चलते हुए बातें करें
परिचय
मुझे चलना अच्छा लगता है। स्पष्ट रूप से, यह सबसे अच्छे शारीरिक व्यायाम में से एक है. अवश्य ही चलना यातायात का एक माध्यम भी है। प्राचीन काल में यह सबसे सामान्य था - और कुछ लोगों के लिए आज भी यह यातायात का एकमात्र माध्यम है।
किसी और के साथ मिलकर चलना ज़्यादा आंनद दायक है, फिर चाहे वह कोई भी कारणवश क्यों न हो। चलना और बात करना अपने परिवार के साथ, दोस्तों और परमेश्वर के साथ संगति करने का एक अच्छा तरीका है।
बात यह है कि हम एक समय में दो काम करते हैं। हम सिर्फ व्यायाम या यात्रा नहीं करते। जब हम साथ मिलकर चलते हैं तो हम एक दूसरे के साथ संगति करते हैं। हनूक और नूह दोनो ‘परमेश्वर के साथ चले’ (उत्पत्ति 5:25; 6:9)। वे परमेश्वर के साथ सिर्फ बैठने, खड़े रहने या घुटने पर आने के समय ही नहीं (वह बातें जिन्हें हम परमेश्वर के साथ संगति रखने से जोड़ते हैं) बल्कि कुछ और करते समय भी परमेश्वर के साथ संगति में थे*।* जब आप कुछ और कर रहे होते हैं – काम, भोजन, व्यायाम या आराम – उस समय पर भी आप परमेश्वर के साथ संगति कर सकते हैं।
व्यक्तिगत रूप से, मैंने भी यह पाया है की यह प्रार्थना करने का सबसे अच्छा तरीका है। पिछले कुछ सालों से यह मेरा नैत्य रहा है। हर दिन बाइबल पढ़ने के बाद, मैं एक स्थानीय पार्क में सैर करने जाता हूँ, जहाँ सुबह के समय एकांत होता है। मैं अपने साथ काग़ज़ और एक पेन लेकर जाता हूँ, वह सब लिखने के लिए जो मुझे पवित्र आत्मा प्रार्थना करते समय बताते हैं। बस स्टॉप तक चलकर जाते समय या दिन में मुलाक़ातों के बीच में आप चलते हुए प्रार्थना कर सकते हैं। चलते हुए बातें करें।
परमेश्वर के साथ चलने के विषय में बाइबल बहुत कुछ कहती है। हमें इसी तरह से रहना चाहिये था। आदम और हव्वा के पाप ने उन्हें छिपने पर मजबूर किया जब उन्होंने, ‘यहोवा परमेश्वर को दिन के ठंडे समय में बाटिका में फिरते हुए सुना ’ (3:8)।
आपके लिए परमेश्वर की इच्छा यह है कि आप उनके साथ एक अच्छे संबंध में नम्रतापूर्वक चलें (मीका 6:8)। यीशु ने इसे संभव बनाया - ‘आप भी वैसा ही चले जैसा यीशु चले थे ’ (1 यूहन्ना 2:6)। आप समय समय पर लड़खड़ा सकते हैं, लेकिन एक दिन आप उनके साथ ‘श्वेत वस्त्र धारण किये हुए’ चलेंगे (प्रकाशितवाक्य 3:4)।**
भजन संहिता 3:1-8
दाऊद का उस समय का गीत जब वह अपने पुत्र अबशालोम से दूर भागा था।
3हे यहोवा, मेरे कितने ही शुत्र
मेरे विरुद्ध खड़े हो गये हैं।
2 कितने ही मेरी चर्चाएं करते हैं, कितने ही मेरे विषय में कह रहे कि परमेश्वर इसकी रक्षा नहीं करेगा।
3 किन्तु यहोवा, तू मेरी ढाल है।
तू ही मेरी महिमा है।
हे यहोवा, तू ही मेरा सिर ऊँचा करता है।
4 मैं यहोवा को ऊँचे स्वर में पुकारुँगा।
वह अपने पवित्र पर्वत से मुझे उत्तर देगा।
5 मैं आराम करने को लेट सकता हूँ। मैं जानता हूँ कि मैं जाग जाऊँगा,
क्योंकि यहोवा मुझको बचाता और मेरी रक्षा करता है।
6 चाहे मैं सैनिकों के बीच घिर जाऊँ
किन्तु उन शत्रुओं से भयभीत नहीं होऊँगा।
7 हे यहोवा, जाग!
