सरकार दैवीय या शैतानी?
परिचय
राजनैतिज्ञ हम उनके साथ कैसा बर्ताव करते हैं? सरकार और स्थानीय परिषद उन्हें देखने का हमारा नजरिया कैसा है? क्या हमें सच में उन्हें कर चुकाने की आवश्यकता है?
बुरी शासन प्रणाली के विषय में क्या? क्या आप एक हिटलर या स्टेलिन के अंतर्गत जी रहे हैं तो क्या आपको उनकी आज्ञा मानने की आवश्यकता है?
'एक अच्छे नागरिक बनो, ' पौलुस प्रेरित लिखते हैं। ' हर एक व्यक्ति शासकीय अधिकारियों के अधीन रहे; क्योंकि कोई अधिकारी ऐसा नहीं जो परमेश्वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर की ओर से न हो; और जो अधिकारी हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं। इसलिये जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्वर की विधि का सामना करता है, और सामना करने वाले दण्ड पाएँगे। क्योंकि हाकिम अच्छे काम के नहीं, परन्तु बुरे काम के लिये डर का कारण है; अत: यदि तू हाकिम से निडर रहना चाहता है, तो अच्छा काम कर, और उसकी ओर से तेरी सराहना होगी' (रोमियो 13:1-3, एम.एस.जी.)।
पौलुस के मूल पाठकों के लिए यह एक सुधारवादी विचार था। प्राचीन विश्व में बहुत से लोगों ने धर्म और सरकार को मिले हुए रूप में देखा। आरंभिक कलीसिया अब भी इस विचार को समझ रही थी कि मसीहा एक भौतिक सरकार में उनके लोगों पर शासन करने वाले नहीं थे। उनके आस-पास के लोग ईश्वर के रूप में रोम और सम्राट की उपासना करते थे। फिर भी यहाँ पर उन्हें यीशु के पीछे चलने और रोमी अधिकार के प्रति समर्पित होने के लिए कहते हैं।
रोमियों 13 में पौलुस की शिक्षा को प्रकाशितवाक्य 13 के साथ संतुलित होने की आवश्यकता है। प्रकाशितवाक्य 13 को सम्राट डौमिटियन के अधीन मसीहों के सताव के समय में लिखा गया था। स्थिति को शैतान के संबंध में देखा गया है (एक लाल ड्रगन के चित्र रूप में), जिसे सताव करने का अधिकार दिया गया था (समुद्र में से निकलनेवाले एक राक्षस के एक चित्र रूप में)। बदतर रूप से, सरकार शैतानी हो सकती है।
रोमियों 13 और प्रकाशितवाक्य 13 सच है। एक अच्छी सरकार है और बुरी सरकार है। मानवीय सरकार का एक अच्छा पहलू है; वहाँ पर एक बुरा पहलू भी हो सकता है जैसा कि ऑस्कर कुलमन बताते हैं, चाहे 'स्थिति इसकी सीमा के अंतर्गत बनी रहे या इसके परे चली जाये, मसीह इसका वर्णन परमेश्वर के सेवक के रूप में या शैतान के उपकरण के रूप में करेंगे।'
भजन संहिता 89:38-45
38 किन्तु हे परमेश्वर, तू अपने चुने हुए राजा पर क्रोधित हो गया।
तूने उसे एक दम अकेला छोड़ दिया।
39 तूने अपनी वाचा को रद्द कर दिया।
तूने राजा का मुकुट धूल में फेंक दिया।
40 तूने राजा के नगर का परकोटा ध्वस्त कर दिया,
तूने उसके सभी दुर्गों को तहस नहस कर दिया।
