कैसे आत्मिक रूप से बढ़े
परिचय
फादर रेनियरो कॅन्टालमेसा, एक भीक्षु, जो पापल घराने के प्रचारक हैं, अड़तीस वर्ष के, नम्रता पूर्वक आकर, पिछली मई को हमारे लीडरशिप कॉन्फरेंस में प्रचार किया। बहुत से लोग कहते हैं कि उनका चेहरा और आँखे परमेश्वर की उपस्थिति से कैसे चमकती है। एक बार ईटली में वह एक रेलगाड़ी में थे जब एक महिला, जो पूरी तरह से अविश्वासी थी, उनके पास आयी और कहा, 'आपका चेहरा विश्वास करने पर मुझे मजबूर करता है।'
ऐसा कहा जाता है कि, 'हम अपने चेहरे की सुंदरता को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, लेकिन हम इस पर के भाव को नियंत्रित कर सकते हैं।' जैसा यह कहानी बताती है, आप लोगों की आँखो और चेहरे को देखकर बहुत कुछ बता सकते हैं। हम कहते हैं, 'आपको उनके चेहरे का भाव देखना चाहिए था।' जैसा कि पुराना लेटिन नीतिवचन कहता है, 'चेहरा दिमाग का दर्पण है।'
यह भी सच है कि 'आँखे प्राण के लिए खिड़कियॉं है।' जब हम सच में चाहते हैं कि कोई हमारी बात सुने और विश्वास करे, तो हम उस व्यक्ति से कहते हैं, 'मेरी आँखो में देखो।'
बाईबल चेहरे और आँखो के विषय में बहुत कुछ कहती है।
भजन संहिता 104:19-30
19 हे परमेश्वर, तूने हमें चाँद दिया जिससे हम जान पायें कि छुट्टियाँ कब है।
सूरज सदा जानता है कि उसको कहाँ छिपना है।
20 तूने अंधेरा बनाया जिससे रात हो जाये
और देखो रात में बनैले पशु बाहर आ जाते और इधर—उधर घूमते हैं।
21 वे झपटते सिंह जब दहाड़ते हैं तब ऐसा लगता
जैसे वे यहोवा को पुकारते हों, जिसे माँगने से वह उनको आहार देता।
22 और पौ फटने पर जीवजन्तु वापस घरों को लौटते
और आराम करते हैं।
23 फिर लोग अपना काम करने को बाहर निकलते हैं।
साँझ तक वे काम में लगे रहते हैं।
24 हे यहोवा, तूने अचरज भरे बहुतेरे काम किये।
धरती तेरी वस्तुओं से भरी पड़ी है।
तू जो कुछ करता है, उसमें निज विवेक दर्शाता है।
25 यह सागर देखे! यह कितना विशाल है!
बहुतेरे वस्तुएँ सागर में रहती हैं! उनमें कुछ विशाल है और कुछ छोटी हैं!
सागर में जो जीवजन्तु रहते हैं, वे अगणित असंख्य हैं।
26 सागर के ऊपर जलयान तैरते हैं,
और सागर के भीतर महामत्स्य
जो सागर के जीव को तूने रचा था, क्रीड़ा करता है।
27 यहोवा, यह सब कुछ तुझ पर निर्भर है।
हे परमेश्वर, उन सभी जीवों को खाना तू उचित समय पर देता है।
28 हे परमेश्वर, खाना जिसे वे खाते है, वह तू सभी जीवों को देता है।
तू अच्छे खाने से भरे अपने हाथ खोलता है, और वे तृप्त हो जाने तक खाते हैं।
29 फिर जब तू उनसे मुख मोड़ लेता तब वे भयभीत हो जाते हैं।
उनकी आत्मा उनको छोड़ चली जाती है।
वे दुर्बल हो जाते और मर जाते हैं
और उनकी देह फिर धूल हो जाती है।
30 हे यहोवा, निज आत्मा का अंश तू उन्हें दे।
और वह फिर से स्वस्थ हो जोयेंगे। तू फिर धरती को नयी सी बना दे।
समीक्षा
परमेश्वर का चेहरा
