दिन 314

एक ही बार में हमेशा के लिए

बुद्धि भजन संहिता 121:1-8
नए करार इब्रानियों 9:16-28
जूना करार यहेजकेल 17:1-18:32

परिचय

7 जनवरी 1978 को, मैं लंदन में होली ट्रिनिटी ब्रोम्पटन चर्च के सामने दूल्हे के रूप में खड़ा था। दुल्हन पीपा हिसलोप, गलियारे से होती हुई अपने पिता के साथ चलते हुए आयी और चर्च के सामने मेरे साथ खड़ी हो गई। परमेश्वर के सामने हमने एक दूसरे से प्रतिज्ञाएँ की और हम विवाह में एक हो गए। हम चर्च में से 'श्रीमान और श्रीमती गंबल' बनकर बाहर निकले। यह 'एक बार होने वाला' कार्यक्रम था, लेकिन यह हमारे जीवन में बहुत मायने रखता था। यह एक दूसरे के लिए हमारे प्रेम से उद्गमित हुआ था और हमने अपने आपको कटिबद्ध किया कि जीवन के अंत तक एक दूसरे से हम प्रेम करेंगे।

कुछ साल पहले, 16 फरवरी 1974 को, मैं पहली बार यीशु मसीह से मिला था। एक संबंध शुरु हुआ, जिसने पूरी तरह से मेरे जीवन को बदल दिया। यह दूसरी 'एक बार' होने वाली घटना थी, लेकिन वह 'एक बार' होने वाली घटना का महत्व और प्रभाव जारी है और इसमें सबकुछ शामिल है। मैंने अपने लिए परमेश्वर के प्रेम का अनुभव किया और अपना मन बनाया कि सर्वदा उनसे प्रेम करुँगा।

आज के नये नियम के लेखांश में, इब्रानियों के लेखक सबसे बड़े 'एक ही बार' होने वाली घटना के बारे में बताते हैं। इसने इतिहास की दिशा को बदल दिया और इसमें हम सभी के जीवन को बदलने की क्षमता है। यीशु 'एक ही बार हमेशा के लिए' प्रकट हुए (इब्रानियों 9:26)। 'मसीह एक बार बलिदान हुए' (व.28)। यीशु ने पवित्र स्थान में प्रवेश किया ' एक ही बार पवित्र स्थान में प्रवेश किया और अनन्त छुटकारा प्राप्त किया' (व.12)। ' उसी इच्छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्र किए गए हैं' (व.10:10)। यह 'एक बार होने वाली' घटना हमारे लिए परमेश्वर के महान प्रेम के कारण हुई और इसका महान महत्व है।

बुद्धि

भजन संहिता 121:1-8

मन्दिर का आरोहण गीत।

121मैं ऊपर पर्वतों को देखता हूँ।
 किन्तु सचमुच मेरी सहायता कहाँ से आएगी
2 मुझको तो सहारा यहोवा से मिलेगा जो स्वर्ग
 और धरती का बनाने वाला है।

3 परमेश्वर तुझको गिरने नहीं देगा।
 तेरा बचानेवाला कभी भी नहीं सोएगा।
4 इस्राएल का रक्षक कभी भी ऊँघता नहीं है।
 यहोवा कभी सोता नहीं है।

5 यहोवा तेरा रक्षक है।
 यहोवा अपनी महाशक्ति से तुझको बचाता है।
6 दिन के समय सूरज तुझे हानि नहीं पहुँचा सकता।
 रात में चाँद तेरी हानि नहीं कर सकता।

7 यहोवा तुझे हर संकट से बचाएगा।
 यहोवा तेरी आत्मा की रक्षा करेगा।
8 आते और जाते हुए यहोवा तेरी रक्षा करेगा।
 यहोवा तेरी सदा सर्वदा रक्षा करेगा!

समीक्षा

परमेश्वर आपकी सुरक्षा और रक्षा करेंगे

जब आप परेशानी में होते हैं या नहीं जानते हैं कि क्या करना है, तब पहले किस स्थान में आप देखते हैं: क्या आप मित्रों, परिवार या चिकित्सिय विशेषज्ञ को देखते हैं: इन सभी दिशाओं से सहायता को खोजने में कुछ गलत नहीं है। लेकिन भजनसंहिता के लेखक सबसे पहले जिस स्थान को देखते हैं, वह है ऊपर की ओर।

पछतावा पीछे देखता है। डर आस-पास देखता है। चिंता अंदर देखती है। विश्वास ऊपर देखता है।

भजनसंहिता के लेखक ऊपर देखते हैं, ' मैं अपनी आँखें पर्वतों की ओर लगाउँगा। मुझे सहायता कहाँ से मिलेगी:' (व.1)। आपकी सहायता, सामर्थ और सुरक्षा ब्रह्मांड के निर्माता से आती हैः' मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी के कर्ता हैं' (व.2, एम.एस.जी)। ' वह तेरे पाँव को टलने नहीं देंगे, तेरे रक्षक कभी नहीं उँघेंगे' (व.3)।