41 राजा के पड़ोसी उस पर हँस रहे हैं,
और वे लोग जो पास से गुजरते हैं, उसकी वस्तुओं को चुरा ले जाते हैं।
42 तूने राजा के शत्रुओं को प्रसन्न किया।
तूने उसके शत्रुओं को युद्ध में जिता दिया।
43 हे परमेश्वर, तूने उन्हें स्वयं को बचाने का सहारा दिया,
तूने अपने राजा की युद्ध को जीतने में सहायता नहीं की।
44 तूने उसे जीतने नहीं दिया,
उसका पवित्र सिंहासन तूने धरती पर पटक दिया।
45 तूने उसके जीवन को कम कर दिया,
और उसे लज्जित किया।
समीक्षा
अधिकारियों के लिए प्रार्थना कीजिए
इस्राएल एक ईश्वर कर्तृत्व राज्य था। चर्च और राज्य अलग ना किए जा सकने वाले रूप में परस्पर जुड़े हुए हैं। परमेश्वर के लोगों के 'अभिषिक्त' लीडर (व.38) भी 'मुकुट' पहनते थे (व.39) और 'सिंहासन' पर बैठते थे (व.44)।
पुराने नियम में राजाओं को परमेश्वर के द्वारा अभिषिक्त माना जाता था। फिर भी उनमें से बहुतों ने पाप किया और परमेश्वर के प्रति वफादार नहीं थे। भजनसंहिता के लेखक लिखते हैं, 'तब भी तू ने अपने अभिषिक्त को छोड़ा और उसे तज दिया, और उस पर अति क्रोध किया है। तू ने अपने दास के साथ की वाचा को त्याग दिया, और उसके मुकुट को भूमि पर गिराकर अशुद्ध किया है ' (वव.38-39)।
प्रार्थना
परमेश्वर, मैं अपनी सरकार और मेरे देश के बाकी सभी लीडर्स के लिए प्रार्थना करता हूँ। होने दीजिए कि कभी भी वे लज्जित न हो। वे अच्छी रीति से और बुद्धिमानी से शासन करें।
रोमियों 13:1-14
शासक की आज्ञा मानो
13हर व्यक्ति को प्रधान सत्ता की अधीनता स्वीकार करना चाहिए। क्योंकि शासन का अधिकार परमेश्वर की ओर से है। और जो अधिकार मौजूद है उन्हें परमेश्वर ने नियुक्त किया है। 2 इसलिए जो सत्ता का विरोध करता है, वह परमेश्वर की आज्ञा का विरोध करता है। और जो परमेश्वर की आज्ञा का विरोध करते हैं, वे दण्ड पायेंगे। 3 अब देखो कोई शासक, उस व्यक्ति को, जो नेकी करता है, नहीं डराता बल्कि उसी को डराता है, जो बुरे काम करता है। यदि तुम सत्ता से नहीं डरना चाहते हो, तो भले काम करते रहो। तुम्हें सत्ता की प्रशंसा मिलेगी।
4 जो सत्ता में है वह परमेश्वर का सेवक है वह तेरा भला करने के लिये है। किन्तु यदि तू बुरा करता है तो उससे डर क्योंकि उसकी तलवार बेकार नहीं है। वह परमेश्वर का सेवक है जो बुरा काम करने वालों पर परमेश्वर का क्रोध लाता है। 5 इसलिए समर्पण आवश्यक है। न केवल डर के कारण बल्कि तुम्हारी अपनी चेतना के कारण।
6 इसलिए तो तुम लोग कर भी चुकाते हो क्योंकि अधिकारी परमेश्वर के सेवक हैं जो अपने कर्तव्यों को ही पूरा करने में लगे रहते हैं। 7 जिस किसी का तुझे देना है, उसे चुका दे। जो कर तुझे देना है, उसे दे। जिसकी चूँगी तुझ पर निकलती है, उसे चूँगी दे। जिससे तुझे डरना चाहिए तू उससे डर। जिसका आदर करना चाहिए उसका आदर कर।
