दिन 143

उत्सव मनाने के लिए समय निकालें

बुद्धि भजन संहिता 66:1-12
नए करार यूहन्ना 12:37-13:17
जूना करार 1 शमूएल 10:9-12:25

परिचय

हमारे वार्षिक चर्च अवकाश (फोकस) में अपने अनुभव का वर्णन सत्ताई वर्षीय महिला ने 'स्वर्ग की एक झलक' के रूप में किया. उसने उस वर्ष का भी वर्णन किया जब वह एक बार किसी दूसरी छुट्टी के कारण वह इससे चूक गई थीः हर दिन वह केवल सोचती थी कि काश मैं फोकस में होती.

यह समय है जब संपूर्ण समुदाय उत्सव मनाने, आराधना, धन्यवादिता और स्तुति के एक त्यौहार में एक साथ आते हैं. हम अक्सर पवित्र आत्मा के महान अभिषेक का अनुभव करते हैं. यह आत्मिक वृद्धि का एक समय है जब हम दर्शन देखने वालों की बातें सुनते हैं और बाईबल से प्रायोगिक शिक्षा को सुनते हैं कि जीवन कैसे जीना है. यह एक हँसी और मजे का समय है, जैसे ही हम एक सप्ताह के जश्न के लिए एक साथ आते हैं: खेलते हुए, पिकनिक मानते हुए, गाते हुए और नाचते हुए. महान छुट्टी के समय हम नए मित्र बनाते हैं. यह सच में 'स्वर्ग की एक झलक है.'

उत्सव मनाना जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है.

बुद्धि

भजन संहिता 66:1-12

66हे धरती की हर वस्तु, आनन्द के साथ परमेश्वर की जय बोलो।
2 उसके माहिमामय नाम की स्तुति करों!
 उसका आदर उसके स्तुति गीतों से करों!
3 उसके अति अद्भुत कामों से परमेश्वर को बखानों!
 हे परमेश्वर, तेरी शक्ति बहुत बड़ी है। तेरे शत्रु झुक जाते और वे तुझसे डरते हैं।
4 जगत के सभी लोग तेरी उपासना करें
 और तेरे नाम का हर कोई गुण गायें।

5 तुम उनको देखो जो आश्चर्यपूर्ण काम परमेश्वर ने किये!
 वे वस्तुएँ हमको अचरज से भर देती है।
6 परमेश्वर ने धरती सूखी होने को सागर को विवश किया
 और उसके आनन्दित जन पैदल महानद को पार कर गये।
7 परमेश्वर अपनी महाशक्ति से इस संसार का शासन करता है।
 परमेश्वर हर कहीं लोगों पर दृष्टि रखता है।
 कोई भी व्यक्ति उसके विरूद्ध नहीं हो सकता।

8 लोगों, हमारे परमेश्वर का गुणगान
 तुम ऊँचे स्वर में करो।
9 परमेश्वर ने हमको यह जीवन दिया है।
 वह हमारी रक्षा करता है।
10 परमेश्वर ने हमारी परीक्षा ली है। परमेश्वर ने हमें वैसे ही परखा, जैसे लोग आग में डालकर चाँदी परखते हैं।
11 है परमेश्वर, तूने हमें फँदों में फँसने दिया।
 तूने हम पर भारी बोझ लाद दिया।
12 तूने हमें शत्रुओं से पैरों तले रौदंवाया।
 तूने हमको आग और पानी में से घसीटा।
 किन्तु तू फिर भी हमें सुरक्षित स्थान पर ले आया।

समीक्षा

परमेश्वर की भलाई का उत्सव मनायें

क्या आप कभी ऐसा महसूस करते हैं कि आप 'नरक में जाकर वापस आ गए?' क्या आपने अपने आपको 'सीमा से परे धकेले जाते हुए पाया है?' हो सकता है कि परमेश्वर आपको प्रशिक्षित कर रहे हैं, जैसे चाँदी को आग में शुद्ध किया जाता है.

यह भजन इस तथ्य का उत्सव मनाता है कि परमेश्वर ने अपने लोगों को बहुत ही कठिन समय से ले आए हैं:

'पहले उन्होंने हमें प्रशिक्षित किया,
चाँदी जैसे आग से गुजरती है शुद्ध होने के लिए...
हमें सीमा के परे आगे धकेला,
हमें अंदर और बाहर से जाँचा,
हमें नकर ले जाकर वापस ले आए;
अंत में वह हमें ले आए
इस जल के झरने के पास (वव.10-12, एम.एस.जी).

उन्होने इस समय को बिना उत्सव मनाये जाने नहीं दिया. उन्होंने उत्सव मनाया. यह बहुत ही शोर से भरा हुआ लगता हैः'सब एक साथ मिलकर परमेश्वर के लिए तालियाँ बजाते हैं' (व.1, एम.एस.जी). उन्होंने स्तुतिगान कियाः 'आपके काम कितने अद्भुत हैं! आपकी सामर्थ कितनी महान है' (व.3). जो परमेश्वर ने किया था, उसका उन्होंने आनंद मनाया (व.5). उन्होंने आनंद मनाया और परमेश्वर की स्तुति की, इस तरह से कि आस-पास के सभी लोगों ने उन्हें सुनाः'धन्य है हमारा परमेश्वर, हे लोगों! उनका स्वागत कीजिए' (व.8, एम.एस.जी.).

