विरोध का सामना कैसे करें (विरोध को कैसे संभालें)
परिचय
मैंने विरोध को कभी आसान नहीं पाया. यह एक संवेदनशील कार्यवाई है. सही पहुँच रखना बहुत महत्वपूर्ण है, कार्य के लिए सही शब्द. या, गोल्फिंग अनुरूपता का उपयोग करना, यह एक कौशल की तरह है जिसमे यह जानना होता है कि कौन से क्लब का उपयोग करना है.
जो विरोध का सामना करना जानते हैं उनके पास पहुँच और शब्दों की बहुत सी किस्में होती हैं और वे जानते हैं कि उचित तरीके का उपयोग कैसे किया जाना है.
विरोध हमेशा सही मार्ग में नहीं होता. हरएक निंदा का विरोध करना है. और हरएक गलत कथनों को खंडन करना भी जरूरी नहीं है.
मैं सच में उन लोगों की तारीफ करता हूँ जो यह जानते हैं कि सामना कब करना है और जो बड़े प्यार से सामना करना जानते हैं. (इफीसियों 4:15).
सामना करना कब जरूरी है, और यह आपको किस तरह से करना है?
भजन संहिता 55:1-11
वाद्यों की संगीत पर संगीत निर्देशक के लिए दाऊद का एक भक्ति गीत।
55हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना सुन।
कृपा करके मुझसे तू दूर मत हो।
2 हे परमेश्वर, कृपा करके मेरी सुन और मुझे उत्तर दे।
तू मुझको अपनी व्यथा तुझसे कहने दे।
3 मेरे शत्रु ने मुझसे दुर्वचन बोले हैं। दुष्ट जनों ने मुझ पर चीखा।
मेरे शत्रु क्रोध कर मुझ पर टूट पड़े हैं।
वे मुझे नाश करने विपति ढाते हैं।
4 मेरा मन भीतर से चूर—चूर हो रहा है,
और मुझको मृत्यु से बहुत डर लग रहा है।
5 मैं बहुत डरा हुआ हूँ।
मैं थरथर काँप रहा हूँ। मैं भयभीत हूँ।
6 ओह, यदि कपोत के समान मेरे पंख होते,
यदि मैं पंख पाता तो दूर कोई चैन पाने के स्थान को उड़ जाता।
7 मैं उड़कर दूर निर्जन में जाता।
8 मैं दूर चला जाऊँगा
और इस विपत्ति की आँधी से बचकर दूर भाग जाऊँगा।
9 हे मेरे स्वमी, इस नगर में हिँसा और बहुत दंगे और उनके झूठों को रोक जो मुझको दिख रही है।
10 इस नगर में, हर कहीं मुझे रात—दिन विपत्ति घेरे है।
इस नगर में भयंकर घटनायें घट रही हैं।
11 गलियों में बहुत अधिक अपराध फैला है।
हर कहीं लोग झूठ बोल बोल कर छलते हैं।
समीक्षा
प्रार्थना पूर्वक बुराई का सामना करें
आजकल हमारे शहरों में बुरी शक्तियाँ कार्य कर रही हैं. बगदाद से लेकर ब्रसेल्स तक सारी दुनिया में बम विस्फोट और आंतकवादी हमले हो रहे हैं.
दाऊद ने भी शहर में बुराई की हिसात्मक और विनाशकारी शक्तियों का सामना किया था. (वव.9ब,11अ).
जब दाऊद ने अपने शत्रु के कोलाहल और दुष्ट उपद्रव का सामना किया (व.3), तो उन्होंने कहा, 'भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता! देखो, फिर तो मैं उड़ते उड़ते दूर निकल जाता और जंगल में बसेरा लेता, मैं प्रचण्ड बयार और आन्धी के झोंके से बचकर किसी शरण स्थान में भाग जाता' (वव.6-8).
पलायनवाद एक प्रलोभन है – विरोध का सामना करने से बचने का. लेकिन बुराई का सामना करना चाहिये. आपको दूर भागने के लिए नहीं बुलाया गया है, और ना ही इसके द्वारा पराजित होने के लिए. बल्कि आपको बने रहने के लिए और वह करने के लिए बुलाया गया है जो आप कर सकते हैं. जैसा कि संत पौलुस लिखते हैं, 'बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो' (रोमियों 12:21).
हिंसा और विनाश के लिए दाऊद की प्रतिक्रिया थी – परमेश्वर को हस्तक्षेप करने के लिए कहना. वह प्रार्थना करते हैं 'हे प्रभु, उन को सत्यानाश कर, और उनकी भाषा में गड़बड़ी डाल दे;' (भजन संहिता 55:9). 'विनाशकारी शक्तियों' के विरूद्ध प्रार्थना हमारी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया है (व.11).
