परमेश्वर जैसी विशाल प्रार्थनाएं करें
परिचय
मुझे अच्छे से याद है क्रेग नामक बच्ची के लिए प्रार्थना के बारे में. मुझे ब्रॉम्पटन अस्पताल में एक महिला से मिलने के लिए कहा गया. विविएने के तीन बच्चे थे और वह चौथी बार गर्भवती हुई थी. उसके तीसरे बच्चे को, जो केवल एक महीने का था, उसके हृदय में छेद था जिसका ऑपरेशन किया गया था. ऑपरेशन सफल नहीं हुआ था और, अस्वाभाविक तरीके से नहीं, चिकित्सा कर्मी उसकी दवाइयाँ बंद करना चाहते थे. उन्होंने विविएने को तीन बार पूछा, क्या वे दवाइयाँ बंद करके बच्चे को मरने दे सक़ते हैं. उसने कहा नहीं, क्योंकि वह आखिरी चीज की कोशिश करना चाहती थी. वह चाहती थी कि कोई आकर उसके लिए प्रार्थना करे. इसलिए मैं गया था.
क्रेग के चारों तरफ नलियाँ लगी हुई थीं और उसका शरीर सूजा हुआ था और उसमें खरोचें थीं. उसने कहा यदि वह ठीक हो जाए तब भी उसके दिमाग में खराबी रहेगी क्योंकि उसका हृदय काफी देर के लिए बंद था. उसने मुझ से कहा उसे परमेश्वर पर विश्वास नहीं है, लेकिन 'क्या आप प्रार्थना करेंगे?'
मैंने यीशु के नाम में परमेश्वर से प्रार्थना की कि वह उसे ठीक कर दें. फिर मैंने उससे कहा कि वह किस तरह से अपना जीवन यीशु मसीह को दे सकती है और उसने वैसा ही किया. मैं वहाँ से निकल गया, दो दिन बाद, जब उसने मुझे देखा तो वह दौड़ते हुए मेरे पास आई. उसने कहा, 'मैं आपसे संपर्क करना चाहती थी, कुछ अद्भुत हुआ है. जिस रात आपने प्रार्थना की थी उसके बाद स्थिति पूरी तरह से बदल गई. वह ठीक हो गया है.' कुछ दिनों में क्रेग घर पर चला गया.
विविएने ने अपने सभी रिश्तेदारों और दोस्तों को बताया कि, 'मैं विश्वास नहीं करती थी, लेकिन अब मैं विश्वास करती हूँ.'
एक अद्भुत चंगाई हुआ. यह अठ्ठाईस साल पहले की बात है, मैं अब भी उस परिवार के संपर्क में हूँ. उसकी चंगाई आत्म सुधार नहीं थी; उस समय वह बच्चा था. यह सकारात्मक सोच नहीं थी. यह प्रायोगिक औषध का प्रभाव भी नहीं था. यह परमेश्वर जैसी विशाल प्रार्थना के लिए उन्हीं के समान विशाल प्रतिउत्तर था.
भजन संहिता 57:1-6
संगीत निर्देशक के लिये ‘नाश मत कर’ नामक धुन पर उस समय का दाऊद का एक भक्ति गीत जब वह शाऊल से भाग कर गुफा में जा छिपा था।
57हे परमेश्वर, मुझ पर करूणा कर।
मुझ पर दयालु हो क्योंकि मेरे मन की आस्था तुझमें है।
मैं तेरे पास तेरी ओट पाने को आया हूँ।
जब तक संकट दूर न हो।
2 हे परमेश्वर, मैं सहायता पाने के लिये विनती करता हूँ।
परमेश्वर मेरी पूरी तरह ध्यान रखता है।
3 वह मेरी सहायता स्वर्ग से करता है,
और वह मुझको बचा लेता है।
जो लोग मुझको सताया करते हैं, वह उनको हराता है।
परमेश्वर मुझ पर निज सच्चा प्रेम दर्शाता है।
4 मेरे शत्रुओं ने मुझे चारों ओर से घेर लिया है।
मेरे प्राण संकट में है।
वे ऐसे हैं, जैसे नरभक्षी सिंह
और उनके तेज दाँत भालों और तीरों से
और उनकी जीभ तेज तलवार की सी है।
5 हे परमेश्वर, तू महान है।
तेरी महिमा धरती पर छायी है, जो आकाश से ऊँची है।
6 मेरे शत्रुओं ने मेरे लिए जाल फैलाया है।
मुझको फँसाने का वे जतन कर रहे हैं।
उन्होंने मेरे लिए गहरा गड्ढा खोदा है,
कि मैं उसमें गिर जाऊँ।
समीक्षा
दया के लिए प्रार्थना करें
क्या आपने दया के लिए कभी परमेश्वर को पुकारा है? निश्चय ही मैंने कई बार पुकारा है. दाऊद ने परम प्रधान परमेश्वर को पुकारा (व.2). उसने प्रार्थना की, 'मुझ पर अनुग्रह कर, मुझ पर अनुग्रह कर' (व.1अ).
