पहचानिये कि आप क्या हैं
परिचय
जिन राजदूतों से मैं मिला उन्होंने हमेशा मुझे बहुत ज्यादा आकर्षित किया है। स्पष्ट रूप से उन्हें सावधानी से चुना गया था। उन सभी को कूटनीति की कला में प्रशिक्षित किया गया था। वे अपने देश का प्रतिनिधित्व करने में कुशल हैं, इसके द्वारा कि कैसे वे काम करते हैं और वे क्या कहते हैं।
एक राजदूत होना एक बहुत ही महान सुविधा है। एक राजदूत ’उच्च श्रेणी का सेवक है जिसे विदेश में भेजा जाता है...देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए।' एक ब्रिटिश राजदूत एक सेवक है जो रानी या देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहाँ कही वे भेजे जाते हैं।
पौलुस लिखते हैं कि हम ’मसीह के राजदूत' हैं (2कुरिंथियो 5:20)। ’राजदूत' के लिए अनुवादित ग्रीक शब्द प्रेस्बियो है। ’प्रेसबिटर' के रूप में जिसका मूल समान है, यह एक शब्द है जिसका उपयोग चर्च लीडर्स का वर्णन करने के लिए किया जाता है। चाहे आप चर्च में एक जाने माने लीडरशिप भूमिका में शामिल हैं या नहीं, आप मसीह के राजदूत हैं, आपके पास असाधारण सुविधा और उत्तरदायित्व है कि विश्व में यीशु का प्रतिनिधित्व करें। आप पृथ्वी पर परमेश्वर के प्रतिनिधी हैं।
आपके द्वारा परमेश्वर दूसरो से विनती करते हैं कि उनकी क्षमा, प्रेम और अनुग्रह को ग्रहण करें। उनसे विनती करें कि परमेश्वर के मित्र और राजदूत बने। राजसी राजदूत के रूप में, कूटनीति और हुनर के साथ काम कीजिए क्योंकि आप पृथ्वी पर मसीह को प्रस्तुत करते हैं।
भजन संहिता 105:1-11
105यहोवा का धन्यवाद करो! तुम उसके नाम की उपासना करो।
लोगों से उनका बखान करो जिन अद्भुत कामों को वह किया करता है।
2 यहोवा के लिये तुम गाओ। तुम उसके प्रशंसा गीत गाओ।
उन सभी आश्चर्यपूर्ण बातों का वर्णन करो जिनको वह करता है।
3 यहोवा के पवित्र नाम पर गर्व करो।
ओ सभी लोगों जो यहोवा के उपासक हो, तुम प्रसन्न हो जाओ।
4 सामर्थ्य पाने को तुम यहोवा के पास जाओ।
सहारा पाने को सदा उसके पास जाओ।
5 उन अद्भुत बातों को स्मरण करो जिनको यहोवा करता है।
उसके आश्चर्य कर्म और उसके विवेकपूर्ण निर्णयों को याद रखो।
6 तुम परमेश्वर के सेवक इब्राहीम के वंशज हो।
तुम याकूब के संतान हो, वह व्यक्ति जिसे परमेश्वर ने चुना था।
7 यहोवा ही हमारा परमेश्वर है।
सारे संसार पर यहोवा का शासन है।
8 परमेश्वर की वाचा सदा याद रखो।
हजार पीढ़ियों तक उसके आदेश याद रखो।
9 इब्राहीम के साथ परमेश्वर ने वाचा बाँधा था!