प्रार्थना और कार्य साथ-साथ चलते हैं. आपको दोनों की जरूरत हैं. जब आप शारीरिक रूप से मदद नहीं कर सकते तब भी आप हमेशा प्रार्थना कर सकते हैं. आपकी प्रार्थनाओं के कारण परमेश्वर कार्य करते हैं.
प्रार्थना
'हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा; और मेरी गिड़गिड़ाहट से मुंह न मोड़!' (व.1). मेरी मदद करिए कि 'मैं बुराई से न हारूँ परन्तु भलाई से बुराई को जीत लूँ.'
यूहन्ना 3:1-21
यीशु और नीकुदेमुस
3वहाँ फरीसियों का एक आदमी था जिसका नाम था नीकुदेमुस। वह यहूदियों का नेता था। 2 वह यीशु के पास रात में आया और उससे बोला, “हे गुरु, हम जानते हैं कि तू गुरु है और परमेश्वर की ओर से आया है, क्योंकि ऐसे आश्चर्यकर्म जिसे तू करता है परमेश्वर की सहायता के बिना कोई नहीं कर सकता।”
3 जवाब में यीशु ने उससे कहा, “सत्य सत्य, मैं तुम्हें बताता हूँ, यदि कोई व्यक्ति नये सिरे से जन्म न ले तो वह परमेश्वर के राज्य को नहीं देख सकता।”
4 नीकुदेमुस ने उससे कहा, “कोई आदमी बूढ़ा हो जाने के बाद फिर जन्म कैसे ले सकता है? निश्चय ही वह अपनी माँ की कोख में प्रवेश करके दुबारा तो जन्म ले नहीं सकता!”
5 यीशु ने जवाब दिया, “सच्चाई तुम्हें मैं बताता हूँ। यदि कोई आदमी जल और आत्मा से जन्म नहीं लेता तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं पा सकता। 6 माँस से केवल माँस ही पैदा होता है; और जो आत्मा से उत्पन्न हो वह आत्मा है। 7 मैंने तुमसे जो कहा है उस पर आश्चर्य मत करो, ‘तुम्हें नये सिरे से जन्म लेना ही होगा।’ 8 हवा जिधर चाहती है, उधर बहती है। तुम उसकी आवाज़ सुन सकते हो। किन्तु तुम यह नहीं जान सकते कि वह कहाँ से आ रही है, और कहाँ को जा रही है। आत्मा से जन्मा हुआ हर व्यक्ति भी ऐसा ही है।”
9 जवाब मे नीकुदेमुस ने उससे कहा, “यह कैसे हो सकता है?”
10 यीशु ने उसे जवाब देते हुए कहा, “तुम इस्राएलियों के गुरु हो फिर भी यह नहीं जानते? 11 मैं तुम्हें सच्चाई बताता हूँ, हम जो जानते हैं, वही बोलते हैं। और वही बताते हैं जो हमने देखा है, पर तुम लोग जो हम कहते हैं उसे स्वीकार नहीं करते। 12 मैंने तुम्हें धरती की बातें बतायीं और तुमने उन पर विश्वास नहीं किया इसलिये अगर मैं स्वर्ग की बातें बताऊँ तो तुम उन पर कैसे विश्वास करोगे? 13 स्वर्ग में ऊपर कोई नहीं गया, सिवाय उसके, जो स्वर्ग से उतर कर आया है यानी मानवपुत्र।
14 “जैसे मूसा ने रेगिस्तान में साँप को ऊपर उठा लिया था, वैसे ही मानवपुत्र भी ऊपर उठा लिया जायेगा। 15 ताकि वे सब जो उसमें विश्वास करते हैं, अनन्त जीवन पा सकें।”
16 परमेश्वर को जगत से इतना प्रेम था कि उसने अपने एकमात्र पुत्र को दे दिया, ताकि हर वह आदमी जो उसमें विश्वास रखता है, नष्ट न हो जाये बल्कि उसे अनन्त जीवन मिल जाये। 17 परमेश्वर ने अपने बेटे को जगत में इसलिये नहीं भेजा कि वह दुनिया को अपराधी ठहराये बल्कि उसे इसलिये भेजा कि उसके द्वारा दुनिया का उद्धार हो। 18 जो उसमें विश्वास रखता है उसे दोषी न ठहराया जाय पर जो उसमें विश्वास नहीं रखता, उसे दोषी ठहराया जा चुका है क्योंकि उसने परमेश्वर के एकमात्र पुत्र के नाम में विश्वास नहीं रखा है। 19 इस निर्णय का आधार यह है कि ज्योति इस दुनिया में आ चुकी है पर ज्योति के बजाय लोग अंधेरे को अधिक महत्त्व देते हैं। क्योंकि उनके कार्य बुरे हैं। 20 हर वह आदमी जो पाप करता है ज्योति से घृणा रखता है और ज्योति के नज़दीक नहीं आता ताकि उसके पाप उजागर न हो जायें। 21 पर वह जो सत्य पर चलता है, ज्योति के निकट आता है ताकि यह प्रकट हो जाये कि उसके कर्म परमेश्वर के द्वारा कराये गये हैं।
समीक्षा
लोगों का सामना प्यार से करें
जो लोग कमजोर स्थिति में हैं उनका सामना करना अपेक्षाकृत आसान है और कभी-कभी कायरपन भी. जो अपनी नौकरी, स्थिति या धन में हमसे ज्यादा ताकतवर हैं उनका समाना करने में बहुत साहस चाहिये.
