अपने रक्तदाता से मिलिये
परिचय
प्रथम विश्व युद्ध में, एक युवा व्यक्ति घायल हो गया। जो डॉक्टर उनका इलाज करने आए थे उन्होंने कहा, 'मुझे दुख है कि आपने अपना हाथ खो दिया है।' युवा सैनिक ने जवाब दिया, 'डॉक्टर, मैंने इसे खोया नहीं। मैंने इसे दे दिया।'
यीशु ' बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण देने के लिए आये' (मरकुस 10:45)। अंतिम प्रभु भोज में, यीशु ने प्याला लिया, उन्होंने कहा, 'यह वाचा का मेरा लहू है' (मत्ती 26:28; मरकुस 14:24)। 'मसीह का बहुमूल्य लहू' (1पतरस 1:19) संपूर्ण नये नियम में इस पर जोर दिया गया हैः
यह पापों की क्षमा को संभव बनाता है (कुलुस्सियों 1:14)
यह हमे सारे पाप से शुद्ध करता है (1यूहन्ना 1:7)
इसके द्वारा, हम परमेश्वर के नजदीक जाते हैं (इफीसियों 2:13)
यह परमेश्वर के साथ हमें शांति और मेलमिलाप में लाता है (कुलुस्सियों 1:20)
यह उन्हें जीवन देता है जो इसे लेते हैं (यूहन्ना 6:53)
यह माध्यम है जिसके द्वारा आप शैतान पर जय पाते हैं (प्रकाशितवाक्य 12:11)।
आज के लेखांश में हम विभिन्न पहलुओं को देखते हैं कि इन सभी का क्या अर्थ है।
नीतिवचन 27:5-14
5 छिपे हुए प्रेम से,
खुली घुड़की उत्तम है।
6 हो सकता है मित्र कभी दुःखी करें, किन्तु ये उसका लक्ष्य नहीं है।
इससे शत्रु भिन्न है। वह चाहे तुम पर दया करे किन्तु वह तुम्हें हानि पहुँचाना चाहता है।
7 पेट भरजाने पर शहद भी नहीं भाता किन्तु
भूख में तो हर चीज भाती है।
8 अपना घर छोड़कर भटकता मनुष्य ऐसा,
जैसे कोई चिड़िया भटकी निज घोंसले से।
9 इत्र और सुगंधित धूप मन को आनन्द से भरते हैं
और मित्र की सच्ची सम्मति सेमन उल्लास से भर जाता है।
10 अपने मित्र को मत भूलो न ही अपने पिता के मित्र को।
और विपत्ती में सहायता के लिये दूर अपने भाई के घर मत जाओ। दूर के भाई से पास का पड़ोसी अच्छा है।
11 हे मेरे पुत्र, तू बुद्धिमान बन जा और मेरा मन आनन्द से भर दे।
ताकि मेरे साथ जो घृणा से व्यवहार करे, मैं उसको उत्तर दे सकूँ।
12 विपत्ति को आते देखकर बुद्धिमान जन दूर हट जाते हैं,
किन्तु मूर्खजन बिना राह बदले चलते रहते हैं और फंस जाते हैं।
13 जो किसी पराये पुरूष का जमानत भरता है
उसे अपने वस्त्र भी खोना पड़ेगा।
14 ऊँचे स्वर में “सुप्रभात” कह कर के अलख सवेरे अपने पड़ोसी को जगाया मत कर।
वह एक शाप के रूप में झेलेगा आर्शीवाद में नहीं।
समीक्षा
मित्रता का कार्य
अच्छे मित्र होना बड़े सम्मान की बात है। सबसे बड़ा सम्मान है यीशु की मित्रता। वह आपको अपना मित्र कहते हैं और मित्रता के लिए उन्होंने अपना लहू बहाया। यीशु ने कहा, ' इससे बड़ा प्रेम किसी का नहीं कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे' (यूहन्ना 15:13)।
नीतिवचन का यह भाग मित्रता के महत्व के विषय में हैः' प्रेम करने वाला पड़ोसी, दूर रहने वाले भाई से कहीं उत्तम है ' (नीतिवचन 27:10, एम.एस.जी)। एक मित्र की सलाह महान आशीष हैः' जैसे तेल और सुगन्ध से, वैसे ही मित्र के हृदय की मनोहर सम्मति से मन आनन्दित होता है' (व.9, एम.एस.जी)। अपने मित्र के प्रति ईमानदारी महत्वपूर्ण हैः' जो तेरा और तेरे पिता का भी मित्र हो उसे न छोड़ना' (व.10)।
एक अच्छा मित्र ना केवल अच्छी बातें कहेगाः' खुली हुई डाँट गुप्त प्रेम से उत्तम है' (व.5)। नीतिवचन के लेखक आगे कहते हैं, ' जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह विश्वास योग्य है' (व.6)। सच्ची मित्रता में निस्संदेह सहमति शामिल है। मैं अपने अच्छे मित्रों का बहुत आभारी हूँ जिन्होंने समय पर मुझे दर्द भरे सत्य बताये – हमेशा प्रेम में और महान संवेदनशीलता और अनुग्रह के साथ।
