा देते हैं. पतरस ने चीजे खराब कर दी थी, जैसा कि मैं अक्सर करता हूँ, और फिर भी परमेश्वर ने उसका इस्तेमाल किया.

पतरस की पहली गलती थी 'थोड़ी दूर तक' यीशु के पीछे-पीछे जाना (व.54). जब दूसरे यीशु के प्रति आक्रमक हैं, तब अपने और उनके बीच में थोड़ी दूरी रखने का प्रलोभन आता है - यीशु के साथ बहुत नजदीक से न चलना. यह रास्ता अंत में सीधे नकारने की ओर ले गया (वव.57-58,60).

जब यीशु ने मुड़कर सीधे पतरस की ओर देखा (व.61), पतरस जानता था कि उसने इसे कर दिया है और 'बहुत रोया' (व.62). यहूदा की तरह, पतरस असफल हो चुका था. फिर भी उसका भविष्य यहूदा से बहुत अलग था. परमेश्वर पतरस का इस्तेमाल करते रहे, शायद से मसीह कलीसिया के संपूर्ण इतिहास में सबसे अधिक. पतरस और यहूदा के बीच अंतर था, असफलता के प्रति उनकी प्रतिक्रिया. पतरस बहुत पछताया और उसने यीशु से क्षमा और छुटकारे को ग्रहण किया (यूहन्ना 21 देखे). यह हम सभी को भी आशा देती है.

पतरस की तरह ही, हम सभी के लिए हमारे बीते हुए कल के पछतावे और हमारे आज के संदेश (mess-age) बन सकते हैं. हमारी परीक्षा हमारे लिए गवाही बन सकती है.

प्रार्थना

पिता, आज मुझे अपनी पवित्र आत्मा से भर दीजिए और यीशु की तरह ही, यह कहने में मेरी सहायता कीजिए कि, 'मेरी इच्छा नहीं, पर तेरी इच्छा पूरी हो' (व.42).

जूना करार

यहोशू 5:13-7:26

यहोवा की सेना का सेनापति

13 जब यहोशू यरीहो के निकट था तब उसने ऊपर आँख उठायी और उसने अपने सामने एक व्यक्ति को देखा। उस व्यक्ति के हाथ में तलवार थी। यहोशू उस व्यक्ति के पास गया और उससे पूछा, “क्या तुम हमारे मित्रों में से कोई हो या हमारे शत्रुओं में से?”

14 उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, “मैं शत्रु नहीं हूँ। मैं यहोवा की सेना का एक सेनापति हूँ। मैं अभी—अभी तुम्हारे पास आया हूँ।”

तब यहोशू ने अपना सिर भूमि तक झुकाया। यह उसने सम्मान प्रकट करने के लिए किया। उसने पूछा, “क्या मेरे स्वामी का मुझ दास के लिए कोई आदेश है?”

15 यहोवा की सेना के सेनापति ने उत्तर दिया, “अपने जूते उतारो। जिस स्थान पर तुम खड़े हो वह स्थान पवित्र है।” इसलिए यहोशू ने उसकी आज्ञा मानी।

6यरीहो नगर के द्वार बन्द थे। उस नगर के लोग भयभीत थे क्योंकि इस्राएल के लोग निकट थे। कोई नगर में नहीं जा रहा था और कोई नगर से बाहर नहीं आ रहा था।

2 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “देखो, मैंने यरीहो नगर को तुम्हारे अधिकार में दे दिया है। इसका राजा और इसके सारे सैनिक तुम्हारे अधीन हैं। 3 हर एक दिन अपनी सेना के साथ नगर के चारों ओर अपना बल प्रर्दशन करो। यह छ: दिन तक करो। 4 बकरे के सींगों की बनी तुरहियों को लेकर सात याजकों को चलने दो। याजकों से कहो कि वे पवित्र सन्दूक के सामने चलें। सातवें दिन नगर के चारों ओर सात फेरे करो, याजकों से कहो कि वे चलते समय तुरही बजाएं। 5 याजक तुरहियों से प्रचन्ड ध्वनि करेंगे। जब तुम वह ध्वनि सुनो तो तुम सब लोगों से गर्जन आरम्भ करने को कहो। जब तुम ऐसा करोगे तो नगर की दीवारें गिर जाएंगी। तब तुम्हारे लोग सीधे नगर में जाएंगे।”

