जब पवित्र आत्मा आते हैं
परिचय
मुझे याद है जब पहली बार मैंने प्रार्थना की, 'पवित्र आत्मा आईये' अल्फा के दिन। मैं जानता था कि पवित्र आत्मा 'आ चुके थे' हर बार जब मुझसे पहले अल्फा चलाने वालो ने प्रार्थना की कि वह आंए। तब भी, मैंने नहीं सोचा कि वह मेरी प्रार्थनाओं के उत्तर के रूप में आएँगे – जैसे ही मैंने प्रार्थना की, 'पवित्र आत्मा आईये' मैं अपनी आँखे बंद रखता था, क्योंकि मैं उन्हे 'नहीं आते' हुए नहीं देखना चाहता था!
जब मैंने अपनी आँखे खोली, वहाँ पर एक अद्भुत नजारा था। पवित्र आत्मा एक शक्तिशाली तरीके से आ चुके थे – लोग पवित्र आत्मा से भर रहे थे। वह लोगों के जीवन को बदल रहे थे। यह पवित्र आत्मा की सेवकाई थी। यही कारण है कि लगभग हमारी सभी सभाओं में हम प्रार्थना करते हैं, 'पवित्र आत्मा, आईये'। हम हमेशा 'सेवकाई' के लिए समय निकालने की कोशिश करते हैं – ताकि पवित्र आत्मा हम पर सेवकाई करें।
हम अक्सर शब्द 'सेवक' को लीडरशिप के साथ जोड़ते हैं, चाहे सरकारी सेवक या चर्च सेवक। असल में, इस शब्द का अर्थ है 'सेवा करना।' राजनैतिज्ञों को उनके देश की सेवा करने के लिए बुलाया गया है। पास्टर्स चर्च की सेवा करने के लिए बुलाए गए हैं। डॉक्टर्स जो मरीजों का इलाज करते हैं, वे बीमारों और मृत अवस्था में पड़े लोगों की सेवा करने के लिए बुलाए गए हैं।
पवित्र आत्मा हमारी सेवकाई करते हैं। वह किसी भी राजनैतिज्ञ से अधिक अधिकार लाते हैं, किसी पास्टर से अधिक शांति देते हैं और किसी डॉक्टर से ज्यादा अद्भुत चंगाई देते हैं। पवित्र आत्मा के द्वारा परमेश्वर हमारे जीवन के गहरे भाग में हमारी सेवकाई करते हैं।
पौलुस प्रेरित 'आत्मा की सेवकाई' के बारे में बताते हैं (2कुरिंथियो 3:8)। जॉन विंबर ने इस प्रकार की सेवकाई की परिभाषा इस रूप में दी 'परमेश्वर के स्त्रोतों के साथ दूसरों की जरुरतों को पूरा करना।' अद्भुत रीति से इस प्रकार की सेवकाई हम सभी के लिए उपलब्ध है।
भजन संहिता 104:1-18
104हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह!
हे यहोवा, हे मेरे परमेश्वर, तू है अतिमहान!
तूने महिमा और आदर के वस्त्र पहने हैं।
2 तू प्रकाश से मण्डित है जैसे कोई व्यक्ति चोंगा पहने।
तूने व्योम जैसे फैलाये चंदोबा हो।
3 हे परमेश्वर, तूने उनके ऊपर अपना घर बनाया,
गहरे बादलों को तू अपना रथ बनाता है,
और पवन के पंखों पर चढ़ कर आकाश पार करता है।
4 हे परमेश्वर, तूने निज दूतों को वैसे बनाया जैसे पवन होता है।
तूने निज दासों को अग्नि के समान बनाया।
5 हे परमेश्वर, तूने ही धरती का उसकी नीवों पर निमार्ण किया।
इसलिए उसका नाश कभी नहीं होगा।
6 तूने जल की चादर से धरती को ढका।
जल ने पहाड़ों को ढक लिया।
7 तूने आदेश दिया और जल दूर हट गया।
हे परमेश्वर, तू जल पर गरजा और जल दूर भागा।
8 पर्वतों से निचे घाटियों में जल बहने लगा,
और फिर उन सभी स्थानों पर जल बहा जो उसके लिये तूने रचा था।
9 तूने सागरों की सीमाएँ बाँध दी
और जल फिर कभी धरता को ढकने नहीं जाएगा।
10 हे परमेश्वर, तूने ही जल बहाया।
सोतों से नदियों से नीचे पहाड़ी नदियों से पानी बह चला।
11 सभी वन्य पशुओं को धाराएँ जल देती हैं,
जिनमें जंगली गधे तक आकर के प्यास बुझाते हैं।
12 वन के परिंदे तालाबों के किनारे रहने को आते हैं
और पास खड़े पेड़ों की डालियों में गाते हैं।
13 परमेश्वर पहाड़ों के ऊपर नीचे वर्षा भेजता है।
परमेश्वर ने जो कुछ रचा है, धरती को वह सब देता है जो उसे चाहिए।
14 परमेश्वर, पशुओं को खाने के लिये घास उपजाई,
