दिन 306

अपने विचारों को केंद्रित करिए

बुद्धि भजन संहिता 119:137-144
नए करार इब्रानियों 3:1-19
जूना करार योएल 1:1-2:17

परिचय

जब ब्रिटिश लोगों से पूछा जाता है कि सबसे महान ब्रिटेन व्यक्ति कौन था, तो सामान्यत: सर विंस्टन चर्चिल का नाम आता है। यदि आप एक अमेरिकन से पूछे कि सबसे महान अमेरिकन व्यक्ति कौन था, तो शायद से उनका उत्तर होगा जॉर्ज वाशिंग्टन या अब्राहम लिंकन। यदि पहली शताब्दी ए.डी. की शुरुवात में आप यहूदी से पूछे कि सबसे महान यहूदी कौन था, नि:सदेह वे कहेंगे, 'मूसा।' मूसा उनके इतिहास का सबसे प्रसिद्ध व्यक्ति था। उन्होंने उन्हें दासत्व से छुड़ाया था और उन्हें व्यवस्था दी।

इब्रानियो के लेखक यहूदी मसीहो को बताते हैं कि कैसे यीशु मूसा से बढ़कर हैं। उनका विवाद है कि, मूसा की महानता के बावजूद, यीशु पूरी तरह से एक अलग संघ में हैं। ' उस प्रेरित और महायाजक यीशु पर जिसे हम अंगीकार करते हैं, ध्यान दीजिए' (इब्रानियों 3:1, एम.एस.जी); ' यीशु मूसा से इतना बढ़कर महिमा के योग्य समझा गया है, जितना कि घर का बनाने वाला घर से बढ़कर आदर रखता है' (व.3)। ' मूसा तो परमेश्वर के सारे घर में सेवक के समान विश्वासयोग्य रहा' (व.5); ' मसीह पुत्र के समान परमेश्वर के घर के अधिकारी हैं' (व.6)।

आज के लेखांश का विषय है परेशानी और उदासी, परीक्षा का समय, और जाँच और क्लेश। नये नियम के अनुसार, इन चीजों से निपटने का रहस्य है 'यीशु पर अपना ध्यान केंद्रित करना' (व.1)।

बुद्धि

भजन संहिता 119:137-144

त्साधे

137 हे यहोवा, तू भला है
 और तेरे नियम खरे हैं।
138 वे नियम उत्तम है जो तूने हमें वाचा में दिये।
 हम सचमुच तेरे विधान के भरोसे रह सकते हैं।
139 मेरी तीव्र भावनाएँ मुझे शीघ्र ही नष्ट कर देंगी।
 मैं बहुत बेचैन हूँ, क्योंकि मेरे शत्रुओं ने तेरे आदेशों को भूला दिया।
140 हे यहोवा, हमारे पास प्रमाण है,
 कि हम तेरे वचन के भरोसे रह सकते हैं, और मुझे इससे प्रेम है।
141 मैं एक तुच्छ व्यक्ति हूँ और लोग मेरा आदर नहीं करते हैं।
 किन्तु मैं तेरे आदेशों को भूलता नहीं हूँ।
142 हे यहोवा, तेरी धार्मिकता अनन्त है।
 तेरे उपदेशों के भरोसे में रहा जा सकता है।
143 मैं संकट में था, और कठिन समय में था।
 किन्तु तेरे आदेश मेरे लिये मित्र से थे।
144 तेरी वाचा नित्य ही उत्तम है।
 अपनी वाचा को समझने में मेरी सहायता कर ताकि मैं जी सकूँ।

समीक्षा

परेशानी और उदासी

हमारे जीवन में कभी कभी सामान्य रूप से ऐसे क्षेत्र होते हैं जो हमें परेशानी और उदासी देते हैं। हो सकता है कि यह ऐसी चीज है जिससे आप गुजर रहे हैं, या परिवार का एक सदस्य, या एक नजदीकी मित्र, या आपके काम या सेवकाई से संबंधित वस्तु।