हमारे हृदय में एक आत्मिक भूख है, जो केवल परमेश्वर के द्वारा तृप्त की जा सकती है। भजनसंहिता परमेश्वर के साथ संबंध और परमेश्वर की उपस्थिति में रहने की एक इच्छा की लालसा से भरी हुई है। मानवीय संबंध की भाषा का इस्तेमाल करते हुए यहाँ पर इसका वर्णन किया गया है – परमेश्वर को 'देखना' और उनके 'चेहरे' की खोज करनाः ' इन सब को आपका ही आसरा है...तू मुख फेर लेता है, और वे घबरा जाते हैं... फिर तू अपनी ओर से साँस भेजता है, और वे सिरजे जाते हैं' (वव.27-30)।
भजनसंहिता के लेखक परमेश्वर के चेहरे की ओर देखने से मिलने वाली संतुष्टि और जब वह हमसे अपना मुख फेर लेते है, तब आने वाले आंतक के बीच अंतर स्पष्ट करते हैं। पाप हमारे और परमेश्वर के बीच में एक अवरोध का निर्माण करता है। जब आदम और हव्वा ने पाप किया, अब वे परमेश्वर की आँख में नहीं देख सकते थे। वे उनसे छिपने लगे। वे उनकी उपस्थिति से निकाले गए। परमेश्वर ने उनसे अपना मुख छिपा लिया। वे घबरा गए।
जब हम परमेश्वर के चेहरे की ओर देख पाते हैं, तब मामला विपरीत हैः'सभी को तेरा ही सहारा है कि तू समय पर उन्हें उनका भोजन दिया करें...आप अपना हाथ खोलते हैं, और वे इसमें से खाते हैं' (व.27, एम.एस.जी.)। यह सच है ना केवल भौतिक भोजन के विषय में, जिसका वर्णन भजनसंहिता के लेखक यहाँ पर कर रहे हैं, लेकिन आत्मिक भोजन के विषय में भी जो कि परमेश्वर देते हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर आपका धन्यवाद क्योंकि जब मैं आपकी ओर देखता हूँ, आप अपना हाथ खोलते, और अच्छी वस्तुओं से मुझे तृप्त करते हैं। मेरे पापों को क्षमा कीजिए और मुझसे अपना मुख छिपा मत लीजिए।
2 कुरिन्थियों 3:7-18
नया नियम महान महिम लाता है
7 किन्तु वह सेवा जो मृत्यु से युक्त थी यानी व्यवस्था का विधान जो पत्थरों पर अंकित किया गया था उसमें इतना तेज था कि इस्राएल के लोग मूसा के उस तेजस्वी मुख को एकटक न देख सके। (और यद्यपि उसका वह तेज बाद में क्षीण हो गया।) 8 फिर भला आत्मा से युक्त सेवा और अधिक तेजस्वी क्यों नहीं होगी। 9 और फिर जब दोषी ठहराने वाली सेवा में इतना तेज है तो उस सेवा में कितना अधिक तेज होगा जो धर्मी ठहराने वाली सेवा है। 10 क्योंकि जो पहले तेज से परिपूर्ण था वह अब उस तेज के सामने जो उससे कहीं अधिक तेजस्वी है, तेज रहित हो गया है। 11 क्योंकि वह सेवा जिसका तेजहीन हो जाना निश्चित था, वह तेजस्वी थी, तो जो नित्य है, वह कितनी तेजस्वी होगी।
12 अपनी इसी आशा के कारण हम इतने निर्भय हैं। 13 हम उस मूसा के जैसे नहीं हैं जो अपने मुख पर पर्दा डाले रहता था कहीं इस्राएल के लोग (यहूदी) अपनी आँखें गड़ा कर जिसका विनाश सुनिश्चित था, उस सेवा के अंत को न देख लें। 14 किन्तु उनकी बुद्धि बन्द हो गयी थी, क्योंकि आज तक जब वे उस पुरानी वाचा को पढ़ते हैं, तो वही पर्दा उन पर बिना हटाये पड़ा रहता है। क्योंकि वह पर्दा बस मसीह के द्वारा ही हटाया जाता है। 15 आज तक जब जब मूसा का ग्रंथ पढ़ा जाता है तो पढ़ने वालों के मन पर वह पर्दा पड़ा ही रहता है। 16 किन्तु जब किसी का हृदय प्रभु की ओर मुड़ता है तो वह पर्दा हटा दिया जाता है। 17 देखो! जिस प्रभु की ओर मैं इंगित कर रहा हूँ, वही आत्मा है। और जहाँ प्रभु की आत्मा है, वहाँ छुटकारा है। 18 सो हम सभी अपने खुले मुख के साथ दर्पण में प्रभु के तेज का जब ध्यान करते हैं तो हम भी वैसे ही होने लगते हैं और हमारा तेज अधिकाधिक बढ़ने लगता है। यह तेज उस प्रभु से ही प्राप्त होता है। यानी आत्मा से।
