यीशु हमेशा छुड़ाते हैं
परिचय
पीपा और मैं आह यिन से मिले जब हम हॉन्ग कॉन्ग में जॅकी पुलिंगर के कार्य स्थल पर गए थे. वह युवावस्था में ही ड्रग का व्यसनी बन गया था. उसके पिता भी व्यसनी थे. वह कुख्यात शहर वाल्ड सिटी में बड़ा हुआ था. ग्यारह साल की उम्र में वह एक गैंग में शामिल हो गया था. उन्होंने साथ मिलकर खाया, चोरी की, लड़ाई की और हेरोइन ली. चौदह साल की उम्र में, वह एक लूटपाट में पकड़ा गया और उसने पहली बार हिरासत में समय बिताया.
इससे छुटकारा पाने के लिए उसने कई सालों तक बहुत कोशिश की. कुछ काम नहीं आया. फिर वह जॅकी से मिला और यीशु की सामर्थ से, वह बिना किसी दर्द के ड्रग से बाहर आया. तब से वह हॉन्ग कॉन्ग में जैकी के काम का लीडर बन गया. उसने कई बीमार लोगों के लिए प्रार्थना करने का और गरीबों के साथ काम करने का प्रशिक्षण दिया है. वह लाखों लोगों में से एक उदाहरण है जिसे यीशु ने व्यसन से छुड़ाया और आजाद किया है. आह यिन ने बाकी का जीवन अपने उद्धारकर्ता की गवाही देते हुए बिताया.
भजन संहिता 56:1-13
संगीत निर्देशक के लिए सुदूर बाँझ वृक्ष का कपोत नामक धुन पर दाऊद का उस समय का एक प्रगीत जब नगर में उसे पलिश्तियों ने पकड़ लिया था।
56हे परमेश्वर, मुझ पर करूणा कर क्योंकि लोगों ने मुझ पर वार किया है।
वे रात दिन मेरा पीछा कर रहे हैं, और मेरे साथ इगड़ा कर रहे हैं।
2 मेरे शत्रु सारे दिन मुझ पर वार करते रहे।
वहाँ पर डटे हुए अनगिनत योद्धा हैं।
3 जब भी डरता हूँ,
तो मैं तेरा ही भरोसा करता हूँ।
4 मैं परमेश्वर के भरोसे हूँ, सो मैं भयभीत नहीं हूँ। लोग मुझको हानि नहीं पहुँचा सकते!
मैं परमेश्वर के वचनों के लिए उसकी प्रशंसा करता हूँ जो उसने मुझे दिये।
5 मेरे शत्रु सदा मेरे शब्दों को तोड़ते मरोड़ते रहते हैं।
मेरे विरूद्ध वे सदा कुचक्र रचते रहते हैं।
6 वे आपस में मिलकर और लुक छिपकर मेरी हर बात की टोह लेते हैं।
मेरे प्राण हरने की कोई राह सोचते हैं।
7 हे परमेश्वर, उन्हें बचकर निकलने मत दे।
उनके बुरे कामों का दण्ड उन्हें दे।
8 तू यह जानता है कि मैं बहुत व्याकुल हूँ।
तू यह जानता है कि मैंने तुझे कितना पुकारा है
तूने निश्चय ही मेरे सब आँसुओं का लेखा जोखा रखा हुआ है।
9 सो अब मैं तुझे सहायता पाने को पुकारुँगा।
मेरे शत्रुओं को तू पराजित कर दे।
मैं यह जानता हूँ कि तू यह कर सकता है।
क्योंकि तू परमेश्वर है!
10 मैं परमेश्वर का गुण उसके वचनों के लिए गाता हूँ।
मैं परमेश्वर के गुणों को उसके उस वचन के लिये गाता हूँ जो उसने मुझे दिया है।
11 मुझको परमेश्वर पर भरोसा है, इसलिए मैं नहीं डरता हूँ।
लोग मेरा बुरा नहीं कर सकते!
12 हे परमेश्वर, मैंने जो तेरी मन्नतें मानी है, मैं उनको पूरा करुँगा।
मैं तुझको धन्यवाद की भेंट चढ़ाऊँगा।
13 क्योंकि तूने मुझको मृत्यु से बचाया है।
तूने मुझको हार से बचाया है।
सो मैं परमेश्वर की आराधना करूँगा,
जिसे केवल जीवित व्यक्ति देख सकते हैं।
समीक्षा
आपको छुड़ाने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करें
मैंने पाया है कि कभी-कभी डर जबर्दस्त हो जाता है. दाऊद अपने जीवन के लिए डरा (व.6). उसने पाया कि डर के लिए उत्तर है, परमेश्वर पर भरोसा करना (वव.6,11).
