एक लीडर का जीवन
परिचय
पूर्वी ब्रिटिश मिनिस्टर, डेविड कॅमरून ने कहा, ‘इन कठिन समयों में, हमें लीडरशिप की आवश्यकता है।’ अच्छी लीडरशिप हमेशा महत्वपूर्ण होती है, सभी स्थानों में और जीवन के सभी क्षेत्रों में। लेकिन अच्छी लीडरशिप क्या है?
‘लीडरशिप युक्ति और चरित्र का एक शक्तिशाली मिश्रण है। लेकिन यदि आपको अवश्य ही एक के बिना रहना है, तो युक्ति कि बिना रहें।’ यें शब्द हैं जनरल नॉर्मन स्कवार्जोफ के, 1991 के गल्फ युद्ध में अस्थायी बल के कमांडर। चरित्र सबसे महत्वपूर्ण है। यह चीज है जिससे अंतर पड़ता है।
हम अपने चर्च में उनके बीच में अंतर स्पष्ट करते हैं जो ‘अपने मार्ग में हैं’ और जो लीडरशीप के पद में हैं। चर्च म्युजियम नहीं है जो सिद्ध लोगों को दर्शाता है। वचन के पारंपरिक ज्ञान में यह एक अस्पताल है –अतिथि सत्कार और सुधार कार्य का एक स्थान। यह एक स्थान है जहाँ पर घायल, चोट खाए हुए, टूटे हुए और जखमी लोगों को चंगाई मिलती है। यह पापियों का एक समुदाय है। हम सभी का स्वागत करते हैं, उनकी जीवनशैली चाहे जो हो। हमारे पास एक बड़ा आगे का दरवाजा है। सभी का स्वागत है।
दूसरी ओर, हम लोगों को लीडरशिप पद पर नहीं रखते हैं यदि उनकी जीवनशैली सीधे नये नियम के विपरीत हो। लीडरशीप ना केवल कार्यशील है, लेकिन इसमें यह उत्तरदायित्व भी शामिल है कि दूसरों के लिए एक उदाहरण के रूप में जीये। बाकी मंडली के लिए लीडर्स आदर्श है। निश्चित ही, कोई भी सिद्ध नहीं है। एक उदाहरण बनने के लिए आपको सिद्ध होने की आवश्यकता नहीं है। किंतु, हमें सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हमारे लीडर्स की जीवनशैली और चरित्र नये नियम के साथ रेखा में है।
भजन संहिता 119:57-64
हेथ्
57 हे यहोवा, मैंने तेरे उपदेशों पर
चलना निश्चित किया यह मेरा कर्तव्य है।
58 हे यहोवा, मैं पूरी तरह से तुझ पर निर्भर हूँ,
जैसा वचन तूने दिया मुझ पर दयालु हो।
59 मैंने ध्यान से अपनी राह पर मनन किया
और मैं तेरी वाचा पर चलने को लौट आया।
60 मैंने बिना देर लगाये तेरे
आदेशों पर चलने कि शीघ्रता की।
61 बुरे लोगों के एक दल ने मेरे विषय में बुरी बातें कहीं।
किन्तु यहोवा मैं तेरी शिक्षाओं को भूला नहीं।
62 तेरे सत निर्णयों का तुझे धन्यवाद देने
मैं आधी रात के बीच उठ बैठता हूँ।
63 जो कोई व्यक्ति तेरी उपासना करता मैं उसका मित्र हूँ।
जो कोई व्यक्ति तेरे आदेशों पर चलता है, मैं उसका मित्र हूँ।
64 हे यहोवा, यह धरती तेरी सत्य करूणा से भरी हुई है।
मुझको तू अपने विधान की शिक्षा दे।
समीक्षा
आराधना लीडर्स
जैसा कि जॉन विंम्बर बताते हैं, ‘इन दिनों में सच्ची परीक्षा नये और महान आराधना गीत लिखना और बनाना नहीं होगा। सच्ची परीक्षा होगी इसे सौंपने वालो की भक्तिमयता और चरित्र।’
भजनसंहिता के लेखक एक आराधना लीडर थे जो परमेश्वर के साथ एक नजदीकी संबंध में चलते थेः’यहोवा मेरा भाग है; मैंने तेरे वचनो के अनुसार चलने का निश्चय किया है’ (व.57, एम.एस.जी)।
