उदार व्यक्ति के लिए परमेश्वर का वायदा
परिचय
’मैं इतना खुश थी कि मेरी आँखो से आँसू निकल आए! मैं बहुत ही उत्साहित हूँ कि शायद से हमें फोकस (हमारे चर्च की छुट्टियॉं) में जाने का अवसर मिले! मुझे अपने बच्चों के चेहरे देखना बहुत पसंद है जब मैं उन्हें इसके बारे में बताती हूँ!' हमारी मंडली की एक महिला की यह प्रतिक्रिया थी, जिनके दो छोटे बच्चे हैं, जब उन्होंने सुना कि फोकस में आने के लिए उन्हें इसकी कीमत में छूट दी जाएगी। सप्ताह के अंत में, उन्होंने लिखा, 'यह सबसे सर्वश्रेष्ठ छुट्टियाँ जो एक परिवार के रूप में हमने बितायी। मैं बहुत खुश हूँ।'
मुझे यह तथ्य पसंद है कि सैकड़ो लोग कीमत पर छूट पाकर फोकस में आए, या शायद उन्होंने कोई कीमत नहीं चुकायी थी। दूसरे इसे संभव बनाने के लिए उदारतापूर्वक देते हैं।
कुछ महीनों बाद, जिस माँ ने मुझे पत्र लिखा था उन्होंने बिना किसी अपेक्षा के किसी दूर के रिश्तेदार से कुछ पैसे पाये थे। उन्होंने असाधारण रीति से उदारतापूर्वक दिया। वह कीमत उस छूट से कही अधिक थी जो उन्हें और उनके परिवार को मिली थी।
यह नये नियम का एक प्रायोगिक सिद्धांत है कि जो खर्च उठा सकते हैं, वे उनकी मदद करें जो ऐसा नहीं कर सकते हैं – ताकि वहाँ पर समानता आ जाएँ: ’ परन्तु बराबरी के विचार से इस समय तुम्हारी बढ़ती उनकी घटी में काम आए, ताकि उनकी बढ़ती भी तुम्हारी घटी में काम आए कि बराबरी हो जाए' (2कुरिंथियो 8:14)।
हमारे विश्व का बहुत बड़ा हिस्सा पैसे, संपत्ति और धन के विषय में सोचने, लिखने और बात करने में लगा हुआ है। इन विषयों पर बाईबल बहुत कुछ बताती है। किंतु, बाईबल की स्थिती आज की संस्कृति से विपरीत है।
आज के नये नियम के लेखांश में, पौलुस हमें बताते हैं कि यीशु के देहधारण करने का मुख्य बिंदु यह था कि आप ’अमीर बन जाए' (व.9)। किंतु, आज का लेखांश शब्द ’अमीर' के प्रति विश्व की समझ को पूरी तरह से पुन: परिभाषित करता है।
नीतिवचन 21:27-22:6
27 दुष्ट का चढ़ावा यूँ ही घृणापूर्ण होता है
फिर कितना बुरा होगा जब वह उसे बुरे भाव से चढ़ावे
28 झूठे गवाह का नाश हो जायेगा;
और जो उसकी झूठी बातों को सुनेगा वह भी उस ही के संग सदा सर्वदा के लिये नष्ट हो जायेगा।
29 सज्जन तो निज कर्मो पर विचार करता है
किन्तु दुर्जन का मुख अकड़ कर दिखाता है।
30 यदि यहोवा न चाहें तो, न ही कोई बुद्धि और न ही कोई अर्न्तदृष्टि,
न ही कोई योजना पूरी हो सकती है।
31 युद्ध के दिन को घोड़ा तैयार किया है,
किन्तु विजय तो बस यहोवा पर निर्भर है।
22अच्छा नाम अपार धन पाने से योग्य है।
चाँदी, सोने से, प्रशंसा का पात्र होना अधिक उत्तम है।
2 धनिकों में निर्धनों में यह एक समता है,
यहोवा ही इन सब ही का सिरजन हार है।
3 कुशल जन जब किसी विपत्ति को देखता है,
उससे बचने के लिये इधर उधर हो जाता किन्तु मूर्ख उसी राह पर बढ़ता ही जाता है।
और वह इसके लिये दुःख ही उठाता है।
4 जब व्यक्ति विनम्र होता है यहोवा का भय धन दौलत,
आदर और जीवन उपजता है।
5 कुटिल की राहें काँटों से भरी होती है और वहाँ पर फंदे फैले होते हैं;
किन्तु जो निज आत्मा की रक्षा करता है वह तो उनसे दूर ही रहता है।
6 बच्चे को यहोवा की राह पर चलाओ
वह बुढ़ापे में भी उस से भटकेगा नहीं।
समीक्षा
धन से कही अधिक अपने सम्मान को पकड़े रहिये
सम्मान, धन से कही ज्यादा महत्वपूर्ण है।
’ बड़े धन से अच्छा नाम अधिक चाहने योग्य हैं, और सोना चाँदी से दूसरों की प्रसन्नता उत्तम है' (22:1, एम.एस.जी)।
