नये कपड़े
परिचय
मैं हर दिन एक समान कपड़े पहनता हूँ। मैं नहीं कह सकता कि मुझे ’कपड़े पहनने’ की ज्यादा समझ है। फिर भी, माने या न माने, पीपा से मेरा विवाह होने से पहले स्थिति और खराब थी।
जब मेरा विवाह हुआ, मेरी चौड़ी पतलून, छेदवाले स्वेटर, बनियान, टाई (एक चाचा ने दी थी) और खराब पतलून को जाना पड़ा। मुझे चीजों से छुटकारा पाना पसंद नहीं –विशेष रूप से कपड़े जिनसे मैं जुड़ा हूँ। वे पुराने मित्र की तरह लगते हैं। लेकिन समय आ चुका था नये कपड़े पहनने का।
बाहरी कपड़ो के साथ-साथ, हमारे हृदय और दिमाग के आंतरिक कपड़े हैं। जब आप यीशु के द्वारा परमेश्वर के साथ एक संबंध में आते हैं, तब पुराने कपड़े निकालने और आपको अपने हृदय और दिमाग के लिए नये कपड़ों की आवश्यकता है।
नीतिवचन 24:15-22
कहावत 27
15 धर्मी मनुष्य के घर के विरोध में लुटेरे के समान घात में मत बैठ और उसके निवास पर मत छापा मार। 16 क्योंकि एक नेक चाहे सात बार गिरे, फिर भी उठ बैठेगा। किन्तु दुष्ट जन विपत्ति में डूब जाता है।
कहावत 28
17 शत्रु के पतन पर आनन्द मत कर। जब उसे ठोकर लगे, तो अपना मन प्रसन्न मत होने दे। 18 यदि तू ऐसा करेगा, तो यहोवा देखेगा और वह यहोवा की आँखों में आ जायेगा एवं वह तुझसे प्रसन्न नहीं रहेगा। फिर सम्भव है कि वह तेरे उस शत्रु की ही सहायता करे।
कहावत 29
19 तू दुर्जनों के साथ कभी ईर्ष्या मत रख, कहीं तुझे उनके संग विवाद न करना पड़ जाये। 20 क्योंकि दुष्ट जन का कोई भविष्य नहीं है। दुष्ट जन का दीप बुझा दिया जायेगा।
कहावत 30
21 हे मेरे पुत्र, यहोवा का भय मान और विद्रोहियों के साथ कभी मत मिल। 22 क्योंकि वे दोनों अचानक नाश ढाह देंगे उन पर; और कौन जानता है कितनी भयानक विपत्तियाँ वे भेज दें।
समीक्षा
दूसरों के विषय में अपने हृदय और दिमाग को नियंत्रित कीजिए
क्या किसी ने किसी तरह से आपके साथ गलत किया या आपको चोट पहुँचायी, और बाद में पता चला कि वे परेशानी में पड़ गए?
यह लेखांश हमें यह सोचने के विरूद्ध चिताता है कि उन्हें वह मिल रहा है जिसके वे योग्य हैं और उनकी परेशानी के ऊपर आनंद मनानाः’ जब तेरा शत्रु गिर जाए तब तू आनन्दित न हो, और जब वह ठोकर खाए, तब तेरा मन मगन न हो। कहीं ऐसा न हो कि यहोवा यह देखकर अप्रसन्न हो’ (वव.17-18अ)।
आनंद मनाना आसान बात है जब वे लोग जो हमारे लिए परेशानी उत्पन्न करते हैं और हमारा विरोध करते हैं, खुद परेशानी में पड़ते और गिर जाते हैं। उस क्षण का आनंद मनाने का लालच आता है। लेकिन यह गलत उत्तर है। अपने हृदय की निगरानी करिए और ऐसे विचारों को रोकिए।
जैसा कि जॉयस मेयर लिखती हैं, ’इसमें बहुत सा ’हृदय-कार्य’ लगता है। यह देखकर थोड़े भी आनंदित न हों कि उस व्यक्ति को वह मिलता है जो उनके पास आ रहा है...’ हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि ’चोट खाए हुए लोग, लोगों को चोट पहुँचाते हैं।’ जो हमें चोट पहुँचाते हैं सामान्यत वे अंदर से चोट खाए हुए होते हैं, और शायद से उनका दर्द इतना ज्यादा होता है कि वे नहीं जानते हैं कि वे हमें चोट पहुँचा रहे हैं।’
प्रार्थना
परमेश्वर, ऐसे समय के लिए हमें क्षमा कीजिए जब हमने दूसरे के गिरने पर आनंद मनाया, और ऐसे करने के प्रलोभन को रोकने में हमारी सहायता कीजिए। आपका धन्यवाद कि पवित्र आत्मा की सहायता से अपने हृदय को नियंत्रित करना संभव है।
कुलुस्सियों 3:1-4:1
