विजय का एक जीवन जीएं
परिचय
सालों पहले, एच.टी.बी में हमारी सभा का एक जवान सदस्य एक मुख्य राष्ट्रीय समाचारपत्र के पुस्तकालय में काम करता था। इस समाचार पत्र में हर प्रसिद्ध व्यक्ति के विषय में कटिंग्स की फाइलें रखी हुई थीं और 'जीवित लोग' और 'मृत लोग' ऐसे दो भागों में विभाजित किए गए थे।
एक दिन, जवान व्यक्ति मृत लोगों की फाईलों को देख रहा था और उसे एक बड़ी फाईल मिली, जिसका नाम था 'यीशु मसीह'। उसने पीछे मुड़कर देखा कि कही कोई देख तो नहीं रहा और जल्दी से उसने फाईल को 'मृत लोगों' के भाग में से निकालकर 'जीवित लोगों' के भाग में रख दिया।
यीशु मसीह जीवित हैं। वह मृत्यु में से जी उठे हैं। जो कोई उन्हें मृत लोगों की फाईलो में खोजेगा, तो उससे स्वर्गदूत कहेंगे कि, 'तुम जीवते को मरे हुओं में क्यों ढूँढ़ते हो? वह यहाँ नहीं, परन्तु जी उठे हैं' (लूका 24:5-6)।
विजय गंदा शब्द नहीं है। यीशु महान विजयी हैं। जैसा कि बिशम लेसली न्युबिगिन ने अक्सर कहा है, 'पुनरुथान एक हार के लिए बदलाव नहीं है लेकिन एक विजय का प्रत्यक्षीकरण है।' क्रूस एक हार नहीं थी। क्रूस पर, यीशु ने हमारे लिए पाप, मृत्यु और बुराई की ताकतों के ऊपर एक महान विजय प्राप्त की।
भजन संहिता 51:10-19
10 परमेश्वर, तू मेरा मन पवित्र कर दे।
मेरी आत्मा को फिर सुदृढ कर दे।
11 अपनी पवित्र आत्मा को मुझसे मत दूर हटा,
और मुझसे मत छीन।
12 वह उल्लास जो तुझसे आता है, मुझमें भर जायें।
मेरा चित अडिग और तत्पर कर सुरक्षित होने को
और तेरा आदेश मानने को।
13 मैं पापियों को तेरी जीवन विधि सिखाऊँगा,
जिससे वे लौट कर तेरे पास आयेंगे।
14 हे परमेश्वर, तू मुझे हत्या का दोषी कभी मत बनने दें।
मेरे परमेश्वर, मेरे उद्धारकर्ता,
मुझे गाने दे कि तू कितना उत्तम है
15 हे मेरे स्वामी, मुझे मेरा मुँह खोलने दे कि मैं तेरे प्रसंसा का गीत गाऊँ।
16 जो बलियाँ तुझे नहीं भाती सो मुझे चढ़ानी नहीं है।
वे बलियाँ तुझे वाँछित तक नहीं हैं।
17 हे परमेश्वर, मेरी टूटी आत्मा ही तेरे लिए मेरी बलि हैं।
हे परमेश्वर, तू एक कुचले और टूटे हृदय से कभी मुख नहीं मोड़ेगा।
18 हे परमेश्वर, सिय्योन के प्रति दयालु होकर, उत्तम बन।
तू यरूशलेम के नगर के परकोटे का निर्माण कर।
19 तू उत्तम बलियों का
और सम्पूर्ण होमबलियों का आनन्द लेगा।
लोग फिर से तेरी वेदी पर बैलों की बलियाँ चढ़ायेंगे।
समीक्षा
उनकी विजय के लाभों को ग्रहण करें
मुझे दाऊद की यह प्रार्थना पसंद है और मैंने अक्सर यह प्रार्थना की है। हम सभी की तरह, दाऊद ने चीजें खराब कर दी थी। वह क्षमा के लिए पुकार रहे थे और अब वह विजय के लिए पुकारते हैं। जब हम पाप करते हैं तो शायद हम उद्धार को नहीं खोते हैं लेकिन हम उद्धार के आनंद को खो देते हैं (व.12अ)। दाऊद दुबारा पाप के द्वारा हारना नहीं चाहते हैं।
इन सब की शुरुवात 'एक टूटे हुए और पिसे हुए हृदय से होती है' (व.17ब)। आप बिल्कुल निश्चिंत हो सकते हैं कि यदि आप इस तरह से परमेश्वर के पास आएँगे तो वह आपको अस्वीकार नहीं करेंगेः'हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता' (व.17ब)।
