यह समाप्त नहीं हुआ है
परिचय
शायद से आपने खामोशी को सुना होगा. यह मंत्रमुग्ध कर देने वाला था. हम मोहित हो गए थे. एक पच्चासी वर्षीय पुरुष, जो लगभग पूरी तरह से अंधे थे, उन्होंने उठकर हमारे चर्च के छुट्टी के दिन सभी उम्र के 1500 लोगों से बात की. उनके पास कोई नोट्स नहीं था, निश्चित ही क्योंकि वह पढ़ नहीं सकते थे. उन्होंने दो बार उपदेश दिया, हर उपदेश एक घंटे का था.
पहले उपदेश में, उन्होंने संपूर्ण पुराने नियम के विषय में सांस रोक देने वाला उपदेश दिया. दूसरे उपदेश में, जो पूरी तरह से अद्भुत था, उन्होंने संपूर्ण नये नियम पर उपदेश दिया. इसमें कोई हिचकिचाहट नहीं थी, कोई डगमगाना नहीं था और एक शब्द भी यहाँ का वहाँ नहीं था. यह एक मनुष्य की सीखी हुई बुद्धि थी, जो अपने जीवन भर पूरे हृदय से प्रभु के पीछे चले थे.
बिशम लेसली न्युबिगिन के पास बीसवीं शताब्दी की सबसे उल्लेखनीय सेवकाई थी. छत्तीस वर्ष की उम्र में दक्षिणी भारत के न्यू चर्च के पहले बिशप के रूप में चुना गया था. जब वह भारत से वापस आए, इसके बाद, उन्होंने कई किताबें लिखी जो चर्च की सहायता करने के उद्देश्य से लिखी गई थी जो ऐसे विश्व में इसके मिशन को पूरा करने के लिए हैं जो व्यापक रूप से बदल रहा है और परमेश्वर की जरुरत को महसूस नहीं करता है.
उनके लेखांशो ने और उपदेश ने विश्व भर में हजारों मसीह लीडर्स को प्रभावित किया है. फिर भी इस चकित कर देने वाले मनुष्य ने, जिसने अपने जीवन में बहुत सी उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं, अपनी जीवनकथा का शीर्षक दिया है अधूरा कार्य. उनके लिए, हमेशा आशा करने के लिए बहुत कुछ और करने के लिए बहुत कुछ बाकी है.
भजन संहिता 52:1-9
संगीत निर्देशक के लिये उस समय का एक भक्ति गीत जब एदोमी दोएग ने शाऊल के पास आकर कहा था, दाऊद अबीमेलेक के घर में है।
52अरे ओ, बड़े व्यक्ति।
तू क्यों शेखी बघारता है जिन बुरे कामों को तू करता है? तू परमेश्वर का अपमान करता है।
तू बुरे काम करने को दिन भर षड़यन्त्र रचता है।
2 तू मूढ़ता भरी कुचक्र रचता रहता है। तेरी जीभ वैसी ही भयानक है, जैसा तेज उस्तरा होता है।
क्यों? क्योंकि तेरी जीभ झूठ बोलती रहती है!
3 तुझको नेकी से अधिक बदी भाती है।
तुझको झूठ का बोलना. सत्य के बोलने से अधिक भाता है।
4 तुझको और तेरी झूठी जीभ को, लोगों को हानि पहुँचाना अच्छा लगता है।
5 तुझे परमेश्वर सदा के लिए नष्ट कर देगा।
वह तुझ पर झपटेगा और तुझे पकड़कर घर से बाहर करेगा। वह तुझे मारेगा और तेरा कोई भी वंशज नहीं रहेगा।
6 सज्जन इसे देखेंगे
और परमेश्वर से डरना और उसका आदर करना सीखेंगे।
वे तुझ पर, जो घटा उस पर हँसेंगे और कहेंगे,
7 “देखो उस व्यक्ति के साथ क्या हुआ जो यहोवा पर निर्भर नहीं था।
उस व्यक्ति ने सोचा कि उसका धन और झूठ इसकी रक्षा करेंगे।”
8 किन्तु मैं परमेश्वर के मन्दिर में एक हरे जैतून के वूक्ष सा हूँ।
परमेश्वर की करूणा का मुझको सदा—सदा के लिए भरोसा है।
9 हे परमेश्वर, मैं उन कामों के लिए जिनको तूने किया, स्तुति करता हूँ।
मैं तेरे अन्य भक्तों के साथ, तेरे भले नाम पर भरोसा करूँगा!
