एकता
परिचय
सालों पहले मैं अपने एक मित्र से बात कर रहा था जो एक मसीह नहीं हैं। उन्होंने मुझसे यह कहाः
अ.”मैं समझ नहीं पाता हूँ। आपके प्रोटेस्टंट और आपके कॅथलिक, आप एक समान दिखाई देते हैं। आपकी चर्च ईमारतें भी एक समान दिखाई देती हैं। आप दोनों प्रभु से प्रार्थना करते और रोटी और दाखरस लेते हैं। जिस किसी चीज पर आपके बीच में असहमति है (और मुझे नहीं पता कि यह क्या चीज है) इसका मेरे जीवन से कोई लेना देना नहीं है। किंतु, जब आप एक दूसरे से लड़ रहे थे, मैं उसमें रूचि नहीं रखता।”
तब मुझे एहसास हुआ कि फूट चर्च और विश्व में हमारी गवाही को कितना नुकसान पहुँचाता है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि यीशु ने “पूर्ण एकता” के लिए प्रार्थना की (यूहन्ना 17:23) और पौलुस प्रेरित उत्साहित थे कि हम “सिद्ध रूप से एक हो जाएं “ (1कुरिंथियो 1:10)।
एकता हमारे विश्वास का महत्वपूर्ण भाग है। हम एक परमेश्वर में विश्वास करते हैं: पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा। त्रिऐक्य में एकता है। दूसरी ओर, फूट, मानवजाति के लिए श्राप रहा है जब से आदम और हव्वा पाप में पड़े।
यीशु मेलमिलाप और एकता को लाने के लिए मर गए। परमेश्वर का धन्यवाद हो कि आज, विश्व भर में, हम समुदाय के बीच अड़चनों को कम होते हुए और चर्च में महान एकता को देखते हैं।
नीतिवचन 19:3-12
3 मनुष्य अपनी ही मूर्खता से अपनी जीवन बिगाड़ लेता है,
किन्तु वह यहोवा को दोषी ठहराता है।
4 धन से बहुत सारे मित्र बन जाते हैं,
किन्तु गरीब जन को उसका मित्र भी छोड़ जाता है।
5 झूठा गवाह बिना दण्ड पाये नहीं बचेगा
और जो झूठ उगलता रहता है, छूटने नहीं पायेगा।
6 उसके बहुत से मित्र बन जाना चाहते हैं,
जो उपहार देता रहता है।
7 निर्धन के सभी सम्बंधी उससे कतराते हैं।
उसके मित्र उससे कितना बचते फिरते
हैं, यद्यपि वह उन्हें अनुनय—विनय से मनाता रहता है
किन्तु वे उसे कहीं मिलते ही नहीं हैं।
8 जो ज्ञान पाता है वह अपने ही प्राण से प्रीति रखता,
वह जो समझ बूझ बढ़ाता रहता है फलता और फूलता है।
9 झूठा गवाह दण्ड पाये बिना नहीं बचेगा,
और वह, जो झूठ उगलता रहता है ध्वस्त हो जायेगा।
10 मूर्ख धनी नहीं बनना चाहिये।
वह ऐसे होगा जैसे कोई दास युवराजाओं पर राज करें।
11 अगर मनुष्य बुद्धिमान हो उसकी बुद्धि उसे धीरज देती है।
जब वह उन लोगों को क्षमा करता है जो उसके विरूद्ध हो, तो अच्छा लगता है।
12 राजा का क्रोध सिंह की दहाड़ सा है,
किन्तु उसकी कृपा घास पर की ओस की बूंद सी होती।
समीक्षा
संबंधों में एकता
इस लेखांश में एक नीतिवचन है जो हमारे संबंधों में एकता के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैः”जो मनुष्य बुद्धि से चलता है वह विलम्ब से क्रोध करता है, और अपराध को भुलाना उसको शोभा देता है” (व.11, ए.एम.पी.)।
जीवन में बहुत सी बार मैं ने इस वचन के द्वारा चुनौती पाई है। ठोकर खाना बहुत सरल बात है। दुर्भावना रखना आसान बात है। बदला लेने का प्रयास करना आसान है। यदि इस तरह से उत्तर देंगे, तो एक छोटी सी ठोकर भी संबंध को तोड़ सकती है। यह मित्रता को समाप्त कर सकती है।
