दिन 311

आप परमेश्वर के निकट जा सकते हैं

बुद्धि भजन संहिता 119:169-176
नए करार इब्रानियों 7:11-28
जूना करार यहेजकेल 10:1-12:28

परिचय

अमेरिकन सिविल युद्ध के दौरान, परिवार में विडंबना के कारण, एक सैनिक को अनुमति मिली कि जाकर प्रेसीडेंट से बात करें। वह सेना की सेवा से छूटने का निवेदन करना चाहते थे। किंतु, जब वह व्हाईट हाऊस में पहुँचे, उन्हें अंदर आने से मरा कर दिया गया और वापस भेज दिया गया। वह वहाँ से चले गए और नजदीकी बगीचे में जाकर बैठ गए।

एक जवान लड़का उनके पास आया और कहा कि आप बहुत दुखी लग रहे हो। सैनिक ने जवान लड़के को सबकुछ बता दिया। आखिर में लड़के ने कहा, 'मेरे साथ आओ।' वह नकारे गए सैनिक को फिर व्हाईट हाउस में ले गया। वे आगे जाने लगे, किसी पहरेदार ने उन्हें नहीं रोका। यहाँ तक कि जनरल और ऊँचे पदवाले सरकारी अधिकारी सम्मान में खड़े हो गए और उन्हें आगे जाने दिया।

सैनिक चकित हो गया था। अंत में, वे प्रेसीडेंट के ऑफिस में आए। बिना खटखटाये, छोटे लड़के ने दरवाजा खोला और सीधे अंदर चला गया। वहाँ पर खड़े, अब्राहम लिंकन राज्य के सेक्रेटरी से बात करना बंद करके मुड़े और कहा, 'टॅड, मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ:'

टॅड ने कहा, 'डैड, सैनिक आपसे बात करना चाहते हैं।'

'बेटे के द्वारा' सैनिक प्रेसीडेंट के पास पहुँच पाये। नये नियम के अनुसार, और भी अद्भुत रीति से, आप 'बेटे के द्वारा - यीशु' परमेश्वर के पास पहुँच सकते हैं।

बहुत से लोग प्रार्थना करते हैं, लेकिन सारी प्रार्थना मसीह नहीं है। मसीह प्रार्थना अलग है - यह त्रिऐक्य है। संत पौलुस लिखते हैं, ' क्योंकि उन्ही के द्वारा हम दोनों की एक आत्मा में पिता के पास पहुँच होती है' (इफीसियों 2:18)।

यही कारण है कि प्रार्थना एक महान सुविधा है। अपने पिता के रूप में आप परमेश्वर से बात कर सकते हैं, ब्रह्मांड के निर्माता। यीशु के द्वारा आप उनके पास जाते हैं, जो परमेश्वर हैं, हमारे प्रभु, भाई और मित्र। आपकी प्रार्थनाएँ परमेश्वर की पवित्र आत्मा के द्वारा उत्साहित होती हैं, जो आपके हृदय में रहते हैं।

बुद्धि

भजन संहिता 119:169-176

ताव्

169 हे यहोवा, सुन तू मेरा प्रसन्न गीत है।
 मुझे बुद्धिमान बना जैसा तूने वचन दिया है।
170 हे यहोवा, मेरी विनती सुन।
 तूने जैसा वचन दिया मेरा उद्धार कर।
171 मेरे अन्दर से स्तुति गीत फूट पड़े
 क्योंकि तूने मुझको अपना विधान सिखाया है।
172 मुझको सहायता दे कि मैं तेरे वचनों के अनुसार कार्य कर सकूँ, और मुझे तू अपना गीत गाने दे।
 हे यहोवा, तेरे सभी नियम उत्तम हैं।
173 तू मेरे पास आ, और मुझको सहारा दे
 क्योंकि मैंने तेरे आदेशों पर चलना चुन लिया है।
174 हे यहोवा, मैं यह चाहता हूँ कि तू मेरा उद्धार करे,
 तेरी शिक्षाएँ मुझे प्रसन्न करती है।
175 हे यहोवा, मेरा जीवन बना रहे और मैं तेरी स्तुति करूँ।
 अपने विधान से तू मुझे सहारा मिलने दे।
176 एक भटकी हुई भेड़ सा, मैं इधर-उधर भटका हूँ।
 हे यहोवा, मुझे ढूँढते आ।
 मैं तेरा दास हूँ,
 और मैं तेरे आदेशों को भूला नहीं हूँ।

समीक्षा

पिता के लिए।

जब मैं पहली बार यीशु से मिला मुझे प्रार्थना के लिए एक नमूना सीखया गया, अंग्रेजी शब्द 'ए.सी.टी.एस.' का इस्तेमाल करते हुए। इनमें से हर एक इस लेखांश में दर्शाया गया है।

भजनसंहिता के लेखक की प्रार्थना परमेश्वर को संबोधित की गई हैं। यीशु हमें परमेश्वर को अपने पिता के रूप में देखने के लिए सिखाते हैं। जैसा कि भजनसंहिता 119 नजदीक आता है, भजनसंहिता के लेखक अनेक प्रार्थनाएँ करते हैं, जिसमें 'ए.सी.टी.एस.' शामिल है।