समीक्षा
हमारे चेहरे
हमारे चेहरे को, मूसा के चेहरे से अधिक चमकना चाहिए। ' यदि मृत्यु की वह वाचा जिसके अक्षर पत्थरों पर खोदे गए थे, यहाँ तक तेजोमय हुई कि मूसा के मुँह पर के तेज के कारण जो घटता भी जाता था, इस्राएली उसके मुँह पर दृष्टि नहीं कर सकते थे' (व.7, एम.एस.जी)।
पुराने नियम की सेवकाई अपने आपमें अच्छी थी। यह 'पत्थर पर खोदे गए अक्षरों के रूप में आयी, ' लेकिन यह 'महिमा के साथ' भी आयी (व.7)। मूसा ने परमेश्वर के चेहरे की ओर देखा था और इसके परिणामस्वरूप उसका चेहरा चमक रहा था (निर्गमन 34:29 देखे)। मूसा ने 'अपने मुँह पर परदा डाला था ताकि इस्राएली उस घटने वाले तेज के अन्त को न देखें' (2कुरिंथियो 3:13)।
यद्यपि पुराने नियम की सेवकाई अच्छी थी, इसने वास्वत में 'मृत्यु को लाया' (व.7)। हम (अपने आपसे) परमेश्वर के लिखे हुए नियम का पालन करने में असक्षम है। हम पाप करते और 'पाप की मजदूरी मृत्यु है' (रोमियो 6:23)।
पौलुस पुराने नियम की सेवकाई और आत्मा की सेवकाई के बीच अंतर स्पष्ट करते हैं। पुराने नियम की सेवकाई अपने आपमें अच्छी थी (2कुरिंथियो 3:7)। किंतु, आत्मा की सेवकाई इससे भी अधिक महिमामयी और अनंत है (वव.9-11)।
पुराने नियम की सेवकाई में शामिल था मूसा का चेहरे पर परदा डालना। एक परदा लोगों को देखने से रोकता है। पौलुस कहते हे कि आज भी लोग सच में देखने या समझते नहीं है, 'उनका दिमाग बंद हो गया है' (व.14)। केवल जब वे परमेश्वर की ओर फिरते हैं तब परदा हटा दिया जाता है (व.16)।
निश्चित ही यह मेरा अनुभव था – मैंने बाईबल को पढ़े जाते समय सुना था और मुझे मसीह विश्वास के बारे में कुछ कहना था, फिर भी मैं समझ नहीं पाया कि लोग किस बारे में बाते कर रहे थे। मुझे यह बिल्कुल समझ नहीं आया। मेरी आत्मिक आँखे अंधी थी। जिस क्षण मैं परमेश्वर की ओर मुड़ा, तो ऐसा था जैसे कि परदा हटा दिया गया है। मैं देख सकता था और समझ सकता था।
पौलुस आगे कुछ बिल्कुल अद्भुत बातें लिखते हैः 'प्रभु तो आत्मा हैं : और जहाँ कहीं प्रभु का आत्मा है वहाँ स्वतंत्रता है। परन्तु जब हम सब के उघाडे चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रकट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश करके बदलते जाते हैं' (वव.17-18, एम.एस.जी)।
संपूर्ण त्रिऐक्य शामिल है। परमेश्वर की महिमा हमारे प्रभु यीशु के चेहरे पर देखी जाती है। यीशु और पवित्र आत्मा इतनी नजदीकी से जुड़े हुए हैं कि पौलुस लिख सकते हैं, 'प्रभु आत्मा हैं...प्रभु, जो आत्मा हैं' (वव.17-18)। पवित्र आत्मा यीशु का आत्मा है (प्रेरितों के काम 16:7)।
