अदृश्य लेकिन अमूल्य
परिचय
हर सोमवार की सुबह वह हमारे ऑफिस में फोन करते हैं। वह सप्ताह के दौरान होनेवाले कार्यक्रमों और सभाओं और उनमें शामिल लोगों के बारे में पूछते हैं। सालों से, चार्ल्स और उनके प्रार्थना समूह ने वफादारी से प्रार्थना में चर्च का सहयोग किया है। वह हमारे चर्च में बहुतों के उदाहरण है जो हमारे लिए मध्यस्थता करते हैं। उनकी प्रार्थनाएँ शायद से अदृश्य है लेकिन वे अमूल्य भी है।
सामान्य रूप से शब्द 'मध्यस्थता' का अर्थ है किसी दूसरे के लिए प्रार्थना करना, (यद्यपी, इसका इस्तेमाल स्वयं के लिए प्रार्थना करने में भी किया जा सकता है।) हम मध्यस्थता करने के लिए बुलाए गए हैः ' अब मैं सब से पहले यह आग्रह करता हूँ कि विनती, और प्रार्थना, और निवेदन, और धन्यवाद सब मनुष्यों के लिये किए जाएँ। 2 राजाओं और सब उँढचे पदवालों के लिये' (1तीमुथियुस 2:1-2)।
यीशु महान मध्यस्थ है। उन्होंने 'अपराधियों के लिए मध्यस्थता की' (यशायाह 53:12)। वह 'परमेश्वर के दाहिने हाथ है और वह हमारे मध्यस्थता भी कर रहे है' (रोमियो 8:34; इब्रानियों 7:25 भी देखे)। पवित्र हमारे लिए और हमारे द्वारा भी मध्यस्थता करते हैः'आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर, जो बयान से बाहर हैं, हमारे लिये विनती करता है;... वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार विनती करता है' (रोमियो 8:26-27)।
आज के पुराने नियम के लेखांश में, हम एक मध्यस्थ के रूप में यशायाह की भूमिका को देखते है। दूसरों के लिए मध्यस्थता करना, एक भविष्यवक्ता की भूमिका का भाग है। राजाओं ने भी मध्यस्थता की, उदाहरण के लिए दाऊद, सुलेमान और हिजकिय्याह। आप भी इस अदृश्य लेकिन अमूल्य सेवकाई में बुलाए गए है।
भजन संहिता 83:1-18
आसाप का एक स्तुति गीत।
83हे परमेश्वर, तू मौन मत रह!
अपने कानों को बंद मत कर!
हे परमेश्वर, कृपा करके कुछ बोल।
2 हे परमेश्वर, तेरे शत्रु तेरे विरोध में कुचक्र रच रहे हैं।
तेरे शत्रु शीघ्र ही वार करेंगे।
3 वे तेरे भक्तों के विरूद्ध षड़यन्त्र रचते हैं।
तेरे शत्रु उन लोगों के विरोध में जो तुझको प्यारे हैं योजनाएँ बना रहे हैं।
4 वे शत्रु कह रहे हैं, “आओ, हम उन लोगों को पूरी तरह मिटा डाले,
फिर कोई भी व्यक्ति ‘इस्राएल’ का नाम याद नहीं करेगा।”
5 हे परमेश्वर, वे सभी लोग तेरे विरोध में और तेरे उस वाचा के विरोध में जो तूने हमसे किया है,
युद्ध करने के लिये एक जुट हो गए।
6-7 ये शत्रु हमसे युद्ध करने के लिये एक जुट हुए हैं: एदोमी, इश्माएली, मोआबी और हाजिरा की संताने, गबाली
और अम्मोनि, अमालेकी और पलिश्ती के लोग, और सूर के निवासी लोग।
ये सभी लोग हमसे युद्ध करने जुट आये।
8 यहाँ तक कि अश्शूरी भी उन लोगों से मिल गये।
उन्होंने लूत के वंशजों को अति बलशाली बनाया।
9 हे परमेश्वर, तू शत्रु वैसे हरा
जैसे तूने मिद्यानी लोगों, सिसरा, याबीन को किशोन नदी के पास हराया।
10 तूने उन्हें एन्दोर में हराया।
उनकी लाशें धरती पर पड़ी सड़ती रहीं।
11 हे परमेश्वर, तू शत्रुओं के सेनापति को वैसे पराजित कर जैसे तूने ओरेब और जायेब के साथ किया था,
कर जैसे तूने जेबह और सलमुन्ना के साथ किया।
12 हे परमेश्वर, वे लोग हमको धरती छोड़ने के लिये दबाना चाहते थे!