मुझे याद है कि मैंने अमेरिकन पास्टर, रिक वॉरन को कहते हुए सुना, कि कैसे वह सोचा करते थे कि जीवन लड़ाईयों की एक श्रृंखला है, जिसमें आशीषो का समय है। अब, वह सोचते हैं कि जीवन में दो पटरी हैं – एक पटरी है आशीष, दूसरी है लड़ाई। वे साथ साथ दौड़ते हैं।

निश्चित ही भजनसंहिता के लेखक लड़ाईयों के समय से गुजरेः' मैं संकट और सकेती में फँसा हूँ' (व.143अ)।

हम कैसे उत्तर देते हैं? भजनसंहिता के लेखक का उत्तर है कि परमेश्वर पर भरोसा करते रहो। वह निरंतर विश्वास करते हैं कि परमेश्वर के वचन 'पूरी तरह से भरोसेयोग्य' हैं (व.138): ' तेरा दास उस से प्रीति रखता है ...मैं तेरी आज्ञाओं से सुखी हूँ' (वव.140,143)।

वह परमेश्वर पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं:' हे यहोवा तू सत्यनिष्ठ है' (व.137अ)। नये नियम का महान प्रकटीकरण है कि 'यीशु प्रभु हैं' (रोमियों 10:9)। उन पर आपको अपना ध्यान लगाना है।

प्रार्थना

परमेश्वर आपका धन्यवाद कि परेशानी और उदासी के समय में मैं आप पर ध्यान लगा सकता हूँ और आपके वायदे पर भरोसा कर सकता हूँ।

नए करार

इब्रानियों 3:1-19

यीशु मूसा से महान है

3अतः स्वर्गीय बुलावे में भागीदार हे पवित्र भाईयों, अपना ध्यान उस यीशु पर लगाये रखो जो परमेश्वर का प्रतिनिधि तथा हमारे घोषित विश्वास के अनुसार प्रमुख याजक है। 2 जैसे परमेश्वर के समूचे घराने में मूसा विश्वसनीय था, वैसे ही यीशु भी, जिसने उसे नियुक्त किया था उस परमेश्वर के प्रति विश्वासपूर्ण था। 3 जैसे भवन का निर्माण करने वाला स्वयं भवन से अधिक आदर पाता है, वैसे ही यीशु मूसा से अधिक आदर का पात्र माना गया। 4 क्योंकि प्रत्येक भवन का कोई न कोई बनाने वाला होता है, किन्तु परमेश्वर तो हर वस्तु का सिरजनहार है। 5 परमेश्वर के समूचे घराने में मूसा एक सेवक के समान विश्वास पात्र था, वह उन बातों का साक्षी था जो भविष्य में परमेश्वर के द्वारा कही जानी थीं। 6 किन्तु परमेश्वर के घराने में मसीह तो एक पुत्र के रूप में विश्वास करने योग्य है और यदि हम अपने साहस और उस आशा में विश्वास को बनाये रखते हैं तो हम ही उसका घराना हैं।

अविश्वास के विरुद्ध चेतावनी

7 इसलिए पवित्र आत्मा कहता है:

8 “आज यदि उसकी आवाज़ सुनो!
अपने हृदय जड़ मत करो, जैसे बगावत के दिनों में किये थे।
जब मरुस्थल में परीक्षा हो रही थी।
9 मुझे तुम्हारे पूर्वजों ने परखा था, उन्होंने मेरे धैर्य की परीक्षा ली और मेरे कार्य देखे,
जिन्हें मैं चालीस वर्षों से करता रहा!
10 वह यही कारण था जिससे मैं
उन जनों से क्रोधित था, और फिर मैंने कहा था,
‘इनके हृदय सदा भटकते रहते हैं ये मेरे मार्ग जानते नहीं हैं।’
11 मैंने क्रोध में इसी से तब शपथ
लेकर कहा था, ‘वे कभी मेरे विश्राम में सम्मिलित नहीं होंगे।’”

