दिन 209

सुंदर पैर

बुद्धि नीतिवचन 18:7-16
नए करार रोमियों 10:5-11:10
जूना करार 1 इतिहास 2:18-4:8

परिचय

हमारे एक मित्र दस साल से बच्चे के लिए इंतजार कर रहे थे। उन्हें बताया गया था कि यह असंभव है। एक दिन हमारे दरवाजे की घंटी बजी। वहाँ पर वह थी। यह उनके चेहरे पर लिखा हुआ था। जैसे ही वह घर में आयी, उन्होंने कूदना शुरु कर दिया, आनंद और खुशी से पैर पटक रही थी, अच्छे समाचार को बताते हुए। वह गर्भवती हो चुकी थी। उनका इंतजार समाप्त हुआ। वह अपने खुद के शरीर में अच्छे समाचार को लेकर जा रही थी। अच्छे समाचार को ले जाने से बढ़कर कुछ भी अत्यधिक उत्साहजनक नहीं है।

आप भी अच्छे समाचार को लेकर जाते हैं। यीशु का संदेश आपमें है। यही कारण है कि पौलुस प्रेरित के अनुसार, आपके पैर सुंदर हैं (रोमियो 10:15)!

मसीहों के रूप में हम सभी यीशु के अच्छे समाचार को बाँटने के लिए बुलाए गए हैं। हममें से कुछ के पास महान सुविधाए हैं, जिन्हें इसे पूर्ण करने के लिए बुलाया गया है। जनवरी 1978 में, जब मैं नियम का अभ्यास कर रहा था, मैंने अपनी प्रार्थना डायरी में लिखाः

'मैं अपना संपूर्ण समय सुसमाचार का प्रचार करते हुए बिताना चाहता हूँ – लोगों को यीशु के प्रेम के बारे में बताते हुए। लेकिन रोमियों 10:15 चिताता है, 'जब तक भेजे न जाएँ तो (लोग) प्रचार कैसे करें?' मैं तब तक सुसमाचार का प्रचार नहीं कर सकता और नहीं करुँगा जब तक मैं परमेश्वर के द्वारा इसे करने के लिए भेजा नहीं गया हूँ - यह एक अद्भुत बुलाहट है। 'उनके पैर कितने ही सुहावने हैं जो अच्छे समाचार को लाते हैं!'

अच्छा समाचार है सत्यनिष्ठा जो विश्वास से आती है (व.6)। 'जो कोई प्रभु का नाम लेगा वह उद्धार पाएगा' (व.13)।

बुद्धि

नीतिवचन 18:7-16

7 मूर्ख का मुख उसका काम को बिगाड़ देता है
 और उसके अपने ही होठों के जाल में उसका प्राण फँस जाता है।

8 लोग हमेशा कानाफूसी करना चाहते हैं,
 यह उत्तम भोजन के समान है जो पेट के भीतर उतरता चला जाता है।

9 जो अपना काम मंद गति से करता है,
 वह उसका भाई है, जो विनाश करता है।

10 यहोवा का नाम एकगढ़ सुदृढ़ है।
 उस ओर धर्मी बढ़ जाते हैं और सुरक्षित रहते हैं।

11 धनिक समझते हैं कि उनका धन उन्हें बचा लेगा—
 वह समझते हैं कि वह एक सुरक्षित किला है।

12 पतन से पहले मन अहंकारी बन जाता,
 किन्तु सम्मान से पूर्व विनम्रता आती है।

13 बात को बिना सुने ही, जो उत्तर में बोल पड़ता है,
 वह उसकी मूर्खता और उसका अपयश है।

14 मनुष्य का मन उसे व्याधि में थामें रखता
 किन्तु टूटे मन को भला कोई कैसे थामे।

15 बुद्धिमान का मन ज्ञान को प्राप्त करता है।
 बुद्धिमान के कान इसे खोज लेते हैं।

16 उपहार देने वाले का मार्ग उपहार खोलता है
 और उसे महापुरुषों के सामने पहुँचा देता।

