दिन 305

आजादी का आश्चर्यजनक रहस्य

बुद्धि नीतिवचन 26:13-22
नए करार इब्रानियों 2:1-18
जूना करार ओबद्याह 1:21-21

परिचय

मेरी मेज पर एक वायलिन का स्ट्रिंग (तार) है, जिस पर रबिन्द्रनाथ टैगोर लिखा है. इसे किसी भी दिशा में घुमाया जा सकता है. यदि मैं एक छोर को घुमाता हूँ, तो यह प्रतिक्रिया करता है; यह आजाद है. लेकिन यह बजने के लिए आजाद नहीं है. इसलिए मैं इसे लेकर अपने वायलिन पर रखता हूँ. मैं इसे वायलिन पर लगाता हूँ, और जब यह इस पर लगा रहता है, तो यह कुछ देर तक बजने के लिए आजाद रहता है.'

सच्ची आजादी तब मिलती है जब हम खुद को यीशु पर टिकाते हैं और अपनी नजरों को उन पर लगाए रखते हैं. जैसे वायलिन के स्ट्रिंग (तार) तब जीवित होते हैं जब वे वायलिन से लगे रहते हैं, उसी तरह से हम भी मसीह में जी उठे हैं. यीशु एक महान मुक्तिदाता हैं. वह हमें आजाद करते हैं.

मसीही के केन्द्र में यीशु के साथ संबंध शामिल है. यीशु आपके लिए मरे. वह जी उठे थे और वह आज भी जीवित हैं. आप उन्हें शारीरिक रूप से नहीं देख सकते, लेकिन आप उन्हें विश्वास की आँखों से देख सकते हैं.

आज के लेखांश में, इब्रानीयों पुस्तक का लेखक कहता है कि, 'हम यीशु को देखते हैं' (इब्रानियों 2:9). बाद में वह लिखता है कि, 'विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें;' (12:2). वह हमारे विश्वास के कर्ता और हमारे उद्धारकर्ता दोनों हैं (2:10), पहले इसका उल्लेख महान उद्धारकर्ता के रूप में किया गया है (व.3).

इस उद्धार में क्या शामिल है? हमें किससे आजादी मिली है?

बुद्धि

नीतिवचन 26:13-22

13 आलसी करता रहता है,
 काम नहीं करने के बहाने कभी वह कहता है सड़क पर सिंह है।

14 जैसे अपनी चूल पर चलता रहता किवाड़।
 वैसे ही आलसी बिस्तर पर अपने ही करवटें बदलता है।

15 आलसी अपना हाथ थाली में डालता है किन्तु उसका आलस,
 उसके अपने ही मुँह तक उसे भोजन नहीं लाने देता।

16 आलसी मनुष्य, निज को मानता महाबुद्धिमान!
 सातों ज्ञानी पुरुषों से भी बुद्धिमान।

17 ऐसे पथिक जो दूसरों के झगड़े में टाँग अड़ाता है
 जैसे कुत्ते पर काबू पाने के लिये कोई उसके कान पकड़े।

18-19 उस उन्मादी सा जो मशाल उछालता है या मनुष्य जो घातक तीर फेकता है वैसे ही
 वह भी होता है जो अपने पड़ोसी छलता है और कहता है—मैं तो बस यूँ ही मजाक कर रहा था।

20 जैसे इन्धन बिना आग बुझ जाती है वैसे ही
 कानाफूसी बिना झगड़े मिट जाते हैं।

21 कोयला अंगारों को और आग की लपट को लकड़ी जैसे भड़काती है,
 वैसे ही झगड़ीलू झगड़ों को भड़काता।

22 जन प्रवाद भोजन से स्वादिष्ट लगते हैं।
 वे मनुष्य के भीतर उतरते चले जाते हैं।

समीक्षा

डर से आजादी

मसीही के रूप में हमें निडर होना चाहिये. हमें कभी भी शत्रु के डर से खुद को धीमा नहीं करने देना चाहिये.

नीतिवचन के लेखक कहते हैं, 'एक आलसी कहता है कि, मार्ग में सिंह है, चौक में सिंह है!' (व.13). हरएक मसीही सेविकाई को 'डर के सिंह' का सामना करना पड़ता है. डर से हार मत मानिये, जो आलस और निष्क्रियता की ओर ले जाता है (वव.14-15). यीशु हमें आजाद करते हैं ताकि हम विरोधी का डर न मानते हुए आगे बढ़ें.

