भक्तिमय अभिप्राय
परिचय
चुक कॉल्सन एक स्वयं के द्वारा सफल बने व्यक्ति थे। एक विद्यार्थी के रूप में, उन्होंने उद्दंडता से हर्वर्ड के लिए छात्रवृत्ति को ठुकरा दिया। वह मरीन में भरती हो गए, अपनी खुद की कानून संबंधी संस्था स्थापित की और राजनीति में चले गए। चालीस वर्ष की उम्र में वह एक प्रेसीडेंट निक्सोन के नजदीकी सलाहकार बन गए। बाद में, उन्होंने अपने आपको ‘एक युवा अभिलाषी राजनैतिक राजा’ बताया।
वाटरगेट कवर-अप मामले में वह दोषी ठहराये गए और बंदीगृह में डाल दिए गए। तब उनकी मुलाकात यीशु से हुई। दंड को सुनने के बाद जब वह न्यायालय से बाहर आए, उन्होंने कहा, ‘आज न्यायालय में जो हुआ...वह न्यायालय की इच्छा थी और परमेश्वर की इच्छा थी – मैंने अपना जीवन यीशु मसीह को सौंप दिया है और मैं उनके लिए बंदीगृह में और बाहर भी काम कर सकता हूँ।’
कॉल्सन ने यही किया। बंदीगृह से मुक्त होने के बाद उन्होंने बंदीगृह में सहभागिता का प्रबंध किया और तब से हजारों लोगों को मसीह में लाने के लिए उत्तरदायी रहे हैं। एक बार मैंने उन्हें यह कहते हुए सुना, ‘मैं अभिलाषी था, और मैं आज अभिलाषी हूँ, लेकिन मैं आशा करता हूँ कि यह चुक कॉल्सन के लिए नहीं है (यद्यपि मैं बहुत संघर्ष करता हूँ)। लेकिन मैं मसीह के लिए अभिलाषी हूँ।’
अभिलाषा को ‘सफल होने की इच्छा’ के रूप में परिभाषित किया गया है। यहाँ पर केवल दो नियंत्रित करने वाली अभिलाषाएँ हैं, जिसके लिए बाकी दूसरे का महत्व घट जाता हैः पहला है हमारी अपनी महिमा, और दूसरी है परमेश्वर की महिमा।
भजन संहिता 116:1-11
116जब यहोवा मेरी प्रार्थनाएँ सुनता है
यह मुझे भाता है।
2 जब मै सहायता पाने उसको पुकारता हूँ वह मेरी सुनता है:
यह मुझे भाता है।
3 मैं लगभग मर चुका था।
मेरे चारों तरफ मौत के रस्से बंध चुके थे। कब्र मुझको निगल रही थी।
मैं भयभीत था और मैं चिंतित था।
4 तब मैंने यहोवा के नाम को पुकारा,
मैंने कहा, “यहोवा, मुझको बचा ले।”
5 यहोवा खरा है और दयापूर्ण है।
परमेश्वर करूणापूर्ण है।
6 यहोवा असहाय लोगों की सुध लेता है।
मैं असहाय था और यहोवा ने मुझे बचाया।
7 हे मेरे प्राण, शांत रह।
यहोवा तेरी सुधि रखता है।
8 हे परमेश्वर, तूने मेरे प्राण मृत्यु से बचाये।
मेरे आँसुओं को तूने रोका और गिरने से मुझको तूने थाम लिया।
9 जीवितों की धरती में मैं यहोवा की सेवा करता रहूँगा।
10 यहाँ तक मैंने विश्वास बनाये रखा जब मैंने कह दिया था,
“मैं बर्बाद हो गया!”
11 मैंने यहाँ तक विश्वास सम्भाले रखा जब कि मैं भयभीत था
और मैंने कहा, “सभी लोग झूठे हैं!”
