जीवन में अपने उद्देश्य को खोजिये
परिचय
'कितना व्यर्थ!' एक महिला ने मेरे मित्र से कहा। यह महिला बिशम सॅन्डि मिलर के बारे में बात कर रही थी, जो दस सालों से सफलतापूर्वक वकालत कर रहे थे, और यह सब छोड़कर वह चर्च में एक नियुक्त सेवक बन गए।
'व्यर्थ?' गुस्से में मेरे मित्र ने कहा। 'हाँ, ' महिला ने कहा, 'कितना व्यर्थ! वह पैसा बना सकते थे और कानूनी पेशे की ऊँचाई पर पहुंच सकते थे। सोचिये वे कितनी उपलब्धि प्राप्त कर सकते थे!'
'उन चीजों के बारे में सोचिए जो उन्होंने प्राप्त की हैं!' मेरे मित्र ने जवाब दिया –जो विश्व भर में हजारों लोगों पर सॅन्डि की सेवकाई के प्रभाव के बारे में सोच रहे थे, जिनका जीवन बदल चुका था, विवाहिक स्थिती सुधर गई थी और चर्च पहले जैसे हो गए थे; सॅन्डि की सेवकाई के कारण जो लोग यीशु मसीह से मिलने के द्वारा विश्वास, प्रेम, आशा और शांति पाते हैं।
बहुतों ने एक सफल कैरिअर, एक अधिकतम वेतन – विश्व की नजरों से –उनकी सभी संभावनाओं को छोड़ दिया है, थोड़े या बिना वेतन के 'पूर्ण-समय' की सेवकाई में परमेश्वर की सेवकाई करने के लिए। वे जानते हैं कि एक ऊँची बुलाहट और उद्देश्य है, जो उससे कही बढ़कर है जो विश्व उन्हें दे सकता है।
निश्चित ही, जो लोग उनके काम के स्थान में परमेश्वर की सेवा करने के लिए बुलाए गए हैं, उनके पास भी उतनी ही बड़ी बुलाहट और उद्देश्य है, यदि जो वे कर रहे हैं उसे परमेश्वर को प्रसन्न करने और उनके राज्य के लिए कर रहे हैं। मुख्य चीज काम या कैरिअर नहीं है – लेकिन वह लक्ष्य जिसके पीछे आप जाते हैं।
बहुत से लोग अपना जीवन बरबाद कर लेते हैं। उनके पास कोई उद्देश्य, अर्थ या लक्ष्य नहीं है। दूसरों के पास लक्ष्य है, लेकिन यह गलत लक्ष्य है। वे ऐसी चीज के पीछे जाते रहते हैं जो पूरी तरह से अर्थहीन है। बहुत से लोग सफलता की ऊँची सीढ़ी के ऊपर पहुंच जाते हैं और अंत में पाते हैं कि यह गलत दीवार से जुड़ी हुई है। जीवन में उद्देश्य, जायदाद या संपत्ति से कही बढ़कर है। किसी चीज के साथ जीने के लिए बहुत कुछ होना, किसी चीज के जीने के लिए कुछ होना ही विकल्प नहीं है।
ऐसा कहा जाता है कि 'आपके जीवन के दो महान दिन हैं, वह दिन जब आप पैदा हुए थे और वह दिन जब आपको पता चला कि क्यों पैदा हुए थे।'
नीतिवचन 21:17-26
17 जो सुख भोगों से प्रेम करता रहता वह दरिद्र हो जायेगा,
और जो मदिरा का प्रेमी है, तेल का कभी धनी नहीं होगा।
18 दुर्जन को उन सभी बुरी बातों का फल भुगतना ही पड़ेगा, जो सज्जन के विरुद्ध करते हैं।
बेईमान लोगों को उनके किये का फल भुगतना पड़ेगा जो इमानदार लोगों के विरुद्ध करते है।
19 चिड़चिड़ी झगड़ालू पत्नी के संग रहने से
निर्जन बंजर में रहना उत्तम है।
20 विवेकी के घर में मन चीते भोजन और प्रचुर तेल के भंडार भरे होते हैं
किन्तु मूर्ख व्यक्ति जो उसके पास होता है, सब चट कर जाता है।
21 जो जन नेकी और प्रेम का पालन करता है,
वह जीवन, सम्पन्नता और समादर को प्राप्त करता है।
22 बुद्धिमान जन को कुछ भी कठिन नहीं है।
वह ऐसे नगर पर भी चढ़ायी कर सकता है जिसकी रखवाली शूरवीर करते हों,
वह उस परकोटे को ध्वस्त कर सकता है जिसके प्रति वे अपनी सुरक्षा को विश्वस्त थे।
23 वह जो निज मुख को और अपनी जीभ को वश में
रखता वह अपने आपको विपत्ति से बचाता है।
24 ऐसे मनुष्य अहंकारी होता, जो निज को औरों से श्रेष्ठ समझता है,
