आपकी परीक्षा आपकी विजय बन जाएगी
परिचय
13 अप्रैल 1970 की शाम को जिम लोवेल के शब्द थे, 'हॉस्टन, हम परेशानी में थे'. चंद्रमा पर मिशन के लगभग छप्पन घंटे के दौरान, एक विस्फोट ने अंतरिक्षयान पर सवार कर्मचारियों के समूह को जीवित रहने के लिए लड़ाई में धकेल दिया. एक मिनट से भी कम समय में पूरे अंतरिक्ष यान में व्यवस्था असफल होने लगी. 'यह सब एक ही समय में हुआ –एक बुरी असफलता,' नासा के जहाज को नियंत्रित करने वाले ने बताया.
अंतरिक्ष यान चंद्रमा के चारो ओर घूमने लगा, पृथ्वी पर जाने के लिए इसके गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल करते हुए. लाखों लोगों ने इसे टेलीविजन पर देखा. अंत में, टोंगा के निकट शांत महासागर में अंतरिक्ष यान का एक भाग समुद्र में उतरा.
यद्पि परंपरागत दृष्टिकोण से यह मिशन की सफलता नहीं थी, लेकिन यह प्रवीणता और दृढ़ संकल्प की एक विजय थी, ' अपोलो 13 नामक लेख में बी बी सी से विज्ञान रिपोर्टर पॉल रिंकोन ने लिखाः तबाही से विजय. जिम लोवेल ने कहा कि इसने विश्व के लोगों को दिखा दिया की यदि एक बड़ी तबाही भी हो रही हो, तो भी यह एक सफलता में बदल सकती है.
दिखने वाली तबाही में से आने वाली विजय का मुख्य उदाहरण है क्रूस. विश्व को जो चीज हार नजर आ रही थी वह वास्तव में विजय थी.
भजन संहिता 68:21-27
21 परमेश्वर दिखा देगा कि अपने शत्रुओं को उसने हरा दिया है।
ऐसे उन व्यक्तियों को जो उसके विरूद्ध लड़े, वह दण्ड देगा।
22 मेरे स्वमी ने कहा, “मैं बाशान से शत्रु को वापस लाऊँगा,
मैं शत्रु को समुद्र की गहराई से वापस लाऊँगा,
23 ताकि तुम उनके रक्त में विचर सको,
तुम्हारे कुत्ते उनका रक्त चाट जायें।”
24 लोग देखते हैं, परमेश्वर को विजय अभियान की अगुवाई करते हुए।
लोग मेरे पवित्र परमेश्वर, मेरे राजा को विजय अभियान का अगुवाई करते देखते हैं।
25 आग—आगे गायकों की मण्डली चलती है, पीछे—पीछे वादकों की मण्डली आ रही हैं,
और बीच में कुमारियाँ तम्बूरें बजा रही है।
26 परमेश्वर की प्रशंसा महासभा के बीच करो!
इस्राएल के लोगों, तुम यहोवा के गुण गाओ!
27 छोटा बिन्यामीन उनकी अगुवायी कर रहा है।
यहूदा का बड़ा परीवार वहाँ है।
जबूलून तथा नपताली के नेता वहाँ पर हैं।
समीक्षा
परमेश्वर की विजय
आज जैसे ही हम विश्वभर में देखते हैं, हम बहुत सी बुराई को देखते हैं – आई एस आई एस की आर्थिक क्रूरता, बोको हाराम और दूसरी बुरी शासन प्रणाली और संस्थाएँ.
यह भजन बुराई के ऊपर परमेश्वर की विजय का उत्सव मनाता है, और विशेष रूप से बुरे देश और साम्राज्य. आप परमेश्वर के मंदिर में परमेश्वर के विजयी प्रवेश को देखने के लिए आमंत्रित किए गए हैं. परमेश्वर ने विजय पायी है. सही ने दिन पर विजय पायी है. मानवीय घमंड और बढ़ा हुआ अक्खड़पन एक दिन दीन किया जाएगा, परमेश्वर के ऐश्वर्य के राज्य करने से पहले.
दाऊद एक विजय के उत्सव का वर्णन करते हैं, अपने शत्रुओं के ऊपर परमेश्वर की विजय का उत्सव मनाते हुएः'निश्चय परमेश्वर अपने शत्रुओं के सिर पर मार मार के उसे चूर करेगा...हे परमेश्वर, तेरी गति पवित्रस्थान में दिखाई दी है' (वव.21,24).
यहाँ पर आराधना करने वालों के समुदाय का एक चित्र दिखाई देता है जैसा कि इसे होना चाहिए, संगीतकार, गीतकार, डफली बजाने वाले और बहुत से, सभी परमेश्वर की स्तुति करते हुए – और उनके बीच में राजकुमार थे (वव.24-27).
प्रार्थना
परमेश्वर, मैं प्रार्थना करता हूँ कि हम आराधना में नई क्रांति देखें और हमारे देश के नेता महासभा में परमेश्वर की स्तुति करते हुए आराधना समुदायों में शामिल हों (व.26).