मसीह में नया जीवन
3क्योंकि यदि तुम्हें मसीह के साथ मरे हुओं में से जिला कर उठाया गया है तो उन वस्तुओं के लिये प्रयत्नशील रहो जो स्वर्ग में हैं जहाँ परमेश्वर की दाहिनी ओर मसीह विराजित है। 2 स्वर्ग की वस्तुओं के सम्बन्ध में ही सोचते रहो। भौतिक वस्तुओं के सम्बन्ध में मत सोचो। 3 क्योंकि तुम लोगों का पुराना व्यक्तित्व मर चुका है और तुम्हारा नया जीवन मसीह के साथ साथ परमेश्वर में छिपा है। 4 जब मसीह, जो हमारा जीवन है, फिर से प्रकट होगा तो तुम भी उसके साथ उसकी महिमा में प्रकट होओगे।
5 इसलिए तुममें जो कुछ सांसारिक बातें है, उसका अंत कर दो। व्यभिचार, अपवित्रता, वासना, बुरी इच्छाएँ और लालच जो मूर्ति उपासना का ही एक रूप है, 6 इन ही बातों के कारण परमेश्वर का क्रोध प्रकट होने जा रहा है। 7 एक समय था जब तुम भी ऐसे कर्म करते हुए इसी प्रकार का जीवन जीया करते थे।
8 किन्तु अब तुम्हें इन सब बातों के साथ साथ क्रोध, झुँझलाहट, शत्रुता, निन्दा-भाव और अपशब्द बोलने से छुटकारा पा लेना चाहिए। 9 आपस में झूठ मत बोलो क्योंकि तुमने अपने पुराने व्यक्तित्व को उसके कर्मो सहित उतार फेंका है। 10 और नये व्यक्तित्व को धारण कर लिया है जो अपने रचयिता के स्वरूप में स्थित होकर परमेश्वर के सम्पूर्ण ज्ञान के निमित्त निरन्तर नया होता जा रहा है। 11 परिणामस्वरूप वहाँ यहूदी और ग़ैर यहूदी में कोई अन्तर नहीं रह गया है, न किसी ख़तना युक्त और ख़तना रहित में, न किसी असभ्य और बर्बर में, न दास और एक स्वतन्त्र व्यक्ति में कोई अन्तर है। मसीह सर्वेसर्वा है और सब विश्वासियों में उसी का निवास है।
तुम्हारा नया जीवन एक दूसरे के लिये
12 क्योंकि तुम परमेश्वर के चुने हुए पवित्र और प्रियजन हो इसलिए सहानुभूति, दया, नम्रता, कोमलता और धीरज को धारण करो। 13 तुम्हें आपस में जब कभी किसी से कोई कष्ट हो तो एक दूसरे की सह लो और परस्पर एक दूसरे को मुक्त भाव से क्षमा कर दो। तुम्हें आपस में एक दूसरे को ऐसे ही क्षमा कर देना चाहिए जैसे परमेश्वर ने तुम्हें मुक्त भाव से क्षमा कर दिया। 14 इन बातों के अतिरिक्त प्रेम को धारण करो। प्रेम ही सब को आपस में बाँधता और परिपूर्ण करता है। 15 तुम्हारे मन पर मसीह से प्राप्त होने वाली शांति का शासन हो। इसी के लिये तुम्हें उसी एक देह में बुलाया गया है। सदा धन्यवाद करते रहो।
16 अपनी सम्पन्नता के साथ मसीह का संदेश तुम में वास करे। भजनों, स्तुतियों और आत्मा के गीतों को गाते हुए बड़े विवेक के साथ एक दूसरे को शिक्षा और निर्देश देते रहो। परमेश्वर को मन ही मन धन्यवाद देते हुए गाते रहो। 17 और तुम जो कुछ भी करो या कहो, वह सब प्रभु यीशु के नाम पर हो। उसी के द्वारा तुम हर समय परम पिता परमेश्वर को धन्यवाद देते रहो।
नये जीवन के नियम
18 हे पत्नियों, अपने पतियों के प्रति उस प्रकार समर्पित रहो जैसे प्रभु के अनुयायियों को शोभा देता है।
19 हे पतियों, अपनी पत्नियों से प्रेम करो, उनके प्रति कठोर मत बनो।
20 हे बालकों, सब बातों में अपने माता पिता की आज्ञा का पालन करो। क्योंकि प्रभु के अनुयायियों के इस व्यवहार से परमेश्वर प्रसन्न होता है।
21 हे पिताओं, अपने बालकों को कड़ुवाहट से मत भरो। कहीं ऐसा न हो कि वे जतन करना ही छोड़ दें।