प्रार्थना

परमेश्वर, मैं आपकी भलाई का उत्सव मनाता हूँ. आपका धन्यवाद क्योंकि आप मुझे आग और पानी में से निकाल लाएँ ताकि मुझे प्रचुरता के स्थान में ला सकें.

नए करार

यूहन्ना 12:37-13:17

यहूदियों का यीशु में अविश्वास

37 यद्यपि यीशु ने उनके सामने ये सब आश्चर्य चिन्ह प्रकट किये किन्तु उन्होंने विश्वास नहीं किया 38 ताकि भविष्यवक्ता यशायाह ने जो यह कहा था सत्य सिद्ध हो:

“प्रभु हमारे संदेश पर किसने विश्वास किया है?
किस पर प्रभु की शक्ति प्रकट की गयी है?”

39 इसी कारण वे विश्वास नहीं कर सके। क्योंकि यशायाह ने फिर कहा था,

40 “उसने उनकी आँखें अंधी
और उनका हृदय कठोर बनाया,
ताकि वे अपनी आँखों से देख न सकें और बुद्धि से समझ न पायें
और मेरी ओर न मुड़ें जिससे मैं उन्हें चंगा कर सकूँ।”

41 यशायाह ने यह इसलिये कहा था कि उसने उसकी महिमा देखी थी और उसके विषय में बातें भी की थीं।

42 फिर भी बहुत थे यहाँ तक कि यहूदी नेताओं में से भी ऐसे अनेक थे जिन्होंने उसमें विश्वाश किया। किन्तु फरीसियों के कारण अपने विश्वास की खुले तौर पर घोषणा नहीं की, क्योंकि ऐसा करने पर उन्हें आराधनालय से निकाले जाने का भय था। 43 उन्हें मनुष्यों द्वारा दिया गया सम्मान परमेश्वर द्वारा दिये गये सम्मान से अधिक प्यारा था।

यीशु के उपदेशों पर ही मनुष्य का न्याय होगा

44 यीशु ने पुकार कर कहा, “वह जो मुझ में विश्वास करता है, वह मुझ में नहीं, बल्कि उसमें विश्वास करता है जिसने मुझे भेजा है। 45 और जो मुझे देखता है, वह उसे देखता है जिसने मुझे भेजा है। 46 मैं जगत में प्रकाश के रूप में आया ताकि हर वह व्यक्ति जो मुझ में विश्वास रखता है, अंधकार में न रहे।

47 “यदि कोई मेरे शब्दों को सुनकर भी उनका पालन नहीं करता तो भी उसे मैं दोषी नहीं ठहराता क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने नहीं बल्कि उसका उद्धार करने आया हूँ। 48 जो मुझे नकारता है और मेरे वचनों को स्वीकार नहीं करता, उसके लिये एक है जो उसका न्याय करेगा। वह है मेरा वचन जिसका उपदेश मैंने दिया है। अन्तिम दिन वही उसका न्याय करेगा। 49 क्योंकि मैंने अपनी ओर से कुछ नहीं कहा है बल्कि परम पिता ने, जिसने मुझे भेजा है, आदेश दिया है कि मैं क्या कहूँ और क्या उपदेश दूँ। 50 और मैं जानता हूँ कि उसके आदेश का अर्थ है अनन्त जीवन। इसलिये मैं जो बोलता हूँ, वह ठीक वही है जो परम पिता ने मुझ से कहा है।”

यीशु का अपने शिष्यों के पैर धोना

13फ़सह पर्व से पहले यीशु ने देखा कि इस जगत को छोड़ने और परम पिता के पास जाने का उसका समय आ पहुँचा है तो इस जगत में जो उसके अपने थे और जिन्हें वह प्रेम करता था, उन पर उसने चरम सीमा का प्रेम दिखाया।

2 शाम का खाना चल रहा था। शैतान अब तक शमौन इस्करियोती के पुत्र यहूदा के मन में यह डाल चुका था कि वह यीशु को धोखे से पकड़वाएगा। 3 यीशु यह जानता था कि परम पिता ने सब कुछ उसके हाथों सौंप दिया है और वह परमेश्वर से आया है, और परमेश्वर के पास ही वापस जा रहा है। 4 इसलिये वह खाना छोड़ कर खड़ा हो गया। उसने अपने बाहरी वस्त्र उतार दिये और एक अँगोछा अपने चारों ओर लपेट लिया। 5 फिर एक घड़े में जल भरा और अपने शिष्यों के पैर धोने लगा और उस अँगोछे से जो उसने लपेटा हुआ था, उनके पाँव पोंछने लगा।

6 फिर जब वह शमौन पतरस के पास पहुँचा तो पतरस ने उससे कहा, “प्रभु, क्या तू मेरे पाँव धो रहा है।”

7 उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “अभी तू नहीं जानता कि मैं क्या कर रहा हूँ पर बाद में जान जायेगा।”

8 पतरस ने उससे कहा, “तू मेरे पाँव कभी भी नहीं धोयेगा।”

यीशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं न धोऊँ तो तू मेरे पास स्थान नहीं पा सकेगा।”

9 शमौन पतरस ने उससे कहा, “प्रभु, केवल मेरे पैर ही नहीं, बल्कि मेरे हाथ और मेरा सिर भी धो दे।”

