हाई डेफिनिशन में जीवन
परिचय
यह सन 1966 की बात है जब इंग्लैंड ने आखिरी बार फुटबॉल विश्व कप जीता था. मुझे वह पल अब भी याद है. सभी बच्चे, हम श्वेत और धवल टेलीविजन सेट पर मैच देख रहे थे. हमें कभी भी अच्छी तस्वीर नहीं मिल सकी; यह हमेशा धुंधला रहता था और लाइनें दिखाई देती थीं. हम बहुत खुश थे क्योंकि हम इससे ज्यादा कुछ अलग नहीं जानते थे. एक दिन, एक दिन हमें पता चला कि इसे एक एंटॆना की जरूरत है! अचानक से, हमने पाया कि हम साफ और सटीक तस्वीरें देख सकते हैं. हमारा आनंद बदल गया.
अब हमारे पास रंगीन टेलीविजन ही नहीं है, बल्कि हम हाइ डेफिनिशन (एचडी) भी पा सकते हैं. अब कोई धुँधली लाइने या विकृति नहीं है और अब यह पहले के मुकाबले एक अच्छी, बड़ी और ज्यादा शानदार तस्वीरें बनाता है.
श्वेत और धवल, या रंगीन बनने के बजाय, यीशु आपको हाइ-डेफिनिशन जीवन प्रदान करते हैं. 'जीवन' के लिए ग्रीक में दो शब्द हैं. शब्द 'बायोस', जिससे हम 'बायोलोजिकल – जीवन संबंधी' शब्द पाते हैं, जिसका अर्थ है मृत्यु के बजाय जीवित रहने की स्थिति – अस्तित्व में होना. दूसरा शब्द है 'ज़ीओ' जिसका अर्थ है पूर्ण, भरपूरी, विशाल, दयालु, जीवन की अधिकता जिसके बारे में यीशु कहते हैं – परिपूर्णता और उद्देश्य का जीवन. यह हाइ-डेफिनिशन में जीना है.
नीतिवचन 11:19-28
19 सच्चा धर्मी जन जीवन पाता है,
किन्तु जो बुराई को साधता रहता वह तो बस अपनी मृत्यु को पहुँचता है।
20 कुटिल जनों से, यहोवा घृणा करता है
किन्तु वह उनसे प्रसन्न होता है जिनके मार्ग सर्वदा सीधे होते हैं।
21 यह जोनो निश्चित है, दुष्ट जन कभी दण्ड से नहीं बचेगा।
किन्तु जो नेक है वे छूट जायेंगे।
22 जो भले बुरे में भेद नहीं करती, उस स्त्री की सुन्दरता ऐसी है
जैसे किसी सुअर की थुथनी में सोने की नथ।
23 नेक की इच्छा का भलाई में अंत होता है,
किन्तु दुष्ट की आशा रोष में फैलती है।
24 जो उदार मुक्त भाव से दान देता है,
उसका लाभ तो सतत बढ़ता ही जाता है,
किन्तु जो अनुचित रूप से सहेज रखते,
उनका तो अंत बस दरिद्रता होता।
25 उदार जन तो सदा, फूलेगा फलेगा
और जो दूसरों की प्यास बुझायेगा उसकी तो प्यास अपने आप ही बुझेगी।
26 अन्न का जमाखोर लोगों की गाली खाता,
किन्तु जो उसे बेचने को राजी होता है उसके सिर वरदान का मुकुट से सजता है।
27 जो भलाई पाने को जतन करता है वही यश पाता है
किन्तु जो बुराई के पीछे पड़ा रहता उसके तो हाथ बस बुराई ही लगती है।
28 जो कोई निज धन का भरोसा करता है,
झड़ जायेगा वह निर्जीव सूखे पत्ते सा; किन्तु धर्मी जन नयी हरी कोपल सा हरा—भरा ही रहेगा।
समीक्षा
एचडी जीवन का आनंद लें
नीतिवचन की पुस्तक दो मार्गों को दिखाती है: एक जो 'मृत्यु' (व.19अ) की ओर जाता है; दूसरा जो 'जीवन' (व.19ब) की ओर जाता है. जो मार्ग मृत्यु की ओर ले जाता है वह बुराई का मार्ग है (व.19ब), दुराग्रह (व.20अ), दुष्टता (व.21अ), अधर्मता (व.24ब), जमाखोरी (व.26अ), और धन पर भरोसा करना (व.28अ) है.
जो मार्ग जीवन की ओर ले जाता है वह धर्मी लोगों के लिए है (वव.19,21). यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा आप 'धर्मी' ठहराए गए हैं (रोमियों 3:220.
इस लेखांश में हम एक उल्लेख देखते हैं कि यह जीवन कैसा होगा. यह सिर्फ अस्तित्व होना नहीं है. यह हाइ-डेफिनिशन की तरह से जीना है. इसका मतलब है परमेश्वर की प्रसन्नता का आनंद लेना है (नीतिवचन 11:20ब). यह आजादी का जीवन (व.21ब) है. इसका अंत केवल भलाई ही है (व.23).
