परमेश्वर की सेवा सिद्ध स्वतंत्रता है
परिचय
अठारह वर्ष की उम्र में, बिली नोलन मर्चंट नेवी से भाग गए। पैंतीस वर्ष की उम्र तक वह एक शराबी थे। बीस वर्ष तक एच.टी.बी के बाहर बैठकर शराब पीते थे और भीख मांगते थे। 13 मई, 1990 को, उन्होंने दर्पण में देखा और कहा, 'तुम वह बिली नोलन नहीं हो जिसे मैं जानता था।' अपने भाव को इस्तेमाल करने के लिए, उन्होंने यीशु मसीह को अपने जीवन में बुलाया और उनके साथ वाचा बाँधी कि वह फिर शराब नहीं पीयेंगे। उस दिन से, उन्होंने एक बूँद भी नहीं छुई। उनका जीवन बदल गया; वह मसीह के प्रेम और आनंद को दर्शाते हैं। मैंने एक बार उनसे कहा, 'बिली, आप खुश नजर आते हैं।' उन्होंने जवाब दिया, 'मैं खुश हूँ क्योंकि मैं स्वतंत्र हूँ। जीवन एक भूल – भूलैयाँ की तरह है और यीशु मसीह के द्वारा मैंने बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ़ लिया है।
सेंट अगस्टाईन ने लिखा कि परमेश्वर वह स्वामी हैं 'जिसकी सेवा करना सिद्ध स्वतंत्रता है।' यह एक बड़ा विरोधाभास है। बहुत से लोग सोचते हैं कि यदि वे परमेश्वर की सेवा करेंगे तो वे अपनी स्वतंत्रता को खो देंगे। असल में, यह बहुत ही विपरीत है। असल में अपने आपके लिए जीवन एक प्रकार का दासत्व है। 'आत्मा के नये तरीके से' परमेश्वर की सेवा करना (रोमियो 7:6) सिद्ध स्वतंत्रता को प्राप्त करने का रास्ता है।
भजन संहिता 88:1-9a
कोरह वंशियों के ओर से संगीत निर्देशक के लिये यातना पूर्ण व्याधि के विषय में एज्रा वंशी हेमान का एक कलापूर्ण स्तुति गीत।
88हे परमेश्वर यहोवा, तू मेरा उद्धारकर्ता है।
मैं तेरी रात दिन विनती करता रहा हूँ।
2 कृपा करके मेरी प्रार्थनाओं पर ध्यान दे।
मुझ पर दया करने को मेरी प्रार्थनाएँ सुन।
3 मैं अपनी पीड़ाओं से तंग आ चुका हूँ।
बस मैं जल्दी ही मर जाऊँगा।
4 लोग मेरे साथ मुर्दे सा व्यवहार करने लगे हैं।
उस व्यक्ति की तरह जो जीवित रहने के लिये अति बलहीन हैं।
5 मेरे लिये मरे व्यक्तियों में ढूँढ़।
मैं उस मुर्दे सा हूँ जो कब्र में लेटा है,
और लोग उसके बारे में सब कुछ ही भूल गए।
6 हे यहोवा, तूने मुझे धरती के नीचे कब्र में सुला दिया।
तूने मुझे उस अँधेरी जगह में रख दिया।
7 हे परमेश्वर, तुझे मुझ पर क्रोध था,
और तूने मुझे दण्डित किया।
8 मुझको मेरे मित्रों ने त्याग दिया है।
वे मुझसे बचते फिरते हैं जैसे मैं कोई ऐसा व्यक्ति हूँ जिसको कोई भी छूना नहीं चाहता।
घर के ही भीतर बंदी बन गया हूँ। मैं बाहर तो जा ही नहीं सकता।
9 मेरे दु:खों के लिये रोते रोते मेरी आँखे सूज गई हैं।
हे यहोवा, मैं तुझसे निरतंर प्रार्थना करता हूँ।
तेरी ओर मैं अपने हाथ फैला रहा हूँ।
समीक्षा
परमेश्वर को पुकारिये
यह भजन वैसी ही एक स्थिति का वर्णन करता है जिसमें बिली नोलन ने अपने आपको पाया थाः'तू ने मेरे पहिचान वालों को मुझ से दूर किया है; और मुझ को उनकी दृष्टि में घिनौना किया है। मैं बंदी हूँ और निकल नहीं सकता' (व.8, एम.एस.जी.)।