ए – आराधना

जो परमेश्वर हैं और जो उन्होंने किया है, उसके लिए परमेश्वर की स्तुति कीजिए। ‘मुझे जिला, और मैं तेरी स्तुति करूँगा' (व.175, ए.एम.पी)।

सी – घोषणा

जो कोई गलती आपने की है, उसके लिए परमेश्वर से क्षमा माँगिये।

‘मैं खोई हुई भेड़ के समान भटका हूँ' (व.176, ए.एम.पी)।

टी. – धन्यवाद देना

स्वास्थ, परिवार, मित्र इत्यादि के लिए परमेश्वर का धन्यवाद दीजिए।

'मेरे मुँह से स्तुति निकला करे' (व.171, ए.एम.पी)।

एस. – निवेदन

अपने लिए, अपने मित्रों के लिए और दूसरों के लिए प्रार्थना करिए

'मेरा गिड़गिड़ाना तुझ तक पहुँचे' (व.170)।

ए – प्रभु हमारे पिता परमेश्वर। मैं आपकी आराधना करता हूँ। परमेश्वर मैं आपसे प्रेम करता हूँ। मैं आपकी स्तुति करता हूँ कि मैं आपके पास आ सकता हूँ, ब्रह्मांड के निर्माता। आपके पास पहुंचने की महान सुविधा के लिए आपका धन्यवाद।

सी. – मैं आपके सामने अपने पापों का अंगीकार करता हूँ और आपसे क्षमा माँगता हूँ.

प्रार्थना

टी. – मेरे जीवन में सभी आशीषों के लिए आपका धन्यवाद। मेरे परिवार और मित्रो के लिए आपका धन्यवाद। प्रार्थना के बहुत से अद्भुत उत्तरों के लिए आपका धन्यवाद। आपका धन्यवाद...

एस. – परमेश्वर मैं आज प्रार्थना करता हूँ...

नए करार

इब्रानियों 7:11-28

11 यदि लेवी सम्बन्धी याजकता के द्वारा सम्पूर्णता प्राप्त की जा सकती क्योंकि इसी के आधार पर लोगों को व्यवस्था का विधान दिया गया था। तो किसी दूसरे याजक के आने की आवश्यकता ही क्या थी? एक ऐसे याजक की जो मिलिकिसिदक की परम्परा का हो, न कि औरों की परम्परा का। 12 क्योंकि जब याजकता बदलती है, तो व्यवस्था में भी परिवर्तन होना चाहिए। 13 जिसके विषय में ये बातें कही गयी हैं, वह किसी दूसरे गोत्र का है, और उस गोत्र का कोई भी व्यक्ति कभी वेदी का सेवक नहीं रहा। 14 क्योंकि यह तो स्पष्ट ही है कि हमारा प्रभु यहूदा का वंशज था और मूसा ने उस गोत्र के लिए याजकों के विषय में कुछ नहीं कहा था।

यीशु मिलिकिसिदक के समान है

15 और जो कुछ हमने कहा है, वह और भी स्पष्ट है कि मिलिकिसिदक के जैसा एक दूसरा याजक प्रकट होता है। 16 वह अपनी वंशावली के नियम के आधार पर नहीं, बल्कि एक अमर जीवन की शक्ति के आधार पर याजक बना है। 17 क्योंकि घोषित किया गया था: “तू है एक याजक शाश्वत मिलिकिसिदक के जैसा।”

18 पहला नियम इसलिए रद्द कर दिया गया क्योंकि वह निर्बल और व्यर्थ था। 19 क्योंकि व्यवस्था के विधान ने किसी को सम्पूर्ण सिद्ध नहीं किया। और एक उत्तम आशा का सूत्रपात किया गया जिसके द्वारा हम परमेश्वर के निकट खिंचते हैं।

20 यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि परमेश्वर ने यीशु को शपथ के द्वारा प्रमुख याजक बनाया था। जबकि औरों को बिना शपथ के ही प्रमुख याजक बनाया गया था। 21 किन्तु यीशु तब एक शपथ से याजक बना था, जब परमेश्वर ने उससे कहा था,

“प्रभु ने शपथ ली है,
और वह अपना मन कभी नहीं बदलेगा:
‘तू एक शाश्वत याजक है।’”

22 इस शपथ के कारण यीशु एक और अच्छे वाचा की ज़मानत बन गया है।

23 अब देखो, ऐसे बहुत से याजक हुआ करते थे जिन्हें मृत्यु ने अपने पदों पर नहीं बने रहने दिया। 24 किन्तु क्योंकि यीशु अमर है, इसलिए उसका याजकपन भी सदा-सदा बना रहने वाला है। 25 अतः जो उसके द्वारा परमेश्वर तक पहुँचते हैं, वह उनका सर्वदा के लिए उद्धार करने में समर्थ है क्योंकि वह उनकी मध्यस्थता के लिए ही सदा जीता है।

26 ऐसा ही महायाजक हमारी आवश्यकता को पूरा कर सकता है, जो पवित्र हो, दोषरहित हो, शुद्ध हो, पापियों के प्रभाव से दूर रहता हो, स्वर्गों से भी जिसे ऊँचा उठाया गया हो। 27 जिसके लिए दूसरे महायाजकों के समान यह आवश्यक न हो कि वह दिन प्रतिदिन पहले अपने पापों के लिए और फिर लोगों के पापों के लिए बलियाँ चढ़ाए। उसने तो सदा-सदा के लिए उनके पापों के हेतु स्वयं अपने आपको बलिदान कर दिया। 28 किन्तु परमेश्वर ने शपथ के साथ एक वाचा दिया। यह वाचा व्यवस्था के विधान के बाद आया और इस वाचा ने प्रमुख याजक के रूप में पुत्र को नियुक्त किया जो सदा-सदा के लिए सम्पूर्ण बन गया।

समीक्षा

यीशु के द्वारा...

