केवल अनुग्रह
परिचय
ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वी पर सबसे बड़ी परेशानी बहुत कम लोकतंत्र नहीं, या बहुत ज्यादा गरीबी नहीं, या बहुत कम एड्स प्रतिरक्षक दवाईयाँ नहीं, बल्कि यह तथ्य है कि विश्व की दो तिहाई जनसंख्या नियम की सुरक्षा के बाहर जीती हैं। न्याय की कमी विश्व के बहुत से गरीबों पर एक भयानक प्रभाव बनाती है।
न्याय और अनुग्रह का विषय बाईबल में भरा हुआ है। न्याय को समझे बिना हम अनुग्रह को पूरी तरह से नहीं समझ सकते हैं। अनुग्रह की एक परिभाषा है 'प्रेम, जिसके हम योग्य नहीं थे।' अनुग्रह को समझाने के लिए एक स्मृति सहायक का इस्तेमाल किया गया हैः मसीह के बलिदान से मिला परमेश्वर का धन। हम आज देखते हैं कि कैसे यीशु मसीह आपके लिए और मेरे लिए अनुग्रह को उपलब्ध करते हैं।
नीतिवचन 17:15-24
15 यहोवा इन दोनों ही बातों से घृणा करता है,
दोषी को छोड़ना, और निर्दोष को दण्ड देना।
16 मूर्ख के हाथों में धन का क्या प्रयोजन! क्योंकि,
उसको चाह नहीं कि बुद्धि को मोल ले।
17 मित्र तो सदा—सर्वदा प्रेम करता है
बुरे दिनों को काम आने का बंधु बन जाता है।
18 विवेक हीन जन ही शपथ से हाथ बंधा लेता
और अपने पड़ोसी का ऋण ओढ़ लेता है।
19 जिसको लड़ाई—झगड़ा भाता है, वह तो केवल पाप से प्रेम करता है
और जो डींग हांकता रहता है वह तो अपना ही नाश बुलाता है।
20 कुटिल हृदय जन कभी फूलता फलता नहीं है
और जिस की वाणी छल से भरी हुई है, विपदा में गिरता है।
21 मूर्ख पुत्र पिता के लिये पीड़ा लाता है,
मूर्ख के पिता को कभी आनन्द नहीं होता।
22 प्रसन्न चित रहना सबसे बड़ी दवा है,
किन्तु बुझा मन हड्डियों को सुखा देता है।
23 दुष्ट जन, उसके मार्ग से न्याय को
डिगाने एकांत में घूंस लेता है।
24 बुद्धिमान जन बुद्धि को सामने रखता है,
किन्तु मूर्ख की आँखें धरती के छोरों तक भटकती हैं।
समीक्षा
न्याय की महत्ता
विश्व के अनगिनत देशों में, अपराधी बचकर निकल जाते हैं और अक्सर बंदीगृह निर्दोष लोगों से भरे होते हैं, जिनमें से बहुतों पर कभी मुकदमा नहीं चला या न्यायालय में दोषी नहीं ठहराये गये। 'जो दोषी को निर्दोष, और जो निर्दोष को दोषी ठहराता है, उन दोनों से यहोवा घृणा करते हैं' (व.15)। दोनों ही भयानक अन्याय है। इससे परमेश्वर घृणा करते हैं और यह समाज पर एक बुरा प्रभाव डालता है।
रिश्वत के द्वारा बहुत बड़ी परेशानी खड़ी होती है। 'दुष्ट जन न्याय बिगाड़ने के लिये, अपनी गाँठ से घूस निकालता है' (व.23)। एक विकसित हो रहे देश में एक वकील ने मुझे बताया कि यदि आप चाहते हैं कि मामला न्यायालय में तेजी से पहुंचे, नाकि सामान्य रूप से लगभग दस साल की देरी के बाद, तो आपको 'पहियों में तेल डालना पड़ेगा'; रिश्वत के लिए अभिव्यक्ति।
न्याय के लिए संघर्ष एक गंभीर उत्तरदायित्व है। इसमें कठिन परिश्रम की जरूरत है और यह आसानी से थका सकती है। नीतिवचन की पुस्तक संतुलित बुद्धि से भरी हुई है।
