अद्भुत पवित्र आत्मा
परिचय
रॉबी विलियम एक बार लॉस एंजेलेस में खरीदारी करने गए. उन्होंने सात गाड़ीयाँ खरीदी, जिसमें एक नई फरारी, एक नई पोर्स्के और एक नई मर्सिडीज थी. एक सप्ताह के अंदर ही वह सोचने लगे कि काश उन्होंने एक भी गाड़ी नहीं खरीदी होती.
मैं रॉबी विलियम के स्वयं के विषय में खुलेपन को सराहता हूँ. वह निर्दयता पूर्वक अपनी ही धुन और व्यसन के विषय में ईमानदार हैं. अपने गीत, महसूस में, वह गाते हैं:
मैं केवल सच्चे प्रेम को महसूस करना चाहता हूँ....
मेरे प्राण में एक छेद है
आप इसे मेरे चेहरे पर देख सकते हैं
यह सच में एक बड़ा स्थान है.
परमेश्वर मनुष्यों में 'सच्चे प्रेमक को महसूस करने' की इच्छा को डालते हैं. यह 'मेरे प्राणों में छेद' सभी मनुष्यों के लिए सामान्य बात है. यह गाड़ियों, धन, सफलता या ड्रग्स से नहीं भर सकता है. यह एक परमेश्वर के आकार का छेद है. यह परमेश्वर के लिए एक आत्मिक भूख और प्यास है, जिसके बारे में यीशु ने बताया है कि यह केवल उनकी अद्भुत पवित्र आत्मा के द्वारा भर सकता है (यूहन्ना 7:37).
नीतिवचन 11:29-12:7
29 जो अपने घराने पर विपत्ति लायेगा,
दान में उसे वायु मिलेगा और मूर्ख, बुद्धिमान का दास बनकर रहेगा।
30 धर्मी का कर्म—फल “जीवन का वृक्ष” है,
और जो जन मनों को जीत लेता है, वही बुद्धिमान है।
31 यदि इस धरती पर धर्मी जन अपना उचित प्रतिफल पाते हैं,
तो फिर पापी और परमेश्वर विहीन लोग कितना अपने कुकर्मो का फल यहाँ पायेंगे।
12जो शिक्षा और अनुशासन से प्रेम करता है,
वह तो ज्ञान से प्रेम यूँ ही करता है।
किन्तु जो सुधार से घृणा करता है, वह तो निरा मूर्ख है।
2 सज्जन मनुष्य यहोवा की कृपा पाता है,
किन्तु छल छंदी को यहोवा दण्ड देता है।
3 दुष्टता, किसी जन को स्थिर नहीं कर सकती
किन्तु धर्मी जन कभी उखाड़ नहींपाता है।
4 एक उत्तम पत्नी के साथ पति खुश और गर्वीला होता है।
किन्तु वह पत्नी जो अपने पति को लजाती है वह उसको शरीर की बीमारी जैसे होती है।
5 धर्मी की योजनाएँ न्याय संगत होती हैं
जबकि दुष्ट की सलाह कपटपूर्ण रहती है।
6 दुष्ट के शब्द घात में झपटने को रहते हैं।
किन्तु सज्जन की वाणी उनको बचाती है।
7 जो खोटे होते हैं उखाड़ फेंके जाते हैं,
किन्तु खरे जन का घराना टिका रहता है।
समीक्षा
- और कृपा
क्या आप चाहते हैं कि आपका जीवन एक अंतर पैदा करे? क्या आप जानते हैं कि आपका जीवन हर दिन दूसरों के लिए आशीष का एक स्त्रोत बन सकता है?
'सत्यनिष्ठ का फल जीवन का एक वृक्ष है' (11:30). जैसे ही हम नीतिवचन 11 को देखते हैं, हम आत्मा के सभी फलों को देख सकते हैं जिसका वर्णन पौलुस प्रेरित गलातियों 5:22 में करते हैं:
प्रेम (नीतिवचन 11:23)
आनंद (व.10)
शांती (व.8)
धीरज (व.16)
दया (व.17)
भलाई (व.17)
विश्वासयोग्यता (व.6)
सद्गुण (व.2ब, जी.एन.बी.)
आत्मसंयम (व.12)
'जीवन के एक वृक्ष' का चित्र (व.30) परमेश्वर की कृपा का एक सुंदर वर्णन है. यह बार –बार वचनो में दिखाई देता है, और यह हमारे जीवन में आत्मा के कार्य में नजदीकी रूप से जुड़ा हुआ है (यहेजकेल 47:1-12; 1-12; प्रकाशितवाक्य 22:1-2). यह आत्मा है जो उस सत्यनिष्ठ जीवन को जीने में हमें सक्षम बनाता है और हमारी सहायता करता है जिसका वर्णन किया गया है और 'परमेश्वर से कृपादृष्टि' का आनंद लेने में सहायता करता है (नीतिवचन 12:2).
