’क्या आपका उद्धार हुआ है?“
परिचय
मेरे पास एक तस्वीर है, बिशप वेस्टकॉट में अध्ययन करते हुए खिड़की के पास बैठे हुए। यह मुझे उनके पर-पोते ने दी थी। उन्नीसवीं शताब्दी अंग्रेजी विद्यवान, बिशप बी.एफ. वेस्टकॉट, कॅम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में दैवीयता के Regius अध्यापक थे।
एक बार, एक जोशीला विद्यार्थी उनके पास आकर उनसे पूछने लगा,’क्या आपका उद्धार हुआ है?“ बिशप ने कहा,’अह, बहुत अच्छा सवाल। लेकिन मुझे बताओः क्या तुम्हारा मतलब...? और फिर उन्होंने ग्रीक क्रिया “’बचने के लिए तीन सक्रीय कृदंत रूप का उल्लेख किया, यह बताते हुए कि उनका उत्तर इस पर निर्भर होगा कि इन तीनों में से कौन से विद्यार्थी के दिमाग में था (यहाँ पर अंग्रेजी अनुवाद इटॉलिक में दिया गया है)। उन्होंने कहा,’मैं जानता हूँ कि मेरा उद्धार हो गया है; मैं विश्वास करता हूं कि मेरा उद्धार हो रहा है; और मैं आशा करता हूं कि परमेश्वर के अनुग्रह के द्वारा मेरा उद्धार हो जाएगा।“
’उद्धार“ एक बड़ा और व्यापक शब्द है। इसका अर्थ है ’स्वतंत्रता।“ जैसा कि बिशप ने बताया, उद्धार के तीन काल हैं: आप पाप के दंड से मुक्त कर दिए गए हैं, आप पाप की सामर्थ से मुक्त किए जा रहे हैं और आप पाप की उपस्थिति से मुक्त किए जाएँगे।
भजन संहिता 107:10-22
10 परमेश्वर के कुछ भक्त बन्दी बने ऐसे बन्दीगृह में,
वे तालों में बंद थे, जिसमें घना अंधकार था।
11 क्यों? क्योंकि उन लोगों ने उन बातों के
विरूद्ध लड़ाईयाँ की थी जो परमेश्वर ने कहीं थी,
परम परमेश्वर की सम्मति को उन्होंने सुनने से नकारा था।
12 परमेश्वर ने उनके कर्मो के लिये जो उन्होंने किये थे
उन लोगों के जीवन को कठिन बनाया।
उन्होंने ठोकर खाई और वे गिर पड़े,
और उन्हें सहारा देने कोई भी नहीं मिला।
13 वे व्यक्ति संकट में थे,
इसलिए सहारा पाने को यहोवा को पुकारा।
यहोवा ने उनके संकटों से उनकी रक्षा की।
14 परमेश्वर ने उनको उनके अंधेरे कारागारों से उबार लिया।
परमेश्वर ने वे रस्से काटे जिनसे उनको बाँधा गया था।
15 यहोवा का धन्यवाद करो।
उसके प्रेम के लिये और उन अद्भुत कामों के लिये जिन्हें
वह लोगों के लिये करता है उसका धन्यवाद करो।
16 परमेश्वर हमारे शत्रुओं को हराने में हमें सहायता देता है।
उनके काँसें के द्वारों को परमेश्वर तोड़ गिरा सकता है।
परमेश्वर उनके द्वारों पर लगी लोहे कि आगलें छिन्न—भिन्न कर सकता है।
17 कुछ लोग अपने अपराधों
और अपने पापों से जड़मति बने।
18 उन लोगों ने खाना छोड़ दिया
और वे मरे हुए से हो गये।
19 वे संकट में थे सो उन्होंने सहायता पाने को यहोवा को पुकारा।
यहोवा ने उन्हें उनके संकटों से बचा लिया।
20 परमेश्वर ने आदेश दिया और लोगों को चँगा किया।
इस प्रकार वे व्यक्ति कब्रों से बचाये गये।
21 उसके प्रेम के लिये यहोवा का धन्यवाद करो उसके वे अद्भुत कामों के लिये उसका धन्यवाद करो
जिन्हें वह लोगों के लिये करता है।
22 यहोवा को धन्यवाद देने बलि अर्पित करो, सभी कार्मो को जो उसने किये हैं।
यहोवा ने जिनको किया है, उन बातों को आनन्द के साथ बखानो।
समीक्षा
भूतकाल से स्वतंत्रता को जानिये
भजनसंहिता के लेखक परमेश्वर का धन्यवाद देते हैं कि बहुत सी बार उन्होंने अपने लोगों को बचाया, जब संकट में उन्होंने परमेश्वर की दोहाई दी (वव.13,19)। हर बार, उन्होंने उन्हें छुड़ाया।
इस भाग में हम दो उदाहरण देखते हैं:
1. पाप की जंजीरों से स्वतंत्रता