यह सुंदर भजन आपके लिए परमेश्वर के प्रेम और आपके जीवन के ऊपर उनकी सुरक्षा के विषय में बताता है।

 'यहोवा तेरा रक्षक है;
  यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है।

 न तो दिन को धूप से,
  और न रात को चाँदनी से तेरी कुछ हानि होगी।
  यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा।
  यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से लेकर सदा तक करता रहेगा ' (वव.5-8, एम.एस.जी)।

मैंने इस भजन का इस्तेमाल कभी भी हमारे परिवार और मित्रों के लिए प्रार्थना के रूप में किया है, जो अपने जीवन में कठिनाई का सामना कर रहे हैं।

इस भजन का वायदा है कि परमेश्वर आपको हर हानि से सुरक्षित रखेंगे। भजनसंहिता के लेखक नहीं जान पाये कि यह यीशु के 'एक ही बार में हमेशा के लिए' बलिदान के द्वारा संभव बना दिया गया, जिसका अर्थ है कि एक दिन ' जो लोग उसकी बाट जोहते हैं उनके उध्दार के लिये दूसरी बिना पाप उठाए हुए दिखाई देगा' (इब्रानियों 9:28)।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि आप दिन रात मेरी निगरानी करते हैं। आपका धन्यवाद कि आप सर्वदा मेरे अंदर आने में और बाहर जाने में रखवाली करते हैं।

नए करार

इब्रानियों 9:16-28

16 जहाँ तक वसीयतनामे का प्रश्न है, तो उसके लिए जिसने उसे लिखा है, उसकी मृत्यु को प्रमाणित किया जाना आवश्यक है। 17 क्योंकि कोई वसीयतनामा केवल तभी प्रभावी होता है जब उसके लिखने वाले की मृत्यु हो जाती है। जब तक उसको लिखने वाला जीवित रहता है, वह कभी प्रभावी नहीं होता। 18 इसलिए पहली वाचा भी बिना एक मृत्यु और लहू के गिराए कार्यान्वित नहीं किया गया। 19 मूसा जब व्यवस्था के विधान के सभी आदेशों को सब लोगों को घोषणा कर चुका तो उसने जल के साथ बकरों और बछड़ों के लहू को लाल ऊन और हिस्सप की टहनियों से चर्मपत्रों और सभी लोगों पर छिड़क दिया था। 20 उसने कहा था, “यह उस वाचा का लहू है, परमेश्वर ने जिसके पालन की आज्ञा तुम्हें दी है।” 21 उसने इसी प्रकार तम्बू और उपासना उत्सवों में काम आने वाली हर वस्तु पर लहू छिड़का था। 22 वास्तव में व्यवस्था चाहती है कि प्रायः हर वस्तु को लहू से शुद्ध किया जाए। और बिना लहू बहाये क्षमा है ही नहीं।

मसीह का बलिदान पापों को धो डालता है

23 तो फिर यह आवश्यक है कि वे वस्तुएँ जो स्वर्ग की प्रतिकृति हैं, उन्हें पशुओं के बलिदानों से शुद्ध किया जाए किन्तु स्वर्ग की वस्तुएँ तो इनसे भी उत्तम बलिदानों से शुद्ध किए जाने की अपेक्षा करती हैं। 24 मसीह ने मनुष्य के हाथों के बने परम पवित्र स्थान में, जो सच्चे परम पवित्र स्थान की एक प्रतिकृति मात्र था, प्रवेश नहीं किया। उसने तो स्वयं स्वर्ग में ही प्रवेश किया ताकि अब वह हमारी ओर से परमेश्वर की उपस्थिति में प्रकट हो।

25 और न ही अपना बार-बार बलिदान चढ़ाने के लिए उसने स्वर्ग में उस प्रकार प्रवेश किया जैसे महायाजक उस लहू के साथ, जो उसका अपना नहीं है, परम पवित्र स्थान में हर साल प्रवेश करता है। 26 नहीं तो फिर मसीह को सृष्टि के आदि से ही अनेक बार यातनाएँ झेलनी पड़तीं। किन्तु अब देखो, इतिहास के चरम बिन्दु पर अपने बलिदान के द्वारा पापों का अंत करने के लिए वह सदा सदा के लिए एक ही बार प्रकट हो गया है।

27 जैसे एक बार मरना और उसके बाद न्याय का सामना करना मनुष्य की नियति है। 28 सो वैसे ही मसीह को, एक ही बार अनेक व्यक्तियों के पापों को उठाने के लिए बलिदान कर दिया गया। और वह पापों को वहन करने के लिए नहीं, बल्कि जो उसकी बाट जोह रहे हैं, उनके लिए उद्धार लाने को फिर दूसरी बार प्रकट होगा।