दाऊद प्रार्थना करते हैं कि वह एक विजय का जीवन जीने पाएं। इससे अंतर नहीं पड़ता है कि दाऊद की प्रार्थना पूरी तरह से व्यक्तिगत नहीं है। वह प्रार्थना करते हैं कि वह शहर पर भी एक प्रभाव बना पाएं (व.18)।
परमेश्वर, मैं एक शुद्ध हृदय के लिए प्रार्थना करता हूँ (व.10अ), एक स्थिर आत्मा (व.10ब), परमेश्वर की उपस्थिति (व.11अ), आत्मा की सामर्थ (व.11ब) और अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे (व.12अ)।
प्रार्थना
मैं एक भरोसे वाली आत्मा के लिए प्रार्थना करता हूँ (व.12ब) और यह कि मैं परमेश्वर का मार्ग सिखा पाऊँ (व.13अ), लोगों को परमेश्वर में फिर से लाते हुए (व.13ब)। मैं एक ऐसी जीभ के लिए प्रार्थना करता हूँ जो आपकी आराधना करे। 'हे प्रभु, मेरा मुंह खोल दें तब मैं तेरा गुणानुवाद कर सकूंगा' (वव.14ब-15)। मैं अपने समाज के बदलाव के लिए प्रार्थना करता हूँ (व.18)।
लूका 24:1-35
यीशु का फिर से जी उठना
24सप्ताह के पहले दिन बहुत सवेरे ही वे स्त्रियाँ कब्र पर उस सुगंधित सामग्री को, जिसे उन्होंने तैयार किया था, लेकर आयीं। 2 उन्हें कब्र पर से पत्थर लुढ़का हुआ मिला। 3 सो वे भीतर चली गयीं किन्तु उन्हें वहाँ प्रभु यीशु का शव नहीं मिला। 4 जब वे इस पर अभी उलझन में ही पड़ी थीं कि, उनके पास चमचमाते वस्त्र पहने दो व्यक्ति आ खड़े हुए। 5 डर के मारे उन्होंने धरती की तरफ अपने मुँह लटकाये हुए थे। उन दो व्यक्तियों ने उनसे कहा, “जो जीवित है, उसे तुम मुर्दों के बीच क्यों ढूँढ रही हो? 6 वह यहाँ नहीं है। वह जी उठा है। याद करो जब वह अभी गलील में ही था, उसने तुमसे क्या कहा था। 7 उसने कहा था कि मनुष्य के पुत्र का पापियों के हाथों सौंपा जाना निश्चित है। फिर वह क्रूस पर चढ़ा दिया जायेगा और तीसरे दिन उसको फिर से जीवित कर देना निश्चित है।” 8 तब उन स्त्रियों को उसके शब्द याद हो आये।
9 वे कब्र से लौट आयीं और उन्होंने ये सब बातें उन ग्यारहों और अन्य सभी को बतायीं। 10 ये स्त्रियाँ थीं मरियम-मग्दलीनी, योअन्ना और याकूब की माता, मरियम। वे तथा उनके साथ की दूसरी स्त्रियाँ इन बातों को प्रेरितों से कहीं। 11 पर उनके शब्द प्रेरितों को व्यर्थ से जान पड़े। सो उन्होंने उनका विश्वास नहीं किया। 12 किन्तु पतरस खड़ा हुआ और कब्र की तरफ़ दौड़ आया। उसने नीचे झुक कर देखा पर उसे सन के उत्तम रेशमों से बने कफन के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखाई दिया था। फिर अपने मन ही मन जो कुछ हुआ था, उस पर अचरज करता हुआ वह चला गया।
इम्माऊस के मार्ग पर
13 उसी दिन उसके शिष्यों में से दो, यरूशलेम से कोई सात मील दूर बसे इम्माऊस नाम के गाँव को जा रहे थे। 14 जो घटनाएँ घटी थीं, उन सब पर वे आपस में बातचीत कर रहे थे। 15 जब वे उन बातों पर चर्चा और सोच विचार कर रहे थे तभी स्वयं यीशु वहाँ आ उपस्थित हुआ और उनके साथ-साथ चलने लगा। 16 (किन्तु उन्हें उसे पहचानने नहीं दिया गया।) 17 यीशु ने उनसे कहा, “चलते चलते एक दूसरे से ये तुम किन बातों की चर्चा कर रहे हो?”