10 यीशु ने उससे कहा, “जो नहा चुका है उसे अपने पैरों के सिवा कुछ भी और धोने की आवश्यकता नहीं है। बल्कि पूरी तरह शुद्ध होता है। तुम लोग शुद्ध हो पर सबके सब नहीं।” 11 वह उसे जानता था जो उसे धोखे से पकड़वाने वाला है। इसलिए उसने कहा था, “तुम में से सभी शुद्ध नहीं हैं।”

12 जब वह उनके पाँव धो चुका तो उसने अपने बाहरी वस्त्र फिर पहन लिये और वापस अपने स्थान पर आकर बैठ गया। और उनसे बोला, “क्या तुम जानते हो कि मैंने तुम्हारे लिये क्या किया है? 13 तुम लोग मुझे ‘गुरु’ और ‘प्रभु’ कहते हो। और तुम उचित हो। क्योंकि मैं वही हूँ। 14 इसलिये यदि मैंने प्रभु और गुरु होकर भी जब तुम्हारे पैर धोये हैं तो तुम्हें भी एक दूसरे के पैर धोना चाहिये। मैंने तुम्हारे सामने एक उदाहरण रखा है 15 ताकि तुम दूसरों के साथ वही कर सको जो मैंने तुम्हारे साथ किया है। 16 मैं तुम्हें सत्य कहता हूँ एक दास स्वामी से बड़ा नहीं है और न ही एक संदेशवाहक उससे बड़ा है जो उसे भेजता है। 17 यदि तुम लोग इन बातों को जानते हो और उन पर चलते हो तो तुम सुखी होगे।

समीक्षा

यीशु का उत्सव मनायें

हमारे जीवन में ऐसे समय होते हैं जब चीजें अच्छी तरह से होती हैं. ऐसे समय होते हैं जब चीजें बुरी तरह से होती हैं. लेकिन एक चीज है जिसका हम हमेशा उत्सव मना सकते हैं: यीशु हमारे लिए मरे और फिर जी उठे. यीशु ने कहा, ' क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ'(12:47). उन्होंने कहा, 'मैं आया हूँ ताकि कोई मुझमें विश्वास करे और उसका नाश ना हो' (व.46).

यीशु का अपने चेलों के पैरों को धोना फसह के पर्व के पहले हुआ (13:1). हवा में महान उत्साह था जैसे ही हजारों लोग फसह के पर्व का उत्सव मनाने के लिए यरुशलेम में आए थे. उत्सव का यह समय, यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान की परछाई थी, जिसका हम ईस्टर के दिन उत्सव मनाते हैं.

जब उन्होंने अपने चेलों के पैर धो दिए, तब उन्होंने उनसे कहा, 'क्या तुम समझते हो कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है?' (व.12). यह किस विषय में था? उन्हें क्या समझने की आवश्यकता थी? लेखांश से हम चित्रों से देख सकते हैं:

  1. प्रेम

अपने चेलों के पैरों को धोने के द्वारा यीशु ने अपने प्रेम की 'पूर्ण सीमा' को दिखाया (व.1). यह एक बहुत ही विपरीत अंतर है जो कि विश्व सोचता है जब लोग शब्द 'प्रेम' का इस्तेमाल करते हैं. यह एक एहसास या एक भावना से बढ़कर है; यह एक निर्णय है कि लोगों के साथ उस तरह से बर्ताव करें जैसे यीशु उनके साथ बर्ताव करते हैं (वव.14-15).

  1. सेवा

पलिश्ती की सड़कें ऊबड़ खाबड़ और अशुद्ध थी. सूखे मौसम में, वे धूल की गहराई में होती हैं. नमी के मौसम में वे गीली कीचड़ की तरह होती हैं.

एक अमीर घर में, घर आने पर दरवाजे में एक प्याला रखा रहता है. घर का दूसरा छोटा दास जूते निकालता है. सबसे छोटा दास पैरों को धोता है.

जब दूसरे आराम कर रहे थे, तब यीशु उठते हैं, अपने अंगौछे को कमर पर बाँधते हैं. एक दास की तरह, वह उनके पैरों को धोते हैं. समाज के निम्नतम स्तर पर, यीशु एक व्यक्ति का स्थान ले रहे हैं, अंतिम स्थान, एक दास का स्थान – जो छोटा काम करता है. यह विश्व में लीडरशिप के नमूने का एक पूर्ण विपरीत उदाहरण है.

यीशु, उनका 'प्रभु और शिक्षक' (व.14), अपने आपको समाज में सबसे छोटे व्यक्ति के रूप में प्रगट करते हैं, एक व्यक्ति जो छोटे काम करता है, एक व्यक्ति जिसका स्थान सबसे अंतिम है.

यीशु हमें दिखाते हैं कि यदि हम लोगों से प्रेम करें, तो हम उनकी सेवा करना चाहेंगे और जो सेवा करते हैं उनका बहुत सम्मान किया जाना चाहिए.

  1. दीनता

यीशु ने अद्वितीय रूप से पूर्ण प्रेम (व.1) और पूर्ण सामर्थ को जोड़ाः'पिता ने सारी चीजों को उनकी सामर्थ के अधीन रखा है' (व.3अ). प्रेम में उन्होंने दीनता में कार्य करना और अपने चेलों की सेवा करना चुना.

