दिन 154

बेशुमार प्यार

बुद्धि भजन संहिता 69:1-12
नए करार यूहन्ना 21:1-25
जूना करार 2 शमूएल 2:8-3:21

परिचय

फ्रॅन्सिस चॅन की माँ का देहांत उन्हें जन्म देते समय हुआ था. वह एकमात्र प्रेम याद कर पा रहा था जो उसे अपने पिता से मिला था जो केवल तीस सैकेंड्स तक रहा था, जब वह नौ साल की उम्र में अपनी सौतेली माँ के अंतिम संस्कार में जा रहा था. जब वह बारह साल का था, तब उनके पिता भी चल बसे. फ्रॅन्सिस रोए, लेकिन उन्हें सुकून भी मिला.

फ्रॅन्सिस अब एक पासवान हैं. वह और उनकी पत्नी, लीसा के पाँच बच्चे हैं. जब उनके बच्चे पैदा हुए, तो अपने बच्चों के लिए प्यार और उनके प्यार के लिए उनकी मजबूत चाहत ने उनकी आँखें खोल दीं कि परमेश्वर हमसे कितना प्यार करते हैं और हमें चाहते हैं. उन्होंने कहा, 'इस अनुभव से मैं समझ पाया कि मेरे प्रति और उन्होंने पैदा किये हर एक व्यक्ति के प्रति परमेश्वर के महान प्रेम की तुलना में, अपने बच्चों के लिए मेरा प्यार बेहद धुंधला है..... मैं अपने बच्चों से बेहद प्यार करता हूँ.'

'क्रेज़ी लव' नामक किताब में वह लिखते हैं, 'बेशुमार प्यार का विचार परमेश्वर के साथ अपने संबंध से जुड़ा हुआ है. मैं जीवन भर लोगों से सुनते रहा कि 'परमेश्वर तुम से प्रेम करते हैं.' यह सबसे ज्यादा मूर्खतापूर्ण कथन हो सकता है कि संसार के अनंत सृष्टिकर्ता मुझ से बेशुमार प्रेम करते हैं. विश्वासियों में एक प्रतिक्रिया होनी चाहिये, उस प्यार के प्रति बेशुमार प्रतिक्रिया. क्या आप सच में समझते हैं कि परमेश्वर ने आपके लिए क्या किया है? यदि ऐसा है तो आपकी प्रतिक्रिया इतनी गुनगुनी क्यों है?

'जोश' शब्द का तात्पर्य है - गहरा प्रेम या जोशिला प्रेम (रोमियों 12:11). 'जोश' शब्द का शायद अच्छा और आधुनिक अनुवाद है – 'बेशुमार प्रेम करना'.

बुद्धि

भजन संहिता 69:1-12

‘कुमुदिनी’ नामक धुन पर संगीत निर्देशक के लिए दाऊद का एक भजन।

69हे परमेश्वर, मुझको मेरी सब विपतियों से बचा!
 मेरे मुँह तक पानी चढ़ आया है।
2 कुछ भी नहीं है जिस पर मैं खड़ा हो जाऊँ।
  मैं दलदल के बीच नीचे धँसता ही चला जा रहा हूँ।
 मैं नीचे धंस रहा हूँ।
  मैं अगाध जल में हूँ और मेरे चारों तरफ लहरें पछाड़ खा रही है। बस, मैं डूबने को हूँ।
3 सहायता को पुकारते मैं दुर्बल होता जा रहा हूँ।
  मेरा गला दु;ख रहा है।
 मैं बाट जोह रहा हूँ तुझसे सहायता पाने
  और देखते—देखते मेरी आँखें दु;ख रही है।
4 मेरे शत्रु! मेरे सिर के बालों से भी अधिक हैं।
  वे मुझसे व्यर्थ बैर रखते हैं।
 वे मेरे विनाश की जुगत बहुत करते हैं।
  मेरे शत्रु मेरे विषय में झूठी बातें बनातें हैं।
 उन्होंने मुझको झूठे ही चोर बताया।
  और उन वस्तुओं की भरपायी करने को मुझे विवश किया, जिनको मैंने चुराया नहीं था।
5 हे परमेश्वर, तू तो जानता है कि मैंने कुछ अनुचित नहीं किया।
 मैं अपने पाप तुझसे नहीं छिपा सकता।
6 हे मेरे स्वमी, हे सर्वशक्तिमान यहोवा, तू अपने भक्तों को मेरे कारण लज्जित मत होने दें।
 हे इस्राएल के परमेश्वर, ऐसे उन लोगों को मेरे लिए असमंजस में मत डाल जो तेरी उपासना करते हैं।
7 मेरा मुख लाज से झुक गया।
 यह लाज मैं तेरे लिए ढोता हूँ।
8 मेरे ही भाई, मेरे साथ यूँ ही बर्ताव करते हैं। जैसे बर्ताव किसी अजनबी से करते हों।
 मेरे ही सहोदर, मुझे पराया समझते है।
9 तेरे मन्दिर के प्रति मेरी तीव्र लगन ही मुझे जलाये डाल रही है।
 वे जो तेरा उपहास करते हैं वह मुझ पर आन पडा है।
10 मैं तो पुकारता हूँ और उपवास करता हूँ,
 इसलिए वे मेरी हँसी उड़ाते हैं।
11 मैं निज शोक दर्शाने के लिए मोटे वस्रों को पहनता हूँ,
 और लोग मेरा मजाक उड़ाते हैं।
12 वे जनता के बीच मेरी चर्चायें करतें,
 और पियक्कड़ मेरे गीत रचा करते हैं।