13 उन लोगों को तू उखड़े हुए पौधा सा बना जिसको पवन उड़ा ले जाती है।
उन लोगों को ऐसे बिखेर दे जैसे भूसे को आँधी बिखेर देती है।
14 शत्रु को ऐसे नष्ट कर जैसे वन को आग नष्ट कर देती है,
और जंगली आग पहाड़ों को जला डालती है।
15 हे परमेश्वर, उन लोगों का पीछा कर भगा दे, जैसे आँधी से धूल उड़ जाती है।
उनको कँपा और फूँक में उड़ा दे जैसे चक्रवात करता है।
16 हे परमेश्वर, उनको ऐसा पाठ पढ़ा दे, कि उनको अहसास हो जाये कि वे सचमुच दुर्बल हैं।
तभी वे तेरे काम को पूजना चाहेंगे!
17 हे परमेश्वर, उन लोगों को भयभीत कर दे
और सदा के लिये अपमानित करके उन्हें नष्ट कर दे।
18 वे लोग तभी जानेंगे कि तू परमेश्वर है।
तभी वे जानेंगे तेरा नाम यहोवा है।
तभी वे जानेंगे
तू ही सारे जगत का परम परमेश्वर है!
समीक्षा
खोजनेवालों के लिए मध्यस्थता किजिए
यह भजन मध्यस्थता की एक प्रार्थना है – लोगों के लिए मध्यस्थता करना कि उनके पास परमेश्वर के अंतिम प्रामाणिकता का ज्ञान आए, और उस अंतिम दिन से पहले वह मन फिराए।
आस-पास के देश परमेश्वर के लोगों को नष्ट करना चाहते हैं (व.4)। फिर भी, भजनसंहिता के लेखक इसे स्वयं परमेश्वर पर प्रहार की तरह देखते हैं। वह उन्हें 'तुम्हारे शत्रु' कहते हैं (व.2) जो 'तेरे विरूद्ध वाचा बाँधते हैं' (व.5)। यह याद दिलाता है कि परमेश्वर के लोगों पर प्रहार, आखिर में परमेश्वर पर प्रहार है।
भजन की प्रार्थना है कि परमेश्वर के शत्रु भाग जाएँ (वव.9-15)। किंतु, यह परिवर्तन के लिए भी मध्यस्थता हैः'इनके मुंह को अति लज्जित कर, कि हे यहोवा ये तेरे नाम को ढूँढ़े' (व.16)। एक अंतर्निहित इच्छा है कि दूसरे सच्चे परमेश्वर को खोजेः'जिससे ये जानें कि केवल तू जिसका नाम यहोवा है, सारी पृथ्वी के ऊपर परमप्रधान है' (व.18)।
प्रार्थना
परमेश्वर, मैं उन सभी के लिए प्रार्थना करता हूँ जो अभी अल्फा में है, कि वे आपके नाम को खोजने का प्रयास करे। मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप कार्य करे; कि आप चुप न रहे; कि लोग जान ले कि केवल आप सारी पृथ्वी के ऊपर परमप्रधान है
प्रेरितों के काम 28:1-16
माल्टा द्वीप पर पौलुस
28इस सब कुछ से सुरक्षापुर्वक बच निकलने के बाद हमें पता चला कि उस द्वीप का नाम माल्टा था। 2 वहाँ के मूल निवासियों ने हमारे साथ असाधारण रूप से अच्छा व्यवहार किया। क्योंकि सर्दी थी और वर्षा होने लगी थी, इसलिए उन्होंने आग जलाई और हम सब का स्वागत किया। 3 पौलुस ने लकड़ियों का एक गट्ठर बनाया और वह जब लकड़ियों को आग पर रख रहा था तभी गर्मी खा कर एक विषैला नाग बाहर निकला और उसने उसके हाथ को डस लिया। 4 वहाँ के निवासियों ने जब उस जंतु को उसके हाथ से लटकते देखा तो वे आपस में कहने लगे, “निश्चय ही यह व्यक्ति एक हत्यारा है। यद्यपि यह सागर से बच निकला है किन्तु न्याय इसे जीने नहीं दे रहा है।”
5 किन्तु पौलुस ने उस नाग को आग में ही झटक दिया। पौलुस को किसी प्रकार की हानि नहीं हुई। 6 लोग सोच रहे थे कि वह या तो सूज जायेगा या फिर बरबस धरती पर गिर कर मर जायेगा। किन्तु बहुत देर तक प्रतीक्षा करने के बाद और यह देख कर कि उसे असाधारण रूप से कुछ भी नहीं हुआ है, उन्होंने अपनी धारणा बदल दी और बोले, “यह तो कोई देवता है।”
