अपने लिए परमेश्वर के प्रेम को कैसे महसूस करें
परिचय
रॉबी विलियम के द्वारा एक गीत है 'महसूस करना', जिसमें वह लिखते हैं, 'मैं सच्चे प्रेम को महसूस करना चाहता हूँ।' परमेश्वर चाहते हैं कि आप अपने लिए उनके प्रेम को महसूस करें। वह चाहते हैं कि आप अपने हृदय में उनके प्रेम को स्वीकार करें। आज आप एक नये तरीके से उनके प्रेम को ग्रहण कर सकते हैं।
मुझे याद है जब हमारा पोता दो वर्ष की उम्र में अपने पिता के प्रेम को महसूस करना चाहता था। उसने अपने दोनों हाथों को उठाकर कहा, 'गले लगाओ पिताजी।' मेरे बेटे ने अपने बेटे को उठाया, अपनी बाँहों में उसे लिया, उसे गले से लगाया, उसे चूमा और उसे गले लगाया। पिता के हाथों को थामना एक अद्भुत वस्तु है लेकिन इससे भी बड़ी चीज है कि उनके हाथों ने आपको समेटा हो। यह परमेश्वर के प्रेम के अनुभव का एक उदाहरण है।
हम जानते हैं कि क्रूस के द्वारा परमेश्वर हमसे प्रेम करते हैं: 'परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रकट करते हैं कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरे' (रोमियो 5:8)। पवित्र आत्मा के द्वारा हम परमेश्वर के प्रेम का अनुभव करते हैं: ' क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है' (5:5)।
सेंट अगस्टाईन बताते हैं, 'संपूर्ण बाईबल कुछ नहीं करती केवल परमेश्वर के प्रेम के विषय में बताती है।' रेनियरो कॅन्टालामेसा लिखते हैं: 'यह संदेश है जो बाकी सभी संदेशों का समर्थन करता है और समझाता है। परमेश्वर का प्रेम बाईबल में सभी 'क्यों' का उत्तर हैः क्यों सृष्टि का निर्माण, क्यों यीशु का देहधारी होना, क्यो छुटकारा। यदि बाईबल के लिखे हुए वचन बदलकर एक बोले गए वचन बन जाएँ और एकमेवल आवाज बन जाएं, यह आवाज, समुद्र की गरजन से अधिक शक्तिशाली आवाज चिल्ला उठेगीः 'पिता आपसे प्रेम करते हैं!' (यूहन्ना 16:27)। बाईबल में परमेश्वर जो कुछ करते और कहते हैं वह प्रेम है, यहाँ तक कि परमेश्वर का क्रोध और कुछ नहीं बल्कि प्रेम है। परमेश्वर प्रेम 'हैं'!
भजन संहिता 86:11-17
11 हे यहोवा, अपनी राहों की शिक्षा मुझको दे,।
मैं जीऊँगा और तेरे सत्य पर चलूँगा।
मेरी सहायता कर।
मेरे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण यही है, कि मैं तेरे नाम की उपासना करूँ।
12 हे परमेश्वर, मेरे स्वमी, मैं सम्पूर्ण मन से तेरे गुण गाता हूँ।
मैं तेरे नाम का आदर सदा सर्वदा करूँगा।
13 हे परमेश्वर, तू मुझसे कितना अधिक प्रेम करता है।
तूने मुझे मृत्यु के गर्त से बचाया।
14 हे परमेश्वर, मुझ पर अभिमानी वार कर रहे हैं।
क्रूर जनों का दल मुझे मार डालने का यत्न कर रहे हैं, और वे मनुष्य तेरा आदर नहीं करते हैं।
15 हे स्वामी, तू दयालु और कृपापूर्ण परमेश्वर है।
तू धैर्यपूर्ण, विश्वासी और प्रेम से भरा हुआ हैं।
16 हे परमेश्वर, दिखा दे कि तू मेरी सुनता है, और मुझ पर कृपालु बन।
मैं तेरा दास हूँ। तू मुझको शक्ति दे।
मैं तेरा सेवक हूँ, मेरी रक्षा कर।
17 हे परमेश्वर, कुछ ऐसा कर जिससे यह प्रमाणित हो कि तू मेरी सहायता करेगा।
फिर इससे मेरे शत्रु निराश हो जायेंगे।
क्योंकि यहोवा इससे यह प्रकट होगा तेरी दया मुझ पर है और तूने मुझे सहारा दिया।
समीक्षा
