दिन 301

चुनौती देने वाले विरोधाभास

बुद्धि नीतिवचन 26:3-12
नए करार तीतुस 2:1-15
जूना करार हबक्कूक 1:1-3:19

परिचय

मैंने अक्सर सुना है कि कहा जाता है कि ’बाईबल विरोधाभास से भरी हुई है।“ यह निश्चित ही सच है कि वहाँ पर बहुत से विरोधाभास दिखाई देते हैं।

जब चुनौती देने वाले विरोधाभास का सामना करते हैं:

बाईबल के संदेश में दिखने वाले विरोधाभास के साथ मेल में लाने का प्रयास करिए

मेल में लाने के लिए नकली अर्थ मत निकालिए

धीरज रखो –असमाधान प्रश्न के साथ इंतजार करने और जीने के लिए तैयार रहिए

बुद्धि

नीतिवचन 26:3-12

3 घोड़े को चाबुक सधाना पड़ता है।
 और खच्चर को लगाम से। ऐसे ही तुम मूर्ख को डंडे से सधाओ।

4-5 मूर्ख को उत्तर मत दो नहीं तो तुम भी स्वयं मूर्ख से दिखोगे।
 मूर्ख की मूर्खता का तुम उचित उत्तर दो, नहीं तो वह अपनी ही आँखों में बुद्धिमान बन बैठेगा।

6 मूर्ख के हाथों सन्देशा भेजना वैसा ही होता है
 जैसे अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारना, या विपत्तिको बुलाना।

7 बिना समझी युक्ति किसी मूर्ख के मुख पर ऐसी लगती है,
 जैसे किसी लंगड़े की लटकती मरी टाँग।

8 मूर्ख को मान देना वैसा ही होता है
 जैसे कोई गुलेल में पत्थर रखना।

9 मूर्ख के मुख में सूक्ति ऐसे होती है
 जैसे शराबी के हाथ में काँटेदार झाड़ी हो।

10 किसी मूर्ख को या किसी अनजाने व्यक्ति को काम पर लगाना खतरनाक हो सकता है।
 तुम नहीं जानते कि किसे दुःख पहुँचेगा।

11 जैसे कोई कुत्ता कुछ खा करके बीमार हो जाता है
 और उल्टी करके फिर उसको खाता है वैसे ही मूर्ख अपनी मूर्खता बार—बार दोहराता है।

12 वह मनुष्य जो अपने को बुद्धिमान मानता है,
 किन्तु होता नहीं है वह तो किसी मूर्ख से भी बुरा होता है।

समीक्षा

उत्तर देना या उत्तर न देना?

शब्द ’मूर्ख,“ ’मूर्खता“, नीतिवचन की पुस्तक में छियानबें बार आते हैं। नीतिवचन के लेखक के द्वारा सराहे गए बुद्धिमान व्यक्ति का विरूद्धार्थी है मूर्ख।

वह कहते हैं,

  • ’मूर्ख को उसकी मूर्खता के अनुसार उत्तर न देना ऐसा न हो कि तू भी उसके तुल्य ठहरे“ (व.4)।

  • ’मूर्ख को उसकी मूढ़ता के अनुसार उत्तर देना, ऐसा न हो कि वह अपने लेखे में बुध्दिमान ठहरे“ (व.5)।

यह एक स्पष्ट दिखने वाला विरोधाभास नहीं हो सकता है। यदि बाईबल के विभिन्न भागों में दो वचन दिखाई दिये, तो इसे एक स्पष्ट विरोधाभास माना जा सकता है। किंतु, यह तथ्य कि वे ठीक एक के बाद एक दिखाई देते हैं, यह बताता है कि लेखक की नजरों में वहाँ पर कोई असली विरोधाभास नहीं है।

अक्सर आलोचना बहुत सहायक हो सकती है और हम इसमें से सीख सकते हैं। किंतु, कभी कभी आलोचना अज्ञानता (’मूर्ख“ से) आती है। हम कैसे उत्तर देते हैं? यहाँ पर एक चिंता हैः एक तरफ, हम उत्तर नहीं देना चाहते हैं क्योंकि एक तरह से यह आलोचक के स्तर तक गिरना है (मूर्ख, व.4)।

दूसरी ओर, हम उत्तर देना चाहते हैं क्योंकि वरना आलोचक महसूस करेंगे कि वे सही हैं और ’वे अपनी नजरों में बुद्धिमान ठहरेंगे“ (व.5)।

ऐसा हो सकता है कि नीतिवचन के लेखक हास्यजनक बात बताने के लिए विडंबना का इस्तेमाल कर रहे हैं, कि जब मूर्ख से बात करने की बात आती है - चाहे आप जवाब दें या चुप रहे – आप जीत नहीं सकते हैं।