यीशु सामना करने में निपुण थे. वह इससे कभी भी पीछे नहीं हटे. दूसरी तरफ उन्होंने कभी भी बुरे इरादे से कार्य नहीं किया बल्कि प्रेम से किया.
नीकुदेमुस यहूदियों का एक शक्तिशाली सरदार था; नीतिमान और खरा फरीसी और यहूदी शासन समिती का सदस्य भी था (व.1). यीशु उसकी पदवी से विचलित नहीं हुए. उन्होंने नीकुदेमस को 'फिर से जन्म लेने' – अतीत की अपनी तकलीफों, आदतों और पुराने तरीकों को छोड़कर एक नई शुरुवात की आवश्यकता के बारे में प्यार से समझाया. यीशु का संदेश रूपांतरण के बारे में है.
नीकुदेमस को पानी और पवित्र आत्मा से फिर से जन्म लेने की जरूरत थी (व.5). बाहरी शुद्धिकरण के साथ साथ पवित्र आत्मा का अंदर निवास करना भी जरूरी है.
अब हम परमेश्वर को शरीर में नहीं देखते. बल्कि हम परमेश्वर के प्रमाण देखते हैं. जैसे हम हवा के बहने का प्रभाव पेड़ और पत्तों के हिलने से जान जाते हैं, उसी तरह से हम अदृश्य को दृश्य रूप में देखते हैं (व5, एमएसजी).
यीशु कहते हैं उसी तरह से हम पवित्र आत्मा को देख सकते हैं, लेकिन आप लोगों के जीवनों पर उनके प्रभाव को देख सकते हैं: 'क्योंकि जो शरीर से जन्मा है, वह शरीर है; और जो आत्मा से जन्मा है, वह आत्मा है' (व.6).
यीशु ने नीकुदेमुस के विश्वास को चुनौती बड़े प्यार से दी. जंगल में सांप की तस्वीर का उपयोग करते हुए (गिनती 21 से), यीशु ने यह भविष्यवाणी की कि उन्हें क्रूस पर चढ़ाया जाएगा, ताकि 'जो कोई उन पर विश्वास करे, वह अनंत जीवन पाए' (व.15).
'विश्वास करना' यानि 'भरोसा करना' है. हम जब भी किसी संबंध में प्रवेश करते हैं तब हम एक जोखिम लेते हैं. सभी संबंधों में भरोसा रखने की जरूरत है. प्रभावशाली संबंधों में भरोसा रखने से यह बढ़ता है और बना रहता है.
यीशु परमेश्वर के प्रेम के बारे में सिखाते हैं. वचन 16 में प्यार के लिए उपयोग किया गया ग्रीक शब्द, अगापे है, जो सिर्फ यूहन्ना के सुसमाचार में 44 बार नजर आता है. यह शब्द यूहन्ना के सुसमाचार का सारांश है और अवश्य ही, संपूर्ण नये नियम का भी: ' परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए' (व.16).
परमेश्वर हैं और उनका प्यार इतना विशाल है कि वह सभी मानव जाति को बिना किसी भेदभाव या अपेक्षा के गले लगा सके. यह अनिश्चित या भावनात्मक प्रेम नहीं है. परमेश्वर का प्रेम असीमित रूप से अधिक है और यह आपके और मेरे लिए बलिदान होने की इच्छा से प्रदर्शित होता है.
दुनिया में बहुत गड़बड़ी है. लोग अक्सर पूछते हैं, 'परमेश्वर कुछ करते क्यों नहीं?' उत्तर है, उन्होंने कर दिया है. वह स्वयं अपने पुत्र, यीशु, के रूप में आए, आपके लिए क्रूस पर मरने और फिर से जी उठने के लिए. यीशु दु:ख उठाने के बारे में समझते हैं. उन्होंने हमारे लिए दु:ख उठाया और हमारे साथ-साथ भी दु:ख उठा रहे हैं.
कई लोगों ने यह मानना बंद कर दिया है कि मृत्यु के बाद भी जीवन है. लेकिन यीशु ने वायदा किया है कि 'हमें अनंत जीवन मिलेगा, और हम \[सच में\] सदा के लिए जीवित रहेंगे (व.15, एएमपी). यह जीवन का अंत नहीं है. कब्र के परे भी आशा है. यीशु आपको अनंत जीवन दे रहे हैं.
