क्या पैसा एक आशीष है या एक श्राप है?
परिचय
लॉरेंस चर्च के धन के भंडारी थे। वह एक डिकन भी थे। उनके चारों ओर एक महान पुर्नजागरण शुरु हुआ। ऐसा कहा जाता था कि,”समस्त रोम मसीह बन रहा था।”
इसके परिणामस्वरूप, वर्ष ए.डी. 250 में सम्राट वेलरियन के अंतर्गत सताव शुरु हो गया। जिन मसीहों के पास जायदाद थी उन्होंने चर्च के सभी धन और खजाने को शहर के गरीबों में बांट दिया।
वेलरियन ने आदेश दिया कि सभी बिशप, याजक और डिकन को बंदी बनाया जाएं और मार दिया जाएं। उन्होंने लॉरेंस के सामने प्रस्ताव रखा कि उन्हें छोड़ दिया जाएगा यदि वह दिखायेंगे कि चर्च के सभी खजाने कहाँ पर रखे गए थे।
लॉरेंस ने तीन दिन माँगे ताकि इसे एक स्थान में इकट्ठा कर ले। उन्होंने अंधो, गरीब, अपंग, बीमार, बूढ़े, विधवा और अनाथों को इकट्ठा किया। जब वेलरियन आए, लॉरेंस ने दरवाजा खोल दिया और कहा,”ये चर्च के खजाने हैं!”
वेलरियन इतना क्रोधित हुआ कि उसने निर्णय लिया कि सिर काटा जाना लॉरेंस के लिए ज्यादा भयानक नहीं होगा। उन्होंने आदेश दिया कि इस साहसी मनुष्य को जाली के ऊपर आग में भूना जाएं। इस तरह से 10अगस्त ए.डी 258 में लॉरेंस की मृत्यु हो गई। यहाँ तक कि उन्होंने उनके हत्यारों के साथ मजाक किया,”आप मुझे पलट सकते हैं। इस तरह से मैं भुन चुका हूँ।” उनके साहस ने इतना प्रभाव बनाया कि रोम में पुनर्जीवन केवल बढ़ा, बहुत से लोग मसीह बने, जिनमें उच्चतम सभा के सदस्य भी शामिल थे जिन्होंने उनकी हत्या होते हुए देखी थी।
सेंट लॉरेंस के पास यीशु के संदेश की महान समझ थी। उन्होंने समझ लिया था कि गरीब चर्च के सच्चे खजाने थे।
गरीबों के प्रति हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए? धनी के विषय में क्या? क्या गरीबी एक आशीष है या श्राप? क्या अमीरी आशीष है या श्राप? क्या सुसमाचार समृद्धि का वायदा करता है?
नीतिवचन 19:13-22
13 मूर्ख पुत्र विनाश का बाढ़ होता है;
अपने पिता के लिए और पत्नी के नित्य झगड़े हर दम का टपका है।
14 भवन और धन दौलत माँ बाप से दान में मिल जाते;
किन्तु बुद्धिमान पत्नी यहोवा से मिलती है।
15 आलस्य गहन घोर निद्रा देता है
किन्तु वह आलसी भूखा मरता है।
16 ऐसा मनुष्य जो निर्देशों पर चलता वह अपने जीवन की रखवाली करता है।
किन्तु जो सदुपदेशों उपेक्षा करता है वह मृत्यु अपनाता है।
17 गरीब पर कृपा दिखाना यहोवा को उधार देना है,
यहोवा उसे, उसके इस कर्म का प्रतिफल देगा।
18 तू अपने पुत्र को अनुशासित कर और उसे दण्ड दे,
जब वह अनुचित हो। बस यही आशा है।
यदि तू ऐसा करने को मना करे, तब तो तू उसके विनाश में उसका सहायक बनता है।
19 यदि किसी मनुष्य को तुरंत क्रोध आयेगा, उसको इसका मूल्य चुकाना होगा।
यदि तू उसकी रक्षा करता है, तो कितना ही बार तुझे उसको बचाना होगा।
20 सुमति पर ध्यान दे और सुधार को अपना ले तू जिससे अंत में तू बूद्धिमान बन जाये।
21 मनुष्य अपने मन में क्या—क्या!