दया के लिए परमेश्वर जैसी विशाल प्रार्थना है जिसका उत्तर परमेश्वर हमेशा देते हैं. यह प्रार्थना यीशु के द्वारा क्षमा पाने के लिए है. क्रूस पर उनकी मृत्यु के द्वारा, यीशु ने यह संभव कर दिया है कि 'जो कोई उनका नाम पुकारता है वह उद्धार पाता है' (रोमियों 10:13).
दया के लिए दाऊद की प्रार्थना का संदर्भ शायद तब होता है जब वह शाऊल से भागकर एक गुफा में जाता है (1 शमूएल 22:24 देखें. वह परमेश्वर को पुकारता है और परमेश्वर सुनते हैं और उसकी प्रार्थना का उत्तर देते हैं. दाऊद कहता है, ' मैं परम प्रधान परमेश्वर को पुकारूंगा, ईश्वर को जो मेरे लिये सब कुछ सिद्ध करता है' (भजन संहिता 57:2).
दाऊद जानता था कि उसके जीवन के लिए परमेश्वर की एक योजना है और यह कि वह उस उद्देश्य को पूरा करेंगे. परमेश्वर ने उसके जीवन के लिए एक विशाल योजना बनाई थी. परमेश्वर की बुलाहट के लिए दाऊद के समान प्रतिक्रिया करें और उनकी आज्ञाओं को मानें.
परमेश्वर, परमेश्वर जैसी विशाल प्रार्थनाओं का उत्तर परमेश्वर जैसे विशाल तरीके से देते हैं. परमेश्वर के पास आपके जीवन के लिए परमेश्वर जैसा विशाल उद्देश्य है. दाऊद कहता है, ' ईश्वर स्वर्ग से भेजकर मुझे बचा लेगा, परमेश्वर अपनी करूणा और सच्चाई प्रगट करेगा' (व.3).
प्रार्थना
परमेश्वर आपके प्रेम और विश्वासयोग्यता के लिए आपको धन्यवाद (व.3). मेरा प्राण आपके पंखों के नीचे शरण पाएगा.
यूहन्ना 4:43-5:15
राजकर्मचारी के बेटे को जीवन-दान
43 दो दिन बाद वह वहाँ से गलील को चल पड़ा। 44 (क्योंकि यीशु ने खुद कहा था कि कोई नबी अपने ही देश में कभी आदर नहीं पाता है।) 45 इस तरह जब वह गलील आया तो गलीलियों ने उसका स्वागत किया क्योंकि उन्होंने वह सब कुछ देखा था जो उसने यरूशलेम में पर्व के दिनों किया था। (क्योंकि वे सब भी इस पर्व में शामिल थे।)
46 यीशु एक बार फिर गलील में काना गया जहाँ उसने पानी को दाखरस में बदला था। अब की बार कफ़रनहूम में एक राजा का अधिकारी था जिसका बेटा बीमार था। 47 जब राजाधिकारी ने सुना कि यहूदिया से यीशु गलील आया है तो वह उसके पास आया और विनती की कि वह कफ़रनहूम जाकर उसके बेटे को अच्छा कर दे। क्योंकि उसका बेटा मरने को पड़ा था। 48 यीशु ने उससे कहा, “अद्भुत संकेत और आश्चर्यकर्म देखे बिना तुम लोग विश्वासी नहीं बनोगे।”
49 राजाधिकारी ने उससे कहा, “महोदय, इससे पहले कि मेरा बच्चा मर जाये, मेरे साथ चल।”
50 यीशु ने उत्तर में कहा, “जा तेरा पुत्र जीवित रहेगा।”
यीशु ने जो कुछ कहा था, उसने उस पर विश्वास किया और घर चल दिया। 51 वह घर लौटते हुए अभी रास्ते में ही था कि उसे उसके नौकर मिले और उसे समाचार दिया कि उसका बच्चा ठीक हो गया।
52 उसने पूछा, “सही हालत किस समय से ठीक होना शुरू हुई थी?”