7 उस स्थान के पास ही उस द्वीप के प्रधान अधिकारी पबलियुस के खेत थे। उसने अपने घर ले जा कर हमारा स्वागत-सत्कार किया। बड़े मुक्त भाव से तीन दिन तक वह हमारी आवभगत करता रहा। 8 पबलियुस का पिता बिस्तर में था। उसे बुखार और पेचिश हो रही थी। पौलुस उससे मिलने भीतर गया। फिर प्रार्थना करने के बाद उसने उस पर अपने हाथ रखे और वह अच्छा हो गया। 9 इस घटना के बाद तो उस द्वीप के शेष सभी रोगी भी वहाँ आये और वे ठीक हो गये।
10-11 अनेक उपहारों द्वारा उन्होंने हमारा मान बढ़ाया और जब हम वहाँ से नाव पर आगे को चले तो उन्होंने सभी आवश्यक वस्तुएँ ला कर हमें दीं।
पौलुस का रोम जाना
फिर सिकंदरिया के एक जहाज़ पर हम वही चल पड़े। इस द्वीप पर ही जहाज़ जाड़े में रुका हुआ था। जहाज़ के अगले भाग पर जुड़वाँ भाईयों का चिन्ह अंकित था। 12 फिर हम सरकुस जा पहुँचे जहाँ हम तीन दिन ठहरे। 13 वहाँ से जहाज़ द्वारा हम रेगियुम पहुँचे और फिर अगले ही दिन दक्षिणी हवा चल पड़ी। सो अगले दिन हम पुतियुली आ गये। 14 वहाँ हमें कुछ बंधु मिले और उन्होंने हमें वहाँ सात दिन ठहरने को कहा और इस तरह हम रोम आ पहुँचे। 15 जब वहाँ के बंधुओं को हमारी सूचना मिली तो वे अप्पियुस का बाज़ार और तीन सराय तक हमसे मिलने आये। पौलुस ने जब उन्हें देखा तो परमेश्वर को धन्यवाद देकर वह बहुत उत्साहित हुआ।
पौलुस का रोम आना
16 जब हम रोम पहुँचे तो एक सिपाही की देखरेख में पौलुस को अपने आप अलग से रहने की अनुमति दे दी गयी।
समीक्षा
चंगाई के लिए मध्यस्था किजिए
मैं ने किसी समय सुना कि बताया जा रहा था कि मसीहों को अब भौतिक चंगाई के लिए प्रार्थना नहीं करनी चाहिए। यह विवाद चल रहा था कि चंगाई के चमत्कार केवल यीशु की सेवकाई और उनकी मृत्यु और पुनर्रत्थान के थोड़े समय बाद के लिए ही थे। कुछ ने यह भी बताया कि प्रेरितों के काम के समय में चमत्कार पहले ही खत्म हो रहे थे। किंतु, स्पष्ट रूप से ऐसा नहीं है।
जब एक साँप पौलुस के हाथों से लिपट गया, तब उसने साँप को आग में झटक दिया और उसपर कोई बुरा प्रभाव नहीं हुआ (वव.3-5)। यहाँ पर हम प्रेरितों के काम की पुस्तक के अंतिम अध्याय में sहै और हमने पढ़ा कि कैसे पौलुस मरकुस 16:18 में यीशु की भविष्यवाणी के उदाहरण हैः'वे अपने हाथों से साँपों को उठा लेंगे।'
जब पौलुस और उसके साथी माल्टा में थे, तब वे पुबलियुस से मिले, जो की द्वीप का प्रधान थाः'उसने हमें अपने घर ले जाकर तीन दिन मित्रभाव से पहुनाई की। पुबलियुस का पिता ज्वर और आँव लहू से रोगी पड़ा था। अत पौलुस ने उसके पास घर में जाकर प्रार्थना की और उस पर हाथ रखकर उसे चंगा किया' (प्रेरितों के काम 28:7-8)।
यह हमारे करने के लिए एक सरल नमूना है। पहला, जब पौलुस ने सुना कि पुबलियुस का पिता बीमार था, तब उसने विश्वास में कार्य किया। उन्होंने विश्वास किया की परमेश्वर उन्हें चंगा करने में सक्षम थे, इसलिए (वह) उन्हें देखने के लिए अंदर गए (व.8)।