प्रभु का आत्मा हमारे जीवन में स्वतंत्रता लाता है। न्याय, आत्मग्लानि, शर्म, दंड, स्वयं से नफरत और स्वयं को स्वीकार न करने से स्वतंत्रता। पाप, स्वार्थ, चाल और नियंत्रण की सामर्थ से स्वतंत्रता। स्वतंत्रता, मृत्यु के डर से और इस बात से कि दूसरे हमारे बारे में क्या सोचते हैं। दूसरों के साथ अपनी तुलना करने से स्वतंत्रता।
आप जानने, प्रेम करने और परमेश्वर की सेवा करने के लिए स्वतंत्र हैं। दूसरो से प्रेम करने के लिए आप अपने जीवन और ऊर्जा का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र हैं। आप स्वयं बनने के लिए मुक्त हैं। आप निर्भीकता के साथ परमेश्वर के पास जा सकते हैं (2कुरिंथियो 3:12)। आपको अपने चेहरे पर परदा डालने की आवश्यकता नहीं है।
जैसे ही आप यीशु के चेहरे की ओर देखते हैं, वह आपको अपने स्वरूप में बदल देते हैं। बदलाव, धीरे धीरे होता है, 'महिमा के एक स्तर से दूसरे में' (व.18, ए.एम.पी.)। जब आप दूसरे व्यक्ति के साथ समय बिताते हैं और अधिकाधिक उनकी तरह बनते जाते हैं। लोग सेलिब्रिटीयों को देखते हैं और उनके व्यवहार और उनके बाहरी रूप को अपना लेते हैं। यदि आप यीशु के द्वारा प्रभावित हैं, तो आप उनके स्वरूप में बदल जाएँगे।
हम दिन में हजारो चेहरे को देखते हैं, चित्र हर जगह है, लेकिन आत्मा सबसे महत्वपूर्ण चेहरे को हम पर प्रकट करते हैं। जैसे ही आप परमेश्वर की उपस्थिति में समय बिताते हैं, आप अधिकाधिक उनकी तरह बनते जाते हैं। हमेशा बढ़ती महिमा के साथ, आप उनके स्वरूप में बदलते जाते हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर, इस महान सम्मान के लिए आपका धन्यवाद कि मैं स्वतंत्रता और निर्भीकता के साथ आपके पास आ सकता हूँ। आपका धन्यवाद क्योंकि मैं आपके चेहरे की ओर देख सकता हूँ और विश्व में आपकी महिमा को दर्शा सकता हूँ। आज मेरी सहायता कीजिए कि आप पर ध्यान लगाऊँ।
2 इतिहास 35:20-36:23
योशिय्याह की मृत्यु
20 योशिय्याह जब मन्दिर के लिये उन अच्छे कामों को कर चुका, उस समय राजा नको परात नदी पर स्थित कर्कमीश नगर के विरुद्ध युद्ध करने के लिये सेना लेकर आया। नको मिस्र का राजा था। राजा योशिय्याह नको के विरुद्ध लड़ने बाहर निकला। 21 किन्तु नको ने योशिय्याह के पास दूत भेजे।
उन्होंने कहा, “राजा योशिय्याह, यह युद्ध तुम्हारे लिये समस्या नहीं है। मैं तुम्हारे विरुद्ध लड़ने नहीं आया हूँ। मैं अपने शत्रुओं से लड़ने आया हूँ। परमेश्वर ने मुझे शीघ्रता करने को कहा है। परमेश्वर मेरी ओर है अत: मुझे परेशान न करो। यदि तुम हमारे विरुद्ध लड़ोगे, परमेश्वर तुम्हें नष्ट कर देगा!”
22 किन्तु योशिय्याह हटा नहीं। उसने नको से युद्ध करने का निश्चय किया, इसलिये उसने अपना भेष बदला औऱ युद्ध करने गया। योशिय्याह ने उसे सुनने से इन्कार कर दिया जो नको ने परमेश्वर के आदेश के बारे में कहा। योशिय्याह मगिद्दो के मैदान में युद्ध करने गया। 23 जिस समय योशिय्याह युद्ध में था, वह बाणों से बेध दिया गया। उसने अपने सेवकों से कहा, “मुझे निकाल ले चलो। मैं बुरी तरह घायल हूँ!”