दूसरी ओर, एक ठोकर को नजरअंदाज करने के विषय में कुछ महिमामयी है। इसका अर्थ है बुरा मानना अस्वीकार करना। इसका अर्थ है दुर्भावना रखना अस्वीकार करना। इसका अर्थ है बदला लेना अस्वीकार करना। यह करना मुश्किल है। लेकिन यह सबसे महत्वपूर्ण है कि हमे अपने संबंधों में एकता को बनाए रखना है।
प्रार्थना
परमेश्वर, मुझे क्षमा कीजिए जब मैं बहुत आसानी से बुरा मान जाता था। आपका धन्यवाद क्योंकि, हमारे प्रभु यीशु मसीह के क्रूस पर बलिदान के द्वारा, आप मेरी गलतियों को नजरअंदाज करते हैं। उसी सामर्थ के साथ आप मेरी सहायता कीजिए कि मैं दूसरों की गलतियों को नजरअंदाज कर संकू।
1 कुरिन्थियों 1:1-17
1हमारे भाई सोस्थिनिस के साथ पौलुस की ओर से जिसे परमेश्वर ने अपनी इच्छानुसार यीशु मसीह का प्रेरित बनने के लिए चुना।
2 कुरिन्थुस में स्थित परमेश्वर की उस कलीसिया के नाम; जो यीशु मसीह में पवित्र किये गये, जिन्हें परमेश्वर ने पवित्र लोग बनने के लिये उनके साथ ही चुना है। जो हर कहीं हमारे और उनके प्रभु यीशु मसीह का नाम पुकारते रहते हैं।
3 हमारे परम पिता की ओर से तथा हमारे प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम सब को उसकी अनुग्रह और शांति प्राप्त हो।
पौलुस का परमेश्वर को धन्यवाद
4 तुम्हें प्रभु यीशु में जो अनुग्रह प्रदान की गयी है, उसके लिये मैं तुम्हारी ओर से परमेश्वर का सदा धन्यवाद करता हूँ। 5 तुम्हारी यीशु मसीह में स्थिति के कारण तुम्हें हर किसी प्रकार से अर्थात समस्त वाणी और सम्पूर्ण ज्ञान से सम्पन्न किया गया है। 6 मसीह के विषय में हमने जो साक्षी दी है वह तुम्हारे बीच प्रमाणित हुई है। 7 और इसी के परिणामस्वरूप तुम्हारे पास उसके किसी पुरस्कार की कमी नहीं है। तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रकट होने की प्रतिक्षा करते रहते हो। 8 वह तुम्हें अन्त तक हमारे प्रभु यीशु मसीह के दिन एक दम निष्कलंक, खरा बनाये रखेगा। 9 परमेश्वर विश्वासपूर्ण है। उसी के द्वारा तुम्हें हमारे प्रभु और उसके पुत्र यीशु मसीह की सत् संगति के लिये चुना गया है।
कुरिन्थुस के कलीसिया की समस्याएँ
10 हे भाईयों, हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम में मेरी तुमसे प्रार्थना है कि तुम में कोई मतभेद न हो। तुम सब एक साथ जुटे रहो और तुम्हारा चिंतन और लक्ष्य एक ही हो।
11 मुझे खलोए के घराने के लोगों से पता चला है कि तुम्हारे बीच आपसी झगड़े हैं। 12 मैं यह कह रहा हूँ कि तुम में से कोई कहता है, “मैं पौलुस का हूँ” तो कोई कहता है, “मैं अपुल्लोस का हूँ।” किसी का मत है, “वह पतरस का है” तो कोई कहता है, “वह मसीह का है।” 13 क्या मसीह बँट गया है? पौलुस तो तुम्हारे लिये क्रूस पर नहीं चढ़ा था। क्या वह चढ़ा था? तुम्हें पौलुस के नाम का बपतिस्मा तो नहीं दिया गया। बताओ क्या दिया गया था? 14 परमेश्वर का धन्यवाद है कि मैंने तुममें से क्रिसपुस और गयुस को छोड़ कर किसी भी और को बपतिस्मा नहीं दिया। 15 ताकि कोई भी यह न कह सके कि तुम लोगों को मेरे नाम का बपतिस्मा दिया गया है। 16 (मैंने स्तिफनुस के परिवार को भी बपतिस्मा दिया था किन्तु जहाँ तक बाकी के लोगों की बात है, सो मुझे याद नहीं कि मैंने किसी भी और को कभी बपतिस्मा दिया हो।) 17 क्योंकि मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने के लिए नहीं, बल्कि वाणी के किसी तर्क-वितर्क के बिना सुसमाचार का प्रचार करने के लिये भेजा था ताकि मसीह का क्रूस यूँ ही व्यर्थ न चला जाये।