हम श्रम करते हैं और वह हमें पौधे देता है।
ये पौधे वह भोजन है जिसे हम धरती से पाते हैं।
15 परमेश्वर, हमें दाखमधु देता है, जो हमको प्रसन्न करती है।
हमारा चर्म नर्म रखने को तू हमें तेल देता है।
हमें पुष्ट करने को वह हमें खाना देता है।
16 लबानोन के जो विशाल वृक्ष हैं वह परमेश्वर के हैं।
उन विशाल वृक्षों हेतु उनकी बढ़वार को बहुत जल रहता है।
17 पक्षी उन वृक्षों पर निज घोंसले बनाते।
सनोवर के वृक्षों पर सारस का बसेरा है।
18 बनैले बकरों के घर ऊँचे पहाड़ में बने हैं।
बिच्छुओं के छिपने के स्थान बड़ी चट्टान है।
समीक्षा
'हवा' और 'आग की लपटो' की सेवकाई
यह एक अद्भुत भजन है जो परमेश्वर की स्तुति करता है इसकी सृष्टि की गई सारी रचना के लिए। जो कुछ परमेश्वर ने निर्माण किया वह अच्छा है। मुझे यह तथ्य पसंद है कि 'तेल जिस से उसका मुख चमकता है, और अन्न जिससे वह सम्भल जाता है। ' इन चीजों के अतिरिक्त उसने यह भी दिया, ' और दाखमधु जिस से मनुष्य का मन आनन्दित होता है' (व.15)।
निश्चित ही, जैसे कि हर अच्छा उपहार परमेश्वर की ओर से है, दाखरस की निंदा की जा सकती है। बाईबल अक्सर पिय्यकड़पन के विरूद्ध चेतावनी देती है। किंतु, तेल और रोटी की तरह ही, दाखरस परमेश्वर ने दिया है, हमारे आनंद के लिए और मनुष्य के हृदय को आनंदित करने के लिए।
आरंभ में भजनसंहिता के लेखक कहते हैं, ' जो पवनों को अपने दूत, और धधकती आग को अपने टहलुए बनाता है ' (व.4)। शब्द 'टहुलओं' का अनुवाद 'सेवक' के रूप में किया जा सकता है (आर.एस.व्ही, इ.एस.व्ही.के.जे.व्ही. देखे)।
यह लेखांश पिंतेकुस्त के दिन की घटना के लिए पुराने नियम का आकर्षित उल्लेख है। जब पवित्र आत्मा आए, तब ' एकाएक आकाश से बड़ी आँधी की सी सनसनाहट का शब्द हुआ, और उससे सारा घर जहाँ वे बैठे थे, गूँज गया। और उन्हें आग की सी जीभें फटती हुई दिखाई दीं और उनमें से हर एक पर आ ठहरीं' (प्रेरितों के काम 2:2-4)।
'हवा' और 'आग की लपटें' परमेश्वर के सेवक हैं। वे सामर्थ, जूनून और परमेश्वर की शुद्धता के प्रतीक हैं। जब हम प्रार्थना करते हैं, 'पवित्र आत्मा, आईये', तब हम आशा कर रहे हैं कि परमेश्वर पवित्र आत्मा की हवा और आग को भेजे। आशा कीजिए कि पवित्र आत्मा की सेवकाई शक्तिशाली और जीवन बदलने वाली हो।
प्रार्थना
परमेश्वर, लोगों के जीवन में बदलाव के लिए आपका धन्यवाद, जैसे ही वे सामर्थ, जोश और परमेश्वर की शुद्धता का अनुभव करते हैं। पवित्र आत्मा आईये और आज मुझे भर दीजिए।
2 कुरिन्थियों 2:12-3:6
पौलुस की अशांति
12 जब मसीह के सुसमाचार का प्रचार करने के लिये मैं त्रोवास आया तो वहाँ मेरे लिये प्रभु का द्वार खुला हुआ था। 13 अपने भाई तितुस को वहाँ न पा कर मेरा मन बहुत व्याकुल था। सो उनसे विदा लेकर मैं मकिदुनिया को चल पड़ा।
14 किन्तु परमेश्वर धन्य है जो मसीह के द्वारा अपने विजय-अभियान में हमें सदा राह दिखाता है। और हमारे द्वारा हर कहीं अपने ज्ञान की सुगंध फैलाता है। 15 क्योंकि उनके लिये, जो अभी उद्धार की राह पर हैं और उनके लिये भी जो विनाश के मार्ग पर हैं, हम मसीह की परमेश्वर को समर्पित मधुर भीनी सुगंधित धूप हैं 16 किन्तु उनके लिये जो विनाश के मार्ग पर हैं, यह मृत्यु की ऐसी दुर्गन्ध है, जो मृत्यु की ओर ले जाती है। पर उनके लिये जो उद्धार के मार्ग पर बढ़ रहे हैं, यह जीवन की ऐसी सुगंध है, जो जीवन की ओर अग्रसर करती है। किन्तु इस काम के लिये सुपात्र कौन है? 17 परमेश्वर के वचन को अपने लाभ के लिये, उसमें मिलावट करके बेचने वाले बहुत से दूसरे लोगों जैसे हम नहीं हैं। नहीं! हम तो परमेश्वर के सामने परमेश्वर की ओर से भेजे हुए व्यक्तियों के समान मसीह में स्थित होकर, सच्चाई के साथ बोलते हैं।