परमेश्वर का प्रेम महान और व्यक्तिगत है
जब आप अपने लिए परमेश्वर के प्रेम की महानता को जानते हैं, तब उत्तर होता है आराधनाः'हे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर, मैं अपने संपूर्ण मन से आपका धन्यवाद करुँगा, और आपके नाम की महिमा सदा करता रहूँगा' (व.12)।
दाऊद जानते थे कि यह व्यक्तिगत परमेश्वर का प्रेम था जो हर व्यक्ति से प्रेम करता है। वह लिखते हैं, 'क्योंकि आपकी करुणा मेरे ऊपर बड़ी है' (व.13अ)। दाऊद की तरह, आप परमेश्वर की 'प्रिय, प्रिय संतान हैं!' (व.16, एम.एस.जी.)।
प्रेम करना परमेश्वर का स्वभाव है। 'परंतु प्रभु, आप दयालु और अनुग्रहकारी परमेश्वर हैं, आप विलम्ब से कोप करने वाले और अति करुणामय हैं' (व.15, एम.एस.जी.)। वह प्रार्थना करते हैं, 'मुझे दिखाइए कि आप मुझसे कितना प्रेम करते हैं' (व.17, एम.एस.जी.)। अपने लिए परमेश्वर के प्रेम के प्रकाश में उन्होंने प्रार्थना की, 'एक चित्त होने के लिए' (व.11ब)। अपने आपको पूरी तरह से परमेश्वर को देने के द्वारा वह अपने लिए परमेश्वर के प्रेम के प्रति उत्तर देना चाहते थे।
प्रार्थना
परमेश्वर, आप दयालु और अनुग्रही, प्रेमी और वफादार हैं (व.15)। आपका धन्यवाद क्योंकि मेरे लिए आपका प्रेम बहुत महान और बहुत व्यक्तिगत है। मुझे एक चित्त हृदय दीजिए।
रोमियों 4:16-5:11
16 इसलिए सिद्ध है कि परमेश्वर का वचन विश्वास का फल है और यह सेंतमेत में ही मिलता है। इस प्रकार उसका वचन इब्राहीम के सभी वंशजों के लिए सुनिश्चित है, न केवल उनके लिये जो व्यवस्था को मानते हैं बल्कि उन सब के लिये भी जो इब्राहीम के समान विश्वास रखते है। वह हम सब का पिता है। 17 शास्त्र बताता है, “मैंने तुझे (इब्राहीम) अनेक राष्ट्रों का पिता बनाया।” उस परमेश्वर की दृष्टि में वह इब्राहीम हमारा पिता है जिस पर उसका विश्वास है। परमेश्वर जो मरे हुए को जीवन देता है और जो नहीं है, जो अस्तित्व देता है।
18 सभी मानवीय आशाओं के विरुद्ध अपने मन में आशा सँजोये हुए इब्राहीम ने उसमें विश्वास किया, इसलिए वह कहे गये के अनुसार अनेक राष्ट्रों का पिता बना। “तेरे अनगिनत वंशज होंगे।” 19 अपने विश्वास को बिना डगमगाये और यह जानते हुए भी कि उसकी देह सौ साल की बूड़ी मरियल हो चुकी है और सारा बाँझ है, 20 परमेश्वर के वचन में विश्वास बनाये रखा। इतना ही नहीं, विश्वास को और मज़बूत करते हुए परमेश्वर को महिमा दी। 21 उसे पूरा भरोसा था कि परमेश्वर ने उसे जो वचन दिया है, उसे पूरा करने में वह पूरी तरह समर्थ है। 22 इसलिए, “यह विश्वास उसके लिये धार्मिकता गिना गया।” 23 शास्त्र का यह वचन कि विश्वास उसके लिये धार्मिकता गिना गया, न केवल उसके लिये है, 24 बल्कि हमारे लिये भी है। परमेश्वर हमें, जो उसमें विश्वास रखते हैं, धार्मिकता स्वीकार करेगा। उसने हमारे प्रभु यीशु को फिर से जीवित किया। 25 यीशु जिसे हमारे पापों के लिए मारे जाने को सौंपा गया और हमें धर्मी बनाने के लिए मरे हुओं में से पूनःजीवित किया गया।
परमेश्वर का प्रेम