समीक्षा
यीशु के आस-पास एकता
कुरिंथ एक बड़ा महानगर था जहाँ पर हर देश, संस्कृति और धर्म के लोग रहते थे। बहुत से तरीकों से यह लंदन शहर जैसा था। यह एक वाणिज्य केंद्र था। यह कला, रचना, साहित्य और सरंचना का एक केंद्र था। इसमें बहुत से संग्रहालय और थिएटर थे।
कुरिंथ के लोग धनी, शराबी और व्यभिचारी थे, और यह अनैतिकता के लिए बदनाम था।
ए.डी. 50 में, पौलुस कुरिंथ में चर्च की शुरुवात करने के लिए गए। वह अपने मित्र प्रिसकिल्ला और अक्विला के साथ रहे। उन्होंने अपने लिए एक नौकरी का प्रबंध किया और सुसमाचार का प्रचार करना शुरु कर दिया। उन्होंने एक घर में चर्च की शुरुवात की और ए.डी 52 के वसंत तक अठारह महीने वहाँ रहे। फिर उन्होंने अपुल्लोस को वह चर्च सौंप दिया और आगे बढ़ गए और अधिक चर्च की शुरुवात करने के लिए।
थोड़े समय बाद, पौलुस को यह रिपोर्ट मिली कि उनकी अनुपस्थिती में विभिन्न प्रकार की परेशानीयाँ पैदा हो गई हैं, और चर्च में भी फूट पड़ गई है। पाँच साल बाद उन्होंने इस पत्र को लिखा ताकि कुछ मामलों से निपटने की कोशिश करें।
चर्च के इतिहास में बहुत ही शुरुवाती दिनों में झगड़ा और फूट की शुरुवात हुई। कुरिंथियों में ऐसा लगता है कि विभिन्न दल विभाजित हो गए, शिक्षा के कारण नहीं, बल्कि मानसिकता के कारण। मसीह में एक बने रहने के बजाय, वे दलों में विभाजित हो गए, पूरी तरह से उन लीडर्स के आधार पर जिनका वे बहुत सम्मान करते थे – पौलुस, अपुल्लोस या पतरस (कैफा) (वव.11-13)।
एकता और प्रेम के लिए विनती करना शुरु करने से पहले ही, हम देख सकते हैं कि अपने परिचय और अभिवादन में कैसे पौलुस के विचार में एकता का विषय गहराई से चलता है। हमारी एकता का आधार यीशु का व्यक्तित्व है
- यीशु के साथ संबंध
पौलुस “परमेश्वर की उस कलीसिया के नाम एक पत्र लिखते हैं जो कुरिन्थुस में हैं, अर्थात् उनके नाम जो मसीह यीशु में पवित्र किए गए, और पवित्र होने के लिये बुलाए गए हैं; और उन सब के नाम भी जो हर जगह हमारे और अपने प्रभु यीशु मसीह के नाम में प्रार्थना करते हैं” (व.2)।
विश्व में हर मसीह यीशु मसीह में पवित्र किए गए हैं और हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम में प्रार्थना करते हैं। मसीह विभाजित नहीं हैं (व.13) और नाही हमें विभाजित होना चाहिए। हमारे प्रभु एक ही हैं। आप सब भी यीशु के साथ “सहभागिता” (कोइनोनिया) में बुलाए गए हैं (व.9)। उनकी मित्रता का आनंद लेते हुए आज समय बिताईये। यह सबसे गहरा और घनिष्ठ संबंध है जो कि संभव है। कोईनोनिया शब्द का इस्तेमाल विवाह संबंध के लिए किया गया है। हम सभी गहराई और घनिष्ठता से यीशु से प्रेम करते हैं
- यीशु का अनुग्रह
