परमेश्वर के लाभ का पेकैज
परिचय
हाँल ही में मैंने अपनी प्रार्थना डायरी को फिर से पाया, जिसमें मैंने प्रार्थनाओं के उत्तर के प्रति अपने आरंभिक अनुभव को लिखा था।
26 सितंबर 1976 को, मैंने अपनी माँ के लिए एक प्रार्थना के विषय में लिखा थाः 'परमेश्वर से प्रार्थना की कि उनको अनिद्र रोग से उन्हें चंगा करे।' (मैंने उन्हें नहीं बताया कि मैं उनके लिए प्रार्थना कर रहा था।) ठीक तीन महीनों बाद, 26 दिसंबर 1976 को, मैंने लिखा कि, 'वह पिछले चार सालो की तुलना में पिछले कुछ सप्ताह से बेहतर सो रही है और अब इसमें परेशानी नहीं है।'
निश्चित ही, प्रार्थना के उत्तर के आधार पर मसीहत को साबित करना संभव बात नहीं है, क्योंकि दोषदर्शी हमेशा उनका स्पष्टीकरण संयोग के रूप में करेंगे। लेकिन जैसा कि कँटरबरी विलियम टेंपल के पूर्वी प्रधानबिशप ने कहा, 'जब मैं प्रार्थना करता हूँ तब संयोग होता है, जब मैं नहीं करता, तब नहीं होता है।' प्रार्थनाओं के उत्तर का बढ़ता प्रभाव परमेश्वर में हमारे विश्वास को मजबूत बनाता है।
पिछले बीस सालों से, आज के लिये नये नियम के लेखांश से मैंने आने वाले वर्षों के लिए मेरी प्रार्थनाएँ लिखी हैं। यह अद्भुत है कि पीछे भूतकाल में सोचूं और याद करुँ कि कैसे परमेश्वर ने इनमें से बहुत सी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया है। प्रार्थना के सभी उत्तरों को भूलना मुझे आसान लगता है। आशीषों को भूलना बहुत आसान बात है।
आज की भजनसंहिता में दाऊद अपने आपको याद दिलाते हैं कि 'उनके सभी लाभों को न भूलें' (भजनसंहिता 103:2)। बहुत से लोग उन 'लाभों' के प्रति सचेता हैं जिन्हें वे अपने काम के द्वारा ग्रहण कर सकते हैं या राज्य से। लेकिन उन 'लाभों' के विषय में क्या जो हम अपने प्रेमी स्वर्गीय पिता से ग्रहण करते हैं?
भजन संहिता 103:1-12
दाऊद का एक गीत।
103हे मेरी आत्मा, तू यहोवा के गुण गा!
हे मेरी अंग—प्रत्यंग, उसके पवित्र नाम की प्रशंसा कर।
2 हे मेरी आत्मा, यहोवा को धन्य कह
और मत भूल की वह सचमुच कृपालु है!
3 उन सब पापों के लिये परमेश्वर हमको क्षमा करता है जिनको हम करते हैं।
हमारी सब व्याधि को वह ठीक करता है।
4 परमेश्वर हमारे प्राण को कब्र से बचाता है,
और वह हमे प्रेम और करुणा देता है।
5 परमेश्वर हमें भरपूर उत्तम वस्तुएँ देता है।
वह हमें फिर उकाब सा युवा करता है।
6 यहोवा खरा है।
परमेश्वर उन लोगों को न्याय देता है, जिन पर दूसरे लोगों ने अत्याचार किये।
7 परमेश्वर ने मूसा को व्यवस्था का विधान सिखाया।
परमेश्वर जो शक्तिशाली काम करता है, वह इस्राएलियों के लिये प्रकट किये।
8 यहोवा करुणापूर्ण और दयालु है।
परमेश्वर सहनशील और प्रेम से भरा है।
9 यहोवा सदैव ही आलोचना नहीं करता।
यहोवा हम पर सदा को कुपित नहीं रहता है।
10 हम ने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किये,
किन्तु परमेश्वर हमें दण्ड नहीं देता जो हमें मिलना चाहिए।
11 अपने भक्तों पर परमेश्वर का प्रेम वैसे महान है
जैसे धरती पर है ऊँचा उठा आकाश।
12 परमेश्वर ने हमारे पापों को हमसे इतनी ही दूर हटाया
जितनी पूरब कि दूरी पश्चिम से है।
समीक्षा
परमेश्वर के सभी लाभों के लिए उन्हें याद रखिये और उनका धन्यवाद दीजिए
परमेश्वर की स्तुति करने के लिए बहुत कुछ है। दाऊद अपने आपसे बातें करते हैं और अपने आपको चिताते हैं:'हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे! हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना' (वव.1-2, एम.एस.जी)।
स्पष्ट रूप से दाऊद ने अपने जीवन में बहुत सी परेशानियों का सामना किया थाः पाप, रोग और 'गड्ढा' (वव.3-4)। फिर भी, वह पौलुस प्रेरित की तरह (2कुरिंथियो 1:3), परमेश्वर के कुछ लाभों के लिए स्तुति करते हैं।
- क्षमा
