दिन 139

परेशानी के समय में आपकी आशा

बुद्धि भजन संहिता 64:1-10
नए करार यूहन्ना 11:1-44
जूना करार 1 शमूएल 2:27-4:22

परिचय

शायद से आपकी स्थिति कितनी कठिन हो –आप अपने जीवन में चाहे कितनी 'परेशानी' का सामना कर रहे हो, आप आशा रख सकते हैं. आशा है इस जीवन में और आने वाले जीवन में परमेश्वर की आशीष की आश्वस्त अपेक्षा, परमेश्वर की भलाई और वाचा के आधार पर. यीशु के साथ, हमेशा आशा है.

चर्च के कुछ भाग को अपरिपक्व रूप से मृत कहा गया है, मसीह ब्रिटेन की मृत्यु, कॉलम ब्राउन लिखते हैं, 'यह पुस्तक ' मसीह ब्रिटेन की मृत्यु ' के विषय में है – देश के मुख्य धार्मिक नैतिक पहचान का अंत. जैसे कि ऐतिहासिक बदलाव होते रहते हैं, यह देर तक नहीं बना रहा और स्थगित कर दिया गया. ब्रिटेन को मसीहत में परिवर्तित करने के लिए कई शताब्दीयाँ (जिसे इतिहासकार अंधेर युग कहते थे) लगी, लेकिन देश को इसे भूलने में चालीस साल से भी कम समय लगा. हम अक्सर ऐसी सुर्खियों को सुनते हैं, जैसे कि, 'चर्च पर संकट', 'चर्च की उपस्थिति में कमी' और 'चर्च में उपस्थिति फिर से गिर जाती है.'

इसी समय पर, हम एक समाज के परिणाम को देख रहे हैं जो परमेश्वर से दूर हो रहा है. ब्रिटेन में हर दिन, कम से कम 312 दंपत्तियों का तलाक होता है. हर पाँच सैकंड में कोई सामरियों को बुलाता है. यू.के. में पोर्नोग्राफिक इंडस्ट्री की वार्षिक लागत 1 बिलियन के आस-पास है. सभी प्रकार के 30000 मसीह पादरी हैं, और 80000 से अधिक पंचीकृति जादू-टोना करने वाले और भविष्य बताने वाले हैं.

ब्रिटेन एकमात्र देश नहीं है जो परेशानी में है. बहुत से दूसरे देश परेशानी के समय से गुजर रहे हैं. राष्ट्रीय परेशानियों के साथ-साथ, हम सभी कुछ समय पर अपने जीवन में परेशानी का सामना करते हैं. 'परेशानी' कई रूप ले सकती है. परेशानी के समय में आपकी क्या आशा है?

बुद्धि

भजन संहिता 64:1-10

संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।

64हे परमेश्वर, मेरी सुन!
 मैं अपने शत्रुओं से भयभीत हूँ। मैं अपने जीवन के लिए डरा हुआ हूँ।
2 तू मुझको मेरे शत्रुओं के गहरे षड़यन्त्रों से बचा ले।
 मुझको तू उन दुष्ट लोगों से छिपा ले।
3 मेरे विषय में उन्होंने बहुत बुरा झूठ बोला है।
 उनकी जीभे तेज तलवार सी और उनके कटुशब्द बाणों से हैं।
4 वे छिप जाते हैं, और अपने बाणों का प्रहार सरल सच्चे जन पर फिर करते हैं।
 इसके पहले कि उसको पता चले, वह घायल हो जाता है।
5 उसको हराने को बुरे काम करते हैं।
 वे झूठ बोलते और अपने जाल फैलाते हैं। और वे सुनिश्चित हैं कि उन्हें कोई नहीं पकड़ेगा।
6 लोग बहुत कुटिल हो सकते हैं।
 वे लोग क्या सोच रहे हैं
 इसका समझ पाना कठिन है।
7 किन्तु परमेश्वर निज “बाण” मार सकता है!
 और इसके पहले कि उनको पता चले, वे दुष्ट लोग घायल हो जाते हैं।
8 दुष्ट जन दूसरों के साथ बुरा करने की योजना बनाते हैं।
 किन्तु परमेश्वर उनके कुचक्रों को चौपट कर सकता है।
 वह उन बुरी बातों कों स्वयं उनके ऊपर घटा देता है।
 फिर हर कोई जो उन्हें देखता अचरज से भरकर अपना सिर हिलाता है।
9 जो परमेश्वर ने किया है, लोग उन बातों को देखेंगे
 और वे उन बातों का वर्णन दूसरो से करेंगे,
 फिर तो हर कोई परमेश्वर के विषय में और अधिक जानेगा।
 वे उसका आदर करना और डरना सीखेंगे।
10 सज्जनों को चाहिए कि वे यहोवा में प्रसन्न हो।
 वे उस पर भरोसा रखे।
 अरे! ओ सज्जनों! तुम सभी यहोवा के गुण गाओ।

समीक्षा

बुराई के ऊपर अच्छाई की विजय में आशा

क्या आप कभी ऐसी वस्तु से भयभीत महसूस करते हैं जिसका आप अपने जीवन में सामना कर रहे हैं? दाऊद ने 'शत्रु के आतंक' का सामना किया (व.1ब, ए.एम.पी.).