12 हे भाईयों, देखते रहो कहीं तुममें से किसी के मन में पाप और अविश्वास न समा जाये जो तुम्हें सजीव परमेश्वर से ही दूर भटका दे। 13 जब तक यह “आज” का दिन कहलाता है, तुम प्रतिदिन परस्पर एक दूसरे का धीरज बँधाते रहो ताकि तुममें से कोई भी पाप के छलावे में पड़कर जड़ न बन जाये। 14 यदि हम अंत तक दृढ़ता के साथ अपने प्रारम्भ के विश्वास को थामे रहते हैं तो हम मसीह के भागीदार बन जाते हैं। 15 जैसा कि कहा भी गया है:

“यदि आज उसकी आवाज सुनो,
अपने हृदय जड़ मत करो, जैसे बगावत के दिनों में किये थे।”

16 भला वे कौन थे जिन्होंने सुना और विद्रोह किया? क्या वे, वे ही नहीं थे जिन्हें मूसा ने मिस्र से बचा कर निकाला था? 17 वह चालीस बर्षों तक किन पर क्रोधित रहा? क्या उन्हीं पर नहीं जिन्होंने पाप किया था और जिनके शव मरुस्थल में पड़े रहे थे? 18 परमेश्वर ने किनके लिए शपथ उठायी थी कि वे उसकी विश्राम में प्रवेश नहीं कर पायेंगे? क्या वे ही नहीं थे जिन्होंने उसकी आज्ञा का उल्लंघन किया था? 19 इस प्रकार हम देखते हैं कि वे अपने अविश्वास के कारण ही वहाँ प्रवेश पाने में समर्थ नहीं हो सके थे।

समीक्षा

परीक्षा के समय

एक विश्वास जिसे परखा नहीं गया है, उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। ऐसे समय में चुनौती आती है परमेश्वर के प्रति वफादार बने रहने में –अपने हृदय को कठोर न करें बल्कि उन्हें परमेश्वर के प्रति कोमल और सौम्य रखें –हमारे विश्वास के सामने आने वाली कठिनाईयों और चुनौतियों के बावजूद भरोसा करते रहे।

परीक्षा के इन समयों में, हर बार आप गलत चीज को करने जैसा महसूस करते हैं लेकिन आप सही करना चुनिये,तब आप आत्मिक वयस्कता, बुद्धि, चरित्र और वफादारी में बढ़ते हैं।

'मूसा वफादार था' (व.2)। निश्चित ही यीशु हमारे लिए वफादारी के मुख्य उदाहरण हैं। वह सालो प्रशिक्षण और जंगल में शक्तिशाली परीक्षा से गुजरे। तब भी वह 'हर उस चीज में वफादार थे जो परमेश्वर ने उन्हें करने के लिए दी थी' (व.2, एम.एस.जी)।

यह पत्र लोगों के उस समूह को लिखा गया था जो परीक्षा और सताव के समय से गुजर रहे थे। यह उन्हें उत्साहित करने के लिए लिखा गया कि वे 'हिम्मत' और 'आशा' को पकड़े रखें (व.6), यीशु के द्वारा उत्साहित होकर'यीशु पर अपना ध्यान केंद्रित करके' (व.1)।

इस लेखांश में, लेखक भजनसंहिता 95:7-11 को दोहराते हैं (इब्रानियो 3:7-11)। दिलचस्प रूप से, वह नहीं लिखते हैं कि,'जैसा कि पवित्र आत्मा ने कहा' बल्कि,'जैसा कि पवित्र आत्मा कहता है' (व.7)। वह स्पष्ट रूप से विश्वास करते हैं कि पवित्र आत्मा निरंतर वचनो के द्वारा समकालीन रूप में पाठकों से बात करते हैं। जैसे ही आप बाईबल को पढ़ते हैं, आशा कीजिए कि पवित्र आत्मा आज आपसे बातें करेंगे।

