दिन 250

अपने प्रभु से कैसे प्रेम करें

बुद्धि भजन संहिता 105:37-45
नए करार 2 कुरिन्थियों 8:16-9:5
जूना करार यशायाह 10:20-13:22

परिचय

इन लोगों के साथ क्या गलत था? क्या वे अजीब थे? क्या यह एक पंथ था? यह अजीब भाव क्या था जिसको वे इस्तेमाल करते थे?

निश्चित ही मैं जानता था कि परमेश्वर या यीशु को 'प्रभु' कहा जा सकता था, लेकिन इससे पहले मैंने नहीं सुना था कि लोगों का एक समूह परमेश्वर को अक्सर 'प्रभु' के रूप में संबोधित करता था। तब से सालों में, जैसा कि मैंने बाईबल का अध्ययन किया, मुझे समझ में आने लगा कि क्यों ये मसीह, जिनसे यूनिवर्सिटी में मैं पहली बार मिला, अक्सर इस भाव का इस्तेमाल करते थेः वे अपने प्रभु से प्रेम करते थे! अब वह मेरे प्रभु हैं। मैं भी प्रभु से प्रेम करता हूँ।

'प्रभु' सबसे सामान्य तरीका है पुराने नियम में परमेश्वर को संबोधित करने का। जब अंग्रेजी के कॅपिटल अक्षरों में लिखा जाता है, यह शब्द परमेश्वर के लिए यहूदी वाचा नाम YHWH का अनुवाद करता है। परमेश्वर के प्रति सम्मान के कारण, यहूदी शब्द का इस्तेमाल नहीं करते हैं। ऐतिहासिक रूप से, हमने अक्सर शब्द का उच्चारण 'यहोवा' के रूप में किया है, जबकि असल में यह अधिकतर 'याहवे' की तरह लगता है। जब पुराने नियम का पहली बार ग्रीक में अनुवाद हुआ (सी. 250 बी.सी) नाम याहवे का अनुवाद क्युरियोस (प्रभु) के रूप में किया गया। फिर यह अनुवाद नये नियम में दिखाई देता है।

नया नियम हमें 'प्रभु' का और अधिक त्रिऐक्य समझ प्रदान करता है। यह उल्लेखनीय दावा करता है कि यीशु प्रभु हैं। असल में, चाहे कोई कहे 'यीशु प्रभु हैं' यह मसीह प्रमाणिकता की जाँच बन जाता है (1कुरिंथियो 12:3)। यह ये भी दावा करता है कि पवित्र आत्मा प्रभु हैः' प्रभु तो आत्मा है : और जहाँ कहीं प्रभु का आत्मा है वहाँ स्वतंत्रता है' (2कुरिंथियो 3:17)।

पिता परमेश्वर प्रभु हैं। परमेश्वर पुत्र प्रभु हैं। परमेश्वर पवित्र आत्मा प्रभु हैं। लेकिन केवल एक प्रभु हैं:'एक प्रभु...एक परमेश्वर' (इफीसियो 4:5-6)। एक त्रिऐक्य परमेश्वर प्रभु हैं। प्रभु के प्रति नये नियम की समझ हमारी सहायता करती है 'प्रभु' के प्रति पुराने नियम के इस्तेमाल का अनुवाद करने में। पुराना नियम हमारी समझ को विकसित करता है कि नये नियम का क्या अर्थ है जब यह 'प्रभु' के बारे में बात करता है।

आप कैसे प्रभु से प्रेम कर सकते हैं?

बुद्धि

भजन संहिता 105:37-45

37 फिर परमेश्वर निज भक्तों को मिस्र से निकाल लाया।
 वे अपने साथ सोना और चाँदी ले आये।
 परमेश्वर का कोई भी भक्त गिरा नहीं न ही लड़खड़ाया।
38 परमेश्वर के लोगों को जाते हुए देख कर मिस्र आनन्दित था,
 क्योंकि परमेश्वर के लोगों से वे डरे हुए थे।
39 परमेश्वर ने कम्बल जैसा एक मेघ फैलाया।
 रात में निज भक्तों को प्रकाश देने के लिये परमेश्वर ने अपने आग के स्तम्भ को काम में लाया।
40 लोगों ने खाने की माँग की और परमेश्वर उनके लिये बटेरों को ले आया।
 परमेश्वर ने आकाश से उनको भरपूर भोजन दिया।
41 परमेश्वर ने चट्टान को फाड़ा और जल उछलता हुआ बाहर फूट पड़ा।
 उस मरुभूमि के बीच एक नदी बहने लगी।

42 परमेश्वर ने अपना पवित्र वचन याद किया।
 परमेश्वर ने वह वचन याद किया जो उसने अपने दास इब्राहीम को दिया था।
43 परमेश्वर अपने विशेष को मिस्र से बाहर निकाल लाया।
 लोग प्रसन्न गीत गाते हुए और खुशियाँ मनाते हुए बाहर आ गये!
44 फिर परमेश्वर ने निज भक्तों को वह देश दिया जहाँ और लोग रह रहे थे।
 परमेश्वर के भक्तों ने वे सभी वस्तु पा ली जिनके लिये औरों ने श्रम किया था।
45 परमेश्वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि लोग उसकी व्यवस्था माने।
 परमेश्वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि वे उसकी शिक्षाओं पर चलें।

यहोवा के गुण गाओ!