भजनसंहिता के लेखक बड़े कष्ट से गुजर रहे हैं। उनकी 'आत्मा परेशानी से भरी हुई है' (व.3अ)। वह सोचते हैं कि वह मरने वाले हैं:'मेरा प्राण अधोलोक के निकट पहुँचा है...मैं कब्र में पड़ने वालों में गिना गया हूँ' (वव.3-5, एम.एस.जी.)। वह 'अंधेरे और गहरे स्थान' में हैं (व.6), 'बलहीन' (व.4), 'मै बंदी हूँ, और निकल नहीं सकता' (व.8)। उन्होंने अपने नजदीकी मित्रो की सहायता भी खो दी है (व.8)।
केवल परमेश्वर हमें बचा सकते हैं:'परमेश्वर, आप मेरा आखिरी मौका हैं' (व.1, एम.एस.जी.)। जैसा कि बिली नोलन ने किया, वह परमेश्वर से पुकारते हैं कि उन्हें बचाएं। आपकी स्थिति चाहे कितनी ही बुरी हो, स्वतंत्रता के लिए परमेश्वर को पुकारिये।
प्रार्थना
'हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर यहोवा, मैं दिन को और रात को तेरे आगे चिल्लाता आया हूँ। मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुँचे, मेरे चिल्लाने की ओर कान लगा’ (पद - 1-2)।
रोमियों 6:15-7:6
धार्मिकता के सेवक
15 तो हम क्या करें? क्या हम पाप करें? क्योंकि हम व्यवस्था के अधीन नहीं, बल्कि परमेश्वर के अनुग्रह के अधीन जीते हैं। निश्चय ही नहीं। 16 क्या तुम नहीं जानते कि जब तुम किसी की आज्ञा मानने के लिए अपने आप को दास के रूप में उसे सौंपते हो तो तुम दास हो। फिर चाहे तुम पाप के दास बनो, जो तुम्हें मार डालेगा और चाहे आज्ञाकारिता के, जो तुम्हें धार्मिकता की तरफ ले जायेगी। 17 किन्तु प्रभु का धन्यवाद है कि यद्यपि तुम पाप के दास थे, तुमने अपने मन से उन उपदेशों की रीति को माना जो तुम्हें सौंपे गये थे। 18 तुम्हें पापों से छुटकारा मिल गया और तुम धार्मिकता के सेवक बन गए हो। 19 (मैं एक उदाहरण दे रहा हूँ जिसे सभी लोग समझ सकें क्योंकि उसे समझना तुम लोगों के लिए कठिन है।) क्योंकि तुमने अपने शरीर के अंगों को अपवित्रता और व्यवस्था हीनता के आगे उनके दास के रूप में सौंप दिया था जिससे व्यवस्था हीनता पैदा हूई, अब तुम लोग ठीक वैसे ही अपने शरीर के अंगों को दास के रूप में धार्मिकता के हाथों सौंप दो ताकि सम्पूर्ण समर्पण उत्पन्न हो।
20 क्योंकि तुम जब पाप के दास थे तो धार्मिकता की ओर से तुम पर कोई बन्धन नहीं था। 21 और देखो उस समय तुम्हें कैसा फल मिला? जिसके लिए आज तुम शर्मिन्दा हो, जिसका अंतिम परिणाम मृत्यु है। 22 किन्तु अब तुम्हें पाप से छुटकारा मिल चुका है और परमेश्वर के दास बना दिये गये हो तो जो खेती तुम काट रहे हो, तुम्हें परमेश्वर के प्रति सम्पूर्ण समर्पण में ले जायेगी। जिसका अंतिम परिणाम है अनन्त जीवन। 23 क्योंकि पाप का मूल्य तो बस मृत्यु ही है जबकि हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्त जीवन, परमेश्वर का सेंतमेतका वरदान है।
विवाह का दृष्टान्त
7हे भाईयों, क्या तुम नहीं जानते (मैं उन लोगों से कह रहा हूँ जो व्यवस्था को जानते है) कि व्यवस्था का शासन किसी व्यक्ति पर तभी तक है जब तक वह जीता हैं? 2 उदाहरण के लिए एक विवाहिता स्त्री अपने पति के साथ विधान के अनुसार तभी तक बँधी है जब तक वह जीवित है किन्तु यदि उसका पति मर जाता है, तो वह विवाह सम्बन्धी नियमों से छूट जाती है। 3 पति के जीते जी यदि किसी दूसरे पुरुष से सम्बन्ध जोड़े तो उसे व्यभिचारिणी कहा जाता है किन्तु यदि उसका पुरुष मर जाता है तो विवाह सम्बन्धी नियम उस पर नहीं लगता और इसलिए यदि वह दूसरे पुरुष की हो जाती है तो भी वह व्यभिचारिणी नहीं है।
