चेतावनियाँ
परिचय
इन दिनों में, प्रायोगिक रूप से जो कुछ आप खरीदते हैं, उस पर किसी न किसी तरह की चेतावनी लिखी होती है। इनमें से कुछ चेतावनियाँ थोड़ी बेतुकी लग सकती हैं। उदाहरण के लिएः
सेंसबरी पिनट' चेतावनी – इसमें नट्स हैं'
निटोल नाइटटाईम स्लीप-ऐड 'चेतावनी –नींद ला सकती है'
डी.आय.वाय ड्रिल 'डेंटिस्ट ड्रिल की तरह इस्तेमाल करने के लिए नहीं है'
क्योंकि बहुत सी चेतावनियाँ बेतुकी लगती हैं, खतरा यह है कि हम उन्हें नजरअंदाज करते हैं। लेकिन सभी चेतावनियाँ बेतुकी नहीं हैं।
13 मार्च 1991 के दिन, ब्रिटेन में सबसे बुरी सड़क दुर्घटना हुई। दस लोग मारे गए और एम 4 मोटरवे पर पच्चीस लोग घायल हो गए। दुर्घटना के बीच में एक आदमी हीरो साबित हुआ। एलन बेटमन अपनी टूटी हुई गाड़ी से बाहर कूदे और दौड़कर उन आने वाले वाहनों को चेतावनी देने लगे कि आगे तबाही है। सभी ने चेतावनी की सराहना नहीं की। कुछ चालकों ने उन्हें देखकर हॉर्न बजाया और गाड़ी चलाकर दुर्घटनास्थल तक पहुँच गए।
दूसरे चालकों के लिए एलन की चेतावनी ना केवल हीरो का काम था; वे प्रेम का एक कार्य कर रहे थे। अक्सर यीशु ने आने वाले खतरे के विषय में चेतावनी दी है (उदाहरण के लिए मत्ती 7:13,19,26-27 देखे)। यीशु जानते थे कि यह अत्यधिक प्रेम भरा होगा कि लोगों को सच बताकर उन्हें चिताया जाएँ।
परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं। वह नहीं चाहते कि आपको चोट पहुँचे। बाईबल में बहुत सी चेतावनियाँ हैं और वे सभी आपके लिए परमेश्वर के प्रेम से उद्गमित होती हैं।
नीतिवचन 26:23-27:4
23 दुष्ट मन वाले की चिकनी चुपड़ी बातें होती है ऐसी,
जैसे माटी के बर्तन पर चिपके चाँदी के वर्क।
24 द्वेषपूर्ण व्यक्ति अपने मधुर वाणी में द्वेष को ढकता है।
किन्तु अपने हृदय में वह छल को पालता है।
25 उसकी मोहक वाणी से उसका भरोसा मत कर,
क्योंकि उसके मन में सात घृणित बातें भरी हैं।
26 छल से किसी का दुर्भाव चाहे छुप जाये
किन्तु उसकी दुष्टता सभा के बीच उघड़ेगी।
27 यदि कोई गढ़ा खोदता है किसी के लिये तो वह स्वयं ही उसमें गिरेगा;
यदि कोई व्यक्ति कोई पत्थर लुढ़काता है तो वह लुढ़क कर उसी पर पड़ेगा।
28 ऐसा व्यक्ति जो झूठ बोलता है,
उनसे घृणा करता है जिनको हानि पहुँचाता और चापलूस स्वयं का नाश करता।
27कल के विषय में कोई बड़ा बोल मत बोलो।
कौन जानता है कल क्या कुछ घटने को है।
2 अपने ही मुँह से अपनी बड़ाई मत करो
दूसरों को तुम्हारी प्रशंसा करने दो।
3 कठिन है पत्थर ढोना, और ढोना रेत का,
किन्तु इन दोनों से कहीं अधिक कठिन है मूर्ख के द्वारा उपजाया गया कष्ट।
4 क्रोध निर्दय और दर्दम्य होता है।
वह नाश कर देता है। किन्तु ईर्ष्या बहुत ही बुरी है।
समीक्षा
मानवीय स्वभाव के विषय में चेतावनियाँ
जीवन का यह लगभग कभी न बदलने वाला सिद्धांत है कि जो आप अभी बोते हैं, वह आप बाद में काटेंगे। नीतिवचन के इस भाग में बहुत सी शिक्षा इस वचन में शामिल हैं: ' जो गड़हा खादे, वही उसी में गिरेगा, और जो पत्थर लुढ़काए, वह उलटकर उसी पर लुढ़क आएगा' (26:27)। दूसरे शब्दों में, आप वह काटेंगे जो आप बोते हैं।
लेखक द्वेष के विरूद्ध चेतावनी देते हैः'चाहे उसका बैर छल के कारण छिप भी जाए, तब भी उसकी बुराई सभा के बीच में प्रकट हो जाएगी' (व.26, एम.एस.जी)। दूसरों को चोट पहुँचाने की इच्छा को हम चाहे जितना छिपाए, यह आखिरकार प्रकट हो जाएगीः और हम परिणाम भोगेंगे।