जब आप उदार बनते हैं, तब आप 'संपन्न' होते हैं. जब आप दूसरों को 'तरोताजा' करते हैं, तो आप भी 'तरोताजा' होते हैं (व.25).
इसका मतलब बिना परेशानियों, चुनौतियों और तकलीफों का जीवन नहीं है, बल्कि अंत में आपको आशीषों का मुकुट मिलेगा (व.26ब). आप भलाई का जीवन पाएंगे (व.27अ) और आप नये पत्ते की नाई लहलहाते रहेंगे' (व.28ब).
प्रार्थना
प्रभु, आपको धन्यवाद कि आपने विश्वास के द्वारा मुझे मसीह की धार्मिकता दी है और मुझे ऐसे मार्ग पर ले आए हैं जो जीवन की ओर जाता है.
यूहन्ना 5:31-47
यीशु का यहूदियों से कथन
31 “यदि मैं अपनी तरफ से साक्षी दूँ तो मेरी साक्षी सत्य नहीं है। 32 मेरी ओर से साक्षी देने वाला एक और है। और मैं जानता हूँ कि मेरी ओर से जो साक्षी वह देता है, सत्य है।
33 “तुमने लोगों को यूहन्ना के पास भेजा और उसने सत्य की साक्षी दी। 34 मैं मनुष्य की साक्षी पर निर्भर नहीं करता बल्कि यह मैं इसलिए कहता हूँ जिससे तुम्हारा उद्धार हो सके। 35 यूहन्ना उस दीपक की तरह था जो जलता है और प्रकाश देता है। और तुम कुछ समय के लिए उसके प्रकाश का आनन्द लेना चाहते थे।
36 “पर मेरी साक्षी यूहन्ना की साक्षी से बड़ी है क्योंकि परम पिता ने जो काम पूरे करने के लिए मुझे सौंपे हैं, मैं उन्हीं कामों को कर रहा हूँ और वे काम ही मेरे साक्षी हैं कि परम पिता ने मुझे भेजा है। 37 परम पिता ने जिसने मुझे भेजा है, मेरी साक्षी दी है। तुम लोगों ने उसका वचन कभी नहीं सुना और न तुमने उसका रूप देखा है। 38 और न ही तुम अपने भीतर उसका संदेश धारण करते हो। क्योंकि तुम उसमें विश्वास नहीं रखते हो जिसे परम पिता ने भेजा है। 39 तुम शास्त्रों का अध्ययन करते हो क्योंकि तुम्हारा विचार है कि तुम्हें उनके द्वारा अनन्त जीवन प्राप्त होगा। किन्तु ये सभी शास्त्र मेरी ही साक्षी देते हैं। 40 फिर भी तुम जीवन प्राप्त करने के लिये मेरे पास नहीं आना चाहते।
41 “मैं मनुष्य द्वारा की गयी प्रशंसा पर निर्भर नहीं करता। 42 किन्तु मैं जानता हूँ कि तुम्हारे भीतर परमेश्वर का प्रेम नहीं है। 43 मैं अपने पिता के नाम से आया हूँ फिर भी तुम मुझे स्वीकार नहीं करते किन्तु यदि कोई और अपने ही नाम से आए तो तुम उसे स्वीकार कर लोगे। 44 तुम मुझमें विश्वास कैसे कर सकते हो, क्योंकि तुम तो आपस में एक दूसरे से प्रशंसा स्वीकार करते हो। उस प्रशंसा की तरफ देखते तक नहीं जो एकमात्र परमेश्वर से आती है। 45 ऐसा मत सोचो कि मैं परम पिता के आगे तुम्हें दोषी ठहराऊँगा। जो तुम्हें दोषी सिद्ध करेगा वह तो मूसा होगा जिस पर तुमने अपनी आशाएँ टिकाई हुई हैं। यदि तुम वास्तव में मूसा में विश्वास करते 46 तो तुम मुझमें भी विश्वास करते क्योंकि उसने मेरे बारे में लिखा है। 47 जब तुम, जो उसने लिखा है उसी में विश्वास नहीं करते, तो मेरे वचन में विश्वास कैसे करोगे?”
समीक्षा
प्रतिदिन यीशु से मुलाकात करें
यदि हम यह देखने में असफल हो जाते हैं कि बाइबल यीशु के बारे में है और उनके साथ हम संबंध स्थापित नहीं कर पाते, तो इसे पढ़ना आसानी से शुष्क, शैक्षिक और नीरस गतिविधी हो सकती है. जब आप समझ जाएंगे कि यह यीशु के बारे में है और यह देखेंगे कि बाइबल का अध्ययन करना उनके साथ अपना संबंध बनाने का एक तरीका है, तो यह जीवन का स्रोत बन जाएगा (व.40).