यीशु 'हमें परमेश्वर की उपस्थिति में लाते हैं' (व.19, एम.एस.जी)। पिता के पास पहुँचना यीशु के द्वारा संभव हुआ। आप परमेश्वर के 'निकट जा सकते हैं' (व.19)। यीशु महायाजक हैं जो 'उनके द्वारा परमेश्वर के पास जाना' आपके लिए संभव बनाते हैं (व.25)।

यीशु पुत्र हैं, 'जो सर्वदा के लिए सिद्ध किये गये हैं' (व.28)। वह आपको एक 'बेहतर' आशा देते हैं (व.19)। शब्द 'बेहतर' इब्रानियों की पुस्तक में कई बार दिखाई देता है। लेखक नियमित रूप से अंतर स्पष्ट करते हैं, किसी बुरी चीज का किसी अच्छी चीज के साथ नहीं, लेकिन किसी अच्छी चीज का किसी 'सिद्ध' चीज के साथ और इसलिए बहुत 'बेहतर।'

यीशु की याजकीय सेवकाई एक उँचे वायदे पर आधारित है। लेखक भजनसंहिता 110:4 को दोहराते हैं, यह दिखाने के लिए कि कैसे यीशु की याजकीय सेवकाई परमेश्वर के वायदे के द्वारा स्थापित हुई। पूर्वी स्थायी याजकीय सेवकाई की तरह नहीं, यीशु की याजकीय सेवकाई परमेश्वर के वायदे के द्वारा स्थिर की गई थी (इब्रानियों 7:20-21)। यीशु सिद्ध रूप से आपकी सारी जरुरतों को पूरा करते हैं (व.26)।

  1. यीशु ने आपके लिए मृत्यु को हरा दिया

'जो शारीरिक आज्ञा की व्यवस्था के अनुसार नहीं, पर अविनाशी जीवन की सामर्थ के अनुसार नियुक्त हुआ हो' (व.16)। यीशु सर्वदा जीवित हैं, और उनकी याजकीय सेवकाई सदा की है (वव.23-24)।

  1. यीशु नियमित रूप से आपके लिए प्रार्थना कर रहे हैं

यीशु नियमित रूप से उनके लिए मध्यस्थता करते हैं जो उनके द्वारा परमेश्वर के पास आते हैं:' इसीलिये जो उनके द्वारा परमेश्वर के पास आते हैं, वह उनका पूरा पूरा उध्दार कर सकते हैं, क्योंकि वह उनके लिये विनती करने के लिए सर्वदा जीवित हैं' (व.25ब, ए.एम.पी)।

रॉबर्ट मुर्रे एमचिन (1813 -1843) ने लिखाः 'यदि मैं मसीह को अगले कमरे में मेरे लिए प्रार्थना करते हुए सुन सकता, तो मैं लाखों शत्रुओं से भी नहीं घबराऊँगा। तब भी दूरी से अंतर नहीं पड़ता है। वह मेरे लिए प्रार्थना करते हैं।'

यीशु अद्वितीय रूप से आपका प्रतिनिधित्व करने में सक्षम हैं

'अत: ऐसा ही महायाजक हमारे योग्य था जो पवित्र, और निष्कपट, और निर्मल, और पापियों से अलग, और स्वर्ग से भी उँचा किया हुआ हो' (व.26, एम.एस.जी)। वह अद्वितीय मध्यस्थ हैं जो पूरी तरह से परमेश्वर और पूरी तरह से मनुष्य हैं।

  1. यीशु ने आपके पापों के लिए सिद्ध बलिदान चढ़ाया

'उन महायाजकों के समान उसे आवश्यक नहीं कि प्रतिदिन पहले अपने पापों और फिर लोगों के पापों के लिये बलिदान चढ़ाए' (व.27)। जब यीशु ने क्रूस पर अपने आपको बलिदान करके चढ़ाया, इस बलिदान को केवल एक ही बार चढ़ाये जाने की आवश्यकता थी, क्योंकि यह पूरी तरह से प्रभावित थीः'उसने अपने आप को बलिदान चढ़ाकर उसे एक ही बार में पूरा कर दिया' (व.27)।

एक ऊँचे जीवन, एक ऊंचे वायदे, एक ऊँचे 'बलिदान चढ़ाने वाले' के गुण और एक ऊँचा बलिदान, ये सब दर्शाते हैं कि यीशु की याजकीय सेवकाई पूरी तरह से प्रभावी हैं जो आपको पिता के पास पहुँचाती है। यीशु के सर्वदा के और सिद्ध याजकीय सेवकाई के द्वारा, आप 'परमेश्वर के निकट पहुँच सकते हैं' (व.19)। आप 'उनके द्वारा परमेश्वर के पास जा सकते हैं' (व.25)।