प्रार्थना
परमेश्वर, मैं आज अपने जीवन में पवित्र आत्मा के अत्यधिक फलों के लिए प्रार्थना करता हूँ अधिक प्रेम, आनंद, शांती, धीरज, दयालुता, भलाई, वफादारी, सद्गुण और आत्मसंयम
यूहन्ना 7:14-44
यरूशलेम में यीशु का उपदेश
14 जब वह पर्व लगभग आधा बीत चुका था, यीशु मन्दिर में गया और उसने उपदेश देना शुरू किया। 15 यहूदी नेताओं ने अचरज के साथ कहा, “यह मनुष्य जो कभी किसी पाठशाला में नहीं गया फिर इतना कुछ कैसे जानता है?”
16 उत्तर देते हुए यीशु ने उनसे कहा, “जो उपदेश मैं देता हूँ मेरा अपना नहीं है बल्कि उससे आता है, जिसने मुझे भेजा है। 17 यदि मनुष्य वह करना चाहे, जो परम पिता की इच्छा है तो वह यह जान जायेगा कि जो उपदेश मैं देता हूँ वह उसका है या मैं अपनी ओर से दे रहा हूँ। 18 जो अपनी ओर से बोलता है, वह अपने लिये यश कमाना चाहता है; किन्तु वह जो उसे यश देने का प्रयत्न करता है, जिसने उसे भेजा है, वही व्यक्ति सच्चा है। उसमें कहीं कोई खोट नहीं है। 19 क्या तुम्हें मूसा ने व्यवस्था का विधान नहीं दिया? पर तुममें से कोई भी उसका पालन नहीं करता। तुम मुझे मारने का प्रयत्न क्यों करते हो?”
20 लोगों ने जवाब दिया, “तुझ पर भूत सवार है जो तुझे मारने का यत्न कर रहा है।”
21 उत्तर में यीशु ने उनसे कहा, “मैंने एक आश्चर्यकर्म किया और तुम सब चकित हो गये। 22 इसी कारण मूसा ने तुम्हें ख़तना का नियम दिया था। (यह नियम मूसा का नहीं था बल्कि तुम्हारे पूर्वजों से चला आ रहा था।) और तुम सब्त के दिन लड़कों का ख़तना करते हो। 23 यदि सब्त के दिन किसी का ख़तना इसलिये किया जाता है कि मूसा का विधान न टूटे तो इसके लिये तुम मुझ पर क्रोध क्यों करते हो कि मैंने सब्त के दिन एक व्यक्ति को पूरी तरह चंगा कर दिया। 24 बातें जैसी दिखती हैं, उसी आधार पर उनका न्याय मत करो बल्कि जो वास्तव में उचित है उसी के आधार पर न्याय करो।”
क्या यीशु ही मसीह है?
25 फिर यरूशलेम में रहने वाले लोगों में से कुछ ने कहा, “क्या यही वह व्यक्ति नहीं है जिसे वे लोग मार डालना चाहते हैं? 26 मगर देखो वह सब लोगों के बीच में बोल रहा है और वे लोग कुछ भी नहीं कह रहे हैं। क्या यह नहीं हो सकता कि यहूदी नेता वास्तव में जान गये हैं कि वही मसीह है। 27 खैर हम जानते हैं कि यह व्यक्ति कहाँ से आया है। जब वास्तविक मसीह आयेगा तो कोई नहीं जान पायेगा कि वह कहाँ से आया।”
28 यीशु जब मन्दिर में उपदेश दे रहा था, उसने ऊँचे स्वर में कहा, “तुम मुझे जानते हो और यह भी जानते हो मैं कहाँ से आया हूँ। फिर भी मैं अपनी ओर से नहीं आया। जिसने मुझे भेजा है, वह सत्य है, तुम उसे नहीं जानते। 29 पर मैं उसे जानता हूँ क्योंकि मैं उसी से आया हूँ।”
30 फिर वे उसे बंदी बनाने का जतन करने लगे पर कोई भी उस पर हाथ नहीं डाल सका क्योंकि उसका समय अभी नहीं आया था। 31 तो भी बहुत से लोग उसमें विश्वासी हो गये और कहने लगे, “जब मसीह आयेगा तो वह जितने आश्चर्य चिन्ह इस व्यक्ति ने प्रकट किये हैं उनसे अधिक नहीं करेगा। क्या वह ऐसा करेगा?”
