अपने महत्व को समझिये
परिचय
क्या आपने कभी महसूस किया कि आप एक असफलता हैं, या परमेश्वर के लिए उपयोगी नहीं हैं, या सोचा कि परमेश्वर आपकी प्रार्थनाओं का उत्तर देना नहीं चाहते हैं?
जब तक मैंने कॉलिन उरकाहार्ट की पुस्तक, यीशु मसीह में, नहीं पढ़ा था, मैं कभी नहीं समझ पाया कि नये नियम में वह छोटा शब्द 'में' कितना महत्वपूर्ण है। यह समझना कि मसीहों के रूप में, हम यीशु मसीह 'में' हैं, इसमें क्रांति लाता है कि हम अपने आपको कैसे देखते हैं, हमारे स्वयं की छवि और हमारी पहचान।
कागज के टुकड़े पर अपना नाम लिखिये। मसीह को दर्शाने के लिए अपनी बाईबल लीजिए। कागज को किताब के अंदर रखिये और इसे बंद कर दीजिए। आप मसीह में हैं। जहाँ किताब जाती है आप जाते हैं। जहाँ कागज जाता है, वहाँ वह जाते हैं। आप किताब का भाग नहीं हैं, लेकिन अब आप पूरी तरह से किताब के साथ पहचाने जाते हैं।
पौलुस बार-बार इस भाव का इस्तेमाल करते हैं, 'यीशु मसीह में'। परमेश्वर ने आपको पकड़ लिया है और आपको मसीह में रख दिया है। मसीह में, आपने 'सभी आत्मिक आशीष' ग्रहण की हैं (इफीसियो 1:3)। सारी आशीषें, वे भी जिनके विषय में पुराना नियम बताता है, मसीह में आपकी हैं।
भजन संहिता 109:21-31
21 यहोवा तू मेरा स्वामी है। सो मेरे संग वैसा बर्ताव कर जिससे तेरे नाम का यश बढ़े।
तेरी करूणा महान है, सो मेरी रक्षा कर।
22 मैं बस एक दीन, असहाय जन हूँ।
मैं सचमुच दु:खी हूँ। मेरा मन टूट चुका है।
23 मुझे ऐसा लग रहा जैसे मेरा जीवन साँझ के समय की लम्बी छाया की भाँति बीत चुका है।
मुझे ऐसा लग रहा जैसे किसी खटमल को किसी ने बाहर किया।
24 क्योंकि मैं भूखा हूँ इसलिए मेरे घुटने दुर्बल हो गये हैं।
मेरा भार घटता ही जा रहा है, और मैं सूखता जा रहा हूँ।
25 बुरे लोग मुझको अपमानित करते।
वे मुझको घूरते और अपना सिर मटकाते हैं।
26 यहोवा मेरा परमेश्वर, मुझको सहारा दे!
अपना सच्चा प्रेम दिखा और मुझको बचा ले!
27 फिर वे लोग जान जायेंगे कि तूने ही मुझे बचाया है।
उनको पता चल जायेगा कि वह तेरी शक्ति थी जिसने मुझको सहारा दिया।
28 वे लोग मुझे शाप देते रहे। किन्तु यहोवा मुझको आशीर्वाद दे सकता है।
उन्होंने मुझ पर वार किया, सो उनको हरा दे।
तब मैं, तेरा दास, प्रसन्न हो जाऊँगा।
29 मेरे शत्रुओं को अपमानित कर!
वे अपने लाज से ऐसे ढक जायें जैसे परिधान का आवरण ढक लेता।
30 मैं यहोवा का धन्यवाद करता हूँ।
बहुत लोगों के सामने मैं उसके गुण गाता हूँ।
31 क्यों? क्योंकि यहोवा असहाय लोगों का साथ देता है।
परमेश्वर उनको दूसरे लोगों से बचाता है, जो प्राणदण्ड दिलवाकर उनके प्राण हरने का यत्न करते हैं।
समीक्षा
परमेश्वर के प्रेम और चंगाई की आशीषें
दाऊद लिखते हैं, 'आप आशीष देंगे' (व.28)। परमेश्वर की सारी आशीषें आपके लिए उनके प्रेम के द्वारा बहती हैं:'आपके प्रेम की भलाई के कारण' (व.21; इफीसियो 1:4,5,11; यशायाह 54:10)। परमेश्वर का प्रेम आपकी सहायता करता है और खड़े होने में आपकी सहायता करता है, यहाँ तक कि जब दूसरे आपसे 'घृणा' करते हैं और 'श्राप' देते हैं (भजनसंहिता 109:25-26)। वह आपकी 'दाहिनी ओर' खडे होते हैं (व.31अ)।
परमेश्वर हमारे जीवन को बचाते हैं (व.31ब, यशायाह 52:10)। वह हमारे चोट खाये हुए हृदय को चंगा करते हैं। दाऊद कहते हैं, 'मेरा हृदय मुझमें घायल है' (भजनसंहिता 109:22)। परमेश्वर को उन लोगों को इस्तेमाल करना पसंद है, जो पहले घायल थे और फिर चंगे हो गए क्योंकि उस व्यक्ति से बेहतर कोई सेवकाई नहीं कर सकता है जो पहले उसी तरह से घायल था और फिर परमेश्वर के द्वारा चंगा हुआ (2कुरिंथियो 1:3-4)।