समीक्षा

परमेश्वर के भवन के प्रति बेशुमार प्रेम

दाऊद लिखते हैं, ‘क्योंकि मैं तेरे भवन के निमित्त जलते जलते भस्म हुआ,’ (v.9a). परमेश्वर के भवन से प्रेम करने का कारण यह था कि, यह परमेश्वर के लोगों के साथ उनकी उपस्थिति का प्रतीक था. मैसेज इस वचन में बेशुमार प्रेम का अर्थ समझाती है कि: 'क्योंकि मैं तुम से पागलों की तरह प्यार करता हूँ' (व9अ, एमएसजी).

ये शब्द शिष्यों द्वारा यीशु पर लागू होते हैं, जब वह मंदिर को शुद्ध करते हैं (यूहन्ना 2:17). परमेश्वर के भवन के प्रति बेशुमार प्रेम के कारण यीशु ने उन लोगों को वहाँ से भगा दिया जो आराधना स्थल से धन कमाने की कोशिश कर रहे थे और जो उन लोगों का फायदा उठा रहे थे जो परमेश्वर के करीब आना चाहते थे.

दाऊद परमेश्वर का नाम अप्रतिष्ठित करना नहीं चाहता था. वह नहीं चाहता था कि कोई उसके कारण अपमानित हो: ' जो तेरी बाट जोहते हैं, उनकी आशा मेरे कारण न टूटे' (भजनसंहिता 69:6). दाऊद की चिंता यही थी कि इससे परमेश्वर के भवन का नाम बदनाम न हो.

आज, परमेश्वर का भवन – मंदिर – मसीह और उसकी देह है, उसकी कलीसिया है (1 पतरस 2:5). चर्च के प्रति लगाव रखना कोई बुरी बात नहीं है. यह देखने के लिए जोशिले बनिये कि आज उनकी कलीसिया में परमेश्वर का नाम आदर पाए.

हाल ही में कई चर्चों का जोश देखकर मैं व्यक्तिगत रूप से प्रेरित हुआ हूँ. परमेश्वर के भवन के लिए बेहद जोश है – आराधना में उमंग, बातचीत में 'सीख', हर नए लोगों का अद्भुत रीति से स्वागत.

बेशुमार प्रेम, प्रेरक और संक्रामक है. आजकल हमें बेशुमार प्रेम करने वाले लोग बनने की जरूरत है.

प्रार्थना

प्रभु, आपके नाम के लिए और आपकी कलीसिया के लिए मुझे बेशुमार प्रेम से भर दीजिये.

नए करार

यूहन्ना 21:1-25

यीशु झील पर प्रकट हुआ

21इसके बाद झील तिबिरियास पर यीशु ने शिष्यों के सामने फिर अपने आपको प्रकट किया। उसने अपने आपको इस तरह प्रकट किया। 2 शमौन पतरस, थोमा (जो जुड़वाँ कहलाता था) गलील के काना का नतनएल, जब्दी के बेटे और यीशु के दो अन्य शिष्य वहाँ इकट्ठे थे। 3 शमौन पतरस ने उनसे कहा, “मैं मछली पकड़ने जा रहा हूँ।”

वे उससे बोले, “हम भी तेरे साथ चल रहे हैं।” तो वे उसके साथ चल दिये और नाव में बैठ गये। पर उस रात वे कुछ नहीं पकड़ पाये।

4 अब तक सुबह हो चुकी थी। तभी वहाँ यीशु किनारे पर आ खड़ा हुआ। किन्तु शिष्य जान नहीं सके कि वह यीशु है। 5 फिर यीशु ने उनसे कहा, “बालकों तुम्हारे पास कोई मछली है?”