समीक्षा

परमेश्वर के पास दौड़े

नीतिवचन में यह लेखांश प्रायोगिक बुद्धि से भरा हुआ है। हमें अपने मुँह की निगरानी करने की आवश्यकता हैः 'मूर्ख का विनाश उसकी बातों से होता है, और उसके वचन उसके प्राण के लिये फंदे होते हैं' (व.7, एम.एस.जी.)। 'कानाफूसी करना' बहुत ही प्रलोभित करता है लेकिन इसे दूर रखियेः'कानाफूसी करने वाले के वचन स्वादिष्ट भोजन के समान लगते हैं; वे पेट में पच जाते हैं' (व.8, एम.एस.जी.)।

हमें कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता है और ' ढिलाई' नहीं करनी हैः 'जो काम आलस करता है, वह बिगाड़ने वाले का भाई ठहरता है' (व.9, एम.एस.जी.)। संपत्ति पर भरोसा करना मूर्खता की बात हैः'धनी का धन उसकी दृष्टि में गढ़वाला नगर, और ऊँचे पर बनी हुई शहरपनाह है' (व.11, एम.एस.जी.)। घमंड से पतन आता हैः'नाश होने से पहले मनुष्य के मन में घमंड आता है' (व.12अ, एम.एस.जी.)। दीनता से सम्मान मिलता है (व.12ब)।

अल्फा चला रहे या इसमें सहायता करने वालों के लिए भी थोड़ी अच्छी सलाह हैः 'जो बिना बात सुने उत्तर देता है, वह मूढ़ ठहरता, और उसका अनादर होता है' (व.13, एम.एस.जी)। 'समझवाले का मन ज्ञान प्राप्त करता है; और बुद्धिमान ज्ञान की बात की खोज में रहते हैं' (व.15, एम.एस.जी.)।

इस सभी प्रायोगिक सलाह के बीच में, एक वचन है जो आज के विषय के साथ जुड़ा हुआ हैः'यहोवा का नाम दृढ़ गढ़ है, सत्यनिष्ठ उसमें भागकर सब दुर्घटनाओं से बचता है' (व.10)। सभी सुरक्षित नहीं हैं। केवल जो दृढ़ गढ़ की ओर भागते, जो कि है 'परमेश्वर का नाम, ' वही बचेंगे।

यहाँ पर हम नये नियम की शिक्षा के आधार को देखते हैं कि जो प्रभु का नाम लेते हैं उनका उद्धार होगा।

प्रार्थना

परमेश्वर, आज मेरी सहायता कीजिए कि अपने मुंह की निगरानी करुँ, जो मैं कहता हूँ उस पर ध्यान दूं, कठिन परिश्रम करुँ और दीनता से आप पर निर्भर रहूँ। आपका धन्यवाद क्योंकि आपका नाम दृढ़ गढ़ है और उन सभी के लिए एक सुरक्षित स्थान है, जो दौड़कर इसमें जाते हैं।

नए करार

रोमियों 10:5-11:10

5 धार्मिकता के बारे में जो व्यवस्था से प्राप्त होती है, मूसा ने लिखा है, “जो व्यवस्था के नियमों पर चलेगा, वह उनके कारण जीवित रहेगा।” 6 किन्तु विश्वास से मिलने वाली धार्मिकता के विषय में शास्त्र यह कहता है: “तू अपने से यह मत पूछ, ‘स्वर्ग में ऊपर कौन जायेगा?’” (यानी, “मसीह को नीचे धरती पर लाने।”) 7 “या, ‘नीचे पाताल में कौन जायेगा?’” (यानी, “मसीह को धरती के नीचे से ऊपर लाने। यानी मसीह को मरे हुओं में से वापस लाने।”)

8 शास्त्र यह कहता है: “वचन तेरे पास है, तेरे होठों पर है और तेरे मन में है।” यानी विश्वास का वह वचन जिसका हम प्रचार करते है। 9 कि यदि तू अपने मुँह से कहे, “यीशु मसीह प्रभु है,” और तू अपने मन में यह विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जीवित किया तो तेरा उद्धार हो जायेगा। 10 क्योंकि अपने हृदय के विश्वास से व्यक्ति धार्मिक ठहराया जाता है और अपने मुँह से उसके विश्वास को स्वीकार करने से उसका उद्धार होता है।