वह असली परेशानी के समय से गुजरे, 'षड़्यंत्र करने वाले मुझे पकड़ने के लिए आए' (व.2, एम.एस.जी.), 'बुरी योजनाएँ' (व.5अ) और 'जाल' (व.5ब, एम.एस.जी.). फिर भी, वह आश्वस्त हैं कि परमेश्वर बुराई के ऊपर जय पायेंगे. आपको क्या करना चाहिए जब आप ऐसी ही परेशानी का सामना करते हैं? आज का भजन हमें कुछ संकेत देता हैः

  1. परमेश्वर को पुकारें

दाऊद प्रार्थना करते हैं, 'हे परमेश्वर, सुने और सहायता करें' (व.1अ, एम.एस.जी.). दाऊद परमेश्वर से पूछते हैं:'शत्रु की धमकी से मुझे बचा' (व.1ब).

  1. 'परमेश्वर में आनंद मनायें'

'परमेश्वर में आनंद मनायें' (व.10अ). जैसा कि पौलुस प्रेरित इसे कहते हैं, 'हमेशा परमेश्वर में आनंद मनायें. मैं दोबारा इसे कहूँगाः आनंद मनायें!' (फिलिप्पियों 4:4).

  1. परमेश्वर के नजदीक रहें

'उनमें शरण लें' (भजनसंहिता 64:10ब). 'परमेश्वर के पास आएं' (व.10ब, एम.एस.जी.).

  1. निरंतर परमेश्वर की स्तुति करें

'सब सीधे मनवाले परमेश्वर की स्तुति करें!' 'स्तुति करना अपनी आदत बनायें' (व.10क, एम.एस.जी.).

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि मैं बुराई के ऊपर अच्छाई की विजय के प्रति आश्वस्त हूँ और क्योंकि मैं कभी अकेला नहीं हूँ. परमेश्वर, मैं आपकी स्तुति करता हूँ.

नए करार

यूहन्ना 11:1-44

लाज़र की मृत्यु

11बैतनिय्याह का लाज़र नाम का एक व्यक्ति बीमार था। यह वह नगर था जहाँ मरियम और उसकी बहन मारथा रहती थीं। 2 (मरियम वह स्त्री थी जिसने प्रभु पर इत्र डाला था और अपने सिर के बालों से प्रभु के पैर पोंछे थे।) लाज़र नाम का रोगी उसी का भाई था। 3 इन बहनों ने यीशु के पास समाचार भेजा, “हे प्रभु, जिसे तू प्यार करता है, वह बीमार है।”

4 यीशु ने जब यह सुना तो वह बोला, “यह बीमारी जान लेवा नहीं है। बल्कि परमेश्वर की महिमा को प्रकट करने के लिये है। जिससे परमेश्वर के पुत्र को महिमा प्राप्त होगी।” 5 यीशु, मारथा, उसकी बहन और लाज़र को प्यार करता था। 6 इसलिए जब उसने सुना कि लाज़र बीमार हो गया है तो जहाँ वह ठहरा था, दो दिन और रुका। 7 फिर यीशु ने अपने अनुयायियों से कहा, “आओ हम यहूदिया लौट चलें।”

8 इस पर उसके अनुयायियों ने उससे कहा, “हे रब्बी, कुछ ही दिन पहले यहूदी नेता तुझ पर पथराव करने का यत्न कर रहे थे और तू फिर वहीं जा रहा है।”

9 यीशु ने उत्तर दिया, “क्या एक दिन में बारह घंटे नहीं होते हैं। यदि कोई व्यक्ति दिन के प्रकाश में चले तो वह ठोकर नहीं खाता क्योंकि वह इस जगत के प्रकाश को देखता है। 10 पर यदि कोई रात में चले तो वह ठोकर खाता है क्योंकि उसमें प्रकाश नहीं है।”

11 उसने यह कहा और फिर उसने बोला, “हमारा मित्र लाज़र सो गया है पर मैं उसे जगाने जा रहा हूँ।”

12 फिर उसके शिष्यों ने उससे कहा, “हे प्रभु, यदि उसे नींद आ गयी है तो वह अच्छा हो जायेगा।” 13 यीशु लाज़र की मौत के बारे में कह रहा था पर शिष्यों ने सोचा कि वह स्वाभाविक नींद की बात कर रहा था।

14 इसलिये फिर यीशु ने उनसे स्पष्ट कहा, “लाज़र मर चुका है। 15 मैं तुम्हारे लिये प्रसन्न हूँ कि मैं वहाँ नहीं था। क्योंकि अब तुम मुझमें विश्वास कर सकोगे। आओ अब हम उसके पास चलें।”

