महान मित्रता की तीन पूंजीयाँ
परिचय
यूके रिटेल चेन टॉपशॉप ने मनोवैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा अपने मुख्य ग्राहकों की जन्म-मृत्यु के आंकड़ों से संबंधित एक सर्वेक्षण किया. पीढ़ी य (1981 से लेकर 2000 में जन्में). उन्होंने 800 लोगों से बातचीत की. परिणाम इतने चौंका देने वाले थे कि उन्होंने उन पर विश्वास नहीं किया. उन्होंने दूसरे 800 लोगों से बातचीत की, और यही परिणाम आया.
परिणाम, ब़ढ़ती हुई संख्या में अकेलेपन और खोए हुई पीढ़ी के एक चेतावनी देने वाले चित्र को दिखाता है. हमारे दर्ज किए गए सामाजिक इतिहास में बहुत से लोग अकेले रहते हैं. पीढ़ी य के लिए फेसबुक का औसतन इस्तेमाल एक दिन में साढ़े छ घंटे हैं. बहुत से लोग जिनसे बातचीत की गई थी वह काम को ऐसी चीज समझते थे जिसे वे फेसबुक और दोपहर के भोजन के बीच करते थे! उन्होंने पाया कि उनके बहुत सारे 'मित्र' थे लेकिन अकेलेपन की एक बढ़ती हुई भावना थी.
सोशल मीडिया में कुछ गलत नहीं है, लेकिन यह वास्तविक, आमने-सामने की मित्रता का एक विकल्प नहीं है. हम परमेश्वर के साथ (उत्पत्ति 3:8) और एक दूसरे के साथ मित्रता करने के लिए निर्माण किए गए थे (2:18).
विवाह अकेलेपन के समाधान का भाग है. मित्रता विवाह में भी महत्वपूर्ण है, यह समाधान का एक महत्वपूर्ण भाग है. यीशु ने पुरुषों और महिलाओं के साथ नजदीकी मित्रता का एक उदाहरण रखा. उन्होंने दर्शाया कि विवाह अकेलेपन का एकमात्र समाधान नहीं है. एक तरह से, मित्रता विवाह से अधिक महत्वपूर्ण है. विवाह स्थायी है; मित्रता अनंत है. जैसा कि सी. एस. लिवाईस लिखते हैं, 'मित्रता जीवन का मुकुट और सद्गुण का विद्यालय है.' मित्रता आनंद को बढ़ाती है और दुख को कम करती है.
बाईबल बहुत ही सापेक्षिक है. हम संबंधो को उनके सर्वश्रेष्ठ स्तर के उदाहरण के रुप में देखते हैं, लेकिन हम उनकी दुर्बलता और असफलता के उदाहरण को भी देखते हैं. इन उदाहरणों और बाईबल की शिक्षाओं के द्वारा, हम तीन बातों को देखते हैं.
भजन संहिता 77:10-20
10 फिर यह सोचा करता हूँ, “वह बात जो मुझे खाये डाल रही है:
‘क्या परम परमेश्वर आपना निज शाक्ति खो बैठा है’?”
11 याद करो वे शाक्ति भरे काम जिनको यहोवा ने किये।
हे परमेश्वर, जो काम तूने बहुत समय पहले किये मुझको याद है।
12 मैंने उन सभी कामों को जिनको तूने किये है मनन किया।
जिन कामों को तूने किया मैंने सोचा है।
13 हे परमेश्वर, तेरी राहें पवित्र हैं।
हे परमेश्वर, कोई भी महान नहीं है, जैसा तू महान है।
14 तू ही वह परमेश्वर है जिसने अद्भुत कार्य किये।
तू ने लोगों को अपनी निज महाशक्ति दर्शायी।
15 तूने निज शक्ति का प्रयोग किया और भक्तों को बचा लिया।
तूने याकूब और यूसुफ की संताने बचा ली।
16 हे परमेश्वर, तुझे सागर ने देखा और वह डर गया।
गहरा समुद्र भय से थर थर काँप उठा।
17 सघन मेघों से उनका जल छूट पड़ा था।
ऊँचे मेघों से तीव्र गर्जन लोगों ने सुना।
फिर उन बादलों से बिजली के तेरे बाण सारे बादलों में कौंध गये।
18 कौंधती बिजली में झँझावान ने तालियाँ बजायी जगत चमक—चमक उठा।
धरती हिल उठी और थर थर काँप उठी।
19 हे परमेश्वर, तू गहरे समुद्र में ही पैदल चला। तूने चलकर ही सागर पार किया।
किन्तु तूने कोई पद चिन्ह नहीं छोड़ा।
20 तूने मुसा और हारून का उपयोग निज भक्तों की अगुवाई
भेड़ों के झुण्ड की तरह करने में किया।
समीक्षा
पार्टनरशिप को महत्व दें
मदर टेरेसा ने कहा, 'मैं कुछ चीजों को कर सकती हूँ जो आप नहीं कर सकते, आप कुछ चीजों को कर सकते हैं जो मैं नहीं कर सकती; एक साथ मिलकर हम महान चीजों को कर सकते हैं.'