मेरे परमेश्वर आ, मेरी रक्षा कर!
तू बहुत शक्तिशाली है।
यदि मेरे दुष्ट शत्रुओं के मुख पर तू प्रहार करे, तो उनके सभी दाँतों को तो उखाड़ डालेगा।
8 यहोवा अपने लोगों की रक्षा कर सकता है।
हे यहोवा, तेरे लोगों पर तेरी आशीष रहे।
समीक्षा
अपना सिर उठाकर चलें
दाऊद परमेश्वर के साथ चला। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सबकुछ बिलकुल ठीक था।
यह भजन दाऊद द्वारा उसके बेटे के विद्रोह के दौरान लिखा गया था जो कि एक तरह से दाऊद के व्यभिचार का परिणाम था (देखें 2 शमूएल 12:11)। फिर भी दाऊद ने जो कुछ किया था उसके लिए उसने पश्च्यताप किया और परमेश्वर ने उसे क्षमा किया और उसके साथ संबंध को पुनर्स्थापित भी किया।
दाऊद का जीवन आसान नहीं था: ‘हे यहोवा मेरे सताने वाले कितने बढ़ गए हैं! वह जो मेरे विरूद्ध उठते हैं बहुत हैं। बहुत से मेरे प्राण के विषय में कहते हैं, कि उसका बचाव परमेश्वर की ओर से नहीं हो सकता।’* (भजन संहिता 3:1 - 2)। लेकिन दाऊद ने परमेश्वर को पुकारा, ‘परन्तु हे यहोवा, तू तो मेरे चारों ओर मेरी ढ़ाल है, तू मेरी महिमा और मेरे मस्तिष्क का ऊंचा करने वाला है…’ (पद - 3)। दाऊद के जैसे अपने डर और निवेदन को परमेश्वर के पास लाइये: ‘मैं ऊंचे शब्द से यहोवा को पुकारता हूँ और वह अपने पवित्र पर्वत पर से मुझे उत्तर देता है।’ (पद - 4)।
उसकी कष्टदायक स्थिति के बावजूद परमेश्वर ने दाऊद के सिर को ऊँचा उठाया। परमेश्वर नहीं चाहते कि आप लगातार अपने पीछे खेद प्रकट करते हुए, अपने चारों तरफ परेशानियाँ और अपने अंदर पाप को देख कर दु:खी हों। बल्कि वह चाहते हैं कि आप अपने सिर को ऊँचा उठाएँ और ऊपर से आने वाली मदद को देखें – अपने सिर को ऊँचा उठाकर चलें और अपनी आँखों को उनपर लगाए रखें।
दाऊद यह कह पाया था कि, ‘मैं लेटकर सो गया ; फिर जाग उठा, क्योंकि यहोवा मुझे संभालता है। मैं उन दस हज़ार मनुष्यों से नहीं डरता, जो मेरे विरूद्ध चारों ओर पांति बान्धे खड़े* हैं ’ (पद – 5-6)। सारी परेशानियों के बावजूद, ऐसा लगता था कि उसके पास गहरी शांति है – एक झील के समान जहाँ सतह पर तेज़ लहरें हो सकती हैं, लेकिन नीचे गहराई में बहुत शांति होती है।**
प्रार्थना
प्रभु, आनेवाले वर्ष के लिए मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप अपने साथ मुझे शांति के मार्ग पर, सिर उठाकर, आने वाले दिन के लिए, मुझे जो भी चाहिये उसके लिए, आपकी आपूर्ति पर भरोसा करते हुए चलने में मदद करेंगे।
मत्ती 2:19-3:17
यीशु को लेकर यूसुफ और मरियम का मिस्र लौटना
19 फिर हेरोदेस की मृत्यु के बाद मिस्र में यूसुफ के सपने में प्रभु का एक स्वर्गदूत प्रकट हुआ 20 और उससे बोला, “उठ, बालक और उसकी माँ को लेकर इस्राएल की धरती पर चला जा क्योंकि वे जो बालक को मार डालना चाहते थे, मर चुके हैं।”