यहाँ पर 'घाव' का प्रतीकात्मक रूप से प्रयोग किया गया है, जो बताता है प्रेम में एक मित्र की भलाई के लिए उसे भावनात्मक दर्द या दुख देना। किंतु, आज के विषय के प्रकाश में, यह इस तथ्य पर सोचने पर मजबूर करता है कि 'घायल करना', शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'लहू बहाना।' यीशु के मामले में, उन्होंने हमारा नहीं बल्कि अपना लहू बहाया। 'वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया' (यशायाह 53:5)। मित्रता के कार्य में उनका लहू आपके लिए बहाया गया।
प्रार्थना
परमेश्वर, आपका बहुत धन्यवाद मित्रो के लिए, सबसे अधिक, आपकी महान मित्रता के लिए। आपका धन्यवाद कि आप मेरे लिए अपना जीवन देने और अपना लहू बहाने के लिए तैयार थे।
इब्रानियों 9:1-15
पुराने वाचा की उपासना
9अब देखो पहले वाचा में भी उपासना के नियम थे। तथा एक मनुष्य के हाथों का बना उपासना गृह भी था। 2 एक तम्बू बनाया गया था जिसके पहले कक्ष में दीपाधार थे, मेज़ थी और भेंट की रोटी थी। इसे पवित्र स्थान कहा जाता था। 3 दूसरे परदे के पीछे एक और कक्ष था जिसे परम पवित्र कहा जाता है। 4 इसमें सुगन्धित सामग्री के लिए सोने की वेदी और सोने की मढ़ी वाचा की सन्दूक थी। इस सन्दूक में सोने का बना मन्ना का एक पात्र था, हारून की वह छड़ी थी जिस पर कोंपलें फूटी थीं तथा वाचा के पत्थर के पतरे थे। 5 सन्दूक के ऊपर परमेश्वर की महिमामय उपस्थिति के प्रतीक यानी करूब बने थे जो क्षमा के स्थान पर छाया कर रहे थे। किन्तु इस समय हम इन बातों की विस्तार के साथ चर्चा नहीं कर सकते।
6 सब कुछ इस प्रकार व्यवस्थित हो जाने के बाद याजक बाहरी कक्ष में प्रति दिन प्रवेश करके अपनी सेवा का काम करने लगे। 7 किन्तु भीतरी कक्ष में केवल प्रमुख याजक ही प्रवेश करता था और वह भी साल में एक बार। वह बिना उस लहू के कभी प्रवेश नहीं करता था जिसे वह स्वयं अपने द्वारा और लोगों के द्वारा अनजाने में किए गए पापों के लिए भेंट चढ़ाता था।
8 इसके द्वारा पवित्र आत्मा यह दर्शाया करता था कि जब तक अभी पहला तम्बू खड़ा हुआ है, तब तक परम पवित्र स्थान का मार्ग उजागर नहीं हो पाता। 9 यह आज के युग के लिए एक प्रतीक है जो यह दर्शाता है कि वे भेंटे और बलिदान जिन्हें अर्पित किया जा रहा है, उपासना करने वाले की चेतना को शुद्ध नहीं कर सकतीं। 10 ये तो बस खाने-पीने और अनेक पर्व विशेष-स्थानों के बाहरी नियम हैं और नयी व्यवस्था के समय तक के लिए ही ये लागू होते हैं।
मसीह का लहू
11 किन्तु अब मसीह इस और अच्छी व्यवस्था का, जो अब हमारे पास है, प्रमुख याजक बनकर आ गया है। उसने उस अधिक उत्तम और सम्पूर्ण तम्बू में से होकर प्रवेश किया जो मनुष्य के हाथों की बनाई हुई नहीं थी। अर्थात् जो सांसारिक नहीं है। 12 बकरों और बछड़ों के लहू को लेकर उसने प्रवेश नहीं किया था बल्कि सदा-सर्वदा के लिए भेंट स्वरूप अपने ही लहू को लेकर परम पवित्र स्थान में प्रविष्ट हुआ था। इस प्रकार उसने हमारे लिए पापों से अनन्त छुटकारे सुनिश्चित कर दिए हैं।
13 बकरों और साँडों का लहू तथा बछिया की भभूत का उन पर छिड़का जाना, अशुद्धों को शुद्ध बनाता है ताकि वे बाहरी तौर पर पवित्र हो जाएँ। 14 जब यह सच है तो मसीह का लहू कितना प्रभावशाली होगा। उसने अनन्त आत्मा के द्वारा अपने आपको एक सम्पूर्ण बलि के रूप में परमेश्वर को समर्पित कर दिया। सो उसका लहू हमारी चेतना को उन कर्मों से छुटकारा दिलाएगा जो मृत्यु की ओर ले जाते हैं ताकि हम सजीव परमेश्वर की सेवा कर सकें।
