दिन 152

आपके पास परमेश्वर की ऊर्जा है

बुद्धि भजन संहिता 68:28-35
नए करार यूहन्ना 19:28-20:9
जूना करार 1 शमूएल 29:1-31:13

परिचय

विश्व में ऊर्जा समाप्त हो रही है – तेल, कोयला, गैस और इत्यादि. हम कैसे सुनिश्चित करें कि जीवन को बचाए रखने के लिए पर्याप्त ऊर्जा की आपूर्ति की जाती है? हमें यह ऊर्जा कहाँ पर मिलेगी? हंमे यह ऊर्जा कहाँ से मिलेगी? ऱम चिंतामय रूप से 'ऊपर से' सामर्थ को खोज रहे हैं –सूरज की सीमाहीन सामर्थ का उपयोग करने की कोशिश करते हुए.

हम सभी एक सी परेशानी का सामना करते हैं, भौतिक वातावरण के रूप में, लेकिन एक आत्मिक स्तर पर. हमारे पास एक चुनाव आता हैः क्या हम उस ऊर्जा को खोजे जिसकी हमें अपने लिए आवश्यकता है और हमारे विवेक के लिए स्रोतों को और हमारी व्यवसायी आत्मा के लिए, या हम 'ऊपर से' इसे खोजे, जी उठे मसीह से, जो कि सत्यनिष्ठा का सूरज है?

आज के लेखांश में हम परमेश्वर की ऊर्जा, सामर्थ और शक्ति के हद के विषय में कुछ देखते हैं. जबकि भौतिक स्तर पर हम सूरज की शक्ति के एक अंश का उपयोग करने में भी संघर्ष करते हैं, यीशु के पुनरूत्थान और पवित्र आत्मा के उपहार के द्वारा परमेश्वर ने आपको अपनी सीमाहीन ऊर्जा में पूर्ण पहुँच दी है.

बुद्धि

भजन संहिता 68:28-35

28 हे परमेश्वर, हमें निज शक्ति दिखा।
 हमें वह निज शक्ति दिखा जिसका उपयोग तूने हमारे लिए बीते हुए काल में किया था।
29 राजा लोग, यरूशलेम में तेरे मन्दिर के लिए
 निज सम्पति लायेंगे।
30 उन “पशुओं” से काम वांछित कराने के लिये निज छड़ी का प्रयोग कर।
 उन जातियों के “बैलो” और “गायों” को आज्ञा मानने वालें बना।
 तूने जिन राष्ट्रों को युद्ध में हराया
 अब तू उनसे चाँदी मंगवा ले।
31 तू उनसे मिस्र से धन मँगवा ले।
 हे परमेश्वर, तू अपने धन कूश से मँगवा ले।
32 धरती के राजाओं, परमेश्वर के लिए गाओं!
 हमारे स्वामी के लिए तुम यशगान गाओ!

33 परमेश्वर के लिए गाओ! वह रथ पर चढ़कर सनातन आकाशों से निकलता है।
 तुम उसके शक्तिशाली स्वर को सुनों!
34 इस्राएल का परमेश्वर तुम्हारे किसी भी देवों से अधिक बलशाली है।
 वह जो निज भक्तों को सुदृढ़ बनाता।
35 परमेश्वर अपने मन्दिर में अदृभुत है।
 इस्राएल का परमेश्वर भक्तों को शक्ति और सामर्थ्य देता है।

 परमेश्वर के गुण गाओ!

समीक्षा

यह कहाँ से आती है?

ऊर्जा, ताकत और सामर्थ परमेश्वर की ओर से आती है. इस भजन का अंत आत्मविश्वास के एक कथन के साथ होता है, जैसे ही दाऊद घोषणा करते हैं कि 'इस्राएल का परमेश्वर ही अपनी प्रजा को सामर्थ और शक्ति का देने वाला है. परमेश्वर धन्य हैं' (व.35). अद्भुत रूप से, परमेश्वर आपको अपनी सामर्थ और अपनी शक्ति देने का वायदा करते हैं.

दाऊद प्रार्थना करते हैं, 'तेरे परमेश्वर ने आज्ञा दी कि तुझे सामर्थ मिले; हे परमेश्वर, जो कुछ तू ने हमारे लिये किया है, उसे दृढ़ कर' (व.28). इसके विपरीत, वह कही और से सामर्थ को खोजने के प्रयास को नकारते हैं. वह विश्व की सामर्थ को एक बुरी शासन प्रणाली कहते हैं, 'वे चाँदी के टुकड़े लिए हुए प्रणाम करेंगे; जो लोग युद्ध से प्रसन्न रहते है; उनको उसने तितर बितर किया है' (व.30, एम.एस.जी.). फिर भी वह जानते हैं कि ऐसी सामर्थ 'परमेश्वर के सामने...प्रणाम करेगी' (व.31). दाऊद अपने खुद के अनुभव से जानते हैं कि परमेश्वर की सामर्थ उनकी सभी आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त से अधिक है.