समीक्षा
परमेश्वर के साथ अपने संबंध के विषय में अभिलाषी बनिए
परमेश्वर के साथ अपने संबंध को नंबर एक प्राथमिकता बनाईये। भजनसंहिता के लेखक की तरह, घोषणा कीजिए कि आपकी अभिलाषा है परमेश्वर के सामने चलनाः’ मैं जीवित रहते हुए, अपने को यहोवा के सामने जानकर नित्य चलता रहूँगा’ (व.9, एम.एस.जी)। सुनिश्चित कीजिए कि आपका जीवन परमेश्वर के साथ एक प्रेम संबंध पर पेंद्रित हो। यह अपने ‘प्राण’ के लिए ‘विश्राम’ पाने का तरीका है (व.7)।
यह संबंध बहुत से तरीकों से बनता है, जिससे हम परमेश्वर की सहायता का अनुभव करते हैं। भजनसंहिता के लेखक याद करते हैं कि कैसे परमेश्वर ने ‘दया के लिए मेरी पुकार को सुना’ (व.1), कैसे ‘जब मुझे बहुत जरुरत थी उन्होंने मुझे बचाया’ (व.6), कैसे ‘परमेश्वर ने मेरे प्रति भलाई दिखाई’ (व.7) और कैसे ‘ उन्होंने तो मेरे प्राण को मृत्यु से, मेरी आँख को आँसू बहाने से, और मेरे पाँव को ठोकर खाने से बचाया है’ (व.8)। फिर यह ‘परमेश्वर के सम्मुख चलने’ की उनकी अभिलाषा है (व.9)।
प्रार्थना
परमेश्वर मैं आपसे प्रेम करता हूँ। मैं आज इसे अपनी अभिलाषा बनाना चाहता हूँ, और जीवनभर जीवितों के शहर में आपके सम्मुख चलना चाहता हूँ।
फिलिप्पियों 3:1-4:1
मसीह सबके ऊपर है
3अतः मेरे भाईयों, प्रभु में आनन्द मनाते रहो। तुम्हें फिर-फिर उन्हीं बातों को लिखते रहने से मुझे कोई कष्ट नहीं होता है और तुम्हारे लिए तो यह सुरक्षित है ही।
2 इन कुत्तों से सावधान रहो जो कुकर्मों में लगे है। उन बुरे काम करने वालों से सावधान रहो। 3 क्योंकि सच्चे ख़तना युक्त व्यक्ति तो हम है जो अपनी उपासना को परमेश्वर की आत्मा द्वारा अर्पित करते हैं। और मसीह यीशु पर गर्व रखते हैं तथा जो कुछ शारीरिक है, उस पर भरोसा नहीं करते हैं। 4 यद्यपि मैं शरीर पर भी भरोसा कर सकता था। पर यदि कोई और ऐसे सोचे कि उसके पास शारीरिकता पर विश्वास करने का विचार है तो मेरे पास तो वह और भी अधिक है। 5 जब मैं आठ दिन का था, मेरा ख़तना कर दिया गया था। मैं इस्राएली हूँ। मैं बिन्यामीन के वंश का हूँ। मैं इब्रानी माता-पिता से पैदा हुआ एक इब्रानी हूँ। जहाँ तक व्यवस्था के विधान तक मेरी पहुँच का प्रश्न है, मैं एक फ़रीसी हूँ। 6 जहाँ तक मेरी निष्ठा का प्रश्न है, मैंने कलीसिया को बहुत सताया था। जहाँ तक उस धार्मिकता का सवाल है जिसे व्यवस्था का विधान सिखाता है, मैं निर्दोष था।
7 किन्तु तब जो मेरा लाभ था, आज उसी को मसीह के लिये मैं अपनी हानि समझाता हूँ। 8 इससे भी बड़ी बात यह है कि मैं अपने प्रभु मसीह यीशु के ज्ञान की श्रेष्ठता के कारण आज तक सब कुछ को हीन समझाता हूँ। उसी के लिए मैंने सब कुछ का त्याग कर दिया है और मैं सब कुछ को घृणा की वस्तु समझने लगा हूँ ताकि मसीह को पा सकूँ। 9 और उसी में पाया जा सकूँ-मेरी उस धार्मिकता के कारण नहीं जो व्यवस्था के विधान पर टिकी थी, बल्कि उस धार्मिकता के कारण जो मसीह में विश्वास के कारण मिलती है, जो परमेश्वर से मिलती है और जिसका आधार विश्वास है। 10 मैं मसीह को जानना चाहता हूँ और उस शक्ति का अनुभव करना चाहता हूँ जिससे उसका पुनरुत्थान हुआ था। मैं उसकी यातनाओं का भी सहभागी होना चाहता हूँ। और उसी रूप को पा लेना चाहता हूँ जिसे उसने अपनी मृत्यु के द्वारा पाया था। 11 इस आशा के साथ कि मैं भी इस प्रकार मरे हुओं में से उठ कर पुनरुत्थान को प्राप्त करूँ।
लक्ष्य पर पहुँचने की यत्न करते रहो
12 ऐसा नहीं है कि मुझे अपनी उपलब्धि हो चुकी है अथवा मैं पूरा सिद्ध ही बन चुका हूँ। किन्तु मैं उस उपलब्धि को पा लेने के लिये निरन्तर यत्न कर रहा हूँ जिसके लिये मसीह यीशु ने मुझे अपना बधुँआ बनाया था। 13 हे भाईयों! मैं यह नहीं सोचता कि मैं उसे प्राप्त कर चुका हूँ। पर बात यह है कि बीती को बिसार कर जो मेरे सामने है, उस लक्ष्य तक पहुँचने के लिये मैं संघर्ष करता रहता हूँ। 14 मैं उस लक्ष्य के लिये निरन्तर यत्न करता रहता हूँ कि मैं अपने उस पारितोषिक को जीत लूँ, जिसे मसीह यीशु में पाने के लिये परमेश्वर ने हमें ऊपर बुलाया है।