अगला, वह 'झूठ बोलने वाली जीभ' के विरूद्ध चेतावनी देते हैं (व.28)। हमें बहुत ही सावधानी बरतने की आवश्यकता है कि हम दूसरों के विषय में केवल सच्चाई को बोलें। कभी कभी प्रलोभन आता है कि अपने प्रतिस्पर्धीयों के विषय में बढ़ा चढ़ाकर कहानी बतायें। लेकिन लेखक चेतावनी देते हैं, 'जिसने किसी को झूठी बातों से घायल किया हो वह उससे बैरे रखता है' (व.28)।
वह आगे डींगे मारने के विषय में चेतावनी देते हैं (27:1)। हमें इस बात की डींग नहीं मारनी चाहिए कि हम क्या करने वाले हैं, क्योंकि हम नहीं जानते हैं कि भविष्य में क्या होना है। दूसरों से प्रशंसा ग्रहण करना ठीक बात है लेकिन इसे हमारे होठों पर नहीं आना चाहिए (व.2)।
फिर, वह लोगों को क्रोध दिलाने के विरूद्ध चेतावनी देते हैं: ' पत्थर तो भारी है और बालू में बोझ है, परन्तु मूढ़ का क्रोध उन दोनों से भारी है' (व.3)।
अंत में, इस लेखांश में, वह चेतावनी देते हैं कि ईर्ष्या, जिसका वर्णन शेक्सपियर ने 'हरी आँख वाले दानव' के रूप में किया, यह क्रोध और गुस्से से अधिक शक्तिशाली और खतरनाक है (व.4): ' क्रोध तो क्रूर, और प्रकोप धारा के समान होता है, परन्तु जब कोई जल उठता है, तब कौन ठहर सकता है' (व.4, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
परमेश्वर, मेरे हृदय की रक्षा करिए। मेरे पापों को क्षमा करिए जैसे ही मैं उनको क्षमा करता हूँ जो मेरे विरूद्ध पाप करते हैं। मुझे परीक्षा में न डालें बल्कि मुझे बुराई से बचाये।
इब्रानियों 5:11-6:12
पतन के विरुद्ध चेतावनी
11 इसके विषय में हमारे पास कहने को बहुत कुछ है, पर उसकी व्याख्या कठिन है क्योंकि तुम्हारी समझ बहुत धीमी है। 12 वास्तव में इस समय तक तो तुम्हें शिक्षा देने वाला बन जाना चाहिए था। किन्तु तुम्हें तो अभी किसी ऐसे व्यक्ति की ही आवश्यकता है जो तुम्हें नए सिरे से परमेश्वर की शिक्षा की प्रारम्भिक बातें ही सिखाए। तुम्हें तो बस अभी दूध ही चाहिए, ठोस आहार नहीं। 13 जो अभी दुध-मुहा बच्चा ही है, उसे धार्मिकता के वचन की पहचान नहीं होती। 14 किन्तु ठोस आहार तो उन बड़ों के लिए ही होता है जिन्होंने अपने अनुभव से भले-बुरे में पहचान करना सीख लिया है।
6अतः आओ, मसीह सम्बन्धी आरम्भिक शिक्षा को छोड़ कर हम परिपक्वता की ओर बढ़ें। हमें उन बातों की ओर नहीं बढ़ना चाहिए जिनसे हमने शुरूआत की जैसे मृत्यु की ओर ले जाने वाले कर्मों के लिए मनफिराव, परमेश्वर में विश्वास, 2 बपतिस्माओं की शिक्षा हाथ रखना, मरने के बाद फिर से जी उठना और वह न्याय जिससे हमारा भावी अनन्त जीवन निश्चित होगा। 3 और यदि परमेश्वर ने चाहा तो हम ऐसा ही करेंगे।
4-6 जिन्हें एक बार प्रकाश प्राप्त हो चुका है, जो स्वर्गीय वरदान का आस्वादन कर चुके हैं, जो पवित्र आत्मा के सहभागी हो गए हैं जो परमेश्वर के वचन की उत्तमता तथा आने वाले युग की शक्तियों का अनुभव कर चुके हैं, यदि वे भटक जाएँ तो उन्हें मन-फिराव की ओर लौटा लाना असम्भव है। उन्होंने जैसे अपने ढंग से नए सिरे से परमेश्वर के पुत्र को फिर क्रूस पर चढ़ाया तथा उसे सब के सामने अपमान का विषय बनाया।
7 वे लोग ऐसी धरती के जैसे हैं जो प्रायः होने वाली वर्षा के जल को सोख लेती है, और जोतने बोने वाले के लिए उपयोगी फसल प्रदान करती है, वह परमेश्वर की आशीष पाती है। 8 किन्तु यदि वह धरती काँटे और घासफूस उपजाती है, तो वह बेकार की है। और उसे अभिशप्त होने का भय है। अन्त में उसे जला दिया जाएगा।