जीवन का मार्ग ढूँढना यानि यीशु के पास आना है. अनेक अवसरों पर, खासकर यूहन्ना के सुसमाचार में, यीशु इसका उल्लेख 'अनंत जीवन' से करते हैं (उदाहरण के लिए, व.39). अनंत जीवन इस संबंध से आता है (व.40). यह अभी शुरू होता है और हमेशा के लिए चलता रहता है. यह हाइ-डेफिनिशन का जीवन है.
आप कैसे कह सकते हैं कि यीशु सच में वही हैं, जो कहते हैं कि वह हैं? जैसा कि कानून की अदालत में, उनके मामले में सबूत का समर्थन करने के लिए यीशु चार गवाहों को बुलाते हैं.
पहले गवाह के रूप में यीशु अन्य लोगों को बुलाते हैं – खासकर, बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना को (वव.31-35). यूहन्ना 'गवाही देने आया' (1:7). आज, पहले के मुकाबले सबसे ज्यादा लोग हैं (20 लाख से भी ज्यादा) जो एक गवाह के रूप में यीशु की ओर इशारा कर रहे हैं.
दूसरी गवाही के तौर पर यीशु खुद के जीवन के कार्यों को बुलाते हैं. यह पहले के मुकाबले ज्यादा वजनी है – ' जो काम पिता ने मुझे पूरा करने के लिए सौंपा है अर्थात यही काम जो मैं करता हूँ' (5:35), जो सलीब पर चढ़ाए गए मसीह के पुनरूत्थान पर समाप्त हुआ, जब यीशु ने क्रूस पर कहा 'यह पूरा हुआ' (19:30).
तीसरी गवाही है – ' पिता जिस ने मुझे भेजा है, उसी ने मेरी गवाही दी है' (5:37). आज आप भी उनकी आत्मा के द्वारा अपने हृदय में उनकी सीधी गवाही को अनुभव कर सकते हैं (15:26).
चौथी गवाही है पवित्र शास्त्र. संपूर्ण बाइबल यीशु के बारे में और उनके साथ संबंध बनाने के बारे में है. यीशु कहते हैं, ' तुम पवित्र शास्त्र में ढूंढ़ते हो, यह वही है, जो मेरी गवाही देता है' (5:39). वह कहते हैं, 'मूसा.... के बारे में लिखा है' (व.46).
यह संभव है कि आप पूरे पवित्र शास्त्र का अध्ययन कर लें, परंतु फिर भी पूरे मुद्दे से चूक जाएं. यीशु धार्मिक गुरूओं से कहते हैं, ' तुम पवित्र शास्त्र में ढूंढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उस में अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है, और यह वही है, जो मेरी गवाही देता है। फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते' (वव.39-40).
हालाँकि यीशु के बारे में बहुत से सबूत हैं, फिर भी उनके पास आना स्वेच्छा का कार्य है. और यीशु कहते हैं, ' फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते' (व.40). कोई आने से क्यों मना करेगा?
पहला, कुछ लोग अपने जीवन में परमेश्वर को प्रथम स्थान देना नहीं चाहते (व.42). कुछ लोग इस बात की चिंता करते हैं कि लोग क्या सोचेंगे ना कि परमेश्वर क्या सोचेंगे (व.44). फिर भी कुछ लोग सबूतों के बावजूद विश्वास करने से इंकार कर देते हैं (व.47). 'यदि तुम मूसा की प्रतीति करते, तो मेरी भी प्रतीति करते, इसलिये कि उस ने मेरे विषय में लिखा है' (व.46).
यीशु हमारे मूलभूत को स्पर्श करते हैं. हम लगातार दूसरों से आदर और सम्मान – खुद की महिमा पाने का प्रयास करते हैं.
दूसरे क्या सोचेंगे इस बात की चिंता न करें. परमेश्वर क्या सोचते हैं वह ज्यादा मायने रखता है. आज ही यीशु से फिर से मुलाकात करें और पूर्ण, भरपूर, विशाल, दयालु, हाइ-डेफिनिशन जीवन का आनंद लें, जो यीशु आपको देते हैं.
प्रार्थना
प्रभु यीशु, आज मैं आपके पास – जीवन के स्रोत के पास - आता हूँ. पवित्र शास्त्र पढ़ते समय जब मैं आपसे बातें करूँ, तो मेरा हृदय भी जाग उठे.