11 शास्त्र कहता है: “जो कोई उसमें विश्वास रखता है उसे निराश नहीं होना पड़ेगा।” 12 यह इसलिए है कि यहूदियों और ग़ैर यहूदियों में कोई भेद नहीं क्योंकि सब का प्रभु तो एक ही है। और उसकी दया उन सब के लिए, जो उसका नाम लेते है, अपरम्पार है। 13 “हर कोई जो प्रभु का नाम लेता है, उद्धार पायेगा।”

14 किन्तु वे जो उसमें विश्वास नहीं करते, उसका नाम कैसे पुकारेंगे? और वे जिन्होंने उसके बारे में सुना ही नहीं, उसमें विश्वास कैसे कर पायेंगे? और फिर भला जब तक कोई उन्हें उपदेश देने वाला न हो, वे कैसे सुन सकेंगे? 15 और उपदेशक तब तक उपदेश कैसे दे पायेंगे जब तक उन्हें भेजा न गया हो? जैसा कि शास्त्रों में कहा है: “सुसमाचार लाने वालों के चरण कितने सुन्दर हैं।”

16 किन्तु सब ने सुसमाचार को स्वीकारा नहीं। यशायाह कहता है, “हे प्रभु, हमारे उपदेश को किसने स्वीकार किया?” 17 सो उपदेश के सुनने से विश्वास उपजता है और उपदेश तब सुना जाता है जब कोई मसीह के विषय में उपदेश देता है।

18 किन्तु मैं कहता हूँ, “क्या उन्होंने हमारे उपदेश को नहीं सुना?” हाँ, निश्चय ही। शास्त्र कहता है:

“उनका स्वर समूची धरती पर फैल गया,
और उनके वचन जगत के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचा।”

19 किन्तु मैं पूछता हूँ, “क्या इस्राएली नहीं समझते थे?” मूसा कहता है:

“पहले मैं तुम लोगों के मन में ऐसे लोगों के द्वारा जो वास्तव में कोई जाति नहीं हैं, डाह पैदा करूँगा।
मैं विश्वासहीन जाति के द्वारा तुम्हें क्रोध दिलाऊँगा।”

20 फिर यशायाह साहस के साथ कहता है:

“मुझे उन लोगों ने पा लिया
जो मुझे नहीं खोज रहे थे।
मैं उनके लिए प्रकट हो गया जो मेरी खोज खबर में नहीं थे।”

21 किन्तु परमेश्वर ने इस्राएलियों के बारे में कहा है,

“मैं सारे दिन आज्ञा न मानने वाले
और अपने विरोधियों के आगे हाथ फैलाए रहा।”

परमेश्वर अपने लोगों को नहीं भूला

11तो मैं पूछता हूँ, “क्या परमेश्वर ने अपने ही लोगों को नकार नहीं दिया?” निश्चय ही नहीं। क्योंकि मैं भी एक इस्राएली हूँ, इब्राहीम के वंश से और बिन्यामीन के गोत्र से हूँ। 2 परमेश्वर ने अपने लोगों को नहीं नकारा जिन्हें उसने पहले से ही चुना था। अथवा क्या तुम नहीं जानते कि एलिय्याह के बारे में शास्त्र क्या कहता है: कि जब एलिय्याह परमेश्वर से इस्राएल के लोगों के विरोध में प्रार्थना कर रहा था? 3 “हे प्रभु, उन्होंने तेरे नबियों को मार डाला। तेरी वेदियों को तोड़ कर गिरा दिया। केवल एक नबी मैं ही बचा हूँ और वे मुझे भी मार डालने का जतन कर रहे हैं।” 4 किन्तु तब परमेश्वर ने उसे कैसे उत्तर दिया था, “मैंने अपने लिए सात हजार लोग बचा रखे हैं जिन्होंने बाल के आगे माथा नहीं टेका।”

5 सो वैसे ही आज कल भी कुछ ऐसे लोग बचे हैं जो उसके अनुग्रह के कारण चुने हुए हैं। 6 और यदि यह परमेश्वर के अनुग्रह का परिणाम है तो लोग जो कर्म करते हैं, यह उन कर्मों का परिणाम नहीं है। नहीं तो परमेश्वर की अनुग्रह, अनुग्रह ही नहीं ठहरती।