उन्होंने उत्तर दिया, “नहीं।”

6 फिर उसने कहा, “नाव की दाहिनी तरफ़ जाल फेंको तो तुम्हें कुछ मिलेगा।” सो उन्होंने जाल फेंका किन्तु बहुत अधिक मछलियों के कारण वे जाल को वापस खेंच नहीं सके।

7 फिर यीशु के प्रिय शिष्य ने पतरस से कहा, “यह तो प्रभु है।” जब शमौन ने यह सुना कि वह प्रभु है तो उसने अपना बाहर पहनने का वस्त्र कस लिया। (क्योंकि वह नंगा था।) और पानी में कूद पड़ा। 8 किन्तु दूसरे शिष्य मछलियों से भरा हुआ जाल खेंचते हुए नाव से किनारे पर आये। क्योंकि वे धरती से अधिक दूर नहीं थे, उनकी दूरी कोई सौ मीटर की थी। 9 जब वे किनारे आए उन्होंने वहाँ दहकते कोयलों की आग जलती देखी। उस पर मछली और रोटी पकने को रखी थी। 10 यीशु ने उनसे कहा, “तुमने अभी जो मछलियाँ पकड़ी हैं, उनमें से कुछ ले आओ।”

11 फिर शमौन पतरस नाव पर गया और 153 बड़ी मछलियों से भरा हुआ जाल किनारे पर खींचा। जाल में यद्यपि इतनी अधिक मछलियाँ थी, फिर भी जाल फटा नहीं। 12 यीशु ने उनसे कहा, “यहाँ आओ और भोजन करो।” उसके शिष्यों में से किसी को साहस नहीं हुआ कि वह उससे पूछे, “तू कौन है?” क्योंकि वे जान गये थे कि वह प्रभु है। 13 यीशु आगे बढ़ा। उसने रोटी ली और उन्हें दे दी और ऐसे ही मछलियाँ भी दी।

14 अब यह तीसरी बार थी जब मरे हुओं में से जी उठने के बाद यीशु अपने शिष्यों के सामने प्रकट हुआ था।

यीशु की पतरस से बातचीत

15 जब वे भोजन कर चुके तो यीशु ने शमौन पतरस से कहा, “यूहन्ना के पुत्र शमौन, जितना प्रेम ये मुझ से करते हैं, तू मुझसे उससे अधिक प्रेम करता है?”

पतरस ने यीशु से कहा, “हाँ प्रभु, तू जानता है कि मैं तुझे प्रेम करता हूँ।”

यीशु ने पतरस से कहा, “मेरे मेमनों की रखवाली कर।”

16 वह उससे दोबारा बोला, “यूहन्ना के पुत्र शमौन, क्या तू मुझे प्रेम करता है?”

पतरस ने यीशु से कहा, “हाँ प्रभु, तू जानता है कि मैं तुझे प्रेम करता हूँ।”

यीशु ने पतरस से कहा, “मेरी भेड़ों की रखवाली कर।”

17 यीशु ने फिर तीसरी बार पतरस से कहा, “यूहन्ना के पुत्र शमौन, क्या तू मुझे प्रेम करता है?”

पतरस बहुत व्यथित हुआ कि यीशु ने उससे तीसरी बार यह पूछा, “क्या तू मुझसे प्रेम करता है?” सो पतरस ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, तू सब कुछ जानता है, तू जानता है कि मैं तुझसे प्रेम करता हूँ।”

यीशु ने उससे कहा, “मेरी भेड़ों को चरा। 18 मैं तुझसे सत्य कहता हूँ, जब तू जवान था, तब तू अपनी कमर पर फेंटा कस कर, जहाँ चाहता था, चला जाता था। पर जब तू बूढा होगा, तो हाथ पसारेगा और कोई दूसरा तुझे बाँधकर जहाँ तू नहीं जाना चाहता, वहाँ ले जायेगा।” 19 (उसने यह दर्शाने के लिए ऐसा कहा कि वह कैसी मृत्यु से परमेश्वर की महिमा करेगा।) इतना कहकर उसने उससे कहा, “मेरे पीछे चला आ।”

20 पतरस पीछे मुड़ा और देखा कि वह शिष्य जिसे यीशु प्रेम करता था, उनके पीछे आ रहा है। (यह वही था जिसने भोजन करते समय उसकी छाती पर झुककर पूछा था, “हे प्रभु, वह कौन है, जो तुझे धोखे से पकड़वायेगा?”) 21 सो जब पतरस ने उसे देखा तो वह यीशु से बोला, “हे प्रभु, इसका क्या होगा?”

22 यीशु ने उससे कहा, “यदि मैं यह चाहूँ कि जब तक मैं आऊँ यह यहीं रहे, तो तुझे क्या? तू मेरे पीछे चला आ।”

23 इस तरह यह बात भाईयों में यहाँ तक फैल गयी कि वह शिष्य नहीं मरेगा। यीशु ने यह नहीं कहा था कि वह नहीं मरेगा। बल्कि यह कहा था, “यदि मैं यह चाहूँ कि जब तक मैं आऊँ, यह यहीं रहे, तो तुझे क्या?”