आराधना लीडर जिसने अपने पूरे दिल से परमेश्वर को खोजने का प्रयास किया है, वह परमेश्वर की स्तुति में मंडली की अगुवाई करने योग्य हैं। भजनसंहिता के लेखक सच में सावधानी बरतते हैं कि परमेश्वर के मार्ग में वह चले, ‘ मैंने अपनी चालचलन को सोचा, और आपकी चितौनियों का मार्ग लिया’ (व.59)।
यहाँ तक कि वास्तविक कठिनाईयों में, परमेश्वर के नियम को मत भूलियेः’ मैं दुष्टों की रस्सियों से बन्ध गया हूँ। तब भी मैं आपकी व्यवस्था को नहीं भूला’ (व.61)।
कभी कभी प्रेरणा मध्यरात्री में मिलती हैः’ आपके सत्यनिष्ठमय नियमों के कारण मैं आधी रात को आपका धन्यवाद करने को उठूँगा’ (व.62, एम.एस.जी)। एक आराधना समुदाय का एक भाग बनना महत्वपूर्ण बात हैः’जितने आपका भय मानते और आपके उपदेशों पर चलते हैं, उनका मैं संगी हूँ’ (व.63, एम.एस.जी)।
यहाँ पर एक आराधना लीडर है जो परमेश्वर के प्रेम को सराहता हैः’ हे यहोवा, आपकी करुणा पृथ्वी में भरी हुई है’ (व.64)। आपके लिए परमेश्वर का प्रेम आपकी आराधना में दिखना चाहिए।
प्रार्थना
परमेश्वर, आज मैं अपने पूरे दिल से आपको खोजने का प्रयास करता हूँ। मेरे प्रति अनुग्रहकारी बने जैसा कि आपने वायदा किया है (व.58)।
1 तीमुथियुस 3:1-16
कलीसिया के निरीक्षक
3यह एक विश्वास करने योग्य कथन है कि यदि कोई निरीक्षक बनना चाहता है तो वह एक अच्छे काम की इच्छा रखता है। 2 अब देखो उसे एक ऐसा जीवन जीना चाहिए जिसकी लोग न्यायसंगत आलोचना न कर पायें। उसके एक ही पत्नी होनी चाहिए। उसे शालीन होना चाहिए, आत्मसंयमी, सुशील तथा अतिथिसत्कार करने वाला एवं शिक्षा देने में निपूण होना चाहिए। 3 वह पियक्कड़ नहीं होना चाहिए, न ही उसे झगड़ालू होना चाहिए। उसे तो सज्जन तथा शांतिप्रिय होना चाहिए। उसे पैसे का प्रेमी नहीं होना चाहिए। 4 अपने परिवार का वह अच्छा प्रबन्धक हो तथा उसके बच्चे उसके नियन्त्रण में रहते हों। उसका पूरा सम्मान करते रहो। 5 यदि कोई अपने परिवार का ही प्रबन्ध करना नहीं जानता तो वह परमेश्वर की कलीसिया का प्रबन्ध कैसे कर पायेगा?
6 वह एक नया शिष्य नहीं होना चाहिए ताकि वह अहंकार से फूल न जाये। और उसे शैतान का जैसा ही दण्ड पाना पड़े। 7 इसके अतिरिक्त बाहर के लोगों में भी उसका अच्छा नाम हो ताकि वह किसी आलोचना में फँस कर शैतान के फंदे में न पड़ जाये।
कलीसिया के सेवक
8 इसी प्रकार कलीसिया के सेवकों को भी सम्मानीय होना चाहिए जिसके शब्दों पर विश्वास किया जाता हो। मदिरा पान में उसकी रूचि नहीं होनी चाहिए। बुरे रास्तों से उन्हें धन कमाने का इच्छुक नहीं होना चाहिए। 9 उन्हें तो पवित्र मन से हमारे विश्वास के गहन सत्यों को थामे रखना चाहिए। 10 इनको भी पहले निरीक्षकों के समान परखा जाना चाहिए। फिर यदि उनके विरोध में कुछ न हो तभी इन्हें कलीसिया के सेवक के रूप में सेवाकार्य करने देना चाहिए।
11 इसी प्रकार स्त्रियों को भी सम्मान के योग्य होना चाहिए। वे निंदक नहीं होनी चाहिए बल्कि शालीन और हर बात में विश्वसनीय होनी चाहिए। 12 कलीसिया के सेवक के केवल एक ही पत्नी होनी चाहिए तथा उसे अपने बाल-बच्चों तथा अपने घरानों का अच्छा प्रबन्धक होना चाहिए। 13 क्योंकि यदि वे कलीसिया के ऐसे सेवक के रूप में होंगे जो उत्तम सेवा प्रदान करते है, तो वे अपने लिये सम्मानपूर्वक स्थान अर्जित करेंगे। यीशु मसीह के प्रति विश्वास में निश्चय ही उनकी आस्था होगी।