यहाँ पर लोग ’जो अन्धियारे और मृत्यु की छाया में बैठे, और दुःख में पड़े और बेड़ियों से जकड़े हुए थे“ (व.10)। ’ तब उन्होंने संकट में यहोवा की दोहाई दी, और उसने सकेती से उनका उध्दार किया“ (व.13)।
अक्सर पुराने नियम में भौतिक रूप से लोगों के साथ जो हुआ, वह चित्र है कि नये नियम में आत्मिक रूप से हमारे साथ क्या होता है।
पाप अंधियारा और मृत्यु की छाया को लाता है। यह व्यसनी है। यह हमारे हृदय को बंदी बनाता है। क्रूस पर, यीशु ने बंधनों को तोड़ दिया। वह आपके पापों को क्षमा करते और आपको मुक्त करते हैं। चार्ल्स विसले की तरह, आप घोषणा कर सकते हैं,’मेरे बंधन टूट गए, मेरा हृदय मुक्त हो गया। मैं उठा, आगे बढा और तेरे पीछे चलने लगा।“
2. मृत्यु के भय से स्वतंत्रता
भजनसंहिता के लेखक आगे कहते हैं कि फिर से उन्होंने बलवा किया और मृत्यु के फाटकों के पास चले गए। फिर से उन्होंने परमेश्वर की दोहाई दी और उन्होंने उन्हें छुड़ाया। ’उन्होंने अपना वचन भेजा और उन्हें उस व्यवधानों से चंगा किया“ (व.20)।
दोबारा, यह उनकी परछायी है जो यीशु ने आपके लिए की। उनकी मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा, वह आपको कब्र और मृत्यु के डर से बचाते हैं। आप मृत्यु से स्वतंत्र हैं – मृत्यु के डर से और उन सभी डरों से जो इसके साथ जाती हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि भजनसंहिता के लेखक ने लिखाः
’लोग यहोवा की करुणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करते हैं, उनका धन्यवाद करें। और वे धन्यवादबलि चढ़ाएँ, और जयजयकार करते हुए, उनके कामों का वर्णन करें“ (वव.21-22, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
परमेश्वर, कैसे मैं आपका धन्यवाद करुँ कि आपने मुझे पाप और व्यसन के बंधनों से छुड़ाया? आपका धन्यवाद कि मुझे कभी भी मृत्यु से डरने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यीशु आपने मृत्यु पर जय पा ली है, आपकी मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा।
गलातियों 1:1-24
1पौलुस की ओर से, जो एक प्रेरित है, जिसने एक ऐसा सेवा व्रत धारण किया है, जो उसे न तो मनुष्यों से प्राप्त हुआ है और न किसी एक मनुष्य द्वारा दिया गया है, बल्कि यीशु मसीह द्वारा उस परम पिता परमेश्वर से, जिसने यीशु मसीह को मरे हुओं में से फिर से जिला दिया था, दिया गया है। 2 और मेरे साथ जो भाई हैं,
उन सब की ओर से गलातिया क्षेत्र की कलीसियाओं के नाम:
3 हमारे परम पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शांति मिले। 4 जिसने हमारे पापों के लिए अपने आप को समर्पित कर दिया ताकि इस पापपूर्ण संसार से, जिसमें हम रह रहे हैं, वह हमें छुटकारा दिला सके। हमारे परम पिता परमेश्वर की यही इच्छा है। 5 वह सदा सर्वदा महिमावान हो आमीन!
सच्चा सुसमाचार एक ही है
6 मुझे अचरज है। कि तुम लोग इतनी जल्दी उस परमेश्वर से मुँह मोड़ कर, जिसने मसीह के अनुग्रह द्वारा तुम्हें बुलाया था, किसी दूसरे सुसमाचार की ओर जा रहे हो। 7 कोई दूसरा सुसमाचार तो वास्तव में है ही नहीं, किन्तु कुछ लोग ऐसे हैं जो तुम्हें भ्रम में डाल रहे हैं और मसीह के सुसमाचार में हेर-फेर का जतन कर रहे हैं। 8 किन्तु चाहे हम हों और चाहे कोई स्वर्गदूत, यदि तुम्हें हमारे द्वारा सुनाये गये सुसमाचार से भिन्न सुसमाचार सुनाता है तो उसे धिक्कार है। 9 जैसा कि हम पहले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर दोहरा रहा हूँ कि यदि चाहे हम हों, और चाहे कोई स्वर्गदूत, यदि तुम्हारे द्वारा स्वीकार किए गए सुसमाचार से भिन्न सुसमाचार सुनाता है तो उसे धिक्कार है।