प्रार्थना

धन्यवाद परमेश्वर, क्योंकि आप अपने लोगों को 'सामर्थ और शक्ति' देंगे. आज मुझे अपनी ऊर्जा, सामर्थ और शक्ति से भर दे.

नए करार

यूहन्ना 19:28-20:9

यीशु की मृत्यु

28 इसके बाद यीशु ने जान लिया कि सब कुछ पूरा हो चुका है। फिर इसलिए कि शास्त्र सत्य सिद्ध हो उसने कहा, “मैं प्यासा हूँ।” 29 वहाँ सिरके से भरा एक बर्तन रखा था। इसलिये उन्होंने एक स्पंज को सिरके में पूरी तरह डुबो कर हिस्सप अर्थात् जूफे की टहनी पर रखा और ऊपर उठा कर, उसके मुँह से लगाया। 30 फिर जब यीशु ने सिरका ले लिया तो वह बोला, “पूरा हुआ।” तब उसने अपना सिर झुका दिया और प्राण त्याग दिये।

31 यह फ़सह की तैयारी का दिन था। सब्त के दिन उनके शव क्रूस पर न लटके रहें क्योंकि सब्त का वह दिन बहुत महत्त्वपूर्ण था इसके लिए यहूदियों ने पिलातुस से कहा कि वह आज्ञा दे कि उनकी टाँगे तोड़ दी जाएँ और उनके शव वहाँ से हटा दिए जाए। 32 तब सिपाही आये और उनमें से पहले, पहले की और फिर दूसरे व्यक्ति की, जो उसके साथ क्रूस पर चढ़ाये गये थे, टाँगे तोड़ीं। 33 पर जब वे यीशु के पास आये, उन्होंने देखा कि वह पहले ही मर चुका है। इसलिए उन्होंने उसकी टाँगे नहीं तोड़ीं।

34 पर उनमें से एक सिपाही ने यीशु के पंजर में अपना भाला बेधा जिससे तत्काल ही खून और पानी बह निकला। 35 (जिसने यह देखा था उसने साक्षी दी; और उसकी साक्षी सच है, वह जानता है कि वह सच कह रहा है ताकि तुम लोग विश्वास करो।) 36 यह इसलिए हुआ कि शास्त्र का वचन पूरा हो, “उसकी कोई भी हड्डी तोड़ी नहीं जायेगी।” 37 और धर्मशास्त्र में लिखा है, “जिसे उन्होंने भाले से बेधा, वे उसकी ओर ताकेंगे।”

यीशु की अन्त्येष्टि

38 इसके बाद अरमतियाह के यूसुफ़ ने जो यीशु का एक अनुयायी था किन्तु यहूदियों के डर से इसे छिपाये रखता था, पिलातुस से विनती की कि उसे यीशु के शव को वहाँ से ले जाने की अनुमति दी जाये। पिलातुस ने उसे अनुमति दे दी। सो वह आकर उसका शव ले गया।

39 निकुदेमुस भी, जो यीशु के पास रात को पहले आया था, वहाँ कोई तीस किलो मिला हुआ गंधरस और एलवा लेकर आया। फिर वे यीशु के शव को ले गये 40 और (यहूदियों के शव को गाड़ने की रीति के अनुसार) उसे सुगंधित सामग्री के साथ कफ़न में लपेट दिया। 41 जहाँ यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था, वहाँ एक बगीचा था। और उस बगीचे में एक नयी कब्र थी जिसमें अभी तक किसी को रखा नहीं गया था। 42 क्योंकि वह सब्त की तैयारी का दिन शुक्रवार था और वह कब्र बहुत पास थी, इसलिये उन्होंने यीशु को उसी में रख दिया।

यीशु की कब्र खाली

20सप्ताह के पहले दिन सुबह अन्धेरा रहते मरियम मगदलिनी कब्र पर आयी। और उसने देखा कि कब्र से पत्थर हटा हुआ है। 2 फिर वह दौड़ कर शमौन पतरस और उस दूसरे शिष्य के पास जो (यीशु का प्रिय था) पहुँची। और उनसे बोली, “वे प्रभु को कब्र से निकाल कर ले गये हैं। और हमें नहीं पता कि उन्होंने उसे कहाँ रखा है।”

3 फिर पतरस और वह दूसरा शिष्य वहाँ से कब्र को चल पड़े। 4 वे दोनों साथ-साथ दौड़ रहे थे पर दूसरा शिष्य पतरस से आगे निकल गया और कब्र पर पहले जा पहुँचा। 5 उसने नीचे झुककर देखा कि वहाँ कफ़न के कपड़े पड़े हैं। किन्तु वह भीतर नहीं गया।