7 तो इससे क्या? इस्राएल के लोग जिसे खोज रहे थे, वे उसे नहीं पा सके। किन्तु चुने हुओं को वह मिल गया। जबकि बाकी सब को कठोर बना दिया गया। 8 शास्त्र कहता है:

“परमेश्वर ने उन्हें एक चेतना शून्य आत्मा प्रदान की।”

“ऐसी आँखें दीं जो देख नहीं सकती थीं
और ऐसे कान दिए जो सुन नहीं सकते थे।
और यही दशा ठीक आज तक बनी हुई है।”

9 दाऊद कहता है:

“अपने ही भोजनों में फँसकर वे बंदी बन जाएँ
उनका पतन हो और उन्हें दण्ड मिले।
10 उनकी आँखें धुँधली हो जायें ताकि वे देख न सकें
और तू उनकी पीड़ाओं तले, उनकी कमर सदा-सदा झुकाए रखें।”

समीक्षा

परमेश्वर के लिए...

मैं अठारह वर्ष का था। दो महीनों से मैं मसीह बन चुका था जब मुझे यह सुविधा मिली कि किसी को यीशु के विषय में अच्छा समाचार सुनाऊँ इस तरह से कि उसने विश्वास किया। मेरी ही तरह, उसका जीवन उस दिन बदल गया।

क्या आपको याद है जब पहली बार आपने यीशु के विषय में सुसमाचार को समझा और उनमें विश्वास किया? क्या आपको कभी ऐसा अवसर मिला कि दूसरे व्यक्ति को यीशु का संदेश सुनाये, इस तरह से कि उन्होंने भी विश्वास किया?

नये नियम का दावा आश्चर्यचकित कर देता है। पुराने नियम में परमेश्वर का नाम इतना पवित्र था कि कोई भी इसे अपने मुंह से कहने का साहस नहीं करता था। अब हम जानते हैं कि प्रभु का नाम यीशु है। ना केवल हम अपने मुंह से उनका नाम ले सकते हैं, लेकिन जब हम उनमें विश्वास करते हैं और उन्हें पुकारते हैं तब हमारा 'उद्धार' होता है (10:9-10)।

मसीह संदेश एकमेव है, क्योंकि हमारे उद्धार के लिए केवल मसीह यह एक नाम दिया गया है, और यह सबको शामिल करता है, क्योंकि विश्व में हर कोई उनके नाम को पुकार सकते हैं।

हम सभी आसानी से यीशु तक पहुंच सकते हैं। 'तू अपने मन में यह न कहना कि स्वर्ग पर कौन चढ़ेगा?' (अर्थात मसीह को उतार लाने के लिये!) या 'नरक में कौन उतरेगा?' (अर्थात् मसीह को मरे हुओं में से जिलाकर ऊपर लाने के लिये!) परन्तु वह क्या कहते हैं? यह कि 'वचन तेरे निकट है, तेरे मुँह में और तेरे मन में है, ' (वव.6-8, एम.एस.जी.)।

यह महत्वपूर्ण है कि ना केवल मन में विश्वास करें, लेकिन इसे कहें भीः'यदि तू अपने मुँह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे, और अपने मन में विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा। क्योंकि सत्यनिष्ठा के लिये हृदय से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है' (वव.9-10)।

उदाहरण के लिए, मैंने अक्सर अल्फा में ध्यान दिया है कि एक व्यक्ति के साथ कुछ होता है जब वे पहली बार अपने 'मुंह' से 'अंगीकार' करते हैं, कि 'अब मैं एक मसीह हूँ।'

पौलुस यह बताने में उत्साहित हैं कि जहां तक उद्धार का संबंध है, ' यहूदियों और यूनानियों में कुछ भेद नहीं' (व.12अ)। इसलिये कि वह सब के प्रभु हैं और अपने सब नाम लेने वालों के लिये उद्धार हैं। क्योंकि, 'जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा' (वव.12ब -13)।