प्रार्थना

पिता, आपका धन्यवाद क्योंकि मैं आज यीशु के द्वारा आपके पास आ सकता हूँ और मैं जान सकता हूँ कि वह नियमित रूप से मेरे लिए प्रार्थना कर रहे हैं।

जूना करार

यहेजकेल 10:1-12:28

10तब मैंने उस कटोरे को देखा जो करुब (स्वर्गदूत) के सिरों के ऊपर था। कटोरा नीलमणि की तरह स्वच्छ नीला दिख रहा था। वहाँ कटोरे के ऊपर कुछ सिंहासन की तरह दिख रहा था। 2 तब उस व्यक्ति ने जो सिंहासन पर बैठा था, सन के वस्त्र पहने हुए व्यक्ति से कहा, “तुफानी—बादल में आओ। करुब (स्वर्गदूत) के क्षेत्र में आओ। करुब (स्वर्गदूतों) के बीच से कुछ अंगारे अपने हाथ में लो। अपने हाथ में उन कोयलों को ले जाओ और जाकर उन्हें यरूशलेम नगर पर फेंक दो।”

वह व्यक्ति मेरे पीछे चला। 3 करुब (स्वर्गदूत) उस समय मन्दिर के दक्षिण के क्षेत्र में खड़े थे, जब वह व्यक्ति बादल में घुसा। बादल भीतरी आँगन में भर गया। 4 तब यहोवा का तेज करुब (स्वर्गदूत) से अलग होकर मन्दिर के द्वार पर चला गया। तब बादल मन्दिर में भर गया और यहोवा के तेज की प्रखर ज्योति पूरे आँगन में भर गई। 5 तब मैंने करूब (स्वर्गदूतों) के पंखों की फड़फड़ाहट पूरे बाहरी आँगन में सुनी जा सकती थी। बाहरी आँगन में फड़फड़ाहट बड़ी प्रचण्ड थी, वैसी ही जैसी सर्वशक्तिमान परमेश्वर की गरजती वाणी होती है, जब वह बातें करता है।

6 परमेश्वर ने सन के वस्त्र पहने हुए व्यक्ति को आदेश दिया था। परमेश्वर ने उसे “तूफानी—बादल” में घुसने के लिये कहा और करुब (स्वर्गदूतों) के बीच से कुछ अंगारे लेने को कहा। इसलिये वह व्यक्ति तूफानी—बादल में घुस गया और गोल चक्रों में से एक के सहारे खड़ा हो गया। 7 करुब (स्वर्गदूतों) में से एक ने अपना हाथ बढ़ाया और करुब (स्वर्गदूतों) के क्षेत्र के बीच से कुछ अंगारे लिये। उसने अंगारों को उस व्यक्ति के हाथों में रख दिया और वह व्यक्ति वहाँ से चला गया। 8 (करुब स्वर्गदूतों के पंखों के नीचे कुछ ऐसा था जो मनुष्य की भुजाओं की तरह दिखता था।)

9 तब मैंने देखा कि वहाँ चार गोल चक्र थे। हर एक करुब (स्वर्गदूत) की बगल में एक चक्र था, और चक्र स्वच्छ पीले रत्न की तरह दिखते थे। 10 वे चार चक्र थे और सब चक्र एक से प्रतीत होते थे। वे ऐसे दिखते थे मानों एक चक्र दूसरे चक्र में हो। 11 जब वे चलते थे तो किसी भी दिशा में जा सकते थे। जब कभी वे चलते थे वे चारों एक साथ चलते थे। किन्तु उनके चलने के साथ करुब (स्वर्गदूत) साथ—साथ चक्कर नहीं लगाते थे। वे उस दिशा में चलते थे, जिधर उनका मुख होता था। जब वे चलते थे तो वे इधर—उधर नहीं मुड़ते थे। 12 उनके पूरे शरीर पर आँखे थीं। उनकी पीठ, उनकी भुजा, उनके पंख और उनके चक्र में आँखे थीं। हाँ, चारों चक्रों में आँखे थीं! 13 मेरे सुनते हुए इन पहियों को चक्कर कहा गया, अर्थात् घुमने वाले पहिए।

14-15 हर एक करुब (स्वर्गदूत) चार मुखों वाला था। पहला मुख करुब का था। दूसरा मुख मनुष्य का था। तीसरा सिंह का मुख था और चौथा उकाब का मुख था। तब मैंने जाना कि (ये करुब स्वर्गदूत वे जानवर थे जिन्हें मैंने कबार नदी के दर्शन में देखा था!)

तब करुब (स्वर्गदूत) हवा में उठे। 16 उनके साथ चक्र उठे। चक्रों ने अपनी दिशा उस समय नहीं बदली जब करुब (स्वर्गदूत) ने पंख खोले और वे हवा में उड़े। 17 यदि करुब (स्वर्गदूत) हवा में उड़ते थे तो चक्र उनके साथ जाते थे। यदि करुब (स्वर्गदूत) शान्त खड़े रहते थे तो चक्र भी वैसा ही करते थे। क्यों क्योंकि उनमें प्राणियों की आत्मा की शक्ति थी।

18 तब यहोवा का तेज मन्दिर की देहली से उठा, करुब (स्वर्गदूतों) के स्थान के ऊपर गया और वहाँ ठहर गया। 19 तब करुब (स्वर्गदूतों) ने अपने पंख खोले और हवा में उड़ गए। मैंने उन्हें मन्दिर को छोड़ते देखा! चक्र उनके साथ चले। तब वे यहोवा के मन्दिर के पूर्वी द्वार पर ठहरे। इस्राएल के परमेश्वर का तेज हवा में उनके ऊपर था।