यरीहो पर कब्जा

6 इस प्रकार नून के पुत्र यहोशू ने याजकों को इकट्ठा किया। यहोशू ने उनसे कहा, “यहोवा के पवित्र सन्दूक को ले चलो और सात याजकों को तुरही ले चलने को कहो। उन याजकों को सन्दूक के सामने चलना चाहिए।”

7 तब यहोशू ने लोगों को आदेश दिया, “जाओ! और नगर के चारों ओर बल परिक्रमा करो। अस्त्र—शस्त्र वाले सैनिक यहोवा के पवित्र सन्दूक के आगे चलें।”

8 जब यहोशू ने लोगों से बोलना पूरा किया तो यहोवा के सामने सात याजकों ने चलना आरम्भ किया। वे सात तुरहियाँ लिए हुए थे। चलते समय वे तुरहियाँ बजा रहे थे। यहोवा के सन्दूक को लेकर चलने वाले याजक उनके पीछे चल रहे थे। 9 अस्त्र—शस्त्र धारी सैनिक याजकों के आगे चल रहे थे। पवित्र सन्दूक के पीछे चलन वाले लोग तुरही बजा रहे थे तथा कदम मिला रहे थे। 10 किन्तु यहोशू ने लोगों से कहा था कि युद्ध की ललकार न दें। उसने कहा, “ललकारो नहीं। उस दिन तक तुम कोई ललकार न दो, जिस दिन तक मैं न कहूँ। मेरे कहने के समय तुम ललकार सकते हो!”

11 इसलिए यहोशू ने याजकों को यहोवा के पवित्र सन्दूक को नगर के चारों ओर ले जाने का आदेश दिया। तब वे अपने डेरे में लौट गए और रात भर वहीं ठहरे।

12 दूसरे दिन, सवेरे यहोशू उठा। याजक फिर यहोवा के पवित्र सन्दूक को लेकर चला 13 और सातों याजक सात तुरहियाँ लेकर चले। वे यहोवा के पवित्र सन्दूक के सामने तुरहियाँ बजाते हुए कदम से कदम मिला रहे थे। उनके सामने अस्त्र—शस्त्र धारी सैनिक चल रहे थे। यहोवा के सन्दूक के पीछे चलने वाले सैनिक याजक तुरहियाँ बजाते हुए कदम मिला रहे थे। 14 इसलिए दूसरे दिन, उन सब ने एक बार नगर के चारों ओर चक्कर लगाया और तब वे अपने डेरों मे लौट गए। उन्होंने लगातार छ: दिन तक यह किया।

15 सातवें दिन वे भोर में उठे और उन्होंने नगर के चारों ओर सात चक्कर लगाए। उन्होंने उसी प्रकार नगर का चक्कर लगाया जिस तरह वे उसके पहले लगा चुके थे, किन्तु उस दिन उन्होंने सात चक्कर लगाए। 16 सातवीं बार जब उन्होंने नगर का चक्कर लगाया तो याजकों ने अपनी तुरहियाँ बजाईं। उस समय यहोशू ने आदेश दियाः “अब निनाद करो! यहोवा ने यह नगर तुम्हें दिया है! 17 नगर और इसमें की हर एक चीज यहोवा की है। केवल वेश्या राहाब और उसके घर में रहने वाले लोग ही जीवित रहेंगे। ये मारे नहीं जाने चाहिए क्योंकि राहाब ने उन दो गुप्तचरों की सहायता की थी, जिन्हें हमने भेजा था। 18 यह भी याद रखो कि हमें इसके अतिरिक्त सभी चीज़ों को नष्ट करना है। उन चीजों को मत लो। यदि तुम उन चीज़ों को लेते हो और अपने डेरों में लाते हो तो तुम स्वयं नष्ट हो जाओगे और तुम अपने सभी इस्राएली लोगों पर भी मुसीबत लाओगे 19 सभी चाँदी, सोने, काँसे तथा लोहे की बनी चीजें यहोवा की हैं। ये चीज़ें यहोवा के खजाने में ही रखी जानी चाहिए।”

