कृपा
परिचय
स्टीव स्जोग्रेन ने कॉन्सिपोरेंसी ऑफ काइंडनेस नामक एक किताब लिखी. उन्होंने कहा कि सिसिनाती में एक चर्च, ओहिये, 7500 लोगों की औसत उपस्थिति के साथ तेजी से बढ़ा. उनका उद्देश्य है, 'महान प्रेम से की गई छोटी छोटी बातें दुनिया को बदल रही हैं.' वे हमारे कृपा के कार्यों को ले जा रही हैं जैसे अजनबी के लिए कॉफी के पैसे देना या एक दुकान में सहायक के लिए 'धन्यवाद' का एक नोट लिखना.
व्यवहारिक रूप से परमेश्वर का प्रेम जताना, उन्होंने कृपा की सामर्थ को उनके जीवन में और उनके आसपास के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हुए पाया है. जब कृपा व्यक्त की जाती है, तो स्वस्थ संबंध बनते हैं, सामाजिक संबंध बढ़ते हैं और लोग कृपा फैलाने के लिए प्रेरित होते हैं.
भजन संहिता 70:1-5
लोगों को याद दिलाने के लिये संगीत निर्देशक को दाऊद का एक पद।
70हे परमेश्वर, मेरी रक्षा कर!
हे परमेश्वर, जल्दी कर और मुझको सहारा दे!
2 लोग मुझे मार डालने का जतन कर रहे हैं।
उन्हें निराश
और अपमानित कर दे!
ऐसा चाहते हैं कि लोग मेरा बुरा कर डाले।
उनका पतन ऐसा हो जाये कि वे लज्जित हो।
3 लोगों ने मुझको हँसी ठट्टों में उड़ाया।
मैं उनकी पराजय की आस करता हूँ और इस बात की कि उन्हें लज्जा अनुभव हो।
4 मुझको यह आस है कि ऐसे वे सभी लोग जो तेरी आराधना करते हैं,
वह अति प्रसन्न हों।
वे सभी लोग तेरी सहायता की आस रहते हैं
वे तेरी सदा स्तुती करते रहें।
5 हे परमेश्वर, मैं दीन और असहाय हूँ।
जल्दी कर! आ, और मुझको सहारा दे!
हे परमेश्वर, तू ही बस ऐसा है जो मुझको बचा सकता है,
अधिक देर मत कर!
समीक्षा
परमेश्वर की कृपा पर भरोसा कीजिये.
परमेश्वर कृपालु हैं. वह आपसे प्रेम करते हैं. आपकी चाहें जो भी जरूरत हो, आप उन्हें पुकार सकते हैं और आपकी मदद की जाएगी और आपको छुड़ाया जाएगा.
दाऊद प्रार्थना करते हैं, 'हे परमेश्वर मुझे छुड़ाने के लिये मेरी सहायता करने के लिये फुर्ती कर!' (व.1). वह आगे कहते हैं, ' मैं तो दीन और दरिद्र हूँ; हे परमेश्वर मेरे लिये फुर्ती कर! तू मेरा सहायक और छुडाने वाला है; हे यहोवा विलम्ब न कर!' (व.5).
जब वह पुकारते हैं, तो वह पिछले दिनों में परमेश्वर की कृपा को याद करते हैं.
जब मैं अपनी बाइबल में इस लेखांश में पीछे देखता हूँ तो पुकार और मदद के लिए देखता हूँ जो मैंने पिछले कई सालों में बगल में लिखी हैं, तो मैं प्रार्थना करता हूँ कि:
प्रार्थना
प्रभु, कृपा और प्रेम के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. आज मैं आपको ....... के लिए पुकारता हूँ.