आजादी, उदासीनता का विलोम है. लेखक हमें एक तरह से आलसीपन के बारे में चेतावनी देता है. वह हमें चेतावनी देता है कि हमें दूसरों के साथ विवाद में शामिल नहीं होना चाहिये (व.17). वह हमें ठट्ठा करने के विरोध में भी चिताता है जिसमें झूठ शामिल होता है (व.19).

झगड़े को बंद करने का सबसे अच्छा तरीका है बुराई करना बंद करें. जैसे लकड़ी न होने से आग बुझती है, उसी प्रकार जहां कानाफूसी करने वाला नहीं वहां झगड़ा मिट जाता है (व.20). लेकिन कानाफूसी पर ध्यान देना उतना ही बुरा है जितना कि कानाफूसी करना या पीठ पीछे बुराई करना – जिस तरह से चोरी की चीजों को स्वीकारना उतना ही बुरा है जितना की चोरी करना.

यहाँ बुद्धिमानी है कि झगड़े को कैसे शांत किया जाए: आग में कभी घी मत डालिये बल्कि मेल-मिलाप करने वाले बनिये.

प्रार्थना

प्रभु, आपको धन्यवाद कि यीशु के द्वारा मैं अपने डर से आजादी पा सकता हूँ. विरोध की स्थिति में मुझे निडर बनने में मदद कीजिये और डर को मुझे कभी भी धीमा बनाने मत दीजिये.

नए करार

इब्रानियों 2:1-18

सावधान रहने को चेतावनी

2इसलिए हमें और अधिक सावधानी के साथ, जो कुछ हमने सुना है, उस पर ध्यान देना चाहिए ताकि हम भटकने न पायें। 2 क्योंकि यदि स्वर्गदूतों द्वारा दिया गया संदेश प्रभावशाली था तथा उसके प्रत्येक उल्लंघन और अवज्ञा के लिए उचित दण्ड दिया गया तो यदि हम ऐसे महान् उद्धार की उपेक्षा कर देते हैं, 3 तो हम कैसे बच पायेंगे। इस उद्धार की पहली घोषणा प्रभु के द्वारा की गयी थी। और फिर जिन्होंने इसे सुना था, उन्होंने हमारे लिये इसकी पुष्टि की। 4 परमेश्वर ने भी चिन्हों, आश्चर्यो तथा तरह-तरह के चमत्कारपूर्ण कर्मों तथा पवित्र आत्मा के उन उपहारों द्वारा, जो उसकी इच्छा के अनुसार बाँटे गये थे, इसे प्रमाणित किया।

उद्धारकर्ता मसीह का मानव देह धारण

5 उस भावी संसार को, जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं, उसने स्वर्गदूतों के अधीन नहीं किया 6 बल्कि शास्त्र में किसी स्थान पर किसी ने यह साक्षी दी है:

“मनुष्य क्या है,
जो तू उसकी सुध लेता है?
मानव पुत्र का क्या है
जिसके लिए तू चिंतित है?
7 तूने स्वर्गदूतों से उसे थोड़े से समय को किंचित कम किया।
उसके सिर पर महिमा और आदर का राजमुकुट रख दिया।
8 और उसके चरणों तले उसकी अधीनता मे सभी कुछ रख दिया।”

सब कुछ को उसके अधीन रखते हुए परमेश्वर ने कुछ भी ऐसा नहीं छोड़ा जो उसके अधीन न हो। फिर भी आजकल हम प्रत्येक वस्तु को उसके अधीन नहीं देख रहे हैं। 9 किन्तु हम यह देखते हैं कि वह यीशु जिसको थोड़े समय के लिए स्वर्गदूतों से नीचे कर दिया गया था, अब उसे महिमा और आदर का मुकुट पहनाया गया है क्योंकि उसने मृत्यु की यातना झेली थी। जिससे परमेश्वर के अनुग्रह के कारण वह प्रत्येक के लिए मृत्यु का अनुभव करे।