20 याजकों ने तुरहियाँ बजाईं। लोगों ने तुरहियों की आवाज सुनी और ललकार लगानी आरम्भ की। दीवारें गिरीं और लोग सीधे नगर में दौड़ पड़े। इस प्रकार इस्राएल के लोगों ने नगर को हराया। 21 लोगों ने नगर की हर एक चीज़ नष्ट की। उन्होंने वहाँ के हर एक जीवित प्राणी को नष्ट किया। उन्होंने युवक, वृद्ध, युवतियों, वृद्धाओं, भेड़ों और गधों को मार डाला।

22 यहोशू ने उन व्यक्तियों से बातें कीं जिन्हें उसने प्रदेश के विषय में पता लगाने भेजा था। यहोशू ने कहा, “उस वेश्या के घर जाओ। उसे बाहर लाओ और उन लोगों को भी बाहर लोओ जो उसके साथ हैं। यह तुम इसलिए करो कि तुमने उसे वचन दिया है।”

23 दोनों व्यक्ति घर में गए और राहाब को बाहर लाए। उन्होंने उसके पिता, माँ, भाईयों, उसके समूचे परिवार और उसके साथ के अन्य सभी को बाहर निकाला। उन्होंने इस्राएल के डेरे के बाहर इन सभी लोगों को सुरक्षित रखा।

24 तब इस्राएल के लोगों ने सारे नगर को जला दिया। उन्होंने सोना, चाँदी, काँसा, और लोहे से बनी चीजों के अतिरिक्त सभी चीज़ों को जला दिया। ये चीज़ें यहोवा के खाजाने के लिए बचा ली गईं। 25 यहोशू ने राहाब, उसके परिवार और उसके साथ के व्यक्तियों को बचा लिया। यहोशू ने उन्हें जीवित रहने दिया क्योंकि राहाब ने उन लोगों की सहायता की थी, जिन्हें उसने यरीहो में जासूसी करने के लिए भेजा था। राहाब अब भी इस्राएल के लोगों में अपने वंशजों के रूप में रहती है।

26 उस समय, यहोशू ने शपथ के साथ महत्वपूर्ण बातें कहीं उसने कहा:

“कोई व्यक्ति जो यरीहो नगर के पुन: निर्माण का प्रयत्न करेगा
यहोवा की ओर से खतरे में पड़ेगा।
जो व्यक्ति नगर की नींव रखेगा,
अपने पहलौठे पुत्र को खोएगा।
जो व्यक्ति फाटक लगाएगा वह अपने
सबसे छोटे पुत्र को खोएगा।”

27 यहोवा, योहशू के साथ था और इस प्रकार यहोशू पूरे देश में प्रसिद्ध हो गया।

आकान का पाप

7किन्तु इस्राएल के लोगों ने यहोवा की आज्ञा नहीं मानी। यहूदा परिवार समूह का एक व्यक्ति कर्म्मी का पुत्र और जब्दी का पौत्र जिसका नाम आकान था। आकान ने वे कुछ चीज़ें रख लीं जिन्हें नष्ट करना था। इसलिए यहोवा इस्राएल के लोगों पर बहुत क्रोधित हुआ।

2 जब वे यरीहो को पराजित कर चुके तब यहोशू ने कुछ लोगों को ऐ भेजा। ऐ, बेतेल के पूर्व बेतावेन के पास था। यहोशू ने उनसे कहा, “ऐ जाओ और उस क्षेत्र की कमजोरियों को देखो।” इसलिए लोग उस देश में जासूसी करने गए।

3 बाद में वे व्यक्ति यहोशू के पास लौटकर आए। उन्होंने कहा, “ऐ कमजोर क्षेत्र है। हम लोगों को उन्हें हराने के लिए अपने सभी लोगों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। वहाँ लड़ने के लिए दो हजार या तीन हजार व्यक्तियों को भेजो। अपने सभी लोगों को उपयोग करने की आवश्यकता वहाँ नहीं है। वहाँ पर थोड़े ही व्यक्ति हम लोगों के विरुद्ध लड़ने वाले हैं।”