15 इसी कारण से मसीह एक नए वाचा का मध्यस्थ बना ताकि जिन्हें बुलाया गया है, वे उत्तराधिकार का अनन्त आशीर्वाद पा सकें जिसकी परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की थी। अब देखो, पहले वाचा के अधीन किए गए पापों से उन्हें मुक्त कराने के लिए फिरौती के रूप में वह अपने प्राण दे चुका है।
समीक्षा
एक स्पष्ट विवेक
'बहुत से लोग, बहुत सी बार, उनके पास ऐसी कोई चीज होती है जो उनके हृदय में लटकती रहती है, ऐसा कुछ जो उन्होंने किया या कहा, जो वे सोचते हैं कि काश नहीं किया होता या कहा होता, कोई चीज जो उन्हें बार-बार याद आती है और उन्हें डर लगता है कि कही पता न चल जाएं, ' बिशम टॉम राईट लिखते हैं। यह जानना कितना अद्भुत है कि यीशु का बलिदान और इसके परिणाम स्वरूप बहाया गया लहू, इसमें सामर्थ है जैसे ही हम विश्वास में इसे स्वीकार करते हैं और भरोसा करते हैं कि यह विवेक से हर दाग को हटा देगी ताकि हम परमेश्वर के पास आ सके हमारे संबंध पर बिना किसी परछाई के।'
इब्रानियों की पुस्तक के लेखक बताते हैं कि कैसे पुराने नियम में, केवल महायाजक पवित्र स्थान में प्रवेश कर सकते थे ' पर दूसरें में केवल महायाजक पूरे वर्ष में एक ही बार जाता है, और बिना लहू लिये नहीं जाता' (व.7)। एक बलिदान का लहू उस पशु के जीवन को दर्शाता था जिसे बलिदान किया गया था ('जीवन लहू में है', लैव्यव्यवस्था 17:11)। प्रायश्चित करने वाले व्यक्ति के बदले उनका जीवन दिया गया।
याजकों को सबसे पवित्र स्थान में जाने की अनुमति नहीं थी। उनका काम बाहरी तंबू में होता था। केवल वार्षिक दिवस पर, परमेश्वर के सिंहासन के कमरे में प्रवेश सभी के लिए खुला था, यहाँ तक कि महायाजक के लिए भी।
जब महायाजक को प्रवेश करने की अनुमति मिली, तब उनका प्रवेश बलिदान स्वरूपी लहू के द्वारा सुरक्षित कर दिया जाता था। किंतु, यह बलिदान स्वरूपी लहू पूरी तरह से प्रभावी नहीं था। ताजे लहू को बहाने की आवश्यकता थी और हर साल अतिपवित्र स्थान में नयी तरह से प्रवेश किया जाता था। इसके अतिरिक्त, यद्यपि उन्होंने बाहरी रूप से शुद्ध किया था (इब्रानियों 9:13), वे 'आराधक के विवेक' को शुद्ध करने में सक्षम नहीं थे (व.9)।
वास्तविकता में, यह केवल एक 'उदाहरण' था (व.9), 'एक दिखने वाला दृष्टांत... एक स्थायी प्रबंध जब तक कि इसे पूरा न कर दिया जाए' (वव.8-10, एम.एस.जी)। यह अपने से परे को बताता था। यह मसीह के लहू के द्वारा पूर्ण किया गया।
जब यीशु आए, ' तो उसने बकरों और बछड़ों के लहू के द्वारा नहीं पर अपने ही लहू के द्वारा, एक ही बार पवित्र स्थान में प्रवेश किया और अनन्त छुटकारा प्राप्त किया ' (वव.11-12, एम.एस.जी)। ऐसा करने के द्वारा 'उन्होंने परमेश्वर और उनके लोगों को इस नये तरीके से मेल में ला दिया' (व.17, एम.एस.जी)।
इसका क्या अर्थ है:
- आप अंदर से और बाहर से शुद्ध हैं
यीशु आपके विवेक को शुद्ध बनाना संभव करते हैं:' तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से क्यों न शुध्द करेगा' (व.14, एम.एस.जी)।
- आप मुक्त कर दिए गए हैं
'इसी कारण वह नई वाचा का मध्यस्थ है, ताकि उसकी मृत्यु के द्वारा जो पहले वाचा के समय के अपराधों से छुटकारा पाने के लिये हुई है, बुलाए हुए लोग प्रतिज्ञा के अनुसार अनन्त मीरास को प्राप्त करे' (व.15, एम.एस.जी)।
पवित्र आत्मा और मसीह का लहू साथ-साथ जाते हैं। जॉयस् मेयर लिखती हैं, 'पिंतेकुस्त के दिन आत्मा नहीं ऊँडेला गया होता, यदि कलवरी के क्रूस पर लहू नहीं बहाया गया होता।'