दूसरा, उन्होंने निर्भिकतापूर्वक काम किया। पुबलियुस के पिता संभाव्यत एक मसीह नहीं थे। फिर भी पौलुस उनके लिए प्रार्थना करने और लोगों के सामने, उनपर हाथ रखने में निर्भिक थे। अवश्य ही यह सोचने का प्रलोभन आया होगा कि, 'वह चंगा नहीं हुए तो क्या होगा?' 'क्या मैं एक असफल व्यक्ति दिखूंगा?' 'क्या यह सुसमाचार को बदनाम कर देगा?' लेकिन पौलुस ने एक जोखिम उठाया। उन्होंने विश्वास में काम किया। उन्होंने प्रार्थना की, उनपर हाथ रखा और परमेश्वर ने उन्हें चंगा किया। ' जब ऐसा हुआ तो उस द्वीप के बाकी बीमार आए और चंगे किए गए' (वव.7-9)।
खत्म होना तो दूर की बात है, वहाँ पर चंगाई के चमत्कारों का एक विस्फोट हुआ, जैसे ही प्रेरितों के काम की पुस्तक खत्म होने पर थी। लूका स्पष्ट रूप से देखते हैं कि यह ऐसा कुछ है जो चर्च के जीवन में निरंतर बना रहता है। असली प्रश्न यह नहीं है कि, 'क्या परमेश्वर आज चंगा करते हैं?' लेकिन, 'क्या परमेश्वर आज प्रार्थना का उत्तर देते हैं?' यदि वे देते हैं, तो आप स्वास्थ जैसी महत्वपूर्ण चीज को क्यों बाहर रखेंगे? चंगाई के लिए प्रार्थना, मध्यस्थता का एक महत्वपूर्ण भाग है।
सालों से मैंने और पीपा ने बहुत से लोगों के लिए प्रार्थना की है। निश्चित ही ऐसा नहीं हुआ कि सभी चंगे हो गए। हम बीमारों के लिए इसलिए प्रार्थना नहीं करते हैं कि वे सभी चंगे हो जाएँ। हम उनके लिए प्रार्थना करते हैं क्योंकि यीशु ने हमें ऐसा करने के लिए कहा है। इन सालों में हमने कभी कभी असाधारण चमत्कारों को देखा है। निराश मत होईये। विश्वास और निर्भिकता, प्रेम और संवेदनशीलता के साथ प्रार्थना करते रहिये।
प्रार्थना
परमेश्वर, हमारी सहायता करें कि बीमारों पर हाथ रखने और उनकी चंगाई के लिए प्रार्थना करने के हर अवसर का इस्तेमाल करने का साहस हम रखें। आपका धन्यवाद क्योंकि आप वह परमेश्वर हैं जो आज चंगा करते हैं।
2 राजा 19:14-20:21
हिजकिय्याह यहोवा से प्रार्थना करता है
14 हिजकिय्याह ने सन्देशवाहकों से पत्र प्राप्त किये और उन्हें पढ़ा। तब हिजकिय्याह यहोवा के मन्दिर तक गया और यहोवा के सामने पत्रों को रखा। 15 हिजकिय्याह ने यहोवा के सामने प्रार्थना की और कहा, “यहोवा इस्राएल का परमेश्वर! तू करूब (स्वर्गदूतों) पर सम्राट की तरह बैठता है। तू ही केवल सारी पृथ्वी के राज्यों का परमेश्वर है। तूने पृथ्वी और आकाश को बनाया। 16 यहोवा मेरी प्रार्थना सुन। यहोवा अपनी आँखें खोल और इस पत्र को देख। उन शब्दों को सुन जिन्हें सन्हेरीब ने शाश्वत परमेश्वर का अपमान करने को भेजा है। 17 यहोवा, यह सत्य है। अश्शूर के राजाओं ने इन सभी राष्ट्रों को नष्ट किया। 18 उन्होंने राष्ट्रों के देवताओं को आग में फेंक दिया। किन्तु वे सच्चे देवता नहीं थे। वे केवल लकड़ी और पत्थर की मूर्ति थे जिन्हें मनुष्यों ने बना रखा था। यही कारण था कि अश्शूर के राजा उन्हें नष्ट कर सके। 19 अतः यहोवा, हमारा परमेश्वर, अब तो अश्शूर के राजा से बचा। तब पृथ्वी के सारे राज्य समझेंगे कि यहोवा, तू ही केवल परमेश्वर है।”
20 आमोस के पुत्र यशायाह ने हिजकिय्याह को यह सन्देश भेजा। उसने कहा, “यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर यह कहता है, ‘तुमने मुझसे अश्शूर के राजा सन्हेरीब के विरुद्ध प्रार्थना की है। मैंने तुम्हारी प्रार्थना सुन ली है।’
21 “सन्हेरीब के बारे में यहोवा का सन्देश यह हैः
‘सिय्योन की कुमारी पुत्री (यरूशलेम) तुम्हें तुच्छ समझती है,
वह तुम्हारा मजाक उड़ाती है!
