दिन 171

पवित्र आत्मा, आ

बुद्धि भजन संहिता 76:1-12
नए करार प्रेरितों के काम 13:42-14:7
जूना करार 1 राजा 7:23-8:21

परिचय

परमेश्वर की उपस्थिति में समय बिताना, आपके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण गतिविधी है. किसी भी दूसरी वस्तु से अधिक, आपको अपने जीवन में परमेश्वर की उपस्थिति की आवश्यकता है. लेकिन आप कहाँ पर परमेश्वर की उपस्थिति को पाते हैं?

मुझे अच्छी तरह से याद है जब मैंने पहली बार किसी को चर्च के सबसे प्रचीन प्रार्थनाओं को करते हुए सुना, 'पवित्र आत्मा, आ, ' एक सच्ची आशा के साथ कि पवित्र आत्मा आएँगे! यह 1982 में रविवार रात की बात है. एच.टी.बी में हमारी शाम सभा के बाद चर्च के तहखाने में हमारी एक सभा थी. जैसे ही हमने प्रार्थना की, 'पवित्र आत्मा, आ' हमने उल्लेखनीय घटना होते हुए देखी. हमने देखा कि लोग पवित्र आत्मा से भर गए और भौतिक प्रत्यक्षिकरण दिखाई दे रहे थे, ठीक वैसे ही जैसा कि प्रेरितों के कार्य की पुस्तक में पिंतेकुस्त के दिन का वर्णन किया गया है. उस दिन हमने असाधारण भौतिक चंगाईयों के होते हुए देखा, जब दोबारा से किसी ने प्रार्थना की, 'पवित्र आत्मा, आ.'

पवित्र आत्मा के द्वारा परमेश्वर अपने लोगों के साथ हमेशा उपस्थित हैं. जब आप प्रार्थना करते हैं, 'पवित्र आत्मा, आ, ' तब आप परमेश्वर की उपस्थिति के प्रति एक बढ़े हुए बोध को माँग रहे हैं. नये नियम में ऐसे समय हैं जब पवित्र आत्मा ने इकट्ठे हुए लोगों को सार्वभौमिक रूप से और स्वाभाविक रूप से भर दिया (प्रेरितों के कार्य 2:2, 10:44). ऐसे दूसरे समय भी हैं जब चेलों ने पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना कीः' जब वे प्रार्थना कर चुके, तो वह स्थान जहाँ वे इकट्ठे थे हिल गया, और वे सब पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गए' (4:31). आज के लिए पुराने नियम के लेखांश में हमने पढ़ा कि कैसे 'परमेश्वर की महिमा ने मंदिर को भर दिया' (1राजा 8:11).

आज के लिए हर लेखांश हमें बताता है कि कैसे परमेश्वर की सशक्त करने वाली उपस्थिति का आनंद लेना है जो कि पवित्र आत्मा के द्वारा आती है.

बुद्धि

भजन संहिता 76:1-12

तार वाद्यों के संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक गीत।

76यहूदा के लोग परमेश्वर को जानते हैं।
 इस्राएल जानता है कि सचमुच परमेश्वर का नाम बड़ा है।
2 परमेश्वर का मन्दिर शालेम में स्थित है।
 परमेश्वर का घर सिय्योन के पर्वत पर है।
3 उस जगह पर परमेश्वर ने धनुष—बाण, ढाल, तलवारे
 और युद्ध के दूसरे शस्त्रों को तोड़ दिया।

4 हे परमेश्वर, जब तू उन पर्वतों से लौटता है,
 जहाँ तूने अपने शत्रुओं को हरा दिया था, तू महिमा से मण्डित रहता है।
5 उन सैनिकों ने सोचा की वे बलशाली है। किन्तु वे अब रणक्षेत्रों में मरे पड़े हैं।
 उनके शव जो कुछ भी उनके साथ था, उस सब कुछ के रहित पड़े हैं।
 उन बलशाली सैनिकों में कोई ऐसा नहीं था, जो आप स्वयं की रक्षा कर पाता।
6 याकूब का परमेश्वर उन सैनिकों पर गरजा
 और वह सेना रथों और अश्वों सहित गिरकर मर गयी।
7 हे परमेश्वर, तू भय विस्मयपूर्ण है!
 जब तू कुपित होता है तेरे सामने कोई व्यक्ति टिक नहीं सकता।
8-9 न्यायकर्ता के रूप में यहोवा ने खड़े होकर अपना निर्णय सुना दिया।
 परमेश्वर ने धरती के नम्र लोगों को बचाया।
 स्वर्ग से उसने अपना निर्णय दिया
 और सम्पूर्ण धरती शब्द रहित और भयभीत हो गई।
10 हे परमेश्वर, जब तू दुष्टों को दण्ड देता है। लोग तेरा गुण गाते हैं।
 तू अपना क्रोध प्रकट करता है और शेष बचे लोग बलशाली हो जाते हैं।