मिस्र से छुटकारे के महान क्षण के बावजूद, परमेश्वर के लोग जंगल में परीक्षा के समय असफल हो गए (व.17)। यह हमारे लिए एक चेतावनी हैः'हे भाइयो, चौकस रहो कि तुम में ऐसा बुरा और अविश्वास मन न हो, जो तुम्हें जीवते परमेश्वर से दूर हटा ले जाए। वरन् जिस दिन तक आज का दिन कहा जाता है, हर दिन एक दूसरे को समझाते रहो, ऐसा न हो कि तुम में से कोई जन पाप के छल में आकर कठोर हो जाए' (वव.12-13)।

अविश्वास का एक उपचार है जिसे लेखक यहाँ पर प्रकाशमान करते हैं, वह है समुदाय। वह उन्हें कहते हैं कि 'प्रतिदिन एक दूसरे को उत्साहित करिए' (व.13)। यही कारण है कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि मसीह समुदाय का भाग बने, दूसरे मसीहों के साथ समय बिताते हुए, एक दूसरे को उत्साहित करते हुए और अपने विश्वास को बढ़ाते हुए।

'पाप का छल' एक दिलचस्प भाव है। पाप धोखादायक है। यदि यह नहीं होता, तो हम पाप नहीं करते। सामान्यत: पाप में छल का लेबल लगा होता हैः 'यह असल में पाप नहीं है, और यह किसी तरह से आपको हानि नहीं पहुँचायेगा।' लेकिन, जब हम पाप, बुरे नमूने में पहुँचते हैं, हमारा विवेक खेदित होता है और हमारा हृदय कठोर हो जाता है।

पाप का कारण है अविश्वास। अदन के बगीचे से, पाप के छल ने हमें परमेश्वर की भलाई, हमारे लिए उनके प्रेम और उनके वचन पर हमसे संदेह करवाया -'क्या सच में परमेश्वर ने कहा?' (उत्पत्ति 3:1),'तुम निश्चित ही नहीं मरोगे' (3:4)। त्यागे गए फल को निगलने से पहले आप हमेशा परमेश्वर के विषय में एक झूठ को निगलते हैं। आज हमारे लिए भी यही बात है। यदि हम सच में हम परमेश्वर के प्रेम, उनकी भलाई और उनके वचन पर विश्वास करते हैं, तो हम पाप के छल से ठोकर नहीं खायेंगे।

क्योंकि परमेश्वर के लोगों ने निरंतर शिकायत की, इसलिए वे परमेश्वर के विश्राम में प्रवेश नहीं कर पाये –जो एक चीज थी जो वे चाहते थे। उन्होंने परमेश्वर पर भरोसा नहीं किया प्रावधान देने के लिए। वे 'अविश्वास' कर रहे थे (इब्रानियो 3:12)। ' हम देखते हैं कि वे अविश्वास के कारण प्रवेश न कर सके' (व.19)। जब हम परमेश्वर पर भरोसा नहीं करते हैं तब हम परमेश्वर की शांति को खो देते हैं। शांति को पाईये यीशु पर अपना ध्यान केंद्रित करने, उन पर भरोसा करने और उनसे सुनने के द्वारा, जैसे ही वह वचनो के द्वारा आपसे निरंतर बात करते हैं।

प्रार्थना

परमेश्वर, आज मेरी सहायता कीजिए कि यीशु पर अपना ध्यान केंद्रित करुँ। मेरी सहायता कीजिए कि डर में और अविश्वास में न जीऊं बल्कि भरोसा और शांति में जीऊँ।

जूना करार

योएल 1:1-2:17

टिड्डियाँ फसलों को खा जायेंगी

1पतूएल के पुत्र योएल ने यहोवा से इस संदेश को प्राप्त किया:

2 मुखियों, इस संदेश को सुनो!
हे इस धरती के निवासियों, तुम सभी मेरी बात सुनो।
क्या तुम्हारे जीवन काल में पहले कभी कोई ऐसी बात घटी है नहीं!
क्या तुम्हारे पुरखों के समय में कभी कोई ऐसी बात घटी है नहीं!
3 इन बातों के बारे में तुम अपने बच्चों को बताया करोगे
और तुम्हारे बच्चे ये बातें अपने बच्चों को बताया करेंगे
और तुम्हारे नाती पोते ये बातें अगली पीढ़ियों को बतायेंगे।
4 कुतरती हुई टिड्डियों से जो कुछ भी बचा,
उसको भिन्नाती हुई टिड्डियों ने खा लिया
और भिन्नाती टिड्डियों से जो कुछ बचा,
उसको फुदकती टिड्डियों ने खा लिया है
और फुदकती टिड्डियों से जो कुछ रह गया,
उसे विनाशकारी टिड्डियों ने चट कर डाला है!

टिड्डियों का आना

5 ओ मतवालों, जागो, उठो और रोओ!
ओ सभी लोगों दाखमधु पीने वालों, विलाप करो।
क्योंकि तुम्हारी मधुर दाखमधु अब समाप्त हो चुकी है।
अब तुम, उसका नया स्वाद नहीं पाओगे।
6 देखो, विशाल शक्तिशाली लोग मेरे देश पर आक्रमण करने को आ रहे हैं।
उनके साथ अनगिनत सैनिक हैं।
वे “टिड्डे” (शत्रु के सैनिक) तुम्हें फाड़ डालने में समर्थ होंगे!
उनके दाँत सिंह के दाँतों जैसे हैं।

7 वे “टिड्डे” मेरे बागों के अंगूर चट कर जायेंगे!
वे मेरे अंजीर के पेड़ नष्ट कर देंगे।
वे मेरे पेड़ों को छाल तक चट कर जायेंगे।
उनकी टहनियाँ पीली पड़ जायेंगी और वे पेड़ सूख जायेंगे।

लोगों का विलाप

8 उस युवती सा रोओ, जिसका विवाह होने को है
और जिसने शोक वस्त्र पहने हों जिसका भावी पति शादी से पहले ही मारा गया हो।
9 हे याजकों! हे यहोवा के सेवकों, विलाप करो!
क्योंकि अब यहोवा के मन्दिर में न तो अनाज होगा और न ही पेय भेंट चढ़ेंगी।
10 खेत उजड़ गये हैं।
यहाँ तक कि धरती भी रोती है
क्योंकि अनाज नष्ट हुआ है,
नया दाखमधु सूख गया है
और जैतून का तेल समाप्त हो गया है।
11 हे किसानो, तुम दु:खी होवो!
हे अंगूर के बागवानों, जोर से विलाप करो!
तुम गेहूँ और जौ के लिये भी विलाप करो!
क्योंकि खेत की फसल नष्ट हुई है।
12 अंगूर की बेलें सूख गयी हैं
और अंजीर के पेड़ मुरझा रहे हैं।
अनार के पेड़ खजूर के पेड़
और सेब के पेड़—बगीचे के ये सभी पेड़ सूख गये हैं।
लोगों के बीच में प्रसन्नता मर गयी है।
13 हे याजकों, शोक वस्त्र धारण करो, जोर से विलाप करो।
हे वेदी के सेवकों, जोर से विलाप करो।
हे मेरे परमेश्वर के दासों, अपने शोक वस्त्रों में तुम सो जाओगा।
क्योंकि अब वहाँ अन्न और पेय भेंट परमेश्वर के मन्दिर में नहीं होंगी।

टिड्डियों से भयानक विनाश

14 लोगों को बता दो कि एक ऐसा समय आयेगा जब भोजन नहीं किया जायेगा। एक विशेष सभा के लिए लोगों को बुला लो। सभा में मुखियाओं और उस धरती पर रहने वाले सभी लोगों को इकट्ठा करो। उन्हें अपने यहोवा परमेश्वर के मन्दिर में ले आओ और यहोवा से विनती करो।