नयी वाचा के सेवक
3इससे क्या ऐसा लगता है कि हम फिर से अपनी प्रशंसा अपने आप करने लगे हैं? अथवा क्या हमें तुम्हारे लिये या तुमसे परिचयपत्र लेने की आवश्यकता है? जैसा कि कुछ लोग करते हैं। निश्चय ही नहीं, 2 हमारा पत्र तो तुम स्वयं हो जो हमारे मन में लिखा है, जिसे सभी लोग जानते हैं और पढ़ते हैं 3 और तुम भी तो ऐसा ही दिखाते हो मानो तुम मसीह का पत्र हो। जो हमारी सेवा का परिणाम है। जिसे स्याही से नहीं बल्कि सजीव परमेश्वर की आत्मा से लिखा गया है। जिसे पथरीली शिलाओं पर नहीं बल्कि मनुष्य के हृदय पटल पर लिखा गया है।
4 हमें मसीह के कारण परमेश्वर के सामने ऐसा दावा करने का भरोसा है। 5 ऐसा नहीं है कि हम अपने आप में इतने समर्थ हैं जो सोचने लगे हैं कि हम अपने आप से कुछ कर सकते हैं बल्कि हमें सामर्थ्य तो परमेश्वर से मिलता है। 6 उसी ने हमें एक नये करार का सेवक बनने योग्य ठहराया है। यह कोई लिखित संहिता नहीं है बल्कि आत्मा की वाचा है क्योंकि लिखित संहिता तो मारती है जबकि आत्मा जीवन देती है।
समीक्षा
सेवकाई जो जीवन देती है
कैसे आप दूसरों को जीवन दे सकते हैं? इस लेखांश में, पौलुस अपना वर्णन 'नई वाचा' के एक सेवक के रूप में करते हैं – नाकि शब्दों के बल्कि आत्मा के; क्योंकि शब्द मारते हैं, लेकिन आत्मा जीवन देते हैं' (3:6)।
- आपके द्वारा, लोग मसीह की सुगंध का अनुभव करते हैं
'अपने ज्ञान की सुगन्ध हमारे द्वारा हर जगह फैलाता है' (2:14ब, एम.एस.जी)। पौलुस अपनी सेवकाई का वर्णन 'निरंतर विजय के जुलूस' के रूप में करते हैं (व.14अ, एम.एस.जी)। जब एक राजा या एक जनरल एक उल्लेखनीय जीत प्राप्त करके आता है, तब पूरा शहर उनका स्वागत करने के लिए बाहर निकल आता है। वे अपने साथ कैदियों को ले आएँगे जो उन्होंने लिये थे। शायद से यह 'इत्र की सुगंध' के साथ आयेगा।
कुछ के लिए (कैदी) यह 'मृत्यु की गंध' थी (व.16अ)। कुछ दूसरों के लिए (विजयी) यह 'जीवन की सुगंध' थी (व.16ब)। इसी तरह से, ' क्योंकि हम परमेश्वर के निकट उध्दार पाने वालों और नाश होने वालों दोनों के लिये मसीह की सुगन्ध हैं। कुछ के लिये तो मरने के निमित्त मृत्यु की गन्ध, और कितनों के लिये जीवन के निमित्त जीवन की सुगन्ध' (वव.14-15, एम.एस.जी)।
- आपके द्वारा, लोग यीशु के विषय में पढ़ते हैं
एकमात्र बाईबल जो कुछ लोग पढ़ेंगे, वह है आपका जीवन। पौलुस कुरिंथियो को लिखते हैं, ' यह प्रकट है कि तुम मसीह की पत्री हो, जिसको हम ने सेवकों के समान लिखा, और जो स्याही से नहीं परन्तु जीवते परमेश्वर की आत्मा से, पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है' (3:1ब-3, एम.एस.जी)।
हम सभी पुस्तकें नहीं पढ सकते या नहीं पढेंगे – लेकिन जिस किसी से आप मिलते हैं वह आपके जीवन को पढ़ सकता है और पढेगा।
- आपके द्वारा, लोग यीशु के साथ एक संबंध के विषय में सुनते हैं
आपको कभी नहीं कहना चाहिए, 'मैं बेकार हूँ, मैं कुछ नहीं कर सकता।' पवित्र आत्मा की सेवकाई के द्वारा आप सक्षम हैं, यीशु के सुसमाचार को दूसरों तक ले जाने के लिए। इसको आपको महान विश्वास देना चाहिए –आत्मविश्वास नहीं बल्कि परमेश्वर का विश्वास।
' हम मसीह के द्वारा परमेश्वर पर ऐसा ही भरोसा रखते हैं। यह नहीं कि हम अपने आप से इस योग्य हैं कि अपनी ओर से किसी बात का विचार कर सकें, पर हमारी योग्यता परमेश्वर की ओर से है' (वव.4-5)।