करने की सोचता है किन्तु यहोवा का उद्देश्य पूरा होता है।
22 लोग चाहते हैं व्यक्ति विश्वास योग्य और सच्चा हो,
इसलिए गरीबी में विश्वासयोग्य बनकर रहना अच्छा है।
ऐसा व्यक्ति बनने से जिस पर कोई विश्वास न करे।
समीक्षा
पैसा सब कुछ नहीं है
नीतिवचन की पुस्तक में धन और गरीबी के विषय में एक उल्लेखनीय संतुलित समझ है। दोनों ही ना तो पूरी तरह से अच्छे या पूरी तरह से बुरे देखे जाते हैं। उन्हें जीवन की व्यापक बुनावट के रूप में समझा जाता है, और हमें उत्साहित किया गया है कि जो हमारे पास है उसका इस्तेमाल बुद्धिमानी से करें।
“घर और धन पुरखाओं के भाग से, परंतु बुद्धिमान पत्नी यहोवा ही से मिलती है” (व.14)। घर और धन के विषय में कुछ भी गलत नहीं है; लेकिन जीवन में इससे भी महत्वपूर्ण चीजें हैं। सही जीवन साथी को पाना, बहुत सारा पैसा होने से अधिक महत्वपूर्ण है।
जो पैसे की खोज में या किसी दूसरे लक्ष्य के लिए अत्यधिक कठिन परिश्रम करते हैं, उनके लिए यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि परमेश्वर सार्वभौमिक हैं:”मनुष्य के मन में बहुत सी कल्पनाएँ होती हैं, परंतु जो युक्ति यहोवा करते हैं वही स्थिर रहती है” (व.21)। “सब्त विश्राम करना” और छुट्टी लेना एक चिह्न है कि हम परमेश्वर की सार्वभौमिकता पर भरोसा करते हैं।
धन जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज नहीं है; नाही गरीबी सबसे बदतर चीज है जो हमारे साथ हो सकती हैः”मनुष्य कृपा करने के अनुसार चाहने योग्य होता है, और निर्धन जन झूठ बोलने वाले से उत्तम है” (व.22)। हमें धन से कही अधिक प्रेम की आवश्यकता है। चरित्र की विश्वसनीयता पैसे से कही अधिक महत्वपूर्ण है।
दूसरी ओर, यह लेखांश गरीबी को एक गुण के रूप में नही दर्शाता है। कभी कभी गरीबी खुद से लायी हुई होती हैः”आलस से भारी नींद आ जाती है, और जो प्राणी ढ़िलाई से काम करता, वह भूखा ही रहता है” (व.15)।
एक व्यक्ति की गरीबी का कारण चाहे जो हो, हमें गरीबों के प्रति दयालु होना चाहिएः”जो कंगाल पर अनुग्रह करता है, वह यहोवा को उधार देता है, और वह अपने इस काम का प्रतिफल पाएगा” (व.17)।
यह एक असाधारण और अद्भुत वायदा है। परमेश्वर एक व्यक्ति का उधार नहीं रखते हैं। जब कभी आप एक गरीब के लिए कुछ दया दिखाने वाला काम करते हैं, तब आप परमेश्वर को उधार देते हैं और वह ब्याज के साथ वापस देते हैं। अक्सर हम उन लोगों के जीवन में अद्भुत आशीष को देखते हैं जो गरीब, बेघर और कैदियों के साथ सेवकाई करते हुए अपना समय बिताते हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर, मैं अपने धन और मेरे भविष्य के साथ आप पर भरोसा करता हूँ। मेरी सहायता कीजिए कि सभी के प्रति उदारता का एक जीवन जीऊं – विशेष रूप से गरीब के प्रति।
1 कुरिन्थियों 4:1-21
मसीह के संदेशवाहक
4हमारे बारे में किसी व्यक्ति को इस प्रकार सोचना चाहिये कि हम लोग मसीह के सेवक हैं। परमेश्वर ने हमें और रहस्यपूर्ण सत्य सौंपे हैं। 2 और फिर जिन्हें ये रहस्य सौंपे हैं, उन पर यह दायित्व भी है कि वे विश्वास योग्य हों। 3 मुझे इसकी तनिक भी चिंता नहीं है कि तुम लोग मेरा न्याय करो या मनुष्यों की कोई और अदालत। मैं स्वयं भी अपना न्याय नहीं करता। 4 क्योंकि मेरा मन स्वच्छ है। किन्तु इसी कारण मैं छूट नहीं जाता। प्रभु तो एक ही है जो न्याय करता है। 5 इसलिए ठीक समय आने से पहले अर्थात् जब तक प्रभु न आ जाये, तब तक किसी भी बात का न्याय मत करो। वही अन्धेरे में छिपी बातों को उजागर करेगा और मन की प्रेरणा को प्रकट करेगा। उस समय परमेश्वर की ओर से हर किसी की उपयुक्त प्रशंसा होगी।
