आपकी बुलाहट अटल है
परिचय
बहुत से यहूदियों की तरह, मेरे पिता कभी भी इस्राएल में नहीं रहे। यहूदी लोग विश्व भर में बिखर गए हैं। 1947 में इस्राएल की अवस्था पुनस्थापित कर दी गई। आज लगभग 7.5 मिलियन लोग इस्राएल में रहते हैं, जिनमें से लगभग 6 मिलियन यहूदी हैं। बहुत से दूसरे यहूदी हैं जो आज विश्व भर में बिखर गए हैं।
मुझे पसंद है जिस तरह से यूजन पीटरसन आज के लिए नये नियम के लेखांश का अनुवाद करते हैं, यहूदी लोगों के लिए शब्द 'अंदर वाले' और गैर-यहूदी लोगों के लिए 'बाहर वाले' का इस्तेमाल करते हुए।
सालों से बहुत से यहूदी मसीह बन गए हैं। असल में, सभी आरंभिक मसीह यहूदी 'अंदर वाले' थे। लेकिन अब मसीहों की अधिकतम जनसंख्या गैर-यहूदी 'बाहर वाले' हैं। 'अंदर वालों' का भविष्य क्या है?
पौलुस की समझ की पूंजी रोमियों 11:29 में हैः'क्योंकि परमेश्वर का वरदान और उनकी बुलाहट अटल है।' यह एक विषय है जो पूरी बाईबल में लिखी हुई है, जैसा कि हम आज के लेखांश में देखते हैं।
भजन संहिता 89:19-29
19 इस्राएल तूने निज सच्चे भक्तों को दर्शन दिये और कहा,
“फिर मैंने लोगों के बीच से एक युवक को चुना,
और मैंने उस युवक को महत्वपूर्ण बना दिया, और मैंने उस युवक को बलशाली बना दिया।
20 मैंने निज सेवक दाऊद को पा लिया,
और मैंने उसका अभिषेक अपने निज विशेष तेल से किया।
21 मैंने निज दाहिने हाथ से दाऊद को सहारा दिया,
और मैंने उसे अपने शक्ति से बलवान बनाया।
22 शत्रु चुने हुए राजा को नहीं हरा सका।
दुष्ट जन उसको पराजित नहीं कर सके।
23 मैंने उसके शत्रुओं को समाप्त कर दिया।
जो लोग चुने हुए राजा से बैर रखते थे, मैंने उन्हें हरा दिया।
24 मैं अपने चुने हुए राजा को सदा प्रेम करूँगा और उसे समर्थन दूँगा।
मैं उसे सदा ही शक्तिशाली बनाऊँगा।
25 मैं अपने चुने हुए राजा को सागर का अधिकारी नियुक्त करूँगा।
नदियों पर उसका ही नियन्त्रण होगा।
26 वह मुझसे कहेगा, ‘तू मेरा पिता है।
तू मेरा परमेश्वर, मेरी चट्टान मेरा उद्धारकर्ता है।’
27 मैं उसको अपना पहलौठा पुत्र बनाऊँगा।
वह धरती पर महानतम राजा बनेगा।
28 मेरा प्रेम चुने हुए राजा की सदा सर्वदा रक्षा करेगा।
मेरी वाचा उसके साथ कभी नहीं मिटेगी।
29 उसका वंश सदा अमर बना रहेगा।
उसका राज्य जब तक स्वर्ग टिका है, तब तक टिका रहेगा।
समीक्षा
परमेश्वर की वाचा उनके लोगों के साथ सर्वदा बनी रहेगी
हम दाऊद के साथ वाचा में देखते हैं कि परमेश्वर का वरदान और उनकी बुलाहट अटल है।
परमेश्वर ने अपने लोगों से 'एक युवा व्यक्ति' को बुलाया (व.19क)। परमेश्वर ने उसे वरदान दिए। उन्होंने 'सामर्थ दी' (व.19ब)। उन्होंने उसे 'अभिषिक्त' किया (व.20ब)। उन्होंने वायदा किया था कि वह उनसे प्रेम करते रहेंगे (व.24अ) और वह सर्वदा उनसे प्रेम करते रहेंगेः 'मेरी वाचा उसके लिये अटल रहेगी। मैं उसके वंश को सदा बनाए रखूंगा और उसकी राजगद्दी स्वर्ग के समान सर्वदा बनी रहेगी' (वव.28ब-29)।