9 हे प्रिय मित्रो, चाहे हम इस प्रकार कहते हैं किन्तु तुम्हारे विषय में हमें इससे भी अच्छी बातों का विश्वास है-बातें जो उद्धार से सम्बन्धित हैं। 10 तुमने परमेश्वर के जनों की निरन्तर सहायता करते हुए जो प्रेम दर्शाया है, उसे और तुम्हारे दूसरे कामों को परमेश्वर कभी नहीं भुलाएगा। वह अन्यायी नहीं है। 11 हम चाहते हैं कि तुममें से हर कोई जीवन भर ऐसा ही कठिन परिश्रम करता रहे। यदि तुम ऐसा करते हो तो तुम निश्चय ही उसे पा जाओगे जिसकी तुम आशा करते रहे हो। 12 हम यह नहीं चाहते कि तुम आलसी हो जाओ। बल्कि तुम उनका अनुकरण करो जो विश्वास और धैर्य के साथ उन वस्तुओं को पा रहे हैं जिनका परमेश्वर ने वचन दिया था।
समीक्षा
अवयस्कता के विषय में चेतावनियाँ
परमेश्वर चाहते हैं कि आप 'मसीह में बढ़ें' (व.11, एम.एस.जी) एक स्वस्थ, मजबूत, आत्मिक रूप से वयस्क यीशु के चेले बने।
वयस्कता में सुनने के स्वभाव की आवश्यकता है। यहाँ पर बताये गए मसीहों ने 'न सुनने की आदत बना ली है' (व.11, एम.एस.जी)। परमेश्वर निरंतर हमसे बात कर रहे हैं (मत्ती 4:4)। हमें एक नियमित आदत बनानी है कि परमेश्वर की बात सुनें – जैसे ही वह बाईबल के द्वारा प्राथमिक रूप से हमसे बात करते हैं।
इब्रानियो के लेखक अपने पाठकों को आत्मिक अवयस्कता के विरूद्ध चेतावनी देते हैं । उन्हे 'शिक्षक हो जाना चाहिए था' (5:12)। इसका अर्थ एक विशेषज्ञ समूह नहीं है। जो कोई विश्वास में सिखाया गया है उससे अपेक्षा की जाती है कि वह दूसरों को सिखाये (1पतरस 3:15)। अपने विश्वास में बढ़ना शुरु करने का एक सर्वश्रेष्ठ तरीका है, इसे दूसरों तक पहुँचाना। यही कारण है कि हम अक्सर उन लोगों को आमंत्रित करते हैं जिन्होंने अल्फा में यीशु से मुलाकात की, कि वे फिर आएँ और अगली शिक्षा में सहायता करें।
वह चाहते हैं कि वे दूध से आगे बढ़ जाएँ और कठोर भोजन करने लगे। सीखाना मसीह वयस्कता का भाग है। वह चाहते हैं कि वे मसीह की आधारभूत शिक्षा से आगे बढ़ जाएं: मन फिराव, विश्वास, बपतिस्मा, हाथों को रखना, पुनरुत्थान और अंतिम न्याय (इब्रानियो 6:1-2)।
यह एक चकित कर देने वाली सूची है कि लेखक इसे आधारभूत कहते हैं, और यह हम सभी के लिए एक चुनौती है जो चर्च में सिखाते हैं। हमें सुनिश्चित करना है कि हम सच में सभी लोगों को इन चीजों में प्रशिक्षित कर रहे हैं और फिर उन्हें 'कठोर भोजन' की ओर ले जा रहे हैं (5:14)। उदाहरण के लिए आप अपने आपको भोजन देते हैं, बाईबल का अध्ययन करने, उत्साहित करने वाली किताबों को पढ़ने और अच्छी शिक्षा को सुनने के द्वारा।
वह कहते हैं, 'पर अन्न सयानों के लिये है, जिनकी ज्ञानेन्द्रियाँ अभ्यास करते – करते भले – बुरे में भेद करने में निपुण हो गई हैं' (व.14)। दूसरे शब्दों में, वयस्कता अभ्यास करने के द्वारा आती है –हमारे जीवन में परमेश्वर के वचन को लगाना। जैसा कि जॉन विम्बर कहा करते थेः'माँस सड़क पर है।' वयस्कता दिमाग के ज्ञान के विषय में नहीं है। आप सीखते हैं जैसे ही आप अपने विश्वास को जीते हैं। आप 'सड़क' पर भेद करना सीखते हैं, और यह आपको सक्षम बनाता है कि 'माँस' को ग्रहण करें।
फिर वह उन्हें अपने विश्वास को त्यागने या फिर से इसकी घोषणा करने के विरूद्ध चेतावनी देते हैं (6:4-8)। यह एक बहुत ही कठिन लेखांश है, क्योंकि पहली नजर में यह बताता है कि एक मसीह ठोकर खा सकता है, और लोगों का ऐसा एक समूह है जिनके लिए मन फिराव असंभव है। ये दो चीजें हैं जिसे बाकी का नया नियम स्पष्ट करता है, यह मामला नहीं है (विशेष रूप से रोमियो 5-8 देखें)।
उनका मुख्य लक्ष्य है लगातार बने रहने के लिए उत्साहित करना। इन चेतावनियों की तीक्ष्णता (इब्रानियो 6:4-8) स्पष्ट करती है कि यह कितना महत्वपूर्ण है। किंतु, ठोकर खाने की बात को विकसित नहीं किया गया है क्योंकि उन्हें इस बात का आश्वासन है कि वे ऐसा नहीं करेंगे - ' पर हे प्रिय, यद्यपि हम ये बातें कहते हैं तब भी तुम्हारे विषय में हम इससे अच्छी और उध्दारवाली बातों पर भरोसा करते हैं' (व.9, एम.एस.जी)।