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरे लिए आपके अद्भुत प्रेम के लिए आपका धन्यवाद। मेरे घायल हृदय को चंगा कीजिए और मेरी सहायता कीजिए कि दूसरों तक चंगाई को लाऊँ।
इफिसियों 1:1-23
1पौलुस की ओर से, जो परमेश्वर की इच्छा से यीशु मसीह का एक प्रेरित है,
इफिसुस के रहने वाले संत जनों और मसीह यीशु में विश्वास रखने वालों के नाम:
2 तुम्हें हमारे परम पिता परमेश्वर और यीशु मसीह की ओर से अनुग्रह तथा शांति मिले।
मसीह में स्थितों के लिये आध्यात्मिक आशीषें
3 हमारे प्रभु यीशु मसीह का पिता और परमेश्वर धन्य हो। उसने हमें मसीह के रूप में स्वर्ग के क्षेत्र में हर तरह के आशीर्वाद दिये हैं। 4-5 संसार की रचना से पहले ही परमेश्वर ने हमें, जो मसीह में स्थित हैं, अपने सामने पवित्र और निर्दोष बनने कि लिये चुना। हमारे प्रति उसका जो प्रेम है उसी के कारण उसने यीशु मसीह के द्वारा हमें अपने बेटों के रूप में स्वीकार किये जाने के लिए नियुक्त किया। यही उसकी इच्छा थी और यही प्रयोजन भी था। 6 उसने ऐसा इसलिए किया कि वह अपनी महिमाय अनुग्रह के कारण स्वयं को प्रशंसित करे। उसने इसे हमें, जो उसके प्रिय पुत्र में स्थित हैं मुक्त भाव से प्रदान किया।
7 उसकी बलिदानी मृत्यु के द्वारा अब हम अपने पापों से छुटकारे का आनन्द ले रहे हैं। उसके सम्पन्न अनुग्रह के कारण हमें हमारे पापों की क्षमा मिलती है। अपने उसी प्रेम के अनुसार जिसे वह मसीह के द्वारा हम पर प्रकट करना चाहता था। 8 उसने हमें अपनी इच्छा के रहस्य को बताया है। 9 जैसा कि मसीह के द्वारा वह हमें दिखाना चाहता था। 10 परमेश्वर की यह योजना थी कि उचित समय आने पर स्वर्ग की और पृथ्वी पर की सभी वस्तुओं को मसीह में एकत्र करे।
11 सब बातें योजना और परमेश्वर के निर्णय के अनुसार की जाती हैं। और परमेश्वर ने अपने निजी प्रयोजन के कारण ही हमें उसी मसीह में संत बनने के लिये चुना है। यह उसके अनुसार ही हुआ जिसे परमेश्वर ने अनादिकाल से सुनिश्चित कर रखा था। 12 ताकि हम उसकी महिमा की प्रशंसा के कारण बन सकें। हम, यानी जिन्होंने अपनी सभी आशाएँ मसीह पर केन्द्रित कर दी हैं। 13 जब तुमने उस सत्य का संदेश सुना जो तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार था, और जिस मसीह पर तुमने विश्वास किया था, तो जिस पवित्र आत्मा का वचन दिया था, मसीह के माध्यम से उसकी छाप परमेश्वर के द्वारा तुम लोगों पर भी लगायी गयी। 14 वह आत्मा हमारे उत्तराधिकार के भाग की जमानत के रूप में उस समय तक के लिये हमें दिया गया है, जब तक कि वह हमें, जो उसके अपने है, पूरी तरह छुटकारा नहीं दे देता। इसके कारण लोग उसकी महिमा की प्रशंसा करेंगे।
इफिसियों के लिये पौलुस की प्रार्थना
15 इसलिए जब से मैंने प्रभु यीशु में तुम्हारे विश्वास और सभी संतों के प्रति तुम्हारे प्रेम के विषय में सुना है, 16 मैं तुम्हारे लिए परमेश्वर का धन्यवाद निरन्तर कर रहा हूँ। अपनी प्रार्थनाओं में मैं तुम्हारा उल्लेख किया करता हूँ। 17 मैं प्रार्थना किया करता हूँ कि हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्वर तुम्हें विवेक और दिव्यदर्शन की ऐसी आत्मा की शक्ति प्रदान करे जिससे तुम उस महिमावान परम पिता को जान सको।