समीक्षा

आराधना में अपने प्रभु की स्तुति कीजिए

'प्रभु की स्तुति हो' (व.45ब) इस संपूर्ण भजन को बताता है। भजनसंहिता के लेखक पमरेश्वर की स्तुति और आराधना करते हैं, उसके लिए जो वह हैं और जो कुछ उन्होंने अपने लोगों के लिए किया हैः बचाव (व.37), सुरक्षा (व.39अ), मार्गदर्शन (व.39ब), प्रार्थनाओं का उत्तर (व.40अ), संतुष्टि (व.40ब), वफादारी (व.42), आनंद (व.43) और आशा (व.44)।

वह लिखते हैं, ' वे अन्य लोगों के श्रम के फल के अधिकारी किए गए' (व.44)। निश्चित ही, यह मूल रूप से निर्गमन का उल्लेख करता था। किंतु, यह हमारे जीवन में अक्सर सच है कि हम उसके 'उत्तराधिकारी' होते हैं, या उसका अधिकार लेते हैं, जिसके लिए दूसरों ने परिश्रम किया है।

मैं अक्सर अल्फा के बारे में यह सोचता हूँ। बहुत से लोगों ने सालों से असाधारण रूप से कठिन परिश्रम किया है अल्फा की नींव डालने के लिए - चार्ल्स मारहम, जॉन इर्विन, जॉन कॉलिन्स, सॅन्डि मिलर और निकी ली। हममें से जो अब शामिल है, वे उसके उत्तराधिकारी हुए हैं जिसके लिए दूसरों ने परिश्रम किया था।

क्या आपके जीवन में इस तरह के लोग हैं? क्या ऐसे माता-पिता, मित्र, पास्टर या दूसरे हैं, जिनके लिए आज आप परमेश्वर का धन्यवाद दे सकते हैं क्योंकि आप उनके उत्तराधिकारी हुए हैं, जिसके लिए उन्होंने परिश्रम किया?

मुख्य रूप से, हम इस वचन को यीशु में पूरा होते हुए देखते हैं। आप उन सभी चीजों के उत्तराधिकारी बन गए हैं जिसे यीशु ने आपके लिए क्रूस और पुनरुत्थान के द्वारा प्राप्त किया। उन्होंने परिश्रम किया। हम उत्तराधिकारी हैं।

प्रार्थना

प्रभु यीशु मसीह मैं आपकी स्तुति करता हूँ कि आपने मुझे क्षमा, शांति, आनंद, उद्देश्य, संतुष्टि, परिपूर्णता, आशा, सहभागिता, स्वतंत्रता, प्रेम, सामर्थ, मार्गदर्शन, और प्रकाश दिया है। परमेश्वर की स्तुति हो!

नए करार

2 कुरिन्थियों 8:16-9:5

तितुस और उसके साथी

16 परमेश्वर का धन्यवाद है जिसने तितुस के मन में तुम्हारी सहायता के लिए वैसी ही तीव्र इच्छा भर दी है, जैसी हमारे मन में है। 17 क्योंकि उसने हमारी प्रार्थना स्वीकार की और वह उसके लिए विशेष रूप से अपनी इच्छा भी रखता है, इसलिए वह स्वयं अपनी इच्छा से ही तुम्हारे पास आने को विदा हो रहा है। 18 हम उसके साथ उस भाई को भी भेज रहे हैं, जिसका सुसमाचार के प्रचार के रूप में सभी कलीसियाओं में हर कहीं यश फैल रहा है। 19 इसके अतिरिक्त इस दयापूर्ण कार्य में कलीसियाओं ने उसे हमारे साथ यात्रा करने को नियुक्त भी किया है। यह दया कार्य जिनका प्रबन्ध हमारे द्वारा किया जा रहा है, स्वयं प्रभु को सम्मानित करने के लिये और परोपकार में हमारी तत्परता को दिखाने के लिए है।

20 हम सावधान रहने की चेष्टा कर रहे हैं इस बड़े धन के लिए जिसका प्रबन्ध कर रहे हैं, कोई हमारी आलोचनान करे। 21 क्योंकि हमें अपनी अच्छी साख बनाए रखनेकी चिंता है। न केवल प्रभु के आगे, बल्कि लोगों के बीच भी।

22 और उनके साथ हम अपने उस भाई को भी भेज रहे है, जिसे बहुत से विषय में और बहुत से अवसरों पर हमने परोपकार के लिए उत्सुक व्यक्ति के रूप में प्रमाणित किया है। और अब तो तुम्हारे लिये उसमें जो असीम विश्वास है, उससे उसमें सहायता करने का उत्साह और अधिक हो गया है।