4-5 इसलिए लगभग तीन हजार व्यक्ति ऐ गए। किन्तु ऐ के लोगों ने लगभग छत्तीस इस्राएल के व्यक्तियों को मार गिराया और इस्राएल के लोग भाग खड़े हुए। ऐ के लोगों ने नगर—द्वार से लगातार पत्थर की खदानों तक पीछा किया। इस प्रकार ऐ के लोगों ने उन्हें बुरी तरह पीटा।

जब इस्राएल के लोगों ने यह देखा तो वे बहुत भयभीत हो उठे और साहस छोड़ बैठे। 6 जब यहोशू ने इसके बारे में सुना तो उसने अपने वस्त्र फाड़ डाले। वह पवित्र सन्दूक के सामने जमीन पर लेट गया। यहोशू वहाँ शाम तक पड़ा रहा। इस्राएल के नेताओं ने भी यही किया। उन्होंने अपने सिरों पर धूलि डाली।

7 तब यहोशू ने कहा, “यहोवा, मेरे स्वामी! तू हमारे लोगों को यरदन नदी के पार लाया। किन्तु तू हमें इतनी दूर क्यों लाया और तब एमोरी लोगों द्वारा हमें क्यों नष्ट होने देता है? हम लोग यरदन नदी के दूसरे तट पर ठहरे रहते और सन्तुष्ट रहते। 8 मेरे योहवा, मैं शपथ पूर्वक कहता हूँ कि अब ऐसा कुछ नहीं है जिसे मैं तुझसे कह सकूँ। इस्राएल ने शुत्रओं के सामने समर्पण कर दिया है। 9 कनानी और इस देश के सभी लोग वह सुनेंगे जो हुआ, तब वे हम लोगों के विरुद्ध आएंगे और हम सभी को मार डालेंगे। तब तू अपने महान नाम की रक्षा के लिये क्या करेगा?”

10 यहोवा ने यहोशू से कहा, “खड़े हो जाओ। तुम मूँह के बल क्यों गिरे हो? 11 इस्राएल के लोगों ने मेरे विरुद्ध पाप किया। उन्होंने मेरी उस वाचा को तोड़ा, जिसके पालन का आदेश मैंने दिया था। उन्होंने वे कुछ चीज़ें लीं जिन्हें नष्ट करने का आदेश मैंने दिया है। उन्होंने मेरी चोरी की है। उन्होंने झूठी बात कही है। उन्होंने वे चीज़ें अपने पास रखी हैं। 12 यही कारण है कि इस्राएल की सेना युद्ध से मुँह मोड़ कर भाग खड़ी हुई। यह उनकी बुराई के कारण हुआ। उन्हें नष्ट कर देना चाहिए। मैं तुम्हारी सहायता नहीं करता रहूँगा। मैं तब तक तुम्हारे साथ नहीं रह सकूँगा जब तक तुम यह नहीं करते। तुम्हें उस हर चीज़ को नष्ट करना चाहिए, जिसे मैंने नष्ट करने का आदेश दिया है।

13 “अब तुम जाओ और लोगों को पवित्र करो। लोगों से कहो, ‘वे अपने को पवित्र करें। कल के लिये तैयार हो जाओ। इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है कि कुछ लोगों ने वे चीजें अपने पास रखी हैं, जिन्हें मैंने नष्ट करने का आदेश दिया था। तुम तब तक अपने शत्रुओं को पराजित करने योग्य नहीं होओगे, जब तक तुम उन चीज़ों को फेंक नहीं देते।