6 हे भाईयों, मैंने इन बातों को अपुल्लोस पर और स्वयं अपने पर तुम लोगों के लिये ही चरितार्थ किया है ताकि तुम हमारा उदाहरण देखते हुए उन बातों को न उलाँघ जाओ जो शास्त्र में लिखी हैं। ताकि एक व्यक्ति का पक्ष लेते हुए और दूसरे का विरोध करते हुए अहंकार में न भर जाओ। 7 कौन कहता है कि तू किसी दूसरे से अधिक अच्छा है। तेरे पास अपना ऐसा क्या है? जो तुझे दिया नहीं गया है? और जब तुझे सब कुछ किसी के द्वारा दिया गया है तो फिर इस रूप में अभिमान किस बात का कि जैसे तूने किसी से कुछ पाया ही न हो।
8 तुम लोग सोचते हो कि जिस किसी वस्तु की तुम्हें आवश्यकता थी, अब वह सब कुछ तुम्हारे पास है। तुम सोचते हो अब तुम सम्पन्न हो गए हो। तुम हमारे बिना ही राजा बन बैठे हो। कितना अच्छा होता कि तुम सचमुच राजा होते ताकि तुम्हारे साथ हम भी राज्य करते। 9 क्योंकि मेरा विचार है कि परमेश्वर ने हम प्रेरितों को कर्म-क्षेत्र में उन लोगों के समान सबसे अंत में स्थान दिया है जिन्हें मृत्यु-दण्ड दिया जा चुका है। क्योंकि हम समूचे संसार, स्वर्गदूतों और लोगों के सामने तमाशा बने हैं। 10 हम मसीह के लिये मूर्ख बने हैं किन्तु तुम लोग मसीह में बहुत बुद्धिमान हो। हम दुर्बल हैं किन्तु तुम तो बहुत सबल हो। तुम सम्मानित हो और हम अपमानित। 11 इस घड़ी तक हम तो भूखे-प्यासे हैं। फटे-पुराने चिथड़े पहने हैं। हमारे साथ बुरा व्यवहार किया जाता है। हम बेघर हैं। 12 अपने हाथों से काम करते हुए हम मेहनत मज़दूरी करते हैं। 13 गाली खा कर भी हम आशीर्वाद देते हैं। सताये जाने पर हम उसे सहते हैं। जब हमारी बदनामी हो जाती है, हम तब भी मीठा बोलते हैं। हम अभी भी जैसे इस दुनिया का मल-फेन और कूड़ा कचरा बने हुए हैं।
14 तुम्हें लज्जित करने के लिये मैं यह नहीं लिख रहा हूँ। बल्कि अपने प्रिय बच्चों के रूप में तुम्हें चेतावनी दे रहा हूँ। 15 क्योंकि चाहे तुम्हारे पास मसीह में तुम्हारे दसियों हजार संरक्षक मौजूद हैं, किन्तु तुम्हारे पिता तो अनेक नहीं हैं। क्योंकि सुसमाचार द्वारा मसीह यीशु में मैं तुम्हारा पिता बना हूँ। 16 इसलिए तुमसे मेरा आग्रह है, मेरा अनुकरण करो। 17 मैंने इसीलिए तिमुथियुस को तुम्हारे पास भेजा है। वह प्रभु में स्थित मेरा प्रिय एवम् विश्वास करने योग्य पुत्र है। यीशु मसीह में मेरे आचरणों की वह तुम्हें याद दिलायेगा। जिनका मैंने हर कहीं, हर कलीसिया में उपदेश दिया है।
18 कुछ लोग अंधकार में इस प्रकार फूल उठे हैं जैसे अब मुझे तुम्हारे पास कभी आना ही न हो। 19 अस्तु यदि परमेश्वर ने चाहा तो शीघ्र ही मैं तुम्हारे पास आऊँगा और फिर अहंकार में फूले उन लोगों की मात्र वाचालता को नहीं बल्कि उनकी शक्ति को देख लूँगा। 20 क्योंकि परमेश्वर का राज्य वाचालता पर नहीं, शक्ति पर टिका है। 21 तुम क्या चाहते हो: हाथ में छड़ी थामे मैं तुम्हारे पास आऊँ या कि प्रेम और कोमल आत्मा साथ में लाऊँ?