गत में पलिश्तियों ने उसे घेर लिया था. यह उसके लिए एक भयानक अनुभव था. वे दिन भर लड़कर उसे सताते थे (व.1). फिर भी इन सब के बीच उसने परमेश्वर पर भरोसा किया: ' जिस समय मुझे डर लगेगा, मैं तुझ पर भरोसा रखूंगा। परमेश्वर की सहायता से मैं उसके वचन की प्रशंसा करूंगा, परमेश्वर पर मैं ने भरोसा रखा है, मैं नहीं डरूंगा' (वव.3-4).
जीवन में ऐसा समय आता है जब हम पर आक्रमण होता है. यह आत्मिक आक्रमण भी हो सकता है या अन्य लोगों की ओर से आक्रमण – काम पर, पड़ोसी, या किसी दूसरी जगह से.
डर का चाहें जो भी कारण हो, दाऊद की तरह, अपना भरोसा परमेश्वर पर रखें: 'मैं ने परमेश्वर पर भरोसा रखा है, मैं न डरूंगा' (व.11).
यह भजन विजय और छुटकारे के एक नोट पर खत्म होता है ('तू ने मुझे बचाया है', व.13). उसे बचाये जाने के लिए दाऊद परमेश्वर को धन्यवाद देता है: ' तू ने मुझ को मृत्यु से बचाया है; तू ने मेरे पैरों को भी फिसलने से बचाया है, ताकि मैं ईश्वर के सामने जीवतों के उजियाले में चलूं फिरूं?' (व.13).
प्रार्थना
प्रभु, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ क्योंकि अपने जीवन में डर के समय मैंने आपको कई बार मदद के लिए पुकारा और आपने मुझे बचाया. आज मैं आपको मदद के लिए पुकारता हूँ और मैं आप पर भरोसा करता हूँ कि आप मुझे बचाएंगे.
यूहन्ना 4:27-42
27 तभी उसके शिष्य वहाँ लौट आये। और उन्हें यह देखकर सचमुच बड़ा आश्चर्य हुआ कि वह एक स्त्री से बातचीत कर रहा है। पर किसी ने भी उससे कुछ कहा नहीं, “तुझे इस स्त्री से क्या लेना है या तू इससे बातें क्यों कर रहा है?”
28 वह स्त्री अपने पानी भरने के घड़े को वहीं छोड़कर नगर में वापस चली गयी और लोगों से बोली, 29 “आओ और देखो, एक ऐसा पुरुष है जिसने, मैंने जो कुछ किया है, वह सब कुछ मुझे बता दिया। क्या तुम नहीं सोचते कि वह मसीह हो सकता है?” 30 इस पर लोग नगर छोड़कर यीशु के पास जा पहुँचे।
31 इसी समय यीशु के शिष्य उससे विनती कर रहे थे, “हे रब्बी, कुछ खा ले।”
32 पर यीशु ने उनसे कहा, “मेरे पास खाने के लिए ऐसा भोजन है जिसके बारे में तुम कुछ भी नहीं जानते।”
33 इस पर उसके शिष्य आपस में एक दूसरे से पूछने लगे, “क्या कोई उसके खाने के लिए कुछ लाया होगा?”