पौलुस लिखते हैं, “ हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे। मैं तुम्हारे विषय में अपने परमेश्वर का धन्यवाद सदा करता हूँ, इसलिये कि परमेश्वर का यह अनुग्रह तुम पर मसीह यीशु में हुआ” (वव.3-4)। एक मसीह बनने का अर्थ है परमेश्वर के अनुग्रह का अनुभव करना, जो मसीह यीशु में आपको दिया गया है। आपसे प्रेम किया गया है। अनुग्रह का अर्थ है प्रेम जिसके आप योग्य नहीं थे। हम में से हर एक के लिए यीशु मसीह की मृत्यु के द्वारा यह संभव किया गया है और इसमें दर्शाया गया है। विश्व में हर मसीह, हर चर्च और समुदाय का, ऐसा व्यक्ति है जिसके लिए मसीह मरे। उनका अनुग्रह हमारी एकता का आधार है।
- यीशु की आत्मा
पौलुस कुरिंथियों को लिखते हैं, “इसलिए तुम्हारे पास किसी आत्मिक वरदान की कमी नहीं है” (व.7अ)। यीशु का आत्मा हर मसीह में रहता है। पौलुस अपने पत्र में बताते हैं कि कैसे हममें से हर एक के पास आत्मिक वरदान हैं, क्योंकि पवित्र आत्मा हमारे अंदर रहते हैं। विश्व में हर मसीह के अंदर पवित्र आत्मा रहते हैं, जैसे कि वह आपमें रहते हैं।
- यीशु में आशा
पौलुस आगे कहते हैं, “तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रकट होने की बाट जोहते रहते हो। वह तुम्हें अन्त तक दृढ़ भी करेंगे कि तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के दिन में निर्दोष ठहरो” (वव.7ब -8)। हम सभी यीशु के आगमन की बाट जोहते हैं। एक दिन हम पूरी तरह से उनमें एक हो जाएंगे। इस दौरान, हमारे पास एक सामान्य आशा है।
पौलुस इस एकता के विषय में उत्साहित हैं। वह लिखते हैं, “ हे भाइयो, मैं तुम से अपने प्रभु यीशु मसीह के नाम से विनती करता हूँ कि तुम सब एक ही बात कहो, और तुम में फूट न हो, परन्तु एक ही मन और एक ही मत होकर मिले रहो” (व.10)।
एक उच्चतम एकता के लिए समझौता करने में वह खुश नहीं हैं। वह सिद्ध एकता की विनती करते हैं। हमारे जीवनकाल में शायद से हम चर्च में पूर्ण एकता को देखने में सफल न हो। किंतु, कभी भी कम के लिए समझौता मत कीजिए। इसके लिए प्रार्थना कीजिए और इसे लाने के लिए वह सब कीजिए जो आप कर सकते हैं। यीशु ने प्रार्थना की कि हम पूर्णत: एक हो जाएं (यूहन्ना 17:20-21)।
प्रार्थना
परमेश्वर, मैं हमारे स्थानीय चर्च और विश्व भर में चर्च में एकता के लिए प्रार्थना करता हूँ। आपका धन्यवाद क्योंकि हम महानतम एकता के दृश्य चिह्नों को देखते हैं। होने दीजिए कि हम पूर्ण एकता में आ जाएँ ताकि विश्व आप पर विश्वास करे।
1 इतिहास 16:37-18:17
37 तब दाऊद ने आसाप और उसके भाईयों को वहाँ यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने छोड़ा। दाऊद ने उन्हें उसके सामने प्रतिदिन सेवा करने के लिये छोड़ा। 38 दाऊद ने आसाप और उसके भाईयों के साथ सेवा करने के लिये ओबेदेदोन और अन्य अड़सठ लेवीवंशियों को छोड़ा। ओबेदेदोम और यदूतून रक्षक थे। ओबेदेदोम यदूतून का पुत्र था।
39 दाऊद ने याजक सादोक और अन्य याजकों को जो गिबोन में उच्च स्थान पर यहोवा के तम्बू के सामने उसके साथ सेवा करते थे, छोड़ा। 40 हर सुबह शाम सादोक तथा अन्य याजक होमबिल की वेदी पर होमबलि चढ़ाते थे। वे यह यहोवा के व्यवस्था में लिखे गए उन नियमों का पालन करने के लिये करते थे जिन्हें यहोवा ने इस्राएल को दिया था। 41 हेमान और यदूतून तथा सभी अन्य लेवीवंशी यहोवा का स्तुतिगान करने के लिये नाम लेकर चुने गये थे क्योंकि यहोवा का प्रेम सदैव बना रहता है! 42 हेमान और यदूतून उनके साथ थे। उनका काम तुरही और मँजीरा बजाना था। वे अन्य संगीत वाद्य बजाने का काम भी करते थे, जब परमेश्वर की स्तुति के गीत गाये जाते थे। यदूतून का पुत्र द्वार की रखवाली करता था।