5क्योंकि हम अपने विश्वास के कारण परमेश्वर के लिए धर्मी हो गये है, सो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमारा परमेश्वर से मेल हो गया है। 2 उसी के द्वारा विश्वास के कारण उसकी जिस अनुग्रह में हमारी स्थिति है, उस तक हमारी पहुँच हो गयी है। और हम परमेश्वर की महिमा का कोई अंश पाने की आशा का आनन्द लेते हैं। 3 इतना ही नहीं, हम अपनी विपत्तियों में भी आनन्द लेते हैं। क्योंकि हम जानते हैं कि विपत्ति धीरज को जन्म देती है। 4 और धीरज से परखा हुआ चरित्र निकलता है। परखा हुआ चरित्र आशा को जन्म देता है। 5 और आशा हमें निराश नहीं होने देती क्योंकि पवित्र आत्मा के द्वारा, जो हमें दिया गया है, परमेश्वर का प्रेम हमारे हृदय में उँडेल दिया गया है।
6 क्योंकि हम जब अभी निर्बल ही थे तो उचित समय पर हम भक्तिहीनों के लिए मसीह ने अपना बलिदान दिया। 7 कुछही लोग किसी मनुष्य के लिए अपना प्रण त्गाने तैय्यार हो जाते है, चाहे वो भक्त मनुष्य क्यों न हो। 8 पर परमेश्वर ने हम पर अपना प्रेम दिखाया। जब कि हम तो पापी ही थे, किन्तु यीशु ने हमारे लिये प्राण त्यागे।
9 क्योंकि अब जब हम उसके लहू के कारण धर्मी हो गये है तो अब उसके द्वारा परमेश्वर के क्रोध से अवश्य ही बचाये जायेंगे। 10 क्योंकि जब हम उसके बैरी थे उसने अपनी मृत्यु के द्वारा परमेश्वर से हमारा मेलमिलाप कराया तो अब तो जब हमारा मेलमिलाप हो चुका है उसके जीवन से हमारी और कितनी अधिक रक्षा होगी। 11 इतना ही नहीं है हम अपने प्रभु यीशु के द्वारा परमेश्वर की भक्ति पाकर अब उसमें आनन्द लेते हैं।
समीक्षा
परमेश्वर का प्रेम दर्शाया गया और ऊँडेला गया
क्या आप विश्वास करते हैं कि परमेश्वर सच में आपसे प्रेम करते हैं? परमेश्वर का प्रेम कभी भी आपको निराश नहीं करेगा; वह कभी भी आपसे प्रेम करना बंद नहीं करेंगे। आपके लिए उनका प्रेम आपकी असफलताओं से बढ़कर है और वह चाहते हैं कि आप विश्वास के द्वारा उनके प्रेम को ग्रहण करें।
बहुतों की सोच के विपरीत, परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं और आपको जीवन देना चाहते हैं। वह 'मरे हुओं को जीवन' देते हैं (4:17)। परमेश्वर ने यीशु को मृत्यु में से जीवित किया। एक दिन जो मसीह में मर गए हैं, उन्हें भी पुनरुत्थानी जीवन दिया जाएगा। इसी दौरान, यीशु ने कहा कि वह आये ताकि आप जीवन पाये और जीवन इसकी परिपूर्णता में पायें (यूहन्ना 10:10)।
पौलुस अब्राहम के विश्वास का वर्णन करते हैं। अब्राहम ने परमेश्वर के वायदे पर विश्वास किया कि उन्हें और सारा को एक संतान उत्पन्न होगी, यद्यपी मानवीय रूप से यह बात संभव नहीं थी।
हमने अब्राहम के विषय में पढ़ा कि ' और न अविश्वासी होकर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्वास में दृढ़ होकर परमेश्वर की महिमा की; और निश्चय जाना कि जिस बात की उन्होंने प्रतिज्ञा की है, वह उसे पूरा करने में भी सामर्थी हैं' (रोमियो 4:20-21ए.एम.पी.)। दूसरे शब्दों में, पौलुस बताते हैं कि अब्राहम विश्वास के द्वारा सत्यनिष्ठ ठहरे।
लेकिन विश्वास के द्वारा सत्यनिष्ठ ठहरना केवल अब्राहम के लिए नहीं था, ' वरन् हमारे लिये भी जिनके लिए विश्वास सत्यनिष्ठा गिना जाएगा, अर्थात् हमारे लिये जो उस पर विश्वास करते हैं जिन्होंने हमारे प्रभु यीशु को मरे हुओं में से जिलाया' (व.24)। आप भी विश्वास के द्वारा सत्यनिष्ठ घोषित किए गए हैं। ' वह हमारे अपराधों के लिये पकड़वाये गये, और हमारे सत्यनिष्ठ ठहरने के लिये जिलाये भी गये।' (व.25, एम.एस.जी)।