समीक्षा
एक दर्शन देखने वाले के लिए यह कभी समाप्त नहीं होता है
परेशानी और विरोध के बीच में आपकी प्रतिक्रिया कैसी होती है? क्या डरने, भाग जाने, आशा छोड़ने या हार मानने का प्रलोभन आता है.
दाऊद एक दर्शन देखने वाला व्यक्ति था. दर्शन को 'जो है उसके प्रति एक गहरी संतुष्टि और जो हो सकता है कि उसकी स्पष्ट समझ' के एक मिश्रण के रूप में परिभाषित किया गया है. यदि आपके पास दर्शन है, तो आप हमेशा कह पायेंगे, 'यह समाप्त नहीं हुआ है.'
दाऊद ने अपने जीवन में बहुत सी उपलब्धियाँ प्राप्त की. फिर भी उन्हें विराध की वास्तविकता के साथ निपटना पड़ा. यह भजन एक विनाशकारी पीछा किए जाने के बाद लिखा गया था. दाऊद शाऊल से दूर भाग रहे थे, लेकिन उनका ठिकाना 'एदोमी दोएग' ने शाउल को बता दिया था. लेकिन शाऊल के मनुष्यों के वहाँ पहुँचने से पहले ही दाऊद वहाँ से जा चुके थे, उनके मित्र अहीमेलेक और उनका समस्त घराना मारा गया (1शमुएल 21:22 देखें).
इस भजन में हम देखते हैं कि कैसे उसे उन लोगों से निपटना था जो 'धोखे' से उसे नष्ट करने की कोशिश कर रहे थे (भजनसंहिता 52:2क), 'झूठे आरोप से' (व.3ब) और 'चोट पहुँचाने वाले शब्दों से' (व.4अ). शायद हम आश्चर्य कर सकते हैं कि क्या दाऊद दोएग के विषय में सोच रहे थे जब उन्होंने वह वर्णन लिखा. वह 7वचन में बताए गए व्यक्ति की तरह है, 'जिसने परमेश्वर को अपना दृढ़ गढ़ नहीं बनाया लेकिन अपनी महान संपत्ति पर भरोसा किया और दूसरों को नष्ट करने के द्वारा मजबूत बन गए!' इसमें बहुत ही आधुनिक रिंग है.
फिर भी, ऐसी परेशानी और विरोध के बीच में, दाऊद उदास नहीं हुए या उन्होंने हार नही मानी. वह देखते हैं, कि परमेश्वर के साथ यह समाप्त नहीं हुआ है. यह दोएग के लिए समाप्त नहीं हुआ हैः 'परमेश्वर तुझे अनंत रूप से बरबाद कर देंगे' (व.5अ). और यह दाऊद के लिए समाप्त नहीं हुआ हैः'मैं एक जैतून के पेड़ के समान हूँ जो परमेश्वर के घर में बढ़ रहा है' (व.8अ). दाऊद परमेश्वर की ओर (व.8अ)हैं. हम उनके उत्तर से क्या सीख सकते हैं?
- परमेश्वर के प्रेम पर भरोसा करें
'मैं सर्वदा परमेश्वर के असफल न होने वाले प्रेम पर भरोसा करता हूँ' (व.8ब). परमेश्वर का प्रेम कभी असफल नहीं होगा.
- परमेश्वर के कामों की स्तुती करें
'जो आपने किया है उसके लिए मैं हमेशा आपकी स्तुती करुंगा...मैं आपके संतो के सामने आपकी स्तुती करुंगा' (व.9अ). जब तक परमेश्वर दरवाजा न खोल दें, द्वार पर उनकी स्तुती करें.
- परमेश्वर के नाम में आशा रखें
'आपके नाम में, मैं आशा रखूँगा, क्योंकि आपका नाम अच्छा है' (व.9ब). आपकी परिस्थिति चाहे कितनी भी बुरी दिखाई देती हो, परमेश्वर के साथ यह समाप्त नहीं हुआ है. परमेश्वर के नाम में आशा रखें.
प्रार्थना
परमेश्वर उस सपनें और दर्शन के लिए आपका धन्यवाद जिसे आप मेरे हृदय में रखते हैं. जैसे ही मैं आने वाली चुनौतियों और विरोध का सामना करता हूँ, मैं आपके असफल न होने वाले प्रेम में भरोसा करुंगा और भविष्य के लिए आपमें अपनी आशा रखूँगा.