11 लोग परमेश्वर की मन्नतें मानेंगे
 और वे उन वस्तुओं को जिनकी मन्नतें उन्होंने मानीं हैं,
 यहोवा को अर्पण करेंगे।
 लोग हर किसी स्थान से उस परमेश्वर को उपहार लायेंगे।
12 परमेश्वर बड़े बड़े सम्राटों को हराता है।
 धरती के सभी शासकों उसका भय मानों।

समीक्षा

परमेश्वर की सशक्त करने वाली उपस्थिति की लालसा करना

यरुशलेम मंदिर प्राथमिक रूप से बलिदान का एक स्थान नहीं था, लेकिन परमेश्वर की उपस्थिति का स्थान था. भजनसंहिता के लेखक लिखते हैं, 'परमेश्वर यहूदा में जाना गया है, उसका नाम इस्राएल में महान हुआ है. उसका मंडप शालेम में, और उसका धाम सिय्योन में है' (वव.1-2). 'शालेम' यरूशलेम का पुराना नाम है. अक्सर 'सिय्योन' शब्द का इस्तेमाल यरुशलेम को बताने के लिए किया गया है, परमेश्वर की उपस्थिति के स्थान के रूप में (व.7, ए.एम.पी.), पुराने नियम में उनके लोगों के बीच में. यह उनके तंबू का स्थान है ('निवासस्थान, ' आर.एस.व्ही). यहाँ पर परमेश्वर वास करते हैं.

यही कारण है कि परमेश्वर के लोग यरूशलेम और विशेष रूप से मंदिर के विषय में बहुत ही उत्साहित थे. वे परमेश्वर की लालसा करते थे, जैसा कि हम सभी अपने अंदर करते हैं. अद्भुत सच्चाई यह है कि, यीशु के द्वारा हम अपने अंदर और हमारे बीच में, उनके लोगों के बीच में परमेश्वर की उपस्थिति को जान सकते हैं, चाहे हम जहाँ कही भी हो. अपनी आत्मा के द्वारा वह आपके अंदर रहते हैं.

प्रार्थना

परमेश्वर, मैं अपने साथ आपकी उपस्थिति की लालसा करता हूँ. आपका धन्यवाद क्योंकि आपका निवासस्थान आपके लोगों के साथ हैं. कृपया आज फिर से हमें अपनी पवित्र आत्मा से भर दें और हमारे बीच में अपने नाम को महान करें.

नए करार

प्रेरितों के काम 13:42-14:7

42 पौलुस और बरनाबास जब वहाँ से जा रहे थे तो लोगों ने उनसे अगले सब्त के दिन ऐसी ही और बातें बताने की प्रार्थना की। 43 जब सभा समाप्त हुई तो बहुत से यहूदियों और ग़ैर यहूदी भक्तों ने पौलुस और बरनाबास का अनुसरण किया। पौलुस और बरनाबास ने उनसे बातचीत करते हुए आग्रह किया कि वे परमेश्वर के अनुग्रह में स्थिति बनाये रखें।

44 अगले सब्त के दिन तो लगभग समूचा नगर ही प्रभु का वचन सुनने के लिये उमड़ पड़ा। 45 इस विशाल जनसमूह को जब यहूदियों ने देखा तो वे बहुत कुढ़ गये और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए पौलुस ने जो कुछ कहा था, उसका विरोध करने लगे। 46 किन्तु पौलुस और बरनाबास ने निडर होकर कहा, “यह आवश्यक था कि परमेश्वर का वचन पहले तुम्हें सुनाया जाता किन्तु क्योंकि तुम उसे नकारते हो तथा तुम अपने आपको अनन्त जीवन के योग्य नहीं समझते, सो हम अब गैर यहूदियों की ओर मुड़ते हैं। 47 क्योंकि प्रभु ने हमें ऐसी आज्ञा दी है:

‘मैंने तुमको ग़ैर यहूदियों के लिये ज्योति बनाया,
ताकि धरती के छोरों तक सभी के उद्धार का माध्यम हो।’”