पौलुस इस तथ्य के डगमगाने वाले परिणामों के विषय में बताते हैं। क्योंकि आप 'विश्वास के द्वारा सत्यनिष्ठ ठहरे' हैं, इसलिए आप 'परमेश्वर के साथ शांति में' हैं। आपने उनकी उपस्थिति में 'प्रवेश पा लिया है' (5:1-2, एम.एस.जी.)। आप उनके नजदीक जा सकते हैं और हर दिन उनसे बात कर सकते हैं, यह जानते हुए कि आपके और उनके बीच में कोई दीवार नहीं है।
'केवल यही नहीं, वरन् हम क्लेशों में भी घमण्ड करें' (व.3, एम.एस.जी.)। हम अपने कष्टों में आनंद मना सकते हैं: 'क्योंकि क्लेश से धीरज, और धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है; और आशा से लज्जा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिये गये हैं उनके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है।' (वव.2-5)।
परमेश्वर के प्रेम ने आपके आंतरिक हृदय को भर दिया है। परमेश्वर के प्रेम का यह अनुभव गहरा और अत्यधिक प्रभावित करने वाला है। पवित्र आत्मा की यह नियमित सेवकाई है कि आपको परमेश्वर का प्रेम महसूस करवाएँ। यदि आपने कभी भी पवित्र आत्मा के द्वारा आपके आंतरिक हृदय के भरे जाने का अनुभव नहीं किया है, तो मैं आपको उत्साहित करुँगा कि परमेश्वर से माँगिये कि आपको अभी भर दें।
पौलुस को परमेश्वर के प्रेम के विषय में और भी कहना है। वह कहते हैं कि जब आप उनके विरूद्ध थे, तब परमेश्वर ने यीशु को आपके लिए मरने भेजा। ' परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रकट करते हैं कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरे' (व.8)।
इसी तरह से आप जानते हैं कि परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं। परमेश्वर ने अपने इकलौते पुत्र को अपनी गोद से हटाकर क्रूस पर जाने दिया। यद्यपी हम इसके योग्य नहीं थे – हम भक्तिहीन पापी थे - यीशु हमारे लिए मर गए। परमेश्वर ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा। वह आपसे इतना अधिक प्रेम करते हैं।
यदि परमेश्वर आपसे बहुत ज्यादा प्रेम करते हैं, तो आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आपका भविष्य सुरक्षित है। ' क्योंकि बैरी होने की दशा में उनके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ, तो फिर मेल हो जाने पर उनके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएँगे?' (व.10, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
यीशु मसीह आपका धन्यवाद क्योंकि आप मेरे लिए मर गए। आपका धन्यवाद क्योंकि आप मुझसे बहुत अधिक प्रेम करते हैं और इसलिए मैं अपने भविष्य के विषय में आश्वस्त हो सकता हूँ। मैं माँगता हूँ कि आप फिर से पवित्र आत्मा के द्वारा अपने प्रेम को मेरे हृदय में ऊँडेलेंगे, और मेरे लिए आपके गहरे प्रेम को महसूस करने में मेरी सहायता करेंगे।
आमोस 6:1-7:17
इस्राएल से अच्छा समय ले लिया जाएगा
6सिय्योन के तुम लोगों में से कुछ का जीवन बहुत आराम का है।
सामारिया पर्वत के कुछ लोग अपने को सुरक्षित अनुभव करते है किन्तु तुम पर अनेक विपत्तियाँ आएंगी।
राष्ट्रों के सर्वोतम नगरों के तुम “सम्मानित” लोग हो।
“इस्राएल के लोग” न्याय पाने के लिये तुम्हारे पास आते हैं!