14 “‘कल प्रात: तुम सभी को यहोवा के सामने ख़ड़ा होना होगा। सभी परिवार समूह यहोवा के सामने पेश होंगे। यहोवा एक परिवार समूह को चुनेगा। तब केवल वही परिवार समूह यहोवा के सामने खड़ा होगा। तब उस परिवार समूह में से यहोवा एक वंश को चुनेगा। तब बस वही वंश यहोवा के सामने खड़ा होगा। तब यहोवा उस वंश के प्रत्येक परिवार की परख करेगा। तब यहोवा उस वंश में से एक परिवार को चुनेगा। तब वह परिवार अकेले यहोवा के सामने खड़ा होगा। तब यहोवा उस परिवार के हर पुरुष की जाँच करेगा। 15 वह व्यक्ति जो इन चीज़ों के साथ पाया जाएगा जिन्हें हमें नष्ट कर देना चाहिए था, पकड़ लिया जाएगा। तब वह व्यक्ति आग में झोंककर नष्ट कर दिया जाएगा और उसके साथ उसकी हर एक चीज़ नष्ट कर दी जाएगी। उस व्यक्ति ने यहोवा के उस वाचा को तोड़ा है। उसने इस्राएल के लोगों के प्रति बहुत ही बुरा काम किया है।’”

16 अगली सुबह यहोशू इस्राएल के सभी लोगों को यहोवा के सामने ले गया। सारे परिवार समूह यहोवा के समाने खड़े हो गए। यहोवा ने यहूदा परिवार समूह को चुना। 17 तब सभी यहूदा परिवार समूह योहवा के सामने खड़े हुए। यहोवा ने जेरह वंश को चुना। तब जेरह वंश के सभी लोग यहोवा के सामने खड़े हुए। इन में से जब्दी का परिवार चुना गया। 18 तब यहोशू ने इस परिवार के सभी पुरुषों को योहवा के सामने आने को कहा। यहोवा ने कर्म्मी के पुत्र आकान को चुना। (कर्म्मी जब्दी का पुत्र था और जब्दी जेरह का पुत्र था।)

19 तब यहोशू न आकान से कहा, “पुत्र, तुम्हें अपनी प्रार्थना करनी चाहिए। इस्राएल के योहवा परमेश्वर का सम्मान करना चाहिए और उससे तुम्हें अपने पापों को स्वीकार करना चाहिए। मुझे बताओ कि तुमने क्या किया? मुझसे कुछ छिपाने की कोशिश न करो!”

20 आकान ने उत्तर दिया, “यह सत्य है! मैंने इस्राएल के यहोवा परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया है। मैंने जो किया है वह यह है: 21 हम लोगों ने यरीहो नगर को इसकी सभी चीज़ों के साथ अपने अधिकार में लिया। उन चीज़ों में मैनें शिनार का एक सुन्दर ओढ़ना और लगभग पाँच पौण्ड चाँदी और एक पौण्ड सोना देखा। मैं इन चीज़ों को अपने लिए रखने का बहुत इच्छुक था। इसलिए मेंने उनको लिया। तुम उन चीज़ों को मेरे तम्बू के नीचे जमीन मै गड़ा हुआ पाओगे। चाँदी ओढ़ने के नीचे है।”

22 इसलिए यहोशू ने कुछ व्यक्तियों को तम्बू में भेजा। वे दौड़कर पहुँचे और उन चीज़ों को तम्बू में छिपा पाया। चाँदी ओढ़ने के नीचे थी। 23 वे व्यक्ति उन चीज़ों को तम्बु से बाहर लाए। वे उन चीज़ों को यहोशू और इस्राएल के सभी लोगों के पास ले गए। उन्होंने उसे यहोवा के सामने जमीन पर ला पटका।

24 तब यहोशू और सभी लोग जेरह के पुत्र आकान को आकोर की घाटी में ले गए। उन्होंने चाँदी, ओढ़ना, सोना, आकान के पुत्रियों—पुत्रों, उसके मवेशियों, उसके गधों, भेड़ों, तम्बू और उसकी सभी चीज़ों को भी लिया। इन सभी चीज़ों को वे आकान के साथ आकोर की घाटी मे ले गए। 25 तब यहोशू ने कहा, “तुमने हमारे लिये ये सब मुसीबतें क्यों कीं? अब यहोवा तुम पर मुसीबत लाएगा!” तब सभी लोगों ने आकान और उसके परिवार पर तब तक पत्थर फेंके जब तक वे मर नहीं गए। उन्होंने उसके परिवार को भी मार डाला। तब लोगों ने उन्हें और उसकी सभी वस्तुओं को जला दिया। 26 आकान को जलाने के बाद उसके शरीर पर उन्होंने कई शिलायें रखीं। वे शिलायें आज भी वहाँ हैं। इस तरह यहोवा ने आकान पर विपत्ति ढाई। यही कारण है कि वह स्थान आकोर घाटी कहा जाता है। इसके बाद, यहोवा लोगों से अप्रसन्न नहीं रहा।