यह अति महत्वपूर्ण है, इसलिए, हम लोगों को यीशु के विषय में सुसमाचार सुनाते हैं। लोग प्रभु का नाम नहीं पुकार सकते हैं यदि वे विश्वास न करें। वे विश्वास नहीं करेंगे यदि वे सुनेंगे नहीं। वे सुनेंगे नहीं यदि कोई उन्हें न बताएँ। लोग उन्हें बताएँगे नहीं यदि उन्हें भेजा न जाएं' (वव.14-15)। लोगों को बताने के लिए बाहर भेजा जाना एक अद्भुत सुविधा है। 'उनके पाँव क्या ही सुहावाने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं' (व.15)।

केवल इस्राएल का वंशज होना पर्याप्त नहीं है ( एक मसीह देश में पैदा होना...)। पौलुस इसे दर्शाते हैं मूसा और यशायाह के वचन को दोहराने के द्वारा। सभी ने विश्वास नहीं किया। कुछ अनाज्ञाकारी थे और विवाद करने वाले थे (व.21)।

प्रश्न का, 'क्या परमेश्वर ने उनके लोगों को नकार दिया?' उत्तर है, 'नहीं, नहीं, नहीं' (11:1-4)। इस्राएल को नकारा जाना केवल आर्धिक है। हमेशा से रहा है और हमेशा से रहेगा एक बची हुई चीज। पौलुस इस सच्चाई के एक उदाहरण थे (व.1)।

पौलुस एलिय्याह के विषय में बताते हैं (जो कर्मेल पर्वत पर निराश हो गए थे) यह कहते हुए, ' मैं ही अकेला बचा हूँ, ' परमेश्वर उत्तर देते हैं, 'मैं ने अपने लिये सात हजार पुरुषों को रख छोड़ा है, जिन्होंने बाअल के आगे घुटने नहीं टेके हैं।' अनुग्रह से चुने हुए कुछ लोग बाकी हैं' (व.6)। पौलुस कहते हैं, 'ठीक इसी रीति से इस समय भी, अनुग्रह से चुने हुए कुछ लोग बाकी हैं। यदि यह अनुग्रह से हुआ है, तो फिर कर्मों से नहीं; नहीं तो अनुग्रह फिर अनुग्रह नहीं रहा' (वव.5-6)।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि जो कोई आपका नाम लेगा वह उद्धार पाएगा। आपका धन्यवाद क्योंकि दूसरों को बताने के लिए भेजे जाने से बढ़कर कोई महान सुविधा नहीं है। हमारी सहायता कीजिए कि उन लोगों को तैयार करें और भेजे, जो यहूदी और अन्यजाति दोनों को सुसमाचार सुनाते हैं।

जूना करार

1 इतिहास 2:18-4:8

कालेब के वंशज

18 कालेब हेस्रोन का पुत्र था। कालेब की पत्नी अजूबा से सन्ताने हुईं। अजूबा यरीओत की पुत्री थी। अजूबा के पुत्र येशेर शोबाब, और अर्दोन थे। 19 जब अजूबा मरी, कालेब ने एप्रात से विवाह किया। कालेब और एप्रात का एक पुत्र था। उन्होंने उसका नाम हूर रखा। 20 हूर ऊरी का पिता था। ऊरी बसलेल का पिता था।

21 बाद में, जब हेस्रोन साठ वर्ष का हो गया, उसने माकीर की पुत्री से विवाह किया। माकीर गिलाद का पिता था। हेस्रोन ने माकीर की पुत्री के साथ शारीरिक सम्बन्ध किया और उसने सगूब को जन्म दिया। 22 सगूब याईर का पिता था। याईर के पास गिलाद देश में तेईस नगर थे। 23 किन्तु गशूर और अराम ने याईर के गाँवों को ले लिया। उनके बीच कनत और इसके चारों ओर के छोटे नगर थे। सब मिलाकर साठ छोटे नगर थे। ये सभी नगर गिलाद के पिता माकीर, के पुत्रों के थे।

24 हेस्रोन, एप्राता के कालेब नगर में मरा। जब वह मर गया, उसकी पत्नी अबिय्याह ने उसके पुत्र को जन्म दिया। पुत्र का नाम अशहूर था। अशूहर तको का पिता था।