34 यीशु ने उनसे कहा, “मेरा भोजन उसकी इच्छा को पूरा करना है जिसने मुझे भेजा है। और उस काम को पूरा करना है जो मुझे सौंपा गया है। 35 तुम अक्सर कहते हो, ‘चार महीने और हैं तब फ़सल आयेगी।’ देखो, मैं तुम्हें बताता हूँ अपनी आँखें खोलो और खेतों की तरफ़ देखो वे कटने के लिए तैयार हो चुके हैं। वह जो कटाई कर रहा है, अपनी मज़दूरी पा रहा है। 36 और अनन्त जीवन के लिये फसल इकट्ठी कर रहा है। ताकि फ़सल बोने वाला और काटने वाला दोनों ही साथ-साथ आनन्दित हो सकें। 37 यह कथन वास्तव में सच है: ‘एक व्यक्ति बोता है और दूसरा व्यक्ति काटता है।’ 38 मैंने तुम्हें उस फ़सल को काटने भेजा है जिस पर तुम्हारी मेहनत नहीं लगी है। जिस पर दूसरों ने मेहनत की है और उनकी मेहनत का फल तुम्हें मिला है।”
39 उस नगर के बहुत से सामरियों ने यीशु में विश्वास किया क्योंकि उस स्त्री के उस शब्दों को उन्होंने साक्षी माना था, “मैंने जब कभी जो कुछ किया उसने मुझे उसके बारे में सब कुछ बता दिया।” 40 जब सामरी उसके पास आये तो उन्होंने उससे उनके साथ ठहरने के लिए विनती की। इस पर वह दो दिन के लिए वहाँ ठहरा। 41 और उसके वचन से प्रभावित होकर बहुत से और लोग भी उसके विश्वासी हो गये।
42 उन्होंने उस स्त्री से कहा, “अब हम केवल तुम्हारी साक्षी के कारण ही विश्वास नहीं रखते बल्कि अब हमने स्वयं उसे सुना है। और अब हम यह जान गये हैं कि वास्तव में यही वह व्यक्ति है जो जगत का उद्धारकर्ता है।”
समीक्षा
उद्धारकर्ता के बारे में गवाही दें
हरएक मसीही के पास गवाही है. यीशु के संदेश को प्रचार करने का सबसे अच्छा तरीका है लोगों को अपनी कहानी बताना. यदि वे दिलचस्पी रखते हैं, तो आप कह सकते हैं जैसे इस घटना में स्त्री ने कहा था, 'आओ, देखो......' (व.29अ).
पूरे शहर की जनता इस निष्कर्ष पर आ गई कि यीशु, 'सच में दुनिया के उद्धारकर्ता हैं' (व.42). यीशु से मुलाकात करने के बाद वह सामरी स्त्री बदल गई थी. वह वापस अपने गांव गई और लोगों से कहा, 'आओ, एक मनुष्य को देखो, जिस ने सब कुछ जो मैं ने किया मुझे बता दिया: कहीं यह तो मसीह नहीं है?' (व.29).
गवाही में सच में ताकत है. उस स्त्री के पास कोई भी सैद्धांतिक प्रशिक्षण या मसीही सिद्धांत की कोई समझ नहीं थी. बल्कि वह खुद भी यीशु के बारे में दृढ़ विश्वासी नहीं बनी थी. उसने पूरे यकीन के साथ ऐसा नहीं कहा था कि, 'यीशु मसीहा हैं'. बजाय इसके, वह ऐसा कह सकी, 'कहीं यह तो मसीह नहीं है?' (व.29ब). फिर भी सुसमाचार के प्रचार के लिए परमेश्वर द्वारा उसका उपयोग बड़े सामर्थी तरीके से किया गया.
एक तरह से, वह कई गवाहियों के समान है जो हम यहाँ अल्फा में सुनते हैं. बल्कि लोग खुद के बारे में सुनिश्चित भी नहीं होते कि उन्होंने क्या पाया है, लेकिन अल्फा की समाप्ति पर अपनी गवाही देते समय वे सामर्थी रीति से बोलते हैं और अक्सर अगले पाठ्यक्रम में अपने दोस्तों को लाते हैं.
वे बस इतना ही जानते हैं कि यीशु ने खुद को उन पर प्रकट किया है. उन्होंने जीवन के खोखले मार्ग से एक प्रकार के 'छुटकारे' का अनुभव किया. वे अपने दोस्तों से कहते हैं, 'आओ, देखो....' (व.29अ).
'उस नगर के बहुत से सामरियों ने उस स्त्री के कहने से यीशु पर विश्वास किया' (व.39). यीशु ने उसका जीवन बदल दिया था. जीवन का जल उसमे से बह रहा था जैसा कि यीशु ने वादा किया था. इस बदलाव के कारण लोग अचंभित हुए. उन्होंने आकर देखा और 'यीशु के वचनों के कारण और भी बहुत लोगों ने विश्वास किया' (व.41).
उन्होंने उस स्त्री से कहा, 'अब हम तेरे कहने ही से विश्वास नहीं करते; क्योंकि हम ने आप ही सुन लिया, और जानते हैं कि यही सचमुच में जगत का उद्धारकर्ता है' (व.42). यीशु की शिक्षा और यीशु के बारे में गवाही दोनों शक्तिशाली तरीके से यह बताते हैं कि यीशु दुनिया के उद्धारकर्ता हैं.