21 तब यूसुफ खड़ा हुआ और बालक तथा उसकी माता को लेकर इस्राएल जा पहुँचा। 22 किन्तु जब यूसुफ ने यह सुना कि यहूदिया पर अपने पिता हेरोदेस के स्थान पर अरखिलाउस राज कर रहा है तो वह वहाँ जाने से डर गया किन्तु सपने में परमेश्वर से आदेश पाकर वह गलील प्रदेश के लिए 23 चल पड़ा और वहाँ नासरत नाम के नगर में घर बना कर रहने लगा ताकि भविष्यवक्ताओं द्वारा कहा गया वचन पूरा हो: वह नासरी कहलायेगा।
बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना का कार्य
3उन्ही दिनों यहूदिया के बियाबान मरुस्थल में उपदेश देता हुआ बपतिस्मा देने वाला यूहन्ना वहाँ आया। 2 वह प्रचार करने लगा, “मन फिराओ! क्योंकि स्वर्ग का राज्य आने को है।” 3 यह यूहन्ना वही है जिसके बारे में भविष्यवक्ता यशायाह ने चर्चा करते हुए कहा था:
“जंगल में एक पुकारने वाले की आवाज है:
‘प्रभु के लिए मार्ग तैयार करो
और उसके लिए राहें सीधी करो।’”
4 यूहन्ना के वस्त्र ऊँट की ऊन के बने थे और वह कमर पर चमड़े की पेटी बाँधे था। टिड्डियाँ और जँगली शहद उसका भोजन था। 5 उस समय यरूशलेम, समूचे यहूदिया क्षेत्र और यर्दन नदी के आसपास के लोग उसके पास आ इकट्ठे हुए। 6 उन्होंने अपने पापों को स्वीकार किया और यर्दन नदी में उन्हें उसके द्वारा बपतिस्मा दिया गया।
7 जब उसने देखा कि बहुत से फ़रीसी और सदूकी उसके पास बपतिस्मा लेने आ रहे हैं तो वह उनसे बोला, “ओ, साँप के बच्चों! तुम्हें किसने चेता दिया है कि तुम प्रभु के भावी क्रोध से बच निकलो? 8 तुम्हें प्रमाण देना होगा कि तुममें वास्तव में मन फिराव हुआ है। 9 और मत सोचो कि अपने आप से यह कहना ही काफी होगा कि ‘हम इब्राहीम की संतान हैं।’ मैं तुमसे कहता हूँ कि परमेश्वर इब्राहीम के लिये इन पत्थरों से भी बच्चे पैदा करा सकता है। 10 पेड़ों की जड़ों पर कुल्हाड़ा रखा जा चुका है। और हर वह पेड़ जो उत्तम फल नहीं देता काट गिराया जायेगा और फिर उसे आग में झोंक दिया जायेगा।
11 “मैं तो तुम्हें तुम्हारे मन फिराव के लिये जल से बपतिस्मा देता हूँ किन्तु वह जो मेरे बाद आने वाला है, मुझ से महान है। मैं तो उसके जूतों के तस्मे खोलने योग्य भी नहीं हूँ। वह तुम्हें पवित्र आत्मा और अग्नि से बपतिस्मा देगा। 12 उसके हाथों में उसका छाज है जिस से वह अनाज को भूसे से अलग करता है। अपने खलिहान से वह साफ किये समस्त अनाज को उठा, इकट्ठा कर, कोठियों में भरेगा और भूसे को ऐसी आग में झोंक देगा जो कभी बुझाए नहीं बुझेगी।”
यीशु का यूहन्ना से बपतिस्मा लेना
13 उस समय यीशु गलील से चल कर यर्दन के किनारे यूहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने आया। 14 किन्तु यूहन्ना ने यीशु को रोकने का यत्न करते हुए कहा, “मुझे तो स्वयं तुझ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है। फिर तू मेरे पास क्यों आया है?”