यह वायदा असल में दाऊद से किया गया था (2शमुएल 7:12-16) और बहुत सी बार दोहराया गया। फिर बाद में, यशायाह की पुस्तक में, जो वायदा दाऊद से किया गया वही इस्राएल से वायदा किया गया थाः'मैं तुम्हारे साथ सदा की वाचा बाधूँगा, अर्थात् दाऊद पर की अटल करुणा की वाचा' (यशायाह 55:3ब)।
पौलुस स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि यह सब यीशु में पूरा हो गया है। वह लिखते हैं, ' हम तुम्हें उस प्रतिज्ञा के विषय में जो बापदादों से की गई थी, यह सुसमाचार सुनाते हैं, कि परमेश्वर ने यीशु को जिलाकर, वही प्रतिज्ञा हमारी सन्तान के लिये पूरी की' (प्रेरितों के काम 13:32-33)। वह आगे यशायाह 55:3 में दोहराते हैं, ' मैं दाऊद पर की पवित्र और अटल कृपा तुम पर करूँगा' (प्रेरितों के काम 13:34)।
परमेश्वर वायदा करते हैं कि वह सर्वदा आपसे प्रेम करेंगे और यीशु के द्वारा आप उन सभी आशीषों के अधिकारी होंगे जो दाऊद से प्रतिज्ञा की गई थी। आप प्रेम किए गए हैं। आप अभिषिक्त किए गए हैं। वह आपको सामर्थ देंगे। आपकी बुलाहट अटल है।
प्रार्थना
पिता, आपके वफादार प्रेम के लिए आपका धन्यवाद। आज, मैं आपको पुकारता हूँ, 'आप मेरे पिता, मेरे परमेश्वर, मेरे उद्धारकर्ता मेरी चट्टान हो' (भजनसंहिता 89:26)।
रोमियों 11:11-32
11 सो मैं कहता हूँ क्या उन्होंने इसलिए ठोकर खाई कि वे गिर कर नष्ट हो जायें? निश्चय ही नहीं। बल्कि उनके गलती करने से ग़ैर यहूदी लोगों को छुटकारा मिला ताकि यहूदियों में स्पर्धा पैदा हो। 12 इस प्रकार यदि उनके गलती करने का अर्थ सारे संसार का बड़ा लाभ है और यदि उनके भटकने से ग़ैर यहूदियों का लाभ है तो उनकी सम्पूर्णता से तो बहुत कुछ होगा।
13 यह अब मैं तुमसे कह रहा हूँ, जो यहूदी नहीं हो, क्योंकि मैं विशेष रूप से ग़ैर यहूदियों के लिये प्रेरित हूँ, मैं अपने काम के प्रति पूरा प्रयत्नशील हूँ। 14 इस आशा से कि मैं अपने लोगों में भी स्पर्धा जगा सकूँ और उनमें से कुछ का उद्धार करूँ। 15 क्योंकि यदि परमेश्वर के द्वारा उनके नकार दिये जाने से जगत में परमेश्वर के साथ मेलपिलाप पैदा होता है तो फिर उनका अपनाया जाना क्या मरे हुओं में से जिलाया जाना नहीं होगा? 16 यदि हमारी भेंट का एक भाग पवित्र है तो क्या वह समूचा ही पवित्र नहीं है? यदि पेड़ की जड़ पवित्र है तो उसकी शाखाएँ भी पवित्र हैं।
17 किन्तु यदि कुछ शाखाएँ तोड़ कर फेंक दी गयीं और तू जो एक जँगली जैतून की टहनी है उस पर पेबंद चढ़ा दिया जाये और वह जैतून के अच्छे पेड़ की जड़ों की शक्ति का हिस्सा बटाने लगे, 18 तो तुझे उन टहनियों के आगे, जो तोड़ कर फेंक दी गयी, अभिमान नहीं करना चाहिये। और यदि तू अभिमान करता है तो याद रख यह तू नहीं हैं जो जड़ों को पाल रहा हैं, बल्कि यह तो वह जड़ ही है जो तुझे पाल रही है। 19 अब तू कहेगा, “हाँ, किन्तु शाखाएँ इसलिए तोड़ीगयीं कि मेरा पेबंद चढ़े।” 20 यह सत्य है,वे अपने अविश्वास के कारण तोड़ फेंकी गयीं किन्तु तुम अपने विश्वास के बल पर अपनी जगह टिके रहे। इसलिए इसका गर्व मत कर बल्कि डरता रह। 21 यदि परमेश्वर ने प्राकृतिक डालियाँ नहीं रहने दीं तो वह तुझे भी नहीं रहने देगा।