4 हे मेरे भाईयों, ऐसे ही मसीह की देह के द्वारा व्यवस्था के लिए तुम भी मर चुके हो। इसलिए अब तुम भी किसी दूसरे से नाता जोड़ सकते हो। उससे जिसे मरे हुओं में से पुनर्जीवित किया गया है। ताकि हम परमेश्वर के लिए कर्मो की उत्तम खेती कर सकें। 5 क्योंकि जब हम मानव स्वभाव के अनुसार जी रहे थे, हमारी पापपूर्ण वासनाएँ जो व्यवस्था के द्वारा आयी थीं, हमारे अंगों पर हावी थीं। ताकि हम कर्मों की ऐसी खेती करें जिसका अंत मौत में होता है। 6 किन्तु अब हमें व्यवस्था से छुटकारा दे दिया गया है क्योंकि जिस व्यवस्था के अधीन हमें बंदी बनाया हुआ था, हम उसके लिये मर चुके हैं। और अब पुरानी लिखित व्यवस्था से नहीं, बल्कि आत्मा की नयी रीति से प्रेरित होकर हम अपने स्वामी परमेश्वर की सेवा करते हैं।
समीक्षा
परमेश्वर की सेवा करें
यहाँ पर एक थॉमस, टैंक इंजिन कार्टून है, जिसकी बगल में थॉमस का ऐसा चित्र है, जिसमें वो रेल की पटरी से उतर चुके हैं। वह चिल्ला रहे हैं, 'मैं स्वतंत्र हूँ! आखिरकार मैं स्वतंत्र हूँ। मैं पटरी से उतर चुका हूँ और मैं स्वतंत्र हूँ!' निश्चित ही, वास्तविकता यह है कि थॉमस 'स्वतंत्र' से कही अधिक हैं जब उनके पहियें रेल पर हैं और वह उस रेखा में काम कर रहे हैं, जिसमे काम करने के लिए इसे बनाया गया है।
हमारे साथ यही है। शायद से हम कल्पना करें कि हम स्वतंत्र हैं यदि कोई दूसरा हमें नहीं बता रहा है कि क्या करना है, लेकिन यह एक धोखा है क्योंकि हम अपने आपको पाप का दास पाते हैं इसका अंत 'मृत्यु' है (6:21, एम.एस.जी.)।
ऐसा कहा जाता है कि 'केवल एकमात्र व्यायाम जो कुछ लोग करते हैं, वह है गलत निष्कर्ष पर कूदना।' पौलुस प्रेरित चिंता करते हैं कि उनकी पत्रियों को पढ़ने वाले गलत निष्कर्ष पर पहुँच जायेंगे – कि शायद से कुछ लोग विवाद करें कि यदि हम पाप करते रहे तो इससे फर्क नहीं पड़ता है। वह लिखते हैं, ' तो क्या हुआ? क्या हम इसलिये पाप करें कि हम व्यवस्था के अधीन नहीं वरन् अनुग्रह के अधीन हैं? बिल्कुल नहीं' (व.15)।
क्षमा का आश्वासन निरंतर पाप करने का एक बहाना नहीं है। अनुग्रह, पाप से 'बचकर निकलने' का एक बहाना नहीं है। दो कारणों की वजह से पाप करते रहना बेतुकी बात होगीः
- एक नये प्रभु
मसीहों के रूप में हमारे नये प्रभु हैं। अब हम ऐसे परमेश्वर की सेवा करते हैं, 'जिनकी आज्ञाएं आपको मुक्त करती हैं ताकि आप उनकी स्वतंत्रता में जीएं' (व.17, एम.एस.जी)। इसे पसंद करें या नहीं, हम सभी किसी न किसी चीज के दास हैं। पाप एक प्रकार का दासत्व है, जो केवल आत्मिक बंधन और मृत्यु को लाता है, लेकिन परमेश्वर की सेवा करना सिद्ध स्वतंत्रता को लाता है। क्योंकि ' परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है' (व.23, एम.एस.जी)।