10 अनेक पुत्रों को महिमा प्रदान करते हुए उस परमेश्वर के लिए जिसके द्वारा और जिसके लिए सब का अस्तित्व बना हुआ है, उसे यह शोभा देता है कि वह उनके छुटकारे के विधाता को यातनाओं के द्वारा सम्पूर्ण सिद्ध करे।

11 वे दोनों ही-वह जो मनुष्यों को पवित्र बनाता है तथा वे जो पवित्र बनाए जाते हैं, एक ही परिवार के हैं। इसलिए यीशु उन्हें भाई कहने में लज्जा नहीं करता। 12 उसने कहा:

“मैं सभा के बीच अपने बन्धुओं
में तेरे नाम का उदघोष करूँगा।
सबके सामने मैं तेरे प्रशंसा गीत गाऊँगा।”

13 और फिर,

“मैं उसका विश्वास करूँगा।”

और फिर वह कहता है:

“मैं यहाँ हूँ, और वे संतान जो मेरे साथ हैं। जिनको मुझे परमेश्वर ने दिया है।”

14 क्योंकि संतान माँस और लहू युक्त थी इसलिए वह भी उनकी इस मनुष्यता में सहभागी हो गया ताकि अपनी मृत्यु के द्वारा वह उसे अर्थात् शैतान को नष्ट कर सके जिसके पास मारने की शक्ति है। 15 और उन व्यक्तियों को मुक्त कर ले जिनका समूचा जीवन मृत्यु के प्रति अपने भय के कारण दासता में बीता है। 16 क्योंकि यह निश्चित है कि वह स्वर्गदूतों की नहीं बल्कि इब्राहीम के वंशजों की सहायता करता है। 17 इसलिए उसे हर प्रकार से उसके भाईयों के जैसा बनाया गया ताकि वह परमेश्वर की सेवा में दयालु और विश्वसनीय महायाजक बन सके। और लोगों को उनके पापों की क्षमा दिलाने के लिए बलि दे सके। 18 क्योंकि उसने स्वयं उस समय, जब उसकी परीक्षा ली जा रही थी, यातनाएँ भोगी हैं। इसलिए जिनकी परीक्षा ली जा रही है, वह उनकी सहायता करने में समर्थ है।

समीक्षा

पाप और मृत्य से आजादी

इब्रानियों की पुस्तक हमें बहक कर दूर चले जाने के विरोध में चेतावनी देती है (व.1). ज्यादातर लोग मसीही बने रहने से अचानक मना नहीं करते, बल्कि हम बहक कर दूर जा सकते हैं. इब्रानियों की पुस्तक का लेखक इसमें खुद को भी शामिल करता है: ' इस कारण चाहिए, कि हम उन बातों पर जो हम ने सुनी हैं और भी मन लगाएं, ऐसा न हो कि बहक कर उन से दूर चले जाएं। क्योंकि जो वचन स्वर्गदूतों के द्वारा कहा गया था जब वह स्थिर रहा और हर एक अपराध और आज्ञा न मानने का ठीक ठीक बदला मिला। तो हम लोग ऐसे बड़े उद्धार से निश्चिन्त रह कर क्योंकर बच सकते हैं? ' (वव.1-3अ).

इब्रानियों की पुस्तक के पहले अध्याय में, लेखक यीशु की दिव्यता को स्थापित करते हैं. इस अध्याय में, वह उनकी इंसानियत को स्थापित करते हैं: ' इस कारण उस को चाहिए था, कि सब बातों में अपने भाइयों के समान बने;' (व.17).

यीशु हमारे जैसे बने, इसमें:

  • वह स्वर्गदूतों से कुछ ही कम किये गये थे (व.9).

  • सब एक ही मूल से हैं (व.11).

  • इसी कारण वह उन्हें भाई कहने से नहीं लजाता (व.11).

  • वह आप भी उन के समान उन का सहभागी हो गया (व.14).

  • वह सब बातों में अपने भाइयों के समान बने (व.17).

  • उस ने परीक्षा की दिशा में दुख उठाया (व.18).

लेकिन वह आगे लिखता है, हालाँकि यीशु की हर तरह से परीक्षा हुई जैसे कि हमारी होती है, पर वह 'निर्दोष बने रहे.' शैतान को आप पर दोष लगाने मत दीजिये सिर्फ इसलिए कि आप लालसाओं में पड़ गए थे. सच्चाई यह है कि स्वयं यीशु परीक्षा में पड़े थे, इसका अर्थ है कि जब आप परीक्षा (या लालसाओं) में पड़ें तो वह आपकी मदद करने के लिए सक्षम हैं.