22 हे सेवकों, अपने सांसारिक स्वामियों की सब बातों का पालन करो। केवल लोगों को प्रसन्न करने के लिये उसी समय नहीं जब वे देख रहे हों, बल्कि सच्चे मन से उनकी मानो। क्योंकि तुम प्रभु का आदर करते हो। 23 तुम जो कुछ करो अपने समूचे मन से करो। मानों तुम उसे लोगों के लिये नहीं बल्कि प्रभु के लिये कर रहे हो। 24 याद रखो कि तुम्हें प्रभु से उत्तराधिकार का प्रतिफल प्राप्त होगा। अपने स्वामी मसीह की सेवा करते रहो 25 क्योंकि जो बुरा कर्म करेगा, उसे उसका फल मिलेगा और वहाँ कोई पक्षपात नहीं है।
4हे स्वामियों, तुम अपने सेवकों को जो उनका बनता है और उचित है, दो। याद रखो स्वर्ग में तुम्हारा भी कोई स्वामी है।
समीक्षा
अपने हृदय और दिमाग को प्रेम के कपड़े पहनाईये
एक मसीह के रूप में, आप ’मसीह में’ हैं। उनकी मृत्यु और पुनरुत्थान में आप उनके साथ एक हैं। इसलिए, पौलुस लिख सके कि ’आप मर गए’ (3ः3)। और वह यह भी लिख सके, ‘आप मसीह के साथ जिलाए गए...अब आपका जीवन परमेश्वर में मसीह के साथ छिपा हुआ है’ (वव.1,3)। भविष्य में, ‘ जब मसीह जो हमारा जीवन हैं, प्रकट होगा, तब तुम भी उनके साथ महिमा सहित प्रकट किए जाओगे’ (व.4)।
मसीह ने आपके लिए जो कुछ किया और संभव बनाया, उसके कारण आपको अपने हृदय और दिमाग को बदलने की आवश्यकता है।
1. अपनी सोच को बदलिये (वव.1-12)
सही कार्य की शुरुवात सही सोच से होती है। यदि आप यह पुनरुत्थानी जीवन जीना चाहते हैं, जो यीशु के द्वारा संभव बनाया गया है, पौलुस लिखते हैं:’ स्वर्गीय वस्तुओं की खोज में रहो ... पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्वर्गीय वस्तुओं पर ध्यान लगाओ’ (वव.1-2)।
यह सरल नहीं है क्योंकि हम ’पृथ्वी की चीजों’ से घिरे हुए हैं (व.2) और प्रलोभनों से। सुधारवादी कदम उठाईये। पौलुस लिखते हैं, ‘ इसलिये अपने उन अंगो को मार डालो जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात् व्यभिचार, अशुध्दता, दुष्कामना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्तिपूजा के बराबर है’ (व.5, एम.एस.जी)। वह उन्हें याद दिलाते हैं कि मसीह बनने से पहले वे यही किया करते थे।
’पुराने मनुष्यत्व को उसके कामों समेत उतार डाला है’ (व.9, ए.एम.पी)। आपको अवश्य ही अपने आपको बुरी चीजों से छुड़ाना है (व.8)’ क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्दा और मुँह से गालियाँ बकना ये सब बातें छोड़ दो।एक दूसरे से झूठ मत बोलो, क्योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्व को उसके कामों समेत उतार डाला है, और नए मनुष्यत्व को पहन लिया है, जो अपने सृजनहार के स्वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता जाता है’ (वव.8-10)।
नये कपड़े पहन लीजिए। आप परमेश्वर के चुने हुए लोग हैं और इसलिए, आप इस तरह से जीने के लिए बुलाए गए हैं। इसका अर्थ है विश्व में आपकी स्थिति में एक सुधारवादी बदलाव। आपको सक्रिय होने की आवश्यकता है नाकि निष्क्रिय। बुरी चीजों के बजाय, आप करुणा, दयालुता, दीनता, सज्जनता और धीरज को पहनने के लिए बुलाए गए हैं’ (व.12)।
2. दूसरों के प्रति अपनी प्रतिक्रिया को बदल दें (वव.13-15)
मसीह हर मसीह में रहते हैं, उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा के बावजूद। मसीह में कोई जात-पात नहीं है (कोई यूहदी या यूनानी नहीं,) न खतना न खतनारहित, न जंगली, न स्कूती, न दास और न स्वतंत्रः केवल मसीह सब कुछ और सब में है’ (व.11)।