प्रेरितों के काम 3:1-26
लँगड़े भिखारी का अच्छा किया जाना
3दोपहर बाद तीन बजे प्रार्थना के समय पतरस और यूहन्ना मन्दिर जा रहे थे। 2 तभी एक ऐसे व्यक्ति को जो जन्म से ही लँगड़ा था, ले जा रहा था। वे हर दिन उसे मन्दिर के सुन्दर नामक द्वार पर बैठा दिया करते थे। ताकि वह मन्दिर में जाने वाले लोगों से भीख के पैसे माँग लिया करे। 3 इस व्यक्ति ने जब देखा कि यूहन्ना और पतरस मन्दिर में प्रवेश करने ही वाले हैं तो उसने उनसे पैसे माँगे।
4 यूहन्ना के साथ पतरस उसकी ओर एकटक देखते हुए बोला, “हमारी तरफ़ देख।” 5 सो उसने उनसे कुछ मिल जाने की आशा करते हुए उनकी ओर देखा। 6 किन्तु पतरस ने कहा, “मेरे पास सोना या चाँदी तो है नहीं किन्तु जो कुछ है, मैं तुझे दे रहा हूँ। नासरी यीशु मसीह के नाम में खड़ा हो जा और चल दे।”
7 फिर उसका दाहिना हाथ पकड़ कर उसने उसे उठाया। तुरन्त उसके पैरों और टखनों में जान आ गयी। 8 और वह अपने पैरों के बल उछला और चल पड़ा। वह उछलते कूदते चलता और परमेश्वर की स्तुति करता उनके साथ ही मन्दिर में गया। 9 सभी लोगों ने उसे चलते और परमेश्वर की स्तुति करते देखा। 10 लोगों ने पहचान लिया कि यह तो वही है जो मन्दिर के सुन्दर द्वार पर बैठ कर भीख माँगता था। उसके साथ जो कुछ घटा था उस पर वे आश्चर्य और विस्मय से भर उठे।
पतरस का प्रवचन
11 वह व्यक्ति अभी पतरस और यूहन्ना के साथ-साथ ही था। सो सभी लोग अचरज में भर कर उस स्थान पर उनके पास दौड़े-दौड़े आये जो सुलैमान की डयोढ़ी कहलाता था।
12 पतरस ने जब यह देखा तो वह लोगों से बोला, “हे इस्राएल के लोगों, तुम इस बात पर चकित क्यों हो रहे हो? ऐसे घूर घूर कर हमें क्यों देख रहे हो, जैसे मानो हमने ही अपनी शक्ति या भक्ति के बल पर इस व्यक्ति को चलने फिरने योग्य बना दिया है। 13 इब्राहीम, इसहाक और याकूब के परमेश्वर, हमारे पूर्वजों के परमेश्वर ने अपने सेवक यीशु को महिमा से मण्डित किया। और तुमने उसे मरवा डालने को पकड़वा दिया। और फिर पिलातुस के द्वारा उसे छोड़ दिये जाने का निश्चय करने पर पिलातुस के सामने ही तुमने उसे नकार दिया। 14 उस पवित्र और नेक बंदे को तुमने अस्वीकार किया और यह माँगा कि एक हत्यारे को तुम्हारे लिये छोड़ दिया जाये। 15 लोगों को जीवन की राह दिखाने वाले को तुमने मार डाला किन्तु परमेश्वर ने मरे हुओं में से उसे फिर से जिला दिया है। हम इसके साक्षी हैं।
16 “क्योंकि हम यीशु के नाम में विश्वास करते हैं इसलिये यह उसका नाम ही है जिसने इस व्यक्ति में जान फूँकी है जिसे तुम देख रहे हो और जानते हो। हाँ, उसी विश्वास ने जो यीशु से प्राप्त होता है, तुम सब के सामने इस व्यक्ति को पूरी तरह चंगा किया है।
17 “हे भाईयों, अब मैं जानता हूँ कि जैसे अनजाने में तुमने वैसा किया, वैसे ही तुम्हारे नेताओं ने भी किया। 18 परमेश्वर ने अपने सब भविष्यवक्ताओं के मुख से पहले ही कहलवा दिया था कि उसके मसीह को यातनाएँ भोगनी होंगी। उसने उसे इस तरह पूरा किया। 19 इसलिये तुम अपना मन फिराओ और परमेश्वर की ओर लौट आओ ताकि तुम्हारे पाप धुल जायें। 20 ताकि प्रभु की उपस्थिति में आत्मिक शांति का समय आ सके और प्रभु तुम्हारे लिये मसीह को भेजे जिसे वह तुम्हारे लिये चुन चुका है, यानी यीशु को।