प्रार्थना
प्रभु यीशु, आपका धन्यवाद क्योंकि आप मेरे लिए संभव करते हैं कि मेरा विवेक शुद्ध हो और मैं परमेश्वर के लिए जीऊँ। आपका धन्यवाद कि आपने हमारे लिए छुड़ौती का दाम चुकाया, मेरे लिए अपना लहू बहाने के द्वारा मुझे मुक्त कर दिया।
यहेजकेल 16:1-63
16तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 2 “मनुष्य के पुत्र, यरूशलेम के लोगों को उन भयंकर बुरे कामों को समझाओ जिन्हें उन्होंने किया है। 3 तुम्हें कहना चाहिए, ‘मेरा स्वामी यहोवा यरूशलेम के लोगों को यह सन्देश देता है: अपना इतिहास देखो। तुम कनान में उत्पन्न हुए थे। तुम्हारा पिता एमोरी था। तुम्हारी माँ हित्ती थी। 4 यरूशलेम, जिस दिन तुम उत्पन्न हुए थे, तुम्हारे नाभि—नाल को काटने वाला कोई नहीं था। किसी ने तुम पर नमक नहीं डाला और तुम्हें स्वच्छ करने के लिये नहलाया नहीं। किसी ने तुम्हें वस्त्र में नहीं लपेटा। 5 यरूशलेम, तुम सब तरह से अकेले थे। कोई न तुम्हारे प्रति खेद प्रकट करता था, न ही ध्यान देता था। यरूशलेम, जिन दिन तुम उत्पन्न हुए, तुम्हारे माता—पिता ने तुम्हें मैदान में डाल दिया। तुम तब तक रक्त और झिल्ली में लिपटे थे।
6 “‘तब मैं (परमेश्वर) उधर से गुजरा। मैंने तुम्हें वहाँ खून से लथपथ पड़ा पाया। तुम खून में सनी थीं, किन्तु मैंने कहा, ‘जीवित रहो!’ हाँ, तुम रक्त में सनी थीं, किन्तु मैंने कहा, ‘जीवित रहो!’ 7 मैंने तुम्हारी सहायता खेत में पौधे की तरह बढ़ने में की। तुम बढ़ती ही गई। तुम एक युवती बनी, तुम्हारा ऋतु—धर्म आरम्भ हुआ, तुम्हारे वक्ष—स्थल बढ़े, तुम्हारे केश बढ़ने आरम्भ हुए। किन्तु तुम तब तक वस्त्रहीन और नंगी थीं। 8 मैंने तुम पर दृष्टि डाली। मैंने देखा कि तुम प्रेम के लिये तैयार थीं। इसलिये मैंने तुम्हारे ऊपर अपने वस्त्र डाले और तुम्हारी नग्नता को ढका। मैंने तुमसे विवाह करने का वचन दिया। मैंने तुम्हारे साथ वाचा की और तुम मेरी बनीं।” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं। 9 “‘मैंने तुम्हें पानी से नहलाया। मैंने तुम्हारे रक्त को धोया और मैंने तुम्हारी त्वचा पर तेल मला। 10 मैंने तुम्हें एक सुन्दर पहनावा और कोमल चमड़े के जूते दिये। मैंने तुम्हें एक महीन मलमल और एक रेशमी वस्त्र दिया। 11 तब मैंने तुम्हें कुछ आभूषण दिये। मैंने तुम्हारी भुजाओं में बाजूबन्द पहनाए और तुम्हारे गले में हार पहनाया। 12 मैंने तुम्हें एक नथ, कुछ कान की बालियाँ और सुन्दर मुकुट पहनने के लिये दिया। 13 तुम अपने सोने चाँदी के आभूषणों, अपने मलमल और रेशमी वस्त्रों और कढ़ाई किये पहनावे में सुन्दर दिखती थीं! तुमने उत्तम भोजन किया। तुम अत्याधिक सुन्दर थी और तुम रानी बनीं! 14 तुम अपनी सुन्दरता के लिये विख्यात हुई। यह सब कुछ इसलिये हुआ क्योंकि मैंने तुम्हें इतना अधिक सुन्दर बनाया!’” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
15 परमेश्वर ने कहा, “किन्तु तुमने अपनी सुन्दरता पर विश्वास करना आरम्भ किया। तुमने अपने यश का उपयोग किया और मुझसे विश्वासघात किया। तुमने एक वेश्या की तरह काम किया जो हर गुजरने वाले की हो। तुमने उन सभी को अपने को अर्पित किया! 16 तुमने अपने सुन्दर वस्त्र लिये और उनका उपयोग अपनी पूजा के स्थानों को सजाने के लिये किया। तुमने उन स्थानों पर एक वेश्या की तरह काम किया। तुमने अपने को उस हर व्यक्ति को अर्पित किया जो वहाँ आया! 