लूका 24:36-53
यीशु का अपने शिष्यों के सामने प्रकट होना
36 अभी वे उन्हें ये बातें बता ही रहे थे कि वह स्वयं उनके बीच आ खड़ा हुआ और उनसे बोला, “तुम्हें शान्ति मिले।”
37 किन्तु वे चौंक कर भयभीत हो उठे। उन्होंने सोचा जैसे वे कोई भूत देख रहे हों। 38 किन्तु वह उनसे बोला, “तुम ऐसे घबराये हुए क्यों हो? तुम्हारे मनों में संदेह क्यों उठ रहे हैं? 39 मेरे हाथों और मेरे पैरों को देखो। मुझे छुओ, और देखो कि किसी भूत के माँस और हड्डियाँ नहीं होतीं और जैसा कि तुम देख रहे हो कि, मेरे वे हैं।”
40 यह कहते हुए उसने हाथ और पैर उन्हें दिखाये। 41 किन्तु अपने आनन्द के कारण वे अब भी इस पर विश्वास नहीं कर सके। वे भौंचक्के थे सो यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम्हारे पास कुछ खाने को है?” 42 उन्होंने पकाई हुई मछली का एक टुकड़ा उसे दिया। 43 और उसने उसे लेकर उनके सामने ही खाया।
44 फिर उसने उनसे कहा, “ये बातें वे हैं जो मैंने तुमसे तब कही थीं, जब मैं तुम्हारे साथ था। हर वह बात जो मेरे विषय में मूसा की व्यवस्था में नबियों तथा भजनों की पुस्तक में लिखा है, पूरी होनी ही हैं।”
45 फिर पवित्र शास्त्रों को समझने केलिये उसने उनकी बुद्धि के द्वार खोल दिये। 46 और उसने उनसे कहा, “यह वही है, जो लिखा है कि मसीह यातना भोगेगा और तीसरे दिन मरे हुओं में से जी उठेगा। 47-48 और पापों की क्षमा के लिए मनफिराव का यह संदेश यरूशलेम से आरंभ होकर सब देशों में प्रचारित किया जाएगा। तुम इन बातों के साक्षी हो। 49 और अब मेरे परम पिता ने मुझसे जो प्रतिज्ञा की है, उसे मैं तुम्हारे लिये भेजूँगा। किन्तु तुम्हें इस नगर में उस समय तक ठहरे रहना होगा, जब तक तुम स्वर्ग की शक्ति से युक्त न हो जाओ।”
यीशु की स्वर्ग को वापसी
50 यीशु फिर उन्हें बैतनिय्याह तक बाहर ले गया। और उसने हाथ उठा कर उन्हें आशीर्वाद दिया। 51 उन्हें आशीर्वाद देते देते ही उसने उन्हें छोड़ दिया और फिर उसे स्वर्ग में उठा लिया गया। 52 तब उन्होंने उसकी आराधना की और असीम आनन्द के साथ वे यरूशलेम लौट आये। 53 और मन्दिर में परमेश्वर की स्तुति करते हुए वे अपना समय बिताने लगे।
समीक्षा
यीशु के लिए यह समाप्त नहीं हुआ है
जब क्रूस पर यीशु मर गए, तो यह बहुत बुरा दिखाई देता था. ऐसा लगता था कि उनके लिए और उनके अनुयायियों के लिए यह सब समाप्त हो चुका है.
लेकिन यह समाप्त नहीं हुआ था. परमेश्वर ने अभी समाप्त नहीं किया था. उन्होंने यीशु को फिर से जीवित किया. इस लेखांश में हम देखते हैं कि यीशु चेलों को दिखाई देते हैं और कहते हैं, 'तुम्हें शांति मिले' (व.36). अब भी वे 'परेशान' और 'संदेहास्पद' दिख रहे थे (व.38). यीशु उन्हें बहुत ही मजबूत प्रमाण देते हैं कि वह सच में जीवित हैं.
'मेरे हाथों को देखो; मेरे पैरों को देखो - यह सच में मैं हूँ. मुझे छुओं. मुझे सिर से लेकर पैरों तक देखो. एक भूत के पास इस तरह से माँसपेशियाँ और हड्डियाँ नहीं होती हैं' (व.39, एम.एस.जी.).