15 ताकि उन लोगों का, जो हममें से सिद्ध पुरुष बन चुके हैं, भाव भी ऐसा ही रहे। किन्तु यदि तुम किसी बात को किसी और ही ढँग से सोचते हो तो तुम्हारे लिये उसका स्पष्टीकरण परमेश्वर कर देगा। 16 जिस सत्य तक हम पहुँच चुके हैं, हमें उसी पर चलते रहना चाहिए।
17 हे भाईयों, औरों के साथ मिलकर मेरा अनुकरण करो। जो उदाहरण हमने तुम्हारे सामने रखा है, उसके अनुसार जो जीते हैं, उन पर ध्यान दो। 18 क्योंकि ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो मसीह के क्रूस से शत्रुता रखते हुए जीते हैं। मैंने तुम्हें बहुत बार बताया है और अब भी मैं यह बिलख बिलख कर कह रहा हूँ। 19 उनका नाश उनकी नियति है। उनका पेट ही उनका ईश्वर है। और जिस पर उन्हें लजाना चाहिए, उस पर वे गर्व करते हैं। उन्हें बस भौतिक वस्तुओं की चिंता है। 20 किन्तु हमारी जन्मभूमि तो स्वर्ग में है। वहीं से हम अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के आने की बाट जोह रहे हैं। 21 अपनी उस शक्ति के द्वारा जिससे सब वस्तुओं को वह अपने अधीन कर लेता है, हमारी दुर्बल देह को बदल कर अपनी दिव्य देह जैसा बना देगा।
फिलिप्पियों को पौलुस का निर्देश
4हे मेरे प्रिय भाईयों, तुम मेरी प्रसन्नता हो, मेरे गौरव हो। तुम्हें जैसे मैंने बताया है, प्रभु में तुम वैसे ही दृढ़ बने रहो।
समीक्षा
मसीह के लिए अभिलाषी बनिए
कभी कभी मसीह आश्चर्य करते हैं कि क्या अभिलाषी होना सही है। वे अभिलाषा को घमंड से जोड़ते हैं और सोचते हैं कि दीनता का अर्थ है अभिलाषी न होना।
किंतु, पौलुस तीक्ष्ण रूप से अभिलाषी थे। एक मसीह बनने से पहले, पौलुस यहूदीमत के लिए अपने जोश में अभिलाषी थे, जिसके कारण वह चर्च का सताव करने की इच्छा करते थे। परिवर्तित होने के बाद, उन्होंने अपने अभिलाषी स्वभाव को नहीं खोया, लेकिन इसकी दिशा बदल गई। यदि कोई चीज थी, वह और भी अभिलाषी हो जाते! इस लेखांश में वह अपना वर्णन एक धावक के रूप में करते हैं जो एक दौड़ जीतने की अभिलाषा करता है (3:13-14)।
पौलुस दो गलत प्रकार की अभिलाषा के साथ यीशु के लिए उनकी महान अभिलाषा की तुलना करते हैं। एक मसीह बनने से पहले उनकी खुद की अभिलाषा। वह बताते हैं कि कैसे उन्होंने शरीर में विश्वास रखा (‘बाहरी सुविधाएँ और भौतिक लाभ और बाहरी दिखावा, ‘ व.3, ए.एम.पी), उनके पुराने धर्म के विभिन्न चिह्नों में भरोसा करते हुए (वव.3-6)। लेकिन, जैसा कि कार्ल बार्थ ने एक बार कहा, ‘यीशु मसीह धर्म को नष्ट करने के लिए आये।’
परमेश्वर चाहते हैं कि आपके पास आत्मविश्वास हो, लेकिन ‘शरीर में’ नहीं। इसके बजाय आपको केवल परमेश्वर में विश्वास रखना है – उनका प्रेम और प्रावधान। पौलुस की धार्मिक अभिलाषा और जोश को गलत दिशा मिली थी। वह ‘चर्च का सताव करने लगे थे’ (व.6)।
दूसरे गलत प्रकार की अभिलाषा है भौतिक और पृथ्वी की बहुत सी चीजों पर ध्यान देनाः’उनका अन्त विनाश है, उनका ईश्वर पेट है, वे अपनी लज्जा की बातों पर घमण्ड करते हैं और पृथ्वी की वस्तुओं पर मन लगाए रहते हैं’ (व.19)।
अब पौलुस के पास एक भक्तिमय अभिलाषा थी। वव.8-11 में वह ‘मेरे प्रभु यीशु मसीह को जानने की समझ से परे महानता’ का वर्णन करते हैं (व.8), और अभिलाषाएँ जो इससे उत्पन्न होती हैं।
पौलुस ने समझा के वे कभी भी सिद्धता प्राप्त नहीं कर पायेंगे। ‘अपने आपसे सत्यनिष्ठा’ को प्राप्त करने की उनकी अभिलाषा, को वह अब ‘व्यर्थ’ कहते हैं (व.9)। इसके बजाय, वह इस तथ्य का आनंद ले रहे थे कि मसीह में भरोसे के द्वारा, उन्होंने ‘ उस सत्यनिष्ठा के साथ जो मसीह पर विश्वास करने के कारण है और परमेश्वर की ओर से विश्वास करने पर मिलती है’ (व.9)।
हम इस जीवन में कभी भी सिद्धता को प्राप्त नहीं करेंगे। हमारी दुर्बलताएँ हमे परमेश्वर पर निर्भर रखती हैं; उन पर और उनके प्रेम और अनुग्रह पर निर्भर रहना।
आपकी क्या अभिलाषा होनी चाहिए?