हमारे जीवन का रहस्य
14 मैं इस आशा के साथ तुम्हें ये बातें लिख रहा हूँ कि जल्दी ही तुम्हारे पास आऊँगा। 15 यदि मुझे आने में समय लग जाये तो तुम्हें पता रहे कि परमेश्वर के परिवार में, जो सजीव परमेश्वर की कलीसिया है, किसी को अपना व्यवहार कैसा रखना चाहिए। कलीसिया ही सत्य की नींव और आधार स्तम्भ है। 16 हमारे धर्म के सत्य का रहस्य निस्सन्देह महान है:
मसीह नर देह धर प्रकट हुआ,
आत्मा ने उसे नेक साधा,
स्वर्गदूतों ने उसे देखा,
वह राष्ट्रों में प्रचारित हुआ।
जग ने उस पर विश्वास किया,
और उसे महिमा में ऊपर उठाया गया।
समीक्षा
चर्च लीडर्स
वचन में एक तरह से, हर मसीह एक लीडर है। यदि लीडरशिप प्रभाव के विषय में है, तो काम पर, घर में और समुदाय में हम सभी का प्रभाव हैं। लेकिन यह लेखांश निश्चित रूप से चर्च में लीडरशिप के विषय में है।
चर्च एक घर की तरह होना चाहिए। यह ‘परमेश्वर का घराना’ है (व.15)। एक चर्च चलाना, एक बड़ा परिवार चलाने की तरह है। ‘ जब कोई अपने घर ही का प्रबन्ध करना न जानता हो, तो परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली कैसे करेगा?’ (व.5)।
अच्छे लीडस अपने खुद के घर को चलाने में सक्षम होने चाहिए (वव.4,12) (परमेश्वर के घराने के लिए समान ग्रीक शब्द का इस्तेमाल किया गया है - चर्च)। बुद्धि, प्रेम और वफादारी के साथ उन्हें अपने परिवार को मार्गदर्शित करने में और पोषित करने में सक्षम होना चाहिए।
यह बात दिलचस्प है कि एक निरीक्षक बनने के लिए आवश्यक सभी गुण वही हैं जो सभी मसीहों के लिए भक्तिमयता के रूप में बताये गए थे। स्कॉटिश मिनिस्टर, रॉबर्ट मुरे मॅकचिन ने एक बार कहा, ‘मेरे लोगों की सबसे बड़ी जरुरत, मेरी व्यक्तिगत पवित्रता है।’
विशेषताओं की सूची व्यापक है (व.2)। लीडर्स को ‘सुनाम’ होना चाहिए। उन्हें इस तरह से जीवन जीना चाहिए कि कोई भी उन पर ऊँगली न उठा पाये।
यदि वे विवाहित हैं, तो उन्हें विवाह में अपने साथी के प्रति वफादार रहने की आवश्यकता है। वफादारी, ईमानदारी, भरोसा लीडरशिप की पूँजी है और इसकी शुरुवात विवाह में वफादारी के साथ होती है।
उन्हें ‘समझदार’ होना चाहिए (व.2, ए.एम.पी)। एक मसीह बनने का अर्थ सामान्य ज्ञान को छोड़ देना नहीं है। यह इसके विपरीत है। प्रतिदिन निर्णय लेने में भक्तिमय, आत्मा से भरे लीडर्स को प्रार्थनापूर्वक अपने सामान्य ज्ञान का इस्तेमाल करना पड़ता है।
कभी कभी ‘निरीक्षक’ के लिए शब्द का अनुवाद ‘बिशप’ के रूप में किया जाता है। एक बिशप बनने की इच्छा करना गलत बात नहीं है, ‘ यह बात सत्य है कि जो अध्यक्ष होना चाहता है’ (व.1)।
मुझे यह बात दिलचस्प लगती है कि एक बिशप और एक डिकन के बीच में अंतर यह है कि बिशप ‘ नया चेला न हो’ (व.6)। यह बात डिकन पर लागू नहीं होती है। कभी कभी लोग आलोचना करते हैं जब नये चेलों को लीडरशिप के पद पर नियुक्त किया जाता है – जैसे कि अल्फा में छोटे समूह चलाना। हमेशा मेरा उत्तर है कि हम उन्हें बिशप बनने के लिए नहीं कह रहे हैं, केवल अल्फा के छोटे समूह में सेवा करने के लिए कह रहे हैं!