यरूशलेम की पुत्री तुम्हारे पीठ के पीछे सिर झटकती है।
22 तुमने किसका अपमान किया किसका मजाक उड़ाया
किसके विरुद्ध तुमने बातें की तुमने ऐसे काम किये
मानों तुम उससे बढ़कर हो।
तुम इस्राएल के परम पावन के विरुद्ध रहे!
23 तुमने अपने सन्देशवाहकों को यहोवा का अपमान करने को भेजा।
तुमने कहा, “मैं अपने अनेक रथों सहित ऊँचे पर्वतों तक आया।
मैं लबानोन में भीतर तक आया।
मैंने लबानोन के उच्चतम देवदारू के पेंड़ों, और लबानोन के उत्तम चीड़ के पेड़ों को काटा।
मैं लबानोन के उच्चतम और सघनतम वन में घुसा ।
24 मैंने कुएँ और नये स्थानों का पानी पीया।
मैंने मिस्र की नदियों को सुखाया
और उस देश को रौंदा”
25 किन्तु क्या तुमने नहीं सुना
मैंने (परमेश्वर) बहुत पहले यह योजना बनाई थी,
प्राचीनकाल से ही मैंने ये योजना बना दी थी,
और अब मैं उसे ही पूरी होने दे रहा हूँ।
मैंने तुम्हें दृढ़ नगरों को चट्टानों की
ढेर बनाने दिया।
26 नगर में रहने वाले व्यक्ति कोई शक्ति नहीं रखते।
ये लोग भयभीत और अस्त—व्यस्त कर दिये गए।
लोग खेतों के जंगली पौधों की तरह हो गए,
वे जो बढ़ने के पहले ही मर जाते हैं, घर के मुंडेर की घास बन गए।
27 तुम उठो और मेरे सामने बैठो,
मैं जानता हूँ कि तुम कब युद्ध करने जाते हो
और कब घर आते हो,
मैं जानता हूँ कि
तुम अपने को कब मेरे विरुद्ध करते हो।
28 तुम मेरे विरुद्ध गए मैंने तुम्हारे गर्वीले अपमान के शब्द सुने।
इसलिये मैं अपना अंकुश तुम्हारी नाक में डालूँगा।
और मैं अपनी लगाम तुम्हारे मूहँ में डालूँगा।
तब मैं तुम्हें पीछे लौटाऊँगा
और उस मार्ग लौटाऊँगा जिससे तुम आए थे।’”
हिजकिय्याह को यहोवा का सन्देश
29 यहोवा कहा, “मैं तुम्हारी सहायता करूँगा, इसका संकेत यह होगाः इस वर्ष तुम वही अन्न खाओगे जो अपने आप उगेगा। अगले वर्ष तुम वह अन्न खाओगे जो उस बीज से उत्पन्न होगा। किन्तु तीसरे वर्ष तुम बीज बोआगे और अपनी बोयी फसल काटोगे। तुम अंगूर की बेल खेतों में लगाओगे और उनसे अगूंर खाओगे 30 और यहूदा के परिवार के जो लोग बच गए हैं वे फिर फूले फलेंगे ठीक वैसे ही जैसे पौधा अपनी जड़ें मजबूत कर लेने पर ही फल देता है। 31 क्यों क्योंकि कुछ लोग जीवित बचे रहेंगे। वे यरूशलेम के बाहर चले जायेंगे। जो लोग बच गये हैं वे सिय्योन पर्वत से बाहर जाएंगे। यहोवा की तीव्र भावना यह करेगी।
32 “अश्शूर के सम्राट के विषय में यहोवा कहता हैः
‘वह इस नगर में नहीं आएगा।
वह इस नगर में एक भी बाण नहीं चलाएगा।
वह इस नगर के विरुद्ध ढाल के साथ नहीं आएगा।
वह इस नगर पर आक्रमण के मिट्टी के टीले नहीं बनाएगा।
33 वह उसी रास्ते लौटेगा जिससे आया।
वह इस नगर में नहीं आएगा।
यह यहोवा कहता है!