परमेश्वर ने इसहाक को वचन दिया था।
10 परमेश्वर ने याकूब (इस्राएल) को व्यवस्था विधान दिया।
परमेश्वर ने इस्राएल के साथ वाचा किया। यह सदा सर्वदा बना रहेगा।
11 परमेश्वर ने कहा था, “कनान की भूमि मैं तुमको दूँगा।
वह धरती तुम्हारी हो जायेगी।”
समीक्षा
संपूर्ण विश्व के लिए राजदूत
हम राजदूत के रूप में सभी देशो के लिए एक आशीष बनने के लिए बुलाए गए हैं। यीशु ने हमसे कहा कि जाकर संपूर्ण विश्व को चेला बनाओ (मत्ती 28:19-20)। परमेश्वर के लोग आशीषित हैं, संपूर्ण विश्व के लिए एक आशीष बनने के लिए।
’ यहोवा का धन्यवाद करो, उनसे प्रार्थना करो, देश देश के लोगों में उनके कामों का प्रचार करो' (भजनसंहिता 105:1)। हममें से कुछ को बहुत से देशों के साथ संपर्क में आने के लिए यात्रा करने की आवश्यकता नहीं है। लंदन में, जहाँ मैं रहता हूँ, प्रायोगिक रूप से विश्व के सभी देशों का प्रतिनिधित्व किया जाता है।
भजनसंहिता के लेखक लिखते हैं, ' उनके किए हुए आश्चर्यकर्म स्मरण करो' (व.5अ), और फिर वह आगे यही करते हैं। वह उन सभी चीजों से गुजरते हैं जो परमेश्वर ने उनके लिए की हैं।
आपकी कौन सी मनपसंद यादें हैं? परमेश्वर की आशीष को स्मरण करने और उनका धन्यवाद देने के लिए समय निकालिये। मसीह के एक राजदूत के रूप में, एक राजनीतिक तरीका ढूंढ़िये, 'सभी को यह बताने का कि उन्होंने क्या किया है' (व.1, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
परमेश्वर, उन सभी अद्भुत आश्चर्यों के लिए आपका धन्यवाद जो आपने मेरे लिए की हैं। जैसे ही मैं आने वाले दिनों की राह देखता हूँ, मेरी सहायता कीजिए कि सभी देशों को बता पाऊँ कि आपने क्या किया है।
2 कुरिन्थियों 5:11-6:2
परोपकारी परमेश्वर के मित्र होते हैं
11 इसलिए प्रभु से डरते हुए हम सत्य को ग्रहण करने के लिये लोगों को समझाते-बुझाते हैं। हमारे और परमेश्वर के बीच कोई पर्दा नहीं है। और मुझे आशा है कि तुम भी हमें पूरी तरह जानते हो। 12 हम तुम्हारे सामने फिर से अपनी कोई प्रशंसा नहीं कर रहे हैं। बल्कि तुम्हें एक अवसर दे रहे हैं कि तुम हम पर गर्व कर सको। ताकि, जो प्रत्यक्ष दिखाई देने वाली वस्तु पर गर्व करते हैं, न कि उस पर जो कुछ उनके मन में है, उन्हें उसका उत्तर मिल सके। 13 क्योंकि यदि हम दीवाने हैं तो परमेश्वर के लिये हैं और यदि सयाने हैं तो वह तुम्हारे लिये हैं। 14 हमारा नियन्ता तो मसीह का प्रेम है क्योंकि हमने अपने मन में यह धार लिया है कि वह एक व्यक्ति (मसीह) सब लोगों के लिये मरा। अतः सभी मर गये। 15 और वह सब लोगों के लिए मरा क्योंकि जो लोग जीवित हैं, वे अब आगे बस अपने ही लिये न जीते रहें, बल्कि उसके लिये जियें जो मरने के बाद फिर जीवित कर दिया गया।
16 परिणामस्वरूप अब से आगे हम किसी भी व्यक्ति को सांसारिक दृष्टि से न देखें यद्यपि एक समय हमने मसीह को भी सांसारिक दृष्टि से देखा था। कुछ भी हो, अब हम उसे उस प्रकार नहीं देखते। 17 इसलिए यदि कोई मसीह में स्थित है तो अब वह परमेश्वर की नयी सृष्टि का अंग है। पुरानी बातें जाती रही हैं। सब कुछ नया हो गया है 18 और फिर ये सब बातें उस परमेश्वर की ओर से हुआ करती हैं, जिसने हमें मसीह के द्वारा अपने में मिला लिया है और लोगों को परमेश्वर से मिलाप का काम हमें सौंपा है। 19 हमारा संदेश है कि परमेश्वर लोगों के पापों की अनदेखी करते हुए मसीह के द्वारा उन्हें अपने में मिला रहा है और उसी ने मनुष्य को परमेश्वर से मिलाने का संदेश हमें सौंपा है। 20 इसलिये हम मसीह के प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे हैं। मानो परमेश्वर हमारे द्वारा तुम्हें चेता रहा है। मसीह की ओर से हम तुमसे विनती करते हैं कि परमेश्वर के साथ मिल जाओ। 21 जो पाप रहित है, उसे उसने इसलिए पाप-बली बनाया कि हम उसके द्वारा परमेश्वर के सामने नेक ठहराये जायें।