उस का नाम ही “अभिमानी” होता है। अपने ही कर्मो से वह दिखा देता है कि वह दुष्ट होता है।
25 आलसी पुरूष के लिये उसकी ही लालसाएँ
उसके मरण का कारण बन जाती हैं क्योंकि उसके हाथ कर्म को नहीं अपनाते।
26 दिन भर वह चाहता ही रहता यह उसको और मिले,
और किन्तु धर्मी जन तो बिना हाथ खींचे देता ही रहता है।
समीक्षा
सत्यनिष्ठा और प्रेम के पीछे जाइए
आज बहुत से लोग सुखदायी जीवन जीते हैं। 'सुखदायी' यानि अंतिम लक्ष्य के रूप में आनंद के पीछे जाना। सुखदायी लोग उन चीजों के आदी हो जाते हैं जो उन्हें आनंद देती हैं।
' जो रागरंग से प्रीति रखते हैं, वह कंगाल हो जाते हैं; और जो दाखमधु पीने और तेल लगाने से प्रीति रखते हैं, वह धनी नहीं होते' (व.17, एम.एस.जी)।
आनंद के साथ कोई गलत बात नहीं हैः'बुध्दिमान के घर में उत्तम धन और तेल पाए जाते हैं' (व.20)। लेकिन संबंध, धन से कही ज्यादा बढ़कर हैः' झगडालू और चिढ़ने वाली पत्नी के संग रहने से जंगल में रहना उत्तम है' (व.19, एम.एस.जी)।
आपके जीवन के उद्देश्य और लक्ष्य को कभी भी भौतिक चीजों के इर्द - गिर्द नहीं घूमना चाहिए। इसके बजाय, ' जो सत्यनिष्ठा और कृपा का पीछा करता है, वह जीवन, सत्यनिष्ठा और महिमा भी पाता है' (व.21)। इसे अपने जीवन का लक्ष्य बनाईये – परमेश्वर के साथ एक सही संबंध और दूसरों के साथ एक सही संबंध बनाए रखिए।
प्रेम आपका लक्ष्य होना चाहिएः' कोई ऐसा है, जो दिन भर लालसा ही किया करता है, परन्तु सत्यनिष्ठ लगातार दान करता रहता है' (व.26, एम.एस.जी)।
विडंबना यह है कि जो सत्यनिष्ठा और प्रेम के पीछे जाते हैं, उन्हें वह मिलता है जो सुखदायी को खोज रहे हैः 'जीवन, समृद्धि और सम्मान' (व.21ब)। लेकिन यह साथ आने वाले उत्पाद हैं। यह आपका लक्ष्य या उद्देश्य नहीं होना चाहिए। इसके बजाय आपको परमेश्वर के राज्य और उनकी सत्यनिष्ठा की खोज करनी चाहिए। यीशु वायदा करते हैं कि 'ये सारी चीजे भी आपको दे दी जाएगी' (मत्ती 6:33)।
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि आनंद खोजने में अपने जीवन को व्यर्थ न करुँ – बल्कि आपके राज्य को खोजूं – जो कुछ मैं करता हूँ उसमें सत्यनिष्ठा और प्रेम को खोजूं।
2 कुरिन्थियों 5:1-10
5क्योंकि हम जानते हैं कि हमारी यह काया अर्थात् यह तम्बू जिसमें हम इस धरती पर रहते हैं गिरा दिया जाये तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग में एक चिरस्थायी भवन मिल जाता है जो मनुष्य के हाथों बना नहीं होता। 2 सो हम जब तक इस आवास में हैं, हम रोते-धोते रहते हैं और यही चाहते रहते हैं कि अपने स्वर्गीय भवन में जा बसें। 3 निश्चय ही हमारी यह धारणा है कि हम उसे पायेंगे और फिर बेघर नहीं रहेंगे। 4 हममें से वे जो इस तम्बू यानी भौतिक शरीर में स्थित हैं, बोझ से दबे कराह रहे हैं। कारण यह है कि हम इन वस्त्रों को त्यागना नहीं चाहते बल्कि उनके ही ऊपर उन्हें धारण करना चाहते हैं ताकि जो कुछ नाशवान है, उसे अनन्त जीवन निगल ले। 5 जिसने हमें इस प्रयोजन के लिये ही तैयार किया है, वह परमेश्वर ही है। उसी ने इस आश्वासन के रूप में कि अपने वचन के अनुसार वह हमको देगा, बयाने के रूप में हमें आत्मा दी है।