6 तभी शमौन पतरस भी, जो उसके पीछे आ रहा था, आ पहुँचा। और कब्र के भीतर चला गया। उसने देखा कि वहाँ कफ़न के कपड़े पड़े हैं 7 और वह कपड़ा जो गाड़ते समय उसके सिर पर था कफ़न के साथ नहीं, बल्कि उससे अलग एक स्थान पर तह करके रखा हुआ है। 8 फिर दूसरा, शिष्य भी जो कब्र पर पहले पहुँचा था, भीतर गया। उसने देखा और विश्वास किया। 9 (वे अब भी शास्त्र के इस वचन को नहीं समझे थे कि उसका मरे हुओं में से जी उठना निश्चित है।)

समीक्षा

यह किस प्रकार का है?

परमेश्वर आपको वही ऊर्जा, सामर्थ और शक्ति देते हैं जिसका उन्होंने यीशु को मरे हुओं में से जिलाने के लिए इस्तेमाल किया.

मुझे याद है जब मैं एक कॉन्फरेंस में चर्च के लीडर्स से बात कर रहा था. मैं हर दिन कई घंटो तक बातें कर रहा था और पूरी तरह से थका हुआ और कमजोर महसूस कर रहा था. अंतराल के दौरान, मैंने मैसेज बाईबल अनुवाद के इफीसियों 1:19-20 को खोलाः' और उसकी सामर्थ्य हम में जो विश्वास करते हैं, कितनी महान् है, उसकी शक्ति के प्रभाव के उस कार्य के अनुसार 20 जो उसने मसीह में किया कि उसको मरे हुओं में से जिलाकर स्वर्गीय स्थानों में अपनी दाहिनी ओर बैठाया.' मैंने ऊपर से पुन: ऊर्जा प्राप्ति का अनुभव किया.

इस लेखांश में, यूहन्ना बताते हैं कि यीशु सच में मर चुके थे. जब उन्होने उस काम को 'पूरा कर लिया था' (यूहन्ना 19:28अ) जिसे करने के लिए उन्हें दिया गया था, इसके द्वारा वचनों को पूरा करते हुए (व.28ब), वह चिल्ला उठे, 'यह पूरा हुआ.' और सिर झुकाकर प्राण त्याग (पॅराडोकन) दिए (व.30).

उनका अंतिम कार्य था आत्मा के उपहार को देना. वह अपनी आत्मा को देते है, जैसे ही बाद में वह अपने चेलों पर पूँकते हैं और उन्हें अपना आत्मा भी देते हैं.

क्रूस पर चढ़ाये जाने के द्वारा मृत्यु को व्यक्ति के पैरों को तोड़ने के द्वारा जल्दी किया जा सकता है. यीशु के मामले में, यह आवश्यक नहीं था, क्योंकि वह पहले ही मर चुके थे (व.33). 'इसके बजाय, सैनिकों में से एक ने बरछे से उसका पंजर बेधा, और उसमें से तुरन्त लहू और पानी निकला' (व.34). मृत्यु के समय लहू का थक्का और सीरम अलग हो जाता है, और यह लहू और पानी की तरह दिखाई देता है. यूहन्ना अच्छा चिकीत्सक प्रमाण प्रदान करते हैं कि यीशु सच में मर चुके थे.

हो सकता है कि वहाँ पर पहले से ऐसे लोग थे जो वाद-विवाद कर रहे थे कि यीशु वास्तव में मरे नहीं थे, लेकिन केवल ऐसा दिखाई दे रहा था. यह मत डोसेटिज्म के रूप में जाना जाता है. मोहम्मद डोसेटिज्म मत के द्वारा प्रभावित थे. कुरान बताती है, 'उन्होंने उसकी हत्या नहीं की, नाही उन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ाया; यह केवल ऐसा दिखाई देता था' (सुरा 4:157).

यूहन्ना बताते है कि यीशु सच में मर गए थे – वह मनोवैज्ञानिक प्रमाण देते है. वह यह भी दिखाते हैं कि यीशु की मृत्यु परमेश्वर की इच्छा के अनुसार थी जैसा कि वचन में प्रकट हैः'ये बातें इसलिये हुईं कि पवित्रशास्त्र में जो कहा गया वह पूरा हो, 'उसकी कोई हड्डी तोड़ी न जाएगी.' फिर एक और स्थान पर यह लिखा है, 'जिसे उन्होंने बेधा है, उस पर वे दृष्टि करेंगे' (यूहन्ना 19:36-37).

यीशु के पास में से बहते हुए लहू और पानी में, हम आशा के एक प्रतीक को देखते हैं. पानी आत्मा का प्रतीक है. यीशु के हृदय से बहता पानी, हम सभी को चंगा करेगा, शुद्ध करेगा और उर्जा देगा.