फिर वह उन्हें उन फलों के लिए बधाई देते हैं जो वे अपने जीवन में दिखा रहे हैं। उनकी दयालुता के कार्य को परमेश्वर पहले ही देखते हैं क्योंकि वे उनके लिए किए गए थे (व.10)। वह उन्हें पुरस्कार देंगे।
उन्होंने अच्छी शुरुवात की और अब वह अच्छी रीति से समाप्त करने के लिए उन्हें उत्साहित करते हैं - ' तुम में से हर एक जन अन्त तक पूरी आशा के लिये ऐसा ही प्रयत्न करता रहे' (व.11)।
प्रार्थना
सामान्यत जीवन में चीजों की शुरुवात करना, इसका अंत करने से काफी आसान है। जब आरंभिक जोश समाप्त हो जाता है, तो आगे जारी रखने के लिए कठिन परिश्रम, धीरज और साहस की आवश्यकता है। सफलता, फलदायीपन और पुरस्कार उन्हे मिलता है ' तुम आलसी न हो जाओ, वरन् उनका अनुकरण करो जो विश्वास और धीरज के द्वारा प्रतिज्ञाओं के वारिस होते हैं' (व.12)।
यहेजकेल 4:1-6:14
4“मनुष्य के पुत्र, एक ईंट लो। इस पर एक चित्र खींचो। एक नगर का, अर्थात यरूशलेम का एक चित्र बनाओ। 2 और तब उस प्रकार कार्य करो मानो तुम उस नगर का घेरा डाले हुए सेना हो। नगर के चारों ओर एक मिट्टी की दीवार इस पर आक्रमण करने में सहायता के लिये बनाओ। नगर की दीवार तक पहुँचने वाली एक कच्ची सड़क बनाओ। तोड़ फोड़ करने वाले लट्ठे लाओ और नगर के चारों ओर सैनिक डेरे खड़े करो 3 और तब तुम एक लोहे की कड़ाही लो और इसे अपने और नगर के बीच रखो। यह एक लोहे की दीवार की तरह होगी, जो तुम्हें और नगर को अलग करेगी। इस प्रकार तुम यह प्रदर्शित करोगे कि तुम उस नगर के विरुद्ध हो। तुम उस नगर को घेरोगे और उस पर आक्रमण करोगे। क्यों क्योंकि यह इस्राएल के परिवार के लिये एक उदाहरण होगा। यह प्रदर्शित करेगा कि मैं (परमेश्वर) यरूशलेम को नष्ट करुँगा।
4 “तब तुम्हें अपने बायीं करवट लेटना चाहिए। तुम्हें वह करना चाहिए जो प्रदर्शित करे कि तुम इस्राएल के लोगों के पापों को अपने ऊपर ले रहे हो। तुम उस पाप को उतने ही दिनों तक ढोओगे जितने दिन तक तुम अपनी बायीं करवट लेटोगे। 5 तुम इस तरह इस्राएल के पाप को तीन सौ नब्बे दिनो तक सहोगे। इस प्रकार मैं तुम्हें बता रहा हूँ कि इस्राएल, एक दिन एक वर्ष के बराबर के, कितने लम्बे समय तक दण्डित होगा।”
6 “उस समय के बाद तुम अपनी दायीं करवट चालीस दिन तक लेटोगे। इस समय यहूदा के पापों को चालीस दिन तक सहन करोगे। एक दिन एक वर्ष का होगा। मैं तुम्हें बता रहा हूँ कि यहूदा कितने लम्बे समय के लिये दण्डित होगा।”
7 परमेश्वर फिर बोला। उसने कहा, “अब, अपनी आस्तीनों को मोड़ लो और अपने हाथों को ईंट के ऊपर उठाओ। ऐसा दिखाओ मानो तुम यरूशलेम नगर पर आक्रमण कर रहे हो। इसे यह दिखाने के लिये करो कि तुम मेरे नबी के रूप में लोगों से बातें कर रहे हो। 8 इस पर ध्यान रखो, मैं तुम्हें रस्सियों से बाँध रहा हूँ। तुम तब तक बगल से दूसरी बगल करवट नहीं ले सकते जब तक तुम्हारा नगर पर आक्रमण समाप्त नहीं होता।”
9 परमेश्वर ने यह भी कहा, “तुम्हें होटी बनाने के लिये कुछ अन्न लाना चाहिए। कुछ गेहूँ, जौ, सेम, मसूर, तिल, बाजरा और कठिया गेहूँ लाओ। इस सभी को एक कटोरे में मिलाओ और उन्हें पीसकर आटा बनाओ। तुम्हें इस आटे का उपयोग रोटी बनाने के लिये करना होगा। तुम केवल इसी रोटी को तीन सौ नब्बे दिनों तक अपनी बगल के सहारे लेटे हुये खाओगे। 10 तुम्हें केवल एक प्याला वह आटा रोटी बनाने के लिये प्रतिदिन उपयोग करना होगा। तुम उस रोटी को पूरे दिन में समय समय पर खाओगे। 11 और तुम केवल तीन प्याले पानी प्रतिदिन पी सकते हो। 12 तुम्हें प्रतिदिन अपनी रोटी बनानी चाहिए। तुम्हें आदमी का सूखा मल लाकर उसे जलाना चाहिए। तब तुम्हें उस जलते मल पर अपनी रोटी पकानी चाहिए। तुम्हें इस रोटी को लोगों के सामने खाना चाहिए।”