48 ग़ैर यहूदियों ने जब यह सुना तो वे बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने प्रभु के वचन का सम्मान किया। फिर उन्होंने जिन्हें अनन्त जीवन पाने के लिये निश्चित किया था, विश्वास ग्रहण कर लिया।

49 इस प्रकार उस समूचे क्षेत्र में प्रभु के वचन का प्रसार होता रहा। 50 उधर यहूदियों ने उच्च कुल की भक्त महिलाओं और नगर के प्रमुख व्यक्तियों को भड़काया तथा पौलुस और बरनाबास के विरुद्ध अत्याचार करने आरम्भ कर दिये और दबाव डाल कर उन्हें अपने क्षेत्र से बाहर निकलवा दिया। 51 फिर पौलुस और बरनाबास उनके विरोध में अपने पैरों की धूल झाड़ कर इकुनियुम को चल दिये। 52 किन्तु उनके शिष्य आनन्द और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होते रहे।

इकुनियुम में पौलुस और बरनाबास

14इसी प्रकार पौलुस और बरनाबास इकुनियुम में यहूदी आराधनालय में गये। वहाँ उन्होंने इस ढंग से व्याख्यान दिया कि यहूदियों के एक विशाल जनसमूह ने विश्वास धारण किया। 2 किन्तु उन यहूदियों ने जो विश्वास नहीं कर सके थे, ग़ैर यहूदियों को भड़काया और बन्धुओं के विरूद्ध उनके मनों में कटुता पैदा कर दी।

3 सो पौलुस और बरनाबास वहाँ बहुत दिनों तक ठहरे रहे तथा प्रभु के विषय में निर्भयता से प्रवचन करते रहे। उनके द्वारा प्रभु अद्भुत चिन्ह और आश्चर्यकर्मों को करवाता हुआ अपने दया के संदेश की प्रतिष्ठा कराता रहा। 4 उधर नगर के लोगों में फूट पड़ गयी। कुछ प्रेरितों की तरफ और कुछ यहूदियों की तरफ़ हो गये।

5 फिर जब ग़ैर यहूदियों और यहूदियों ने अपने नेताओं के साथ मिलकर उनके साथ बुरा व्यवहार करने और उन पर पथराव करने की चाल चली। 6 जब पौलुस और बरनाबास को इसका पता चल गया और वे लुकाउनिया के लिस्तरा और दिरबे जैसे नगरों तथा आसपास के क्षेत्र में बच भागे। 7 वहाँ भी वे सुसमाचार का प्रचार करते रहे।

समीक्षा

परमेश्वर की सशक्त बनाने वाली उपस्थिति से भरे हुए

पिंतेकुस्त के दिन से, परमेश्वर की सशक्त बनाने वाली उपस्थिति उनके लोगों पर उतरी. आज के लेखांश में हमने पढ़ा कि वे फिर से, 'पवित्र आत्मा से भर गए' (13:52). अब हर मसीह में पवित्र आत्मा निवास करते हैं (रोमियो 8:9).

इस लेखांश में, हम परमेश्वर की सशक्त बनाने वाली उपस्थिति के प्रभाव को देखते हैं जब आप पवित्र आत्मा से भरे होते हैं:

  1. प्रभावशीलता

अंताकिया में, परमेश्वर के वचन को सुनने के लिए भीड़ इकट्ठा हुई (प्रेरितों के कार्य 13:44-45). इकुनियुम में, 'उन्होंने इस प्रकार बातें कीं कि यहूदियों और यूनानियों दोनों में से बहुतों ने विश्वास किया' (14:1).

परमेश्वर उनके हाथों से चिह्न और अद्भुत काम करवाकर अपने अनुग्रह के वचन पर गवाही देते थे (व.3). इसका यह अर्थ नहीं है कि चर्च में सभी लोग आवश्यक रूप से अपने जीवन में स्वास्थ का आनंद लेंगे. इसके बजाय, भविष्य में हम आने वाले परमेश्वर के राज्य को देखते हैं ताकि सुसमाचार का प्रचार हो और हम जय पाये.

  1. विरोध

ऐसा मत सोचिये कि यदि परमेश्वर आपके साथ हैं तो आप किसी भी विरोध का सामना नहीं करेंगे. यें घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि विरोध अक्सर आते हैं. जहाँ पर परमेश्वर कार्य करते हैं, वहाँ पर शत्रु, विरोध और कठिनाई को खड़ा करने की कोशिश करता है.