यीशु की देह सूती कपड़े में और 75 पाऊंड (34 किलो) मसालों में लिपटी हुई थी. यदि किसी ने देह को वहाँ से निकाला होगा, तो निश्चय ही उन्होने पहले वस्तुओं को निकाला होगा. कोई चोर कीमती वस्तुओं को छोड़कर नहीं जाएगा. निश्चित ही यीशु कब्र के कपड़ो को अपने आपसे नहीं निकाल सकते थे (मानवीय रूप से कहा जाए तो). फिर भी चेलों ने वहाँ पर ' कपड़े पड़े देखे; और वह अंगोछा जो उसके सिर से बन्धा हुआ था, कपडों के साथ पड़ा हुआ नहीं, परन्तु अलग एक जगह लपेट कर रखा हुआ देखा' (वव.6-7, एम.एस.जी.).

जैसा कि विलियम टेंपल, कॅन्टरबरी के पूर्व प्रधान बिशप ने बताया कि इस्तेमाल की गई भाषा असाधारण रूप से स्पष्ट है और ' कोई आविष्कार इसकी योजना नहीं कर सकता, कल्पना का कोई विचार इसे दिखा नहीं सकता है.'

इस प्रमाण से, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि जब चेलों ने देखा, तब उन्होंने विश्वास किया (20:8). इस समय पर किसी ने भी जी उठे यीशु को नहीं देखा था. फिर भी कब्र की अवस्था और यीशु की देह का वहाँ न मिलना, ये प्रमाण काफी थे उन्हें पुनरुत्थान के विषय में बताने के लिए.

उन्होंने विश्वास किया था कि यीशु पहले मसीहा था. लेकिन यह अलग था. उन्होंने 'देखा और विश्वास' किया कि परमेश्वर की सामर्थ और ऊर्जा ने यीशु को मृत्यु में से जीवित किया था. यीशु फिर से जीवित थे. यह अनपेक्षित सूर्यप्रकाश था. सर्दी का मौसम चला गया था. वसंतु ऋतु आ चुकी थी.

जब नया नियम परमेश्वर के प्रेम के बारे में बताता है, तब क्रूस पर ध्यान दिया गया है. जब नया नियम परमेश्वर की ऊर्जा, सामर्थ और शक्ति के बारे में बात करता है, तब पुनरुत्थान पर ध्यान दिया गया है (इफिसियों 1:19-20). हम सही सोचते हैं कि सामर्थ परमेश्वर की है. फिर भी हम आसानी से भूल जाते हैं कि परमेश्वर की सामर्थ 'हमारे लिए भी है जो कि विश्वास करते हैं' (व.19).

वही सामर्थ और ऊर्जा जिसने यीशु मसीह को मरे हुओं मे से जीवित किया अब आपमें रहती है.

प्रार्थना

परमेश्वर आपका धन्याद आपके अद्भुत प्रेम के लिए; कि आप मेरे लिए मरने के लिए तैयार थे. आपके पुनरुत्थान के लिए आपका धन्यवाद, और अब वही सामर्थ मेरे अंदर रहती है. मैं प्रार्थना करता हूँ कि आज आप मुझे उसी सामर्थ से भर दें.

जूना करार

1 शमूएल 29:1-31:13

“दाऊद हमारे साथ नहीं आ सकता है!”

29पलिश्तियों ने अपने सभी सैनिकों को आपे में इकट्ठा किया। इस्राएलियों ने चश्मे के पास यिज्रेल में डेरा डाला। 2 पलिश्ती शासक अपनी सौ एवं हजार पुरुषों की टुकड़ियों के साथ कदम बढ़ा रहे थे। दाऊद और उसके लोग आकीश के साथ कदम बढ़ाते हुए चल रहे थे।

3 पलिश्ती अधिकारियों ने पूछा, “ये हिब्रू यहाँ क्या कर रहे हैं?”

आकीश ने पलिश्ती अधिकारियों से कहा, “यह दाऊद है। दाऊद शाऊल के अधिकारियों में से एक था। दाऊद मेरे पास बहुत समय से है। मैं दाऊद में कोई दोष तब से नहीं देखता जब से इसने शाऊल को छोड़ा और मेरे पास आया।”

4 किन्तु पलिश्ती अधिकारी आकीश पर क्रोधित हुए। उन्होंने कहा, “दाऊद को वापस भेजो! दाऊद को उस नगर में वापस जाना चाहिये जिसे तुमने उसको दिया है। वह हम लोगों के साथ युद्ध में नहीं जा सकता। यदि वह यहाँ है तो हम अपने डेरे में अपने एक शत्रु को रखे हुए हैं। वह हमारे अपने आदमियों को मार कर अपने राजा (शाऊल) को प्रसन्न करेगा। 5 दाऊद वही व्यक्ति है जिसके लिये इस गाने में इस्राएली गाते और नाचते हैं:

“शाऊल ने हजारों शत्रुओं को मारा।
किन्तु दाऊद ने दसियों हजार शत्रुओं को मार!”