24 यही वह शिष्य है जो इन बातों की साक्षी देता है और जिसने ये बातें लिखी हैं। हम जानते हैं कि उसकी साक्षी सच है।

25 यीशु ने और भी बहुत से काम किये। यदि एक-एक करके वे सब लिखे जाते तो मैं सोचता हूँ कि जो पुस्तकें लिखी जातीं वे इतनी अधिक होतीं कि समूची धरती पर नहीं समा पातीं।

समीक्षा

यीशु के प्रति 'बेशुमार प्यार'

तीसरी बार यीशु अपने शिष्यों के सामने प्रकट हुए थे (और मरियम मगदलीनी को मिलाकर चौथी बार प्रकट हुए थे) (व.14).

यीशु सामान्य दैनिक जीवन की साधरणता में प्रकट होते हैं. आपको अति विशिष्ट होने की जरूरत नहीं है. आप जहाँ हों यीशु आपसे वहीं मुलाकात करेंगे. पतरस मछली पकड़ रहा था. छ: शिष्य उनसे जुड़ चुके थे. यीशु उन्हें बताते हैं कि मछली कहाँ पकड़नी है और फिर उनके लिए नाश्ता भी तैयार करते हैं. यहाँ यीशु मृत्यु से जी उठे थे – जिनसे यह सारी सृष्टी उत्पन हुई है – वह अपने दोस्तों से कहते हैं, , ‘आओ, भोजन करो’ (व.12). परमेश्वर, जिन्होंने खुद को यीशु में प्रकट किया, वह जीवन दाता और आनंद दाता हैं!

जब यूहन्ना जान गए कि यह यीशु हैं, तो वह पतरस की ओर चिल्लाकर कहते हैं, 'यह प्रभु हैं!' (व.7अ). पतरस आनंद, जोश और उत्साह से इतना भर गये और उसने जल्दी से यीशु से मिलने की कोशिश की, 'इसलिये उस चेले ने जिस से यीशु प्रेम रखता था पतरस से कहा, यह तो प्रभु हैं: शिमौन पतरस ने यह सुनकर कि प्रभु हैं, कमर में अंगरखा कस लिया, क्योंकि वह नंगा था, और झील में कूद पड़ा’ (व.7ब).

कभी-कभी हम जोश और उत्साह में पागलों जैसी बातें कर बैठते हैं. लेकिन यीशु के लिए प्यार और उमंग से भरा हृदय महत्वपूर्ण है. पतरस की नजरें यीशु पर ही टिकी रहीं. बस वह यीशु के साथ ही रहना चाहता था.

नाश्ते के बाद पतरस के साथ यीशु की बातचीत में, हम देखते हैं कि यीशु से बेशुमार प्यार करना क्या होता है:

  1. उत्कृष्ट प्रेम

यीशु ने शिमौन से कहा, 'शिमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू सच में मुझसे इनसे भी ज्यादा प्रेम करता है? (व.15). 'इन से' का तात्पर्य उसके मछली पकड़ने के जाल या अन्य शिष्यों से भी हो सकता है. चाहें जो भी अर्थ हो, यीशु उसे इसलिए बुला रहे थे कि यीशु के लिए उसका प्रेम, एक उत्कृष्ट प्रेम हो. (यीशु उसे, उनसे उत्कृष्टता से प्रेम करने के लिए बुला रहे थे). यीशु के प्रति हमारा प्रेम, किसी दूसरी चीजों के लिए हमारे प्रेम से ज्यादा होना चाहिये.

पतरस का बेशुमार प्रेम, बिना किसी अवरोध के नहीं था. उसने यीशु का तीन बार इंकार किया था, इसलिए यीशु ने उसे अपने प्रेम की पुष्टी करने का तीन बार मौका दिया. पतरस, यीशु से तीन बार कहता है, 'मैं तुझ से प्रेम करता हूँ' (वव.15-17).

  1. बलिदानपूर्ण प्रेम

यीशु पतरस को इशारा करते हैं कि यीशु के लिए उसका प्रेम और उसका जोश और उनकी कलीसिया के लिए उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. अवश्य ही, इसमें पतरस की जान भी जा सकती थी. यीशु उससे कहते हैं, '"जब तू जवान था, तो अपनी कमर बान्धकर जहां चाहता था, वहां फिरता था; परन्तु जब तू बूढ़ा होगा, तो अपने हाथ लम्बे करेगा, और दूसरा तेरी कमर बान्धकर जहां तू न चाहेगा वहां तुझे ले जाएगा." उस ने इन बातों से पता दिया कि पतरस कैसी मृत्यु से परमेश्वर की महिमा करेगा' (वव.18-19). यह पतरस के बलिदान की भविष्यवाणी का सबूत है. यीशु के पीछे चलना एक जोखिमभरा कार्य है.