1. घनिष्ठता के साथ मसीह को जानिये
पौलुस की अभिलाषा थी ‘मसीह को जानना’ (व.10)। ‘जानना’ के लिए ग्रीक शब्द विवेकशील ज्ञान से बढ़कर है – किसी चीज के बारे में कुछ जानना। इसके बजाय, यह एक व्यक्तिगत ज्ञान है। पौलुस की तरह, अपनी अभिलाषा बनाईये कि ना केवल मसीह को जानेंगे, लेकिन एक व्यक्ति के रूप में उन्हें जानेंगे।
2. मसीह की पुनरुत्थानी सामर्थ का अनुभव कीजिए
पौलुस बताते हैं कि मसीह के साथ यह घनिष्ठ संबंध कैसा दिखाई देता है। इसका अर्थ है ‘पुनरुत्थान की उनकी सामर्थ को जानना’ (व.10), इतिहास में एक भूतकाल की घटना के रूप में नहीं, बल्कि एक गतिशील और उत्साहित करने वाली सामर्थ के रूप में जो कि आपके जीवन में काम करती है।
परमेश्वर का आत्मा आपके जीवन में पुनरुत्थान की इस सामर्थ को लाते हैं। उनकी मृत्यु और पुनरुत्थान की सामर्थ के द्वारा यीशु ने शैतान को निहत्ता कर दिया, पाप के बंधन तोड़ दिए और मृत्यु को हरा दिया। यह सामर्थ आपके लिए उपलब्ध है, एक पवित्र जीवन जीने में और उनकी पुनरुत्थान की सामर्थ के साथ दूसरों के लिए सेवकाई करने में आपको सक्षम बनाने के लिए। इसे अपनी अभिलाषा बनाईये कि उस सामर्थ को और अधिकाधिक जानेंगे।
3. मसीह के कष्ट में एक पार्टनर बनिये
पौलुस के लिए, ‘मसीह को जानने’ का अर्थ था ‘ उनके साथ दुःखों में सहभागी होने के मर्म को जानूँ, और उनकी मृत्यु की समानता को प्राप्त करूं’ (व.10)। वह कष्ट उठाने को, और मसीह को जानने को एक अपरिहार्य भाग के रूप में देखते हैं। यह एक दंड नहीं है बल्कि एक सम्मान है।
यीशु का कष्ट उठाना और मृत्यु, हमारे कष्टो से अलग है, इसीलिए वह हमारे पापों के लिए मर गए ताकि हमें उससे बचा पाये जिसके हम योग्य थे। आप कभी भी उस तरह से कष्ट नहीं उठायेंगे जैसा कि उन्होंने उठाया। लेकिन कभी कभी आप अपने भक्तिमय अभिलाषा के लिए कष्ट उठायेंगे।
यह कष्ट हमारे मसीह जीवन का प्रायोगिक परिणाम है। कुछ के लिए, इसका अर्थ तीक्ष्य सताव होगा।
हम सभी के लिए, इसमें शामिल है ‘सारा दर्द और क्लेश...पाप के विरूद्ध संघर्ष में चाहे आंतरिक या बाहरी’ (जे.बी.लाईटफूट)। कष्ट के ऐसे क्षणों में हम मसीह के साथ ‘सहभागिता’ का अनुभव करते हैं। चाहे जो कीमत भी चुकानी पड़े, उस सहभागिता को अपनी अभिलाषा बनाईये।
4. मृत्यु से पुनरुत्थान
मसीह को जानने का अर्थ है उनके विधान के सहभागी बनना, ‘ किसी भी रीति से मरे हुओं में से जी उठने के पद तक पहुचूँ’ (व.11)। जब पौलुस कहते हैं, ‘किसी भी रीति से’, तब वह इस आशा पर संदेह नहीं कर रहे हैं लेकिन पहचान रहे हैं कि यह एक अद्भुत रहस्य है।
जॅकी पुलिंगर कहती हैं कि परमेश्वर ने उन्हें ‘पुनरुत्थानी दृष्टि दी’। वह कहती हैं, ‘केवल यीशु आँखे खोलते हैं...लेकिन जो कोई मरे हुओं के पुनरुत्थान में विश्वास करते हैं, वे जानते हैं कि उनकी मंजिल एक आरामदायक स्थान है, एक बेहतर देश, एक स्वर्गीय शहर है।’
पौलुस कहते हैं कि अभी वह वहाँ नहीं पहुंचे हैं लेकिन यह उनका लक्ष्य और अभिलाषा है (व.12):’मैंने अपना ध्यान लक्ष्य की ओर लगाया है’ (व.14, एम.एस.जी)। भूतकाल पर ध्यान मत दो – आप कितना गिर गए थे, आपकी असफलताएँ या आपकी सफलताएँ। इसके बजाय, ‘पीछे की चीजों को भूलते हुए’ यीशु पर ध्यान लगाए रखिये, एक दिमाग के बनिये, आगे बढ़िये और उनकी बुलाहट को उत्तर दीजिए।
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि सही अभिलाषा करुँ। मेरी सहायता कीजिए कि अपना जीवन ‘मेरे प्रभु यीशु मसीह को जानने की महानता’ पर केंद्रित करुँ (व.8)।
यिर्मयाह 4:10-5:31
10 तब मैंने अर्थात् यिर्मयाह ने कहा, “मेरे स्वामी यहोवा, तूने सचमुच यहूदा और यरूशलेम के लोगों को धोखे में रखा है। तूने उनसे कहा, ‘तुम शान्तिपूर्वक रहोगे।’ किन्तु अब उनके गले तर तलवार खिंची हुई है।”
11 उस समय एक सन्देश यहूदा और यरूशलेम के लोगों को दिया जाएगा:
“नंगी पहाड़ियों से गरम आँधी चल रही है।