15 दु:खी रहो क्योंकि यहोवा का वह विशेष दिन आने को है। उस समय दण्ड इस प्रकार आयेगा जैसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कोई आक्रमण हो। 16 हमारा भोजन हमारे देखते—देखते चट हो गया है। हमारे परमेश्वर के मन्दिर से आनन्द और प्रसन्नता जाती रही है। 17 हमने बीज तो बोये थे, किन्तु वे धरती में पड़े—पड़े सूख कर मर गये हैं। हमारे पौधे सूख कर मर गये हैं। हमारे खेत्ते खाली पड़े हैं और ढह रहे हैं।

18 हमारे पशु भूख से कराह रहे हैं। हमारे मवेशी खोये—खोये से इधर—उधर घूमते हैं। उनके पास खाने को घास नहीं हैं। भेड़ें मर रही हैं। 19 हे यहोवा, मैं तेरी दुहाई दे रहा हूँ। क्योंकि हमारी चरागाहों को आग ने रेगिस्तान बना दिया है। बगीचों के सभी पेड़ लपटों से झुलस गये हैं। 20 जंगली पशु भी तेरी सहायता चाहते हैं। नदियाँ सूख गयी हैं। कहीं पानी का नाम नहीं! आग ने हमारी हरी—भरी चरागाहों को मरूभूमि में बदल दिया है।

यहोवा का दिन जो आने को है

2सिय्योन पर नरसिंगा फूँको।
मेरे पवित्र पर्वत पर चेतावनी सुनाओ।
उन सभी लोगों को जो इस धरती पर रहते हैं, तुम भय से कँपा दो।
यहोवा का विशेष दिन आ रहा है।
यहोवा का विशेष दिन पास ही आ पहुँचा है।
2 वह दिन अंधकार भरा होगा,
वह दिन उदासी का होगा, वह दिन काला होगा और वह दिन दुर्दिन होगा।
भोर की पहली किरण के साथ तुम्हें पहाड़ पर सेना फैलती हुई दिखाई देगी।
वह सेना विशाल और शक्तिशीली भी होगी।
ऐसा पहले तो कभी भी घटा नहीं था
और आगे भी कभी ऐसा नहीं घटेगा, न ही भूत काल में, न ही भविष्य में।
3 वह सेना इस धरती को धधकती आग जैसे तहस—नहस कर देगी।
सेना के आगे की भूमी वैसी ही हो जायेगी जैसे एदेन का बगीचा
और सेना के पीछे की धरती वैसी हो जायेगी जैसे उजड़ा हुआ रेगिस्तान हो।
उनसे कुछ भी नही बचेगा।
4 वे घोड़े की तरह दिखते हैं और ऐसे दौड़ते हैं
जैसे युद्ध के घोड़े हों।
5 उन पर कान दो।
वह नाद ऐसा है
जैसे पहाड़ पर चढ़ते रथों का घर्र—घर्र नाद हो।
वह नाद ऐसा है
जैसे भूसे को चटपटाती हुई
लपटें जला रही हों ।
वे लोग शक्तिशाली हैं।
वे युद्ध को तत्पर हैं।
6 इस सेना के आगे लोग भय से काँपते हैं।
उनके मुख डर से पीले पड़ जाते हैं।

7 वे सैनिक बहुत तेज दौड़ते हैं।
वे सैनिक दीवारों पर चढ़ते हैं।
प्रत्येक सैनिक सीधा ही आगे बढ़ जाता है।
वे अपने मार्ग से जरा भी नहीं हटते हैं।
8 वे एक दूसरे को आपस में नहीं थकेलते हैं।
हर एक सैनिक अपनी राह पर चलता है।
यदि कोई सैनिक आघात पा करके गिर जाता है
तो भी वे दूसरे सैनिक आगे ही बढ़ते रहते हैं।
9 वे नगर पर चढ़ जाते हैं
और बहुद जल्दी ही परकोटा फलांग जाते हैं।
वे भवनों पर चढ़ जाते
और खिड़कियों से होकर भीतर घुस जाते हैं जैसे कोई चोर घुस जाये।
10 धरती और आकाश तक उनके सामने काँपते हैं।
सूरज और चाँद भी काले पड़ जाते हैं और तोर चमकना छोड़ देते हैं।
11 यहोवा जोर से अपनी सेना को पुकारता है।
उसकी छावनी विशाल है।
वह सेना उसके आदेशों को मानती है।
वह सेना अति बलशाली है।
यहोवा का विशेष दिन महान और भयानक है।
काई भी व्यक्ति उसे रोक नही सकता।