वे चलते हुए रुक गये। वे बड़े दुखी दिखाई दे रहे थे। 18 उनमें से किलयुपास नाम के एक व्यक्ति ने उससे कहा, “यरूशलेम में रहने वाला तू अकेला ही ऐसा व्यक्ति होगा जो पिछले दिनों जो बातें घटी हैं, उन्हे नहीं जानता।”
19 यीशु ने उनसे पूछा, “कौन सी बातें?”
उन्होंनें उससे कहा, “सब नासरी यीशु के बारे में हैं। यह एक ऐसा व्यक्ति था जिसने जो किया और कहा वह परमेश्वर और सभी लोगों के सामने यह दिखा दिया कि वह एक महान् नबी था। 20 और हम इस बारें में बातें कर रहे थे कि हमारे प्रमुख याजकों और शासकों ने उसे कैसे मृत्यु दण्ड देने के लिए सौंप दिया। और उन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ा दिया। 21 हम आशा रखते थे कि यही वह था जो इस्राएल को मुक्त कराता।
“और इस सब कुछ के अतिरिक्त इस घटना को घटे यह तीसरा दिन है। 22 और हमारी टोली की कुछ स्त्रियों ने हमें अचम्भे में डाल दिया है। आज भोर के तड़के वे कब्र पर गयीं। 23 किन्तु उन्हें, उसका शव नहीं मिला। वे लौटीं और हमें बताया कि उन्होंने स्वर्गदूतों का दर्शन पाया है जिन्होंने कहा था कि वह जीवित है। 24 फिर हम में से कुछ कब्र पर गये और जैसा स्त्रियों ने बताया था, उन्होंने वहाँ वैसा ही पाया। उन्होंने उसे नहीं देखा।”
25 तब यीशु ने उनसे कहा, “तुम कितने मूर्ख हो और नबियों ने जो कुछ कहा, उस पर विश्वास करने में कितने मंद हो। 26 क्या मसीह के लिये यह आवश्यक नहीं था कि वह इन यातनाओं को भोगे और इस प्रकार अपनी महिमा में प्रवेश करे?” 27 और इस तरह मूसा से प्रारम्भ करके सब नबियों तक और समूचे शास्त्रों में उसके बारे में जो कहा गया था, उसने उसकी व्याख्या करके उन्हें समझाया।
28 वे जब उस गाँव के पास आये, जहाँ जा रहे थे, यीशु ने ऐसे बर्ताव किया, जैसे उसे आगे जाना हो। 29 किन्तु उन्होंने उससे बलपूर्वक आग्रह करते हूए कहा, “हमारे साथ रुक जा क्योंकि लगभग साँझ हो चुकी है और अब दिन ढल चुका है।” सो वह उनके साथ ठहरने भीतर आ गया।
30 जब उनके साथ वह खाने की मेज पर था तभी उसने रोटी उठाई और धन्यवाद किया। फिर उसे तोड़ कर जब वह उन्हें दे रहा था 31 तभी उनकी आँखे खोल दी गयीं और उन्होंने उसे पहचान लिया। किन्तु वह उनके सामने से अदृश्य हो गया। 32 फिर वे आपस में बोले, “राह में जब वह हमसे बातें कर रहा था और हमें शास्त्रों को समझा रहा था तो क्या हमारे हृदय के भीतर आग सी नहीं भड़क उठी थी?”
33 फिर वे तुरंत खड़े हुए और वापस यरूशलेम को चल दिये। वहाँ उन्हें ग्यारहों प्रेरित और दूसरे लोग उनके साथ इकट्ठे मिले, 34 जो कह रहे थे, “हे प्रभु, वास्तव में जी उठा है। उसने शमौन को दर्शन दिया है।”
35 फिर उन दोनों ने राह में जो घटा था, उसका ब्योरा दिया और बताया कि जब उसने रोटी के टुकड़े लिये थे, तब उन्होंने यीशु को कैसे पहचान लिया था।
समीक्षा
यीशु और उनकी विजय को पहचानें
कैसे मैं और आप यीशु से मिल सकते हैं?