पवित्र आत्मा आपको ना केवल जीवन में एक नई शुरुवात देते हैं, लेकिन शुरुवात करने के लिए एक नया जीवन भी देते हैं। पुराना नियम था जिसे परमेश्वर ने मूसा के द्वारा बनाया था, लेकिन इसमें वह सामर्थ नहीं थी कि लोगों को वह सब बना दें जो परमेश्वर उन्हें बनाना चाहते थे।
क्योंकि लोग नियम को पूरा नहीं कर पाये जोकि पत्थर की पटियांओ पर लिखी गई थी, इसने आखिरकार मृत्यु को लाया -'शब्द मारते हैं' (व.6)। दूसरी ओर, पवित्र आत्मा की सेवकाई - जो आपके हृदय में लिखी गई है - यह एक सेवकाई है जो 'जीवन देती है' (व.6)।
पवित्र आत्मा मनुष्य के स्वभाव में एक बदलाव लाते हैं।
कभी मत कहिये, 'मैं बदल नहीं सकता'। पवित्र आत्मा के साथ आप बदल सकते हैं।
यह नियमों और शर्तों के धर्म के बीच में एक अंतर है (जिसे हममें से कोई भी पूरा नहीं कर सकता है) और यीशु के द्वारा परमेश्वर के साथ एक संबंध, जो संबंध को लाता है और संबंध को इसकी परिपूर्णता में (यूहन्ना 10:10)।
प्रार्थना
परमेश्वर, इस सेवकाई के लिए आपको बहुत धन्यवाद, जहाँ पर हम आत्मा को ऐसे लोगों को जीवन देते हुए देखते हैं, जो आत्मिक रूप से मरे हुए थे।
2 इतिहास 33:21-35:19
यहूदा का राजा आमोन
21 आमोन जब यहूदा का राजा हुआ, बाईस वर्ष का था। वह दो वर्ष तक यरूशलेम का राजा रहा। 22 आमोन ने यहोवा के सामने बुरे काम किये। यहोवा उससे जो कराना चाहता था उन्हें उसने ठीक अपने पिता मनश्शे की तरह नहीं किया। आमोन ने सभी खुदी हुई मूर्तियों तथा अपने पिता मनश्शे की बनाई मूर्तियों को बलि चढ़ाई। आमोन ने उन मूर्तियों की पूजा की। 23 आमोन ने स्वयं को अपने पिता मनश्शे की तरह यहोवा के सामने विनम्र नहीं बनाया। किन्तु आमोन अधिक से अधिक पाप करता गया। 24 आमोन के सेवकों ने उसके विरुद्ध योजना बनाई। उन्होंने आमोन को उसके घर में मार डाला। 25 किन्तु यहूदा के लोगों ने उन सभी सेवकों को मार डाला जिन्होंने राजा आमोन के विरुद्ध योजना बनाई थी। तब लोगों ने योशिय्याह को नया राजा चुना। योशिय्याह आमोन का पुत्र था।
यहूदा का राजा योशिय्याह
34योशिय्याह जब राजा बना, आठ वर्ष का था। वह यरूशलेम में इकतिस वर्ष तक राजा रहा। 2 योशिय्याह ने वही किया जो उचित था। उसने वही किया जो यहोवा उससे करवाना चाहता था। उसने अपने पूर्वज दाऊद की तरह अच्छे काम किये। योशिय्याह उचित काम करने से नहीं हटा। 3 जब योशिय्याह आठ वर्ष तक राजा रह चुका तो वह अपने पूर्वज दाऊद के अनुसार परमेश्वर का अनुसरण करने लगा। योशिय्याह बच्चा ही था जब उसने परमेश्वर की आज्ञा माननी आरम्भ की। जब योशिय्याह राजा के रूप में बारह वर्ष का हुआ, उसने उच्च स्थानों, अशेरा—स्तम्भों पर खुदी मूर्तियों औऱ यहूदा और यरूशलेम में ढली मूर्तियों को नष्ट करना आरम्भ कर दिया। 4 लोगों ने बाल देवताओं की वेदियाँ तोड़ दीं। उन्होंने यह योशिय्याह के सामने किया। तब योशिय्याह ने सुगन्धि के लिये बनी उन वेदियों को नष्ट कर डाला जो लोगों से भी बहुत ऊँची उठी थीं। उसने खुदी मूर्तियों तथा ढली मूर्तियों को तोड़ डाला। उसने उन मूर्तियों को पीटकर चूर्ण बना दिया। तब योशिय्याह ने उस चूर्ण को उन लोगों की कब्रों पर डाला जो बाल देवताओं को बलि चढ़ाते थे। 5 योशिय्याह ने उन याजकों की हड्डियों तक को जलाया जिन्होंने अपनी वेदियों पर बाल—देवताओं की सेवा की थी। इस प्रकार योशिय्याह ने मूर्तियों और मूर्ति पूजा को यहूदा और यरूशलेम से नष्ट किया। 6 योशिय्याह ने यही काम मनश्शे, एप्रैम, शिमोन और नप्ताली तक के राज्यों के नगरों में किया। उसने वही उन सब नगरों के पास के खंडहरों के साथ किया। 7 योशिय्याह ने वेदियों और अशेरा—स्तम्भों को तोड़ दिया। उसने मूर्तियों को पीटकर चूर्ण बना दिया। उसने पूरे इस्राएल देश में उन सुगन्धि—वेदियों को काट डाला जो बाल की पूजा में काम आती थीं। तब योशिय्याह यरूशलेम लौट गया।