21 “मसीह को उस समय तक स्वर्ग में रहना होगा जब तक सभी बातें पहले जैसी न हो जायें जिनके बारे में बहुत पहले से ही परमेश्वर ने अपने पवित्र नबियों के मुख से बता दिया था। 22 मूसा ने कहा था, ‘प्रभु परमेश्वर तुम्हारे लिये, तुम्हारे अपने लोगों में से ही एक मेरे जैसा नबी खड़ा करेगा। वह तुमसे जो कुछ कहे, तुम उसी पर चलना, 23 और जो कोई व्यक्ति उस नबी की बातों को नहीं सुनेगा, उनको पूरी तरह नष्ट कर दिया जायेगा।’
24 “हाँ! शमूएल और उसके बाद आये सभी नबियों ने जब कभी कुछ कहा तो इन ही दिनों की घोषणा की। 25 और तुम तो उन नबियों और उस करार के उत्तराधिकारी हो जिसे परमेश्वर ने तुम्हारे पूर्वजों के साथ किया था। उसने इब्राहीम से कहा था, ‘तेरी संतानों से धरती के सभी लोग आशीर्वाद पायेंगे।’ 26 परमेश्वर ने जब अपने सेवक को पुनर्जीवित किया तो पहले-पहले उसे तुम्हारे पास भेजा ताकि तुम्हें तुम्हारे बुरे रास्तों से हटा कर आशीर्वाद दे।”
समीक्षा
जरूरतमंद लोगों के लिए कृपापूर्ण कार्य करें
कृपा का एक कार्य किसी व्यक्ति के एक दिन को या बल्कि उनके जीवन को भी बदल सकता है. जैसा कि वह आगे कहते हैं, 'कृपा, पवित्र आत्मा के कई वरदानों में से एक है' (गलातियों 5:22). पवित्र आत्मा से भरने के तुरंत बाद, हम इस लेखांश में पतरस और यूहन्ना द्वारा किये गए 'कृपा के कार्य' (प्रेरितों के कार्य 3:1-10) का वर्णन देखते हैं (प्रेरितों के कार्य 4:9).
'कृपा के इस कार्य' ने शानदार घटनाओं की श्रृंखला बनाने में मदद की, जिसे संभवत: 'सुसमाचार के सामर्थ' के रूप में उल्लेखित किया जा सकता है. इसने चर्च को विस्मित तरीके से बढ़ने में मदद की. यह एक विस्फोट की शुरूवात थी जिसने धीरे-धीरे पूरी दुनिया को बदल दिया.
यदि हमें एक नया चर्च शुरू करने के लिए कहा जाता, तो मुझे शक है कि जिस तरह से यह किया गया उस तरह से हम कर पाते. उनके पास कोई इमारत, कोई धन और कोई संसाधन नहीं था. यह कुछ मछुआरों और चुंगी लेने वालों के झुंड से शुरु हुआ और अन्य कई सारी चीजों के अलावा, सभी लोग अन्य भाषा में बोलने लगे! फिर भी चर्च विस्मित कर देने वाले विकास के साथ जीवित हुआ.
अंदर जो हो रहा था उसे बाहर से देखकर लोग आकर्षित हुए थे. वे लोग 'कृपा के इस कार्य' के द्वारा परमेश्वर से बह रही असीम सामर्थ की ओर आकर्षित हुए थे.
एक दिन शाम को ये लोग प्रार्थना करने के लिए मंदिर में जा रहे थे. जब वे वहाँ पर पहुँचे तो उन्होंने एक जरूरतमंद व्यक्ति को देखा जो मदद के लिए भीख मांग रहा था. इस तरह के लोगों को हम ऐसी जगहों में देख सकते हैं जहाँ उन्हें कुछ कृपा मिलने की उम्मीद रहती है.
'लोग एक जन्म के लंगड़े को ला रहे थे, जिस को वे प्रतिदिन मन्दिर के उस द्वार पर जो सुन्दर कहलाता है, बैठा देते थे' (व.2). वह 'सुंदर द्वार' कहलाता था; मगर, उन्होंने जो देखा वह सुंदर नहीं था जैसा कि दुनिया देखती है - जन्म से लंगड़ा आदमी भीख मांग रहा था.
जब उन्होंने विपरीत दशा देखी तो उनका हृदय डूबा नहीं, बल्कि उनका विश्वास जाग उठा. उन्होंने कुछ किया. उन्होंने उसे चंगा किया. उन्होंने किसी को जरूरत में देखा. वे हर एक मनुष्य की आंतरिक सुंदरता को जान गए थे. उनके पास पैसे नहीं थे लेकिन परतरस ने कहा, 'चान्दी और सोना तो मेरे पास है नहीं; परन्तु जो मेरे पास है, वह तुझे देता हूं: यीशु मसीह नासरी के नाम से चल फिर' (व.6).