यह हमें परिवार और मित्रों की आवश्यकता की याद दिलाती हैः 'मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है' (व.17, एम.एस.जी.)। परिवार और मित्रों के साथ साथ मनोरंजन महत्वपूर्ण हैः'मन का आनंद अच्छी औषधी है, परंतु मन के टूटने से हड्डियाँ सूख जाती हैं' (व.22, एम.एस.जी.)। अपने आपको बहुत गंभीरता से मत लीजिए। हमें अपने आप पर हँसने की आवश्यकता है। हँसी एक आंतरिक अभ्यास है। यह आपकी आत्मा का व्यायाम है और यह इसे स्वस्थ रखता है।
प्रार्थना
परमेश्वर, हमें दिखाईये कि एक व्यक्ति और एक चर्च के रूप में आप क्या चाहते हैं कि हम करें, सभी तक न्याय को उपलब्ध कराने के लिए। हमारी सहायता करिए अपने जीवन में संतुलन को बनाये रखने में, अपने उत्तरदायित्वों को गंभीरतापूर्वक लेने में और फिर भी परिवार, मित्र और मनोरंजन के लिए समय निकालने के लिए।
रोमियों 5:12-21
आदम और यीशु
12 इसलिए एक व्यक्ति (आदम) के द्वारा जैसे धरती पर पाप आया और पाप से मृत्यु और इस प्रकार मृत्यु सब लोगों के लिए आयी क्योंकि सभी ने पाप किये थे। 13 अब देखो व्यवस्था के आने से पहले जगत में पाप था किन्तु जब तक कोई व्यवस्था नहीं होती किसी का भी पाप नहीं गिना जाता। 14 किन्तु आदम से लेकर मूसा के समय तक मौत सब पर राज करती रही। मौत उन पर भी वैसे ही हावी रही जिन्होंने पाप नहीं किये थे जैसे आदम पर।
आदम भी वैसा ही था जैसा वह जो (मसीह) आने वाला था। 15 किन्तु परमेश्वर का वरदान आदम के अपराध के जैसा नहीं था क्योंकि यदि उस एक व्यक्ति के अपराध के कारण सभी लोगों की मृत्यु हुई तो उस एक व्यक्ति यीशु मसीह की करुणा के कारण मिले परमेश्वर के अनुग्रह और वरदान तो सभी लोगों की भलाई के लिए कितना कुछ और अधिक है। 16 और यह वरदान भी उस पापी के द्वारा लाए गए परिणाम के समान नहीं है क्योंकि दण्ड के हेतु न्याय का आगमन एक अपराध के बाद हुआ था। किन्तु यह वरदान, जो दोष-मुक्ति की ओर ले जाता है, अनेक अपराधों के बाद आया था। 17 अतः यदि एक व्यक्ति की उस अपराध के कारण मृत्यु का शासन हो गया। तो जो परमेश्वर के अनुग्रह और उसके वरदान की प्रचुरता का — जिसमें धर्मी का निवास है — उपभोग कर रहे हैं — वे तो जीवन में उस एक व्यक्ति यीशु मसीह के द्वारा और भी अधिक शासन करेंगे।
18 सो जैसे एक अपराध के कारण सभी लोगों को दोषी ठहराया गया, वैसे ही एक धर्म के काम के द्वारा सब के लिए परिणाम में अनन्त जीवन प्रदान करने वाली धार्मिकता मिली। 19 अतः जैसे उस एक व्यक्ति के आज्ञा न मानने के कारण सब लोग पापी बना दिये गये वैसे ही उस व्यक्ति की आज्ञाकारिता के कारण सभी लोग धर्मी भी बना दिये जायेंगे। 20 व्यवस्था का आगमन इसलिए हुआ कि अपराध बढ़ पायें। किन्तु जहाँ पाप बढ़ा, वहाँ परमेश्वर का अनुग्रह और भी अधिक बढ़ा। 21 ताकि जैसे मृत्यु के द्वारा पाप ने राज्य किया ठीक वैसे ही हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनन्त जीवन को लाने के लिये परमेश्वर की अनुग्रह धार्मिकता के द्वारा राज्य करे।
समीक्षा
अनुग्रह का बहुतायत प्रावधान
आप अपने आपको कैसे देखते हैं? आप अपने विषय में क्या विश्वास करते हैं? आप क्या सोचते हैं कि परमेश्वर आपको किसी तरह से देखते हैं? आप क्या कल्पना करते हैं कि वह आपके विषय में कैसा महसूस करते हैं?