समीक्षा

खड़े रहने के लिए दो भूमि पवित्र या छिपी हुई

क्या आपके जीवन में कोई ऐसा क्षेत्र हैं जिसे आप छिपाकर रखते हैं क्योंकि यह रहस्यमय पाप का एक स्थान है?

इस लेखांश में हम दो अलग-अलग भूमि को देखते हैं. हम देखते हैं कि यहोशू पवित्र भूमि पर खड़ा है (5:15). दूसरी ओर, आकान छिपे हुए पाप की भूमि पर खड़ा है (7:21-22).

परमेश्वर का संदेशवाहक यहोशू से मिलता है. या तो यह प्रभु का दूत था या तो त्रिऐक्य का दूसरा व्यक्ति (यीशु), हम नहीं जानते. हम यह जानते हैं कि यहोशू 'सम्मान में मुँह के बल भूमि पर गिर गया' (5:14) और उसे कहा गया कि, 'अपनी जूती पाँव से उतार डाल, क्योंकि जिस स्थान पर तू खड़ा है वह पवित्र है' (व.15).

जीवन में ऐसे समय होते हैं जब परमेश्वर की उपस्थिति इतनी अधिक होती है कि हमें लगता है कि हम पवित्र भूमि पर खड़े हैं. हम केवल भूमि पर गिरकर आराधना कर सकते हैं.

परमेश्वर ने यहोशू को सफलता दी (6:1-26): 'और यहोवा यहोशू के संग रहा; और यहोशू की कीर्ति उस सारे देश में फैल गई' (व.27). उसकी सफलता उसकी सेना के आकार से नहीं आयी थी, या उसके हथियारों की सामर्थ से या एक लीडर के रूप में उसके हूनर से; यह 'परमेश्वर में उसके विश्वास से' आयी थी, जिसकी वजह से वह परमेश्वर के निर्देशों को मानता था.

इसी तरह से, वेश्या राहाब, उसका परिवार और उससे जुड़े सभी लोग बच गए उसके विश्वास के कारण, जिसकी वजह से उसने परमेश्वर के दासों के प्रति दयालुता के एक कार्य को किया (व.25).

नये नियम में, यहोशू और राहाब दोनों विश्वास के स्तंभ कहलाते हैः 'विश्वास के द्वारा यरीहों की दीवारें गिर गईं...विश्वास के द्वारा वेश्या राहाब, जासूसों का स्वागत करने के कारण, आज्ञ न माननेवालों के साथ नष्ट नहीं हुई' (इब्रानियों 11:30-31).

यहोशू की पुस्तक बहुत से कठिन प्रश्नों को खड़ा कर देती है जिसका उत्तर पाने में शायद हमें संघर्ष करना पड़े. मसीहों के रूप में, फिर से हमें याद रखना है कि इसे यीशु और नये नियम की नजरों से देखना है.

इब्रानियों की पुस्तक सलाह देती है कि वाचा की भूमि उन आशीषों का एक चित्र है जिसे आप आज्ञाकारिता के द्वारा ग्रहण करते हैं, यानि की यीशु में विश्वास के द्वाराः 'यदि यहोशू उन्हें विश्राम दे पाता, तो परमेश्वर ने दूसरे दिन के विषय में नहीं कहा होता... अत: हम उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें, ऐसा न हो कि कोई जन उन के समान आज्ञा न मानकर गिर पड़े' (4:8-11).

ऐसे 'आज्ञा उल्लंघन' की एक घटना को हम आकान में देखते हैं, जिसके लालच ने उससे परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन करवाया और चाँदी और सोना उसने लिया, अंत में वह मानता है कि यें चीजे 'मेरे तंबू के नीचे छिपे हुए हैं' (यहोशू 7:21). तब यहोशू ने दूत भेजे, और वे उस डेरे में दौड़े गए; और क्या देखा कि वे वस्तुएँ उसके डेरे में गड़ी हैं, और सब के नीचे चाँदी है (व.22).