जब पतरस से यह कहा गया तो उसने मुड़कर यूहन्ना से अपने भविष्य के बारे में पूछा. यीशु के साथ इस घनिष्ठ पल में, पतरस यूहन्ना से अपनी तुलना करते हुए विचलित हो जाता है. यीशु उसे नम्रता से कहते हैं कि वह अपने काम पर ध्यान दे. जॉयस मेयर लिखती हैं, 'जब आपको दूसरों से अपनी तुलना या ईर्ष्या करने की इच्छा होती है, तो इस सुझाव को याद कीजिये!'

  1. सेवक का प्रेम

पतरस जितनी बार यीशु से कहता है कि, 'मैं तुझ से प्रीति रखता हूँ,' तो यीशु पतरस से कहते हैं, 'मेरे मेमनों को चरा.... मेरे भेड़ों की रखवाली कर.... मेरी भेड़ों को चरा' (वव.15-17). पतरस भेड़ों का मार्गदर्शन, पालन और जिम्मेदारी केवल तभी ले सकता है जब वह यीशु से प्रेम करता हो.

तब यीशु पतरस से बड़े साधारण रूप से कहते हैं, 'मेरे पीछे हो ले!' (व.19). यीशु के लिए यह बेशुमार प्रेम का मतलब है उनके प्रेम के उदाहरण का अनुसरण करना. यीशु ने सेविकाई के प्रेम का श्रेष्ठ उदाहरण दर्शाया. उन्होंने कहा, ' इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे' (15:13). जब उन्होंने शिष्यों के पैर धोए, तब उन्होंने सेवक के प्रेम का एक व्यवहारिक उदाहरण दिया यह लोगों की मदद करने की प्रतिबद्धता है, जिनसे हम आवश्यक रूप से आकर्षित होते हैं, यीशु के लिए उनके प्रेम को बढ़ाने के लिए, उन्हें नियंत्रित करने के प्रयास में नहीं बल्कि उन्हें आजाद करने के लिए.

यीशु आपको इसी तरह से प्रेम करने के लिए बुलाते हैं. दूसरों के प्रति प्रेम प्रदर्शित करने के द्वारा और उनकी भेड़ों को चराने, और उनकी देखभाल करने के लिए खुद को समर्पित करने के द्वारा आप यीशु के प्रति अपने प्रेम को दर्शाते हैं. पतरस यीशु से सर्वश्रेष्ठ प्रेम करने को तैयार था; वह कीमत चुकाने के लिए और उनके सेवक पूर्ण प्रेम का अनुसरण करने के लिए तैयार था. पतरस ने उनसे प्रेम किया था जिन्होंने धरती पर अपने छोटे से जीवन में इतने सारे कार्य किये थे कि, ' यदि वे एक एक करके लिखे जाते, तो मैं समझता हूँ, कि पुस्तकें जो लिखी जातीं वे जगत में भी न समातीं' (21:25).

प्रार्थना

प्रभु, मुझे पतरस के समान आपसे प्रेम करने में – आपसे बेशुमार प्रेम करने में मेरी मदद कीजिये. मुझे आपकी भेड़ों को चराने, उनकी देखभाल करने, और अंत तक आपके पीछे चलने के लिए चाहें जो भी कीमत चुकानी पड़े, उसके लिए तैयार होने में मेरी मदद कीजिये.

जूना करार

2 शमूएल 2:8-3:21

ईशबोशेत राजा होता है

8 नेर का पुत्र अब्नेर शाऊल की सेना का सेनापति था। अब्नेर शाऊल के पुत्र ईशबोशेत को महनैम ले गया। 9 उस स्थान पर अब्नेर ने ईशबोशेत को गिलाद, आशेर, यिज्रेल, एप्रैम और बिन्यामीन का राजा बनाया। ईशबोशेत सारे इस्राएल का राजा बन गया।

10 ईशबोशेत शाऊल का पुत्र था। ईशबोशेत चालीस वर्ष का था जब उसने इस्राएल पर शासन करना आरम्भ किया। उसने दो वर्ष तक शासन किया। किन्तु यहूदा का परिवार समूह दाऊद का अनुसरण करता था। 11 दाऊद हेब्रोन में यहूदा के परिवार समूह का राजा सात वर्ष छ: महीने तक रहा।

प्राणघातक मुकाबला

12 नेर का पुत्र अब्नेर और शाऊल के पुत्र ईशबोशेत के सेवकों ने महनैम को छोड़ा। वे गिबोन को गए। 13 सरूयाह का पुत्र योआब और दाऊद के सेवकगण भी गिबोन गए। वे अब्नेर और ईशबोशेत के सेवकों से, गिबोन के चश्मे पर मिले। अब्नेर की टोली हौज के एक ओर बैठी थी। योआब की टोली हौज के दूसरी ओर बैठी थी।