विरोध का सामना करने और निंदा करने में बहुत बड़ा फर्क है. यीशु ने लोगों का सामना किया, लेकिन उन्होंने उन पर दोष नहीं लगाया. यीशु आपको दंड देने नहीं बल्कि आपको दंड से बचाने के लिए आए हैं (वव.17-18). यीशु की तरह मुझे और आपको भी दंड की आज्ञा नहीं – बल्कि उद्धार के सुसमाचार का संदेश देना चाहिये. किसी व्यक्ति को बचाना यानि उसे खतरे से बाहर निकालना, या उसे कैद से बाहर निकाल कर उसे आजाद करना है, उसे चंगा करना है और उसे संपूर्ण बनाना है.
अगला, यीशु बताते हैं कि किस तरह से ज्योति प्रकट करती है और अंधकार को हटा देती है (वव. 19-21). यीशु कहते हैं, कुछ लोग उनका इंकार करते हैं क्योंकि 'उनके काम बुरे हैं' (व.19). हम ज्योति में आना नहीं चाहते क्योंकि हम जो भी गलत काम कर रहे हैं उन्हें हम छोड़ना नहीं चाहते.
हम नहीं चाहते कि लोग हमारे अंदर अंधकार का भाग देखें. हम अपने अंदर नजर आने वाले अंधकार के सभी कार्य को अच्छे कार्य के पीछे छिपा देते हैं. पाप ज्योति से नफरत करता है. जब हम पाप करते हैं तो हम यीशु की ज्योति से बचना चाहते हैं. हम नहीं चाहते कि हमारे बुरे काम प्रकट हो जाएं. लेकिन यीशु अंधकार को मिटाने आए हैं. हम डर सकते हैं या शर्मिंदा हो सकते हैं. यह हमारे लिए बहुत मुश्किल हो सकता है. लेकिन हमें भी अपने जीवन में अंधकार का सामना करना चाहिये और मसीह की ज्योति में जीने का प्रयास करना चाहिये – जो आपसे प्रेम करते हैं, जैसे आप हैं.
मार्टिन लूथर किंग ने कहा है, 'अंधकार, अंधकार को भगा नहीं सकता; केवल प्रकाश ही ऐसा कर सकता है. नफरत, नफरत को मिटा नहीं सकती; केवल प्रेम ही ऐसा कर सकता है.'
प्रार्थना
प्रभु, यीशु के उदाहरण के लिए आपको धन्यवाद. मुझे प्रकाश में जीने और सच्चाई को प्रेम से कहने का साहस रखने के लिए मेरी मदद कीजिये.
यहोशू 21:20-22:34
20 कहाती समूह के अन्य लोगों को ये नगर दिये गए। ये नगर एप्रैम परिवार समूह के थे: 21 शकेम नगर जो एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में था। (शकेम सुरक्षा नगर था।) उन्होंने गेजेर, 22 किबसैम, बेथोरोन भी उन्हें दिये। सब मिलाकर ये चार नगर और उनके सारे खेत उनके जानवरों के लिये थे।
23 दान के परिवार समूह ने उन्हें एलतके, गिब्बतोन, 24 अय्यालोन और गत्रिम्मोन दिये। सब मिलाकर ये चार नगर और उनके सारे खेत उनके जानवरों के लिये थे।
25 मनश्शे के आधे परिवार समूह ने उन्हें तानाक और गत्रिम्मोन दिये। उन्हें वे सारे खेत भी दिये गए जो इन दोनों नगरों के चारों ओर थे।
26 इस प्रकार ये दस अधिक नगर और इन नगरों के चारों ओर की भूमि उनके जानवरों के लिये कहाती समूह को दी गई थी।
27 लेवीवंशी परिवार समूह के गेर्शोनी समूह को ये नगर दिये गए थे।
मनश्शे परिवार समूह के आधे परिवार ने उन्हे बाशान में गोलान दिया। (गोलान एक सुरक्षा नगर था)। मनश्शे ने उन्हें बेशतरा भी दिया। इन दोनों नगरों के चारों ओर की भूमि भी उनके जानवरों के लिये गेर्शोनी समूह को दी गई।
28 इस्साकार के परिवार समूह ने उन्हें किश्योन, दाबरत, 29 यरमूत और एनगन्नीम दिये। इस्साकार ने इन चारों नगरों के चारों ओर जो भूमि थी, उसे भी उन्हें उनके जानवरों के लिये दिया।
30 आशेर के परिवार समूह ने उन्हें मिशाल, अब्दोन, 31 हेल्कात और रहोब दिये। इन चारों नगरों के चारों ओर की भूमि भी उन्हें उनके जानवरों के लिये दी गई।
32 नप्ताली के परिवार समूह ने उन्हें गलील में केदेश दिया।(केदेश एक सुरक्षा नगर था।) नप्ताली ने उन्हें हम्मोतदोर और कर्तान भी दिया। इन तीनों नगरों के चारों ओर की भूमि भी उनके जानवरों के लिये गेर्शोनी समूह को दी गई।