वह हमारी तरह थे, लेकिन पाप के संबंध में वह हमसे अलग थे. यह जानकर कितना प्रोत्साहन मिलता है कि यीशु ने भी मनुष्य के सभी अनुभवों और भावनाओं को महसूस किया – वह आपको समझते हैं और आपके साथ उनकी हमदर्दी है. फिर भी यह महत्वपूर्ण है कि वह निर्दोष थे. हमें सिर्फ ऐसे दोस्त की जरूरत नहीं है जो हमें सांत्वना दे, बल्कि हमें उद्धारकार्ता की जरूरत है.

यीशु संपूर्ण दैवीय और संपूर्ण मनुष्य दोनों ही थे. इसी वजह से वह मृत्यु और पुनरूत्थान के द्वारा इतने महान उद्धार को हासिल कर सके. वह मानव जाति और परमेश्वर के बीच संबंध बनाने में सक्षम हैं.

इस लेखांश में, लेखक हमें यीशु की मृत्यु के बारे में कई बातें बताते हैं. उन्होंने क्रूस पर:

  • मृत्यु का स्वाद चखा (2:9)

  • शैतान को निकम्मा कर दिया (व.14)

  • हमें मृत्यु के भय से छुड़ा लिया (व.15)

  • हमारे पापों के लिए प्रायश्चित बने (व.17)

  • हमारे उद्धार को स्थापित किया (व.10)

  • दु:ख उठाने के द्वारा सिद्ध बने (व.10).

आजाद व्यक्ति मृत्यु के बारे में सोचने से नहीं डरता. ऐसा सुझाव दिया गया है कि अंत में आपके सभी डर, मृत्यु के डर से जुड़े हुए हैं. आपको मृत्यु और मृत्यु के डर से आजाद करके, यीशु ने आपको बाकी सभी डर से आजाद कर दिया है.

इब्रानियों की पुस्तक के लेखक कहते हैं कि यीशु ने 'सभी के लिए मृत्यु का स्वाद चखा (व.9) 'ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे। और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले' (वव. 14-15).

यीशु ने जो किया है परमेश्वर ने उसकी गवाही – इस महान उद्धार के द्वारा दी है – 'साथ ही परमेश्वर भी अपनी इच्छा के अनुसार चिन्हों, और अद्भुत कामों, और नाना प्रकार के सामर्थ के कामों, और पवित्र आत्मा के वरदानो के बांटने के द्वारा इस की गवाही देता रहा' (व. 4). यदि पवित्र आत्मा के वरदान प्रेरितों के अलावा अन्य लोगों के लिए भी हैं, तो निश्चित ही चिन्ह और चमत्कार भी हैं. और हमें अब भी इन्हें यीशु मसीह के सन्देश और उनके महान उद्धार के प्रचार में शामिल करने की अपेक्षा करनी चाहिये.

प्रार्थना

यीशु आपको धन्यवाद कि, आपने मेरे लिए मृत्यु का स्वाद चखा. मुझे पाप तथा मृत्यु के डर से आजाद करने और इस आजादी के परिणामों का आनंद लेने में मुझे सक्षम बनाने के लिए आपको धन्यवाद.

जूना करार

ओबद्याह 1:21-21

21 विजयी सिय्योन पर्वत पर होंगे।
वे लोग एसाव पर्वत के निवासियों पर शासन करेंगे
और राज्य यहोवा का होगा।

समीक्षा

अन्याय से आजादी

हम भयंकर अन्याय की दुनिया में जी रहे हैं. उदाहरण के लिए – पूरी दुनिया में 29.8 मिलियन लोग हैं जिन्हें श्रमिक वर्ग में जबरदस्ती लगाया जा रहा है. 350 वर्षों के इतिहास वाले अटलांटिक पार दासत्व व्यापार में आज 1.2 मिलियन से भी ज्यादा बच्चे फंसे हुए हैं.

ओबद्याह की पुस्तक वायदा करती है कि दुनिया हमेशा ऐसी नहीं रहेगी. एक दिन, जब परमेश्वर का राज्य अपनी पूर्णता में आएगा, तो सबको न्याय मिलेगा.