18 मेरी विनती है कि तुम्हारे हृदय की आँखें खुल जायें और तुम प्रकाश का दर्शन कर सको ताकि तुम्हें पता चल जाये कि वह आशा क्या है जिसके लिये तुम्हें उसने बुलाया है। और जिस उत्तराधिकार को वह अपने सभी लोगों को देगा, वह कितना अद्भुत और सम्पन्न है। 19 तथा हम विश्वासियों के लिए उसकी शक्ति अतुलनीय रूप से कितनी महान है। यह शक्ति अपनी महान शक्ति के उस प्रयोग के समान है, 20 जिसे उसने मसीह में तब काम में लिया था जब मरे हुओं में से उसे फिर से जिला कर स्वर्ग के क्षेत्र में अपनी दाहिनी ओर बिठाकर 21 सभी शासकों, अधिकारियों, सामर्थ्यों और प्रभुताओं तथा हर किसी ऐसी शक्तिशाली पदवी के ऊपर स्थापित किया था, जिसे न केवल इस युग में बल्कि आने वाले युग में भी किसी को दिया जा सकता है। 22 परमेश्वर ने सब कुछ को मसीह के चरणों के नीचे कर दिया और उसी ने मसीह को कलीसिया का सर्वोच्च शिरोमणि बनाया। 23 कलीसिया मसीह की देह है और सब विधियों से सब कुछ को उसकी पूर्णता ही परिपूर्ण करती है।
समीक्षा
मसीह यीशु में होने की आशीषें
बहुत से लोग आत्मविश्वास की कमी के साथ संघर्ष करते हैं। नये नियम में इस परेशानी का समाधान है कि जाने कि मसीह यीशु में आप कौन हैं:' उसी में जिसमें हम भी उसी की मनसा से जो अपनी इच्छा के मत के अनुसार सब कुछ करता है, पहले से ठहराए जाकर मीरास बने' (व.11, एम.एस.जी)। समझिये कि मसीह में आपकी क्या पहचान है। शायद आपके पास सारी भौतिक आशीष न हो जो आप चाहत हैं (पौलुस बंदीगृह में थे जब उन्होंने यह पत्र लिखा), परमेश्वर ने आपको 'मसीह में सारी आत्मिक आशीषों से आशीषित किया है' (व.3)। यह लेखांश बहुत सी आशीषो को बताता हैः
- अनुग्रह और शांति
पौलुस 'अनुग्रह और शांति' के साथ अभिवादन करते हैं (व.2)। बाद में वह कहते हैं, 'परमेश्वर के अनुग्रह की बहुतायतता...हमें दी गई है' (वव.7-8)। अनुग्रह प्रेम है जो चिंता करता है और झुकता है और बचाता है। आप परमेश्वर के साथ शांति में हैं।
- चुने गए, नियुक्त किए गए और दत्तक लिए गए
'जैसा उसने हमें जगत की उत्पत्ति से पहले चुन लिया कि हम उनके निकट प्रेम में पवित्र और निर्दोष हों। और अपनी इच्छा के भले अभिप्राय के अनुसार हमें अपने लिये पहले से ठहराया कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों' (वव.4-5, ए.एम.पी; व.11 भी देखें)।
- छुड़ाए गए, क्षमा किए गए और मुक्त
आप उनके लहू के द्वारा छुड़ाए गए हैं (व.7अ; यशायाह 52:3,9)। 'छुड़ाया गया' शब्द का इस्तेमाल एक दास को वापस खरीदने के लिए किया जाता था- एक कैदी जिसे दाम देकर मुक्त किया जाता था।
आपके पाप क्षमा किए गए हैं (इफीसियो 1:7ब)। मार्घानिता लास्की, एक प्रसिद्ध नास्तिक, ने टेलीविजन पर एक अद्भुत घोषणा की। उन्होंने कहा, 'मुझे तुम मसीहों के विषय में सबसे ज्यादा जिस चीज से ईर्ष्या होती है, वह है क्षमा।' उसने कहा, दुखद रूप से, 'मुझे क्षमा करने वाला कोई नहीं।'
'हम को उसमें उनके लहू के द्वारा छुटकारा, अर्थात् अपराधों की क्षमा उनके उस अनुग्रह के धन के अनुसार मिली है' (व.7, एम.एस.जी)।
- पवित्र आत्मा का निवासस्थान
'जिस पर तुमने विश्वास किया प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की छाप लगी' (व.13)। पवित्र आत्मा आपमें रहने के लिए आ चुके हैं। प्राचीन जगत में जब एक पैकेज को भेजा था तब इस पर मुहर लगाई जाती थी, यह बताने के लिए कि यह कहाँ से आया था और यह किसे भेजा गया है। आप पर पवित्र आत्मा की मुहर लगाई गई है।
- भविष्य के लिए आशा
आपके उत्तराधिकार की गारंटी है। ' वह उसके मोल लिये हुओं के छुटकारे के लिये हमारी मीरास का बयाना है कि उनकी महिमा की स्तुति हो' (व.14, ए.एम.पी.)। आपके पास 'संतों में उनके महिमामयी उत्तराधिकार का धन है' (व.18ब)।
- सामर्थ और पद
'और उनकी सामर्थ्य हम में जो विश्वास करते हैं, कितनी महान् है, उनकी शक्ति के प्रभाव के उस कार्य के अनुसार ' (व.19अ)। सामर्थ परमेश्वर की है, लेकिन वह आपमें रहने के लिए आ गए हैं और आपको 'अनंत ऊर्जा, सीमाहीन सामर्थ' देने के लिए (व.19, एम.एस.जी)।