समीक्षा
प्रेरितों की गरीबी
बाहरी ओर से, लोग धनी, सम्मानित और मजबूत थे; लेकिन कुरिंथ में चर्च एक परेशानी में था। पौलुस बताते हैं कि वे अक्खड़, घमंडी और ईर्ष्यालु थे। वे व्यभिचार करते, और एक दूसरे के विरोध में न्यायालय में जाते थे।
पौलुस इनमें से कुछ मामलें से निबटना शुरु करते हैं। पौलुस एक प्रेरित हैं। वह उनके जीवन में अमीर के अक्खड़पन को देखते हैं। वे अपनी भौतिक संपत्ति पर अभिमान करते हैं। पौलुस अति संक्षेप में समझाते हैं कि क्यों किसी के पास घमंड करने का कोई कारण नहीं हैः”तेरे पास क्या है जो तू ने (दूसरे से) नहीं पाया? और जब कि तू ने (दूसरे से) पाया है, तो ऐसा घमण्ड क्यों करता है कि मानो नहीं पाया? तुम तो तृप्त हो चुके, तुम धनी हो चुके, तुम ने हमारे बिना राज्य किया; परन्तु भला होता कि तुम राज्य करते कि हम भी तुम्हारे साथ राज्य करते” (वव.7ब-8, एम.एस.जी)।
वे राजाओं की तरह अमीर हैं:” तुम तो तृप्त हो चुके, तुम धनी हो चुके, तुम ने हमारे बिना राज्य किया” (व.8अ)। यहाँ पर कटाक्ष का एक संकेत है। वे वास्तव में शासक नहीं,” परन्तु भला होता कि तुम राज्य करते कि हम भी तुम्हारे साथ राज्य करते” (व.8ब)।
वह उनकी भौतिक संपत्ति और प्रेरितों की गरीबी में अंतर स्पष्ट करते हैं। “ हम इस घड़ी तक भूखे प्यासे और नंगे हैं, और घूसे खाते हैं और मारे मारे फिरते हैं; और अपने ही हाथों से काम करके परिश्रम करते हैं।” (वव.11-12, एम.एस.जी)।
पौलुस एक अत्यधिक प्रभावी मसीह थे। उनकी सेवकाई सबसे “सफल” सेवकाई थी। किंतु, इससे भौतिक समृद्धि प्राप्त नहीं हुई। इसके विपरीत। वह भौतिक रूप से गरीब थे। उनके पास पर्याप्त भोजन नहीं था। उनके पास अच्छे कपड़े नहीं थे। वह बेघर थे।
उनकी गरीबी आलस की वजह से नहीं थीः”हम अपने हाथों से कठिन परिश्रम करते हैं” (व.12अ)। लेकिन, आज बहुत से गरीबों की तरह, उनकी निंदा की जाती थी। उनके प्रति दयालु बर्ताव नहीं किया गयाः”लोग हमें बुरा कहते हैं, हम आशीष देते हैं; वे सताते हैं, हम सहते हैं। वे बदनाम करते हैं, हम विनती करते हैं। हम आज तक जगत का कूड़ा और सब वस्तुओं की खुरचन के समान ठहरे हैं” (वव.12ब-13)।
पौलुस बड़े प्रेम से लिखते हैं – उन्हें लज्जित करने के लिए नहीं लेकिन उन्हें चिताने के लिए। वह उन्हें उस तरह से देखते हैं जैसे एक पिता अपने बच्चों को देखता है (वव.14-15):”मैं तुम्हें लज्जित करने के लिये ये बातें नहीं लिखता, परन्तु अपने प्रिय बालक जानकर तुम्हें चिताता हूँ। 15 क्योंकि यदि मसीह में तुम्हारे सिखाने वाले दस हजार भी होते, तब भी तुम्हारे पिता बहुत से नहीं; इसलिये कि मसीह यीशु में सुसमाचार के द्वारा मैं तुम्हारा पिता हुआ”।