23 जहाँ तक तितुस का क्षेत्र है, तो वह तुम्हारे बीच सहायता कार्य में मेरा साथी और साथ साथ काम करने वाला रहा है। और जहाँ तक हमारे बन्धुओं का प्रश्न है, वे तो कलीसियाओं के प्रतिनिधि तथा मसीह के सम्मान हैं। 24 सो तुम उन्हें अपने प्रेम का प्रमाण देना और तुम्हारे लिये हम इतना गर्व क्यों रखते हैं, इसे सिद्ध करना ताकि सभी कलीसिया उसे देख सकें।

साथियों की मदद करो

9अब संतों की सेवा के विषय में, तुम्हें इस प्रकार लिखते चले जाना मेरे लिये आवश्यक नहीं है। 2 क्योंकि सहायता के लिये तुम्हारी तत्परता को मैं जानता हूँ और उसके लिये मकिदुनिया निवासियों के सामने यह कहते हुए मुझे गर्व है कि अखाया के लोग तो, पिछले साल से ही तैयार हैं और तुम्हारे उत्साह ने उन में से अधिकतर को कार्य के लिये प्रेरणा दी है। 3 किन्तु मैं भाइयों को तुम्हारे पास इसलिए भेज रहा हूँ कि तुम को लेकर हम जो गर्व करते हैं, वह इस बारे में व्यर्थ सिद्ध न हो। और इसलिए भी कि तुम तैयार रहो, जैसा कि मैं कहता आया हूँ। 4 नहीं तो जब कोई मकिदुनिया वासी मेरे साथ तुम्हारे पास आयेगा और तुम्हें तैयार नहीं पायेगा तो हम उस विश्वास के कारण जिसे हमने तुम्हारे प्रति दर्शाया है, लज्जित होंगे। और तुम तो और भी अधिक लज्जित होगे। 5 इसलिए मैंने भाईयों से यह कहना आवश्यक समझा कि वे हमसे पहले ही तुम्हारे पास जायें और जिन उपहारों को देने का तुम पहले ही वचन दे चुके हो उन्हें पहले ही से उदारतापूर्वक तैयार रखें। इसलिए यह दान स्वेच्छापूर्वक तैयार रखा जाये न कि दबाव के साथ तुमसे छीनी गयी किसी वस्तु के रूप में।

समीक्षा

भेंट देने में प्रभु का सम्मान कीजिए

पैसे से फरक पड़ता है। यह एक श्राप या एक आशीष हो सकती है। यह परमेश्वर के सम्मुख सम्मान या अपमान ला सकती है।

पौलुस की इच्छा है कि 'प्रभु का सम्मान करें' (8:19)। यहाँ पर 'प्रभु' का अर्थ यीशु मसीह से है (व.23 देखें)। वह परमेश्वर की दृष्टि में सही करना चाहते हैं (व.21)।

भेंट को सँभालने में (व.19) वह दृढ़संकल्पित हैं कि, पहला, परमेश्वर का सम्मान करेंगे 'धोखाधड़ी के विरूद्ध हर सावधानी बरतने' के द्वारा (वव.19-20, एम.एस.जी)। इसमें हर वह मौका शामिल है जहाँ कोई उन पर संदेह करे कि वह पैसे का इस्तेमाल अपने लिए कर रहे हैं (वव.20-21)।

दूसरा, वह सही चीज करते हैं ना केवल परमेश्वर की दृष्टि में लेकिन 'लोगों के सामने हमारे सम्मान के प्रति सावधानी बरतते हुए' (व.21, एम.एस.जी)।

एक तरीका है जिससे हम यह कर सकते हैं, वह है सुनिश्चित करना कि चर्च में जो पैसे को संभालते हैं वह तीतुस की तरह है, जिसका वर्णन पौलुस 'भरोसेयोग्य चट्टान' के रूप में करते हैं (व.17, एम.एस.जी)। यह चर्च में पैसे संभालने वालों के लिए एक अच्छी परीक्षा है। क्या वे 'भरोसे के योग्य चट्टान हैं'?

दूसरा तरीका जिसके द्वारा हम अपने पैसे के साथ परमेश्वर का सम्मान कर सकते हैं, वह है उदारता।

परमेश्वर हमारे प्रति बहुत उदार रहे हैं। पौलुस कुरिंथियों से आशा करते हैं कि वे उदार बने। वह 'उदार उपहार के बारे में बताते हैं जिसका तुमने वायदा किया था...एक उदार उपहार, नाकि एक कुड़कुड़ा कर दिया जाने वाले दान' (9:5)।

मसीहों के एक समूह का जोश सैकड़ो मील दूरी तक दूसरों तक पहुँच जाता है, यहाँ तक कि ऐसे समय में जहाँ बातचीत का आधुनिक रूप नहीं है। संत पौलुस लिखते हैं, ' तुम्हारे उत्साह ने और बहुतों को भी उबारा है' (व.2)। अब ग्लोबल बातचीत के साथ आप कितना महान प्रभाव बना सकते हैं।