समीक्षा

आपके लिए यीशु ने अपने आपको बलिदान किया

क्या आप समझते हैं कि परमेश्वर आपसे कितना प्रेम करते हैं: क्या आप जानते हैं कि यीशु ने अपना लहू बहाया ताकि आप पूर्ण क्षमा ग्रहण कर सकें: क्या आप समझते हैं कि उन्होंने पहले ही हर उस पाप के लिए दाम चुका दिया है जो आपने भूतकाल में किए हैं और हर वह पाप जो आप भविष्य में करेंगे:

क्यों यीशु की मृत्यु आवश्यक थी: लेखक बताते हैं कि, एक वसीयत और एक वाचा दोनों के मामले में (दोनों के लिए समान ग्रीक शब्द का इस्तेमाल किया गया है), वे मृत्यु के बिना प्रभावी नहीं होती है। मृत्यु के बाद किसी दूसरे को उत्तराधिकार मिलता है।

' इसीलिये पहली वाचा भी बिना लहू के नहीं बाँधी गई' (व.18)। वह आगे वर्णन करते हैं कि ' बिना लहू बहाए पापों की क्षमा नहीं' (वव.19-22)।

फिर लेखक तीन कथन बताते हैं यीशु के बलिदान और नियम के अंतर्गत इससे छोटे बलिदान के बीच में अंतर स्पष्ट करते हुएः

1. यीशु वास्तविक चीज से निपट रहे थे

'क्योंकि मसीह ने उस हाथ के बनाए हुए पवित्र स्थान में, जो सच्चे पवित्र स्थान का नमूना है, प्रवेश नहीं किया पर स्वर्ग ही में प्रवेश किया, ताकि हमारे लिये अब परमेश्वर के सामने दिखाई दे' (व.24, एम.एस.जी)।

2. यीशु का बलिदान 'एक ही बार में हमेशा के लिए' था

'यह नहीं कि वह अपने आप को बार – बार चढ़ाए, जैसा कि महायाजक प्रति वर्ष दूसरे का लहू लिए पवित्र स्थान में प्रवेश किया करते थे' (व.25)। इसके बजाय, ' जैसे मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है, वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ' (वव.27-28, एम.एस.जी)।

3. यीशु ने अपना लहू बहाया

यीशु ने वह 'लहू नहीं बलिदान किया जो उनका नहीं था' (व.25)। उनका लहू बहाया गया (व.12)।

अब किसी दूसरे बलिदान की आवश्यकता नहीं हैः'अब इन पशुओं के बलिदान की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इनका उद्देश्य पूरा हो चुका है' (व.23, एम.एस.जी)। जैसा कि सामान्य प्रार्थना की पुस्तक इसे बताती है, यीशु का एक ही बार में हमेशा के लिए बलिदान 'एक पूर्ण, सिद्ध और सक्षम बलिदान था, और संपूर्ण विश्व के पापों के लिए था।' जैसा कि यीशु ने क्रूस पर पुकारा, 'यह समाप्त हुआ' (यूहन्ना 19:30)।

जब यीशु वापस आयेंगे, तो यह 'पापों को लेने के लिए नहीं' बल्कि, ' जो लोग उसकी बाट जोहते हैं उनके उध्दार के लिये दूसरी बिना पाप उठाए हुए दिखाई देगा' (इब्रानियों 9:28)।

प्रार्थना

परमेश्वर आपका धन्यवाद देता हूँ यीशु के लिए। मेरे लिए उनके एक बार में हमेशा के लिए बलिदान के लिए आपका धन्यवाद ताकि मैं पूर्ण क्षमा ग्रहण करुँ। मेरी सहायता कीजिए कि आज याद रखूँ कि 'यह समाप्त हो गया है।'

जूना करार

यहेजकेल 17:1-18:32

17तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 2 “मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के परिवार को यह कहानी सुनाओ। उनसे पूछो कि इसका तात्पर्य क्या है 3 उनसे कहो:

“‘एक विशाल उकाब (नबूकदनेस्सर) विशाल पंख सहित लबानोन में आया।
उकाब के चितकबरे लम्बें पंख थे।
4 उस उकाब ने उस विशाल देवदार वृक्ष (लबानोन) के माथे को तोड़ डालाऔर उसे कनान ले गया।
उकाब ने व्यापारियों के नगर में उस शाखा को रखा।
5 तब उकाब ने बीजों (लोगों) में से कुछ को कनान से लिया।
उसने उन्हें अच्छी भूमि में बोया।
उसने एक अच्छी नदी के सहारे उन्हें बोया।
6 बीज उगे और वे अंगूर की बेल बने।
यह बेल अच्छी थी।
बेल ऊँची नहीं थी।
किन्तु यह एक बड़े क्षेत्र को ढकने के लिये फैल गई।
बेल के तने बने
और छोटी बेलें बहुत लम्बी हो गई।
7 तब दूसरे बड़े पंखों वाले उकाब ने अंगूर की बेल को देखा।
उकाब के लम्बें पंख थे।
अंगूर की बेल चाहती थी कि यह नया उकाब उसकी देख—भाल करे।
इसलिये इसने अपनी जड़ों को इस उकाब की ओर फैलाया।
इसकी शाखायें इस उकाब की ओर फैलीं।
इसकी शाखायें इस उकाब की ओर फलीं।
इसकी शाखायें उस खेत से दूर फैली जहाँ यह बोई गई थी।
अगूंर की बेल चाहती थी कि नया उकाब इसे पानी दे।
8 अगूंर की बेल अच्छे खेत में बोई गई थी।
यह प्रभूत जल के पास बोई गई थी।
यह शाखायें और फल उत्पन्न कर सकती थी।
यह एक बहुत अच्छी अगूंर की बेल हो सकती थी।’”

9 मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कही,
“क्या तुम समझते हो कि बेल सफल होगी?
नहीं! नया उकाब बेल को जमीन से उखाड़ देगा।
और पक्षी बेल की जड़ों को तोड़ देगा।
वह सारे अंगूर खा जाएगा।
तब नयी पत्तियाँ सूखेंगी और मर जाएंगी।
वह बेल बहुत कमजोर होगी।
इस बेल को जड़ से उखाड़ने के लिये शक्तिशाली अस्त्र—शस्त्र
या शक्तिशाली राष्ट्र की जरूरत नहीं होगी।
10 क्या यह बेल वहाँ बढ़ेगी जहाँ बोई गई हैं नहीं, गर्म पुरवाई चलेगी
और बेल सूखेगी और मर जाएगी।
यह वहीं मरेगी जहाँ यह बोई गई थी।”

11 यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 12 “इस कहानी की व्याख्या इस्राएल के लोगों के बीच करो, वे सदा मेरे विरुद्ध जाते हैं। उनसे यह कहो: पहला उकाब (नबूकदनेस्सर) बाबुल का राजा है। वह यरूशलेम आया और राजा तथा अन्य प्रमुखों को ले गया। वह उन्हें बाबुल लाया। 13 तब नबूकदनेस्सर ने राजा के परिवार के एक व्यक्ति से साथ सन्धि की। नबूकदनेस्सर ने उस व्यक्ति को प्रतिज्ञा करने के लिये विवश किया। इस प्रकार इस व्यक्ति ने नबूकदनेस्सर के प्रति राजभक्त रहने की प्रतिज्ञा की। नबूकदनेस्सर ने इस व्यक्ति को यहूदा का नया राजा बनाया। तब उसने सभी शक्तिशाली व्यक्तियों को यहूदा से बाहर निकाला। 14 इस प्रकार यहूदा एक दुर्बल राज्य बन गया, जो राजा नबूकदनेस्सर के विरुद्ध नहीं उठ सकता था। यहूदा के नये राजा के साथ नबूकदनेस्सर ने जो सन्धि की थी उसका पालन करने के लिये लोग विवश किये गये। 15 किन्तु इस नये राजा ने किसी भी प्रकार नबूकदनेस्सर के विरुद्ध विद्रोह करने का प्रयत्न किया। उसने सहायता माँगने के लिये मिस्र को दूत भेजे। नये राजा ने बहुत से घोड़े और सैनिक मांगे। इस दशा में, क्या तुम समझते हो कि यहूदा का राजा सफल होगा क्या तुम समझते हो कि नये राजा के पास पर्याप्त शक्ति होगी कि वह सन्धि को तोड़कर दण्ड से बच सकेगा”