कल हमने देखा कि कैसे भजनसंहिता के लेखक ने अपनी उदासी में, परमेश्वर को पुकारा. भजन के अंतिम भाग में, वह कुछ अद्भुत और शक्तिशाली तरीके को याद करते हैं, जिसमें परमेश्वर ने भूतकाल में काम किया था (वव.11-12).
विशेषरूप से, वह निर्गमन में परमेश्वर के लोगों के महान छुटकारें को देखते हैं. वह प्रार्थना करते हैं, 'अद्भुत काम करने वाला परमेश्वर तू ही है, तू ने देश देश के लोगों पर अपनी शक्ति प्रकट की है' (व.14), वह लाल समुद्र के दो भागों में बाँटे जाने पर मनन करते हैं (वव.16-19) और निष्कर्ष निकालते हैः 'तू ने मूसा और हारुन के द्वारा अपनी प्रजा की अगुवाई भेड़ों की सी की' (व.20).
परमेश्वर के इस महान कार्य में मानवीय पार्टनरशिप शामिल थी 'मूसा और हारुन' . परमेश्वर के लोगों के इतिहास में यह एक महानतम सफलता की कहानीयाँ हैं.
यह हो पाया क्योंकि वह अपने से अधिक महान उद्देश्य में जुड़े हुए थे. वह एक ही दिशा में बाहर से देख रहे थे. भाई होने के बावजूद उनके पास बहुत ही अलग हुनर और भूमिकाएँ थी. जबकि मूसा लीडर थे, हारुन बातचीत के लिए उत्तरदायी थे (निर्गमन 7:1-2) और लोगों को आराधना में अगुवाई करने के लिए (28:1).
आज हमें अच्छी पार्टनरशिप की आवश्यकता है. अच्छे कारण हैं कि क्यों यीशु ने अपने चेलों को दो-दो करके भेजा. सेवकाई अकेले भी हो सकती है. जोड़ियों में जाना अंतर पैदा कर सकता है. इसी तरह से कुछ महान दोस्ती बनती हैं.
प्रार्थना
परमेश्वर, मैं आज प्रार्थना करता हूँ कि आप हमारे चर्च में और विश्वभर के चर्च में अच्छी पार्टनरशिप को तैयार करेंगे. परमेश्वर, होने दीजिए कि मूसा और हारुन की तरह ऐसे बहुत से लोग हो जो एक दूसरे की सहायता करें और देखें कि आप उनके द्वारा महान चीजों को प्राप्त करते हैं.
प्रेरितों के काम 15:22-41
ग़ैर यहूदी विश्वासियों के नाम पत्र
22 फिर प्रेरितों और बुजुर्गों ने समूचे कलीसिया के साथ यह निश्चय किया कि उन्हीं में से कुछ लोगों को चुनकर पौलुस और बरनाबास के साथ अन्ताकिया भेजा जाये। सो उन्होंने बरसब्बा कहे जाने वाले यहूदा और सिलास को चुन लिया। वे भाइयों में सर्व प्रमुख थे। 23 उन्होंने उनके हाथों यह पत्र भेजा:
तुम्हारे बंधु, बुजुर्गों और प्रेरितों की ओर से
अन्ताकिया, सीरिया और किलिकिया के
गैर यहूदी भाईयों को नमस्कार पहुँचे।
प्यारे भाईयों:
24 हमने जब से यह सुना है कि हमसे कोई आदेश पाये बिना ही, हममें से कुछ लोगों ने जाकर अपने शब्दों से तुम्हें दुःख पहुँचाया है, और तुम्हारे मन को अस्थिर कर दिया है 25 हम सबने परस्पर सहमत होकर यह निश्चय किया है कि हम अपने में से कुछ लोग चुनें और अपने प्रिय बरनाबास और पौलुस के साथ उन्हें तुम्हारे पास भेजें। 26 ये वे ही लोग हैं जिन्होंने हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम के लिये अपने प्राणों की बाज़ी लगा दी थी। 27 हम यहूदा और सिलास को भेज रहे हैं। वे तुम्हें अपने मुँह से इन सब बातों को बताएँगे। 28 पवित्र आत्मा को और हमें यही उचित जान पड़ा कि तुम पर इन आवश्यक बातों के अतिरिक्त और किसी बात का बोझ न डाला जाये: 29 मूर्तियों पर चढ़ाया गया भोजन तुम्हें नहीं लेना चाहिये। गला घोंट कर मारे गये किसी भी पशु का मांस खाने से बचें और लहू को कभी न खायें। व्यभिचार से बचे रहो। यदि तुम ने अपने आपको इन बातों से बचाये रखा तो तुम्हारा कल्याण होगा।