15 उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “अभी तो इसे इसी प्रकार होने दो। हमें, जो परमेश्वर चाहता है उसे पूरा करने के लिए यही करना उचित है।” फिर उसने वैसा ही होने दिया।
16 और तब यीशु ने बपतिस्मा ले लिया। जैसे ही वह जल से बाहर निकला, आकाश खुल गया। उसने परमेश्वर की आत्मा को एक कबूतर की तरह नीचे उतरते और अपने ऊपर आते देखा। 17 तभी यह आकाशवाणी हुई: “यह मेरा प्रिय पुत्र है। जिससे मैं अति प्रसन्न हूँ।”
समीक्षा
पवित्र आत्मा के अनुसार चलें
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु के लिए मार्ग तैयार किया। यूहन्ना का बपतिस्मा एक प्रतीक था, लेकिन ‘यीशु आपको पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा दे सकते थे ’ (3:11)। फिर इस भविष्यवाणी की पुष्टि नाटकीय रूप से पूरी हुई जब यीशु का बपतिस्मा हो जाने पर पवित्र आत्मा यीशु पर उतरे (पद - 16), यह दर्शाते हुए कि यूहन्ना जिसके बारे में कह रहा था वह यही है और यह कि यीशु उसी पवित्र आत्मा को आप पर और मुझ पर उंढेलने में सामर्थी हैं।
यीशु का बपतिस्मा कई तरह से हमारे बप्तिस्मे से अलग है। ‘मन फिराने के लिए’ उन्हें बपतिस्मा लेने की ज़रूरत नहीं थी, और वह पहले से ही पवित्र आत्मा से भरे हुए थे। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले उन्हें बपतिस्मा देने में हिचकिचा रहे थे (पद - 14)। लेकिन यीशु ने कहा, *‘अब तो ऐसा ही होने दो, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धामिर्कता को पूरा करना उचित है,’ (पद - 15)।
आरंभ से ही यीशु हमारे साथ - पापी मनुष्य के जैसे पहचाने गए। उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि क्रूस पर वह हमारे लिए हमारे पापों को उठा सकें। इसके परिणाम स्वरूप, आप उसी रीति से पवित्र आत्मा का अनुभव कर सकते हैं और ‘आत्मा के अनुसार चल सकते हैं। ’ (गलातियों 5:25)। यहाँ हम कुछ देखते हैं जिसका मतलब है ‘पवित्र आत्मा के अनुसार चलना’:
1. आग में पवित्र हो जाइये
यूहन्ना ने कहा था कि वह तो पानी से बपतिस्मा देता है, लेकिन यीशु ‘पवित्र आत्मा और आग’ से बपतिस्मा देंगे (मत्ती 3:11)। आपके जीवन में सामर्थ और पवित्रता लाने के लिए पवित्र आत्मा, पवित्र करनेवाली आग के समान आएंगे। इस जीवन में पवित्र आत्मा की पवित्र आग को जानने का मतलब है कि जब यीशु वापस आएंगे तो न्याय की अग्नि के डर से आप मुक्त हो पाएंगे (पद - 12)।
2. शांति से भर जाईए
जब यीशु बपतिस्मा लेकर पानी से बाहर आए, तो ‘देखो, उसके लिये आकाश खुल गया; और उस ने परमेश्वर की आत्मा को कबूतर की नाईं उतरते और अपने ऊपर आते देखा।’ (पद - 16). कबूतर शांति का प्रतीक है जो पवित्र आत्मा आपके जीवन में लाते हैं। ‘पवित्र आत्मा का फल है.....शांति’ (गलातियों 5:22)।
3. खुद के अपनाए जाने के बारे में आश्वस्त रहें
आकाशवाणी हुई, “यह मेरा प्रिय पुत्र है” (मत्ती 3:17)। यीशु असाधारण तरीके से परमेश्वर के पुत्र हैं। फिर भी, पवित्र आत्मा हम सबको आश्वस्त करते हैं कि यीशु ने हमारे लिए जो कुछ भी किया है उसके द्वारा हम भी परमेश्वर के पुत्र और पुत्री हैं: तुम्हें लेपालकपन की आत्मा मिली है, जिस से हम ‘हे अब्बा, हे पिता’ कह कर पुकारते हैं। पवित्र आत्मा खुद आपकी आत्मा को गवाही देते हैं कि आप परमेश्वर की संतान हैं (रोमियों 8:15-6 देखें)।