यूहन्ना 19:1-27
19तब पिलातुस ने यीशु को पकड़वा कर कोड़े लगवाये। 2 फिर सैनिकों ने कँटीली टहनियों को मोड़ कर एक मुकुट बनाया और उसके सिर पर रख दिया। और उसे बैंजनी रंग के कपड़े पहनाये। 3 और उसके पास आ-आकर कहने लगे, “यहूदियों का राजा जीता रहे” और फिर उसे थप्पड़ मारने लगे।
4 पिलातुस एक बार फिर बाहर आया और उनसे बोला, “देखो, मैं तुम्हारे पास उसे फिर बाहर ला रहा हूँ ताकि तुम जान सको कि मैं उसमें कोई खोट नहीं पा सका।” 5 फिर यीशु बाहर आया। वह काँटो का मुकुट और बैंजनी रंग का चोगा पहने हुए था। तब पिलातुस ने कहा, “यह रहा वह पुरुष।”
6 जब उन्होंने उसे देखा तो महायाजकों और मन्दिर के पहरेदारों ने चिल्ला कर कहा, “इसे क्रूस पर चढ़ा दो। इसे क्रूस पर चढ़ा दो।”
पिलातुस ने उससे कहा, “तुम इसे ले जाओ और क्रूस पर चढ़ा दो, मैं इसमें कोई खोट नहीं पा सक रहा हूँ।”
7 यहूदियों ने उसे उत्तर दिया, “हमारी व्यवस्था है जो कहती है, इसे मरना होगा क्योंकि इसने परमेश्वर का पुत्र होने का दावा किया है।”
8 अब जब पिलातुस ने उन्हें यह कहते सुना तो वह बहुत डर गया। 9 और फिर राजभवन के भीतर जाकर यीशु से कहा, “तू कहाँ से आया है?” किन्तु यीशु ने उसे उत्तर नहीं दिया। 10 फिर पिलातुस ने उससे कहा, “क्या तू मुझसे बात नहीं करना चाहता? क्या तू नहीं जानता कि मैं तुझे छोड़ने का अधिकार रखता हूँ और तुझे क्रूस पर चढ़ाने का भी मुझे अधिकार है।”
11 यीशु ने उसे उत्तर दिया, “तुम्हें तब तक मुझ पर कोई अधिकार नहीं हो सकता था जब तक वह तुम्हें परम पिता द्वारा नहीं दिया गया होता। इसलिये जिस व्यक्ति ने मुझे तेरे हवाले किया है, तुझसे भी बड़ा पापी है।”
12 यह सुन कर पिलातुस ने उसे छोड़ने का कोई उपाय ढूँढने का यत्न किया। किन्तु यहूदी चिल्लाये, “यदि तू इसे छोड़ता है, तो तू कैसर का मित्र नहीं है, कोई भी जो अपने आप को राजा होने का दावा करता है, वह कैसर का विरोधी है।”
13 जब पिलातुस ने ये शब्द सुने तो वह यीशु को बाहर उस स्थान पर ले गया जो “पत्थर का चबूतरा” कहलाता था। (इसे इब्रानी भाषा में गब्बता कहा गया है।) और वहाँ न्याय के आसन पर बैठा। 14 यह फ़सह सप्ताह की तैयारी का दिन था। लगभग दोपहर हो रही थी। पिलातुस ने यहूदियों से कहा, “यह रहा तुम्हारा राजा!”
15 वे फिर चिल्लाये, “इसे ले जाओ! इसे ले जाओ। इसे क्रूस पर चढ़ा दो!”
पिलातुस ने उनसे कहा, “क्या तुम चाहते हो तुम्हारे राजा को मैं क्रूस पर चढ़ाऊँ?”
इस पर महायाजकों ने उत्तर दिया, “कैसर को छोड़कर हमारा कोई दूसरा राजा नहीं है।”
16 फिर पिलातुस ने उसे क्रूस पर चढ़ाने के लिए उन्हें सौंप दिया।
यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना
इस तरह उन्होंने यीशु को हिरासत में ले लिया। 17 अपना क्रूस उठाये हुए वह उस स्थान पर गया जिसे, “खोपड़ी का स्थान” कहा जाता था। (इसे इब्रानी भाषा में “गुलगुता” कहते थे।) 18 वहाँ से उन्होंने उसे दो अन्य के साथ क्रूस पर चढ़ाया। एक इधर, दूसरा उधर और बीच में यीशु।
19 पिलातुस ने दोषपत्र क्रूस पर लगा दिया। इसमें लिखा था, “यीशु नासरी, यहूदियों का राजा।” 20 बहुत से यहूदियों ने उस दोषपत्र को पढ़ा क्योंकि जहाँ यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था, वह स्थान नगर के पास ही था। और वह ऐलान इब्रानी, यूनानी और लातीनी में लिखा था।
21 तब प्रमुख यहूदी नेता पिलातुस से कहने लगे, “‘यहूदियों का राजा’ मत कहो। बल्कि कहो, ‘उसने कहा था कि मैं यहूदियों का राजा हूँ।’”
22 पिलातुस ने उत्तर दिया, “मैंने जो लिख दिया, सो लिख दिया।”
23 जब सिपाही यीशु को क्रूस पर चढ़ा चुके तो उन्होंने उसके वस्त्र लिए और उन्हें चार भागों में बाँट दिया। हर भाग एक सिपाही के लिये। उन्होंने कुर्ता भी उतार लिया। क्योंकि वह कुर्ता बिना सिलाई के ऊपर से नीचे तक बुना हुआ था। 24 इसलिये उन्होंने आपस में कहा, “इसे फाड़ें नहीं बल्कि इसे कौन ले, इसके लिए पर्ची डाल लें।” ताकि शास्त्र का यह वचन पूरा हो:
“उन्होंने मेरे कपड़े आपस में बाँट लिये
और मेरे वस्त्र के लिए पर्ची डाली।”
इसलिए सिपाहियों ने ऐसा ही किया।
25 यीशु के क्रूस के पास उसकी माँ, मौसी क्लोपास की पत्नी मरियम, और मरियम मगदलिनी खड़ी थी। 26 यीशु ने जब अपनी माँ और अपने प्रिय शिष्य को पास ही खड़े देखा तो अपनी माँ से कहा, “प्रिय महिला, यह रहा तेरा बेटा।” 27 फिर वह अपने शिष्य से बोला, “यह रही तेरी माँ।” और फिर उसी समय से वह शिष्य उसे अपने घर ले गया।
समीक्षा
यीशु की विजय
क्या आप अपने जीवन में कठिन समयों से गुजरे हैं? शायद से अभी आप कठिन समयों के बीच में फँसे हैं और इस समय आपके जीवन में वस्तुएँ अच्छी नहीं दिखाई दे रही हैं. याद रखिये कि उनके सबसे महानतम विजय के समय यीशु के लिए यह अच्छा नहीं दिखाई दे रहा था.