20 तब मैंने इस्राएल के परमेश्वर के तेज के नीचे प्राणियों को कबार नदी के दर्शन में याद किया और मैंने अनुभव किया कि वे प्राणी करुब (स्वर्गदूत) थे। 21 हर एक प्राणी के चार मुख थे, चार पंख थे और पंखों के नीचे कुछ ऐसा था जो मनुष्य की भुजाओं की तरह दिखता था। 22 करुब (स्वर्गदूतों) के वही चार मुख थे जो कबार नदी के दर्शन के प्राणियों के थे और वे सीधे आगे उस दिशा में देखते थे, जिधर वे जा रहे थे।

11तब आत्मा मुझे यहोवा के मन्दिर के पूर्वी द्वार पर ले गया। इस द्वार का मुख पूर्व को है जहाँ सूरज निकलता है। मैंने इस फाटक के प्रवेश द्वार पर पच्चीस व्यक्ति देखे। अज्जूर का पुत्र याजन्याह उन लोगों के साथ था और बनायाह का पुत्र पलत्याह वहाँ था। पलत्याह लोगों का प्रमुख था।

2 तब परमेश्वर ने मुझसे कहा। उसने बताया, “मनुष्य के पुत्र, ये वे व्यक्ति हैं जो इस नगर में बुरी योजना बनाते हैं। ये सदा लोगों के बुरे काम करने को कहते हैं। 3 वे लोग कहते हैं, ‘हम लोग शीघ्र ही फिर से अपने मकान बनाने लगेंगे। हम लोग पात्र में रखे माँस की तरह इस नगर में सुरक्षित हैं!’ 4 वे यह झूठ फैला रहे हैं। इसलिये तुम्हें मेरे लिये लोगों से बात करनी चाहिए। मनुष्य के पुत्र! जाओ और लोगों के बीच भविष्यवाणी करो।”

5 तब यहोवा की आत्मा मुझमें आई। उसने मुझसे कहा, “उनसे कहो कि यहोवा ने यह सब कहा है: इस्राएल के परिवार, तुम बड़ी योजना बना रहे हो। किन्तु मैं जानता हूँ कि तुम क्या सोच रहे हो! 6 तुमने इस नगर में बहुत से लोगों को मार डाला है। तुमने सड़कों को शवों से पाट दिया है। 7 अब हमारा स्वामी यहोवा, यह कहता है, ‘वे शव माँस हैं और यह नगर पात्र है। किन्तु वह (नबूकदनेस्सर) आएगा और तुम्हें इस सुरक्षित पात्र से निकाल ले जाएगा! 8 तुम तलवार से भयभीत हो। किन्तु मैं तुम्हारे विरुद्ध तलवार ला रहा हूँ।’” हमारे स्वामी यहोवा ने यह सब कहा है। इसलिये ये घटित होंगी!

9 परमेश्वर ने यह भी कहा, “मैं तुम लोगों को इस नगर से बाहर ले जाऊँगा और मैं तुम्हें अजनबियों को सौंप दूँगा। मैं तुम लोगों को दण्ड दूँगा! 10 तुम तलवार के घाट उतरोगे। मैं तुम्हें यहाँ इस्राएल में दण्ड दूँगा जिससे तुम समझोगे कि वह मैं हूँ जो तुम्हें दण्ड दे रहा हूँ। मैं यहोवा हूँ। 11 हाँ, यह स्थान खौलती कड़ाही बनेगा और तुम इसमें के माँस होंगे, जो भूना जाता है! मैं तुम्हें यहाँ इस्राएल में दण्ड दूँगा। 12 तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ। वह मेरा नियम था जिसे तुमने तोड़ा है! तुमने मेरे आदेशों का पालन नहीं किया। तुमने अपने चारों ओर के राष्ट्रों की तरह रहने का निर्णय किया।”

13 जैसे ही मैंने परमेश्वर के लिये बोलना समाप्त किया, बनायाह का पुत्र पलत्याह मर गया! मैं धरती पर गिर पड़ा। मैंने धरती पर माथा टेका और कहा, “हे मेरे स्वामी यहोवा, तू क्या इस्राएल के सभी बचे हुओं को पूरी तरह नष्ट करने पर तुला हुआ है!”

14 किन्तु तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 15 “मनुष्य के पुत्र, तुम इस्राएल के परिवार के अपने उन भाईयों को याद करो जिन्हें अपने देश को छोड़ने के लिये विवश किया गया था। लेकिन मैं उन्हें वापस लाऊँगा। किन्तु यहाँ यरूशलेम में रहने वाले लोग कह रहे है, यहोवा हम से दूर रह। यह भूमि हमें दी गई — यह हमारी है!”