4. जानिये कि परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं
आकाशवाणी हुई, ‘....यह मेरा प्रिय पुत्र है,....’ (मत्ती 3:17)। प्रेरित पौलुस लिखते हैं कि पवित्र आत्मा के द्वारा परमेश्वर का प्रेम आपके दिल में उंडेला जाता है (रोमियों 5:5)।
5. प्रसन्नता महसूस करें
आकाशवाणी हुई, ‘इससे मैं बहुत प्रसन्न हूँ’ (मत्ती 3:17)। फिर से, यह परम सत्य है कि जब आप पवित्र आत्मा के अनुसार चलेंगे, तो आप भी परमेश्वर की खुशी और प्रसन्नता को महसूस कर पाएंगे।
प्रार्थना
प्रभु, मुझे पवित्र करने के लिए, मुझे शांति देने के लिए, यह आश्वासन देने के लिए कि मैं परमेश्वर की संतान हूँ, आपका प्रेम जानने के लिए और आपकी प्रसन्नता महसूस करने के लिए जो आपने अपना पवित्र आत्मा दिया है, उसके लिए धन्यवाद। ‘पवित्र आत्मा के अनुसार चलने में मेरी मदद कीजिये’।
उत्पत्ति 4:17-6:22
17 कैन ने अपनी पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध किया। वह गर्भवती हुई। उसने हनोक नामक बच्चे को जन्म दिया। कैन ने एक शहर बसाया और उसका नाम अपने अपने पुत्र के नाम पर हनोक ही रखा।
18 हनोक से ईराद उत्पन्न हुआ, ईराद से महुयाएल उत्पन्न हुआ, महूयाएल से मतूशाएल उत्पन्न हुआ और मतूशाएल से लेमेक उत्पन्न हुआ।
19 लेमेक ने दो स्त्रियों से विवाह किया। एक पत्नी का नाम आदा और दूसरी का नाम सिल्ला था। 20 आदा ने याबाल को जन्म दिया। याबाल उन लोगों का पिता था जो तम्बूओं में रहते थे तथा पशुओं क पालन करके जीवन निर्वाह करते थे। 21 आदा का दूसरा पुत्र यूबाल भी था। यूबाल, याबाल का भाई था। यूबाल उन लोगों का पिता था जो वीणा और बाँसुरी बजाते थे। 22 सिल्ला ने तूबलकैन को जन्म दिया। तूबलकैन उन लोगों का पिता था जो काँसे और लोहे का काम करते थे। तूबलकैन की बहन का नाम नामा था।
23 लेमेक ने अपनी पत्नियों से कहा:
“ऐ आदा और सिल्ला मेरी बात सुनो।
लेमेक की पत्नियों जो बाते मैं कहता हूँ, सुनो।
एक पुरुष ने मुझे चोट पहुँचाई, मैंने उसे मार डाला।
एक जवान ने मुझे चोट दी, इसलिए मैंने उसे मार डाला।
24 कैन की हत्या का दण्ड बहुत भारी था।
इसलिए मेरी हत्या का दण्ड भी उससे बहुत, बहुत भारी होगा।”
आदम और हव्वा को नया पुत्र हुआ
25 आदम ने हव्वा के साथ फिर शारीरिक सम्बन्ध किया और हव्वा ने एक और बच्चे को जन्म दिया। उन्होंने इस बच्चे का नाम शेत रखा। हव्वा ने कहा, “यहोवा ने मुझे दूसरा पुत्र दिया है। कैन ने हाबिल को मार डाला किन्तु अब शेत मेरे पास है।” 26 शेत का भी एक पुत्र था। इसका नाम एनोश था। उस समय लोग यहोवा पर विश्वास करने लगे।
आदम के परिवार का इतिहास
5यह अध्याय आदम के परिवार के बारे में है। परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया। 2 परमेश्वर ने एक पुरुष और एक स्त्री को बनाया। जिस दिन परमेश्वर ने उन्हें बनाया, आशीष दी एवं उसका नाम “आदम” रखा।
3 जब आदम एक सौ तीस वर्ष का हो गया तब वह एक और बच्चे का पिता हुआ। यह पुत्र ठीक आदम सा दिखाई देता था। आदम ने पुत्र का नाम शेत रखा। 4 शेत के जन्म के बाद आदम आठ सौ वर्ष जीवित रहा। इन दिनों में आदम के अन्य पुत्र और पुत्रियाँ पैदा हुईं। 5 इस तरह आदम पूरे नौ सौ तीस वर्ष तक जीवित रहा, तब वह मरा।