यहूदियों का यीशु को बंदी बनाने का यत्न
32 भीड़ में लोग यीशु के बारे में चुपके-चुपके क्या बात कर रहे हैं, फरीसियों ने सुना और प्रमुख धर्माधिकारियों तथा फरीसियों ने उसे बंदी बनाने के लिए मन्दिर के सिपाहियों को भेजा। 33 फिर यीशु बोला, “मैं तुम लोगों के साथ कुछ समय और रहूँगा और फिर उसके पास वापस चला जाऊँगा जिसने मुझे भेजा है। 34 तुम मुझे ढूँढोगे पर तुम मुझे पाओगे नहीं। क्योंकि तुम लोग वहाँ जा नहीं पाओगे जहाँ मैं होऊँगा।”
35 इसके बाद यहूदी नेता आपस में बात करने लगे, “यह कहाँ जाने वाला है जहाँ हम इसे नहीं ढूँढ पायेंगे। शायद यह वहीं तो नहीं जा रहा है जहाँ हमारे लोग यूनानी नगरों में तितर-बितर हो कर रहते हैं। क्या यह यूनानियों में उपदेश देगा? 36 जो इसने कहा है: ‘तुम मुझे ढूँढोगे पर मुझे नहीं पाओगे।’ और ‘जहाँ मैं होऊँगा वहाँ तुम नहीं आ सकते।’ इसका अर्थ क्या है?”
यीशु द्वारा पवित्र आत्मा का उपदेश
37 पर्व के अन्तिम और महत्वपूर्ण दिन यीशु खड़ा हुआ और उसने ऊँचे स्वर में कहा, “अगर कोई प्यासा है तो मेरे पास आये और पिये। 38 जो मुझमें विश्वासी है, जैसा कि शास्त्र कहते हैं उसके अंतरात्मा से स्वच्छ जीवन जल की नदियाँ फूट पड़ेंगी।” 39 यीशु ने यह आत्मा के विषय में कहा था। जिसे वे लोग पायेंगे उसमें विश्वास करेंगे वह आत्मा अभी तक दी नहीं गयी है क्योंकि यीशु अभी तक महिमावान नहीं हुआ।
यीशु के बारे में लोगों की बातचीत
40 भीड़ के कुछ लोगों ने जब यह सुना वे कहने लगे, “यह आदमी निश्चय ही वही नबी है।”
41 कुछ और लोग कह रहे थे, “यही व्यक्ति मसीह है।”
कुछ और लोग कह रहे थे, “मसीह गलील से नहीं आयेगा। क्या ऐसा हो सकता है? 42 क्या शास्त्रों में नहीं लिखा है कि मसीह दाऊद की संतान होगा और बैतलहम से आयेगा जिस नगर में दाऊद रहता था।” 43 इस तरह लोगों में फूट पड़ गयी। 44 कुछ उसे बंदी बनाना चाहते थे पर किसी ने भी उस पर हाथ नहीं डाला।
समीक्षा
विश्वासयोग्यता
हम सभी जानते हैं कि भौतिक रूप से प्यासे होने का क्या अर्थ है. हमारा मुँह सूख जाता है, हमारा गला सूख जाता है, हमारी ताकत चली जाती है और हम पानी की लालसा करने लगते हैं. जब प्यास लगती है तब पानी पीने से कितना संतोष मिलता है.
आत्मिक रूप से प्यासे होने का अर्थ है अंदर से सूख जाना, पूरी तरह से खाली और वेदना महसूस करना. इस सुनहरे लेखांश में, यीशु बताते हैं कि कैसे आपकी आत्मिक प्यास बूझ सकती है (आपके प्राण में जो छेद है वह भरता है) और जो प्रभाव यह आपके जीवन पर बनाता है.
यीशु बताते हैं कि पिंतेकुस्त के दिन क्या होगा. वह जीवित जल की धाराओं के द्वारा बदलाव के विषय में बताते हैं, जिसे पवित्र आत्मा आपके जीवन में लाते हैं: ' उन्होने यह वचन पवित्र आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्वास करने वाले पाने पर थे; क्योंकि आत्मा अब तक न उतरा था, क्योंकि यीशु अब तक अपनी महिमा तक नहीं पहुँचे थे' (व.39).
यह 'पर्व का अंतिम और सबसे बड़ा दिन था' (व.37). यह वह दिन था जब लोग मान रहे थे कि यहेजकेल 47 में भविष्यवाणी की गई, महान नदी यरूशलेम में से बहेगी. 'यीशु खड़े हो गए' (यूहन्ना 7:37). सामान्य रीति थी कि सिखाते समय बैठ जाए, लेकिन जो वचन यीशु बताने वाले थे वह इतने महत्वपूर्ण थे कि वह चाहते थे कि सभी लोग उन्हें देख पायें और सुन पायें. वह एक 'ऊँची आवाज में' बोले (व.37). ग्रीक भाषा में उनका संदेश केवल चौबीस शब्दों में था, लेकिन यह एक जीवन बदलने वाला वादा है जिसे आप आज भी अनुभव कर सकते हैं.
1. यह वादा कौन करता है?