14 अब्नेर ने योआब से कहा, “हम लोग युवकों को खड़े होने दें और यहाँ एक मुकाबला हो जाने दो।”

योआब ने कहा, “हाँ, उनमें मुकाबला हो जाने दो।”

15 तब युवक उठे। दोनों टोलियों ने मुकाबले के लिए अपने युवकों को गिना। दाऊद के सैनिकों में से बारह युवक चुने गये। 16 हर एक युवक ने अपने शत्रु के सिर को पकड़ा और अपनी तलवार अन्दर भोंक दी। अत: युवक एक ही साथ गिर पड़े। यही कारण है कि वह स्थान “तेज चाकुओं का खेत” कहा जाता है। यह स्थान गिबोन में है। 17 उस दिन मुकाबला भयंकर युद्ध में बदल गया। दाऊद के सेवकों ने अब्नेर और इस्राएलियों को हरा दिया।

अब्नेर असाहेल को मार डालता है

18 सरूयाह के तीन पुत्र थे, योआब, अबीश और असाहेल। असाहेल तेज दौड़ने वाला था। वह जंगली हिरन की तरह तेज दौड़ता था। 19 असाहेल ने अब्नेर का पीछा किया। असाहेल सीधे अब्नेर की ओर दौड़ गया। 20 अब्नेर ने मुड़कर देखा और पूछा, “क्या तुम असाहेल हो?”

असाहेल ने कहा, “मैं हूँ।”

21 अब्नेर असाहेल को चोट नहीं पहुँचाना चाहता था। तब अब्नेर ने असाहेल से कहा, “मेरा पीछा करना छोड़ो अपनी दायीं या बाईं ओर मुड़ो और युवकों में से किसी एक की क्वच अपने लिये ले लो।” किन्तु असाहेल ने अब्नेर का पीछा करना छोड़ने से इन्कार कर दिया।

22 अब्नेर ने असाहेल से फिर कहा, “मेरा पीछा करना छोड़ो। यदि तुम पीछा करना नहीं छोड़ते तो मैं तुमको मार डालूँगा। यदि मैं तुम्हें मार डालूँगा तो मैं फिर तुम्हारे भाई योआब का मुख नहीं देख सकूँगा।”

23 किन्तु असाहेल ने अब्नेर का पीछा करना नहीं छोड़ा। इसलिये अब्नेर ने अपने भाले के पिछले भाग का उपयोग किया और असाहेल के पेट में उसे घुसेड़ दिया। भाला असाहेल के पेट में इतना गहरा धँसा कि वह उसकी पीठ से बाहर निकल आया। असाहेल वहीं तुरन्त मर गया।

योआब और अबीश अब्नेर का पीछा करते हैं

असाहेल का शरीर जमीन पर गिर पड़ा। लोग उस के पास दौड़कर गये, और रुक गए। 24 किन्तु योआब और अबीश ने अब्नेर का पीछा करना जारी रखा। जिस समय वे अम्मा पहाड़ी पर पहुँचे सूर्य डूब रहा था। (अम्मा पहाड़ी गीह के सामने गिबोन मरुभूमि के रास्ते पर थी।) 25 बिन्यामीन परिवार समूह के लोग अब्नेर के पास आए। वे सभी एक साथ पहाड़ी की चोटी पर खड़े हो गए।

26 अब्नेर ने चिल्लाकर योआब को पुकारा। अब्नेर ने कहा, “क्या हमें लड़ जाना चाहिये और सदा के लिये एक दूसरे को मार डालना चाहिये? निश्चय ही तुम जानते हो कि इसका अन्त केवल शोक होगा। लोगों से कहो कि अपने ही भाईयों का पीछा करना बन्द करें।”

27 तब योआब ने कहा, “यह तुमने जो कहा वह ठीक है। यहोवा शाश्वत है, यदि तुमने कुछ कहा नहीं होता तो लोग अपने भाइयों का पीछा सवेरे तक भी करते रहते।” 28 तब योआब ने एक तुरही बजाई और उसके लोगों ने इस्राएलियों का पीछा करना बन्द किया। उन्होंने और आगे इस्राएलियों से लड़ने का प्रयत्न नहीं किया।

29 अब्नेर और उसके लोग यरदन घाटी से होकर रात भर चले। उन्होंने यरदन घाटी को पार किया। वे पूरे दिन चलते रहे और महनैम पहुँचे।

30 योआब अब्नेर का पीछा करना बन्द करने के बाद अपनी सेना मे वापस लौट गया। जब योआब ने लोगों को इकट्ठा किया, दाऊद के उन्नीस सेवक लापता थे। असाहेल भी लापता था। 31 किन्तु दाऊद के सेवकों ने बिन्यामीन परिवार समूह के तीन सौ साठ सदस्यों को, जो अब्नेर का अनुसरण कर रहे थे, मार डाला था। 32 दाऊद के सेवकों ने असाहेल को लिया और उसे बेतलेहेम में उसके पिता के कब्रिस्तान में दफनाया।