10 क्या इससे तुम्हें ऐसा लगता है कि मैं मनुष्यों का समर्थन चाहता हूँ? या यह कि मुझे परमेश्वर का समर्थन मिले? अथवा क्या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करने का जतन कर रहा हूँ? यदि मैं मनुष्यों को प्रसन्न करता तो मैं मसीह के सेवक का सा नहीं होता।
पौलुस का सुसमाचार परमेश्वर से प्राप्त है
11 हे भाईयों, मैं तुम्हें जताना चाहता हूँ कि वह सुसमाचार जिसका उपदेश तुम्हें मैंने दिया है, 12 कोई मनुष्य से प्राप्त सुसमाचार नहीं है क्योंकि न तो मैंने इसे किसी मनुष्य से पाया है और न ही किसी मनुष्य ने इसकी शिक्षा मुझे दी है। बल्कि दैवी संदेश के रूप में यह यीशु मसीह द्वारा मेरे सामने प्रकट हुआ है।
13 यहूदी धर्म में मैं पहले कैसे जीया करता था, उसे तुम सुन चुके हो, और तुम यह भी जानते हो कि मैंने परमेश्वर की कलीसिया पर कितना अत्याचार किया है और उसे मिटा डालने का प्रयास तक किया है। 14 यहूदी धर्म के पालने में मैं अपने युग के समकालीन यहूदियों से आगे था क्योंकि मेरे पूर्वजों से जो परम्पराएँ मुझे मिली थीं, उनमें मेरी उत्साहपूर्ण आस्था थी।
15 किन्तु परमेश्वर ने तो मेरे जन्म से पहले ही मुझे चुन लिया था और अपने अनुग्रह में मुझे बुला लिया था। 16 ताकि वह मुझे अपने पुत्र का ज्ञान करा दे जिससे मैं ग़ैर यहूदियों के बीच उसके सुसमाचार का प्रचार करूँ। उस समय तत्काल मैंने किसी मनुष्य से कोई राय नहीं ली। 17 और न ही मैं उन लोगों के पास यरूशलेम गया जो मुझसे पहले प्रेरित बने थे। बल्कि मैं अरब को गया और फिर वहाँ से दमिश्क लौट आया।
18 फिर तीन साल के बाद पतरस से मिलने के लिए मैं यरूशलेम पहुँचा और उसके साथ एक पखवाड़े ठहरा। 19 किन्तु वहाँ मैं प्रभु के भाई याकूब को छोड़ कर किसी भी दूसरे प्रेरित से नहीं मिला। 20 मैं परमेश्वर के सामने शपथपूर्वक कहता हूँ कि जो कुछ मैं लिख रहा हूँ उसमें झूठ नहीं है। 21 उसके बाद मैं सीरिया और किलिकिया के प्रदेशों में गया।
22 किन्तु यहूदिया के मसीह को मानने वाले कलीसिया व्यक्तिगत रूप से मुझे नहीं जानते थे। 23 किन्तु वे लोगों को कहते सुनते थे, “वही व्यक्ति जो पहले हमें सताया करता था, उसी विश्वास, यानी उसी मत का प्रचार कर रहा है, जिसे उसने कभी नष्ट करने का प्रयास किया था।” 24 मेरे कारण उन्होंने परमेश्वर की स्तुति की।
समीक्षा
वर्तमान समय में स्वतंत्रता का आनंद लें
आपके उद्धार को एक बड़ी कीमत देकर जीता गया है। यीशु ने ’ अपने आप को हमारे पापों के लिये दे दिया, ताकि हमारे परमेश्वर और पिता की इच्छा के अनुसार हमें इस वर्तमान बुरे संसार से छुड़ाए“ (व.4)।
गलातियों के लिए पत्र उस समय के विरूद्ध लिखा गया जहाँ पर सुसमाचार की स्वतंत्रता खतरे में थी। यह पौलुस का एक आरंभिक पत्र है, संभवत ए.डी.48 में लिखा गया। पौलुस रोष से जल रहे हैं क्योंकि सुसमाचार की स्वतंत्रता खतरे में है। स्वतंत्रता को जीतना कठिन है और आसानी से इसे हारा जा सकता है।
लोगों को नियंत्रित करने के माध्यम के रूप में धर्म का इस्तेमाल किया जा सकता है। तरसुस के शाऊल ने इसी तरह से इसका इस्तेमाल किया। फिर वह यीशु से मिले और कुछ अलग सुधार का अनुभव किया –एक स्वतंत्रता जो अंदर से आती है।