प्रेम ही विधान है
8 आपसी प्रेम के अलावा किसी का ऋण अपने ऊपर मत रख क्योंकि जो अपने साथियों से प्रेम करता है, वह इस प्रकार व्यवस्था को ही पूरा करता है। 9 मैं यह इसलिए कह रहा हूँ, “व्यभिचार मत कर, हत्या मत कर, चोरी मत कर, लालच मत रख।” और जो भी दूसरी व्यवस्थाएँ हो सकती हैं, इस वचन में समा जाती हैं, “तुझे अपने साथी को ऐसे ही प्यार करना चाहिए, जैसे तू अपने आप को करता है।” 10 प्रेम अपने साथी का बुरा कभी नहीं करता। इसलिए प्रेम करना व्यवस्था के विधान को पूरा करना है।
11 यह सब कुछ तुम इसलिए करो कि जैसे समय में तुम रह रहे हो, उसे जानते हो। तुम जानते हो कि तुम्हारे लिए अपनी नींद से जागने का समय आ पहुँचा है, क्योंकि जब हमने विश्वास धारण किया था हमारा उद्धार अब उससे अधिक निकट है। 12 “रात” लगभग पूरी हो चुकी है, “दिन” पास ही है, इसलिए आओ हम उन कर्मो से छुटकारा पा लें जो अँधकार के हैं। आओ हम प्रकाश के अस्त्रों को धारण करें। 13 इसलिए हम वैसे ही उत्तम रीति से रहें जैसे दिन के समय रहते हैं। बहुत अधिक दावतों में जाते हुए खा पीकर धुत्त न हो जाओ। लुच्चेपन दुराचार व्यभिचार में न पड़ें। न झगड़ें और न ही डाह रखें। 14 बल्कि प्रभु यीशु मसीह को धारण करें। और अपनी मानव देह की इच्छाओं को पूरा करने में ही मत लगे रहो।
समीक्षा
अधिकार के अंतर्गत स्वतंत्रता का आनंद लें
हम यीशु के प्रथम और दूसरे आगमन के बीच की कालावधि में रहते हैं। जब यीशु वापस आयेंगे, तब वे सर्वदा के लिए राज्य और शासन करेंगे। तब मानवीय सरकार की कोई आवश्यकता नहीं होगी। इस दौरान, किंतु, हमें मानवीय सरकार की आवश्यकता है। संत पतरस के पदबंध में, सरकार का अधिकार उचित रूप से देखा जाता है, एक 'मानवीय अधिकार' के रूप में (1पतरस 2:13)।
इसका यह अर्थ नहीं है कि मनुष्यों ने परमेश्वर से स्वतंत्र या अकेले होने के लिए इसकी खोज की है। इसके बजाय, यह मानवीय समाज के अस्तित्व में ंअंतनिर्हित एक संस्था है, जैसा कि परमेश्वर ने बनाया है।
फिर भी, यह परमेश्वर हैं जो नियमों को बनाते हैं, संत पौलुस लिखते हैं कि हर कोई अवश्य ही सरकारी अधिकारियों के अधीन रहे (रोमियों 13:1-2)।
यदि यह लौकिक अधिकार में लागू होता है – तो यह चर्च के अधिकार में कितना अधिक लागू होगा? विभिन्न चर्च में अधिकार की विभिन्न संरचनाएं हैं। मेरे अनुभव से, हमारे चर्च के लीडर्स के अधिकार के प्रति समर्पित होना महान स्वतंत्रता दिलाता है।
यह नये नियम का आधारभूत सिद्धांत है। हमें हर अधिकार का आज्ञापालन करना है – सरकार, स्थानीय अधिकारी और वह संस्था जिसमें हम अपने आपको पाते हैं। क्यों?