यह सोच अवश्य ही आती है कि मूर्ख कोई दूसरा है मैं नहीं। यदि हम ऐसा सोचते हैं, तो हम ’अपनी नजरों में बुद्धिमान हैं: ’ यदि तू ऐसा मनुष्य देखे जो अपनी दृष्टि में बुध्दिमान बनता हो, तो उससे अधिक आशा मूर्ख ही से है“ (व.12)! इस पूंछ में डंक है। हमें हँसाकर यह दिखाने के द्वारा कि मूर्ख कितने बेवकूफ हो सकते हैं, हमें याद दिलाया गया है कि जब हम सोचते हैं कि हम बुद्धिमान हैं, तो हम मूर्ख से भी बदतर हैं।

प्रार्थना

परमेश्वर, मुझे अपनी नजरों में बुद्धिमान बनने से बचाईये। मुझे बुद्धि दीजिए मेरे सभी निर्णयों में और कैसे मैं अपने आलोचकों को उत्तर देता हूँ।

नए करार

तीतुस 2:1-15

सच्ची शिक्षा का अनुसरण

2किन्त तुम सदा ऐसी बातें बोला करो जो सदशिक्षा के अनुकूल हो। 2 वृद्ध पुरुषों को शिक्षा दो कि वे शालीन और अपने पर नियन्त्रण रखने वाले बनें। वे गंभीर, विवेकी, प्रेम और विश्वास में दृढ़ और धैर्यपूर्वक सहनशील हों।

3 इसी प्रकार वृद्ध महिलाओं को सिखाओ कि वे पवित्र जनों के योग्य उत्तम व्यवहार वाली बनें। निन्दक न बनें तथा बहुत अधिक दाखमधु पान की लत उन्हें न हो। वे अच्छी-अच्छी बातें सिखाने वाली बनें 4 ताकि युवतियों को अपने-अपने बच्चों और पतियों से प्रेम करने की सीख दे सकें। 5 जिससे वे संयमी, पवित्र, अपने-अपने घरों की देखभाल करने वाली, दयालु अपने पतियों की आज्ञा मानने वाली बनें जिससे परमेश्वर के वचन की निन्दा न हो।

6 इसी तरह युवकों को सिखाते रहो कि वे संयमी बनें। 7 तुम अपने आपको हर बात में आदर्श बनाकर दिखाओ। तेरा उपदेश शुद्ध और गम्भीर होना चाहिए। 8 ऐसी सद्वाणी का प्रयोग करो, जिसकी आलोचना न की जा सके ताकि तेरे विरोधी लज्जित हों क्योंकि उनके पास तेरे विरोध में बुरा कहने को कुछ नहीं होगा।

9 दासों को सिखाओ कि वे हर बात में अपने स्वामियों की आज्ञा का पालन करें। उन्हें प्रसन्न करते रहें। उलट कर बात न बोलें। 10 चोरी चालाकी न करें। बल्कि सम्पूर्ण विश्वसनीयता का प्रदर्शन करें। ताकि हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर के उपदेश की हर प्रकार से शोभा बढ़े।

11 क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह सब मनुष्यों के उद्धार के लिए प्रकट हुआ है। 12 इससे हमें सीख मिलती है कि हम परमेश्वर विहीनता को नकारें और सांसारिक इच्छाओं का निषेध करते हुए ऐसा जीवन जीयें जो विवेकपूर्ण नेक, भक्ति से भरपूर और पवित्र हो। आज के इस संसार में 13 आशा के उस धन्य दिन की प्रतीक्षा करते रहें जब हमारे परम परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा प्रकट होगी। 14 उसने हमारे लिये अपने आपको दे डाला। ताकि वह सभी प्रकार की दुष्टताओं से हमें बचा सके और अपने चुने हुए लोगों के रूप में अपने लिये हमें शुद्ध कर ले — हमें, जो उत्तम कर्म करने को लालायित है।

15 इन बातों को पूरे अधिकार के साथ कह और समझाता रह, उत्साहित करता रह और विरोधियों को झिड़कता रह। ताकि कोई तेरी अनसुनी न कर सके।

समीक्षा

ऊबाऊ या आकर्षक?

यदि मसीहत को विश्व के लिए विश्वासयोग्य और आकर्षक होना है, तो मसीहों को प्रमाणिक और आकर्षक जीवन अवश्य ही जीना होगा।

पौलुस तीतुस को लिखते हैं कि हर तरह से ’ सब बातों में हमारे उध्दारकर्ता परमेश्वर के उपदेश की शोभा बढ़ाएं“ (व.10)। वह महिलाओं के विषय में निर्देश देते हैं कि ’ संयमी, पतिव्रता, घर का कारोबार करने वाली, भली और अपने – अपने पति के अधीन रहने वाली हों, ताकि परमेश्वर के वचन की निन्दा न होने पाए“ (व.5)।

इसी तरह से, वह तीतुस को निर्देश देते हैं कि ’ ऐसी खराई पाई जाए कि कोई उसे बुरा न कह सके, जिससे विरोधी हम पर कोई दोष लगाने का अवसर न पाकर लज्जित हो“ (व.8)।