अच्छा विदा।
30 इस प्रकार उन्हें विदा कर दिया गया और वे अंताकिया जा पहुँचे। वहाँ उन्होंने धर्म-सभा बुलाई और उन्हें वह पत्र दे दिया। 31 पत्र पढ़ कर जो प्रोत्साहन उन्हें मिला, उस पर उन्होंने आनन्द मनाया। 32 यहूदा और सिलास ने, जो स्वयं ही दोनों नबी थे, भाईयों के सामने उन्हें उत्साहित करते हुए और दृढ़ता प्रदान करते हुए, एक लम्बा प्रवचन किया। 33 वहाँ कुछ समय बिताने के बाद, भाईयों ने उन्हें शांतिपूर्वक उन्हीं के पास लौट जाने को विदा किया जिन्होंने उन्हें भेजा था। 34
35 पौलुस तथा बरनाबास ने अन्ताकिया में कुछ समय बिताया। बहुत से दूसरे लोगों के साथ उन्होंने प्रभु के वचन का उपदेश देते हुए लोगों में सुसमाचार का प्रचार किया।
पौलुस और बरनाबास का अलग होना
36 कुछ दिनों बाद बरनाबास से पौलुस ने कहा, “आओ, जिन-जिन नगरों में हमनें प्रभु के वचन का प्रचार किया है, वहाँ अपने भाइयों के पास वापस चल कर यह देखें कि वे क्या कुछ कर रहे हैं।”
37 बरनाबास चाहता था कि मरकुस कहलाने वाले यूहन्ना को भी वे अपने साथ ले चलें। 38 किन्तु पौलुस ने यही ठीक समझा कि वे उसे अपने साथ न लें जिसने पम्फूलिया में उनका साथ छोड़ दिया था और (प्रभु के) कार्य में जिसने उनका साथ नहीं निभाया। 39 इस पर उन दोनों में तीव्र विरोध पैदा हो गया। परिणाम यह हुआ कि वे आपस में एक दूसरे से अलग हो गये। बरनाबास मरकूस को लेकर पानी के जहाज़ से साइप्रस चला गया।
40 पौलुस सिलास को चुनकर वहाँ से चला गया और भाइयों ने उसे प्रभु के संरक्षण में सौंप दिया। 41 सो पौलुस सीरिया और किलिकिया की यात्रा करते हुए वहाँ की कलीसिया को सृदृढ़ करता रहा।
समीक्षा
मित्रता को संभालें
मसीह चर्च के आरंभ से, हम पार्टनरशिप में कार्य कर रहे मित्रों के उदाहरण को देखते हैं. पौलुस और बरनबास सुसमाचार में पार्टनर थे (व.22). यरुशलेम के संसद के संदेश को अन्यजातियो के पास ले जाने के लिए उन्हें एक साथ भेजा गया (व.23).
इस तरह से उनका वर्णन किया गया 'हमारे प्रिय मित्र बरनबास और पौलुस -ये ऐसे मनुष्य हैं जिन्होंने अपने प्राण हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम के लिये जोखिम में डाले हैं' (व.26).
वे दूसरी पार्टनरशिप के साथ-साथ गए – दो दूसरे लीडर, यहूदा (जो बरसब्बा कहलाता है) और सिलास (व.22). यहूदा और सिलास भविष्यवक्ता थे जिन्होंने 'विश्वासियों को उत्साहित करने और मजबूत करने के लिए बहुत सी बातें कहीं' (व.32). भविष्यवक्ताओं के लिए यह अच्छा है कि अकेले काम न करे, बल्कि दूसरों के साथ पार्टनरशिप में काम करे.
यह सब अच्छा है. लेकिन जैसे ही हम आगे पढ़ते हैं, हम देखते हैं कि आरंभिक कलीसिया में भी विभाजन केवल शिक्षा को लेकर नहीं था (व.2), लेकिन व्यक्ति संबंधो के विषय में भी था (व.39). जैसा कि सॅन्डि मिलर अक्सर कहती है, 'बुलाहट दैवीय है; लेकिन संबंध मानवीय है!' पौलुस और बरनबास अलग हो गए (वव.36-38). उनमें 'बहुत असहमति' हुई और इसके परिणामस्वरूप 'वे अलग हो गए' (व.39). वे अपने अपने रास्ते चले गए.