16 फिर थोमा ने जो दिदुमुस कहलाता था, दूसरे शिष्यों से कहा, “आओ हम भी प्रभु के साथ वहाँ चलें ताकि हम भी उसके साथ मर सकें।”

बैतनिय्याह में यीशु

17 इस तरह यीशु चल दिया और वहाँ जाकर उसने पाया कि लाज़र को कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं। 18 बैतनिय्याह यरूशलेम से लगभग तीन किलोमीटर दूर था। 19 भाई की मृत्यु पर मारथा और मरियम को सांत्वना देने के लिये बहुत से यहूदी नेता आये थे।

20 जब मारथा ने सुना कि यीशु आया है तो वह उससे मिलने गयी। जबकि मरियम घर में ही रही। 21 वहाँ जाकर मारथा ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई मरता नहीं। 22 पर मैं जानती हूँ कि अब भी तू परमेश्वर से जो कुछ माँगेगा वह तुझे देगा।”

23 यीशु ने उससे कहा, “तेरा भाई जी उठेगा।”

24 मारथा ने उससे कहा, “मैं जानती हूँ कि पुनरुत्थान के अन्तिम दिन वह जी उठेगा।”

25 यीशु ने उससे कहा, “मैं ही पुनरुत्थान हूँ और मैं ही जीवन हूँ। वह जो मुझमें विश्वास करता है जियेगा। 26 और हर वह, जो जीवित है और मुझमें विश्वास रखता है, कभी नहीं मरेगा। क्या तू यह विश्वास रखती है।”

27 वह यीशु से बोली, “हाँ प्रभु, मैं विश्वास करती हूँ कि तू मसीह है, परमेश्वर का पुत्र जो जगत में आने वाला था।”

यीशु रो दिया

28 फिर इतना कह कर वह वहाँ से चली गयी और अपनी बहन को अकेले में बुलाकर बोली, “गुरू यहीं है, वह तुझे बुला रहा है।” 29 जब मरियम ने यह सुना तो वह तत्काल उठकर उससे मिलने चल दी। 30 यीशु अभी तक गाँव में नहीं आया था। वह अभी भी उसी स्थान पर था जहाँ उसे मारथा मिली थी। 31 फिर जो यहूदी घर पर उसे सांत्वना दे रहे थे, जब उन्होंने देखा कि मरियम उठकर झटपट चल दी तो वे यह सोच कर कि वह कब्र पर विलाप करने जा रही है, उसके पीछे हो लिये। 32 मरियम जब वहाँ पहुँची जहाँ यीशु था तो यीशु को देखकर उसके चरणों में गिर पड़ी और बोली, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई मरता नहीं।”

33 यीशु ने जब उसे और उसके साथ आये यहूदियों को रोते बिलखते देखा तो उसकी आत्मा तड़प उठी। वह बहुत व्याकुल हुआ। 34 और बोला, “तुमने उसे कहाँ रखा है?”

वे उससे बोले, “प्रभु, आ और देख।”

35 यीशु फूट-फूट कर रोने लगा।

36 इस पर यहूदी कहने लगे, “देखो! यह लाज़र को कितना प्यार करता है।”

37 मगर उनमें से कुछ ने कहा, “यह व्यक्ति जिसने अंधे को आँखें दीं, क्या लाज़र को भी मरने से नहीं बचा सकता?”

यीशु का लाज़र को फिर जीवित करना

38 तब यीशु अपने मन में एक बार फिर बहुत अधिक व्याकुल हुआ और कब्र की तरफ गया। यह एक गुफा थी और उसका द्वार एक चट्टान से ढका हुआ था। 39 यीशु ने कहा, “इस चट्टान को हटाओ।”

मृतक की बहन मारथा ने कहा, “हे प्रभु, अब तक तो वहाँ से दुर्गन्ध आ रही होगी क्योंकि उसे दफनाए चार दिन हो चुके हैं।”

40 यीशु ने उससे कहा, “क्या मैंने तुझसे नहीं कहा कि यदि तू विश्वास करेगी तो परमेश्वर की महिमा का दर्शन पायेगी।”

41 तब उन्होंने उस चट्टान को हटा दिया। और यीशु ने अपनी आँखें ऊपर उठाते हुए कहा, “परम पिता मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ क्योंकि तूने मेरी सुन ली है। 42 मैं जानता हूँ कि तू सदा मेरी सुनता है किन्तु चारों ओर इकट्ठी भीड़ के लिये मैंने यह कहा है जिससे वे यह मान सकें कि मुझे तूने भेजा है।” 43 यह कहने के बाद उसने ऊँचे स्वर में पुकारा, “लाज़र, बाहर आ!” 44 वह व्यक्ति जो मर चुका था बाहर निकल आया। उसके हाथ पैर अभी भी कफ़न में बँधे थे। उसका मुँह कपड़े में लिपटा हुआ था।

यीशु ने लोगों से कहा, “इसे खोल दो और जाने दो।”

समीक्षा

यीशु के पुनरुत्थान में आशा

क्या आप मृत्यु से डरते हैं? बहुत से लोग मृत्यु से घबराते हैं. लेकिन यदि आप यीशु में अपना विश्वास रखते हैं, तो आपको मृत्यु से डरने की आवश्यकता नहीं है. यीशु ने मृत्यु की ताकत को हरा दिया है.