किंतु, जैसे ही हम उनके निर्देशो को पढ़ते हैं, वे उससे बिल्कुल अलग हैं जो हमारी इक्कसवी सदीं की संस्कृति जिसे आकर्षक समझती है। वह ’खरी शिक्षा“ के बारे में बताते हैं (व.1), धीरज रखना (व.2), आत्मसंयम (व.2), विश्वास में पक्का (व.2),आदरणीय (व.3), पियक्कड़ नहीं (व.3), सदगुण और शुद्धता (व.5, एम.एस.जी), अनुशासित जीवन जीना (व.5, एम.एस.जी),’ सब बातों में अपने आप को भले कामों का नमूना बनाना। तेरे उपदेश मे सफाई, गम्भीरता, और ऐसी खराई पाई जाए कि कोई उसे बुरा न कह सके, जिससे विरोधी हम पर कोई दोष लगाने का अवसर न पाकर लज्जित हो“ (वव.7-8), हम अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेरकर इस युग में संयम और खराई और भक्ति से जीवन बिताएँ (व.12)।

यह सब आधुनिक कानों को बहुत ही अनाकर्षित लगता है। फिर भी जब हम वास्तव में किसी को ऐसा जीवन जीते हुए देखते हैं – मदर टेरेसा या पोप फ्रांसिस - यह बहुत आकर्षक है। हमारी संस्कृति पवित्रता के विचार को पसंद नहीं करती है, लेकिन जब लोग पवित्र जीवन देखते हैं तब वे इसके द्वारा प्रभावित होते हैं। सच्ची ’पवित्रता“ है जब आप हर उस व्यक्ति को उससे ज्यादा जीवित कर देते हैं, जितना कि वे थे जब आप उनसे मिले थे।

’शालीनता और बुद्धि,’विश्वास“ और ’प्रेम“ के जीवन के विषय में कुछ बहुत ही सुंदर है (व.2, एम.एस.जी); लोग जो ’भलाई और सदगुण और शुद्धता के आदर्श हैं“ (वव.3,5, एम.एस.जी); अच्छे चरित्र के जीवन कार्य के द्वारा चमकते हुए;’परमेश्वर से भरे, परमेश्वर का सम्मान करने वाले जीवन“ (व.12, एम.एस.जी)।

यीशु ने आपके लिए और मेरे लिए जान दी ’ हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा लिया, और शुध्द करके अपने लिये एक ऐसी जाति बना ली जो भले – भले कामों में सरगर्म हो“ (व.14, एम.एस.जी)।

प्रार्थना

परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि मेरे जीवन और मेरे प्रेम के द्वारा आपके विषय में शिक्षा को आकर्षक बनाऊँ।

जूना करार

हबक्कूक 1:1-3:19

होमबलि के नियम

1हबक्कूक की परमेश्वर से शिकायत यह वह संदेश है जो हबक्कूक नबी को दिया गया था।

2 हे यहोवा, मैं निरंतर तेरी दुहाई देता रहा हूँ। तू मेरी कब सुनेगा मैं इस हिंसा के बारे में तेरे आगे चिल्लाता रहा हूँ किन्तु तूने कछ नहीं किया! 3 लोग लूट लेते हैं और दूसरे लोगों को हानि पहुँचाते हैं। लोग वाद विवाद करते हैं और झगड़ते हैं। हे यहोवा! तू ऐसी भयानक बातें मुझे क्यों दिखा रहा है 4 व्यवस्था असहाय हो चुकी है और लोगों के साथ न्याय नहीं कर पा रही है। दुष्ट लोग सज्जनों के साथ लड़ाईयाँ जीत रहे हैं। सो, व्यवस्था अब निष्पक्ष नहीं रह गयी है!

हबक्कूक को परमेश्वर का उत्तर

5 यहोवा ने उत्तर दिया, “दूसरी जातियों को देख! उन्हें ध्यान से देख, तुझे आश्चर्य होगा। मैं तेरे जीवन काल में ही कुछ ऐसा करूँगा जो तुझे चकित कर देगा। इस पर विश्वास करने के लिये तुझे यह देखना ही होगा। यदि तुझे उसके बारे में बताया जाये तो तू उस पर भरोसा ही नहीं कर पायेगा। 6 मैं बाबुल के लोगों को एक बलशाली जाति बना दूँगा। वे लोग बड़े दुष्ट और शक्तिशाली योद्धा हैं। वे आगे बढ़ते हुए सारी धरती पर फैल जायेंगे। वे उन घरों और उन नगरों पर अधिकार कर लेंगे जो उनके नहीं हैं। 7 बाबुल के लोग दूसरे लोगों को भयभीत करेंगे। बाबुल के लोग जो चाहेंगे, सो करेंगे और जहाँ चाहेंगे, वहाँ जायेंगे। 8 उनके घोड़े चीतों सें भी तेज़ दौड़ने वाले होंगे और सूर्य छिप जाने के बाद के भेड़ियों से भी अधिक खूंखार होंगे। उनके घुड़सवार सैनिक सुदूर स्थानों से आयेंगे। वे अपने शत्रुओं पर वैसे टूट पड़ेंगे जैसे आकाश से कोई भूखा गिद्ध झपट्टा मारता है। 9 वे सभी बस युद्ध के भूखे होंगे। उनकी सेनाएँ मरूस्थल की हवाओं की तरह नाक की सीध में आगे बढ़ेंगी। बाबुल के सैनिक अनगिनत लोगों को बंदी बनाकर ले जायेंगे। उनकी संख्या इतनी बड़ी होगी जितनी रेत के कणों की होती है।