परमेश्वर हमारे नये प्रभु हैं। हर बार जब हम पाप के आगे झुकते हैं, तब हम अनुग्रह के उद्देश्य के विरूद्ध जा रहे हैं – जो है हमें सच्चा जीवन, अनंत जीवन देना। जब आपकी परीक्षा होती है तब याद रखिये कि आपको हार नहीं माननी है। अब आप पाप के एक दास नहीं हैं। आप 'ना' कहने के लिए स्वतंत्र हैं।
आज्ञाकारिता के प्रतिफल को भी याद रखिये। परमेश्वर की सेवा करने में 'जो प्रतिफल आपको मिलता है वह पवित्रता लाता है, और इसका परिणाम अनंत जीवन है' (व.22)।
- एक नया प्रेम
पाप करते रहना बेतुकी बात है क्योंकि, नये प्रभु के साथ साथ, हमारे पास एक नया प्रेम भी है।
इसे समझाने के लिए पौलुस विवाह के पहलू के बारे में बताते हैं। एक महिला विवाह के नियम से छूट जाती है जब उसका पति मर जाता है। मृत्यु हमें नियम से छुड़ाता है (7:1-6)।
इसी तरह से, मसीहों के रूप में हम नियम के लिए मर गए हैं। हमारा पुराना प्रेम नियम था, लेकिन, मसीहों के रूप में, 'अब हम पाप के बंधन में नहीं है' (व.6, एम.एस.जी.)। अब हम अपने नये प्रेम, यीशु के साथ बॅंध सकते हैं, जैसे कि एक महिला जिसका पति मर चुका है, वह एक नये प्रेम से विवाह करने के लिए स्वतंत्र हैं (व.4)।
अब जबकि आप अनुग्रह के अधीन हैं नाकि नियम के अधीन, तो आपमें वह आत्मा रहता है जो आपको सही करने की इच्छा और योग्यता से भरता है। अपने नये प्रेम, यीशु से जुड़कर, आप 'आत्मा के नियम से सेवा करते हैं, और नाकि लिखे गए पुराने नियम से' (व.6)। किंतु, जैसा कि हम कल देखेंगे, पौलुस उस चल रही लड़ाई के विषय में सापेक्षिक, जो लड़ाई हम पाप के साथ करते हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि आपकी सेवा करना सिद्ध स्वतंत्रता है। आज मैं अपने शरीर के सभी अंगो को सत्यनिष्ठा के दास के रूप में प्रस्तुत करता हूँ (6:19)। आत्मा के नियम में, मेरे प्रभु और मेरे प्रेम में आपकी सेवा करना चाहता हूँ।
होशे 3:1-5:15
होशे का गोमेर को दासता से छुड़ाना
3इसके बाद यहोवा ने मुझसे फिर कहा, “यद्यपि गोमेर के बहुत से प्रेमी हैं। किन्तु तुझे उससे प्रीत बनाये रखनी चाहिये। क्यों क्योंकि यह तेरा यहोवा कासा आचरण होगा। यहोवा इस्राएल की प्रजा पर अपना प्रेम बनाये रखता है किन्तु इस्राएल के लोग अन्य देवताओं की पूजा करते रहते हैं और वे दाख के पुओं को खाना पसन्द करते हैं।”
2 सो मैंने गोमेर को चाँदी के पन्द्रह सिक्कों और नौ बुशल जौ के बदले खरीद लिया। 3 फिर उससे कहा, “तुझे घर में मेरे साथ बहुत दिनों तक रहना है। तुझे किसी वेश्या के जैसा नहीं होना चाहिये। किसी पराये पुरूष के साथ नहीं रहना है। मैं तभी वास्तव में तेरा पति बनूँगा।”
4 इसी प्रकार, इस्राएल के लोग बहुत दिनों तक बिना किसी राजा या मुखिया के रहेंगे। वे बिना किसी बलिदान अथवा बिना किसी स्मृति पत्थर के रहेंगे। उनके पास कोई याजकों की पोशाक नहीं होगी या उनके कोई गृह देवता नहीं होंगे। 5 इसके बाद इस्राएल के लोग वापस लौट आयेंगे और तब वे अपने यहोवा परमेश्वर और अपने राजा दाऊद की खोज करेंगे। अंतिम दिनों में वे यहोवा को और उसकी नेकी को आदर देने आयेंगे।