6परमेश्वर के कार्य में साथ-साथ काम करने के नाते हम तुम लोगों से आग्रह करते हैं कि परमेश्वर का जो अनुग्रह तुम्हें मिला है, उसे व्यर्थ मत जाने दो। 2 क्योंकि उसने कहा है:
“मैंने उचित समय पर तेरी सुन ली,
और मैं उद्धार के दिन तुझे सहारा देने आया।”
देखो! “उचित समय” यही है। देखो! “उद्धार का दिन” यही है।
समीक्षा
एक शीघ्र संदेश के साथ राजदूत
हम सभी ’मसीह के राजदूत' हैं (5:20)। मसीह के एक राजदूत के रूप में, पौलुस ’लोगों को समझाने' की कोशिश करते हैं (व.11) सुसमाचार के सत्य के विषय में।
यह एक बड़ा उत्तरदायित्व है। यह शीघ्र करना है। इसे गंभीरता से लीजिएः’ क्योंकि अवश्य है कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के सामने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उसने देह के द्वारा किए हों पाए। इसलिये प्रभु का भय मानकर हम लोगों को समझाते हैं; परन्तु परमेश्वर पर हमारा हाल प्रकट है, और मेरी आशा यह है कि तुम्हारे विवेक पर भी यह प्रकट हुआ होगा' (व.11, एम.एस.जी)।
परमेश्वर आपके द्वारा विनती करते हैं। परमेश्वर अपने आप या स्वर्गदूतों के द्वारा विनती कर सकते थे। इसके बजाय, उन्होंने आपके और मेरे द्वारा इसे करना चुना। ’परमेश्वर ने मेल – मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है' (व.19ब, एम.एस.जी)। पौलुस लिखते हैं, ' हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं कि परमेश्वर के साथ मेल – मिलाप कर लो' (व.20)। ’परमेश्वर के साथ मित्र बन जाओ; वह पहले ही आपके एक मित्र हैं' (व.20, एम.एस.जी)।
- प्रेम है...ध्येय
’क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश करता है' (व.14)। ’जो कुछ हम करते हैं उसमें उनका प्रेम अंतिम निर्णायक है' (व.14अ, एम.एस.जी)। आप एक प्रेम का जीवन जीने के लिए बुलाए गए हैं। पहला, यीशु के लिए प्रेम, जो हमारे लिए मरे ताकि हम आगे अपने लिए बल्कि परमेश्वर के लिए जीएँ (व.15)। दूसरा, दूसरों के लिए प्रेम, क्योंकि हम जानते हैं कि यीशु उनके लिए मर गएः’एक व्यक्ति जो सब के लिए मर गए' (व.14ब, एम.एस.जी)।
- प्रेम है...संदेश
संदेश हैः’परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं।' वह खुली बाँहो से आपका स्वागत करते हैं। क्योंकि यीशु आपके लिए मर गए, आप परमेश्वर के एक मित्र बन सकते हैं। आप जब चाहे निर्भीकता के साथ उनके सम्मुख जा सकते हैं।
संदेश मेलमिलाप के विषय में है (वव.18-19)। परमेश्वर के साथ और एक दूसरे के साथ – प्रेम के एक संबंध में मेलमिलाप सुधरी हुई मित्रता के विषय में है। यह एक बड़ी सुविधा और आनंद है कि लोगों का परमेश्वर से और एक दूसरे के साथ मेल-मिलाप हो जाएँ – विशेषरूप से विवाह में, परिवार में और दूसरे टूटे संबंधों में।
यह यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा संभव बनाया गयाः’ जो पाप से अज्ञात थे, उन्ही को उन्होंने हमारे लिये पाप ठहराया कि हम उनमें होकर परमेश्वर की सत्यनिष्ठा बन जाएँ।' (व.21, एम.एस.जी)।
पौलुस लिखते हैं कि ’ परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल – मिलाप कर लिया' (व.19)। कुछ लोग नये नियम की शिक्षा को व्यंग्य चित्र बनाते हैं और बताते हैं कि परमेश्वर असभ्य और अन्यायी हैं क्योंकि उन्होंने निर्दोष व्यक्ति, यीशु को हमारे बदले दंड दिया। नया नियम ऐसा नहीं कहता है। इसके बजाय, पौलुस लिखते हैं, 'परमेश्वर...मसीह में होकर।' उनके पुत्र के रूप में वह स्वयं वहाँ पर थे। उन्होंने हमारे लिए यह संभव बनाया कि उनके साथ हमारा संबंध सही हो जाए।