उन्होंने जवाब दिया, “कल दोपहर एक बजे उसका बुखार उतर गया था।”
53 बच्चे के पिता को ध्यान आया कि यह ठीक वही समय था जब यीशु ने उससे कहा था, “तेरा पुत्र जीवित रहेगा।” इस तरह अपने सारे परिवार के साथ वह विश्वासी हो गया।
54 यह दूसरा अद्भुत चिन्ह था जो यीशु ने यहूदियों को गलील आने पर दर्शाया।
तालाब पर ला-इलाज रोगी का ठीक होना
5इसके बाद यीशु यहूदियों के एक उत्सव में यरूशलेम गया। 2 यरूशलेम में भेड़-द्वार के पास एक तालाब है, इब्रानी भाषा में इसे “बेतहसदा” कहा जाता है। इसके किनारे पाँच बरामदे बने हैं 3 जिनमें नेत्रहीन, अपंग और लकवे के बीमारों की भीड़ पड़ी रहती है। 4 5 इन रोगियों में एक ऐसा मरीज़ भी था जो अड़तीस वर्ष से बीमार था। 6 जब यीशु ने उसे वहाँ लेटे देखा और यह जाना कि वह इतने लम्बे समय से बीमार है तो यीशु ने उससे कहा, “क्या तुम नीरोग होना चाहते हो?”
7 रोगी ने जवाब दिया, “हे प्रभु, मेरे पास कोई नहीं है जो जल के हिलने पर मुझे तालाब में उतार दे। जब मैं तालाब में जाने को होता हूँ, सदा कोई दूसरा आदमी मुझसे पहले उसमें उतर जाता है।”
8 यीशु ने उससे कहा, “खड़ा हो, अपना बिस्तर उठा और चल पड़।” 9 वह आदमी तत्काल अच्छा हो गया। उसने अपना बिस्तर उठाया और चल दिया।
उस दिन सब्त का दिन था। 10 इस पर यहूदियों ने उससे, जो नीरोग हुआ था, कहना शुरू किया, “आज सब्त का दिन है और हमारे नियमों के यह विरुद्ध है कि तू अपना बिस्तर उठाए।”
11 इस पर उसने जवाब दिया, “जिसने मुझे अच्छा किया है उसने कहा है कि अपना बिस्तर उठा और चल।”
12 उन लोगों ने उससे पूछा, “वह कौन व्यक्ति है जिसने तुझसे कहा था, अपना बिस्तर उठा और चल?”
13 पर वह व्यक्ति जो ठीक हुआ था, नहीं जानता था कि वह कौन था क्योंकि उस जगह बहुत भीड़ थी और यीशु वहाँ से चुपचाप चला गया था।
14 इसके बाद यीशु ने उस व्यक्ति को मन्दिर में देखा और उससे कहा, “देखो, अब तुम नीरोग हो, इसलिये पाप करना बन्द कर दो। नहीं तो कोई और बड़ा कष्ट तुम पर आ सकता है।” फिर वह व्यक्ति चला गया।
15 और यहूदियों से आकर उसने कहा कि उसे ठीक करने वाला यीशु था।
समीक्षा
चंगाई के लिए प्रार्थना करें
हमारे जीवन में ऐसा समय भी आता है जब हम चंगाई के लिए व्याकुल हो जाते हैं – या तो अपने लिए या फिर दूसरों के लिए. इस जीवन में चंगाई के लिए हमारी प्रार्थना का उत्तर हमेशा नहीं मिलता. जिन प्रार्थना का उत्तर नहीं मिलता उनसे लड़ना कठिन और दु:खदायी हो जाता है. लेकिन कभी-कभी चंगाई देने के लिए परमेश्वर चमत्कारी ढंग से हस्तक्षेप करते हैं. यहाँ हम दो उदाहरण देखते हैं, जो परमेश्वर जैसी विशाल प्रार्थनाओं के परिणाम के रूप में मिलती हैं:
- दूसरों के लिए चंगाई
राजा के कर्मचारी ने अपने बेटे को ठीक करने के लिए यीशु से प्रार्थना की (4:47), जो कि मृत्यु के बिल्कुल करीब था.
' यीशु ने उस से कहा, जब तक तुम चिन्ह और अद्भुत काम न देखोगे तब तक कदापि विश्वास न करोगे' (व.48). लेकिन राजा के कर्मचारी ने यीशु से कहा: ' हे प्रभु, मेरे बालक की मृत्यु होने से पहले चल' (व.49).
यीशु ने उस मनुष्य के विश्वास का उत्तर दिया. उस मनुष्य ने विश्वास किया था कि यदि यीशु आकर उसके बेटे को ठीक करेंगे तो वह ठीक हो जाएगा. यीशु ने उसे एक कदम और आगे बढ़ने और यह विश्वास करने के लिए कहा कि उनका वचन कई मील दूर से भी उसके बेटे को चंगा कर सकता है. उस मनुष्य ने विश्वास किया. और यीशु ने चमत्कार किया – उन्होंने मनुष्य की परमेश्वर जैसी विशाल प्रार्थना सुनी और उसके बेटे को चंगा किया. इसके परिणाम स्वरूप, उसके पूरे घराने ने विश्वास किया (व.53).