इस्राएल पर यहोवा का कोप
4हे इस्राएल के लोगों, यहोवा के सन्देश को सुनो! यहोवा इस देश में रहने वाले लोगों के विरूद्ध अपने तर्क बतायेगा। वास्तव में इस देश के लोग परमेश्वर को नहीं जानते। ये लोग परमेश्वर के प्रति सच्चे और निष्ठावान नहीं हैं। 2 ये लोग कसमें खाते हैं, झूठ बोलते हैं, हत्याएँ करते हैं और चोरियाँ करते हैं। वे व्यभिचार करते हैं और फिर उससे उनके बच्चे होते हैं। ये लोग एक के बाद एक हत्याएँ करते चले जाते हैं। 3 इसलिये यह देश ऐसा हो गया है जैसा किसी की मृत्यु के ऊपर रोता हुआ कोई व्यक्ति हो। यहाँ के सभी लोग दुर्बल हो गये हैं। यहाँ तक कि जंगल के पशु, आकाश के पक्षी और सागर की मछलियाँ मर रही हैं। 4 किसी एक व्यक्ति को किसी दूसरे पर न तो कोई अभियोग लगाना चाहिये और न ही कोई दोष मढ़ना चाहिये। हे याजक, मेरा तर्क तुम्हारे विरूद्ध है! 5 हे याजकों, तुम्हारा पतन दिन के समय होगा और रात के समय तुम्हारे साथ नबी का भी पतन हो जायेगा और मैं तुम्हारी माता को नष्ट कर दूँगा।
6 “मेरी प्रजा का विनाश हुआ क्योंकि उनके पास कोई ज्ञान नहीं था किन्तु तुमने तो सीखने से ही मना कर दिया। सो मैं तुम्हें अपना याजक बनने का निषेध कर दूँगा। तुमने अपने परमेश्वर के विधान को भुला दिया है। इसलिये मैं तुम्हारी संतानों को भूल जाऊँगा। 7 वे अहंकारी हो गये! मेरे विरूद्ध वे पाप करते चले गये। इसलिये मैं उनकी महिमा को लज्जा में बदल दूँगा।
8 “याजकों ने लोगों के पापों में हिस्सा बंटाया। वे उन पापों को अधिक से अधिक चाहते चले गये। 9 इसलिये याजक लोगों से कोई भिन्न नही रह गये थे। मैं उन्हें उनके कर्मो का दण्ड दूँगा। उन्होंने जो बुरे काम किये हैं, मैं उनसे उनका बदला चुकाऊँगा। 10 वे खाना तो खायेंगे किन्तु उन्हे तृप्ति नहीं होगी! वे वेश्यागमन तो करेंगे किन्तु उनके संतानें नहीं होंगी। ऐसा क्यों क्योंकि उन्होंने यहोवा को त्याग दिया और वे वेश्याओं के जैसा हो गये।
11 “व्यभिचार, तीव्र मदिरा और नयी दाखमधु किसी व्यक्ति की सीधी तरह से सोचने की शक्ति को नष्ट कर देते हैं। 12 देखों, मेरे लोग लकड़ी के टुकड़ों से सम्मति माँगते हैं। वे सोचते हैं कि ये छड़ियाँ उन्हें उत्तर देंगी। ऐसा क्यों हो गया ऐसा इसलिये हुआ कि वे वेश्याओं के समान उन झूठे देवताओं के पीछे पड़े रहे। उन्होंने अपने परमेश्वर को त्याग दिया और वे वेश्याओं जैसे बन बैठे। 13 वे पहाड़ों की चोटियों पर बलियाँ चढ़ाया करते हैं। पहाड़ियों के ऊपर बाँज, चिनार तथा बाँज के पेड़ों के तले धूप जलाते हैं। उन पेड़ों तले की छाया अच्छी दिखती है। इसलिये तुम्हारी पुत्रियाँ वेश्याओं की तरह उन पेड़ों के नीचे सोती हैं और तुम्हारी बहुएँ वहाँ पाप पूर्ण यौनाचार करती हैं।
14 “मैं तुम्हारी पुत्रियों को वेश्याएँ बनने के लिये अथवा तुम्हारी बहुओं को पापपूर्ण यौनाचार के लिये दोष नहीं दे सकता। लोग वेश्याओं के पास जाकर उनके साथ सोते हैं और फिर वे मन्दिर की वेश्याओं के पास जाकर बलियाँ अर्पित कर देते हैं। इस प्रकार वे मूर्ख लोग स्वयं अपने आपको ही तबाह कर रहे हैं।