न्यायियों 7:8-8:35
8 इसलिए गिदोन ने इस्राएल के शेष व्यक्तियों को उनके घर भेज दिया। किन्तु गिदोन ने तीन सौ व्यक्तियों को अपने साथ रखा। उन तीन सौ आदमियों ने अन्य जाने वाले आदमियों के भोजन, सामग्री और तुरहियों को रख लिया।
अभी मिद्यानी लोग, गिदोन के नीचे घाटी में डेरा डाले हुए थे। 9 रात को यहोवा ने गिदोन से बातें कीं। यहोवा ने उससे कहा, “उठो गिदोन, लोगों के डेरों में जाओ, क्योंकि मैं तुम्हें उन लोगों को हराने दूँगा। 10 किन्तु यदि तुम अकेले वहाँ जाने से डरते हो तो अपने नौकर फूरा को अपने साथ ले लो। 11 जब तुम मिद्यानी लोगों के डेरे के पास जाओ तो यह सुनो कि वे लोग क्या कह रहे हैं। जब तुम यह सुन लोगे कि वे क्या कह रहे हैं तब तुम उस डेरे पर आक्रमण करने से नहीं डरोगे।”
इसलिए गिदोन और उसका नौकर फूरा दोनों शत्रु के डेरे की छोर पर पहुँचे। 12 मिद्यानी, अमालेकी तथा पूर्व के अन्य सभी लोग उस घाटी में डेरा डाले थे। वहाँ वे इतनी बड़ी संख्या में थे कि टिड्डी—दल से प्रतीत होते थे। ऐसा प्रतीत हुआ कि उन लोगों के पास इतने ऊँट थे, जितने समुद्र के किनारे बालू के कण।
13 जब गिदोन शत्रुओं के डेरे में पहुँचा, उसने एक व्यक्ति को बातें करते सुना। वह व्यक्ति अपने देखे हुए स्वप्न को उसे बता रहा था। वह व्यक्ति कह रहा था। “मैंने यह स्वपन देखा कि मिद्यान के लोगों के डेरे में एक गोल रोटी चक्कर खाती हुई आई। उस रोटी ने डेरे पर इतनी कड़ी चोट की कि डेरा पलट गया और चौड़ा होकर गिर गया।”
14 उस व्यक्ति का मित्र उस स्वप्न का अर्थ जानता था। उस व्यक्ति के मित्र ने कहा, “तुम्हारे स्वप्न का केवल एक ही अर्थ है। तुम्हारा स्वप्न योआश के पुत्र गिदोन की शक्ति के बारे में है। वह इस्राएल का है। इसका अभिप्राय यह है कि परमेश्वर मिद्यानी लोगों की सारी सेना को गिदोन द्वारा परास्त करायेगा।”
15 जब गिदोन ने स्वप्न के बारे में सुना और उसका अर्थ समझा तो वह परमेश्वर के प्रति झुका। तब गिदोन इस्राएली लोगों के डेरे में लौट गया। गिदोन ने लोगों को बाहर बुलाया, “तैयार हो जाओ। यहोवा हम लोगों को मिद्यानी लोगों को हराने में सहायता करेगा।” 16 तब गिदोन ने तीन सौ व्यक्तियों को तीन दलों में बाँटा। गिदोन ने हर एक व्यक्ति को एक तुरही और एक खाली घड़ा दिया। हर एक घड़े में एक जलती मशाल थी। 17 तब गिदोन ने लोगों से कहा, “मुझे देखते रहो और जो मैं करुँ, वही करो। मेरे पीछे—पीछे शत्रु के डेरों की छोर तक चलो। जब मैं डेरे की छोर पर पहुँच जाऊँ, ठीक वही करो जो मैं करूँ। 18 तुम सभी डेरों को घेर लो। मैं और मेरे साथ के सभी लोग अपनी तुरही बजाएंगे। जब हम लोग तुरही बजाएंगे तो तुम लोग भी अपनी तुरही बजाना। तब इन शब्दों के साथ घोष करो: ‘यहोवा के लिये, गिदोन के लिये।’”
19 इस प्रकार गिदोन और उसके साथ के सौ व्यक्ति शत्रु के डेरों की छोर पर आए। वे शत्रु के डेरे में उनके पहरेदारों की बदली के ठीक बाद आए। यह आधी रात को हुआ। गिदोन और उसके व्यक्तियों ने तुरहियों को बजाया तथा अपने घड़ों को फोड़ा। 20 तब गिदोन के तीनों दलों ने अपनी तुरहियाँ बजाईं और अपने घड़ों को फोड़ा। उसके लोग अपने बाँये हाथ में मशाल लिये और दाँये हाथ मे तुरहियाँ लिए हुए थे। जब वे लोग तुरहियाँ बजाते तो उद्घोष करते, “यहोवा के लिए तलवार, गिदोन के लिए तलवार।”
21 गिदोन का हर एक व्यक्ति डेरे के चारों ओर अपनी जगह पर खड़ा रहा। किन्तु डेरों के भीतर मिद्यानी लोग चिल्लाने और भागने लगे। 22 जब गिदोन के तीन सौ व्यक्तियों ने अपनी तुरहियों को बजाया तो यहोवा ने मिद्यानी लोगों को परस्पर एक दूसरे को तलवारों से मरवाया। शत्रु की सेना उस बेतशित्ता नगर को भागी जो सरेरा नगर की ओर है। वे लोग उस आबेलमहोला नगर की सीमा तक भागे जो तब्बात नगर के निकट है।