पौलुस इसका कारण बताते हैं कि क्यों एक अध्यक्ष को नया चेला नहीं होना चाहिए, इसलिए कि ‘ ऐसा न हो कि अभिमान करके शैतान का सा दण्ड पाए’ (वव.4-6)। घमंड के कारण शैतान का पतन हुआ। सभी मसीह लीडर्स के लिए एक खतरा है कि वे कही आत्मिक घमंड में न आ जाएँ।
डिकन की परीक्षा निरीक्षक के समान ही होती है। एक डिकन का शाब्दिक अर्थ है ‘एक सेवक’। मूल रूप से उन लोगों को मेज पर परोसने के लिए अलग रखा जाता था (प्रेरितों के काम 6:1-7)। यीशु ने सेवक लीडरशिप का नमूना प्रदान किया (मरकुस 10:35-45)। ऍल्बर्ट आइंस्टाईन् ने एक बार कहा, ‘केवल दूसरों की सेवा में जीया जाने वाला जीवन, जीने के योग्य है।’ यदि सेवा आपके लिए अयोग्य है, तो लीडरशिप आपके लिए परे है।
इन सेवक लीडर्स को मजबूत और परखा गया चरित्रवाला होना चाहिए। ‘वैसे ही सेवकों को भी गम्भीर होना चाहिए, दोरंगी, पियक्कड़ और नीच कमाई के लोभी न हों; पर विश्वास के भेद को शुध्द विवेक से सुरक्षित रखें। और ये भी पहले परखे जाएँ, तब यदि निर्दोष निकलें तो सेवक का काम करें। इसी प्रकार से स्त्रियों को भी गम्भीर होना चाहिए; दोष लगाने वाली न हों, पर सचेत और सब बातों में विश्वासयोग्य हों। सेवक एक ही पत्नी के पति हों और बाल-बच्चों और अपने घरों का अच्छा प्रबन्ध करना जानते हों’ (1तीमुथियुस 3:8-12)।
इन सबसे अधिक, लीडर्स ने भक्तिमय चरित्र वाला होना चाहिए। असल में, सूची में एक गुण जो हमारे चरित्र से सीधे जुड़ी हुई नहीं है, वह है ‘सिखाने में योग्य होना’ (व.2)। चर्च लीडर्स को अच्छे चरित्र वाले मसीह होना चाहिए, जो सिखाने में योग्य हैं।
मार्क ट्वेन, ‘सही करना अद्भुत बात है। सही चीज सिखाना उससे भी अद्भुत बात है – और बहुत सरल है।’ मसीह लीडरशिप का काम है हमारा जीवन और चरित्र हमारी शिक्षा के साथ जोड़ना। यह हम सभी के लिए एक चुनौती है और यीशु की तरह बनने की एक जीवनभर की प्रक्रिया ठहरेगी, जो ‘भक्तिमयता’ के आदर्श हैं (व.16)।
निश्चित ही, किसी को (बिशप या डिकन) लीडरशिप के एक मुख्य पद पर नियुक्त करने से पहले उन्हें ‘जाँचा और परखा जाना चाहिए’ (व.10, ए.एम.पी.)। एक विश्वास जो परखा नहीं गया है, उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। कठिनाईयों, निराशाओं और मुश्किल समय के द्वारा हम परखे जाते हैं। आशावादी रूप से ये हमें वयस्क बनाते हैं, हमारे चरित्र को विकसित करते हैं और हमें लीडरशिप के लिए तैयार करते हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपके आत्मा के द्वारा मेरी सहायता कीजिए कि आपके ऊंचे स्तर में जीऊँ और निष्कलंक रहूँ।
यिर्मयाह 38:1-40:6
यिर्मयाह हौज में फेंक दिया जाता है
38कुछ राजकीय अधिकारियों ने यिर्मयाह द्वारा दिये जा रहे उपदेश को सुनो। वे मत्तान के पुत्र शपन्याह, पशहूर के पुत्र गदल्याह, शेलेम्याह का पुत्र यहूकल, और मल्किय्याह का पुत्र पशहूर थे। यिर्मयाह सभी लोगों को यह सन्देश दे रहा था। 2 “जो यहोवा कहता है, वह यह है: ‘जो कोई भी यरूशलेम में रहेंगे वे सभी तलवार, भूख, भयंकर बीमारी से मरेंगे। किन्तु जो भी बाबुल की सेना को आत्मसमर्पण करेगा, जीवित रहेगा। वे लोग जीवित बचा जाये।’ 3 और यहोवा यही कहता है, ‘यह यरूशलेम नगर बाबुल के राजा की सेना को, निश्चय ही, दिया जाएगा। वह इस नगर पर अधिकार करेगा।’”
4 तब जिन राजकीय अधिकारियों ने यिर्मयाह के उस कथन को सुना जिसे वह लोगों से कह रहा था, वे राजा सिदकिय्याह के पास गए। उन्होंने राजा से कहा, “यिर्मयाह को अवश्य मार डालना चाहिये। वह उन सैनिकों को भी हतोत्साहित कर रहा है जो अब तक नगर में हैं। यिर्मयाह जो कुछ कह रहा है उससे वह हर एक का साहस तोड़ रहा है। यिर्मयाह हम लोगों का भला होता नहीं देखना चाहता। वह यरूशलेम के लोगों को बरबाद करना चाहता है।”