22 इसलिए तू परमेश्वर की कोमलता को देख और उसकी कठोरता पर ध्यान दे। यह कठोरता उनके लिए है जो गिर गये किन्तु उसकी करुणा तेरे लिए है यदि तू अपने पर उसका अनुग्रह बना रहने दे। नहीं तो पेड़ से तू भी काट फेंका जायेगा। 23 और यदि वे अपने अविश्वास में न रहे तो उन्हें भी फिर पेड़ से जोड़ लिया जायेगा क्योंकि परमेश्वर समर्थ है कि उन्हें फिर से जोड़ दे। 24 जब तुझे प्राकृतिक रूप से जंगली जैतून के पेड़ से एक शाखा की तरह काट कर प्रकृति के विरुद्ध एक उत्तम जैतून के पेड़ से जोड़ दिया गया, तो ये जो उस पेड़ की अपनी डालियाँ हैं, अपने ही पेड़ में आसानी से, फिर से क्यों नहीं जोड़ दी जायेंगे।
25 हे भाईयों! मैं तुम्हें इस छिपे हुए सत्य से अंजान नहीं रखना चाहता, कि तुम अपने आप को बुद्धिमान समझने लगो कि इस्राएल के कुछ लोग ऐसे ही कठोर बना दिए गए हैं और ऐसे ही कठोर बने रहेंगे जब तक कि काफी ग़ैर यहूदी परमेश्वर के परिवार के अंग नहीं बन जाते। 26 और इस तरह समूचे इस्राएल का उद्धार होगा। जैसा कि शास्त्र कहता है:
“उद्धार करने वाला सिय्योन से आयेगा;
वह याकूब के परिवार से सभी बुराइयाँ दूर करेगा।
27 मेरा यह वाचा उनके साथ
तब होगा जब मैं उनके पापों को हर लूँगा।”
28 जहाँ तक सुसमाचार का सम्बन्ध है, वे तुम्हारे हित में परमेश्वर के शत्रु हैं किन्तु जहाँ तक परमेश्वर द्वारा उनके चुने जाने का सम्बन्ध है, वे उनके पुरखों को दिये वचन के अनुसार परमेश्वर के प्यारे हैं। 29 क्योंकि परमेश्वर जिसे बुलाता है और जिसे वह देता है, उसकी तरफ़ से अपना मन कभी नहीं बदलता। 30 क्योंकि जैसे तुम लोग पहले कभी परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानते थे किन्तु अब तुम्हें उसकी अवज्ञाके कारण परमेश्वर की दया प्राप्त है। 31 वैसेही अब वे उसकी आज्ञा नहीं मानते क्योंकि परमेश्वर की दया तुम पर है। ताकि अब उन्हें भी परमेश्वर की दया मिले। 32 क्योंकि परमेश्वर ने सब लोगों को अवज्ञा के कारागार में इसलिए डाल रखा है कि वह उन पर दया कर सके।
समीक्षा
इस्राएल के लिए परमेश्वर का वायदा प्रबल होगा
जैसा कि हमने देखा, रोमियो 11 में पौलुस प्रश्न का उत्तर देते हैं, 'क्या परमेश्वर ने अपने लोगों को छोड़ दिया है?' उनका उत्तर है, 'नहीं, नहीं, नहीं': 'परमेश्वर के वरदान और उनकी बुलाहट अटल है' (व.29)। 'परमेश्वर के वरदान और परमेश्वर की बुलाहट की पूरी गारंटी है - यह कभी रद्द नही होती' (व.29, एम.एस.जी)।
फिर भी पौलुस इस वास्तविकता को सुलझाने का प्रयास करते हैं कि बहुतों ने यीशु को स्वीकार नहीं किया है। वह बताते हैं कि वे 'ठोकर खाते हैं' (व.11) और 'कठिनाई' का अनुभव करते हैं (व.25)। अब वे जैतून की डालियों की तरह हैं जो 'तोड़ दी गई' है (व.17)। उस अटल प्रतिज्ञा के साथ यह कैसे उचित होगा जो प्रतिज्ञा परमेश्वर ने यहूदियों से की है?