- खुद की चंगाई के लिए प्रार्थना
यीशु ऐसी जगह में गए जहाँ बीमारों की भीड थी; लंगड़े, अंधे और लकवे से ग्रस्त लोग (5:3). तब ऐसी परंपरा थी कि विकलांग होना परमेश्वर की ओर से दंड समझा जाता था. ऐसे लोग छिपकर रहते थे. लेकिन परमेश्वर ने कमजोरों और मूर्खों को चुन लिया है कि ज्ञान वालों को लज्जित करें (1 कुरिंथिंयों 1:27-28).
यीशु उस व्यक्ति को चंगा करते हैं जो अड़तीस वर्ष से बीमार पड़ा था (यूहन्ना 5:5). वह व्यक्ति सच में व्याकुल था: वह बेतशेदा के पानी से चंगाई पाने की आशा कर रहा था, जिसे कि समय समय पर हिलाया जाता था और ऐसा मानना था कि जब पानी हिलाया जाए जो कुंड में सबसे पहले उतरेगा वह चंगा हो जाएगा. लेकिन इस व्यक्ति की मदद करने वाला कोई नहीं था जो उसे कुंड में सबसे पहले नीचे उतारे (व.7).
उसका कोई दोस्त या कोई करीबी रिश्तेदार नहीं था. उसका कोई ख्याल नहीं रखता था. वह अकेला और त्यागा हुआ था. उससे कोई प्यार नहीं करता था लेकिन यीशु ने उससे प्यार किया.
यीशु उससे कहते हैं, जैसा कि वह हम सबसे कहते हैं, 'क्या तू चंगा होना चाहता है?' (व.6). अड़तीस साल से उसने इसी तरह से जीना सीख लिया था. अब उसे खड़े होकर निर्णय लेना था, कुछ दोस्तों को ढूँढना था, कुछ काम ढूँढना था और अपने परिवार के लिए जिम्मेदार बनना था.
जॉयस मेयर इस घटना के बारे में कहती हैं कि, वास्तव में, यीशु ने उस व्यक्ति से कहा, 'सिर्फ लेटे मत रहो, कुछ करो!' वह आगे कहती हैं, 'तकरीबन पंद्रह सालों तक यौन शोषण होने पर और दुष्क्रियाशील घर में पालन पोषण होने से उनका आत्मविश्वास कम हो गया था और वह शर्म से भर गई थीं. मैं अपने जीवन में अच्छी चीजों को चाहती थी, लेकिन मैं भावनात्मक पीड़ा और व्याकुलता में फंस गई थी.
यूहन्ना 5 में उल्लेखित मनुष्य के समान, यीशु ने भी मुझ पर दया नही दिखाई. वास्तव में यीशु मेरे साथ काफी दृढ़ थे और उन्होंने मुझसे बेहद प्यार किया, लेकिन मुझे आत्म-दोष से भरने के लिए उनका मना करना मेरा जीवन बदल देने वाला पल था. मैं उस खडहे में अब जरा भी नहीं हूँ. अब मेरा जीवन अच्छा हो गया है. यदि आप खुद को अपराधी मानने से मना करेंगे, और परमेश्वर को सक्रियता से देखेंगे और वहीं करेंगे जो वह आपको करने के लिए कहते हैं, तो आपका जीवन भी अच्छा हो जाएगा.'
(मेरे दोस्त, पेटे ग्रेग ने इस विषय पर एक शानदार किताब लिखी है जिसका नाम है गॉड ऑन म्यूट)
प्रार्थना
प्रभु आपको धन्यवाद कि, आपने चंगाई के लिए मेरी प्रार्थना को सुना. आपको धन्यवाद कि आपने चमत्कारी तरीके से मुझे चंगा किया है. प्रभु आज मैं आपको चंगाई के लिए पुकारता हूँ......