33 सब मिलाकर गेर्शोनी समूह ने तेरह नगर और उनके चारों ओर की भूमि अपने जानवरों के लिये पाई।
34 अन्य लेवीवंशी समूह मरारी समूह था। मरारी लोगों को यह नगर दिये गए: जबूलून के परिवार समूह ने उन्हें योक्नाम, कर्त्ता, 35 दिम्ना और नहलाल दिये। इन नगरों के चारों ओर की भूमि भी उनके जानवरों के लिये मरारी परिवार समूह को दी गई। 36 रूबेन के परिवार समूह ने उन्हें यरदन के पूर्व में बेसेर, यहसा, 37 केदमोत और मेपात नगर दिये। सारी भूमि, जो इन चारों नगरों के चारों ओर थी, मरारी लोगों को उनके जानवरों के लिए दी गई। 38 गाद के परिवार समूह ने उन्हें गिलाद में रामोत नगर दिया। (रामोत सुरक्षा नगर था।) उन्होंने उन्हें महनैम, 39 हेश्बोन और याजेर भी दिया। गाद ने इन चारों नगरों के चारों ओर की सारी भूमि भी उनके जानवरों के लिये दी।
40 सब मिलाकर लेवियों के आखिरी परिवार मरारी समूह को बारह नगर दिये गए।
41 सब मिलाकर लेवी परिवार समूह ने अड़तालीस नगर पाए और प्रत्येक नगर के चारों ओर की भूमि उनके जानवरों के लिये मिली। ये नगर उस प्रदेश में थे, जिसका शासन इस्राएल के अन्य परिवार समूह के लोग करते थे। 42 हर एक नगर के साथ उनके चारों ओर ऐसी भूमि और खेत थे, जिन पर जानवर जीवन बिता सकते थे। यही बात हर नगर के साथ थी।
43 इस प्रकार यहोवा ने इस्राएल के लोगों को जो वचन दिया था, उसे पूरा किया। उसने वह सारा प्रदेश दे दिया जिसे देने का उसने वचन दिया था। लोगों ने वह प्रदेश लिया और उसमें रहने लगे 44 और यहोवा ने उनके प्रदेश को चारों ओर से शान्ति प्राप्त करने दी। उनके किसी शत्रु ने उन्हें नहीं हराया। यहोवा ने इस्राएल के लोगों को हर एक शत्रु को पराजित करने दिया। 45 यहोवा ने इस्राएलियों को दिये गए अपने सभी वचनों को पूरा किया। कोई ऐसा वचन नहीं था, जो पूरा न हुआ हो। हर एक वचन पूरा हुआ।
तीन परिवार समूह घर लौटते हैं
22तब यहोशू ने रूबेन, गाद और मनश्शे के परिवार समूह के सभी लोगों की एक सभा की। 2 यहोशू ने उनसे कहा, “तुमने मूसा के दिये सभी आदेशों का पालन किया है। मूसा यहोवा का सेवक था। और तुमने मेरे भी सभी आदेशों का पालन किया। 3 और इस पूरे समय में तुम लोगों ने इस्राएल के अन्य लोगों की सहायता की है। तुम लोग यहोवा के उन सभी आदेशों का पालन करने में सावधान रहे, जिन्हें तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें दिया था। 4 तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने इस्राएल के लोगों को शान्ति देने का वचन दिया था। अत: अब यहोवा ने अपना वचन पूरा कर दिया है। इस समय तुम लोग अपने घर लौट सकते हो। तुम लोग, अपने उस प्रदेश में जा सकते हो जो तुम्हें दिया गया है। यह प्रदेश यरदन नदी के पूर्व में है। यह वही प्रदेश है जिसे यहोवा के सेवक मूसा ने तुम्हें दिया। 5 किन्तु याद रखो कि जो व्यवस्था मूसा ने तुम्हें दिया है, उसका पालन होता रहे। तुम्हें अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करना और उसके आदेशों का पालन करना है। तुम्हें उसका अनुसरण करते रहना चाहिए, और पूरी आस्था के साथ उसकी सेवा करो।”
6 तब यहोशू ने उनको आशीर्वाद दिया और वे विदा हुए। वे अपने घर लौट गए। 7 मूसा ने आधे मनश्शे परिवार समूह को बाशान प्रदेश दिया था। यहोशू ने दूसरे आधे मनश्शे परिवार समूह को यरदन नदी के पश्चिम में प्रदेश दिया। यहोशू ने उनको वहाँ अपने घर भेजा। यहोशू ने उन्हें आशीर्वाद दिया। 8 उसने कहा, “तुम बहुत सम्पन्न हो। तुम्हारे पास चाँदी, सोने और अन्य बहुमूल्य आभूषणों के साथ बहुत से जानवर हैं। तुम लोगों के पास अनेक सुन्दर वस्त्र हैं। तुमने अपने शत्रुओं से भी बहुत सी चीज़ें ली हैं। इन चीज़ों को तुम्हें आपस में बाँट लेना चाहिए। अब अपने अपने घर जाओ।”