उन्होंने कहा था, 'मेरा भोजन यह है, कि अपने भेजने वाले की इच्छा के अनुसार चलूं और उसका काम पूरा करूं' (व.34). यीशु अपनी सेविकाई के उदाहरण द्वारा दिखाते हैं कि हमारी आत्मिक भूख, जीवन का खोखलापन और उद्देश्य की कमी, को केवल परमेश्वर की इच्छा पूरी करने से तृप्त किया जा सकता है. परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने से ज्यादा संतोषजनक और कुछ नहीं है - वहाँ होना जहाँ वह चाहते हैं और वह करना जो वही करवाना चाहते हैं.
यीशु कहते हैं. 'अपनी आंखे उठाकर खेतों पर दृष्टि डालो, कि वे कटनी के लिये पक चुके हैं' (व.35). यीशु के आने से यह पूरा हुआ. चेले सही समय देख सकते थे, क्योंकि हर जगह के लोगों को यीशु के इस संदेश के बारे में जानना जरूरी है.
यीशु ने कहा, ' मैं ने तुम्हें वह खेत काटने के लिये भेजा, जिस में तुम ने परिश्रम नहीं किया: औरों ने परिश्रम किया और तुम उन के परिश्रम के फल में भागी हुए' (व.38). अवश्य ही यह मूल रूप से यीशु के आगमन के बारे में प्रयुक्त है. मगर, यह अलग अलग स्तर पर कई तरीकों से पूरा हुआ.
उदाहरण के लिए, मुझे लगता है कि अब स्थानीय चर्च के रूप में कटनी कर रहे हैं – और अल्फा के साथ भी – जो दूसरों ने बोया था. कई सालों तक, लोगों ने एचटीबी में पवित्र आत्मा के उंडेले जाने के लिए प्रार्थना की थी. अल्फा के विकास के लिए कई लोगों ने कठिन परिश्रम किया था. जो दूसरों ने बोया था उसे हम काट रहे हैं. अब हमें भी बोना चाहिये ताकि दूसरे काट सकें.
प्रार्थना
प्रभु, मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप मेरी गवाही का उपयोग करें ताकि अन्य लोग आप पर विश्वास कर सकें.
न्यायियों 2:6-3:31
आज्ञा का उल्लंघन और पराजय
6 तब यहोशू ने लोगों से कहा कि वे अपने घर लौट सकते हैं। इसलिए हर एक परिवार समूह अपनी भूमि का क्षेत्र लेने गया और उसमें रहे। 7 इस्राएल के लोगों ने तब तक यहोवा की सेवा की जब तक यहोशू जीवित रहा। उन बुर्ज़ुगों (नेताओं) के जीवन काल में भी वे यहोवा की सेवा करते रहे जो यहोशू के मरने के बाद भी जीवित रहे। इन वृद्ध लोगों ने इस्राएल के लोगों के लिए जो यहोवा ने महान कार्य किये थे, उन्हें देखा था। 8 नून का पुत्र यहोशू, जो यहोवा का सेवक था, एक सौ दस वर्ष की अवस्था में मरा। 9 अत: इस्राएल के लोगों ने यहोशू को दफनाया। यहोशू को भूमि के उस क्षेत्र में दफनाया गया जो उसे दिया गया था। वह भूमि तिम्नथेरेस में थी जो हेरेस के पहाड़ी क्षेत्र में गाश पर्वत के उत्तर में था।
10 इसके बाद वह पूरी पीढ़ी मर गई तथा नयी पीढ़ी उत्पन्न हुई। यह नयी पीढ़ी यहोवा के विषय में न तो जानती थी और न ही उसे, यहोवा ने इस्राएल के लोगों के लिये क्या किया था, इसका ज्ञान था। 11 इसलिये इस्राएल के लोगों ने पाप किये और बाल की मूर्तियों की सेवा की। यहोवा ने मनुष्यों को यह पाप करते देखा। 12 यहोवा इस्राएल के लोगों को मिस्र से बाहर लाया था और इन लोगों के पूर्वजों ने यहोवा की उपासना की थी। किन्तु इस्राएल के लोगों ने यहोवा का अनुसरण करना छोड़ दिया। इस्राएल के लोगों ने उन लोगों के असत्य देवताओं की पूजा करना आरम्भ की, जो उनके चारों ओर रहते थे। इस काम ने यहोवा को क्रोधित कर दिया। 13 इस्राएल के लोगों ने यहोवा का अनुसरण करना छोड़ दिया और बाल एवं अश्तोरेत की पूजा करने लगे।