6 हमें पूरा विश्वास है, क्योंकि हम जानते हैं कि जब तक हम अपनी देह में रह रहे हैं, प्रभु से दूर हैं। 7 क्योंकि हम विश्वास के सहारे जीते हैं। बस आँखों देखी के सहारे नहीं। 8 हमें विश्वास है, इसी से मैं कहता हूँ कि हम अपनी देह को त्याग कर प्रभु के साथ रहने को अच्छा समझते हैं। 9 इसी से हमारी यह अभिलाषा है कि हम चाहे उपस्थित रहें और चाहे अनुपस्थित, उसे अच्छे लगते रहें। 10 हम सब को अपने शरीर में स्थित रह कर भला या बुरा, जो कुछ किया है, उसका फल पाने के लिये मसीह के न्यायासन के सामने अवश्य उपस्थित होना होगा।
समीक्षा
परमेश्वर को प्रसन्न करने का लक्ष्य
पौलुस के जीवन का मुख्य लक्ष्य और उद्देश्य था परमेश्वर को प्रसन्न करनाः ' इस कारण हमारे मन की उमंग यह है कि चाहे साथ रहें चाहे अलग रहें, पर हम उन्हें भाते रहें' (व.9, एम.एस.जी)।
शायद से आप भौतिक चुनौतियों का सामना करें। आपका भौतिक शरीर हमेशा उन चीजों को करने में सक्षम नहीं होगा जो आप किया करते थे। एक दिन ' जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा जैसा घर गिराया जाएगा, तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग में एक ऐसा भवन मिलेगा जो हाथों से बना हुआ घर नहीं, परन्तु चिरस्थाई है। इसमें तो हम कराहते और बड़ी लालसा रखते हैं कि अपने स्वर्गीय घर को पहन लें' (वव.1-2, एम.एस.जी)।
जब आप यीशु मसीह में अपना विश्वास रखते हैं, तब आपसे परमेश्वर के राज्य की सभी आशीषों का वायदा किया जाता है। फिर भी हम कमजोर और पापमय महसूस करते हैं, कठिनाई और निराशा का अनुभव करते हैं और फिर भी एक टूटे विश्व में जीते हैं। राज्य की कितनी आशीष के लिए हमें भविष्य में या अंतिम दिनों में इंतजार करना चाहिए, और यहाँ पर और वर्तमान समय में अभी कितना अनुभव करना चाहिए?
भविष्य में आप क्या अनुभव करेंगे और अभी आप क्या अनुभव करते हैं, उसके बीच में एक संतुलन है। अब, ' तब तक प्रभु से अलग हैं – क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं' (वव.6-7)। भविष्य में, हम 'परमेश्वर के साथ होंगे' (वव.5)। जो मरनहार है वह 'जीवन में डूब जाएगा' (व.4)। आपने अभी तक राज्य की पूरी आशीष का अनुभव नहीं किया है।
फिर भी अब, वर्तमान में, आप भविष्य का अनुभव करते हैं। परमेश्वर ने 'हमें इस उद्देश्य के लिए बनाया है' और हमें उनकी आत्मा दी है 'एक डिपोजिट के रूप में, आने वाली चीजों की गारंटी देते हुए' (व.5)। 'वह हमारे हृदय में स्वर्ग को रखते हैं ताकि हम कभी भी कम पर समझौता न करें' (व.5ब, एम.एस.जी)। वह डिपोजिट एक आश्वासन नहीं है - यह अभी परमेश्वर की आशीष, राज्य और शासन का एक टुकड़ा है। पवित्र आत्मा यही लाते हैं।
' अत: हम सदा ढाढ़स बाँधे रहते हैं और यह जानते हैं कि जब तक हम देह में रहते हैं, तब तक प्रभु से अलग हैं ' (व.6, एम.एस.जी)।
इसी दौरान, 'हम अपना लक्ष्य बना लेते हैं कि उन्हें प्रसन्न करें' (व.9)। ' क्योंकि अवश्य है कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के सामने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उसने देह के द्वारा किए हों पाए' (व.10, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि इस लक्ष्य को मेरे जीवन का केंद्र बनाऊँ। परमेश्वर, जो कुछ मैं करता हूँ, कहता हूँ और सोचता हूँ, उसमें आपको प्रसन्न करना चाहता हूँ।
मीका 5:1-7:20
5हे सुदृढ़ नगर, अब तू अपने सैनिकों को एकत्र कर।
शत्रु आक्रमण करने को हमें घेर रहे हैं!