9 अत: रूबेन, गाद और मनश्शे के परिवार समूह के आधे लोगों ने इस्राएल के अन्य लोगों से विदा ली। वे कनान में शीलो में थे। उन्होंने उस स्थान को छोड़ा और वे गिलाद को लौटे। यह उनका अपना प्रदेश था। मूसा ने उनको यह प्रदेश दिया था, क्योंकि यहोवा ने उसे ऐसा करने का आदेश दिया था।
10 रूबेन, गाद और मनश्शे के लोगों ने गोत्र नामक स्थान की यात्रा की। यह यरदन नदी के किनारे कनान प्रदेश में था। उस स्थान पर लोगों ने एक सुन्दर वेदी बनाई। 11 किन्तु इस्राएल के लोगों के अन्य समूहों ने, जो तब तक शीलो में थे, उस वेदी के विषय में सुना जो इन तीनों परिवार समूहों ने बनायी थी। उन्होंने यह सुना कि यह वेदी कनान की सीमा पर गोत्र नामक स्थान पर थी। यह यरदन नदी के किनारे इस्राएल की ओर थी। 12 इस्राएल के सभी परिवार समूह इन तीनों परिवार समूहों पर बहुत क्रोधित हुए। वे एकत्र हुए और उन्होंने उनके विरुद्ध युद्ध करने का निश्चय किया।
13 अत: इस्राएल के लोगों ने कुछ व्यक्तियों को रूबेन, गाद और मनश्शे के लोगों से बातें करने के लिये भेजा। इनका प्रमुख याजक एलीआज़र का पुत्र पीनहास था। 14 उन्होंने वहाँ के परिवार समूहों के दस प्रमुखों को भी भेजा। शीलो में ठहरे इस्राएल के परिवार समूहों में हर एक परिवार से एक व्यक्ति था।
15 इस प्रकार ये ग्यारह व्यक्ति गिलाद गये। वे रूबेन, गाद और मनश्शे के लोगों से बातें करने गये। ग्यारह व्यक्तियों ने उनसे कहा 16 “इस्राएल के सभी लोग तुमसे पूछते हैं: तूने इस्राएल के परमेश्वर के विरूद्ध यह क्यों किया? तुम यहोवा के विपरीत कैसे हो गये? तुम लोगों ने अपने लिये वेदी क्यों बनाई? तुम जानते हो कि यह परमेश्वर की शिक्षा के विरूद्ध है! 17 पोर नामक स्थान को याद करो। हम लोग उस पाप के कारण अब भी कष्ट सहते हैं। इस बड़े पाप के लिये परमेश्वर ने इस्राएल के बहुत से लोगों को बुरी तरह बीमार कर दिया था और हम लोग अब भी उस बीमारी के कारण कष्ट सह रहे हैं। 18 और अब तुम वही कर रहे हो! तुम यहोवा के विरुद्ध जा रहे हो! क्या तुम यहोवा का अनुसरण करने से मना करोगे? यदि तुम जो कर रहे हो, बन्द नहीं करते तो यहोवा इस्राएल के हर एक व्यक्ति पर क्रोधित होगा।
19 “‘यदि तुम्हारा प्रदेश उपासना के लिये उपयुक्त नहीं है तो हमारे प्रदेश में आओ। यहोवा का तम्बू हमारे प्रदेश में है। तुम हमारे कुछ प्रदेश ले सकते हो और उनमें रह सकते हो। किन्तु यहोवा के विरुद्ध मत होओ। अन्य वेदी मत बनाओ। हम लोगों के पास पहले से ही अपने परमेश्वर यहोवा की वेदी मिलापवाले तम्बू में है।
20 “‘जेरह के पुत्र आकान को याद करो। आकान अपने पाप के कारण मरा। उसने उन चीज़ों के सम्बन्ध में आदेश का पालन करने से इन्कार किया, जिन्हें नष्ट किया जाना था। उस एक व्यक्ति ने परमेश्वर के नियम को तोड़ा, किन्तु इस्राएल के सभी लोगों को दण्ड मिला। आकान अपने पाप के कारण मरा। किन्तु बहुत से अन्य लोग भी मरे।’”
21 रूबेन, गाद और मनश्शे के परिवार समूह के लोगों ने ग्यारह व्यक्तियों को उत्तर दिया। उन्होंने यह कहा, 22 “हमारा परमेश्वर यहोवा है! हम लोग फिर दुहराते हैं कि हमारा परमेश्वर यहोवा है और परमेश्वर जानता है कि हम लोगों ने यह क्यों किया। हम लोग चाहते हैं कि तुम लोग भी यह जानो। तुम लोग उसका निर्णय कर सकते हो जो हम लोगों ने किया है। यदि तुम लोगों को यह विश्वास है कि हम लोगों ने पाप किया है तो तुम लोग हमे अभी मार सकते हो। 23 यदि हम ने परमेश्वर के नियम को तोड़ा है तो हम कहेंगे कि यहोवा स्वयं हमें सजा दे। क्या तुम लोग यह सोचते हो कि हम लोगों ने इस वेदी को होमबलि चढ़ाने और अन्नबलि तथा मेलबलि चढ़ाने के लिये बनाया है? 