अंताकिया में, ' यहूदी भीड़ को देखकर डाह से भर गए, और निन्दा करते हुए पौलुस की बातों के विरोध में बोलने लगे' (13:45, एम.एस.जी). 'उन्होंने सताव को उकसाया...और उन्हें उनके देश से बाहर निकाल दिया' (व.50).

इकुनियुम में, ' विश्वास न करने वाले यहूदियों ने अन्यजातियों के मन को अपने भाइयों के विरोध में उकसाया और कटुता उत्पन्न कर दी' (14:2, एम.एस.जी). उन्होंने 'उन्हें मारने के लिए' लोगों को इकट्ठा किया' (व.5, एम.एस.जी.).

  1. आनंद

अ. आपकी खुशी इस बात पर निर्भर नहीं है कि आपके साथ क्या हो रहा है. गहरा आनंद है जो कि परमेश्वर की उपस्थिति से आता है. सारे विरोध के बीच में और अंताकिया से बाहर जाने के लिए दबाव के बाद, वे अगले नगर, इकुनियुम में चले गए, ' चेले आनन्द से और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होते गए' (प्रेरितों के कार्य 13:52, एम.एस.जी.).

  1. निर्भीकता

अ. विरोध के बावजूद पवित्र आत्मा आपको निर्भीकता देंगे. अंताकिया में, 'पौलुस और बरनबास ने उन्हें निर्भीकतापूर्वक उत्तर दियाः' अवश्य था कि परमेश्वर का वचन पहले तुम्हें सुनाया जाता' (व.46). इकुनियुम में, ' वे बहुत दिन तक वहाँ रहे, और प्रभु के भरोसे पर साहस से बातें करते थे' (14:3). विरोध और 'उन पर पथराव करने के लिए लोगों के दौड़ने के' बावजूद (व.5) वे 'निरंतर सुसमाचार का प्रचार करते रहे' (व.7).

प्रार्थना

परमेश्वर, आज मुझे पवित्र आत्मा और आनंद से भर दीजिए. मेरी सहायता कीजिए कि इतने प्रभावी रूप से बोल पाऊँ कि बहुत से लोग विश्वास करें. मेरी सहायता कीजिए कि विरोध, भड़काये जाने या षड़यंत्रों के द्वारा पीछे न हटूँ. मुझे साहस दीजिए कि आपके लिए निर्भीकतापूर्वक बोल पाऊं. मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप चमत्कारी चिह्न और आश्चर्यकर्मों के साथ अपने अनुग्रह के संदेश की पुष्टि करेंगे.

जूना करार

1 राजा 7:23-8:21

23 तब हीराम ने काँसे का एक गोल हौज बनाया। उन्होंने इस हौज को “सागर” कहा। हौज लगभग पैंतालीस फुट गोलाई में था। यह आर—पार पन्द्रह फुट और साढ़े सात फुट गहरा था। 24 हौज के बाहरी सिरे पर एक बारी थी। इस बारी के नीचे काँसे के कद्दूओं की दो कतारें हौज को घेरे हुए थीं। काँसे के कद्दू हौज के हिस्से के रूप में एक इकाई में बने थे। 25 हौज बारह काँसे के बैलों की पीठों पर टिका था। ये बारहों बैल तालाब से दूर बाहर को देख रहे थे। तीन उत्तर को, तीन पूर्व को, तीन दक्षिण को और तीन पश्चिम को देख रहे थे। 26 हौज की दीवारें चार इंच मोटी थीं। तालाब के चारों ओर की किनारी एक प्याले की किनारी या फूल की पंखुड़ियों की तरह थी। तालाब की क्षमता लगभग ग्यारह हजार गैलन थी।

27 तब हीराम ने दस काँसे की गाड़ीयाँ बनाईं। हर एक छः फुट लम्बी, छः फुट चौड़ी और साढ़े चार फुट ऊँची थी। 28 गाड़ियाँ वर्गाकार तख्तों को चौखटों में मढ़कर बनायी गयी थीं। 29 तख्तों और चौखटों पर काँसे के सिंह, बैल और करूब (स्वर्गदूत) थे। सिंह और बैलों के ऊपर और नीचे फूलों के आकार हथौड़े से काँसे में उभारे गए थे। 30 हर एक गाड़ी में चार काँसे के पहिये काँसे की धुरी के साथ थे। कोनों पर विशाल कटोरे के लिए काँसे के आधार बने थे। आधारों पर हथौड़े से फूलों के आकर काँसे में उभारे गए थे। 31 कटोरे के लिये ऊपरी सिरे पर एक ढाँचा बना था। यह कटोरों से ऊपर को अट्ठारह इंच ऊँचा था। कटोरे का खुला हुआ गोल भाग सत्ताईस ईंच व्यास वाला था। ढाँचे पर काँसे में आकार उकेरे गए थे। ढाँचा चौकोर था, गोल नहीं। 32 ढाँचे के नीचे चार पहिये थे। पहिये सत्ताईस इंच व्यास वाले थे। पहिये के मध्य के धुरे गाड़ी के साथ एक इकाई के रूप में बने थे। 33 पहिये रथ के पहियों के समान थे। पहियों की हर एक चीज़—धुरे, परिधि, तीलियाँ और नाभि काँसे की बनी थी।