वे इस्राएल के न्यायाधीश के मुख पर
अपने सोटे से प्रहार करेंगे।
बेतलेहेम में मसीह जन्म लेगा
2 हे बेतलेहेम एप्राता, तू यहूदा का छोटा नगर है
और तेरा वंश गिनती में बहुत कम है।
किन्तु पहले तुझसे ही “मेरे लिये इस्राएल का शासक आयेगा।”
बहुत पहले सुदूर अतीत में
उसके घराने की जड़े बहुत पहले से होंगी।
3 यहोवा अपने लोगों को उनके शत्रुओं के हाथ में सौंप देगा।
वे उस समय तक वही पर बने रहेंगे जब तक वह स्त्री अपने बच्चे को जन्म नहीं देती।
फिर उसके बन्धु जो अब तक जीवित हैं, लौटकर आयेंगे।
वे इस्राएल क लोगों के पास लौटकर आयेंगे।
4 तब इस्राएल का शासक खड़ा होगा और भेड़ों के झुण्ड को चरायेगा।
यहोवा की शक्ति से वह उनको राह दिखायेगा।
वह यहोवा परमेश्वर के अदभुत नाम की शक्ति से उनको राहें दिखायेगा।
वहाँ शान्ति होगी, क्योंकि ऐसे उस समय में उसकी महिमा धरती के छोरों तक पहुँच जायेगी।
5 वहाँ शान्ति होगी,
यदि अश्शूर की सेना हमारे देश में आयेगी
और वह सेना हमारे विशाल भवन तोड़ेगी,
तो इस्राएल का शासक सात गड़ेरिये चुनेगा।
नहीं, हम आठ मुखियाओं को पायेंगे।
6 वे अश्शूर के लोगों पर अपनी तलवारों से शासन करेंगे।
नंगी तलवारों के साथ उन का राज्य निम्रोद की धरती पर रहेगा।
फिर इस्राएल का शासक हमको अश्शूर के लोगों से बचायेगा।
वे लोग जो हमारी धरती पर चढ़ आयेंगे और वे हमारी सीमाएँ रौंद डालेंगे।
7 फिर बहुत से लोगों के बीच में याकूब के बचे हुए वंशज ओस के बूँद जैसे होंगे जो यहोवा की ओर से आई हो।
वे घास के ऊपर वर्षा जैसे होंगे।
वे लोगों पर निर्भर नहीं होंगे।
वे किसी जन की प्रतीक्षा नहीं करेंगे।
वे किसी पर भी निर्भर नहीं होंगे।
8 बहुत से लोगों के बीच याकूब के बचे हुए लोग
उस सिंह जैसे होंगे
जो जंगल के पशुओं के बीच होता है।
जब सिंह बीच से गुजरता है
तो वह वहीं जाता है,
जहाँ वह जाना चाहता है।
वह पशु पर टूट पड़ता है
और उस पशु को कोई बचा नहीं सकता है।
उसके बचे हुए लोग ऐसे ही होंगे।
9 तुम अपने हाथ अपने शत्रुओं पर उठाओगे
और तुम उनका विनाश कर डालोगे।
लोग परमेश्वर के भरोसे रहेंगे
10 यहोवा कहता है:
“उस समय मैं तुमसे तुम्हारे घोड़े छींन लूँगा।
तुम्हारे रथों को नष्ट कर डालूँगा।
11 मैं तुम्हारे देश के नगर उजाड़ दूँगा।
मैं तुम्हारे सभी गढ़ों को गिरा दूँगा।
12 फिर तुम जादू चलाने को यत्न नहीं करोगे।
फिर ऐसे उन लोगों को, जो भविष्य बताने का प्रयत्न करते हैं, तुम नहीं रखोगे।
13 मैं तुम्हारे झूठे देवताओं की मूर्तियों को नष्ट करूँगा।
उन झूठे देवों के पत्थर के स्मृति—स्तम्भ मैं उखाड़ फेंकूँगा जिनको तुमने स्वयं अपने हाथों से बनाया है।
तुम उनकी पूजा नहीं कर पाओगे।
14 मैं अशेरा की पूजा के खम्भों को नष्ट कर दूँगा।
तुम्हारे झूठे देवताओं को मैं तहस— नहस कर दूँगा।
15 कुछ लोग ऐसे होंगे जो मेरी नहीं सुनेंगे।
मैं उन पर क्रोध करूँगा और मैं उनसे बदला लूँगा।”
यहोवा परमेश्वर की शिकायत
6जो यहोवा कहता है, उस पर तुम कान दो।
“तुम पहाड़ों के सामने खड़े हो जाओ और फिर उनको कथा का अपना पक्ष सुनाओ,
पहाड़ों को तुम अपनी कहानी सुनाओ।
2 यहोवा को अपने लोगों से एक शिकायत है।
पर्वतों, तुम यहोवा की शिकायत को सुनो।
धरती की नीवों, यहोवा की शिकायत को सुनो।
वह प्रमाणित करेगा कि इस्राएल दोषी हैं!”