यीशु एक ऐतिहासिक व्यक्ति से बढ़कर हैं जो पैदा हुआ और 2000वर्ष पहले मर गया. वह जीवित हैं. वह आज यहाँ पर हैं और उपस्थित हैं.
जब चेलों ने समझा कि यीशु सच में जीवित हैं, वे 'आंनद' और 'आश्चर्य' से भर गए (व.41). बची हुई मछली का एक टुकड़ा खाकर (व.42) वह उनसे कहते हैं, 'ये मेरी वे बातें हैं, जो मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कही थीं कि अवश्य है कि जितनी बातें मूसा की व्यवस्था और भविष्यवक्ताओं और भजनों की पुस्तकों में मेरे विषय में लिखी हैं, सब पूरी हों' (व.44-47, एम.एस.जी.).
जब यीशु ने उन्हें दिखाया कि 'कैसे अपनी बाईबल को इस तरह से पढ़ना है' (व.45, एम.एस.जी.), वह हमारे लिए नमूने को सामने रखते हैं. यही कारण है कि आपको हमेशा पुराने नियम के वचनों को यीशु के नजरिये से देखने की आवश्यकता है.
यीशु ने पूरी तरह से उनके मिशन के इस भाग को पूरा किया था, जिसके विषय में पुराने नियम में पहले ही बताया गया था. फिर भी, यीशु का काम पूरा नहीं हुआ था.
उनके चेलों के पास एक काम थाः' और यरूशलेम से लेकर सब जातियों में मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार, उसी के नाम में किया जाएगा' (व.47). अब, आप और मैं, उसके चेलों के पास 'सभी देशों को' यीशु के बारे में बताने का काम दिया गया है – पाप से मन फिराव और क्षमा के विषय में बताना (व.47). उनके कार्य के इस भाग के लिए आपको पवित्र आत्मा की सामर्थ की आवश्यकता पड़ेगी. यीशु वायदा करते हैं कि 'तुम ऊपर से सामर्थ पाओगे' (व.49).
अपने नए काम को निर्धारित करने के बाद, यीशु ने 'अपने हाथों को उठाकर उन्हें आशीष दी. और उन्हें आशीष देते हुए वह उनसे अलग हो गये और स्वर्ग में उठा लिए गये' (वव.50-51). यह दिलचस्प बात है कि स्वर्ग में उठा लिए जाने के बाद और जब वह भौतिक रूप से उनके साथ नहीं थे, तब उन्होंने यीशु को दंडवत किया (व.52अ), यह जानते हुए कि वह अब भी उनके साथ थे. तब वे 'आनंद के साथ' यरुशलेम लौट गए (व.52ब, एम.एस.जी.). उनके साथ यीशु के समय का अंत भी एक बहुत ही उत्साहित करने वाली शुरुवात थी.
पिंतेकुस्त के दिन, उन्हें वह मिला जिसका वायदा यीशु ने किया था. वे पवित्र आत्मा से भर गए और यीशु के इन नये कार्य को आगे ले जाने लगे. आज विश्व भर में, यीशु के कार्य को उनके चेले आगे बढ़ा रहे हैं. यह अभी समाप्त नहीं हुआ है. आप और मैं यीशु के समाप्त न हुए काम को पूरा करने में एक भूमिका निभा सकते हैं. यह अभी समाप्त नहीं हुआ है. एक दिन यह समाप्त होगा और तब यीशु वापस आएंगे.
प्रार्थना
परमेश्वर, मैं अपने जीवन को आपके, समाप्त नहीं हुए कार्य के लिए सौंपता हूँ. आपका धन्यवाद क्योंकि पवित्र आत्मा मुझे तैयार करते हैं और इस काम के लिए मेरा समर्थन करते हैं.