10 “बाबुल के सैनिक दूसरे देशों के राजाओं की हँसी उड़ायेंगे। दूसरे देशों के राजा उनके लिए चुटकुले बन जायेंगे। बाबुल के सैनिक ऊँचे सुदृढ़ परकोटे वाले नगरों पर हँसेंगे। वे सैनिक उन अन्धे परकोटों पर मिट्टी के दमदमे बांध कर उन नगरों को सरलता से हरा देंगे। 11 फिर वे दूसरे स्थानों पर युद्ध के लिये उन स्थानों को छोड़ कर ऐसे ही आगे बढ़ जायेंगे जैसे आंधी आती है और आगे बढ़ जाती है। बाबुल के वे लोग बस अपनी शक्ति को ही पूजेंगे।”

परमेश्वर से हबक्कूक के प्रश्न

12 फिर हबक्कूक ने कहा, “हे यहोवा, तू अमर यहोवा है!
तू मेरा पवित्र परमेश्वर है जो कभी भी नहीं मरता!
हे यहोवा, तूने बाबुल के लोगों को अन्य लोगों को दण्ड देने को रचा है।
हे हमारी चट्टान, तूने उनको यहूदा के लोगों को दण्ड देने के लिये रचा है।
13 तेरी भली आँखें कोई दोष नहीं देखती हैं।
तू पाप करते हुए लोगों के नहीं देख सकता है।
सौ तू उन पापियों की विजय कैसे देख सकता है
तू कैसे देख सकता है कि सज्जन को दुर्जन पराजित करे?”

14 तूने ही लोगों को ऐसे बनाया है जैसे सागर की अनगिनत मछलियाँ
जो सागर के छुद्र जीव हैं बिना किसी मुखिया के।
15 शत्रु काँटे और जाल डाल कर उनको पकड़ लेता है।
अपने जाल में फँसा कर शत्रु उन्हें खींच ले जाता है
और शत्रु अपनी इस पकड़ से बहुत प्रसन्र होता है।
16 यह फंदे और जाल उसके लिये ऐसा जीवन जीने में जो धनवान का होता है
और उत्तम भोजन खाने में उसके सहायक बनते हैं।
इसलिये वह शत्रु अपने ही जाल और फंदों को पूजता है।
वह उन्हें मान देने के लिये बलियाँ देता है और वह उनके लिये धूप जलाता है।
17 क्या वह अपने जाल से इसी तरह मछलियाँ बटोरता रहेगा?
क्या वह (बाबुल की सेना) इसी तरह निर्दय लोगों का नाश करता रहेगा?

2“मैं पहरे की मीनार पर जाकर खड़ा होऊँगा।
मैं वहाँ अपनी जगह लूँगा और रखवाली करूँगा।
मैं यह देखने की प्रतीक्षा करूँगा कि यहोवा मुझसे क्या कहता है।
मैं प्रतीक्षा करूँगा और यह जान लूँगा कि वह मेरे प्रश्नों का क्या उत्तर देता है।”

परमेश्वर द्वारा हबक्कूक की सुनवाई

2 यहोवा ने मुझे उत्तर दिया, “मैं तुझे जो कछ दर्शाता हूँ, तू उसे लिख ले। सूचना शिला पर इसे साफ़—साफ़ लिख दे ताकि लोग आसानी से उसे पढ़ सकें। 3 यह संदेश आगे आने वाले एक विशेष समय के बारे में है। यह संदेश अंत समय के बारे में है और यह सत्य सिद्ध होगा! ऐसा लग सकता है कि वैसा समय तो कभी आयेगा ही नहीं। किन्तु धीरज के साथ उसकी प्रतीक्षा कर। वह समय आयेगा और उसे देर नहीं लगेगी। 4 यह संदेश उन लोगों की सहायता नहीं कर पायेगा जो इस पर कान देने से इन्कार करते हैं। किन्तु सज्जन इस संदेश पर विश्वास करेगा और अपने विश्वास के कारण सज्जन जीवित रहेगा।