परमेश्वर आपके सभी पापों को क्षमा करते हैं (भजनसंहिता 103:3): ' उन्होंने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया, और न हमारे बुरे कामों के अनुसार हम को बदला दिया है' (व.10); ' उदयाजल अस्ताचल से जितनी दूर है, उन्होंने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है' (व.12)।
- चंगाई
परमेश्वर 'आपके सभी रोगों को चंगा करते हैं'। एक दिन हम पूरी तरह से चंगे होंगे। हम अभी इसका चिह्न देखते हैं, जब परमेश्वर हमें सीधे और दैवीय रूप से चंगा करते हैं। इसके अतिरिक्त, परमेश्वर ने हमारे शरीर में प्रतिरक्षित क्षमता, रोगों से लड़ने की क्षमता और सुधार प्रक्रिया रखी है।
- छुटकारा
'गड्ढे में से परमेश्वर आपके जीवन को बाहर निकालते हैं' (व.4अ)। कोई गड्ढा इतना गहरा नहीं कि परमेश्वर का छुटकारा वहाँ तक पहुँच नहीं सकता।
- प्रेम
वह 'आपको प्रेम और करुणा का मुकुट पहनाते हैं' (व.4ब): ' जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर उँचा है, वैसे ही उनकी करुणा उनके डरवैयों के ऊपर प्रबल है' (व.11)।
- संतुष्टि
'अच्छी चीजों से वह आपकी इच्छा को पूरा करते हैं' (व.5अ)।
प्रार्थना
परमेश्वर मैं आपकी स्तुति करता हूँ आपके सभी लाभों के लिएः आपकी क्षमा और चंगाई के लिए, मुझे छुड़ाने के लिए, प्रेम और करुणा का मुझे मुकुट पहनाने के लिए और अच्छी वस्तुओं से मुझे तृप्त करने के लिए।
2 कुरिन्थियों 1:1-11
1परमेश्वर की इच्छा से मसीह यीशु के प्रेरित पौलुस तथा हमारे भाई तिमुथियुस की ओर से कुरिन्थुस परमेश्वर की कलीसिया तथा अखाया के समूचे क्षेत्र के पवित्र जनों के नाम:
2 हमारे परमपिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शांति मिले।
पौलुस का परमेश्वर को धन्यवाद
3 हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमपिता परमेश्वर धन्य है। वह करुणा का स्वामी है और आनन्द का स्रोत है। 4 हमारी हर विपत्ति में वह हमें शांति देता है ताकि हम भी हर प्रकार की विपत्ति में पड़े लोगों को वैसे ही शांति दे सकें, जैसे परमेश्वर ने हमें दी है। 5 क्योंकि जैसे मसीह की यातनाओं में हम सहभागी हैं, वैसे ही मसीह के द्वारा हमारा आनन्द भी तुम्हारे लिये उमड़ रहा है। 6 यदि हम कष्ट उठाते हैं तो वह तुम्हारे आनन्द और उद्धार के लिए है। यदि हम आनन्दित हैं तो वह तुम्हारे आनन्द के लिये है। यह आनन्द उन्हीं यातनाओं को जिन्हें हम भी सह रहे हैं तुम्हें धीरज के साथ सहने को प्रेरित करता है। 7 तुम्हारे बिषय में हमें पूरी आशा है क्योंकि हम जानते हैं कि जैसे हमारे कष्टों को तुम बाँटते हो, वैसे ही हमारे आनन्द में भी तुम्हारा भाग है।
8 हे भाइयो, हम यह चाहते हैं कि तुम उन यातनाओं के बारे में जानो जो हमें एशिया में झेलनी पड़ी थीं। वहाँ हम, हमारी सहनशक्ति की सीमा से कहीं अधिक बोझ के तले दब गये थे। यहाँ तक कि हमें जीने तक की कोई आशा नहीं रह गयी थी। 9 हाँ अपने-अपने मन में हमें ऐसा लगता था जैसे हमें मृत्युदण्ड दिया जा चुका है ताकि हम अपने आप पर और अधिक भरोसा न रख कर उस परमेश्वर पर भरोसा करें जो मरे हुए को भी फिर से जिला देता है। 10 हमें उस भयानक मृत्यु से उसी ने बचाया और हमारी वर्तमान परिस्थितियों में भी वही हमें बचाता रहेगा। हमारी आशा उसी पर टिकी है। वही हमें आगे भी बचाएगा। 11 यदि तुम भी हमारी ओर से प्रार्थना करके सहयोग दोगे तो हमें बहुत से लोगों की प्रार्थनाओं द्वारा परमेश्वर का जो अनुग्रह मिला है, उसके लिये बहुत से लोगों को हमारी ओर से धन्यवाद देने का कारण मिल जायेगा।
समीक्षा
कष्ट के बीच में भी उनके लाभों को देखिये
क्या आपने नुकसान या शोक से कष्ट उठाया है? क्या आप स्वास्थ संबंधी परेशानी का सामना कर रहे हैं? क्या आप अपने धन में या अपने जीवन के किसी दूसरे क्षेत्र में बहुत अधिक दबाव में हैं? क्या आपका विरोध या आपकी निंदा हो रही है? क्या आप कठिन, निराशा या कठिनाई के समय से गुजर रहे हैं?