हमें अपने जीवन को वर्गों में बाँटने के खतरे से सावधान रहने की आवश्यकता है. आकान के तंबू की तरह, सतह पर सबकुछ अच्छा दिख सकता है, लेकिन नीचे छिपी हुई चीजों में पाप छिपा रहता है. दूसरे लोग हमारे जीवन के वर्गों को नहीं देख सकते हैं जहाँ पर पाप रहता है, लेकिन परमेश्वर देख सकते हैं.

आकान के पाप ने सिर्फ उसे प्रभावित नहीं किया. इसने पूरे कैंम्प को प्रभावित किया. परमेश्वर को पवित्र लोग चाहिए थे जो उसके लिए अलग किए गए थे (व.13). कैम्प में पाप और अनाज्ञारिता ने उनकी शुद्धता को प्रभावित किया. परमेश्वर ने कहा, 'आप तब तक अपने शत्रुओं के सामने खड़े नहीं रह सकते हैं जब तक आप इसे निकाल न दें' (व.13).

यह पूछने के लिए एक अच्छा प्रश्न हैः क्या कोई क्षेत्र है जो परमेश्वर के लिए अलग नहीं किया गया है, जो कि उन आशीषों और विजय को ग्रहण करने से मुझे रोक रहा है, जिसे परमेश्वर लोगों को देना चाहते हैं?

मेरा अनुभव ऐसा है कि पवित्र आत्मा मेरे जीवन के उन 'छिपे हुए' क्षेत्रों में अपने प्रकाश को चमकाते हैं जिन्हें मुझे सुधारने की आवश्यकता है. शायद स्वर्ग के इस तरफ यह प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होगी.

हमारे लिए अच्छा समाचार यह है कि अब हमें पाप के दंड से घबराने की आवश्यकता नहीं है जिसका आकान ने सामना किया था. इससे अंतर नहीं पड़ता है कि आपकी असफलताऍं क्या थीं, यीशु के द्वारा, आप क्षमा किए गए हैं और छुड़ाए गए हैं.

प्रार्थना

परमेश्वर, मैं आज फिर से अपने जीवन को आपको सौंपता हूँ. आपका धन्यवाद क्योंकि आप मेरे साथ रहते हैं जैसे कि आप यहोशू के साथ रहते थे. मैं आज अपने जीवन के लिए आपकी इच्छा के मार्ग को चुनता हूँ – पवित्रता और सम्मान.

पिप्पा भी कहते है

लूका 22:46

'क्यों सोते हो?... उठो, प्रार्थना करो कि परीक्षा में न पड़ो.'

मुझे प्रार्थना करने के लिए जल्दी उठना या देर तक जागना बहुत आसान नहीं लगता है. मैं चेलों के लिए थोड़ी सहानुभूति महसूस करता हूँ. उन्होंने पूरे दिन मेहनत की थी और यीशु अपने कष्ट उठाने और मृत्यु के विषय में उन्हें सारी चीजें बता रहे थे.

उनके लिए यह बहुत ही चिंताजनक और उलझाने वाली बात होगीः 'वे दुख के कारण सो रहे थे' (व.45). अवश्य ही वह अपने आपसे निराश हो गए होगे कि उनके मित्र, शिक्षक और प्रभु को धोखा देने के लिए.

मैं पतरस के नकारने के कारण को समझता हूँ; कभी कभी डर जकड़ लेती है. यही कारण है कि पतरस का बदलाव बहुत ही अद्भुत है – एक डरपोक व्यक्ति से एक बहादुर लीडर में. यदि परमेश्वर पतरस को बदल सकते हैं, तो वह मुझे भी बदल सकते हैं.

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संदर्भ

नोट्स:

एलेक्स्जेंडर सोजेनिसिन, द टेंपल एड्रेस, 'मनुष्य परमेश्वर को भूल गए, ' वर्ल्ड कॉपीराईट 1983 एलेक्स्जेंडर सोजेनिसिन के द्वारा,

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

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