परमेश्वर के विधान में, अंत में सबकुछ अच्छा हुआ. बरनबास को एक नया पार्टनर मरकुस मिला (जो कि उसका चचेरा भाई था, कुलुस्सियो 4:10 देखें). पौलुस को एक नया पार्टनर सिलास मिला और 'कलीसियाओं को स्थिर करते हुए सीरिया और किलीकिया से होते हुए निकले' (प्रेरितों के कार्य 15:41). हो सकता है कि पौलुस और बरनबास में बाद में मेल-मिलाप हुआ हो (1कुरिंथियो 9:6).
वास्तविकता यह है कि कभी-कभी मसीह पार्टनरशिप भी संघर्ष करती और असफल होती है. परमेश्वर ऐसी स्थितियों में आशा ला सकते हैं: यह विश्व का अंत नहीं है यदि मसीह अलग हो जाते हैं और अपने अपने रास्ते पर चले जाते हैं. यह लेखांश दिखाता है कि उनकी असहमति ने उनसे परमेश्वर की आशीष को दूर नहीं किया.
किंतु, परमेश्वर के विधान के इस उदाहरण का इस्तेमाल, मसीह झगड़े के लिए एक बहाने के रूप में नहीं किया जाना चाहिए. हमें हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए ताकि अपनी भिन्नताओं से निपट सकें और अलग होने वाले ऐसे दर्द भरी चीज को दूर कर सकें.
अपनी मित्रता की रखवाली करें. जब अलग होना पड़ता है, तब हमेशा मेल-मिलाप करने की कोशिश करें और याद रखें कि, जैसा कि मार्टिन लुथर किंग ने कहा है, 'क्षमा करना यह कभी-कभी किया जाने वाला कार्य नहीं है; यह एक स्थायी बर्ताव है.'
प्रार्थना
पिता, पौलुस और बरनबास के उत्साहित करने वाले उदाहरण के लिए आपका धन्यवाद, जिन्होंने प्रभु के नाम के कारण अपने जीवन जोखिम में डाले. हमारी सहायता करें कि अपनी भिन्नताओं से निपटे और अलग होने जैसी दर्दनाक चीज से दूर रहें.
1 राजा 11:14-12:24
सुलैमान के शत्रु
14 उस समय यहोवा ने एदोमी हदद को सुलैमान का शत्रु बनाया। हदद एदोम के राजा के परिवार से था। 15 यह इस प्रकार घटित हुआ। कुछ समय पहले दाऊद ने एदोम को हराया था। योआब दाऊद की सेना का सेनापति था। योआब एदोम में मरे व्यक्तियों को दफनाने गया। तब योआब ने वहाँ जीवित सभी व्यक्तियों को मार डाला। 16 योआब और सारे इस्राएली एदोम में छ: महीने तक ठहरे। उस समय के बीच उन्होंने एदोम के सभी पुरुषों को मार डाला। 17 किन्तु उस समय हदद अभी एक किशोर ही था। अतः हदद मिस्र को भाग निकला। उसके पिता के कुछ सेवक उसके साथ गए। 18 उन्होंने मिद्यान को छोड़ा और वे परान को गए। वे मिस्र के राजा फ़िरौन के पास गये और उससे सहायता माँगी। फ़िरौन ने हदद को एक घर और कुछ भूमि दी। फ़िरौन ने उसे सहायता भी दी और उसे खाने के लिये भोजन दिया।
19 फ़िरौन ने हदद को बहुत पसन्द किया। फ़िरौन ने हदद को एक पत्नी दी, स्त्री फ़िरौन की साली थी। (फ़िरौन की पत्नी तहपनेस थी।) 20 अत: तहपनेस की बहन हदद से ब्याही गई। उनका एक पुत्र गनूबत नाम का हुआ। रानी तहपनेस ने गनूबत को अपने बच्चों के साथ फ़िरौन के महल में बड़ा होने दिया।
21 मिस्र में हदद ने सुना कि दाऊद मर गया। उसने यह भी सुना कि सेनापति योआब मर गया। इसलिए हदद ने फ़िरौन से कहा, “मुझे अपने देश में अपने घर वापस लौट जाने दे।”
22 किन्तु फ़िरौन ने उत्तर दिया, “मैंने तुम्हें सारी चीज़, जिनकी तुम्हें यहाँ आवश्यकता है, दी है! तुम अपने देश में वापस क्यों जाना चाहते हो”
हदद ने उत्तर दिया, “कृपया मुझे घर लौटने दें।”