मुझे याद है जब मैं फादर रेनिरो कैंटालामेसा से बात कर रहा था, जो पापल हाऊसहोल्ड के प्रचारक हैं, एक 'नये नास्तिक' के साथ जनता के साथ वाद-विवाद में भाग लेने से ठीक पहले. मैंने फादर रेनिरो से पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि वह जीतेंगे. उन्होंने जवाब दिया कि वे नहीं जानते हैं. उन्होंने कहा कि शायद से वह वाद-विवाद में हार जाएं. 'लेकिन', उन्होंने आगे कहा, 'हार में परमेश्वर की महिमा हो सकती है.'
यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना दिखाता है कि जो हार दिखाई देती है उसमें परमेश्वर की महिमा हो सकती है. यह यीशु की महानतम विजय का क्षण है.
तीन बार पिलातुस ने विरोध प्रकट किया कि यीशु निर्दोष थे (18:38;19:4-6), और दो बार उसने यीशु की मृत्यु की अनुमति देने से बचने की कोशिश की (19:12,14 भी देखें). लेकिन आखिर में वह करने में बहुत ही कमजोर पड़ गए जो कि उनका विवेक उन्हें करने के लिए कह रहा था. ' तब उसने उसे उनके हाथ सौंप दिया ताकि वह क्रूस पर चढ़ाया जाए' (व.16, एम.एस.जी.).
यीशु की मृत्यु पूरी तरह से उन पर निर्भर थी. वह हिलने के लिए मुक्त नहीं थे, वास्तव में केवल यीशु ही पूरी तरह से मुक्त थे. पिलातुस ने कहा, ' क्या तू नहीं जानता कि तुझे छोड़ देने का अधिकार मुझे है, और तुझे क्रूस पर चढ़ाने का भी मुझे अधिकार है' (व.10). यीशु ने जवाब दिया, ' यदि तुझे ऊपर से न दिया जाता, तो तेरा मुझ पर कुछ अधिकार न होता' (व.11, एम.एस.जी). विडंबना यह थी कि यीशु के पास पिलातुस के ऊपर पूरा अधिकार था.
यह बड़े अंधकार का समय था. यीशु को कोड़े मारे गए, काँटो का ताज उनके सिर पर रखा गया, उन्हें थप्पड़ लगाए गए, जब सैनिक यीशु को क्रूस पर चढ़ा चुके, तो उसके कपड़े लेकर चार भाग किए, हर सैनिक के लिए एक भाग, और कुरता भी लिया, परन्तु कुरता बिन सीअन ऊपर से नीचे तक बुना हुआ था. इसलिये उन्होंने आपस में कहा, 'हम इसको न फाड़ें, परन्तु इस पर चिट्ठी डालें कि यह किसका होगा.' यह इसलिये हुआ कि पवित्रशास्त्र में जो कहा गया वह पूरा हो, 'उन्होंने मेरे कपड़े आपस में बाँट लिये और मेरे वस्त्र पर चिट्ठी डाली (वव.23-24).
यूहन्ना भविष्यवाणी की परिपूर्णता और यीशु के राजसी होने पर जोर देते हैं. यीशु की जाँच और क्रूस पर चढ़ाए जाने के पूरे समय के दौरान, नियमित रूप से यह विषय चल रहा था कि क्या वह राजा है. सैनिकों ने एक मजाकिया राजा की तरह यीशु को कपड़े पहनाए और चिल्लाने लगे, 'जय हो, यहूदियों के राजा की' (व.3). पिलातुस कड़वी विडंबना के साथ घोषणा करते हैं, 'यह रहा तुम्हारा राजा' (व.14), और पूछते हैं, 'क्या मैं तुम्हारे राजा को क्रूस पर चढ़ाऊँ'? (व.15). महायाजक उत्तर देते हैं, ' कैसर को छोड़ हमारा और कोई राजा नहीं' (व.15), और पिलातुस ने एक चिह्न तैयार किया, यह बताते हुएः'यीशु नासरी, यहूदियों का राजा' (व.19).