6 जब शेत एक सौ पाँच वर्ष का हो गया तब उसे एनोश नाम का पुत्र पैदा हुआ। 7 एनोश के जन्म के बाद शेत आठ सौ सात वर्ष जीवित रहा। इसी शेत के अन्य पुत्र—पुत्रियाँ पैदा हुईं। 8 इस तरह शेत पूरे नौ सौ बारह वर्ष जीवित रहा, तब वह मरा।
9 एनोश जब नव्वे वर्ष का हुआ, उसे केनान नाम का पुत्र पैदा हुआ। 10 केनान के जन्म के बाद एनोश आठ सौ फन्द्रह वर्ष जीवित रहा। इन दिनों इसके अन्य पुत्र और पुत्रियाँ पैदा हुईं। 11 इस तरह एनोश पूरे नौ सौ पाँच वर्ष जीवित रहा, तब वह मरा।
12 जब केनान सत्तर वर्ष का हुआ, उसे महललेल नाम का पुत्र पैदा हुआ। 13 महललेल के जन्म के बाद केनान आठ सौ चालीस वर्ष जीवित रहा। इन दिनों केनान के दूसरे पुत्र और पुत्रियाँ पैदा हुईं। 14 इस तरह केनान पूरे नौ सौ दस वर्ष जीवित रहा, तब वह मरा।
15 जब महललेल पैंसठ वर्ष का हुआ, उसे येरेद नाम का पुत्र पैदा हुआ। 16 येरेद के जन्म के बाद महललेल आठ सौ तीस वर्ष जीवित रहा। इन दिनों में उसे दूसरे पुत्र और पुत्रियाँ पैदा हुईं। 17 इस तरह महललेल पूरे आठ सौ पंचानवे वर्ष जीवित रहा। तब वह मरा।
18 जब येरेद एक सौ बासठ वर्ष का हुआ तो उसे हनोक नाम का पुत्र पैदा हुआ। 19 हनोक के जन्म के बाद येरेद आठ सौ वर्ष जीवित रहा। इन दिनों में उसे दूसरे पुत्र और पुत्रियाँ पैदा हुईं। 20 इस तरह येरेद पूरे नौ सौ बांसठ वर्ष जीवित रहा, तब वह मरा।
21 जब हनोक पैंसठ वर्ष का हुआ, उसे मतूशेलह नाम का पुत्र पैदा हुआ। 22 मतूशेलह के जन्म के बाद हनोक परमेश्वर के साथ तीन सौ वर्ष रहा। इन दिनों उसके दूसरे पुत्र पुत्रियाँ पैदा हुईं। 23 इस तरह हनोक पूरे तीन सौ पैंसठ वर्ष जीवित रहा। 24 एक दिन हनोक परमेश्वर के साथ चल रहा था और गायब हो गया क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया।
25 जब मतूशेलह एक सौ सत्तासी वर्ष का हुआ, उसे लेमेक नाम का पुत्र पैदा हुआ। 26 लेमेक के जन्म के बाद मतूशेलह सात सौ बयासी वर्ष जीवित रहा। इन दिनों उसे दूसरे पुत्र और पुत्रियाँ पैदा हुईं। 27 इस तरह मतूशेलह पूरे नौ सौ उनहत्तर वर्ष जीवित रहा, तब यह मरा।
28 जब लेमेक एक सौ बयासी वर्ष का हुआ, वह एक पुत्र का पिता बना। 29 लेमेक के पुत्र का नाम नूह रखा। लेमेक ने कहा, “हम किसान लोग बहुत कड़ी मेहनत करते हैं क्यैंकि परमेश्वर ने भूमि को शाप दे दिया है। किन्तु नूह हम लोगों को विश्राम देगा।”
30 नूह के जन्म के बाद, लेमेक पाँच सौ पंचानवे वर्ष जीवित रहा। इन दिनों उसे दूसरे पुत्र और पुत्रियाँ पैदा हुईं। 31 इस तरह लेमेक पूरे सात सौ सतहत्तर वर्ष जीवित रहा, तब वह मरा।
32 जब नूह पाँच सौ वर्ष का हुआ, उसके शेम, हाम, और येपेत नाम के पुत्र हुए।
लोग पापी हो गए
6पृथ्वी पर मनुष्यों की संख्या बढ़ती रही। इन लोगों के लड़कियाँ पैदा हुईं। परमेश्वर के पुत्रों ने देखा कि ये लड़कियाँ सुन्दर हैं। इसलिए परमेश्वर के पुत्रों ने अपनी इच्छा के अनुसार जिससे चाहा उसी से विवाह किया। इन स्त्रियों ने बच्चों को जन्म दिया।
तब यहोवा ने कहा, “मनुष्य शरीर ही है। मैं सदा के लिए इनसे अपनी आत्मा को परेशान नहीं होने दूँगा। मैं उन्हें एक सौ बीस वर्ष का जीवन दूँगा।”
इन दिनों और बाद में भी नेफिलिम लोग उस देश में रहते थे। ये प्रसिद्ध लोग थे। ये लोग प्राचीन काल से बहुत वीर थे।