23 यहोवा ने दूसरे व्यक्ति को भी सुलैमान के विरुद्ध शत्रु बनाया। यह व्यक्ति एल्यादा का पुत्र रजोन था। रजोन अपने स्वामी के यहाँ से भाग गया था। उसका स्वामी सोबा का राजा हददेजेर था। 24 दाऊद ने जब सोबा की सेना को हरा दिया तब उसके बाद रजोन ने कुछ व्यक्तियों को इकट्ठा किया और एक छोटी सेना का प्रमुख बन गया। रजोन दमिश्क गया और वहीं ठहरा। रजोन दमिश्क का राजा हो गया। 25 रजोन अराम पर शासन करता था। रजोन इस्राएल से घृणा करता था, इसलिये सुलैमान जब तक जीवित रहा वह पूरे समय इस्राएल का शत्रु बना रहा। रजोन और हदद ने इस्राएल के लिये बड़ी परेशानियाँ उतपन्न कीं।
26 नबात का पुत्र यारोबाम सुलैमान के सेवकों में से एक था। यारोबाम एप्रैम परिवार समूह से था। वह सरेदा नगर का था। यारोबाम की माँ का नाम सरूयाह था। उसका पिता मर चुका था। वह राजा के विरुद्ध हो गया।
27 यारोबाम राजा के विरुद्ध क्यों हुआ इसकी कहानी यह है: सुलैमान मिल्लो बना रहा था और अपने पिता दाऊद के नगर की दीवार को दृढ़ कर रहा था। 28 यारोबाम एक बलवान व्यक्ति था। सुलैमान ने देखा कि यह युवक एक अच्छा श्रमिक है। इसलिये सुलैमान ने उसे यूसुफ के परिवार समूह के श्रमिकों का अधिकारी बना दिया। 29 एक दिन यारोबाम यरूशलेम के बाहर यात्रा कर रहा था। शीलो का अहिय्याह नबी उससे सड़क पर मिला। अहिय्याह एक नया अंगरखा पहने था। ये दोनों व्यक्ति देश में अकेले थे।
30 अहिय्याह ने अपना नया अंगरखा लिया और इसे बारह टुकड़ों मे फाड़ डाला। 31 तब अहिय्याह ने यारोबाम से कहा, “इस अंगरखा के दस टुकड़े तुम अपने लिये ले लो। यहोवा इस्राएल का परमेश्वर कहता है: ‘मैं सुलैमान से राज्य को छीन लूँगा और मैं परिवार समूहों में से दस को, तुम्हें दूँगा 32 और मैं दाऊद के परिवार को केवल एक परिवार समूह पर शासन करने दूँगा। मैं उन्हें केवल इस समूह को लेने दूँगा। मैं यह अपने दाऊद और यरूशलेम के लिये ऐसा करने दूँगा। यरूशलेम वह नगर है जिसे मैंने सारे इस्राएल के परिवार समूह से चुना है। 33 मैं सुलैमान से राज्य ले लूँगा क्योंकि उसने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया। वह सीदोनी देवमूर्ती अश्तोरेत की पूजा करता है। वह अश्तोरेत, सीदोनी देवता, मोआबी देवता कमोश और अम्मोनी देवता मिल्कोम की पूजा करता है। सुलैमान ने सच्चे और अच्छे कामों को करना छोड़ दिया है। वह मेरे नियमों और आदेशों का पालन नहीं करता। वह उस प्रकार नहीं रहता जिस प्रकार उसका पिता दाऊद रहता था। 34 इसलिये मैं राज्य को सुलैमान के परिवार से ले लूँगा। किन्तु मैं सुलैमान को उसके शेष जीवन भर उनका शासक रहने दूँगा। यह मैं अपने सेवक दाऊद के लिये करूँगा। मैंने दाऊद को इसलिये चुना था कि वह मेरे सभी आदेशों व नियमों का पालन करता था। 35 किन्तु मैं उसके पुत्र से राज्य ले लूँगा और यारोबाम मैं तुम्हें दस परिवार समूह पर शासन करने दूँगा। 36 मैं सुलैमान के पुत्र को एक परिवार समूह पर शासन करते हुए रहने दूँगा। मैं इसे इसलिए करूँगा कि मेरे सेवक दाऊद का शासन यरूशलेम में मेरे सामने सदैव रहेगा। यरूशलेम वह नगर है जिसे मैंने अपना निजी नगर चुना है। 37 किन्तु मैं तुम्हें उन सभी पर शासन करने दूँगा जिसे तुम चाहते हो। तुम पूरे इस्राएल पर शासन करोगे। 38 मैं यह सब तुम्हारे लिये करूँगा। यदि तुम सच्चाई के साथ रहोगे और मेरे सारे आदेशों का पालन करोगे तो मैं तुम्हारे साथ रहूँगा। मैं तुम्हारे परिवार को राजाओं का परिवार वैसे ही बना दूँगा जैसे मैंने दाऊद को बनाया। मैं तुमको इस्राएल दूँगा। 39 मैं दाऊद की सन्तानों को उसका दण्ड दूँगा जो सुलैमान ने किया। किन्तु मैं सदैव के लिये उन्हें दण्ड नहीं दूँगा।’”