5 परमेश्वर ने कहा, “दाखमधु व्यक्ति को भरमा सकती है। इसी प्रकार किसी शक्तिशाली पुरूष को उसका अहंकार मूर्ख बना देता है। उस व्यक्ति को शांति नहीं मिलेगी। मृत्यु के समान कभी उसका पेट नहीं भरता, वह हर समय अधिक से अधिक की इच्छा करता रहता है। मृत्यु के समान ही उसे कभी तृप्ति नहीं मिलेगी। वह दूसरे देशों को हराता रहेगा। वह दूसरे देशों के उन लोगों को अपनी प्रजा बनाता रहेगा। 6 निश्चय ही, ये लोग उसकी हँसी उड़ाते हुये यह कहेंगे, ‘उस पर हाय पड़े जो इतने दिनों तक लूटता रहा है। जो ऐसे उन वस्तुओं को हथियाता रहा है जो उसकी नहीं थी! जो कितने ही लोगों को अपने कर्ज के बोझ तले दबाता रहा है।’

7 “हे पुरूष, तूने लोगों से धन ऐंठा है। एक दिन वे लोग उठ खड़े होंगे और जो कुछ हो रहा है, उन्हें उसका अहसास होगा और फिर वे तेरे विरोध में खड़े हो जायेंगे। तब वे तुझसे उन वस्तुओं को छीन लेंगे। तू बहुत भयभीत हो उठेगा। 8 तूने बहुत से देशों की वस्तुएं लूटी हैं। सो वे लोग तुझसे और अधिक लेंगे। तूने बहुत से लोगों की हत्या की है। तूने खेतों और नगरों का विनाश किया है। तूने वहाँ सभी लोगों को मार डाला है।

9 “हाँ! जो व्यक्ति बुरे कामों के द्वारा धनवान बनता है, उसका यह धनवान बनना, उसके लिये बहुत बुरा होगा। ऐसा व्यक्ति सुरक्षापूर्वक रहने के लिये ऐसे काम करता है। वह सोचा करता है कि वह उसकी वस्तुएं चुराने से दूसरे व्यक्तियों को रोक सकता है। किन्तु बुरी बातें उस पर पड़ेंगी ही। 10 तूने बहुत से लोगों के नाश की योजनाएँ बना रखी हैं। इससे तेरे अपने लोगों की निन्दा होगी और तुझे भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा। 11 तेरे घर की दीवारों के पत्थर तेरे विरोध में चीख—चीख कर बोलेंगे। यहाँ तक कि तेरे अपने ही घऱ की छत की कड़ियाँ यह मनाते लगेंगी कि तू बुरा है।

12 “हाय पड़े उस बुरे अधिकारी पर जो खून बहाकर एक नगर का निर्माण करता है और दुष्टता के आधार पर चहारदीवारी से यक्त एक नगर को सुदृढ़ बनाता है। 13 सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह ठान ली है कि उन लोगों ने जो कुछ बनाया था, उस सब कुछ को एक आग भस्म कर देगी। उनका समूचा श्रम बेकार हो जायेगा। 14 फिर सब कहीं के लोग यहोवा की महिमा को जान जायेंगे और इसका समाचार ऐसे ही फैल जायेगा जैसे समुद्र में पानी फैला हो। 15 उस पर हाय पड़े जो अपने क्रोध में लोगों को उन्हें अपमानित करने के लिये मारता—पीटता है और उन्हें तब तक मारता रहता है जब तक वे लड़खड़ा न जायें।

16 “किन्तु उसे यहोवा के क्रोध का पता चल जायेगा। वह क्रोध विष के एक ऐसे प्याले के समान होगा जिसे यहोवा ने अपने दाहिने हाथ मे लिया हुआ है। उस व्यक्ति को उस क्रोध के विष को चखना होगा और फिर वह किसी धुत्त व्यक्ति के समान धरती पर गिर पड़ेगा।

“ओ दुष्ट शासक, तुझे विष के उसी प्याले में से पीना होगा। तेरी निन्दा होगी। तुझे आदर नहीं मिलेगा। 17 लबानोन में तूने बहुत से लोगों की हत्या की है। तूने वहाँ बहुत से पशु लूटे हैं। सो तू जो लोग मारे गये थे, उनसे भयभीत हो उठेगा और तूने उस देश के प्रति जो बुरी बातें की; उनके कारण तू डर जायेगा। उन नगरों के साथ और उन नगरों में रहने वाले लोगों के साथ जो कुछ तूने किया, उससे तू डर जायेगा।”

मूर्तियों की निरर्थकता का सन्देश

18 उसका यह झूठा देवता, उसकी रक्षा नहीं कर पायेगा क्योंकि वह तो बस एक ऐसी मूर्ति है जिसे किसी मनुष्य ने धातु से मढ़ दिया है। वह मात्र एक मूर्ति है। इसलिये जो व्यक्ति स्वयं उसका निर्माता करता है, उससे सहायता की अपेक्षा नहीं कर सकता। वह मूर्ति तो बोल तक नहीं सकता! 19 धिक्कार है उस व्यक्ति को जो एक कठपुतली से कहता है, “ओ देवता, जाग उठ!” उस व्यक्ति को धिक्कार है जो एक ऐसी पत्थर की मूर्ति से जो बोल तक नहीं पाती, कहता है, “ओ देवता, उठ बैठ!” क्या वह कुछ बोलेगी और उसे राह दिखाएगी वह मूर्ति चाहे सोने से मढ़ा हो, चाहे चाँदी से, किन्तु उसमें प्राण तो है ही नहीं।