13 तब यहोवा ने कहा, “यह प्रदर्शित करेगा कि इस्राएल का परिवार विदेशों में अपवित्र रोटियाँ खाएगा और मैंने उन्हें इस्राएल को छोड़ने और उन देशों में जाने को विवश किया था!”
14 तब मैंने (यहेजकेल) आश्चर्य से कहा, “किन्तु मेरे स्वामी यहोवा, मैंने अपवित्र भोजन कभी नहीं खाया। मैंने कभी उस जानवर का माँस नहीं खाया, जो किसी रोग से मरा हो या जिसे जंगली जानवर ने मार डाला हो। मैंने बाल्यावस्था से लेकर अब तक कभी अपवित्र माँस नहीं खाया है। मेरे मुँह में कोई भी वैसा बुरा माँस कभी नहीं गया है।”
15 तब परमेश्वर ने मुझसे कहा, “ठीक है! मैं तुम्हें रोटी पकाने के लिये गाय का सूखा गोबर उपयोग में लाने दूँगा। तुम्हें आदमी के सूखे मल का उपयोग नहीं करना होगा।”
16 तब परमेश्वर ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, मैं यरूशलेम की रोटी की आपूर्ति को नष्ट कर रहा हूँ। लोगों के पास खाने के लिये रोटियाँ नहीं के बराबर होंगी। वे अपनी भोजन—आपूर्ति के लिये बहुत परेशान होंगे और उनके लिये पीने का पानी नहीं के बराबर है। वे उस पानी को पीते समय बहुत भयभीत रहेंगे। 17 क्यों क्योंकि लोगों के लिये पर्याप्त भोजन और पानी नहीं होगा। लोग एक दूसरे को देखकर भयभीत होंगे क्योंकि वे अपने पापों के कारण एक दूसरे को नष्ट होता हुआ देखेंगे।”
5“मनुष्य के पुत्र अपने उपवास के समय के बाद तुम्हें ये काम करने चाहिए। तुम्हें एक तेज तलवार लेनी चाहिए। उस तलवार का उपयोग नाई के उस्तरे की तरह करो। तुम अपने बाल और दाढ़ी उससे काट लो। बालों को तराजू में रखो और तौलो। अपने बालों को तीन बराबर भागों में बाँटों। अपने बालों का एक तिहाई भाग उस ईंट पर रखो जिस पर नगर का चित्र बना है। उस नगर में उन बालों को जलाओ। यह प्रदर्शित करता है कि कुछ लोग नगर के अन्दर मरेंगे। तब तलवार का उपयोग करो और अपने बालों के एक तिहाई को छोटे—छोटे टुकड़ों में काट डालो। उन बालों को उस नगर (ईंट) के चारों ओर रखो। यह प्रदर्शित करेगा कि कुछ लोग नगर के बाहर मरेंगे। तब अपने बालों के एक तिहाई को हवा में उड़ा दो। इन्हें हवा को दूर उड़ा ले जाने दो। यह प्रदर्शित करेगा कि मैं अपनी तलवार निकालूँगा और कुछ लोगों का पीछा करके उन्हें दूर देशों में भगा दूँगा। 3 किन्तु तब तुम्हें जाना चाहिए और उन बालों में से कुछ को लाना चाहिए। उन बालों को लाओ, उन्हें ढको और उनकी रक्षा करो। यह प्रदर्शित करेगा कि मैं अपने लोगों में से कुछ को बचाऊँगा 4 और तब उन उड़े हुए बालों में से कुछ और अधिक बालों को लाओ। उन बालों को आग में फेंक दो। यह प्रदर्शित करता है कि आग वहाँ शुरु होगी और इस्राएल के पूरे खानदानको जलाकर नष्ट कर देगी।”
5 तब मेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “वह ईंट यरूशलेम है, मैंने इस यरूशलेम नगर को अन्य राष्ट्रों के बीच रखा है, इस समय इस्राएल के चारों ओर अन्य देश हैं। 6 यरूशलेम के लोगों ने मेरे आदेशों के प्रति विद्रोह किया। वे अन्य किसी भी राष्ट्र से अधिक बुरे थे! उन्होंने मेरे नियमों को उससे भी अधिक तोड़ा जितना उनके चारों ओर के किसी भी देश के लोगों ने तोड़ा। उन्होंने मेरे आदेशों को सुनने से इनकार कर दिया। उन्होंने मेरी व्यवस्था का पालन नहीं किया!”