23 तब नप्ताली, आशेर और मनश्शे के परिवारों के सैनिकों को मिद्यानी लोगों का पीछा करने को कहा गया। 24 गिदोन ने एप्रैम के सारे पहाड़ी क्षेत्र में दूत भेजे। दूतों ने कहा, “आगे आओ और मिद्यानी लोगों पर आक्रमण करो। बेतबारा तक नदी पर और यरदन नदी पर अधिकार करो। यह मिद्यानी लोगों के वहाँ पहुँचने से पहले करो।” इसलिए
उन्होंने एप्रैम के परिवार समूह से सभी लोगों को बुलाया। उन्होंने बेतबारा तक नदी पर अधिकार किया। 25 एप्रैम के लोगों ने मिद्यानी लोगों के दो प्रमुखों को पकड़ा। इन दोनों प्रमुखों का नाम ओरेब और जेब था। एप्रैम के लोगों ने ओरेब को ओरेब की चट्टान नामक स्थान पर मार डाला। उन्होंने जेब को जब दाखमधु के कुण्ड नामक स्थान पर मारा। एप्रैम के लोगों ने मिद्यानी लोगों का पीछा करना जारी रखा। किन्तु पहले उन्होंने ओरेब और जेब के सिरों को काटा और सिरों को गिदोन के पास ले गए। गिदोन यरदन नदी को पार करने वाले घाट पर था।
8एप्रैम के लोग गिदोन से रुष्ठ थे। जब एप्रैम के लोग गिदोन से मिले, उन्होंने गिदोन से पूछा, “तुमने हम लोगों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया? जब तुम मिद्यानी लोगों के विरुद्ध लड़ने गए तो हम लोगों को क्यों नहीं बुलाया?” एप्रैम के लोग गिदोन पर क्रोधित थे।
2 किन्तु गिदोन ने एप्रैम के लोगों को उत्तर दिया, “मैंने उतनी अच्छी तरह युद्ध नहीं किया जितनी अच्छी तरह आप लोगों ने किया। क्या यह सत्य नहीं है कि फसल लेने के बाद तुम अपनी अंगूर की बेलों में जो अंगूर बिना तोड़े छोड़ देते हो। वह मेरे परिवार, अबीएजेर के लोगों की पूरी फसल से अधिक होते हैं। 3 इसी प्रकार इस बार भी तुम्हारी फसल अच्छी हुई है। यहोवा ने तुम लोगों को मिद्यानी लोगों के राजकुमारों ओरेब और जेब को पकड़ने दिया। मैं अपनी सफलता को तुम लोगों द्वारा किये गए काम से कैसे तुलना कर सकता हूँ?” जब एप्रैम के लोगों ने गिदोन का उत्तर सुना तो वे उतने क्रोधित न रहे, जितने वे थे।
गिदोन दो मिद्यानी राजाओं को पकड़ता है
4 तब गिदोन और उसके तीन सौ व्यक्ति यरदन नदी पर आए और उसके दूसरे पार गए। किन्तु वे थके और भूखे थे। 5 गिदोन ने सुक्कोत नगर के लोगों से कहा, “मेरे सैनिकों को कुछ खाने को दो। मेरे सैनिक बहुत थके हैं। हम लोग अभी तक जेबह और सल्मुन्ना का पीछा कर रहे हैं जो मिद्यानी लोगों के राजा हैं।”
6 सुक्कोत नगर के प्रमुखों ने गिदोन से कहा, “हम तुम्हारे सैनिकों को कुछ खाने को क्यों दें? तुमने जेबह और सल्मुन्ना को अभी तक पकड़ा नहीं है।”
7 तब गिदोन ने कहा, “तुम लोग हमें भोजन नहीं दोगे। यहोवा मुझे जेबह और सल्मुन्ना को पकड़ने में सहायता करेगा। उसके बाद मैं यहाँ लौटूँगा और मरुभूमि के काँटो एवं कटीली झाड़ीयों से तुम्हारी चमड़ी उधेड़ूँगा।”
8 गितोन ने सुक्कोत नगर को छोड़ा और पनूएल नगर को गया। गिदोन ने जैसे सुक्कोत के लोगों से भोजन माँगा था वैसे ही पनूएल के लोगों से भी भोजन माँगा। किन्तु पनूएल के लोगों ने उसे वही उत्तर दिया जो सुक्कोत के लोगों ने उत्तर दिया था। 9 इसलिए गिदोन ने पनूएल के लोगों से कहा, “जब मैं विजय प्राप्त करूँगा तब मैं यहाँ आऊँगा और तुम्हारी इस मीनार को गिरा दूँगा।”