न्यायियों 4:1-5:31
स्त्री न्यायाधीश दबोरा
4एहूद के मरने के बाद यहोवा ने इस्राएली लोगों को फिर पार करते देखा। 2 इसलिए यहोवा ने कनान प्रदेश के राजा याबीन को इस्राएली लोगों को पराजित करने दिया। याबीन हासोर नामक नगर में शासन करता था। राजा याबीन की सेना का सेनापति सीसरा नामक व्यक्ति था। सीसरा हरोशेत हाग्गोयीम नामक नगर में रहता था। 3 सीसरा के पास नौ सौ लोहे के रथ थे और वह बीस वर्ष तक इस्राएल के लोगों के प्रति बहुत क्रूर रहा। इस्राएल के लोगों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया गया। इसलिए उन्होंने यहोवा की प्रार्थना की और सहायता के लिए रोकर पुकार की।
4 एक स्त्री नबी दबोरा नाम की थी। वह लप्पीदोत नामक व्यक्ति की पत्नी थी। वह उस समय इस्राएल की न्यायाधीश थी। 5 एक दिन दबोरा, ताड़ के पेड़ के नीचे बैठी थी जिसे “दबोरा का ताड़ वृक्ष” कहा जाता था। इस्राएल के लोग उसके पास यह पूछने के लिये आए कि सीसरा के विषय में क्या किया जाये। (दबोरा का ताड़ वृक्ष एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश मे रामा और बेतेल नगरों के बीच था।) 6 दबोरा ने बाराक नामक व्यक्ति के पास संदेश भेजा। उसने उसे उस से मिलने को कहा। बाराक अबीनोअम नामक व्यक्ति का पुत्र था। बाराक नप्ताली के क्षेत्र में केदेश नामक नगर में रहता था। दबोरा ने बाराक से कहा, “यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर तुम्हें आदेश देता है, ‘जाओ और नप्ताली एवं जबूलून के परिवार समूहों से दस हजार व्यक्तियों को इकट्ठा करो। 7 मैं याबीन की सेना के सेनापति सीसरा को तुम्हारे पास भेजूँगा। मैं सीसरा, उसके रथों और उसकी सेना को कीशोन नदी पर पहुँचाऊँगा। मैं वहाँ सीसरा को हराने में तुम्हारी सहायता करूँगा।’”
8 तब बाराक ने दबोरा से कहा, “यदि तुम मेरे साथ चलोगी तो मैं जाऊँगा और यह करूँगा। किन्तु यदि तुम नहीं चलोगी तो मैं नहीं जाऊँगा।”
9 दबोरा ने उत्तर दिया, “निश्चय ही, मैं तुम्हारे साथ चलूँगी। किन्तु तुम्हारी भावना के कारण जब सीसरा हराया जाएगा, तुम्हें सम्मान नहीं मिलेगा। यहोवा एक स्त्री द्वारा सीसरा को हराने देगा।”
इसलिए दबोरा बाराक के साथ केदेश नगर को गई। 10 केदेश नगर में बाराक ने जबूलून और नप्ताली के परिवार समूहों को एक साथ बुलाया। बाराक ने उन परिवार समूहों को एक साथ बुलाया। बाराक ने उन परिवार समूहों से, अपने साथ चलने के लिये दस हजार व्यक्तियों को इकट्ठा किया। दबोरा भी बाराक के साथ गई।
11 वहाँ हेबेर नामक एक ऐसा व्यक्ति था जो केनी लोगों में से था। हेबेर अन्य केनी लोगों को छोड़ चुका था। (केनी लोग होबाब के वंशज थे। होबाब मूसा का ससुर था।) हेबेर ने अपना घर सानन्नीम स्थान पर बांज के पेड़ के समीप बनाया था। सानन्नीम केदेश नगर के पास है।
12 तब सीसरा से यह कहा गया कि बाराक जो कि अबीनोअम का पुत्र है, ताबोर पर्वत तक पहुँच गया है। 13 इसलिए सीसरा ने अपने नौ सौ लोहे के रथों को इकट्ठा किया। सीसरा ने अपने सभी सैनिकों को भी साथ लिया। हरोशेत हाग्गोयीम नगर से उन्होंने कीशोन नदी तक यात्रा की।
14 तब दबोरा ने बाराक से कहा, “आज के दिन ही यहोवा तुम्हें सीसरा को हराने में सहायता देगा। निश्चय ही, तुम जानते हो कि यहोवा ने पहले से ही तुम्हारे लिये रास्ता साफ कर रखा है।” इसलिए बाराक ने दस हजार सैनिकों को ताबोर पर्वत से उतारा। 15 बाराक और उसके सैनिकों ने सीसरा पर आक्रमण कर दिया। युद्ध के दौरान यहोवा ने सीसरा, उसकी सेना और रथों को अस्तव्यस्त कर दिया। उनकी व्यवस्था भंग हो गई। इसलिए बाराक और उसकी सेना ने सीसरा की सेना को हरा दिया। किन्तु सीसरा ने अपने रथ को छोड़ दिया तथा पैदल भाग खड़ा हुआ। 16 बाराक ने सीसरा की सेना से युद्ध जारी रखा। बाराक और उसके सैनिकों ने सीसरा के रथों और सेना का पीछा हरोशेत हाग्गोयीम तक लगातार किया। बाराक के सैनिकों ने सीसरा के सैनिकों को मारने के लिये अपनी तलवारों का उपयोग किया। सीसरा का कोई सैनिक जीवित न बचा।