43 उत्सव मनाने के बाद, सभी लोग चले गए। हर एक व्यक्ति अपने अपने घर चला गया और दाऊद भी अपने परिवार को आशीर्वाद देकर अपने घर गया।
परमेश्वर ने दाऊद को वचन दिया
17दाऊद ने अपने घर चले जाने के बाद नातान नबी से कहा, “देखो, मैं देवदारू से बने घर में रह रहा हूँ, किन्तु यहोवा का साक्षीपत्र का सन्दूक तम्बू में रखा है। मैं परमेश्वर के लिये एक मन्दिर बनाना चाहता हूँ।”
2 नातान ने दाऊद को उत्तर दिया, “तुम जो कुछ करना चाहते हो, कर सकते हो। परमेश्वर तुम्हारे साथ है।”
3 किन्तु परमेश्वर का सन्देश उस रात नातान को मिला। 4 परमेश्वर ने कहा,
“जाओ और मेरे सेवक दाऊद से यह कहोः यहोवा यह कहता है, ‘दाऊद, तुम मेरे रहने के लिये गृह नहीं बनाओगे। 5-6 जब से मैं इस्राएल को मिस्र से बाहर लाया तब से अब तक, मैं गृह में नहीं रहा हूँ। मैं एक तम्बू में चारों ओर घूमता रहा हूँ। मैंने इस्राएल के लोगों का विशेष प्रमुख बनने के लिये लोगों को चुना। वे प्रमुख मेरे लोगों के लिये गड़रिये के समान थे। जिस समय मैं इस्राएल में विभिन्न स्थानों पर चारों ओर घूम रहा था, उस समय मैंने किसी प्रमुख से यह नहीं कहाः तुमने मेरे लिये देवदारू वृक्ष का गृह क्यों नहीं बनाया है?’
7 “अब, तुम मेरे सेवक दाऊद से कहोः सर्वशक्तिमान यहोवा तुमसे कहता है, ‘मैंने तुमको मैदानों से और भेड़ों की देखभाल करने से हटाया। मैंने तुमको अपने इस्राएली लोगों का शासक बनाया। 8 तुम जहाँ गए, मैं तुम्हारे साथ रहा। मैं तुम्हारे आगे—आगे चला और मैंने तुम्हारे शत्रुओं को मारा। अब मैं तुम्हें पृथ्वी पर सर्वाधिक प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक बना रहा हूँ। 9 मैं यह स्थान अपने इस्राएल के लोगों को दे रहा हूँ। वे वहाँ अपने वृक्ष लगायेंगे और वे उन वृक्षों के नीचे शान्ति के साथ बैठेंगे। वे अब आगे और परेशान नहीं किये जाएंगे। बुरे लोग उन्हें वैसे चोट नहीं पहुँचाऐंगे जैसा उन्होंने पहले पुहँचाया था। 10 वे बुरी बातें हुईं, किन्तु मैंने अपने इस्राएली लोगों की रक्षा के लिये प्रमुख चुने और मैं तुम्हारे सभी शत्रओं को भी हराऊँगा।
“‘मैं तुमसे कहता हूँ कि यहोवा तुम्हारे लिये एक घराना बनाएग। 11 जब तुम मरोगे और अपने पूर्वजों से जा मिलोगे, तब तुम्हारे निज पुत्र को नया राजा होने दूँगा। नया राजा तुम्हारे पुत्रों में से एक होगा और मैं राज्य को शक्तिशाली बनाऊँगा। 12 तुम्हारा पुत्र मेरे लिये एक गृह बनाएगा। मैं तुम्हारे पुत्र के परिवार को सदा के लिये शासक बनाऊँगा। 13 मैं उसका पिता बनूँगा और वह मेरा पुत्र होगा। शाऊल तुम्हारे पहले राजा था और मैंने शाऊल से अपनी सहायता हटा ली किन्तु मैं तुम्हारे पुत्र से प्रेम करना कभी कम नहीं करूँगा। 14 मैं उसे सदा के लिये अपने घर और राज्य का संरक्षक बनाऊँगा। उसका शासन सदैव चलता रहेगा!’”