जैस ही यीशु क्रूस पर चढ़ाये जाते हैं, वह कुछ और नजर आते हैं, लेकिन वह एक राजा हैं. उन पर ताना मारा जाता है और उनकी हँसी उड़ायी जाती है. फिर भी, विडंबना यह है कि जैसे ही पिलातुस नोटिस को तैयार करने का प्रबंध करते हैं (तीन भाषाओं में, ताकि हर कोई इसे पढ़ सके, व.20), परमेश्वर की योजनाएँ पूरी होती है, जो कि है संपूर्ण विश्व को बताना कि यीशु परमेश्वर का राजा है. वह प्रेम का राजा है, छिपा हुआ और शांत.
अपनी जाँच के दौरान, यीशु ने पिलातुस से कहा, 'तू सही कहता है कि मैं एक राजा हूँ' (18:37). किंतु, केसर की तरह नहीं, उनका राज्य 'इस विश्व का नहीं है' (व.36), क्योंकि यह एक अनंत स्वर्गीय राज्य है. यह अनंत राजा राज्य कर रहा है, रोमी शासन की सामर्थ के द्वारा नहीं, बल्कि क्रूस पर मृत्यु की दिखने वाली कमजोरी के द्वारा.
यीशु अंधकार, बुराई और पाप के ऊपर जय पा रहे हैं. कल हम उन महान वचनों को पढ़ेंगे, 'यह समाप्त हुआ' (19:30). यीशु ने अपने शरीर के ऊपर विश्व के पापों को लेकर जाने के कार्य को पूरा किया. विश्व के इतिहास में महानतम विजय पायी गई. यह अच्छाई की बुराई के ऊपर और जीवन की मृत्यु के ऊपर एक विजय है.
उनका जीवन एक भयानक असफलता दिखाई देता है. लगता है कि नफरत ने प्रेम पर जय पा ली है. लेकिन वास्तव में, विजय ने, जो देखने में असफल लगता है, वास्तव में वही विजयी हुआ और नये जीवन के एक स्त्रोत को खोल दिया, मानवजाति के लिए एक नये दर्शन और शांती और एकता के लिए एक नया मार्ग.
यदि आप इस समय अपने जीवन की परिस्थितियों के साथ संघर्ष कर रहे हैं, तो यीशु के नजदीक रहें और याद रखें कि हार में परमेश्वर की महिमा हो सकती है. हमारे जीवन में सबसे महान विजय प्राप्त होती है जब परिस्थितियॉं कठिन दिखाई देती हैं.
प्रार्थना
परमेश्वर आपका धन्यवाद क्योंकि आपकी विजय के कारण परमेश्वर हमेशा हमें मसीह में विजय के जुलूस में लेकर चलते हैं, और 'हमारे द्वारा हर जगह अपने ज्ञान की सुगंध को फैलाते हैं' (2कुरिंथियो 2:14).
1 शमूएल 26:1-28:25
दाऊद और अबीशै शाऊल के डेरे में प्रवेश करते हैं
26जीप के लोग शाऊल से मिलने गिबा गये। उन्होंने शाऊल से कहा, “दाऊद हकीला की पहाड़ी में छिपा है। यह पहाड़ी यशीमोन के उस पार है।”
2 शाऊल जीप की मरुभूमि में गया। शाऊल ने पूरे इस्राएल से अपने द्वारा चुने गए तीन हजार सैनिकों को लिया। शाऊल और ये लोग जीप की मरुभूमि में दाऊद को खोज रहे थे। 3 शाऊल ने अपना डेरा हकीला की पहाड़ी पर डाला। डेरा सड़क के किनारे यशीमोन के पार था।
दाऊद मरुभूमि में रह रहा था। दाऊद को पता लगा कि शाऊल ने उसका वहाँ पीछा किया है। 4 तब दाऊद ने अपने जासूसों को भेजा और दाऊद को पता लगा कि शाऊल हकीला आ गया है। 5 तब दाऊद उस स्थान पर गया जहाँ शाऊल ने अपना डेरा डाला था। दाऊद ने देखा कि शाऊल और अब्नेर वहाँ सो रहे थे। (नेर का पुत्र अब्नेर शाऊल की सेना का सेनापति था।) शाऊल डेरे के बीच सो रहा था। सारी सेना शाऊल के चारों ओर थी।
6 दाऊद ने हित्ती अहीमेलेक और यरूयाह के पुत्र अबीशै से बातें कीं। (अबीशै योआब का भाई था।) उसने उनसे कहा, “मेरे साथ शाऊल के पास उसके डेरे में कौन चलेगा?”
अबीशै ने उत्तर दिया, “मैं तुम्हारे साथ चलूँगा।”
7 रात हुई। दाऊद और अबीशे शाऊल के डेरे में गए। शाऊल डेरे के बीच में सोया हुआ था। उसका भाला उसके सिर के पास जमीन में गड़ा था। अब्नेर और दूसरे सैनिक शाऊल के चारों ओर सोए थे। 8 अबीशै ने दाऊद से कहा, “आज परमेश्वर ने तुम्हारे शत्रु को पराजित करने दिया है। मुझे शाऊल को उसके भाले से ही जमीन में टाँक देने दो। मैं इसे एक ही बार में कर दूँगा!”