यह मरुभूमि से मेरे लोगों की ओर आ रही है।
यह वह मन्द हवा नहीं जिसका उपयोग किसान भूसे से अन्न निकालने के लिये करते हैं।
12 यह उससे अधिक तेज हवा है और मुझसे आ रही है।
अब मैं यहूदा के लोगों के विरुद्ध अपने न्याय की घोषणा करूँगा।”
13 देखो! शत्रु मेघ की तरह उठ रहा है, उसके रथ चक्रवात के समान है।
उसके घोड़े उकाब से तेज हैं। यह हम सब के लिये बुरा होगा, हम बरबाद हो जाएंगे।
14 यरूशलेम के लोगों, अपने हृदय से बुराइयों को धो डालो।
अपने हृदयों को पवित्र करो, जिससे तुम बच सको। बुरी योजनायें मत बनाते चलो।
15 दान देश के दूत की वाणी, जो वह बोलता है, ध्यान से सुनो।
कोई एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश से बुरी खबर ला रहा है।
16 “इस राष्ट्र को इसका विवरण दो।
यरूशलेम के लोगों में इस खबर को फैलाओ।
शत्रु दूर देश से आ रहे हैं। वे शत्रु यहूदा के नगरों के विरुद्ध युद्ध—उद्घोष कर रहे हैं।
17 शत्रुओं ने यरूशलेम को ऐसे घेरा है जैसे खेत की रक्षा करने वाले लोग हो।
यहूदा, तुम मेरे विरुद्ध गए, अत: तुम्हारे विरुद्ध शत्रु आ रहे हैं!” यह सन्देश यहोवा का है!
18 “जिस प्रकार तुम रहे और तुमने पाप किया उसी से तुम पर यह विपत्ति आई।
यह तुम्हारे पाप ही हैं जिसने जीवन को इतना कठिन बनाया है।
यह तुम्हारा पाप ही है जो उस पीड़ा को लाया जो तुम्हारे हृदय को बेधती है।”
यिर्मयाह का रुंदन
19 आह, मेरा दुःख और मेरी परेशानी मेरे पेट में दर्द कर रही हैं।
मेरा हृदय धड़क रहा है।
हाय, मैं इतना भयभीत हूँ।
मेरा हृदय मेरे भीतर तड़प रहा है।
मैं चुप नहीं बैठ सकता। क्यों क्योंकि मैंने तुरही का बजना सुना है।
तुरही सेना को युद्ध के लिये बुला रही है।
20 ध्वंस के पीछे विध्वंस आता है। पूरा देश नष्ट हो गया है।
अचानक मेरे डेरे नष्ट कर दिये गये हैं, मेरे परदे फाड़ दिये गए हैं।
21 हे यहोवा, मैं कब तक युद्ध पताकायें देखुँगा युद्ध की तुरही को कितने समय सुनूँगा
22 परमेश्वर ने कहा, “मेरे लोग मूर्ख हैं। वे मुझे नहीं जानते।
वे बेवकूफ बच्चे हैं।
वे समझते नहीं। वे पाप करने में दक्ष हैं, किन्तु वे अच्छा करना नहीं जानते।”
विनाश आ रहा है
23 मैंने धरती को देखा।
धरती खाली थी, इस पर कुछ नहीं था।
मैंने गगन को देखा, और इसका प्रकाश चला गया था।
24 मैंने पर्वतों पर नजर डाली और वे काँप रहे थे। सभी पहाड़ियाँ लड़खड़ा रही थीं।
25 मैंने ध्यान से देखा, किन्तु कोई मनुष्य नहीं था, आकाश के सभी पक्षी उड़ गए थे।
26 मैंने देखा कि सुहावना प्रदेश मरुभूमि बन गया था।
उस देश के सभी नगर नष्ट कर दिये गये थे। यहोवा ने यह कराया।
यहोवा और उसके प्रचण्ड क्रोध ने यह कराया।
27 यहोवा ये बातें कहता है: “पूरा देश बरबाद हो जाएगा।
(किन्तु मैं देश को पूरी तरह नष्ट नहीं करूँगा।)
28 अत: इस देश के लोग मेरे लोगों के लिये रोयेंगे।
आकाश अँधकारपूर्ण होगा।
मैंने कह दिया है, और बदलूँगा नहीं।
मैंने एक निर्णय किया है, और मैं अपना विचार नहीं बदलूँगा।”
29 यहूदा के लोग घुड़सवारों और धनुर्धारियों का उद्घोष सुनेंगे, और लोग भाग जायेंगे।
कुछ लोग गुफाओं में छिपेंगे कुछ झाड़ियों में तथा कुछ चट्टानों पर चढ़ जाएंगे।
यहूदा के सभी नगर खाली हैं।
उनमें कोई नहीं रहता।
30 हे यहूदा, तुम नष्ट कर दिये गये हो, तुम क्या कर रहे हो तुम अपने सुन्दरतम लाल वस्त्र क्यों पहनते हो
तुम अपने सोने के आभूषण क्यों पहने हो तुम अपनी आँखों में अन्जन क्यों लगाते हो।
तुम अपने को सुन्दर बनाते हो, किन्तु यह सब व्यर्थ है।
तुम्हारे प्रेमी तुमसे घृणा करते हैं, वे मार डालने का प्रयत्न कर रहे हैं।
31 मैं एक चीख सुनता हूँ जो उस स्त्री की चीख की तरह है जो बच्चा जन्म रही हो।
यह चीख उस स्त्री की तरह है जो प्रथम बच्चे को जन्म रही हो।
यह सिय्योन की पुत्री की चीख है।
वह अपने हाथ प्रार्थना में यह कहते हुए उठा रही है, “आह! मैं मूर्छित होने वाली हूँ, हत्यारे मेरे चारों ओर हैं!”
