एक ईबदलाव लाईये
परिचय
ऑल्फर्ड नॉबेल (1833-1896), नॉबल शांति पुरस्कार के लिए सर्वश्रेष्ठ रूप से जाने जाते हैं। यह तथ्य इतना प्रचलित नहीं है कि ऑल्फर्ड नॉबेल ने विस्फोटक की भी खोज की। केमिस्ट, इंजीनियर और खोजकर्ता के साथ साथ, वह हथियार को बनाने वाले थे।
1888 में, ऑल्फर्ड के भाई लूविग मर गए। एक फ्रेंच समाचार पत्र ने गलती से ऑल्फर्ड के शोक संदेश को प्रकाशित कर दिया। इसने विस्फोट की उनकी खोज के कारण उन पर दोष लगाया, यह बताते हुए, 'मृत्यु का व्यापारी मृत है..डॉ ऑल्फर्ड नॉबेल, जो अमीर बन गए यह पता लगाने के द्वारा कि कैसे उससे ज्यादा और तेजी से लोगों को मारा जाएं, जैसे कि कल मरे थे।'
ऑल्फर्ड नॉबेल इसके पूर्व अनुभव के द्वारा तहस-नहस हो गए कि कैसे उन्हें स्मरण किया जाएगा। उनकी अंतिम इच्छा और वसीयत उनकी बहुत बड़ी संपत्ति को नॉबेल पुरस्कार को स्थापित करने के लिए अलग रखती है। ऐसे पुरस्कार का खर्च उठाने के लिए उन्होंने यू.एस 250 मिलीयन के बराबर दिया। ऑल्फर्ड नॉबेल के पास दुर्लभ अवसर था कि जीवन के अंत में इसका मूल्यांकन करे और उस मूल्यांकन को बदलने के लिए लंबे समय तक जीएँ।
क्या आपने कभी इस बात की चिंता की है कि आपका जीवन क्या अंतर पैदा करेगा? कैसे आपका जीवन दूसरो तक आशीष ला सकता है? कैसे आप विश्व को बेहतर बना सकते हैं? कैसे आपके जीवन का अनंत महत्व हो सकता है? कैसे हम फलदायी जीवन जी सकते हैं?
भजन संहिता 105:12-22
12 परमेश्वर ने वह वचन दिया था, जब इब्राहीम का परिवार छोटा था
और वे बस यात्री थे जब कनान में रह रहे थे।
13 वे राष्ट्र से राष्ट्र में,
एक राज्य से दूसरे राज्य में घूमते रहे।
14 किन्तु परमेश्वर ने उस घराने को दूसरे लोगों से हानि नहीं पहुँचने दी।
परमेश्वर ने राजाओं को सावधान किया कि वे उनको हानि न पहुँचाये।
15 परमेश्वर ने कहा था, “मेरे चुने हुए लोगों को तुम हानि मत पहूँचाओ।
तुम मेरे कोई नबियों का बुरा मत करो।”
16 परमेश्वर ने उस देश में अकाल भेजा।
और लोगों के पास खाने को पर्याप्त खाना नहीं रहा।
17 किन्तु परमेश्वर ने एक व्यक्ति को उनके आगे जाने को भेजा जिसका नाम यूसुफ था।
यूसुफ को एक दास के समान बेचा गया था।
18 उन्होंने यूसुफ के पाँव में रस्सी बाँधी।
उन्होंने उसकी गर्दन में एक लोहे का कड़ा डाल दिया।
19 यूसुफ को तब तक बंदी बनाये रखा जब तक वे बातें जो उसने कहीं थी सचमुच घट न गयी।
यहोवा ने सुसन्देश से प्रमाणित कर दिया कि यूसुफ उचित था।
20 मिस्र के राजा ने इस तरह आज्ञा दी कि यूसुफ के बंधनों से मुक्त कर दिया जाये।
उस राष्ट्र के नेता ने कारागार से उसको मुक्त कर दिया।
21 यूसुफ को अपने घर बार का अधिकारी बना दिया।
यूसुफ राज्य में हर वस्तु का ध्यान रखने लगा।
22 यूसुफ अन्य प्रमुखों को निर्देश दिया करता था।
यूसुफ ने वृद्ध लोगों को शिक्षा दी।
समीक्षा
परमेश्वर के प्रति वफादार होने से फलदायीपन प्राप्त होता है