जो सही है, वह करना बेहतर है, इसके बजाय कि कंजूसी, संदिग्ध प्रथाएं या लालच करें। जैसा कि बिली ग्राहम ने कहा है, 'जब पैसा खो जाता है, तब कुछ नहीं खोता; जब स्वास्थ खो जाता है, तब कुछ खो जाता है; जब चरित्र खो जाता है, सबकुछ खो जाता है।'
हमारी संस्कृति उनको महत्व देती है जो ’अमीर की सूची' में हैं, उनसे कही अधिक जो विश्व के गरीब भागों में भूख से मर रहे हैं। लेकिन नीतिवचन के लेखक कहते हैं, ' धनी और निर्धन दोनों एक दूसरे से मिलते हैं; यहोवा उन दोनों का कर्त्ता है ' (व.2, एम.एस.जी)।
सच्चे धन का रास्ता है ’दीनता और परमेश्वर का भय' (व.4अ)। यह ’धन और सम्मान और जीवन' लाता है (व.4ब, ए.एम.पी)। शायद से यह कभी कभी भौतिक संपत्ति ले आए। लेकिन नया नियम हमें बताता है कि यह हमेशा बहुत ही अनंत महत्व की चीज को लाता है – मसीह में आत्मिक धन।
अपने जीवन में परमेश्वर को प्रथम स्थान दीजिए। आपके लिए उनकी योजनाएँ ’अच्छी, मनभावनी और सिद्ध' हैं (रोमियो 12:2)। और ’ यहोवा के विरुध्द न तो कुछ बुध्दि, और न कुछ समझ, न कोई युक्ति चलती है' (नीतिवचन 21:30)।
प्रार्थना
परमेश्वर मेरी सहायता कीजिए कि विश्वसनीयता और उदारता, दीनता और परमेश्वर के भय का एक जीवन जीऊँ।
2 कुरिन्थियों 8:1-15
हमारा दान
8देखो, हे भाइयो, अब हम यह चाहते है कि तुम परमेश्वर के उस अनुग्रह के बारे में जानो जो मकिदुनिया क्षेत्र की कलीसियाओं पर किया गया है। 2 मेरा अभिप्राय यह है कि यद्यपि उनकी कठिन परीक्षा ली गयी तो भी वे प्रसन्न रहे और अपनी गहन दरिद्रता के रहते हुए भी उनकी सम्पूर्ण उदारता उमड़ पड़ी। 3 मैं प्रमाणित करता हूँ कि उन्होंने जितना दे सकते थे दिया। इतना ही नहीं बल्कि अपने सामर्थ्य से भी अधिक मन भर के दिया। 4 वे बड़े आग्रह के साथ संत जनों की सहायता करने में हमें सहयोग देने को विनय करते रहे। 5 उनसे जैसी हमें आशा थी, वैसे नहीं बल्कि पहले अपने आप को प्रभु को समर्पित किया और फिर परमेश्वर की इच्छा के अनुकूल वे हमें अर्पित हो गये।
6 इसलिए हमने तितुस से प्रार्थना की कि जैसे वह अपने कार्य का प्रारम्भ कर ही चुका है, वैसे ही इस अनुग्रह के कार्य को वह तुम्हारे लिये करे। 7 और जैसे कि तुम हर बात में यानी विश्वास में, वाणी में, ज्ञान में, अनेक प्रकार से उपकार करने में और हमने तुम्हें जिस प्रेम की शिक्षा दी है उस प्रेम में, भरपूर हो, वैसे ही अनुग्रह के इस कार्य में भी भरपूर हो जाओ।
8 यह मैं आज्ञा के रूप में नहीं कह रहा हूँ बल्कि अन्य व्यक्तियों के मन में तुम्हारे लिए जो तीव्रता है, उस प्रेम की सच्चाई को प्रमाणित करने के लिये ऐसा कह रहा हूँ। 9 क्योंकि हमारे प्रभु यीशु मसीह के अनुग्रह से तुम परिचित हो। तुम यह जानते हो कि धनी होते हुए भी तुम्हारे लिये वह निर्धन बन गया। ताकि उसकी निर्धनता से तुम मालामाल हो जाओ।
10 इस विषय में मैं तुम्हें अपनी सलाह देता हूँ। तुम्हें यह शोभा देता है। तुम पिछले साल न केवल दान देने की इच्छा में सबसे आगे थे बल्कि दान देने में भी सबसे आगे रहे। 11 अब दान करने की उस तीव्र इच्छा को तुम जो कुछ तुम्हारे पास है, उसी से पूरा करो। तुम इसे उतनी ही लगन से “पूरा करो” जितनी लगन से तुमने इसे “चाहा” था। 12 क्योंकि यदि दान देने की लगन है तो व्यक्ति के पास जो कुछ है, उसी के अनुसार उसका दान ग्रहण करने योग्य बनता है, न कि उसके अनुसार जो उसके पास नहीं है। 13 हम यह नहीं चाहते कि दूसरों को तो सुख मिले और तुम्हें कष्ट; बल्कि हम तो बराबरी चाहते हैं। 14 हमारी इच्छा है कि उनके इस अभाव के समय में तुम्हारी सम्पन्नता उनकी आवश्यकताएँ पूरी करे ताकि आवश्यकता पड़ने पर आगे चल कर उनकी सम्पन्नता भी तुम्हारे अभाव को दूर कर सके ताकि समानता स्थापित हो। 15 जैसा कि शास्त्र कहता है:
“जिसने बहुत बटोरा उसके पास अधिक न रहा;
और जिसने अल्प बटोरा, उसके पास स्वल्प न रहा।”
समीक्षा
ऐसे व्यक्ति के उदाहरण पर चलिये जो धन से चिथड़े की ओर
गायिका लिली ऍलन सरलता से दर्शाती हैं कि लोग उनके गीत में क्या सोचते हैं, 'डर' कोः
’मैं अमीर बनना चाहती हूँ और मुझे बहुत सा पैसा चाहिए
मैं चालाक होने के बारे में नहीं सोचती, मैं मजाकिया होने के बारे में नहीं सोचती
मुझे बहुत से पकड़े और ...बहुत से हीरे चाहिए।'
कुछ लोग अमीर बनना चाहते हैं। लोगों के ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जो ’चिथड़ो से निकलकर अमीर बन गए।' किंतु, ऐसे कुछ ही लोग हैं जिन्होंने सोच – समझकर धन से चिथड़ो की ओर जाना चुना!
फिर भी, हमारे विश्वास के बीच में ऐसे कोई हैं जिसने बिल्कुल यही करना चुनाः’ तुम हमारे प्रभु मसीह का अनुग्रह जानते हो कि वह धनी होकर भी तुम्हारे लिये कंगाल बन गया, ताकि उसके कंगाल हो जाने से तुम धनी हो जाओ' (व.9)। यह सुसमाचार का हृदय है।
यीशु वह उदाहरण हैं जिनके पीछे हमें चलना है। ना केवल उन्होने पृथ्वी के जीवन के लिए स्वर्ग के धन को छोड़ा, लेकिन उस पृथ्वी के जीवन में, उन्होंने गरीबी में पैदा होना चुना और अत्यधिक गरीबी में मर गए।
वह पृथ्वी में आएं जहाँ पर उनके पास सिर टिकाने की कोई जगह नहीं थी, और क्रूस पर वस्त्रहीन, वेदना में उन्हें लटका दिया गया। उन्होंने यह किया ताकि आप अमीर बन जाएँ – ताकि आपके पास मसीह का सारा आत्मिक खजाना हो। यीशु ने हमें ’महान उदारता' का सर्वोच्च उदाहरण दिखाया है और दर्शाया कि ’अमीर बनने' का क्या अर्थ है।
मकी दुनिया के चर्च उनके उदाहरण पर चलेः ’ क्लेश की बड़ी परीक्षा में उनके बड़े आनन्द और भारी कंगालपन में उनकी उदारता बहुत बढ़ गई। उनके विषय में मेरी यह गवाही है कि उन्होंने अपनी सामर्थ से वरन् सामर्थ से भी बाहर, मन से दिया। और इस दान में और पवित्र लोगों की सेवा में भागी होने के अनुग्रह के विषय में, हम से बार – बार बहुत विनती की' (व.2-4, एम.एस.जी)।
यद्यपि वे बहुत ही गरीब थे, उन्होंने प्रबंध किया जितना वह दे सकते थे और उन्होंने उससे भी ज्यादा दिया।
पौलुस ने कुरिंथियों को उनके उदाहरण पर चलने के लिए चिताया। उनके जीवन के ऐसे बहुत से क्षेत्र थे जो श्रेष्ठ थे (व.7अ)। पौलुस ने कहा, ' , वैसे ही इस दान के काम में भी बढ़ते जाओ' (व.7क)।
फिर पौलुस नये नियम के सिद्धांत को समझाते हैं कि जिनके पास है, वे दें ताकि जिनके पास नहीं है उनकी सहायता की जाए (वव.13-15)। हम इस सिद्धांत को काम करते हुए देखते हैं फोकस में और बहुत से दूसरे अवसर पर, अल्फा की छुट्टियों में भी। हम उन्हें आमंत्रित करते हैं जो आने के लिए दाम नहीं चुका सकते हैं (या जो कुछ वे खर्च उठा सकते हैं)। सप्ताह के अंत में हम दान देते हैं ताकि जो दाम चुकाने के लिए दे सकते हैं, उनके लिए जो सप्ताहिक छुट्टी का खर्च नहीं उठा सकते हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि यीशु की उदारता के उदाहरण के पीछे चलूं और दान देने के अनुग्रह में बढूँ।
यशायाह 8:11-10:19
यशायाह को चेतावनी
11 यहोवा ने अपनी महान शक्ति के साथ मुझ से कहा। यहोवा ने मुझे चेतावनी दी कि मैं इन अन्य लोगों के समान न बनूँ। यहोवा ने कहा, 12 “हर कोई कह रहा है कि वे दूसरे लोग उसके विरुद्ध षड़यन्त्र रच रहे हैं। तुम्हें उन बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। जिन बातों से वे डरते हैं, तुम्हें उन बातों से नहीं डरना चाहिये। तुम्हें उनके प्रति निर्भय रहना चाहिए!”