प्रार्थना

प्रभु, होने दीजिए कि मेरी उदारता, मेरे लिए आपकी असाधारण उदारता को दर्शाये। होने दीजिए कि यह आपके नाम को सम्मान दिलाए।

जूना करार

यशायाह 10:20-13:22

20 उस समय, वे लोग जो इस्राएल में जीवित बचेंगे, यानी याकूब के वंश के ये लोग उस व्यक्ति पर निर्भर नहीं करते रहेंगे जो उन्हें मारता पीटता है। वे सचमुच उस यहोवा पर निर्भर करना सीख जायेंगे जो इस्राएल का पवित्र (परमेश्वर) है।

21 याकूब के वंश के वे बाकी बचे लोग शक्तिशाली परमेश्वर का फिर अनुसरण करने लगेंगे। 22 तुम्हारे व्यक्ति असंख्य हैं। वे सागर के रेत कणों के समान हैं; किन्तु उनमें से कुछ ही यहोवा की ओर फिर वापस मुड़ आने के लिये बचे रहेंगे। वे लोग परमेश्वर की ओर मुड़ेंगे किन्तु उससे पहले तुम्हारे देश का विनाश हो जायेगा। परमेश्वर ने घोषणा कर दी है कि वह उस धरती का विनाश करेगा और उसके बाद उस धरती पर नेकी का आगमन इस प्रकार होगा जैसे कोई भरपूर नदी बहती है। 23 मेरा स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा, इस प्रदेश को निश्चय ही नष्ट करेगा।

24 मेरा स्वामी सर्वशक्तिशाली यहोवा कहता है, “हे! सिय्योन में रहने वाले मेरे लोगों, अश्शूर से मत डरो! वह भविष्य में तुम्हें अपनी छड़ी से इस तरह पीटेगा जैसे पहले मिस्र ने तुम्हें पीटा था। यह ऐसा होगा जैसे मानो तुम्हें हानि पहुँचाने के लिये अश्शूर किसी लाठी का प्रयोग कर रहा हो । 25 किन्तु थोड़े ही समय बाद मेरा क्रोध शांत हो जायेगा, मुझे संतोष हो जायेगा कि अश्शूर ने तुम्हें काफी दण्ड दे दिया है।”

26 इसके बाद सर्वशक्तिमान यहोवा अश्शूर को कोड़ो से मारेगा। जैसा पहले यहोवा ने जब ओरेब की चट्टान पर मिद्यानियों को पराजित किया था, तब हुआ था। वैसा ही उस समय होगा जब यहोवा अश्शूर पर आक्रमण करेगा। पहले यहोवा ने मिस्र को दण्ड दिया था। उसने सागर के ऊपर छड़ी उठायी थी और मिस्र से अपने लोगों को ले गया था। यहोवा जब अश्शूर से अपने लोगों की रक्षा करेगा, तब भी ऐसा ही होगा।

27 अश्शूर तुम पर विपत्तियाँ लायेगा। वे विपत्तियाँ ऐसे बोझों के समान होंगी, जिन्हें तुम्हें अपने ऊपर एक जुए के रूप में उठाना ही होगा। किन्तु फिर तुम्हारी गर्दन पर से उस जुए को उतार फेंका जायेगा। वह जुआ तुम्हारी शक्ति (परमेश्वर) द्वारा तोड़ दिया जायेगा।

इस्राएल पर अश्शूर की सेना का आक्रमण

28 (अय्यात) के निकट सेनाओं का प्रवेश होगा। मिग्रोन यानी “खलिहानो” को सेनाएँ रौंद डालेंगी। सेनाएँ इसके खाने की सामग्री को “कोठियारों” (मिकमाश) में रख देंगी। 29 “पार करने के स्थान” (माबरा) से सेनाएँ नदी पार करेंगी। वे सेनाएँ जेबा में रात बिताएंगी। रामा डर जायेगा। शाऊल के गिबा के लोग निकल भागेंगे।

30 हे गल्लीम की पुत्री चिल्ला! हे लैशा सुन! हे, अनातोत मुझे उत्तर दे! 31 मदमेना के लोग भाग रहे हैं। गेबीम के लोग छिपे हुए हैं। 32 आज सेना नोब में टिकेगी और यरूशलेम के पर्वत सिय्योन पर चढ़ाई करने की तैयारी करेंगी।

33 देखो! हमारा स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा विशाल वृक्ष (अश्शूर) को काट गिरायेगा। यहोवा अपनी महान शक्ति से ऐसा करेगा। बड़े और महत्वपूर्ण लोग काट गिराये जायेंगे। वे महत्वहीन हो जायेंगे। 34 यहोवा अपने कुल्हाड़े से वन को काट डालेगा और लबानोन के विशाल वृक्ष (मुखिया लोग) गिर पड़ेंगे।

शांति का राजा आ रहा है

11यिशै के तने (वंश) से एक छोटा अंकुर (पुत्र) फूटना शुरु होगा। यह अब शाखा यिशै के मूल से फूटेगी। 2 उस पुत्र में यहोवा की आत्मा होगी। वह आत्मा विवेक, समझबूझ, मार्ग दर्शन और शक्ति की आत्मा होगी। वह आत्मा इस पुत्र को यहोवा को समझने और उसका आदर करने में सहायता देगी। 3 यह पुत्र यहोवा का आदर करेगा और इससे वह प्रसन्न होगा।