अनुग्रह का अर्थ है परमेश्वर हमें सत्यनिष्ठ के रूप में देखते हैं - 'सही व्यक्ति' (व.19, एम.एस.जी.)। सत्यनिष्ठा एक मुफ्त उपहार है जो परमेश्वर के अनुग्रह से मिलता है। उग्र क्षमा जिसे हम अनुग्रह कहते हैं, इसके साथ स्पर्धा में हमारे पाप खड़े नहीं रह सकते हैं। जब पाप और अनुग्रह की लड़ाई होती है, तब अनुग्रह जीत जाता है (वव.20-21, एम.एस.जी.)।
पौलुस अनुग्रह की अदभुतता के विषय में और अधिक बताते हैं। वह दो स्तरों को बताते हैं – आदम का स्तर और मसीह का स्तर।
स्वाभाविक रूप से, वह कहते हैं कि हम सभी आदम के स्तर के भाग हैं। पाप, मृत्यु और परमेश्वर से अलगाव आदम के कारण विश्व में आया (वव.12-14)।
फिर भी पौलुस एक नये स्तर का भी वर्णन करते हैं जिसे यीशु ने अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा लाया। अद्भुत बात यह है कि आप आदम के स्तर से निकलकर यीशु के स्तर में ला दिए गए हैं, परमेश्वर की अच्छी पुस्तकों में नाम कमाने के द्वारा नहीं, बल्कि यीशु के द्वारा उपलब्ध कराये गये परमेश्वर के अनुग्रह के उपहार को स्वीकार करने के द्वारा।
आदम के द्वारा आयी मृत्यु की तुलना पौलुस, यीशु मसीह के द्वारा आये जीवन के साथ करते हैं, लेकिन उनकी मुख्य बात यह है कि 'उपहार अपराध की तरह नहीं है' (व.15)। आखिरकार उनकी केवल तुलना की जा सकती है क्योंकि जीवन का उपहार अपराध से कही अधिक बढ़कर है।
केवल एक समानता है कि दोनों ने बहुतों को प्रभावित किया। आज्ञा मानने या न मानने का आपका चुनाव ना केवल आपको प्रभावित करता है, लेकिन बहुत से दूसरों को भी। आदम के पाप के कारण, बहुत से मर गए। लेकिन यीशु की आज्ञाकारिता ने बहुतों को उस अनुग्रह में पहुँचाया जिसमें आप खड़े होकर सत्यनिष्ठा के मुफ्त उपहार को ग्रहण करते हैं। और मुफ्त उपहार पाप की तरह नहीं है। ' जैसा एक मनुष्य के पाप करने का फल हुआ, वैसा ही दान की दशा नहीं, क्योंकि एक ही कारण दण्ड की आज्ञा का फैसला हुआ, परन्तु बहुत से अपराधों के कारण ऐसा वरदान उत्पन्न हुआ कि लोग सत्यनिष्ठ ठहरे' (व.16, एम.एस.जी)।
आदम के पाप के कारण मृत्यु ने राज्य किया। किंतु एक मनुष्य, अर्थात् यीशु मसीह ने सत्यनिष्ठा को एक उपहार में लाने के लिए प्रक्रिया को बदल दिया और हमें परमेश्वर के अनुग्रह में खड़े होने के लिए सक्षम किया। मृत्यु के राज्य करने के बजाय, हम 'जीवन में राज्य' करते हैं (व.17)।
आदम के पाप का अर्थ है कि हम सभी अपराधी ठहराये गये। क्रूस पर यीशु की सत्यनिष्ठा का कार्य परमेश्वर के लिए यह संभव बनाता है कि आपको भी सत्यनिष्ठ गिनें और आपको जीवन दें। यीशु की सत्यनिष्ठा से आप सत्यनिष्ठ हुए। हमें परेशानी में से निकालने से कही बढ़कर उन्होंने हमें जीवन में ला दिया! एक व्यक्ति ने परमेश्वर को ना कहा और बहुत से लोगों को गलत ठहराया; एक व्यक्ति ने परमेश्वर को हाँ कहा और बहुतों को सही ठहराया (व.19, एम.एस.जी.)।