13 तुम्हें बस सर्वशक्तिमान यहोवा से ही डरना चाहिये। तुम्हें बस उसी का आदर करना चाहिये। तुम्हें उसी से डरना चाहिये। 14 यदि तुम यहोवा के प्रति आदर रखोगे और उसे पवित्र मानोगे तो वह तुम्हारे लिये एक सुरक्षित स्थान होगा। किन्तु तुम उसका आदर नहीं करते। इसलिए परमेश्वर एक ऐसी चट्टान हो गया है जिसके उपर तुम लोग गिरोगे। वह एक ऐसी चट्टान हो गया है जिस पर इस्राएल के दो परिवार ठोकर खायेंगे। यरूशलेम के सभी लोगों को फँसाने के लिये वह एक फँदा बन गया है। 15 (इस चट्टान पर बहुत से लोग गिरेंगे। वे गिरेंगे और चकनाचूर हो जायेंगे। वे जाल में पड़ेंगे और पकड़े जायेंगे।)
16 यशायाह ने कहा, “एक वाचा कर और उस पर मुहर लगा दे। भविष्य के लिये, मेरे उपदेशों की रक्षा कर। मेरे अनुयायियों के देखते हुए ही ऐसा कर।”
17 वह वाचा यह है:
मैं सहायता पाने के लिये यहोवा की प्रतीक्षा करुँगा।
यहोवा याकूब के घराने से लज्जित है।
वह उनको देखना तक नहीं चाहता है।
किन्तु मैं यहोवा की प्रतीक्षा करुँगा, वह हमारी रक्षा करेगा।
18 मैं और मेरे बच्चे इस्राएल के लोगों के लिये संकेत और प्रमाण हैं। हम उस सर्वशक्तिमान यहोवा के द्वारा भेजे गये हैं, जो सिय्योन पर्वत पर रहता है।
19 कुछ लोग कहा करते हैं, “भविष्य बतानेवालों और जादूगरों से पूछो, क्या करना है” (ये भविष्य बताने वाले और जादूगर फुस—फुसाकर बोलते हैं। ये लोगों पर यह प्रभाव डालने के लिये कि उनके पास अर्न्तदृष्टि हैं, वे चुपचाप बातें करते हैं।) किन्तु मैं तुम्हें बताता हूँ कि लोगों को अपने परमेश्वर से सहायता माँगनी चाहिये! वे भविष्य बताने वाले और जादूगर मरे हुए लोगों से पूछ कर बताते हैं कि क्या करना चाहिये किन्तु भला जीवित लोग मरे हुओं से कोई बात क्यों पूछें। 20 तुम्हें शिक्षाओं और वाचा के अनुसार चलना चाहिये। यदि तुम इन आज्ञाओं का पालन नहीं करोगे तो हो सकता है तुम गलत आज्ञाओं का पालन करने लगो। (ये गलत आज्ञाएँ वे हैं जो जादूगरों और भविष्य बताने वालों के द्वारा मिलती है। ये आज्ञाएँ बेकार हैं। उन आज्ञाओं पर चल कर तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा।)
21 यदि तुम उन गलत आज्ञाओं पर चलोगे, तो तुम्हारे देश पर विपत्ति आयेगी और भूखमरी फैलेगी। लोग भूखे मरेंगे। फिर वे क्रोधित होंगे और अपने राजा और अपने देवताओं के विरुद्ध बातें कहेंगे। इसके बाद वे सहायता के लिये परमेश्वर की ओर निहारेंगे। 22 यदि अपने देश में वे चारों तरफ देखेंगे तो उन्हें चारों ओर विपत्ति और चिन्ता जनक अन्धेरा ही दिखाई देगा। लोगों का वह अंधकारमय दु:ख उन्हें देश छोड़ने पर विवश करेगा और वे लोग जो उस अन्धेरे में फँसे होंगे, अपने आपको उससे मुक्त नहीं करा पायेंगे।
एक नया दिन आने को है
9पहले लोग सोचा करते थे कि जबूलून और नप्ताली की धरती महत्वपूर्ण नहीं है। किन्तु बाद में परमेश्वर उस धरती को महान बनायेगा। समुद्र के पास की धरती पर, यरदन नदी के पार और गालील में गैर यहूदी लोग रहते हैं। 2 यद्यपि आज ये लोग अन्धकार में निवास करते हैं, किन्तु इन्हें महान प्रकाश का दर्शन होगा। ये लोग एक ऐसे अन्धेरे स्थान में रहते हैं जो मृत्य़ु के देश के समान है। किन्तु वह “अद्भुत ज्योति” उन पर प्रकाशित होगा।