पौलुस कुरिंथियो चर्च को स्थापित करने वाले पास्टर थे। उनके अत्यधिक व्यक्तिगत पत्र में, वह एक लीडर के हृदय को प्रकट करते हैं। वह अपनी भावनाओं को प्रकट करते हैं मांस और लहू के एक मनुष्य के रूप में, जो जानता है कि परेशानी से गुजरने का क्या अर्थ है (व.4), कष्ट (वव.5-8), उदासी (व.6), कठिनाई (व.8) और दबाव (व.8) –जिस शब्द का इस्तेमाल पौलुस ने किया है उसका अर्थ है बहुत वजन के कारण नीचे धकेल दिया जाना।
वह उदासी में थे (व.8), उन्होंने 'मृत्युदंड' को महसूस किया था (व.9), उसने 'मृत्यु के संकट' का सामना किया (व.10)। भौतिक सताव के साथ-साथ, उसने निंदा, मजाक उड़ाया जाना, बीमारी, उदासी, शोक, अन्याय, निराशा, प्रलोभन और कठिन व्यक्तिगत संबंधो का सामना किया।
सर विंसन चर्चिल ने कहा, 'निराशावादी हर अवसर में कठिनाई देखता है; आशावादी हर कठिनाई में अवसर देखती है।' इस परिभाषा के अनुसार पौलुस निश्चित ही एक आशावादी व्यक्ति थे!
वह स्तुती के साथ पत्र की शुरुवात करते हैं – परेशानियों के लिए नहीं बल्कि सकारात्मक लाभों के लिए जो उनके द्वारा आयी थी। ये लाभ क्या है? आप और मैं कैसे हर अवसर में लाभों को देख सकते हैं?
- आप शांति पायेंगे
'शांति के परमेश्वर, जो हमारी सारी परेशानी में हमें शांति देते हैं' (वव.3-4)। शांति के लिए शब्द का अर्थ है उत्साहित, प्रोत्साहित करना और साथ साथ चलना। परमेश्वर 'करुणा के पिता' हैं (व.3)। वह कष्ट से दूर नहीं हैं। वह हमारे साथ साथ जाते हैं और हमारे साथ कष्ट उठाते हैं। उनकी पवित्र आत्मा 'शांतिदाता' है (यूहन्ना 14:26, ए.एम.पी)।
- आप दूसरों के लिए एक सहायता ठहरेंगे
यदि अभी आप कष्ट के समय से गुजर रहे हैं तो शायद से बहुत शांति न हो – लेकिन एक दिन आप दूसरों को बहुत शांति देंगेः' वह हमारे सब क्लेशों में शान्ति देते हैं; ताकि हम उस शान्ति के कारण जो परमेश्वर हमें देते हैं, उन्हें भी शान्ति दे सकें जो किसी प्रकार के क्लेश में हों' (2कुरिंथियो 1:4, एम.एस.जी)। जिन्होंने जीवन में कठिनाई का सामना किया है, वे बहुत प्रभावी सेवक बनते हैं।
- आप बदल जाएँगे
कठिनाई 'आपमें धीरज सहनशीलता उत्पन्न करती है' (व.6)। आग से शुद्ध किए गए सोने या और अधिक फल उत्पन्न करने के लिए छाँटी गई बारी के समान, कठिनाई धीरज, सहनशीलता, अटल, और दृढ़संकल्प को लाती है। वे चरित्र को बदल देती है।
- आप अकेले नहीं होंगे
पौलुस लिखते हैं, ' तुम जैसे हमारे दुःखों में, वैसे ही शान्ति में भी सहभागी हो' (व.7)। 'सहभागी' के लिए जिस शब्द का वह इस्तेमाल करते हैं वह ग्रीक शब्द कोइनोनिया से आता है, जो कि नजदीकी संबंध का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। कठिन समय में हमें संबंध की एक असाधारण नजदीकी का अनुभव करना चाहिए, जैसे ही हम एक दूसरे को शांति देते और उत्साहित करते हैं, 'तुम्हारा कठिन समय, हमारा भी कठिन समय है' (व.7, एम.एस.जी)।
- आप परमेश्वर पर भरोसा करना सीखेंगे
जब चीजें अच्छी तरह से हो रही होती है, तब स्वयं-निर्भर होना आसान बात है। लेकिन जब सबकुछ गलत हो जाता है और हमारा आत्मनियंत्रण समाप्त हो जाता है, तब हम परमेश्वर पर भरोसा करने के लिए विवश हो जाते हैं। जैसा कि पौलुस इसे बताते हैं, ' वरन् हम ने अपने मन में समझ लिया था कि हम पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है, ताकि हम अपना भरोसा न रखें वरन् परमेश्वर का जो मरे हुओं को जिलाता है' (व.9, एम.एस.जी)।
- आप छुड़ाये जायेंगे