पहला, यह कठिनाई केवल आधी थी। वहाँ पर हमेशा अनुग्रह के द्वारा चुने हुए, लोग थे (वव.11-16)।
दूसरा, कठिनाई फलदायी थी, क्योंकि इससे अत्यजाति धनी हुएः' परन्तु उनके गिरने के कारण अन्यजातियों को उद्धार मिला, कि उन्हें जलन हो' (व.11, एम.एस.जी)।
तीसरा, कठिनाई स्थायी थीः' अत: मैं कहता हूँ क्या उन्होंने इसलिये ठोकर खाई कि गिर पड़ें? कदापि नहीं!' (व.11, एम.एस.जी)। ' जब तक अन्यजातियाँ पूरी रीति से प्रवेश न कर लें, तब तक इस्राएल का एक भाग ऐसा ही कठोर रहेगा' (व.25, एम.एस.जी)। ' इसलिये यदि उनका गिरना जगत के लिये धन और उनकी घटी अन्यजातियों के लिये सम्पत्ति का कारण हुआ, तो उनकी भरपूरी से क्या कुछ न होगा' (व.12, एम.एस.जी)।
यह आखिरी बात विशेषत: पौलुस के लिए महत्वपूर्ण है, जो उत्साही रूप से अपने लोगों के लिए चिंता करते हैं। वह आतुरता से चाहते हैं कि इस्राएल के लोग पूरी तरह से इसमें शामिल हो जाएँ (व.12)। वह आगे कहते हैं कि 'सारा इस्राएल उद्धार पाएगा' (व.26)। वह नहीं कहते हैं कि 'यदि' यह होगा लेकिन 'जब' यह होता है। यहूदी देश के एक चित्र के रूप में वह एक जैतून के पेड़ का इस्तेमाल करते हैं (वव.17,24)। मसीह आए। देश ने उन्हें नकार दिया। पेड़ को काट दिया गया लेकिन जड़ बच गई। माली अन्यजातियों को रोपते हैं (व.17)।
समय आ रहा है जब यहूदी डालियाँ फिर से रोपी जाएगी (वव.23 -24, एम.एस.जी)। तब संपूर्ण वृक्ष पूरा हो जाएगा। ' तो डालियों पर घमण्ड न करना; और यदि तू घमण्ड करे तो जान रख कि तू जड़ को नहीं परन्तु जड़ तुझे सम्भालती है' (व.18)। उद्धार की दैवीय योजना की परिपूर्णता में तीन सफल स्तर हैं:
पहला, इस्राएल के बड़े भाग का अविश्वास' कुछ डालियाँ तोड़ दी गई' (व.17, एम.एस.जी)।
दूसरा, यीशु में विश्वास के द्वारा बहुत से बाहर वालों को अंदर शामिल करनाः' तू जंगली जैतून होकर उनमें साटा गया' (व.17, एम.एस.जी)।
तीसरा, 'संपूर्ण इस्राएल' का उद्धार (व.26)।
लेकिन, 'संपूर्ण इस्राएल का उद्धार होगा' इस बात का क्या अर्थ है? कुछ लोगों ने विवाद किया है कि इसका अर्थ है कि मसीह के अलावा इस्राएल का उद्धार हो सकता है। किंतु, यह अवस्था विश्वसनीय नहीं है। संपूर्ण पत्रियों में पौलुस ने बताया है कि यीशु उद्धार का मार्ग हैं।
दूसरों ने बताया है कि इसका अर्थ था कि संपूर्ण इस्राएल देश, हर सदस्य, यीशु में विश्वास करेंगे। किंतु, 'संपूर्ण इस्राएल' पुराने नियम में और दूसरे यहूदी साहित्य में दोहराया गया भाव हैं, जहां पर इसका अर्थ यह नहीं 'हर यहूदी' बल्कि 'संपूर्ण इस्राएल' (उदाहरण के लिए, 1शमुएल 7:5; 28:1; 1राजाओं 12:1; दानिय्येल 9:11)। यहाँ रोमियों में पौलुस जो कह रहे हैं, उसके संदर्भ के साथ भी यह ठीक बैठता है।
पौलुस देश के साथ परमेश्वर के व्यवहार पर ध्यान दे रहे हैं। इसलिए, 'उनकी परिपूर्णता' (रोमियो 11:12) को उसी तरह से समझा जाना है जैसे कि अन्यजातियों की परिपूर्णता। इस्राएल के बहुत से लोगों के परिवर्तन के पीछे अन्यजाति के बहुत से लोगों को परिवर्तित होना है।
पौलुस बताते हैं:'क्योंकि जैसे तुम ने पहले परमेश्वर की आज्ञा न मानी, परन्तु अभी उनके आज्ञा न मानने से तुम पर दया हुई; वैसे ही उन्होंने भी अब आज्ञा न मानी, कि तुम पर जो दया होती है इससे उन पर भी दया हो। क्योंकि परमेश्वर ने सब को आज्ञा – उल्लंघन का बन्दी बना कर रखा, ताकि वह सब पर दया करे'।
प्रार्थना