यीशु के नाम में महान सामर्थ है. इब्रानी दिमाग में एक व्यक्ति का नाम उसके चरित्र का वर्णन करता है. प्रार्थना के अंत में यह कोई जादूई तरीका या कुछ लगाया जाना नहीं था. यह यीशु की सेविकाई और उनके शिष्यों की सेविकाई के बीच फर्क था. यीशु ने खुद के अधिकार से लोगों को चंगा किया, जबकि शिष्यों ने उनके नाम से चंगाई की. इसी तरीके से, हम उन पर निर्भर हैं. अपनी निर्बलता में, आप और मैं उनकी सेविकाई करना जारी रखते हैं, उनकी सामर्थ में और उनके नाम में.
यह आदमी केवल चंगा ही नहीं हुआ (बल्कि वह अपने पैरों पर उछलने-कूदने लगा और चलने लगा और परमेश्वर की स्तुती करने लगा व.8), लेकिन कई लोगों ने यीशु पर विश्वास भी किया. कृपा का यह एक कार्य और विस्मित कर देने वाला प्रभाव. इस घटना से लोग बहुत चकित हुए और अचंभित हुए (वव.10-11). परमेश्वर की सामर्थ का प्रदर्शन, सुसमाचार के प्रचार के साथ जारी रहा. उन्हें यीशु के बारे में बोलने का अवसर मिला: 'यीशु की मृत्यु, मरे हुए में से उनका जी उठना, और विश्वास की आवश्यकता' (वव.14-16).
हमारा प्रचार हमेशा यीशु पर केन्द्रित होना चाहिये. पतरस का दूसरा प्रचार, पहले की तरह, पूरी तरह से यीशु पर केन्द्रित था. वह यह कहते हुए शुरु करता है, ' हे इस्रालियों, तुम इस मनुष्य पर क्यों अचम्भा करते हो, और हमारी ओर क्यों इस प्रकार देख रहे हो, कि मानो हम ही ने अपनी सामर्थ या भक्ति से इसे चलता-फिरता किया हो' (व.12). पतरस लोगों को खुद पर केन्द्रित करना नहीं चाहता था, बल्कि यीशु पर.
पूरी बातचीत यीशु के बारे में है. यीशु परमेश्वर के सेवक हैं (व.13), 'पवित्र और सत्यनिष्ठ' (व.14), जीवन के कर्ता (व.15) और भविष्यवक्ता जैसा कि मूसा ने पहले ही बता दिया था (व.22). वह कहते हैं, ' उसी के नाम ने, उस विश्वास के द्वारा जो उसके नाम पर है, इस मनुष्य को जिसे तुम देखते हो और जानते भी हो सामर्थ दी है; और निश्चय उसी विश्वास ने जो उसके द्वारा है, इस को तुम सब के सामने बिल्कुल भला चंगा कर दिया है' (व.16).
पतरस यीशु के बारे में सुसमाचार बताते हैं. वह पाप, क्रूस, पुनरूत्थान और पश्चाताप करने और परमेश्वर की ओर फिरने की आवश्यकता के बारे में कहते हैं. वह उन्हें परमेश्वर द्वारा उनके पापों की क्षमा पाने और परमेश्वर के साथ उनके संबंध को फिर से बहाल करने के बारे में आश्वस्त करते हैं. वह कहते हैं, ' सुनिए, मन फिराओ और लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाएं, जिस से प्रभु के सम्मुख विश्रान्ति के दिन आएं' (व.19).
'स्फूर्तिदायक समय' तब आता है जब आप परमेश्वर की उपस्थिति में समय बिताएंगे. जब आप कमजोर और थके हुए होंगे, तब आप परमेश्वर के साथ समय बिताने के द्वारा तरोताजा हो सकते हैं, जिस तरह से यीशु ने किया था. पवित्र आत्मा, अपनी दयालुता में, आप में 'स्फूर्तिदायक समय' लाना चाहते हैं.
प्रार्थना
प्रभु, आपको धन्यवाद कि यीशु के नाम में असीम सामर्थ है. आज मैं किसी को दयालुता दिखाने और उनकी मदद करने के लिए प्रार्थना करता हूँ, यीशु के नाम में.
2 शमूएल 9:1-10:19
दाऊद शाऊल के परिवार पर कृपालु है
9दाऊद ने पूछा, “क्या शाऊल के परिवार में अब तक कोई बचा है? मैं योनातन के कारण उस व्यक्ति पर दया करना चाहता हूँ।”
2 शाऊल के परिवार से एक सेवक सीबा नाम का था। दाऊद के सेवकों ने सीबा को दाऊद के पास बुलाया। राजा दाऊद ने पूछा, “क्या तुम सीबा हो?”