इसके परिणामस्वरूप, ' इसलिये यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है : पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, सब बातें नई हो गई हैं ' (व.17)। जैसा कि न्यू लिव्हिंग अनुवाद इसे बताता है, 'जो मसीह बन जाते हैं वे नये व्यक्ति बन जाते हैं। वे अब पहले जैसे नहीं है क्योंकि पुराना चला गया है। एक नया जीवन शुरु हो चुका है' (व.17)।
- प्रेम...माध्यम है
कभी भी लोगों पर दबाव मत डालिये। इसके बजाय, उन्हे मनाने की कोशिश करें (व.11) क्योंकि आप उनसे प्रेम करते हैं। मसीह के पक्ष में उनसे विनती करिए (व.20)। आप मसीह के प्रतिनिधी हैं। यीशु ने हमेशा प्रेम में कार्य किया और उनके राजदूत के रूप में आप इस प्रेम को दर्शाते हैं।
पौलुस लिखते हैं, 'मैं आशा करता हूँ कि तुम जानते हो हम कितना ज्यादा और गहराई से चिंता करते हैं' (व.11, एम.एस.)। जैसा कि अक्सर कहा जाता है, 'लोग इस बात की चिंता नहीं करते हैं कि आप कितना जानते हैं, जब तक वे यह न जाने कि आप कितनी चिंता करते हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर, मसीह का एक अच्छा राजदूत बनने में मेरी सहायता कीजिए। मेरी सहायता कीजिए कि मैं प्रेम का एक जीवन जीऊँ। होने दीजिए कि जो कुछ मैं करुँ, उसमें यीशु का प्रेम मुझे विवश करे।
यशायाह 1:1-2:22
1यह आमोस के पुत्र यशायाह का दर्शन है। यहूदा और यरूशलेम में जो घटने वाला था, उसे परमेश्वर ने यशायाह को दिखाया। यशायाह ने इन बातों को उज्जिय्याह, योताम, आहाज और हिजकिय्याह के समय में देखा था। ये यहूदा के राजा थे।
अपने लोगों के विरुद्ध परमेश्वर की शिकायत
2 स्वर्ग और धरती, तुम यहोवा की वाणी सुनो! यहोवा कहता है,
“मैंने अपने बच्चों का विकास किया। मैंने उन्हें बढ़ाने में अपनी सन्तानों की सहायता की।
किन्तु मेरी सन्तानों ने मुझ से विद्रोह किया।
3 बैल अपने स्वामी को जानता है
और गधा उस जगह को जानता है जहाँ उसका स्वामी उसको चारा देता है।
किन्तु इस्राएल के लोग
मुझे नहीं समझते हैं।”
4 इस्राएल देश पाप से भर गया है। यह पाप एक ऐसे भारी बोझ के समान है जिसे लोगों को उठाना ही है। वे लोग बुरे और दुष्ट बच्चों के समान हैं। उन्होंने यहोवा को त्याग दिया। उन्होंने इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) का अपमान किया। उन्होंने उसे छोड़ दिया और उसके साथ अजनबी जैसा व्यवहार किया।
5 परमेश्वर कहता है, “मैं तुम लोगों को दण्ड क्यों देता रहूँ मैंने तुम्हें दण्ड दिया किन्तु तुम नहीं बदले। तुम मेरे विरुद्ध विद्रोह करते ही रहे। अब हर सिर और हर हृदय रोगी है। 6 तुम्हारे पैर के तलुओं से लेकर सिर के ऊपरी भाग तक तुम्हारे शरीर का हर अंग घावों से भरा है। उनमें चोटें लगी हैं और फूटे हुए फोड़े हैं। तुमने अपने फोड़ों की कोई परवाह नहीं की। तुम्हारे घाव न तो साफ किये हीं गये हैं और न ही उन्हें ढका गया है।”
7 तुम्हारी धरती बर्बाद हो गयी है। तुम्हारे नगर आग से जल गये हैं। तुम्हारी धरती तुम्हारे शत्रुओं ने हथिया ली है। तुम्हारी भूमि ऐसे उजाड़ दी गयी है कि जैसे शत्रुओं के द्वारा उजाड़ा गया कोई प्रदेश हो।
8 सिय्योन की पुत्री (यरूशलेम) अब अँगूर के बगीचे में किसी छोड़ दी गयी झोपड़ी जैसी हो गयी है। यह एक ऐसी पुरानी झोपड़ी जैसी दिखती है जिसे ककड़ी के खेत में वीरान छोड़ दिया गया हो। यह उस नगरी के समान है जिसे शत्रुओं द्वारा हरा दिया गया हो। 9 यह सत्य है किन्तु फिर भी सर्वशक्तिशाली यहोवा ने कुछ लोगों को वहाँ जीवित रहने के लिये छोड़ दिया था। सदोम और अमोरा नगरों के समान हमारा पूरी तरह विनाश नहीं किया गया था।