15 नातान ने अपने इस दर्शन और परमेश्वर ने जो सभी बातें कही थीं उनके विषय में दाऊद से कहा।
दाऊद की प्रार्थना
16 तब दाऊद पवित्र तम्बू में गया और यहोवा के सामने बैठा। दाऊद ने कहा,
“यहोवा परमेश्वर, तूने मेरे लिये और मेरे परिवार के लिये इतना अधिक किया है और मैं नहीं समझता कि क्यों 17 उन बातों के अतिरिक्त, तू मुझे बता कि भविष्य में मेरे परिवार पर क्या घटित होगा। तूने मरे प्रति एक अत्यन्त महत्वपूर्ण व्यक्ति जैसा व्यवहार किया है। 18 मैं और अधिक क्या कह सकता हूँ? तूने मेरे लिये इतना अधिक किया है और मैं केवल तेरा सेवक हूँ। यह तू जानता है। 19 यहोवा, तूने यह अद्भुत कार्य मेरे लिए किया है और यह तूने किया क्योंकि तू करना चाहता था। 20 यहोवा, तेरे समान और कोई नहीं है। तेरे अतिरिक्त कोई परमेश्वर नहीं है। हम लोगों ने कभी किसी देवता को ऐसे अद्भूत कार्य करते नहीं सुना है! 21 क्या इस्राएल के समान अन्य कोई राष्ट्र है? नहीं! इस्राएल ही पृथ्वी पर एकमात्र राष्ट्र है जिसके लिये तूने यह अद्भूत कार्य किया। तूने हमे मिस्र से बाहर निकाला और हमें स्वतन्त्र किया। तूने अपने को प्रसिद्ध किया। तू अपने लोगों के सामने आया और अन्य लोगों को हमारे लिये भूमि छोड़ने को विवश किया। 22 तूने इस्राएली को सदा के लिये अपना बनाया और यहोवा तू उसका परमेश्वर हुआ!
23 “यहोवा, तूने यह प्रतिज्ञा मुझसे और मेरे परिवार से की है। अब से तू सदा के लिये इस प्रतिज्ञा को बनाये रख। वह कर जो तूने करने को कहा! 24 अपनी प्रतिज्ञा को पूरा कर। जिससे लोग तेरे नाम का सम्मान सदा के लिये कर सकें। लोग कहेंगे, ‘सर्वशक्तिशाली यहोवा इस्राएल का परमेश्वर है!’ मैं तेरा सेवक हूँ! कृपया मेरे परिवार को शक्तिशाली होने दे और वह तेरी सेवा सदा करता रहे।
25 “मेरे परमेश्वर, तूने मुझसे (अपने सेवक ) कहा, कि तू मेरे परिवार को एक राजपरिवार बनायेगा। इसलिये मैं तेरे सामने इतना निडर हो रहा हूँ, इसीलिए मैं तुझसे ये सब चीजें करने के लिये कह रहा हूँ। 26 यहोवा, तू परमेश्वर है और परमेश्वर तूने इन अच्छी चीजों की प्रतिज्ञा मेरे लिये की है। 27 यहोवा, तू मेरे परिवार को आशीष देने में इतना अदिक दयालू रहा है। तूने प्रतिज्ञा की, कि मेरा परिवार तेरी सेवा सदैव करता रहेगा। यहोवा तूने मेरे परिवार को आशीष दी है, अतः मेरा परिवार सदा आशीष पाएगा!”