यदि आपके जीवन को फलदायी बनाना है तो आपको कठिन समय में परमेश्वर के प्रति वफादार रहना पड़ेगा। जब जीवन में सबकुछ सही चल रहा है तब परमेश्वर के प्रति वफादार रहना आसान बात है। परीक्षा होती है जब आप तीक्ष्ण प्रलोभन और महान जाँच का सामना करते हैं।
जैसे ही भजनसहिंता के लेखक परमेश्वर का धन्यवाद देते हैं, उनके लोगों के प्रति उनकी वफादारी के लिए, वह युसूफ के जीवन को स्मरण करते हैं।
युसूफ का जीवन बहुत ही फलदायी था (उत्पत्ति 37:50 देखे)। फिरौन ने ' उसे अपने भवन का प्रधान और अपनी पूरी सम्पत्ति का अधिकारी ठहराया, कि वह उसके हाकिमों को अपनी इच्छा के अनुसार कैद करें और पुरनियों को ज्ञान सिखाएं' (भजनसंहिता 105:21-22)। इसके परिणामस्वरूप, 'परमेश्वर ने उनके लोगों को बहुत फलदायी बनाया' (व.24अ)।
लेकिन, यीशु का फलदायीपन एक दाम चुकाने पर मिला। आरंभिक दिनों में ऐसा नहीं लगता था कि उनका जीवन फलदायी होगा। उन्हे 'एक दास के रूप में बेच दिया गया' (व.17)। ' लोगों ने उनके पैरों में बेड़ियाँ डालकर उन्हे दुःख दिया; वह लोहे की साँकलों से जकड़े गए' (व.18, ए.एम.पी)। युसूफ पकड़वाये गए, दासत्व, प्रलोभन, बंदीगृह और बहुत अधिक कष्ट को सहा।
तब भी इन सभी चीजों में वे वफादार बने रहे। युसूफ इसलिए वफादार बने रहे क्योंकि वह भरोसा करते थे कि परमेश्वर नियंत्रण में हैं, बुरे समय में भी (उत्पत्ति 45:5-8; 50:20)।
ना केवल युसूफ परमेश्वर के प्रति वफादार बने रहे उनकी त्याग दी गई स्थिति के बावजूद, लेकिन वह अपने परिवार के प्रति भी वफादार बने रहे, उन्हें क्षमा करके, उन पर दोष लगाने या उन्हें नकारने के बजाय। आखिरकार, उनकी वफादारी एक महान फलदायीपन को लाई।
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरे प्रति आपकी अद्भुत वफादारी के लिए आपका धन्यवाद। मेरी सहायता कीजिए कि आपके प्रति वफादार बना रहूँ, प्रलोभन, निराश और उदासी के कठिन समय में भी। युसूफ की तरह, होने दीजिए कि मेरा जीवन फलदायी हो।
2 कुरिन्थियों 6:3-7:1
3 हम किसी के लिए कोई विरोध उपस्थित नहीं करते जिससे हमारे काम में कोई कमी आये। 4 बल्कि परमेश्वर के सेवक के रूप में हम हर तरह से अपने आप को अच्छा सिद्ध करते रहते हैं। धैर्य के साथ सब कुछ सहते हुए यातनाओं के बीच, विपत्तियों के बीच, कठिनाइयों के बीच 5 मार खाते हुए, बन्दीगृहों में रहते हुए, अशांति के बीच, परिश्रम करते हुए, रातों-रात पलक भी न झपका कर, भूखे रह कर 6 अपनी पवित्रता, ज्ञान और धैर्य से, अपनी दयालुता, पवित्र आत्मा के वरदानों और सच्चे प्रेम, 7 अपने सच्चे संदेश और परमेश्वर की शक्ति से नेकी को ही अपने दायें-बायें हाथों में ढाल के रूप में लेकर