सीबा ने कहा, “हाँ मैं सीबा, आपका सेवक हूँ।”
3 राजा ने पूछा, “क्या शाऊल के परिवार में कोई बचा है? मैं उस व्यक्ति पर परमेश्वर की कृपा दिखाना चाहता हूँ।”
सीबा ने राजा दाऊद से कहा, “योनातन का एक पुत्र अभी तक जीवित है? वह दोनों पैरों से लंगड़ा है।”
4 राजा ने सीबा से कहा, “यह पुत्र कहाँ है?”
सीबा ने राजा से कहा, “वह लो दोबार में अम्मीएल के पुत्र माकीर के घरन में है।”
5 दाऊद ने अपने सेवकों को लो—दोबार के अम्मीएल के पुत्र माकीर के घर से योनातन के पुत्र को लाने को कहा। 6 योनातन का पुत्र मेपीबोशेत दाऊद के पास आया और अपना सिर भूमि तक झुकाया।
दाऊद ने कहा, “मेपीबोशेत।”
मेपीबोशेत ने कहा, “मैं आपका सेवक हूँ।”
7 दाऊद ने मेपीबोशेत से कहा, “डरो नहीं। मैं तुम्हारे प्रति दयालु रहूँगा। मैं यह तुम्हारे पिता योनातन के लिये करूँगा। मैं तुम्हारे पितामह शाऊल की सारी भूमि तुमको दूँगा, और तुम सदा मेरी मेज पर भोजन कर सकोगे।”
8 मेपीबोशेत दाऊद के सामने फिर झुका। मेपीबोशेत ने कहा, “आप अपने सेवक पर बहुत कृपालु रहे हैं और मैं एक मृत कुत्ते से अधिक अच्छा नहीं हूँ।”
9 तब राजा दाऊद ने शाऊल के सेवक सीबा को बुलाया। दाऊद ने सीबा से कहा, “मैंने शाऊल के परिवार और जो कुछ उसका है उसे तुम्हारे स्वामी के पौत्र (मेपीबोशेत) को दे दिया है। 10 तुम मेपीबोशेत के लिये भूमि पर खेती करोगे। तुम्हारे पुत्र और सेवक मेपीबोशेत के लिये यह करेंगे। तुम फसल काटोगे। तब तुम्हारे स्वामी का पौत्र (मेपीबोशेत) खाने के लिये भोजन पाएगा। किन्तु मेपीबोशेत तुम्हारे स्वामी का पौत्र मेरी मेज पर खाने का सदा अधिकारी होगा।”
सीबा के पन्द्रह पुत्र और बीस सेवक थे। 11 सीबा ने राजा दाऊद से कहा, “मैं आपका सेवक हूँ। मैं वह सब कुछ करूँगा, जो मेरे स्वामी, मेरे राजा आदेश देंगे।”
अत: मेपीबोशेत ने दाऊद की मेज पर राजा के पुत्रों में से एक की तरह भोजन किया। 12 मेपीबोशेत का एक छोटा पुत्र मीका नाम का था। सीबा परिवार के सभी लोग मेपीबोशेत के सेवक हो गए। 13 मेपीबोशेत दोनों पैरों से लंगड़ा था। मेपीबोशेत यरूशलेम में रहता था। हर एक दिन मेपीबोशेत राजा की मेज पर भोजन करता था।
हानून दाऊद के व्यक्तियों को लज्जित करता है
10बाद में, अम्मोनियों का राजा नाहाश मरा। उसके बाद उसका पुत्र हानून राजा हुआ। 2 दाऊद ने कहा, “नाहाश मेरे प्रति कृपालु रहा। इसलिये मैं उसके पुत्र हानून के प्रति कृपालु रहूँगा।” इसलिये दाऊद ने हानून को उसके पिता की मृत्यु पर सांत्वना देने के लिये अपने अधिकारियों को भेजा। अत:
दाऊद के सेवक अम्मोनियों के देश में गये। 3 किन्तु अम्मोनी प्रमुखों ने अपने स्वामी हानून से कहा, “क्या आप समझते हैं कि दाऊद कुछ व्यक्तियों को आपके पास सांत्वना देने के लिये भेजकर आपके पिता को सम्मान देने का प्रयत्न कर रहा है? नहीं! दाऊद ने इन व्यक्तियों को आपके नगर के बारे में गुप्त रूप से जानने और समझने के लिये भेजा है। वे आपके विरुद्ध युद्ध की योजना बना रहे हैं।”
4 इसलिये हानून ने दाऊद के सेवकों को पकड़ा और उनकी आधी दाढ़ी कटवा दी। उसने उनके वस्त्रों को बीच से कमर के नीचे तक कटवा दिया। तब उसने उन्हें भेज दिया।