14 यहोवा इस्राएल के लोगों पर बहुत क्रोधित हुआ। इसलिए यहोवा ने शत्रुओं को इस्राएल के लोगों पर आक्रमण करने दिया और उनकी सम्पत्ति लेने दी। उनके चारों ओर रहने वाले शत्रुओं को यहोवा ने उन्हें पराजित करने दिया। इस्राएल के लोग अपनी रक्षा अपने शत्रुओं से नहीं कर सके। 15 जब इस्राएल के लोग युद्ध के लिये निकले तो वे पराजित हुए। वे पराजित हुए क्योंकि यहोवा उनके साथ नहीं था। यहोवा ने पहले से इस्राएल के लोगों को चेतावनी दी थी कि वे पराजित होंगे, यदि वे उन लोगों के देवताओं की सेवा करेंगे जो उनके चारों ओर रहते हैं। इस्राएल के लोगों की बहुत अधिक हानि हुई।
16 तब यहोवा ने न्यायाधीश कहे जाने वाले प्रमुखों को चुना। इन प्रमुखों ने इस्राएल के लोगों को उन शत्रुओं से बचाया जिन्होंने इनकी सम्पत्ति ले ली थी। 17 किन्तु इस्राएल के लोगों ने अपने न्यायाधीशों की एक न सुनी। इस्राएल के लोग यहोवा के प्रति वफादार नहीं थे, वे अन्य देवताओं का अनुसरण कर रहे थे। अतीतकाल में इस्राएल के लोगों के पूर्वज यहोवा के आदेशों का पालन करते थे किन्तु अब इस्राएल के लोग बदल गये थे और वे यहोवा की आज्ञा का पालन करना छोड़ चुके थे।
18 इस्राएल के शत्रुओं ने कई बार लोगों के साथ बुरा किया। इसलिए इस्राएल के लोग सहायता के लिये चिल्लाते थे और हर बार यहोवा को लोगों के लिए दुःख होता था। हर बार वह शत्रुओं से लोगों की रक्षा के लिये एक न्यायाधीश भेजता था। इस प्रकार हर बार इस्राएल के लोग अपने शत्रुओं से बच जाते थे। 19 किन्तु जब हर एक न्यायाधीश मर गया, तब इस्राएल के लोगों ने फिर पाप किया और असत्य देवताओं की पूजा आरम्भ की। इस्राएल के लोग बहुत हठी थे, उन्होंने अपने पाप के व्यवहार को बदलने से इन्कार कर दिया।
20 इस प्रकार यहोवा इस्राएल के लोगों पर बहुत क्रोधित हुआ और उसने कहा, “इस राष्ट्र ने उस वाचा को तोड़ा है जिसे मैंने उनके पूर्वजों के साथ की थी। उन्होंने मेरी नहीं सुनी। 21 इसलिए मैं और अधिक राष्ट्रों को पराजित नहीं करूँगा, और न ही इस्राएल के लोगों का रास्ता साफ करुँगा। वे राष्ट्र उन दिनों भी उस प्रदेश में थे जब यहोशू मरा था और मैं उन राष्ट्रों को उस प्रदेश में रहने दूँगा। 22 मैं उन राष्ट्रों का उपयोग इस्राएल के लोगों की परीक्षा के लिये करूँगा। मैं यह देखूँगा कि इस्राएल के लोग अपने यहोवा का आदेश वैसे ही मानते हैं अथवा नहीं जैसे उनके पूर्वज मानते थे।” 23 बीते समय में, यहोवा ने उन राष्ट्रों को उन प्रदेशों में रहने दिया था। यहोवा ने शीघ्रता से उन राष्ट्रों को अपना देश छोड़ने नहीं दिया। उसने उन्हें हराने में यहोशू की सेना की सहायता नहीं की।
3यहाँ उन राष्ट्रों के नाम हैं जिन्हें यहोवा ने बलपूर्वक अपना देश नहीं छुड़वाया। यहोवा इस्राएल के उन लोगों की परीक्षा लेना चाहता था, जो कनान प्रदेश को लेने के लिये होने वाले युद्धों में लड़े नहीं थे। यही कारण था कि उसने उन राष्ट्रों को उस प्रदेश में रहने दिया। (उस प्रदेश में यहोवा द्वारा उन राष्ट्रों को रहने देने का कारण केवल यह था कि इस्राएल के लोगों के उन वंशजों को शिक्षा दी जाय जो उन युद्धों में नहीं लड़े थे।) 3 पलिशती लोगों के पाँच शासक, सभी कनानी लोग, सीदोन के लोग और हिव्वी लोग जो लबानोन के पहाड़ों में बालहेर्मोन पर्वत से लेकर हमात तक रहते थे। 4 यहोवा ने उन राष्ट्रों को इस्राएल के लोगों की परीक्षा के लिये उस प्रदेश में रहने दिया। वह यह देखना चाहता था कि इस्राएल के लोग यहोवा के उन आदेशों का पालन करेंगे अथवा नहीं, जिन्हें उसने मूसा द्वारा उनके पूर्वजों को दिया था।