7 इसलिये मेरे स्वामी यहोवा, ने कहा, “मैं तुम लोगों पर भयंकर विपत्ति लाऊँगा। क्यों क्योंकि तुमने मेरे आदेशों का पालन नहीं किया। तुम लोगों ने मेरे नियमों को अपने चारों ओर रहने वाले लोगों से भी अधिक तोड़ा! तुम लोगों ने वे काम भी किये जिन्हें वे लोग भी गलत कहते हैं!” 8 इसलिये मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “इसलिये मैं भी तुम्हारे विरुद्ध हूँ, मैं तुम्हें इस प्रकार दण्ड दूँगा जिससे दूसरे लोग भी देख सकें। 9 मैं तुम लोगों के साथ वह करुँगा जिसे मैंने पहले कभी नहीं किया। मैं उन भयानक कामों को फिर कभी नहीं करुँगा। क्यों क्योंकि तुमने इतने अधिक भयंकर काम किये। 10 यरूशलेम में लोग भूख से इतने तड़पेंगे कि माता—पिता अपने बच्चों को खा जाएंगें और बच्चे अपने माता—पिता को खा जाएंगे। मैं तुम्हें कई प्रकार से दण्ड दूँगा और जो लोग जीवित बचे हैं, उन्हें मैं हवा में बिखेर दूँगा।”
11 मेरे स्वामी यहोवा कहता है, “यरूशलेम, मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ कि मैं तुम्हें दण्ड दूँगा! मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं तुम्हें दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि तुमने मेरे ‘पवित्र स्थान’ के विरुद्ध भयंकर पाप किया! तुमने वे भयानक काम किये जिन्होंने इसे गन्दा बना दिया! मैं तुम्हें दण्ड दूँगा। मैं तुम पर दया नहीं करुँगा! मैं तुम्हारे लिए दुःख का अनुभव नहीं करुँगा! 12 तुम्हारे एक तिहाई लोग नगर के भीतर रोग और भूख से मरेंगे। तुम्हारे एक तिहाई लोग युद्ध में नगर के बाहर मरेंगे और तुम्हारे लोगों के एक तिहाई को मैं अपनी तलवार निकाल कर उन का पीछा कर के उन्हें दूर देशों में खदेड़ दूँगा। 13 केवल तब मैं तुम्हारे लोगो पर क्रोधित होना बन्द करुँगा। मैं समझ लूँगा कि वे उन बुरे कामों के लिए दण्डित हुए हैं जो उन्होंने मेरे साथ किये थे और वे समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ और मैंने उनसे बातें उनके प्रति गहरा प्रेम होने के कारण की!”
14 परमेश्वर ने कहा, “यरूशलेम मैं तुझे नष्ट करूँगा तुम पत्थरों के ढेर के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं रह जाओगे। तुम्हारे चारों ओर के लोग तुम्हारी हँसी उड़ाएंगे। हर एक व्यक्ति जो तुम्हारे पास से गुजरेगा, तुम्हारी हँसी उड़ाएगा। 15 तुम्हारे चारों ओर के लोग तुम्हारी हँसी उड़ाएंगे, किन्तु उनके लिए तुम एक सबक भी बनोगे। वे देखेंगे कि मैं क्रोधित था और मैंने तुमको दण्ड दिया। मैं बहुत क्रोधित था। मैंने तुम्हें चेतावनी दी थी। मुझ, यहोवा ने तुमसे कहा था कि मैं क्या करूँगा! 16 मैंने कहा था कि मैं तुम्हारे पास भयंकर भुखमरी का समय भेजूँगा। मैंने तुमसे कहा था, मैं उन चीजों को भेजूँगा जो तुमको नष्ट करेंगी और तुमसे कहा था कि मैं तुम्हारी भोजन की आपूर्ति छीन लूँगा, और वह भूखमरी का वह समय बार—बार आया। 17 मैंने तुमसे कहा था कि मैं तुझ पर भूख तथा जंगली पशु भेजूँगा, जो तुम्हारे बच्चों को मार डालेंगे। मैंने तुमसे कहा था कि पूरे नगर में रोग और मृत्यु का राज्य होगा और मैं उन शत्रु—सैनिकों को तुम्हारे विरुद्ध लड़ने के लिये लाऊँगा। मुझ यहोवा ने यह कहा था, ये सभी बातें घटित होंगी और सभी घटित हुई!”