जो लोग अपनी महिमा को खोजते हैं (यहूदा की तरह, व.2) वह तुच्छ गिने जाते हैं. जो अपने आपको बड़ा करते हैं वह दीन किए जाते हैं. जो अपने आपको दीन करते हैं, उन्हे परमेश्वर बढ़ाते हैं.

प्रेम, सेवा और दीनता के द्वारा, यीशु अधिकार को इस्तेमाल करने के एक नये तरीके को दर्शाते हैं. इस नाटकीय रुप से, वह लीडरशिप और लीडरशिप के अंतर्गत लोगों के बीच में खाली स्थान को पूरा करते हैं.

  1. क्षमा

धोना और शुद्ध करना क्षमा का एक चिह्न है – पाप से शुद्ध करना. पैरों को धोना एक चित्र है कि यीशु उनके लिए क्रूस पर क्या करने जा रहे थे (व.7). आपके लिए यीशु की मृत्यु के द्वारा, आप पूरी तरह से क्षमा किए गए हैं. तो क्यो यीशु हमें क्षमा के लिए नियमित रूप से प्रार्थना करना सीखाते हैं?

मुझे यहाँ पर दिया गया सबसे सहायक रूप और चित्र अच्छा लगता है. जब यीशु पतरस के पैरों को धोने के लिए आगे बढ़े, तब पतरस ने कहा, 'तू मेरे पाँव कभी न धोने पाएगा.' यीशु ने उत्तर दिया, ' यदि मैं तुझे न धोऊं, तो मेरे साथ तेरा कुछ भी साझा नहीं' (व.8). फिर पतरस ने उत्तर दिया, ' हे प्रभु, तो मेरे पाँव ही नहीं, वरन् हाथ और सिर भी धो दे'. यीशु ने कहा, ' जो नहा चुका है उसे पाँव के सिवाय और कुछ धोने की आवश्यकता नहीं, परन्तु वह बिल्कुल शुध्द है' (व.10).

यह क्षमा का एक चित्र है. जब आप यीशु में अपना विश्वास रखते हो, तब आप पूरी तरह से शुद्ध किए जाते हो और क्षमा किए जाते हो – हर बातों से निपटा जाता है. आपको फिर से पश्चाताप करने और विश्वास करने की आवश्यकता नहीं है जो कि पूर्ण क्षमा को लाता है. यह नहाने के समांतर है.

किंतु, जैसे ही हम विश्व में जीते हैं, हम ऐसी चीजों को करते हैं जो परमेश्वर के साथ हमारे संबंध को बिगाड़ देती हैं. आपका संबंध हमेशा से सुरक्षित है लेकिन आपकी मित्रता धूल से मैली हो जाती है जो आप अपने पैरों से बटोरते हैं. हर दिन प्रार्थना कीजिए, 'परमेश्वर, मुझे क्षमा कीजिए, मुझे गंदगी से शुद्ध कीजिए.' आपको फिर से नहाने की आवश्यकता नहीं है, यीशु ने आपके लिए इसे कर दिया है, लेकिन शुद्ध करने की एक मात्रा की हर दिन आवश्यकता पड़ेगी.

हमारे महान ईस्टर उत्सव के अतिरिक्त, हर सप्ताह जब हम पुनरुत्थान (रविवार) के दिन इकट्ठा होते हैं, तब हम इन अद्भुत घटनाओं को याद करते हैं और इनका उत्सव मनाते हैं. इसके अतिरिक्त, हर बार जब आप कम्युनियन लेते हैं तब आप अपने लिए यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान का उत्सव मना रहे हैं.

प्रार्थना

परमेश्वर, हमारी सहायता कीजिए कि यीशु के उदाहरण पर चले, ना केवल बातों में लेकिन कामों में भी. आपका धन्यवाद क्योंकि आपने हमें उत्सव मनाने के लिए बहुत कुछ दिया है

जूना करार

1 शमूएल 10:9-12:25

शाऊल का नबी जैसा होना

9 जैसे ही शाऊल शमूएल को छोड़ने के लिये मुड़ा, परमेश्वर ने शाऊल का जीवन बदल दिया। ये सभी घटनायें उस दिन घटीं। 10 शाऊल और उसका सेवक गिबियथ—एलोहिम गए।उस स्थान पर शाऊल नबियों के एक समूह से मिला। परमेश्वर की आत्मा शाऊल पर तीव्रता से उतरी और शाऊल ने नबियों के साथ भविष्यवाणी की। 11 जो लोग शाऊल को पहले से जानते थे उन्होंने नबियों के साथ उसे भविष्यवाणी करते देखा। वे लोग आपस में पूछ ताछ करने लगे, “कीश के पुत्र को क्या हो गया है? क्या शाऊल नबियों में से एक है?”

12 एक व्यक्ति ने जो गिबियथ—एलोहिम में रहता था, कहा, “हाँ! और ऐसा लगता है कि यह उनका मुखिया है।” यही कारण है कि यह प्रसिद्ध कहावत बनी: “क्या शाऊल नबियों में से कोई एक है?”

शाऊल घर पहुँचता है

13 अन्तत: उसने नबियों की तरह बोलना बन्द किया और एक उच्च स्थान पर चला गया।

14 बाद में शाऊल के चाचा ने उससे और उसके सेवक से कहा, “तुम कहाँ गए थे?”