पौलुस का पिता के जैसा हृदय था। जैसा कि पिता का हृदय कोमल, दयालु, देखभाल करने वाला, सिखाने वाला, सुरक्षित रखने वाला और कभी लोगों पर हार नहीं मानता था। एक पास्टर का ऐसा ही व्यवहार होना चाहिए। सभी मानवीय माता-पिता सिद्ध नहीं हैं। लेकिन आपके सिद्ध स्वर्गीय पिता आपसे प्रेम करते और आपकी देखभाल करते हैं और अपने स्वर्गीय नमूने के आधार पर दूसरों के लिए एक माता-पिता बनने का प्रयास कर सकते हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि यीशु से मैंने इतना कुछ ग्रहण किया है, जो यह विश्व नहीं दे सकता है। होने दीजिए कि मै “मसीह के लिए” एक मूर्ख बनने के लिए तैयार रहूँ (व.10)। मेरी सहायता कीजिए कि पौलुस के उदाहरण पर चलूँ।
1 इतिहास 26:20-27:34
कोषाध्याक्ष और अन्य अधिकारी
20 आहिय्याह लेवी के परिवार समूह से था। अहिय्याह परमेश्वर के मन्दिर की मूल्यावान चीजों की देखभाल का उत्तरदायी था। अहिय्याह उन स्थानों की रक्षा के लिये भी उत्तरदायी था जहाँ पवित्र वस्तुएँ रखी जाती थीं।
21 लादान गेर्शोन परिवार से था। यहोएल लादान परिवार समूह के प्रमुखों में से एक था। 22 यहोएला के पुत्र जेताम और जेताम का भाई योएल थे। वे यहोवा के मन्दिर में बहुमूल्य चीज़ों के लिये उत्तरदायी थे।
23 अन्य प्रमुख अम्राम, यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल के परिवार समूह से चुने गए थे।
24 शबूएल यहोवा के मन्दिर में मूल्यवान चीजों की रक्षा का उत्तरदायी प्रमुख था। शबूएल गेर्शेम का पुत्र था। गेर्शेम मूसा का पुत्र था। 25 ये शबूएल के सम्बन्धी थेः एलीआजर से उसके सम्बन्धी थेः एलीआजर का पुत्र रहब्याह, रहब्याह का पुत्र यशायाह, यशायाह का पुत्र योराम, योराम का पुत्र जिक्री और जिक्री का पुत्र शलोमोत। 26 शलोमोत और उसके सम्बन्धी उन सब चीज़ों के लिये उत्तरदायी थे जिसे दाऊद ने मन्दिर के लिये इकट्ठा किया था।
सेना के अधिकारियों ने भी मन्दिर के लिये चीजें दीं। 27 उन्होंने युद्धों में ली गयी चीजों में से कुछ चीजें दीं। उन्होंने यहोवा के मन्दिर को बनाने के लिये वे चीजें दीं। 28 शलोमोत और उसके सम्बन्धी दृष्टा शमूएल, कीश के पुत्र शाऊल, नेर के पुत्र अब्नेर सरूयाह के पुत्र योआब द्वारा दी गई पवित्र वस्तुओं की भी रक्षा करते थे। शलोमोत और उसके सम्बन्धी लोगों द्वारा, यहोवा को दी गई सभी पवित्र चीज़ों की रक्षा करते थे।
29 कनन्याह यिसहार परिवार का था। कनन्याह और उसके पुत्र मन्दिर के बाहर का काम करते थे। वे इस्राएल के विभिन्न स्थानों पर सिपाही और न्यायाधीश का कार्य करते थे। 30 हशव्याह हेब्रोन परिवार से था। हशव्याह और उसके सम्बन्धी यरदन नदी के पश्चिम में इस्राएल के राजा दाऊद के कामों और यहोवा के सभी कामों के लिये उत्तरदायी थे। हशव्याह के समूह में एक हजार सात सौ शक्तिशाली व्यक्ति थे। 31 हेब्रोन का परिवार समूह इस बात पर प्रकाश डालता है कि यरिय्याह उनका प्रमुख था। जब दाऊद चालीस वर्ष तक राजा रह चुका, तो उसने अपने लोगों को परिवार के इतिहासों से शक्तिशाली और कुशल व्यक्तियों की खोज का आदेश दिया। उनमें से कुछ हेब्रोन परिवार में मिले जो गिलाद के याजेर नगर में रहते थे। 32 यरिय्याह के पास दो हजार सात सौ सम्बन्धी थे जो शक्तिशाली लोग थे और परिवारों के प्रमुख थे। दाऊद ने उन दो हजार सात सौ सम्बन्धियों को रूबेन, गाद और आधे मनश्शे के परिवार के संचालन और यहोवा एवं राजा के कार्य का उत्तरदायित्व सौंपा।