16 इसलिये उन लोगों से यह सब कहो: हमारा स्वामी यहोवा, कहता है, “यह सत्य है कि मैंने अपने लोगों को बहुत दूर के देशों में जाने को विवश किया। मैंने ही उनको बहुत से देशों में बिखेरा और मैं अन्य देशों में उन के लिये थोड़े समय का पवित्र स्थान ठहरुँगा। 17 इसलिये तुम्हें उन लोगों के कहना चाहिए कि उनका स्वामी यहोवा, उन्हें वापस लाएगा। मैंने तुम्हें, बहुत से देशों में बिखेर दिया है। किन्तु मैं तुम लोगों को एक साथ इकट्ठा करुँगा और उन राष्ट्रों से तुम्हें वापस लाऊँगा। मैं इस्राएल का प्रदेश तुम्हें वापस दूँगा 18 और जब हमारे लोग लौटेंगे तो वे उन सभी भंयकर गन्दी देवमूर्तियों को, जो अब यहाँ है, नष्ट कर देंगे। 19 मैं उन्हें एक साथ लाऊँगा और उन्हें एक व्यक्ति सा बनाऊँगा। मैं उनमें नयी आत्मा भरूँगा। मैं उनके पत्थर के हृदय को दूर करुँगा और उसके स्थान पर सच्चा हृदय दूँगा। 20 तब वे मेरे नियमों का पालन करेंगे। वे मेरे आदेशों का पालन करेंगे, वे वह कार्य करेंगे जिन्हें मैं करने को कहूँगा। वे सचमुच मेरे लोग होंगे और मैं उनका परमेश्वर होऊँगा।”

21 तब परमेश्वर ने कहा, “किन्तु इस समय उनका हृदय भयंकर गन्दी देवमूर्तियों का हो चुका है। मुझे उन लोगों को उन बुरे कर्मों के लिये दण्ड देना चाहिए जो उन्होंने किया है।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा है। 22 तब करुब (स्वर्गदूत) ने अपने पंख खोले और हवा में उड़ गये। चक्र उनके साथ गए। इस्राएल के परमेश्वर का तेज उनके ऊपर था। 23 यहोवा का तेज ऊपर हवा में उठा और उसने यरूशलेम को छोड़ दिया। वह क्षण भर के लिये यरूशलेम के पूर्व की पहाड़ी पर ठहरा। 24 तब आत्मा ने मुझे हवा में उठाया और वापस बाबुल में पहुँचा दिया। उसने मुझे उन लोगों के पास लौटाया, जो इस्राएल छोड़ने के लिये विवश किये गये थे। तब दर्शन में परमेश्वर की आत्मा हवा में उठी और मुझे छोड़ दिया। मैंने उन सभी चीजों को परमेश्वर के दर्शन में देखा। 25 तब मैंने निर्वासित लोगों से बातें की। मैंने वे सभी बातें बताई जो यहोवा ने मुझे दिखाई थीं।

12तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 2 “मनुष्य के पुत्र, तुम विद्रोही लोगों के साथ रहते हो। वे सदैव मेरे विरुद्ध गये हैं। देखने के लिये उनकी आँखें हैं जो कुछ मैंने उनके लिये किया है। किन्तु वे उन चीजों को नहीं देखते। सुनने के लिये उनके कान हैं, उन चीजों को जो मैंने उन्हें करने को कहा है। किन्तु वे मेरे आदेश नहीं सुनते। क्यों क्योंकि वे विद्रोही लोग हैं। 3 इसलिए, मनुष्य के पुत्र अपना सामान बांध लो। ऐसा व्यवहार करो मानों तुम किसी दूर देश को जा रहे हो। यह इस प्रकार करो कि लोग तुम्हें देखते रहें। संभव है, कि वे लोग तुम पर ध्यान दें, किन्तु वे लोग बड़े विद्रोही लोग हैं।

4 “दिन के समय तुम अपना सामान इस प्रकार बाहर ले जाओ कि लोग तुम्हें देखते रहें। तब शाम को ऐसा दिखावा करो, कि तुम दूर देश में एक बन्दी की तरह जा रहे हो। 5 लोगों की आँखों के सामने दीवार में एक छेद बनाओ और उस दीवार के छेद से बाहर जाओ। 6 रात को अपना सामान कन्धे पर रखो और उस स्थान को छोड़ दो। अपने मुँह को ढक लो जिससे तुम यह न देख सको कि तुम कहाँ जा रहे हो। इन कामों को तुम्हें इस प्रकार करना चाहिये, कि लोग तुम्हें देख सकें। क्यों क्योंकि मैं तुम्हें इस्राएल के परिवार के लिये एक उदाहरण के रूप में उपयोग कर रहा हूँ।”

7 इसलिये मैंने (यहेजकेल ने) आदेश के अनुसार किया। दिन के समय मैंने अपना सामान उठाया और ऐसा दिखावा किया मानों मैं किसी दूर देश को जा रहा हूँ। उस शाम मैंने अपने हाथों का उपयोग किया और दीवार में एक छेद बनाया। रात को मैंने अपना सामान कन्धे पर रखा और चल पड़ा। मैंने यह सब इस प्रकार किया कि सभी लोग मुझे देख सकें।