योआब और उसके व्यक्ति रात भर चलते रहे। जब वे हेब्रोन पहुँचे तो सूरज निकला।

इस्राएल और यहूदा के बीच युद्ध

3शाऊल के परिवार और दाऊद के परिवार में लम्बे समय तक युद्ध चलता रहा। दाऊद अधिकाधिक शक्तिशाली होता गया। और शाऊल का परिवार कमजोर पर कमजोर होता गाय।

दाऊद के छ: पुत्र हेब्रोन में उत्पन्न हुए

2 दाऊद के ये छ: पुत्र हेब्रोन में उत्पन्न हुए थे:

प्रथम पुत्र अम्नोन था। अम्नोन की माँ यिज्रेल की अहीनोअम थी।

3 दूसरा पुत्र किलाब था। किलाब की माँ कर्मेल के नाबाल की विधवा अबीगैल थी।

तीसरा पुत्र अबशालोम था। अबशालोम की माँ गशूर के राजा तल्मैं की पुत्री माका थी।

4 चौथा पुत्र अदोनिय्याह था। अदोनिय्याह की माँ हग्गीत थी।

पाँचवा पुत्र शपत्याह था। शपत्याह की माँ अबीतल थी।

5 छठा पुत्र यित्राम था। यित्राम की माँ दाऊद की पत्नी एग्ला थी।

दाऊद के ये छ: पुत्र हेब्रोन में उत्पन्न हुए।

अब्नेर दाऊद से मिल जाने का निर्णय करता है

6 जिस समय शाऊल परिवार तथा दाऊद परिवार में युद्ध चल रहा था, अब्नेर ने अपने को शाऊल की सेना में शक्तिशाली बना लिया। 7 शाऊल की दासी रिस्पा नाम की थी। रिस्पा अय्या की पुत्री थी। ईशबोशेत ने अब्नेर से कहा, “तुम मेरे पिता की दासी के साथ शारीरिक सम्बन्ध क्यों करते हो?”

8 अब्नेर, ईशबोशेत ने जो कुछ कहा, उस से बहुत क्रोधित हुआ। अब्नेर ने कहा, “मैं शाऊल और उसके परिवार का भक्त रहा हूँ। मैंने तुम को दाऊद को नहीं दिया, मैंने तुमको उसे हराने नहीं दिया। मैं यहूदा के लिये काम करने वाला देशद्रोही नहीं हूँ। किन्तु अब तुम कह रहे हो कि मैंने यह बुराई की। 9-10 मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि अब परमेश्वर ने जो कहा है वही होगा। यहोवा ने कहा कि वह शाऊल के परिवार के राज्य को ले लेगा और इसे दाऊद को देगा। यहोवा दाऊद को यहूदा और इस्राएल का राजा बनायेगा। वह दान से लेकर बेर्शेबा तक शासन करेगा। परमश्वर मेरे साथ बुरा करे यदि मैं वैसा होने में सहायता नहीं करता।” 11 ईशबोशेत अब्नेर से कुछ भी नहीं कह सका। ईशबोशेत उससे बहुत अधिक भयभीत था।

12 अब्नेर ने दाऊद के पास दूत भेजे। अब्नेर ने कहा, “तुम इस देश पर शासन करो। मेरे साथ एक शन्धि करो और मैं तुमको पूरे इस्राएल के लोगों का शासक बनने में सहायता करूँगा।”

13 दाऊद ने उत्तर दिया, “ठीक है! मैं तुम्हारे साथ सन्धि करुँगा। किन्तु तुमसे मैं केवल एक बात कहता हूँ कि जब तुम मुझसे मिलने आओ तब शाऊल की पुत्री मीकल को अवश्य लाना।”

14 दाऊद ने शाऊल के पुत्र ईशबोशेत के पास दूत भेजे। दाऊद ने कहा, “मेरी पत्नी मीकल को मुझे वापस करो। मैंने उसे पाने के लिये सौ पलिश्तियों को मारा था।”

15 तब ईशबोशेत ने उन लोगों से कहा कि वह लैश के पुत्र पलतीएल नामक व्यक्ति के पास से मीकल को ले आए। 16 मीकल का पति पलतीएल मीकल के साथ गया। वह बहूरीम नगर तक मीकल के पीछे—पीछे रोता हुआ गया। किन्तु अब्नेर ने पलितीएल से कहा, “घर लौट जाओ।” इसलिये पलतीएल घर लौट गया।