आप स्वर्गीय स्थानों में मसीह के साथ बैठे हैं (व.20)। परमेश्वर ने हमें नियुक्त किया है कि 'ब्रह्मांड को नियंत्रित करें, सौर मंडल से सरकार तक सबकुछ' (वव.20-21, एम.एस.जी)।
- अधिकार और उत्तरदायित्व
मसीह में, परमेश्वर ने सबकुछ आपके अधीन किया है चर्च के लिए 'यह उनकी देह है, और उन्ही की परिपूर्णता है जो सब में सब कुछ पूर्ण होता है' (वव.22-23)। राज्यभिषेक के समय जब गोल (क्रूस के नीचे पृथ्वी) उनके हाथों में सौंपी गई, तब रानी को याद दिलाया गयाः'जब आप क्रूस के नीचे इस गोल को देखो, याद रखियेगा कि संपूर्ण विश्व हमारे छुड़ाने वाले मसीह की सामर्थ और साम्राज्य के अधीन है।'
परमेश्वर ने आपको महान उत्तरदायित्व दिया है। ब्रह्मांड के लिए उनकी योजनाएँ अब चर्च के हाथों में हैं, जोकि पृथ्वी में यीशु की 'देह' है (व.23)। 'चर्च विश्व के लिए कम महत्वपूर्ण नहीं है; विश्व चर्च के लिए कम महत्वपूर्ण है' (वव.22-23, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
परमेश्वर, मैं आपकी स्तुति करता हूँ हर उस आत्मिक आशीष के लिए जो मसीह में आपने मुझे दी हैं। होने दीजिए कि मेरे हृदय की आँखे प्रकाशमान हो ताकि मैं उस आशा को जानूं जिसके लिए आपने मुझे बुलाया है, आपके महिमामयी उत्तराधिकार का धन, और मुझमें काम कर रही आपकी महान सामर्थ (वव.17-19)।
यशायाह 51:17-54:17
परमेश्वर ने इस्राएल को दण्ड दिया
17 जाग! जाग!
यरूशलेम, जाग उठ!
यहोवा तुझसे बहुत ही कुपित था।
इसलिए तुझको दण्ड दिया गया था।
वह दण्ड ऐसा था जैसा जहर का कोई प्याला हो
और वह तुझको पीना पड़े और उसे तूने पी लिया।
18 यरूशलेम में बहुत से लोग हुआ करते थे किन्तु उनमें से कोई भी व्यक्ति उसकी अगुवाई नहीं कर सका। उसने पाल—पोस कर जिन बच्चों को बड़ा किया था, उनमें से कोई भी उसे राह नहीं दिखा सका। 19 दो जोड़े विपत्ति यरूशलेम पर टूट पड़ी हैं, लूटपाट और अनाज की परेशानी तथा भयानक भूख और हत्याएँ।
जब तू विपत्ति में पड़ी थी, किसी ने भी तुझे सहारा नहीं दिया, किसी ने भी तुझ पर तरस नहीं खाया। 20 तेरे लोग दुर्बल हो गये। वे वहाँ धरती पर गिर पड़े हैं और वहीं पड़े रहेंगे। वे लोग वहाँ हर गली के नुक्कड़ पर पड़े हैं। वे लोग ऐसे हैं जैसे किसी जाल में फंसा हिरण हो। उन लोगों पर यहोवा के कोप की मार तब तक पड़ती रही, जब तक वे ऐसे न हो गये कि और दण्ड झेल ही न सकें। परमेश्वर ने जब कहा कि उन्हें और दण्ड दिया जायेगा तो वे बहुत कमज़ोर हो गये।
21 हे बेचारे यरूशलेम, तू मेरी सुन। तू किसी धुत्त व्यक्ति के समान दुर्बल है किन्तु तू दाखमधु पी कर धुत्त नहीं हुआ है, बल्कि तू तो ज़हर के उस प्याले को पीकर ऐसा दुर्बल हो गया है।
22 तुम्हारा परमेश्वर और स्वामी वह यहोवा अपने लोगों के लिये युद्ध करेगा। वह तुमसे कहता है, “देखो! मैं ‘ज़हर के इस प्याले’ (दण्ड) को तुमसे दूर हटा रहा हूँ। मैं अपने क्रोध को तुम पर से हटा रहा हूँ। अब मेरे क्रोध से तुम्हें और अधिक दण्ड नहीं भोगना होगा। 23 अब मैं अपने क्रोध की मार उन लोगों पर डालूँगा जो तुम्हें दु:ख पहुँचाते हैं। वे लोग तुम्हें मार डालना चाहते थे। उन लोगों ने तुमसे कहा था, ‘हमारे आगे झुक जाओ। हम तुम्हें कुचल डालेंगे!’ अपने सामने झुकाने के लिये उन्होंने तुम्हें विवश किया। फिर उन लोगों ने तुम्हारी पीठ को ऐसा बना डाला जैसे धूल—मिट्टी हो ताकि वे तुम्हें रौंद सकें। उनके लिए चलने के वास्ते तुम किसी राह के जैसे हो गये थे।”
इस्राएल का उद्धार होगा
52जाग उठो! जाग उठो हे सिय्योन!
अपने वस्त्र को धारण करो! तुम अपनी शक्ति सम्भालो!
हे पवित्र यरूशलेम, तुम खड़े हो जाओ!