पौलुस आगे कहते हैं, ‘एक दूसरे की सह लो’ (व.13)। विश्व में, यदि कोई आपको धोखा देता है, तो अक्सर यह संबंध का अंत है। लेकिन ’एक दूसरे को चाहे जो दुख पहुँचाया गया हो, आपको क्षमा करना है।’ क्षमा कीजिए जैसा कि परमेश्वर ने आपको क्षमा किया’ (व.13)।
क्षमा एक अद्वितीय मसीह गुण है। दूसरे शायद क्षमा करें, लेकिन केवल मसीहों के पास क्षमा का एक मजबूत आधार है। जैसा कि सी.एस.लेविस कहते हैं, ‘एक मसीह होने का अर्थ है बहानेबाज को क्षमा करना क्योंकि परमेश्वर ने आपके अंदर के बहानेबाज को क्षमा किया।’
एक शब्द हमारे नये कपड़ो के समूह को समाविष्ट करता हैः’प्रेम।’ पौलुस लिखते हैं, ‘ इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिध्दता का कटिबन्ध है बाँध लो’ (व.14)। प्रेम केवल एक भावना नहीं है; यह एक कार्य है। यह ऐसा कुछ है जिसे आप ’पहन लेते हैं’। जैसे आप अपने भौतिक कपड़े पहनते हैं, वैसे ही आपको प्रेम को पहनना है।
यह मसीह समुदाय की सुंदरता है –मसीह आपके संबंधो में एक मूलभूत बदलाव लाते हैं। जिस तरह से मसीह बर्ताव करते हैं, वह विश्व से बहुत अलग है और इसे बहुत आकर्षित होना चाहिए।
यह कैसे संभव है? आपको अवश्य ही अपने हृदय और दिमाग को सही स्थान में रखना है, जैसा कि पौलुस लिखते हैं, ‘ मसीह की शान्ति जिसके लिये तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे’ (व.15)।
परमेश्वर की शांति आपके हृदय में एक पहरेदार की तरह काम करती है – आपको बताते हुए कि क्या अंदर है और क्या बाहर है। एक प्रश्न जो आपको पूछना चाहिए, किसी भी निर्णय के बारे में’जो मैं करने जा रहा हूँ क्या उसमें मुझे परमेश्वर की शांति जान पड़ती है?’
3. यीशु के प्रति अपने व्यवहार को बदलिये (वव.16-17)
’मसीह के वचन’ के द्वारा नियमित रूप से मार्गदर्शन लीजिए (व.16)। पौलुस कहते हैं, ‘ मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो, और सिध्द ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ और चिताओ, और अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ’ (व.16, एम.एस.जी)।
इस प्रकार का समुदाय परमेश्वर की आराधना और पवित्रशास्त्र में मसीह के वचन के सुनने पर आधारित होगा। यह प्रेम का एक समुदाय होगा, ‘ मन की सीधाई और परमेश्वर के भय से’ (व.22)।
इसमें कठिन परिश्रम भी होगा। चाहे आप एक मालिक हैं या एक दास, आप मसीह की सेवा कर रहे हैं। अपने काम को अच्छी तरह से कीजिए और अपने दिमाग और अपने हृदय में एक अच्छे व्यवहार के साथ’जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझकर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते हो...तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो’ (वव.23-24)।
प्रार्थना
परमेश्वर, आज मेरी सहायता कीजिए कि करुणा, दयालुता, दीनता, सज्जनता और धीरज का एक जीवन जीऊँ। क्षमा करने में मेरी सहायता कीजिए जैसे आपने मुझे क्षमा किया है। होने दीजिए कि आपकी शांति मेरे हृदय में राज्य करे।
यिर्मयाह 14:1-15:21
सूखा पड़ना और झूठे नबी
14यह यिर्मयाह को सूखे के बारे में यहोवा का सन्देश है:
2 “यहूदा राष्ट्र उन लोगों के लिये रो रहा है जो मर गये हैं।
यहूदा के नगर के लोग दुर्बल, और दुर्बल होते जा रहे हैं।
वे लोग भूमि पर लेट कर शोक मनाते हैं।
यरूशलेम नगर से एक चीख परमेश्वर के पास पहुँच रही है।
3 लोगों के प्रमुख अपने सेवकों को पानी लाने के लिये भेजते हैं।