8 हम आदर और निरादर के बीच अपमान और सम्मान में अपने को उपस्थित करते रहते हैं। हमें ठग समझा जाता है, यद्यपि हम सच्चे हैं। 9 हमें गुमनाम समझा जाता है, जबकि हमें सभी जानते हैं। हमें मरते हुओं सा जाना जाता है, पर देखो हम तो जीवित हैं। हमें दण्ड भोगते हुओं सा जाना जाता है, तब भी देखो हम मृत्यु को नहीं सौंपे जा रहे हैं। 10 हमें शोक से व्याकुल समझा जाता है, जबकि हम तो सदा ही प्रसन्न रहते हैं। हम दीन-हीनों के रूप में जाने जाते हैं, जबकि हम बहुतों को वैभवशाली बना रहे हैं। लोग समझते हैं हमारे पास कुछ नहीं है, जबकि हमारे पास तो सब कुछ है।
11 हे कुरिन्थियो, हमने तुमसे पूरी तरह खुल कर बातें की हैं। तुम्हारे लिये हमारा मन खुला है। 12 हमारा प्रेम तुम्हारे लिये कम नहीं हुआ है। किन्तु तुमने हमसे प्यार करना रोक दिया है। 13 तुम्हें अपना बच्चा समझते हुए मैं कह रहा हूँ कि बदले में अपना मन तुम्हें भी हमारे लिये पूरी तरह खुला रखना चाहिए।
हम परमेश्वर के मन्दिर हैं
14 अविश्वासियों के साथ बेमेल संगत मत करो क्योंकि नेकी और बुराई की भला कैसी समानता? या प्रकाश और अंधेरे में भला मित्रता कैसे हो सकती है? 15 ऐसे ही मसीह का शैतान से कैसा तालमेल? अथवा अविश्वासी के साथ विश्वासी का कैसा साझा? 16 परमेश्वर के मन्दिर का मूर्तियों से क्या नाता? क्योंकि हम स्वयं उस सजीव परमेश्वर के मन्दिर हैं, जैसा कि परमेश्वर ने कहा था:
“मैं उनमें निवास करूँगा; चलूँ फिरूँगा,
मैं उनका परमेश्वर होऊँगा और वे मेरे जन बनेंगे।”
17 “इसलिए तुम उनमें से बाहर आ जाओ,
उनसे अपने को अलग करो,
अब तुम कभी कुछ भी न छूओ जो अशुद्ध है
तब मैं तुमको अपनाऊँगा।”
18 “और मैं तुम्हारा पिता बनूँगा,
तुम मेरे पुत्र और पुत्री होगे, सर्वशक्तिमान प्रभु यह कहता है।”
7हे प्रिय मित्रो, क्योंकि हमारे पास ये प्रतिज्ञाएँ हैं। इसलिये आओ, परमेश्वर के प्रति श्रद्धा के कारण हम अपनी पवित्रता को परिपूर्ण करते हुए अपने बाहरी और भीतरी सभी दोषों को धो डालें।
समीक्षा
फलदायीपन पवित्र आत्मा से प्राप्त होता है
आपका जीवन अनंत रूप से फलदायी हो सकता है, क्योंकि पवित्र आत्मा आपमें रहते हैं। आप 'एक मंदिर हैं जिसमें परमेश्वर रहते हैं' (6:16, एम.एस.जी)। ठीक जैसे कि पुराने नियम में परमेश्वर पवित्रस्थान में रहते थे, वैसे ही अब वह आपमें और मुझमें रहते हैं उनकी पवित्र आत्मा के द्वारा। पवित्र आत्मा आपके जीवन में सुंदर फल को उत्पन्न करते हैं (गलातियो 5:22-23)।
पौलुस का जीवन विवादास्पद रूप से विश्व के इतिहास में सबसे फलदायी था। उन्होंने अपने आपको परमेश्वर का सेवक कहा (2कुरिंथियो 6:4)। उनके जीवनकाल में, उन्होंने बहुतों को अमीर बनाया (व.10)। पौलुस के लिए 'धन' मसीह में होने का आत्मिक धन था। उनका जीवन निरंतर बहुतों को धनी बनाता है। पौलुस के जीवन का फल 2000 वर्षों से बना हुआ है और अनंतता तक बना रहेगा।