सेना के समूह
27यह उन इस्राएली लोगों की सूची है जो राजा की सेना में सेवा करते थे। हर एक समूह हर वर्ष एक महीने अपने काम पर रहता था। उसमें परिवारों के शासक, नायक, सेनाध्यक्ष और सिपाही लोग थे जो राजा की सेवा करते थे। हर एक सेना के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।
2 याशोबाम पहले महीने के पहले समूह का अधीक्षक था। याशोबाम जब्दीएल का पुत्र था। याशोबाम के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे। 3 याशोबाम पेरेस के वंशजों में से एक था। याशोबाम पहले महीने के लिये सभी सैनिक अधिकारियों का प्रमुख था।
4 दोदै दूसरे महीने के लिये सेना समूह का अधीक्षक था। वह अहोही से था। दोदै के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।
5 तीसरा सेनापति बनायाह था। बनायाह तीसरे महीने का सेनापति था। बनायाह यहोयादा का पुत्र था। यहोयादा प्रमुख याजक था। बनायाह के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे। 6 यह वही बनायाह था जो तीस वीरों में से एक वीर सैनिक था। बनायाह उन व्यक्तियों का संचालन करता था। बनायाह का पुत्र अम्मीजाबाद बनायाह के समूह का अधीक्षक था।
7 चौथा सेनापति असाहेल था। असाहेल चौथे महीने का सेनापति था। असाहेल योआब का भाई था। बाद में, असाहेल के पुत्र जबद्याह ने उसका स्थान सेनापति के रूप में लिया। आसाहेल के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।
8 पाँचवाँ सेनापति शम्हूत था, शम्हूत पाँचवें महीने का सेनापति था। शम्हूत यिज्राही के परिवार से था। शम्हूत के समूह में चौबीस हजार व्यक्ति थे।
9 छठा सेनापति ईरा था। ईरा छठे महीने का सेनापति था। ईरा इक्केश का पुत्र था। इक्केश तकोई नगर से था। ईरा के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।
10 सातवाँ सेनापति हेलेस था। हेलेस सातवें महीने का सेनापति था।वह पेलोनी लोगों से था और एप्रैम का वंशज था। हेलेस के समुह में चौबीस हजार पुरुष थे।
11 सिब्बकै आठवाँ सेनापति था। सिब्बकै आठवें महीने का सेनापति था। सिब्बकै हूश से था। सिब्बकै जेरह परिवार का था। सिब्बकै के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।
12 नवाँ सेनापति अबीएजेर था। अबीएजेर नवें महीने का सेनापति था। अबीएजेर अनातोत नगर से था। अबीएजेर बिन्यामीन के परिवार समूह का था। अबीएजेर के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे। 13 दसवाँ सेनापति महरै था। महरै दसवें महीने का सेनापति था। महरै नतोप से था। वह जेरह परिवार का था। महरै के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।