सुलैमान की मृत्यु
40 सुलैमान ने यारोबाम को मार डालने का प्रयत्न किया। किन्तु यारोबाम मिस्र भाग गया। वह मिस्र के राजा शीशक के पास गया। यारोबाम वहाँ तब तक ठहरा जब तक सुलैमान मरा नहीं।
41 सुलैमान ने अपने शासन काल में बहुत बड़े और बुद्धिमत्तापूर्ण काम किये। जिनका विवरण सुलैमान के इतिहास—ग्रन्थ में लिखा है। 42 सुलैमान ने यरूशलेम में पूरे इस्राएल पर चालीस वर्ष तक शासन किया। 43 तब सुलैमान मरा और अपने पूर्वजों के साथ दफनाया गया। वह अपने पिता के दाऊद नगर में दफनाया गया, और उसका पुत्र रहूबियाम उसके स्थान पर राजा बना।
गृह युद्ध
12नबात का पुत्र यारोबाम तब भी मिस्र में था, जहाँ वह सुलैमान से भागकर पहुँचा था। जब उसने सुलैमान की मृत्यु की खबर सुनी तो वह एप्रैम की पहाड़ियों में अपने जेरदा नगर में वापस लौट आया। राजा सुलैमान मरा और अपने पूर्वजों के साथ दफनाया गया। उसके बाद उसका पुत्र रहूबियाम नया राजा बना। इस्राएल के सभी लोग शकेम गए।
वे रहूबियाम को राजा बनाने गये। रहूबियाम भी राजा बनने के लिये शकेम गया। लोगों ने रहूबियाम से कहा, 4 “तुम्हारे पिता ने हम लोगों को बहुत कठोर श्रम करने के लिये विवश किया। अब तुम इसे हम लोगों के लिये कुछ सरल करो। उस कठिन काम को बन्द करो जिसे करने के लिये तुम्हारे पिता ने हमें विवश किया था। तब हम तुम्हारी सेवा करेंगे।”
5 रहूबियाम ने उत्तर दिया, “तीन दिन में मेरे पास वापस लौट कर आओ और मैं उत्तर दूँगा।” अत: लोग चले गये।
6 कुछ अग्रज लोग थे जो सुलैमान के जीवित रहते उसके निर्णय करने में सहायता करते थे। इसलिए राजा रहूबियाम ने इन व्यक्तियों से पूछा कि उसे क्या करना चाहिये। उसने कहा, “आप लोग क्या सोचते हैं, मुझे इन लोगों को क्या उत्तर देना चाहिये”
7 अग्रजों ने उत्तर दिया, “यदि आज तुम उनके सेवक की तरह रहोगे तो वे सच्चाई से तुम्हारी सेवा करेंगे। यदि तुम दयालुता के साथ उनसे बातें करोगे तब वे तुम्हारी सदा सेवा करेंगे।”
8 किन्तु रहूबियाम ने उनकी यह सलाह न मानी। उसने उन नवयुवकों से सलाह ली जो उसके मित्र थे। 9 रहूबियाम ने कहा, “लोग यह कहते हैं, ‘हमें उससे सरल काम दो जो तुम्हारे पिता ने दिया था।’ तुम क्या सोचते हो, मुझे लोगों को कैसे उत्तर देना चाहिये मैं उनसे क्या कहूँ”
10 राजा के युवक मित्रों ने कहा, “वे लोग तुम्हारे पास आए और उन्होंने तुमसे कहा, ‘तुम्हारे पिता ने हमें कठिन श्रम करने के लिये विवश किया। अब हम लोगों का काम सरल करें।’ अत: तुम्हें डींग मारनी चाहिये और उनसे कहना चाहिये, ‘मेरी छोटी उंगली मेरे पिता के पूरे शरीर से अधिक शक्तिशाली है। 11 मेरे पिता ने तुम्हें कठिन श्रम करने को विवश किया। किन्तु मैं उससे भी बहुत कठिन काम कराऊँगा! मेरे पिता ने तुमसे काम लेने के लिये कोड़ों का उपयोग किया था। मैं तुम्हें उन कोड़ों से पीटूँगा जिनमें धारदार लोहे के टुकड़े हैं, तुम्हें घायल करने के लिये!’”