यहोशू 13:1-14:15
प्रदेश जो अभी तक नहीं लिये गये
13जब यहोशू बहुत बूढ़ा हो गया तो यहोवा ने उससे कहा, “यहोशू तुम बूढ़े हो गए हो, लेकिन अभी तुम्हें बहुत सी भूमि पर अधिकार करना है। 2 तुमने अभी तक गशूर लोगों की भूमि और पलिश्तियों की भूमि नहीं ली है। 3 तुमने मिस्र की सीमा पर शिहोर नदी से लेकर उत्तर में एक्रोन की सीमा तक का क्षेत्र नहीं लिया है। वह अभी तक कनानी लोगों का है। तुम्हें राजा, अशदोद, अशकलोन, गत तथा एक्रोन पाँचों पलिश्ती के प्रमुखों को हराना है। तुम्हें उन अब्बी लोगों को हराना चाहिये। 4 जो कनानी प्रदेश के दक्षिण में रहते हैं। 5 तुमने अभी गबाली लोगों के क्षेत्र को नहीं हराया है और अभी बालगाद के पूर्व और हेर्मोन पर्वत के नीचे लबानोन का क्षेत्र भी है।
6 “सिदोन के लोग लबानोन से मिस्रपोतमैम तक पहाड़ी प्रदेश में रह रहे हैं। किन्तु मैं इस्राएल के लोगों के लिये इन सभी को बलपूर्वक निकाल बाहर करूँगा। जब तुम इस्राएल के लोगों में भूमि बाटों, तो इस प्रदेश को निश्चय ही याद रखो। इसे वैसे ही करो जैसा मैंने कहा है। 7 अब, तुम भूमि को नौ परिवार समूह और मनश्शे के परिवार समूह के आधे में बाँटो।”
प्रदेशों का बटवारा
8 मैंने मनश्शे के परिवार समूह के दूसरे आधे लोगों को पहले ही भूमि दे दी है। मैंने रूबेन के परिवार समूह तथा गाद के परिवार समूह को भी पहले ही भूमि दे दी है। यहोवा के सेवक मूसा ने यरदन नदी के पूर्व का प्रदेश उन्हें दिया। 9 मूसा ने जो भूमि यरदन नदी के पूर्व में उन्हें दी थी, वह यह है: इस भूमि के अन्तर्गत दीबोन से मेदबा तक का पूरा मैदान आता है। यह भूमि अर्नान संकरी घाटी पर अरोएर से आरम्भ होती है। यह भूमि घाटी के बीच नगर तक लगातार फैली है। 10 एमोरी लोगों का राजा सीहोन जिन नगरों पर शासन करता था, वे इस भूमि में थे। वह राजा हेशबोन नगर में शासन करता था। वह भूमि लगातार उस क्षेत्र तक थी जिसमें एमोरी लोग रहते थे। 11 गिलाद नगर भी उसी भूमि में था। गशूर और माका लगो जिस क्षेत्र में रहते थे वह उसी भूमि में था। सारा हेर्मोन पर्वत और सल्का तक सारा बाशान उस भूमि में था। 12 राजा ओग का सारा राज्य उसी भूमि में था। राजा ओग बाशान में शासन करता था। पहले वह आशतारोत और एद्रेई में शासन करता था। ओग रपाइ लोगों में से था। पहले ही मूसा ने उन लोगों को हराया था और उनका प्रदेश ले लिया था। 13 इस्राएल के लोग गशूर और माका लोगों को बलपूर्वक निकाल बाहर नहीं कर सके। वे लोग अब तक आज भी इस्राएल के लोगों के साथ रहते हैं।
14 केवल लेवी का परिवार समूह ही ऐसा था जिसे कोई भूमि नहीं मिली। उसके बदले उन्हें वे सभी खाद्य भेंटें मिलीं जो इस्राएल के परमेश्वर यहोवा को भेंट के रूप में चढ़ाई जाती थीं। यहोवा ने लेवीवंशियों को इसका वचन दिया था।