6 इसलिये आकीश ने दाऊद को बुलाया। आकीश ने कहा, “यहोवा शाश्वत है, तुम हमारे भक्त हो। मैं प्रसन्न होता कि तुम मेरी सेना में सेवा करते। जिस दिन से तुम मेरे पास आए हो, मैंने तुममें कोई दोष नहीं पाया है। पलिश्ती शासक भी समझते हैं कि तुम अच्छे व्यक्ति हो 7 शान्ति से लौट जाओ। पलिश्ती शासकों के विरुद्ध कुछ न करो।”

8 दाऊद ने पुछा, “मैंने क्या गलती की है? तुमने मेरे भीतर जब से मैं तुम्हारे पास आया तब से आज तक कौन सी बुराई देखी? मेरे प्रभु, राजा के शत्रुओं के विरुद्ध तुम मुझे क्यों नहीं लड़ने देते?”

9 आकीश ने उत्तर दिया, “मैं जानता हूँ कि मैं तुम्हें पसन्द करता हूँ। तुम परमेश्वर के यहाँ से स्वर्गदूत के समान हो। किन्तु पलिश्ती अधिकारी अब भी कहते हैं, ‘दाऊद हम लोगों के साथ युद्ध में नहीं जा सकता।’ 10 सवेरे भोर होते ही तुम और तुम्हारे लोग वापस जायेंगे। उस नगर को लौट जाओ जिसे मैंने तुम्हें दिया है। उन पर ध्यान न दो जो बुरी बातें अधिकारी लोग तुम्हारे बारे में कहते हैं। अत: ज्योंही सूर्य निकले तुम चल पड़ो।”

11 इसलिए दाऊद और उसके लोग सवेरे तड़के उठे। वे पलिश्तियों के देश में लौट गए और पलिश्ती यिज्रेल को गये।

अमालेकी सिकलग पर आक्रमण करते हैं

30तीसरे दिन, दाऊद और उसके लोग सिकलग पहुँच गए। उन्होंने देखा कि अमालेकियों ने सिकलग पर आक्रमण कर रखा है। अमालेकियों ने नेगव क्षेत्र पर आक्रमण कर रखा था। उन्होंने सिकलग पर आक्रमण किया था और नगर को जला दिया था। 2 वे सिकलग की स्त्रियों को बन्दी बना कर ले गए थे। वे जवान और बूढ़े सभी लोगों को ले गए थे। उन्होंने किसी व्यक्ति को मारा नहीं। वे केवल उनको लेकर चले गए थे।

3 दाऊद और उसके लोग सिकलग आए और उन्होंने नगर को जलते पाया। उनकी पत्नियाँ, पुत्र और पुत्रियाँ जा चुके थे। अमालेकी उन्हें ले गए थे। 4 दाऊद और उसकी सेना के अन्य लोग जोर से तब तक रोते रहे जब तक वे कमजोरी के कारण रोने के लायक नहीं रह गये। 5 आमालेकी दाऊद की दो पत्नियाँ यिज्रेल की अहीनोअम तथा कर्मेल के नाबाल की विधवा अबीगैल को ले गए थे।

6 सेना के सभी लोग दु:खी और क्रोधित थे क्योंकी उनकि पुत्र—पुत्रियाँ बन्दी बना ली गई थीं। वे पुरुष दाऊद को पत्थरों से मार डालने की बात कर रहे थे। इससे दाऊद बहुत घबरा गया। किन्तु दाऊद ने अपने यहोवा परमश्वर में शक्ति पाई। 7 दाऊद ने याजक एब्यातार से कहा, “एपोद लाओ।”

8 तब दाऊद ने यहोवा से प्रार्थना की, “क्या मुझे उन लोगों का पीछा करना चाहिए जो हमारे परिवारों को ले गये हैं? क्या मैं उन्हें पकड़ लूँगा।”

यहोवा ने अत्तर दिया, “उनका पीछा करो। तुम उन्हें पकड़ लोगे। तुम अपने परिवारों को बचा लोगे।”

दाऊद और उसके व्यक्ति मिस्री दासों को पकड़ते हैं

9 दाऊद ने अपने छ: सौ व्यक्तियों को साथ लिया और बसोर की घाटियों में गया। उनमें से कुछ लोग उसी स्थान पर ठहर गये। 10 लगभग दो सौ व्यक्ति ठहर गये क्योंकि वे अत्याधिक थके और कमजोर होने से जा नहीं सकते थे। इसलिए दाऊद और चार सौ व्यक्तियों ने अमालेकी का पीछा किया।

11 दाऊद के व्यक्तियों ने एक मिस्री को खेत में देखा। वे मिस्री को दाऊद के पास ले गये। उन्होंने पीने के लिये थोड़ा पानी और खाने के लिये भोजन दिया। 12 उन्होंने मिस्री को अंजीर की टिकिया और सूखे अगूँर के दो गुच्छे दिये। भोजन के बाद वह कुछ स्वस्थ हुआ। उसने तीन दिन और तीन रात से न कुछ खाया था, न ही पानी पीया था।

13 दाऊद ने मिस्री से पूछा, “तुम्हारा स्वामी कौन है? तुम कहाँ से आये हो?”