यीशु की शिक्षा के द्वारा लोग अचंभित हुए. वह कभी भी बाईबल विद्यालय या सिद्धांतवादी कॉलेज में नहीं गए थे! (व.15). उन्होंने अपनी शिक्षा को परमेश्वर से ग्रहण किया (व.16). और वह कहते हैं कि जो कोई 'परमेश्वर की इच्छा को करना चुनता है' (व.17) वह इसे पहचानेगा.
यीशु एक उत्तर को माँगते हैं. कुछ लोगों ने सोचाः 'सच में यह मनुष्य भविष्यवक्ता है' (व.40). किंतु, जैसा कि सी.एस. लेविस ने बताया, यीशु ने इस विकल्प को खुला नहीं छोड़ा. यहाँ पर सच में केवल तीन विकल्प हैं: यह कि जिस किसी ने यें वस्तुएँ कही यीशु ने कहा कि वह या तो नासमझ होगा या 'नरक का शैतान'. या केवल तीसरी संभावना यह है कि 'यह मनुष्य परमेश्वर का पुत्र था और वह हैं.' आज के लेखांश में हम इन तीन विकल्पों को देखते हैं:
- कुछ लोगों ने उन्हें 'नरक का शैतान' समझाः 'तुम दुष्टात्माग्रस्त हो' (व.20)
- लोगों ने उन्हें नासमझ समझाः 'वह पागल हैं' (10:19)
- दूसरों ने पहचाना, 'वह मसीह हैं' (7:41)
2. किससे वादा किया गया है?
यीशु ने कहा, ' यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए' (व.37). यह हर मनुष्य से किया गया है. यह रॉबी विलियम पर लागू होता है. यह सभी पर लागू होता है जिन्होंने कभी भी पवित्र आत्मा का अनुभव नहीं किया है. लेकिन यह उन पर भी लागू होता है जो आत्मिक रूप से असंतुष्ट महसूस करते हैं. क्या आप अपने प्रार्थना जीवन में एक असफल व्यक्ति की तरह महसूस करते हैं? क्या आप अपनी पवित्रता के स्तर पर निराशा महसूस करते हैं? क्या आप परमेश्वर के साथ एक नजदीकी संबंध की लालसा करते हैं? यदि ऐसा है तो आप आत्मिक रूप से 'प्यासे' है और आज का वायदा आप पर लागू होता है.
3. वायदा क्या है?
यीशु कहते हैं, ' जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्रशास्त्र में लिखा है, ‘उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी' (व.38). मंदिर का पर्व उस नदी की आशा कर रहा था जो यरूशलेम में मंदिर से बहेगी, जैसा कि यहेजकेल 47 में भविष्यवाणी की गई हैं (जो कि पर्व के दिन पढ़ा और दर्शाया जाता था). यीशु उन्हें बताते हैं कि यह पूरा हो चुका है, एक स्थान में नहीं किंतु एक व्यक्ति में.
यीशु के हृदय से नदी बहती है (उनके 'कोयलिया' से) –उनके पेट का भाग या उनका आंतरिक भाग) और हर मसीह में से (यूहन्ना 7:38) यीशु के साथ हमारे व्यक्तिगत, हृदय से हृदय संबंध के द्वारा.
नदी आपमें और आपमें से बहती है. नदी हमारे हृदय के छोटे 'मृत सागर' में बहेगी और हमारे 'आंतरिक भाग' से बाहर बहेगी. हो सकता है कि जीवन सरल नहीं है, लेकिन पवित्र आत्मा के द्वारा नियमित रूप से 'जीवित जल की धारा' बहती है.
यह नदी कभी कभी नहीं बहती है. यह निरंतर बहती है. यह रुकनी नहीं चाहिए. इसको नियमित रूप से उबलना चाहिए और हमारे अंदर से बहना चाहिए.
जैसा कि फादर रेनियरो कँटालामेसा इसे बताते हैं, 'एक मसीह जिसमें पवित्र आत्मा रहते हैं, ऐसा नहीं है कि वह संघर्ष, प्रलोभन, अव्यस्थित इच्छाएँ, विद्रोही भावनाओं का अनुभव नहीं करेगा...(अंतर यह है कि यें सारी चीजें उसकी इच्छा के विरोध में उस पर आयेंगी). वे सतह पर हैं. फिर भी, उनके हृदय की गहराई में 'शांती' है. यह एक गहरे समुद्र की तरंगो की तरह है जो हमेशा दृढ़ रूप से बहती है, सतह पर हवा और लहरों के बावजूद भी.
4. हम वायदे को कैसे ग्रहण करते हैं?