पहला, हम ऐसा करते हैं क्योंकि वह उस अधिकार का भाग है जो परमेश्वर ने स्थापित की है।
दूसरा, हम ऐसा करते हैं क्योंकि उनकी आज्ञा न मानने के परिणाम हैं:'क्योंकि वह तेरी भलाई के लिये परमेश्वर का सेवक है। परन्तु यदि तू बुराई करे, तो डर, क्योंकि वह तलवार व्यर्थ लिए हुए नहीं; और परमेश्वर का सेवक है कि उसके क्रोध के अनुसार बुरे काम करने वाले को दण्ड दे' (व.4, एम.एस.जी.)।
तीसरा, 'विवेक के कारण' (व.5)। यदि हम अधिकारियों की आज्ञा नहीं मान रहे हैं, तो हम एक स्पष्ट विवेक के साथ नहीं जी सकते हैं। ' इसलिये अधीन रहना न केवल उस क्रोध के डर से आवश्यक है, वरन् विवेक भी यही गवाही देता है' (व.5, एम.एस.जी.)।
हम यहाँ पर व्यक्तिगत नैतिकता और सरकार के द्वारा नियम को मानने के बीच में एक स्पष्ट अंतर को देखते हैं। पौलुस की शिक्षा यीशु की शिक्षा से बहुत ही समांतर हैः यह एक बदला न लेने का कार्य है और 'दूसरे गाल को सामने लाना' (12:14-21)। किंतु, वह वहां से आगे बढ़कर 'शासक अधिकारियों' के विषय में बताते हैं (13:1-6)। वह बताते हैं कि शासन करने वाले परमेश्वर के सेवक हैं, जो गलत करने वालों को दंड देते हैं (व.4)।
राज्य दूसरों की सुरक्षा के विषय में चिंता करता है। खड़े होकर हत्या और हिंसा होने देना, प्रेम न करना और मसीह ना होने जैसा होगा। सदृश्यता के द्वारा, यदि अधिकारियों के लिए यह करना सही बात है कि नागरिकों को आंतरिक खतरे से बचाने के लिए सेना का इस्तेमाल करें, विवादस्वरूप यह उतना ही सही है कि उन्हें बाहरी खतरे से सेना के द्वारा बचाए, यदि आवश्यक हो। निश्चित ही, अभ्यास करने में, अक्सर यह बहुत ही कठिन होता है कि काम करें जब ऐसे बल निर्दोष हो।
यह बात कम विरोधाभासी है कि हमें वह दाम चुकाना है जो हमारे पास है (वव.6-8)। इसका अर्थ है कि हर वह कर चुकाना, जो हमें चुकाना चाहिए और हमारे सभी बिल, जैसे ही वे आते हैं:'जिसे जो चुकाना हो चुका दो...कोई कर्ज बाकी मत रखो' (वव.7-8)।
एक योजनापूर्ण और प्रबंध किए जा सकने वाले कर्ज को लेना गलत बात नहीं है –गिरवी रखना, विद्यार्थी कर्ज या क्रेडिट कार्ड। किंतु, हमें सोच-समझकर योजनाहीन या प्रबंध न किए जा सकने वाले कर्ज से दूर रहना है। यदि हम अपने आपको कर्ज में पाते हैं तो यह महत्वपूर्ण है कि इसे नजरअंदाज न करे और जितनी जल्दी संभव हो सहायता ले लें, उदाहरण के लिए, बहुत से मसीह कर्ज सलाह सभाओं में से।
नियम को पूरा करने का तरीका है अपने पड़ोसी से अपने जैसा प्रेम रखना। ' आपस के प्रेम को छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है' (व.8ब, एम.एस.जी)।
यदि हम इसे करेंगे तो हम चोरी नहीं करेंगे, क्योंकि जिस व्यक्ति से हम चुराएंगे वह दुखी होगा, हम हत्या नहीं करेंगे या गलत प्रकार का गुस्सा नहीं करेंगे क्योंकि यह दूसरों को चोट पहुंचाएगा। हम व्यभिचार नहीं करेंगे क्योंकि यह विवाह और संबंधों को हानि पहुँचाता है। ' क्योंकि यह कि 'व्यभिचार न करना, हत्या न करना, चोरी न करना, लालच न करना, ' और इन को छोड़ और कोई भी आज्ञा हो तो सब का सारांश इस बात में पाया जाता है, 'अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।' प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता, इसलिये प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है' (वव.9-10, एम.एस.जी)।