3 यहोवा कहता है: “हे मेरे लोगों, क्या मैंने कभी तुम्हारा कोई बुरा किया है?
मैंने कैसे तुम्हारा जीवन कठिन किया है?
मुझे बताओ, मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है?
4 मैं तुमको बताता हूँ जो मैंने तुम्हारे साथ किया है,
मैं तुम्हें मिस्र की धरती से निकाल लाया,
मैंने तुम्हें दासता से मुक्ति दिलायी थी।
मैंने तुम्हारे पास मूसा, हारून और मरियम को भेजा था।
5 हे मेरे लोगों, मोआब के राजा बालाक के कुचक्र याद करो।
वे बातें याद करो जो बोर के पुत्र बिलाम ने बालाक से कहीं थी।
वे बातें याद करो जो शित्तीम से गिल्गाल तक घटी थी।
तभी समझ पाओगे की यहोवा उचित है!”
परमेश्वर हम से क्या चाहता है
6 जब मैं यहोवा के सामने जाऊँ और प्रणाम करूँ,
तो परमेश्वर के सामने अपने साथ क्या लेकर के जाऊँ
क्या यहोवा के सामने
एक वर्ष के बछड़े की होमबलि लेकर के जाऊँ
7 क्या यहोवा एक हजार मेढ़ों से
अथवा दासियों हजार तेल की धारों से प्रसन्न होगा?
क्या अपने पाप के बदले में मुझको
अपनी प्रथम संतान जो अपनी शरीर से उपजी हैं, अर्पित करनी चाहिये?
8 हे मनुष्य, यहोवा ने तुझे वह बातें बतायीं हैं जो उत्तम हैं।
ये वे बातें हैं, जिनकी यहोवा को तुझ से अपेक्षा है।
ये वे बातें हैं—तू दुसरे लोगों के साथ में सच्चा रह;
तू दूसरों से दया के साथ प्रेम कर,
और अपने जीवन नम्रता से परमेश्वर के प्रति बिना उपहारों से तुम उसे प्रभावित करने का जतन मत करो।
इस्राएल के लोग क्या कर रहे थे
9 यहोवा की वाणी यरूशलेम नगर को पुकार रही है।
बुद्धिमान व्यक्ति यहोवा के नाम को मान देता हैं।
इसलिए सजा के राजदण्ड पर ध्यान दे और उस पर ध्यान दे, जिसके पास राजदण्ड है!
10 क्या अब भी दुष्ट अपने चुराये खजाने को
छिपा रहे हैं?
क्या दुष्ट अब भी लोगों को
उन टोकरियों से छला करते हैं
जो बहुत छोटी हैं (यहोवा इस प्रकार से लोगों को छले जाने से घृणा करता है!)
11 क्या मैं उन ऐसे बुरे लोगों को नजर अंदाज कर दूँ जो अब भी खोटे बाँट और खोटी तराजू लोगों को ठगने के काम में लाते हैं?
क्या मैं उन ऐसे बुरे लोगों को नजर अंदाज कर दूँ, जो अब भी ऐसी गलत बोरियाँ रखते हैं?
जिनके भार से गलत तौल दी जाती है?
12 उस नगर के धनी पुरूष अभी भी क्रूर कर्म करते हैं!
उस नगर के निवासी अभी भी झूठ बोला करते हैं।
हाँ, वे लोग मनगढ़ंत झूठों को बोला करते हैं!
13 सो मैंने तुम्हें दण्ड देना शुरू कर दिया है।
मैं तुम्हें तुम्हारे पापों के लिये नष्ट कर दूँगा।
14 तुम खाना खाओगे किन्तु तुम्हारा पेट नहीं भरेगा।
तुम फिर भी भूखे रहोगे।
तुम लोगों को बचाओगे, उन्हें सुरक्षित घऱ ले आने को
किन्तु तुम जिसे भी बचाओगे, मैं उसे तलवार के घाट उतार दूँगा!