5 अत: राजा सिदकिय्याह ने उन अधिकारियों से कहा, “यिर्मयाह तुम लोगों के हाथ में है। मैं तुम्हें रोकने के लिये कुछ नहीं कर सकता।”
6 अत: उन अधिकारियों ने यिर्मयाह को लिया और उसे मल्किय्याह के हौज में डाल दिया। (मल्किय्याह राजा का पुत्र था।) वह हौज मन्दिर के आँगन में था जहाँ राजा के रक्षक ठहरते थे। उन अधिकारियों ने यिर्मयाह को हौज में उतारने के लिये रस्सी का उपयोग किया। हौज में पानी बिल्कुल नहीं था, उसमें केवल कीचड़ थी और यिर्मयाह कीचड़ में धंस गया।
7 किन्तु एबेदमेलेक नामक एक व्यक्ति ने सुना कि अधिकारियों ने यिर्मयाह को हौज में रखा है। एबेदमेलेक कूश का निवासी थी और वह राजा के महल में खोजा था। राजा सिदकिय्याह बिन्यामीन द्वार पर बैठा था। अत: एबेदमेलेक राजमहल से निकला और राजा से बातें करने उस द्वार पर पहुँचा। 8-9 एबेदमेलेक ने कहा, “मेरे स्वामी राजा उन अधिकारियों ने दुष्टता का काम किया है। उन्होंने यिर्मयाह नबी के साथ दुष्टता की है। उन्होंने उसे हौज में डाल दिया है।” उन्होंने उसे वहाँ मरने को छोड़ दिया है।”
10 तब राजा सिदकिय्याह ने कूशी एबेदमेलेक को आदेश दिया। आदेश यह था: “एबेदमेलेक राजमहल से तुम तीन व्यक्ति अपने साथ लो। जाओ और मरने से पहले यिर्मयाह को हौज से निकालो।”
11 अत: एबेदमेलेक ने अपने साथ व्यक्तियों को लिया। किन्तु पहले वह राजमहल के भंडारगृह के एक कमरे में गया। उसने कुछ पुराने कम्बल और फटे पुराने कपड़े उस कमरे से लिये। तब उसने उन कम्बलों को रस्सी के सहारे हौज में यिर्मयाह के पास पहुँचाया। 12 कूशी एबेदमेलेक ने यिर्मयाह से कहा, “इन पुराने कम्बलों और चिथड़ों को अपनी बगल के नीचे लगाओ। जब हम लोग तुम्हें खींचेंगे तो ये तुम्हारी बाँहों के नीचे गदेले बनेंगे। तब रस्सियाँ तुम्हें चुभेंगी नहीं।” अत: यिर्मयाह ने वही किया जो एबेदमेलेक ने कहा। 13 उन लोगों ने यिर्मयाह को रस्सियों से ऊपर खींचा और हौज के बाहर निकाल लिया और यिर्मयाह मन्दिर के आँगन में रक्षकों के संरक्षण में रहा।
सिदकिय्याह यिर्मयाह से फिर प्रश्न पूछता है।
14 तब राजा सिदकिय्याह ने किसी को यिर्मयाह नबी को लाने के लिये भेजा। उसने यहोवा के मन्दिर के तीसरे द्वार पर यिर्मयाह की मंगवाया। तब राजा ने कहा, “यिर्मयाह, मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूँ। मुझसे कुछ भी न छिपाओ, मुझे सब ईमानदारी से बताओ।”
15 यिर्मयाह ने सिदकिय्याह से कहा, “यदि मैं आपको उत्तर दूँगा तो संभव है आप मुझे मार डालें और यदि मैं आपको सलाह भी दूँ तो आप उसे नहीं मानेंगे।”
16 किन्तु राजा सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से शपथ खाई। सिदकिय्याह ने यह गुप्त रूप से किया। यह वह है जो सिदकिय्याह ने शपथ ली, “यिर्मयाह जैसा कि यहोवा शाश्वत है, जिसने हमें प्राण और जीवन दिया है यिर्मयाह। मैं तुम्हें मारूँगा नहीं और मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं तुम्हें उन अधिकारियों को नहीं दूँगा जो तुम्हें मार डालना चाहते हैं।”
17 तब यिर्मयाह ने राजा सिदकिय्याह से कहा, “यह वह है जिसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा इस्राएल के लोगों का परमेश्वर कहता है, ‘यदि तुम बाबुल के राजा के अधिकारियों को आत्मसमर्पण करोगे तो तुम्हारा जीवन बच जाएगा और यरूशलेम जलाकर राख नहीं किया जाएगा, तुम और तुम्हारा परिवार जीवित रहेगा। 18 किन्तु यदि तुम बाबुल के राजा के अधिकारियों को आत्मसमर्पण करने से इन्कार करोगे तो यरूशलेम बाबुल सेना को दे दिया जाएगा। वे यरूशलेम को जलाकर राख कर देंगे और तुम स्वयं उनसे बचकर नहीं निकल पाओगे।’”