दाऊद विभिन्न राष्ट्रों को जीत लेता है
18बाद में दाऊद ने पलिश्ती लोगों पर आक्रमण किया। उसने उन्हें हराया। उसने गत नगर और उसके चारों ओर के नगरों को पलिश्ती लोगों से जीत लिया।
2 तब दाऊद ने मोआब देश को हराया। मोआबी लोग दाऊद के सेवक बन गए। वे दाऊद के पास भेटें लाए।
3 दाऊद हदरेजेर की सेना के विरुद्ध भी लड़ा। हदरेजेर सोबा का राजा था। दाऊद उस सेना के विरुद्ध लड़ा। दाऊद लगातार हमात नगर तक उस सेना से लड़ा। दाऊद ने यह इसलिये किया कि हदरेजेर ने आपने राज्य को लगातार परात नदी तक फैलाना चाहा। 4 दाऊद ने हदरेजेर के एक हजार रथ, सात हजार सारथी और बीस हजार सैनिक लिये। दाऊद ने हदरेजेर के अधिकांश घोड़ों को अंग—भंग कर दिया जो रथ खींचते थे। किन्तु दाऊद ने सौ रथों को खींचने के लिये पर्याप्त घोड़े बचा लिये।
5 दमिश्क नगर से अरामी लोग हदरेजेर की सहायता करने के लिये आए। हदरेजेर सोबा का राजा था। किन्तु दाऊद ने बाईस हजार अरामी सैनिकों को पराजित किया और मार डाला। 6 तब दाऊद ने दमिश्क नगर में किले बनवाए। अरामी लोग दाउद के सेवक बन गए और उसके पास भेंटे लेकर आये। अतः यहोवा ने दाऊद को, जहाँ कहीं वह गया, विजय दी।
7 दाऊद ने हदरेजेर के सेनापतियों से सोने की ढालें लीं और उन्हें यरूशलेम ले आया। 8 दाऊद ने तिभत औ कून नगरों से अत्याधिक काँसा प्राप्त किया। वे नगर हदरेजेर के थे। बाद में, सुलैमान ने इस काँसे का उपयोग काँसे की होदे, काँसे के स्तम्भ और वे अन्य चीजें बनाने में किया जो मन्दिर के लिये काँसे से बनी थीं।
9 तोऊ हमात नगर का राजा था। हदरेजेर सोबा का राजा था। तोऊ ने सुना कि दाऊद ने हदरेजेर की सारी सेना को पराजित कर दिया। 10 अतः तोऊ ने अपने पुत्र हदोराम को राजा दाऊद के पास शान्ति की याचना करने और आशीर्वाद पाने के लिये भेजा। उसने यह किया क्योंकि दाऊद ने हदरेजेर के विरुद्ध युद्ध किया था और उसे हराया था। पहले हदरेजेर ने तोऊ से युद्ध किया था। हदोराम ने दाऊद को हर एक प्रकार की सोने, चाँदी और काँसे से बनी चीजें दीं। 11 राजा दाऊद ने उन चीजों को पवित्र बनाया और यहोवा को दिया। दाऊद ने ऐसा उस सारे चाँदी, सोने के साथ किया जिसे उसने एदोमी, मोआबी, अम्मोनी पलिश्ती और अमालेकी लोगों से प्राप्त किया था।
12 सरुयाह के पुत्र अबीशै ने नमक घाटी में अट्ठारह हजार एदोमी लोगों को मारा। 13 अबीशै ने एदोम में किले बनाए और सभी एदोमी लोग दाऊद के सेवक हो गए। दाऊद जहाँ कही भी गया, यहोवा ने उसे विजय दी।
दाऊद के महत्वपूर्ण अधिकारी