यरहोल के वंशज

25 यरहोल हेस्रोन का प्रथम पुत्र था। यरहोल के पुत्र राम, बूना, ओरेन, ओसेम, और अहिय्याह थे। राम यरहोल का प्रथम पुत्र था। 26 यरहोल की दूसरी पत्नी अतारा थी। अतारा ओनाम की माँ थी।

27 यरहोल के प्रथम पुत्र, राम के पुत्र मास, यामीन और एकेर थे।

28 ओनाम के पुत्र शम्मै और यादा थे। शम्मै के पुत्र नादाब और अबीशूर थे।

29 अबीशूर की पत्नी का नाम अबीहैल था। उनके दो पुत्र थे। उनके नाम अहबान और मोलीद थे।

30 नादाब के पुत्र सेलेद और अप्पैम थे। सेलेद बिना सन्तान मरा।

31 अप्पैम का पुत्र यिशी था। यिशी का पुत्र शेशान था। शेशान का पुत्र अहलै था।

32 यादा शम्मै का भाई था। याद के पुत्र येतेर और योनातान थे। येतेर बिना सन्तान मरा।

33 योनातान के पुत्र पेलेत और जाजा थे। यह यरहोल की सन्तानों की सूची थी।

34 शेशान के पुत्र नहीं थे। उसे केवल पुत्रियाँ थीं। शेशान के पास यर्हा नामक एक मिस्री सेवक था। 35 शेशान ने अपनी पुत्री का विवाह यर्हा के साथ होने दिया। उनका एक पुत्र था। इसका नाम अत्तै था।

36 अत्तै, नातान का पिता था। नातान जाबाद का पिता था। 37 जाबाद एपलाल का पिता था। एपलाल ओबेद का पिता था। 38 ओबेद येहू का पिता था। येहू अजर्याह का पिता था। 39 अजर्याह हेलैस का पिता था। हेलैस एलासा का पिता था। 40 एलासा सिस्मै का पिता था। सिस्मै शल्लूम का पिता था। 41 शल्लूम यकम्याह का पिता था और यकम्याह एलीशामा का पिता था।

कालेब का परिवार

42 कालेब यरहोल का भाई था। कालेब के कुछ पुत्र थे। उसका पहला पुत्र मेशा था। मेशा जीप का पिता था। मारेशा हेब्रोन का पिता था।

43 हेब्रोन के पुत्र कोरह, तप्पूह, रेकेम और शेमा थे। 44 शेमा, रहम का पिता था। रहम योर्काम का पिता था। 45 शम्मै का पुत्र माओन था। माओन बेत्सूर का पिता था। रेकेम शम्मै का पिता था।

46 कालेब की रखैल का नाम एपा था। एपा हारान, मोसा और गाज़ेज की माँ थी। हारान, गाज़ेज का पिता था।

47 याहदै के पुत्र रेगेम, योताम, गेशान, पेलेत, एपा और शाप थे।

48 माका, कालेब की दूसरी रखैल थी। माका, शेबेर और तिर्हाना की माँ थी। 49 माका, शाप और शबा की भी माँ थी। शाप मदमन्ना का पिता था। शबा, मकबेना और गिबा का पिता था। कालेब की पुत्री अकसा थी।

50 यह कालेब वंशजों की सूची हैः हूर कालेब का प्रथम पुत्र था। वह एप्राता से पैदा हुआ था। हूर के पुत्र शोबाल जो किर्यत्यारीम का संस्थापक था, 51 सल्मा, जो बेतलेहेम का संस्थापक था और हारेप बेतगादेर का संस्थापक था।

52 शोबाल किर्यत्यारीम का संस्थापक था। यह शोबाल के वंशजों की सूची हैः हारोए, मनुहोत के आधे लोगः 53 और किर्यत्यारीम के परिवार समूह। ये यित्री, पुत्री, शूमाती और मिश्राई लोग हैं। सोराई और एश्ताओली लोग मिश्राई लोगों से निकले।

54 यह सल्मा के वंशजों की सूची हैः बेतलेहेम के लोग, नतोपाई अत्रोत, बेत्योआब, मानहत के आधे लोग, सोरी लोग, 55 और उन शास्त्रियों के परिवार जो याबेस, तिराती, शिमाती और सूकाती में रहते थे। ये शास्त्री, वे कनानी लोग हैं जो हम्मत से आए। हम्मत बेतरेकाब का संस्थापक था।