15 तुम अपने बीज बोओगे
किन्तु तुम उनसे भोजन नहीं प्राप्त करोगे।
तुम घानी में पेर कर अपने जैतून का तेल निचोड़ोगे
किन्तु तुम्हें उतना भी तेल नहीं मिलेगा जो अर्घ्य देने को प्रयाप्त हो।
तुम अपने अंगूरों को खूंद कर निचोड़ोगे
किन्तु तुमको वह दाखमधु पीने को काफी नहीं होगा।
16 ऐसा क्यों होगा? क्योंकि तुम ओम्री के नियमों पर चलते हो।
तुम उन बुरी बातों को करते हो जिनको आहाब का परिवार करता था।
तुम उनकी शिक्षाओं पर चला करते हो
इसलिये मैं तुम्हें नष्ट भ्रष्ट कर दूँगा।
तुम्हारे नगर के लोग हँसी के पात्र बनेंगे।
तुम्हें अन्य राज्यों की घृणा झेलनी होगी।
लोगों के पाप—आचरण पर मीका की व्याकुलता
7मैं व्याकुल हूँ, क्यों क्योंकि मैं गर्मी के उस फल सा हूँ जिसे अब तक बीन लिया गया है।
मैं उन अंगूरों सा हूँ जिन्हें तोड़ लिया गया है।
अब वहाँ कोई अंगूर खाने को नहीं बचे है।
शुरू की अंजीरें जो मुझको भाती हैं, एक भी नहीं बची है।
2 इसका अर्थ यह है कि सभी सच्चे लोग जाते रहे हैं।
कोई भी सज्जन व्यक्ति इस प्रदेश में नहीं बचा है।
हर व्यक्ति किसी दूसरे को मारने की घात में रहता है।
हर व्यक्ति अपने ही भाई को फंदे में फँसाने का जतन करता है।
3 लोग दोनों हाथों से बुरा करने में पारंगत हैं।
अधिकारी लोग रिश्वत माँगते हैं।
न्यायाधीश अदालतों में फैसला बदलने के लिये धन लिया करते हैं।
“महत्वपूर्ण मुखिया” खरे और निष्पक्ष निर्णय नहीं लेते हैं।
उन्हें जैसा भाता है, वे वैसा ही काम करते हैं।
4 यहाँ तक कि उनका सर्वोच्च काँटों की झाड़ी सा होता है।
यहाँ तक कि उनका सर्वाच्च काँटों की झाड़ी से अधिक टेढ़ा होता है।
दण्ड का दिन आ रहा है
तुम्हारे नबियों ने कहा था कि यह दिन आयेगा
और तुम्हारे रखवालों का दिन आ पहुँचा है।
अब तुमको दण्ड दिया जायेगा!
तुम्हारी मति बिगड़ जायेगा!
5 तुम अपने पड़ोसी का भरोसा मत करो!
तुम मित्र का भरोसा मत करो!
अपनी पत्नी तक से
खुलकर बात मत करो!
6 व्यक्ति के अपने ही घर के लोग उसके शत्रु हो जायेंगे।
पुत्र अपने पिता का आदर नहीं करेगा।
पुत्री अपनी माँ के विरूद्ध हो जायेगी।
बहू अपने सास के विरूद्ध हो जायेगी।
यहोवा बचाने वाला है
7 मैं सहायता के लिये यहोवा को निहारूँगा!
मैं परमेश्वर की प्रतीक्षा करूँगा कि वह मुझ को बचा ले।
मेरा परमेश्वर मेरी सुनेगा।
8 मेरा पतन हुआ है।
किन्तु हे मेरे शत्रु, मेरी हँसी मत उड़ा!
मैं फिर से खड़ा हो जाऊँगा।
यद्यपि आज अंधेरे में बैठा हूँ यहोवा मेरे लिये प्रकाश होगा।
यहोवा क्षमा करता है
9 यहोवा के विरूद्ध मैंने पाप किया था।
अत: वह मुझ पर क्रोधित था।
किन्तु न्यायालय में वह मेरे अभियोग का वकालत करेगा।
वह, वे ही काम करेगा जो मेरे लिये उचित है।
फिर वह मुझको बाहर प्रकाश में ले आयेगा
और मैं उसके छुटकारे को देखूँगा।
10 फिर मेरी बैरिन यह देखेगी
और लज्जित हो जायेगी।
मेरे शत्रु ने यह मुझ से कहा था,
“तेरा परमेश्वर यहोवा कहाँ है”
उस समय, मैं उस पर हँसूंगी।
लोग उसको ऐसे कुचल देंगे जैसे गलियों में कीचड़ कुचली जाती है।
यहूदी लौटने को हैं
11 वह समय आयेगा, जब तेरे परकोटे का फिर निर्माण होगा,
उस समय तुम्हारा देश विस्तृत होंगे।
12 तेरे लोग तेरी धरती पर लौट आयेंगे।
वे लोग अश्शूर से आयेंगे और वे लोग मिस्र के नगरों से आयेंगे।
तेरे लोग मिस्र से और परात नदी के दूसरे छोर से आयेंगे।
वे पश्चिम के समुद्र से और पूर्व के पहाड़ों से आयेंगे।
13 धरती उन लोगों के कारण जो इसके निवासी थे
बर्बाद हुई थी, उन कर्मो के कारण जिनको वे करते थे।
14 सो अपने राजदण्ड से तू उन लोगों का शासन कर।
तू उन लोगों के झुण्ड का शासन कर जो तेरे अपने हैं।
लोगों का वह झुण्ड जंगलों में
और कर्म्मेल के पहाड़ पर अकेला ही रहता है।
वह झुण्ड बाशान में रहता है और गिलाद में बसता है
जैसे वह पहले रहा करता था!