यीशु कहते हैं वे 'मेरे पास आएं और पीएं' (व.37). 'जो कोई मुझमें विश्वास करता है' उसके लिए यह एक वायदा है (वव.38-39). यह इतना सरल है. यह आपमें से बह सकता है, जैसे ही आप आज उनके पास आते हैं और पीते हैं. आप यीशु की तरह बन जाते हैं. आपके प्रेम, आपके वचन, आपकी उपस्थिति के द्वारा, आप उस आत्मा को प्रसारित करेंगे जिसे आपने यीशु से ग्रहण किया है. आप गरीब, एकांत, जरुरतमंद, दर्द और वेदना सहने वालों की प्यास बुझाएँगे और उन्हें जीवन, प्रेम और हृदय की शांती देंगे.
प्रार्थना
परमेश्वर, मैं आज आपके पास आता हूँ. आज फिर से मुझे अपनी पवित्र आत्मा से भर दीजिए, जीवित जल की धारा से, ताकि हर उस व्यक्ति तक जीवन ला सकूं जिससे मैं मिलता हूँ
न्यायियों 14:1-15:20
शिमशोन का विवाह
14शिमशोन तिम्ना नगर को गया। उसने वहाँ एक पलिश्ती युवती को देखा। 2 जब वह वापस लौटा तो उसने अपने माता पिता से कहा, “मैंने एक पलिश्ती लड़की को तिम्ना में देखा है। मैं चाहता हूँ तुम उसे मेरे लिये लाओ। मैं उससे विवाह करना चाहता हूँ।”
3 उसके पिता और माता ने उत्तर दिया, “किन्तु इस्राएल के लोगों में से एक लड़की है जिससे तुम विवाह कर सकते हो। क्या तुम पलिश्ती लोगों में से एक लड़की से विवाह करोगे? उन लोगों का खतना भी नहीं होता।”
किन्तु शिमशोन ने कहा, “मेरे लिये वही लड़की लाओ। मैं उसे ही चाहता हूँ।” 4 (शिमशोन के माता पिता नहीं समझते थे कि यहोवा ऐसा ही होने देना चाहता है। यहोवा कोई रास्ता ढूँढ रहा था, जिससे वह पलिश्ती लोगों के विरुद्ध कुछ कर सके। उस समय पलिश्ती लोग इस्राएल के लोगों पर शासन कर रहे थे।)
5 शिमशोन अपने माता—पिता के साथ तिम्ना नगर को गया। वे नगर के निकट अंगूर के खेतों तक गए। उस स्थान पर एक जवान सिंह गरज उठा और शिमशोन पर कूदा। 6 यहोवा की आत्मा बड़ी शक्ति से शिमशोन पर उतरी। उसने अपने खाली हाथों से ही सिंह को चीर डाला। यह उसके लिये सरल मालूम हुआ। यह वैसा सरल हुआ जैसा एक बकरी के बच्चे को चीरना। किन्तु शिमशोन ने अपने माता पिता को नहीं बताया कि उसने क्या किया है।
7 इसलिए शिमशोन नगर में गया और उसने पलिश्ती लड़की से बातें कीं। उसने उसे प्रसन्न किया। 8 कई दिन बाद शिमशोन उस पलिश्ती लड़की के साथ विवाह करने के लिये वापस आया। आते समय रास्ते में वह मरे सिंह को देखने गया। उसने मरे सिंह के शरीर में मधुमक्खियों का एक छत्ता पाया। उन्होंने कुछ शहद तैयार कर लिया था। 9 शिमशोन ने अपने हाथ से कुछ शहद निकाला। वह शहद चाटता हुआ रास्ते पर चल पड़ा। जब वह अपने मात—पिता के पास आया तो उसने उन्हें कुछ शहद दिया। उन्होंने भी उसे खाया किन्तु शिमशोन ने अपने माता—पिता को नहीं बताया कि उसने मरे सिंह के शरीर से शहद लिया है।
10 शिमशोन का पिता पलिश्ती लड़की को देखने गया। दूल्हे के लिये यह रिवाज था कि उसे एक दावत देनी होती थी। इसलिए शिमशोन ने दावत दी। 11 जब लोगों ने देखा कि वह एक दावत दे रहा है तो उन्होंने उसके साथ तीस व्यक्ति भेजे।
12 तब शिमशोन ने उन तीस व्यक्तियों से कहा, “मैं तुम्हें एक पहेली सुनाना चाहता हूँ। यह दावत सात दिन तक चलेगी। उस समय उत्तर ढूँढने की कोशिश करना। यदि तुम पहेली का उत्तर उस समय के अन्दर दे सके तो मैं तुम्हें तीस सूती कमीज़ें, तीस वस्त्रों के जोड़े दूँगा। 13 किन्तु यदि तुम इसका उत्तर न निकाल सके तो तुम्हें तीस सूती कमीज़ें और तीस जोड़े वस्त्र मुझे देने होंगे।” अत: तीस व्यक्तियों ने कहा, “पहले अपनी पहेली सुनाओ, हम इसे सुनना चाहते हैं।”