10 जेबह, सल्मुन्ना और उसकी सेनाएं कर्कोर नगर में थीं। उसकी सेना में पन्द्रह हजार सैनिक थे। पूर्व के लोगों की सारी सेना के केवल ये ही सैनिक बचे थे। उस शक्तिशाली सेना के एक लाख बीस हजार वीर सैनिक पहले ही मारे जा चुके थे। 11 गिदोन और उसके सैनिकों ने खानाबदोशों के मार्ग को अपनाया। वह मार्ग नोबह और योग्बहा नगरों के पूर्व में है। गिदोन कर्कोर नगर में आया और उसने शत्रु पर धावा बोला। शत्रु की सेना को आक्रमण की उम्मीद नहीं थी। 12 मिद्यानी लोगों के राजा जेबह और सल्मुन्ना भाग गए। किन्तु गिदोन ने पीछा किया और उन राजाओं को पकड़ लिया। गिदोन और उसके लोगों ने शत्रु सेना को हरा दिया।
13 तब योआश का पुत्र गिदोन युद्ध से लौटा। गिदोन और उसके सैनिक हेरेस दर्रा नामक दर्रे से होकर लौटे। 14 गिदोन ने सुक्कोत के एक युवक को पकड़ा। गिदोन ने युवक से कुछ प्रश्न पूछे। युवक ने कुछ नाम गिदोन के लिए लिखे। युवक ने सुक्कोत के प्रमुखों और अग्रजों के नाम लिखे। उसने सतहत्तर व्यक्तियों के नाम दिये।
15 तब गिदोन सुक्कोत नगर में आया। उसने नगर के लोगों से कहा, “जेबह और सल्मुन्ना यहाँ है। तुमने मेरा मजाक यह कहकर उड़ाया, ‘हम तुम्हारे थके सैनिकों के लिए भोजन क्यों दें। तुमने अभी तक जेबह और सल्मुन्ना को नहीं पकड़ा है।’” 16 गिदोन ने सुक्कोत नगर के अग्रजों को लिया और उन्हें दण्ड देने के लिए मरुभूमि के काँटों और कटीली झाड़ियों से पीटा। 17 गिदोन ने पनूएल नगर की मीनार को भी गिरा दिया। तब उसने उन लोगों को मार डाला जो उस नगर में रहते थे।
18 अब गिदोन ने जेबह और सल्मुन्ना से कहा, “तुमने ताबोर पर्वत पर कुछ व्यक्तियों को मारा। वे व्यक्ति किस तरह के थे?”
जेबह और सल्मुन्ना ने उत्तर दिया, “वे व्यक्ति तुम्हारी तरह थे। उनमें से हर एक राजकुमार के समान था।”
19 गिदोन ने कहा, “वे व्यक्ति मेरे भाई और मेरी माँ के पुत्र थे। यहोवा के जीवन की शपथ, यदि तुम उन्हें नहीं मारते, तो अब मैं भी तुम्हें नहीं मारता।”
20 तब गिदोन येतेर की ओर मुड़ा। येतेर गिदोन का सबसे बड़ा पुत्र था। गिदोन ने उससे कहा, “इन राजाओं को मार डालो।” किन्तु येतेर एक लड़का ही था और डरता था। इसलिए उसने अपनी तलवार नहीं निकाली।
21 तब जेबह और सल्मुन्ना ने गिदोन से कहा, “आगे बढ़ो और स्वयं हमें मारो। तुम पुरुष हो और यह काम करने के लिये पर्याप्त बलवान हो।” इसलिए गिदोन उठा और जेबह तथा सल्मुन्ना को मार डाला। तब गिदोन ने चाँद की तरह बनी सज्जा को उनके ऊँटों की गर्दन से उतार दिया।
गिदोन एपोद बनाता है
22 इस्राएल के लोगों ने गिदोन से कहा, “तुमने हम लोगों को मिद्यानी लोगों से बचाया। इसलिए हम लोगों पर शासन करो। हम चाहते हैं कि तुम, तुम्हारे पुत्र और तुम्हारे पौत्र हम लोगों पर शासन करें।”
23 किन्तु गिदोन ने इस्राएल के लोगों से कहा, “यहोवा तुम्हारा शासक होगा न तो मैं तुम लोगों के ऊपर शासन करूँगा और न ही मेरा पुत्र तुम्हारे ऊपर शासन करेगा।”
24 इस्राएल के लोगों ने जिन्हें हराया, उनमें कुछ इश्माएली लोग थे। इश्माएली लोग सोने की कान की बालियाँ पहनते थे। इसलिए गिदोन ने इस्राएल के लोगों से कहा, “मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिये यह काम करो। मैं तुम में से हर एक से यह चाहता हूँ कि तुम लोगों ने युद्ध में जो पाया उसमें से एक—एक कान की बाली हमें दो।”