8 अगली सुबह मुझे यहोवा का वचन मिला। उसने कहा, 9 “मनुष्य के पुत्र, क्या इस्राएल के उन विद्रोही लोगों ने तुमसे पूछा कि तुम क्या कर रहे हो 10 उनसे कहो कि उनके स्वामी यहोवा ने ये बातें बताई है। यह दुःखद वचन यरूशलेम के प्रमुखों और वहाँ रहने वाले इस्राएल के सभी लोगों के बारे में है। 11 उनसे कहो, ‘मैं (यहेजकेल) तुम सभी लोगों के लिये एक उदाहरण हूँ। जो कुछ मैंने किया है वह तुम लोगों के लिये सत्य होगा।’ तुम सचमुच बन्दी के रूप में दूर देश में जाने के लिये विवश किये जाओगे। 12 तुम्हारा प्रमुख दीवार में छेद करेगा और रात को गुप्त रूप से निकल भागेगा। वह अपने मुख को ढक लेगा जिससे लोग उसे पहचानेंगे नहीं। उसकी आँखे, यह देखने के लायक नहीं होंगी कि वह कहाँ जा रहा है। 13 वह भाग निकलने का प्रयत्न करेगा। किन्तु मैं (परमेश्वर) उसे पकड़ लूँगा! वह मेरे जाल में फँस जाएगा और मैं उसे बाबुल लाऊँगा जो कसदियों के लोगों का देश है। किन्तु वह देख नहीं पाएगा कि वह कहाँ जा रहा है। शत्रु उसकी आँखे निकाल लेगा और उसे अन्धा कर देगा। 14 मैं राजा के लोगों को विवश करुँगा कि वे इस्राएल के चारों ओर विदेशों में रहें। मैं उसकी सेना को तितर—बितर कर दूँगा और शत्रु के सैनिक उनका पीछा करेंगे। 15 तब वे लोग समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ। वे समझेंगे कि मैंने उन्हें राष्ट्रों में बिखेरा। वे समझ जाएंगे कि मैंने उन्हें अन्य देशों में जाने के लिये विवश किया।

16 “किन्तु मैं कुछ लोगों को जीवित रखूँगा। वे रोग, भूख और युद्ध से नहीं मरेंगे। मैं उन लोगों को इसलिए जीवित रहने दूँगा, कि वे अन्य लोगों से उन भयंकर कामों के बारे में कह सकेंगे, जो उन्होंने मेरे विरुद्ध किये। तब वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”

17 तब यहोवा का वचन मेरे पास आया। उसने कहा, 18 “मनुष्य के पुत्र! तुम्हें ऐसा करना चाहिये मानों तुम बहुत भयभीत हो। जब तुम खाना खाओ तब तुम्हें काँपना चाहिए। तुम्हें पानी पीते समय चिन्तित और भयभीत होने का दिखावा करना चाहिये। 19 तुम्हें यह साधारण जनता से कहना चाहिये। तुम्हें कहना चाहिये, ‘हमारा स्वामी यहोवा यरूशलेम के निवासियों और इस्राएल के अन्य भागों के लोगों से यह कहता है। लोगों, तुम भोजन करते समय बहुत परेशान होगे। तुम पानी पीते समय भयभीत होगे। क्यों क्योंकि तुम्हारे देश में सभी कुछ नष्ट हो जाएगा। वहाँ रहने वाले सभी लोगों के प्रति शत्रु बहुत क्रूर होगा। 20 तुम्हारे नगरों में इस समय बहुत लोग रहते हैं, किन्तु वे नगर नष्ट हो जाएंगे। तुम्हारा पूरा देश नष्ट हो जाएगा। तब तुम समझोगे कि मैं यहोवा हूँ।’”

21 तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 22 “मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के प्रदेश के बारे में लोग यह कहावत क्यों सुनाते हैं:

‘विपत्ति शीघ्र न आएगी,
दर्शन कभी न होंगे?’

23 “उन लोगों से कहो कि तुम्हारा स्वामी यहोवा तुम्हारी इस कहावत का पढ़ना बन्द कर देगा। वे इस्राएल के बारे में वे बातें कभी भी नहीं कहेंगे। अब वे यह कहावत सुनाएंगे:

‘विपत्ति शीघ्र आएगी।
दर्शन घटित होंगे।’

24 “यह सत्य है कि इस्राएल मे कभी भी झूठे दर्शन घटित नहीं होंगे। अब ऐसे जादूगर भविष्य में नहीं होंगे जो ऐसी भविष्यवाणी करेंगे जो सच्ची नहीं होगी। 25 क्यों क्योंकि मैं यहोवा हूँ। मैं वही कहूँगा, जो मैं कहना चाहूँगा और वह चीज घटित होगी और मैं घटना—काल को लम्बा खींचने नहीं दूँगा। वे विपत्तियाँ शीघ्र आ रही हैं। तुम्हारे अपने जीवनकाल में ही। विद्रोही लोगों! जब मैं कुछ कहता हूँ तो मैं उसे घटित करता हूँ।” मेरे स्वामी यहोवा ने उन बातों को कहा।

26 तब यहोवा का वचन मुझे मिल। उसने कहा, 27 “मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के लोग समझते हैं कि जो दर्शन मैं तुझे देता हूँ, वे बहुत दूर के भविष्य में घटित होंगे। वे समझते हैं, कि जिन विपत्तियों के बारे में तुम बातें करते हो, वे आज से वहुत वर्षों बाद घटित होंगी। 28 अत: तुम्हें उनसे यह कहना चाहिये, ‘मेरा स्वामी यहोवा कहता है: मैं और अधिक विलम्ब नहीं कर सकता। यदि मैं कहता हूँ, कि कुछ घटित होगा तो वह घटित होगा।’” मेरे स्वामी यहोवा ने उन बातों को कहा।

समीक्षा

पवित्र आत्मा के द्वारा...