5 इस्राएल के लोग कनानी, हित्ती, एमोरी, परिज्जी, हिव्वी और यबूसी लोगों के साथ रहते थे। 6 इस्राएल के लोगों ने उन लोगों की पुत्रियों के साथ विवाह करना आरम्भ कर दिया। इस्राएल के लोगों ने अपनी पुत्रियों को उन लोगों के पुत्रों के साथ विवाह करने दिया और इस्राएल के लोगों ने उन लोगों के देवताओं की सेवा की।
पहला न्यायाधीश ओत्नीएल
7 यहोवा ने देखा कि इस्राएल के लोग पाप कर रहे हैं। इस्राएल के लोग यहोवा अपने परमेश्वर को भूल गए और बाल की मूर्तियों एवं अशेरा की मूर्तियों की सेवा करने लगे। 8 यहोवा इस्राएल के लोगों पर क्रोधित हुआ। यहोवा ने कुशन रिश्आतइम को जो मेसोपोटामिया का राजा था, इस्राएल के लोगों को हराने और उन पर शासन करने दिया। इस्राएल के लोग उस राजा के शासन में आठ वर्ष तक रहे। 9 किन्तु इस्राएल के लोगों ने यहोवा को रोकर पुकारा। यहोवा ने एक व्यक्ति को उनकी रक्षा के लिए भेजा। उस व्यक्ति का नाम ओत्नीएल था। वह कनजी का पुत्र था। कनजी कालेब का छोटा भाई था। ओत्नीएल ने इस्राएल के लोगों को बचाया। 10 यहोवा की आत्मा ओत्नीएल पर उतरी और वह इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश हो गया। ओत्नीएल ने इस्राएल के लोगों का युद्ध में संचालन किया। यहोवा ने मेसोपोटामिया के राजा कूशत्रिशातैम को हराने में ओत्नीएल की सहायता की । 11 इस प्रकार वह प्रदेश चालीस वर्ष तक शान्त रहा, जब तक कनजी नामक व्यक्ति का पुत्र ओत्नीएल नहीं मरा।
न्यायाधीश एहूद
12 यहोवा ने फिर इस्राएल के लोगों को पाप करते देखा। इसलिए यहोवा ने मोआब के राजा एग्लोन को इस्राएल के लोगों को हराने की शक्ति दी। 13 एग्लोन ने इस्राएल के लोगों पर आक्रमण करते समय अम्मोनियों और अमालेकियों को अपने साथ लिया। एग्लोन और उसकी सेना ने इस्राएल के लोगों को हराया और ताड़ के पेड़ो वाले नगर (यरीहो) से उन्हें निकाल बाहर किया। 14 इस्राएल के लोग अट्ठारह वर्ष तक मोआब के राजा एग्लोन के शासन में रहे।
15 तब लोगों ने यहोवा से प्रार्थना की और रोकर उसे पुकारा। यहोवा ने इस्राएल के लोगों की रक्षा के लिए एक व्यक्ति को भेजा। उस व्यक्ति का नाम एहूद था। एहूद वामहस्त व्यक्ति था। एहूद बिन्यामीन के परिवार समूह के गेरा नामक व्यक्ति का पुत्र था। इस्राएल के लोगों ने एहूद को मोआब के राजा एग्लोन के लिये कर के रूप में कुछ धन देने को भेजा। 16 एहूद ने अपने लिये एक तलवार बनाई। वह तलवार दोधारी थी और लगभग अट्ठारह इंच लम्बी थी। एहूद ने तलवार को अपनी दायीं जांघ से बांधा और अपने वस्त्रों में छिपा लिया।
17 इस प्रकार एहूद मोआब के राजा एग्लोन के पास आया और उसे भेंट के रूप में धन दिया। (एग्लोन बहुत मोटा आदमी था।) 18 एग्लोन को धन देने के बाद एहूद ने उन व्यक्तियों को घर भेज दिया, जो धन लाए थे। 19 जब एग्लोन गिलगाल नगर की मूर्तियों के पास से वापस मुड़ा, तब एहूद ने एग्लोन से कहा, “राजा, मैं आपके लिए एक गुप्त सन्देश लाया हूँ।”