14 शिमशोन ने यह पहेली सुनाईः
“खाने वाले में से खाद्य वस्तु।
और शक्तिशाली में से मधुर वस्तु निकली।”
अत: तीस व्यक्तियों ने तीन दिन तक इसका उत्तर ढूँढने का प्रयत्न किया, किन्तु वे कोई उत्तर न पा सके।
15 चौथे दिन वे व्यक्ति शिमशोन की पत्नी के पास आए। उन्हों ने कहा, “क्या तुमने हमें गरीब बनाने के लिये यहाँ बुलाया है? तुम अपने पति को, हम लोगों को पहेली का उत्तर देने के लिये फुसलाओ। यदी तुम हम लोगों के लिये उत्तर नहीं निकालती तो हम लोग तुम्हें और तुम्हारे पिता के घर में रहने वाले सभी लोगों को जला देंगे।”
16 इसलिए शिमशोन की पत्नी उसके पास गई और रोने—चिल्लाने लगी। उसने कहा, “तुम मुझसे घृणा करते हो। तुम मुझसे सच्चा प्रेम नहीं करते हो। तुमने मेरे लोगों को एक पहेली सुनाई है और तुम उसका उत्तर मुझे नहीं बता सकते।”
17 शिमशोन की पत्नी दावत के शेष सात दिन तक रोती चिल्लाती रही। अत: अन्त में उसने सातवें दिन पहेली का उत्तर उसे दे दिया। उसने बता दिया क्योंकि वह उसे बराबर परेशान कर रही थी। तब वह अपने लोगों के बीच गई और उन्हें पहेली का उत्तर दे दिया।
18 इस प्रकार दावत वाले सातवें दिन सूरज के डूबने से पहले पलिश्ती लोगों के पास पहेली का उत्तर था। वे शिमशोन के पास आए और उन्होंने कहा,
“शहद से मीठा क्या है?
सिंह से अधिक शक्तिशाशी कौन है?”
तब शिमशोन ने उनसे कहा,
“यदि तुम ने मेरी गाय को न जोता होता तो,
मेरी पहेली का हल नहीं निकाल पाए होते!”
19 शिमशोन बहुत क्रोधित हुआ। यहोवा की आत्मा उसके ऊपर बड़ी शक्ति के साथ आई। वह आश्कलोन नगर को गया। उस नगर में उसने उनके तीस व्यक्तियों को मारा। तब उसने सारे वस्त्र और शवों से सारी सम्पत्ति ली। वह उन वस्त्रों को लेकर लौटा और उन व्यक्तियों को दिया, जिन्होने पहली का उत्तर दिया था। तब वह अपने पिता के घर लौटा। 20 शिमशोन अपनी पत्नी को नहीं ले गया। विवाह समारोह में उपस्थित सबसे अच्छे व्यक्ति ने उसे रख लिया।
शिमशोन पलिश्तियों के लिये विपत्ति उत्पन्न करता है
15गेहूँ की फसल तैयार होने के समय शिमशोन अपनी पत्नी से मिलने गया। वह अपने साथ एक जवान बकरा ले गया। उसने कहा, “मै अपनी पत्नी के कमरे में जा रहा हूँ।”
किन्तु उसका पिता उसे अन्दर जाने देना नहीं चाहता था। 2 उसके पिता ने शिमशोन से कहा, “मैंने सोचा कि तुम सचमुच अपनी पत्नी से घृणा करते हो अत: विवाह में सम्मिलित सबसे अच्छे व्यक्ति को मैंने उसे पत्नी के रुप में दे दिया। उसकी छोटी बहन उससे अधिक सुन्दर है। उसकी छोटी बहन को ले लो।”
3 किन्तु शिमशोन ने उससे कहा, “तुम पलिश्ती लोगों पर प्रहार करने का मेरे पास अब उचित कारण है। अब कोई मुझे दोषी नहीं बताएगा।”
4 इसलिए शिमशोन बाहर निकला और तीन सौ लोमड़ियों को पकड़ा। उसने दो लोमड़ियों को एक बार एक साथ लिया और उनका जोड़ा बनाने के लिये उनकी पूँछ एक साथ बाँध दी। तब उसने लोमड़ियों के हर जोड़ों की पूँछो के बीच एक—एक मशाल बाँधी। 5 शिमशोन ने लोमड़ियों की पूँछ के बीच के मशालों को जलाया। तब उसने पलिश्ती लोगों के खेतों में लोमड़ियों को छोड़ दिया। इस प्रकार उसने उनकी खड़ी फसलों और उनकी कटी ढेरों को जला दिया। उसने उनके अंगूर के खेतों और जैतून के पेड़ों को भी जला डाला।
6 पलिश्ती लोगों ने पूछा, “यह किसने किया?”