मिस्री ने उत्तर दिया, “मैं मिस्री हूँ। मैं एक अमालेकी का दास हूँ। तीन दिन पहले मैं बीमार पड़ गया और मेरे स्वामी ने मुझे छोड़ दिया। 14 हम लोगों ने नेगव पर आक्रमण किया जहाँ करेती रहते हैं। हम लोगों ने यहूदा प्रदेश पर आक्रमण किया और नेगव क्षेत्र पर भी जहाँ कालेब लोग रहते हैं। हम लोगों ने सिकलग को भी जलाया।”

15 दाऊद ने मिस्री से पूछा, “क्या तुम उन लोगों के पास हमें पहुँचाओगे जो हमारे परिवारों को ले गए हैं?”

मिस्री ने उत्तर दिया, “तुम परमेश्वर के सामने प्रतिज्ञा करो कि तुम मुझे न मारोगे, न ही मुझे मेरे स्वामी को दोगे। यदि तुम ऐसा करोगे तो मैं उनको पकड़वाने में तुम्हारी सहायता करूँगा।”

दाऊद अमालेकी को हराता है

16 मिस्री ने दाऊद को अमालेकियों के यहाँ पहुँचाया। वे चारों ओर जमीन पर मदिरा पीते और भोजन करते हुए पड़े थे। वे पलिश्तियों और यहूदा के प्रदेश से जो बहुत सी चीजें लाए थे, उसी से उत्सव मना रहे थे। 17 दाऊद ने उन्हें हराया और उनको मार डाला। वे सूरज निकलने के अगले दिन की शाम तक लड़े। अमालेकियों में से चार सौ युवकों के अतिरिक्त जो ऊँटों पर चढ कर भाग निकले, कोई बच न सका।

18 दाऊद को अपनी दोनों पत्नियाँ वापस मिल गईं। दाऊद ने वे सभी चीज़ें वापस पाईं जिन्हें अमालेकी ले आए थे। 19 कोई चीज नहीं खोई। उन्होंने सभी बच्चे और बूढ़ों को पा लिया। उन्होंने अपने सभी पुत्रों और पुत्रियों को प्राप्त किया। उन्हें अपनी कीमती चीज़ें भी मिल गईं। उन्होंने अपनी हर एक चीज वापस पाई जो अमालेकी ले गए थे। दाऊद हर चीज लौटा लाया। 20 दाऊद ने सारी भेड़ें और पशु ले लिये। दाऊद के व्यक्तियों ने इन जानवरों को आगे चलाया। दाऊद के लोगो ने कहा, “ये दाऊद के पुरस्कार हैं।”

सभी लोगों का भाग बराबर होगा

21 दाऊद वहाँ आया जहाँ दो सौ व्यक्ति बसोर की घाटियों में ठहरे थे। ये वे व्यक्ति थे जो अत्याधिक थके और कमजोर थे। अत: दाऊद के साथ नहीं जा सके थे। वे लोग दाऊद और उन सैनिकों का स्वागत: करने बाहर आये जो उसके साथ गये थे। बसोर की घाटियों में ठहरे व्यक्तियों ने दाऊद और उसकी सेना को बधाई दी जैसे ही वे निकट आए। 22 किन्तु जो टुकड़ी दाऊद के साथ गई थी उसमें कुछ बुरे और परेशानी उत्पन्न करने वाले व्यक्ति भी थे। उन परेशानी उत्पन्न करने वालों ने कहा, “ये दो सौ व्यक्ति हम लोगों के साथ नहीं गये। इसलिये जो चीजें हम लाये हैं उनमें से कुछ भी हम इन्हें नहीं देंगे। ये व्यक्ति केवल अपनी पत्नियाँ और बच्चों को ले सकते हैं।”

23 दाऊद ने उत्तर दिया, “नहीं, मेरे भाईयो ऐसा मत करो! इस विषय में सोचो कि यहोवा ने हमें क्या दिया है! यहोवा ने हम लोगों को उस शत्रु को पराजित करने दिया है जिसने हम पर आक्रमण किया। 24 जो तुम कहते हो उसे कोई नहीं सुनेगा। उन व्यक्तियों का हिस्सा भी, जो वितरण सामग्री के साथ ठहरे, उतना ही होगा जितना उनका जो युद्ध में गए। सभी का हिस्सा एक समान होगा।” 25 दाऊद ने इसे इस्राएल के लिये आदेश और नियम बना दिया। यह नियम अब तक लागू है और चला आ रहा है।