16 मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर वचन देता हूँ कि यह नया राजा बाबुल में मरेगा! नबूकदनेस्सर ने इस व्यक्ति को यहूदा का नया राजा बनाया। किन्तु इस व्यक्ति ने नबूकदनेस्सर के साथ की हुई अपनी प्रतिज्ञा तोड़ी। इस नये राजा ने सन्धि की उपेक्षा की। 17 मिस्र का राजा यहूदा के राजा की रक्षा करने में समर्थ नहीं होगा। वह बड़ी संख्या में सैनिक भेज सकता है किन्तु मिस्र की महान शक्ति यहूदा की रक्षी नहीं कर सकेगी। नबूकदनेस्सर की सेनायें नगर पर अधिकार के लिये कच्ची सड़कें और मिट्टी की दीवारें बनाएंगी। बड़ी संख्या में लोग मरेंगे। 18 किन्तु यहूदा का राजा बचकर निकल नहीं सकेगा। क्यों क्योंकि उसने अपने सन्धि की उपेक्षा की। उसने नबूकदनेस्सर को दिये अपने वचन को तोड़ा।” 19 मेरा स्वामी यहोवा यह वचन देता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं यहूदा के राजा को दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि उसने मेरी चेतावनियों की उपेक्षा की। उसने हमारी सन्धि को तोड़ा। 20 मैं अपना जाल फैलाऊँगा और वह इसमें फंसेगा। मैं उस बाबुल लाऊँगा तथा मैं उसे उस स्थान में दण्ड दूँगा। मैं उसे दण्ड दूँगा क्योंकि वह मेरे विरुद्ध उठा। 21 मैं उसकी सेना को नष्ट करूँगा। मैं उसके सर्वोत्तम सैनिकों को नष्ट करूँगा और बचे हुए लोगों को हवा में उड़ा दूँगा। तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ और मैंने ये बातें तुमसे कही थीं।” 22 मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कही थीं:

“मैं लम्बें देवदार के वृक्ष से एक शाखा लूँगा।
मैं वृक्ष की चोटी से एक छोटी शाखा लूँगा।
और मैं स्वयं उसे बहुत ऊँचे पर्वत पर बोऊँगा।
23 मैं स्वयं इसे इस्राएल में ऊँचे पर्वत पर लगाऊँगा।
यह शाखा एक वृक्ष बन जाएगी।
इसकी शाखायें निकलेंगी और इसमें फल लगेंगे।
यह एक सुन्दर देवदार का वृक्ष बन जाएगा।
अनेक पक्षी इसकी शाखाओं पर बैठा करेंगे।
अनेक पक्षी इसकी शाखाओं के नीचे छाया में रहेंगे।
24 तब अन्य वृक्ष उसे जानेंगे कि मैं ऊँचे वृक्षों को भूमि पर गिराता हूँ।
और मैं छोटे वृक्षों को बढ़ाता और उन्हें लम्बा बनाता हूँ।
मैं हरे वृक्षों को सुखा देता हूँ।
और मैं सूखे वृक्षों को हरा करता हूँ।
मैं यहोवा हूँ।
यदि मैं कहूँगा कि मैं कुछ करुँगा तो मैं उसे अवश्य करूँगा!”

18यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 2 “तुम लोग इस कहावत को दुहराते रहते हो। क्यों तुम कहते हो:

‘पूर्वजों ने खट्टे अंगूर खाये,
किन्तु बच्चों को खट्टा स्वाद मिला।
तुम सोचते हो कि तुम पाप कर सकते हो
और भविष्य में कुछ व्यक्ति इसके लिये दण्डित होंगे।’”

3 किन्तु मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर प्रतिज्ञा करता हूँ कि इस्राएल में लोग अब भविष्य में इस कहावत को कभी सत्य नहीं समझेंगे! 4 मैं सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार करुँगा। यह महत्वपूर्ण नहीं होगा कि वह व्यक्ति माता—पिता है अथवा सन्तान। जो व्यक्ति पाप करेगा वह व्यक्ति मरेगा!

5 “यदि कोई व्यक्ति भला है, तो वह जीवित रहेगा। वह भला व्यक्ति लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करता है। 6 वह भला व्यक्ति पहाड़ों पर नहीं जाता और असत्य देवताओं को चढ़ाए गए भोजन में कोई हिस्सा नहीं बंटाता। वह इस्राएल में उन गन्दें देवताओं की मूर्तियों की स्तुति नहीं करता। वह अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ व्यभिचार का पाप नहीं करता। वह अपनी पत्नी के साथ, उसके मासिक धर्म के समय, शारीरिक सम्बंध नहीं करता। 7 वह भला व्यक्ति लोगों से अनुचित लाभ नहीं उठाता। यदि कोई व्यक्ति उससे मुद्रा ऋण लेता है तो वह भला व्यक्ति गिरवी रखकर दूसरे व्यक्ति को मुद्रा देता है और जब वह व्यक्ति उसे भुगतान कर देता है तो भला व्यक्ति उसे गिरवी वस्तु वापिस कर देता है। भला व्यक्ति भूखे लोगों को भोजन देता है और वह उन लोगों को वस्त्र देता है जिन्हें उनकी आवश्यकता है। 8 यदि कोई मुद्रा ऋण लेना चाहता है तो भला व्यक्ति उसे ऋण देता है। वह उस ऋण का ब्याज नहीं लेता। भला व्यक्ति कुटिल होने से इन्कार करता है। वह हर व्यक्ति के प्रति सदा भला रहता है। लोग उस पर विश्वास कर सकते हैं। 9 वह मेरे नियमों का पालन करता है। वह मेरे निर्णयों को समझता है और भला एवं विश्वसनीय होना सीखता है। क्योंकि वह भला व्यक्ति है, अतः वह जीवित रहेगा।