इंग्लिश कॉमेडियन, रसल ब्रँड ने कहा, 'मृत्यु की अपरिहार्यता के कारण हँसी व्यसनी है. यह एक अस्थायी बचाव देती है – थोड़े समय के लिए यह मृत्यु की अपरिहार्यता को रोकती है.' हर मनुष्य 'मृत्यु की परेशानी' का सामना करेगा. आपकी आशा कहाँ पर है?

आज के लेखांश में हम यीशु की पूरी मानवता को मृत्यु के सामने देखते हैं. लाजर उसका मित्र था. यीशु ने उससे प्रेम किया (व.3). वह उसकी मृत्यु के द्वारा 'गहराई से स्पर्शित' और 'दुखी' थे (व.33). बाईबल में सबसे छोटी आयत में हमने पढ़ा, 'यीशु रोये' (व.35).

फिर भी यीशु, अद्वितीय रूप से, मृत्यु का उत्तर हैं. यीशु ने मार्था से कहा, 'तुम्हारा भाई फिर जी उठेगा.' मार्था ने उत्तर दिया, ' मैं जानती हूँ कि अंतिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा.' यीशु ने उत्तर दियाः'तुम्हें अंत का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है. अभी में पुनरुत्थान और जीवन हूँ. जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तब भी जीएगा और जो कोई जीवित है और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा' (वव.24-26, एम.एस.जी.).

कब्र के परे जीवन है. यीशु मरा और फिर जी उठा. जो कोई यीशु में विश्वास करता है वह मृत्यु में से फिर जी उठेंगा. भविष्य की एक झलक के रूप में, यीशु लाजर को मृत्यु में से जिलाते हैं.

लाजर की कहानी हममें से हर एक की कहानी है. यीशु आपको बुलाते हैं कि उठो और जीवन देने के लिए पूरी तरह जीवित हो जाओ – अपने परिवार, मित्र, सहकर्मीयों और विश्व में आशा को लाने के लिए.

यह पुनरुत्थानी सामर्थ आपके अंदर है. पौलुस रोम की कलीसिया को लिखते हैं, ' यदि उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया, तुम में बसा हुआ है; तो जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी नश्वर देहों को भी अपनी आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है, जिलाएगा' (रोमियो 8:11). यीशु मसीह का पुनरुत्थान, आपके भविष्य की आशा का आधार है.

मसीहत हर समय का सबसे बड़ा अभियान है. यह एकमात्र है जो मृत्यु तक किसी भी सदस्य को नहीं खोता है. मुझे याद है हमारा एक बेटा, जब वह एक छोटा लड़का था, कह रहा था, 'जब आप मरोगे, तब मैं उदास हो जाऊंगा. और फिर मैं आपको स्वर्ग में देखकर उदास नहीं रहूँगा!'

मृत्यु से थोड़े समय पहले मदर टेरेसा से पूछा गया, 'क्या आपको मृत्यु का डर है?' उन्होंने कहा, 'मैं क्यो डरुं?' मरना है परमेश्वर के घर जाना. मैं कभी डरी नहीं. नही, इसके विपरीत, उन्होंने कहा, 'मैं सच में इसका इंतजार कर रही हूँ!'

यह लेखांश भी चर्च के लिए आशा का एक चित्र प्रदान करता है. चर्च के भागों में एक बीमारी है और बहुत से लोग इसकी मृत्यु की घोषणा कर रहे हैं. चर्च के कुछ भाग 'सो चुके हैं' (यूहन्ना 11:11). और कुछ मामलों में एक 'बुरी दुर्गंध' है (व.39).

यह लेखांश हमें मेरे हुओं को जीवित करने की यीशु की सामर्थ के विषय में याद दिलाता है. पुनरुत्थान की यह सामर्थ अब भी चर्च में काम कर रही है. वही यीशु जिसने लाजर के विषय में कहा था, 'इस बीमारी से मृत्यु नहीं होगी' (व.4), उन्होंने यह भी वायदा किया कि वह '(अपना) चर्च बनायेंगे और नरक के फाटक इसके विरूद्ध प्रबल नहीं होगे' (मत्ती 16:18, के.जे.व्ही.).

चर्च के कुछ भाग अपरिपक्व रूप से गाड़े गए हैं. यीशु ने लाजर के विषय में कहा, 'दफन के कपड़े निकाल दो और उसे जाने दो' (यूहन्ना 11:44क). हो सकता है कि यीशु आज चर्च के कुछ भागों से यही कहें. ब्राईटन और होव अर्गस ने बताया कि हमारे एक चर्च निर्माण में क्या हुआ- सेंट पीटर, ब्राईटन -'लाजर की तरह शहर की अनौपचारिक आराधनालय की बहाली' हमने अपने चर्च निर्माण के प्रोग्राम को 'प्रोजेक्ट लाजर!' कहा.