सुसमाचार का संदेश, स्वतंत्रता का संदेश है। आप पाप, आत्मग्लानि, शर्म, व्यसन और मृत्यु से स्वतंत्र हैं। नियम के कामों के द्वारा आप निर्दोष ठहराये जाने से भी स्वतंत्र किए गए हैं। आपको खतना करने की जरुरत नहीं है। एक उचित मसीह बनने के लिए आपको पहले एक यहूदी मसीह बनने की जरुरत नहीं है। इस पत्र में पौलुस का जोशीला रोष इस तथ्य के द्वारा समझाया जाता है कि सुसमाचार की स्वतंत्रता खतरे में थी।
अपनी आरंभिक यात्रा में उन्होंने गलातियों के रोमी प्रांत में बहुत से चर्च की स्थापना की थी। उन्होंने उन्हें यीशु के बारे में बताया जो हमें मुक्त करते हैं। उन्होंने इस स्वतंत्रता का अनुभव किया। कुछ सालों बाद कुछ धार्मिक लीडर आकर पौलुस के दृष्टिकोण और अधिकार पर प्रश्न उठाने लगे और ऐसे नियम और कानून को बताने की कोशिश करने लगे जो गलातियों के नई नींव स्थापना की स्वतंत्रता को छीन लेगा।
वे कह रहे थे कि यीशु में विश्वास करना काफी नहीं है। आपको खतना भी करना चाहिए। वे इस बात की सीमा निर्धारित कर रहे थे कि एक सच्चा मसीह होने का क्या अर्थ है, बहुत ही कठिन तरीके से।
आज कुछ लोग ऐसी सीमाओं को तय करने की कोशिश करते हैं। वे कहते हैं कि एक मसीह होना काफी नहीं है। तुम्हे ’हमारी तरह“ बनने की आवश्यकता है। आपको ’सुसमाचार प्रचारक“ या ’कॅथलिक“ या ’पेंटाकॉस्टल“ बनने की आवश्यकता है – आपको उनकी तरह बनना पड़ेगा, वे जो कोई हैं। एक उचित मसीह बनने के लिए आपको एक विशेष प्रकार का मसीह बनना पड़ेगा। लेकिन यीशु में विश्वास काफी नहीं है। आपको इसमें खतना या किसी दूसरी चीज को जोड़ने की आवश्यकता नहीं है। मसीह के प्रकार के बजाय, एक दूसरे को यीशु में विश्वास के आधार पर ग्रहण करो।
पौलुस अपना खुद का अनुभव बताते हैं कि कैसे उन्हें यीशु में यह स्वतंत्रता मिली और कैसे वह ऐसे एक व्यक्ति जो ’परमेश्वर के चर्च का सताव कर था“ और ’इसे नष्ट कर रहा था“,ऐसे व्यक्ति से बदलकर वह बन गया जो ’उस संदेश का प्रचार कर रहा था जिसे उसने नष्ट करने की कोशिश की थी“ (वव.13-24, एम.एस.जी)। पौलुस का परिवर्तन हमें याद दिलाता है कि कोई भी परमेश्वर की पहुँच से दूर नहीं है - यहाँ तक कि दाऐश का एक सदस्य भी नहीं।
क्या आपने कभी आश्चर्य किया है कि क्या परमेश्वर आपका इस्तेमाल कर सकते थे? क्या आपने कभी सोचा कि भूतकाल में जो आपने किया था, शायद से वह आपको अयोग्य ठहरा दे? पौलुस की गवाही प्रमाण है कि परमेश्वर ना केवल क्षमा करते हैं, वह आपको मुक्त करते हैं और महान रूप से आपका इस्तेमाल कर सकते हैं – इससे अंतर नहीं पड़ता है कि आपने भूतकाल में क्या किया है।
यह गवाही शक्तिशाली थीः ’ वे मेरे विषय में परमेश्वर की महिमा करती थीं“ (व.24, एम.एस.जी)। आपकी गवाही, यदि पौलुस की तुलना में कम शानदार है, तब भी यह इसके सुनने वालों पर प्रभाव बनायेगी।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि जब हम यीशु में अपना विश्वास रखते है, तब हम सच्ची स्वतंत्रता को पाते हैं।
यशायाह 33:1-35:10
बुराई से और अधिक बुराई ही पैदा होती है
33देखो, तुम लोग लड़ाई करते हो और उन लोगों की वस्तुएँ लूटते हो और वह भी ऐसे लोगों कि जिन्होंने कभी कोई तुम्हारी वस्तु नहीं चोरी की। तुम ऐसे लोगों को धोखा देते रहे जिन्होंने कभी तुम्हें धोखा नहीं दिया। इसलिये जब तुम चोरी करना बन्द कर दोगे तो दूसरे लोग तुम्हारी वस्तुऐं चोरी करना शुरु कर देंगे। जब तुम लोगों को धोखा देना बंद कर दोगे तो लोग तुम्हें धोखा देना आरम्भ कर देंगे। तब तुम कहोगे।