युसूफ की तरह, पौलुस का फलदायीपन एक दाम चुकाने पर मिला। वह कुछ चीजों को बताते हैं जिसे उन्होंने सहाः'क्लेशों से, दरिद्रता से, संकटों से, कोड़े खाने से, कैद होने से, हुल्लड़ो से, परिश्रम से, जागते रहने से, उपवास करने से...आदर और निरादर से, दुर्नाम और सुनाम से...मरते हुओं के समान हैं ...कंगालों के समान हैं, ...ऐसे हैं जैसे हमारे पास कुछ नहीं' (वव.4-10, एम.एस.जी)। जैसे ही मैं पौलुस के जीवन को देखता हूँ, मैं बहुत ही चुनौती महसूस करता हूँ। यह मेरी सभी परेशानियों को दृष्टिकोण में रख देता है।
इन सभी कष्टों में, पौलुस वफादार बने रहे, ' पवित्रता से, ज्ञान से, धीरज से, कृपालुता से, पवित्र आत्मा से, सच्चे प्रेम से, सत्य के वचन से, परमेश्वर की सामर्थ से' (वव.6-7अ)। वह 'सच्चे' और 'सर्वदा आनंद करने वाले' के समान बने रहे (वव.8,10)। वह कहते हैं, 'हम कंगाल हैं...वास्तव में हमारे पास वह सब है जो होना चाहिए' (6:10ब, जे.बी. फिलिप्स)।
पौलुस कुरिंथियो से कहते हैं, 'हम ने खुलकर तुम से बातें की हैं, हमारा हृदय तुम्हारी ओर खुला हुआ है। तुम्हारे लिये हमारे मन में कोई संकोच नहीं' (वव.11-12अ)। वह कुरिंथियों से खुलकर बात करते हैं और उनसे विनती करते हैं कि वे भी उसी तरह से उनके प्रति अपने हृदय को खोल दें। वह कहते हैं, ' तुम भी उसके बदले में अपना हृदय खोल दो' (व.13, एम.एस.जी.)।
पौलुस ने अपने आंतरिक भाग को जाना था। वह अपने हृदय और आत्मा में झाँक चुके थे, जहाँ पर गढ़े खजाने हैं। उन्होंने सावधानीपूर्वक उन्हें जाँचा था और उन्हें प्रदर्शन के लिए बाहर निकाला था।
विश्वसनीयता के साथ काम करने के लिए, पहले हमें अवश्य ही पता होना चाहिए कि हम कौन हैं। हमें अवश्य ही जानना चाहिए कि हम किस चीज के लिए खड़े रहते हैं, हम किस चीज में विश्वास करते हैं और हम किस बारे में अधिक चिंता करते हैं।
बिअर ग्रिल लिखते हैं, 'लोग सोचते हैं कि उन्हें मंच पर मजाकिया, परिहासयुक्त होना चाहिए। आपको इसकी आवश्यकता नहीं है। आपको केवल ईमानदार होने की आवश्यकता है। यदि आप घनिष्ठ हो सकते हैं और अंदर की कहानी बता सकते हैं – भावनाएँ, संदेह, संघर्ष, डर, बहुत कुछ – तो लोग उत्तर देंगे।'
पवित्र आत्मा हमें स्वतंत्र करते हैं, वह बनने के लिए जो हम हैं। वह हमारे जीवन में फलदायीपन को उत्पन्न करते हैं।
पौलुस नहीं चाहते हैं कि कुरिंथियों के जीवन में इस फलदायीपन को कोई चीज खराब कर दे। वह उनसे विनती करते हैं, ' अविश्वासियों के साथ असमान जुए में न जुतो' (व.14, एम.एस.जी)। (वह नहीं कह रहे थे कि वे अपने आपको विश्व से अलग कर लें, (1कुरिंथियो 5:9-10)। इसके बजाय, वह उनके साथ लंबे समय तक संगति रखने के खतरे के विरूद्ध चेतावनी दे रहे हैं, जो परमेश्वर को नकार देते हैं।)
बहुतों ने इन चेतावनियों को नकार दिया है – उदाहरण के लिए, विवाह में साथी के रूप में –और कुछ महीनों या सालों से चर्च में नहीं जा रहे हैं और आखिरकार अपने विश्वास को खो दिया है। यह देखना हृदय को दुखित करता है।