25 अत: इस्राएल के लोगों ने गिदोन से कहा, “जो तुम चाहते हो उसे हम प्रसन्नता से देंगे।” इसलिए उन्होंने भूमि पर एक अंगरखा बिछाया। हर एक व्यक्ति ने अंगरखे पर एक कान की बाली फेंकी। 26 जब वे बालियाँ इकट्ठी करके तौली गईं तो वे लगभग तैंतालीस पौंड निकलीं। इस वजन का सम्बन्ध उन चीजों के वजन से नहीं है जिन्हें इस्राएल के लोगों ने गिदोन को अन्य भेंटों के रूप में दिया था। उन्होंने चाँद के आकार और आँसू की बूंद के आकार के आभूषण भी उसे दिये और उन्होंने उसे बैंगनी रंग के चोगे भी दिये। ये वे चीजें थीं, जिन्हें मिद्यानी लोगों के राजाओं ने पहना था। उन्होंने मिद्यानी लोगों के राजाओं के ऊँटों की जंजीरें भी उसे दीं।
27 गिदोन ने सोने का उपयोग एपोद बनाने के लिये किया। उसने एपोद को अपने निवास के उस नगर में रखा जिसे ओप्रा कहा जाता था। इस्राएल के सभी लोग एपोद को पूजते थे। इस प्रकार इस्राएल के लोग यहोवा पर विश्वास करने वाले नहीं थे—वे एपोद की पूजा करते थे। वह एपोद एक जाल बन गया, जिसने गिदोन और उसके परिवार से पाप करवाया।
गिदोन की मृत्यु
28 इस प्रकार मिद्यानी लोग इस्राएल के शासन में रहने के लिये मजबूर किये गये। मिद्यानी लोगों ने अब आगे कोई कष्ट नहीं दिया। इस प्रकार गिदोन के जीवन काल में चालीस वर्षों तक पूरे देश में शान्ति रही।
29 योआश का पुत्र यरुब्बाल (गिदोन) अपने घर रहने गया। 30 गिदोन के अपने सत्तर पुत्र थे। इसके इतने अधिक पुत्र थे क्योंकि उसकी अनेक पत्नियाँ थीं। 31 गिदोन की एक रखैल भी थी। जो शकेम नगर में रहती थी। उस रखैल से भी उसे एक पुत्र था। उसने उस पुत्र का नाम अबीमेलेक रखा।
32 इस प्रकार योआश का पुत्र गिदोन पर्याप्त बूढ़ा होने पर मरा। गिदोन उस कब्र में दफनाया गया, जो उसके पिता योआश के अधिकार में थी। वह कब्र ओप्रा नगर में है जहाँ अबीएजेरी लोग रहते हैं। 33 ज्योंही गिदोन मरा त्योंही इस्राएल के लोग फिर परमेश्वर के प्रति विश्वास रखने वाले न रहे। वे बाल का अनुसरण करने लगे। उन्होंने बालबरीत को अपना देवता बनाया। 34 इस्राएल के लोग यहोवा, अपने परमेश्वर को याद नहीं करते थे, यद्यपि उसने उन्हें उन सभी शत्रुओं से बचाया जो इस्राएल के लोगों के चारों ओर रहते थे। 35 इस्राएल के लोगों ने यरुब्बाल (गिदोन) के परिवार के प्रति कोई भक्ति नहीं दिखाई, यद्यपि उसने उनके लिए बहुत से अच्छे कार्य किये थे।
समीक्षा
बाइबल में दिये गए उदाहरणों को जाँचें
गिदोन के बारे में नये नियम में एक उदाहरण के रूप में लिखा गया है जो 'विश्वास से' जीया था (इब्रानियों 11:32-33). इसलिए उसने 'एचडी' जीवन की भविष्यवाणी पाई थी.
गिदोन प्रभु को जानता था, जिसने उनसे बात की थी और उनसे कहा था कि वह उसे मिद्यानियों के ऊपर जय देंगे (न्यायियों 11:32-33). युद्ध जीतने से पहले ही गिदोन ने परमेश्वर की आराधना की (व.15). यह उसके विश्वास को दर्शाता है और इसने दूसरों को भी प्रोत्साहित किया है.
जैसा कि जॉयस मेयर लिखती हैं, 'युद्ध के पहले परमेश्वर की आराधना करना यानि उनका ध्यान आकर्षित करना और अपने विश्वास का प्रदर्शन करना है जो हमें किसी भी चुनौती में साहस से प्रवेश करने के लिए प्रेरित करता है.'
गिदोन का विश्वास ऐसा ही था वह केवल 300 पुरूषों के साथ युद्ध में गया – हरएक के पास एक हाथ में मशाल और दूसरे हाथ में एक तुरही थी ('जहाँ तलवार के प्रयोग का सवाल ही नहीं उठता', व.20, एएमपी). उन में विश्वास और आत्म विश्वास खुद के प्रति नहीं था परंतु परमेश्वर में था, जिन्होंने उन्हें महान विजय दिलायी.
आज आप चाहें किसी भी युद्ध का सामना कर रहे हों, अपना सारा विश्वास और भरोसा खुद की क्षमता पर लगाने के बजाय परमेश्वर पर लगाएं. परमेश्वर ने आपको चाहें जो भी करने के लिए कहा हो, वह आपको असंभव लगता हो, लेकिन यह उनके लिए असंभव नहीं है.
गिदोन के उदाहण के अध्ययन से सीखें.
- संकट में बुद्धिमानी से काम लें.