परमेश्वर आपका धन्यवाद, क्योंकि परमेश्वर के वरदान और बुलाहट अटल हैं। मैं प्रार्थना करता हूँ कि हम जल्द ही ना केवल बहुत सी अन्यजातियों को परिवर्तित होते हुए देखेंगे लेकिन इस्राएल के बहुत से लोगों को भी परिवर्तित होते हुए देखेंगे।
1 इतिहास 4:9-5:26
9 याबेस बहुत अच्छा व्यक्ति था। वह अपने भाईयों से अधिक अच्छा था। उसकी माँ ने कहा, “मैंने उसका नाम याबेस रखा है क्योंकि मैं उस समय बड़ी पीड़ा में थी जब मैंने उसे जन्म दिया।” 10 याबेस ने इस्राएल के परमेश्वर से प्रार्थना की । याबेस ने कहा, “मैं चाहता हूँ कि तू मुझे सचमुच आशीर्वाद दे। मैं चाहता हूँ कि तू मुझे अधिक भूमि दे। मेरे समीप रहे और किसी को मुझे चोट न पहुँचाने दे। तब मुझे कोई कष्ट नहीं होगा” और परमेश्वर ने याबेस को वह दिया, जो उसने माँगा।
11 कलूब शूहा का भाई था। कलूब महीर का पिता था। महीर एशतोन का पिता था। 12 एशतोन, बेतरामा, पासेह और तहिन्ना का पिता था। तहिन्ना ईर्नाहाश का पिता था। वे लोग रेका से थे।
13 कनज के पुत्र ओत्नीएल और सरायाह थे। ओत्नीएल के पुत्र हतत और मोनोतै थे। 14 मोनोतै ओप्रा का पिता था
और सरायाह योआब का पिता था। योआब गेहराशीम का संस्थापक था। वे लोग इस नाम का उपयोग करते थे क्योंकि वे कुशल कारीगर थे।
15 कालेब यपुन्ने का पुत्र था। कालेब के पुत्र इरु, एला, और नाम थे। एला का पुत्र कनज था।
16 यहल्लेल के पुत्र जीप, जीपा, तीरया और असरेल थे।
17-18 एज्रा के पुत्र येतेर, मेरेद, एपेर और यालोन थे। मेरेद, मिर्य्याम, शम्मै और यिशबह का पिता था। यिशबह, एशतमो का पिता था। मेरेद की एक पत्नी मिस्र की थी। उसके पुत्र येरेद, हेबेर, और यकूतीएल थे। येरेद गदोर का पिता था। हेबेर सोको का पिता था और यकूतीएल जानोह का पिता था। ये बित्या के पुत्र थे। बित्या फ़िरौन की पुत्री थी। वह मिस्र के मेरेद की पत्नी थी।
19 मेरेद की पत्नी नहम की बहन थी। मेरेद की पत्नी यहूदा की थी। मेरेद की पत्नी के पुत्र कीला और एशतमो के पिता थे। कीला गेरेमी लोगों में से था और एशतमो माकाई लोगों में से था। 20 शिमोन के पुत्र अम्नोन, रिन्ना बेन्हानान और तोलोन थे।
यिशी के पुत्र जोहेत और बेनजोहेत थे।
21-22 शेला यहूदा का पुत्र था। शेला के पुत्र एर, लादा, योकीम, कोर्जबा के लोग, योआश, और साराप थे। एर लेका का पिता था। लादा मारेशा और बेतअशबे के सन कारीगरों के परिवार समूह का पिता था। योआश और साराप ने मोआबी स्त्रियों से विवाह किया। तब वे बेतलेहेम को लौट गए। उस परिवार के विषय में लिखित सामग्री बहुत प्राचीन है। 23 शेला के वे पुत्र ऐसे कारीगर थे जो मिट्टी से चीजें बनाते थे। वे नताईम और गदेरा में रहते थे। वे उन नगरों में रहते थे और राजा के लिये काम करते थे।
शिमोन की सन्तानें
24 शिमोन के पुत्र, नमूएल यामीन, यारीब, जेरह और शाऊल थे। 25 शाऊल का पुत्र शल्लूम था। शल्लूम का पुत्र मिबसाम था। मिबसाम का पुत्र मिश्मा था।
26 मिश्मा का पुत्र हम्मूएल था। हम्मूएल का पुत्र जक्कूर था। जक्कूर का पुत्र शिमी था। 27 शिमी के सोलह पुत्र और छः पुत्रियाँ थीं। किन्तु शिमि के भाईयों के अधिक बच्चे नहीं थे। शिमी के भाईयों के बड़े परिवार नहीं थे। उनके परिवार उतने बड़े नहीं थे जितने बड़े यहूदा के अन्य परिवार समूह थे।
28 शिमी के बच्चे बेशर्बा, मोलादा, हसर्शूआल, 29 बिल्हा, एसेम, तोलाद, 30 बतुएल, होर्मा, सिकलग, 31 बेत मकर्बोत, हसर्सूसीम, बेतबिरी, और शारैम में रहते थे। वे उन नगरों में तब तक रहे जब तक दाऊद राजा नहीं हुआ। 32 इन नगरों के समीप के पाँच गाँव एताम, ऐन, रिम्मोन, तोकेन और आशान थे। 33 अन्य गाँव जैसे बाल बहुत दूर थे। यहाँ वे रहते थे और उन्होंने अपने परिवार का इतिहास भी लिखा।