इस्राएल के लज्जापूर्ण पाप
15 “हे इस्राएल, तू एक वेश्या के समान आचरण करती है। किन्तु यहूदा को अपराधी मत बनने दे। तू गिलगाल अथवा बेतावेन के पास मत जा। यहोवा के नाम पर कसमें मत खा। ऐसा मत कह, ‘यहोवा के जीवन की सौगन्ध!’ 16 इस्राएल को यहोवा ने बहुत सी वस्तुएँ दी थीं। यहोवा एक ऐसे गड़ेरिये के समान है जो अपनी भेड़ों को घास से भरपूर एक बड़े से मैदान की ओर ले जाता है। किन्तु इस्राएल जिद्दी है। इस्राएल उस जवान बछड़े के समान है जो बार—बार, इधर—उधर भागता है।
17 “एप्रैम भी उसकी मूर्तियों में उसका साथी बन गया। सो उसे अकेला छोड़ दो। 18 एप्रैम ने उनकी मदमत्तता में हिस्सा बटाया। उन्हें वेश्याएँ बने रहने दो। रहने दो उन्हें उनके प्रेमियों के साथ। 19 वे उन देवताओं की शरण में गये और उनकी विचार शक्ति जाती रही। उनकी बलियाँ उनके लिये शर्मिंदगी लेकर आई।
मुखियाओं ने इस्राएल और यहूदा से पाप करवाये
5“हे याजकों, इस्राएल के वंशजो, तथा राजा के परिवार के लोगों, मेरी बात सुनो।
“तुम मिसपा में जाल के समान हो। तुम ताबोर की धरती पर फैलाये गये फँदे जैसे हो। 2 तुमने अनेकानेक कुकर्म किये हैं। इसलिये मैं तुम सबको दण्ड दूँगा! 3 मैं एप्रैम को जानता हूँ। मैं उन बातों को भी जानता हूँ जो इस्राएल ने की हैं। हे एप्रैम, तू अब तक एक वेश्या के जैसा आचरण करता है। इस्राएल पापों से अपवित्र हो गया है। 4 इस्राएल के लोगों ने बहुत से बुरे कर्म किये हैं और वे बुरे कर्म ही उन्हें परमेश्वर के पास फिर लौटने से रोक रहे हैं। वे सदा ही दूसरे देवताओं के पीछे पीछे दौड़ते रहने के रास्ते सोचते रहते हैं। वे यहोवा को नहीं जानते। 5 इस्राएल का अहंकार ही उनके विरोध में एक साक्षी बन गया है। इसलिये इस्राएल और एप्रैम का उनके पापों में पतन होगा किन्तु उनके साथ ही यहूदा भी ठोकर खायेगा।
6 “लोगों के मुखिया यहोवा की खोज में निकल पड़ेंगे। वे अपनी भेड़ों और गायों को भी अपने साथ ले लेंगे किन्तु वे यहोवा को नहीं पा सकेंगे। ऐसा क्यो क्योंकि यहोवा ने उन्हें त्याग दिया था। 7 वे यहोवा के प्रति सच्चे नहीं रहे थे। उनकी संतानें किसी पराये की थीं। सो अब वह उनका और उनकी धरती का फिर से विनाश करेगा।”
इस्राएल के विनाश की भविष्यवाणी
8 तुम गिबाह में नरसिंगे को फूँको,
रामा में तुम तुरही बजाओ,
बतावेन में तुम चेतावनी दो।
बिन्यामीन, शत्रु तुम्हारे पीछे पड़ा है।
9 एप्रैम दण्ड के समय में
उजाड़ हो जायेगा।
हे इस्राएल के घरानो मैं (परमेश्वर) तुम्हें सचेत करता हूँ
कि निश्चय ही वे बातें घटेंगी।
10 यहोदा के मुखिया चोर से बन गये हैं।
वे किसी और व्यक्ति की धरती चुराने का जतन करते रहते हैं।
इसलिये मैं (परमेश्वर) उन पर क्रोध पानी सा उंडेलूँगा।
11 एप्रैम दण्ड़ित किया जायेगा,
उसे कुचला और मसला जायेगा जैसे अंगूर कुचले जाते हैं।
क्योंकि उसने निकम्मे का अनुसरण करने का निश्चय किया था।
12 मैं एप्रैम को ऐसे नष्ट कर दूँगा जैसे कोई कीड़ा किसी कपड़े के टुकड़े को बिगाड़े।