इस्राएल अपने शत्रुओं को हरायेगा
15 जब मैं तुमको मिस्र से निकाल कर लाया था, तो मैंने बहुत से चमत्कार किये थे।
वैसे ही और चमत्कार मैं तुमको दिखाऊँगा।
16 वे चमत्कार जातियाँ देखेंगी
और लज्जित हो जायेंगी।
वे जातियाँ देखेंगी कि
उनकी “शक्ति” मेरे सामने कुछ नहीं हैं।
वे चकित रह जायेंगे
और वे अपने मुखों पर हाथ रखेंगे!
वे कानों को बन्द कर लेंगे
और कुछ नहीं सुनेंगे।
17 वे सांप से धूल चाटते हुये धरती पर लोटेंगे,
वा भय से काँपेंगे।
जैसे कीड़े निज बिलों से रेंगते हैं,
वैसे ही वे धरती पर रेंगा करेंगे।
वे डरे—कांपते हुये हमारे परमेश्वर यहोवा के पास जायेंगे।
परमेश्वर, वे तुम्हारे सामने डरेंगे।
यहोवा की स्तुति
18 तेरे समान कोई परमेश्वर नहीं है।
तू पापी जनों को क्षमा कर देता है।
तू अपने बचे हुये लोगों के पापों को क्षमा करता है।
यहोवा सदा ही क्रोधित नहीं रहेगा,
क्योंकि उसको दयालु ही रहना भाता है।
19 हे यहोवा, हमारे पापों को दूर करके फिर हमको सुख चैन देगा,
हमारे पापों को तू दूर गहरे सागर में फेंक देगा।
20 याकूब के हेतु तू सच्चा होगा।
इब्राहीम के हेतु तू दयालु होगा, तूने ऐसी ही प्रतिज्ञा बहुत पहले हमारे पूर्वजो के साथ की थी।
समीक्षा
मीका की चुनौती को लीजिए
आत्मा को व्यर्थ करना संभव है। मीका के द्वारा परमेश्वर चेतावनी देते हैं, इन चीजों के विरूद्ध
' क्या अब तक दुष्ट के घर में दुष्टता से पाया हुआ धन और छोटा एपा घृणित नहीं है? क्या मैं कपट का तराजू और घटबढ़ के बटखरों की थैली लेकर पवित्र ठहर सकता हूँ? यहाँ के धनवान लोग उपद्रव का काम देखा करते हैं; और यहाँ के सब रहने वाले झूठ बोलते हैं, और उनके मुँह से छल की बातें निकलती हैं। इस कारण मैं तुझे मारते मारते बहुत ही घायल करता हूँ, और तेरे पापों के कारण तुझ को उजाड़ डालता हूँ। तू खाएगा, परन्तु तृप्त न होगा, तेरा पेट जलता ही रहेगा; और तू अपनी सम्पत्ति लेकर चलेगा, परन्तु न बचा सकेगा, और जो कुछ तू बचा भी ले, उसको मैं तलवार चलाकर लुटवा दूँगा' (6:10-14, एम.एस.जी)।
भविष्यवक्ता मीका बाट जोहते हैं (उदाहरण के लिए, 7:7-20 देखे)। एक बार वह अनजाने में यीशु के बारे में भविष्यवाणी करते हैं (मत्ती 2:5-12)। वह देखते हैं कि बेतलहम से एक अधिपति निकलेगा, 'उसका निकलना प्राचीनकाल से, वरन् अनादि काल से होता आया है.. वह शान्ति का मूल होगा' (मीका 5:2, 5अ)। वह 'विश्व में शांति लाने वाला' ठहरेगा (व.4ब, एम.एस.जी)।
दूसरे समय, भविष्यवक्ता मीका, पीछे की ओर देखते हैं। वह वे सब देखते हैं जो परमेश्वर ने अपने लोगों के लिए किया है (6:3 देखे)। उसने उन्हें छुड़ाया। उसने उनकी अगुवाई की (व.4)। उसने उन्हें चेताया कि 'स्मरण रखे' (व.5)।
परमेश्वर अद्भुत प्रेम और दया के परमेश्वर हैं: ' उनके समान ऐसा परमेश्वर कहाँ है जो पाप को क्षमा करे और अपने निज भाग के बचे हुओं के अपराध को ढाँप दे? वह अपने क्रोध को सदा बनाए नहीं रहते, क्योंकि वह करुणा से प्रीति रखते हैं। वह फिर भी हम पर दया करते हैं, और हमें बुराई के कामों से दूर करते हैं। वे हमारे सब पापों को गहरे समुद्र में डाल देंगे ' (7:18-19, एम.एस.जी)।