यह पुत्र वस्तुएँ जैसी दिखाई दे रही होगी, उसके अनुसार लोगों का न्याय नहीं करेगा। वह सुनी, सुनाई के आधार पर ही न्याय नहीं करेगा। 4-5 वह गरीब लोगों का न्याय ईमानदारी और सच्चाई के साथ करेगा। धरती के दीन जनों के लिये जो कुछ करने का निर्णय वह लेगा, उसमें वह पक्षपात रहित होगा। यदि वह यह निर्णय करता है कि लोगों पर मार पड़े तो वह आदेश देगा और उन लोगों पर मार पड़ेगी। यदि वह निर्णय करता है कि उन लोगों की मृत्यु होनी चाहिये तो वह आदेश देगा और उन दुष्टों को मौत के घाट उतार दिया जाएगा। नेकी और सच्चाई इस पुत्र को शक्ति प्रदान करेंगी। उसके लिए नेकी और सच्चाई एक ऐसे कमर बंद के समान होंगे जिसे वह अपनी कमर के चारों ओर लपेटता है।

6 उसके समय में, भेड़ और भेड़िये शांति से साथ—साथ रहेंगे, सिंह और बकरी के बच्चों के साथ शांति से पड़े रहेंगे। बछड़े, सिंह और बैल आपस में शांति के साथ रहेंगे। एक छोटा सा बच्चा उनकी अगुवाई करेगा। 7 गायें और रीछनियां शांति से साथ—साथ अपना खाना खाएंगी। उनके बच्चे साथ—साथ बैठा करेंगे और आपस में एक दूसरे को हानि नहीं पहुँचायेंगे। सिंह गायों के समान घास चरेंगे 8 और यहाँ तक कि साँप भी लोगों को हानि नहीं पहुँचायेंगे। काले नाग के बिल के पास एक बच्चा तक खेल सकेगा। कोई भी बच्चा विषधर नाग के बिल में हाथ डाल सकेगा।

9 ये सब बातें दिखाती हैं कि वहाँ सब कहीं शांति होगी। कोई व्यक्ति किसी दूसरे को हानि नहीं पहुँचायेगा। मेरे पवित्र पर्वत के लोग वस्तुओं को नष्ट नहीं करना चाहेंगे। क्यों क्योंकि लोग यहोवा को सचमुच जान लेंगे। वे उसके ज्ञान से ऐसे परिपूर्ण होंगे जैसे सागर जल से परिपूर्ण होता है।

10 उस समय यिशै के परिवार में एक विशेष व्यक्ति होगा। यह व्यक्ति एक ध्वजा के समान होगा। यह “ध्वजा” दर्शायेगी कि समस्त राष्ट्रों को उसके आसपास इकट्ठा हो जाना चाहिये। ये राष्ट्र उससे पूछा करेंगे कि उन्हें क्या करना चाहिये और वह स्थान, जहाँ वह होगा, भव्यता से भर जायेगा।

11 ऐसे अवसर पर, मेरा स्वामी परमेश्वर फिर आयेगा और उसके जो लोग बच गये थे उन्हें वह ले जायेगा। यह दूसरा अवसर होगा जब परमेश्वर ने वैसा किया। (ये परमेश्वर के ऐसे लोग हैं जो अश्शूर, उत्तरी मिस्र, दक्षिणी मिस्र, कूश, एलाम, बाबुल, हमात तथा समस्त संसार के ऐसे ही सुदूर देशों में छूट गये हैं।) 12 परमेश्वर सब लोगों के लिये संकेत के रूप में झंडा उठायेगा। इस्राएल और यहूदा के लोग अपने—अपने देशों को छोड़ने के लिये विवश किये गये थे। वे लोग धरती पर दूर—दूर फैल गये थे किन्तु परमेश्वर उन्हें परस्पर एकत्र करेगा।

13 उस समय एप्रैम (इस्राएल) यहूदा से जलन नहीं रखेगा। यहूदा का कोई शत्रु नहीं बचेगा। यहूदा एप्रैम के लिये कोई कष्ट पैदा नहीं करेगा। 14 बल्कि एप्रैम और यहूदा पलिश्तियों पर आक्रमण करेंगे। ये दोनों देश उड़ते हुए उन पक्षियों के समान होंगे जो किसी छोटे से जानवर को पकड़ने के लिए झपट्टा मारते हैं। एक साथ मिल कर वे दोनों पूर्व की धन दौलत को लूट लेंगे। एप्रैम और यहूदा एदोम, मोआब और अम्मोनी के लोगों पर नियन्त्रण कर लेंगे।