9 किन्तु दाऊद ने अबीशै से कहा, “शाऊल को न मारो! जो कोई यहोवा के चुने राजा को मारता है वह अवश्य दण्डित होता है! 10 यहोवा शाश्वत है, अत: वह शाऊल को स्वयं दण्ड देगा। संभव है शाऊल स्वाभाविक मृत्यु प्राप्त करे या संभव है शाऊल युद्ध में मारा जाये। 11 किन्तु मैं प्रार्थना करता हूँ कि यहोवा मुझे अपने चुने हुए राजा को मुझसे चोट न पहुँचवाये। अब पानी के घड़े और भाले को उठाओ जो शाऊल के सिर के पास है। तब हम लोग चलें।”
12 इसलिए दाऊद ने भाले और पानी के घड़े को लिया जो शाऊल के सिर के पास थे। तब दाऊद और अबीशै ने शाऊल के डेरे को छोड़ दिया। किसी ने यह होते नहीं देखा। कोई व्यक्ति इसके बारे में न जान सका। कोई भी व्यक्ति जागा भी नहीं। शाऊल और उसके सैनिक सोते रहे क्योंकि यहोवा ने उन्हें गहरी नींद में डाल दिया था।
दाऊद शाऊल को फिर लज्जित करता है
13 दाऊद दूसरी ओर पार निकल गया। शाऊल के डेरे से घाटी के पार दाऊद पर्वत की चोटी पर खड़ा था। दाऊद और शाऊल के डेरे बहुत दूरी पर थे। 14 दाऊद ने सेना को और नेर के पुत्र अब्नेर को जोर से पुकारा, “अब्नेर मुझे उत्तर दो!”
अब्नेर ने पूछा, “तुम कौन हो? तुम राजा को क्यों बुला रहे हो?”
15 दाऊद ने उत्तर दिया, “तुम पुरुष हो। क्यों क्या तुम नहीं हो? और तुम इस्राएल में किसी भी अन्य व्यक्ति से बेहतर हो। क्यों यह ठीक है? तब तुमने अपने स्वामी राजा की रक्षा क्यों नहीं की? एक साधारण व्यक्ति तुम्हारे डेरे में तुम्हारे स्वामी राजा को मारने आया। 16 तुमने भयंकर भूल की। यहोवा शाश्वत है! अत: तुम्हें और तुम्हारे सैनिकों को मर जाना चाहिये। क्यों? क्योंकि तुमने अपने स्वामी यहोवा के चुने राजा की रक्षा नहीं की। शाऊल के सिर के पास भाले और पानी के घड़े की खोज करो। वे कहाँ हैं?”
17 शाऊल दाऊद की आवाज पहचानता था। शाऊल ने कहा, “मेरे पुत्र दाऊद, क्या यह तुम्हारी आवाज है?”
दाऊद ने उत्तर दिया, “मेरे स्वामी और राजा, हाँ, यह मेरी आवाज है?” 18 दाऊद ने यह भी पूछा, “महाराज, आप मेरा पीछा क्यों कर रहे हैं? मैंने कौन सी गलती की है? मैं क्या करने का अपराधी हूँ? 19 मेरे स्वामी और राजा, मेरी बात सुनें! यदि यहोवा ने आपको मेरे विरुद्ध क्रोधित किया है तो उसे एक भेंट स्वीकार करने दें। किन्तु यदि लोगों ने मेरे विरुद्ध आपको क्रोधित किया है तो यहोवा द्वारा उनके लिये कुछ बुरी आपत्ति आने दें। लोगों ने मुझे इस देश को छोड़ने पर विवश किया, जिसे यहोवा ने मुझे दिया है। लोगों ने मुझसे कहा, ‘जाओ विदेशियों के साथ रहो। जाओ अन्य देवताओं की पूजा करो।’ 20 मुझे अब यहोवा की उपस्थिति से दुर न मरने दो। इस्राएल का राजा एक मच्छर की खोज में निकला है। आप उस व्यक्ति की तरह हैं जो पहाड़ों में तीतर का शिकार करने निकला हो।”
21 तब शाऊल ने कहा, “मैंने पाप किया है। मेरे पुत्र दाऊद लौट आओ। आज तुमने दिखा दिया कि मेरा जीवन तुम्हारे लिये महत्व रखता है। इसलिये मैै तुम्हें चोट पहुँचाने का प्रयत्न नहीं करूँगा। मैंने मूर्खतापूर्ण काम किया है। मैंने एक भंयकर भूल की है।”
22 दाऊद ने उत्तर दिया, “राजा का भाला यह है। अपने किसी युवक को यहाँ आने दो और वह ले जाए। 23 यहोवा मनुष्यों के कर्म का फल देता है, यदि वह अच्छा करता है तो उसे पुरस्कार देता है, और वह उसे दण्ड देता है जो बुरा करता है। यहोवा ने आज मुझे आपको पराजित करने दिया, किन्तु मैं यहोवा के चुने हुए राजा पर चोट नहीं करूँगा। 24 आज मैंने आपको दिखा दिया कि आपका जीवन मेरे लिये महत्वपूर्ण है। इसी प्रकार यहोवा दिखायेगा कि मेरा जीवन उसके लिये महत्वपूर्ण है। यहोवा मेरी रक्षा हर एक आपत्ति से करेगा।”
25 शाऊल ने दाऊद से कहा, “मेरे पुत्र दाऊद, परमेश्वर तुम्हें आशीर्वाद दे। तुम महान कार्य करोगे और सफल होओगे।”
दाऊद अपनी राह गया, और शाऊल घर लौट गया।
दाऊद पलिश्तियों के साथ रहता है:
27किन्तु दाऊद ने अपने मन में सोचा, “शाऊल मुझे किसी दिन पकड़ लेगा। सर्वोत्तम बात मैं यही कर सकता हूँ कि पलिश्तियों के देश में बच निकलूँ। तब शाऊल मेरी खोज इस्राएल में बन्द कर देगा। इस प्रकार मैं शाऊल से बच निकलूँगा।”
2 इसलिए दाऊद और उसके छ: सौ लोगों ने इस्राएल छोड़ दिया। वे माओक के पुत्र आकीश के पास गए। आकीश गत का राजा था। 3 दाऊद, उसके लोग और उनके परिवार आकीश के साथ गत में रहने लगे। दाऊद के साथ उसकी दो पत्नियाँ थीं। वे यिज्रेली की अहीनोअम और कर्मेल की अबीगैल थी। अबीगैल नाबाल की विधवा थी। 4 लोगों ने शाऊल से कहा कि दाऊद गत को भाग गया है और शाऊल ने उसकी खोज बन्द कर दी।