26 दाऊद सिकलग में आया। तब उसने उन चीजों में से, जो अमालेकियों से ली थीं, कुछ को अपने मित्रों यहूदा नगर के प्रमुखों के लिये भेजा। दाऊद ने कहा, “ये भेटें आप लोगों के लिये उन चीज़ों में से हैं जिन्हें हम लोगों ने यहोवा के शत्रुओं से प्राप्त कीं।”

27 दाऊद ने उन चीजों में से जो अमालेकियों से प्राप्त हुई थीं। कुछ को बेतेल के प्रमुखों, नेगेव के रामोत यत्तीर, 28 अरोएर, सिपमोत, एश्तमो, 29 राकाल, यरहमेलियों और केनियों के नगरों, 30 होर्मा, बोराशान, अताक, 31 और हेब्रोन को भेजा। दाऊद ने उन चीज़ों में से कुछ को उन सभी स्थानों के प्रमुखों को भेजा जहाँ दाऊद और उसके लोग रहे थे।

शाऊल की मृत्यु

31पलिश्ती इस्राएल के विरुद्ध लड़े, और इस्राएली पलिश्तियों के सामने से भाग खड़े हुए। बहुत से इस्राएली गिलबो पर्वत पर मारे गये। 2 पलिश्ती शाऊल और उसके पुत्रों से बड़ी वीरता से लड़े। पलिश्तियों ने शाऊल के पुत्रों योनातान, अबीनादाब और मल्कीश को मार डाला।

3 युद्ध शाऊल के विरुद्ध बहुत बुरा रहा। धनुर्धारियों ने शाऊल पर बाण बरसाये और शाऊल बुरी तरह घायल हो गया। 4 शाऊल ने अपने उस नौकर से, जो कवच ले कर चल रहा था, कहा, “अपनी तलवार निकालो और मुझे मार डालो। तब वे विदेशी मुझे चोट पहुँचाने और मेरा मजाक उड़ाने नहीं आएंगे।” किन्तु शाऊल के कवचवाहक ने ऐसा करना अस्वीकार कर दिया। शाऊल का सहायक बहुत भयभित था। इसलिये शाऊल ने अपनी तलवार ली और अपने को मार डाला।

5 कवचवाहक ने देखा कि शाऊल मर गया। इसलिये उसने भी अपनी तलवार से अपने को मार डाला। वह वहीं शाऊल के साथ मर गया। 6 इस प्रकार शाऊल, उसके तीन पुत्र और उसका कवचवाहक सभी एक साथ उस दिन मरे।

पलिश्ती शाऊल की मृत्यु से प्रसन्न हैं

7 इस्राएलियों ने जो घाटी की दूसरी ओर रहते थे, देखा, कि इस्राएली सेना भाग रही थी। उन्होंने देखा कि शाऊल और उसके पुत्र मर गए हैं। इसलिये उन इस्राएलियों ने अपने नगर छोड़े और भाग निकले। तब पलिश्ती आए और उन्होंने उन नगरों को ले लिया।

8 अगले दिन, पलिश्ती शवों से चीज़ें लेने आए। उन्होंने शाऊल और उसके तीनों पुत्रों को गिलबो पर्वत पर मरा पाया। 9 पलिश्तियों ने शाऊल का सिर काट लिया और उसका कवच ले लिया। वे इस समाचार को पलिश्ती लोगों और अपनी देवमूर्तियों के पूजास्थल तक ले गये। 10 उन्होंने शाऊल के कवच को आश्तोरेत के पूजास्थल में रखा। पलिश्तियों ने शाऊल का शव बेतशान की दीवार पर लटका दिया।

11 याबेश गिलाद के लोगों ने उन सभी कारनामों को सुना जो पलिश्तियों ने शाऊल के साथ किये। 12 इसलिये याबेश के सभी सैनिक बेतशान पहुँचे। वे सारी रात चलते रहे! तब उन्होंने शाऊल के शव को बेतशान की दीवार से उतारा। उन्होंने शाऊल के पुत्रों के शवों को भी उतारा। तब वे इन शवों को याबेश ले आए। वहाँ याबेश के लोगों ने शाऊल और उसके तीनों पुत्रों के शवों को जलाया। 13 तब इन लोगों ने शाऊल और उसके पुत्रों की अस्थियाँ लीं और याबेश में पेड़ के नीचे दफनायीं। तब याबेश के लोगों ने शोक मनाया। याबेश के लोगों ने सात दिन तक खाना नहीं खाया।

समीक्षा

हम इसे कैसे ग्रहण करते हैं?