10 “किन्तु उस व्यक्ति का कोई ऐसा पुत्र हो सकता है, जो उन अच्छे कामों में से कुछ भी न करता हो। पुत्र चीज़ें चुरा सकता है तथा लोगों की हत्या कर सकता है। 11 पुत्र इन बुरे कामों में से कोई भी काम कर सकता है। वह पहाड़ों पर जा सकता है और असत्य देवताओं को चढ़ाए गए भोजन में हिस्सा बटा सकता है। वह पापी पुत्र अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ व्यभिचार करने का पाप कर सकता है। 12 वह गरीब और असहाय लोगों के साथ बुरा व्यवहार कर सकता है। वह लोगों से अनुचित लाभ उठा सकता है। वह गिरवी चीज़ को तब भी न लौटाये जब कोई व्यक्ति अपने ऋण का भुगतान कर चुका हो। वह पापी पुत्र उन गन्दी देवमूर्तियों की प्रार्थना कर सकता है एवं अन्य भयंकर पाप भी कर सकता हैं। 13 किसी व्यक्ति को उस पापी पुत्र से ऋण लेने की आवश्यकता हो सकती है। वह पुत्र उसे मुद्रा ऋण दे सकता है, किन्तु वह उस व्यक्ति को उस ऋण पर ब्याज देने के लिये विवश करेगा। अत: वह पापी पुत्र जीवित नहीं रहेगा। उसने भयंकर पाप किये अत: मार दिया जाएगा और अपनी मृत्यु के लिये वह स्वयं ही उत्तरदायी है।

14 “संभवत: उस पापी पुत्र का भी एक पुत्र हो। किन्तु यह पुत्र अपने पिता द्वारा किये गए पाप—कर्मों को देख सकता है और वह अपने पिता की तरह रहने से इन्कार कर सकता है। वह भला व्यक्ति लोगों के साथ भला व्यवहार करता है। 15 वह व्यक्ति पहाड़ों पर नहीं जाता, न ही असत्य देवताओं को चढ़ाए गए भोजन में हिस्सा बटाता है। वह इस्राएल में उन गन्दी देवमूर्तियों की प्रार्थना नहीं करता। वह अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ व्यभिचार का पाप नहीं करता। 16 वह भला पुत्र लोगों से अनुचित लाभ नहीं उठाता। यदि कोई व्यक्ति उससे ऋ ण लेता है तब भला पुत्र चीज गिरवी रखता है और उस व्यक्ति को मुद्रा दे देता है और जब वह व्यक्ति वापस भुगतान करता है तो भला व्यक्ति गिरवी चीज़ वापस कर देता है। भला व्यक्ति भूखों को भोजन देता है और वह उन लोगों को वस्त्र देता है जिन्हें उसकी आवश्यकता है। 17 वह गरीबों की सहायता करता है यदि कोई व्यक्ति ऋण लेना चाहता है तो भला पुत्र उसे मुद्रा उधार दे देता है और वह उस ऋण पर ब्याज नहीं लेता। भला पुत्र मेरे नियमों का पालन करता है और मेरे नियम के अनुसार चलता है! वह भला पुत्र अपने पिता के पापों के कारण मारा नहीं जायेगा! वह भला पुत्र जीवित रहेगा। 18 पिता लोगों को चोट पहुँचा सकता है और चीज़ें चुरा सकता है! वह मेरे लोगों के लिये कभी कुछ अच्छा कार्य नहीं कर सकता। वह पिता अपने पापों के कारण मरेगा। किन्तु पुत्र अपने पिता के पापों के लिये दण्डित नहीं होगा।

19 “तुम पूछ सकते हो, ‘पिता के पाप के लिये पुत्र दण्डित क्यों नहीं होगा’ इसका कारण यह है कि पुत्र भला रहा और उसने अच्छे काम किये! उसने बहुत सावधानी से मेरे नियमों का पालन किया! अत: वह जीवित रहेगा। 20 जो व्यक्ति पाप करता है वही व्यक्ति मार डाला जाता है। एक पुत्र अपने पिता के पापों के लिये दण्डित नहीं होगा और एक पिता अपने पुत्र के पापों के लिये दण्डित नहीं होगा। एक भले व्यक्ति की भलाई केवल उसकी निजी होती है और बुरे व्यक्ति की बुराई केवल उसी की होती है।

21 “इस स्थिति में यदि कोई बुरा व्यक्ति अपना जीवन—क्रम परिवर्तित करता है तो वह जीवित रहेगा, मरेगा नहीं वह व्यक्ति अपने किये पापों को फिर करना छोड़ सकता है। वह बहुत सावधानी से मेरे सभी नियमों का पालन करना आरम्भ कर सकता है। वह न्यायशील और भला हो सकता है। 22 परमेश्वर उसके उन सभी पापों को याद नहीं रखेगा जिन्हें उसने किये। परमेश्वर केवल उसकी भलाई को याद करेगा, अत: वह व्यक्ति जीवित रहेगा।”

23 मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मैं बुरे लोगों को मरने देना नहीं चाहता। मैं चाहता हूँ कि वे अपने जीवन को बदलें, जिससे वे जीवित रह सकें!