2 हे यहोवा, हम पर दया कर।
हमने तेरे सहारे की बाट जोही है।
हे यहोवा, हर सुबह तू हमको शक्ति दे।
जब हम विपत्ति में हो, तू हम को बचा ले।
3 तेरी शक्तिशाली ध्वनि से लोग डरा करते हैं और वे तुझ से दूर भाग जाते हैं।
तेरी महानता के कारण राष्ट्र दूर भाग जाते हैं।
4 तुम लोग युद्ध में चोरी किया करते हो। वे सभी वस्तुएँ तुमसे ले ली जायेंगी। अनगिनत लोग आयेंगे और तुम्हारी धन—दौलत तुमसे छीन लेंगे। यह उस समय का जैसा होगा जब टिड्डी दल आता है और तुम्हारी सभी फसलों को चट कर जाता है।
5 यहोवा बहुत महान है। वह बहुत ऊँचे स्थान पर रहता है। यहोवा सिय्योन को खरेपन और सच्चाई से परिपूर्ण करता है।
6 हे यरूशलेम, तू सम्पन्न है। तू परमेश्वर के ज्ञान और विवेक से सम्पन्न है। तू मुक्ति से भरपूर है। तू यहोवा का आदर करता है और वही आदर तुझे सम्पन्न बनाता है। इसीलिए तू जान सकता है कि तू सदा बना रहेगा।
7 किन्तु सुनो! वीर पुरुष बाहर पुकार रहे हैं और सन्देशवाहक जो शांति लाते हैं, ज़ोर—ज़ोर से बोल रहे हैं। 8 रास्ते नष्ट हो गये हैं। गलियों में कोई नहीं चल फिर रहा है। लोगों ने जो सन्धियाँ की थी, वे उन्होंने तोड़ दिये हैं। लोग साक्षियों के प्रमाण पर विश्वास करने से मना करते हैं। कोई भी किसी दूसरे व्यक्ति का आदर नहीं करता। 9 धरती बीमार है और मर रही है। लबानोन मर रहा है और शारोन की घाटी सूखी और उजाड़ है। बाशान और कर्मेल जो कभी एक सुन्दर वृक्ष के समान विकसित हो रहे थे, अब उन वृक्षों का विकास रुक गया है।
10 यहोवा कहता है, “मैं अब खड़ा होऊँगा और अपनी महानता दर्शाऊँगा। अब मैं लोगों के लिए महत्वपूर्ण बनूँगा। 11 तुम लोगों ने बेकार के काम किये हैं। वे चीजें भूसे और सूखी घास के जैसे हैं। वे बेकार हैं। तुम्हारी आत्मा अग्नि के समान हो जायेगी और तुम्हें जला डालेगी। 12 लोग तब तक जलते रहेंगे जब तक उनकी हड्डियाँ जल कर चूने जैसी नहीं हो जातीं। लोग काँटों और सूखी झाड़ियों के समान जल्दी ही जल जायेंगे।
13 “दूर देशों के लोगों, जो काम मैंने किये हैं, तुम उनके बारे में सुनते हो। हे मेरे पास के लोगों, तुम मेरी शक्ति को समझते हो।”
14 सिय्योन में पापी डरे हुए हैं। वे लोग जो बुरे काम किया करते हैं, डर से थर—थऱ काँप रहे हैं। वे कहते हैं, “क्या इस विनाशकारी आग से हम में से कोई बच सकता है कौन रह सकता है इस आग के निकट जो सदा—सदा के लिये जलती रहती है”
15 वे लोग ही इस आग में से बच पायेंगे जो अच्छे हैं, सच्चे हैं। वे लोग पैसे के लिये दूसरों को हानि नहीं पहुँचाना चाहते। वे लोग घूस नहीं लेते। दूसरे लोगों की हत्याओं की योजना को वे सुनने तक से मना कर देते हैं। बुरे काम करने की योजनाओं को वे देखना भी नहीं चाहते। 16 ऐसे लोग ऊँचे स्थानों पर सुरक्षा पूर्वक निवास करेंगे। ऊँची चट्टान की गढ़ियों में वे सुरक्षित रहेंगे। ऐसे लोगों के पास सदा ही खाने को भोजन और पीने को जल रहेगा।
17 तुम्हारी आँखे उस राजा (परमेश्वर) का, उसकी सुंदरता में दर्शन करेंगी। तुम उस महान धरती को देखोगे। 18-19 बीते हुए दिनों में तुमने जो कष्ट उठाये हैं, तुम उनके बारे में सोचोगे। तुम सोचोगे, “दूसरे देशों के वे लोग कहाँ हँ वे लोग ऐसी बोली बोला करते थे, जिसे हम समझ नहीं सकते थे। दूसरे देशों के वे सेवक और कर एकत्र करने वाले कहाँ है वे गुप्तचर जिन्होंने हमारी सुरक्षा मिनारों का लेखा जोखा लिया था, कहाँ हैं वे सब समाप्त हो गये!”