सेवक कण्डों पर जाते हैं।
किन्तु वे कछ भी पानी नहीं पैंते।
सेवक खाली बर्तन लेकर लौटते हैं। अत:
वे लज्जित और परेशान हैं।
वे अपने सिर को लज्जा से ढक लेते हैं।
4 कोई भी फसल के लिए भूमि तैयार नहीं करता।
भूमि पर वर्षा नहीं होती, किसान हताश हैं।
अत: वे अपना सिर लज्जा से ढकते हैं।
5 यहाँ तक कि हिरनी भी अपने नये जन्मे बच्चे को
खेत में अकेला छोड़ देती है।
वह वैसा करती है क्योंकि वहाँ घास नहीं है।
6 जंगली गधे नंगी पहाड़ी पर खड़े होते हैं।
वे गीदड़ की तरह हवा सूंघते हैं।
किन्तु उनकी आँखों को कोई चरने की चीज़ नहीं दिखाई पड़ती।
क्योंकि चरने योग्य वहाँ कोई पौधे नहीं हैं।
7 “हम जानते हैं कि यह सब कुछ हमारे अपराध के कारण है।
हम अब अपने पापों के कारण कष्ट उठा रहे हैं।
हे यहोवा, अपने अच्छे नाम के लिये हमारी कुछ मदद कर।
हम स्वीकार करते हैं कि हम लोगों ने तुझको कई बार छोड़ा है।
हम लोगों ने तेरे विरुद्ध पाप किये हैं।
8 परमेश्वर, तू इस्राएल की आशा है।
विपत्ति के दिनों में तूने इस्राएल को बचाया।
किन्तु अब ऐसा लगता है कि तू इस देश में अजनबी है।
ऐसा प्रतीत होता है कि तू वह यात्री है जो एक रात यहाँ ठहरा हो।
9 तू उस व्यक्ति के समान लगता है जिस पर अचानक हमला किया गया हो।
तू उस सैनिक सा लगता है जिसके पास किसी को बचाने की शक्ति न हो।
किन्तु हे यहोवा, तू हमारे साथ है।
हम तेरे नाम से पुकारे जाते हैं, अत: हमें असहाय न छोड़।”
10 यहूदा के लोगों के बारे में यहोवा जो कहता है, वह यह है: “यहूदा के लोग सचमुच मुझे छोड़ने में प्रसन्न हैं। वे लोग मुझे छोड़ना अब भी बन्द नहीं करते। अत: अब यहोवा उन्हें नहीं अपनायेगा। अब यहोवा उनके बुरे कामों को याद रखेगा जिन्हें वे करते हैं। यहोवा उन्हें उनके पापों के लिये दण्ड देगा।”
11 तब यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, यहूदा के लोगों के लिये कुछ अच्छा हो, इसकी प्रार्थना न करो।” 12 यहूदा के लोग उपवास कर सकते हैं और मुझसे प्रार्थना कर सकते हैं। किन्तु मैं उनकी प्रार्थनायें नहीं सुनूँगा। यहाँ तक कि यदि ये लोग होमबलि और अन्न भेंट चढ़ायेंगे तो भी मैं उन लोगों को नहीं अपनाऊँगा। मैं यहूदा के लोगों को युद्ध में नष्ट करुँगा। मैं उनका भोजन छीन लूँगा और यहूदा के लोग भूखों मरेंगे और मैं उन्हें भयंकर बीमारियों से नष्ट करुँगा।
13 किन्तु मैंने यहोवा से कहा, “हमारे स्वामी यहोवा! नबी लोगों से कुछ और ही कह रहे थे। वे यहूदा के लोगों से कह रहे थे, ‘तुम लोग शत्रु की तलवार से दु:ख नहीं उठाओगे। तुम लोगों को कभी भूख से कष्ट नहीं होगा। यहोवा तुम्हें इस देश में शान्ति देगा।’”
14 तब यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, वे नबी मेरे नाम पर झूठा उपदेश दे रहे हैं। मैंने उन नबियों को नहीं भेजा मैंने उन्हें कोई आदेश या कोई बात नहीं की वे नबी असत्य कल्पनायें, व्यर्थ जादू और अपने झूठे दर्शन का उपदेश कर रहे हैं। 15 इसलिये उन नबियों के विषय में जो मेरे नाम पर उपदेश दे रहे हैं, मेरा कहना यह है। मैंने उन नबियों को नहीं भेजा। उन नबियों ने कहा, ‘कोई भी शत्रु तलवार से इस देश पर आक्रमण नहीं करेगा। इस देश में कभी भुखमरी नहीं होगी।’ वे नबी भूखों मरेंगे और शत्रु की तलवार के घाट उतारे जाएंगे 16 और जिन लोगों से वे नबी बातें करते हैं सड़कों पर फेंक दिये जाएंगे। वे लोग भूखों मरेंगे और शत्रु की तलवार के घाट उतारे जाएंगे। कोई व्यक्ति उनको या उनकी पत्नियों या उनके पुत्रों अथवा उनकी पुत्रियों को दफनाने को नहीं रहेगा। मैं उन्हें दण्ड दूँगा।