नियम प्रेम के द्वारा पूरी होती है। प्रेम नियम को तोड़ने का एक बहाना नहीं किंतु उनका पालन करने का एक तरीका है। प्रेम के कारण नियम हमारे लिए दिए गए थे और प्रेम के द्वारा पूरे किए गए हैं। पौलुस नहीं लिखते हैं कि यदि आप प्रेम करते हैं तो आपको नियमों का पालन करने की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय, वह कहते हैं यदि आप प्रेम करते हैं तो आप आज्ञाओं को पूरा करेंगे।
यीशु प्रेम के सर्वोच्च उदाहरण हैं। पौलुस कहते हैं, 'प्रभु यीशु मसीह को पहन लो' (व.14)। प्रार्थना करो कि यीशु का चरित्र, उनका प्रेम, आपको घेर ले और आपकी सुरक्षा करे और आज जिस किसी से आप मिलते हैं, उन्हें वह दिखाई दे।
प्रार्थना
प्रभु, मैं प्रभु यीशु मसीह को पहन लेना चाहता हूँ और 'इस बारें में नहीं सोचना चाहता कि कैसे पापमय स्वभाव की इच्छाओं को पूरा करना है' (व.14)। होने दीजिए कि आज यीशु का प्रेम मुझमें दिखाई दे।
1 इतिहास 7:1-9:1a
इस्साकार के वंशज
7इस्साकार के चार पुत्र थे। उनके नाम तोला, पूआ, याशूब, और शिम्रोन था।
2 तोला के पुत्र उज्जी, रपायाह, यरीएल, यहमै, यिबसाम और शमूएल थे। वे सभी अपने परिवारों के प्रमुख थे। वे व्यक्ति और उनके वंशज बलवान योद्धा थे। उनके परिवार बढ़ते रहे और जब दाऊद राजा हूआ, तब वहाँ बाईस हजार छः सौ व्यक्ति युद्ध के लिये तैयार थे।
3 उज्जी का पुत्र यिज्रह्याह था। यिज्रह्याह के पुत्र मीकाएल, ओबद्याह, योएल, यिश्शिय्याह थे। वे सभी पाँचों अपने परिवारों के प्रमुख थे। 4 उनके परिवार का इतिहास यह बाताता है कि उनके पास छत्तीस हजार योद्धा युद्ध के लिये तैयार थे। उनका बड़ा परिवार था क्योंकि उनकी बहुत सी स्त्रियाँ और बच्चे थे।
5 परिवार इतिहास यह बताता है कि इस्साकार के सभी परिवार समूहों में सत्तासी हजार शक्तिशाली सैनिक थे।
बिन्यामीन के वंशज
6 बिन्यामीन के तीन पुत्र थे। उनके नाम बेला, बेकेर, और यदीएल थे।
7 बेला के पाँच पुत्र थे। उनके नाम एसबोन, उज्जी, उज्जीएल, यरीमोत, और ईरी थे। वे अपने परिवारों के प्रमुख थे। उनका परिवार इतिहास बताता है कि उनके पास बाईस हजार चौंतीस सैनिक थे।
8 बेकेर के पुत्र जमीरा, योआश, एलीएजेर, एल्योएनै, ओम्री, यरेमोत, अबिय्याह, अनातोत और आलेमेत थे। वे सभी बेकेर के बच्चे थे। 9 उनका परिवार इतिहास बताता है कि परिवार प्रमुख कौन थे और उनका परिवार इतिहास यह भी बताता है कि उनके बीस हजार दो सौ सैनिक थे।।
10 यदीएल का पुत्र बिल्हान था। बिल्हान के पुत्र यूश, बिन्यामीन, एहूद कनाना, जेतान, तर्शीश और अहीशहर थे। 11 यदीएल के सभी पुत्र अपने परिवार के प्रमुख थे। उनके सत्तर हजार दो सौ सैनिक युद्ध के लिये तैयार थे।
12 शुप्पीम और हुप्पीम ईर के वंशज थे। हूशी अहेर का पुत्र था।
नप्ताली के वंशज