12 रहूबियाम ने लोगों से कहा था, “तीन दिन में मेरे पास वापस आओ।” इसलिये तीन दीन बाद इस्राएल के सभी लोग रहूबियाम के पास लौटे। 13 उस समय राजा रहूबियाम ने उनसे कठोर शब्द कहे। उसने अग्रजों की सलाह न मानी। 14 उसने वही किया जो उसके मित्रों ने उसे करने को कहा। रहूबियाम ने कहा, “मेरे पिता ने तुम्हें कठिन श्रम करने को विवश किया। अत: मैं तुम्हें और अधिक काम दूँगा। मेरे पिता ने तुमको कोड़े से पीटा। किन्तु मैं तुम्हें उन कोड़ों से पीटूँगा जिनमें तुम्हें घायल करने के लिये धरादर लोहे के टुकड़े हैं।” 15 अत: राजा ने वह नहीं किया जिसे लोग चाहते थे। यहोवा ने ऐसा होने दिया। यहोवा ने यह अपनी उस प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिये किया जो उसने नाबात के पुत्र यारोबाम के साथ की थी। यहोवा ने अहिय्याह नबी का उपयोग यह प्रतिज्ञा करने के लिये किया था। अहिय्याह शीलो का था।
16 इस्राएल के सभी लोगों ने समझ लिया कि नये राजा ने उनकी बात अनसुनी कर दी है। इसलिये लोगों ने राजा से कहा,
“क्या हम दाऊद के परिवार के अंग हैं नहीं!
क्या हमें यिशै की भूमि में से कुछ मिला है नहीं!
अत: इस्राएलियो हम अपने घर चलें।
दाऊद के पुत्र को अपने लोगों पर शासन करने दो।”
अत: इस्राएल के लोग अपने घर वापस गए। 17 किन्तु रहूबियाम फिर भी उन इस्राएलियों पर शासन करता रहा, जो यहूदा के नगरों में रहते थे।
18 अदोराम नामक एक व्यक्ति सब श्रमिकों का अधिकारी था। राजा रहूबियाम ने अदोराम को लोगों से बात चीत करने के लिये भेजा। किन्तु इस्राएल के लोगों ने उस पर तब तक पत्थर बरसाये जब तक वह मर नहीं गया। तब राजा रहूबियाम अपने रथ तक दौड़ा और यरूशलेम को भाग निकला। 19 इस प्रकर इस्राएल ने दाऊद के परिवार से विद्रोह कर दिया और वे अब भी आज तक दाऊद के परिवार के विरुद्ध हैं।
20 इस्राएल के सभी लोगों ने सुना कि यारोबाम वापस लौट आया है। इसलिये उन्होंने उसे एक सभा में आमन्त्रित किया और उसे पूरे इस्राएल का राजा बना दिया। केवल यहूदा का परिवार समूह ही एक मात्र परिवार समूह था जो दाऊद के परिवार का अनुसरण करता रहा।
21 रहूबियाम यरूशलेम को वापस गया। उसने यहूदा के परिवार समूह और बिन्यामीन के परिवार समूह को इकट्ठा किया। यह एक लाख अस्सी हजार पुरुषों की सेना थी। रहूबियाम इस्राएल के लोगों के विरुद्ध युद्ध लड़ना चाहता था। वह अपने राज्य को वापस लेना चाहता था। 22 किन्तु यहोवा ने परमेश्वर के एक व्यक्ति से बातें कीं। उसका नाम शमायाहा था। परमेश्वर ने कहा, 23 “यहूदा के राजा, सुलैमान के पुत्र, रहूबियाम और यहूदा तथा बिन्यामीन के सभी लोगों से बात करो। 24 उनसे कहो, ‘यहोवा कहता है कि तुम्हें अपने भाइयों इस्राएल के लोगों के विरुद्ध युद्ध में नहीं जाना चाहिये। तुम सबको घर लौट जाना चाहिये। मैंने इन सभी घटनाओं को घटित होने दिया है।’” अत: रहूबियाम की सेना के पुरुषों ने यहोवा का आदेश माना। वे, सभी अपने घर लौट गए।
समीक्षा
ईमानदारी को प्राथमिकता दें
इस लेखांश में हम बदतर स्तर पर मानवीय संबंधो को देखते हैं. सुलैमान वह काटने लगे जो उन्होंने बोया था. उन्होंने परमेश्वर के प्रति बेईमानी को बोया था और वह चारों ओर से बेईमानी को काट रहे थे. पहला शत्रु था हदद (11:14), दूसरा था रजोन (व.23), 'विद्रोहियों के दल का लीडर' (व.24).
फिर, यारोबाम ने राजा के विरूद्ध विद्रोह किया (व.26). वह सुलैमान का एक अधिकारी था, 'एक अधिकार का मनुष्य', जिसे सुलैमान ने 'यूसुफ के घराने के सब काम पर मुखिया ठहराया' (व.28). सुलैमान के जीवन का समापन होता है शत्रुओं से घिरकर और यारोबाम को मार डालने की कोशिश करते हुए (व.40).