17 तब मेरा दिया हुआ सुन्दर आभूषण तुमने लिया और तुमने उस सोने—चाँदी का उपयोग मनुष्यों की मूर्तियाँ बनाने के लिये किया। तुमने उनके साथ भी यौन—सम्बन्ध किया! 18 तब तुमने सुन्दर वस्त्र लिये और उन मूर्तियों के लिये पहनावा बनाया। तुमने यह सुगन्धि और धूप—बत्ती को लिया जो मैंने तुम्हें दी थी तथा उसे उन देवमूर्तियों के सामने चढ़ाया! 19 मैंने तुम्हें रोटी, मधु और तेल दिये। किन्तु तुमने वह भोजन अपनी देवमूर्तियों को दिया। तुमने उसे अपने असत्य देवताओं को प्रसन्न करने के लिये सुगन्धि के रूप में भेंट किया। तुमने उन असत्य देवताओं के साथ वेश्या जैसा व्यवहार किया!” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
20 परमेश्वर ने कहा, “तुमने अपने पुत्र—पुत्रियाँ लेकर जिन्हें तूने मेरे लिए जन्म दिया, उन मूर्तियों को बलि चढ़ायी। किन्तु ये वे पाप हैं जो तुमने तब किये जब मुझे धोखा दिया और उन असत्य देवताओं के पास चली गई। 21 तुमने मेरे पुत्रों की हत्या की और उन्हें आग के द्वारा उन असत्य देवताओं पर चढ़ाया। 22 तुमने मुझे छोड़ा और वे भयानक काम किये और तुमने अपना वह समय कभी याद नहीं किया जब तुम बच्ची थीं। तुमने याद नहीं किया कि जब मैंने तुम्हें पाया तब तुम नंगी थीं और रक्त में छटपटा रही थीं।
23 “उन सभी बुरी चीजों के बाद, ओह यरूशलेम, यह तुम्हारे लिये बहुत बुरा होगा!” मेरे स्वामी यहोवा ने यह सब बातें कहीं। 24 “उन सब बातों के बाद तुमने उस असत्य देवता की पूजा के लिये वह टीला बनाया। तुमने हर एक सड़क के मोड़ पर असत्य देवताओं की पूजा के लिये उन स्थानों को बनाया। 25 तुमने अपने टीले हर एक सड़क की छोर पर बनाए। तब तुमने अपने सौन्दर्य का मान घटाया। तुमने इसका उपयोग हर पास से गुजरने वाले को फँसाने के लिये किया। तुमने अपने अधोवस्त्र को ऊपर उठाया जिससे वे तुम्हारी टांगे देख सकें और तब तुम उन लोगों के साथ एक वेश्या के समान हो गई। 26 तब तुम उस पड़ोसी मिस्र के पास गई जिसका यौन अंग विशाल था। तुमने मुझे क्रोधित करने के लिये उसके साथ कई बार यौन—सम्बन्ध स्थापित किया। 27 इसलिये मैंने तुम्हें दण्ड दिया। मैंने तुम्हें अनुमोदित की गई भूमि का एक भाग ले लिया। मैंने तुम्हारे शत्रु पलिश्तियों की पुत्रियों (नगरों) को वह करने दिया जो वे तुम्हारा करना चाहती थीं। जो पाप तुमने किये उससे उनके भी मर्म पर चोट पहुँची। 28 तब तुम अश्शूर के साथ शारीरिक सम्बंध करने गई। किन्तु तुम्हें पर्याप्त न मिल सका। तुम कभी तृप्त न हुई। 29 इसलिए तुम कनान की ओर मुड़ी और उसके बाद बाबुल की ओर और तब भी तुम तृप्त न हुई। 30 तुम इतनी कमजोर हो। तुमने उन सभी व्यक्तियों (देशों) को पाप करने में लगने दिया। तुमने ठीक एक वेश्या की तरह काम किया।” वे बातें मेरे स्वामी यहोवा ने कहीं।
31 “तुमने अपने टीले हर एक सड़क के छोर पर बनाए और तुमने अपनी पूजा के स्थान हर सड़क की मोड़ पर बनाए। और कमाई को तुच्छ जाना। इसलिए तू वेश्या भी न रही। 32 तुम व्यभिचारिणी स्त्री। तुमने अपने पति की तुलना में अजनबियों के साथ शारीरिक सम्बंध करना अधिक अच्छा माना। 33 अधिकांश वेश्यायें शारीरिक सम्बंध के लिये व्यक्ति को भुगतान करने के लिये विवश करती हैं। किन्तु तुम अपने प्रेमियों को लुभाने के लिये स्वयं भेंट देती हो और उन्हें शारीरिक सम्बधं के लिये आमंत्रित करती हो। तुमने अपने चारों ओर के सभी लोगों को अपने साथ शारीरिक सम्बंध के लिये आमंत्रित किया। 34 तुम अधिकांश वेश्यायों के ठीक विपरीत हो। अधिकांश वेश्यायें पुरुषों को अपने भुगतान के लिये विवश करती हैं। किन्तु तुम पुरुषों को अपने साथ शारीरिक सम्बन्ध का भुगतान करती हो।”