17 “यिर्मयाह, यह सन्देश यहूदा के लोगों को दो:
‘मेरी आँखें आँसुओं से भरी हैं।
मैं बिना रूके रात—दिन रोऊँगा।
मैं अपनी कुमारी पुत्री के लिये रोऊँगा।
मैं अपने लोगों के लिए रोऊँगा।
क्यों क्योंकि किसी ने उन पर प्रहार किया
और उन्हें कुचल डाला।
वे बुरी तरह घायल किये गए हैं।
18 यदि मैं देश में जाता हूँ तो मैं उन लोगों को देखता हूँ
जो तलवार के घाट उतारे गए हैं।
यदि मैं नगर में जाता हूँ,
मैं बहुत सी बीमारियाँ देखता हूँ,
क्योंकि लोगों के पास भोजन नहीं है।
याजक और नबी विदेश पहुँचा दिये गये हैं।’”
19 हे यहोवा, क्या तूने पूरी तरह यहूदा राष्ट्र को त्याग दिया है यहोवा,
क्या तू सिय्योन से घृणा करता है
तूने इसे बुरी तरह से चोट की है
कि हम फिर से अच्छे नहीं बनाए जा सकते।
तूने वैसा क्यों किया हम शान्ति की आशा रखते थे,
किन्तु कुछ भी अच्छा नहीं हुआ।
हम लोग घाव भरने के समय की प्रतीक्षा कर रहे थे,
किन्तु केवल त्रास आया।
20 हे यहोवा, हम जानते हैं कि हम बहुत बुरे लोग हैं,
हम जानते हैं कि हमारे पूर्वजों ने बुरे काम किये।
हाँ, हमने तेरे विरुद्ध पाप किये।
21 हे यहोवा, अपने नाम की अच्छाई के लिये
तू हमें धक्का देकर दूर न कर।
अपने सम्मानीय सिंहासन के गौरव को न हटा।
हमारे साथ की गई वाचा को याद रख और इसे न तोड़।
22 विदेशी देवमूर्तियों में वर्षा लाने की शक्ति नहीं हैं,
आकाश में पानी बरसाने की शक्ति नहीं है।
केवल तू ही हमारी आशा है, एकमात्र तू ही है
जिसने यह सब कुछ बनाया है।
15यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, यदि मूसा और शमूएल भी यहूदा के लोगों के लिये प्रार्थना करने वाले होते, तो भी मैं इन लोगों के लिये अफसोस नहीं करता। यहूदा के लोगों को मुझसे दूर भेजो। उनसे जाने को कहो। 2 वे लोग तुमसे पूछ सकते हैं, ‘हम लोग कहाँ जाएंगे’ तुम उनसे यह कहो, यहोवा जो कहता है, वह यह है:
“‘मैंने कुछ लोगों को मरने के लिये निश्चित किया है।
वे लोग मरेंगे।
मैंने कुछ लोगों को तलवार के घाट उतारना निश्चित किया है,
वे लोग तलवार के घाट उतारे जाएंगे।
मैंने कुछ को भूख से मरने के लिये निश्चित किया है।
वे लोग भूख से मरेंगे। मैंने कुछ लोगों का बन्दी होना
और विदेश ले जाया जाना निश्चित किया है।
वे लोग उन विदेशों में बन्दी रहेंगे।
3 यहोवा कहता है कि मैं चार प्रकार की विनाशकारी शक्तियाँ उनके विरुद्ध भेजूँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
‘मैं शत्रु को तलवार के साथ मारने के लिए भेजूँगा।
मैं कुत्तों को उनका शव घसीट ले जाने को भेजूँगा।
मैं हवा में उड़ते पक्षियों और जंगली जानवरों को
उनके शवों को खाने और नष्ट करने को भेजूँगा।
4 मैं यहूदा के लोगों को ऐसा दण्ड दूँगा
कि धरती के लोग इसे देख कर काँप जायेंगे।
मैं यहूदा के लोगों के साथ यह,
मनश्शे ने यरूशलेम में जो कुछ किया, उसके कारण करुँगा।
मनश्शे, राजा हिलकिय्याह का पुत्र था।
मनश्शे यहूदा राष्ट्र का एक राजा था।’
5 “यरूशलेम नगर, तुम्हारे लिये कोई अफसोस नहीं करेगा।
कोई व्यक्ति तुम्हारे लिए न दु:खी होगा, न ही रोएगा।
कौन तुम्हारा कुशल क्षेम पूछने तुम्हारे पास आयेगा!