यीशु का पुनरुत्थान एक ऐतिहासिक घटना है। यह वास्तव में हुआ था। लेकिन यह सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना नहीं है। जैसा कि उस समय लोगों ने जी उठे यीशु का अनुभव किया, आप भी आज उनकी उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं। यह लेखांश आपको बताता है कि कैसे।
यह वह दिन था, जिस दिन विश्व पूरी तरह से बदल गया। यीशु 'सप्ताह के पहले दिन' जी उठे थे (व.1)। इसके बाद, सप्ताह के पहले दिन (रविवार) को विश्राम और आराधना का दिन था।
इस लेखांश में हम मृत्यु के ऊपर यीशु की विजय के दो मुख्य प्रमाण को देखते हैं:
यीशु की देह वहाँ पर नहीं थी
' उन्होंने पत्थर को कब्र पर से लुढ़का हुआ पाया, पर भीतर जाकर प्रभु यीशु का शव ना पाया' (वव.2-3)।
स्वर्गदूत ने उनसे कहा, 'तुम जीवते को मरे हुओं में क्यों ढूँढ़ती हो? वह यहाँ नहीं, परन्तु जी उठा है!' (वव.5-6)। सच में, जैसा कि उन्होंने बताया था, तीसरे दिन वह 'फिर जी उठेंगे' (व.7)। (कभी –कभी नया नियम बताता है कि यीशु मरे हुओं में से 'जी उठे'। अधिकतर यह सक्रिय प्रकार में है; 'वह जी उठे थे')।
जब महिलाओं ने चेलों को बताया तब 'उन्होंने विश्वास नहीं किया' (व.11)। किंतु, हम पतरस के उत्साह को देख सकते हैं – वह 'उठा और दौड़कर कब्र के पास चला गया' (व.12)। उसने भी देखा कि यीशु की देह वहाँ पर नहीं थी। उसने देखा कि 'केवल कपड़े वहाँ पर पड़े हुए थे' (व.12ब) – कब्र खाली नहीं थी लेकिन वहाँ पर यीशु की देह नहीं थी।
अवश्य ही उस क्षण पतरस ने यह समझना शुरु कर दिया होगा कि यीशु ने एक महान विजय प्राप्त कर ली है। यीशु मर चुके थे, लेकिन मृत्यु अंत नहीं थी। मृत्यु नष्ट नहीं हुई है लेकिन निश्चित ही इस पर जय पाया जा चुका है।
स्वयं यीशु वहाँ पर उपस्थित थे
यीशु को वहाँ पर देखा गया। यह सिर्फ एक 'आत्मिक उपस्थिति' नहीं थी। उनकी भौतिक, पुनरुत्थानी, बदला हुआ शरीर वहाँ पर उनके चेलों के साथ उपस्थित था। लूका के सुसमाचार में हमने पहली बार प्रकट होने के बारे में पढ़ा था वह था कि वह इम्माउस जाने वाले रास्ते पर थे। दो तरीकों से यीशु अपने आपको उन दो चेलों पर प्रगट करते हैं।
पहला, वह वचनों के द्वारा अपने आपको प्रगट करते हैः ' तब उसने मूसा से और सब भविष्यवक्ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्रशास्त्रियों में से अपने विषय में लिखी बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया।' (व.27)। विश्व के इतिहास में अवश्य ही यह सबसे अधिक अद्भुत बाईबल अध्ययन रहा होगा। यीशु ने बाईबल में से समझाया कि यह सब उनके विषय में लिखा था।
क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया है कि आपका हृदय 'अंदर से जल रहा था', जैसे ही आप बाईबल को समझाते हुए समय सुन रहे थे, या अपने आपसे इसे पढ़ रहे थे? कभी-कभी, जब मैं बाईबल को पढ़ता हूँ या बाईबल को समझाते समय सुनता हूँ, तब वचन मेरे लिए और मेरे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण लगने लगते हैं, ऐसा लगता है कि परमेश्वर सीधे मुझसे बातें कर रहे हैं। उस क्षण ऐसा लगता है कि मेरा हृदय अंदर से जल रहा हैं। इस समय हमारे अल्फा के छोटे समूह में एक जवान महिला ने अपने जीवन में पहली बार बाईबल को पढ़ना शुरु किया है। वह कहती है कि ऐसा लगता है वचन पन्नों में से कूद-कूदकर उसके पास आ रहे हैं।