पौलुस लिखते हैं, ' उसी ने हमें मृत्यु के ऐसे बड़े संकट से बचाया, और बचाएंगे; और उस पर हमारी यह आशा है कि वह आगे भी बचाते रहेंगे' (व.10)। जैसे ही हम पीछे की ओर देखते हैं और देखते हैं कि परमेश्वर ने हमें भूतकाल में छुडाया है, हम निर्भीक हो सकते हैं कि वह भविष्य में हमें छुड़ायेंगे।
- आपकी प्रार्थनाएँ दूसरो की सहायता करेंगी
प्रार्थना शक्तिशाली हैं। परमेश्वर सच में हमारी प्रार्थना का उत्तर देते हैं। सर्वश्रेष्ठ तरीका जिससे हम दूसरो की सहायता कर सकते हैं, वह है उनके लिए प्रार्थना करने के द्वाराः' तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे कि जो वरदान बहुतों के द्वारा हमें मिला, उसके कारण बहुत लोग हमारी ओर से धन्यवाद करें' (व.11)। जब आपकी प्रार्थनाओं का उत्तर आता है, तब परमेश्वर की महिमा होगी।
प्रार्थना
परमेश्वर, हमारी सहायता कीजिए कि हम हर कठिनाई में लाभों को देखें। होने दीजिए कि हम आपकी शांति का अनुभव करें और अपने आप पर नहीं बल्कि आप पर निर्भर रहना सीखें। परमेश्वर, मैं सहायता के लिए आपको पुकारता हूँ...
2 इतिहास 26:1-28:27
यहूदा का राजा उज्जिय्याह
26तब यहूदा के लोगों ने अमस्याह के स्थान पर नया राजा होने के लिये उज्जिय्याह को चुना। अमस्याह उज्जिय्याह का पिता था। जब यह हुआ तो उज्जिय्याह सोलह वर्ष का था। 2 उज्जिय्याह ने एलोत नगर को दुबारा बनाया और इसे यहूदा को लौटा दिया। उज्जिय्याह ने यह अमस्याह के मर जाने और पूर्वजों के साथ उसके दफनाए जाने के बाद किया।
3 उज्जिय्याह जब राजा हुआ तो वह सोलह वर्ष का था। उसने यरूशलेम में बावन वर्ष तक राज्य किया। उसकी माँ का नाम यकील्याह था। यकील्याह यरूशलेम की थी। 4 उज्जिय्याह ने वह किया जो यहोवा उससे करवाना चाहता था। उसने यहोवा का अनुसरण वैसे ही किया जैसे उसके पिता अमस्याह ने किया था। 5 उज्जिय्याह ने परमेश्वर का अनुसरण जकर्याह के जीवन—काल में किया। जकर्याह ने उज्जिय्याह को शिक्षा दी कि परमेश्वर का सम्मान और उसकी आज्ञा का पालन कैसे किया जाता है। जब उज्जिय्याह यहोवा की आज्ञा का पालन कर रहा था तब परमेश्वर ने उसे सफलता दिलाई।
6 उज्जिय्याह ने पलिश्ती लोगों के विरुद्ध एक युद्ध किया। उसने गत, यब्ने, और अशदोद नगर की दीवारों को गिरा दिया। उज्जिय्याह ने अशदोद नगर के पास और पलिश्ती लोगों के बीच अन्य स्थानों में नगर बसाये। 7 परमेश्वर ने उज्जिय्याह की सहायता पलिशितयों के गूर्बाल नगर में रहने वाले अरबों और मुनियों के साथ युद्ध करने में की। 8 अम्मोनी उज्जिय्याह को राज्य कर देते थे। उज्जिय्याह का नाम मिस्र की सीमा तक प्रसिद्ध हो गया। वह प्रसिद्ध था क्योंकि वह बहुत शक्तिशाली था।
9 उज्जिय्याह ने यरूशलेम में कोने के फाटक, घाटी के फाटक और दीवार के मुड़ने के स्थानों पर मीनारें बनवाईं। उज्जिय्याह ने उन मीनारों को दृढ़ बनाया। 10 उज्जिय्याह ने मीनारों को मरुभूमि में बनाया। उसने बहुत से कुँए भी खुदवाए। उसके पास पहाड़ी और मैदानी प्रदेशों में बहुत से पशु थे। उज्जिय्याह के पास पर्वतों में और जहाँ अच्छी उपज होती थी, उस भूमि में किसान थे। वह ऐसे व्यक्तियों को भी रखे हुए था जो उन खेतों की रखवाली करते थे जिनमें अँगूर होते थे। उसे कृषि से प्रेम था।