34 हर एक गाड़ी के चारों कोनों पर चार आधार थे। वे गाड़ी के साथ एक इकाई के रूप में बने थे। 35 हर एक गाड़ी के ऊपरी सिरे के चारों ओर एक काँसे की पट्टी थी। यह गाड़ी के साथ एक इकाई में बनीं थी। 36 गाड़ी की बगल और ढाँचे पर करूब (स्वर्गदूतों), सिंहों और ताड़ के वृक्षों के चित्र काँसे में उकेरे गए थे। ये चित्र गाड़ियों पर सर्वत्र, जहाँ भी स्थान था, उकेरे गए थे और गाड़ी के चारों ओर के ढाँचे पर फूल उकेरे गए थे। 37 हीराम ने दस गाड़ियाँ बनाईं और वे सभी एक सी थीं। हर एक गाड़ी काँसे की बनी थीं। काँसे को गलाया गया था और साँचे में ढाला गया था। अत: सभी गाड़ियाँ एक ही आकार और एक ही रूप की थीं।

38 हीराम ने दस कटोरे भी बनाये। एक—एक कटोरा दस गाड़ियों में से हर एक के लिये था। हर एक कटोरा छ: फुट व्यास वाला था और हर एक कटोरे में दो सौ तीस गैलन आ सकता था। 39 हीराम ने पाँच गाड़ियों को मन्दीर के दक्षिण और अन्य पाँच गाड़ियों को मन्दिर के उत्तर में रखा। उसने विशाल तालाब को मन्दिर के दक्षिण पूर्व कोने में रखा। 40-45 हीराम ने बर्तन, छोटे बेल्चे, और छोटे कटोरे भी बनाए। हीराम ने उन सारी चीजों को बनाना पूरा किया जिन्हें राजा सुलैमान उससे बनवाना चाहता था। हीराम ने यहोवा के मन्दिर के लिये जो कुछ बनाईं उसकी सूची यह है:

दो स्तम्भ, स्तम्भों के सिरों के लिये कटोरे के आकार के दो शीर्ष,

शीर्षों के चारों ओर लगाए जाने वले दो जाल।

दो जालों के लिये

चार सौ अनार स्तम्भों के सिरों पर शीर्षों के दोनों कटोरों को ढकने के लिये;

हर एक जाल के वास्ते अनारों की दो पंक्तियाँ थीं।

वहाँ दस गाड़ियाँ थी, हर गाड़ी पर एक कटोरा था,

एक विशाल तालाब जो बारह बैलों पर टिका था,

बर्तन, छोटे बेल्चे, छोटे कटोरे,

और यहोवा के मन्दिर के लिये सभी तश्तरियाँ।

हीराम ने वे सभी चीज़ें बनाई जिन्हें राजा सुलैमान चाहता था। वे सभी झलकाए हुए काँसे से बनी थीं। 46-47 सुलैमान ने उस काँसे को कभी नहीं तोला जिसका उपयोग इन चीज़ों को बनाने के लिये हुआ था। यह इतना अधिक था कि इसका तौलना सम्भव नहीं था इसलिये सारे काँसे के तौल का कुल योग कभी मलूम नहीं हुआ। राजा ने इन चीज़ों को सुक्कोत और सारतान के बीच यरदन नदी के समीप बनाने का आदेश दिया। उन्होंने इन चीज़ों को, काँसे को गलाकर और जमीन में बने साँचों में ढालकर, बनाया।

48-50 सुलैमान ने यह भी आदेश दिया कि मन्दिर के लिये सोने की बहुत सी चीज़ें बनाई जायें। सुलैमान ने मन्दिर के लिये सोने से जो चीज़ें बनाईं, वे ये हैं:

सुनहली वेदी,

सुनहली मेज (परमेश्वर को भेंट चढ़ाई गई विशेष रोटी इस मेज पर रखी जाती थी)