दाऊद के पुत्र

3दाऊद के कुछ पुत्र हेब्रोन नगर में पैदा हुए थे। दाऊद के पुत्रों की यह सूची हैः

दाऊद का प्रथम पुत्र अम्मोन था। अम्मोन की माँ अहीनोअम थी। वह यिज्रेली नगर की थी।

दूसार पुत्र दानिय्येल था। उसकी माँ अबीगैल कर्मेल (यहूदा में) की थी।

2 तीसरा पुत्र अबशालोम था। उसकी माँ तल्मै की पुत्री माका थी। तल्मैं गशूर का राजा था।

चौथा पुत्र ओदानिय्याह था। उसकी माँ हग्गीत थी।

3 पाँचवाँ पुत्र शपत्याह था। उसकी माँ अबीतल थी।

छठा पुत्र यित्राम था। उसकी माँ दाऊद की पत्नी एग्ला थी।

4 हेब्रोन में दाऊद के ये छः पुत्र पैदा हुए थे।

दाऊद ने वहाँ सात वर्ष छः महीने शासन किया। दाऊद, यरूशलेम तैंतीस वर्ष राजा रहा। 5 दाऊद के यरूशलेम में पैदा हुए पुत्र ये हैः

चार बच्चे बतशेबा से पैदा हुए। अम्मीएल की पुत्री थी, शिमा, शोबाब, नातान और सुलैमान। 6-8 अन्य नौ बच्चे ये थेः यिभार, एलीशामा, एलीपेलेत, नेगाह, नेपेग, यापी, एलीशामा, एल्यादा और एलीपेलेत। 9 वे सभी दाऊद के पुत्र थे। दाऊद के अन्य पुत्र रखैलों से थे। तामार दाऊद की पुत्री थी।

दाऊद के समय के बाद के यहूदा के राजा

10 सुलैमानका पुत्र रहबाम था और रहबाम का पुत्र अबिय्याह था। अबिय्याह का पुत्र आसा था। आसा का पुत्र यहोशापात था। 11 यहोशापात का पुत्र योराम था। योरामा का पुत्र अहज्याह था। अहज्याह का पुत्र योआश था। 12 योआश का पुत्र अमस्याह था। अमस्याह का पुत्र अजर्याह था। अजर्याह का पुत्र्र योताम था। 13 योताम का पुत्र आहाज़ था। आहाज का पुत्र हिजकिय्याह था। हिजकिय्याह का पुत्र मनश्शे था। 14 मनशशे का पुत्र आमोन था। आमोन का पुत्र योशिय्याह था।

15 योशिय्याह के पुत्रों की सूची यह हैः प्रथम पुत्र योहानान था। दूसरा पुत्र यहोयाकीम था। तीसरा पुत्र सिदकिय्याह था। चौथा पुत्र शल्लूम था।

16 यहोयाकीम के पुत्र यकोन्याह और उसका पुत्र सिदकिय्याह थे।

बाबुल द्वारा यहूदा को पराजित करने के बाद दाऊद का वंश क्रम

17 यकोन्याह के बाबुल में बन्दी होने के बाद यकोन्याह के पुत्रों की यह सूची है। उसकी सन्तानें ये थीं: शालतीएल, 18 मल्कीराम, पदयाह, शेनस्सर, यकम्याह, होशामा, और नदब्याह

19 पदायाह के पुत्र जरूब्बाबेल और शिमी थे। जरुब्बाबेल के पुत्र मशुल्लाम और हनन्याह थे। शलोमीत उनकी बहन थी। 20 जरुब्बाबेल के अन्य पाँच पुत्र भी थे। उनके नाम हशूबा, ओहेल, बेरेक्याह, हसद्याह, और यूशमेसेद था।

21 हनन्याह का पुत्र पलत्याह था और पलत्याह का पुत्र यशायाह था। यशायाह का पुत्र रपायाह था और रपायाह का पुत्र अर्नान था। अर्नान का पुत्र ओबद्याह था और ओबद्याह का पुत्र शकन्याह था।

22 यह सूची तकन्याह के वंशजों शमायाह की हैः शमायाह के छः पुत्र थे, शमायाह, हत्तूश और यिगाल, बारीह, नार्याह और शपात।