19 तब राजा सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से कहा, “किन्तु मैं यहूदा के उन लोगों से डरता हूँ जो पहले ही बाबुल सेना से जा मिले हैं। मुझे भय है कि सैनिक मुझे यहूदा के उन लोगों को दे देंगे और वे मेरे साथ बुरा व्यवहार करेंगे और चोट पहुँचायेंगे।”
20 किन्तु यिर्मयाह ने उत्तर दिया, “सैनिक तुम्हें यहूदा के उन लोगों को नहीं देंगे। राजा सिदकिय्याह, जो मैं कह रहा हूँ उसे करके, यहोवा की आज्ञा का पालन करो। तब सभी कुछ तुम्हारे भले के लिये होगा और तुम्हारा जीवन बच जाएगा। 21 किन्तु यदि तुम बाबुल की सेना के सामने आत्मसमर्पण करने से इन्कार करते हो तो यहोवा ने मुझे दिखा दिया है कि क्या होगा। यह वह है जो यहोवा ने मुझसे कहा है: 22 वे सभी स्त्रियाँ जो यहूदा के राजमहल में रह गई हैं बाहर लाई जाएंगी। वे बाबुल के राजा के बड़े अधिकारियों के सामने लाई जायेंगी। तुम्हारी स्त्रियाँ एक गीत द्वारा तुम्हारी खिल्ली उड़ाएंगी। जो कुछ स्त्रियाँ कहेंगी वह यह है:
“तुम्हारे अच्छे मित्र तुम्हें गलत राह ले गए
और वे तुमसे अधिक शक्तिशाली थे।
वे ऐसे मित्र थे जिन पर तुम्हारा विश्वास था।
तुम्हारे पाँव कीचड़ में फँसे हैं।
तुम्हारे मित्रों ने तुम्हें छोड़ दिया है।”
23 “तुम्हारी सभी पत्नियाँ और तुम्हारे बच्चे बाहर लाये जाएंगे। वे बाबुल सेना को दे दिये जाएंगे। तुम स्वयं बाबुल की सेना से बचकर नहीं निकल पाओगे। तुम बाबुल के राजा द्वारा पकड़े जाओगे और यरूशलेम जलाकर राख कर दिया जाएगा।”
24 तब सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से कहा, “किसी व्यक्ति से यह मत कहना कि मैं तुमसे बातें करता रहा। यदि तुम कहोगे तो तुम मारे जाओगे। 25 वे अधिकारी पता लगा सकते हैं कि मैंने तुमसे बातें कीं। तब वे तुम्हारे पास आएंगे और तुमसे कहेंगे, ‘यिर्मयाह, यह बताओ कि तुमने राजा सिदकिय्याह से क्या कहा और हमें यह बताओ कि राजा सिदकिय्याह ने तुमसे क्या कहा हम लोगों के प्रति ईमानदार रहो और हमें सब कुछ बता दो, नहीं तो हम तुम्हें मार डालेंगे।’ 26 यदि वे तुमसे ऐसा कहें तो उनसे कहना, ‘मैं राजा से प्रार्थना कर रहा था कि वे मुझे योनातान के घर के नीचे कूप—गृह में वापस न भेजें। यदि मुझे वहाँ वापस जाना पड़ा तो मैं मर जाऊँगा।’”
27 ऐसा हुआ कि राजा के वे राजकीय अधिकारी यिर्मयाह से पूछने उसके पास आ गए। अत: यिर्मयाह ने वह सब कहा जिसे कहने का आदेश राजा ने दिया था। तब उन अधिकारियों ने यिर्मयाह को अकेले छोड़ दिया। किसी व्यक्ति को पता न चला कि यिर्मयाह और राजा ने क्या बातें कीं।
28 इस प्रकार यिर्मयाह रक्षकों के संरक्षण में मन्दिर के आँगन में उस दिन तक रहा जिस दिन यरूशलेम पर अधिकार कर लिया गया।
यरूशलेम का पतन
39यरूशलेम पर जिस तरह अधिकार हुआ वह यह है: यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्यकाल के नवें वर्ष के दसवें महीने में बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने अपनी पूरी सेना के साथ यरूशलेम के विरुद्ध कूच किया। उसने हराने के लिये नगर का घेरा डाला 2 और सिदकिय्याह के ग्यारहवें वर्ष के चौथे महीने के नौवें दिन यरूशलेम की चहारदीवारी टूटी। 3 तब बाबुल के राजा के सभी राजकीय अधिकारी यरूशलेम नगर में घुस आए। वे अन्दर आए और बीच वाले द्वार पर बैठ गए। उन अधिकारियों के नाम ये हैं: समगर जिले का प्रशासक नेर्गलसरेसेर एक बहुत उच्च अधिकारी नेबो—सर्सकीम अन्य उच्च अधिकारी और बहुत से अन्य बड़े अधिकारी भी वहाँ थे।