चेलों ने कहा, 'जब वह मार्ग में हम से बातें करता था और पवित्रशास्त्र का अर्थ हमें समझाता था, तो क्या हमारे मन में उत्तेजना न उत्पन्न हुई?' (व.32)। हम इसका स्वाद चखते हैं, हर बार जब हम बाईबल को समझाते हुए सुनते हैं इस तरह से जैसे यीशु को प्रकट किया जा रहा हो।
दूसरा, वह अपने आपको मसीह के पवित्र संस्कार के द्वारा प्रकट करते हैं। 'जब वह उनके साथ भोजन करने बैठा, तो उसने रोटी लेकर धन्यवाद किया और उसे तोड़कर उनको देने लगा। तब उनकी आँखें खुल गई; और उन्होंने उसे पहचान लिया' (वव.30-31)। बाद में, उन्होंने समझाया कि 'कैसे उन्होंने यीशु को पहचाना जब वह रोटी तोड़ रहे थे' (व.35)।
इस मुलाकात के विषय में लूका का वर्णन शायद से सोच-समझकर इस तरह से बताया गया है जो कि चेलों के साथ यीशु के अंतिम प्रभु भोज की घटना को बताता है। इसे हमें उत्साहित करना चाहिए कि हम भी 'रोटी तोड़ते समय' यीशु से मुलाकात कर सकते हैं, जब हम एक साथ आकर कम्युनियन लेते हैं।
वचन और पवित्र संस्कार दो तरीके हैं जिससे हम आज यीशु से मिलते हैं। यीशु निंरतर अपने आपको हम पर प्रकट करेंगे जैसे ही हम वचनों का अध्ययन करते हैं और जैसे ही हम एक साथ आकर रोटी को तोड़ते हैं। यदि आप यीशु की उपस्थिति को महसूस करना चाहते हैं – तो सुनिश्चित कीजिए आप इन चीजों को नियमित रूप से करते हैं।
प्रार्थना
पिता, आपका धन्यवाद क्योंकि यीशु अभी जीवित हैं। जैसे ही मैं वचनों का अध्ययन करता हूँ, होने दीजिए कि मेरा हृदय अंदर से जलने लगे, जैसे ही मैं उनके द्वारा यीशु से मिलता हूँ। जैसे ही मैं रोटी और दाखरस लेता हूँ, ऐसा हो कि यीशु को पहचानने के लिए मेरी आँखे खुल जाएँ।
यहोशू 11:1-12:24
उत्तरी नगरों को हराना
11हासोर के राजा, याबीन ने जो कुछ हुआ उसके बारे में सुना। इसलिए उसने कई राजाओं की सेनाओं को एक साथ बुलाने का निर्णय लिया। याबीन ने मादोन के राजा योबाब, शिम्रोन के राजा, अक्षाप के राजा और 2 उत्तर के पहाड़ी एवं मरुभूमि प्रदेश के सभी राजाओं के पास सन्देश भेजा। याबीन ने किन्नेरेत के राजा, नेगेव और पश्चिमी नीची पहाड़ियों के राजाओं को सन्देश भेजा। याबीन ने पश्चिम में नफोथ दोर के राजा को भी सन्देश भेजा। 3 याबीन ने पूर्व और पश्चिम के कनानी लोगों के राजाओं के पास सन्देश भेजा। उसने पहाड़ी प्रदेशों में रहने वाले एमोरी, हित्तियों, परिज्जियों और यबूसियों के पास सन्देश भेजा। उसने मिस्पा क्षेत्र के हेर्मोन पहाड़ के नीचे रहने वाले हिव्वी लोगों को भी सन्देश भेजा। 4 इसलिये इन सभी राजाओं की सेनायें एक साथ आईं। वहाँ अनेक योद्धा, घोड़े और रथ थे। वह अत्यन्त विशाल सेना थी, वह ऐसी दिखाई पड़ती थी मानों उसमें इतने सैनिक थे जितने समुद्र तट पर बालू के कण।
5 ये सभी राजा छोटी नदी मेरोम के निकट इकट्ठे हुए। उन्होंने अपनी सेवाओं को एक डेरे में एकत्र किया। उन्होंने इस्राएल के विरुद्ध युद्ध करने की योजना बनाई।