14 ग्यारहवाँ सेनापति बनायाह था। बनायाह ग्यारहवें महीने का सेनापति था। बनायाह पिरातोन से था। बनायाह एप्रैम के परिवार समूह का था। बनायाह के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे। 15 बारहवाँ सेनापति हेल्दै था। हेल्दै बारहवें महीने का सेनापति था। हेल्दै, नतोपा, नतोप से था। हेल्दै ओत्नीएल के परिवार का था। हल्दै के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।
परिवार समूह के प्रमुख
16 इस्राएल के परिवार समूहों के प्रमुख ये थेः
रूबेनः जिक्री का पुत्र एलीआजर।
शिमोनः माका का पुत्र शपत्याह।
17 लेवीः शमूएल का पुत्र हशव्याह।
हारूनः सादोक।
18 यहूदाः एलीहू(एलीहू दाऊद के भाईयों में से एक था।)
इस्साकारः मीकाएल का पुत्र ओम्नी।
19 जबूलूनः ओबद्याह का पुत्र यिशमायाह,
नप्तालीः अज्रीएल का पुत्र यरीमोत।
20 एप्रैमः अज्जयाह का पुत्र होशे। पश्चिमी
मनश्शेः फ़ादायाह का पुत्र योएल।
21 पूर्वी मनश्शेः जकर्याह का पुत्र इद्दो।
बिन्यामीनः अब्नेर का पुत्र यासीएल।
22 दानः यारोहाम का पुत्र अजरेल।
वे इस्राएल के परिवार समूह के प्रमुख थे।
दाऊद इस्राएलियों की गणना करता है
23 दाऊद ने इस्राएल के लोगों की गणना का निश्चय किया। वहाँ बहुत अधिक लोग थे क्योंकि परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को आसमान के तारों के बराबर बनाने की प्रतिज्ञा की थी। अतः दाऊद ने बीस वर्ष और उससे ऊपर के पुरुषों की गणना की। 24 सरूयाह के पुत्र योआब ने लोगों को गिनना आरम्भ किया। किन्तु उसने गणना को पूरा नहीं किया। परमेश्वर इस्राएल के लोगों पर क्रोधित हो गया। यही कारण है कि लोगों की संख्या राजा दाऊद के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखी गई।
राजा के प्रशासक
25 यह उन व्यक्तियों की सूची है जो राजा की सम्पत्ति के लिये उत्तरदायी थेः
अदीएल का पुत्र अजमावेत राजा के भण्डारों का अधीक्षक था।
उज्जीय्याह का पुत्र यहोनातान छोटे नगरों के भण्डारों, गाँव, खेतों और मीनारों का अधीक्षक था।
26 कलूब का पुत्र एज्री कृषि—मजदूरों का अधीक्षक था।
27 शिमी अंगूर के खेतों का अधीक्षक था। शिमी रामा नगर का था।
जब्दी अंगूर के खेतों से आने वाली दाखमधु की देखभाल और भंडारण करने का अधीक्षक था। जब्दी शापाम का था।
28 बाल्हानान पश्चिमी पहाड़ी प्रदेश में जैदून और देवदार वृक्षों का अधीक्षक था।
बाल्हानान गदेर का था। योआश जैतून के तेल के भंडारण का अधीक्षक था।
29 शित्रै शारोन क्षेत्र में पशूओं का अधीक्षक था। शित्रै शारोन क्षेत्र का था।
अदलै का पुत्र शापात घाटियों में पशुओं का अधीक्षक था।
30 ओबील ऊँटों का अधीक्षक था। ओबील इश्माएली था।
येहदयाह गधों का अधीक्षक था। येहदयाह एक मेरोनोतवासी था।
31 याजीज भेड़ों का अधीक्षक था। याजीज हग्री लोगों में से था।
ये सभी व्यक्ति वे प्रमुख थे जो दाऊद की सम्पत्ति की देखभाल करते थे।