यहोवा लोगों से बदलने को कहते हैं

12 यहोवा का यह संदेश है:
“अपने पूर्ण मन के साथ अब मेरे पास लौट आओ।
तुमने बुरे कर्म किये हैं।
विलाप करो और निराहार रहो!
13 अरे वस्त्र नहीं, तुम अपने ही मन को फाड़ो।
तुम लौट कर अपने परमेश्वर यहोवा के पास जाओ।
वह दयालु और करूणापूर्ण है।
उसको शीघ्र क्रोध नहीं आता है।
उसका प्रेम महान है।
सम्भव है जो क्रोध दण्ड उसने तुम्हारे लिये सोचा है,
उसके लिये अपना मन बदल ले।
14 कौन जानता है, सम्भव है यहोवा अपना मन बदल ले
और यह भी सम्भव है कि वह तुम्हारे लिये कोई वरदान छोड़ जाये।
फिर तुम अपने परमेश्वर यहोवा को अन्नबलि
और पेय भेंट अर्पित कर पाओगे।

यहोवा से प्रार्थना करो

15 सिय्योन पर नरसिंगा फूँको।
उस विशेष सभा के लिये बुलावा दो।
उस उपवास के विशेष समय का बुलावा दो।
16 तुम, लोगों को जुटाओ।
उस विशेष सभा के लिये उन्हें बुलाओ।
तुम बूढ़े पुरूषों को एकत्र करो और बच्चे भी साथ एकत्र करो।
वे छोटे शिशु भी जो अभी भी स्तन पीते हों, लाओ।
नयी दुल्हन को और उसके पति को सीधे उनके शयन—कक्षों से बुलाओ।
17 हे याजकों और यहोवा के दासों,
आँगन और वेदी के बीच में बुहार करो।
सभी लोगों ये बातें तुम्हें कहनी चाहिये: “यहोवा ने तुम्हारे लोगों पर करूणा की।
तुम अपने लोगों को लज्जित मत होने दो।
तुम अपने लोगों को दूसरों के बीच में
हँसी का पात्र मत बनने दो।
तुम दूसरे देशों को हँसते हुए कहने का अवसर मत दो कि, ‘उनका परमेश्वर कहाँ है?’”

समीक्षा

जब विपत्ति आती है

'जब विपत्ति आती है, तब परमेश्वर की समझ खतरे में पड़ जाती है,' यूजन पिटरसन लिखते हैं। ऐसे समय होते हैं जब हम अनपेक्षित बीमारी या मृत्यु का सामना करते हैं, राष्ट्रीय तबाही, सामाजिक व्यवस्था भंग करना, व्यक्तिगत हानि, आर्थिक अनिश्चितता या प्राकृतिक आपदा का विनाश। पिटरसन आगे कहते हैं:'यह भविष्यवक्ता का काम है कि तबाही के ऐसे समय में खड़े हो जाए और स्पष्ट करें कि परमेश्वर कौन हैं और वह कैसे काम करते हैं।'

भविष्यवक्ता योएल ऐसे एक समय का वर्णन करते हैं जब विपत्ति आती है –टिड्डियों की महामारी के कारण बहुत तबाही। यह शायद से एक वास्तविक घटना या एक दर्शन था। वहाँ पर टिड्डियों की महामारी हुई थी। उन्होंने बहुत बड़ी तबाही की।