35 हे वेश्या, यहोवा से आये वचन को सुनो। 36 मेरा स्वामी यहोवा ये बातें कहता है: “तुमने अपनी मुद्रा व्यय कर दी है और अपने प्रेमियों तथा गन्दें देवताओं को अपना नंगा शरीर देखने दिया है तथा अपने साथ शारीरिक सम्बन्ध करने दिया है। तुमने अपने बच्चों को मारा है और उनका खून बहाया है। वह उन असत्य देवताओं को तुम्हारी भेंट थीं। 37 इसलिये मैं तुम्हारे सभी प्रेमियों को एक साथ इकट्ठा कर रहा हूँ। मैं उन सभी को लाऊँगा जिनसे तुमने प्रेम किया तथा जिन मनुष्यों से घृणा की। मैं सभी को एक साथ ले आऊँगा और उन्हें तुम्हें नग्न देखने दूँगा। वे तुम्हें पूरी तरह नग्न देखेंगे। 38 तब मैं तुम्हें दण्ड दूँगा। मैं तुम्हें किसी हत्यारिन और उस स्त्री की तरह दण्ड दूँगा जिसने व्यभिचार का पाप किया हो। तुम वैसे ही दण्डित होगी मानों कोई क्रोधित और ईष्यालु पति दण्ड दे रहा हो। 39 मैं उन सभी प्रेमियों को तुम्हें प्राप्त कर लेने दूँगा। वे तुम्हारे टीलों को नष्ट कर देंगे। वे तुम्हारे पूजा—स्थानों को जला डालेंगे। वे तुम्हारे वस्त्र फाड़ डालेंगे तथा तुम्हारे सुन्दर आभूषण ले लेंगे। वे तुम्हें वैसे वस्त्रहीन और नंगी छोड़े देंगे जैसी तुम तब थीं जब मैंने तुम्हें पाया था। 40 वे अपने साथ विशाल जन—समूह लाएंगे और तुमको मार डालने के लिये तुम्हारे ऊपर पत्थर फेकेंगे। तब अपनी तलवार से वे तुम्हें टुकड़े—टुकड़े कर डालेंगे। 41 वे तुम्हारा घर (मन्दिर) जला देंगे। वे तुम्हें इस तरह दण्ड देंगे कि सभी अन्य स्त्रियाँ देख सकें। मैं तुम्हारा वेश्या की तरह रहना बन्द कर दूँगा। मैं तुम्हें अपने प्रेमियों को धन देने से रोक दूँगा। 42 तब मैं क्रोधित और ईष्यालु होना छोड़ दूँगा। मैं शान्त हो जाऊँगा। मैं फिर कभी क्रोधित नहीं होऊँगा। 43 ये सारी बातें क्यों होंगी क्योंकि तुमने वह याद नहीं रखा कि तुम्हारे साथ बचपन में क्या घटित हुआ था। तुमने वे सभी बुरे पाप किये और मुझे क्रोधित किया। इसलिये उन बुरे पापों के लिये मुझे तुमको दण्ड देना पड़ा। किन्तु तुमने और भी अधिक भयंकर योजनाएँ बनाई।” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
44 “तुम्हारे बारे में बात करने वाले सब लोगों के पास एक और बात भी कहने के लिये होगी। वे कहेंगे, ‘माँ की तरह ही पुत्री भी है।’ 45 तुम अपनी माँ की पुत्री हो। तुम अपने पति या बच्चों का ध्यान नहीं रखती हो। तुम ठीक अपनी बहन के समान हो। तुम दोनों ने अपने पतियों तथा बच्चों से घृणा की। तुम ठीक अपने माता—पिता की तरह हो। तुम्हारी माँ हित्ती थी और तुम्हारा पिता एमोरी था। 46 तुम्हारी बड़ी बहन शोमरोन थी। वह तुम्हारे उत्तर में अपने पुत्रियों (नगरों) के साथ रहती थी और तुम्हारी छोटी बहन सदोम की थी। वह अपनी पुत्रियों (नगरों) के साथ तुम्हारे दक्षिण में रहती थी! 47 तुमने वे सभी भयंकर पाप किये जो उन्होंने किये। किन्तु तुमने वे काम भी किये जो उनसे भी बुरे थे! 48 मैं यहोवा और स्वामी हूँ। मैं सदा जीवित हूँ और अपनी जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ कि तुम्हारी बहन सदोम और उसकी पुत्रियों ने कभी उतने बुरे काम नहीं किये जितने तुमने और तुम्हारी पुत्रियों ने किये।”
49 परमेश्वर ने कहा, “तुम्हारी बहन सदोम और उसकी पुत्रियाँ घमण्डी थीं। उनके पास आवश्यकता से अधिक खाने को था और उनके पास बहुत अधिक समय था। वे दीन—असहाय लोगों की सहायता नहीं करती थीं। 50 सदोम और उसकी पुत्रियाँ बहुत अधिक घमण्डी हो गई और मेरे सामने भयंकर पाप करने लगीं। जब मैंने उन्हें उन कामों को करते देखा तो मैंने दण्ड दिया।”