24 नहीं! हम लोगों ने इसे इस उद्देश्य से नहीं बनाया है। हम लोगों ने ये वेदी क्यों बनाई है? हम लोगों को भय था कि भविष्य में तुम्हारे लोग हम लोगों को अपने राष्ट्र का एक भाग नहीं समझेंगे। तब तुम्हारे लोग यह कहेंगे, तुम लोग इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की उपासना नहीं कर सकते। 25 परमेश्वर ने हम लोगों को यरदन नदी की दूसरी ओर का प्रदेश दिया है। इसका अर्थ यह हुआ कि यरदन नदी को सीमा बनाया है। हमें डर है कि जब तुम्हारे बच्चे बड़े होकर इस प्रदेश पर शासन करेंगे तब वे हमें भूल जाएंगे, कि हम भी तुम्हारे लोग हैं। वे हम से कहेंगे, ‘हे रूबेन और गाद के लोगो तुन इस्राएल के भाग नहीं हो!’ तब तुम्हारे बच्चे हमारे बच्चों को यहोवा की उपासना करने से रोकेंगे। इसलिये तुम्हारे बच्चे हम लोगों के बच्चों को यहोवा की उपासना करने से रोक देंगे।
26 “इसलिए हम लोगों ने इस वेदी को बनाया। किन्तु हम लोग यह योजना नहीं बना रहे हैं कि इस पर होमबलि चढ़ाएंगे और बलियाँ देंगे। 27 हम लोगों ने जिस सच्चे उद्देश्य के लिये वेदी बनाई थी, वह अपने लोगों को यह दिखाना मात्र था कि हम उस परमेश्वर की उपासना करते हैं जिसकी तुम लोग उपासना करते हो। यह वेदी तुम्हारे लिये, हम लोगों के लिये और भविष्य में हम लोगों के बच्चों के लिये इस बात का प्रमाण होगा कि हम लोग परमेश्वर की उपासना करते हैं। हम लोग यहोवा को अपनी बलियाँ, अन्नबलि और मेलबलि चढ़ाते हैं। हम चाहते थे कि तुम्हारे बच्चे बढ़ें और जानें कि हम लोग भी तुम्हारी तरह इस्राएल के लोग हैं। 28 भविष्य में यदि ऐसा होता है कि तुम्हारे बच्चे कहें कि हम लोग इस्राएल से सम्बन्ध नहीं रखते तो हमारे बच्चे तब कह सकेंगे कि ध्यान दें! ‘हमारे पूर्वजों ने, जो हम लोगों से पहले थे, एक वेदी बनाई थी। यह वेदी ठीक वैसी ही है जैसी पवित्र तम्बू के सामने यहोवा की वेदी है। हम लोग इस वेदी का उपयोग बलि देने के लिये नहीं करते—यह इस बात का संकेत करता है कि हम लोग इस्राएल के एक भाग हैं।’
29 “सत्य तो यह है, कि हम लोग यहोवा के विरुद्ध नहीं होना चाहते। हम लोग अब उसका अनुसरण करना छोड़ना नहीं चाहते। हम लोग जानते हैं कि एक मात्र सच्ची वेदी वही है जो पवित्र तम्बू के सामने है। वह वेदी, हमारे परमेश्वर यहोवा की है।”
30 याजक पीनहास और दस प्रमुखों ने रूबेन, गाद और मनश्शे के लोगों द्वारा कही गई यह बात सुनी। वे इस बात से सन्तुष्ट थे कि लोग सच बोल रहे थे। 31 इसलिए याजक एलीआज़र के बारे में पीनहास ने कहा, “अब हम लोग समझते हैं कि योहवा हमारे साथ है और हम लोग जानते हैं कि तुम में से कोई भी उसके विपरीत नहीं गए हो। हम लोग प्रसन्न हैं कि इस्राएल के लोगों को यहोवा से दण्ड नहीं मिलेगा।”
32 तब पीनहास और प्रमुखों ने उस स्थान को छोड़ा और वे अपने घर चले गए। उन्होंने रूबेन और गाद के लोगों को गिलाद प्रदेश में छोड़ा और कनान को लौट गये। वे लौटकर इस्राएल के लोगों के पास गये और जो कुछ हुआ था, उनसे कहा। 33 इस्राएल के लोग भी सन्तुष्ट हो गए। वे प्रसन्न थे और उन्होंने परमेश्वर को धन्यवाद दिया। उन्होंने निर्णय लिया कि वे रूबेन, गाद और मनश्शे के लोगों के विरुद्ध जाकर नहीं लड़ेंगे। उन्होंने उन प्रदेशों को नष्ट न करने का निर्णय किया।
34 और रुबेन और गाद के लोगों ने कहा, “यह वेदी सभी लोगों को यह बताती है कि हमें यह विश्वास है कि यहोवा परमेश्वर है और इसलिए उन्होंने वेदी का नाम ‘प्रमाण’ रखा।”
समीक्षा
विरोध का सामना बुद्धिमानी से करें
यदि लोग, एक दूसरे के बारे में कहने के बजाय; एक दूसरे के पास जाएं तो कई मतभेद टाले जा सकते हैं.