13 नप्ताली के पुत्र एहसीएल, गूनी, येसेर और शल्लूम थे और ये बिल्हा के वंशज हैं।
मनश्शे के वंशज
14 ये मनश्शे के वंशज हैं। मनश्शे का अस्रीएल नामक पुत्र था जो उसकी अरामी रखैल (दासी) से था। उनका माकीर भी था। माकीर गीलाद का पिता था। 15 माकीर ने हुप्पीम और शुप्पीम लोगों की एक स्त्री से विवाह किया। माका की दूसरी पत्नी का नाम सलोफाद था। सलोफाद की केवल पुत्रियाँ थीं। माकीर की बहन का नाम भी माका था। 16 माकीर की पत्नी माका को एक पुत्र हुआ। माका ने अपने पुत्र का नाम पेरेश रखा। पेरेश के भाई का नाम शेरेश था। शेरेश के पुत्र ऊलाम और राकेम थे।
17 ऊलाम का पुत्र बदान था।
ये गिलाद के वंशज थे। गिलाद माकीर का पुत्र था। माकीर मनश्शे का पुत्र था। 18 माकीर की बहन हम्मोलेकेत के पुत्र ईशहोद, अबीएजेर, और महला थे।
19 शमीदा के पुत्र अह्यान, शेकेम, लिखी और अनीआम थे।
एप्रैम के वंशज
20 एप्रैम के वंशजों के ये नाम थे। एप्रैम का पुत्र शूतेलह था। शूतेलह का पुत्र बेरेद था। बेरेद का पुत्र तहत था। तहत का पुत्र एलादा था। 21 एलादा का पुत्र तहत था। तहत का पुत्र जाबाद था। जाबाद का पुत्र शूतेलह था।
कुछ व्यक्तियों ने जो गत नगर में बड़े हुए थे, येजेर और एलाद को मार डाला। यह इसलिये हुआ कि येजेर और एलाद उन लोगों की गायें और भेड़ें चुराने गत गए थे। 22 एप्रैम येजेर और एलाद का पिता था। वह कई दिनों तक रोता रहा क्योंकि येजर और एलाद मर गए थे। एप्रैम का परिवार उसे संत्वना देने आया। 23 तब एप्रैम ने अपनी पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध किया। एप्रैम की पत्नी गर्भवती हुई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। एप्रैम ने अपने नये पुत्र का नाम बरीआ रखा क्योंकि उसके परिवार के साथ कुछ बुरा हुआ था। 24 एप्रैम की पुत्री शेरा थी। शेरा ने निम्न बेथोरान तथा उच्च बेथोरान और निम्न ऊज्जेनशेरा एवं उच्च उज्जेनशेरा बसाया।
25 रेपा एप्रैम का पुत्र था। रेसेप रेपा का पुत्र था। तेलह रेशेप का पुत्र था। तहन तेलह का पुत्र था। 26 लादान तहन का पुत्र अम्मीहूद लादान का पुत्र था। एलीशामा अम्मीहूद का पुत्र था। 27 नून एलीशामा का पुत्र था। यहोशू नून का पुत्र था।
28 ये वे नगर और प्रदेश हैं जहाँ एप्रैम के वंशज रहते थे। बेतेल और इसके पास के गाँव पूर्व में नारान, गेजेर और पश्चिम में इसके निकट के गाँव, तथा सेकेम तथा अज्जा के रास्ते तक के निकटवर्ती गाँव। 29 मनश्शे की भूमि से लगी सीमा पर बेतशान, तानाक, मगिदो नगर तथा दोर और उनके पास पास के छोटे नगर थे। यूसुफ के वंशज इन नगरों में रहते थे। यूसुफ इस्राएल का पुत्र था।
आशेर के वंशज
30 आशेर के पुत्र यिम्ना, यिश्वा, यिश्वी, और बरीआ थे। उनकी बहन का नाम सेरह था।
31 बरीआ के हेबेर और मल्कीएल थे। मल्कीएल बिर्जोत का पिता था।
32 हेबेर यपलेत, शोमेर, होताम, और उनकी बहन शूआ का पिता था।
33 यपलेत के पुत्र पासक, बिम्हाल और अश्वात थे। ये यपलेत के बच्चे थे।
34 शेमेर के पुत्र अही, रोहगा, यहुब्बा और अराम थे।