परमेश्वर यरूशलेम को बचायेगा
20 हमारे धर्मिक उत्सवों की नगरी, सिय्योन को देखो। विश्राम निवास के उस सुन्दरस्थान यरूशलेम को देखो। यरूशलेम उस तम्बू के समान है जिसे कभी उखाड़ा नहीं जायेगा। वे खूँटे जो उसे अपने स्थान पर थामे रखते हैं, कभी उखाड़े नहीं जायेंगें। उसके रस्से कभी टूटेंगे नहीं। 21-23 वहाँ हमारे लिए शक्तिशाली यहोवा विस्तृत झरनों और नदियों वाले एक स्थान के समान होगा। किन्तु उन नदियों पर कभी शत्रु की नौकाएँ अथवा शक्तिशाली जहाज़ नहीं होंगे। उन नौकाओं पर काम करने वाले तुम लोग रस्सियों को नहीं थामे रख सके। तुम मस्तूल को मजबूत नहीं बनाये रख सके। सो तुम अपनी पालों को भी नहीं खोल पाओगे। क्यों क्योंकि यहोवा हमारा न्यायकर्ता है। यहोवा हमारे लिए नियम बनाता है। यहोवा हमारा राजा है। वह हमारी रक्षा करता है। इसी से यहोवा हमें बहुत सा धन देगा। यहाँ तक कि अपाहिज लोग भी युद्ध में बहुत सा धन जीत लेंगे। 24 वहाँ रहने वाला कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं कहेगा, “मैं रोगी हूँ।” वहाँ रहने वाले लोग ऐसे लोग हैं जिनके पाप क्षमा कर दिये गये हैं।
परमेश्वर अपने शत्रुओं को दण्ड देगा
34हे सभी देशों के लोगों, पास आओ और सुनो! तुम सब लोगों को ध्यान से सुनना चाहिये। हे धरती और धरती पर के सभी लोगों, हे जगत और जगत की सभी वस्तुओं, तुम्हें इन बातों पर कान देना चाहिये। 2 यहोवा सभी देशों और उनकी सेनाओं पर कुपित है। यहोवा उन सबको नष्ट कर देगा। वह उन सभी को मरवा डालेगा। 3 उनकी लाशें बाहर फेंक दी जायेंगी। लाशों से दुर्गन्ध उठेगी और पहाड़ के ऊपर से खून नीचे को बहेगा। 4 आकाश चर्म पत्र के समान लपेट कर मूंद दिये जायेंगे। ग्रह—तारे मर कर किसी अँगूर की बेल या अंजीर के पत्तों के समान गिरने लगेंगे। आकाश के सभी तारे पिघल जायेंगे। 5 यहोवा कहता है, “ऐसा उस समय होगा जब आकाश में मेरी तलवार खून में सन जायेगी।”
देखो! यहोवा की तलवार एदोम को काट डालेगी। यहोवा ने उन लोगों को अपराधी ठहराया है सो उन लोगों को मरना ही होगा। 6 क्यों क्योंकि यहोवा ने निश्चय किया कि बोस्रा और एदोम के नगरों में मार काट का एक समय आएगा। 7 सो मेढे, मवेशी और हट्टे कट्टे जंगली बैल मारे जायेंगे। धरती उनके खून से भर जायेगी। मिट्टी उनकी चर्बी से पट जायेगी।
8 ऐसी बातें घटेंगी क्योंकि यहोवा ने दण्ट देने का एक समय निश्चित कर लिया है। यहोवा ने एक वर्ष ऐसा चुन लिया है जिसमें लोग अपने उन बुरे कामों के लिये जो उन्होंने सिय्योन के विरुद्ध किये हैं, अवश्य ही भुगतान कर देंगे। 9 एदोम की नदियाँ ऐसी हो जायेंगी जैसे मानो वे गर्म तारकोल की हों। एदोम की धरती जलती हुई गंधक और तारकोल के समान हो जायेगी। 10 वे आगे रात दिन जला करेंगी। कोई भी व्यक्ति उस आग को रोक नहीं पायेगा। एदोम से सदा धुँआ उठा करेगा। वह धरती सदा—सदा के लिये नष्ट हो जायेगी। उस धरती से होकर फिर कभी कोई नहीं गुज़रा करेगा। 11 वह धरती परिंदों और छोटे—छोटे जानवरों की हो जायेंगी। वहाँ उल्लू और कौवों का वास होगा। परमेश्वर उस धरती को सूनी उजाड़ भूमि में बदल देगा। यह वैसी ही हो जायेगी जैसी यह सृष्टि से पहले थी। 12 स्वतन्त्र व्यक्ति और मुखिया लोग समाप्त हो जायेंगे। उन लोगों को शासन करने के लिए वहाँ कुछ भी नहीं बचेगा।
13 वहाँ के सभी सुन्दर भवनों में काँटे और जंगली झाड़ियाँ उग आयेंगी। जंगली कुत्ते और उल्लू उन मकानों में वास करेंगे। परकोटों से युक्त नगरों को जंगली जानवर अपना निवास बना लेंगे। वहाँ जो घास उगेगी उसमें बड़े—बड़े पक्षी रहेंगे। 14 वहाँ जंगली बिल्लयाँ और लकड़बघ्घे साथ रहा करेंगे तथा जंगली बकरियाँ वहाँ अपने मित्रों को बुलायेंगी। रात के जीव जन्तु वहाँ अपने लिए आश्रय खोजते फिरेंगे और वहीं विश्राम करने के लिए अपनी जगह बना लेंगे। 15 साँप वहाँ अपने घर बना लेंगे। वहाँ साँप अपने अण्डे दिया करेंगें। अण्डे फूटेंगे और उन अन्धकारपूर्ण स्थानों से रेंगते हुए साँप के बच्चे बाहर निकलेंगे। वँहा मरी वस्तुओं को खाने वाले पक्षी एक के बाद एक इकट्ठे होते चले जाएँगे।