24 “ऐसा भी हो सकता है, कि भला व्यक्ति भला न रह जाय। वह अपने जीवन को बदल सकता है और उन भयंकर पापों का करना आरम्भ कर सकता है जिन्हें बुरे लोगों ने भूतकाल में किया था। (वह बुरा व्यक्ति बदल गया अत: वह जीवित रह सकता है।) अत: यदि वह भला व्यक्ति बदलता है और बुरा बन जाता है तो परमेश्वर उस व्यक्ति के किये अच्छे कामों को याद नहीं रखेगा। परमेश्वर यही याद रखेगा कि वह व्यक्ति उसके विरुद्ध हो गया और उसने पाप करना आरम्भ किया। इसलिये वह व्यक्ति अपने पापों के कारण मरेगा।”

25 परमेश्वर ने कहा, “तुम लोग कह सकते हो, ‘परमेश्वर हमारा स्वामी न्यायपूर्ण नहीं है!’ किन्तु इस्राएल के परिवारों, सुनो। मैं उसी प्रकार का हूँ। तुम लोग ऐसे हो कि जरुर बदलोगे! 26 यदि एक भला व्यक्ति बदलता है और पापी बनता है तो उसे अपने किये गये बुरे कामों के कारण मरना ही चाहिए। 27 यदि कोई पापी व्यक्ति बदलता है और भला तथा न्याय प्रिय बनता है तो वह अपने जीवन को बचाएगा। वह जीवित रहेगा! 28 उस व्यक्ति ने देखा कि वह कितना बुरा था और मेरे पास लौटा। उसने उन बुरे पापों को करना छोड़ दिया जो उसने भूतकाल में किये थे। अत: वह जीवित रहेगा! वह मरेगा नहीं!”

29 इस्राएल के लोगों ने कहा, “यह न्यायपूर्ण नहीं है! मेरा स्वामी यहोवा न्यायपूर्ण नहीं है!”

परमेश्वर ने कहा, “मैं उसी प्रकार का हूँ। तुम ऐसे लोग हो जो बदलोगे ही! 30 क्यों क्योंकि इस्राएल के परिवार, मैं हर एक व्यक्ति के साथ न्याय केवल उसके उन कर्मों के लिये करुँगा जिन्हें वह व्यक्ति करता है!” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं: “इसलिये मेरे पास लौटो! पाप करना छोड़ो! उन भयंकर चीजों (मूर्तियों) को अपने द्वारा पाप मत करने दो! 31 उन सभी भयंकर चीज़ों (मूर्तियों) को फेंक दो जिन्हें तुमने बनाया, वे तुमसे केवल पाप करवाते हैं! अपने हृदय और आत्मा को बदलो! इस्राएल के लोगों, तुम अपने को क्यों मर जाने देना चाहते हो 32 मैं तुम्हें मारना नहीं चाहता! तुम हमारे पास आओ और रहो!” वे बातें मेरे स्वामी यहोवा ने कहीं।

समीक्षा

पूरी तरह से मुक्त हो जाइए!

यद्यपि हमारे लिए यीशु की मृत्यु 'एक बार' होने वाली घटना थी, परमेश्वर अपने प्रेम में, अपने लोगों को उस घटना के लिए सैक़ड़ो सालों के लिए तैयार कर रहे थे। वह उन्हें पाप के गंभीर परिणामों के विषय में सिखा रहे थे और एक उद्धारकर्ता की ओर इशारा कर रहे थे।

परमेश्वर का वचन उनके लोगों के लिए एक प्रतीक कथा और दृष्टांत के द्वारा था (17:1)। प्रतीक कथा का शीघ्र संदर्भ था बेबीलोन का 'बड़ा ऊकाब' (व.2), 597 बी.सी में राजा यहोयाकीम को यहूदा से बेबीलोन ले जाते हुए, लेकिन इसका अर्थ बहुत व्यापक है।