परमेश्वर, मैं आपके चर्च के लिए प्रार्थना करता हूँ. उन क्षेत्रों में हमें क्षमा करे जहाँ हम सो चुके हैं और बुरी दुर्गंध दे रहे हैं. हम जानते हैं कि आप गहराई से स्थिति के द्वारा स्पर्शित होते हैं, और आप चर्च पर रोते हैं, और आप प्रेम में कार्य करेंगे.

प्रार्थना

परमेश्वर, आप नया जीवन दीजिए. होने दीजिए कि संपूर्ण विश्व में हम चर्च को जीवित देखें.

जूना करार

1 शमूएल 2:27-4:22

एली के पिरवार के विषय में भंयकर भविष्यवाणी

27 परमेश्वर का एक व्यक्ति एली के पास आया। उसने कहा, “यहोवा यह बात कहता है, ‘तुम्हारे पूर्वज फिरौन के परिवार के गुलाम थे। किन्तु मैं तुम्हारे पूर्वजों के सामने उस समय प्रकट हुआ। 28 मैंने तुम्हारे परिवार समूह को इस्राएल के सभी परिवार समूहों में से चुना। मैंने तुम्हारे परिवार समूह को अपना याजक बनने के लिये चुना। मैंने उन्हें अपनी वेदी पर बलि—भेंट करने के लिये चुना। मैंने उन्हें सुगन्ध जलाने और एपोद पहनने के लिये चुना। मैंने तुम्हारे परिवार समूह को बलि—भेंट से वह माँस भी लेने दिया जो इस्राएल के लोग मुझको चढ़ाते हैं। 29 इसलिए तुम उन बलि—भेंटों और अन्नबलियों का सम्मान क्यों नहीं करते। तुम अपने पुत्रों को मुझसे अधिक सम्मान देते हो। तुम माँस के उस सर्वोत्तम भाग से मोटे हुए हो जिसे इस्राएल के लोग मेरे लिये लाते हैं।’

30 “इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने यह वचन दिया था कि तुम्हारे पिता का परिवार ही सदा उसकी सेवा करेगा। किन्तु अब यहोवा यह कहता है, ‘वैसा कभी नहीं होगा! मैं उन लोगों का सम्मान करूँगा जो मेरा सम्मान करेंगे। किन्तु उनका बुरा होगा जो मेरा सम्मान करने से इनकार करते हैं। 31 वह समय आ रहा है जब मैं तुम्हारे सारे वंशजों को नष्ट कर दूँगा। तुम्हारे परिवार में कोई बूढ़ा होने के लिये नहीं बचेगा। 32 इस्राएल के लिये अच्छी चीजें होंगी, किन्तु तुम घर में बुरी घटनाऐं होती देखोगे। तुम्हारे परिवार में कोई भी बूढ़ा होने के लिये नहीं बचेगा। 33 केवल एक व्यक्ति को मैं अपनी वेदी पर याजक के रुप में सेवा के लिये बचाऊँगा। वह बहुत अधिक बुढ़ापे तक रहेगा। वह तब तक जीवित रहेगा जब तक उसकी आँखे और उसकी शक्ति बची रहेगी। तुम्हारे शेष वंशज तलवार के घाट उतारे जाएंगे। 34 मैं तुम्हें एक संकेत दूँगा जिससे यह ज्ञात होगा कि ये बातें सच होंगी। तुम्हारे दोनों पुत्र होप्नी और पीनहास एक ही दिन मरेंगे। 35 मैं अपने लिये एक विश्वसनीय याजक ठहराऊँगा। वह याजक मेरी बात मानेगा और जो मैं चाहता हूँ, करेगा। मैं इस याजक के परिवार को शक्तिशाली बनाऊँगा। वह सदा मेरे अभिषिक्त राजा के सामने सेवा करेगा। 36 तब सभी लोग जो तुम्हारे परिवार में बचे रहेंगे, आएंगे और इस याजक के आगे झुकेंगे। ये लोग थोड़े धन या रोटी के टुकड़े के लिए भीख मागेंगे। वे कहेंगे, “कृपया याजक का सेवा कार्य हमें दे दो जिससे हम भोजन पा सकें।”’”

शमूएल को परमेश्वर का बुलावा

3बालक शमूएल एली के अधीन यहोवा की सेवा करता रहा। उन दिनों, यहोवा प्राय: लोगों से सीधे बातें नहीं करता था। बहुत कम ही दर्शन हुआ करता था।

2 एली की दृष्टि इतनी कमजोर थी कि वह लगभग अन्धा था। एक रात वह बिस्तर पर सोया हुआ था। 3 शमूएल यहोवा के पवित्र आराधनालय में बिस्तर पर सो रहा था। उस पवित्र आराधनालय में परमेश्वर का पवित्र सन्दूक था। यहोवा का दीपक अब भी जल रहा था। 4 यहोवा ने शमूएल को बुलाया। शमूएल ने उत्तर दिया, “मैं यहाँ उपस्थित हूँ।” 5 शमूएल को लगा कि उसे एली बुला रहा है। इसलिए शमूएल दौड़कर एली के पास गया। शमूएल ने एली से कहा, “मैं यहाँ हूँ। आपने मुझे बुलाया।”