51 परमेश्वर ने कहा, “शोमरोन ने उन पापों का आधा किया जो तुमने किये। तुमने शोमरोन की अपेक्षा बहुत अधिक भयंकर पाप किये! तुमने अपनी बहनों की अपेक्षा अत्याधिक भयंकर पाप किये हैं! सदोम और शोमरोन की तुलना करने पर, वे तुमसे अच्छी लगती हैं। 52 इसलिए तुम्हें लज्जित होना चाहिए। तुमने अपनी बहनों की, तुलना में, अपने से अच्छी लगनेवाली बनाया है। तुमने भयंकर पाप किये हैं अत: तुम्हें लज्जित होना चाहिए।
53 परमेश्वर ने कहा, “मैंने सदोम और उसके चारों ओर के नगरों को नष्ट किया। मैंने शोमरोन और इसके चारों ओर के नगरों को नष्ट किया। यरूशलेम, मैं तुम्हें नष्ट करूँगा। किन्तु मैं उन नगरों को फिर से बनाऊँगा। यरूशलेम, मैं तुमको भी फिर से बनाऊँगा 54 मैं तुम्हें आराम दूँगा। तब तुम उन भयंकर पापों को याद करोगे जो तुमने किये तथा तुम लज्जित होगे। 55 इस प्रकार तुम और तुम्हारी बहनें फिर से बनाई जाएंगी। सदोम और उसके चारों ओर के नगर, शोमरोन और उसके चारों ओर के नगर तथा तुम और तुम्हारे चारों ओर के नगर फिर से बनाए जाएंगे।”
56 परमेश्वर ने कहा, “अतीत काल में तुम घमण्डी थीं और अपनी बहन सदोम की हँसी उड़ाती थीं। किन्तु तुम वैसा फिर नहीं कर सकोगी। 57 तुमने यह दण्डित होने से पहले अपने पड़ोसियों द्वारा हँसी उड़ाना आरम्भ किये जाने के पहले, किया था। एदोम की पुत्रियाँ (नगर) तथा पलिश्ती अब तुम्हारी हँसी उड़ा रही हैं। 58 अब तुम्हें उन भयंकर पापों के लिये कष्ट उठाना पड़ेगा जो तुमने किये।” यहोवा ने ये बातें कहीं।
59 मेरे स्वामी यहोवा ने ये सब चीजें कहीं, “तुमने अपने विवाह की प्रतिज्ञा भंग की। तुमने हमारी वाचा का आदर नहीं किया। 60 किन्तु मुझे वह वाचा याद है जो उस समय की गई थी जब तुम बच्ची थीं। मैंने तुम्हारे साथ वाचा की थी जो सदैव चलती रहने वाली थी। 61 मैं तुम्हारी बहनों को तुम्हारे पास लाऊँगा और मैं उन्हें तुम्हारी पुत्रियाँ बनाऊँगा। यह हमारी वाचा में नहीं था, किन्तु मैं यह तुम्हारे लिये करुँगा। तब तुम उन भयंकर पापों को याद करोगी, जिन्हें तुमने किया और तुम लज्जित होगी। 62 अत: मैं तुम्हारे साथ वाचा करूँगा, और तुम जानोगी कि मैं यहोवा हूँ। 63 मैं तुम्हारे प्रति अच्छा रहूँगा जिससे तुम मुझे याद करोगी और उन पापों के लिये लज्जित होगी जो तुमने किये। मैं तुम्हें शुद्ध करुँगा और तुम्हें फिर कभी लज्जित नहीं होना पड़ेगा।” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
समीक्षा
लौटाई गई संपत्ति
परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं। जो कुछ परमेश्वर करते हैं, वह आपके लिए उनके प्रेम के कारण उद्गम होती है। इस भविष्यवाणी की प्रतीक कथा में, उनके लोगों के लिए परमेश्वर के प्रेम का वर्णन, एक पति का पत्नी के लिए प्रेम के रूप में किया गया हैः'मैंने फिर तेरे पास से होकर जाते हुए तुझे देखा, और अब तू पूरी स्त्री हो गई थी; इसलिये मैं ने तुझे अपना वस्त्र ओढ़ाकर तेरा तन ढाँप दिया; और सौगंध खाकर तुझ से वाचा बाँधी, और तू मेरी हो गई, प्रभु यहोवा की यही वाणी है' (व.8, एम.एस.जी)।
परमेश्वर की आशीष में शुद्धिकरण शामिल है (व.9), रेशमी कपड़ा पहनाया जाना (व.10), सुंदरता देना (11-13), तृप्त करने के लिए भोजन (व.13), प्रसिद्धी (व.14) और वैभव (व.14) शामिल है।