15 यहोवा कुपित होगा और जैसे उसने मिस्र के सागर को दो भागों में बाँट दिया था, उसी प्रकार परात नदी पर वह अपना हाथ उठायेगा और उस पर प्रहार करेगा। जिससे वह नदी सात छोटी धाराओं में बट जायेगी। ये छोटी जल धाराएँ गहरी नहीं होंगी। लोग अपने जूते पहने हुए ही पैदल चल कर उन्हें पार कर लेंगे। 16 परमेश्वर के वे लोग जो वहाँ छूट गये थे अश्शूर को छोड़ देने के लिए रास्ता पा जायेंगे। यह वैसा ही होगा, जैसा उस समय हुआ था, जब परमेश्वर लोगों को मिस्र से बाहर निकाल कर लाया था।

परमेश्वर का स्तुति गीत

12उस समय तुम कहोगे:
“हे यहोवा, मैं तेरे गुण गाता हूँ!
तू मुझ से कुपित रहा है
किन्तु अब मुझ पर क्रोध मत कर!
तू मुझ पर अपना प्रेम दिखा।”
2 परमेश्वर मेरी रक्षा करता है।
मुझे उसका भरोसा है।
मुझे कोई भय नहीं है।
वह मेरी रक्षा करता है।
यहोवा याह मेरी शक्ति है।
वह मुझको बचाता है, और मैं उसका स्तुति गीत गाता हूँ।

3 तू अपना जल मुक्ति के झरने से ग्रहण कर।
तभी तू प्रसन्न होगा।
4 फिर तू कहेगा, “यहोवा की स्तुति करो!
उसके नाम की तुम उपासना किया करो!
उसने जो कार्य किये हैं उसका लोगों से बखान करो।
तुम उनको बताओ कि वह कितना महान है!”
5 तुम यहोवा के स्तुति गीत गाओ!
क्यों क्योंकि उसने महान कार्य किये हैं!
इस शुभ समाचार को जो परमेशवर का है,
सारी दुनियाँ में फैलाओ ताकि सभी लोग ये बातें जान जायें।
6 हे सिय्योन के लोगों, इन सब बातों का तुम उद्घोष करो!
वह इस्राएल का पवित्र (शक्तिशाली) ढंग से तुम्हारे साथ है।
इसलिए तुम प्रसन्न हो जाओ!

बाबुल को परमेश्वर का सन्देश

13आमोस के पुत्र यशायाह को परमेश्वर ने बाबुल के बारे में यह शोक सन्देश प्रकट किया। 2 परमेश्वर ने कहा:

“पर्वत पर ध्वजा उठाओ जिस पर्वत पर कुछ नहीं है।
उन लोगों को पुकारो।
सिपाहियों, अपने हाथ संकेत के रुप में हिलाओ उन लोगों से कहो
कि वे उन द्वार से प्रवेश करे जो बडे लोगों के हैं।”

3 “मैंने लोगों से उन पुरुषों को अलग किया है,
और मैं स्वयं उन को आदेश दूँगा।
मैं क्रोधित हूँ, मैंने अपने उत्तम पुरुषों को लोगों को दण्ड देने के लिये एकत्र किया है।
मुझको इन प्रसन्न लोगों पर गर्व है!

4 “पहाड़ में एक तीव्र शोर हुआ है, तुम उस शोर को सुनो!
ये शोर ऐसा लगता है जैसे बहुत ढेर सारे लोगों का।
बहुत सारे देशों के लोग आकर इकट्ठे हुए हैं।
सर्वशक्तिमान यहोवा अपनी सेना को एक साथ बुला रहा है।
5 यहोवा और यह सेना किसी दूर के देश से आते हैं।
ये लोग क्षितिज के पार से क्रोध प्रकट करने आ रहे हैं।
यहोवा इस सेना का उपयोग ऐसे करेगा जैसे कोई किसी शस्त्र का उपयोग करता है।
यह सेना सारे देश को नष्ट कर देगी।”

6 यहोवा के न्याय का विशेष दिन आने को है। इसलिये रोओ! और स्वयं अपने लिये दु:खी होओ! समय आ रहा है जब शत्रु तुम्हारी सम्पत्ति चुरा लेगा। सर्वशक्तिमान परमेश्वर वैसा करवाएगा। 7 लोग अपना साहस छोड़ बैठेंगे और भय लोगों को दुर्बल बना देगा। 8 हर कोई भयभीत होगा। डर से लोगों को ऐसे दुख लगेंगे जैसे किसी बच्चे को जन्म देने वाली माँ का पेट दुखने लगता है। उनके मुँह लाल हो जायेंगे, जैसे कोई आग हो। लोग अचरज में पड़ जायेंगे क्योंकि उनके सभी पड़ोसियों के मुखों पर भी भय दिखाई देगा।

बाबुल के विरुद्ध परमेश्वर का न्याय

9 देखो यहोवा का विशेष दिन आने को है। वह एक भयानक दिन होगा। परमेश्वर बहुत अधिक क्रोध करके इस देश का विनाश कर देगा। वह पापियों को विवश करेगा कि वे उस देश को छोड़ दें। 10 आकाश काले पड़ जायेंगे; सूरज, चाँद और तारे नहीं चमकेंगे।