35 शेमेर के भाई का नाम हेलेम था। हेलेम के पुत्र सोपह, यिम्ना, शेलेश और आमाल थे।
36 सोपह के पुत्र सूह, हर्नेपेर, शूआल, वेरी, इम्रा, 37 बेसेर, होद, शम्मा, शिलसा, यित्रान और बेरा थे।
38 येतरेर के पुत्र यपुन्ने, पिस्पा और अरा थे।
39 उल्ला के पुत्र आरह, हन्नीएल, और रिस्या थे।
40 ये सभी व्यक्ति आशेर के वंशज थे। वे अपने परिवारों के प्रमुख थे। वे उत्तम पुरुष थे। वे योद्धा और महान प्रमुख थे। उनका पारिवारिक इतिहास बताता है कि छब्बीस हजार सैनिक युद्ध के लिये तैयार थे।
राजा शाऊल का परिवार इतिहास
8बिन्यामीन बेला का पिता था। बेला बिन्यामीन का प्रथम पुत्र था। अशबेल बिन्यामीन का दूसरा पुत्र था। अहरह बिन्यामीन का तीसरा पुत्र था। 2 नोहा बिन्यामीन का चौथा पुत्र था और रापा बिन्यामीन का पाँचवाँ पुत्र था।
3-5 बेला के पुत्र अद्दार, गेरा, अबीहूद, अबीशू, नामान, अहोह, गेरा, शपूपान और हूराम थे।
6-7 एहूद के वंशज ये थे। ये गेबा में अपने परिवारों के प्रमुख थे। वे अपना घर छोड़ने और मानहत में रहने को विवश किये गए थे। एहूद के वंशज नामान, अहिय्याह, और गेरा थे। गेरा ने उन्हें घर छोड़ने को विवश किया। गेरा उज्जा और अहीलूद का पिता था।
8 शहरैम ने अपनी पत्नियों हशीम और बारा को मोआब में तलाक दिया। जब उसने यह किया, उसके कुछ बच्चे अन्य पत्नी से उत्पन्न हुए। 9-10 शाहरैम के योआब, मेशा, मल्काम, यूस, सोक्या, और मिर्मा उसकी पत्नी होदेश से हुए। वे अपने परिवारों के प्रमुख थे। 11 शहरैम और हशीम के दो पुत्र अबीतूब और एल्पाल थे।
12-13 एल्पाल के पुत्र एबेर, मिशाम, शेमेर, बरीआ ओर शेमा थे। शेमेर ने ओनो और लोद नगर तथा लोद के चारों ओर छोटे नगरों को बनाया। बरीआ ओर शेमा अय्यालोन में रहने वाले परिवारों के प्रमुख थे। उन पुत्रों ने गत में रहने वालों को उसे छोड़ने को विवश किया।
14 बरीआ के पुत्र शासक और यरमोत, 15 जबद्याह, अराद, एदेर, 16 मीकाएल, यिस्पा और योहा थे। 17 एल्पाल के पुत्र जबद्याह, मशुल्लाम, हिजकी, हेबर, 18 यिशमरै, यिजलीआ और योबाब थे।
19 शिमी के पुत्र याकीम, जिक्री, ज़ब्दी, 20 एलीएनै, सिल्लतै, एलीएल, 21 अदायाह, बरायाह और शिम्रात थे।
22 शाशक के पुत्र यिशपान, येबेर, एलीएल, 23 अब्दोन, जिक्री, हानान, 24 हनन्याह, एलाम, अन्तोतिय्याह, 25 यिपदयाह और पनूएल थे।
26 यरोहाम के पुत्र शमशरै, शहर्याह, अतल्याह, 27 योरेश्याह, एलीय्याह और जिक्री थे।
28 ये सभी व्यक्ति अपने परिवारों के प्रमुख थे। वे अपने परिवार के इतिहास में प्रमुख के रुप में अंकित थे। वे यरूशलेम में रहते थे।
29 येयील गीबोन का पिता था। वह गिबोन नगर में रहता था। येयील की पत्नी का नाम माका था। 30 येयील का सबसे बड़ा पुत्र अब्दोन था। अन्य पुत्र शूर, कीश, बाल, नेर, नादाब 31 गदोर, अह्यो, जेकेर, और मिकोत थे। 32 मिकोत शिमा का पिता था। ये पुत्र भी यरूशलेम में अपने सम्बन्धियों के निकट रहते थे।
33 नेर, कीश का पिता था। कीश शाऊल का पिता था और शाऊल योनातान, मलकीश, अबीनादब और एशबाल का पिता था।
34 योनातान का पुत्र मरीब्बाल था। मरीब्बाल मीका का पिता था।