20 किन्तु यहोवा इससे भिन्न है! यहोवा अपने पवित्र मन्दिर में रहता है। इसलिये यहोवा के सामने सम्पूर्ण पृथ्वी धरती को चुप रह कर उसके प्रति आदर प्रकट करना चाहिए।

हबक्कूक की प्रार्थना

3हबक्कूक नबी के लिये शिग्योनीत प्रार्थना:

2 हे यहोवा, मैंने तेरे विषय में सुना है।
हे यहोवा, बीते समय में जो शक्तिपूर्ण कार्य तूने किये थे, उनपर मुझको आश्चर्य है।
अब मेरी तुझसे विनती है कि हमारे समय में तू फिर उनसे भी बड़े काम कर।
मेरी तुझसे विनती है कि तू हमारे अपने ही दिनों में उन बातों को प्रकट करेगा
किन्तु जब तू जोश में भर जाये
तब भी तू हम पर दया को दर्शाना याद रख।

3 परमेश्वर तेमान की ओर से आ रहा है।
वह पवित्र परान के पहाड़ से आ रहा है।

आकाश प्रतिबिंबित तेज से भर उठा।
धरती पर उसकी महिमा छा गई है!
4 वह महिमा ऐसी है जैसे कोई उज्जवल ज्योति हो।
उसके हाथ से ज्योति की किरणें फूट रहीं हैं और उसके हाथ में उसकी शक्ति छिपी है।
5 उसके सामने महामारियाँ चलती हैं
और उसके पीछे विध्वंसक नाश चला करता है।
6 यहोवा खड़ा हुआ और उसने धरती को कँपा दिया।
उसने अन्य जातियों के लोगों पर तीखी दृष्टि डाली और वे भय से काँप उठे।
जो पर्वत अनन्त काल से अचल खड़े थे,
वे पर्वत टूट—टूट कर गिरे और चकनाचूर हो गये।
पुराने, अति प्राचीन पहाड़ ढह गये थे।
परमेश्वर सदा से ही ऐसा रहा है!

7 मुझको ऐसा लगा जैसे कुशान के नगर दु:ख में हैं।
मुझको ऐसा दिखा जैसे मिद्यान के भवन डगमगा गये हों।
8 हे यहोवा, क्या तूने नदियों पर कोप किया क्या जलधाराओं पर तुझे क्रोध आया था
क्या समुद्र तेरे क्रोध का पात्र बन गया?
जब तू अपने विजय के घोड़ों पर आ रहा था,
और विजय के रथों पर चढ़ा था, क्या तू क्रोध से भरा था?

9 तूने अपना धनुष ताना
और तीरों ने अपने लक्ष्य को बेध दिया।

जल की धाराएँ धरती को चीरने के लिए फूट पड़ी।
10 पहाड़ों ने तुझे देखा और वे काँप उठे।
जल धरती को फोड़ कर बहने लगा था।
धरती से ऊँचे फव्वारे
गहन गर्जन करते हुए फूट रहे थे।
11 सूर्य और चाँद ने अपना प्रकाश त्याग दिया।
उन्होंने जब तेरी भव्य बिजली की कौंधों को देखा, तो चमकना छोड़ दिया।
वे बिजलियाँ ऐसी थी जैसे भाले हों और जैसे हवा में छुटे हुए तीर हों।
12 क्रोध में तूने धरती को पाँव तले रौंद दिया
और देशों को दण्डित किया।
13 तू ही अपने लोगों को बचाने आया था।
तू ही अपने चुने राजा को विजय की राह दिखाने को आया था।
तूने प्रदेश के हर बुरे परिवार का मुखिया,
साधारण जन से लेकर अति महत्वपूर्ण व्यक्ति तक मार दिया।

14 उन सेनानायकों ने हमारे नगरों पर
तूफान की तरह से आक्रमण किया।
उनकी इच्छा थी कि वे हमारे असहाय लोगों को
जो गलियों के भीतर वैसे डर कर छुपे बैठे हैं
जैसे कोई भिखारी छिपा हुआ है खाना कुचल डाले।
किन्तु तूने उनके सिर को मुगदर की मार से फोड़ दिया।
15 किन्तु तूने सागर को अपने ही घोड़ों से पार किया था
और तूने महान जलनिधि को उलट—पलट कर रख दिया।
16 मैंने ये बातें सुनी और मेरी देह काँप उठी।
जब मैंने महा—नाद सुनी, मेरे होंठ फड़फड़ाने लगे!
मेरी हड्डियाँ दुर्बल हुई, मेरी टाँगे काँपने लगीं।
इसीलिये धैर्य के साथ मैं उस विनाश के दिन की बाट जोहूँगा।
ऐसे उन लोगों पर जो हम पर आक्रमण करते हैं, वह दिन उतर रहा है।