उसने उत्तर दिया, “हम गधों को देखने गए थे और उनकी खोज में चले ही जा रहे थे, किन्तु वे कहीं नहीं मिले. इसलिए हम लोग शमूएल के पास गए।”

15 यह सुनकर शाऊल के चाचा ने कहा, “कृपया तुम लोग मुझे बताओ कि शमूएल ने तुम दोनों से क्या कहा?”

16 शाऊल ने अपने चाचा को उत्तर दिया, “उसने पूरी सच्चाई से बताया कि गधे मिल गये हैं।” और उसने राज्य के बारे में जो शमूएल से सुना था उसे नहीं बताया।

शमूएल, शाऊल को राजा घोषित करता है

17 शमूएल ने इस्राएल के सभी लोगों से मिस्पा में यहोवा से मिलने के लिये एक साथ इकट्ठा होने को कहा। 18 शमूएल ने कहा, “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘मैंने इस्राएल को मिस्र से बाहर निकाला। मैंने तुम्हें मिस्र की अधीनता से और उन अन्य राष्ट्रों से भी बचाया जो तुम्हें चोट पहुँचाना चाहते थे।’ 19 किन्तु आज तुमने अपने परमेश्वर को अस्वीकार कर दिया है। तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें तुम्हारे सभी कष्टों और समस्याओं से बचाता है। किन्तु तुमने कहा, ‘नहीं हम अपने ऊपर शासन करने के लिये एक राजा चाहते हैं।’ अब आओ और यहोवा के सामने अपने परिवारों और अपने परिवार समूहों में खड़े हो जाओ।”

20 शमूएल इस्राएल के सभी परिवार समूहों को निकट लाया। तब शमूएल ने नया राजा चुनना आरम्भ किया। प्रथम बिन्यामीन का परिवार समूह चुना गया। 21 शमूएल ने बिन्यामीन के परिवार समूह के हर एक परिवार को एक एक करके आगे से निकलने को कहा। मत्री का परिवार चुना गया। तब शमूएल ने मत्री के परिवार के हर एक व्यक्ति को एक एक करके उसके आगे से निकलने को कहा। इस प्रकार कीश का पुत्र शाऊल चुना गया।

किन्तु जब लोगों ने शाऊल की खोज की, तो वे उसे पा नहीं सके। 22 तब उन्होंने यहोवा से पूछा, “क्या शाऊल अभी तक यहाँ नहीं आया है?”

यहोवा ने कहा, “शाऊल भेंट सामग्री के पीछे छिपा है।”

23 लोग दौड़ पड़े और शाऊल को भेंट सामग्री के पीछे से ले आये। शाऊल लोगों के बीच खड़ा हुआ। शाऊल इतना लम्बा था कि सभी लोग बस उस के कंधे तक आ रहे थे।

24 शमूएल ने सभी लोगों से कहा, “उस व्यक्ति को देखो जिसे यहोवा ने चुना है। लोगों में कोई व्यक्ति शाऊल के समान नहीं है।”

तब लोगों ने नारा लगाया, “राजा दीर्घायु हो!”

25 शमूएल ने राज्य के नियमों को लोगों को समझाया। उसने उन नियमों को एक पुस्तक में लिखा। उसने पुस्तक को यहोवा के सामने रखा। तब शमूएल ने लोगों को अपने—अपने घर जाने के लिये कहा।

26 शाऊल भी गिबा में अपने घर चला गया। परमेश्वर ने वीर पुरुषों के हृदय का स्पर्श किया और ये वीर व्यक्ति शाऊल का अनुसरण करने लगे। 27 किन्तु कुछ उत्पातियों ने कहा, “यह व्यक्ति हम लोगों की रक्षा कैसे कर सकता है।?” उन्होंने शाऊल की निन्दा की और उसे उपहार देने से इन्कार किया। किन्तु शाऊल ने कुछ नहीं कहा।

अम्मोनियों का राजा नाहाश

अम्मोनियों का राजा नाहाश गिलाद और याबेश के परिवार समूह को कष्ट दे रहा था। नाहाश ने उनके हर एक पुरुष की दायीं आँख निकलवा डाली थी। नाहाश किसी को उनकी सहायता नहीं करने देता था। अम्मोनियों के राजा नाहाश ने यरदन नदी के पूर्व रहने वाले हर एक इस्राएली पुरुष की दायीं आँख निकलवा ली थी। किन्तु सत्तर हजार इस्राएली पुरुष अम्मोनियों के यहाँ से भाग निकले और याबेश गिलाद में आ गये।

11लगभग एक महीने बाद अम्मोनी नाहाश और उसकी सेना ने याबेश गिलाद को घेरे लिया। याबेश के सभी लोगों ने नाहाश से कहा, “यदि तुम हमारे साथ सन्धि करोगे तो हम तुम्हारी प्रजा बनेंगे।”

2 किन्तु अम्मोनी नाहाश ने उत्तर दिया, “मैं तुम लोगों के साथ तब सन्धि करूँगा जब मैं हर एक व्यक्ति की दायीं आँख निकाल लूँगा। तब सारे इस्राएली लज्जित होंगे!”