5 दाऊद ने आकीश से कहा, “यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे अपने देश के नगरों में से एक में स्थान दे दें। मैं आपका केवल सेवक मात्र हूँ। मुझे वहाँ रहना चाहिये, आपके साथ यहाँ राजधानी नगर में नहीं।”
6 उस दिन आकीश ने दाऊद को सिकलग नगर दिया और तब से सिकलग सदा यहूदा के राजाओं का रहा है। 7 दाऊद पलिश्तियों के साथ एक वर्ष और चार महीने रहा।
दाऊद का आकीश राजा को बहकाना
8 दाऊद और उसके लोग अमालेकी तथा गशूर में रहने वाले लोगों के साथ युद्ध करने गये। दाऊद के लोगों ने उनको हराया और उनकी सम्पत्ति ले ली। लोग उस क्षेत्र में शूर के निकट तेलम से लेकर लगातार मिस्र तक रहते थे। 9 दाऊद उस क्षेत्र में लोगों से लड़ा। दाऊद ने किसी व्यक्ति को जीवित नहीं छोड़ा। दाऊद ने उनकी सभी भेड़ें, पशु, गधे, ऊँट और कपड़े लिये। तब वह इसे वापस आकीश के पास लाया।
10 दाऊद ने यह कई बार किया। हर बार आकीश पूछता कि वह कहाँ लड़ा और उन चीज़ों को कहाँ से लाया। दाऊद ने कहा, “मैं यहूदा के दक्षिणी भाग में लड़ा।” या “मैं यरहमेलियों के दक्षिणी भाग में लड़ा या मैं केनियों के दक्षिणी भाग में लड़ा।”
11 दाऊद गत में कभी जीवित स्त्री या पुरुष नहीं लाया। दाऊद ने सोचा, “यदि हम किसी व्यक्ति को जीवित रहने देते हैं तो वह आकीश से कह सकता है कि वस्तुतः मैंने क्या किया है।”
दाऊद ने पूरे समय, जब तक पलिश्तियों के देश में रहा, यही किया। 12 आकीश ने दाऊद पर विश्वास करना आरम्भ कर दिया। आकीश ने अपने आप सोचा, “अब दाऊद के अपने लोग ही उससे घृणा करते हैं। इस्राएली दाऊद से बहुत अधिक घृणा करते हैं। अब दाऊद मेरी सेवा करता रहेगा।”
पलिश्ती युद्ध की तैयारी करते हैं:
28बाद में पलिश्तियों ने अपनी सेना को इस्राएल के विरुद्ध लड़ने के लिये इकट्ठा किया। आकीश ने दाऊद से कहा, “क्या तुम समझते हो कि तुम्हें और तुम्हारे व्यक्तियों को इस्राएलियों के विरुद्ध मेरे साथ लड़ने जाना चाहिये?”
2 दाऊद ने उत्तर दिया, “निश्चय ही! तब आप स्वयं ही देखें कि मैं क्या कर सकता हूँ!”
आकीश ने कहा, “बहुत अच्छा, मैं तुम्हें अपना अंगरक्षक बनाऊँगा। तुम सदा मेरी रक्षा करोगे।”
शाऊल और स्त्री एन्दोर में
3 शमूएल मर गया था। सभी इस्राएलियों ने शमूएल की मृत्यु पर शोक मनाया था। उन्होंने शमूएल के निवास स्थान रामा में उसे दफनाया था।
इसके पहले शाऊल ने ओझाओं और भाग्यफल बताने वालों को इस्राएल छोड़ने को विवश किया था।
4 पलिश्तियों ने युद्ध की तैयारी की। वे शूनेम आए और उस स्थान पर उन्होंने अपना डेरा डाला। शाऊल ने सभी इस्राएलियों को इकट्ठा किया और अपना डेरा गिलबो में डाला। 5 शाऊल ने पलिश्ती सेना को देखा और वह भयभीत हो गया। उसका हृदय भय से धड़कने लगा। 6 शाऊल ने यहोवा से प्रार्थना की, किन्तु यहोवा ने उसे उत्तर नहीं दिया। परमेश्वर ने शाऊल से स्वप्न में बातें नहीं की। परमेश्वर ने उसे उत्तर देने के लिये ऊरीम का उपयोग भी नहीं किया और परमेश्वर ने शाऊल से बात करने के लिये भविष्यवक्ताओं का उपयोग नहीं किया। 7 अन्त में शाऊल ने अपने अधिकारियों से कहा, “मेरे लिये ऐसी स्त्री का पता लगाओ जो ओझा हो। तब मैं उससे पूछने जा सकता हूँ कि इस युद्ध में क्या होगा।”
उसके अधिकारियों ने उत्तर दिया, “एन्दोर में एक ओझा है।”
8 शाऊल ने भिन्न प्रकार के वस्त्र पहने। शाऊल ने यह इसलिये किया कि कोई व्यक्ति यह न जान सके कि वह कौन है। रात को वह अपने दो व्यक्तियों के साथ उस स्त्री से मिलने गया। शाऊल ने उस स्त्री से कहा, “प्रेत के द्वारा मुझे मेरा भविष्य बताओ। उस व्यक्ति को बुलाओ जिसका मैं नाम लूँ।”
9 किन्तु उस स्त्री ने शाऊल से कहा, “तुम जानते ही हो कि शाउल ने क्या किया है! उसने ओझाओं और भाग्यफल बताने वालों को इस्राएल देश छोड्ने को विवश किया है। तुम मुझे जाल में फँसाना और मार डालना चाहते हो।”
10 शाऊल ने यहोवा का नाम लिया और उस स्त्री से प्रतिज्ञा की, “निश्चय ही यहोवा शाश्वत है, अत: तुमको यह करने के लिये दण्ड नहीं मिलेगा।”
11 स्त्री ने पूछा, “तुम किसे चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये यहाँ बुलाऊँ?”