यीशु ने क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा, परमेश्वर के अनुग्रह और उनके उपहार को संभव बनाया (व.15)। हमारे पाप का परिणाम है न्याय और दंड (व.16)। यदि हम केवल न्याय पर निर्भर रहे और केवल न्याय पर, तो हमें यही मिलेगा। लेकिन क्योंकि यीशु आपके स्थान में मर गए, इसलिए आप सत्यनिष्ठा के उपहार को ग्रहण कर सकते हैं।
परमेश्वर खरे हो सकते हैं और फिर भी आपको रिहा कर सकते हैं। खरा अनुग्रह है। यीशु ने परमेश्वर के अनुग्रह के बहुतायत प्रावधान और सत्यनिष्ठा के उपहार को संभव बनाया (व.17)। आप उस सत्यनिष्ठ को ग्रहण करते हैं जो जीवन लाता है (व.18)। आप सत्यनिष्ठ बना दिए जाते हैं (व.19)। हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा आप अनंत जीवन ग्रहण करते हैं (व.21)।
यह सब अनुग्रह के द्वारा है (वव.15,17,20-21)। आपको इन सच्चाईयों को अपने हृदय में गहराई तक ले जाने की आवश्यकता है। अपने आपको वैसे देखिये जैसे परमेश्वर आपको देखते हैं –उनकी दृष्टि में सत्यनिष्ठ के रूप में – और विश्वास करिए कि यीशु ने आपके लिए जो किया है उसकी वजह से, जब परमेश्वर आपको देखते हैं तब वह आपसे प्रसन्न हों।
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरे लिए यीशु की मृत्यु के लिए आपका बहुत धन्यवाद। आपका धन्यवाद क्योंकि यद्यपी मैं न्याय और दंड के लायक था, आपने मेरे लिए यह संभव किया कि मैं निर्दोष ठहरुं और अनुग्रह के द्वारा एक उपहार के रूप में परमेश्वर से सत्यनिष्ठा को ग्रहण करुँ।
आमोस 8:1-9:15
दर्शन में पके फल
8यहोवा ने मुझे यह दिखाया: मैंने ग्रीष्म के फलों की एक टोकरी देखी: 2 यहोवा ने पूछा, “आमोस, तुम क्या देखते हो”
मैंने कहा, “ग्रीष्म के फलों की एक टोकरी।”
तब यहोवा ने मुझसे कहा, “मेरे लोग इस्राएलियों का अन्त आ गया है। मैं उनके पापों को और अनदेखा नहीं कर सकता। 3 मन्दिर के गीत शोक गीत बन जाएंगे। मेरे स्वामी यहोवा ने यह सब कहा। सर्वत्र शव ही होंगे। सन्नाटे में लोग शवों को ले जाएंगे और उनके ढेर लगा देंगे।”
इस्राएल के व्यापारी केवल धन बनाने में लगे रहना चाहते हैं
4 मेरी सुनो! लोगों तुम असहायों को कुचलते हो।
तुम इस देश के गरीबों को नष्ट करना चाहते हो।
5 व्यापारियों, तुम कहते हो,
“नवचन्द्र कब बीतेगा, जिससे हम अन्न बेच सकेंगे
सब्त कब बीतेगा,
जिससे हम अपना गेहूँ बेचने को ला सकेंगे
हम कीमतें बढ़ा सकेंगे,
बाटों को हलका कर सकेंगे,
और हम तराजुओं को ऐसा व्यवस्थित कर लेंगे
कि लोगों को ठग सकें।
6 गरीब अपना ऋण वापस नहीं कर सकते अत:
हम उन्हें दास के रूप में खरीदेंगे।
हम उऩ गरीबों को
एक जोड़ी जूतों की कीमत में खरीदेंगे।
अहो! हम उस खराब गेहूँ को भी बेच सकते हैं,
जो फर्श पर बिखर गया हो।”
7 यहोवा ने प्रतिज्ञा की। उसने “याकूब गर्व” नामक अपने नाम का उपयोग किया और यह प्रतिज्ञा की:
“मैं उन लोगों के किये कामों के लिये उन्हें क्षमा नहीं कर सकता।
8 उन कामों के कारण पूरा देश काँप जाएगा।