ऐसे वे लोग जिनको परमेश्वर का अनुसरण करना स्वीकार्य नहीं हैं और जो स्वच्छ नहीं हैं,
तुझमें फिर प्रवेश नहीं कर पायेंगे।
2 तू धूल झाड़ दे! तू अपने सुन्दर वस्त्र धारण कर!
हे यरूशलेम, हे सिय्योन की पुत्री, तू एक बन्दिनी थी
किन्तु अब तू स्वयं को अपनी गर्दन में बन्धी जंजीरों से मुक्त कर!
3 यहोवा का यह कहना है,
“तुझे धन के बदले में नहीं बेचा गया था।
इसलिए धन के बिना ही तुझे बचा लिया जायेगा।”
4 मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मेरे लोग बस जाने के लिए पहले मिस्र में गये थे, और फिर वे दास बन गये। बाद में अश्शूर ने उन्हें बेकार में ही दास बना लिया था। 5 अब देखो, यह क्या हो गया है! अब किसी दूसरे राष्ट्र ने मेरे लोगों को ले लिया है। मेरे लोगों को ले जाने के लिए इस देश ने कोई भुगतान नहीं किया था। यह देश मेरे लोगों पर शासन करता है और उनकी हँसी उड़ाता है। वहाँ के लोग सदा ही मेरे प्रति बुरी बातें कहा करते हैं।”
6 यहोवा कहता है, “ऐसा इसलिये हुआ था कि मेरे लोग मेरे बारे में जानें। मेरे लोगों को पता चल जायेगा कि मैं कौन हूँ मेरे लोग मेरा नाम जान जायेंगे और उन्हें यह भी पता चल जायेगा कि वह मैं ही हूँ जो उनसे बोल रहा हूँ।”
7 सुसमाचार के साथ पहाड़ों के ऊपर से आते हुए सन्देशवाहक को देखना निश्चय ही एक अद्भुत बात है। किसी सन्देशवाहक को यह घोषणा करते हुए सुनना कितना अद्भुत है: “वहाँ शांति का निवास है, हम बचा लिये गये हैं! तुम्हारा परमेश्वर राजा है!”
8 नगर के रखवाले जयजयकार करने लगे हैं।
वे आपस में मिलकर आनन्द मना रहे हैं!
क्यों क्योंकि उनमें से हर एक यहोवा को सिय्योन को लौटकर आते हुए देख रहा है।
9 यरूशलेम, तेरे वे भवन जो बर्बाद हो चुके हैं फिर से प्रसन्न हो जायेंगे।
तुम सभी आपस में मिल कर आनन्द मनाओगे।
क्यों क्योंकि यहोवा यरूशलेम पर दयालू हो जायेगा, यहोवा अपने लोगों का उद्धार करेगा।
10 यहोवा सभी राष्ट्रों के ऊपर अपनी पवित्र शक्ति दर्शाएगा
और सभी वे देश जो दूर—दूर बसे हैं, देखेंगे कि परमेश्वर अपने लोगों की रक्षा कैसे करता है।
11 तुम लोगों को चाहिए कि बाबुल छोड़ जाओ!
वह स्थान छोड़ दो! हे लोगों,
उन वस्तुओं को ले चलने वाले जो उपासना के काम आती हैं,
अपने आप को पवित्र करो।
ऐसी कोई भी वस्तु जो पवित्र नहीं है, उसको मत छुओ।
12 तुम बाबुल छोड़ोगे किन्तु जल्दी में छोड़ने का तुम पर कोई दबाव नहीं होगा।
तुम पर कहीं दूर भाग जाने का कोई दबाव नहीं होगा।
तुम चल कर बाहर जाओगे और यहोवा तुम्हारे साथ साथ चलेगा।
तुम्हारी अगुवाई यहोवा ही करेगा
और तुम्हारी रक्षा के लिये इस्राएल का परमेश्वर पीछे—पीछे भी होगा।
परमेश्वर का कष्ट सहता सेवक
13 “मेरे सेवक की ओर देखो। यह बहुत सफल होगा। यह बहुत महत्त्वपूर्ण होगा। आगे चल कर लोग उसे आदर देंगे और उसका सम्मान करेंगे।” 14 “किन्तु बहुत से लोगों ने जब मेरे सेवक को देखा तो वे भौंचक्के रह गये। मेरा सेवक इतनी बुरी तरह से सताया हुआ था कि वे उसे एक मनुष्य के रूप में बड़ी कठिनता से पहचान पाये। 15 किन्तु और भी बड़ी संख्या में लोग उसे देख कर चकित होंगे। राजा उसे देखकर आश्चर्य में पड़ जायेंगे और एक शब्द भी नहीं बोल पायेंगे। मेरे सेवक के बारे में उन लोगों ने वह कहानी बस सुनी ही नहीं है, जो कुछ हुआ था, बल्कि उन्होंने तो उसे देखा था। उन लोगों ने उस कहानी को सुना भर नहीं था, बल्कि उसे समझा था।”
53हमने जो बातें बतायी थी; उनका सचमुच किसने विश्वास किया यहोवा के दण्ड को सचमुच किसने स्वीकारा
2 यहोवा के सामने एक छोटे पौधे की तरह उसकी बढ़वार हुई। वह एक ऐसी जड़ के समान था जो सूखी धरती में फूट रही थी। वह कोई विशेष, नहीं दिखाई देता था। न ही उसकी कोई विशेष महिमा थी। यदि हम उसको देखते तो हमें उसमें कोई ऐसी विशेष बात नहीं दिखाई देती, जिससे हम उसको चाह सकते। 3 उस से घृणा की गई थी और उसके मित्रों ने उसे छोड़ दिया था। वह एक ऐसा व्यक्ति था जो पीड़ा को जानता था। वह बीमारी को बहुत अच्छी तरह पहचानता था। लोग उसे इतना भी आदर नहीं देते थे कि उसे देख तो लें। हम तो उस पर ध्यान तक नहीं देते थे।