राजा ने कहा, “चुप रहो।” तब उसने सभी नौकरों को कमरे से बाहर भेज दिया। 20 एहूद राजा एग्लोन के पास गया। एग्लोन एकदम अकेला अपने ग्रीष्म महल के ऊपरी कमरे में बैठा था।
तब एहूद ने कहा, “मैं परमेश्वर के यहाँ से आपके लिये सन्देश लाया हूँ।” राजा अपने सिंहासन से उठा, वह एहूद के बहुत पास था। 21 ज्योंही राजा अपने सिंहासन से उठा, एहूद ने अपने बांये हाथ को बढ़ाया और उस तलवार को निकाला जो उसकी दायीं जांघ में बंधी थी। तब एहूद ने तलवार को राजा के पेट में घुसेड़ दिया। 22 तलवार एग्लोन के पेट में इतनी भीतर गई कि उसकी मूठ भी उसमें समा गई। राजा की चर्बी ने पूरी तलवार को छिपा लिया। इसलिए एहूद ने तलवार को एग्लोन के अन्दर छोड़ दिया।
23 एहूद कमरे से बाहर गया और उसने अपने पीछे दरवाजों को ताला लगाकर बन्द कर दिया। 24 एहूद के चले जाने के ठीक बाद नौकर आए। नौकरों ने कमरे के दरवाजों में ताला लगा पाया। इसलिए नौकरों ने कहा, “राजा आराम कक्ष में आराम कर रहे होंगे।” 25 इसलिए नौकरों ने लम्बे समय तक प्रतीक्षा की। अन्त में वे चिन्तित हुए। उन्होंने चाभी ली और दरवाज़े खोले। जब नौकर घुसे तो उन्होंने राजा को फर्श पर मरा पड़ा देखा।
26 जब तक नौकर राजा की प्रतीक्षा करते रहे तब तक एहूद को भाग निकलने का समय मिल गया। एहूद मूर्तियों के पास से होकर सेइरे नामक स्थान की ओर गया। 27 एहूद सेइरे नामक स्थान पर पहुँचा। तब उसने एप्रैम के पहाड़ी क्षेत्र में तुरही बजाई। इस्राएल के लोगों ने तुरही की आवाज़ सुनी और वे पहाड़ियों से उतरे। एहूद उनका संचालक था। 28 एहूद ने इस्राएल के लोगों से कहा, “मेरे पीछे चलो। यहोवा ने मोआब के लोगों अर्थात् हमारे शत्रुओं को हराने में हमारी सहायता की है।”
इसलिए इस्राएल के लोगों ने एहूद का अनुसरण किया। वे एहूद का अनुसरण उन स्थानों पर अधिकार करने के लिए करते रहे जहाँ से यरदन नदी सरलता से पार की जा सकती थी। वे स्थान मोआब के प्रदेश तक पहुँचाते थे। इस्राएल के लोगों ने किसी को यरदन नदी के पार नहीं जाने दिया। 29 इस्राएल के लोगों ने मोआब के लगभग दस हजार बलवान और साहसी व्यक्तियों को मार डाला। एक भी मोआबी भागकर बच न सका। 30 इसलिए उस दिन मोआब के लोग बलपूर्वक इस्राएल के लोगों के शासन में रहने को विवश किये गए और वहाँ उस प्रदेश में अस्सी वर्ष तक शान्ति रही!
न्यायाधीश शमगर
31 एहूद द्वारा इस्राएल के लोगों की रक्षा हो जाने के बाद एक अन्य व्यक्ति ने इस्राएल को बचाया। उस व्यक्ति का नाम शमगर था और वह अनात नामक व्यक्ति का पुत्र था। शमगर ने चाबुक का उपयोग छ: सौ पलिश्ती व्यक्तियों को मार डालने के लिये किया।
समीक्षा
उन लीडर्स के लिए परमेश्वर का धन्यवाद जिन्होंने बचाया है
इस लेखांश में हम दोहराए जाने वाले पैटर्न को देखते हैं जो न्यायियों की पूरी पुस्तक में नजर आता है:
- आज्ञा का उल्लंघन
'तब उसके बाद जो दूसरी पीढ़ी हुई उसके लोग न तो यहोवा को जानते थे और न उस काम को जो उसने इस्राएल के लिये किया था....... वे अपने पूर्वजों के परमेश्वर को त्यागकर पराये देवताओं की उपासना करने लगे' (2:10,12).
- विनाश
इस पर परमेश्वर की प्रतिक्रिया थी विनाश लाना, ताकि वे उनकी ओर फिरें: ' इसलिये यहोवा का कोप इस्रालियों पर भड़क उठा, और उसने उन को शत्रुओं के अधीन कर दिया' (व.14).