5 यहोवा ने देखा कि पृथ्वी पर मनुष्य बहुत अधिक पापी हैं। यहोवा ने देखा कि मनुष्य लगातार बुरी बातें ही सोचता है। 6 यहोवा को इस बात का दुःख हुआ, कि मैंने पृथ्वी पर मनुष्यों को क्यों बनाया? यहोवा इस बात से बहुत दुःखी हुआ। 7 इसलिए यहोवा ने कहा, “मैं अपनी बनाई पृथ्वी के सारे लोगों को खत्म कर दूँगा। मैं हर एक व्यक्ति, जानवर और पृथ्वी पर रेंगने वाले हर एक जीवजन्तु को खत्म करूँगा। मैं आकाश के पक्षियों को भी खत्म करुँगा। क्यों? क्योंकि मैं इस बात से दुःखी हूँ कि मैंने इन सभी चीजों को बनाया।”
8 लेकिन पृथ्वी पर यहोवा को खुश करने वाला एक व्यक्ति था—नूह।
नूह और जल प्रलय
9 यह कहानी नूह के परिवार की है। अपने पूरे जीवन में नूह ने सदैव परमेश्वर का अनुसरण किया। 10 नूह के तीन पुत्र थे, शेम, हाम और येपेत।
11-12 परमेश्वर ने पृथ्वी पर दृष्टि की और उसने देखा कि पृथ्वी को लोगों ने बर्बाद कर दिया हैं। हर जगह हिंसा पैली हुई है। लोग पापी और भ्रष्ट हो गए है, और उन्होंने पृथ्वी पर अपना जीवन बर्बाद कर दिया है।
13 इसलिए परमेश्वर ने नूह से कहा, “सारे लोगों ने पृथ्वी को क्रोध और हिंसा से भर दिया है। इसलिए मैं सभी जीवित प्राणियों को नष्ट करूँगा। मैं उनको पृथ्वी से हटाऊँगा। 14 गोपेर की लकड़ी का उपयोग करो और अपने लिए एक जहाज बनाओ। जहाज में कमरे बनाओ और उसे राल से भीतर और बाहर पोत दो।
15 “जो जहाज मैं बनवाना चाहता हूँ उसका नाप तीन सौ हाथ लम्बाई, पचास हाथ चौड़ाई, तीस हाथ ऊँचाई है। 16 जहाज के लिए छत से करीब एक हाथ नीचे एक खिड़की बनाओ जहाज की बगल में एक दरवाजा बनाओ। जहाज में तीन मंजिलें बनाओ। ऊपरी मंजिल, बीच की मंजिल और नीचे की मंजिल।”
17 “तुम्हें जो बता रहा हूँ उसे समझो। मैं पृथ्वी पर बड़ा भारी जल का बाढ़ लाऊँगा। आकाश के नीचे सभी जीवों को मैं नष्ट कर दूँगा। पृथ्वी के सभी जीव मर जायेंगे। 18 किन्तु मैं तुमको बचाऊँगा। तब मैं तुम से एक विशेष वाचा करूँगा। तुम, तुम्हारे पुत्र, तुम्हारी पत्नी, तुम्हारे पुत्रों की पत्नियाँ सभी जहाज़ में सवार होगें। 19 साथ ही साथ पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के जोड़े भी तुम्हें लाने होंगे। हर एक के नर और मादा को जहाज़ में लाओ। अपने साथ उनको जीवित रखो। 20 पृथ्वी की हर तरह की चिड़ियों के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी के हर तरह के जनावरों के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी पर रेंगने वाले हर एक जीव के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी के हर प्रकार के जानवरों के नर और मादा तुम्हारे साथ होंगे। जहाज़ पर उन्हें जीवित रखो। 21 पृथ्वी के सभी प्रकार के भोजन भी जहाज़ पर लाओ। यह भोजन तुम्हारे लिए तथा जानवरों के लिए होगा।”
22 नूह ने यह सब कुछ किया। नूह ने परमेश्वर की सारी आज्ञाओं का पालन किया।
समीक्षा
परमेश्वर के साथ संबंध में चलें
मनुष्य परमेश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना है। परमेश्वर ने हमें उनके साथ संबंध में चलने के लिए बनाया है। ‘जब परमेश्वर ने मनुष्य की सृष्टि की तब अपने ही स्वरूप में उसको बनाया; उसने नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की और उन्हें और सारी मानव जाति को आशीष दी ’ (5:1-2, एम.एस.जी.)।
फिर भी, दु:खद रूप से मानव जाति अपने मार्ग से भटक गई: ‘मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है। और यहोवा पृथ्वी पर मनुष्य को बनाने से पछताया, और वह मन में अति खेदित हुआ और ........ इससे \[परमेश्वर का\] दिल टूट गया’ (6:5-6)।