इसलिए, पौलुस लिखते हैं, 'भ्रष्टता और समझौते को छोड़ दो; अच्छे के लिए इसे छोड़ दो' (2कुरिंथियो 6:16, एम.एस.जी)। वह आगे कहते हैं, ' हम अपने आप को शरीर और आत्मा की सब मलीनता से शुध्द करें, और परमेश्वर का भय रखते हुए पवित्रता को सिध्द करें' (7:1, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
परमेश्वर, मुझे अपनी पवित्र आत्मा और परमेश्वर की सामर्थ से भर दीजिए। मुझे सक्षम कीजिए कि मैं शुद्ध, धैर्यवान, दयालु और सच्चा बनूं और खुले हृदय से सच्चा प्रेम करुँ।
यशायाह 3:1-5:7
3ये बातें मैं तुझे बता रहा हूँ, तू समझ ले। सर्वशक्तिशाली यहोवा स्वामी, उन सभी वस्तुओं को छीन लेगा जिन पर यहूदा और यरूशलेम निर्भर रहते हैं। परमेश्वर समूचा भोजन और जल भी छीन लेगा। 2 परमेश्वर सभी नायकों और महायोद्धाओं को छीन लेगा। सभी न्यायाधीशों, भविष्यवक्ताओं, ज्योतिषियों और बुजुर्गों को परमेश्वर छीन लेगा। 3 परमेश्वर सेना नायकों और प्रशासनिक नेताओं को छीन लेगा। परमेश्वर सलाहकारों और उन बुद्धिमान को छीन लेगा जो जादू करते हैं और भविष्य बताने का प्रयत्न करते हैं।
4 परमेश्वर कहता है, “मैं जवान बच्चों को उनका नेता बना दूँगा। बच्चे उन पर राज करेंगे। 5 हर व्यक्ति आपस में एक दूसरे के विरुद्ध हो जायेगा। नवयुवक बड़े बूढ़ों का आदर नहीं करेंगे। साधारण लोग महत्वपूर्ण लोगों को आदर नहीं देंगे।”
6 उस समय, अपने ही परिवार से कोई व्यक्ति अपने ही किसी भाई को पकड़ लेगा। वह व्यक्ति अपने भाई से कहेगा, “क्योंकि तेरे पास एक वस्त्र है, सो तू हमारा नेता होगा। इन सभी खण्डहरों का तू नेता बन जा।”
7 किन्तु वह भाई खड़ा हो कर कहेगा, “मैं तुम्हें सहारा नहीं दे सकता। मेरे घर पर्याप्त भोजन और वस्त्र नहीं हैं। तू मुझे अपना मुखिया नहीं बनायेगा।”
8 ऐसा इसलिये होगा क्योंकि यरूशलेम ने ठोकर खायी और उसने बुरा किया। यहूदा का पतन हो गया और उसने परमेश्वर का अनुसरण करना त्याग दिया। वे जो कहते हैं और जो करते हैं वह यहोवा के विरुद्ध है। उन्होंने यहोवा की महिमा के प्रति विद्रोह किया।
9 लोगों के चेहरों पर जो भाव हैं उनसे साफ़ दिखाई देता है कि वे बुरे कर्म करने के अपराधी हैं। किन्तु वे इन अपराधों को छुपाते नहीं है, बल्कि उन पर गर्व करते हुए अपने पापों की डोंडी पीटते हैं। वे ढीठ हैं। वे सदोम नगरी के लोगों के जैसे हैं। उन्हें इस बात की परवाह नही. है कि उनके पापों को कौन देख रहा है। यह उनके लिये बहुत बुरा होगा। अपने ऊपर इतनी बड़ी विपत्ति उन्होनें स्वयं बुलाई है।
10 अच्छे लोगों को बता दो कि उनके साथ अच्छी बातें घटेंगी। जो अच्छे कर्म वे करते हैं, उनका सुफल वे पायेंगे। 11 किन्तु बुरे लोगों के लिए यह बहुत बुरा होगा। उन पर बड़ी विपत्ति टूट पड़ेगी। जो बुरे काम उन्होंने किये हैं, उन सब के लिये उन्हें दण्ड दिया जायेगा। 12 मेरे लोगों को बच्चे निर्दयतापूर्वक सताएँगे। उन पर स्त्रियाँ राज करेंगी।