इस देश का हर एक निवासी मृतकों के लिये रोयेगा।
पूरा देश मिस्र में नील नदी की तरह उमड़ेगा और नीचे गिरेगा।
पूरा देश चारों ओर उछाल दिया जायेगा।”
9 यहोवा ने ये बाते भी कहीं:
“उस समय, मैं सूरज दोपहर में ही अस्त करूँगा।
मैं प्रकाश भरे दिन में पृथ्वी को अन्धकारपूर्ण करूँगा।
10 मैं तुम्हारे पवित्र दिनों को मृतकों के लिये शोक—दिवस में बदलूँगा।
तुम्हारे सभी गीत मृतकों के लिये शोक गीत बनेंगे।
मैं हर एक को शोक वस्त्र पहनाऊँगा।
मैं हर एक सिर को मुँड़वा दूँगा।
मैं ऐसा गहरा शोक भरा रोना बनाऊँगा
मानो वह एक मात्र पुत्र के शोक का हो।
यह एक अत्यन्त कटु अन्त होगा।”
परमेश्वर के संसार के लिए भयंकर भुखमरी पूर्ण भविष्य
11 यहोवा कहता है:
“देखो, वे दिन समीप आ रहा है,
जब मैं देश में भुखमरी लाऊँगा,
लोग रोटी के भूखे
और पानी के प्यासे नहीं होंगे,
बल्कि लोग यहोवा के वचन के भूखे होंगे।
12 लोग एक सागर से दूसरे सागर तक भटकेंगे।
वे उत्तर से दक्षिण तक भटकेंगे।
वे लोग यहोवा के सन्देश के लिये आगे बढ़ेंगे, पीछे हटेंगे,
किन्तु वे उसे पाएंगे नहीं।
13 उस समय सुन्दर युवतियाँ और युवक
प्यास के कारण बेहोश हो जाएंगे।
14 उन लोगों ने शोमरोन के पाप के नाम पर प्रतिज्ञायें की।
उन्होंने कहा,
‘दान तुम्हारे देवता की सत्ता निश्चित सत्य है, इससे हम प्रतिज्ञा करते हैं …,
और बेर्शेबा के देवता की सत्ता निश्चित सत्य है, इससे हम प्रतिज्ञा करते है …’
अत: उन लोगों का पतन होगा
और वे फिर कभी उठेंगे नहीं।”
दर्शन में यहोवा का वेदी के सहारे खड़ा होना
9मैंने अपने स्वामी को दर्शन के सामने खड़ा देखा। उसने कहा,
“स्तम्भों के सिरे पर प्रहार करो, और पूरी इमारत की देहली तक काँप उठेगी।
स्तम्भों को लोगों के सिर पर गिराओ।
यदि कोई जीवित बचेगा, सो उसे तलवार से मारो।
कोई व्यक्ति भाग सकता है, किन्तु वह बच नहीं सकेगा।
लोगों में से कोई भी व्यक्ति बचकर नहीं निकलेगा।
2 यदि वे नीचे पाताल में खोदकर जाएंगे,
मैं उन्हें वहाँ से खीच लूँगा।
यदि वे ऊपर आकाश में जाएंगे
मैं उन्हें वहाँ से नीचे लाऊँगा।
3 यदि वे कर्म्मेल पर्वत की चोटी पर जा छिपेंगे,
मैं उन्हें वहाँ खोज लूँगा और मैं उन्हें उस स्थान से ले आऊँगा।
यदि वे मुझसे, समुद्र के तल में छिपना चाहते हैं,
मैं सर्प को आदेश दूँगा और वह उन्हें डस लेगा।
4 यदि वे पकड़े जाएंगे और अपने शत्रु द्वारा ले जाए जाएंगे,
मैं तलवार को आदेश दूँगा
और वह उन्हें वहीं मारेगी।
हाँ, मैं उन पर कड़ी निगाह रखूँगा किन्तु
मैं उन्हें कष्ट देने के तरीकों पर निगाह रखूँगा।
उनके लिये अच्छे काम करने के तरीकों पर नहीं।”
देश के लोगों को दण्ड नष्ट करेगा
5 मेरे स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा, उस प्रदेश को छुएगा
और वह पिघल जाएगा
तब उस देश के सभी निवासी मृतको के लिये रोएंगे।
यह प्रदेश मिस्र की नील नदी की तरह ऊपर उठेगा
और नीचे गिरेगा।
6 यहोवा ने अपने ऊपर के निवास आकाश के ऊपर बनाए।