5 जब लोगों ने दाऊद से कहा, तो उसने अपने अधिकारियों से मिलने के लिये दूतों को भेजा। उसने यह इसलिये किया क्योंकि ये लोग बहुत लज्जित थे। राजा दाऊद ने कहा, “जब तक तुम्हारी दाढ़ियाँ फिर से न बढ़ें तब तक यरीहो में ठहरो। तब यरूशलेम लौट आओ।”
अम्मोनियों के विरुद्ध युद्ध
6 अम्मोनियों ने समझ लिया कि वे दाऊद के शत्रु हो गये। इसलिये उन्होंने अरामी को बेत्रहोब और सोबा से पारिश्रमिक पर बुलाया। वहाँ बीस हजार अरामी पैदल—सैनिक आए थे। अम्मोनियों ने तोब से बारह हजार सैनिकों और माका के राजा को एक हजार सैनिकों के साथ पारिश्रमिक पर बुलाया।
7 दाऊद ने इस विषय में सुना। इसलिये उसने योआब और शक्तिशाली व्यक्तियों की सारी सेना भेजी। 8 अम्मोनी बाहर निकले और युद्ध के लिये तैयार हुए। वे नगर द्वार पर खड़े हुए। योआब और रहोब के अरामी तथा तोब और माका के व्यक्ति स्वयं खुले मैदान में नहीं खड़े हुये।
9 योआब ने देखा कि अम्मोनी उसके विरुद्ध सामने और पीछे दोनों ओर खड़े हैं। इसलिये उसने इस्राएलियों में से कुछ उत्तम योद्धाओं को चुना। योआब ने इन उत्तम सैनिकों को अरामियों के विरुद्ध लड़ने को तैयार किया। 10 तब योआब ने अन्य लोगों को अपने भाई अबीशै के नेतृत्व में अम्मोनी के विरुद्ध भेजा। 11 योआब ने अबीशै से कहा, “यदि अरामी हमसे अधिक शक्तिशाली हों तो तुम मेरी सहायता करना। यदि अम्मोनी तुमसे अधिक शक्तिशाली होंगे तो मैं आकर तुम्हें सहायता दूँगा। 12 वीर बनो, और हम अपने लोगों और अपने परमेश्वर के नगर के लिये वीरता से युद्ध करेंगे। यहोवा वही करेगा जिसे वह ठीक मानता है।”
13 तब योआब और उसके सैनिकों ने अरामियों पर आक्रमण किया। अरामी योआब और उसके सैनिकों के सामने भाग खड़े हुए। 14 अम्मोनियों ने देखा कि अरामी भाग रहे हैं, इसलिये वे अबीशै के सामने से भाग खड़े हुए और अपने नगर में लौट गए।
इस प्रकार योआब अम्मोनियों के साथ युद्ध से लौटा और यरूशलेम वापस आया।
अरामी फिर लड़ने का निश्चय करते हैं
15 अरामियों ने देखा कि इस्राएलियों ने उन्हें हरा दिया। इसलिये वे एक विशाल सेना के रूप में इकट्ठे हुए। 16 हददेजेर ने परात नदी की दूसरी ओर रहने वाले अरामियों को लाने के लिये दूत भेजे। ये अरामी हेलाम पहुँचे। उनका संचालक शोबक था, जो हददेजेर की सेना का सेनापति था।
17 दाऊद को इसका पता लगा। इसलिये उसने सारे इस्राएलियों को एक साथ इकट्ठा किया उन्होंने यरदन नदी को पार किया और वे हेलाम पहुँचे।
वहाँ अरामियों ने आक्रमण की तैयारी की और धावा बोल दिया। 18 किन्तु दाऊद ने अरामियों को पराजित किया और वे इस्राएलियों के सामने भाग खड़े हुए। दाऊद ने बहुत से अरामियों को मार डाला। सात सौ सारथी तथा चालिस हजार घुड़सवार दाऊद ने अरामी सेना के सेनापति शोबक को भी मार डाला।
19 जो राजा, हददेजेर की सेवा कर रहे थे उन्होंने देखा कि इस्राएलियों ने उनको हरा दिया। इसलिये उन्होंने इस्राएलियों से सन्धि की और उनकी सेवा करने लगे। अरामी अम्मोनियों को फिर सहायता देने से भयभीत रहने लगे।
समीक्षा
दया दें और लें
परमेश्वर बिना रूके दया करते हैं. दाऊद 'परमेश्वर की कृपा' के बारे में कहते हैं (9:3). जब आप दया करते हैं, अपने प्रति परमेश्वर की दया दर्शाने का एक तरीका है.