11 उज्जिय्याह के पास प्रशिक्षित सैनिकों की एक सेना थी। वे सैनिक सचिव यीएल और अधिकारी मासेयाह द्वारा वर्गों में बँटे थे। हनन्याह उनका प्रमुख था। यीएल और मासेयाह ने उन सैनिकों को गिना और उन्हें वर्गों में रखा। हनन्याय राजा के अधिकारियों में से एक था। 12 सैनिकों के ऊपर दो हज़ार छ: सौ प्रमुख थे। 13 वे परिवार प्रमुख तीन लाख सात हज़ार पाँच सौ पुरुषों की उस सेना के अधिपति थे जो बड़ी शक्ति से लड़ती थी। वे सैनिक राजा को शत्रुओं के विरुद्ध सहायता करते थे। 14 उज्जिय्याह ने सेना को ढाल, भाले, टोप, कवच, धनुष और गुलेलों के लिये पत्थर दिये थे। 15 यरूशलेम में उज्जिय्याह ने जो यन्त्र बनाए वह बुद्धिमानों के अविष्कार थे। वे यन्त्र मीनारों तथा कोने की दीवारों पर रखे गए थे। ये यन्त्र बाण और बड़े पत्थर फेंकते थे। उज्जिय्याह प्रसिद्ध हो गया। लोग उसका नाम दूर—दूर के देशों में जानते थे। उसके पास बड़ी सहायता थी और वह शक्तिशाली राजा हो गया।
16 किन्तु जब उजिय्याह शक्तिशाली हो गया, उसके घमण्ड ने उसे नष्ट किया। वह यहोवा परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य नहीं रहा। वह यहोवा के मन्दिर में सुगन्धि जलाने की वेदी पर गया। 17 याजक अजर्याह और यहोवा के अस्सी साहसी याजक सेवक उजिय्याह के पीछे मन्दिर में गए। 18 उन्होंने उजिय्याह से कहा कि तुम गलती कर रहे हो। उन्होंने उससे कहा, “उजिय्याह, यहोवा के लिये सुगन्धि जलाना तुम्हारा काम नहीं है। यह करना तुम्हारे लिये ठीक नहीं है। याजक और हारून के वंशज ही केवल यहोवा के लिये सुगन्धि जलाते हैं। इन याजकों को सुगन्धि जलाने की पवित्र सेवा के लिये प्रशिक्षण दिया गया है। सर्वाधिक पवित्र स्थान से बाहर निकल जाओ। तुम विश्वासयोग्य नहीं रहे हो। यहोवा परमेश्वर तुमको इसके लिये सम्मान नहीं देगा!”
19 किन्तु उज्जिय्याह क्रोधित हुआ। उसके हाथ में सुगन्धि जलाने के लिये एक कटोरा था। जिस समय उज्जिय्याह याजकों पर बहुत क्रोधित था, उसी समय उसके माथे पर कुष्ठ हो गया। यह याजकों के सामने यहोवा के मन्दिर में सुगन्धि जलाने के वेदी के पास हुआ। 20 प्रमुख याजक अजर्याह औऱ सभी याजकों ने उज्जिय्याह को देखा। वे उसके ललाट पर कुष्ठ देख सकते थे। याजकों ने शीघ्रता से उज्जिय्याह को मन्दिर से बाहर जाने को विवश किया। उज्जिय्याह ने स्वयं शीघ्रता की, क्योंकि यहोवा ने उसे दण्ड दे दिया था। 21 राजा उज्जिय्याह मृत्यु पर्यन्त कोढ़ी था। वह यहोवा के मन्दिर में प्रवेश नहीं कर सकता था। उज्जिय्याह के पुत्र योताम ने राजमहल को व्यवस्थित रखा औऱ लोगों का प्रशासक बना।
22 उज्जिय्याह ने आरम्भ से लेकर अन्त तक जो कुछ किया वह यशायाह नबी द्वारा लिखा गया। यशायाह का पिता आमोस था। 23 उज्जिय्याह मरा और अपने पूर्वजों के पास दफनाया गया। उज्जिय्याह को राजाओं के कब्रिस्तान के पास मैदान में दफनाया गया। क्यों? क्योंकि लोगों ने कहा, “उज्जिय्याह को कोढ़ है।” योताम उज्जिय्याह के स्थान पर नया राजा हुआ। योताम उज्जिय्याह का पुत्र था।
यहूदा का राजा योताम
27योताम पच्चीस वर्ष का था जब वह राजा हुआ। उसने सोलह वर्ष तक यरूशलेम में शासन किया। उसकी माँ का नाम यरूशा था। यरूशा सादोक की पुत्री थी। 2 योताम ने वह किया, जो यहोवा उससे करवाना चाहता था। उसने परमेश्वर की आज्ञा का पालन वैसे ही किया जैसे उसके पिता उज्जिय्याह ने किया था। किन्तु योताम यहोवा के मन्दिर में सुगन्धि जलाने के लिये उसी प्रकार नहीं घुसा जैसे उसका पिता घुसा था। किन्तु लोगों ने पाप करना जारी रखा। 3 योताम ने यहोवा के मन्दिर के ऊपरी द्वार को दुबारा बनाया। उसने ओपेल नामक स्थान में दीवार पर बहुत से निर्माण कार्य किये। 4 योताम ने यहूदा के पहाड़ी प्रदेश में भी नगर बनाए। योताम ने मीनार और किले जंगलों में बनाए। 5 योताम अम्मोनी लोगों के राजा और उसके सेना के विरुद्ध लड़ा और उन्हें हराया। इसलिये हर वर्ष तीन वर्ष तक अम्मोनी लोग योताम को पौने चार टन चाँदी, बासठ हज़ार बुशल गेहूँ और बासठ बुशल जौ देते रहे।