यहोवा में सदा आनन्दित रहो

17 अंजीर के वृक्ष चाहे अंजीर न उपजायें,
अंगूर की बेलों पर चाहे अंगूर न लगें,
वृक्षों के ऊपर चाहे जैतून न मिलें
और चाहे ये खेत अन्न पैदा न करें,
बाड़ों में चाहे एक भी भेड़ न रहे
और पशुशाला पशुधन से खाली हों।
18 किन्तु फिर भी मैं तो यहोवा में मग्न रहूँगा।
मैं अपने रक्षक परमेश्वर में आनन्द लूँगा।
19 यहोवा, जो मेरा स्वामी है, मुझे मेरा बल देता है।
वह मुझको वेग से हिरण सा भागने में सहायता देता है।
वह मुझको सुरक्षा के साथ पहाड़ों के ऊपर ले जाता है।

To the music director. On my stringed instruments.

समीक्षा

विश्वास और संदेह?

क्या संदेह, प्रश्न करना और डर विश्वास के तुल्य हैं? क्या आप विवाह में (या विवाह न होने के कारण) परेशानी का सामना कर रहे हैं, आपके परिवार में, आपकी नौकरी, आपके स्वास्थय, आपके धन या इन सभी में परेशानी का सामना कर रहे हैं? क्या इसके कारण आपको परमेश्वर की उपस्थिति में संदेह होता है? क्या आपको विश्वास करना बंद कर देना चाहिए?

बहुत से लोग विश्वास को निस्संदेह के रूप में समझते हैं। वे सोचते हैं कि विश्वास और संदेह विपरीत हैं। असल में, विश्वास और संदेह एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि 2+2 =4 । किंतु, इसे मानने के लिए विश्वास की आवश्यकता नहीं है। दूसरी ओर, यह विश्वास करना कि कोई आपसे प्रेम करता है यह संदेह के कारक के लिए खुला हुआ है। परमेश्वर में विश्वास करना एक व्यक्ति से प्रेम करने के समान है। यहाँ पर हमेशा संदेह की संभावना है। संदेह के बिना, विश्वास, विश्वास नहीं रहेगा।

इसी तरह से, विश्वास के संदर्भ में परमेश्वर से प्रश्न पूछना गलत है। हबक्कूक की पुस्तक की शुरुवात होती है ऐसे एक व्यक्ति से जो विश्वास करता है, फिर भी प्रश्न पूछता है। इसका अंत विश्वास के एक बड़े भाव से होता है, मुश्किल से ही पुराने नियम में कोई इसके बराबर है।

हबक्कूक ने विश्व को देखा और चकरा गया और घबरा गया। उन्होंने देखा ’हिंसा“ (1ः2), ’अन्याय“ (व.3अ),’विनाश“ (व.3क),’लड़ाई“ और ’संघर्ष“ (व.3ड)। फिर भी उन्हें परमेश्वर कुछ नहीं करते हुए दिखाई दिए (वव.2-4)। उन्होंने दर्द और कष्ट को देखा और पूछा,’ हे यहोवा, मैं कब तक ...? क्यों..?“ (वव.2-3)।

वह परेशानी को परमेश्वर के पास ले गए और यथार्थरूप से हृदयस्पर्शी प्रश्न पूछा। परमेश्वर ने जवाब दिया कि वह कुछ अद्भुत करने वाले हैं, लेकिन वह नहीं जो हबक्कूक ने आशा की थी (व.5)। वह बेबीलोन के लोगों को उठा रहे थे (व.6)। परिणामस्वरूप, इस्राएल पराजित हुआ और निर्वासन में गया।

हबक्कूक चकरा गए। निश्चित ही परमेश्वर इतिहास को नियंत्रित करते थे और सर्वसामर्थी थे (व.12)? कैसे एक शुद्ध परमेश्वर भक्तिमय देश को दंड देने के लिए क्रूर और मूर्तिपूजक बेबीलोन वासी का इस्तेमाल कर सके? ’ हे यहोवा, तू ने उनको न्याय करने के लिये ठहराया है; हे चट्टान, तू ने उलाहना देने के लिये उनको बैठाया है ... तेरी आँखें ऐसी शुध्द हैं कि तू बुराई को देख ही नहीं सकता, और उत्पात को देखकर चुप नहीं रह सकता“ (वव.12-13, एम.एस.जी)। हबक्कूक को सीधा उत्तर नहीं मिला। किंतु, वह अपनी उलझी हुई शिकायतों और परेशानियों को परमेश्वर के पास ले गए और उसे वहाँ छोड़कर इंतजार करने लगे (2ः1)।