किसी ने उनसे कहा, “तिम्ना के व्यक्ति के दामाद शिमशोन ने यह किया है। उसने यह इसलिए किया कि उसके ससुर ने शिमशोन की पत्नी को उसके विवाह के समय उपस्थित सबसे अच्छे व्यक्ति को दे दी।” अत: पलिश्ती लोगों ने शिमशोन की पत्नी और उसके ससुर को जलाकर मार डाला।
7 तब शिमशोन ने पलिश्ती के लोगों से कहा, “तुम लोगों ने यह बुरा किया अतः मैं तुम लोगों पर भी प्रहार करूँगा। मैं तब तक तुम लोगों पर विपत्ति ढाता रहूँगा जब तक मैं विपत्ति ढा सकूँगा।”
8 तब शिमशोन ने पलिश्ती लोगों पर आक्रमण किया। उसने उनमें से बहुतों को मार डाला। तब वह गया और एक गुफा में ठहरा। वह गुफा एताम की चट्टान नामक स्थान पर थी।
9 तब पलिश्ती लोग यहूदा के प्रदेश में गये। वे लही नामक स्थान पर रुके। उनकी सेना ने वहाँ डेरा डाला और युद्ध के लिये तैयारी की। 10 यहूदा परिवार समूह के लोगों ने उनसे पूछा, “तुम पलिश्तियों, हम लोगों से युद्ध करने क्यों आए हो?”
उन्होंने उत्तर दिया, “हम लोग शिमशोन को पकड़ने आए हैं। हम लोग उसे अपना बन्दी बनाना चाहते हैं। हम लोग उसे उसका बदला चुकाना चाहते हैं जो उसने हमारे लोगों के साथ किया है।”
11 तब यहूदा के परिवार समूह के तीन हज़ार व्यक्ति शिमशोन के पास गये। वे एताम की चट्टान की गुफा में गए। उन्होंने उससे कहा, “तुमने हम लोगों के लिए क्या विपत्ती खड़ी कर दी है? क्या तुम्हें पता नहीं है कि पलिश्ती लोग वे लोग हैं जो हम पर शासन करते हैं?”
शिमशोन ने उत्तर दिया, “उन्होंने मेरे साथ जो किया उसका मैने केवल बदला दिया।”
12 तब उन्होंने शिमशोन से कहा, “हम तुम्हें बन्दी बनाने आए हैं। हम लोग तुम्हें पलिश्ती लोगों को दे देंगे।”
शिमशोन ने यहूदा के लोगों से कहा, “प्रतिज्ञा करो कि तुम लोग स्वयं मुझ पर प्रहार नहीं करोगे।”
13 तब यहूदा के व्यक्तियों ने कहा, “हम स्वीकार करते हैं। हम लोग केवल तुमको बांधेंगे और तुम्हें पलिश्ती लोगों को दे देंगे। हम प्रतिज्ञा करते हैं कि हम तुमको जान से नहीं मारेंगे।” अत: उन्होंने शिमशोन को दो नयी रस्सियों से बांधा। वे उसे चट्टान की गुफा से बाहर ले गए।
14 जब शिमशोन लही नामक स्थान पर पहुँचा तो पलिश्ती लोग उससे मिलने आए। वे प्रसन्नता से शोर मचा रहे थे। तब यहोवा की आत्मा बड़ी शक्ति से शिमशोन में आई। उसके ऊपर की रस्सियाँ ऐसी कमज़ोर हो गई जैसे मानो वे जल गई हों। रस्सियाँ उसके हाथों से ऐसे गिरीं मानो वे गल गई हो। 15 शिमशोन को उस गधे के जबड़े की हड्डी मिली जो मरा पड़ा था। उसने जबड़े की हड्डी ली और उससे एक हज़ार पलिश्ती लोगों को मार डाला।
16 तब शिमशोन ने कहा,
“एक गधे के जबड़े की हड्डी से मैंने ढेर किया है
उनका—एक बहुत ऊँचा ढेर।
एक गधे के जबड़े की हड्डी से मैंने मार डाला है
हज़ार व्यक्तियों को!”
17 जब शिमशोन ने बोलना समाप्त किया तब उसने जबड़े की हड्डी को फेंक दिया। इसलिए उस स्थान का नाम रामत लही पड़ा।
18 शिमशोन को बहुत प्यास लगी थी। इसलिए उसने यहोवा को पुकारा। उसने कहा, “मैं तेरा सेवक हूँ। तूने मुझे यह बड़ी विजय दी है। क्या अब मुझे प्यास से मरना पड़ेगा? क्या मुझे उनसे पकड़ा जाना होगा जिनका खतना नहीं हुआ है?”