शाऊल ने उत्तर दिया, “शमूएल को बुलाओ”
12 और यह हुआ! स्त्री ने शमूएल को देखा और जोर से चीख उठी। उसने शाऊल से कहा “तुमने मुझे धोखा दिया! तुम शाऊल हो!”
13 राजा ने स्त्री से कहा, “तुम डरो नहीं! तुम क्या देख रही हो?”
उस स्त्री ने कहा, “मैं एक आत्मा को जमीन से निकल कर आती देख रही हूँ।”
14 शाऊल ने पूछा, “वह कैसा दिखाई पड़ता है?”
स्त्री ने उत्तर दिया, “वह लबादा पहने एक बूढ़े की तरह दिखाई पड़ता है।”
शाऊल ने समझ लिया कि वह शमूएल था। शाऊल ने प्रणाम किया। उसका माथा जमीन से जा लगा। 15 शमूएल ने शाऊल से कहा, “तुमने मुझे क्यों परेशान किया? तुमने मुझे ऊपर क्यों बुलाया?”
शाऊल ने उत्तर दिया, “मैं मुसीबत में हूँ! पलिश्ती मेरे विरुद्ध लड़ने आए हैं और परमेश्वर ने मुझे छोड़ दिया है। परमेश्वर अब मुझको उत्तर नहीं देगा। वह मुझे उत्तर देने के लिये नबी या स्वप्न का उपयोग नहीं करेगा। यही कारण है कि मैंने तुमको बुलाया। मैं चाहता हूँ कि तुम बताओ कि मैं क्या करूँ!”
16 शमूएल ने कहा, “यहोवा ने तुमको छोड़ दिया। अब वह तुम्हारे पड़ोसी (दाऊद) के साथ है। इसलिये तुम मुझको तंग क्यों करते हो? 17 यहोवा ने वही किया जो उसने करने को कहा था। उसने मेरा उपयोग तुम्हें इन चीजों को बताने के लिये किया। यहोवा तुम से राज्य छीन रहा है और उसने वह तुम्हारा राज्य तुम्हारे पड़ोसियों को दे रहा है। वह पड़ोसी दाऊद है। 18 तुमने यहोवा की आज्ञा का पालन नहीं किया। तुमने अमालेकियों को नष्ट नहीं किया और उन्हें नहीं दिखाया कि यहोवा उन पर कितना क्रोधित है। यही कारण है कि यहोवा ने तुम्हारे साथ आज यह किया है। 19 यहोवा तुम्हें और इस्राएल को पलिश्तियों को देगा। यहोवा इस्राएल की सेना को पलिश्तियों से पराजित करायेगा और कल तुम और तुम्हारे पुत्र यहाँ मेरे साथ होंगे!”
20 शाऊल तेजी से भूमि पर गिर पड़ा और वहाँ पड़ा रहा। शाऊल शमूएल द्वारा कही गई बातों से डरा हुआ था। शाऊल बहुत कमजोर भी था क्योंकि उसने उस पूरे दिन रात भोजन नहीं किया था।
21 स्त्री शाऊल के पास आई। उसने देखा कि शाऊल सचमुच भयभीत था। उसने कहा, “देखो, मैं आपकी दासी हूँ। मैंने आपकी आज्ञा का पालन किया है। मैंने अपने जीवन को ख़तरे में डाला और जो आपने कहा, किया। 22 अब कृपया मेरी सुनें। मुझे आपको कुछ भोजन देने दें। आपको अवश्य खाना चाहिये। तब आप में इतनी शक्ति आयेगी कि आप अपने रास्ते जा सकें।”
23 लेकिन शाऊल ने इन्कार किया। उसने कहा, “मैं खाऊँगा नहीं।”
शाऊल के अधिकारियों ने उस स्त्री का साथ दिया और उससे खाने के लिये प्रार्थना की। शाऊल ने उनकी बात सुनी। वह भूमि से उठा और बिस्तर पर बैठ गया। 24 उस स्त्री के घर में एक मोटा बछड़ा था। उसने शीघ्रता से बछड़े को मारा। उसने कुछ आटा लिया और उसे अपने हाथों से गूँदा। तब उसने बिना खमीर की कुछ रोटियाँ बनाईं। 25 स्त्री ने भोजन शाऊल और उसके अधिकारियों के सामने रखा। शाऊल और उसके अधिकारियों ने खाया। तब वे उसी रात को उठे और चल पड़े।
समीक्षा
दाऊद की विजय
दाऊद की विजय आसानी से प्राप्त नहीं हुई. जीवन में विजय मुश्किल से ही आसान होती है. सामान्यत वे बहुत सी कठिनाईयों और असफलताओं के बाद आती है.