3 हे परमेश्वर! तू इस जाति की बढ़ौतरी कर। तू लोगों को खुशहाल बना। ये लोग तुझे अपनी प्रसन्नता दर्शायेंगे। यह प्रसन्नता वैसी ही होगी जैसी कटनी के समय पर होती है। यह प्रसन्नता वैसी ही होगी जैसी युद्ध में जीतने के बाद लोग जब विजय की वस्तुओं को आपस में बाँटते हैं, तब उन्हें होती है। 4 ऐसा क्यों होगा क्योंकि तुम पर से भारी बोझ उतर जायेगा। लोगों की पीठों पर रखे हुए भारी बल्लों को तुम उतरवा दोगे। तुम उस दण्ड को छीन लोगे जिससे शत्रु तुम्हारे लोगों को दण्ड दिया करता है। यह वैसा समय होगा जैसा वह समय था जब तुमने मिद्यानियों को हराया था।
5 हर वह कदम जो युद्ध में आगे बढ़ा, नष्ट कर दिया जायेगा। हर वह वर्दी जिस पर लहू के धब्बे लगे हुए हैं, नष्ट कर दी जायेगी। ये वस्तुएँ आग में झोंक दी जायेंगी। 6 यह सब कुछ तब घटेगा जब उस विशेष बच्चे का जन्म होगा। परमेश्वर हमें एक पुत्र प्रदान करेगा। यह पुत्र लोगों की अगुवाई के लिये उत्तरदायी होगा। उसका नाम होगा: “अद्भुत, उपदेशक, सामर्थी परमेश्वर, पिता—चिर अमर और शांति का राजकुमार।” 7 उसके राज्य में शक्ति और शांति का निवास होगा। दाऊद के वंशज, उस राजा के राज्य का निरन्तर विकास होता रहेगा। वह राजा नेकी और निष्पक्ष न्याय का अपने राज्य के शासन में सदा—सदा उपयोग करता रहेगा। वह सर्वशक्तिशाली यहोवा अपनी प्रजा से गहरा प्रेम रखता है और उसका यह गहरा प्रेम ही उससे ऐसे काम करवाता है।
परमेश्वर इस्राएल को दण्ड देगा
8 याकूब (इस्राएल) के लोगों के विरूद्ध मेरे यहोवा ने एक आज्ञा दी। इस्राएल के विरूद्ध दी गयी उस आज्ञा का पालन होगा। 9 तब एप्रैम के हर व्यक्ति को और यहाँ तक कि शोमरोन के मुखियाओं तक को यह पता चल जायेगा कि परमेश्वर ने उन्हें दण्ड दिया था।
आज वे लोग बहुत अभिमानी और बडबोला हैं। वे लोग कहा करते हैं, 10 “हो सकता है ईटें गिर जायें किन्तु हम इसका और अधिक मजबूत पत्थरों से निर्माण लेंगे। सम्भव है छोटे—छोटे पेड़ काट गिराये जायें। किन्तु हम वहाँ नये पेड़ खड़े कर देंगे और ये नये पेड़ विशाल तथा मजबूत पेड़ होंगे।” 11 सो यहोवा लोगों को इस्राएल के विरुद्ध युद्ध करने के लिए उकसाएगा। यहोवा रसीन के शत्रुओं को उनके विरोध ले आयेगा। 12 यहोवा पूर्व से आराम के लोगों को और पश्चिम से पलिश्तियों को लायेगा। वे शत्रु अपनी सेना से इस्राएल को हरा देंगे। किन्तु परमेश्वर इस्राएल से तब कुपित रहेगा। यहोवा तब भी लोगों को दण्ड देने को तत्पर रहेगा।
13 परमेश्वर यद्यपि लोगों को दण्ड देगा, किन्तु वे फिर भी पाप करना नहीं छोंड़ेंगे। वे परमेश्वर की ओर नहीं मुड़ेंगे। वे सर्वशक्तिमान यहोवा का अनुसरण नहीं करेंगे। 14 सो यहोवा इस्राएल का सिर और पूँछ काट देगा। एक ही दिन में यहोवा उसकी शाखा और उसके तने को ले लेगा। 15 (यहाँ सिर का अर्थ है अग्रज तथा महत्वपूर्ण अगुवा लोग और पूँछ से अभिप्राय है ऐसे नबी जो झूठ बोला करते हैं।)
16 वे लोग जो लोगों की अगुवाई करते हैं, उन्हें बुरे मार्ग पर ले जाते हैं। सो ऐसे लोग जो उनके पीछे चलते हैं, नष्ट कर दिये जायेंगे। 17 ये सभी लोग दुष्ट हैं। इसलिये यहोवा इन युवकों से प्रसन्न नहीं है। यहोवा उनकी विधवाओं और उनके अनाथ बच्चों पर दया नहीं करेगा। क्यों क्योंकि ये सभी लोग दुष्ट हैं। ये लोग ऐसे काम करते हैं जो परमेश्वर के विरुद्ध हैं। ये लोग झूठ बोलते हैं।