15 मूसा ने रूबेन के परिवार समूह से हर एक परिवार समूह को कुछ भूमि दी। यह भूमि है जिसे उन्होंने पायाः 16 अर्नोन की संकरी घाटी के निकट अरोएर से लेकर मेदबा नगर तक की भूमि। इसमें सारा मैदान और दर्रे के बीच का नगर सम्मिलित था। 17 यह भूमि हेशबोन तक लगातार थी। इस भूमि में मैदान के सभी नगर थे। ये नगर दीबोन, बामोतबाल, बेतबाल्मोन, 18 यहसा, कदेमोत, मेपात, 19 किर्यातैम, सिबमा और घाटी में पहाड़ी पर सेरेथशहर, 20 बेतपोर, पिसगा की पहाड़ियाँ और बेत्यशीमोत थे। 21 इस भूमि में मैदान के सभी नगर और एमोरी लोगों के राजा सीहोन ने जिस पर शासन किया था, वह क्षेत्र था। उस राजा ने हेशबोन, पर शासन किया था। किन्तु मूसा ने उसे तथा मिद्यानी लोगों को हराया था। वे लोगों एवी, रेकेम, सूर, हूर और रेबा थे। (ये सभी प्रमुख सीहोन के साथ युद्ध में लड़े थे।) ये सभी प्रमुख उसी देश में रहते थे। 22 इस्राएल के लोगों ने बोर के पुत्र बिलाम को हराया। (बिलाम ने भविष्यवाणी के लिये जादू का उपयोग करने का प्रयत्न किया) इस्राएल के लोगों ने युद्ध में अनेक लोगों को मारा। 23 जो प्रदेश रूबेन को दिया गया था, उसका अन्त यरदन नदी के किनारे पर होता था। इसलिये यह भूमि रूबेन के परिवार समूहों को दी गई, इसमें ये सभी नगर और सूची में लिखे सभी खेत सम्मिलित थे।
24 यह वह भूमि है जिसे मूसा ने गाद के परिवार समूह को दी। मूसा ने यह भूमि प्रत्येक परिवार समूहों को दिया।
25 याजेर का प्रदेश और गिलाद के सभी नगर। मूसा ने उन्हें अम्मोनी लोगों की भूमि का आधा भाग रब्बा के निकट अरोएर तक भी दिया था। 26 इस प्रदेश में हेशबोन से रामतमिस्पे और बेतोनीम के क्षेत्र सम्मिलित थे। इस प्रदेश में महनैम से दबीर तक के क्षेत्र सम्मिलित थे। 27 इसमें बेथारम की घाटी, बेत्रिम्रा, सुक्कोत और सापोन सम्मिलित थे। बाकी का वह सारा प्रदेश जिस पर हेशबोन के राजा सीहोन ने शासन किया था, इसमें सम्मिलित था। यह भूमि यरदन नदी के पूर्व की ओर है। यह भूमि लगातार गलील झील के अन्त तक फैली है। 28 यह सारा प्रदेश वह है जिसे मूसा ने गाद के परिवार समूह को दिया था। इस भूमि में ये सारे नगर थे जो सूची में हैं। मूसा ने वह भूमि हर एक परिवार समूह को दी।
29 यह वह भूमि है जिसे मूसा ने मनश्शे परिवार समूह के आधे लोगों को दिया। मनश्शे के परिवार समूह के लोगों ने यह भूमि पाईः
30 भूमि महनैम से आरम्भ हुई। इसमें वह पूरा बाशान अर्थात् जिस सारे प्रदेश पर बाशान का राजा ओग शासन करता था और बाशान में याइर के सभी नगर सम्मिलित थे। (सब मिलाकर साठ नगर थे।) 31 इस भूमि में आधा गिलाद, अश्तारोत और एद्रेई सम्मिलित थे। (गिलाद, अश्तारोत और एद्रेई वे नगर थे जिसमें ओग रहता था। ) यह सारा प्रदेश मनश्शे के पुत्र माकीर के परिवार को दिये गए। इन आधे पुत्रों ने यह प्रदेश पाया।
32 मूसा ने मोआब के मैदान में इन परिवार समूह को यह पूरी भूमि दी। यह यरीहो के पूर्व में यरदन नदी के पार थी। 33 किन्तु मूसा ने लेवी परिवार समूह को कोई भूमि नहीं दी। इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने यह वचन दिया कि वह स्वयं लेवी के परिवार समूह की भेंट के रूप में होगा।
14याजक एलीआज़ार, नून के पुत्र यहोशू और इस्राएल के परिवार समूह के प्रमुखों ने निश्चय किया कि वे किस भूमि को किन लोगों को दें। 2 यहोवा ने वह ढंग मूसा को बहुत पहले बता दिया था, जिस ढंग से वह चाहता था कि लोग अपनी भूमि चुनें। साढ़े नौ परिवार समूह के लोगों ने कौन सी भूमि वे पाएंगे इसका निश्चय करने के लिये गोटे डालीं। 3 मूसा ने ढाई परिवार समूहों को उनकी भूमि उन्हें यरदन नदी के पूर्व में दे दी थी। किन्तु लेवी के परिवार समूह को अन्य लोगों की तरह कोई भी भूमि नहीं मिली। 