शुद्ध सोने के दीपाधार (सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने ये पाँच दक्षिण की ओर, और पाँच उत्तर की ओर थे।)

सुनहले फूल, दीपक और चिमटे, प्याले,

दीपक को पूरे प्रकाश से जलता रखने के लिये औजार, कटोरे, कड़ाहियाँ,

कोयला ले चलने के लिये उपयोग में आने वाली शुद्ध सोने की तश्तरियाँ और मन्दिर के प्रवेश द्वार के दरवाजे।

51 इस प्रकार सुलैमान ने, यहोवा के मन्दिर के लिये जो काम वह करना चाहता था, पूरा किया। तब सुलैमान ने वे सभी चीज़ें लीं जिन्हें उसके पिता दाऊद ने इस उद्देश के लिये सुरक्षित रखी थीं। वह इन चीज़ों को मन्दिर में लाया। उसने चाँदी और सोना यहोवा के मन्दिर के कोषागारों में रखा।

मन्दिर में साक्षीपत्र का सन्दूक

8तब राजा सुलैमान ने इस्राएल के सभी अग्रजों, परिवार समूहों के प्रमुखों तथा इस्राएल के परिवारों के प्रमुखों को एक साथ यरूशलेम में बुलाया। सुलैमान चाहता था कि वे साक्षीपत्र के सन्दूक को दाऊद नगर से मन्दिर में लायें। 2 इसलिये इस्राएल के सभी लोग राजा सुलैमान के साथ आये। यह एतानीम महीने में विशेष त्यौहार (आश्रयों का त्यौहार) के समय हुआ। (यह वर्ष का सातवाँ महीना था)।

3 इस्राएल के सभी अग्रज स्थान पर आए। तब याजकों ने पवित्र सन्दूक उठाया। 4 वे पवित्र तम्बू और तम्बू में की सभी चीज़ों सहित यहोवा के पवित्र सन्दूक को ले आए। लेवीवंशियों ने याजकों की साहायता इन चीज़ों को ले चलने में की। 5 राजा सुलैमान और इस्राएल के सभी लोग साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने इकट्ठे हुए। उन्होंने अनेक बलि भेंट की। उन्होंने इतनी अधिक भेड़ें और पशु मारे कि कोई व्यक्ति उन सभी को गिनने में समर्थ नहीं था। 6 तब याजकों ने यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक को उसके उचित स्थान पर रखा। यह मन्दिर के भीतर सर्वाधिक पवित्र स्थान में था। साक्षीपत्र का सन्दूक करूब (स्वर्गदूतों) के पंखों के नीचे रखा गया। 7 करूब (स्वर्गदूतों) के पंख पवित्र सन्दूक के ऊपर फैले थे। वे पवित्र सन्दूक और उसको ले चलने में सहायक बल्लियों को ढके थे। 8 ये सहायक बल्लियाँ बहुत लम्बी थीं। यदि कोई व्यक्ति पवित्र स्थान में सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने खड़ा हो, तो वह बल्लियों के सिरों को देख सकता था। किन्तु बाहर को कोई भी उन्हें नहीं देख सकता था। वे बल्लियाँ आज भी वहाँ अन्दर हैं। 9 पवित्र सन्दूक के भीतर केवल दो अभिलिखित शिलायें थीं। वे दो अभिलिखित शिलायें वही थीं, जिन्हें मूसा ने होरेब नामक स्थान पर पवित्र सन्दूक में रखा था। होरेब वह स्थान था जहाँ यहोवा ने इस्राएल के लोगों के साथ उनके मिस्र से बाहर आने के बाद वाचा की।

10 याजकों ने सन्दूक को सर्वाधिक पवित्र स्थान में रखा। जब याजक पवित्र स्थान से बाहर आए तो बादल यहोवा के मन्दिर में भर गया। 11 याजक अपना काम करते न रह सके क्योंकि मन्दिर यहोवा के प्रताप से भर गया था। 12 तब सुलैमान ने कहा:

“यहोवा ने गगन में सूर्य को चमकाया,
किन्तु उसने काले बादलों में रहना पसन्द किया।
13 मैंने तेरे लिए एक अद्भुत मन्दिर बनाया, एक निवास,
जिसमें तू सदैव रहेगा।”

14 इस्राएल के सभी लोग वहाँ खड़े थे। इसलिये सुलैमान उनकी ओर मुड़ा और परमेश्वर ने उन्हें आशीर्वाद देने को कहा। 15 तब राजा सुलैमान ने यहोवा से एक लम्बी प्रार्थना की। जो उसने प्रार्थना की वह यह है:

“इस्राएल का यहोवा परमेश्वर महान है। यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से जो कुछ कहा—उन्हें उसने स्वयं पूरा किया है। यहोवा ने मेरे पिता से कहा, 16 ‘मैं अपने लोगों इस्राएलियों को मिस्र से बाहर लाया। लेकिन मैंने अभी तक इस्राएल परिवार समूह से किसी नगर को नहीं चुना है, कि मुझे सम्मान देने के लिये मन्दिर—निर्माण करे। और मैंने अपने लोग, इस्राएलियों का मार्ग दर्शक कौन व्यक्ति हो, उसे नहीं चुना है। किन्तु अब मैंने यरूशलेम को चुना है जहाँ मैं सम्मानित होता रहूँगा। किन्तु अब, दाऊद को मैंने चुना है। मेरे इस्राएली लोगों पर शासन करने के लिये।’

17 “मेरे पिता दाऊद बहुत अधिक चाहते थे कि वे यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर के सम्मान के लिये मन्दिर बनाएं। 18 किन्तु यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से कहा, “मैं जानता हूँ कि तुम मेरे सम्मान के लिये मन्दिर बनाने की प्रबल इच्छा रखते हो और यह अच्छा है कि तुम मेरा मन्दिर बनाना चाहते हो। 19 किन्तु तुम वह व्यक्ति नहीं हो जिसे मैंने मन्दिर बनाने के लिये चुना है। तुम्हारा पुत्र मेरा मन्दिर बनाएगा।”

20 “इस प्रकार यहोवा ने जो प्रतिज्ञा की थी उसे पूरी कर दी है। अब मैं अपने पिता दाऊद के स्थान पर राजा हूँ। अब मैं यहोवा की प्रतिज्ञा के अनुसार इस्राएल के लोगों पर शासन कर रहा हूँ और मैंने इस्राएल के परमेश्वर के लिये मन्दिर बनाया है। 21 मैंने मन्दिर में एक स्थान पवित्र सन्दूक के लिये बनाया है। उस पवित्र सन्दूक में वह साक्षीपत्र है जो वाचा यहोवा ने हमारे पूर्वजों के साथ किया था। यहोवा ने वह वाचा तब की जब वह हमारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर ले आया था।”

समीक्षा

परमेश्वर की सशक्त बनाने वाली उपस्थिति की महिमा

क्यों आप परमेश्वर के साथ समय बिताना नहीं चाहेंगे? हम सोशल मीडिया में, टी.व्ही देखते हुए या अपने फोन पर घंटो समय बिताते हैं. जैसा कि जॉयस मेयर लिखती हैं, 'हमें उन चीजों के पीछे जाने में अपने समयों का निवेश करने में कोई परेशानी नहीं लगती है. सच्चाई यह है कि परमेश्वर के साथ समय बिताने के क्षेत्र में शैतान उसकी तुलना में हमसे अधिक लड़ता है, जितना कि वह हमारे मसीह जीवन के किसी दूसरे क्षेत्र में लड़ता है. वास्तव में, शैतान का लाभ है यदि हम सभी प्रकार कीधार्मिक गतिविधियों में जुड़ जायें, इसके बजाय कि परमेश्वर के साथ समय बितायें.'

यह लेखांश हमारी यह समझने में सहायता करता है कि परमेश्वर की उपस्थिति में समय बिताना कितनी अद्भुत बात है -यीशु के अनुयायी के रूप में जो असाधारण सुविधा आपके लिए उपलब्ध है.

यरुशलेम में भौतिक मंदिर बनाने के विषय में - यह पुराने नियम का लेखांश – एक नया अर्थ ले लेता है जब आप इसे नये नियम के प्रकाश में पढ़ते हैं. यरूशलेम में मंदिर, नये नियम में विश्वासियों के हृदय में परमेश्वर के निवासस्थान को बताता है.

विशेषरूप से, वाचा का संदूक परमेश्वर की उपस्थिति को दर्शाता था. इस मंदिर की घटना, इस्तेमाल करने के लिए तैयार करने में (वव.3-9) और सुलैमान की स्तुति में (वव.15-21), मंदिर में वाचा के संदूक को रखने के विषय में था. संदूक में कुछ और नहीं था 'उन दो पटरियों को छोड़ कर जो मूसा ने होरेब में उसके भीतर उस समय रखी' (व.9) – दूसरे शब्दों में, दस आज्ञाएँ. जब आप, परमेश्वर के लोग परमेश्वर के वचन में जीते थे, तब आप पाते हैं कि परमेश्वर का आत्मा परमेश्वर की उपस्थिति के विषय में आपके अनुभव को बढ़ा देता है.