यीशु के द्वारा आपके भूतकाल को पूरी तरह से क्षमा कर दिया गया है। पछतावे के साथ भूतकाल को देखते मत रहिये। परमेश्वर ने 'आपके सभी बुरे कामों को समुद्र की गहराई में डाल दिया है' (व.19) और वहाँ पर 'मंडराने' की अनुमति नहीं है।
इस अद्भुत अनुग्रह के प्रति हमारा उत्तर क्या होगा? मीका इस चुनौती को बताते हैं: ' तू न्याय से काम करें, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले' (6:8क)। यह तीन चुनौती हमें हमारे जीवन का उद्देश्य और लक्ष्य देते हैं।
- न्याय से काम करें
परमेश्वर की सूची में न्याय सर्वोपरी है। अन्याय आज विश्व में बहुत से कष्ट उत्पन्न करता है। मुझे अपने जीवन में और हमारे समुदाय में एक उच्च प्राथमिकता बनाने की आवश्यकता है। हमें अवश्य ही और अधिक करना चाहिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि गरीब, दलित और दरिद्र को न्याय मिले।
- प्रेम दया
परमेश्वर ने हमें ऐसी दया दिखाई है। हमारा उत्तर होना चाहिए कि दूसरों के प्रति दया दिखाए। जैसा कि जॉयस मेयर इसे बताती हैं, 'लोगों पर सिद्ध रूप से कार्य करने का दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए; उनसे प्रेम करने और उन्हें स्वीकार किये जाने की आवश्यकता है।' हमें परमेश्वर के प्रेम और दया के संदेश को सभी तक ले जाना चाहिए, कैदियों, बेघर, बूढ़े और गरीबों तक भी।
- परमेश्वर के साथ दीनतापूर्वक चले
कभी भी अपने आपको दूसरो से बेहतर, ऊँचा या अधिक महत्वपूर्ण मत समझिए। एक घमंडी व्यक्ति अपने महत्व को बहुत ज्यादा समझता है। वे अपने आप पर हँस नहीं सकते हैं। 'अपने आपको बहुत गंभीरता से मत लीजिए – परमेश्वर को गंभीरता से लीजिए' (व.8क, एम.एस.जी)। हम इसमें से कुछ नहीं कर सकते हैं, यदि हम परमेश्वर के साथ एक संबंध में न चले।
ये तीन साथ-साथ जाते हैं। सच्चा विश्वास इस बात का प्रमाण है कि आप कैसे जीते हैं। यही कारण है कि पौलुस लिखते हैं कि 'शरीर में की जाने वाली चीजों से' (2कुरिंथियो 5:10) फरक पड़ता है। उनके द्वारा आपका न्याय किया जाएगा। वे आपके विश्वास के प्रमाण हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर मेरी सहायता कीजिए कि न्याय के साथ काम करुँ, दया से प्रेम करुँ, और आपके साथ दीनतापूर्वक चलूं।
पिप्पा भी कहते है
2कुरिंथियो 5:10
' क्योंकि अवश्य है कि हम सब का हाल मसीह के न्याय के आसन के सामने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उसने देह के द्वारा किए हों पाए। '
इस प्रकाश में, मुझे मीका की पुस्तक से पढ़ना पसंद हैः
' तेरे समान ऐसा परमेश्वर कहाँ है जो पाप को क्षमा करे और अपने निज भाग के बचे हुओं के अपराध को ढाँप दे? वह अपने क्रोध को सदा बनाए नहीं रहते, क्योंकि वह करुणा से प्रीति रखते हैं। वह फिर हम पर दया करेंगे, और हमारे बुराई के कामों को मिटा डालेंगे। वह हमारे सब पापों को गहरे समुद्र में डाल देंगे ' (7:18-19)।

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संदर्भ
जॉयस मेयर, एव्रीडे लाईफ बाईबल, (फेथवर्डस, 2013) पी.1417
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