11 परमेशवर कहता है, “मैं इस दुनिया पर बुरी—बुरी बातें घटित करुँगा। मैं दुष्टों को उनकी दुष्टता का दण्ड दूँगा। मैं अभिमानियों के अभिमान को मिटा दूँगा। ऐसे लोग जो दूसरे के प्रति नीच हैं, मैं उनके बड़े बोल को समाप्त कर दूँगा। 12 वहाँ बस थोड़े से लोग ही बचेंगे। जैसे सोने का मिलना दुर्लभ होता है, वैसे ही वहाँ लोगों का मिलना दुर्लभ हो जायेगा। किन्तु जो लोग मिलेंगे, वे शुद्ध सोने से भी अधिक मूल्यवान होंगे। 13 अपने क्रोध से मैं आकाश को हिला दूँगा। धरती अपनी धुरी से डिगा दी जायेगी।”

यह सब उस समय घटेगा जब सर्वशक्तिमान यहोवा अपना क्रोध दर्शायेगा। 14 तब बाबुल के निवासी ऐसे भागेंगे जैसे घायल हरिण भागता है। वे ऐसे भागेंगे जैसे बिना गडेरिये की भेड़ भागती हैं। हर कोई व्यक्ति भाग कर अपने देश और अपने लोगों की तरफ मुड़ जायेगा। 15 किन्तु बाबुल के लोगों का पीछा उनके शत्रु नहीं छोड़ेगे और जब शत्रु किसी व्यक्ति को धर पकड़ेगा तो वह उसे तलवार के घाट उतार देगा। 16 उनके घरों की हर वस्तु चुरा ली जायेगी। उनकी पत्नियों के साथ कुकर्म किया जायेगा और उनके छोटे—छोटे बच्चों को लोगों के देखते पीट पीटकर मार डाला जायेगा।

17 परमेश्वर कहता है, “देखो, मैं मादी की सेनाओं से बाबुल पर आक्रमण कराऊँगा। मादी की सेनाएँ यदि सोने और चाँदी का भुगतान ले भी लेंगी तो भी वे उन पर आक्रमण करना बंद नहीं करेंगी। 18 बाबुल के युवकों को सैनिक आक्रमण करके मार डालेंगे। वे बच्चों तक पर दया नहीं दिखायेंगे। छोटे बालकों तक के प्रति वे करुणा नहीं करेंगे। 19 बाबुल का विनाश होगा और यह विनाश सदोम और अमोरा के विनाश के समान ही होगा। इस विनाश को परमेश्वर करायेगा और वहाँ कुछ भी नहीं बचेगा।

“बाबुल सबसे सुन्दर राजधानी है। बाबुल के निवासियों को अपने नगर पर गर्व है। 20 किन्तु बाबुल का सौन्दर्य बना नहीं रहेगा। भविष्य में वहाँ लोग नहीं रहेंगे। अराबी के लोग वहाँ अपने तम्बू नहीं गाड़ेंगे। गडेरिये चराने के लिये वहाँ अपनी भेड़ों को नहीं लायेंगे। 21 जो पशु वहाँ रहेंगे वे बस मरुभूमि के पशु ही होंगे। बाबुल में अपने घरों में लोग नहीं रह पायेंगे। घरों में जंगली कुत्ते और भेड़िए चिल्लाएंगे। घरों के भीतर जंगली बकरे विहार करेंगे। 22 बाबुल के विशाल भवनों में कुत्ते और गीदड़ रोयेंगे। बाबुल बरबाद हो जायेगा। बाबुल का अंत निकट है। अब बाबुल के विनाश की मैं और अधिक प्रतीक्षा नहीं करता रहूँगा।”

समीक्षा

संबंध में अपने प्रभु को जानिये

चकित करने वाली सच्चाई यह है कि, यीशु का धन्यवाद हो कि आप और मैं प्रभु को जान सकते हैं। हम सभी प्रभु को जान सकते हैं।

परमेश्वर लोगों को उनके साथ एक संबंध में बुलाते हैं। केवल इस लेखांश में भाव 'प्रभु' बीस बार दिखाई देता है। भविष्यवक्ता यशायाह ऐसे एक समय को पहले ही देख लेते हैं जब 'पृथ्वी परमेश्वर के ज्ञान से ऐसे भर जाएगी जैसे पानी समुद्र को भरता है' (11:9ब)। जिस प्रकार के संबंध में परमेश्वर आपको बुलाते हैं, वह हैः

  1. विश्वास के आधार पर संबंध

भविष्यवक्ता यशायाह ऐसे एक समय की बाट जोहते हैं जहाँ पर उनके लोग 'सच में परमेश्वर पर भरोसा करेंगे, इस्राएल के पवित्र पर' (10:20)। वह आगे कहते हैं कि उस दिन वे कहेंगे, ' 'परमेश्वर मेरा उध्दार है, मैं भरोसा रखूँगा और न थरथराउँगा; क्योंकि प्रभु यहोवा मेरा बल और मेरे भजन का विषय हैं, और वह मेरे उध्दारकर्ता हो गए हैं' (12:2-3)।