34 मैं इस नगर की रक्षा करूँगा और बचा लूँगा।
मैं इस नगर को बचाऊँगा।
मैं यह अपने लिये और अपने सेवक दाऊद के लिये करूँगा।’”
अश्शूरी सेना नष्ट हो गई
35 उस रात यहोवा का दूत अश्शूरी डेरे में गया और एक लाख पचासी हज़ार लोगों को मार डाला। सुबह को जब लोग उठे तो उन्होंने सारे शव देखे।
36 अतः अश्शूर का राजा सन्हेरीब पीछे हटा और नीनवे वापस पहुँचा, तथा वहीं रूक गया। 37 एक दिन सन्हेरीब निस्रोक के मन्दिर में अपने देवता की पूजा कर रहा था। उसके पुत्रों अद्रेम्मेलेक और सरेसेर ने उसे तलवार से मार डाला। तब अद्रेम्मेलेक और सरेसेर अरारात प्रदेश में भाग निकले और सनहेरीब का पुत्र एसर्हद्दोन उसके बाद नया राजा हुआ।
हिजकिय्याह बीमार पड़ा और मरने को हुआ
20उस समय हिजकिय्याह बीमार पड़ा और लगभग मर ही गया। आमोस का पुत्र यशायाह (नबी) हिजकिय्याह से मिला। यशायाह ने हिजकिय्याह से कहा, “यहोवा कहता है, ‘अपने परिवार के लोगों को तुम अपना अन्तिम निर्देश दो। तुम जीवित नहीं रहोगे।’”
2 हिजकिय्याह ने अपना मुँह दीवार की ओर कर लिया। उसने यहोवा से प्रार्थना की और कहा, 3 “यहोवा याद रख कि मैंने पूरे हृदय के साथ सच्चाई से तेरी सेवा की है। मैंने वह किया है जिसे तूने अच्छा बतया है।” तब हिजकिय्याह फूट फूट कर रो पड़ा।
4 बीच के आँगन को यशायाह के छोड़ने के पहले यहोवा का सन्देश उसे मिला। यहोवा ने कहा, 5 “लौटो और मेरे लोगों के अगुवा हिजकिय्याह से कहो, ‘यहोवा तुम्हारे पूर्वज दाऊद का परमेश्वर यह कहता है: मैंने तुम्हारी प्रार्थना सुन ली है और मैंने तुम्हारे आँसू देखे हैं। इसलिये मैं तुम्हें स्वस्थ करूँगा। तीसरे दिन तुम यहोवा के मन्दिर में जाओगे 6 और मैं तुम्हारे जीवन के पन्द्रह वर्ष बढ़ा दूँगा। मैं अश्शूर के सम्राट की शक्ति से तुम्हें और इस नगर को बचाऊँगा। मैं इस नगर की रक्षा करूँगा। मैं अपने लिये औरअपने सेवक दाऊद को जो वचन दिया था, उसके लिये यह करूँगा।’”
7 तब यशायाह ने कहा, “अंजीर का एक मिश्रण बनाओ और इसे घाव के स्थान पर लगाओ।”
इसलिए उन्होंने अंजीर का मिश्रम लिया और हिजकिय्याह के घाव के स्थान पर लगाया। तब हिजकिय्याह स्वस्थ हो गया।
8 हिजकिय्याह ने यशायाह से कहा, “इसका संकेत क्या होगा कि यहोवा मुझे स्वस्थ करेगा और मैं यहोवा के मन्दिर में तीसरे दिन जाऊँगा”
9 यशायाह ने कहा, “तुम क्या चाहते हो क्या छाया दस पैड़ी आगे जाये या दस पैड़ी पीछे जाये यही यहोवा का तुम्हारे लिये संकेत है जो यह प्रकट करेगा कि जो यहोवा ने कहा है, उसे वह करेगा।”
10 हिजकिय्याह ने उत्तर दिया, “छाया के लिये दस पैड़ियाँ उतर जाना सरल है। नहीं, छाया को दस पैड़ी पीछे हटने दो।”
11 तब यशायाह ने यहोवा से प्रार्थना की और यहोवा ने छाया को दस पैड़ियाँ पीछे चलाया। वह उन पैड़ियों पर लौटी जिन पर यह पहले थी।
हिजकिय्याह और बाबेल के व्यक्ति
12 उन दिनों बलदान का पुत्र बरोदक बलदान बाबेल का राजा था। उसने पत्रों का साथ एक भेंट हिजकिय्याह को भेजी। बरोदक—बलदान ने यह इसलिये किया क्योंकि उसने सुना कि हिजकिय्याह बीमार हो गया है। 13 हिजकिय्याह ने बाबेल के लोगों का स्वागत किया और अपने महल की सभी कीमती चीज़ों को उन्हें दिखाया। उसने उन्हें चाँदी, सोना, मसाले, कीमती इत्र, अस्त्र—शस्त्र और अपने खजाने की हर एक चीज़ दिखायी। हिजकिय्याह के पूरे महल और राज्य में ऐसा कुछ नहीं था जिसे उसने उन्हें न दिखाया हो।