4 किन्तु उसने हमारे पाप अपने ऊपर ले लिए। उसने हमारी पीड़ा को हमसे ले लिया और हम यही सोचते रहे कि परमेश्वर उसे दण्ड दे रहा है। हमने सोचा परमेश्वर उस पर उसके कर्मों के लिये मार लगा रहा है। 5 किन्तु वह तो उन बुरे कामों के लिये बेधा जा रहा था, जो हमने किये थे। वह हमारे अपराधों के लिए कुचला जा रहा था। जो कर्ज़ हमें चुकाना था, यानी हमारा दण्ड था, उसे वह चुका रहा था। उसकी यातनाओं के बदले में हम चंगे (क्षमा) किये गये थे। 6 किन्तु उसके इतना करने के बाद भी हम सब भेड़ों की तरह इधर—उधर भटक गये। हममें से हर एक अपनी—अपनी राह चला गया। यहोवा द्वारा हमें हमारे अपराधों से मुक्त कर दिये जाने के बाद और हमारे अपराध को अपने सेवक से जोड़ देने पर भी हमने ऐसा किया।
7 उसे सताया गया और दण्डित किया गया। किन्तु उसने उसके विरोध में अपना मुँह नहीं खोला। वह वध के लिये ले जायी जाती हुई भेड़ के समान चुप रहा। वह उस मेमने के समान चुप रहा जिसका ऊन उतारा जा रहा हो। अपना बचाव करने के लिये उसने कभी अपना मुँह नहीं खोला। 8 लोगों ने उस पर बल प्रयोग किया और उसे ले गये। उसके साथ खेरपन से न्याय नहीं किया गया। उसके भावी परिवार के प्रति कोई कुछ नहीं कह सकता क्योंकि सजीव लोगों की धरती से उसे उठा लिया गया। मेरे लोगों के पापों का भुगतान करने के लिये उसे दण्ड दिया गया था। 9 उसकी मृत्यु हो गयी और दुष्ट लोगों के साथ उसे गाड़ा गया। धनवान लोगों के बीच उसे दफ़नाया गया। उसने कभी कोई हिंसा नहीं की। उसने कभी झूठ नहीं बोला किन्तु फिर भी उसके साथ ऐसी बातें घटीं।
10 यहोवा ने उसे कुचल डालने का निश्चय किया। यहोवा ने निश्चय किया कि वह यातनाएँ झेले। सो सेवक ने अपना प्राण त्यागने को खुद को सौंप दिया। किन्तु वह एक नया जीवन अनन्त—अनन्त काल तक के लिये पायेगा। वह अपने लोगों को देखेगा। यहोवा उससे जो करना चाहता है, वह उन बातों को पूरा करेगा। 11 वह अपनी आत्मा में बहुत सी पीड़ाएँ झेलेगा किन्तु वह घटने वाली अच्छी बातों को देखेगा। वह जिन बातों का ज्ञान प्राप्त करता है, उनसे संतुष्ट होगा।
मेरा वह उत्तम सेवक बहुत से लोगों को उनके अपराधों से छुटकारा दिलाएगा। वह उनके पापों को अपने सिर ले लेगा। 12 इसलिए मैं उसे बहुतों के साथ पुरस्कार का सहभागी बनाऊँगा। वह इस पुरस्कार को विजेताओं के साथ ग्रहण करेगा। क्यों क्योंकि उसने अपना जीवन दूसरों के लिए दे दिया। उसने अपने आपको अपराधियों के बीच गिना जाने दिया। जबकि उसने वास्तव में बहुतेरों के पापों को दूर किया और अब वह पापियों के लिए प्रार्थना करता है।
परमेश्वर अपने लोगों को वापस लाता है
54“हे स्त्री, तू प्रसन्न से हो जा!
तूने बच्चों को जन्म नहीं दिया किन्तु फिर भी
तुझे अति प्रसन्न होना है।
यहोवा ने कहा, “जो स्त्री अकेली है,
उसकी बहुत सन्तानें होंगी निस्बत उस स्त्री के जिस के पास उसका पति है।”
2 “अपने तम्बू विस्तृत कर,
अपने द्वार पूरे खोल।
अपने तम्बू को बढ़ने से मत रोक।
अपने रस्सियाँ बढ़ा और खूंटे मजबूत कर।
3 क्यों क्योंकि तू अपनी वंश—बेल दायें और बायें फैलायेगी।
तेरी सन्तानें अनेकानेक राष्ट्रों की धरती को ले लेंगी
और वे सन्तानें उन नगरों में फिर बसेंगी जो बर्बाद हुए थे।
4 तू भयभीत मत हो, तू लज्जित नहीं होगी।
अपना मन मत हार क्योंकि तुझे अपमानित नहीं होना होगा।
जब तू जवान थी, तू लज्जित हुई थी किन्तु उस लज्जा को अब तू भूलेगी।
अब तुझको वो लाज नहीं याद रखनी हैं तूने जिसे उस काल में भोगा था जब तूने अपना पति खोया था।
5 क्यों क्योंकि तेरा पति वही था जिसने तुझको रचा था।
उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।
वही इस्राएल की रक्षा करता है, वही इस्राएल का पवित्र है और वही समूची धरती का परमेश्वर कहलाता है!