4 बारह परिवार समूहों को अपनी निजी भूमि दी गई। यूसुफ के पुत्र दो परिवार समूहों—मनश्शे और एप्रैम में बँट गए थे और हर एक परिवार समूह ने कुछ भूमि प्राप्त की। किन्तु लेवी के परिवार समूह के लोगों को कोई भूमि नहीं दी गई। उनकों रहने के लिये कुछ नगर दिए गए थे और ये नगर प्रत्येक परिवार समूह की भूमि में थे। उन्हें जानवरों के लिए खेत भी दिये गये थे। 5 यहोवा ने मूसा को बता दिया था कि वह किस ढंग से इस्राएल के परिवार समूहों को भूमि दे। इस्राएल के लोगों ने उसी ढंग से भूमि को बाँटा, जिस ढंग से बाँटने के लिये यहोवा का आदेश था।
कालेब को उसका प्रदेश मिलता है
6 एक दिन यहूदा परिवार समूह के लोग गिलगाल में यहोशू के पास गए। उन लोगों में कनजी यपुन्ने का पुत्र कालेब था। कालेब ने यहोशू से कहा, “कादेशबर्ने में यहोवा ने जो बातें कही थीं। तुम्हें याद है। यहोवा अपने सेवक मूसा से बातें कर रहा था। यहोवा तुम्हारे और हमारे बारे में बातें कर रहा था। 7 यहोवा के सेवक मूसा ने मुझे उस प्रदेश की जाँच के लिये भेजा जहाँ हम लोग जा रहे थे। उस समय मैं चालीस वर्ष का था। जब मैं लौटा तो मूसा को मैंने वह बताया, जो मैं उस प्रदेश के बारे में सोचता था। 8 किन्तु जो अन्य व्यक्ति मेरे साथ गए थे उन्होंने उनसे ऐसी बातें कीं जिससे लोग डर गए। किन्तु मैं ठीक—ठीक विश्वास कर रहा था, कि यहोवा हम लोगों को वह देश लेने देगा। 9 इसलिए मूसा ने वचन दिया, ‘जिस देश में तुम गए थे वह तुम्हारा होगा। वह प्रदेश सदैव तुम्हारे बच्चों का रहेगा। मैं वह प्रदेश तुम्हें दूँगा, क्योंकि तुमने यहोवा मेरे परमेश्वर पर पूरा विश्वास किया है।’
10 “अब, सोचो कि उस समय से यहोवा ने जैसा कहा था उसी प्रकार मुझे पैंतालीस वर्ष तक जीवित रखा है। उस समय हम सब मरुभूमि में भटकते रहे। अब, मैं पचासी वर्ष का हो गया हूँ। 11 मैं अब भी उतना ही शक्तिशाली हूँ जितना शक्तिशाली मैं उस समय था, जब मूसा ने मुझे भेजा था। मैं उन दिनों की तरह अब भी युद्ध करने को तैयार हूँ। 12 इसलिये वह पहाड़ी प्रदेश मुझको दे दो जिसे यहोवा ने बहुत पहले उस दिन मुझे देने का वचन दिया था। उस समय तुमको पता चला था कि वहाँ शक्तिशाली अनाकी लोग रहते हैं और नगर बहुत बड़े और अच्छी प्रकार सुरक्षित थे। किन्तु अब संभव है, यहोवा मेरे साथ है और मैं उस प्रदेश को वैसे ही ले सकूँ जैसा यहोवा ने कहा है।”
13 यहोशू ने यपुन्ने के पुत्र कालेब को आशीर्वाद दिया। यहोशू ने हेब्रोन नगर को उसके अधिकार में दे दिया 14 और वह नगर अब भी कनजी यपुन्ने के पुत्र कालेब के परिवार का है। वह प्रदेश अब तक उसके लोगों का है क्योंकि, उसने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की आज्ञा मानी और उस पर पूर्ण विश्वास किया। 15 पहले इस नगर का नाम किर्यतर्बा था। नगर का नाम अनाकी लोगों के महानतम अर्बा नामक व्यक्ति के नाम पर रखा गया था।
इसके बाद, उस देश में शान्ति रही।
समीक्षा
जो 'अच्छी रीति से समाप्त करते हैं' उनके लिए यह कभी समाप्त नहीं होता है
जो अच्छी रीति से समाप्त करते हैं उनके पास हमेशा एक अधूरा काम रहेगा. आप कह पायेंगे, 'यह समाप्त नहीं हुआ.'