10 हे सदोम के मुखियाओं, यहोवा के सन्देश को सुनो! हे अमोरा के लोगों, परमेश्वर के उपदेशों पर ध्यान दो। 11 परमेश्वर कहता है, “मुझे यें सभी बलियाँ नहीं चाहिये। मैं तुम्हारे भेड़ों और पशुओं की चर्बी की पर्याप्त होमबलियाँ ले चुका हूँ। बैलों, मेमनों, बकरों के खून से मैं प्रसन्न नहीं हूँ। 12 तुम लोग जब मुझसे मिलने आते हो तो मेरे आँगन की हर वस्तु रौंद डालते हो। ऐसा करने के लिए तुमसे किसने कहा है
13 “बेकार की बलियाँ तुम मुझे मत चढ़ाते रहो। जो सुगंधित सामग्री तुम मुझे अर्पित करते हो, मुझे उससे घृणा है। नये चाँद की दावतें, विश्राम और सब्त मुझ से सहन नहीं हो पाते। अपनी पवित्र सभाओं के बीच जो बुरे कर्म तुम करते हो, मुझे उनसे घृणा है। 14 तुम्हारी मासिक बैठकों और सभाओं से मुझे अपने सम्पूर्ण मन से घृणा है। ये सभाएँ मेरे लिये एक भारी भरकम बोझ सी बन गयी है और इन बोझों को उठाते उठाते अब मैं थक चुका हूँ।
15 “तुम लोग हाथ उठाकर मेरी प्रार्थना करोगे किन्तु मैं तुम्हारी ओर देखूँगा तक नहीं। तुम तोग अधिकाधिक प्रार्थना करोगे, किन्तु मैं तुम्हारी सुनने तक को मना कर दूँगा क्योंकि तुम्हारे हाथ खून से सने हैं।
16 “अपने को धो कर पवित्र करो। तुम जो बुरे कर्म करते हो, उनका करना बन्द करो। मैं उन बुरी बातों को देखना नहीं चाहता। बुरे कामों को छोड़ो। 17 अच्छे काम करना सीखो। दूसरे लोगों के साथ न्याय करो। जो लोग दूसरों को सताते हैं, उन्हें दण्ड दो। अनाथ बच्चों के अधिकारों के लिए संघर्ष करो। जिन स्त्रियों के पति मर गये हैं, उन्हें न्याय दिलाने के लिए उनकी पैरवी करो।”
18 यहोवा कहता है, “आओ, हम इन बातों पर विचार करें। तुम्हारे पाप यद्यपि रक्त रंजित हैं, किन्तु उन्हें धोया जा सकता है। जिससे तुम बर्फ के समान उज्जवल हो जाओगे। तुम्हारे पाप लाल सुर्ख हैं। किन्तु वे सन के समान श्वेत हो सकते हो।
19 “यदि तुम मेरी कही बातों पर ध्यान देते हो, तो तुम इस धरती की अच्छी वस्तुएँ प्राप्त करोगे। 20 किन्तु यदि तुम सुनने से मना करते हो तुम मेरे विरुद्ध होते हो, और तुम्हारे शत्रु तुम्हें नष्ट कर डालेंगे।” यहोवा ने ये बातें स्वयं ही कहीं थीं।
यरूशलेम परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य नहीं है
21 परमेश्वर कहता है, “यरूशलेम की ओर देखो। यरूशलेम एक ऐसी नगरी थी जो मुझमें विश्वास रखती थी और मेरा अनुसरण करती थी। वह वेश्या की जैसी किस कारण बन गई अब वह मेरा अनुसरण नहीं करती। यरूशलेम को न्याय से परिपूर्ण होना चाहिये। यरूशलेम के निवासियों को, जैसे परमेश्वर चाहता है, वैसे ही जीना चाहिये। किन्तु अब तो वहाँ हत्यारे रहते हैं।”
22 तुम्हारी नेकी चाँदी के समान है। किन्तु अब तुम्हारी चाँदी खोटी हो गयी है। तुम्हारी दाखमधु में पानी मिला दिया गया है। सो अब यह कमजोर पड़ गयी है। 23 तुम्हारे शासक विद्रोही हैं और चोरों के साथी हैं। तुम्हारे सभी शासक घूस लेना चाहते हैं। गलत काम करने के लिए वेघूस का धन ले लेते हैं। तुम्हारे सभी शासक लोगों को ठगने के लिये मेहनताना लेते हैं। तुम्हारे शासक अनाथ बच्चों को सहारा देने का यत्न नहीं करते। तुम्हारे शासक अनाथ बच्चों को सहारा देने का यत्न नहीं करते। तुम्हारे शासक उन स्त्रियों की आवश्यकताओं पर कान नहीं देते जिनके पति मर चुके हैं।