सो परमेश्वर इन लोगों के प्रति कुपित बना रहेगा और उन्हें दण्ड देता रहेगा।
18 बुराई एक छोटी सी आग है, आग पहले घास फूस और काँटों को जलाती है, फिर वह बड़ी—बड़ी झाड़ियों और जंगल को जलाने लगती है और अंत में जाकर वह व्यापक आग का रूप ले लेती है और हर वस्तु धुआँ बन कर ऊपर उड़ जाती है।
19 सर्वशक्तिमान यहोवा कुपित है। इसलिए यह प्रदेश भस्म हो जायेगा। उस आग में सभी लोग भस्म हो जायेंगें। कोई व्यक्ति अपने भाई तक को बचाने का जतन नहीं करेगा। 20 तब उनके आस पास, जो भी कुछ होगा, वे उसे जब दाहिनी ओर से लेंगे, या बाई ओर से लेंगे, भूखे ही रहेंगे। फिर वे लोग आपस में अपने ही परिवार के लोगों को खाने लगेंगे। 21 अर्थात् मनश्शे, एप्रैम के विरुद्ध लड़ेगा और एप्रैम मनश्शे के विरुद्ध लडाई करेगा और फिर दोनों ही यहूदा के विरुद्ध हो जायेंगे।
यहोवा इस्राएल से अभी भी कुपित है। यहोवा उसके लोगों को दण्ड देने के लिये अभी भी तत्पर है।
10उन नियम बनाने वालों को देखो जो अन्यायपूर्ण नियम बना कर लिखते हैं। ऐसे नियम बनाने वाले ऐसे नियम बना कर लिखते हैं जिससे लोगों का जीवन दूभर होता है। 2 वे नियम बनाने वाले गरीब लोगों के प्रति सच्चे नहीं हैं। वे गरीबों के अधिकार छीनते हैं। वे लोगों को विधवाओं और अनाथों के यहाँ चोरी करने की अनुमति देते हैं।
3 अरे ओ, नियम को बनाने वालों, जब तुम्हें, जो काम तुमने किये हैं, उनका हिसाब देना होगा तब तुम क्या करोगे सुदूर देश से तुम्हारा विनाश आ रहा है। सहायता के लिये तुम किस के पास दौडोगे तुम्हारा धन और तुम्हारी सम्पत्ति तुम्हारी रक्षा नहीं कर पायेंगे। 4 तुम्हें एक बंदी के समान नीचे झुकना ही होंगा। तुम मुर्दे के समान धरती में गिर कर दण्डवत प्रणाम करोगे किन्तु उससे तुम्हें कोई सहायता नहीं मिलेगी। परमेश्वर तब भी कुपित रहेगा। परमेश्वर तुम्हें दण्ड देने के लिए तब भी तत्पर रहेगा।
5 परमेश्वर कहेगा, “मैं एक छड़ी के रुप में अश्शूर का प्रयोग करुँगा। मैं क्रोध में भर कर इस्राएल को दण्ड देने के लिए अश्शूर का प्रयोग करुँगा। 6 ऐसे लोगों के विरुद्ध जो पाप कर्म करते हैं युद्ध करने के लिये मैं अश्शूर को भेजूँगा। मैं उन लोगों से कुपित हूँ और उन लोगों से युद्ध करने के लिये मैं अश्शूर को आदेश दूँगा। अश्शूर उन लोगों को हरा देगा और फिर उनसे उनकी कीमती वस्तुएँ छीन लेगा। अश्शूर के लिए इस्राएल गलियों में पड़ी उस धूल जैसा होगा जिसे वह अपने पैरों तले रौंदेगा।
7 “किन्तु अश्शूर यह नहीं समझता है कि मैं उसका प्रयोग करुँगा। वह यह नहीं सोचता कि वह मेरा एक साधन है। अश्शूर तो बस दूसरे लोगों को नष्ट करना चाहता है। अश्शूर की तो मात्र यह योजना है कि वह बहुत सी जातियों को नष्ट कर दे। 8 अश्शूर अपने मन में कहता है, ‘मेरे सभी व्यक्ति राजाओं के समान हैं। 9 कलनो नगरी कर्कमीश के जैसी है और हमात नगर अर्पद नगर के जैसा है। शोमरोन की नगरी दमिश्क नगर के जैसी है। 10 मैंने इन सभी बुरे राज्यों को पराजित कर दिया है और अब इन पर मेरा अधिकार है। जिन मूर्तियों की वे लोग पूजा करते हैं, वे यरूशलेम और शोमरोन की मूर्तियों से अधिक हैं। 11 मैंने शोमरोन और उसकी मूर्तियों को पराजित कर दिया। मैं यरूशलेम और उसकी मूर्तियों को भी जिन्हें उसके लोगों ने बनाया है पराजित कर दूँगा।’”