8 जब योशिय्याह यहूदा के राजा के रूप में अपने अट्ठारहवें वर्ष में था, उसने शापान, मासेयाह और योआह को अपने यहोवा परमेश्वर के मन्दिर की मरम्मत करने के लिये भेजा। शापान के पिता का नाम असल्याह था। मासेयाह नगर प्रमुख था और योआह के पिता का नाम योआहाज था। योआह वह व्यक्ति था जिसने जो कुछ हुआ उसे लिखा (वह लेखक था)।
योशिय्याह ने मन्दिर को स्थापित करने का आदेश दिया जिससे वह यहूदा और मन्दिर दोनों को स्वच्छ रख सके। 9 वे लोग महा याजक हिल्किय्याह के पास आए। उन्होंने वह धन उसे दिया जो लोगों ने परमेश्वर के मन्दिर के लिये दिया था। लेवीवंशी द्वारपालों ने यह धन मनश्शे, एप्रैम और बचे सभी इस्राएलियों से इकट्ठा किया। उन्होंने यह धन सारे यहूदा, बिन्यामीन और यरूशलेम में रहने वाले सभी लोगों से भी इकट्ठा किया। 10 तब लेवीवंशियों ने उन व्यक्तियों को यह धन दिया जो यहोवा के मन्दिर के काम की देख—रेख कर रहे थे और निरीक्षकों ने उन मज़दूरों को यह धन दिया जो यहोवा के मन्दिर को फिर बना कर स्थापित कर रहे थे। 11 उन्होंने बढ़ईयों और राजगीरों को पहले से कटी बड़ी चट्टानों को खरीदने के लिये और लकड़ी खरीदने के लिये धन दिया। लकड़ी का उपयोग भवनों को फिर से बनाने और भवन के शहतीरों के लिये किया गया। भूतकाल में यहूदा के राजा मन्दिरों की देखभाल नहीं करते थे। वे भवन पुराने और खंडहर हो गए थे। 12-13 लोगों ने विश्वासपूर्वक काम किया। उनके निरीक्षक यहत और ओबद्याह थे। यहत और ओबद्याह लेवीवंशी थे और वे मरारी के वंशज थे। अन्य निरीक्षक जकर्याह और मशुल्लाम थे। वे कहात के वंशज थे। जो लेवीवंशी संगीत—वाद्या बजाने में कुशल थे, वे भी चिज़ों को ढोने वाले तथा अन्य मज़दूरों का निरीक्षण करते थे। कुछ लेवीवंशी सचिव, अधिकारी और द्वारपाल का काम करते थे।
व्यवस्था की पुस्तक मिली
14 लेवीवंशियों ने उस धन को निकाला जो यहोवा के मन्दिर में था। उस समय याजक हिल्किय्याह ने यहोवा के व्यवस्था की वह पुस्तक प्राप्त की जो मूसा द्वारा दी गई थी। 15 हिल्किय्याह ने सचिव शापान से कहा, “मैंने यहोवा के मन्दिर में व्यवस्था की पुस्तक पाई है!” हिल्कय्याह ने शापान को पुस्तक दी। 16 शापान उस पुस्तक को राजा योशिय्याह के पास लाया। शापान ने राजा को सूचना दी, “तुम्हारे सेवक हर काम कर रहे हैं जो तुमने करने को कहा है। 17 उन्होंने यहोवा के मन्दिर से धन को निकाला और उसे निरीक्षकों एवं मज़दूरों को दे रहे हैं।” 18 तब शापान ने राजा योशिय्याह से कहा, “याजक हिल्किय्याह ने मुझे एक पुस्तक दी है।” तब शापान ने पुस्तक से पढ़ा। जब वह पढ़ रहा था, तब वह राजा के सामने था। 19 जब राजा योशिय्याह ने नियमों को पढ़े जाते हुए सुना, उसने अपने वस्त्र फाड़ लिये। 20 तब राजा ने हिल्किय्याह शापान के पुत्र अहीकाम, मीका के पुत्र अब्दोन, सचिव शापान और सेवक असायाह को आदेश दिया। 21 राजा ने कहा, “जाओ, मेरे लिये तथा इस्राएल और यहूदा में जो लोग बचे हैं उनके लिये यहोवा से याचना करो। जो पुस्तक मिली है उसके कथनों के बारे में पूछो। यहोवा हम लोगों पर बहुत क्रोधित है क्योंकि हमारे पूर्वजों ने यहोवा के कथनों का पालन नहीं किया। उन्होंने वे सब काम नहीं किये जो यह पुस्तक करने को कहती है!”