35 मीका के पुत्र पीतोम, मेलेक, तारे और आहाज थे।
36 आहाज यहोअद्दा का पिता था। यहोअद्दा आलेमेत, अजमावेत और जिम्री का पिता था। जिम्री मोसा का पिता था। 37 मोसा बिना का पिता था। रापा बिना का पुत्र था। एलासा रापा का पुत्र था और आसेल एलासा का पुत्र था।
38 आसेल के छः पुत्र थे। उनके नाम अज्रीकाम, बोकरू, यिशमाएल, शार्यह, ओबद्याह और हनान थे। ये सभी पुत्र आसेल की संतान थे।
39 आसेल का भाई एशेक था। एशेक के कुछ पुत्र थे। एशेक के ये पुत्र थेः ऊलाम एशेक का सबसे पड़ा पुत्र था। यूशा एशेक का दूसरा पुत्र था। एलीपेलेत एशेक का तीसरा पुत्र था। 40 ऊलाम के पुत्र बलवान योद्धा और धनुष बाण के प्रयोग में कुशल थे। उनके बहुत से पुत्र और पौत्र थे। सब मिलाकर डेढ़ सौ पुत्र और पौत्र थे। ये सभी व्यक्ति बिन्यामीन के वंशज थे।
9इस्रएल के लोगों के नाम उनके परिवार के इतिहास में अंकित थे। वे परिवार इस्राएल के राजाओं के इतिहास में रखे गए थे।
यरूशलेम के लोग
यहूदा के लोग बन्दी बनाए गए थे और बाबेल को जाने को विवश किये गये थे। वे उस स्थान पर इसलिये ले जाए गए, क्योंकि वे परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य नहीं थे।
समीक्षा
अधिकार की सीमाओं से परिचित हो जाईये
जैसे ही हम आज विश्वभर में देखते हैं, हम अच्छे और बुरे लीडरशिप और सरकार को देखते हैं। इस्राएल के लोगों के पास बुरी सरकार थी।
जैसे ही इतिहास की पुस्तक में इसकी सूची और वशांवली समाप्त होती है, वह लिखते हैं, 'इस प्रकार सब इस्राएली अपनी अपनी वंशावली के अनुसार, जो इस्राएल के राजाओं के वृतांत्त की पुस्तक में लिखी है, गिने गए। यहूदी अपने विश्वासघात के कारण बंदी बनाकर बेबीलोन को पहुंचाए गए' (9:1, एम.एस.जी.)। अपनी सूची में वह उल्लेख करते हैं शाऊल का, 'शाऊल के पिता किश और शाऊल योनातन के पिता' (8:33), जिसके विषय में वह बाद में बतायेंगे कि वह ऐसे एक व्यक्ति का उदाहरण थे जिन्होंने एक अच्छे शासक के रूप में शुरुवात की लेकिन बुरे के रूप में उनका अंत हुआ (10:13-14)।
शाऊल ऐसी एक सरकार का उदाहरण बने, जिसके विषय में प्रकाशितवाक्य 13 में बताया गया है। फिर भी, दाऊद ने जहां तक संभव हो, ईमानदार रहने और उनके अधिकारी के अधीन रहने का प्रयास किया।
प्रार्थना
परमेश्वर, हमारी सहायता कीजिए कि उन सभी के प्रति हम सही व्यवहार करे, जिन्हें आपने हमारे ऊपर अधिकार में रखा है (चाहे चर्च में या राज्य में)। हमारी सहायता कीजिए कि अच्छे अनुग्रह के साथ समर्पित हो जाएं, यहाँ तक कि जब हम सहमत नहीं होते हैं। हमारी सहायता कीजिए कि हमारे पास यह जानने की बुद्धि हो कि कब यह हद पार कर चुका है।
पिप्पा भी कहते है
'जो परमेश्वर कर रहे हैं, उसके लिए जागते और जागृत रहो' (रोमियों 13:12, एम.एस.जी)।
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संदर्भ
ऑस्कर कुलमन, द स्टेट इन न्यु टेस्टामेंट, (एस. सी. एम, 1957) पी.86
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
नोट्स
ऑस्कर कुलमन, द स्टेट इन न्यु टेस्टामेंट, (एस. सी. एम, 1957) पी.86