उसने अपने आकाश को पृथ्वी पर रखा।
वह सागर के जल को बुला लेता है, और देश पर उसकी वर्षा करता है।
उसका नाम यहोवा है।
यहोवा इस्राएल को नष्ट करने का प्रतिज्ञा करता है
7 यहोवा यह कहता है:
“इस्राएल, तुम मेरे लिये कूशियों की तरह हो।
मैं इस्राएल को मिस्र से निकाल कर लाया।
मैं पलिश्तियों को भी कप्तोर से लाया और अरामियों को कीर से।”
8 मेरे स्वामी यहोवा पापपूर्ण राज्य (इस्राएल) पर दृष्टि रखा है।
यहोवा यह कहता है,
“मैं पृथ्वी पर से इस्राएल को नष्ट कर दूँगा।
किन्तु मैं याकूब के परिवार को पूरी तरह नष्ट नहीं करूँगा।
9 मैं इस्राएल के घराने को तितर—बितर करके
अन्य राष्ट्रों में बिखेर देने का आदेश देता हूँ।
यह उसी प्रकार होगा जैसे कोई व्यक्ति अनाज को छनने से छन देता हो।
अच्छा आटा उससे निकल जाता है, किन्तु बुरे अंश फँस जाते हैं।
याकूब के परिवार के साथ ऐसा ही होगा।
10 “मेरे लोगों के बीच पापी कहते हैं,
‘हम लोगों के साथ कुछ भी बुरा घटित नहीं होगा!’
किन्तु वे सभी लोग तलवार से मार दिये जाएँगे।”
परमेश्वर राज्य की पुनस्थापना की प्रतिज्ञा करता है
11 “दाऊद का डेरा गिर गया है,
किन्तु उस समय इस डेरे को मैं फिर खड़ा करूँगा।
मैं दीवारों के छेदों को भर दूँगा।
मैं नष्ट इमारतों को फिर से बनाऊँगा।
मैं इसे ऐसा बनाऊँगा जैसा यह पहले था।
12 फिर वे एदोम में जो लोग बच गये हैं,
उन्हें और उन जातियों को
जो मेरे नाम से जानी जाती है, ले जायेंगे।”
यहोवा ने वे बातें कहीं, और वे उन्हें घटित करायेगा।
13 यहोवा कहता है, “वह समय आ रहा है, जब हर प्रकार का भोजन बहुतायत में होगा।
अभी लोग पूरी तरह फसल काट भी नहीं पाये होंगे
कि जुताई का समय आ जायेगा।
लोग अभी अंगूरों का रस निकाल ही रहे होंगे
कि अंगूरों की रूपाई का समय फिर आ पहुँचेगा।
पर्वतों से दाखमधु की धार बहेगी
और वह पहाड़ियों से बरसेगी।
14 मैं अपने लोगों इस्राएलियों को
देश निकाले से वापस लाऊँगा।
वे नष्ट हुए नगरों को फिर से बनाएंगे
और उन नगरों में रहेंगे।
वे अंगूर की बेलों के बाग लगाएंगे
और वे उन बागों से प्राप्त दाखमधु पीएंगे।
वे बाग लगाएंगे
और वे उन बागों के फलों को खाएंगे।
15 मैं अपने लोगों को उनकी भूमी पर जमाऊँगा
और वे पुन: उस देश से उखाड़े नहीं जाएंगे जिसे मैंने उन्हें दिया है।”
यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने ये बाते कहीं।
समीक्षा
न्याय और अनुग्रह के परमेश्वर
आमोस फिर से अन्याय के विरूद्ध बताते हैं:
'यह सुनो, तुम जो दरिद्रो को निगलना और देश के नम्र लोगों को नष्ट करना चाहते हो, जो कहते हो, 'नया चाँद कब बीतेगा कि हम अन्न बेच सके? विश्रामदिन कब बीतेगा, कि हम अन्न के खत्ते खोलकर एपा को छोटा और शेकेल को भारी कर दें, और छल से दंडी मारे, कि हम कंगालो को रूपया देकर, और दरिद्रो को एक जोड़ी जूतियाँ देकर मोल लें, और निकम्मा अन्न बेचे' (8:4-6, एम.एस.जी.)।