16 यहोवा के चर्म पत्र को देखो। पढ़ो उसमें क्या लिखा है। कुछ भी नहीं छुटा है। उस चर्म पत्र में लिखा है कि वे सभी पशु पक्षी इकट्ठे हो जायेंगे। इसलिए परमेश्वर के मुख ने यह आदेश दिया और उसकी आत्मा ने उन्हें एक साथ इकट्ठा कर दिया। परमेश्वर की आत्मा उन्हें परस्पर एकत्र करेगी। 17 परमेश्वर उनके साथ क्या करेगा, यह उसने निश्चय कर लिया है। इसके बाद परमेश्वर ने उनके लिए एक जगह चुनी। परमेश्वर ने एक रेखा खींची और उन्हें उनकी धरती दिखा दी। इसलिए वह धरती सदा सदा पशुओं की हो जायेगी। वे वहाँ वर्ष दर रहते चले जायेंगे।
परमेश्वर अपने लोगों को सुख देगा
35सूखा रेगिस्तान बहुत खुशहाल हो जायेगा। रेगिस्तान प्रसन्न होगा और एक फूल के समान विकसित होगा। 2 वह रेगिस्तान खिलते हुये फलों से भर उठेगा और अपनी प्रसन्नता दर्शाने लगेगा। ऐसा लगेगा जैसे रेगिस्तान आनन्द में भरा नाच रहा है। यह रेगिस्तान ऐसा सुन्दर हो जायेगा जैसा लबानोन का वन है, कर्मेल का पहाड़ है और शारोन की घाटी है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि सभी लोग यहोवा की महिमा का दर्शन करेंगे। लोग हमारे परमेश्वर की महानता को देखेंगे।
3 दुर्बल बाँहों को फिर से शक्तिपूर्ण बनाओ। दुर्बल घुटनों को मज़बूत करो। 4 लोग डरे हुए हैं और असमंजस में पड़े हैं। उन लोगों से कहो, “शक्तिशाली बनो! डरो मत!” देखो, तुम्हारा परमेश्वर आयेगा और तुम्हारे शत्रुओं को जो उन्होंने किया है, उसका दण्ड देगा। वह आयेगा और तुम्हें तुम्हारा प्रतिफल देगा और तुम्हारी रक्षा करेगा। 5 फिर तो अन्धे देखने लगेंगे। उनकी आँखें खुल जायेंगी। फिर तो बहरे लोग सुन सकेंगे। उन के कान खुल जायेंगे। 6 लूले—लंगड़े लोग हिरन की तरह नाचने लगेंगे और ऐसे लोग जो अभी गूंगे हैं, प्रसन्न गीत गाने में अपनी वाणी का उपयोग करने लगेंगे। ऐसा उस समय होगा जब मरूभूमि में पानी के झरने बहने लगेंगे। सूखी धरती पर झरने बह चलेंगे। 7 लोग अभी जल के रूप में मृग मरीचिका को देखते हैं किन्तु उस समय जल के सच्चे सरोवर होंगे। सूखी धरती पर कुएँ हो जायेंगे। सूखी धरती से जल फूट बहेगा। जहाँ एक समय जंगली जानवरों का राज था, वहाँ लम्बे लम्बे पानी के पौधे उग आयेंगे।
8 उस समय, वहाँ एक राह बन जायेगी और इस राजमार्ग का नाम होगा “पवित्र मार्ग”। उस राह पर अशुद्ध लोगों को चलने की अनुमति नहीं होगी। कोई भी मूर्ख उस राह पर नहीं चलेगा। बस परमेश्वर के पवित्र लोग ही उस पर चला करेंगे। 9 उस सड़क पर कोई खतरा नहीं होगा। लोगों को हानि पहुँचाने के लिये उस सड़क पर शेर नहीं होंगे। कोई भी भयानक जन्तु वहाँ नहीं होगा। वह सड़क उन लोगों के लिए होगी जिन्हें परमेश्वर ने मुक्त किया है।
10 परमेश्वर अपने लोगों को मुक्त करेगा और वे लोग फिर लौट कर वहाँ आयेंगे। लोग जब सिय्योन पर आयेंगे तो वे प्रसन्न होंगे। वे सदा सदा के लिए प्रसन्न हो जायेंगे। उनकी प्रसन्नता उनके माथों पर एक मुकुट के समान होगी। वे अपनी प्रसन्नता और आनन्द से पूरी तरह भर जायेंगे। शोक और दु:ख उनसे दूर बहुत दूर चले जायेंगे।
समीक्षा
भविष्य में स्वतंत्रता की प्रत्याशा करें
यद्यपि आप पाप के दंड से मुक्त किए गए हैं और आप पाप की सामर्थ से मुक्त किए जा रहे हैं, आप अब भी पाप की उपस्थिति से भविष्य में महान स्वतंत्रता की प्रत्याशा कर रहे हैं – इस जीवन के संघर्ष से। आप ऐसे समय का इंतजार कर रहे हैं जब आपको अनंत आनंद मिलेगा और दुख और शोक हटा दिए जाएँगे (35:10)।