फिर से हम इस 'अधूरे कार्य' को यहोशू के जीवन में देखते हैः 'जब यहोशू बूढा हो गया, तब परमेश्वर ने उससे कहा, 'तू बूढ़ा और बहुत उम्र का हो गया है, और बहुत देश रह गए हैं, जो इस्राएल के अधिकार में अभी तक नहीं आए' (13:1, एम.एस.जी.).
यहोशू के उदाहरण के द्वारा उत्साहित हो जाईये. वह पूरे हृदय से परमेश्वर के पीछे चले. वैसा ही कालेब ने किया, जो कह पाये, 'मैं पूरे हृदय से मेरे प्रभु परमेश्वर के पीछे चला हूँ' (14:9). 'उसने अपने आपको पूरी तरह से परमेश्वर को दे दिया' (व.14, एम.एस.जी.).
ना केवल कालेब चालीस वर्ष की उम्र में पूरे हृदय से परमेश्वर के पीछे चले (व.7), उन्होंने पिच्चासी वर्ष की उम्र में भी ऐसा ही किया (व.10 – वही उम्र जब लेसली न्युबिगिन ने आश्चर्यचकित करने वाले उपदेश दिए थे). यह चुनौती है –अच्छी रीति से समाप्त करना, अपने पहले प्रेम को नहीं खोना लेकिन अपनी आँखे यीशु पर लगाना.
कालेब के लिए परिणाम था 'सामर्थ' – उसके लिए यह भौतिक सामर्थ थी, साथ ही साथ चरित्र की आंतरिक सामर्थ (व.11). लेकिन वह सभी लोग जो अपने आपको पूरी तरह से परमेश्वर को दे देते हैं, उनके लिए पवित्र आत्मा की आंतरिक सामर्थ है, जिसका वायदा यीशु आपसे और मुझसे करते हैं. आपको पवित्र आत्मा की इस आंतरिक सामर्थ की आवश्यकता है यदि आपको अच्छी रीति से समाप्त करना है और अपनी बुलाहट को पूरा करना है, यीशु के नये कार्य को पूरा करने का प्रयास करने के लिए.
प्रार्थना
परमेश्वर, अच्छी रीति से समाप्त करने में मेरी सहायता कीजिए. कि मैं अपने जीवन के अंत में कह पाऊँ, 'मैं पूरे हृदय से मेरे प्रभु परमेश्वर के पीछे चला.' कृपा करके मुझे पवित्र आत्मा की आंतरिक सामर्थ से भर दें, जैसे ही मैं यीशु के नये कार्य को पूरा करने और सारे देशों में उनके नाम में सुसमाचार का प्रचार करने का प्रयास करता हूँ.
पिप्पा भी कहते है
लूका 24:39
'मेरे हाथ और पैर को देखो.'
भारत में हमारी एक यात्रा के दौरान, हमें ओबेरॉय और ताज महल होटल के कुछ स्टाफ से बात करने के लिए कहा गया था. नवंबर 2008 में दोनों ही होटल पर आतंकवादी हमले हुए थे. बहुत से लोग मारे गए थे; दूसरे जखमी हो चुके थे. बहुत से स्टाफ को सदमा पहुँचा था –घेराबंदी के दौरान छिपे रहने और अपने मित्रों और होटल के महमानों को उनके सामने गोली लगते देखने के कारण.
जैसे ही मैं उनके सामने खड़ा हुआ, मैं उनके दर्द और उस सदमें के द्वारा छू लिया गया था जिससे वे गुजरे थे. जैसे ही मैंने वचनों को खोजा, मुझे यह लेखांश याद आया – कि यीशु ने उनके बीच खड़े होकर कहा, 'तुम्हें शांति मिले' (व.36) और उन्हें अपने हाथ और अपने पैर दिखाए. यहाँ तक कि पुनरुत्थान के बाद भी उनके कष्टों के निशान वे अनंतता में ले गए हैं.
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संदर्भ
नोट्स:
जॉन स्कॉट, आज मसीह जिन कष्टों का सामना कर रहे हैं, (जॉन्डर्वन, 2006) पी.368
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
प्रकाशन नोट्स
आज मसीही जिन कष्टों का सामना कर रहे हैं, जॉन स्कॉट, पी.368
यीशु पर निर्णय, लेसलि बधाम, पी.98 (यह हेलशाम के कथन है, हैरान कर देनेवाले)
लॉर्ड हेलशाम, दरवाजा जिसमें से मैं गुजरा