17 किन्तु सीसरा भाग गया। वह उस तम्बू के पास आया, जहाँ याएल नामक एक स्त्री रहती थी। याएल, हासोर नामक व्यक्ति की पत्नी थी। वह केनी लोगों में से एक था। हेबेर का परिवार हासोर के राजा याबीन से शान्ति— सन्धि किये हुये था। इसलिये सीसरा, याएल के तम्बू में भाग कर गया। 18 याएल ने सीसरा को आते देखा, अत: वह उससे मिलने बाहर गई। याएल ने सीसरा से कहा, “मेरे तम्बू में आओ, मेरे स्वामी, आओ। डरो नहीं।” इसलिए सीसरा याएल के तम्बू में गया और उसने उसे एक कालीन से ढक दिया।
19 सीसरा ने याएल से कहा, “मैं प्यासा हूँ। कृपया मुझे पीने को थोड़ा पानी दो।” इसलिए याएल ने एक मशक खोला, जिसमें उसने दूध रखा था और उसने पीने को दिया। तब उसने सीसरा को ढक दिया।
20 तब सीसरा ने याएल से कहा, “तम्बू के द्वार पर जाओ। यदि कोई यहाँ से गुज़रता है और पूछता है, ‘क्या यहाँ कोई है?’ तो तुम कहना, ‘नहीं।’”
21 किन्तु हेबेर की पत्नी याएल ने एक तम्बू की खूँटी और हथौड़ा लिया। याएल चुपचाप सीसरा के पास गई। सीसरा बहुत थका था अतः वह सो रहा था। याएल ने तम्बू की खूँटी को सीसरा के सिर की एक ओर रखा और उस पर हथौड़े से चोट की। तम्बू की खूँटी सीसरा के सिर की एक ओर से होकर जमीन में धँस गई और इस तरह सीसरा मर गया।
22 ठीक तुरन्त बाद बाराक सीसरा को खोजता हुआ याएल के तम्बू के पास आया। याएल बाराक से मिलने बाहर निकली और बोली, “अन्दर आओ और मैं उस व्यक्ति को दिखाऊँगी जिसे तुम ढूँढ रहे हो।” इसलिए बाराक याएल के साथ तम्बू में घुसा। बाराक ने वहाँ सीसरा को जमीन पर मरा पड़ा पाया, तम्बू की खूँटी उसके सिर की एक ओर से दूसरी ओर निकली हुई थी।
23 उस दिन यहोवा ने कनान के राजा याबीन को इस्राएल के लोगों की सहायता से हराया। 24 इस प्रकार इस्राएल के लोग क्रमश: अधिक शक्तिशाली होते गए और उन्होंने कनान के राजा याबीन को हरा दिया। इस्राएल के लोगों ने कनान के राजा याबीन को अन्तिम रूप से हराया।
दबोरा का गीत
5जिस दिन इस्राएल के लोगों ने सीसरा को हराया उस दिन दबोरा और अबीनोअम के पुत्र बाराक ने इस गीत को गाया:
2 इस्राएल के लोगों ने अपने को युद्ध के लिये तैयार किया।
लोग युद्ध में जाने के लिये स्वयं आए!
यहोवा को धन्य कहो!
3 “राजाओं, सुनो।
शासकों, ध्यान दो।
मैं गाऊँगी।
मैं स्वयं यहोवा के प्रति गाऊँगी।
मैं यहोवा, इस्राएल के लोगों के
परमेश्वर की स्तुति करूँगी।
4 “हे यहोवा, अतीत में तू सेईर देश से आया।
तू एदोम प्रदेश से चलकर आया,
और धरती काँप उठी।
गगन ने वर्षा की।
मेघों ने जल गिराया।
5 पर्वत काँप उठे यहोवा, सीनै पर्वत के परमेश्वर के सामने, यहोवा,
इस्राएल के लोगों के परमेश्वर के सामने!
6 “अनात का पुत्र शमगर के समय में याएल के समय में,
मुख्य पथ सूने थे।
काफिले और यात्री गौण पथों से चलते थे।
7 “कोई योद्धा नहीं था। इस्राएल में कोई योद्धा नहीं था, हे दबोरा,
जब तक तुम न खड़ी हुई,
जब तक तुम इस्राएल की माँ बन कर न खड़ी हुई।
8 “परमेश्वर ने नये प्रमुखों को चुना कि
वे नगर—द्वार पर युद्ध करें।
इस्राएल के चालीस हजार सैनिकों में
कोई ढाल और भाला नहीं पा सका।
9 “मेरा हृदय इस्राएल के सेनापतियों के साथ है।
ये सेनापति इस्राएल के लोगों में से स्वयं आए!
यहोवा को धन्य कहो!