6 योताम शक्तिशाली हो गया क्योंकि उसने विश्वासपूर्वक यहोवा, अपने परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया। 7 योताम ने अन्य जो कुछ भी किया तथा उसके सभी युद्ध यहूदा और इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे गए हैं। 8 योताम जब राजा हुआ था, पच्चीस वर्ष का था। उसने यरूशलेम पर सोलह वर्ष शासन किया। 9 तब योताम मरा और अपने पूर्वजों के साथ दफनाया गया। लोगों ने उसे दाऊद के नगर में दफनाया। योताम के स्थान पर आहाज राजा हुआ। आहाज योताम का पुत्र था।
यहूदा का राजा आहाज
28आहाज बीस वर्ष का था, जब वह राजा हुआ। उसने यरूशलेम में सोलह वर्ष तक राज्य किया। आहाज अपने पूर्वज दाऊद की तरह सच्चाई से नहीं रहा। आहाज ने वह नहीं किया जो कुछ यहोवा चाहता था कि वह करे। 2 आहाज ने इस्राएली राजाओं के बुरे उदाहरणों का अनुसरण किया। उसने बाल—देवता की पूजा के लिये मूर्तियों को बनाने के लिये साँचे का उपयोग किया। 3 आहाज ने हिन्नोम की घाटी में सुगन्धि जलाई। उसने अपने पुत्रों को आग में जलाकर बलि भेंट की। उसने वे सब भयंकर पाप किये जिसे उस प्रदेश में रहने वाले व्यक्तियों ने किया था। यहोवा ने उन व्यक्तियों को बाहर जाने को विवश किया था जब इस्राएल के लोग उस भूमि में आए थे। 4 आहाज ने बलि भेंट की और सुगन्धि को उच्चस्थानों अर्थात् पहाड़ियों और हर एक हरे पेड़ के नीचे जलाया।
5-6 आहाज ने पाप किया, इसलिये यहोवा, उसके परमेश्वर ने अराम के राजा को उसे पराजित करने दिया। अराम के राजा और उसकी सेना ने आहाज को हराया और यहूदा के अनेक लोगों को बन्दी बनाया। अराम का राजा उन बन्दियों को दमिश्क नगर को ले गया। यहोवा ने इस्राएल के राजा पेकह को भी आहाज को पराजित करने दिया। पेकह के पिता का नाम रमल्याह था। पेकह और उसकी सेना ने एक दिन में यहूदा के एक लाख बीस हज़ार वीर सैनिकों को मार डाला। पेकह ने यहूदा के उन लोगों को इसलिये हराया कि उन्होंने उस यहोवा, परमेश्वर की आज्ञा मानना अस्वीकार कर दिया जिसकी आज्ञा उनके पूर्वज मानते थे। 7 जिक्री एप्रैमी का एक वीर सैनिक था। जिक्री ने राजा आहाज के पुत्र मासेयाह और राजमहल के संरक्षक अधिकारी अज्रीकाम और एलकाना को मार डाला। एलकाना राजा के ठीक बाद दि्तीय शक्ति था।
8 इस्राएल की सेना ने यहूदा में रहने वाले दो लाख अपने निकट सम्बन्धियों को पकड़ा। उन्होंने स्त्री, बच्चे और यहूदा से बहुत कीमती चीज़े लीं। इस्राएली उन बन्दियों और उन चीज़ों को शोमरोन नगर को ले आए। 9 किन्तु वहाँ यहोवा का एक नबी था। इस नबी का नाम ओदेद था। ओदेद इस्राएल की इस सेना से मिला जो शोमरोन लौट आई। ओदेद ने इस्राएल की सेना से कहा, “यहोवा, परमेश्वर ने जिसकी आज्ञा तुम्हारे पूर्वजों ने मानी, तुम्हें यहूदा के लोगों को हराने दिया क्योंकि वह उन पर क्रोधित था। तुम लोगों ने यहूदा के लोगों को बहुत नीच ढंग से मारा और दण्डित किया। अब परमेश्वर तुम पर क्रोधित है। 10 तुम यहूदा और यरूशलेम के लोगों को दास की तरह रखने की योजना बना रहे हो। तुम लोगों ने भी यहोवा, अपने परमेश्वर के विरूद्ध पाप किया है। 11 अब मेरी सुनो। अपने जिन भाई बहनों को तुम लोगों ने बन्दी बनाया है उन्हें वापस कर दो। यह करो क्योंकि यहोवा का भयंकर क्रोध तुम्हारे विरुद्ध है।”