यहूदा के लोगों के पाप
5यहोवा कहता है, “यरूशलेम की सड़कों पर ऊपर नीचे जाओ। चारों ओर देखो और इन चीजों के बारे में सोचो। नगर के सार्वजनिक चौराहो को खोजो, पता करो कि क्या तुम किसी एक अच्छे व्यक्ति को पा सकते हो, ऐसे व्यक्ति को जो ईमानदारी से काम करता हो, ऐसा जो सत्य की खोज करता हो। यदि तुम एक अच्छे व्यक्ति को ढूँढ निकालोगे तो मैं यरूशलेम को क्षमा कर दूँगा! 2 लोग प्रतिज्ञा करते हैं और कहते हैं, ‘जैसा कि यहोवा शाश्वत है।’ किन्तु वे सच्चाई से यही तात्पर्य नहीं रखते।”
3 हे यहोवा, मैं जानता हूँ कि तू लोगों में सच्चाई देखना चाहता है।
तूने यहूदा के लोगों को चोट पहुँचाई, किन्तु उन्होंने किसी पीड़ा का अनुभव नहीं किया।
तूने उन्हें नष्ट किया, किन्तु उन्होंने अपना सबक सीखने से इन्करा कर दिया।
वे बहुत हठी हो गए।
उन्होंने अपने पापों के लिये पछताने से इन्कार कर दिया।
4 किन्तु मैं (यिर्मयाह) ने अपने से कहा,
“वे केवल गरीब लोग ही है जो उतने मूर्ख हैं।
ये वही लोग हैं जो यहोवा के मार्ग को नहीं सीख सके!
गरीब लोग अपने परमेश्वर की शिक्षा को नहीं जानते।
5 इसलिये मैं यहूदा के लोगों के प्रमुखों के पास जाऊँगा।
मैं उनसे बातें करूँगा।
निश्चय ही प्रमुख यहोवा के मार्ग को समझते हैं।
मुझे विश्वास है कि वे अपने परमेश्वर के नियमों को जानते हैं।”
किन्तु सभी प्रमुख यहोवा की सेवा करने से इन्कार करने में एक साथ हो गए।
6 वे परमेश्वर के विरुद्ध हुए, अत: जंगल का एक सिंह उन पर आक्रमण करेगा।
मरुभूमि में एक भेड़िया उन्हें मार डालेगा।
एक तेंदुआ उनके नगरों के पास घात लगाये है।
नगरों के बाहर जाने वाले किसी को भी तेंदुआ टुकड़ों में चीर डालेगा।
यह होगा, क्यैं कि यहूदा के लोगों ने बार—बार पाप किये हैं।
वे कई बार यहोवा से दूर भटक गए हैं।
7 परमेश्वर ने कहा, “यहूदा, मुझे कारण बताओ कि मुझे तुमको क्षमा क्यों कर देना चाहिये तुम्हारी सन्तानों ने मुछे त्याग दिया है।
उन्होंने उन देवमूर्तियों से प्रतिज्ञा की है जो परमेश्वर हैं ही नहीं।
मैंने तुम्हारी सन्तानों को हर एक चीज़ दी जिसकी जरुरत उन्हें थी।
किन्तु फिर भी वे विश्वासघाती रहे!