14 तब यशायाह नबी राजा हिजकिय्याह के पास आया और उससे पूछा, “ये लोग क्या कहते थे वे कहाँ से आये थे” हिजकिय्याह ने कहा, “वे बहुत दूर के देश बाबेल से आए थे।”
15 यशायाह ने पूछा, “उन्होंने तुम्हारे महल में क्या देखा है”
हिजकिय्याह ने उत्तर दिया, “उन्होंने मेरे महल की सबी चीज़ें देखी हैं। मेरे खजानों में ऐसा कुछ नहीं है जिसे मैंने उन्हें न दिखाया हो।”
16 तब यशायाह ने हिजकिय्याह से कहा, “यहोवा के यहाँ से इस सन्देश को सुनो। 17 वह समय आ रहा है जब तुम्हारे महल की सभी चीज़ें और वे सभी चीज़ें जिन्हें तुम्हारे पूर्वजों ने आज तक सुरक्षित रखा है, बाबेल ले जाई जाएंगी। कुछ भी नहीं बचेगा। यहोवा यह कहता है। 18 बाबेल तुम्हारे पुत्रों को ले लेंगे और तुम्हारे पुत्र बाबेल के राजा के महल में खोजे बनेंगे।”
19 तब हिजकिय्याह ने यशायाह से कहा, “यहोवा के यहाँ से यह सन्देश अच्छा है।” (हिजकिय्याह ने यह भी कहा, “यह बहुत अच्छा है यदि मेरे जीवनकाल में सच्ची शान्ति रहे।”)
20 हिजकिय्याह ने जो बड़े काम किये, जिनमें जलकुण्ड पर किये गये काम और नगर में पानी लाने के लिये नहर बनाने के काम सम्मिलित हैं यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे गये हैं। 21 हिजकिय्याह मरा और अपने पूर्वजों के साथ दफनाया गया और हिजकिय्याह का पुत्र मनश्शे उसके बाद नया राजा हुआ।
समीक्षा
छुटकारें के लिए मध्यस्थता करे
कभी कभी अपने जीवन में शायद से आपने बहुत ही कठिन परेशानीयों का सामना किया। यह एक बड़ा नमूना है कि कैसे उनसे निपटना है। हिजकिय्याह निराश नहीं हुए। वह घबराये नहीं। उन्होंने हार नहीं मानी। वह प्रार्थना में परमेश्वर की ओर मुड़े।
हिजकिय्याह की प्रार्थना और परमेश्वर के छुटकारे के इस वर्णन को पुराने नियम में तीन बार लिखा गया है (यशायाह 36-39 और 2इतिहास 31 भी देखे)। इसके अतिरिक्त, इस कालावधी की घटनाएँ को बेबीलानी स्त्रोतों के द्वारा समर्थन दिया गया है।
जब हिजकिय्याह ने धमकी देनेवाले पत्र को ग्रहण किया और एक पराजित करनेवाली परेशानी का सामना किया, 'तब यहोवा के भवन में जाकर उसको यहोवा के सामने फैला दिया' (2राजाओं 19:14)। उन्होंने परमेश्वर से प्रार्थना की, 'हे परमेश्वर...पृथ्वी के सब राज्यों के ऊपर केवल तू ही पमरेश्वर है। आकाश और पृथ्वी को तू ही ने बनाया है। हे यहोवा, कान लगाकर सुन, हे यहोवा आँख खोलकर देख...इसलिये अब हे हमारे परमेश्वर यहोवा, तू हमें उसके हाथ से बचा कि पृथ्वी के राज्य राज्य के लोग जान लें कि केवल तू ही यहोवा है' (वव.15-19)।
हिजकिय्याह की मध्यस्थता की शुरुवात होती है, सचेतन रूप से पहचानने के द्वारा कि परमेश्वर कौन हैं। जब हम मध्यस्थता करते हैं, तब हम उससे बात कर रहे हैं जो 'पृथ्वी के सब राज्यों के ऊपर केवल एक ही परमेश्वर हैं' (व.15)। इन पराजित करती दिखनेवाली परेशानीयों को सुलझाने की सामर्थ परमेश्वर के पास है।
हिजकिय्याह की प्रार्थना परमेश्वर के सम्मान और महिमा के लिए थी, 'ताकि पृथ्वी के राज्य राज्य के लोग जान लें कि केवल तू ही यहोवा है' (व.19)। यीशु ने हमें सीखाया है कि हमारी प्रार्थना ऐसे शुरु करे, 'तेरा नाम धन्य माना जाऍं, तेरा राज्य आए' (मत्ती 6:9-10)।
मुझे यह भाव पसंद है 'उसने...इसे यहोवा के सामने फैला दिया' (2राजाओं 19:14)। हिजकिय्याह ने परेशानी के बारे में परमेश्वर को बताया। भविष्यवक्ता यशायाह ने हिजकिय्याह के पास एक संदेश भेजा कि परमेश्वर ने उनकी प्रार्थना सुन ली है। हिजकिय्याह की मध्यस्थता के उत्तर में, परमेश्वर ने लोगों को अश्शूर की धमकी से छुड़ाया।