हे मेरे लोगों, तुम्हारे अगुआ तुम्हें बुरे रास्ते पर ले जायेंगे। सही मार्ग से वे तुम्हें भटका देंगे।
अपने लोगों के बारे में परमेश्वर का निर्णय
13 यहोवा अपने लोगों के विरोध में मुकदमा लड़ने के लिए खड़ा होगा। वह अपने लोगों का न्याय करने के लिए खड़ा होगा। 14 बुजुर्गों और अगुवाओं ने जो काम किये हैं यहोवा उनके विरुद्ध अभियोग चलाएगा।
यहोवा कहता है, “तुम लोगों ने अँगूर के बागों को (यहूदा को) जला डाला है। तुमने गरीब लोगों की वस्तुएँ ले लीं और वे वस्तुएँ अभी भी तुम्हारे घरों में हैं। 15 मेरे लोगों को सताने का अधिकार तुम्हें किसने दिया गरीब लोगों को मुँह के बल धूल में धकेलने का अधिकार तुम्हें किसने दिया” मेरे स्वामी, सर्वशक्तिशाली यहोवा ने यें बातें कहीं थीं।
16 यहोवा कहता है, “सिय्योन की स्त्रियाँ बहुत घमण्डी हो गयी हैं। वे सिर उठाये हुए और ऐसा आचरण करते हुए, जैसे वे दूसरे लोगों से उत्तम हों, इधर—उधर घूमती रहती हैं। वे स्त्रियाँ अपनी आँखें मटकाती रहती हैं तथा अपने पैरों की पाजेब झंकारती हुई इधर—उधर ठुमकती फिरती हैं।”
17 सिय्योन की ऐसी स्त्रियों के सिरों पर मेरा स्वामी फोड़े निकालेगा। यहोवा उन स्त्रियों को गंजा कर देगा। 18 उस समय, यहोवा उनसे वे सब वस्तुएँ छीन लेगा जिन पर उन्हें नाज़ थाः पैरों के सुन्दर पाजेब, सूरज और चाँद जैसे दिखने वाले कंठहार, 19 बुन्दे, कंगन तथा ओढ़नी, 20 माथापट्टी, पैर की झाँझर, कमरबंद, इत्र की शीशियाँ और ताबीज़ जिन्हें वे अपने कण्ठहारों में धारण करती थीं। 21 मुहरदार अंगूठियाँ, नाक की बालियाँ, 22 उत्तम वस्त्र, टोपियाँ, चादरें, बटुए, 23 दर्पण, मलमल के कपड़े, पगड़ीदार टोपियाँ और लम्बे दुशाले।
24 वे स्त्रियाँ जिनके पास इस समय सुगंधित इत्र हैं, उस समय उनकी वह सुगंध फफूंद और सड़ाहट से भर जायेगी। अब वे तगड़ियाँ पहनती है। किन्तु उस समय पहनने को बस उनके पास रस्से होंगे। इस समय वे सुशोभित जूड़े बाँधती हैं। किन्तु उस समय उनके सिर मुड़वा दिये जायेंगे। उनके एक बाल तक नहीं होगा। आज उनके पास सुन्दर पोशाकें हैं। किन्तु उस समय उनके पास केवल शोक वस्त्र होंगे। जिनके मुख आज खूबसूरत हैं उस समय वे शर्मनाक होंगे।
25 उस समय, तेरे योद्धा युद्धों में मार दिये जायेंगे। तेरे बहादुर युद्ध में मारे जायेंगे। 26 नगर द्वार के निकट सभा स्थलों में रोना बिलखना और दुःख ही फैला होगा। यरूशलेम उस स्त्री के समान हर वस्तु से वंचित हो जायेगी जिसका सब कुछ चोर और लुटेरे लूट गये हों। वह धरती पर बैठेगी और बिलखेगी।
4उस समय, सात सात स्त्रियाँ एक पुरुष को दबोच लेंगी और उससे कहेंगी, “अपने खाने के लिये हम, अपनी रोटियों का जुगाड़ स्वयं कर लेंगी, अपने पहनने के लिए कपड़े हम स्वयं बनायेंगी। बस तू हमसे विवाह कर ले! ये सब काम हमारे लिए हम खुद ही कर लेंगी। बस तू हमें अपना नाम दे। कृपा कर के हमारी शर्म पर पर्दा डाल दे।”