क्या आप कभी थककर चूर महसूस करते हैं, धीरे धीरे क्षीण होने पर, यह नहीं जानते हुए कि कैसे आप उन सभी परेशानियों से सफलतापूर्वक निपट पायेंगे जिनका आप सामना कर रहे हैं?

परमेश्वर के लोगों के लिए यें भयानक समय थे. दाऊद अपने जीवन में धीरे –धीरे करके क्षीण हो रहे थे. उन्होंने अपने आपको ऐसी अवस्था में पाया था, जहाँ पर वह इस्राएल के विरूद्ध पलिश्तियों के लिए लड़ाई लड़ने वाले थे. लेकिन तभी, पलिश्तियों ने निर्णय लिया कि वे दाऊद को नहीं चाहते थे.

फिर उन्हें पता लगता है कि अमालेकियों ने उनके और उनके मनुष्यों की पत्नियों, बेटों और बेटियों को बंदी बना लिया है. परिणाम शोक और गुस्से का एक विस्फोटक मिश्रण है. 'और दाऊद बड़े संकट में पड़ा; क्योंकि लोग अपने बेटे-बेटियों के कारण बहुत शोकित होकर उस पर पथराव करने की चर्चा कर रहे थे' (वव.4-6).

लेकिन उनकी सभी परेशानियों के बीच में, 'दाऊद ने अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण करके हियाब बाँधा' (व.6ब, एम.एस.जी). यह दाऊद के जीवन में बदलाव का समय था. जो लाग दाऊद की तरह अपने गहरे संकट में परमेश्वर की ओर मुड़े, उन्होंने लगातार आश्चर्य किया है कि कैसे परमेश्वर ने शीघ्रता से उनकी मुसीबत को बदल दिया है.

जैसे ही मनुष्य युद्ध से लौट आए, उनके कुछ मनुष्य लूट के माल को उन लोगों को नहीं देना चाहते थे जो थकने के कारण लड़ाई में नही आ पाये थे (वव.21-22). लेकिन दाऊद पर्याप्त बुद्धिमान थे, उन्होंने ध्यान दिया कि हर कोई परमेश्वर के कार्य का एक भागीदार बने. उन्होंने जवाब दिया, 'हे मेरे भाइयों, तुम उस माल के साथ ऐसा न करने पाओगे जिसे यहोवा ने हमें दिया है...लड़ाई में जाने वाले का जैसा भाग हो, सामान के पास बैठे हुए का भी वैसा ही भाग होगा; दोनों एक ही समान भाग पाएँगे' (वव.23-24). जो लोग कम लुभावना काम करते हैं, वे उतने ही महत्वपूर्ण हैं जो सुर्खिया बनाते हैं.

जैसा कि हमने शाऊल और उसके पुत्र की मृत्यु के बारे में पढ़ा, यह स्पष्ट है कि वे कितने क्रूर विश्व में रह रहे थे. कि शिमशोन की तरह निंदा किए जाने को नकारने के लिए शाऊल स्वयं अपना जीवन ले लेते हैं. ऐसे खतरे और असभ्यता का सामना करने के कारण, दाऊद के लिए 'अपने परमेश्वर में भरोसे के साथ' अपने आपको मजबूत करना कितना आवश्यक रहा होगा.

दाऊद के उदाहरण के पीछे चलिये –अपने आपको मजबूत करते हुए परमेश्वर के साथ समय बिताईये, पुन ऊर्जा पाते हुए और पूरे हृदय से परमेश्वर पर भरोसा करते हुए, विश्वास करते हुए कि अपनी आत्मा के द्वारा वह आपके अंदर हैं और विश्वास करते हुए कि आप उनके द्वारा वह सब कर सकते हैं जो आपको करने की आवश्यकता है.

प्रार्थना

परमेश्वर आपका धन्यवाद क्योंकि चाहे हम सबसे निचले स्तर पर हो या बड़ी परीक्षा और चुनौतियों का सामना कर रहे हो या केवल जीवन के साधारण संघर्षों का सामना कर रहे हो, हम सभी अपने प्रभु परमेश्वर में सामर्थ और ऊर्जा को प्राप्त कर सकते हैं.

पिप्पा भी कहते है

यूहन्ना 19:39

नीकुदेमस को फिर से देखना और उसका कहना आगे जारी रहा, यह बहुत अच्छा है. यूहन्ना 3 में यीशु के साथ उसकी असली बातचीत ने अवश्य ही उस पर एक बड़ा प्रभाव बनाया होगा. यह केवल एक साधारण बातचीत होगी, लेकिन यहाँ पर वह खरीदे हुए यीशु के शव को ले रहा है, एक बड़ी कीमत पर, 75 पाउंड गंधरस और एलवा. किसी के साथ की गई बातचीत के प्रभाव के बारे में आप अनुमान नहीं लगा सकते हैं.

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संदर्भ

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