दो प्रकार के अंकुर, दो प्रकार की डालियाँ और दो प्रकार के राज्य हैं। इस विश्व का राज्य है – मनुष्यों के द्वारा बना, दिखने में मजबूत, सर्वश्रेष्ठ स्रोतों का इस्तेमाल करता हुआ, समृद्ध दिखता हुआ, लेकिन यह आखिर में मुर्झा जाएगा और मर जाएगा और पूरी तरह से बेकार हो जाएगा। दूसरी ओर, परमेश्वर का राज्य है, जो आरंभ से है, सारी कठिनाईयों के बावजूद, समृद्ध होगा और अनंत फल उत्पन्न करेगा (मत्ती 13:31-32 और प्रकाशितवाक्य 22 देखें)।

जैसे ही हम यीशु के नजरिये से इस लेखांश को पढ़ते हैं, हम पाप के लिए उनके 'एक बार में हमेशा के लिए' बलिदान के संकेत को देखते हैं। 'अंकुर' (यहेजकेल 17:22) वह भाषा है जिसका इस्तेमाल भविष्यवक्ता यशायाह करते हैं जो स्पष्ट रूप से मसीहा का लेखांश है, जो यीशु के आगमन की बात करता है (यशायाह 53:2)। वह हमारे अपराधों के लिए घायल किया गया (व.5) जिस पर हम सभी की बुराईयां लाद दी गई (व.6)। उन्होंने हमारे पापों के लिए 'एक बार में हमेशा के लिए' बलिदान चढ़ाया।

यहेजकेल आगे कहते हैं, ' आप अपने पाप के लिए मरे, नाकि दूसरे के' (यहेजकेल 18:4, एम.एस.जी)। ' जो प्राणी पाप करे वही मरेगा' (व.20)। इसके पहले, यहेजकेल ने सामूहिक उत्तरदायित्व के बारे में बताया (17:12)। अब वह व्यक्तिगत उत्तरदायित्व के बारे में बताते हैं। हम सभी को अपने जीवन का उत्तरदायित्व लेना पड़ेगा। ' न तो पुत्र पिता के पाप का भार उठाएगा और न पिता पुत्र का; सत्यनिष्ठ को अपनी ही सत्यनिष्ठा का फल मिलेगा ' (18:20)।

परमेश्वर सभी से प्रेम करते हैं। वह नहीं चाहते हैं कि किसी को उनके द्वारा दंड मिलेः' क्या मैं दुष्ट के मरने से कभी भी प्रसन्न होता हूँ: क्या मैं इससे प्रसन्न नहीं होता कि वह अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे:' (व.23)।

वह इस लेखांश के अंत में कहते हैः' मैं तुम में से हर एक मनुष्य का न्याय उसके चालचलन के अनुसार ही करूँगा। पश्चाताप करो और अपने सब अपराधों को छोड़ो, तभी तुम्हारा पाप तुम्हारे ठोकर खाने का कारण न होगा। अपने सब अपराधों को जो तुमने किए हैं, दूर करो; अपना मन और अपनी आत्मा बदल डालो ' (वव.30-31, एम.एस.जी)। फिर लेखांश के अंत में अंतिम सलाह दी गई है कि यह कैसे संभव है - ' पश्चाताप करो, तभी तुम जीवित रहोगे' (व.32)।

यह अद्भुत समाचार है। आप चाहे जितना नीचे गिर गए हैं – आपने अपने जीवन को चाहे कितना भी बिगाड़ दिया है – आप भूतकाल से पूरी तरह से छुटकारा पा सकते हैं। केवल 'पश्चाताप करके' – बुरे मार्गों को छोड़ कर और यीशु की ओर मुड़ कर। आप पूर्ण क्षमा को ग्रहण करते हैं, एक नया हृदय और एक नई आत्मा और परमेश्वर के साथ संबंध का आनंद ले सकते हैं जो कि आपके पापों के लिए एक ही बार हमेशा के लिए उनके बलिदान के द्वारा संभव बनाई गई।

प्रार्थना

परमेश्वर आपका धन्यवाद कि मैं 'पश्चाताप करके जी सकता हूँ'। आपका धन्यवाद कि आप मुझसे एक नये हृदय और एक नई आत्मा का वायदा करते हैं। मेरी सहायता कीजिए कि पूरी तरह से छुटकारा पाऊँ और परमेश्वर के साथ संबंध का आनंद लूं जिसे आपने मेरे पापों के लिए 'एक बार में हमेशा के लिए' बलिदान के द्वारा संभव बनाया।

पिप्पा भी कहते है

पीपा विज्ञापन

भजनसंहिता 121:7-8

' यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा। यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से लेकर सदा तक करता रहेगा।'

मैंने बहुत सी बार अपने लिए, मेरे परिवार और मेरे मित्रों के लिए इस वचन से प्रार्थना की है। वे बहुत ही शांतिदायक और उत्साहित करने वाले वचन हैं।

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संदर्भ

सामान्य प्रार्थना कि किताब से लिया गया वाक्य

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी', बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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