2 उस समय, यहोवा का पौधा (यहूदा) बहुत सुन्दर और बहुत विशाल होगा। वे लोग, जो उस समय इस्राएल में रह रहे होंगे उन वस्तुओं पर बहुत गर्व करेंगे जिन्हें उनकी धरती उपजाती है। 3 उस समय वे लोग जो अभी भी सिय्योन और यरूशलेम में रह रहे होंगे, पवित्र लोग कहलाएँगे। यह उन सभी लोगों के साथ घटेगा जिनका एक विशेष सूची में नाम अंकित है। यह सूची उन लोगों की होगी जिन्हें जीवित रहने की अनुमति दे दी जायेगी।
4 यहोवा सिय्योन की स्त्रियों की अशुद्धता को धो देगा। यहोवा यरूशलेम से खून को धो कर बहा देगा। यहोवा न्याय की चेतना का प्रयोग करेगा और बिना किसी पक्षपात के निर्णय लेगा। वह दाहक चेतना का प्रयोग करेगा और हर वस्तु को शुद्ध (उत्तम) कर देगा। 5 उस समय, परमेश्वर यह प्रमाणित करेगा कि वह अपने लोगों के साथ है। दिन के समय, वह धुएँ के एक बादल की रचना करेगा और रात के समय एक चमचमाती लपट युक्त अग्नि। सिय्योन पर्वत पर, लोगों की हर सभा के ऊपर, उसके हर भवन के ऊपर आकाश में यें संकेत प्रकट होंगे। सुरक्षा के लिये हर व्यक्ति के ऊपर मण्डप का एक आवरण छा जायेगा। 6 मण्डप का यह आवरण एक सुरक्षा स्थल होगा। यह आवरण लोगों को सूरज की गर्मी से बचाएगा। मण्डप का यह आवरण सब प्रकार की बाढ़ों और वर्षा से बचने का एक सुरक्षित स्थान होगा।
इस्राएल परमेश्वर का विशेष उपवन
5अब मैं अपने मित्र (परमेश्वर) के लिए गीत गाऊँगा। अपने अंगूर के बगीचे (इस्राएल के लोग) के विषय में यह मेरे मित्र का गीत है।
मेरे मित्र का बहुत उपजाऊ पहाड़ी पर
एक अंगूर का बगीचा है।
2 मेरे मित्र ने धरती खोदी और कंकड़ पत्थर हटा कर उसे साफ किया
और वहाँ पर अंगूर की उत्तम बेलें रोप दीं।
फिर खेत के बीच में
उसने अंगूर के रस निकालने को कुंड बनाये।
मित्र को आशा थी कि वहाँ उत्तम अंगूर होंगे
किन्तु वहाँ जो अंगूर लगे थे वे बुरे थे।
3 सो परमेश्वर ने कहा: “हे यरूशलेम के लोगों, और ओ यहूदा के वासियों,
मेरे और मेरे अंगूर के बाग के बारे में निर्णय करो।
4 मैं और क्या अपने अंगूर के बाग के लिये कर सकता था
मैंने वह सब किया जो कुछ भी मैं कर सकता था।
मुझे उत्तम अंगूरों के लगने की आशा थी
किन्तु वहाँ अंगूर बुरे ही लगे।
यह ऐसा क्यों हुआ
5 “अब मैं तुझको बताऊँगा कि अपने अंगूर के बगीचे के लिये मैं क्या कुछ करुँगा:
वह कंटीली झाड़ी जो खेत की रक्षा करती है मैं उखाड़ दूँगा,
और उन झाड़ियों को आग में जला दूँगा।
पत्थर का परकोटा तोड़ कर गिरा दूँगा।
बगीचे को रौंद दिया जायेगा।
6 अंगूर के बगीचे को मैं खाली खेत में बदल दूँगा।
कोई भी पौधे की रखवाली नहीं करेगा।
उस खेत में कोई भी व्यक्ति काम नहीं करेगा।
वहाँ केवल काँटे और खरपतवार उगा करेंगे।
मैं बादलों को आदेश दूँगा कि वे वहाँ न बरसें।”
7 सर्वशक्तिशाली यहोवा का अँगूर का बगीचा इस्राएल का राष्ट्र है और अंगूर की बेलें जिन्हें यहोवा प्रेम करता है, यहूदा के लोग हैं।
यहोवा ने न्याय की आशा की थी,
किन्तु वहाँ हत्या बस रही।