6 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “उस सेना से डरो नहीं। कल इसी समय, मैं तुम्हें उनको हराने दूँगा। तुम उन सभी को मार डालोगे। तुम घोड़ों की टांगें काट डालोगे और उनके सारे रथों को जला डालोगे।”
7 यहोशू और उसकी पूरी सेना ने अचानक आक्रमण करके उन्हें चौंका दिया। उन्होंने मेरोम नदी पर शत्रु पर आक्रमण किया। 8 यहोवा ने इस्राएलयों को उन्हें हराने दिया। इस्राएल की सेना ने उनको हराया और उनका पूर्व में वृहत्तर सीदोन, मिस्रपोत—मैम और मिस्पा की घाटी तक पीछा किया। इस्राएल की सेना उनसे तब तक युद्ध करती रही जब तक शत्रुओं में से कोई भी व्यक्ति जीवित न बचा। 9 यहोशू ने वही किया जो यहोवा ने कहा था कि वह करेगा अर्थात् यहोशू ने उनके घोड़ों की टांगें काटीं और उनके रथों को जलाया।
10 तब यहोशू लौटा और हासोर नगर पर अधिकार किया। यहोशू ने हासोर के राजा को मार डाला। (हासोर उन सभी राज्यों में प्रमुख था जो इस्राएल के विरुद्ध लड़े थे।) 11 इस्राएल की सेना ने उस नगर के हर एक को मार डाला। उन्होंने सभी लोगों को पूरी तरह नष्ट कर दिया। वहाँ कुछ भी जीवित नहीं रहने दिया गया। तब उन्होंने नगर को जला दिया।
12 यहोशू ने इन सभी नगरों पर अधिकार किया। उसने उनके सभी राजाओं को मार डाला। यहोशू ने इन नगरों की हर एक चीज़ को पूरी तरह नष्ट कर दिया। उसने यह यहोवा के सेवक मूसा ने जैसा आदेश दिया था वैसा ही किया। 13 किन्तु इस्राएल की सेना ने किसी भी ऐसे नगर को नहीं जलाया जो पहाड़ी पर बना था। उन्होंने पहाड़ी पर बने एकमात्र हासोर नगर को ही जलाया। यह वह नगर था, जिसे यहोशू ने जलाया। 14 इस्राएल के लोगों ने वे सभी चीज़ें अपने पास रखीं, जो उन्हें उन नगरों में मिलीं। उन्होंने उन जानवरों को अपने पास रखा, जो उन्हें नगर में मिले। किन्तु उन्होंने वहाँ के सभी लोगों को मार डाला। उन्होंने किसी व्यक्ति को जीवित नहीं छोड़ा। 15 यहोवा ने बहुत पहले अपने सेवक मूसा को यह करने का आदेश दिया था। तब मूसा ने यहोशू को यह करने का आदेश दिया था। इस प्रकार यहोशू ने यहोवा की आज्ञा पूरी की। यहोशू ने वही सब किया, जो मूसा को यहोवा का आदेश था।
16 इस प्रकार यहोशू ने इस पूरे देश के सभी लोगों को पराजित किया। पहाड़ी प्रदेश, नेगेव—क्षेत्र, सारा गोशेन क्षेत्र, पश्चिमी नीची पहाड़ियों का प्रदेश, यरदन घाटी, इस्राएल के पर्वत और उनके निकट की पहाड़ियों पर उसका अधिकार हो गया था। 17 यहोशू का अधिकार सेईर के निकट हालाक पर्वत से लेकर हेर्मोन पर्वत के नीचे लबानोन की घाटी मे बालगाद तक के प्रदेश पर हो गया था। 18 यहोशू उन राजाओं से कई वर्ष लड़ा। 19 उस पूरे देश में केवल एक नगर ने शान्ति—सन्धि की । वह हिव्वी लोगों का नगर गिबोन था। सभी अन्य नगर युद्ध में पराजित हुए। 20 यहोवा चाहता था कि वे लोग सोचें कि वे शक्तिशाली थे। तब वे इस्राएल के विरुद्ध लड़ेंगे। इस प्रकार वे उन्हें बिना दया के नष्ट कर सकते थे। वह उन्हें उस तरह नष्ट कर सकता था, जिस तरह यहोवा ने मूसा को करने का आदेश दिया था।