2 जाओ और कलने पर ध्यान दो।
वहाँ से विशाल नगर हमात को जाओ।
पलिश्ती नगर गत को जाओ।
क्या तुम इन राज्यों से अच्छे हो नहीं!
उनके देश तुम्हारे से बड़े हैं।
3 तुम लोग वह काम कर रहे हो, जो दण्ड के दिन को समीप लाता है।
तुम हिंसा के शासन को समीप, और समीप ला रहे हो।
4 किन्तु तुम सभी विलासों का भोग करते हो।
तुम हाथी दाँत की सेज पर सोते हो और अपने बिछौने पर आराम करते हो।
तुम रेवड़ों में से कोमल मेमने
और बाड़ों में से नये बछड़े खाते हो।
5 तुम अपनी वीणायें बजाते हो
और राजा दाऊद की तरह अपने वाद्यों पर अभ्यास करते हो।
6 तुम सुन्दर प्यालों में दाखमधु पीया करते हो।
तुम सर्वोत्तम तेलों से अपनी मालिश करते हो
और तुम्हें इसके लिये घबराहट भी नहीं कि
यूसुफ का परिवार नष्ट किया जा रहा है।
7 वे लोग अब अपने बिछौने पर आराम कर रहे हैं। किन्तु उनका अच्छा समय समाप्त होगा। वे बन्दी के रूप में विदेशों में पहुँचाये जाएंगे और वे प्रथम पकड़े जाने वालों में से कुछ होंगे। 8 मेरे स्वामी यहोवा ने यह प्रतिज्ञा की थी। उन्होंने अपना नाम सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा लिया और यह प्रतिज्ञा की:
“मैं उन बातों से घृणा करता हूँ,
जिन पर याकूब को गर्व है।मैं उसकी दृढ़ मीनारों से घृणा करता हूँ।
अत: मैं शत्रु को नगर तथा
नगर की हर एक चीज लेने दूँगा।”
थोड़े से इस्राएली जीवित बचेंगे
9 उस समय, किसी घऱ में यदि दस व्यक्ति जीवित बचेंगे तो वे भी मर जाएंगे। 10 जब कोई मर जाएगा तब कोई सम्बंधी शव लेने आएगा, जिससे वह उसे बाहर ले जा सके और जला सके। सम्बंधी घर में से हड्डियाँ लेने आयेगा। लोग किसी भी उस व्यक्ति से जो घर के भीतर छिपा होगा, पूछेंगे, “क्या तुम्हारे पास कोई अन्य शव है?”
वह व्यक्ति उत्तर देगा, “नहीं …।”
तब व्यक्ति के सम्बंधी कहेंगे, “चुप! हमें यहोवा का नाम नहीं लेना चाहिये।”
11 देखो, परमेश्वर यहोवा आदेश देगा
और विशाल महल टुकड़े—टुकड़े किये जायेंगे
और छोटे घर छोटे—छोटे टुकड़ों में तोड़े जाएंगे।
12 क्या घोड़े शिलाखंड़ो पर दौड़ते हैं नहीं!
क्या लोग समुद्र को बैलों से जोत सकते हैं नहीं।
तो भी तुम हर चीज को उलट—पलट देते हो।
तुम अच्छाई और न्याय को जहर में बदल देते हो।
13 तुम लो—देवर में प्रसन्न हो,
तुम कहते हो, “हमने करनैम को अपनी शक्ति से जीता है।”
14 “किन्तु इस्राएल, मैं तुम्हारे विरूद्ध एक राष्ट्र को भेजूँगा। वह राष्ट्र तुम्हारे सारे देश को, लेबो—हमात से लेकर अराबा नाले तक विपत्ति में डालेंगे।” सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा ने वह सब कहा।
दर्शन में टिड्डियाँ
7यहोवा ने मुझे यह दिखाया: उसने दूसरी फसल उगने के समय टिड्डी दलों की रचना आरम्भ की। राजा द्वारा प्रथम फसल काट लिये जाने के बाद यह दूसरी फसल थी। 2 टिड्डियों ने देश की सारी घास खा डाली। उसके बाद मैंने कहा, “मेरे स्वामी यहोवा, मैं प्रार्थना करता हूँ, हमें क्षमा कर! याकूब बच नहीं सकता! वह अत्यन्त छोटा है!”