24 इन सब बातों के कारण, स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा इस्राएल का सर्वशक्तिमान कहता है, “हे मेरे बैरियो मैं तुम्हें दण्ड दूँगा। तुम मुझे अब और अधिक नहीं सता पाओगे। 25 जैसे लोग चाँदी को साफ करने के लिए खार मिले पानी का प्रयोग करते हैं, वैसे ही मैं तुम्हारे सभी खोट दूर करुँगा। सभी निरर्थक वस्तुओं को तुमसे ले लूँगा। 26 जैसे न्यायकर्ता तुम्हारे पास प्रारम्भ में थे अब वैसे ही न्यायकर्ता मैं फिर से वापस लाऊँगा। जैसे सलाहकार बहुत पहले तुम्हारे पास हुआ करते थे, वैसे ही सलाहकार तुम्हारे पास फिर होंगे। तुम तब फिर ‘नेक और विश्वासी नगरी’ कहलाओगी।”
27 परमेश्वर नेक है और वह उचित करता है। इसलिये वह सिय्योन की रक्षा करेगा और वह उन लोगों को बचायेगा जो उसकी ओर वापस मुड़ आयेंगे। 28 किन्तु सभी अपराधियों और पापियों का नाश कर दिया जायेगा। (ये वे लोग हैं जो यहोवा का अनुसरण नहीं करते हैं।)
29 भविष्य में, तुम लोग उन बांजवृक्षों के पेड़ों के लिए और उन विशेष उद्यानों के लिए, जिन्हें पूजने के लिए तुमने चुना था, लज्जित होंगे। 30 यह इसलिए घटित होगा क्योंकि तुम लोग ऐसे बांजवृक्ष के पेड़ों जैसे हो जाओगे जिनकी पत्तियाँ मुरझा रही हो। तुम एक ऐसे बगीचे के समान हो जाओगे जो पानी के बिना मर रहा होगा। 31 बलशाली लोग सूखी लकड़ी के छोटे—छोटे टुकड़ों जैसे हो जायेंगे और वे लोग जो काम करेंगे, वे ऐसी चिंगारियों के समान होंगे जिनसे आग लग जाती है। वे बलशाली लोग और उनके काम जलने लगेंगे और कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं होगा जो उस आग को रोक सकेगा।
2आमोस के पुत्र यशायाह ने यहूदा और यरूशलेम के बारे में यह सन्देश देखा।
2 यहोवा का मन्दिर पर्वत पर है।
भविष्य में, उस पर्वत को अन्य सभी पर्वतों में सबसे ऊँचा बनाया जायेगा।
उस पर्वत को सभी पहाड़ियों से ऊँचा बनाया जायेगा।
सभी देशों के लोग वहाँ जाया करेंगे।
3 बहुत से लोग वहाँ जाया करेंगे।
वे कहा करेंगे, “हमे यहोवा के पर्वत पर जाना चाहिये।
हमें याकूब के परमेश्वर के मन्दिर में जाना चाहिये।
तभी परमेश्वर हमें अपनी जीवन विधि की शिक्षा देगा
और हम उसका अनुसरण करेंगे।”
सिय्योन पर्वत पर यरूशलेम में, परमेश्वर यहोवा के उपदेशों का सन्देश का आरम्भ होगा
और वहाँ से वह समूचे संसार में फैलेगा।
4 तब परमेश्वर सभी देशों का न्यायी होगा।
परमेश्वर बहुत से लोगों के लिये विवादों का निपटारा कर देगा
और वे लोग लड़ाई के लिए अपने हथियारों का प्रयोग करना बन्द कर देंगे।
अपनी तलवारों से वे हल के फाले बनायेंगे
तथा वे अपने भालों को पौधों को काटने की दँराती के रुप में काम में लायेंगे।
लोग दूसरे लोगों के विरुद्ध लड़ना बन्द कर देंगे।
लोग युद्ध के लिये फिर कभी प्रशिक्षित नहीं होंगे।
5 हे याकूब के परिवार, तू यहोवा का अनुसरण कर।
6 हे यहोवा! तूने अपने लोगों का त्याग कर दिया है। तेरे लोग पूर्व के बुरे विचारों से भर गये हैं। तेरे लोग पलिश्तियों के समान भविष्य बताने का यत्न करने लगे हैं। तेरे लोगों ने पूरी तरह से उन विचित्र विचारों को स्वीकार कर लिया है। 7 तेरे लोगों की धरती दूसरे देशों के सोने चाँदी से भर गयी है। वहाँ अनगिनत खजाने हैं। तेरे लोगों की धरती घोड़ों से भरपूर हैं। वहाँ बहुत सारे रथ भी हैं। 8 उनकी धरती पर मूर्तियाँ भरी पड़ी हैं, लोग जिनकी पूजा करते हैं। लोगों ने ही इन मूर्तियों को बनाया है और वे ही उन की पूजा करते हैं। 9 लोग बुरे से बुरे हो गये हैं। लोग बहुत नीच हो गये हैं। हे परमेश्वर, निश्चय ही तू उन्हें क्षमा नहीं करेगा, क्या तू ऐसा करेगा परमेश्वर के शत्रु भयभीत होंगे
10 जा, कहीं किसी गक़े में या किसी चट्टान के पीछे छुप जा! तू परमेश्वर से डर और उसकी महान शक्ति के सामने से ओझल हो जा!