किन्तु एली ने कहा, “मैंने तुम्हें नहीं बुलाया। अपने बिस्तर में जाओ।”

शमूएल अपने बिस्तर पर लौट गया। 6 यहोवा ने फिर बुलाया, “शमूएल!” शमूएल फिर दौड़कर एली के पास गया। शमूएल ने कहा, “मैं यहाँ हूँ। आपने मुझे बुलाया।”

एली ने कहा, “मैंने तुम्हें नहीं बुलाया, अपने बिस्तर में जाओ।”

7 शमूएल अभी तक यहोवा को नहीं जानता था। यहोवा ने अभी तक उससे सीधे बात नहीं की थी।

8 यहोवा ने शमूएल को तीसरी बार बुलाया। शमूएल फिर उठा और एली के पास गया। शमूएल ने कहा, “मैं आ गया। आपने मुझे बुलाया।”

तब एली ने समझा कि यहोवा लड़के को बुला रहा है। 9 एली ने शमूएल से कहा, “बिस्तर में जाओ। यदि वह तुम्हें फिर बुलाता है तो कहो, ‘यहोवा बोल! मैं तेरा सेवक हूँ और सुन रहा हूँ।’”

सो शमूएल बिस्तर में चला गया। 10 यहोवा आया और और वहाँ खड़ा हो गया। उसने पहले की तरह बुलाया।

उसने कहा, “शमूएल, शमूएल!” शमूएल ने कहा, “बोल! मैं तेरा सेवक हूँ और सुन रहा हूँ।”

11 यहोवा ने शमूएल से कहा, “मैं शीघ्र ही इस्राएल में कुछ करुँगा। जो लोग इसे सुनेंगे उनके कान झन्ना उठेंगे। 12 मैं वह सब कुछ करूँगा जो मैंने एली और उसके परिवार के विरूद्ध करने को कहा है।मैं आरम्भ से अन्त तक सब कुछ करूँगा। 13 मैंने एली से कहा है कि मैं उसके परिवार को सदा के लिये दण्ड दूँगा। मैं यह इसलिए करूँगा कि एली जानता है उस के पुत्रों ने परमेश्वर के विरुद्ध बुरा कहा है, और किया है, और एली उन पर नियन्त्रन करने में असफल रहा है। 14 यही कारण है कि मैंने एली के परिवार को शाप दिया है कि बलि—भेंट और अन्नबलि उनके पापों को दूर नहीं कर सकती।”

15 शमूएल सवेरा होने तक बिस्तर में पड़ा रहा। वह तड़के उठा और उसने यहोवा के मन्दिर के द्वार को खोला। शमूएल अपने दर्शन की बात एली से कहने में डरता था।

16 किन्तु एली ने शमूएल से कहा, “मेरे पुत्र, शमूएल!”

शमूएल ने उत्तर दिया, “हाँ, महोदय।”

17 एली ने पूछा, “यहोवा ने तुनसे क्या कहा? उसे मुझसे मत छिपाओ। परमेश्वर तुम्हें दण्ड देगा, यदि परमेश्वर ने जो सन्देश तुमको दिया है उसमें से कुछ भी छिपाओगे।”

18 इसलिए शमूएल ने एली को वह हर एक बात बताई। शमूएल ने एली से कुछ भी नहीं छिपाया।

एली ने कहा, “वह यहोवा है। उसे वैसा ही करने दो जैसा उसे अच्छा लगता है।”

19 शमूएल बड़ा होता रहा और यहोवा उसके साथ रहा। यहोवा ने शमूएल के किसी सन्देश को असत्य नहीं होने दिया। 20 तब सारा इस्राएल, दान से लेकर बेर्शबा तक, समझ गया कि शमूएल यहोवा का सच्चा नबी है। 21 शीलो में यहोवा शमूएल के सामने प्रकट होता रहा। यहोवा ने शमूएल के आगे अपने आपको वचन के द्वारा प्रकट किया।

4शमूएल के विषय में समाचार पूरे इस्राएल में फैल गया। एली बहुत बूढ़ा हो गया था। उसके पुत्र यहोवा के सामने बुरा काम करते रहे।

पलिश्तियों ने इस्राएलियों को हराया

उस समय, पलिश्ती इस्राएल के विरुद्ध युद्ध करने के लिये तैयार हुए। इस्राएली पलिश्तियों के विरुद्ध लड़ने गए। इस्राएलियों ने अपना डेरा एबेनेजेर में डाला। पलिश्तियों ने अपना डेरा अपेक में डाला। 2 पलिश्तियों ने इस्राएल पर आक्रमण करने की तैयारी की। युद्ध आरम्भ हो गया। पलिश्तियों ने इस्राएलियों को हरा दिया।