खरी गलतफहमी के परिणामस्वरूप, बाकी के इस्रालियों ने ढाई पीढ़ी (रूबेनी, गादियों, और मनश्शे की आधी पीढ़ी) को देखकर सोचा कि वे गलत काम कर रहे थे और परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं कर रहे थे (22:12).
फिर भी, सीधे युद्ध के लिए जाने के बजाय वे इतने बुद्धिमान थे कि उन्होंने उनका सामना किया और उन्हें मौखिक रूप से चुनौती दी. जब उन्होंने ऐसा किया, तो यह स्पष्ट हो गया कि उनके डर बेबुनियाद थे.
इसे अनदेखा करने के बजाय वे हस्तक्षेप पाना चाहते थे जो कि सही था, क्योंकि जब शरीर का एक भाग प्रभावित होता है तो सारा शरीर प्रभावित हो जाता है. वे ऐसा नहीं कह सकते थे, 'वे जो करना चाहें, करें.'
जब ढाई पीढ़ी ने सामना किया तो उन्होंने स्पष्टीकरण दिया: 'हमने ऐसा इसलिये किया, क्योंकि हमें ख्याल है' (व.24, एमएसजी). वे यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि उनके बच्चों ने विश्वास बनाए रखा है.
स्पष्टीकरण संतोषजनक था: 'आज हमने जान लिया है कि, तुमने इस मामले में परमेश्वर से विश्वासघात नहीं किया, और परमेश्वर की उपस्थिति हमारे साथ है.' (व.31, एमएसजी).
यह एक अच्छा विचार था जब उन्होंने इस अवसर पर आपस में बातचीत की थी (वव.32-33). बातचीत के बाद 'उन्होंने कभी भी युद्ध करने की बात नहीं की' (व.33).
अन्य मसीही और अन्य चर्चों के बारे में जल्दबाजी में विपरीत निष्कर्ष निकालने के प्रति सावधान रहें. उनके पीछे शब्दों से उन पर हमला न करें. यदि जरूरत पड़े तो एक बातचीत का आयोजन करें, सामना करें और स्पष्टीकरण सुनें. यदि हम यह सब करें, तो ज्यादा से ज्यादा अनावश्यक निर्णयों और बुरा महसूस करने को, टाला जा सकेगा.
इस मामले में, जब उन्होंने स्पष्टीकरण सुना, तो संशयवादी या मानवद्वेषी बनने के बजाय, उन्होंने इसे मान लिया और परमेश्वर की स्तुती की (व.33). जब आप लोगों के प्रति गलतियाँ करें तो अपनी गलतियों को मानने के लिए विनम्र रहें. 'किसी व्यक्ति को यह मानना कि वे गलत हैं', एक बड़ी बात है.
प्रार्थना
प्रभु, मुझे यह जानने के लिए बुद्धि दीजिये कि बातचीत करना, सामना करना और स्पष्टीकरण सुनना कब महत्वपूर्ण है. अनावश्यक विभाजन और मतभेद को टालने में हमारी मदद कीजिये. प्रेम पूर्ण सामना करने का कौशल सीखने में मेरी मदद कीजिये.
पिप्पा भी कहते है
भजन संहिता 55:9–10
'मैंने नगर में उपद्रव और झगड़ा देखा है....... रात दिन वे उसकी शहरपनाह पर चढ़कर चारों ओर घूमते हैं; और उसके भीतर दुष्टता और उत्पात होता है.'
हमारी दुनिया में ऐसा अब भी हो रहा है.
App
Download The Bible with Nicky and Pippa Gumbel app for iOS or Android devices and read along each day.
Sign up now to receive The Bible with Nicky and Pippa Gumbel in your inbox each morning. You’ll get one email each day.
Podcast
Subscribe and listen to The Bible with Nicky and Pippa Gumbel delivered to your favourite podcast app everyday.
Website
Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.
संदर्भ
नोट्स:
जेम्स वाशिंगटन (ईडी), ए टेस्टामेंट ऑफ होप: द इसेंशियल राइटिंग्स एंड स्पीचेस ऑफ मार्टिन लूथर किंग, जेआर., (हार्पर वन, 2003).
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।