4 यहूदा के राजा सिदकिय्याह ने बाबुल के उन पदाधिकारियों को देखा, अत: वह और उसके सैनिक वहाँ से भाग गये। उन्होंने रात में यरूशलेम को छोड़ा और राजा के बाग से होकर बाहर निकले। वे उस द्वार से गए जो दो दीवारों के बीच था। तब वे मरुभूमि की ओर बढ़े। 5 किन्तु बाबुल की सेना ने सिदकिय्याह और उसके साथ की सेना का पीछा किया। कसदियों की सेना ने यरीहो के मैदान में सिदकिय्याह को जा पकड़ा उन्होंने सिदकिय्याह को पकड़ा और उसे बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के पास ले गए। नबूकदनेस्सर हमात प्रदेश के शिब्ला नगर में था. उस स्थान पर नबूकदनेस्सर ने सिदकिय्याह के लिये निर्णय सुनाया। 6 वहाँ रिबला नगर में बाबुल के राजा ने सिदकिय्याह के पुत्रों को उसके सामने मार डाला और सिदकिय्याह के सामने ही नबूकदनेस्सर ने यहूदा के सभी राजकीय अधिकारियों को मार डाला। 7 तब नबूकदनेस्सर ने सिदकिय्याह की आँखे निकाल लीं। उसने सिदकिय्याह को काँसे की जंजीर से बाँधा और उसे बाबुल ले गया।
8 बाबुल की सेना ने राजमहल और यरूशलेम के लोगों के घरों में आग लगा दी और उन्होंने यरूशलेम की दीवारें गिरा दीं। 9 नबूजरदान नामक एक व्यक्ति बाबुल के राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक था। उसने उन लोगों को लिया जो यरूशलेम में बच गए थे और उन्हें बन्दी बना लिया। वह उन्हें बाबुल ले गया। नबूजरदान ने यरूशलेम के उन लोगों को भी बन्दी बनाया जो पहले ही उसे आत्मसमर्पण कर चुके थे। उसने यरूशलेम के अन्य सभी लोगों को बन्दी बनाया और उन्हें बाबुल ले गया। 10 किन्तु विशेष रक्षकों के अधिनायक नबूजरदान ने यहूदा के कुछ गरीब लोगों को अपने पीछे छोड़ दिया। वे ऐसे लोग थे जिनके पास कुछ नहीं था। इस प्रकार उस दिन नबूजरदान ने उन यहूदा के गरीब लोगों को अंगूर के बाग और खेत दिये।
11 किन्तु नबूकदनेस्सर ने नबूजरदान को यिर्मयाह के बारे में कुछ आदेश दिये। नबूजरदान, नबूकदनेस्सर के विशेष रक्षकों का अधिनायक था। आदेश ये थे: 12 “यिर्मयाह को ढूँढों और उसकी देख—रेख करो। उसे चोट न पहुँचाओ। उसे वह सब दो, जो वह माँगे।”
13 अत: राजा के विशेष रक्षकों के अधिनायक नबूजरदान बाबुल की सेना का एक मुख्य पदाधिकारी नबूसजबान एक उच्च अधिकारी नेर्गलसरेसेर और बाबुल की सेना के अन्य सभी अधिकारी यिर्मयाह की खोज में भेजे गए। 14 न लोगों ने यिर्मयाह को मन्दिर के आँगन से निकाला जहाँ वह यहूदा के राजा के रक्षकों के संरक्षण में पड़ा था। कसदी सेना के उन अधिकारियों ने यिर्मयाह को गदल्याह के सुपुर्द किया। गदल्याह अहीकाम का पुत्र था। अहीकाम शापान का पुत्र था। गदल्याह को आदेश था कि वह यिर्मयाह को उसके घर वापस ले जाये। अत: यिर्मयाह अपने घर पहुँचा दिया गया और वह अपने लोगों में रहने लगा।
एबेदमेलेक को यहोवा से सन्देश
15 जिस समय यिर्मयाह रक्षकों के संरक्षण में मन्दिर के आँगन में था, उसे यहोवा का एक सन्देश मिला। सन्देश यह था, 16 “यिर्मयाह, जाओ और कूश के एबेदमेलेक को यह सन्देश दो: यह वह सन्देश है, जिसे सर्वशक्तिमान यहोवा इस्राएल के लोगों का परमेश्वर देता है: ‘बहुत शीघ्र ही मैं इस यरूशलेम नगर सम्बन्धी अपने सन्देशों को सत्य घटित करूँगा। मेरा सन्देश विनाश लाकर सत्य होगा। अच्छी बातों को लाकर नहीं। तुम सभी इस सत्य को घटित होता हुआ अपनी आँखों से देखोगे। 17 किन्तु एबेदमेलेक उस दिन मैं तुम्हें बचाऊँगा।’ यह यहोवा का सन्देश है। ‘तुम उन लोगों को नहीं दिये जाओगे जिनसे तुम्हें भय है। 18 एबेदमेलेक मैं तुझे बचाऊँगा। तुम तलवार के घाट नहीं उतारे जाओगे, अपितु बच निकलोगे और जीवित रहोगे। ऐसा होगा, क्योंकि तुमने मुझ पर विश्वास किया है।’” यह सन्देश यहोवा का है।
यिर्मयाह स्वतन्त्र किया जाता है