पलिश्तियों ने इस्राएल की सेना के लगभग चार हजार सैनिकों को मार डाला। 3 इस्राएलियों के बाकी सैनिक अपने डेरे में लौट गए। इस्राएल के अग्रजों (प्रमुखों) ने पूछा, “यहोवा ने पलिश्तियों को हमें क्यों पराजित करने दिया? हम लोग शीलो से वाचा के सन्दूक को ले आयें। इस प्रकार, परमेश्वर हम लोगों के साथ युद्ध में जायेगा। वह हमें हमारे शत्रुओं से बचा देगा।”

4 इसलिये लोगों ने वयक्तियों को शीलो में भेजा। वे लोग सर्वशक्तिमान यहोवा के वाचा के सन्दूक को ले आए। सन्दूक के ऊपर करूब(स्वर्गदूत) हैं और वे उस आसन की तरह हैं जिस पर यहोवा बैठता है। एली के दोनों पुत्र, होप्नी और पीनहास सन्दूक के साथ आए।

5 जब यहोवा के वाचा का सन्दूक डेरे के भीतर आया, तो इस्राएलियों ने प्रचण्ड उद्घोष किया। उस उद्घोष से धरती काँप उठी। 6 पलिश्तियों ने इस्राएलियों के उद्घोष को सुना। उन्होंने पूछा, “हिब्रू लोगों के डेरे में ऐसा उद्घोष क्यों है?”

तब पलिश्तियों को ज्ञात हुआ कि इस्राएल के डेरे में वाचा का सन्दूक आया है। 7 पलिश्ती डर गए। पलिश्तियों ने कहा, “परमेश्वर उनके डेरे में आ गया है! हम लोग मुसीबत में हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। 8 हमें चिन्ता है! इस शक्तिशाली परमेश्वर से हमें कौन बचा सकता है? ये वही परमेश्वर है जिसने मिस्रियों को वे बीमारियाँ और महामारियाँ दी थीं। 9 पलिश्तियों साहस करो! वीर पुरूषों की तरह लड़ो! बीते समय में हिब्रू लोग हमारे दास थे। इसलिए वीरों की तरह लड़ो नहीं तो तुम उनके दास हो जाओगे।”

10 पलिश्ती वीरता से लड़े औ उन्होंने इस्राएलियों को हरा दिया। हर एक इस्राएली योद्धा अपने डेरे में भाग गया। इस्राएल के लिये यह भयानक पराजय थी। तीस हजार इस्राएली सैनिक मारे गए। 11 पलिश्तियों ने उनसे परमेश्वर का पवित्र सन्दूक छीन लिया और उन्होंने एली के दोनों पुत्रों, होप्नी और पीनहास को मार डाला।

12 उस दिन बिन्यामीन परिवार का एक व्यक्ति युद्ध से भागा। उसने अपने शोक को प्रकट करने के लिये अपने वस्त्रों को फाड़ डाला और अपने सिर पर धूलि डाल ली। 13 जब यह व्यक्ति शीलो पहुँचा तो एली अपनी कुर्सी पर नगर द्वार के पास बैठा था। उसे पमेश्वर के पवित्र सन्दूक के लिये चिंता थी, इसीलिए वह प्रतीक्षा में बैठा हुआ था। तभी विन्यामीन परिवार समूह का वह व्यक्ति शीलो में आया और उसने दुःख भरी सूचना दी। नगर के सभी लोग जोर से रो पड़े। 14-15 एली अट्ठानवे वर्ष का बूढ़ा और अन्धा था, एली ने रोने की आवाज सुनी तो एली ने पूछा, “यह जोर का शोर क्या है?”

वह बिन्यामीन व्यक्ति एली के पास दौड़ कर गया और जो कुछ हुआ था उसे बताया। 16 बिन्यामीनी व्यक्ति ने कहा कि “मैं आज युद्ध से भाग आया हूँ!”

एली ने पूछा, “पुत्र, क्या हुआ?”

17 बिन्यामीनी व्यक्ति ने उत्तर दिया, “इस्राएली पलिश्तियों के मुकाबले भाग खड़े हुए हैं। इस्राएली सेना ने अनेक योद्धाओं को खो दिया है। तुम्हारे दोनों पुत्र मारे गए हैं और पलिश्ती परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को छीन ले गये हैं।”

18 जब बिन्यामीनी व्यक्ति ने परमेश्वर के पवित्र सन्दूक की बात कही, तो एली द्वार के निकट अपनी कुर्सी से पीछे गिर पड़ा और उसकी गर्दन टूट गई। एली बूढ़ा और मोटा था, इसलिये वह वहीं मर गया। एली बीस वर्ष तक इस्राएल का अगुवा रहा।