14 दाऊद पूरे इस्राएल का राजा था। उसने वही किया जो सबके लिये उचित और न्यायपूर्ण था। 15 सरुयाह का पुत्र योआब, दाऊद की सेना का सेनापति था। अहीलूद के पुत्र यहोशापात ने उन कामों के विषय में लिखा जो दाऊद ने किये। 16 सादोक और अबीमेलेक याजक थे। सादोक अहीतूब का पुत्र था और अबीमेलेक एब्यातार का पुत्र था। शबशा शास्त्री था। 17 बनायाह करेतियों और पलेती लोगों के मार्गदर्शन का उत्तरदायी था बनायाह यहोयादा का पुत्र था और दाऊद के पुत्र विशेष अधिकारी थे। वे राजा दाऊद के साथ सेवारत थे।
समीक्षा
एक राजा के अधीन एकता
परमेश्वर की इच्छा हमेशा से रही है कि उनके लोगों के बीच में एकता हो। जैसे कि हम नये नियम में उनके लोगों के बीच में एकता की उनकी इच्छा को देखते हैं, वैसे ही हम पुराने नियम में भी देखते हैं कि उन्होंने परमेश्वर के लोगों के लिए एकता की इच्छा की।
दुखद रूप से, पुराने नियम में परमेश्वर के लोगों का इतिहास भी विभाजन का इतिहास था। इस्राएल के इतिहास में केवल एक समय था जहाँ पर एकता दिखाई देती थी। यह समय था जिसके बारे में अब हम इतिहास की पुस्तक में पढ़ते हैं। दाऊद ने “सभी इस्राएल” को एकत्व में ला दिया (18:14)।
परमेश्वर के लोगों के लिए यह एक महान आशीष का समय था। नातान ने दाऊद से कहा, “जो कुछ तेरे मन में हो उसे कर, क्योंकि परमेश्वर तेरे संग हैं” (17:2)। “जहाँ जहाँ दाऊद जाता, वहाँ वहाँ यहोवा उसको जय दिलाते थे” (18:6ब)। “दाउद समस्त इस्राएल पर राज्य करता था, और वह अपनी सारी प्रजा के साथ न्याय और सच्चाई के काम करता था” (व.14)।
सुलैमान के राज्यकाल में भी एकता बनी रही। इतिहासकार इस समय की एकता को आदर्श रूप में देखते हैं। सैकड़ो सालों बाद लिखते हुए, वह राजा दाऊद की गलती के विषय में अनजान नहीं, और नाही वह सुलैमान के प्रलोभनों को बताने में धीमे हैं, जिसने इस सुनहरे युग के अंत की ओर संकेत किया –सोना, घोड़े और बहुत सी पत्नियाँ (व्यवस्थाविवरण 17 देखें)।
सैकड़ों सालों की फूट के बाद, वह आशा करते हैं कि एक दिन इस्राएल के पास एक राजा होगा जो वह करेगा जो दाऊद ाऐर सुलैमान भी पूरी तरह से नहीं कर पाये। वह एक राजा की इच्छा करते हैं जो परमेश्वर के लोगों में पूर्ण और अस्थायी एकता को लायेंगे। इसकी परिपूर्णता हुई, एक पृथ्वी के राजा के द्वारा नहीं, बल्कि एक स्वर्गीय राजा के द्वारा।
प्रार्थना
प्रभु यीशु, आप अभिषिक्त राजा हैं, जिसने इस्राएल की आशा को पूरा किया है। आपका धन्यवाद क्योंकि आपके पास सामर्थ है कि आपके प्रभुत्व के अंतर्गत संपूर्ण मानवजाति को एकता में लायें। आपका धन्यवाद क्योंकि एक दिन हम इस एकता को देखेंगे।
पिप्पा भी कहते है
1कुरिंथियो 1:8
“वह तुम्हें अन्त तक दृढ़ भी करेगा कि तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के दिन में निर्दोष ठहरो।”
मैं अतिंम न्याय के दिन के विषय में थोड़ी चिंतित महसूस करती हूँ। लेकिन यह बात उत्साहित करती है कि यीशु हमें “अंत तक दृढ़ रखेंगे”।
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।