12 तब एप्रैम के कुछ प्रमुखों ने इस्राएल के सैनिकों को युद्ध से लौटकर घर आते देखा। वे प्रमुख इस्राएल के सैनिकों से मिले और उन्हें चेतावनी दी। वे प्रमुख योहानान का पुत्र अजर्याह, मशिल्लेमोत का पुत्र बेरेक्याह, शल्लूम का पुत्र यहिजकिय्याह और हदलै का पुत्र अमासा थे। 13 उन प्रमुखों ने इस्राएली सैनिकों से कहा, “यहूदा के बन्दियों को यहाँ मत लाओ। यदि तुम यह करते हो तो यह हम लोगों को यहोवा के विरुद्ध बुरा पाप करायेगा। वह हमारे पाप और अपराध को और अधिक बुरा करेगा तथा यहोवा हम लोगों के विरुद्ध बहुत क्रोधित होगा!”
14 इसलिए सैनिकों ने बन्दियों और कीमती चीज़ों को उन प्रमुखों और इस्राएल के लोगों को दे दिया। 15 पहले गिनाए गए प्रमुख (अजर्याह, बेरेक्याह, यहिजकिय्याह और अमास) खड़े हुए और उन्होंने बन्दियों की सहायता की। इन चारों व्यक्तियों ने उन वस्त्रों को लिया जो इस्राएली सेना ने लिये थे और इसे उन लोगों को दिया जो नंगे थे। उन प्रमुखों ने उन लोगों को जूते भी दिये। उन्होंने यहूदा के बन्दियों को कुछ खाने और पीने को दिया। उन्होंने उन लोगों को तेल मला। तब एप्रैम के प्रमुखों ने कमजोर बन्दियों को खच्चरों पर चढ़ाया और उन्हें उनके घर यरीहो में उनके परिवारों के पास ले गये। यरीहो का नाम ताड़ के पेड़ का नगर था। तब वे चारों प्रमुख अपने घर शोमरोन को लौट गए।
16-17 उसी समय, एदोम के लोग फिर आए और उन्होंने यहूदा के लोगों को हराया। एदोमियों ने लोगों को बन्दी बनाया और उन्हें बन्दी के रूप में ले गए। इसलिये राजा आहाज ने अश्शूर के राजा से सहायता माँगी। 18 पलिश्ती लोगों ने भी पहाड़ी के नगरों और दक्षिण यहूदा पर आक्रमण किया। पलिश्ती लोगों ने बेतशेमेश, अय्यालोन, गदेरोत, सोको, तिम्ना और गिमजो नामक नगरों पर अधिकार कर लिया। उन्होंने उन नगरों के पास के गाँवों पर भी अधिकार कर लिया। तब उन नगरों में पलिशती रहने लगे। 19 यहोवा ने यहूदा को कष्ट दिया क्योंकि यहूदा के राजा आहाज ने यहूदा के लोगों को पाप करने के लिये प्रोत्साहित किया। वह यहोवा के प्रति बहुत अधिक अविश्वास योग्य था। 20 अश्शूर का राजा तिलगतपिलनेसेर आया और आहाज को सहायता देने के स्थान पर उसने कष्ट दिया। 21 आहाज ने कुछ कीमती चीज़े यहोवा के मन्दिर, राजमहल और राजकुमार भवन से इकट्टा कीं। आहाज ने वे चीज़ें अश्शूर के राजा को दीं। किन्तु उसने आहाज को सहायता नहीं दी।
22 आहाज की परेशानियों के समय में उसने और अधिक बुरे पाप किये और यहोवा का औऱ अधिक अविश्वास योग्य बन गया। 23 उसने दमिश्क के लोगों द्वारा पूजे जाने वाले देवताओं को बलिभेंट की। दमिश्क के लोगों ने आहाज को पराजित किया था। इसलिए उसने मन ही मन सोचा था, “अराम के लोगों के देवताओं की पूजा ने उन्हें सहायता दी। यदि मैं उन देवताओं को बलिभेंट करुँ तो संभव है, वे मेरी भी सहायता करें।” आहाज ने उन देवताओं की पूजा की। इस प्रकार उसने पाप किया और उसने इस्राएल के लोगों को पाप करने वाला बनाया।
24 आहाज ने यहोवा के मन्दिर से चीज़ें इकट्ठी कीं और उनके टुकड़े कर दिये। तब उसने यहोवा के मन्दिर का द्वार बन्द कर दिया। उसने वेदियाँ बनाईं और यरूशलेम में सड़क के हर मोड़ पर उन्हें रखा। 25 आहाज ने यहूदा के हर नगर में अन्य देवताओं की पूजा के लिये उच्च स्थान सुगन्धि जलाने के लिये बनाए। आहाज ने यहोवा, परमेश्वर को बहुत क्रोधित कर दिया जिसकी आज्ञा का पालन उसके पूर्वज करते थे।