यहोवा ने निष्पक्षता की आशा की,
किन्तु वहाँ बस सहायता माँगने वालों का रोना रहा जिनके साथ बुरा किया गया था।
समीक्षा
यीशु के साथ नजदीकी से फलदायीपन मिलता है
परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं। वह चाहते हैं कि आप उनके करीब रहे। वह चाहते हैं कि आप उनकी दाखलता में एक डाली बने – फल को उत्पन्न करते हुए।
जब हम उनके प्रति वफादार नहीं रहते, यह दाखलता से कट जाने की तरह है। हम अफलदायी बन जाते हैं। यशायाह लिखते हैं, ' अब मैं अपने प्रिय के लिये और उसकी दाख की बारी के विषय में गीत गाऊँगा : एक अति उपजाऊ टीले पर मेरे प्रिय की एक दाख की बारी थी...जब मैंने दाख की आशा की तब उस में निकम्मी दाखें लगीं? और उसने उनमें न्याय की आशा की परन्तु अन्याय दिखाई पड़ा; उसने सत्यनिष्ठा की आशा की, परन्तु उसे चिल्लाहट ही सुनाई पड़ी' (5:1-7, एम.एस.जी)।
यशायाह के पहले उन्तालीस अध्याय परमेश्वर के न्याय के विषय में हैं:'यहोवा देश देश के लोगों से मुकद्दमा लड़ने और उनका न्याय करने के लिये खड़े हैं, एम.एस.जी)।
परमेश्वर के लोग उनके प्रति वफादार बने रहेः'तुम ही ने बारी की दाख खा डाली है, और दीन लोगों का धन लूटकर तुम ने अपने घरों में रखा है।' सेनाओं के प्रभु यहोवा की यह वाणी है, 'तुम क्यों मेरी प्रजा को दलते, और दीन लोगों को पीस डालते हो' (वव.14-15, एम.एस.जी)।
उन्होंने बहुत भौतिक धन का आनंद उठाया, जिससे घमंड, अनैतिकता और लालच आ गया (वव.16-23)।
यशायाह आने वाले न्याय को देखते हैं, और उस दिन 'परमेश्वर की डाली सुंदर और महिमामयी होगी' (4:2)।
उस समय यह केवल आधा पूरा हुआ था। बहुत सी दूसरी भविष्यवाणीयों की तरह, यह बताता है कि जो हम अब देखते हैं वह यीशु के द्वारा पूरा हुआ था, जो 'परमेश्वर की सच्ची डाली थी' (व.2)। यीशु परमेश्वर की दाख की डाली हैं। वह किसी भी मनुष्य से अधिक वफादार और फलदायी थे (यहाँ तक कि युसूफ या पौलुस से भी अधिक!)। अब वह आपको उनकी दाखलता का भाग बनने के लिए आमंत्रित करते हैं, उनके नजदीक रहने और अत्यधिक फल उत्पन्न करने के लिए – फल जो बने रहें (यूहन्ना 15:8,16)।
प्रार्थना
परमेश्वर, मैं एक फलदायी जीवन जीना चाहता हूँ। आपका धन्यवाद कि आपने इसे संभव किया। मुझे अपने नजदीक रखिये, वफादार और पवित्र आत्मा के साथ भर दीजिए, फल को उत्पन्न करते हुए जो बने रहें।
पिप्पा भी कहते है
2 कुरिंथियो 7:1
'आओ, हम अपने आप को शरीर और आत्मा की सब मलीनता से शुध्द करें, और परमेश्वर का भय मानते हुए पवित्रता को सिध्द करें।'
शुरुवात करने से पहले मुझे विषहरण (डिटॉक्स) कराने की आवश्यकता है। (ना केवल चॉकलेट को काट देना..लेकिन संभव रूप से उन्हें पूरी तरह से काट देना)
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संदर्भ
बिअर ग्रिल, मुड, पसीना और आँसू, (चैनल 4, 2012)।
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।