6तब यहोवा का वचन मेरे पास फिर आया। 2 उसने कहा, “मनुष्य के पुत्र इस्राएल के पर्वतों की ओर मुड़ो। उनके विरुद्ध मेरे पक्ष में कहो। 3 उन पर्वतों से यह कहो: ‘इस्राएल के पर्वतों, मेरे स्वामी यहोवा की ओर से यह सन्देश सुनो! मेरे स्वामी यहोवा पहाड़ियों, पर्वतों, घाटियों और खार—खड्डों से यह कहता है। ध्यान दो! मैं (परमेश्वर) शत्रु को तुम्हारे विरुद्ध लड़ने के लिये ला रहा हूँ। मैं तुम्हारे उच्च—स्थानों को नष्ट कर दूँगा। 4 तुम्हारी वेदियों को तोड़ कर टुकड़े—टुकड़े कर दिया जायेगा। तुम्हारी सुगन्धि चढ़ाने की वेदियाँ ध्वस्त कर दी जाएंगी! और मैं तुम्हारे शवों को तुम्हारी गन्दी मूर्तियों के सामने फेकूँगा। 5 मैं इस्राएल के लोगों के शवों को उनके देवताओं की गन्दी मूर्तियों के सामने फेंकूँगा। मैं तुम्हारी हड्डियों को तुम्हारी वेदियों के चारों ओर बिखेरूँगा। 6 जहाँ कहीं तुम्हारे लोग रहेंगे उन पर विपत्तियाँ आएंगी। उनके नगर पत्थरों के ढेर बनेंगे। उनके उच्च स्थान नष्ट किये जाएंगे। क्यों इसलिये कि उन पूजा स्थानों का उपयोग दुबारा न हो सके। वे सभी वेदियाँ नष्ट कर दी जायेंगी। लोग फिर कभी उन गन्दी मूर्तियों को नहीं पूजेंगे। उन सुगन्धि—वेदियों को ध्वस्त किया जाएगा। जो चीजें तुम बनाते हो वे पूरी तरह नष्ट की जाएंगी। 7 तुम्हारे लोग मारे जाएंगे और तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ!’”
8 परमेश्वर ने कहा, “किन्तु मैं तुम्हारे कुछ लोगों को बच निकलने दूँगा। वे थोड़े समय तक विदेशों में रहेंगे। मैं उन्हें बिखेरूँगा और अन्य देशों में रहने के लिये विवश करूँगा। 9 तब वे बचे हुए लोग बन्दी बनाए जाएंगे। वे विदेशों में रहने को विवश किये जाएंगे। किन्तु वे बचे हुए लोग मुझे याद रखेंगे। मैंने उनकी आत्मा (हृदय) को खण्डित किया। जिन पापों को उन्होंने किया, उसके लिये वे स्वयं ही घृणा करेंगे। बीते समय में वे मुझसे विमुख हुए थे और दूर हो गए थे। वे अपनी गन्दी मूर्तियों के पीछे लगे हुए थे। वे उस स्त्री के समान थे जो अपने पति को छोड़कर, किसी दूसरे पुरुष के पीछे दौड़ने लगी। उन्होंने बड़े भयंकर पाप किये। 10 किन्तु वे समझ जाएंगे कि मैं यहोवा हूँ और वे यह जानेंगे कि यदि मैं कुछ करने के लिये कहूँगा तो मैं उसे करुँगा। वे समझ जायेंगे कि वे सब विपत्तियाँ जो उन पर आई हैं, मैंने डाली हैं।”
11 तब मेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “हाथों से ताली बजाओं और अपने पैर पीटो। उन सभी भयंकर चीजों के विरुद्ध कहो जिन्हें इस्राएल के लोगों ने किया है। उन्हें चेतावनी दो कि वे रोग और भूख से मारे जाएंगे। उन्हें बताओ कि वे युद्ध में मारे जाएंगे। 12 दूर के लोग रोग से मरेंगे। समीप के लोग तलवार से मारे जाएंगे। जो लोग नगर में बचे रहेंगे, वे भूख से मरेंगे। मैं तभी क्रोध करना छोड़ूँगा, 13 और केवल तभी तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ। तुम यह तब समझोगे जब तुम अपने शवों को गन्दी मूर्तियों के सामने और वेदियों के चारों ओर देखोगे। तुम्हारे पूजा के उन हर स्थानों के निकट, हर एक ऊँची पहाड़ी, पर्वत तथा हर एक हरे वृक्ष और पत्ते वाले हर एक बांज वृक्ष के नीचे, वे शव होंगे। उन सभी स्थानों पर तुमने अपनी बलि—भेंट की है। वे तुम्हारी गन्दी मूर्तियों के लिए मधुर गन्ध थी। 14 किन्तु मैं अपना हाथ तुम लोगों पर उठाऊँगा और तुम्हें और तुम्हारे लोगों को जहाँ कही वे रहे, दण्ड दूँगा! मैं तुम्हारे देश को नष्ट करूँगा! यह दिबला मरूभूमि से भी अधिक सूनी होगी। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ!”