17 अब्नेर ने इस्राएल के प्रमुखों को यह सन्देश भेजा। उसने कहा, “आप लोग दाऊद को अपना राजा बनाने के इच्छुक थे। 18 अब इसे करें! यहोवा दाऊद के बारे में कह रहा था जब उसने कहा था, ‘मैं अपने इस्राएली लोगों को पलिश्तियों और उनके अन्य सभी शत्रुओं से बचाऊँगा। मैं यह अपने सेवक दाऊद द्वारा करूँगा।’”

19 अब्नेर ने ये बातें बिन्यामीन के परिवार समूह के लोगों से कहीं। अब्नेर ने जो कुछ कहा वह बिन्यामीन परिवार के लोगों तथा इस्राएल के सभी लोगों को अच्छा लगा। अत: अब्नेर ने हेब्रोन में दाऊद से वे सभी बातें बतायीं, जिसे करने में इस्राएल के लोग तथा बिन्यामीन परिवार के लोग सहमत थे।

20 जब अब्नेर दाऊद के पास हेब्रोन आया। वह अपने साथ बीस लोगों को लाया। दाऊद ने अब्नेर को और उसके साथ आए सभी लोगों को दावत दी।

21 अब्नेर ने दाऊद से कहा, “स्वामी, मेरे राजा, मैं जाऊँगा और सभी इस्राएलियों को आपके पास लाऊँगा। तब वे आपके साथ सन्धि करेंगे, और आप पूरे इस्राएल पर शासन करेंगे जैसा आप चाहते हैं।”

तब दाऊद ने अब्नेर को विदा किया और अब्नेर शान्तिपूर्वक गया।

समीक्षा

एकता के लिए 'बेशुमार प्रेम'

शाउल की मृत्यु के बाद इस्राएल और यहूदा अलग-अलग हो गए. ' तब अब्नेर योआब को पुकार के कहने लगा, क्या तलवार सदा मारती रहे? क्या तू नहीं जानता कि इसका फल दु:खदाई होगा? ' (2:26). इस रोने में बहुत ही आधुनिक चक्र है, जैसाकि हम मध्य अरब में लगातार आतंक और विभाजन देख रहे हैं.

' बहुत दिन तक लड़ाई होती रही' (3:1), 'तब अब्नेर ने उसके नाम से दाऊद के पास दूतों से कहला भेजा, कि देश किस का है?' (व.12). फिर से, आज भी यह सवाल किया जा रहा है.

अब्नेर ने यह भी कहला भेजा, कि 'तू मेरे साथ वाचा बान्ध, और मैं तेरी सहायता करुंगा कि समस्त इस्राएल के मन तेरी ओर फेर दूं' (व.12). आखिरकार ऐसा ही हुआ और कम से कम थोड़े समय के लिए देश ने आनंद मनाया.

विभाजन बहुत ही विनाशकारक है. आजकल हम मध्य अरब में देखते हैं. आजकल हम चर्चों में देखते हैं. हमें एकता के लिए इच्छा करनी चाहिये.

प्रार्थना

प्रभु, मैं मध्य अरब में शांति और न्यायपूर्ण समाधान के लिए प्रार्थना करता हूँ. आज मैं आपके चर्चों में शांति और एकता के लिए भी प्रार्थना करता हूँ. शांति, एकता और मेल मिलाप के प्रति प्रयास करने में मेरी मदद कीजिये.

पिप्पा भी कहते है

2 शमूएल 3:14–16

'फिर दाऊद ने शाऊल के पुत्र ईशबोशेत के पास दूतों से यह कहला भेजा, कि मेरी पत्नी मीकल, जिसे मैं ने एक सौ पलिश्तियों की खलडिय़ां देकर अपनी कर लिया था, उसको मुझे दे दे। तब ईशबोशेत ने लोगों को भेज कर उसे लैश के पुत्र पलतीएल के पास से छीन लिया। और उसका पति उसके साथ चला, और बहूरीम तक उसके पीछे रोता हुआ चला गया। तब अब्नेर ने उस से कहा, लौट जा; और वह लौट गया.'

मैं जानती हूँ कि मीकल कानूनी तौर पर दाऊद की मंगेतर थी, लेकिन मैं यकीन से नहीं कह सकती कि यह पादरी संबंधी सबसे उचित निर्णय था. बेचारा उसका पति सच में निराश हो गया था. मीकेल से राय नहीं ली गई थी और दाऊद को एक और पत्नी की जरूरत नहीं थी, क्योंकि पहले से ही उसकी छ: पत्नियाँ थीं (2 शमूएल 3:2-5). यदि उसे पलतीएल के साथ छोड़ दिया जाता, तो वह ज्यादा खुश होती.

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संदर्भ

फ्रॅन्सिस चॅन, क्रेज़ी लव, (डॅविड सी. कुक, पहला संस्करण, 2009) पप. 54-55,179

जॉयस मेयर, द एवरीडे लाइफ बाइबल, (होडर एंड स्टाउटन, 2006)

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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