गौरव समाप्त हो गया

19 एली की पुत्रवधू, पीनहास की पत्नी, उन दिनों गर्भवती थी। यह लगभग उसके बच्चे के उत्पन्न होने का समय था। उसने यह समाचार सुना कि परमेश्वर का पवित्र सन्दूक छीन लिया गया है। उसने यह भी सुना कि उसके ससुर एली की मृत्यु हो गई है और सका पति पीनहास मारा गया है।। ज्यों ही उसने यह सामचार सुना, उसको प्रसव पीड़ा आरम्भ हो गई और उसने अपने बच्चे को जन्म देना आरम्भ किया। 20 उसके मरने से पहले जो स्त्रियाँ उसकी सहायता कर रही थीं उन्होने कहा, “दुःखी मत हो! तुम्हें एक पुत्र उत्पन्न हुआ है।”

किन्तु एली की पुत्रवधू ने न तो उत्तर ही दिया, न ही उस पर ध्यान दिया। 21 एली की पुत्रवधू ने कहा, “इस्राएल का गौरव अस्त हो गया!” इसलिए उसने बच्चे का नाम ईकाबोद रखा और बस वह तभी मर गई। उसने अपने बच्चे का नाम ईकाबोद रखा क्योंकि परमेश्वर का पवित्र सन्दूक चला गया था और उसके ससुर एवं पति मर गए थे। 22 उसने कहा, “इस्राएल का गौरव अस्त हुआ।” उसने यह कहा, क्योंकि पलिश्ती परमेश्वर का सन्दूक ले गये।

समीक्षा

परमेश्वर के वचन में आशा

क्या आप समझते हैं कि परमेश्वर आपसे बाते करना चाहते हैं? आप शमुएल की तरह कह सकते हैं, 'हे यहोवा कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है' (3:9).

परमेश्वर के लोगों के लिए यह परेशानी के समय थे. यह एक समय था जब लगता था कि परमेश्वर चुप हैं. 'उन दिनों में यहोवा का वचन दुर्लभ था; और दर्शन कम मिलता था' (3:1).

एली का हृदय अवश्य ही टूट जाता होगा, यह देखकर कि उसके अपने बेटे परमेश्वर का अपमान कर रहे थे. वे सभा के तंबू के प्रवेशद्वार पर सेवा करने वाली महिलाओं के साथ सो रहे थे (2:22). उन्होंने परमेश्वर का अपमान किया, जिसने कहा था, 'जो मेरा आदर करें मैं उनका आदर करुंगा, और जो मुझे तुच्छ जानें वे छोटे समझे जाएँगे' (व.30).

परमेश्वर का अपमान करने के कारण, परमेश्वर के लोग हार गए (4:1ब-11). एली टूटे हुए हृदय के साथ मर जाता है (वव.12-18). उनकी बहू एक बालक को जन्म देती है जिसका नाम ईकाबोद थाः'महिमा चली गई है' (ववञ19-22).

फिर भी, परेशानी के इन भयानक समयों के बीच में, परमेश्वर के लोगों के लिए आशा है. परमेश्वर ने शमुएल को बुलाया (3:4). परमेश्वर ने अपने आपको शमुएल को दिखाया और उसने परमेश्वर की बातें सुनी (वव.9-10). उसने कहा, 'हे परमेश्वर बोले. मैं आपका दास हूँ, सुनने के लिए तैयार हूँ' (व.9, एम.एस.जी.). परमेश्वर ने कहा, 'सुन, मैं इस्राएल में एक ऐसा काम करने पर हूँ जिससे सब सुनने वालो पर बड़ा सन्नाटा छा जाएगा' (व.11).

शमुएल संदेश को पूरी तरह से बताने के लिए तैयार था, यह चाहे कितना अप्रसिद्ध, शर्मिंदा करने वाला और कठिन क्यों न हो (व.18). उसने कुछ भी छिपाया नहीं. इसके परिणामस्वरूप, परमेश्वर महान रूप से उसका इस्तेमाल कर पाएँ: 'शमुएल बड़ा होता गया, और यहोवा उसके संग रहा, और उसने उसकी कोई भी बात निष्फल होने नहीं दी' (व.19).

प्रार्थना

'हे परमेश्वर बोलिये, क्योंकि आपका दास सुन रहा है' (व.9). मेरी सहायता कीजिए कि सावधानीपूर्वक परमेश्वर के वचन को सुनूँ और इसे दूसरों को बताऊँ, ताकि दूसरे भी परमेश्वर के वचन में आशा रखें.

पिप्पा भी कहते है

1शमुएल 3

मैं अत्यधिक स्पष्ट रूप से परमेश्वर की आवाज को सुनना चाहता हूँ. परमेश्वर ने शमुएल से बात करनी शुरु की थी जब वह एक बालक था. शायद से मैं परमेश्वर को और अधिक सुन पाऊंगा, यदि मेरा दिमाग बहुत सी चीजों से भरा हुआ न हो, जो कि मुझे करनी है. शमुएल के पास जीवन के सामान्य व्यवधान नहीं थे. उसके पास कम विश्व था और ज्यादा परमेश्वर की ओर से था.

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संदर्भ

कॉलम जी. ब्राउन, मसीह ब्रिटेन की मृत्युः लौकिकता को समझना 1800-2000 (राउटलेज, 2009).

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

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जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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