34-38 यह सूची उन लोगों की है जो अपने परिवार समूह के प्रमुख थे। वे मशोबाब, यम्लेक, योशा (अमस्याह का पुत्र), योएल, योशिब्याह का पुत्र येहू, सरायाह का पुत्र योशिब्याह, असीएल का पुत्र सरायाह, एल्योएनै, याकोबा, यशोयाह, असायाह, अदिएल, यसीमीएल, बनायाह, और जीजा (शिपी का पुत्र) थे। शिपी अल्लोन का पुत्र था और अल्लोन यदायाह का पुत्र था। यदायाह शिम्री का पुत्र था और शिम्री शमायाह का पुत्र था।
इन पुरुषों के ये परिवार बहुत विस्तृत हुए। 39 वे गदोर नगर के बाहर, घाटी के पूर्व के क्षेत्र में गए। वे अपनी भेड़ों और पशुओं के लिये मैदान खोजने के लिये उस स्थान पर गए। 40 उन्हें बहुत घासवाले अच्छे मैदान मिले। उन्होंने वहाँ बहुत अधिक अच्छी भूमि पाई। प्रदेश शान्तिपूर्ण और शान्त था। अतीत में यहाँ हाम के वंशज रहते थे। 41 यह तब हुआ जब हिजकिय्याह यहूदा का राजा था। वे लोग गदोर पहुँचे और हमीत लोगों से लड़े। उन्होंने हमीत लोगों के डेरों को नष्ट कर दिया। वे लोग सभी मूनी लोगों से भी लड़े जो वहाँ रहते थे। इन लोगों ने सभी मूनी लोगों को नष्ट कर डाला। आज भी इन स्थानों में कोई मूनी नहीं है। इसलिये उन लोगों ने वहाँ रहना आरम्भ किया। वे वहाँ रहने लगे, क्योंकि उनकी भेड़ों के लिये उस भूमि पर घास थी।
42 पाँच सौ शिमोनी लोग शिमोनी के पर्वतीय क्षेत्र में गए। यिशी के पुत्रों ने उन लोगों का मार्ग दर्शन किया। वे पुत्र पलत्याह, नायार्ह, रपायाह और उज्जीएल थे। शिमोनी लोग उस स्थान पर रहने वाले लोगों से लड़े। 43 वहाँ अभी थोड़े से केवल अमेलेकी लोग रहते थे और इन शिमोनी लोगों ने इन्हें मार डाला। उस समय से अब तक वे शिमोनी लोग सेईद में रह रहे हैं।
रूबेन के वंशज
5रूबेन इस्राएल का प्रथम पुत्र था। रुबेन को सबसे बड़े पुत्र होने की विशेष सुविधायें प्राप्त होनी चाहिए थीं। किन्तु रूबेन ने अपने पिता की पत्नी के साथ शारिरिक सम्बन्ध किया। इसलिये वे सुविधाएं यूसुफ के पुत्रों को मिलीं। परिवार के इतिहास में रूबेन का नाम प्रथम पुत्र के रूप में लिखित नहीं है। यहूदा अपने भाईयों से अधिक बलवान हो गया, अतः उसके परिवार से प्रमुख आए। किन्तु यूसुफ के परिवार ने वे अन्य सुविधायें पाईं, जो सबसे बड़े पुत्र को मिलती थी।
रूबेन के पुत्र हनोक, पल्लू, हेस्रोन और कर्मी थे।
4 योएल के वंशजों के नाम ये हैं: शमायाह योएल का पुत्र था। गोग शमायाह का पुत्र था। शमी गोग का पुत्र था 5 मीका शिमी का पुत्र था रायाह मीका का पुत्र था। बाल रायाह का पुत्र था। 6 बेरा बाल का पुत्र था। अश्शूर के राजा तिलगत पिलनेसेर ने बेरा को अपने घर छोड़ने को विवश किया। इस प्रकार बेरा राजा का बन्दी बना। बेरा रूबेन के परिवार समूह का प्रमुख था।
7 योएल के भाईयों और उसके सारे परिवार समूहों को वैसे ही लिखा जा रहा है जैसे वे परिवार के इतिहास में हैं: यीएल प्रथम पुत्र था। तब जकर्याह 8 और बेला। बेला अजाज का पुत्र था। अजाज शेमा का पुत्र था। शेमा योएल का पुत्र था। वे अरोएर से लगातार नबो और बाल्मोन तक के क्षेत्र में रहते थे। 9 बेला के लोग पूर्व में परात नदी के पास, मरुभूमि के किनारे तक रहते थे। वे उस स्थान पर रहते थे क्योंकि गिलाद प्रदेश में उनके पास बहुत से बैल थे। 10 जब शाऊल राजा था, बेला के लोगों ने हग्री लोगों के विरुद्ध युद्ध किया। बेला के लोग उन खेमों में रहे जो हग्री लोगों के थे। वे उन खेमों में रहे और गिलाद के पूर्व के सारे क्षेत्र से होकर यात्रा करते रहे।