यशायाह एक झुलसे हुए जंगल का चित्र दिखाते हैं (अध्याय 34) – लेकिन फिर वह प्रत्याशा करते हैं कि कैसे जंगल एक समृद्ध बगीचे में बदल जाएगा -जंगल और निर्जल देश प्रफुल्लित होंगे, मरुभूमि मगन होकर केसर के समान फूलेगी; उसकी शोभा लबानोन की सी होगी और वह कर्मेल और शारोन के तुल्य तेजोमय हो जाएगी (अध्याय 35)।
परमेश्वर के लोगों के लिए, जैसे ही उन्हें बेबीलोन में बंदी बनाकर ले जाया जा रहा था, वे प्रत्याशा और इस आशा के साथ बाट जोह सकते थे कि परमेश्वर उन्हें छुड़ाएँगे और यरूशलेम की स्वतंत्रता में वापस लायेंगे।
तब भी, यशायाह 35 में यह चित्र एक भौतिक घर में वापस आने से कही बढ़कर है। यह परमेश्वर के लोगों की एक भविष्यवाणी है, जो अपने अनंत घर में लौट रहे हैं।
यशायाह लिखते हैं कि कैसे ’ यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएँगे, और उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा; वे हर्ष और आनन्द पाएँगे और शोक और लम्बी साँस का लेना जाता रहेगा“ (व.10)।
और इस्राएल के लोगों की तरह, जैसे ही आप भविष्य में स्वतंत्रता की प्रत्याशा करते है, तो आपको कैसे इंतजार करना चाहिए? गुस्से में? अविश्वास में? नकारते हुए? मना करते हुए?
यशायाह हमें दो आदेश देते हैं कि कैसे इंतजार करना हैः
- मजबूत बनो
’ ढीले हाथों को दृढ़ करो और थरथराते हुए घुटनों को स्थिर करो। घबराने वालों से कहो, ’साहस बाँधो, मत डरो! देखो, तुम्हारे परमेश्वर बदला लेने और प्रतिफल देने के लिए आ रहे हैं। हाँ, परमेश्वर आकर तुम्हारा उध्दार करेंगे“ (वव.3-4)।
- पवित्र बनें
’ वहाँ एक सड़क अर्थात् राजमार्ग होगा, उनका नाम पवित्र मार्ग होगा : कोई अशुध्द जन उस पर से न चलने पाएगा, वह तो उन्हीं के लिये रहेगा और उस मार्ग पर जो चलेंगे... छुड़ाए हुए उस पर नित चलेंगे“ (वव.8-9)।
आपके लिए जीवन चाहे कितने उतार चढ़ावों से भरा हो, अपना सिर उठाकर, आगे की ओर देखने की कोशिश करो। संघर्षों, चुनौतियों के द्वारा आप आगे की ओर देख सकते हैं, यहाँ तक कि अपनी खुद की मृत्यु के द्वारा, जब तक आप अपनी नजरों में स्वर्ग में नहीं आ जाते। अपने वर्तमान संघर्षों से अपनी स्वतंत्रता की आशा करना सहीं बात है।
अपने दिमाग में यह निश्चित भविष्य रखना जो अब आपको मजबूती से और पवित्र जीवन जीने में सक्षम करेगा - यहाँ तक कि दुख और शोक के समय में।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्रूस पर आपकी विजय के द्वारा, एक दिन सारी सृष्टि स्वतंत्र होगी। जैसे ही मैं आज इस दिन का इंतजार करता हूँ, हर सुबह मेरी सामर्थ बनिये (यशायाह 33:2)।
पिप्पा भी कहते है
गलातियो 1:12ब
’यीशु मसीह से प्रकाशन के द्वारा मैंने इसे पाया।“
यह अद्भुत है जब कोई बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के परमेश्वर से मिलता है। हमें अवश्य ही निरंतर प्रार्थना करनी चाहिए कि लोग रात में यीशु का दर्शन पाकर जाग जाएँ, विशेष रूप से यदि वे विश्व के ऐसे भाग में रहते हैं जहाँ पर वे आसानी से यीशु के विषय में सुन नहीं पाते हैं।
किंतु, बहुत से लोग मसीह बनते हैं जब कोई उनसे अपने विश्वास के बारे में बताता है। पिछले कुछ सप्ताहों से हमारे पास चर्च में महान अवसर उपलब्ध हैं। बिअर ग्रिल प्रथम ग्लोबल अल्फा कैम्पेन का नेतृत्व कर रहे है जो विश्व भर में अल्फा के विषय में जागृकता फैलायेंगे। एच.टी.बी में अल्फा 28 सितंबर से शुरु होगा। प्रार्थना कीजिए कि वहाँ पर संत पौलुस की तरह लोग होंगे जो कुछ दिनों में एक सताने वाले व्यक्ति से बदलकर प्रचारक बन जाएँगे।
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संदर्भ
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