40रामा नगर में स्वतन्त्र किये जाने के बाद यिर्मयाह को यहोवा का सन्देश मिला। बाबुल के राजा के विशेष रक्षकों के अधिनायक नबूजरदान को यिर्मयाह रामा में मिला। यिर्मयाह जंजीरों में बंधा था। वह यरूशलेम और यहूदा के सभी बन्दियों के साथ था। वे बन्दी बाबुल को बन्धुवाई में ले जाए जा रहे थे। 2 जब अधिनायक नबूजरदान को यिर्मयाह मिला तो उसने उससे बातें कीं। उसने कहा, “यिर्मयाह तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने यह घोषित किया था कि यह विपत्ति इस स्थान पर आएगी 3 और अब यहोवा ने सब कुछ वह कर दिया है जिसे उसने करने को कहा था। यह विपत्ति इसलिये आई कि यहूदा के लोगों, तुमने यहोवा के विरुद्ध पाप किये। तुम लोगों ने यहोवा की आज्ञा नहीं मानी। 4 किन्तु यिर्मयाह, अब मैं तुम्हें स्वतन्त्र करता हूँ। मैं तुम्हारी कलाइयों से जंजीर उतार रहा हूँ। यदि तुम चाहो तो मेरे साथ बाबुल चलो और मैं तुम्हारी अच्छी देखभाल करूँगा। किन्तु यदि तुम मेरे साथ चलना नहीं चाहते तो न चलो। देखो पूरा देश तुम्हारे लिये खुला है। तुम जहाँ चाहो जाओ। 5 अथवा शापान के पुत्र अहीकाम के पुत्र गदल्याह के पास लौट जाओ। बाबुल के राजा ने यहूदा के नगरों का प्रशासक गदल्याह को चुना है। जाओ और गदल्याह के साथ लोगों के बीच रहो या तुम जहाँ चाहो जा सकते हो।”
तब नबूजरदान ने यिर्मयाह को कुछ भोजन और भेंट दिया तथा उसे विदा किया। 6 इस प्रकार यिर्मयाह अहीकाम के पुत्र गदल्याह के पास मिस्पा गया। यिर्मयाह गदल्याह के साथ उन लोगों के बीच रहा जो यहूदा देश में छोड़ दिये गए थे।
समीक्षा
भविष्यवाणी करने वाले लीडर्स
परमेश्वर के प्रति वफादारी और अच्छा चरित्र, समृद्धि और दर्दमुक्त जीवन की गारंटी नहीं देता है। असल में, यिर्मयाह के लिए मामला विपरीत था।
यिर्मयाह एक भविष्यवक्ता थे जिनका जीवन और चरित्र हमारे लिए एक अच्छा उदाहरण है। वह परमेश्वर के प्रति वफादार बने रहे। वह निरंतर परमेश्वर के वचन को सुनते और उसे बताते थे। यह इस तथ्य के बावजूद था कि उन्होंने बड़े कष्ट उठाये थे।
बार-बार उन्हें धमकी दी गई, पीटा गया, कैद किया गया, नीचे की कोठरी में रखा गया और फिर एक गंदी टंकी में फेंक दिया गया कि वहाँ मर जाएँ। फिर भी वह परमेश्वर का संदेश सुनते रहे और निर्भीकता के साथ इसका प्रचार करते रहे।
जबकि लोग उत्तर नहीं दे रहे थे। उन्हें पूरी तरह से गलत समझा गया (38:4)। उन पर आरोप लगाया गया कि वह लोगों का मनोबल तोड़ देते हैं और उन लोगों को नुकसान पहुँचा रहे हैं, जिन्हें वह बचाने की कोशिश कर रहे थे। आपको आश्चर्य नहीं करना चाहिए यदि आपके साथ भी ऐसा बर्ताव होता है।
टंकी में से बचाए जाने के बाद, यिर्मयाह को चौथी बार राजा सिदकिय्याह के सामने लाया गया। सिदकिय्याह रीड की हड्डी वाला व्यक्ति होने के बजाय विशबोन वाला व्यक्ति था। कायरता के कारण सिदकिय्याह ने नियम को नहीं माना (व.19)। वह लोगों से डरते थे – पिंतुस पिलातुस की तरह नहीं जिसने यीशु को परखा।
चार बार परमेश्वर ने सिदकिय्याह से बात की, उसके कामों के परिणामो से उसे बचाने की कोशिश करते हुए। हर बार उसने मानना अस्वीकार कर दिया। अध्याय 39 में, हम परिणामों के बारे में पढ़ते हैं। अंत में यिर्मयाह को बदला मिला (40:1-6)।
प्रार्थना
परमेश्वर, आज हमारे चर्च के लीडर्स को आशीष दीजिए और मजबूत कीजिए। होने दीजिए कि उनकी जीवनशैली और चरित्र हम सभी को उत्साहित करे, अच्छा और फलदायी जीवन जीने के लिए।
पिप्पा भी कहते है
1तीमुथियुस 3:11
‘ इसी प्रकार से स्त्रियों को भी गम्भीर होना चाहिए; दोष लगाने वाली न हों, पर सचेत और सब बातों में विश्वासयोग्य हों।’
यहाँ पर एक चुनौती है!
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संदर्भ
जेम्स चार्लटन, द मिलिटरी कोटेशन बुक (सेंट मार्टिन प्रेमस, 2002) पी.83
जॉन सी मॅक्सवेल, अपने आस-पास लीडर्स को विकसित करनाः कैसे दूसरों की सहायता करे उनके पूर्ण गुणें तक पहाचने में (थॉमस नेल्सन, 2005) पी.62
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
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