बुराई हमारी सोच और कल्पना में शुरु होती है – यानि, हमारे दिलों में। यह ‘कूड़ा अंदर आने, और कूड़ा बाहर निकालने’ का मामला है। हमें सिर्फ अपने कार्यों को ही नहीं जाँचना है बल्कि हमारे विचारों, व्यवहारों, इरादों और कल्पनाओं को भी जाँचना है।
भ्रष्टाचार और बुराई के बीच, अलग होना और अलग करना संभव है। हनूक और नूह ऐसे दो उदाहरण हैं जो भीड़ के साथ मिलकर नहीं रहे बल्कि ‘परमेश्वर के साथ चले’।
ऐसा प्रतीत होता है कि मतूशलेह के जन्म के बाद’ (5:22), हनूक ने अपना बाकी का जीवन परमेश्वर के साथ विश्वासयोग्यता से चलने में बिताया। अपने खुद के बच्चों को पैदा होता हुआ देखना बहुत ही सामर्थी, अद्भुत और चमत्कारी बात है। मेरा एक करीबी दोस्त अपने पहले बच्चे के अनुभव के द्वारा मसीही बना।
‘और हनोक परमेश्वर के साथ साथ चलता था; फिर वह लोप हो गया क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया।’ (पद - 24 एम.एस.जी.)।
नूह भी परमेश्वर के साथ चला। उसने प्रभु की दृष्टि में ‘अनुग्रह (कृपा) पाया’ (पद - 8, ए.एम.पी)। उसके आसपास चल रही सारी बुराइयों के बावजूद, ‘नूह अच्छा पुरूष और अपने समय के लोगों में खरा था, और नूह परमेश्वर ही के साथ साथ चलता रहा..’ (6:9 एम.एस.जी.)। नूह ने परमेश्वर पर विश्वास किया और एक नाव बनाई, हालाँकि उस समय बरसात नहीं हो रही थी और पानी का कोई संकेत नहीं था। नूह ने बिलकुल वही किया जो परमेश्वर ने उसे करने के लिए कहा था (पद - 22)।
प्रार्थना
प्रभु मुझे सत्यनिष्ठ और अपने विचारों, शब्दों और कार्यों में निर्दोष बने रहने के लिए और आपके साथ घनिष्ठता में चलने के लिए मेरी मदद कीजिये। आपने मुझे जो करने के लिए कहा है वह सब करने में मेरी मदद कीजिये।
पिप्पा भी कहते है
उत्पत्ति 5:18
आज की तुलना में एक परिवार शुरु करने की औसतन आयु थोड़ी देर से नजर आती है। येरेद को पहली संतान 162 की उम्र में हुई। यह युवा गर्भधारण के बिल्कुल विपरीत है !
स्पष्ट रूप से उसे पितृत्व की तैयारी में काफी लंबा समय लगा। लेकिन उसने एक बहुत अच्छा काम किया क्योंकि उसका बेटा हनूक परमेश्वर के साथ चला (उत्पत्ति 5:22-24)।
आज का वचन

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संदर्भ
नोट्स:
जिन वचनों को (AMP/एएमपी) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (MSG/एमएसजी) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
कॉपीराइट स्पष्टीकरण के लिए संपादकीय नोट:
NIV से लिये गए वचन: 10
MSG से लिये गए वचन: 6
AMP से लिये गए वचन: 1
जब एम्पलीफाइड बाइबल से लिये गए उद्धरण बिक्री-केलिए-नहीं मीडिया, जैसे चर्च बुलेटिन्स, सेवा के ऑर्डर्स, पोस्टर्स, ट्रांस्परेंसीस या ऐसे ही मीडिया के लिए उपयोग किये गए हैं, तो उद्धरण के बाद (AMP/एएमपी) लघुरूप इस्तेमाल किया जा सकता है। वेब पेज पर यह लघुरूप www.Lockman.org लिंक से एक क्लिक द्वारा सक्षम होना चाहिये।
इस वर्ष (2016) में ली गई विषय वस्तु. 2017 के लिए अवलंबित है.
“चैरियेट ऑफ फायर. डाइरे. हग हडसन, 20th सेंच्युरी फॉक्स, 1981. पूरा उद्धरण है: “मुझे विश्वास है कि परमेश्वर ने मुझे एक उद्देश्य के लिए बनाया है. लेकिन उन्होंने मुझे तेज भी बनाया है और जब मैं दौड़ता हूँ, तो मुझे उनकी प्रसन्नता महसूस होती है.” एरिल लिडेल.**