3 याबेश के प्रमुखों ने नाहाश से कहा, “हम लोग सात दिन का समय लेंगे। हम पूरे इस्राएल में दूत भेजेंगे। यदि कोई सहायता के लिये नहीं आएगा, तो हम लोग तुम्हारे पास आएंगे और अपने को समर्पित कर देंगे।”

शाऊल याबेश गिलाद की रक्षा करता है:

4 सो वे दूत गिबा में आये जहाँ शाऊल रहता था। उन्होंने लोगों को समाचार दिया। लोग जोर से रो पड़े। 5 शाऊल अपने बैलों के साथ खेतों में गया हुआ था। शाऊल खेत से लौटा और उसने लोगों का रोना सुना। शाऊल ने पूछा, “लोगों को क्या कष्ट है? वे रो क्यों रहे हैं?”

तब लोगों ने याबेश के दूतों ने जो कहा था शाऊल को बातया। 6 शाऊल ने उनकी बातें सुनीं। तब परमेश्वर की आत्मा शाऊल पर जल्दी से उतरी। शाऊल अत्यन क्रोधित हुआ। 7 शाऊल ने बैलों की जोड़ी ली और उसके टुकड़े कर डाले। तब उसने उन बैलों के टुकड़ों को उन दूतों को दिया। उसने दूतों को आदेश दिया कि वे इस्राएल के पूरे देश में उन टुकड़ों को ले जायें। उसने उनसे इस्राएल के लोगों को यह सन्देश देने को कहा, “आओ शाऊल और शमूएल का अनुसरण करो। यदि कोई व्यक्ति नहीं आता और उसकी सहायता नहीं करता तो उसके बैलों के साथ यही होगा।”

यहोवा की ओर से लोगों में बड़ा भय छा गया। वे एक इकाई के रूप में एक साथ इकट्ठे हो गए। 8 शाऊल ने सभी पुरुषों को बेजेक में एक साथ इकट्ठा किया। वहाँ इस्राएल के तीन लाख पुरुष और यहूदा के तीस हजार पुरुष थे।

9 शाऊल और उसकी सेना ने याबेश के दूतों से कहा, “गिलाद में याबेश के लोगों से कहो कि कल दोपहर तक तुम लोगों की रक्षा हो जायेगी।”

दूतों ने शाऊल का सन्देश याबेश के लोगों को दिया। याबेश के लोग बड़े प्रसन्न हुए। 10 तब याबेश के लोगों ने अम्मोनी नाहाश से कहा, “हम लोग कल तुम्हारे पास आएंगे। तब तुम हम लोगों के साथ जो चाहो कर सकते हो।”

11 अगली सुबह शाऊल ने अपनी सेना को तीन टुकड़ियों में बाँटा। सूरज निकलते ही शाऊल और उसके सैनिक अम्मोनियों के डेरे में जा घुसे। जब वे उस सुबह रक्षकों को बदल रहे थे, शाऊल ने आक्रमण किया। शाऊल और उसके सैनिकों ने अम्मोनियों को दोपहर से पहले पराजित कर दिया। सभी अम्मोनी सैनिक विभिन्न दिशाओं में भागे—दो सैनिक भी एक साथ नहीं रहे।

12 तब लोगों ने शमूएल से कहा, “वे लोग कहाँ हैं जो कहते थे कि हम शाऊल को राजा के रूप में शासन करने देना नहीं चाहते? उन लोगों को लाओ! हम उन्हें मार डालेंगे!”

13 किन्तु शाऊल ने कहा, “नहीं! आज किसी को मत मारो! आज यहोवा ने इस्राएल की रक्षा की!”

14 तब शमूएल ने लोगों से कहा, “आओ हम लोग गिलगाल चलें। गिलगाल में हम शाऊल को फिर राजा बनायेंगे।”

15 सो सभी लोग गिलगाल चले गये। वहाँ यहोवा के सामने लोगों ने शाऊल को राजा बनाया। उन्होंने यहोवा को मेलबलि दी। शाऊल और सभी इस्राएलियों ने खुशियाँ मनायीं।

शमूएल का इस्राएलियों से बात करना

12शमूएल ने सारे इस्राएलियों से कहा: “मैंने वह सब कुछ कर दिया है जो तुम लोग मुझ से चाहते थे। मैंने तुम लोगों के ऊपर एक राजा रखा है। 2 अब तुम्हारे मार्गदर्शन के लिये एक राजा है। मैं श्वेतकेशी बूढ़ा हूँ। मेरे पुत्र तुम्हारे साथ हैं। जब मैं एक छोटा बालक था तब से मैं तुम्हारा मार्ग दर्शक रहा हूँ। 3 मैं यहाँ हूँ। यदि मैंने कोई बुरा काम किया है तो तुम्हें उसके बारे में यहोवा से और उनके चुने हुए राजा से कहना चाहिये। क्या मैंने कभी किसी का बैल या गधा चुराया है? क्या मैंने किसी को कभी धोखा दिया है या हानि पहुँचाई है? क्या मैंने किसी का कुछ बुरा करने के लिये कभी किसी से धन या एक जोड़ा जूता भी लिया है? यदि मैंने इनमें से कोई बुरा काम किया है तो में उसको ठीक करूँगा।”

4 इस्राएलियों ने उत्तर दिया, “नहीं! तुमने हम लोगों के लिये कभी बुरा नहीं किया। तुमने न हम लोगों को ठगा, न ही तुमने हम लोगों से कभी कुछ लिया।”