26 आहाज ने आरम्भ से अन्त तक जो कुछ अन्य किया वह यहूदा औऱ इस्राएल के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में लिखा है। 27 आहाज मरा और अपने पूर्वजों के साथ दफनाया गया। लोगों ने आहाज को यरूशलेम नगर में दफनाया। किन्तु उन्होंने आहाज को उसी कब्रिस्तान में नहीं दफनाया जहाँ इस्राएल के राजा दफनाये गए थे। आहाज के स्थान पर हिजकिय्याह नया राजा बना। हिजकिय्याह आहाज का पुत्र था।
समीक्षा
उनके लाभों से आप अभिमानी न बने
जब चीजे अच्छी तरह से हो रही है, ऐसे समय हमारे विश्वास के लिए एक परीक्षा हो सकती है, जैसे कि ये है जब चीजें अच्छी तरह से नहीं होती है। अब्राहम लिंकन, जो यू.एस.ए के प्रेसीडेंट के रूप में सामर्थ के बारे में सबकुछ जानते थे, उन्होंने कहा, 'लगभग सभी मनुष्य मुसीबत के सामने खड़े रह सकते हैं लेकिन यदि आप एक मनुष्य का चरित्र जाँचना चाहते हैं, तो उसे सामर्थ दीजिए।'
उज्जियाह ने अच्छी शुरुवात की। केवल सोलह वर्ष की उम्र में वह राजा बने (26:1)। ' उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था' (व.4)। ' वह परमेश्वर की खोज में लगा रहता था' (व.5अ, एम.एस.जी)। ' जब तक वह यहोवा की खोज में लगा रहा, तब तक परमेश्वर ने उसको सफलता दी ' (व.15, एम.एस.जी)।
जब वह परमेश्वर को खोज रहे थे, परमेश्वर उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर दे रहे थे, उनकी सहायता कर रहे थे और उन्हें सफलता दे रहे थे।
किंतु, सबकुछ भयानक रीति से गलत हो गया जब 'वह शक्तिशाली' बन गए (व.15क)। यश, सफलता और सामर्थ नशे में धुत्त कर देती है। उनके साथ घमंड और अक्खड़पन आता है।
'परन्तु जब वह सामर्थी हो गया, तब उसका मन फूल उठा' (व.16, एम.एस.जी)। उसने वह किया जो निश्चित रूप से वचनो में करने के लिए मना किया गया था (गिनती 16:40; 18:7 देखे), इस तथ्य के बावजूद कि बहुत से लीडर्स ने 'उनका सामना किया' (2इतिहास 26:18) और 'विश्वासघात' के विरूद्ध उसे चेतावनी दी (व.18)। उनकी बात सुनने के बजाय, अपने घमंड में 'उसने अपना आपा खो दिया' (व.19, एम.एस.जी)। यह एक चेतावनी है। यदि चीजे अच्छी तरह से होती है, घमंडी मत बनिये। परमेश्वर पर भरोसा करते रहिये और आज्ञा मानते रहिये।
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि निरंतर आपकी स्तुति करुँ, आप पर निर्भर रहूँ और जीवनभर आपकी खोज करुँ।
पिप्पा भी कहते है
2कुरिंथियो 1:3-4
' हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद हो, जो दया के पिता और सब प्रकार की शान्ति के परमेश्वर हैं।'
दुखद रूप से, हम इस जीवन में परेशानियों से बचे हुए नहीं है, लेकिन हमारे पास एक करुणामयी पिता हैं जो सारी शांति के परमेश्वर हैं, नाकि कुछ शांति के, जो हर परेशानी में हमें शांति देंगे।
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट ऊ 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी', बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट ऊ 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट ऊ 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
जैसा कि ओस्वाल चेम्बर्स ने लिखा, 'परमेश्वर चाहते है कि उनकी संतान उनमें इतना भरोसा रखे कि हर मुसीबत में वे निर्भरयोग्य हो।' ऑसवाल्ड चेम्बर्स, माय अटमोस्ट फोर हिस हायेस्ट, (डिस्कवरी, रिवाईस्ड एडिशन, 2012)
जिन वचनों को (एएमपी) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
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