6 यरूशलेम, तुमने मुझे छोड़ा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“तुमने मुझे बार बार त्यागा।
अत: मैं दण्ड दूँगा और तुझे नष्ट करुँगा
मैं तुम पर दया करते हुए थक गया हूँ।
7 मैं अपने सूप से यहूदा के लोगों को फटक दूँगा।
मैं देश के नगर द्वार पर उन्हें बिखेर दूँगा।
मेरे लोग बदले नहीं हैं।
अत: मैं उन्हें नष्ट करूँगा।
मैं उनके बच्चों को ले लूँगा।
8 अनेक स्त्रियाँ अपने पतियों को खो देंगी।
सागर के बालू से भी अधिक वहाँ विधवायें होंगी।
मैं एक विनाशक को दोपहरी में लाऊँगा।
विनाशक यहूदा के युवकों की माताओं पर आक्रमण करेगा।
मैं यहूदा के लोगों को पीड़ा और भय दूँगा।
मैं इसे अतिशीघ्रता से घटित कराऊँगा।
9 शत्रु तलवार से आक्रमण करेगा और लोगों को मारेगा।
वे यहूदा के बचे लोगों को मार डालेंगे।
एक स्त्री के सात पुत्र हो सकते हैं, किन्तु वे सभी मरेंगे।
वह रोती, और रोती रहेगी, जब तक वह दुर्बल नहीं हो जाती
और वह साँस लेने योग्य भी नहीं रहेगी।
वह लज्जा और अनिश्चयता में होगी,
उसके उजले दिन दु:ख से काले होंगे।”
यिर्मयाह फिर परमेश्वर से शिकायत करता है
10 हाय माता, तूने मुझे जन्म क्यों दिया
मैं (यिर्मयाह) वह व्यक्ति हूँ
जो पूरे देश को दोषी कहे और आलोचना करे।
मैंने न कुछ उधार दिया है और न ही लिया है।
किन्तु हर एक व्यक्ति मुझे अभिशाप देता है।
11 यहोवा सच ही, मैंने तेरी ठीक सेवा की है।
विपत्ति के समय में मैंने अपने शत्रुओं के बारे में तुझसे प्रार्थना की।
परमेश्वर यिर्मयाह को उत्तर देता है
12 “यिर्मयाह, तुम जानते हो कि कोई व्यक्ति लोहे के
टुकड़े को चकनाचूर नहीं कर सकता।
मेरा तात्पर्य उस लोहे से है जो उत्तर का है
और कोई व्यक्ति काँसे के टुकड़े को भी चकनाचूर नहीं कर सकता।
13 यहूदा के लोगों के पास सम्पत्ति और खजाने हैं।
मैं उस सम्पत्ति को अन्य लोगों को दूँगा।
उन अन्य लोगों को वह सम्पत्ति खरीदनी नहीं पड़ेगी।
मैं उन्हें वह सम्पत्ति दूँगा।
क्यों क्योंकि यहूदा ने बहुत पाप किये हैं।
यहूदा ने देश के हर एक भाग में पाप किया है।
14 यहूदा के लोगों, मैं तुम्हें तुम्हारे शत्रुओं का दास बनाऊँगा।
तुम उस देश में दास होगे जिसे तुमने कभी जाना नहीं।
मैं बहुत क्रोधित हुआ हूँ। मेरा क्रोध तप्त अग्नि सा है
और तुम जला दिये जाओगे।”
15 हे यहोवा, तू मुझे समझता है।
मुझे याद रख और मेरी देखभाल कर।
लोग मुझे चोट पहुँचाते हैं।
उन लोगों को वह दण्ड दे जिसके वह पात्र हैं।
तू उन लोगों के प्रति सहनशील है।
किन्तु उनके प्रति सहनशील रहते समय मुझे नष्ट न कर दे।
मेरे बारे में सोच।
यहोवा उस पीड़ा को सोच जो मैं तेरे लिये सहता हूँ।
16 तेरा सन्देश मुझे मिला और मैं उसे निगल गया।
तेरे सन्देश ने मुझे बहुत प्रसन्न कर दिया।
मैं प्रसन्न था कि मुझे तेरे नाम से पुकारा जाता है।
तेरा नाम यहोवा सर्वशक्तिमान है।
17 मैं कभी भीड़ में नहीं बैठा क्योंकि उन्होंने हँसी उड़ाई और मजा लिया।
अपने ऊपर तेरे प्रभाव के कारण मैं अकेला बैठा।
तूने मेरे चारों ओर की बुराइयों पर मुझे क्रोध से भर दिया।
18 मैं नहीं समझ पाता कि मैं क्यों अब तक घायल हूँ
मैं नहीं समझ पाता कि मेरा घाव अच्छा क्यों नहीं होता
और भरता क्यों नहीं हे यहोवा,
मैं समझता हूँ कि तू बदल गया है।
तू सोते के उस पानी की तरह है जो सूख गया हो।
तू उस सोते की तरह है जिसका पानी सूख गया हो।
19 तब यहोवा ने कहा, “यिर्मयाह, यदि तुम बदल जाते हो
और मेरे पास आते हो, तो मैं तुम्हें दण्ड नहीं दूँगा।
यदि तुम बदल जाते हो और मेरे पास आते हो तो
तुम मेरी सेवा कर सकते हो।
यदि तुम महत्वपूर्ण बात कहते हो
और उन बेकार बातों को नहीं कहते, तो तुम मेरे लिये कह सकते हो।