- संकट
' इस प्रकार से वह बड़े संकट में पड़ गए' (व.15).
- छुटकारा
जब वे संकट में पड़ गए तो उन्होंने परमेश्वर को पुकारा और वह उनके लिए न्यायी ठहराता हैं 'जो उन लोगों को लूटने वाले के हाथ से छुड़ाते हैं' (व.16). 'न्यायी' (भविष्यवक्ता) शब्द का इब्रानी में व्यापक अर्थ है. यह 'छुड़ाने वाला' भी हो सकता है - जो न्याय करता है या चीजों को सीधा करता है.
सबसे पहले ओत्नीएल नाम का एक कनजी छुड़ाने वाला ठहराया गया. 'उस में प्रभु का आत्मा समाया' (3:10). परमेश्वर के पवित्र आत्मा से ओत्नीएल का अभिषेक हुआ ताकि वह लोगों को छुड़ा सके और चालीस वर्षों तक शांति स्थापित कर सके (व.11).
एक बार फिर लोग अवज्ञा और विनाश में फंस गए (वव.12-14) और उन्होंने बचाव के लिए परमेश्वर को पुकारा (व.15).
परमेश्वर ने उन लोगों को अद्भुत तरीके से, बल्कि अप्रिय तरीके से, बचाया (व.21). एहूद बहुत ही साहसी और बहादुर मनुष्य था जो तलवार छिपाकर अकेले ही शत्रु की छावनी में घुस गया था. ऐसा करना एक पागलपंती थी – लेकिन सच्चाई यह है कि परमेश्वर उसके साथ थे. और वह शानदार तरीके से सफल हुआ. एक बार फिर, देश में शांति छा गई. इस समय अस्सी वर्ष के लिए (व.30).
कभी-कभी परमेश्वर अपने लोगों को छुड़ाने के लिए उन लोगों का उपयोग करते हैं जो परमेश्वर के लोगों का हिस्सा नहीं है. शमगर कनानी था (5:6 देखें). वह ताकतवर मनुष्य था: 'उसने छ: सौ पलिश्ती पुरूषों को बैल के पैने से मार डाला; इस कारण वह भी इस्राएल का छुड़ाने वाला हुआ' (3:31).
इन लीडर्स से अस्थायी रूप से शांति आई, 'जब जब परमेश्वर उनके लिये न्यायी को ठहराता तब तब वह उस न्यायी के संग रहकर उसके जीवन भर उन्हें शत्रुओं के हाथ से छुड़ाता था' (2:18).
यह दुनिया के उद्धारकर्ता यीशु के महान कार्य का केवल पूर्वाभास था, हालाँकि धुँधले और अपर्याप्त तरीके से. मगर उनकी मृत्यु और उनके पुनरूत्थान ने आपको बचाया है. वह आपके उद्धारकर्ता हैं. अब पवित्र आत्मा आपके अंदर रहते हैं (रोमियों 8:9). वह आपको सामर्थ और बुद्धि देते हैं ताकि आप भी अपने जीवन से बदलाव ला सकें.
प्रार्थना
प्रभु, आज मैं सभी मुश्किलों, परेशानियों और डर से छुटकारे के लिए आपको पुकारता हूँ जिसका समना मैं आज कर रहा हूँ. अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के द्वारा मेरे महान छुटकारे के लिए मैं आपकी स्तुती करता हूँ और आपको धन्यवाद करता हूँ.
पिप्पा भी कहते है
परमेश्वर ने एहूद को न्यायी ठहराया जो बैहत्था था. मैं भी बैहत्था हूँ, तो यह मुझे सकारात्मक महसूस कराता है. इस कहानी में मैंने बैहत्था होने के फायदे को दर्शाया है कि वह कितना चालाक था, जब ' एहूद ने अपना बायां हाथ बढ़ाकर अपनी दाहिनी जांघ पर से तलवार खींचकर उसकी तोंद में घुसा दी' (व.21). यह पढ़ना थोड़ा घिनौना लगता है कि 'उसने तलवार को उसकी तोंद में से न निकाला; वरन वह उसके आरपार निकल गई' (व.22). मगर, इसका परिणाम यह हुआ कि अस्सी साल तक देश में शांति बनी रही (व.22), इसलिए अवश्य ही यह अच्छी बात रही होगी.

App
Download The Bible with Nicky and Pippa Gumbel app for iOS or Android devices and read along each day.
संदर्भ
नोट्स:
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।