22 हिल्किय्याह और राजा के सेवक नबिया हुल्दा के पास गए, हुल्दा शल्लूम की पत्नी थी। शल्लूम तोखत का पुत्र था। तोखत हस्रा का पुत्र था। हस्रा राजा के वस्त्रों की देखरेख करता था। हुल्दा यरूशलेम के नये भाग में रहती थी। हिल्किय्याह और राजा के सेवकों ने हुल्दा को सब कुछ बताया जो हो चुका था। 23 हुल्दा ने उनसे कहा, “हस्राएल का परमेश्वर यहोवा जो कहता है वह यह है: राजा योशिय्याह से कहो: 24 यहोवा जो कहता है वह यह है, ‘मैं इस स्थान और यहाँ के निवासियों पर विपत्ति डालूँगा। मैं सभी भंयकर विपत्तियों को जो यहूदा के राजा के सामने पढ़ी पुस्तक में लिखी गई हैं, लाऊँगा। 25 मैं यह इसलिये करूँगा कि लोगों ने मुझे छोड़ा और अन्य देवताओं के लिये सुगन्धि जलाई। उन लोगों ने मुझे क्रोधित किया क्योंकि उन्होंने सभी बुरी बातें की हैं। इसलिये मैं अपना क्रोध इस स्थान पर उतारुँगा। मेरा क्रोध तप्त अग्निज्वाला की तरह बुझाया नहीं जा सकता!’
26 “किन्तु यहूदा के राजा योशिय्याह से कहो। उसने यहोवा से पूछने के लिये तुम्हें भेजा। इस्राएल का यहोवा परमेश्वर, ‘जिन कथनों को तुमने कुछ समय पहले सुना है, उनके विषय में कहता है: 27 योशिय्याह तुमने पश्चाताप किया और तुमने अपने को विनम्र किया और अपने वस्त्रों को फाड़ा, तथा तुम मेरे सामने चिल्लाए। अत: क्योंकि तुम्हारा हृदय कोमल है। 28 मैं तुम्हें तुम्हारे पूर्वजों के पास ले जाऊँगा। तुम अपनी कब्र में शान्तिपूर्वक जाओगे। तुम्हें उन विपत्तियों में से कोई भी नहीं देखनी पड़ेंगी जिन्हें मैं इस स्थान और यहाँ रहने वाले लोगों पर लाऊँगा।’” हिल्किय्याह और राजा के सेवक योशिय्याह के पास यह सन्देश लेकर लौटे।
29 राजा योशिय्याह ने यहूदा औऱ यरूशलेम के सभी अग्रजों को अपने पास आने और मिलने के लिये बुलाया। 30 राजा, यहोवा के मन्दिर में गया। यहूदा के सभी लोग, यरूशलेम में रहने वाले लोग, याजक, लेवीवंशी और सभी साधारण व असाधारण लोग योशिय्याह के साथ थे। योशिय्याह ने उन सबके सामने साक्षी की पुस्तक के कथन पढ़े। वह पुस्तक यहोवा के मन्दिर में मिली थी। 31 तब राजा अपने स्थान पर खड़ा हुआ। उसने यहोवा के साथ वाचा की। उसने यहोवा का अनुसरण करने की और यहोवा के आदेशों, विधियों और नियमों का पालन करने की वाचा की। योशिय्याह पूरे हृदय और आत्मा से आज्ञा पालन करने को सहमत हुआ। वह पुस्तक में लिखे वाचा के कथनों का पालन करने को सहमत हुआ। 32 तब योशिय्याह ने यरूशलेम और बिन्यामीन के सभी लोगों से वाचा को स्वीकार करने की प्रतिज्ञा कराई। यरूशलेम में लोगों ने परमेश्वर की वाचा का पालन किया, उस परमेश्वर की वाचा का जिसकी आज्ञा का पालन उनके पूर्वर्जों ने किया था। 33 योशिय्याह ने उन सभी स्थानों से मूर्तियों को फेंक दिया जो स्थान इस्राएल के लोगों के थे। यहोवा उन मूर्तियों से घृणा करता है। योशिय्याह ने इस्राएल के हर एक व्यक्ति को अपने यहोवा परमेश्वर की सेवा में पहुँचाया। जब तक योशिय्याह जीवित रहा, लोगों ने पूर्वजों के यहोवा परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना बन्द नहीं किया।
योशिय्याह फसह पर्व मनाता है
35यरूशलेम में राजा योशिय्याह ने यहोवा के लिये फसह पर्व मनाया। पहले महीने के चौदहवें दिन फसह पर्व का मेमना मारा गया। 2 योशिय्याह ने अपना अपना कार्य पूरा करने के लिये याजकों को चुना। उसने याजकों को उत्साहित किया, जब वे यहोवा के मन्दिर में सेवा कर रहे थे। 3 योशिय्याह ने उन लेवीवंशियों से बातें कीं जो इस्राएल के लोगों को उपदेश देते थे तथा जो यहोवा की सेवा के लिये पवित्र बनाए गए थे। उसने उन लेवीवंशियों से कहा: “पवित्र सन्दूक को उस मन्दिर में रखो जिसे सुलैमान ने बनाया। सुलैमान दाऊद का पुत्र था। दाऊद इस्राएल का राजा था। पवित्र सन्दूक को अपने कंधों पर फिर एक स्थान से दूसरे स्थान पर मत ले जाओ। अब अपने यहोवा परमेश्वर की सेवा करो। परमेश्वर के लोगों अर्थात् इस्राएल के लोगों की सेवा करो। 