24 अत: सेवकों ने योशिय्याह को रथ से बाहर निकाला, औऱ उसे दूसरे रथ में बैठाया जिसे वह अपने साथ युद्ध में लाया था। तब वे योशिय्याह को यरूशलेम ले गए। राजा योशिय्याह यरूशलेम में मरा। योशिय्याह को वहाँ दफनाया गया जहाँ उसके पूर्वज दफनाये गए थे। यहूदा और यरूशलेम के सभी लोग योशिय्याह के मरने पर बहुत दु:खी थे। 25 यिर्मयाह ने योशिय्याह के लिये कुछ बहुत अधिक करुण गीत लिखे। आज भी सभी स्त्री—पुरुष गायक उन “करुण गीतों” को गाते हैं। यह ऐसा हुआ जिसे इस्राएल के लोग सदा करते रहे अर्थात योशिय्याह के करुण गीत गाते रहे। वे गीत करुण गीतों के संग्रह में लिखे हैं।
26-27 अन्य जो कुछ योशिय्याह ने अपने राज्यकाल में, शासन के आरम्भ से अन्त तक किया, वह यहूदा और इस्राएल के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में लिखा गया है। वह पुस्तक यहोवा के प्रति उसकी भक्ति और उसने यहोवा के नियमों का पालन कैसे किया, बताती है।
यहूदा का राजा यहोआहाज
36यहूदा के लोगों ने यरूशलेम में नया राजा होने के लिये यहोआहाज को चुना। यहोआहाज योशिय्याह का पुत्र था। 2 यहोआहाज जब यहूदा का राजा हुआ, वह तेईस वर्ष का था। वह यरूशलेम में तीन महीने राजा रहा। 3 तब मिस्र के राजा नको ने यहोआहाज को बन्दी बना लिया। नको ने यहूदा के लोगों को पौने चार टन चाँदी और पचहत्तर पौंड सोना दण्डराशि देने को विवश किया। 4 नको ने यहोआहाज के भाई को यहूदा और यरूशलेम का नया राजा होने के लिये चुना। यहोआहाज के भाई का नाम एल्याकीम था। तब नको ने एल्याकीम को एक नया नाम दिया। उसने उसका नाम यहोयाकीम रखा किन्तु नको यहोआहाज को मिस्र ले गया।
यहूदा का राजा यहोयाकीम
5 यहोयाकीम उस समय पच्चीस वर्ष का था जब वह यहूदा का नया राजा हुआ। वह ग्यारह वर्ष तक यरूशलेम में राजा रहा। यहोयाकीम ने वह नहीं किया जिसे यहोवा चाहता था कि वह करे। उसने अपने यहोवा परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया।
6 बाबेल से नबूकदनेस्सर ने यहूदा पर आक्रमण किया। उसने यहोयाकीम को बन्दी बनाया और उसे काँसे की जंजीरों में डाला। तब नबूकदनेस्सर राजा यहोयाकीम को बाबेल ले गया। 7 नबूकदनेस्सर यहोवा के मन्दिर से कुछ चीज़ें ले गया। वह उन चीज़ों को बाबेल ले गया और अपने घर अर्थात राजमहल में रखा। 8 यहोयाकीम ने जो अन्य काम किये, जो भंयकर पाप उसने किये तथा हर एक काम जिसे करने का वह अपराधी था, ये सब यहूदा और इस्राएल के राजाओं का इतिहास नाम पुस्तक में लिखे हैं। यहोयाकीन, यहोयाकीम के स्थान पर नया राजा हुआ। यहोयाकीन, यहोयाकीम का पुत्र था।
यहूदा का राजा यहोयाकीन
9 यहोयाकीन जब यहूदा का राजा हुआ, अट्ठारह वर्ष का था। वह यरूशलेम में तीन महीने दस दिन राजा रहा। उसने वे काम नहीं किये जिसे यहोवा चाहता था कि वह करे। यहोयाकीन ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया। 10 बसन्त में राजा नबूकदनेस्सर ने कुछ सेवकों को यहोयाकीन को पकड़ने को भेजा। वे यहोयाकीन और यहोवा के मन्दिर से कुछ कीमती खजाने बाबेल ले गए। नबूकदनेस्सर ने सिदकिय्याह को यहूदा और यरूशलेम का नया राजा होने के लिये चुना। सिदकिय्याह यहोयाकीन का सम्बन्धी था।
यहूदा का राजा सिदकिय्याह
11 सिदकिय्याह जब यहूदा का राजा बना, इककीस वर्ष का था। वह यरूशलेम में ग्यारह वर्ष तक राजा रहा। 12 सिदकिय्याह ने वह नहीं किया जिसे उसका यहोवा परमेश्वर चाहता था कि वह करे। सिदकिय्याह ने अपने यहोवा के विरुद्ध पाप किये। यिर्मयाह नबी ने यहोवा की ओर से सन्देश दिये किन्तु उसने अपने को विनम्र नहीं बनाया औऱ यिर्मयाह नबी ने जो कहा उसका पालन नहीं किया।