3 तब यहोवा ने इसके बारे में अपने विचार को बदला। यहोवा ने कहा, “ऐसा नहीं होगा।”
दर्शन में आग
4 मेरे स्वामी यहोवा ने मुझे ये चीजें दिखाई; मैंने देखा कि यहोवा परमेश्वर अग्नि को वर्षा की तरह बरसने के लिए बुला रहा है। अग्नि ने विशाल गहरे समुद्र को नष्ट कर दिया। अग्नि भूमि को चट करने लगी। 5 किन्तु मैंने कहा, “हे परमेश्वर यहोवा, मैं तुमसे प्रार्थना करता हूँ, ठहर। याकूब बच नहीं सकता! वह बहुत छोटा है!”
6 तब यहोवा ने इसके बारे में अपना विचार बदला। परमेश्वर यहोवा ने कहा, “ऐसा नहीं होगा।”
दर्शन में साहुल
7 यहोवा ने मुझे यह दिखाया: यहोवा एक दीवार के सहारे एक साहुल अपने हाथ में लेकर खड़ा हुआ था। (दीवार साहुल से सीधी की गई थी।) 8 यहोवा ने मुझसे कहा, “आमोस, तुम क्या देखते हो”
मैंने कहा, “साहुल।”
तब मेरे स्वामी ने कहा, “देखो, मैं अपने इस्राएल के लोगों पर साहुल का उपयोग करूँगा। मैं अब और आगे उनके टेढ़ेपन को नजरन्दाज नहीं करूँगा। मैं उन बुरे भागों को काट फेंकूँगा। 9 इसहाक के उच्च स्थान नष्ट किये जायेंगे। इस्राएल के पवित्र स्थान चट्टान की ढेरों में बदल दिये जाएंगे। मैं आक्रमण करूँगा और यारोबाम के परिवार को तलवार के घाट उतारूँगा।”
अमस्याह आमोस को भविष्यवाणी करने से रोकने का प्रयत्न करता है
10 बेतेल के याजक अमस्याह ने इस्राएल के राजा यारोबाम को यह सन्देश भेजा: “आमोस तुम्हारे विरूद्ध षड़यन्त्र रच रहा है। वह इस्राएल के लोगों को तुम्हारे विरूद्ध युद्ध के लिये भड़का रहा है। वह इतना अधिक कह रहा है कि उसके शब्द पूरे देश में भी समा नहीं सकते। 11 आमोस ने कहा है, ‘यारोबाम तलवार के घाट उतरेगा और इस्राएल के लोगों को बन्दी बनाकर अपने देश से बाहर ले जाए जाएंगे।’”
12 अमस्याह ने भी आमोस से कहा, “हे दर्शी, यहूदा जाओ और वहीं खाओ। अपने उपदेश वहीं दो। 13 किन्तु यहाँ बेतेल में और अधिक उपदेश मत दो! यह यारोबाम का पवित्र स्थान है। यह इस्राएल का मन्दिर है!”