4 अपने को, अपने परिवार समूहों के क्रम में, मन्दिर की सेवा के लिये तैयार करो। उन कार्यों को करो जिन्हें राजा दाऊद और उसके पुत्र राजा सुलैमान ने तुम्हें करने के लिये दिया था। 5 पवित्र स्थान में लेवीवंशियों के समूह के साथ खड़े हो। लोगों के हर एक भिन्न परिवार समूह के साथ ऐसा ही करो, इस प्रकार तुम उनकी सहायता कर सकते हो। 6 फसह पर्व के मेमनों को मारो और यहोवा के प्रति अपने को पवित्र करो। मेमनों को अपने भाई इस्राएलियों के लिये तैयार करो। सब कुछ वैसे ही करो जैसा करने का आदेश यहोवा ने दिया है। यहोवा ने उन सभी आदेशों को हमें मूसा द्वारा दिया था।”
7 योशिय्याह ने इस्राएल के लोगों को तीस हज़ार भेड़—बकरियाँ फसह पर्व की बलि के लिये दीं। उसने लोगों को तीन हजार पशु भी दिये। ये सभी जानवर राजा योशिय्याह के अपने जानवरों में से थे। 8 योशिय्याह के अधिकारियों ने भी, स्वेच्छा से लोगों को याजकों और लेवीवंशियों को फसह पर्व में उपयोग करने के लिये जानवर और चीज़ें दीं। प्रमुख याजक हिल्किय्याह, जकर्याह और यहीएल मन्दिर के उत्तरदायी अधिकारी थे। उन्होंने यजाकों को दो हजार छ: सौ मेमने और बकरे और तीन सौ बैल फसह पर्व बलि के लिये दिये। 9 कोनन्याह ने भी शमायाह, नतनेल, तथा उसके भाईयों के साथ और हसब्याह, यीएल तथा योजाबाद ने पाँच सौ भेड़ें—बकरियाँ, पाँच सौ बैल फसह पर्व बलि के लिये लेवीवंशियों को दिये। वे लोग लेवीवंशियों के प्रमुख थे।
10 जब हर एक चीज़ फसह पर्व की सेवा आरम्भ करने के लिये तैयार हो गई, तो याजक और लेवीवंशी स्थानों पर गए। यह वही हुआ जो राजा का आदेश था। 11 फसह पर्व के मेमने मारे गए। तब लेवीवंशियों ने जानवरों के चमड़े उतारे और याजकों को खून दिया। याजकों ने खून को वेदी पर छिड़का। 12 तब उन्होंने जानवरों को विभिन्न परिवार समूहों की होमबलि में उपयोग के लिये दिया। यह इसलिये किया गया कि होमबलि उस प्रकार दी जा सके जिस प्रकार मूसा के नियमों ने सिखाया था। 13 लेवीवंशियों ने फसह पर्व फसह पर्व की बलियों को आग पर इस प्रकार भूना जैसा उन्हें आदेश दिया गया था और उन्होंने पवित्र भेंटों को हंडिया. देग और कढ़ाहियों में पकाया। तब उन्होंने लोगों को शीघ्रता से माँस दिया। 14 जब यह पूरा हुआ तब लेवीवंशियों को अपने लिये औऱ उन याजकों के लिये माँस मिला जो हारून के वंशज थे। उन याजकों को काम करते हुए अंधेरा होने तक काम में बहुत अधिक लगाए रखा गया। उन्होंने होमबलि औक बलिदानों की चर्बी को जलाते हुए कड़ा परिश्रम किया। 15 आसाप के परिवार के लेवीवंशी गायक उन स्थानों पर पहुँचे जिन्हें राजा दाऊद ने उनके खड़े होने के लिये चुना था। वे: आसाप, हेमान और राजा का नबी यदूतून थे। हर एक द्वार पर द्वारपाल अपना स्थान नहीं छोड़ सकते थे क्योंकि उनके लेवीवंशी भाईयों ने हर एक चीज़ उनके फसह पर्व के लिये तैयार कर दी थी।
16 इस प्रकार उस दिन सब कुछ यहोवा की उपासना के लिये वैसे ही किया गया था जैसा राजा योशिय्याह ने आदेश दिया। फसह पर्व का त्यौहार मनाया गया और होमबलि यहोवा की वेदी पर चढ़ाई गई। 17 इस्राएल के जो लोग वहाँ थे उन्होंने फसह पर्व मनाया और अखमीरी रोटी का पर्व सात दिन तक मनाया। 18 शमूएल नबी जब जीवित था तब से फसह पर्व इस प्रकार नहीं मनाया गया था। इस्राएल के किसी राजा ने कभी इस प्रकार फसह पर्व नहीं मनाया था। राजा योशिय्याह, याजक, लेवीवंशी और इस्राएल औऱ यहूदा के लोगों ने, यरूशलेम में सभी लोगों के साथ, फसह पर्व को बहुत ही विशेष रुप में मनाया। 19 यह फसह पर्व योशिय्याह के राज्यकाल के अट्ठारहवें वर्ष मनाया गया।
समीक्षा
एक नई वाचा के सेवक