12 मेरा स्वामी जब यरूशलेम और सिय्योन पर्वत के लिये, जो उसकी योजना है, उसकी बातों को करना समाप्त कर देगा, तो यहोवा अश्शूर को दण्ड देगा। अश्शूर का राजा बहुत अभिमानी है। उसके अभिमान ने उससे बहुत से बुरे काम करवाये हैं। सो परमेश्वर उसे दण्ड देगा।
13 अश्शूर का राजा कहा करता है, “मैं बहुत बुद्धिमान हूँ। मैंने स्वयं अपनी बुद्धि और शक्ति से अनेक महान कार्य किये हैं। मैंने बहुत सी जातियों को हराया है। मैंने उनका धन छीन लिया है और उनके लोगों को दास बना लिया है। मैं एक बहुत शक्तिशाली व्यक्ति हूँ। 14 मैंने स्वयं अपने हाथों से उन सब लोगों की धन दौलत ऐसे ले ली है जैसे कोई व्यक्ति चिड़ियाँ के घोंसले से अण्डे उठा लेता है। चिड़ियाँ जो प्राय: अपने घोंसले और अण्डों को छोड जाती है और उस घोंसले की रखवाली करने के लिये कोई भी नहीं रह जाता। वहाँ अपने पंखों और अपनी चोंच से शोर मचाने और लड़ाई करने के लिये कोई पक्षी नहीं होता। इसीलिए लोग अण्डों को उठा लेते हैं। इसी प्रकार धरती के सभी लोगों को उठा ले जाने से रोकने के लिए कोई भी व्यक्ति वहाँ नहीं था।”
15 कुल्हाड़ा उस व्यक्ति से अच्छा नहीं होता, जो कुल्हाड़े को चलाता है। कोई आरा उस व्यक्ति से अच्छा नहीं होता, जो उस आरे से काटता है। किन्तु अश्शूर का विचार है कि वह परमेश्वर से भी अधिक महत्वपर्ण और बलशाली है। उसका यह विचार ऐसा ही है जैसे किसी छड़ी का यह सोचना कि वह उस व्यक्ति से अधिक बली और महत्वपूर्ण है जो उसे उठाता है और किसी को दण्ड देने के लिए उसका प्रयोग करता है। 16 अश्शूर का विचार है कि वह महान है किन्तु सर्वशक्तिमान यहोवा अश्शूर को दुर्बल कर डालने वाली महामारी भेजेगा और अश्शूर अपने धन और अपनी शक्ति को वैसे ही खो बैठेगा जैसे कोई बीमार व्यक्ति अपनी शक्ति गवाँ बैठता है। फिर अश्शूर का वैभव नष्ट हो जायेगा। यह उस अग्नि के समान होगा जो उस समय तक जलती रहती है जब तक सब कुछ समाप्त नहीं हो जाता। 17 इस्राएल का प्रकाश (परमेश्वर) एक अग्नि के समान होगा। वह पवित्रतम लपट के जैसा प्रकाशमान होगा। वह उस अग्नि के समान होगा जो खरपतवार और काँटों को तत्काल जला डालती है 18 और फिर बढ़कर बड़े बड़े पेड़ों और अँगूर के बगीचों को जला देती है और अंत में सब कुछ नष्ट हो जाता है यहाँ तक कि लोग भी। ऐसा उस समय होगा जब परमेश्वर अश्शूर को नष्ट करेगा। अश्शूर सड़ते—गलते लट्ठे के जैसा हो जायेगा। 19 जंगल में हो सकता है थोड़े से पेड़ खड़े रह जायें। पर वे इतने थोंड़े से होंगे कि उन्हें कोई बच्चा तक गिन सकेगा।
समीक्षा
यीशु के राज्य करने पर ध्यान दीजिए, इसके बजाय कि धन पर
जैसा की लिली ’डर' में गाती है, यदि हम गलत चीजों पर ध्यान देंगे तो ’डर हमें जकड़ लेगा'। लेकिन यशायाह कहते हैं, ' ’जिस बात को ये लोग राजद्रोह कहें, उसको तुम राजद्रोह न कहना, और जिस बात से वे डरते हैं उससे तुम न डरना और न भय खाना। सेनाओं के यहोवा ही को पवित्र जानना; उसी का भय मानना, और उसी का भय रखना ' (8:12-13, एम.एस.जी.)।
यशायाह ओझाओं, टोन्हों और मुर्दों से पूछने के विरूद्ध चेतावनी देते हैं (व.19): उनसे कहो, 'नहीं, हम वचनों का अध्ययन करेंगे।' जो लोग दूसरे मार्ग पर चलने की कोशिश करते हैं, वे कहीं नहीं पहुँचते – एक मृत अंत – एक खाली दीवार, एक खाली छेद। वे घोर अन्धकार में ढकेल दिए जाएँगे (वव.20-22, एम.एस.जी)।