यहाँ पर, पुराने नियम में, हम देखते हैं कि विश्वास ('मैं भरोसा करॅंगा') और उद्धार मजबूती से जुड़े हुए हैं। नया नियम इसे बहुतायत से स्पष्ट करता है कि आप प्रभु (यीशु) में अपने विश्वास के द्वारा बच गए हैं।

  1. सम्मान के आधार पर संबंध

यशायाह 'प्रभु के भय' के बारे में बताते हैं। यशायाह परमेश्वर के लोगों को परमेश्वर का भय मानने के लिए कहते हैं लेकिन कहते हैं ' अश्शूर से मत डरो' (10:24)। यदि आप सच में परमेश्वर का भय मानते हैं (बाईबल में पवित्र सम्मान के रूप में) तो आपको किसी भी चीज और किसी व्यक्ति से डरने की आवश्यकता नहीं है।

  1. पवित्र आत्मा के द्वारा संबंध बनता है

प्रभु को जानना है पवित्र को देखना और सुनना, अपने हृदय में उन्हें आपकी अगुवाई करने देना। यशायाह लिखते हैं:

' यहोवा का आत्मा, बुध्दि और समझ का आत्मा, युक्ति और पराक्रम का आत्मा, और ज्ञान और यहोवा के भय का आत्मा उस पर ठहरा रहेगा' (11:2, एम.एस.जी)।

जब पवित्र आत्मा आपके जीवन में रहने आते हैं, तब वह आपको प्रभु को जानने के संबंध में ले आते हैं। मेरे लिए, जब मैंने पवित्र आत्मा का अनुभव किया, तब भाव 'प्रभु', विचित्र लगने के बजाय, मुझे विश्व में सबसे मूल्यवान भाव लगने लगा।

यशायाह के वचन यीशु में पूरे हुएः ' तब यिशै के ठूँठ में से एक डाली फूट निकलेगी और उसकी जड़ में से एक शाखा निकलकर फलवन्त होगी। यहोवा का आत्मा उस पर ठहरा रहेगा' (11:1-2अ, 53:2 देखें)।

यशायाह आगे बताते हैं कि कैसे परमेश्वर सिद्ध न्यायी होंगे (11:3ब-5)। न्याय और शांति का उनका राज्य, पतन के परिणाम को उलट देगा (रोमियो 8:19-22)। ' भेड़िया भेड़ के बच्चे के संग रहा करेगा' (यशायाह 11:6)। एक संघर्ष भरे विश्व में यह वायदा हमारी कल्पना को खींचता है – एक दिन, 'ना तो पशु नाही कोई मनुष्य आपको चोट पहुँचाएगा ना मारेगा' (व.9, एम.एस.जी)।

परमेश्वर के पास एक ग्लोबल दर्शन हैः ' मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई दुःख देगा और न कोई हानि करेगा; क्योंकि पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है ' (व.9, एम.एस.जी)। वैसे ही हमें भी। उद्धार सेना के संस्थापक, विलियम बूथ ने कहा, 'मैं एक योजना के बारे में सोच रहा हूँ, कि जब यह पूरी होगी, यह संपूर्ण विश्व में आशीष लायेगी।'

यीशु ने आपके लिए यह संभव बनाया कि आप परमेश्वर को जाने। वही प्रभु का आत्मा जो यीशु पर ठहरा था, आपको दिया गया है। वह आपको बुद्धि और ज्ञान, सलाह और सामर्थ देगा, ताकि आपका जीवन एक बड़ा प्रभाव बना सके।

प्रार्थना

परमेश्वर, मुझे अपनी आत्मा से भर दीजिए ताकि मैं गरीबों और जरुरतमंदो के लिए न्याय की खोज कर सकूं। मेरी सहायता कीजिए कि शांतिदाता बनू और परमेश्वर के ज्ञान को फैलाने में अपनी भूमिका निभाऊँ, जब तक यह पृथ्वी को न भर दे, 'जैसे पानी समुद्र को भरता है' (व.9)।

पिप्पा भी कहते है

2कुरिंथियो 8:19-21

यह दिलचस्प बात है कि पौलुस कितनी गंभीरता से पैसे को संभालते हैं। भेंट को ले जाने और इसका संचालन करना बहुत ही सम्मानजनक काम लगता है। वे इस बात के प्रति बहुत जागरुक लगते हैं कि पैसा बड़ी परेशानी खड़ा कर सकता है –भ्रष्ट करना, धोखा देना या गलतफहमी लाना। बहुत से चर्च लीडर्स और चर्च ने अपने आपको परेशानी में पाया है। पौलुस और तीतुस 'दर्द सह रहे थे' ना केवल परमेश्वर में सही चीजों को करने में, लेकिन सही चीजों को करते हुए देखे जाने में और चर्च का सम्मान बनाए रखने में। मैं जानती हूँ कि मेरे सारे पैसे को संभालने में मुझे नियमित बुद्धि और शुद्ध हृदय की आवश्यकता है।

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संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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