यरूशलेम ध्वस्त हुआ
13 सिदकिय्याह ने नबूकदनेस्सर के विरुद्ध विद्रोह किया। कुछ समय पहले नबूकदनेस्सर ने सिदकिय्याह से प्रतिज्ञा कराई थी कि वह नबूकदनेस्सर का विश्वासपात्र रहेगा। सिदकिय्याह ने परमेश्वर का नाम लिया और नबूकदनेस्सर के प्रति विश्वासपात्र बने रहने की प्रतिज्ञा की। किन्तु सिदकिय्याह बहुत अड़ियल था और उसने अपना जीवन बदलने, इस्राएल के यहोवा परमेश्वर के पास लौटने तथा उसकी आज्ञा मानने से इन्कार कर दिया। 14 याजकों के सभी प्रमुखों और यहूदा के लोगों के प्रमुखों ने अधिक पाप किये औऱ यहोवा के बहुत अधिक अविश्वासनीय हो गए। उन्होंने अन्य राष्ट्रों के बुरे उदाहरणों की नकल की। उन प्रमुखों ने यहोवा के मन्दिर को ध्वस्त कर दिया। यहोवा ने मन्दिर को यरूशलेम में पवित्र बनाया था। 15 उनके पूर्वजों के यहोवा परमेश्वर ने अपने लोगों को चेतावनी देने के लिये बार बार सन्देशवाहक को भेजा। यहोवा ने यह इसलिये किया कि उसे उन पर करुणा थी और मन्दिर के लिये दु:ख था। यहोवा उनको या अपने मन्दिर को नष्ट नहीं करना चाहता था। 16 किन्तु परमेश्वर के लोगों ने परमेश्वर के संदेशवाहकों (नबियों) का मजाक उड़ाया। उन्होंने परमेश्वर के संदेशवाहकों (नबियों) की अनसुनी कर दी। उन्होंने परमेश्वर के संदेश से घृणा की। अन्त में परमेश्वर और अधिक अपना क्रोध न रोक सका। परमेश्वर अपने लोगों पर क्रोधित हुआ और उसे रोकने के लिये कुछ भी नहीं था जिसे किया जा सके। 17 इसलिये परमेश्वर बाबेल के राजा को यहूदा के लोगों पर आक्रमण करने के लिये लाया। बाबेल के राजा ने युवकों को मन्दिर में होने पर भी मार डाला। उसने यहूदा और यरूशलेम के लोगों पर दया नहीं की। बाबेल के राजा ने युवा और वृद्ध सभी लोगों को मारा। परमेश्वर ने नबूकदनेस्सर को यहूदा और यरूशलेम के लोगों को दण्ड देने दिया। 18 नबूकदनेस्सर परमेश्वर के मन्दिर की सभी चीज़ें बाबेल ले गया। उसने परमेश्वर के मन्दिर, राजा तथा राजा के अधिकारियों की सभी कीमती चीज़ें ले लीं। 19 नबूकदनेस्सर और उसकी सेना ने मन्दिर को आग लगा दी। उन्होंने यरूशलेम की चहारदीवारी गिरा दी और राजा तथा उसके अधिकारियों के सभी घरों को जला दिया। उन्होंने यरूशलेम से हर एक कीमती चीज़ ली या उसे नष्ट कर दिया। 20 नबूकदनेस्सर इसके बाद भी जीवित बचे लोगों को, बाबुल ले गया और उन्हें दास होने को विवश किया। वे लोग बाबेल में दास की तरह तब तक रहे जब तक फारस के सम्राट ने बाबेल के राज्य को पराजित नहीं किया। 21 इस प्रकार यहोवा ने, इस्राएल के लोगों को जो कुछ यिर्मयाह नबी से कहलवाया, वह सब ठीक घटित हुआ। यहोवा ने यिर्मयाह द्वारा कहा था: “यह स्थान सत्तर वर्ष तक सूना उजाड़ देश रहेगा। यह सब्त विश्राम की क्षतिपूर्ति के रूप में होगा जिसे लोग नहीं करते।”
22 यह तब पहले वर्ष हुआ जब फारस का राजा कुस्रू शासन कर रहा था। यहोवा ने यिर्मयाह नबी के माध्यम से जो वचन दिये वे सत्य घटित हुए। यहोवा ने कुस्रू के हृदय को कोमल बनाया जिससे उसने आदेश लिखा और अपने राज्य में हर एक स्थान पर भेजा:
23 फारस का राजा कुस्रू यही कहता है:
स्वर्ग का परमेश्वर यहोवा ने मुझे पूरी पृथ्वी का राजा बनाया है। उसने मुझे एक मन्दिर यरूशलेम में अपने लिये बनाने का उत्तरदायित्व दिया है। अब तुम सभी, जो परमेश्वर के लोग हो, यरूशलेम जाने के लिये स्वतन्त्र हो। यहोवा परमेश्वर तुम्हारे साथ हो।