वह घमंड और ’कठोरता' के विरूद्ध भी चेतावनी देते हैं (9:9)। इसके अतिरिक्त, धन के विषय में उनके पास कहने के लिए बहुत कुछ है।
पहला, अमीरी अपने आपमें तृप्त नहीं करती हैः ’वे दाहिनी ओर से भोजनवस्तु छीनकर भी भूखे रहते, और बायीं ओर से खाकर भी तृप्त नहीं होते ' (व.20, एम.एस.जी)। शायद हम जितना पैसा बना ले, यह कभी भी उस गहरी आत्मिक भूख को तृप्त नहीं कर पायेगा जो हर मनुष्य के हृदय में है।
दूसरा, वह गरीबों का हक मारकर पैसा बनाने के विरूद्ध चेतावनी देते हैं (10:1-3)। अन्याय, विश्व में बहुत से कष्ट का मुख्य कारण हैः’हाय उन पर जो दुष्टता से न्याय करते, और उन पर जो उत्पात करने की आज्ञा लिख देते हैं, कि वे कंगालों का न्याय बिगाड़ें और मेरी प्रजा के दीन लोगों का हक मारें, कि वे विधवाओं को लूटें और अनाथों का माल अपना लें' (वव.1-2, एम.एस.जी)।
विश्व में ऐसे बहुत से देश हैं जहाँ पर हम यह होते हुए देख सकते हैं। कुछ लोग गरीब, विधवाओं और अनाथों का हक मारकर बहुत अमीर बन जाते हैं। यहाँ पर अनुचित नियम और लोगों के लिए कोई न्याय नहीं है। यशायाह न्याय के दिन के विषय में प्रश्न पूछते हैं, 'तुम अपना धन छोड़कर कहाँ जाओगे?' (व.3ड)। यह सारा पैसा आखिर में पूरी तरह से अर्थहीन हैः’तुम्हारा सारा पैसा तुम्हारे किस काम का?' (व.3ड, एम.एस.जी)।
इस अन्याय और असमानता के विश्व में, भविष्यवक्ता यशायाह एक अलग शासक को उठते हुए देखते है – निश्चित ही, यीशु मसीह में यह परिपूर्ण हुआः’हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके काँधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करने वाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा। उसकी प्रभुता सर्वदा बढ़ती रहेगी, और उसकी शान्ति का अन्त न होगा' (9:6-7अ)।
जितना अधिक आप अपने जीवन में यीशु को प्रभुत्व करने देते हैं, उतना ही अधिक वह आपकी योजनाओं, निर्णयों, बातचीत और विचारों को दिशा प्रदान करते हैं – आप बुद्धिमान बन जाएँगे और, 'डर के द्वारा हार जाने' के बजाय, आप अधिकाधिक उनकी शांति का अनुभव करेंगे।
पैसा, धन, सफलता, प्रमोशन, कपड़े या हीरों से शांति नहीं मिलती है। यह मिलती है न्याय और सत्यनिष्ठा में यीशु के शासन के अंतर्गत जीते हुए, महान उदारता के उनके उदाहरण पर चलते हुए।
प्रार्थना
परमेश्वर, मैं आपकी आराधना करता हूँ, अद्भुत सलाहकार, शक्तिशाली परमेश्वर, अनंत पिता और शांति के राजकुमार। मेरी सहायता कीजिए कि आपकी उदारता के उदाहरण के पीछे चलूं और सच्चे धन, सम्मान और जीवन का रास्ता खोजूं।
पिप्पा भी कहते है
नीतिवचन 22:6
’ लड़के को उसी मार्ग की शिक्षा दे जिसमें उसको चलना चाहिए, और वह बुढ़ापे में भी उससे न हटेगा '
मैं उन सभी की बहुत आभारी हूँ जिन्होंने हमारे बच्चों में अपना समय, प्रेम और प्रार्थनाएँ निवेश की। कभी भी बच्चों के साथ बिताए गए अपने समय के महत्व को कम मत समझिये - चाहे एक माता-पिता, एक बच्चों के कर्मचारी या शिक्षक के रूप में। आपका निवेश बहुत लाभ लायेगा। आपकी शिक्षा और उदाहरण लोगों की सहायता करेगी विश्वास और चरित्र को बनाने में।
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संदर्भ
लिली ऍलन, 'डर', यह मैं नहीं, यह तुम हो (रिगल, 2009)।
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।