उन्होंने वेश्यालयों में बहुत समय बिताया।
8 वे उन घोड़ों जैसे रहे जिन्हें बहुत खाने को है, और जो जोड़ा बनाने को हो।
वे उन घोड़ों जैसे रहे जो पड़ोसी कीर् पॅत्नयों पर हिन हिना रहे हैं।
9 क्या मुझे यहूदा के लोगों को ये काम करने के कारण, दण्ड देना चाहिए यह सन्देश यहोवा का है।
हाँ! तुम जानते हो कि मुझे इस प्रकार के राष्ट्र को दण्ड देना चाहिये।
मुझे उन्हें वह दण्ड देना चाहिए जिसके वे पात्र हैं।
10 यहूदा की अंगूर की बेलों की कतारों के सहारे से निकलो।
बेलों को काट डालो। (किन्तु उन्हें पूरी तरह नष्ट न करो।)
उनकी सारी शाखायें छाँट दोक्योंकि ये शाखाये यहोवा की नहीं हैं।
11 इस्राएल और यहूदा के परिवार हर प्रकार से मेरे विश्वासघाती रहे हैं।”
यह सन्देश यहोवा के यहाँ से है।
12 “उन लोगों ने यहोवा के बारे में झूठ कहा है।
उन्होंने कहा है, ‘यहोवा हमारा कुछ नहीं करेगा।
हम लोगों का कुछ भी बुरा न होगा।
हम किसी सेना का आक्रमण अपने ऊपर नहीं देखेंगे।
हम कभी भूखों नहीं मरेंगे।’
13 झूठे नबी मरे प्राण हैं।
परमेश्वर का सन्देश उनमें नहीं उतरा है।
विपत्तियाँ उन पर आयेंगी।”
14 सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा ने यह सब कहा, “उन लोगों ने कहा कि मैं उन्हें दण्ड नहीं दूँगा।
अत: यिर्मयाह, जो सन्देश मैं तुझे दे रहा हूँ, वह आग जैसा होगा और वे लोग लकड़ी जैसे होंगे।
आग सारी लकड़ी जला डालेगी।”
15 इस्राएल के परिवार, यह सन्देश यहोवा का है, “तुम पर आक्रमण के लिये मैं एक राष्ट्र को बहुत दूर से जल्दी ही लाऊँगा।
यह एक पुराना राष्ट्र है।
यह एक प्राचीन राष्ट्र है।
उस राष्ट्र के लोग वह भाषा बोलते हैं जिसे तुम नहीं समझते।
तुम नहीं समझ सकते कि वे क्या कहते हैं
16 उनके तरकश खुली कब्र हैं, उनके सभी लोग वीर सैनिक हैं।
17 वे सैनिक तुम्हारी घर लाई फसल को खा जाएंगे।
वे तुम्हारा सारा भोजन खा जाएंगे।
वे तुम्हारे पुत्र—पुत्रियों को खा जाएंगे (नष्ट कर देंगे) वे तुम्हारे रेवड़ और पशु झुण्ड को चट कर जाएंगे।
वे तुम्हारे अंगूर और अंजीर को चाट जाएंगे।
वे तुम्हारे दृढ़ नगरों को अपनी तलवारों से नष्ट कर डालेंगे।
जिन नगरों पर तुम्हारा विश्वास है उन्हें वे नष्ट कर देंगे।”
18 यह सन्देश यहोवा का है:
“किन्तु कब वे भयैंनक दिन आते हैं,
यहूदा मैं तुझे पूरी तरह नष्ट नहीं करूँगा।
19 यहूदा के लोग तुमसे पूछेंगे,
‘यिर्मयाह, हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमारा ऐसा बुरा क्यों किया?’
उन्हें यह उत्तर दो,
‘यहूदा के लोगों, तुमने यहोवा को त्याग दिया है,
और तुमने अपने ही देश में विदेशी देव मूर्तियों की पूजा की है।
तुमने वे काम किये,
अत: तुम अब उस देश में जो तुम्हारा नहीं है, विदेशियों की सेवा करोगे।’
20 यहोवा ने कहा, “याकूब के परिवार में, इस सन्देश की घोषणा करो।
इस सन्देश को यहूदा राष्ट्र में सुनाओ।
21 इस सन्देश को सुनो,
तुम मूर्ख लोगों, तुम्हें समझ नहीं हैं:
तुम लोगों की आँखें है, किन्तु तुम देखते नहीं!
तुम लोगों के कान हैं, किन्तु तुम सनते नहीं!
22 निश्चय ही तुम मुझसे भयभीत हो।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“मेरे सामने तुम्हें भय से काँपना चाहिये।
मैं ही वह हूँ, जिसने समुद्र तटों को समुद्र की मर्यादा बनाई।
मैंने बालू की ऐसी सीमा बनाई जिसे पानी तोड़ नहीं सकती।
तरंगे तट को कुचल सकती हैं, किन्तु वे इसे नष्ट नहीं करेंगी।
चढ़ती हुई तरंगे गरज सकती हैं, किन्तु वे तट की मर्यादा तोड़ नहीं सकती।
23 किन्तु यहूदा के लोग हठी हैं।
वे हमेशा मेरे विरुद्ध जाने की योजना बनाते हैं।
वे मुझसे मुड़े हैं और मुझसे दूर चले गए हैं।
24 यहूदा के लोग कभी अपने से नहीं कहते, “हमें अपने परमेश्वर यहोवा से डरना
और उसका सम्मान करना चाहिए।
वह हमे ठीक समय पर पतझड़ और बसन्त की वर्षा देता है।
वे यह निश्चित करता है कि हम ठीक समय पर फसल काट सकें।”
25 यहूदा के लोगों, तुमने अपराध किया है। अत: वर्षा और पकी फसल नहीं आई।
तुम्हारे पापों ने तुम्हें यहोवा की उन अच्छी चीज़ों का भोग नहीं करने दिया है।
26 मेरे लोगों के बीच पापी लोग हैं।
वे पापी लोग पक्षियों को फँसाने के लिये जाल बनाने वालों के समान हैं।
वे लोग अपना जाल बिछाते हैं, किन्तु वे पक्षी के बदले मनुष्यों को फँसाते हैं।
27 इन व्यक्तियों के घर झूठ से वैसे भरे होते हैं, जैसे चिड़ियों से भरे पिंजरे हों।
उनके झूठ ने उन्हें धनी और शक्तिशाली बनाया है।
28 जिन पापों को उन्होंने किया है उन्ही से वे बड़े और मोटे हुए हैं।
जिन बुरे कामों को वे करते हैं उनका कोई अन्त नहीं।
वे अनाथ बच्चों के मामले के पक्ष में बहस नहीं करेंगे, वे अनाथों की सहायता नहीं करेंगे।
वे गरीब लोगों को उचित न्याय नहीं पानें देंगे।
29 क्या मुझे इन कामों के करने के कारण यहूदा को दण्ड देना चाहिये?”