टिम केलर एक वाचा की परिभाषा देते हैं 'संपन्न, अस्थायी, एक दूसरे के लिए स्वयं को देने वाले दो दल। यह नियम और प्रेम दोनों का एक आकर्षण मिश्रण है...एक संबंध जो घनिष्ठता से अधिक है और प्रेमी, जो एक कानूनी अनुबंध निर्माण नहीं कर सकता है, फिर भी अत्यधिक सहनशील और एकता बनाने वाली, जिसे केवल व्यक्तिगत स्नेह ही बना सकता है।'
पौलुस लिखते हैं, 'जिसने हमें नई वाचा के सेवक होने के योग्य भी किया' (2कुरिंथियो 3:6)। वह इसकी तुलना पुराने नियम के साथ करते हैं। यहाँ पर हम पुराने नियम के विषय में कुछ देखते हैं।
आमोन के बाद, जो एक बुरा राजा था, जिसने 'परमेश्वर के सामने अपने आपको दीन नहीं किया' (2इतिहास 33:23), तब योशिय्याह राज्य करने लगा तब वह आठ वर्ष का था (34:1)। उसका विश्वास जीवित हो गया जब वह सोलह वर्ष का था और 'वह अपने मूलपुरुष दाऊद के परमेश्वर की खोज करने लगा' (व.3)। उसने यहूदा और यरूशलेम को सभी बुरी चीजों से साफ कर दिया और स्थान को शुद्ध कर दिया (वव.3-7, एम.एस.जी)। उसने 'मंदिर की मरम्मत की और इसमें सुधार किया' (व.10)।
जब वे यह कर रहे थे तब उन्हें ' मूसा के द्वारा दी हुई यहोवा की व्यवस्था की पुस्तक मिली' (व.14)। पुराने नियम को देखते हुए, उन्होंने जाना कि ' इस पुस्तक में लिखी हुई सब आज्ञाओं का पालन नहीं किया ' (व.21)।
हुल्दा नबिया के द्वारा परमेश्वर ने उनसे बात की (व.22)। (दोबारा, हम यहाँ पर पुराने नियम में एक महिला को सेवकाई में एक प्रबल स्थान में देखते हैं।)
राजा यहूदा के सब लोगों और यरूशलेम के सब निवासियों और याजकों और लेवियों वरन् छोटे बड़े सारी प्रजा के लोगों को संग लेकर यहोवा के भवन को गया; तब उसने जो वाचा की पुस्तक यहोवा के भवन में मिली थी उसमें की सारी बातें उनको पढ़कर सुनाई' (व.30)। तब उसने अपने स्थान पर खड़े होकर, यहोवा से इस आशय की वाचा बाँधी कि मैं यहोवा के पीछे पीछे चलूँगा, और अपने सम्पूर्ण मन और सम्पूर्ण जीव से उनकी आज्ञाओं, चितौनियों और विधियों का पालन करूँगा, और इन वाचा की बातों को जो इस पुस्तक में लिखी हैं, पूरी करूँगा' (व.31, एम.एस.जी)।
पुरानी वाचा एक अच्छी वाचा थी। लेकिन, यह पत्थर की पटियाओं पर लिखी गई थी। यहाँ तक के जब लोगों ने नियम का पालन करने की कोशिश की, तब यह लंबे समय तक नहीं कर पाये। बाहरी सुधार प्रक्रिया केवल तब तक चली, जब तक योशिय्याह वहाँ पर थे इसे लागू करने के लिए। आखिर में, वे इसे पूरा करने में असफल हो गए (यिर्मयाह 11:13 देखे)।
नियम हमें एक उद्धारकर्ता के लिए हमारी आवश्यकता को दिखाती है। हम परमेश्वर की वाचा का पालन केवल तभी कर सकते हैं जब हम यीशु से क्षमा को ग्रहण करते हैं और पवित्र आत्मा की सेवकाई के द्वारा, नियम हमारे हृदय में लिखा हुआ है।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि हम 'नई वाचा के सेवक हैं' और अब आपका नियम आत्मा के द्वारा मेरे हृदय में लिखा हुआ है, जो मुझे सक्षम करता है कि परमेश्वर में चलूं और उनकी सामर्थ में सेवकाई करुँ।
पिप्पा भी कहते है
2इतिहास 34:3
वह लड़का ही था, अर्थात् उसको गद्दी पर बैठे आठ वर्ष पूरे भी न हुए थे कि अपने मूलपुरुष दाऊद के परमेश्वर की खोज करने लगा।
योशिय्याह सोलह वर्ष के थे। परमेश्वर के साथ संबंध रखने या लीडरशिप के लिए अभिषेक प्राप्त करने के लिए आप कभी भी बहुत छोटे नहीं हैं।
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संदर्भ
तिमोथी केलर, प्रचार संदेह के युग में विश्वास बताना (विकिंग, 2015) पी.104
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट ऊ 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी', बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
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