6 “तू एक ऐसी स्त्री के जैसी थी जिसको उसके ही पति ने त्याग दिया था।
तेरा मन बहुत भारी था किन्तु तुझे यहोवा ने अपना बनाने के लिये बुला लिया।
तू उस स्त्री के समान है जिसका बचपन में ही ब्याह हुआ और जिसे उसके पति ने त्याग दिया है।
किन्तु परमेश्वर ने तुम्हें अपना बनाने के लिये बुला लिया है।”
7 तेरा परमेश्वर कहता है, “मैंने तुझे थोड़े समय के लिये त्यागा था।
किन्तु अब मैं तुझे फिर से अपने पास आऊँगा और अपनी महा करूणा तुझ पर दर्शाऊँगा।
8 मैं बहुत कुपित हुआ
और थोड़े से समय के लिये तुझसे छुप गया किन्तु अपनी महाकरूणा से मैं तुझको सदा चैन दूँगा।”
तेरे उद्धारकर्ता यहोवा ने यह कहा है।
9 परमेश्वर कहता है, “यह ठीक वैसा ही है जैसे नूह के काल में मैंने बाढ़ के द्वारा दुनियाँ को दण्ड दिया था।
मैंने नूह को वरदान दिया कि फिर से मैं दुनियाँ पर बाढ़ नहीं लाऊँगा।
उसी तरह तुझको, मैं वह वचन देता हूँ, मैं तुझसे कुपित नहीं होऊँगा
और तुझसे फिर कठोर वचन नहीं बोलूँगा।”
10 यहोवा कहता है, “चाहे पर्वत लुप्त हो जाये
और ये पहाड़ियाँ रेत में बदल जायें
किन्तु मेरी करूणा तुझे कभी भी नहीं त्यागेगी।
मैं तुझसे मेल करूँगा और उस मेल का कभी अन्त न होगा।”
यहोवा तुझ पर करूणा दिखाता है
और उस यहोवा ने ही ये बातें बतायी हैं।
11 “हे नगरी, हे दुखियारी!
तुझको तुफानों ने सताया है
और किसी ने तुझको चैन नहीं दिया है।
मैं तेरा मूल्यवान पत्थरों से फिर से निर्माण करूँगा।
मैं तेरी नींव फिरोजें और नीलम से धरूँगा।
12 मैं तेरी दीवारें चुनने में माणिक को लगाऊँगा।
तेरे द्वारों पर मैं दमकते हुए रत्नों को जड़ूँगा।
तेरी सभी दीवारें मैं मूल्यवान पत्थरों से उठाऊँगा।
13 तेरी सन्तानें यहोवा द्वारा शिक्षित होंगी।
तेरी सन्तानों की सम्पन्नता महान होगी।
14 मैं तेरा निर्माण खरेपन से करूँगा ताकि तू दमन और अन्याय से दूर रहे।
फिर कुछ नहीं होगा जिससे तू डरेगी।
तुझे हानि पहुँचाने कोई भी नहीं आयेगा।
15 मेरी कोई भी सेना तुझसे कभी युद्ध नहीं करेगी
और यदि कोई सेना तुझ पर चढ़ बैठने का प्रयत्न करे तो तू उस सेना को पराजित कर देगा।
16 “देखो, मैंने लुहार को बनाया है। वह लोहे को तपाने के लिए धौंकनी धौंकता है। फिर वह तपे लोहे से जैसे चाहता है, वैसे औजार बना लेता है। उसी प्रकार मैंने ‘विनाशकर्त्ता’ को बनाया है जो वस्तुओं को नष्ट करता है।
17 “तुझे हराने के लिए लोग हथियार बनायेंगे किन्तु वे हथियार तुझे कभी हरा नहीं पायेंगे। कुछ लोग तेरे विरोध में बोलेंगे। किन्तु हर ऐसे व्यक्ति को बुरा प्रमाणित किया जायेगा जो तेरे विरोध में बोलेगा।”
यहोवा कहता है, “यहोवा के सेवकों को क्या मिलता है उन्हें न्यायिक विजय मिलती है। यह उन्हें मुझसे मिलती हैं।”
समीक्षा
यीशु के सुसमाचार की आशीषें
यशायाह लिखते हैं, ' पहाड़ों पर उनके पाँव क्या ही सुहावने हैं जो शुभ समाचार लाते हैं, ...उध्दार का सन्देश देता है, जो सिय्योन से कहता है, 'तेरा परमेश्वर राज्य करता है' (52:7)। परमेश्वर का उद्धार इतना अधिक सुसमाचार है कि यह संदेश ले जाने वाले के दुर्गंधवाले पैरो को भी सुंदर बना देता है! यह अच्छा समाचार है अगले अध्याय में यशायाह का संदेश (52:13-53:12)। यह चार सेवकों के गीतों में अंतिम और महान है जो परमेश्वर के उद्धार की योजना को प्रकट करते हैं। यहाँ पर पाँच छंद हैं, हर एक अनपेक्षित तुलना को बताता हैः
- असफलता और वास्तविक सफलता (52:13-15)