'जब एप्रैमी ने गिदोन से कहा.... तू ने हमारे साथ ऐसा बर्ताव क्यों किया है, कि जब तू मिद्यान से लड़ने को चला तब हम को नहीं बुलवाया? सो उन्होंने उस से बड़ा झगड़ा किया' (8:1). गिदोन ने इस संकट का सामना बड़े ही धैर्य और बुद्धिमानी से किया. उसने उन से कहा, मैं ने तुम्हारे समान भला अब किया ही क्या है?...... तब तुम्हारे बराबर मैं कर ही क्या सका? (वव.2-3अ). और जब उसने यह बात कही, तब उनका जी उसकी ओर से ठंड़ा हो गया' (व.3ब).
कुल मिलाकर, उन्होंने जो भी किया है उसके बदले लोग प्रशंसा पाना चाहते हैं. वे परमेश्वर की योजनाओं में शामिल होना चाहते थे. जो खुद को नाकाम या महत्वहीन समझते हैं उन लोगों से निंदा के शब्द आ सकते हैं. जब एप्रैमी जान गये कि गिदोन ने उनका महत्व जान लिया है और वह उनकी बेहद इज्जत करता है, तो उनका जी उसकी ओर से ठंडा हो गया.
कभी-कभी, मैं इस उदाहरण की बुद्धिमानी भूल जाता हूँ. मैं निंदा की प्रतिक्रिया गलत तरीके से करता हूँ. लेकिन मैं कितनी बार अचंभित हुआ हूँ, यदि हम लोगों के पास जाकर कहें कि 'मुझे आपकी मदद की जरूरत है' (वास्तव में, 'तुम्हारे बराबर मैं कर ही क्या सकता हूँ?'), तो उनका जी ठंडा हो जाता है.
- थके मांदे होने पर भी दृढ़ संकल्प रहना
'गिदोन और उसके संग तीन सौ पुरूष, जो थके मान्दे थे तब भी खदेड़ते ही रहे थे,.... (व.4). जीवन में ऐसा समय भी आता है जब हम थके मांदे होते हैं. अक्सर बुद्धिमानी इसी में होती है कि हम रूकें, आराम करें और तरोताजा हो जाएं. लेकिन ऐसा अवसर भी आता है जब आपको आगे बढ़ते रहना जरूरी होता है. अनुमानत:, गिदोन को ताकत तब मिली जब परमेश्वर का आत्मा उसमें समा गया (6:34).
गिदोन का जीवन एक प्रेरणा है. लेकिन यहाँ एक चेतावनी भी है. उसकी विजय के बाद, उसमें जरूरत से ज्यादा विश्वास भर आया और वह परमेश्वर से सलाह मशवरा करने में असफल रहा. उसने एक अच्छी युक्ति बनाई और वह आगे बढ़ गया. यह उसके लिए विनाश में बदल गया. उसने सोने का एक एपोद बनवाकर अपने ओप्रा नाम नगर में रखा; और सब इस्राएल वहां व्यभिचारिणी की तरह उसके पीछे हो लिये, और वह गिदोन और उसके घराने के लिये फन्दा ठहरा' (8:27).
हालाँकि हमारी तरह गिदोन भी एक अविश्वसनीय मनुष्य था, इब्रानियों में उसका उल्लेख महान विश्वास वाले व्यक्ति के रूप में किया गया है. फिर भी, आप गिदोन से बेहतर हैं: 'परमेश्वर ने हमारे लिए कुछ अच्छी योजनाएं बनाई हैं......' (इब्रानियों 11:40). आप गिदोन से भी बेहतर जीवन का आनंद ले सकते हैं, आप यीशु में विश्वास रखने के द्वारा पूर्ण, भरपूर, विशाल, उदार और हाइ डेफिनिशन जीवन का आनंद ले सकते हैं.
प्रार्थना
प्रभु, आपको धन्यवाद कि मैं 'हाइ-डेफिनिशन' जीवन का आनंद ले सकता हूँ, जो कि प्रभु में विश्वास करने के द्वारा अपनी भरपूरी में है. कृपया आज अपनी पवित्र आत्मा के द्वारा मुझे बुद्धि और शक्ति दीजिये.
पिप्पा भी कहते है
न्यायियों 8:24-35
परमेश्वर का कार्य करने के लिए अच्छा प्रतिफल मांगना कोई बुरा विचार नहीं है. यह गिदोन और उसके परिवार के लिए एक फंदा बन गया. मैं निश्चय रूप से नहीं कह सकता कि उसकी सभी पत्नियों और दासियों ने भी उसके साथ भलाई की थी या नहीं. यह बड़े दु:ख की बात है कि, परमेश्वर के लिए कार्य करने के बावजूद, गिदोन ने परमेश्वर के तरीकों को अपने बच्चों और अगली पीढ़ियों तक नहीं पहुँचाया. हमारा अंत अच्छा होना चाहिये.
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संदर्भ
नोट्स:
जॉयस मेयर, एवरीडे लाइफ बाइबल (फेथवर्ड्स, 2009) प. 386
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