इसके बाद आने वाले दुखांत शब्द हम पर लागू हो सकते हैं एक व्यक्ति के रूप में या एक देश के रूप में'लेकिन तुम' (व.15)। जो कुछ परमेश्वर ने किया उसके बावजूद, वे भटक गए और परमेश्वर को नकार दिया। इसके बजाय वे अपनी सुंदरता पर भरोसा करने लगे और विश्वासघाती रूप से अपने यश का इस्तेमाल करने लगे (व.15)।
पाप की शुरुवात अक्सर अविश्वास से शुरु होती है, परमेश्वर के अलावा किसी दूसरी चीज में भरोसा करना। इसके कारण वे मूर्तिपूजा करने लगते हैं – परमेश्वर के अलावा किसी दूसरी चीज की आराधना करते हैं और फिर पाप को बढ़ाते हैं (व.26)। अक्सर चंचल हृदय के कारण (व.30)।
पाप का परिणाम है असंतुष्टि (वव.28-29) और परमेश्वर का न्याय (वव.30-34)। ' तू ने जो व्यभिचार में अति निर्लज्ज होकर, अपनी देह अपने मित्रों को दिखाई, और अपनी मूरतों से घृणित काम किए, और अपने बच्चों का लहू बहाकर उन्हें बलि चढ़ाया है' (व.36)। क्योंकि उसने लहू बहाया है, इसलिए उसका लहू बहाया जाएगा (व.38)। इस लेखांश में शब्द 'लहू' सात बार दिखाई देता है (वव.6,9,22,36,38)।
वह उनके पाप की तुलना सदोम के पाप से करते हैं। वह यौन संबंध वाले पाप के विषय में बात नहीं करते हैं जो सामान्य रूप से सदोम से जुड़ा हुआ है; इसके बजाय, वह लिखते हैं, ' कि वह अपनी पुत्रियों सहित घमण्ड करती, पेट भर भरके खाती और सुख चैन से रहती थी; और दीन दरिद्र को न संभालती थी। अत: वह गर्व करके मेरे सामने घृणित काम करने लगी' (वव.49-50, एम.एस.जी)।
वे किसी भी समृद्ध समाज के सामान्य पाप हैं – अक्खड़पन, अत्यधिक खाना और गरीबों और जरुरतमंदो की चिंता न करना। जब लोगों की कोई जरुरत नहीं होती है तब वे अक्सर परमेश्वर से दूर चले जाते हैं। उनका सबसे बड़ा पाप था गरीब और जरुरतमंदो की सहायता नहीं करना।
फिर भी इन सभी चीजों के बावजूद, परमेश्वर सदोम को और उनके लोगों की संपत्तियों को फिर से लौटाने का वायदा करते हैं (व.53)। वह एक अनंत वाचा का वायदा करते हैं (व.60)। वह वायदा करते हैं कि वह पश्चाताप करेंगे (व.63)।
यह शब्द 'प्रायश्चित' इब्रानियों से आज के लेखांश में भी मिलता है, जो वाचा की संदूक पर 'प्रायश्चित्त के आवरण' के विषय में बात करता है, परमेश्वर की दया का एक प्रतीक (इब्रानियों 9:5)। हमारे पापों को धो देने के लिए कुछ किए जाने की आवश्यकता को प्रायश्चित्त बताता है। यह दो महान वास्तविकताओं को बताता है।
पहला, पाप के विरूद्ध परमेश्वर की प्रतिक्रिया की वास्तविकता और गंभीरता। दूसरा, उनके प्रेम की वास्तविकता और महानता, जिसने यीशु के लहू के द्वारा बलिदान दिया। संत पौलुस ने लिखा, 'परमेश्वर के पुत्र ने..मुझसे प्रेम किया और मेरे लिए अपने आपको दे दिया' (गलातियों 2:20)। यह इतना व्यक्तिगत है। उनका लहू आपके लिए दिया गया। उन्होंने आपके पापों को उठा लिया। वह आपके लिए मर गए। उनका लहू आपके और मेरे पाप के प्रायश्चित के लिए दिया गया। वह आपके रक्तदाता हैं।
प्रार्थना
परमेश्वर आपका धन्यवाद कि आपके महान प्रेम में, आपने अपना लहू बहाया। आपका धन्यवाद क्योंकि आज मैं जान सकता हूँ कि मुझसे प्रेम किया गया है, मुझे क्षमा किया गया है और मैं एक स्पष्ट विवेक के साथ जीता हूँ।
पिप्पा भी कहते है
पीपा विज्ञापन
इब्रानियों 9:7
'...अज्ञानता में लोगों ने पाप किए'
मैं जानती हूँ कि मेरे पाप बहुत सारे हैं, वह भी जिनके विषय में मैं जानती हूँ!
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संदर्भ
रॉय क्लेमेंटस, यीशु का परिचय, (किंग्सवे पब्लिकेशंस, 1992)
जॉयस मेयर, द एव्रीडे लाईफ बाईबल, (फेथवर्ड्स, 2006)
टॉम राईट, हिब्रियुस फॉर एव्रीवन
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