क्रूस मानवीय अपेक्षाओं को तोड़ देता है। यहाँ पर, यशायाह यीशु के कोड़े खाने और मृत्यु के विषय में बताते हैं, ' उनका रूप यहाँ तक बिगड़ा हुआ था कि मनुष्य का सा न जान पड़ता था' (व.14, एम.एस.जी)। फिर भी क्रूस अंत नहीं है। छंद के अंत में सफलता और विजय है, विश्व भर में शुद्ध किए जाने और क्षमा किए जाने के एक चित्र के साथ;' वह बहुत सी जातियों को पवित्र करेगा' (व.15)।
- हमारा दृष्टिकोण और परमेश्वर का दृष्टिकोण (53:1-3)
' जो समाचार हमें दिया गया, उसका किसने विश्वास किया?' (व.1, एम.एस.जी)। यहाँ पर हम परमेश्वर के दृष्टिकोण और मनुष्य के दृष्टिकोण में अंतर देखते हैं। यशायाह देखते हैं कि लोग यीशु को नकारेंगे, यद्यपि वह उन्हें बचाने के लिए आये थे।
- हमारा पाप और उनका कष्ट उठाना (वव.4-6)
यीशु आपसे इतना प्रेम करते हैं कि वह आपके स्थान में मर गए। इस लेखांश का यह मुख्य संदेश है – सच में संपूर्ण बाईबल काः
'वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी, कि उसके कोड़े खाने से हम लोग चंगे हो जाएँ। हम तो सब के सब भेड़ों के समान भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभी के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया' (व.5-6, एम.एस.जी)। वाह!
- अपराधी और निर्दोष (वव.7-9)
यह छंद न्याय की गलती को बताता है, लेकिन निर्दोष यीशु ने इसे अपने ऊपर ले लिया ताकि उद्धार को लायें:' मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी ' (व.8, एम.एस.जी)। यह असाधारण सटीकता के साथ यीशु की मृत्यु को भी बताता हैः' वह सताया गया, तब भी वह सहता रहा और अपना मुँह न खोला' (व.7); ' उसकी कब्र भी दुष्टों के संग ठहराई गई, और मृत्यु के समय वह धनवान का संगी हुआ' (व.9)।
- विडंबना और विजय (वव.10-13)
जो हार की तरह दिख रहा था, वह असल में एक विजय थी, 'जो परमेश्वर की योजना थी' (व.10, एम.एस.जी)। क्या चीज यीशु की मृत्यु को एक विजय बनाती है? पहला, 'वह अपना वंश देख पायेंगे' (व.10) और 'बहुतों को सत्यनिष्ठ बनायेंगे' (व.11, एम.एस.जी) – लाखों बदले हुए जीवन जो कि उनकी मृत्यु के फल हैं। दूसरा, 'वह जीवन के प्रकाश को देखेंगे' (व.11) - यीशु जी उठे! अंतिम, परमेश्वर ने उन्हें ऊँचा किया, उन्हे 'महान लोगों के संग एक भाग देकर' (व.12) हमारे लिए जो कुछ उन्होंने किया, उसके लिए।
यीशु ने हमारे लिए जो किया, उसके परिणामस्वरूप, हमसे विस्तार और वृद्धि का वायदा किया गया है (54:2)। आपको डरने की आवश्यकता नहीं है (व.4) क्योंकि ' तेरा कर्त्ता तेरा पति है' (व.5)। उनका प्रेम और करुणा कभी आपको छ़ेड़ेंगे नहीं (व.10)। 'आपके विरूद्ध बना कोई हथियार प्रबल न होगा' (व.17)।
प्रार्थना
परमेश्वर, सुसमाचार के अच्छे समाचार के लिए आपका धन्यवाद; कि आपके कष्ट उठाने के द्वारा, मैं सत्यनिष्ठ बना दिया गया हूँ। मेरी सहायता कीजिए कि आपसे महान चीजों की आशा करुँ और आपके लिए महान चीजे करुँ।
पिप्पा भी कहते है
यशायाह 54:2
' अपने तम्बू का स्थान चौड़ा कर, और तेरे डेरे के पट लम्बे किए जाएँ; हाथ मत रोक, रस्सियों को लम्बी और खूँटों का दृढ़ कर, क्योंकि तू दाहिने – बाएँ फैलेगी '
यह मेरे लिए एक नियमित चुनौती है, कि सुरक्षित रूप से इसे न खोलूँ, बल्कि वृद्धि के लिए आगे बढ़ते रहूँ।
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संदर्भ
कोलीन उरकहार्ट, यीशु मसीह में, (हॉडर एण्ड सॉटन, 1981)
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।