जैसे ही आप प्रार्थना करते हैं, आपमें रहने वाले पवित्र आत्मा, प्रार्थना करने में आपकी सहायता करते हैं। इस समय में जीना एक अद्भुत सम्मान की बात है जब हर समय मसीह के अंदर पवित्र आत्मा रहते हैं। पिंतेकुस्त के दिन के पहले, पवित्र आत्मा केवल विशेष लोगों पर विशेष समय में विशेष उद्देश्य के लिए आते थे।

यहेजकेल उन विशेष लोगों में से एक थे। आत्मा के द्वारा परमेश्वर के असाधारण दर्शन उन्हें दिए गए, जिसने उन्हें ऊपर उठाया। इस लेखांश में दो बार वह कहते हैं, ' तब आत्मा ने मुझे उठाकर ...' (11:1,24)। यह 'प्रभु का आत्मा' था जो उन पर 'उतरा' और उन्हें 'बताया' कि 'क्या कहना है': 'परमेश्वर यह कहते हैं...' (व.5)।

यहेजकेल ने आगे भविष्यवाणी की कि एक दिन परमेश्वर का आत्मा ना केवल उनमें होगा, लेकिन सभी लोगों में होगाः ' मैं उनका हृदय एक कर दूँगा, और उनके भीरत नई आत्मा उत्पन्न करूँगा, और उनकी देह में से पत्थर का सा हृदय निकालकर उन्हें मांस का हृदय दूँगा' (व.19)।

परमेश्वर ने हर मनुष्य को विवेक दिया है। किंतु, यदि हम अक्सर अपने विवेक के विरूद्ध विद्रोह करेंगे, तो हमारा हृदय कठोर बन जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि दूसरों ने हमें चोट पहुँचाई है, तो हम अपना हृदय कठोर कर सकते हैं ताकि आगे भावनात्मक दर्द हमें न पहुँचे।

इच्छापूर्वक निर्णय लेने के द्वारा अपने हृदय को बदलना लगभग असंभव बात है। लेकिन परमेश्वर आपको 'एक कोमल हृदय' देने का वायदा करते हैं - 'माँस का एक हृदय' (व.19)। वह आपमें एक नया आत्मा रखने के द्वारा इसे करते हैं (यह पवित्र आत्मा हैं, यहेजकेल 36:26-27 देखें)। पवित्र आत्मा अब आपके अंदर रहते हैं। वह आपके हृदय को बदलते हैं। वह पत्थर के हृदय को निकालकर वहाँ माँस का हृदय लाते हैं।

पवित्र आत्मा आपके हृदय में परमेश्वर के प्रेम को ऊंडेलते हैं (रोमियों 5:5)। वह आपकी चोट और घाव को चंगा करते हैं और आपके हृदय को सौम्य करते हैं। वह आपको एक 'कोमल हृदय' देते हैं जो उनके स्पर्श को उत्तर देती है और दूसरो की जरुरतों के प्रति प्रेम और संवेदनशीलता से भरी हुई है।

पिंतेकुस्त के दिन यहेजकेल की ये भविष्यवाणियाँ पूरी हुई। प्रेरितों के काम की पुस्तक में, पतरस प्रेरित समझाते हैं कि वायदा (यहेजकेल में लिखा हुआ) पूरा हो चुका हैः ' इस प्रकार परमेश्वर के दाहिने हाथ से सर्वोच्च पद पाकर, और पिता से वह पवित्र आत्मा प्राप्त करके जिसकी प्रतिज्ञा की गई थी, उसने यह उंडेल दिया है जो तुम देखते और सुनते हो' (प्रेरितों के काम 2:33)।

उस क्षण से लेकर, जो कोई यीशु में विश्वास करता है, उसके अंदर पवित्र आत्मा रहते हैं। यह आज सभी मसीहों के लिए एक समान है। वह आपको एक स्थिर मन, एक नई आत्मा और मांस के हृदय का वायदा करते हैं। वह कहते हैं, इसलिए, तुम आज्ञा मानोगे और तुम परमेश्वर के लोगों में सहभागी होगे और वह तुम्हारे परमेश्वर होंगे। क्योंकि उन्ही के द्वारा हम दोनों की एक आत्मा में पिता के पास पहुँच होती है (इफीसियो 2:18)।

प्रार्थना

परमेश्वर, मुझे एक स्थिर मन दीजिए। आज मेरी सहायता कीजिए कि आपकी आज्ञा को मानने और आपके नियम को मानने में ध्यान दूं। आपका धन्यवाद कि आप प्रार्थना करने में मेरी सहायता करते हैं – पिता से, यीशु के द्वारा, पवित्र आत्मा के द्वारा

पिप्पा भी कहते है

भजनसंहिता 119:173

' तेरा हाथ मेरी सहायता करने को तैयार रहता है '

आज करने के लिए मेरे पास बहुत से काम हैं; मुझे सहायता के लिए परमेश्वर के हाथ की जरुरत है।

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संदर्भ

अब्राहम लिंकन स्टोरी फ्रॉम ग्राहम एच. ट्वेलफ्रि, योर पॉईंट बिइंग: (मोनार्क बुक्स, 2003)

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी', बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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