19 लही में भूमि के अन्दर एक गका है। परमेंश्वर ने उस गके को फट जाने दिया और पानी बाहर आ गया। शिमशोन ने पानी पीया और अपने को स्वस्थ अनुभव किया। उसने फिर अपने को शक्तिशाली अनुभव किया। इसलिए उसने उस पानी के सोते का नाम एनहक्कोरे रखा। यह अब तक आज भी लही नगर में है।
20 इस प्रकार शिमशोन इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश बीस वर्ष तक रहा। वह पलिश्ती लोगों के समय में था।
समीक्षा
आजादी
क्या आपके जीवन में ऐसी आदतें हैं जिनसे आप छुटकारा पाना चाहते हैं? क्या आपको अपनी सोच बदलने की आवश्यकता है? क्या कोई आत्मिक बंधन है जिनसे आपको मुक्त होने की आवश्यकता है?
यदि कोई 'हृदय से उग्र' था, तो वह शिमशोन था. उसके पास असाधारण शक्ति, सामर्थ और योग्यता थी. लेकिन उसका जीवन मुश्किल से ही एक आदर्श था. शिमशोन के जीवन की कहानी अनोखी है, असाधारण है और शायद से थोड़ी शर्मिंदा करने वाली है.
किंतु, नये नियम में शिमशोन को विश्वास का एक स्तंभ बताया गया है (इब्रानियों 11:32). परमेश्वर सभी प्रकार के लोगों का इस्तेमाल करते हैं. हमारे पापों और कमजोरियों के बावजूद वह हमारा इस्तेमाल करते हैं.
इस लेखांश में हम देखते हैं कि शिमशोन की सामर्थ और सफलताएँ पवित्र आत्मा से उनके भरे रहने के कारण हैं. आज के लेखांश में तीन बार हमने पढ़ा कि, 'प्रभु का आत्मा सामर्थ से उस पर उतरा' (न्यायियों 14:6,19;15:14).
यह अद्भुत है कि क्या हो सकता है जब प्रभु का आत्मा 'सामर्थ में' लोगों पर आता है. हमेशा की तरह, परमेश्वर ने पुराने नियम में जो भौतिक रीति में किया, वही उन्होंने नये नियम में एक आत्मिक रीति से किया.
तीसरी बार जब 'प्रभु का आत्मा सामर्थ में उन पर उतरा. उसकी बाँहो की रस्सियाँ आग में जले हुए सन के समान हो गई, और उसके हाथों के बंधन मानों गलकर टूट पड़े' (15:14). इसे हमारी बुरी आदतों, घुन और व्यसनों से छुटकारें के एक चित्र के रूप में देखा जा सकता है. पवित्र आत्मा की सामर्थ हमें उन चीजों से मुक्त करती है जो हमें बाँधती हैं.
प्रार्थना
परमेश्वर मुझे जीवित जल के प्रवाह से भर दीजिए, मेरी प्यास को बुझाये, हर बंधन को तोड़ दीजिए और मेरी सहायता कीजिए कि यीशु की तरह, ना केवल आत्मा की सामर्थ को दिखाऊँ, लेकिन मेरे दैनिक जीवन में अद्भुत पवित्र आत्मा के फल को दर्शाऊँ.
पिप्पा भी कहते है
न्यायियों 14:1-15:20
शिमशोन एक अलग हीरो लगते थे, जो बहुत से वायदे के साथ जन्में थे. कैसे वह एक उग्र, अप्रत्याशित व्यक्ति थे जिसने बहुत सी गलतियाँ की और बरबाद करने वाले संबंधों में पड़ गए, फिर भी परमेश्वर ने उन्हें बीस वर्षों तक इस्त्राएल का नेतृत्व करने के लिए तैयार किया. उन्होंने शायद से बेहतर किया होता यदि वह पूरे हृदय से परमेश्वर के पीछे गए होते और खुद के जुनून में लिप्त नही हुए होते; लेकिन परमेश्वर किसी को भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
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संदर्भ
नोट्स:
जस्ट मिअर क्रिश्चानिटी बाइ सी.एस. लेवीस कॉपीराईट सी.एस. लेविस लिमिटेड 1942,1943,1944,1952
रोबी विलियम्स, 'फील', फ्रोम एस्केपोलोजी, (ईमआई, 2002), गीतकार: विलियम्स, रॉबर्ट पीटर/चैम्बर्स, गाइ एन्टोनी. बोल © युनिवर्सल म्युजिक पब्लिशिंग ग्रुप, फेरेले म्युजिक लिमिटेड.
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित. ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है.
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है. (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है. कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है.
संपादकीय नोट्स
'मैं केवल सच्चे प्रेम को महसूस करना चाहता हूँ....मेरे प्राण में एक छेद है, आप इसे मेरे चेहरे पर देख सकते हैं, यह सच में एक बड़ा स्थान है.' – रोबी विलियम्स (लिंक)
रोबी विलियम्स रिफ्रेन्स क्रिस हीथ द्वारा लिखे फील ऑफ रोबी विलियम्स के परिचय पन्ना 373 से लिया गया है.
2012 एडिटिंग के लिए नोट्स:
फादर रेनीरो कान्टालमेसा कम, क्रिएटर स्पिरिट पन्ना 313-4