गाद के परिवार समूह
11 गाद के परिवार समूह के लोग रूबेन के परिवार समूह के पास रहते थे। गादी लोग बाशान के क्षेत्र में लगातार सल्का नगर तक रहते थे। 12 बाशान में योएल प्रथम प्रमुख था। सापाम दूसरा प्रमुख था। तब यानै प्रमुख हुआ। 13 परिवार के सात भाई ये थे मीकाएल, मशुल्लाम, शेबा, योरै, याकान, जी और एबेर। 14 वे लोग अबीहैल के वंशज थे। अबीहैल हूरी का पुत्र था। हूरी योराह का पुत्र था। योराह गिलाद का पुत्र था। गिलाद मीकाएल का पुत्र था। मीकाएल यशीशै का पुत्र था। यशीशै यदो का पुत्र था। यदो बूज का पुत्र था। 15 अही अब्दीएल का पुत्र था। अब्दीएल गूनी का पुत्र था। अही उनके पिरवार का प्रमुख था।
16 गाद के परिवार समूह के लोग गिलाद क्षेत्र में रहते थे। वे बाशान क्षेत्र में बाशान के चारों ओर के छोटे नगरों में और शारोन क्षेत्र के चारागाहों में उसकी सीमाओं तक निवास करते थे।
17 योनातान और यारोबाम के समय में इन सभी लोगों के नाम गाद के परिवार इतिहास में लिखे थे। योनातन यहूदा का राजा था और यारोबाम इस्राएल का राजा था।
युद्ध में निपुण कुछ सैनिक
18 मनश्शे के परिवार के आधे तथा रूबेन और गाद के परिवार समूहों से चौवालीस हजार सात सौ साठ वीर योद्धा युद्ध के लिये तैयार थे। वे युद्ध में निपुण थे। वे ढाल—तलवार धारण करते थे। वे धनुष—बाण में भी कुशल थे। 19 उन्होंने हग्री और यतूर, नापीश और नोदाब लोगों के विरुद्ध युद्ध आरम्भ किया। 20 मनश्शे, रूबेन और गाद परिवार समूह के उन लोगों ने युद्ध में परमेश्वर से प्रार्थना की। उन्होंने परमेश्वर से सहायता मांगी क्योंकि वे उस पर विश्वास करते थे। अतः परमेश्वर ने उनकी सहायता की। परमेश्वर ने उन्हें हग्री लोगों को पराजित करने दिया और उन लोगों ने अन्य लोगों को हराया जो हग्री के साथ थे। 21 उन्होंने उन जानवरों को लिया जो हग्री लोगों के थे। उन्होंने पचास हजार ऊँट, ढाई लाख भेड़ें, दो हजार गधे और एक लाख लोग लिये। 22 बहुत से हग्री लोग मारे गये क्योंकि परमेश्वर ने रूबेन के लोगों को युद्ध जीतने में सहायता की। तब मनश्शे, रूबेन और गाद के परिवार समूह के लोग हग्री लोगों की भूमि पर रहने लगे। वे वहाँ तब तक रहते रहे जब तक बाबुल की सेना इस्राएल के लोगों को नहीं ले गई और जब तक बाबुल में उन्हें बन्दी नहीं बनाया गया।
23 मनश्शे के परिवार समूह के आधे लोग बाशान के क्षेत्र के लगातार बाल्हेर्मोन, सनीर और हेर्मान पर्वत तक रहते थे। वे एक विशाल जन समूह वाले लोग बन गये।
24 मनश्शे के परिवार समूह के आधे के प्रमुख ये थेः एपेर, यिशी, एलीएल, अज्रीएल, यिर्मयाह, होदब्याह और यहदीएल। वे सभी शक्तिशाली और वीर पुरुष थे। वे प्रसिद्ध पुरुष थे और वे अपने परिवार के प्रमुख थे। 25 किन्तु उन प्रमुखों ने उस परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया, जिसकी उपासना उनके पूर्वजों ने की थी। उन्होंने वहाँ रहने वाले उन व्यक्तियों के असत्य देवताओं की पूजा करनी आरम्भ की जिन्हें परमेश्वर ने नष्ट किया।
26 इस्राएल के परमेश्वर ने पूल को युद्ध में जाने का इच्छुक बनाया। पूल अश्शूर का राजा था। उसका नाम तिलगत्पिलनेसेर भी था। वह मनश्शे, रूबेन और गाद के परिवार समूहों के विरुद्ध लड़ा। उसने उनको अपना घर छोड़ने को विवश किया और उन्हें बन्दी बनाया। पूल उन्हें हलह, हाबोर, हारा और गोजान नदी के पास लाया। इस्राएल के वे परिवार समूह उन स्थानों में उस समय से अब तक रह रहे हैं।