दाऊद कहते हैं, 'दाऊद ने पूछा, क्या शाऊल के घराने में से कोई अब तक बचा है, जिस को मैं योनातन के कारण प्रीति दिखाऊं? ' (व.1). उसने सीबा से पूछा, 'क्या शाऊल के घराने में से कोई अब तक बचा है, जिस को मैं परमेश्वर की सी प्रीति दिखाऊं?' (व.3).
'शाऊल के पुत्र योनातन के एक लंगड़ा बेटा था। जब यिज्रेल से शाऊल और योनातन का समाचार आया तब वह पांच वर्ष का था' (4:4) और अब उसके एक जवान बेटा है (9:12). दाऊद पिछले सात सालों से यरूशलेम पर राज कर रहा था और मपीबोशेत तब शायद बीस साल का था. जिस प्रकार परमेश्वर हम पर दया करते हैं उसी तरह से दाऊद ने भी मपीबेशेत पर दया की – अविरत, याचित और असीमित.
जैसा कि हमारे नये नियम के लेखांश में है, एक लंगड़ा व्यक्ति था जिस पर दया की गई (व.3). दाऊद मपीबेशेत से कहता है, 'मत डर, मैं तुझ को प्रीति दिखाऊँगा, मैं सारी भूमि तुझे फेर दूँग़ा, और तू मेरी मेज पर नित्य भोजन किया करेगा' (व.7).
फिर दाऊद दया करने के और भी अवसरों की तलाश करता है. ' तब दाऊद ने यह सोचा, कि जैसे हानून के पिता नाहाश ने मुझ को प्रीति दिखाई थी' (10:2). दु:खद रूप से जैसा कि कभी-कभी होता है, इस दया को गलत समझा गया (व.3फ). फिर भी यह हम से अलग नहीं होना चाहिये. यह स्वाभाविक है और सही है कि हम उन लोगों के प्रति दयालु रहें जिनके माता-पिता ने हम पर दया की थी.
मपीबेशेत ने कहा, ' तेरा दास क्या है, कि तू ऐसे मरे कुत्ते की ओर दृष्टि करे?' (9:8). उसकी आत्म-छवि बिल्कुल कमजोर थी. लेकिन हमारी कमियों के बावजूद परमेश्वर हमें आशीष देते हैं. वह चाहते हैं कि हम उनकी असीमित कृपा के बारे में जानें और इसे प्राप्त करें. जो गलत है उस पर ध्यान मत दीजिये – जैसे आपके पाप, गलतियाँ, कमजोरियाँ और असफलताएं. मसीह में, परमेश्वर ने आपको सत्यनिष्ठा दी है और वह मसीह यीशु में हम पर भरपूरी से कृपा बरसाना चाहते हैं. (इफीसियों 2:7).
प्रार्थना
प्रभु, आपकी कृपा की भरपूरी के लिए आपको धन्यवाद. जरूरतमंद लोगों पर हमेशा दया करने का अवसर ढूँढने में में मेरी मदद कीजिये.
पिप्पा भी कहते है
2 शमूएल 10:1फफ
यहाँ, अम्मोमी दाऊद के दूत के प्रति संदेहपूर्ण और आक्रामक थे जब उसने हमदर्दी का संदेश पहुँचाया. अब तक वे साथ मिलकर खुशी से जी रहे थे. मगर उनके कार्यों के परिणाम स्वरूप युद्ध हुआ और कई जानें गईं.
अवश्य ही बुद्धिमान और अच्छे-बुरे की पहचान करना जरूरी है. मगर, हमें कभी भी मानवद्वेषी नहीं बनना चाहिये.

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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।