11 अहंकारी लोग अहंकार करना छोड़ देंगे। अहंकारी लोग धरती पर लाज से सिर नीचे झुका लेंगे। उस समय केवल यहोवा ही ऊँचे स्थान पर विराजमान होगा।
12 यहोवा ने एक विशेष दिन की योजना बनायी है। उस दिन, यहोवा अहंकारियों और बड़े बोलने वाले लोगों को दण्ड देगा। तब उन अहंकारी लोगों को साधारण बना दिया जायेगा। 13 वे अहंकारी लोग लबानोन के लम्बे देवदार वृक्षों के समान हैं। वे बासान के बांजवृक्षों जैसे हैं किन्तु परमेश्वर उन लोगों को दण्ड देगा। 14 वे अहंकारी लोग ऊँची पहाड़ियों जैसे लम्बे और पहाड़ों जैसे ऊँचे हैं। 15 वे अहंकारी लोग ऐसे हैं जैसे लम्बी मीनारें और ऊँचा तथा मजबूत नगर परकोटा हो। किन्तु परमेश्वर उन लोगों को दण्ड देगा। 16 वे अहंकारी लोग तर्शीश के विशाल जहाजों के समान हैं। इन जहाज़ों में महत्वपूर्ण वस्तुएँ भरी हैं। किन्तु परमेश्वर उन अहंकारी लोगों को दण्ड देगा।
17 उस समय, लोग अहंकार करना छोड़ देंगे। वे लोग जो अब अहंकारी हैं, धरती पर नीचे झुका दिए जायेंगे। फिर उस समय केवल यहोवा ही ऊँचे विराजमान होगा। 18 सभी मूर्तियाँ झूठे देवता समाप्त हो जायेंगी। 19 लोग चट्टानों, गुफाओं और धरती के भीतर जा छिपेंगे। वे यहोवा और उसकी महान शक्ति से डर जायेंगे। ऐसा उस समय होगा जब यहोवा धरती को हिलाने के लिए खड़ा होगा।
20 उस समय, लोग अपनी सोने चाँदी की मूर्तियों को दूर फेंक देंगे। (इन मूर्तियों को लोगों ने इसलिये बनाया था कि लोग उनको पूज सकें।) लोग उन मूर्तियों को धरती के उन बिलों में फेंक देंगे जहाँ चमगादड़ और छछूंदर रहते हैं। 21 फिर लोग चट्टानों की गुफाओं में छुप जायेंगे। वे यहोवा और उसकी महान शक्ति से डरकर ऐसा करेंगे। ऐसा उस समय घटित होगा जब यहोवा धरती को हिलाने के लिये खड़ा होगा। इस्राएल को परमेश्वर का विश्वास करना चाहिये
22 ओ इस्राएल के लोगों तुम्हें अपनी रक्षा के लिये अन्य लोगों पर निर्भर रहना छोड़ देना चाहिये। वे तो मनुष्य़ मात्र है और मनुष्य मर जाता है। इसलिये, तुझे यह नहीं सोचना चाहिये कि वे परमेश्वर के समान शक्तिशाली है।
समीक्षा
पवित्र प्रेम के राजदूत
’यशायाह में परमेश्वर का विशेष नाम' है ’पवित्र', यूजन पीटरसन लिखते हैं। ’पवित्रता सबसे अधिक आकर्षित करने वाला गुण है, सबसे तीक्ष्ण अनुभव जो हमें जीवन से मिलता है – प्रामाणिक, जीवित रहना, नाकि दूर रहकर देखे जाने वाला और आनंद लिया जाने वाला..पवित्रता एक भट्टि है जो इसमें प्रवेश करने वाले पुरुषों और महिलाओं को बदल देता है।'
यशायाह का संदेश उनके लोगों के लिए परमेश्वर के पवित्र प्रेम के विषय में है। परमेश्वर अपने लोगों से प्रेम करते हैं, उससे कही ज्यादा जितना कि माता-पिता एक बच्चे से करते हैं।
फिर भी यशायाह कहते हैं, ' यहोवा कहते हैं; ’मैंने बालबच्चों का पालन पोषण किया, और उनको बढ़ाया भी, परन्तु उन्होंने मुझ से बलवा किया' (1:2)। वह आगे बताते हैं कि कैसे उनके बच्चों ने बलवा किया – उनके बेईमानी, अन्याय जो वे होने देते हैं, और विधवाओं और अनाज्ञों की सुधी नहीं लेते हैं (वव.21-23)।
परमेश्वर की इच्छा है पवित्रताः
’ अपने को धोकर पवित्र करो; मेरी आँखों के सामने से अपने बुरे कामों को दूर करो; भविष्य में बुराई करना छोड़ दो, भलाई करना सीखो; यत्न से न्याय करो, उपद्रवी को सुधारो; अनाथ का न्याय चुकाओ, विधवा का मुकद्दमा लड़ो' (वव.16-17, एम.एस.जी)।