यह सन्देश यहोवा का है।
“तुम जानते हो कि मुझे ऐसे राष्ट्र को दण्ड देना चाहिये।
मुझे उन्हें वह दण्ड देना चाहिए जो उन्हें मिलना चाहिए।
30 यहोवा कहता है, “यहूदा देश में एक भयानक और दिल दहलाने वाली घटना घट रही है।
जो हुआ है वह यह है कि:
31 नबी झूठ बोलते हैं,
याजक अपने हाथ में शक्ति लेते हैं।
मेरे लोग इसी तरह खुश हैं।
किन्तु लोगों, तुम क्या करोगे
जब दण्ड दिया जायेगा
समीक्षा
परमेश्वर के वचन को बोलने के लिए अभिलाषी बनिए
परमेश्वर यिर्मयाह को शक्तिशाली संदेश का प्रचार करने के एक नये स्तर में बुलाते हैं:’ मैं अपना वचन तेरे मुँह में आग के समान रखता हूँ’ (5:14, एम.एस.जी)। अब आप भी यह अनुभव कर सकते हैं कि अपने आस-पास के लोगों को परमेश्वर का शक्तिशाली जीवन बदलने वाला वचन सुनाइए।
परमेश्वर यिर्मयाह के द्वारा बात करते हैं और कहते हैं, ‘क्योंकि मेरी प्रजा मूढ़ है, वे मुझे नहीं जानते...बुराई करने को तो वे बुध्दिमान हैं, परन्तु भलाई करना वे नहीं जानते’ (4:22)। वह चेतावनी देते हैं कि न्याय आ रहा है क्योंकि लोगों ने गलत दिशा में अपनी अभिलाषाएँ केंद्रित की हैं।
यिर्मयाह सोचते हैं कि निश्चित ही लीडर्स सही मार्ग को जानेंगेः’ इसलिये मैं बड़े लोगों के पास जाकर उनको सुनाउँगा; क्योंकि वे तो यहोवा का मार्ग और अपने परमेश्वर का नियम जानते हैं’ (5:5)। लेकिन उन्होंने, लोगों की तरह, ‘मन फिराना अस्वीकार कर दिया है’ (व.3क)। उनकी अभिलाषाएँ पैसा, यौन-संबंध और ताकत की झूठी मूर्तियों पर केंद्रित थी।
केवल परमेश्वर आपकी गहरी जरुरतों को पूरा कर सकते हैं (व.7ब, एम.एस.जी)। परमेश्वर उनसे कहते हैं, ‘ जब मैंने उनका पेट भर दिया, तब उन्होंने व्यभिचार किया और वेश्याओं के घरों में भीड़ की भीड़ जाते थे। वे खिलाए –पिलाए बे-लगाम घोड़ों के समान हो गए, वे अपने पड़ोसी की स्त्री पर हिनहिनाने लगे ‘ (वव.7-8)।
वह आगे कहते हैं कि उनका घर छल से भरा हुआ है। ‘ वे बढ़ गए और धनी हो गए हैं। वे मोटे और चिकने हो गए हैं’ (वव.27-28अ)। यद्यपि वे अमीर और शक्तिशाली थे, वे गरीबों की चिंता नहीं करते थेः’बुरे कामों में वे सीमा को पार कर गए हैं; वे न्याय, विशेष करके अनाथों का न्याय नहीं चुकाते; इस से उनका काम सफल नहीं होता : वे कंगालों का हक भी नहीं दिलाते’ (व.28, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
परमेश्वर, होने दीजिए कि मेरे मुँह में वचन आग के समान हो ताकि दूसरे यीशु मसीह को जानने की महानता का अनुभव कर पायें।
पिप्पा भी कहते है
फिलिप्पियो 3:13ब
‘ जो बातें पीछे रह गई हैं उनको भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ’।
यह महत्वपूर्ण है कि किसी भी तरह से भूतकाल के द्वारा रूक न जाएँ - या तो असफलताएँ और निराशाओं के द्वारा, या सफलता के द्वारा, जो शायद से हमें अत्यधिक निर्भीक बना दें। इसके बजाय हमें अपनी निगाहें यीशु पर लगाने की आवश्यकता है।
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।