हमने पढ़ा, 'जब याजक पवित्र स्थान से बाहर निकले, तब यहोवा का भवन बादलों से भर गया, और बादलों के कारण याजक सेवा टहल करने के लिए खड़े न रह सके, क्योंकि यहोवा का तेज यहोवा के भवन में भर गया था' (वव.10-11).

जब हम प्रार्थना करते हैं, 'पवित्र आत्मा, आ, ' तब हम प्रार्थना कर रहे हैं कि हमारे बीच में परमेश्वर की उपस्थिति महान रूप से बढ़ी हुई आये. यही है जिसका हम अक्सर अनुभव करते हैं, जब हम वह प्रार्थना करते हैं.

यद्पि परमेश्वर सब जगह उपस्थित हैं, हम हमेशा उनकी उपस्थिति को महसूस नहीं करते हैं. निश्चित ही, यहाँ पर जो वर्णन किया गया है, वह परमेश्वर की उपस्थिति की महान रूप से बढ़ी हुई एक चेतना है. सुलैमान इसी का वर्णन कर रहे थे जब उन्होंने कहा, 'सचमुच मैंने तेरे लिये एक वासस्थान, वरन् ऐसा दृढ़ स्थान बनाया है, जिसमें तू युगानुयुग बना रहे' (व.13, एम.एस.जी.).

ऐसे विशेष क्षण हो सकते हैं जब हम परमेश्वर की उपस्थिति का अनुभव करते हैं जब हम दूसरों के साथ होते हैं, लेकिन आप तब भी परमेश्वर की उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं जब आप अपने आपसे उनके साथ समय बिताते हैं.

आपको इसके विषय में कानूनी बनने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन परमेश्वर के साथ नियमित समय बिताना सहायता करता है. जैसे ही आप बाईबल पढ़ते हैं, जैसे ही आप प्रार्थना में अपने पिता से बातें करते हैं, जैसे ही कभी – कभी आप मसीह गाने को सुनते हैं या केवल शांत स्थान में बैठ जाते हैं, तब आप परमेश्वर की उपस्थिति को महसूस करना शुरु कर देते हैं. सच में, कभी-कभी 'पवित्र आत्मा, आ' यह प्रार्थना पूर्ण शांती, और स्थिरता के साथ उत्तर दिया जा सकता है.

परमेश्वर आपकी स्तुति हो क्योंकि जैसा कि आपकी महिमा ने सुलैमान के मंदिर को भर दिया था, वैसे ही अब आपकी महिमा आपके लोगों को भरती है. आपका धन्यवाद क्योंकि आपके सभी वायदे हममें पूरे हो गए हैं (2कुरिंथियो 1:20).

प्रार्थना

पवित्र आत्मा, आ. आज फिर से हमारे बीच में अपने वायदें को पूरा करें. आपका धन्यवाद क्योंकि हर बार जब हम प्रार्थना करते हैं, 'पवित्र आत्मा, आ' तब पवित्र आत्मा आते हैं और हम हमारे बीच में परमेश्वर की उपस्थिति की एक बढ़ी हुई चेतना का अनुभव करते हैं. मेरी सहायता करिए कि अपने समय को सही से प्राथमिकता दूं और अपने साथ आपकी अद्भुत उपस्थिति का आनंद लूं.

पिप्पा भी कहते है

प्रेरितों के कार्य 13:50

' परन्तु यहूदियों ने भक्त और कुलीन स्त्रियों को और नगर के प्रमुख लोगों को उसकाया, और पौलुस और बरनबास के विरूद्ध उपद्रव करवाकर उन्हें अपनी सीमा से निकाल दिया.'

यह दुख की बात है कि परमेश्वर का भय मानने वाली यें महिलाएँ डाह करने लगी, जैसा कि यहूदी कर रहे थे (व.45) और पौलुस और बरनबास का विरोध करने लगी. यहाँ तक कि भक्तिमय लोग गलत तरीके से प्रभावित हो सकते हैं; हमें बुद्धि और भेद करने की शक्ति की आवश्यकता है.

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संदर्भ

जॉयस मेयर, द एव्रीडे लाईफ बाईबल, (फेथवर्डस, 2013) पी.530

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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