समीक्षा
अंतिम न्याय के विषय में चेतावनियाँ
शुरुवात से लेकर, यह बात स्पष्ट है कि लोगों को चेतावनी देना कभी भी एक आसान काम नहीं है! इस लेखांश में परमेश्वर अपने लोगों को आने वाली चीजों के विषय में चेतावनी देते हैं। इसके अतिरिक्त, इस्राएल के साथ जो होने वाला था, वह 'देशों को चेतावनी देने के लिए था' (5:15)।
यहेजकेल को दृश्य की सहायता से प्रस्तुत करने के लिए कहा गया, पाप की गंभीरता को दिखाने के लिए और उस आने वाले न्याय के विषय में चेतावनी देने के लिए जो होने वाला था यदि लोग मन नहीं फिरायेंगे।
यहेजकेल अवश्य ही अजीब दिखाई दिए होंगे। कुल 430 दिन अपनी बगल पर सोना (4:5-6) अवश्य ही थोड़ा विचित्र लगता होगा – लेकिन यह एक शक्तिशाली चित्र था। ( शायद से हमेशा से ऐसा ही रहा है कि लोग अधिकतर उस बात को ज्यादा याद रखते हैं जो वे देखते हैं नाकि जो वे सुनते हैं)। न्याय आने वाला था क्योंकि परमेश्वर के लोग ' न मेरे नियमों को मानते और अपने चारों ओर की जातियों के नियमों के अनुसार भी न किया' (5:7)।
परमेश्वर कभी भी खाली धमकी नहीं देते हैः' उनकी सारी हानि करने को मैंने जो यह कहा है, उसे व्यर्थ नहीं कहा' (6:10)। परमेश्वर की चेतावनियाँ हमेशा प्रेम का कार्य होती है। वह चाहते हैं कि सभी लोग मन फिराये और 'सत्य के ज्ञान को पा लें' (1तीमुथियुस 2:4)।
आज, हम इस बात की बहुत चिंता करते हैं कि कहीं नकारात्मक न लगे या दोष लगाने वाले ना बन जाएँ क्योंकि इस बात का खतरा है कि हम प्रेम न करने वाले बन जाएँगे यदि हम लोगों को आने वाले खतरे के विषय में चेतावनी देने में पर्याप्त निर्भीक नहीं बनते हैं।
यह परमेश्वर के लिए और परमेश्वर के लोगों के लिए प्रेम था जिसकी वजह से यहेजकेल ने इन दृश्यों के प्रदर्शन से परमेश्वर के आने वाले न्याय के विषय में चेतावनी दी। यहेजकेल को लोगों के 'पाप का भार सहने' के लिए कहा गया था (यहेजकेल 4:4-6)। यह दृश्य भी आने वाली चीजों का एक संकेत था। यीशु ने वह किया जिसका यहेजकेल ने केवल पूर्वाभास किया था। यीशु ने क्रूस पर आपके पापों को ले लिया (1पतरस 2:24)। उन्होंने परमेश्वर के न्याय को अपने ऊपर ले लिया और आपको और मुझे सक्षम किया कि मसीह में आशीष के सभी अद्भुत वायदों को ग्रहण करें।
यीशु के जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान ने सबकुछ बदल दिया, तब भी हमारे लिए चेतावनियाँ वास्तविक और गंभीर हैं। सच में, यें चेतावनियाँ उद्धार की वास्तविकता को और मसीह में उपलब्ध सभी आशीषों को और भी अद्भुत बनाती हैं। सुसमाचार महान समाचार है।
प्रार्थना
परमेश्वर, मुझे बुद्धि दीजिए कि कैसे संवेदनशीलता और वफादारी के साथ यीशु के सुसमाचार का प्रचार करुँ। परमेश्वर की संपूर्ण सलाह को बताने के लिए मुझे साहस दीजिए।
पिप्पा भी कहते है
यहेजकेल 4:1-14
बेचारे यहेजकेल! 390 दिन अपनी बगल पर लेटे रहना और गोबर पर पके भोजन को खाना विचित्र लगता है। मुझे नहीं लगता कि परमेश्वर ने मुझे ऐसा कुछ करने के लिए कहा है। धन्यवाद हो परमेश्वर को, हम सभी को विचित्र बनने की आवश्यकता नहीं है।
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संदर्भ
विल पविआ,'वार्निंग डिपार्टमेंट ऑफ लेबलिंग मे कंटेन नट्स' टाईम्स ऑनलाईन, जनवरी6, 2006
विलियम शेक्सपियर, ओथेलो
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