लोगो की स्थिति उस तरह से नहीं थी जो आज हम अपने समाज में देखते हैं। लोग आत्मिक भूख से मर रहे हैं। 'परमेश्वर के वचनों को सुनने का एक अकाल पड़ा है' (व.11)। लोग खोज रहे हैं – वे ड्रग्स, शराब, यौन-संबंध या ताकत का इस्तेमाल करते हैं। यह सब उस गहरी भूख को तृप्त करने का प्रयास है, लेकिन उन्हें आत्मिक भोजन नहीं मिलता है (व.12)।
वाचा के नियम का लक्ष्य था कि गरीबों को सुरक्षा प्रदान करें। किंतु जैसा कि आज अक्सर होता है, गरीबों को न्याय नहीं मिलता है। उन्हें कुचला जा रहा है। उन्हें धोखा दिया जा रहा है। परमेश्वर बेईमानी से नफरत करते हैं क्योंकि वह हमसे प्रेम करते हैं और वह गरीबों से प्रेम करते हैं। अन्याय और बेईमानी इस्राएल का मुख्य पाप था। इन सभी के परिणामस्वरूप आमोस कहते हैं, 'न्याय का दिन आ रहा है!' (व.11, एम.एस.जी.)। इस्राएल को देश से निकाल दिया गया (9:1-10)।
फिर भी, आमोस की पुस्तक इस बात से समाप्त नहीं होती है। सुधार के एक वायदे के साथ इसकी समाप्ति होती हैः'मैं दाउद के घराने को ज्यों का त्यों कर दूँगा जो टूट चुका है...सबकुछ एक ही समय में हो जाएगा – और जहाँ कही आप देखोगे, आशीषें होंगी! पर्वतों और पहाड़ो से उमड़ते हुए दाखरस की तरह आशीषें। मैं अपने लोगों इस्राएल के लिए सबकुछ फिर से सही कर दूँगाः
वे अपने बरबाद शहरों को फिर से बसाएँगे।
वे दाख की बारी लगाएँगे और अच्छा दाखरस पीएँगे।
वे बगीचे लगाएँगे और ताजी सब्जियाँ खायेंगे।
और मैं उन्हें बसाऊँगा, उनकी निज भूमि में उन्हें बसाऊँगा।
वे फिर कभी उस देश में से नहीं निकाले जाएँगे जो मैंने उन्हें दी है' (वव.11-15, एम.एस.जी.)।
परमेश्वर के लोगों का भविष्य उनके सबसे महानतम सपनों के परे था। यहाँ तक कि उनके पाप और अन्याय परमेश्वर की आशीष की योजनाओं को दूर नहीं कर सकते हैं। यह उतना ही गतिशील है जितना कि हमने हमारे नये नियम के लेखांश में देखा। परमेश्वर का अनुग्रह और दया हमारे पापों से कही बढ़कर है। यीशु संभव बनाते हैं कि न्याय और क्षमा साथ साथ जाएँ।
प्रार्थना
परमेश्वर आपका धन्यवाद, क्योंकि आप न्याय और अनुग्रह के एक परमेश्वर हैं। आपका धन्यवाद क्योंकि पवित्र आत्मा के ऊँडेले जाने के द्वारा हम आने वाले भविष्य को देखते हैं। होने दीजिए कि न्याय राज्य करे। होने दीजिए कि हम तबाह चर्च को फिर से बनते हुए और चर्च में बढ़ोत्तरी को देखें। होने दीजिए कि पवित्र आत्मा का दाखरस और अनुग्रह की बहुतायत प्रचुरता पर्वतो से बहे।
पिप्पा भी कहते है
रोमियो 5:20 ब
'जब पाप बढ़ा, अनुग्रह उससे भी अधिक बढ़ा।'
मैसेज अनुवाद कहता है, 'लेकिन पाप उस उग्र क्षमा के सामने खड़ा नहीं रह सकता और न रह सका है, जिसे हम अनुग्रह कहते हैं।' मैं सोचती हूँ कि इसी वजह से हम अक्सर बंदीगृह में बहुत ज्यादा विश्वास और प्रेम को देखते हैं; और बदले हुए जीवन को। यह जितना अधिक अंधकारमय होता है, उतना ही अधिक इसका प्रकाश चमकता है।
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।