टिड्डियों की सेना न मुड़ने वाली, न रुकने वाली और अभेद्य थी। यह दाख की बारी को बरबाद करती है, फल वाटिका खराब कर देती है और इसके परिणामस्वरूप, सारी फसल खराब हो गई। पशुओं के खाने के लिए कुछ नहीं था। टिड्डियाँ बवंडर की तरह हैं जो भूमि पर मॅंडराती हैं।

' उस दिन के कारण हाय! क्योंकि यहोवा का दिन निकट है। वह सर्वशक्तिमान की ओर से सत्यानाश का दिन होकर आएगा' (1:15, एम.एस.जी)। टिड्डियों के इस चित्र को प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में लिया गया है और अंतिम न्याय के संकट के वर्णन के रूप में इस्तेमाल किया गया है (प्रकाशितवाक्य 9:7-11)।

स्वयं यीशु ने योएल 2 के शब्दों का इस्तेमाल किया, 'सूर्य और चन्द्रमा काले हो जाते हैं, और तारे नहीं झलकते' (योएल 2:10; मत्ती 24:29 भी देखें), आने वाले न्याय का वर्णन करते हुए।

इन सभी के प्रति हमारा उत्तर क्या होना चाहिए? हममें से किसी को भी आधे हृदय की क्षमा पसंद नहीं है – नाही परमेश्वर को पसंद है। वह सच्चा पश्चाताप चाहते हैं:

'तब भी,' यहोवा की यह वाणी है, 'अभी भी सुनो, उपवास के साथ रोते-पीटते अपने पूरे मन से फिर कर मेरे पास आओ। अपने वस्त्र नहीं, अपने मन ही को फाड़कर,' अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो; क्योंकि वह अनुग्रहकारी, दयालु, विलम्ब से क्रोध करने वाले, करुणानिधान और दुःख देकर पछताने वाले हैं' (योएल 2:12-13, एम.एस.जी)।

न्याय की इन भविष्यवाणीयों के बीच में आशा है। यदि हम परमेश्वर की ओर मुड़े और उनसे क्षमा माँगने का प्रयास करें, तो हमें इस अंतिम न्याय से डरने की आवश्यकता नहीं है। न्याय के इस दिन की घोषणा करने के लिए योएल नरसिंगा फूंके जाने के चित्र का इस्तेमाल करते हैं (व.1)।

यद्यपि नये नियम में, पौलुस इसी चित्र का इस्तेमाल करते हैं यह बताने के लिए कि कैसे यीशु ने मृत्यु पर जय पायी, और क्षमा और उद्धार को संभव बनाया -' और यह क्षण भर में, पलक मारते ही अन्तिम तुरही फूँकते ही होगा। क्योंकि तुरही फूँकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जाएँगे, और हम बदल जाएँगे...जय ने मृत्यु को निगल लिया। ...परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्त करता है' (1कुरिंथियो 15:52-57)।

प्रार्थना

पिता, आपका धन्यवाद क्योंकि आप अनुग्रही और करुणामयी, नम्र और दयालु हैं। मेरी सहायता कीजिए जैसे ही मैं उनके आगमन की बाट निर्भीकता के साथ जोहता हूँ कि यीशु पर अपना ध्यान केंद्रित रखूं।

पिप्पा भी कहते है

इब्रानियो 3:1

'यीशु पर अपना ध्यान केंद्रित करिए।'

मेरे विचारों को केंद्रित करना बिल्ली की देखभाल करने जैसा है। मेरा दिमाग चारो दिशा में घूमता रहता है। मेरे विचारों को 'केंद्रित' रखने में 'कामों की सूची' को सचेतन रूप से अलग रखने की आवश्यकता है और परमेश्वर की उस 'धीमी आवाज' को सुनने की आवश्यकता है।

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संदर्भ

युजन पिटरसन, द मैसेज,'योएल का परिचय', (नवप्रेस, 1993) पी.1225

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

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