समीक्षा
परमेश्वर का उदार चरित्र और उनकी आशीषें बदलती नहीं हैं
परमेश्वर इतिहास को पूरी तरह से नियंत्रित रखते हैं। उनकी बुलाहट और उनके वरदान अटल हैं। नये नियम में जो पूरा हुआ, वह पुराने नियम में शुरु हुआ था। इतिहास के लेखक बहुत ही आरंभ से इस्राएल के इतिहास को बताते हैं। परमेश्वर सार्वभौमिक हैं - 'लड़ाई परमेश्वर की थी' (5:22)।
क्या इसका यह अर्थ है कि हम केवल प्यादे हैं? क्या हम केवल टुकड़े हैं जो परमेश्वर के शतरंज में घूम रहे हैं, जिसके पास कोई चुनाव या स्वेच्छा नहीं है? बिल्कुल नहीं।
आप परमेश्वर की योजनाओं में शामिल हैं। आपके कार्य अंतर पैदा करते हैं – भलाई या बुराई के लिए।
- अपमान के कार्य
हमारे कामों से हम परमेश्वर की आशीषों से चूक सकते हैं: इस्राएल का जेठा तो रूबेन था, परंतु उसने जो अपने पिता के बिछौने को अशुद्ध किया, इस कारण जेठे का अधिकार उसने खो दिया (व.1, एम.एस.जी)। उसने अपना महान उत्तराधिकार खो दिया क्योंकि वह अपनी इच्छाओं को नियंत्रित नहीं कर सका।
जॉयस मेयर इन वचनों के विषय में लिखती हैं, 'परमेश्वर से मांगिये कि यह समझने में आपकी सहायता करें कि क्या आप सच में मूल्यवान हैं और कभी भी शरीर की अभिलाषा को या आपकी भावनाओं को आपसे आपकी आशिषों को दूर न करने दें।'
- सम्मान का व्यक्ति
दूसरी ओर, याबेस एक सम्माननीय व्यक्ति था (4:9, एम.एस.जी)। याबेस की प्रार्थना ने एक अंतर पैदा किया। याबेस ने इस्राएल के परमेश्वर से प्रार्थना कीः 'भला होता कि तू मुझे सचमुच आशीष देता, और मेरा देश बढ़ाता, और तेरा हाथ मेरे साथ रहता, और तू मुझे बुराई से ऐसा बचा रखता कि मैं उससे पीड़ित न होता।' और जो कुछ उसने माँगा, वह परमेश्वर ने उसे दिया (व.10, एम.एस.जी.)।
यह बाईबल में सबसे परोपकारी प्रार्थना नहीं है! लेकिन फिर भी परमेश्वर ने इसका उत्तर दिया। यीशु ने हमे प्रार्थना करना सिखाया, 'हमें हमारी प्रतिदिन की रोटी दे' (मत्ती 6:11)। हमारी पहली चिंता होनी चाहिए परमेश्वर की महिमा, उनका राज्य और उनकी इच्छा। लेकिन हमारे जीवन में परमेश्वर की आशीष, उपस्थिति, सुरक्षा और चंगाई को मांगना गलत बात नहीं है।
इसी तरह से, परमेश्वर ने उनके लोगों को विजय दी क्योंकि लड़ाई में उन्होंने परमेश्वर की दोहाई दी। उन्होंने उनकी प्रार्थना का उत्तर दिया क्योंकि लोगों ने परमेश्वर पर भरोसा किया (1इतिहास 5:20)।
लड़ाई परमेश्वर की है (व.22)। वह पूर्ण नियंत्रण में हैं। फिर भी, आपकी प्रार्थनाओं ने एक अंतर पैदा किया।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि मेरी बुलाहट अटल है। आपका धन्यवाद क्योंकि लड़ाई आपकी है। आपका धन्यवाद क्योंकि मेरी प्रार्थना एक अंतर पैदा करती है। और परमेश्वर मैं आज उन लड़ाईयों में आपको पुकारता हूँ जिनका मैं सामना करता हूँ...
पिप्पा भी कहते है
1इतिहास 4:9-10 (याबेस की प्रार्थना)
मैं शायद से बहुत सी प्रार्थनाएं मेरे लिए और मेरे परिवार के लिए करती हूँ। याबेस की प्रार्थना भी, स्वार्थी लगती है, लेकिन फिर भी परमेश्वर ने इसका उत्तर दिया।
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संदर्भ
जॉयस मेयर, इव्रीडे लाइफ बाईबल, (फेथवर्डस, 2013) पी.619
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
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