समीक्षा
परमेश्वर की आँखे
परमेश्वर की आँखे वह सब देखती हैं जो हम करते हैं, कहते हैं और सोचते हैं। हम मनुष्य की आँखो से बच सकते हैं लेकिन हम परमेश्वर की आँखो से नहीं बच सकते हैं।
परमेश्वर के लोगो का दुखद इतिहास जारी रहता है। मानवीय स्वभाव बदलता नहीं है। वहाँ पर लड़ाईयाँ, युद्ध, झगड़े, प्रहार और युद्ध थे (35:20-21)। योशिय्याह के बाद ऐसे राजा हुए, जो उनके अच्छे उदाहरण के पीछे नहीं चले। यहोयाकीम, यहोयाकीन (उसका पुत्र) और सिदकिय्याह (यहोयाकीन का चाचा) सभी ने 'परमेश्वर की दृष्टि में बुरा किया' (36:5,9,12)।
दूसरो की तरह ही, सिदकिय्याह की परेशानी थी कि वह ' उसने हठ किया और अपना मन कठोर किया, कि वह इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की ओर न फिरे' (व.13)। हठीला होना घमंड का एक शक्तिशाली उदाहरण है – परमेश्वर के सामने झुकने से मना करना। हृदय को कठोर करना बताता है कि कैसे हम पवित्र आत्मा को रोक सकते हैं।
'परमेश्वर यहोवा ने बड़ा यत्न करके अपने दूतों से उनके पास कहला भेजा, क्येंकि वह अपनी प्रजा और अपने धाम पर तरस खाता था; परन्तु वे परमेश्वर के दूतों को ठट्ठों में उड़ाते, उसके वचनो को तुच्छ जानते, और उनके नबियों की हँसी करते थे' (2इतिहास 36:15-16, एम.एस.जी)। आखिरकार, परमेश्वर ने उन्हें शत्रुओं के हाथों में कर दिया (व.17) उस समय की बडी ताकत के हाथों – बेबीलोन (आधुनिक दिन में जो ईराक है) और पर्सिया (जो आज इरान है)।
इतिहास की पुस्तक के अंत में आशा की एक छोटी सी किरण है। आज के लिए लेखांश में यरूशलेम के विनाश और 597 बी.सी में मंदिर और निर्वासन का वर्णन शामिल है, लेकिन अंत में सुधार कार्य की आशा और पुन: निर्माण है 538 बी.सी. में शुरु हुआ।
यह सुधार कार्य उस महान आशा को बताता था जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा होने वाला था। पुराने नियम की सेवकाई से, यीशु और पवित्र आत्मा की सेवकाई बढ़कर थी। हमारी आशा का क्रम पूरी तरह से अलग है। पौलुस लिखते हैं, 'हमारे पास यह आशा है इसलिए हम बहुत निर्भीक हैं' (2कुरिंथियो 3:12)। यह परमेश्वर की महिमा को दर्शाने और सर्वदा-बढ़ती हुई महिमा के साथ उनके स्वरूप में बदलते जाने की आशा है (व.18)।
प्रार्थना
परमेश्वर इस आशा के लिए आपको बहुत धन्यवाद जो कि हमारे पास है, जो उससे कही अधिक महान है जिसके बारे में शायद ही किसी ने सोचा या कल्पना की हो। आपका धन्यवाद कि मैं यीशु के चेहरे की ओर देख सकता हूँ। आपका धन्यवाद कि मैं परमेश्वर की महिमा को दर्शा सकता हूँ और सर्वदाबटःई-ब्ती महिमा के साथ बदल सकता हूँ।
पिप्पा भी कहते है
2कुरिंथियो 3:18
' परन्तु जब हम सब के उघाडे चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रकट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश करके बदलते जाते हैं।'
बदलाव के बिना कोई वृद्धि नहीं है।
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट ऊ 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी', बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट ऊ 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट ऊ 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
जिन वचनों को (एएमपी) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।