शाऊल ने दाऊद से कहा, 'हे मेरे बेटे दाऊद, तू धन्य है! तू बड़े बड़े काम करेगा और तेरे काम सफल होंगे' (26:25).
यह देखना श्रासदी थी कि शाऊल कितना गिर चुके थे. एक समय पर वह आत्मा से भरे हुए परमेश्वर के जन थे, उस देश से बुराई को दूर कर रहे थे. अब वह उन्हीं भूत-सिद्धी करने वालो से सलाह लेते हैं जिन्हें उन्होने बाहर निकाल दिया था (अध्याय 28). फिर भी 19वाँ वचन बताता है कि पुराने नियम में भी मृत्यु के बाद जीवन के ज्ञान की शुरुवात थी, और जो कुछ उन्होंने किया था. उन सब के बावजूद, परमेश्वर ने शाऊल को बचाया -'कल तुम और तुम्हारा बेटा मेरे साथ होंगे' (28:19).
हम दाऊद के चरित्र के बदतर भाग को भी देखते हैं. वह पलिश्तियों के साथ मिल जाते हैं, धोखे से जीने लगते हैं और महिलाओं और बच्चों की हत्या करते हैं (अध्याय 27). जो वह कर रहे थे, उसे छिपाने के लिए उन्हें बहुत नीचे गिरना पड़ा. दाऊद के विषय में बाईबल जो चित्र बनाती है वह सिद्धता से बहुत दूर है, और फिर भी परमेश्वर दाऊद की गलतियों और असफलताओं के बावजूद महान रूप से उनका इस्तेमाल करते हैं.
दूसरी ओर, हम दाऊद को उनके सर्वश्रेष्ठ स्तर पर भी देखते हैं. दाऊद के पास अवसर था कि शाऊल से बदला ले, जो उसे मार डालने की कोशिश कर रहे थे. किंतु, दाऊद ने बदला लेना अस्वीकार कर दिया. वह शाऊल का बहुत आदर करते थे, क्योंकि वह अधिकार के पद पर थे.
वह कहते हैं, 'यहोवा के अभिषिक्त पर हाथ चलाकर कौन निर्दोष ठहर सकता है?...यहोवा न करे कि मैं अपना हाथ यहोवा के अभिषिक्त पर उठाऊँ' (26:9,11).
दाऊद शाऊल के प्रति ईमानदार और वफादार बने रहे, इस तथ्य के बावजूद कि शाउल उनकी हत्या करने की कोशिश कर रहे थे. दाऊद के उदाहरण पर चलिये और आपके ऊपर एक व्यक्ति के अधिकार को तोड़ने का प्रयास करते हुए पाप में जाना अस्वीकार कर दीजिए.
यहाँ तक कि शाऊल दाऊद की 'सत्यनिष्ठा और वफादारी' को मानते हैं (व.23). शाउल देखते हैं कि वह 'महान वस्तुओं को करेंगे और निश्चय ही विजयी होंगे' (व.25).
दाऊद का जीवन हमें सिखाता है कि शीघ्र सफलता और विजय की अपेक्षा न करें. अक्सर, परमेश्वर अज्ञात बनने, कठिनाई और यहॉं तक कि हार या असफलता के सालों के गुजरने के द्वारा हमें तैयार करते हैं. परीक्षा के इन समयों में, दाऊद की तरह, हमें बदला लेने का कार्य अवश्य ही नहीं करना चाहिए, बल्कि प्रेम, सम्मान और आदर के साथ काम करना चाहिए.
प्रार्थना
परमेश्वर आपका धन्यवाद क्योंकि आप हमारी बहुत सी गलतियों के बावजूद शक्तिशाली रूप से हमारा इस्तेमाल करते हैं. आपका धन्यवाद क्योंकि बुराई के ऊपर हमारी विजय, केवल क्रूस पर यीशु की विजय और उनके पुनरुत्थान के द्वारा संभव है.
पिप्पा भी कहते है
यूहन्ना 19:25-27
मैं कल्पना नहीं कर सकता हूँ कि यीशु की माता मरियम किस स्थिति से गुजर रही थी, जब वह अपने पुत्र को क्रूस पर मरता हुआ देख रही थी. यह बहुत बुरा है जब हमारा एक बच्चा अपना पैर तोड़ लेता है और एक ऑपरेशन करना पड़ता है. अपने बच्चों को कष्ट उठाते हुए देखना सबसे दर्दनाक चीज है. एक माँ के रूप में मरियम उत्साहित करती हैं, और माँ और पुत्र के बीच का प्रेम बहुत ही स्पर्शित करने वाला है.
अपने जीवन के सबसे कठिन समय में अपनी माँ के लिए यीशु की चिंता और प्रावधान, हमारे परिवार की देखभाल करने की महत्ता को स्मरण दिलाता है.
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संदर्भ
पॉल रिंकन, अपोलो 13: तबाही से विजय की ओर, (ऑनलाईन) http://news.bbc.co.uk/1/hi/sci/tech/8613766.stm \[last accessed December 2014\].
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
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