यिर्मयाह, यहूदा के लोगों को बदलना चाहिये
और तुम्हारे पास उन्हें आना चाहिये।
किन्तु तुम मत बदलो और उनकी तरह न बनो।
20 मैं तुम्हें शक्तिशाली बनाऊँगा।
वे लोग सोचेंगे कि तुम काँसे की बनी दीवार
जैसे शक्तिशाली हो यहूदा के लोग तुम्हारे विरुद्ध लड़ेंगे,
किन्तु वे तुम्हें हरायेंगे नहीं।
वे तुमको नहीं हरायेंगे।
क्यों क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूँ।
मैं तुम्हारी सहायता करुँगा, तुम्हारा उद्धार करुँगा।”
यह सन्देश यहोवा को है।
21 “मैं तुम्हारा उद्धार उन बुरे लोगों से करूँगा।
वे लोग तुम्हें डराते हैं। किन्तु मैं तुम्हें उन लोगों से बचाऊँगा।”
समीक्षा
परमेश्वर की ओर आपके हृदय और दिमाग की दिशा को बदलिये
यिर्मयाह की पुस्तक पश्चाताप के लिए एक पुकार है जो यिर्मयाह के हृदय से शुरु होती हैः’यह सुनकर यहोवा ने यों कहा, ’यदि तू फिरे, तो मैं फिर से तुझे अपने सामने खड़ा करूँगा। यदि तू अनमोल को कहे और निकम्मे को न कहे, तब तू मेरे मुख के समान होगा...’ (15:19)। पछतावे का अर्थ है अपने हृदय और दिमाग को बदलना और परमेश्वर की ओर फिरना।
यिर्मयाह परमेश्वर का राजदूत था। उसने परमेश्वर के वचन को सुनने पर अपना हृदय और दिमाग लगाया। यह आज के झूठे भविष्यवक्ता से बिल्कुल विपरीत हैः’ये भविष्यद्वक्ता मेरा नाम लेकर झूठी भविष्यवाणी करते हैं, मैं ने उनको न तो भेजा और न कुछ आज्ञा दी और न उनसे कोई भी बात कही। वे तुम लोगों से दर्शन का झूठा दावा करके अपने ही मन से व्यर्थ और धोखे की भविष्यवाणी करते हैं’ (14:14, एम.एस.जी)।
दूसरी ओर, यिर्मयाह का हृदय परमेश्वर की बातें सुनने पर लगा हुआ थाः’यह यिर्मयाह के लिए परमेश्वर का वचन है’ (व.1); ’फिर परमेश्वर ने मुझसे कहा...’ (15:1)। वह जानते थे कि परमेश्वर के वचन को सुनना कितनी अद्भुत बात थीः’ जब तेरे वचन मेरे पास पहुँचे, तब मैं ने उन्हें मानों खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनन्द का कारण हुए’ (व.16)। आखिरकार, यह एकमात्र वस्तु है जो आपके हृदय और दिमाग की गहरी लालसा को तृप्त करेंगे।
संकल्प लीजिए कि हर दिन परमेश्वर के वचन को पढ़ेंगे और अपने हृदय और दिमाग में उन पर मनन करेंगे। जब आप परमेश्वर के वचन को सुन लेते हैं, तब आपको जीवन बदलने वाले संदेश को बिना बदले सुनाना हैः’ वे लोग तेरी ओर फिरेंगे, परन्तु तू उनकी ओर न फिरना’ (व.19, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि जब हम पछतावा करते हैं और हमारे दिमाग को बदलते हैं,
तब हम सुधरते हैं ताकि हम आपकी सेवा करें (व.19)।
होने दीजिए कि आपके वचन मेरे हृदय में और उनके पास आनंद और प्रसन्नता को लाये जिनसे मैं बात करता हूँ।
पिप्पा भी कहते है
कुलुस्सियो 3:12-17
यें वचन बताते हैं कि हम ’सिद्ध एकता’ में आ सकते हैं यदि हम इन चीजों को पहन लें’: करुणा, दयालुता, दीनता, सज्जनता, धीरज और क्षमा करें। और यह सब प्रेम में करें। यह करने योग्य है!

App
Download The Bible with Nicky and Pippa Gumbel app for iOS or Android devices and read along each day.
संदर्भ
सी.एस.लेविस, महिमा का भार (विलियम कॉलिन, 2013)
जॉयस मेयर, एव्रीडे लाईफ बाईबल (फेथवर्डस, 2014) पी.1002
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
जॉयस मेयर, एव्रीडे लाईफ बाईबल ’ हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि ’चोट खाए हुए लोग, लागों को चोट पहुँचाते है।’ जो हमें चोट पहुँचाते है सामान्यत वे अंदर से चोट खाए हुए होते है, और शायद से उनका दर्द इतना ज्यादा होता है कि वे नहीं जानते है कि वे हमें चोट पहुँचा रहे है।’ पी.1002