10 “श्वेत गधों पर सवार होने वाले लोगो तुम,
जो कम्बल की काठी पर बैठते हो
और तुम जो राजपथ पर चलते हो,
ध्यान दो!
11 घुंघरूओं की छमछम पर,
पशुओं को लिए पानी वाले कूपों पर,
वे यहोवा की विजय की कथाओं को कहते हैं,
इस्राएल में यहोवा और उसके वीरों की विजय—कथा कहते हैं।
उस समय यहोवा के लोग नगर—द्वारों पर लड़े और विजयी हुये!
12 “दबोरा जागो, जागो!
जागो, जागो गीत गाओ!
जागो, बाराक!
जाओ, हे अबीनोअम के पुत्र अपने शत्रुओं को पकड़ो!
13 “उस समय, बचे लोग, सम्मानितों के पास आए।
यहोवा के लोग, मेरे पास योद्धाओं के साथ आए।
14 “एप्रैम के कुछ लोग
अमालेक के पहाड़ी प्रदेश में बसे।
ऐ बिन्यामीन, तुम्हारे बाद वे लोग
और तुम्हारे लोग आए।
माकीर के परिवार समूह से
सेनापति आगे आए।
काँसे के दण्ड सहित नायक आए
जबूलून परिवार समूह से।
15 इस्साकार के नेता दबोरा के साथ थे।
इस्साकर का परिवार समूह बाराक के प्रति सच्चा था।
वे वयक्ति पैदल ही घाटी में भेजे गए।
“रूबेन के सैनिक बड़बड़ाए, वे क्या करें।
16 भेड़शाले के दीवार से लगे क्यों तुम सभी बैठे हो?
रूबेन के वीर सैनिकों ने युद्ध का दृढ़ निश्चय किया।
किन्तु वे अपनी भेड़ों के लिए संगीत को सुनते रहे घर बैठे।
17 गिलाद के लोग यरदन नदी के पार अपने डेरों मे पड़े रहे।
ऐ, दान के लोगो, जहाँ तक बात तुम्हारी है—तुम जहाजों के साथ क्यों चिपके रहे?
आशेर के लोग सागर तट पर पड़े रहे।
उन्होंने अपने सुरक्षित बन्दरगाहों में डेरा डाला।
18 किन्तु जबूलून के लोगों ने और नप्ताली के लोगों ने,
मैदान के ऊँचे क्षेत्रों में युद्ध के खतरे में जीवन को डाला।
19 राजा आए, वे लड़े, उस समय कनान का राजा,
तानक शहर मे मगिद्दो के जलाशय पर लड़ा
किन्तु वे इस्राएल के लोगों की कोई सम्पत्ति न ले जा सके!
20 गगन से नक्षत्रों ने युद्ध किया।
नक्षत्रों ने अपने पथ से, सीसरा से युद्ध किया।
21 कीशोन नदी, सीसरा के सैनिकों को बहा ले गई,
वह प्राचीन नदी—कीशोन नदी।
मेरी आत्मा, शक्ति से धावा बोलो!
22 उस समय अश्वों की टापों ने भूमि पर हथौड़ा चलाया।
सीसरा के अश्व भागते गए, भागते गए।
23 “यहोवा के दूत ने कहा,
‘मेरोज नगर को अभिशाप दो।
इसके लोगों को भीषण अभिशाप दो!
योद्धाओं के साथ वे यहोवा की सहायता करने नहीं आए।’
24 केनी हेबेर की पत्नी याएल
सभी स्त्रियों में से सबसे अधिक धन्य होगी।
25 सीसरा ने मांगा जल,
किन्तु याएल ने दिया दूध,
शासक के लिये उपयुक्त कटोरे में,
वह उसे मलाई लाई।
26 याएल बाहर गई, लाई खूँटी तम्बू की।
उसके दायें कर में हथौड़ा आया श्रमिक काम लाते जिसे और उसने सीसरा पर चलाया हथौड़ा।
उसने किया चूर सिर उसका,
उसने उसके सिर को बेधा एक ओर से।
27 डूबा वह याएल के पैरों बीच।
वह मर गया।
वह पड़ गया वहीं।
डूबा वह उसके पैरों बीच।
वह मर गया जहाँ सीसरा डूबा।
वहीं वह गिरा, मर गया!
28 “सीसरा की माँ, देखती खिड़की से और पर्दो से
झाँकती हुई चीख उठी।
‘सीसरा के रथ को विलम्ब क्यों आने में?
सीसरा के रथ के अश्वों के हिनहिनाने में देर क्यों?’
29 “सबसे चतुर उसकी सेविकायें उत्तर उसे देती,
हाँ सेविका उसे उत्तर देती:
30 ‘निश्चय ही उन्होंने विजय पाई है
निश्चय ही पराजितों की वस्तुएँ वे ले रहे हैं!