14 तब आमोस ने अमस्याह को उत्तर दिया,
“मैं पेशेवर नबी नहीं हूँ और मैं नबी के परिवार का नहीं हूँ।
मैं पशु पालता हूँ और गूलर के पेड़ों की देखभाल करता हूँ।
15 मैं गड़ेरिया था और यहोवा ने मुझे भेड़ों को चराने से मुक्त किया। यहोवा ने मुझसे कहा, ‘जाओ, मेरे लोग इस्राएलियों में भविष्यवाणी करो।’ 16 इसलिये यहोवा के सन्देश को सुनो। तुम मुझसे कहते हो ‘इस्राएल के विरूद्ध भविष्यवाणी मत करो। इसहाक के परिवार के विरूद्ध उपदेश मत दो।’ 17 किन्तु यहोवा कहता है: ‘तुम्हारी पत्नी नगर में वेश्या बनेगी। तुम्हारे पुत्र और पुत्रियाँ तलवार द्वारा मारे जाएंगे। अन्य लोग तुम्हारी भूमि लेंगे और आपस में बाटेंगे और तुम विदेश में मरोगे। इस्राएल के लोग निश्चय ही, इस देश से बन्दी के रूप में ले जाए जाएंगे।’”
समीक्षा
परमेश्वर का प्रेम और शोक
क्या आप जानते हैं कि परमेश्वर का क्रोध कुछ और नहीं बल्कि प्रेम है? यहाँ पर हम इसके एक उदाहरण को देखते हैं। परमेश्वर का क्रोध 'आत्मसंतुष्ट' लीडर्स के विरूद्ध भड़कता है (6:1):
'तुम हाथी दाँत के पलंगो पर लेटते, और अपने अपने बिछौने पर पाँव फैलाए सोते हो, और भेड़-बकरियों में से मेमने और गौशालाओं में से बछड़े खाते हो। तुम सारंगी के साथ गीत गाते, और दाऊद के समान भॉंति भाँति के बाजे बुद्धि से निकालते हो; और कटोरों में से दाखमधु पीते, और उत्तम उत्तम तेल लगाते हो, परंतु युसूफ पर आने वाली विपत्ति का हाल सुनकर शोकित नही होते' (वव.4-6, एम.एस.जी.)।
बात यह नहीं है कि वे जीवन की अच्छी वस्तुओं का आनंद लेते हैं –इनमें से कोई भी अपने आपमें पापमय नहीं है। इसके बजाय, ऐसा इसलिए हैं क्योंकि वे परमेश्वर के लोगों की स्थिति के विषय में चिंता नहीं करते हैं। परमेश्वर उस घमंड और अक्खड़पन से नफरत करते हैं (वव.6-8) जो हमारे लिए परमेश्वर की जरुरत को नहीं पहचानता और हमें परमेश्वर के प्रेम का अनुभव करने से दूर रखता है और दूसरों से उस तरह प्रेम करने नही देता जैसा कि परमेश्वर उनसे करते हैं।
यदि लीडर्स ने परमेश्वर के लोगों से प्रेम किया होता, जैसा परमेश्वर उनसे करते थे, तो वे इस बात से शोकित होते कि उनका देश बरबाद हो रहा है।
आमोस ऐसे एक उदाहरण हैं जिन्होंने इस बारे में चिंता की और कुछ काम किया। उन्होंने लोगो के लिए मध्यस्थता की (7:1-6)।
आमोस एक साधारण व्यक्ति थेः 'मैं न तो भविष्यवक्ता था, और न भविष्यवक्ता का बेटा; मैं तो गाय-बैल का चरवाहा, और गूलर के वृक्षों का छाँटनेवाला था, और यहोवा ने मुझे भेड़-बकरियों के पीछे पीछे फिरने से बुलाकर कहा, 'जा मेरी प्रजा इस्राएल से भविष्यवाणी कर' (वव.14-15, एम.एस.जी.) परमेश्वर अन्याय को बढ़ता हुआ देखने से संतुष्ट नहीं थे। वह अपने लोगों से बहुत ज्यादा प्रेम करते थे। उन्होंने आमोस को चिताया कि जाकर उन लोगों को बताये कि जो वे कर रहे हैं उसका क्या परिणाम होगा और उन्हें परमेश्वर की ओर फिरने के लिए कहें।
आमोस की तरह, हम अपने देश के लिए प्रार्थना और मध्यस्थता करना चाहते हैं:
प्रार्थना
'हे परमेश्वर, क्षमा करिए' (व.2)। अपने महान प्रेम में, हम पर दया करिए। आपका धन्यवाद क्योंकि आप अपने चर्च से प्रेम करते हैं और आपके पास मरे हुओं को जीवन देने की सामर्थ है (रोमियो 4:24)। परमेश्वर, हम प्रार्थना करते हैं कि आप ऐसे बहुत से लोगों को तैयार करेंगे जो आपके वचन को सुनते हैं और उन्हें साहस, सामर्थ और प्रेम के साथ बोलते हैं।
पिप्पा भी कहते है
आमोस 6:4अ
'तुम हाथी दाँत के पलंगो पर लेटते, और अपने अपने बिछौने पर पाँव फैलाए सोते हो।'
ऐसा मौका अच्छा है!
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संदर्भ
रेनियरो कॅन्टालमेसा, मसीह में जीवन (लुटुर्जिकल प्रेस, 2002) पी.7
रॉबी विलियम एण्ड गाय चॅम्बर्स, 'फिल' फ्रॉम एस्केपोलोजि, (क्रिसलिस 2002)
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।