5 शमूएल ने इस्राएलियों से कहा, “जो तुमने कहा, यहोवा उसका गवाह है। यहोवा का चुना राजा भी आज गवाह है। वे दोनों गवाह हैं कि तुमने मुझमें कोई दोष नहीं पाया।” लोगों ने कहा, “हाँ! यहोवा गवाह है।”

6 तब समूएल ने लोगों से कहा, “यहोवा गवाह है। उसने मूसा और हारून को चुना। वह तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर ले आया। 7 अब चुपचाप खड़े रहो अब मैं तुम्हें उन अच्छे कामों को बताऊँगा जो यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों और तुम्हारे लिये किये थे।

8 “याकूब मिस्र गया। बाद में, मिस्रियों ने उसके वंशजों का जीवन कष्टमय बना दिया। इसलिए वे सहायता के लिये यहोवा के सामने रोये। यहोवा ने मूसा और हारून को भेजा। मूसा और हारून तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर निकाल ले आए और इस स्थान में रहने के लिये उनका मार्ग दर्शन किया।

9 “किन्तु तुम्हारे पूर्वज, अपने परमेश्वर यहोवा को भूल गये। इसलिए यहोवा ने उन्हें सीसरा का दास होने दिया। सीसरा, हासोर की सेना का सेनापति था। तब यहोवा ने उन्हें पलिश्तियों और मोआब के राजा का दास बनाया। वे सभी तुम्हारे पूर्वजों के विरूद्ध लड़े। 10 किन्तु तुम्हारे पूर्वज सहायता के लिये यहोवा के सामने गिड़गिड़ाए। उन्होंने कहा, ‘हम लोगों ने पाप किया है। हम लोगों ने यहोवा को छोड़ा है और झूठे देवताओं बाल और अश्तोरेत की सेवा की है। किन्तु अब आप हमें हमारे शत्रुओं से बचायें, हम आपकी सेवा करेंगे।’

11 “इसलिए यहोवा ने यरुब्बाल (गिदोन), बदान, बरक, यिप्तह और शमूएल को वहाँ भेजा। यहोवा ने तुम्हारे चारों ओर के शत्रुओं से तुम्हारी रक्षा की और तुम सुरक्षित रहे। 12 किन्तु तब तुमने अम्मोनियों के राजा नाहाश को अपने विरूद्ध लड़ने के लिये आते देखा। तुमने कहा, ‘नहीं! हम अपने ऊपर शासन करने के लिये एक राजा चाहते हैं।’ तुमने यही कहा, यद्यपि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा राजा पहले से ही था। 13 अब, तुम्हारा चुना राजा यहाँ है। यहोवा ने इस राजा को तुम्हारे ऊपर नियुक्त किया है। 14 परमेश्वर यहोवा तुम्हारी रक्षा करता रहेगा। किन्तु परमेश्वर तुम्हारी रक्षा तभी करेगा जब तुम ये करोगे तुम्हें यहोवा का सम्मान और उसकी सेवा करनी चाहिए। तुम्हें उसके आदेशों के विरूद्ध लडना नहीं चाहिए और तुम्हें तथा तुम्हारे ऊपर शासन करने वाले राजा को, अपने परमेश्वर यहोवा का अनुसरण करना चाहिये। यदि तुम इन्हें करते रहोगे तो परमेश्वर तुम्हारी रक्षा करेगा। 15 किन्तु यदि तुम यहोवा की आज्ञा पालन नहीं करते हो और उसके आदेशों के विरूद्ध लड़ते हो, तो वह तुम्हारे विरुद्ध होगा। यहोवा तुम्हें और तुम्हारे राजा को नष्ट कर देगा!

16 “अब चुपचाप खड़े रहो और उस अद्भुत काम को देखो जिसे यहोवा तुम्हारी आँखों के सामने करेगा। 17 यह गेहूँ की फसल कटने का समय है। मैं यहोवा से प्रार्थना करूँगा। मैं उन से बिजली की कड़क और वर्षा की याचना करुँगा। तब तुम समझोगे कि तुमने उस समय यहोवा के विरूद्ध बुरा किया था जब तुमने एक राजा की माँग की थी।”

18 अत: शमूएल ने यहोवा से प्रार्थना की। उसी दिन यहोवा ने बिजली की कड़क और वर्षा भेजी। इससे लोग यहोवा तथा शमूएल से बहुत डर गये। 19 सभी लोगों ने शमूएल से कहा, “अपने परमेश्वर यहोवा से तुम अपने सेवक, हम लोगों के लिये प्रार्थना करो। हम लोगों को मरने मत दो! हम लोगों ने बहुत पाप किये हैं और अब एक राजा के लिए माँग करके हम लोगों ने उन पापों को और बढ़ाया है।”

20 शमूएल ने उत्तर दिया, “डरो नहीं। यह सत्य है! तुमने वे सब बुरे काम किये। किन्तु यहोवा का अनुसरण करना बन्द मत करो। अपने सच्चे हृदय से यहोवा की सेवा करो। 21 देवमूर्तियाँ मात्र मूर्तियाँ हैं, वे तुम्हारी सहायता नहीं करेंगी। इसलिए उनकी पूजा मत करो। देवमूर्तियाँ न तुम्हारी सहयता कर सकती हैं, न ही रक्षा कर सकती हैं। वे कुछ भी नहीं हैं!