21 अनाकी लोग हेब्रोन, दबीर, अनाब और यहूदा और इस्राएल के क्षेत्रों के पहाड़ी प्रदेश में रहते थे। यहोशू इन अनाकी लोगों के विरुद्ध लड़ा। यहोशू ने इन लोगों और इनके नगरों को पूरी तरह नष्ट कर दिया। 22 वहाँ कोई भी अनाकी व्यक्ति इस्राएल में जीवित न छोड़ा गया। जो अनाकी लोग जीवित छोड़ दिये गये थे, वे अज्जा, गत और अशदोद में थे। 23 यहोशू ने पूरे इस्राएल प्रदेश पर अधिकार कर लिया। इस बात को यहोवा ने मूसा से बहुत पहले ही कह दिया। यहोवा ने वह देश इस्राएल को इसलिए दिया क्योंकि उसने इसके लिये वचन दिया था। तब यहोशू ने इस्राएल के परिवार समूहों में उस प्रदेश को बाँटा तब युद्ध बन्द हुआ और अन्तिम रूप में शान्ति स्थापित हो गई।
इस्राएल के द्वारा राजा हराये गये
12इस्राएल के लोगों ने यरदन नदी के पूर्व की भूमि पर अधिकार कर लिया। उनके अधिकार में अब अर्नोन की संकरी घाटी से हेर्मोन पर्वत तक की भूमि और यरदन घाटी के पूर्व का सारा प्रदेश था। इस देश को लेने के लिये इस्राएल के लोगों ने जिन राजाओं को हराया उनकी सूची यह है:
2 हेशबोन नगर में रहने वाला एमोरी लोगों का राजा सीहोन। वह अर्नोन की संकरी घाटी पर अरोएर से लेकर यब्बोक नदी तक के प्रदेश पर शासन करता था। उसका प्रदेश उस दर्रे के मध्य से आरम्भ होता था। अम्मोनी लोगों के साथ यह उनकी सीमा थी। सीहोन गिलाद के आधे प्रदेश पर शासन करता था। 3 वह गिलगाल से मृत सागर (खारा सागर) तक यरदन के पूर्व के प्रदेश पर भी शासन करता था और बेत्यशीमोत से दक्षिण पिसगा की पहाड़ियों तक शासन करता था।
4 बाशान का राजा ओग रपाई लोगों में से था। ओग अशतारोत और एद्रेई में शासन कर रहा था। 5 ओग हेर्मोन पर्वत, सलका नगर और बाशान के सारे क्षेत्र पर शासन करता था। उसके प्रदेश की सीमा वहाँ तक जाती थी जहाँ गशूर और माका लोग रहते थे। ओग गिलाद के आधे भाग पर भी शासन करता था। इस प्रदेश की सीमा का अन्त हेशबोन के राजा सीहोन के प्रदेश पर होता था।
6 यहोवा के सेवक मूसा और इस्राएल के लोगों ने इन सभी राजाओं को हराया और मूसा ने उस प्रदेश को रूबेन के परिवार समूह, गाद के परिवार समूह और मनश्शे के परिवार समूह के आधे लोगों को दिया। मूसा ने यह प्रदेश उनको अपने अधिकार में रखने को दिया।
7 इस्राएल के लोगों ने उस प्रदेश के राजाओं को भी हराया, जो यरदन नदी के पश्चिम में था। यहोशू लोगों को इस प्रदेश में ले गया। यहोशू ने लोगों को यह प्रदेश दिया और इसे बारह परिवार समूहों में बाँटा। यह वह देश था जिसे उन्हें देने के लिये यहोवा ने वचन दिया था। यह प्रदेश लबानोन की घाटी में बालगात और सेईर के निकट हालाक पर्वत के बीच था। 8 इसमें पहाड़ी प्रदेश, पश्चिम का तराई प्रदेश, यरदन घाटी, पूर्वी पर्वत, मरुभूमि और नेगेव सम्मिलित थे। यह वह प्रदेश था जिसमें हित्ती, एमोरी, परिज्जी, हिव्वी और यबूसी लोग रहते थे। जिन लोगों को इस्राएल के लोगों ने हराया उनकी यह सूची है:
9 यरीहो का राजा (एक राजा) ऐ का राजा बेतेल के निकट (एक राजा) 10 यरूशलेम का राजा (एक राजा) हेब्रोन का राजा (एक राजा) 11 यर्मूत का राजा (एक राजा) लाकीश करा राजा (एक राजा) 12 एग्लोन का राजा (एक राजा) गेजेर का राजा (एक राजा) 13 दबीर का राजा (एक राजा) गेदेर का राजा 14 होर्मा का राजा (एक राजा) अराद का राजा (एक राजा) 15 लिब्ना का राजा (एक राजा) अदुल्लाम का राजा (एक राजा) 16 मक्केदा का राजा (एक राजा) बेतेल का राजा (एक राजा) 17 तप्पूह का राजा (एक राजा) हेपेर का राजा (एक राजा) 18 अपेक का राजा (एक राजा) लश्शारोन का राजा (एक राजा) 19 मादोन का राजा (एक राजा) हासोर का राजा (एक राजा) 20 शिम्रोन मरोन का राजा (एक राजा) अक्षाप का राजा (एक राजा) 21 तानाक का राजा (एक राजा) मगिद्दो का राजा (एक राजा) 22 केदेश का राजा (एक राजा) कर्मेल में योकनाम का राजा (एक राजा) 23 दोर के पर्वतों में दोर का राजा (एक राजा) गिलगाल में गोयीम का राजा (एक राजा) 24 तिर्सा का राजा (एक राजा) सब मिलाकर इकत्तीस राजा थे।
समीक्षा
यीशु की विजय को दर्शायें
मैं जानना चाहूँगा कि यीशु ने इस लेखांश के बारे में क्या कहा, जब वह सभी वचनों को पढ़कर समझा रहे थे कि वचन 'उनके विषय में' क्या कहता है (लूका 24:27)।
यह लेखांश यहोशू की विजय को बताता है ('महान विजय', यहोशू 10:10)। यहाँ पर हमने पढ़ा कि कैसे राजाओं ने अपनी सेना को मिला लिया इस्राएल के विरूद्ध लड़ाई करने के लिए (11:5)। लेकिन परमेश्वर कहते हैं, 'उनसे मत डरो' (व.6)। परमेश्वर ने उन्हें इस्राएल के हाथों में दे दिया (व.8)। जहां कही वह जाते हैं परमेश्वर उन्हें विजय देते हैं:'जैसा यहोवा ने मूसा से कहा था, वैसा ही यहोशू ने वह सारा देश ले लिया; और उसे इस्राएल के गोत्रों और कुलों के अनुसार बाँट कर उन्हें दे दिया' (व.23)।
मैं कल्पना करता हूँ कि यीशु ने समझया होगा कि यहोशू की सेना की रणनीति आज किसी के लिए आदर्श नहीं है। फिर भी, एक पहलू है विजय, और उस महान और अलग प्रकार की विजय की परछाई थी, जिसे परमेश्वर यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा लाने वाले थे। यहोशू मसीह का एक 'प्रकार' था; सच में, यीशु वास्तव में यहोशू नाम का ग्रीक रूप है, जिसका अर्थ है 'परमेश्वर बचाते हैं'।
जैसा कि हम कल पढ़ेगे, यहोशू की विजय कभी समाप्त नहीं हुई थी। परमेश्वर ने उससे कहा, 'तू बूढ़ा और बहुत उम्र का हो गया है, और बहुत देश रह गए हैं' (13:1)। केवल यीशु हैं जो पूर्ण विजय को लाते हैं। वही हैं जिनकी ओर संपूर्ण पवित्रशास्त्र इशारा करता है। वह महान विजयी हैं और हमारे जीवनों में हर संभव विजय के स्रोत हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर, पाप और मृत्यु और बुराई की सभी ताकतों के ऊपर आपकी महान विजय के लिए आपका धन्यवाद। ऐसा हो कि आज मेरा जीवन इस महान विजय को दिखाए। होने दिजिए कि मैं इसे और अधिक देखने पाऊं, ना केवल मेरे व्यक्तिगत जीवन में लेकिन मेरे समुदाय, शहर और देश में भी।
पिप्पा भी कहते है
लूका 24:1-12
मुझे इन महिलाओं में बहादुरी और प्रायोगिकता का मिश्रण बहुत पसंद है। जिस क्षण सब्त समाप्त हुआ वह कब्र पर जाती हैं। पुरुष कहाँ पर थे? पूर्ण घोर अवस्था में?
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संदर्भ
नोट्स:
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।