निश्चय ही वे बाँटते हैं आपस में वस्तुओं को!
एक लड़की या दो, दी जा रही हर सैनिक को।
संभवत: सीसरा ले रहा है, कोई रंगा वस्त्र।
संभवत: एक कढ़े वस्त्र का टुकड़ा हो, या विजेता सीसरा पहनने के लिए, दे कढ़े किनारी युक्त वस्त्र।’
31 “हे यहोवा! इस तरह तेरे, सब शत्रु मर—मिट जायें।
किन्तु वे लोग सब जो प्यार करते हैं तुझको ज्वलित दीप्त सूर्य सम शक्तिशाली बने!”
इस प्रकार उस प्रदेश में चालीस वर्ष तक शान्ति रही।
समीक्षा
लीडरशिप के लिए प्रार्थना करें
लीडरशिप में हर चीज उठती है और गिरती है. यदि व्यवसाय का नेतृत्व अच्छे से हो तो यह अच्छे से चलेगा. यदि किसी चर्च का नेतृत्व अच्छे से हो तो सामान्य रूप से यह बढ़ता है. यदि देश का नेतृत्व अच्छे से हो तो अक्सर यह समृद्ध होता है.
सीसरा द्वारा इस्रालियों पर नौ वर्षों तक अंधेर करने के बाद. सीसरा की माँ खिड़की पर सीसरा के वापस आने का इंतजार करती रही. उसने पुकारा, 'क्या उन्होंने लूट पाकर बांट नहीं ली? क्या एक एक पुरूष को एक एक वरन दो दो कुंवारियां नहीं मिली' (5:30). हम यहाँ अनुमान लगा सकते हैं कि सीसरा ने परमेश्वर के लोगों के साथ किस तरह से व्यवहार किया होगा.
परमेश्वर जैसी विशाल प्रार्थना के जवाब में परमेश्वर ने एक श्रेष्ठ लीडर खड़ा किया. दबोरा आत्मिक लीडर (एक नबिया) और एक राजनैतिक लीडर भी थी. वह उस समय इस्रालियों का न्याय करती थी. वह एक चमत्कारी लीडर थी जिसकी उपस्थिति इतना महत्व रखती थी कि बाराक ने उससे कहा, 'यदि तू मेरे संग चलेगी तो मैं जाऊंगा, नहीं तो न जाऊंगा' (व.8).
दिलचस्प तरीके से, याएल नामक एक और महिला थी, जिसने इस्रालियों पर अंधेर करने वाले को पूरी तरह से मार डाला (व.21).
स्त्री और पुरूष दोनों शानदार लीडर बन सकते हैं. लिंग मायने नहीं रखता, बल्कि वह सक्रियता से अगुवाई करे: 'जब इस्राएल में राजकुमारी ने अगुआई की,------- जो प्रजा के बीच में अपनी ही इच्छा से भरती हुए। यहोवा को धन्य कहो!' (5:2,9).
दबोरा और बाराक ने परमेश्वर को महिमा दी (वव.1-5). फिर से, जॉयस मेयर बताती है कि, "परमेश्वर उपयोग करने के लिए उन लोगों को चुनते हैं, जो अपनी सारी उपलब्धियों के लिए उन्हें महिमा और श्रेय दें. आप जब भी जीवन में सफल हों, तो परमेश्वर को महिमा देने के लिए याद रखें.''
जिस तरह से परमेश्वर ने बुद्धिमान और नम्र लोगों को खड़ाकर के अपने लोगों की प्रार्थना का उत्तर दिया. जिसके परिणामस्वरूप 'देश में अगले चालीस वर्षों तक शांति बनी रही' (व.31ब).
प्रार्थना
प्रभु, आज मैं प्रार्थना करता हूँ कि हम उस सूरज के समान बनेंगे जो अपनी पूरी ताकत से उदय होता है (व.31ब). हम अंधेरी दुनिया में रौशनी लाएं; हम लोगों को रास्ता दिखाएं. सूरज के समान जोश और शक्ति लाने में और ताकतवर बनने में, साहसी और निडर बनने में हमारी मदद कीजिये.
पिप्पा भी कहते है
न्यायियों 4:1–5:31
देश के अगुआ, न्यायी, नबिया, प्रार्थना योद्धा, गीतकार, आराधक, पत्नी और माँ. दबोरा एक आदर्श महिला थीं! कौन कहता है कि बाइबल महिला लीडरशिप के विरूद्ध है?
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संदर्भ
नोट्स:
जॉयस मेयर, द एवरीडे लाइफ बाइबल, (फेथवर्ड्स, 2013) प. 380
जॉयस मेयर, द एवरी डे लाइफ बाइबल, (फेथवर्ड्स, 2013) प. 1685
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