यहूदा को मैं वैसे नष्ट कर दूँगा जैसे सड़ाहट किसी लकड़ी के टुकड़े को बिगाड़े।
13 एप्रैम अपना रोग देख कर और यहूदा अपना घाव देख कर
अश्शुर की शरण पहुँचेंगे।
उन्होने अपनी समस्याएँ उस महान राजा को बतायी थी।
किन्तु वह राजा तुझे चंगा नहीं कर सकता, वह तेरे घाव को नहीं भर सकता है।
14 क्योंकि मैं एप्रैम के हेतु सिंह सा बनूँगा
और मैं यहूदा की जाति के लिये एक जवान सिंह बनूँगा।
मैं—हाँ, मैं (यहोवा) उनके चिथड़े उड़ा दूँगा।
मैं उनको दूर ले जाऊँगा,
मुझसे कोई भी उनको बचा नहीं पायेगा।
15 फिर मैं अपनी जगह लौट जाऊँगा
जब तक कि वे लोग स्वंय को अपराधी नहीं मानेंगे,
जब तक वे मुझको खोजते न आयेंगे।
हाँ! अपनी विपत्तियों में वे मुझे ढूँढ़ने का कठिन जतन करेंगे।
समीक्षा
परमेश्वर की स्वतंत्रता को खोजें
टिम केलर न्यू यॉर्क के लोगों के विषय में बताते हैं कि उन्हें पाप को समझने में कठिनाई होती है, लेकिन किसी चीज को बहुत प्रेम करना (मूर्तिपूजा) उनके उल्लेख से कही बढ़कर है। हमारा सबसे ऊँचा प्रेम है, जिसकी हम सेवा और आराधना करते हैं।
पुराने नियम का यह लेखांश उस सिद्धांत का एक उदाहरण देता है, जिसे पौलुस ने रोमियो की पुस्तक में समझाया, कि जो पाप करते हैं वे पाप के दास हैं और अपने जीवन को खराब कर लेंगे।
परमेश्वर अपने लोगों से प्रेम करते हैं (3:1)। भविष्यवक्ता होशे को अपनी पत्नी के लिए उनके प्रेम के द्वारा इस बात का एक चित्रित रूप प्रदान करने के लिए बुलाया गया है, इस तथ्य के बावजूद उनकी पत्नी ने व्यभिचार किया है (व.1):'अब जाकर एक ऐसी स्त्री से प्रीति कर, जो व्यभिचारिणी होने पर भी अपने प्रिय की प्यारी हो; क्योंकि उसी भाँति यद्यपी इस्राएली पराए देवताओं की ओर फिरे, और दाख की टिकियों से प्रीति रखते हैं, तब भी यहोवा उन से प्रीति रखता है' (व.1, एम.एस.जी.)।
होशे परमेश्वर के वचन को सुनाते हैं, 'इस देश में न तो कुछ सच्चाई है, न कुछ करुणा और न कुछ परमेश्वर का ज्ञान ही है। यहाँ शाप देने, झूठ बोलने, वध करने, चुराने, और व्यभिचार करने को छोड़ कुछ नही होता' (4:1-2)। लोग व्यभिचार और वेश्यावृत्ति का पाप करते हैं (वव.13ब, 15; 5:3)। आज यह बहुत से समाज का एक सटीक वर्णन है।
लीडर्स एक अच्छा उदाहरण नहीं रख रहे थेः'जैसे ही वे बढ़ते गए, वैसे ही वे मेरे विरूद्ध पाप करते गए; मैं उनके वैभव के बदले उनका अनादर करुँगा। वे मेरी प्रजा की पाप बलियों को खाते हैं, और प्रजा के पापी होने की लालसा करते हैं। इसलिये जो प्रजा की दशा होगी, वही याजक की भी होगी' (4:7-9)।
उनके पाप से स्वतंत्रता को खोजने के बजाय, वे असंतुष्ट थे और उनके पापों के कारण दास थेः'वे खाएँगे तो सही, परंतु तृप्त न होंगे, और वेश्यागमन तो करेंगे, परंतु न बढेंगे...वेश्यागमन और दाखमधु और ताजा दाखमधु, ये तीनों बुद्धि को भ्रष्ट करते हैं। मेरी प्रजा के लोग काठ के पुतले से प्रश्न करते हैं' (वव.10-12, एम.एस.जी.)। वे 'मूरतों के संगी हो गये हैं...जब दाखमधु पी चुकते हैं तब वेश्यागमन में लग जाते हैं' (वव.17-18, एम.एस.जी.)।