23 नार्याह के तीन पुत्र थे। वे एल्योएनै, हिजकिय्याह और अज्रीकाम थे।

24 एल्योएनै के सात पुत्र थे। वे होदब्याह, एल्याशीब, पलायाह, अककूब, योहानान, दलायाह और अनानी थे।

यहूदा के अन्य परिवार समूह

4यह यहूदा के पुत्रों की सूची हैः

वे पेरेस, हेस्रोन, कर्मी, हूर और शोबाल थे।

2 शोबाल का पुत्र रायाह था। रायाह यहत का पिता था। यहत, अहूमै और लहद का पिता था। सोराई लोग अहुमै और लहद के वंशज हैं।

3 एताम के पुत्र यिज्रेल यिश्मा, और यिद्वाश थे और उनकी एक बहन हस्सलेलपोनी नाम की थी।

4 पनूएल गदोर का पिता था और एजेर रूशा का पिता था।

हूर के ये पुत्र थेः हूर एप्राता का प्रथम पुत्र था और एप्राता बेतलेहेम का संस्थापक था।

5 तको का पिता अशहूर था। तको की दो पत्नियाँ थीं। उनका नाम हेबा और नारा था। 6 नारा के अहुज्जाम, हेपेर, तेमनी और हाहश्तारी पुत्र थे। ये अशहूर से नारा के पुत्र थे। 7 हेला के पुत्र सेरेत, यिसहर और एत्नान और कोस थे। 8 कोस आनूब और सोबेबा का पिता था। कोस, अहर्हेल परिवार समूह का भी पिता था। अहर्हेल हारून का पुत्र था।

समीक्षा

परमेश्वर में विश्वास रखे

परमेश्वर ने हमें उनके साथ एक संबंध में रहने के लिए सृजा। जब तक हम उस संबंध को खोज नहीं लेते, तो हमारे जीवन में कुछ न कुछ कमी होगी।

परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं और चाहते हैं कि आप उस संबंध में परिपूर्णता और उद्देश्य को पायें। यही कारण है कि परमेश्वर की आराधना हमारे जीवन का केंद्र है और यह इतिहास की पुस्तक का मुख्य भाग है। वफादारी से आराधना सबसे महत्वपूर्ण है।

परमेश्वर आपके प्रति वफादार हैं। वह चाहते हैं कि आप उनके प्रति वफादार रहे। बेईमान होना परेशानी में डालता है।

इतिहास इस्राएल के लोगों का परिचय देना जारी रखता है। यहूदा के राजाओं की सूची (3:10-16) पुस्तक की वस्तु-सूची की तरह है। 1इतिहास का अधिकतर भाग राजा दाऊद को समर्पित है –जो परमेश्वर के लिए सच्ची आराधना और वफादारी के एक उदाहरण के रूप में दर्शायें गए हैं।

इतिहास की पुस्तक का महान विषय परमेश्वर में इस विश्वास की महत्ता है। वह दर्शानेवाले हैं कि इस्राएल के सभी लोग वफादार नहीं थे।

शायद से आप बहुत ही एकांत और अकेला महसूस करें। शायद से ऐसा लगे कि आस-पास बहुत से विश्वासी नहीं हैं। लेकिन हमेशा बचे हुए लोग रहते हैं जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं।

इतिहास की संपूर्ण पुस्तक में यह मुख्य संदेश है। 'अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास रखो, तब तुम स्थिर रहोगे; उसके नबियों की प्रतीति करो, तब तुम कृतार्थ हो जाओगे' (2इतिहास 20:20)।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि आप हमेशा लोगों को बचाकर रखते हैं। हमारी सहायता कीजिए हमारे हृदय कच्चे न हो बल्कि यीशु का सुसमाचार फैलाते रहे।

पिप्पा भी कहते है

रोमियो 10:13

'जो कोई प्रभु का नाम लेगा वह उद्धार पाएगा।'

यह इतना सरल है।

reader

App

Download The Bible with Nicky and Pippa Gumbel app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive The Bible with Nicky and Pippa Gumbel in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to The Bible with Nicky and Pippa Gumbel delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more