हिजकिय्याह ने अपनी चंगाई के लिए भी प्रार्थना की। वह ऐसा रोगी हुआ कि मरने पर था (20:1), और उन्होंने स्वयं के लिए मध्यस्थता कीः'तब उसने दीवार की ओर मुंह फेर, यहोवा से प्रार्थना की' (व.2)। फिर से, परमेश्वर ने उनकी मध्यस्थता का उत्तर दियाः'मैंने तेरी प्रार्थना सुनी और तेरे आँसू देखे हैं; मैं तुझे चंगा करता हूँ.... मैं तेरी आयु पंद्रह वर्ष और बढ़ा दूंगा' (वव.5-6)।
अपनी मध्यस्थता के उत्तर में हिजकिय्याह ने परमेश्वर की अद्भुत आशिषों का अनुभव किया। किंतु, लेखांश का अंत चेतावनी की एक घोषणा से होती है। जब राजदूत बेबीलोन से आए, तब हिजकिय्याह ने उन्हें अपना सारा खजाना दिखाया (वव.12-15)। वह उन सभी चीजों की महिमा ले रहे थे जो परमेश्वर ने उन्हें दी थी। यशायाह ने उन्हें बताया कि इसके परिणामस्वरूप, 'वहाँ पर कुछ न बचेगा' (व.17)। यदि हम उस चीज के लिए महिमा को लेते हैं जो परमेश्वर हमारे लिए करते हैं, तो इससे हमारी ही तबाही होती है।
प्रार्थना
परमेश्वर, जैसे ही हम अपने आस-पास के शहर, हमारे देश और हमारे विश्व को देखते हैं, हमें आपके छुटकारे की आवश्यकता है। आप ही पृथ्वी के सभी राज्यों के ऊपर एकमात्र परमेश्वर हैं। आपने स्वर्ग और पृथ्वी बनायी। हे परमेश्वर कान देकर सुन; हे परमेश्वर आँख खोलकर देख। परमेश्वर, फिर से अपने पवित्र आत्मा को ऊँडेले। होने दे कि हम लोगों को आपके नाम के खोजी के रूप में देख पाये। होने दे कि हम चंगाई के चमत्कारों को देखे। होने दे कि हम हमारे देश में सुसमाचार प्रचार, चर्च में पुन जीवन और समाज में बदलाव को देखे, ताकि पृथ्वी के सभी राज्य जान लें कि केवल आप एकमात्र परमेश्वर हैं।
पिप्पा भी कहते है
प्रेरितों के काम 28:15
पौलुस ने रोम में जाने के लिए एक लंबी और परेशान करनेवाली यात्रा की। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि वह उन मसीह समुदाय को देखकर खुश हो गए जो उनके आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे। यद्यपी अब यात्रा करना बहुत सरल हो गया है, निकी और मैं सच में उन दयालु और मुस्कारते लोगों की सराहना करते हैं, जो हवाईअड्डे पर हमसे मिले और हमें अपनी मंजिल तक ले गए। विश्व में जहाँ कही हम गए, मसीह समुदाय ने अद्भुत रीति से हमारी देखरेख की।
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
शब्द मध्यस्थता का सामान्यरूप से अर्थ है प्रार्थना में किसी दूसरे के लिए विनती करना। किंतु, इसका इस्तेमाल स्वयं के लिए एक विनती करने में भी किया जा सकता है (न्यु शार्टर इंग्लिश डिक्शनरी देखे)।
हिजकिय्याह की प्रार्थना और परमेश्वर के छुटकारे का वर्णन पुराने नियम में तीन बार किया गया है - यशायाह 36-39 और 2 इतिहास 32 भी देखे। (कुछ घटनाओं के ऐतिहासिक पुष्टि भी है जो बेबीलोनी इतिहास में लिखे गए है और नबोनिदस का एक शिलालेख - एंसियंट नियर ईस्टर्न टेक्सट, एड जे.बी. प्रिचर्ड, पीपी 287-88। उदाहरण के लिए सेन्हरिब के मृत्यु अशुरबनिपाल के पूर्व वृत्तांतों में अभिप्रमाणित की गई (रसम क्लिंडर)।
जैसा कि ऐंड्र्यू मुरे कहते है, ' प्रार्थना की सामर्थ पूरी तरह से इस समझ पर आधारित है कि हम किससे बात कर रहे है (जीवन के प्रश्न, पी69)।
ऐंड्र्यू मुरे , स्वामी का निवास, (मर्चंट बुक्स, 2009)।