ओबद्याह नाम का अर्थ है, जो यहोवा की सेवा और आराधना करता है'. इसमें, पुराने नियम की सबसे छोटी पुस्तक में, ओबद्याह, जिसके बारे में हम ज्यादा नहीं जानते, वह इस्राएल के शत्रु के पतन की भविष्यवाणी करता है.

एदोम के लोग ऐसाव, याकूब के जुड़वां के वंशज थे. उन्हें हमेशा इस्राएल के लोगों के साथ समानता का बोध होता था. मगर, इसने अक्सर खुद ही दिखाया कि – उनमें इतनी ज्यादा परस्पर साझेदारी नहीं थी – प्रतिकूल इल्जाम और विश्वासघात के रूप में. दो पड़ोसी लोग – इस्राएल और एदोम – का युद्ध और मुकाबले का लंबा इतिहास है.

घमंड एदोम का पतन था: 'तुमने सोचा तुम महान हो..... खुद के बारे में सोचते रहे, "मुझे कोई नहीं पा सकता! मुझे कोई नहीं छू सकता!' (वव.2-3). घमंड प्रेम का विलोम है. प्रेम, घमंड नहीं है. यह डींगे नहीं मारता (1 कुरिंथियों 13:4).

ओबद्याह बताता है कि जब यरूशलेम ईसा पूर्व 587 में बाबूल (बेबीलोन) के हाथों में पड़ गया, तो एदोमी कुछ नहीं कर पाए और बल्कि उन्होंने यहूदा के भविष्य का फायदा भी उठाया.

वह लिखता है, ' परन्तु तुझे उचित न था कि तू अपने भाई के दिन में, अर्थात उसकी विपत्ति के दिन में उसकी ओर देखता रहता' (ओबद्याह व. 12). वह आगे कहता है, ' जैसा तू ने किया है, वैसा ही तुझ से भी किया जाएगा, तेरा व्यवहार लौटकर तेरे ही सिर पर पड़ेगा' (व.15). जब कोई शत्रु गिरता है, तो हमें कभी खुशी नहीं मनानी चाहिये. बल्कि हमें वही करूणा दिखानी चाहिये जैसा परमेश्वर हमें दिखाते हैं.

ओबद्याह महान छुटकारे के बारे में बताता है (वव.17,21) जो कि प्रभु के दिन में होगा (वव.8,15). वह लिखता है, 'प्रभु का दिन करीब है' (व.15). महान छुटकारे के दिन ऐसा होगा:

' और उद्धार करने वाले ऐसाव के पहाड़ का न्याय करने के लिये सिय्योन पर्वत पर चढ़ आएंगे, और राज्य यहोवा ही का हो जाएगा' (व.21).

एक दिन परमेश्वर के लोग सरकार पर राज करेंगे और परमेश्वर का न्याय लागू करेंगे. वे परमेश्वर के राज्य में परमेश्वर के नियमों का प्रतिनिधित्व करेंगे.

यीशु के आने से परमेश्वर का राज्य इतिहास में बंट गया है. जब यीशु वापस आएंगे, तो हम परमेश्वर के राज्य को अपनी पूर्णता में देखेंगे. उस दिन, ओबद्याह और दूसरों की सभी भविष्यवाणियाँ पूरी होंगी. हम सभी अन्याय से मुक्त हो जाएंगे.

प्रार्थना

प्रभु आपको धन्यवाद कि, एक दिन सबको न्याय मिलेगा. तब तक के लिए, हम जहाँ कहीं भी अन्याय देखें उससे लड़ने में हमारी मदद कीजिये.

पिप्पा भी कहते है

नीतिवचन 26:20

' जैसे लकड़ी न होने से आग बुझती है, उसी प्रकार जहां कानाफूसी करने वाला नहीं वहां झगड़ा मिट जाता है'.

हर समय हमारे पास विकल्प रहता है या तो हम कानाफूसी की शांति को पूरी तरह से सुनें या फिर इसे पानी डालकर बुझा दें.

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संदर्भ

अमेरिकी राज्य लोगों का व्यापार विभाग की 2007 की रिपोर्ट

https://www.stopthetraffik.org/the-scale-of-human-traffiking \[Last accessed October 2015\]

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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