32 योनातान एक बुद्धिमान सलाहकार और शास्त्री था। योनातान दाऊद का चाचा था। हक्मोन का पुत्र एहीएल राजा के पुत्रों की देखभाल करता था। 33 अहीतोपेल राजा का सलाहकार था। हुशै राजा का मित्र था। हुशै एरेकी लोगों में से था। 34 बाद में यहोयादा और एब्यातार ने राजा के सलाहकार के रूप में अहीतोपेल का स्थान लिया। यहोयादा बनायाह का पुत्र था। योआब राजा की सेना का सेनापति था।
समीक्षा
राजाओं का धन
जब पौलुस ने लिखा,” तुम तो तृप्त हो चुके, तुम धनी हो चुके, तुम ने हमारे बिना राज्य किया” (1कुरिंथियो 4:8), शायद से उनके दिमाग में दाऊद राजा की तरह राजा थे।
दाऊद धनी थे। उनके पास महान “खजाना” था (1इतिहास 26:22), उनके पास “राजसी भंडार” था (27:25), उनके पास “दाख की बारी,” “दाखमधु” था (व.27),”तेल और गूलर के वृक्ष” (व.28),”तेल के भंडार” (व.28ब),”गाय-बैल” (व.29),”ऊँट” और “गदहे” (व.30ब),”भेड़-बकरियाँ” (व.31)।
धन “सांसारिक” नहीं है। उदाहरण के लिए, परमेश्वर की आराधना सामान्य रूप से भवन में होती है। भवन में पैसा लगता है। चर्च के धन संबंधी पहलू को चलाना एक महत्वपूर्ण भूमिका है। “फिर लेवियों में से परमेश्वर के भवन और पवित्र की हुई वस्तुओं, दोनों के भंडारों का अधिकारी नियुक्त हुआ” (26:20,22, एम.एस.जी.)। शबूएल “खजानों का मुख्य अधिकारी था” (व.24, एम.एस.जी)।
अक्सर पुराने नियम में भौतिक संपत्ति को परमेश्वर की आशीष के एक चिह्न के रूप में देखा गया। आज भी यह सच है कि भक्तिमय चरित्र – कठिन परिश्रम, निर्भरता, विश्वसनीयता और ईमानदारी – ऐसी विशेषताएँ हैं जो अक्सर सफलता और भौतिक समृद्धि ला सकती हैं। किंतु, जैसा कि हमने आज के लिए लेखांश के नये नियम में देखा, यह पूर्ण चित्र नहीं है।
सालों से मैं बहुत से अमीर मसीहों से मिला हूँ। उनमें से कुछ भक्तिमय और बहुत ही कटिबद्ध विश्वासी हैं, जिन्हें मैं जानता हूँ। उनकी अमीरी आवश्यक रूप से परमेश्वर की आशीष का एक चिह्न नहीं है – और नाही वे कुछ बुरे हैं। मुख्य बात यह है कि आप कैसे अपने पैसे को देखते हैं, और आप इसके साथ क्या करते हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर, हमारी सहायता कीजिए कि हमारी शिक्षा में और हमारी जीवनशैली में सही संतुलन बनाये। होने दीजिए कि हम कभी भी उन लोगों पर दोष न लगाये, जिन्हें आपने भौतिक समृद्धि से आशीषित किया है। हम उदार बने और मुक्त रूप से दान दें और भूखे और प्यासे रहने के लिए तैयार रहे, चिथड़ो और बेघर होकर भी यदि आवश्यकता पड़े, ताकि आपकी सेवा कर सकें।
पिप्पा भी कहते है
नीतिवचन 19:13ब
“पत्नी के झगड़े रगड़े सदा टपकने के समान हैं।”
मेरे परिवार के द्वारा की गई किसी गलती को बताने से पहले, मैं इस वचन के बारे में सोचती हूँ। मैं नहीं चाहती कि मुझ पर टपकने वाली बूँद जैसा आरोप लगाया जाये।
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।