लेकिन वे प्रबल हुए और बलवा किया। इसके अतिरिक्त, ' वे पूर्व देश के व्यवहार पर तन मन से चलते और पलिश्तियों के समान टोना करते हैं और उनका देश मूरतों से भरा है' (2:6-8)।
उनकी धार्मिकता काम नहीं कर रही है। परमेश्वर कहते हैं, ' मैं बछड़ों या भेड़ के बच्चों या बकरों के लहू से प्रसन्न नहीं होता' (1:11क)। ’ व्यर्थ अन्नबलि फिर मत लाओ... महासभा के साथ ही साथ अनर्थ काम करना मुझ से सहा नहीं जाता। तुम्हारे नये चाँदों और नियत पर्वों के मानने से मैं जी से बैर रखता हूँ; वे सब मुझे बोझ जान पड़ते हैं, मैं उनको सहते सहते उकता गया हूँ' (वव.13-14, एम.एस.जी)।
तब भी, परमेश्वर ने उन्हें त्याग नहीं दिया। वह कहते हैं, 'आओ, हम आपस में वादविवाद करें' (व.18)। ’तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों, तब भी वे हिम के समान उजले हो जाएँगे; और चाहे अर्गवानी रंग के हों, तब भी वे ऊन के समान श्वेत हो जाएँगे' (व.18, एम.एस.जी)।
वह वायदा करते हैं, ' उसके बाद तू सत्यनिष्ठपुरी और विश्वासयोग्य नगरी कहलाएगी। सिय्योन न्याय के द्वारा, और जो उसमें फिरेंगे वे सत्यनिष्ठा के द्वारा छुड़ा लिये जाएँगे' (वव.26ब -27अ)। मीका की तरह, वह वायदा करते हैं कि न्याय और शांति आये (2:2-4)।
लेकिन कैसे? कैसे हम जो पापमय और विद्रोही हैं, सत्यनिष्ठ बना दिए जाएँगे? कैसे हम, जिनका ’पाप लाल हो, ' वह ’बर्फ के समान सफेद' हो जाएगा (1:18)? पुराने नियम की ये उल्लेखनीय वाचाएँ कैसे पूरी होंगी?
केवल यीशु में हम समाधान को पाते हैं। पुराने नियम के भविष्यवक्ता आनेवाली चीजों के बारे में बताते हैं। नया नियम हमें बताता है कि कैसेः आज के नये नियम के लेखांश में, हम पढ़ते हैं कि कैसे परमेश्वर ने ’ जो पाप से अज्ञात था, उसी को उन्होने हमारे लिये पाप ठहराया कि हम उसमें होकर परमेश्वर की सत्यनिष्ठा बन जाएं' (2कुरिंथियो 5:21)।
यीशु, जो ’पाप से अज्ञात था, ' क्रूस पर हमारे लिए पाप बना दिया गया, ताकि उनमें, यद्यपि हमारे पाप लहू के समान लाल हैं, हम बर्फ के समान सफेद बना दिए जाएं और परमेश्वर की सत्यनिष्ठा बन जाएँ। आप परमेश्वर के साथ मित्र और मसीह के लिए एक राजदूत बन जाएँ।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपके अद्भुत अनुग्रह के लिए आपका धन्यवाद, जिसके विषय में यशायाह भविष्यवक्ता के द्वारा भविष्यवाणी की गई और यीशु के द्वारा पूर्ण बनाया गया, उनके क्रूस और पुनरुत्थान के द्वारा। आपका धन्यवाद आपका राजदूत बनने की महान सुविधा के लिए, जो इस संदेश को विश्व में ले जाने में सक्षम है जिसे आशा और क्षमा की अत्यावश्यकता है।
पिप्पा भी कहते है
यशायाह 2:3
’आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर, याकूब के परमेश्वर के भवन में जाएँ; तब वह हमको अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे।'
सितंबर की शुरुवात में जीवन बहुत व्यस्त बन जाता है क्योंकि बहुत से निर्णय लेने होते हैं। मैं जानता हूँ कि मुझे अब भी उनके मार्गो के विषय में बहुत कुछ सीखना बाकी है और मैं जानना चाहती हूँ कि परमेश्वर ने मेरे लिए किन उत्साहित मार्गों की योजना बनायी है, जिसपर मैं चलती रहूँ।

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संदर्भ
युजन पिटरसन, द मैसेज, 'यशायाह का परिचय, ' (नवप्रेस, 1993)।
वेस्टर इंग्लिश डिक्शनरी
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