परमेश्वर ने उनसे कहा कि पहले दर्शन को लिख लो (व.2)। जब आपको लगता है कि परमेश्वर आपसे बात कर रहे है और आपको एक दर्शन दे रहे हैं, तो अच्छा होगा कि आप इसे लिख लें ताकि आप इसे दोबारा देख सकें और इसे पकड़े रहें। दूसरा, परमेश्वर ने उनसे कहा कि शायद उन्हें उत्तर का इंतजार करना पड़ेगाः’ तब भी उसकी वाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्चय पूरी होगी और उसमें देर न होगी“ (व.3)।

परमेश्वर चाहते हैं कि आप अपने संदेहों और प्रश्नों को उनके पास लाये। शायद से आपके सभी प्रश्नों का उत्तर आपको तुरंत न मिले। जब आप उत्तर का इंतजार करते हैं तब परमेश्वर में भरोसा रखिए, यहाँ तक कि जब आप पूरी तरह से समझ नहीं पाते हैं कि वह क्या कर रहे हैं।

विश्वास करना है उस बात को मानना जो परमेश्वर ने कहा है, उन कठिनाईयों के बावजूद जिनका आप सामना करते हैं:’सत्यनिष्ठ विश्वास से जीवित रहेगा“ (व.4)। हबक्कूक ने दर्शन देखा कि अभक्तिमय बेबीलोन वासियों पर दंड आने वाला था। उन्होंने यह भी देखा कि एक दिन, दुष्टता नष्ट होंगी और ’ पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसे समुद्र जल से भर जाता है“ (व.14)। उन्होंने बुराई पर अच्छाई की विजय को देखा।

उस समय तक, उन्होंने मन बनाया कि परमेश्वर के समीप बने रहेंगे, चाहे जो भी हो जाए।

उन्होंने अपने आपको प्रशंसा के लिए सौंपा नाकि शिकायत के लिए। उन्होंने मन बनाया कि दूरदृष्टि रखेंगे और धीरज रखेंगे। उन्होंने मन बनाया कि चाहे जो भी परिस्थिति हो, वह आनंद मनायेंगे। उन्होंने अपने आपको विश्वास के लिए कटिबद्ध किया, यहाँ तक कि जब वहाँ पर कोई फल नहीं था (व.3ः17-19)।

परमेश्वर फसल के विषय में उतना नहीं जितना कि आपके हृदय के विषय में चिंता करते हैं। यहाँ तक कि यदि आपको कुछ न मिले, तब भी आप परमेश्वर के साथ अपने संबंध के लिए आनंद मना सकते हैं। हबक्कूक कहते हैं’ मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूँगा, और अपने उध्दारकर्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूँगा“ (व.18)। परमेश्वर ने उनके पैरो को दृढ और हृदय को आनंदित कियाः’ यहोवा परमेश्वर मेरा बलमूल हैं, वह मेरे पाँव हरिणों के समान बना देते हैं, वह मुझ को मेरे उँचे स्थानों पर चलाते हैं“ (व.19)।

जैसा कि जॉयस मेयर लिखती हैं,’हमें अपनी कठिनाईयों को हमारी सहायता करने देनी चाहिए कि ’हिरन जैसे पैर“ विकसित हो। जब हमारे पास हिरन जैसे पैर हो, तब हम अपनी परेशानियों के सामने डरकर स्थिर खड़े नहीं रहेंगे। इसके बजाय, हम चलेंगे और उन्नति करेंगे हमारी परेशानी, कष्ट, उत्तरदायित्व, या जो कुछ हमें पीछे रखने की कोशिश कर रहा है, उसके द्वारा।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि आप चाहते हैं कि मैं आपके साथ ईमानदार रहूं और आपके सामने अपने संदेहो और प्रश्नों को व्यक्त करुँ। मेरी सहायता कीजिए कि पूरी तरह से आप में भरोसा करुँ, जैसे ही मैं इन प्रश्नों को आपके पास लाता हूँ, और आपमें आनंद मनाता हूँ जब मुझे एक उत्तर नहीं मिलता है।

पिप्पा भी कहते है

हबक्कूक 3:17-18

’ चाहे अंजीर के पेड़ो में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के पेड़ से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियाँ न रहें, और न थानों में गाय बैल हों, तब भी मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूँगा, और अपने उध्दारकर्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूँगा।“

मुझे याद है एन्ड्र्यू व्हाईट (बगदाद के पादरी) इस लेखांश को बता रहे थे, शहर और उनके चर्च पर बम गिरा दिए जाने के बाद। उनका विश्वास और इराक में काम उत्साहजनक है। मैं उन मसीहों के द्वारा बहुत चुनौती महसूस करती हूँ जो इराक और सीरिया जैसे स्थानों में रहते हैं, जो दाएश की भयानक धमकी के बावजूद बने हुए हैं। मेरे लिए आनंद मनाना आसान है, लेकिन बहुत नम्र बात है कि वे कर सकते हैं।

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संदर्भ

जॉयस मेयर, द एव्रीडे लाईफ बाईबल, (फेथवर्डस, 2013) पी1434

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट ऊ 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट ऊ 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट ऊ 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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