सुलैमान का पुत्र, रहूबियाम एक अस्तव्यस्त विरासत पाता है. वह अपने शत्रुओं के साथ बुद्धिपूर्वक नहीं निपटता. वह सुनने में असफल हो जाता है. वह 'अपनी प्रजा की बात नहीं सुनता' (12:15, एम.एस.जी). उन्होंने समझा कि वह 'हमारी कोई बात नहीं सुनता है' (व.16, एम.एस.जी).
प्राचीनों ने जो सलाह उसे दी थी, उसने उसे नकार दिया. इसके परिणामस्वरूप, इस्राएल के बहुत से लोग यारोबाम के पास इकट्ठा हो गए. 'केवल यहूदा का गोत्र दाऊद के घराने के प्रति वफादार बना रहा' (व.20). फिर से, लड़ाई शुरु हुई (व.21). इसके परिणामस्वरूप राज्य बँट गया – लेकिन यह भी परेशानियों का अंत नहीं है. परमेश्वर ने यारोबाम से अद्भुत आशीषों का वायदा कियाः'यदि तू मेरे प्रति आज्ञाकारी रहे' (व.38). (जैसा कि हम अगले कुछ दिनों में देखेंगे) यारोबाम ने ऐसा नहीं किया – और इसका परिणाम भयानक था.
परमेश्वर के लोगों के इतिहास में यह घटना, परमेश्वर के प्रति बेईमानी की एक कहानी है राजा के प्रति बेईमानी, विद्रोह और अंदर के लोगों का लड़ना. वस्तुओं को ऐसा नहीं होना चाहिए था. आपकी ईमानदारी को, आपके प्रति परमेश्वर की वफादारी का परावर्तन होना चाहिए.
यदि आप बेईमानी को बोयेंगे, तो आप बेईमानी को काटेंगे. यदि आप ईमानदारी को बोयेंगे, तो आप ईमानदारी को काटेंगे. आप अपने कामों और अपने वचनों के द्वारा ईमानदारी को दिखाते हैं. जो अनुपस्थित है उनके प्रति ईमानदारी दिखायें. ऐसा करने से, आप उनके भरोसें को जीतेंगे जो उपस्थित हैं.
हम चाहे जितने बेईमान हो, परमेश्वर अपने वायदे के प्रति ईमानदार रहते हैं. वह दाऊद के साथ अपनी वाचा को याद रखते हैं (2शमुएल 7 देखें), और लोगों को पूरी तरह से नकारते नहीं हैं (1राजा 11:32,34,36). यद्पि वह हमें अनुशासित करते हैं - 'इस पाप के कारण मैं दाऊद के वंश को दुख दूंगा, तब भी सदा के लिए नहीं' (व.39) – उनका अनुशासन थोड़े समय का है, उनकी ईमानदारी अनंतकाल की है. 'परमेश्वर हमारे भले के लिए हमें अनुशासित करते हैं, ताकि हम उनकी पवित्रता में भागी हो' (इब्रानियों 12:10).
आपके प्रति परमेश्वर की कटिबद्धता और ईमानदारी इस तरह से है कि कुछ भी आपको 'हमारे प्रभु यीशु मसीह में परमेश्वर के प्रेम से अलग नहीं कर पायेगा' (रोमियो 8:39).
यह एक कारण नहीं है कि आत्मसंतुष्ट हो जाएं, बल्कि यह एक ध्येय है कि परमेश्वर के अनुग्रह में फिर से आनंद मनायें और अपने आपको पूरे हृदय से आराधना के लिए दें. आप फिर से अपने जीवन के ऊपर परमेश्वर की बुलाहट को उत्तर देना चुन सकते हैं - 'मेरे मार्ग पर चलो और मेरी दृष्टि में जो सही है, वह करो' (1राजा 11:38).
प्रार्थना
परमेश्वर, कृपया आपके प्रेम, एकता और चर्च के प्रति ईमानदारी की आत्मा को ऊँडेलिये. हमारी सहायता करिए कि एक दूसरे के साथ पार्टनरशिप में काम करें. हमारी मित्रता की रक्षा करें, हमारी पार्टनरशिप को सुरक्षित रखें और हमारे शत्रुओं से निपटने में हमें बुद्धि दें.
पिप्पा भी कहते है
प्रेरितों के कार्य 15:37-39
यह बहुत अच्छा है जब लोग आपका समर्थन करते हैं. बरनबास ने मरकुस का समर्थन किया और उसे एक दूसरा मौका दिया. क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जिसके लिए आप आज अच्छा बोल सकते हैं?

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संदर्भ
सी.एस. लेविस द फोर लव्स (विलियम कॉलिन 2012)
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
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जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
2016 से लिया गया आरोपण:
जॉन स्तॉट, द मैसेज ऑफ एक्ट्स, (आईवीपी, 1991).