परमेश्वर की ओर फिरने में वह अपने आपको असमर्थ पाते हैं:'उनके काम उन्हें अपने परमेश्वर की ओर फिरने नहीं देते' (व.4अ)। व्यभिचार और वेश्यागमन लोगों में फैला हुआ था (14:13ब, 15; 5:3)। यह ऐसा था जैसे किसी शैतानी ताकत ने उन्हें जकड़ लिया हैः'क्योंकि छिनाला करने वाली आत्मा उनमें रहती है; और वे यहोवा को नहीं जानते हैं' (व.4ब)। वह उनसे दूर हो गए (व.6)।
लेकिन परमेश्वर इसलिए दूर हो गए कि लोग उनके पास आ जाएँ। वापस आने का अर्थ है अपनी गलती को मानना और परमेश्वर को खोजने का प्रयास करनाः'जब वे संकट में पड़ेंगे, तब जी लगाकर मुझे ढूँढ़ने लगेंगे' (व.15ब)।
'आप परमेश्वर को किस तरह से खोजते हैं?' जॉयस मेयर लिखती हैं। 'एक तरीका है उनके बारे में सोचना और ध्यान देना कि किन चीजों से उन्हें अंतर पड़ता है और कुछ स्थितियों के बारे में वे क्या कहते हैं। जब हम उन्हें खोज लेते हैं, तब हम अपनी परेशानियों के लिए उनके उत्तर के विषय में बहुत कुछ पा लेते हैं। हम आनंद, शांति, प्रेम, बुद्धि और बाकी दूसरी चीजों को भी पा लेते हैं, जिसकी हमें अपने जीवन में आवश्यकता है। मुझे आपको चिताने दीजिए कि आज अपने जीवन के हर क्षेत्र में उन्हें खोजिये।'
प्रार्थना
परमेश्वर, मैं आज आपको खोजता हूँ। मैं आपके पास उन सभी परेशानियों को लाता हूँ जिनका मैं सामना कर रहा हूँ..कृपया मुझे दिखाईये कि आप मुझसे क्या करवाना चाहते है। मुझे बुद्धि दीजिए। पूरे हृदय से आपकी सेवा करने में सिद्ध स्वतंत्रता को प्राप्त करने में आज मेरी सहायता कीजिए।
पिप्पा भी कहते है
रोमियो 6:23ब
'...लेकिन परमेश्वर का उपहार हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनंत जीवन है।'
लोगों के लिए उपहार खरीदने में मुझे थोड़ा तनाव महसूस होता है। मैं अक्सर लोगो की दयालुता, उदारता और सोच से प्रभावित हो जाती हूँ जब मुझे कोई एक उपहार देता है। हमारे लिए परमेश्वर का उपहार और भी अद्भुत है – अनंत जीवन! यह उपहार कभी पुराना नहीं होगा, मुर्झाएगा नहीं या यह भुलाया नहीं जा सकता है। यह सबसे बहुमूल्य उपहार है। इसे पाने के लिए एक बड़े बलिदान की आवश्यकता थी; यह सर्वदा बना रहेगा और हर तरह से सिद्ध रहेगा।

App
Download The Bible with Nicky and Pippa Gumbel app for iOS or Android devices and read along each day.
संदर्भ
निकी गॅम्बेल, जीवन के प्रश्न, (अल्फा इंटरनैशनल, 2011) पी.47
जॉयस मेयर, एव्रीडे लाईफ बाईबल, (फेथवर्ड्स, 2014) पी 1368
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
नोट्स
'परमेश्वर की सेवा सिद्ध स्वतंत्रता है'। सामान्य प्रार्थना की पुस्तक यह कहती है। इस भाव का उद्गम सेंट अगस्टाईन के पास वापिस जाता है जिन्होंने लिखा की परमेश्वर वह स्वामी है 'जिसकी सेवा करना सिद्ध स्वतंत्रता है।' यह एक बड़ा विरोधाभास है। बहुत से लोग सोचते है कि यदि वे परमेश्वर की सेवा करेंगे तो वे अपनी स्वतंत्रता को खो देंगे। असल में, यह बहुत ही विपरीत है (जेन विलियम, सिद्ध स्वतंत्रता देखे)।
जीवन के प्रश्न, पेज 47 से बिली नोलन
जॉयस मेयर, द एव्रीडे लाईफ बाईबल, पेज 1368