22 “किन्तु यहोवा अपने लोगों को छोड़ेगा नहीं। यहोवा तुम्हें अपने लोग बनाकर प्रसन्न हुआ था। अतः अपने अच्छे नाम की रक्षा के लिये वह तुमको छोड़ेगा नहीं। 23 यदि मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना करना बन्द कर देता हूँ तो यह मेरे लिए अपमानजनक होगा। यदि मैं तुम्हारे लिये प्रार्थना करना बन्द करता हूँ तो यह यहोवा के विरुद्ध पाप करना होगा। मैं तुम्हें वह शिक्षा दूँगा जो तुम्हारे लिये अच्छी व उचित है। 24 किन्तु तुम्हें भी यहोवा का सम्मान करते रहना चाहिये। तुम्हें पूरे हृदय से यहोवा की सेवा सच्चाई के साथ करनी चाहिये। उन अद्भुत कामों को याद रखो जिन्हें उसने तुम्हारे लिये किये। 25 किन्तु यदि तुम हठी हो, और बुरा करते हो तो परमेश्वर तुम्हें और तुम्हारे राजा को ऐसे झाड़ फेकेंगा जैसे झाड़ू से कूड़े को फेंका जाता है।”

समीक्षा

सफलता का उत्सव मनायें

विवाह के बाद से शाऊल ने राजा के रूप में राज्य करना शुरु किया. परमेश्वर का आत्मा सामर्थ में उन पर उतरा और वह भविष्यवाणी करने लगे (10:9-13). विरोध का सामना करने में परमेश्वर ने उन्हें महान बुद्धि प्रदान की. वह जानते थे कि कब चुप रहना है (व.27).

जल्द ही शाऊल को 'परेशानी पैदा करने वालों से' निपटना था (व.27). परमेश्वर मानवीय हृदयों को छूने का कार्य करते हैं (व.26). लेकिन, हमेशा की तरह, बाईबल वास्तविक है. परेशानी पैदा करने वाले आस-पास थे. जब कभी परमेश्वर सामर्थ में काम करते हैं, तब वहाँ पर परेशानी पैदा करने वालो के होने की भी आशा कीजिए.

जब परमेश्वर के लोग ऐसे एक व्यक्ति से क्रूरता का सामना कर रहे थे जो हर व्यक्ति की दाहिनी आँख को फोड़ देना चाहता था, 'तब परमेश्वर का आत्मा सामर्थ से (शाउल) पर उतरा' (11:6). परमेश्वर ने उन्हें एक बड़ी विजय दी और उनके पास बुद्धि थी कि बाद में कहें, 'आज कोई नहीं मरेगा, क्योंकि आज के दिन परमेश्वर ने इस्राएल को छुड़ाया है' (व.13). इसके बजाय, उन्होंने 'एक बड़ा उत्सव मनाया' (व.15).

शमुएल के अंतिम वचनो में, उन्होंने बताया कि कितनी बार परमेश्वर ने अपने लोगों को सफलता दी, जब वे सहायता के लिए परमेश्वर को पुकारते थे (12:8,10-11). उन्होंने उन्हें चिताया कि, 'ध्यान दो कि परमेश्वर ने तुम्हारे लिए कितनी महान वस्तुएँ की हैं' (व.24). ऐसी बहुत सी चीजें शमुएल की प्रार्थना के परिणामस्वरूप हुई और उन्होंने कहा, 'फिर यह मुझ से दूर हो कि मैं तुम्हारे लिये प्रार्थना करना छोड़कर यहोवा के विरूद्ध पापी ठहरूँ' (व.23).

अपनी खुद की जरुरतों और चिंताओं के द्वारा बंद मत हो जाईये कि आप दूसरों के लिए प्रार्थना करना बंद कर दे, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम एक दूसरे के लिए प्रार्थना करें.

आज के लिए लेखांश का अंत होता है जब शमुएल लोगों को बताते हैं कि 'याद रखो कि परमेश्वर ने तुम्हारे लिए कितनी महान चीजें की हैं' (व.24). चाहे जो कुछ आपके जीवन में चल रहा है, पीछे देखिये, अपनी क्षमा, पवित्र आत्मा के उपहार, महिमा का वायदा, और दूसरी चीजें जो परमेश्वर ने आपके लिए की हैं, इन्हें याद कीजिए और इनका उत्सव मनाईये.

प्रार्थना

परमेश्वर, आज मैं धन्यवादिता के साथ पीछे देखना चाहता हूँ और उन सभी चीजों का उत्सव मनाना चाहता हूँ जो आपने मेरे लिए की हैं...

पिप्पा भी कहते है

1शमुएल 11:6

'यह संदेश सुनते ही शाऊल पर परमेश्वर का आत्मा बल से उतरा, और उसका कोप बहुत भड़क उठा.'

मैं किसी व्यक्ति पर परमेश्वर के आत्मा के उतरने और क्रोधित हो जाने के विषय में नहीं सोचती. मैं सामान्य रूप से सोचती हूँ कि आत्मा लोगों को क्रोध से मुक्त करता है और आनंद या शांति या गहरा विश्वास दिलाता है. लेकिन क्रोध हमें अन्याय के विरूद्ध उदासीन रहने के बजाय क्रियाशील बनाता है.

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संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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